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हिन्दू पुराणों और
हिन्दू पुराणों और
दरअसल, आप जहां रहते हैं उस स्थान से ही आपका भविष्य तय होता है । यदि आप गलत
जगह रह रहे हैं तो अच्छे भविष्य की आशा मत कीजिये। अत: हर व्यक्ति को यह जानना
जरूरी है कि उसे कहां रहना चाहिए और कहां नहीं रहना चाहिए। यदि आप नया मकान बनाने
जा रहे हैं या खरीद रहे हैं तो इन बातों का विशेष ध्यना रखें। रहने के स्थान से किसी भी प्रकार
का समझौता मत कीजिए। हां, यह सही है कि हर जगह सभी तरह की सुविधा उपलब्ध नहीं हो
सकती लेकिन फिर भी प्रयास करने में क्या जाता है । तो आओ जानने हैं कि कहां रहना चाहिए
और कहां नहीं।
ऐसी भी कई बातें हैं जिन पर गौर करने से पता चलेगा कि क्यों स्वजातीय और स्वधर्मी लोगों
के साथ रहने से व्यक्ति खद
ु को कंफर्ड महसूस करता है । हालांकि आधुनिक युग में इन सब
तरह की बातों को आप अस्वीकार कर सकते हैं। इसके अलावा अपने रहने के स्थान पर
पड़ोसियों को भी जानें क्या वह आपके मिजाज के हैं या कि नहीं? अक्सर यह दे खा गया है कि
समान वैचारिक समूह के साथ ही रहने से व्यक्ति खद
ु को सुरक्षित और प्रसन्नचित्त महसूस
करता है ।
यदि आप किसी टॉउनशिप या किसी नए मुहल्ले में रहने जा रहे हैं तो उस टॉउनशिप या
मुहल्ले को अच्छे से समझे। पहले तो उसका वास्तु जानें। दस
ू रे वहां के लोगों के टाइप को
जानें। तीसरा वहां उपलब्ध सवि
ु धा के बारे में जानें। जैसे स्कूल, अस्पताल, मेडिकल, किराना
दक
ु ान, थाना, वाटर सप्लाई, बिजली सुविधा, साफ-सफाई, सार्वजनिक वाहन सुविधा आदि
कितनी दरू ी पर उपलब्ध हैं? यदि यह सभी बातें आपके अनक
ु ू ल नहीं है तो यहां नहीं रहने में ही
भलाई है । मकान शहर या मह
ु ल्ले के पर्व
ू , पशचि
् म या उत्तर दिशा में होना चाहिए।
4.अवैध गतिविधियों वाली जगह-
यदि आपके घर के आसपास मदिरालय, जआ
ु घर, मांस-मच्छी की दक
ु ान या इसी तरह की
किसी भी प्रकार की अनैतिक-अवैध गतिविधियां संचालित होती है तो वहां कतई न रहें । भले ही
आप मांसाहारी हों फिर भी आप वहां नहीं रहें । ऐसी जगह आपके जीवन में कभी शांति नहीं
रहने दे गी।
वर्तमान यग
ु में हर कोई अपने घर में ही संगीतशाला, नत्ृ यशाला और किसी भी तरह की दक
ु ान
खोलने लगा है जोकि दस
ू रे रहवासियों के लिए परे शानी का कारण बन जाता है । मेन रोड़ के
अधिकतर घर अब दक
ु ानों में बदल गए हैं। शहर में रहवासी क्षेत्र तो अब कम ही बचे हैं। लोग
आपत्ति नहीं लेते इसलिए यह सब चलता रहता है और अंतत: दस
ू रों के कारण आपका जीवन
दख
ु दाई हो जाता है ।
दरअसल, आपका मकान मंदिर के इतनी दरू होना चाहिए जिससे मंदिर के कार्य में किसी भी
प्रकार की बाधा उत्पन्न न हो और आपका जीवन भी मंदिर के दै निक कार्यों के कारण बाधित न
हो। हमने यह दे खा है कि मंदिर से लगे या मंदिर के अंदर बने जिन घरों का निर्माण वास्तु के
अनस
ु ार हुआ हैं वहां रहने वाले लोग सख
ु -समद्धि
ृ भरा जीवन व्यतीत कर रहे हैं। यदि वहां रहने
वाले गह
ृ स्थ है तो उनके परिवार तरक्की कर रहे हैं।
भारत के कई शहरों में व्यस्त बाजार में छोटे -बड़े धार्मिक स्थल होते हैं, जिनके आसपास घनी
आबादी या दक
ु ानें होती है । ऐसी जगहों पर खूब व्यवसाय होता है और वहां रहने वाले लोग खूब
तरक्की करते हैं। अक्सर लोग यह तर्क दे ते हैं कि धार्मिक स्थानों के आसपास रहने वाले वहां
बजने वाली घंटी, शंख, ध्वनि विस्तारक यंत्र, शोरगल
ु , भीड़ इत्यादि के कारण परे शान रहते हैं
लेकिन यह उचित नहीं है । दरअसल, आध्यात्मिक वातारवण को शोरगुल का नाम नहीं दिया
जा सकता है । मंदिरों की नगरी मथुरा, उज्जैन, हरिद्वार आदि जगहों पर हर घर के पास एक
मंदिर है और वहां के लोग बहुत ही शांत चित्त एवं आध्यात्मिक भाव से संपन्न हैं।
7.दबंगों और प्रखय
् ात लोगों से दरू रहें -
भविष्य पुराण अनस
ु ार जहां राजा या उनके सेवक निवास करते हैं, वहां घर नहीं बनाना
चाहिए। अगर राजा के सेवकों के साथ किसी बात पर विवाद हो जाए तो ऐसे लोग अपने प्रभाव
से आपका अहित कर सकते हैं। दस
ू री बात राजा के महल के पास भी घर नहीं बनाना चाहिए।
चूंकि महल में अनेक विशिष्ट लोग आते जाते रहते हैं। इससे घर के सदस्यों का जीवन बाधित
हो सकता है ।
हालांकि आजकल राजा और उनके सेवकों के रूप बदल गए हैं अब उनकी जगह नेताओं और
गंड
ु ों ने ले ली है । बहुत अधिक अति विशिषठ् अधिकारी भी आपको छोटा समझकर आपके
लिए परे शानी खड़ी करता रहे गा। इसीलिए अच्छा होगा की दबंगों और प्रख्यात या कुखय
् ात
लोगों से दरू ी ही बनाएं रखें।
8.भमि
ू का चयन करें -
घर लेते या बनाते वक्त भूमि का मिजाज भी दे ख लें। भूमि लाल है , पीली है , भूरी है , काली है या
कि पथरीली है ? ऊसर, चूहों के बिल वाली, बांबी वाली, फटी हुई, ऊबड़-खाबड़, गड्ढों वाली और
टीलों वाली भमि
ू का त्याग कर दे ना चाहिए। जिस भमि
ू में गड्ढा खोदने पर राख, कोयला,
भस्म, हड्डी, भूसा आदि निकले, उस भूमि पर मकान बनाकर रहने से रोग होते हैं तथा आयु
का ह्रास होता है ।
पूर्व, उत्तर और ईशान दिशा में नीची भूमि सब दृष्टियों से लाभप्रद होती है । आग्नेय, दक्षिण,
नैऋत्य, पश्चिम, वायव्य और मध्य में नीची भूमि रोगों को उत्पन्न करने वाली होती है ।
दक्षिण तथा आग्नेय के मध्य नीची और उत्तर एवं वायव्य के मध्य ऊंची भमि
ू का नाम
'रोगकर वास्तु' है , जो रोग उत्पन्न करती है । अत: भूमि का चयन करते वक्त किसी
वास्तुशास्त्री से भी पछ
ू लें।
मकान पहाड़ के उत्तर की ओर बनाएं ताकि दक्षिण में पहाड़ हो। जिस शहर के दक्षिण में पहाड़
है वहां रहना उचित है लेकिन जिस शहर के उत्तर पहाड़ है और समूची आबादी दक्षिण में रह
रही है तो ऐसे स्थान को छोड़ दे ना चाहिए।
दस
ू री बात यह कि नदी और तालाब स्वच्छ रहें और लोगों को स्वच्छ पानी मिलता रहे रहे
इसके लिए उनसे थोड़ा दरू ही मकान होना चाहिए। कारण नदी में कटाव न हो, नदी में अक्सर
उफान और बाढ़ का खतरा भी बना रहता है । इसके और भी कई कारण है जिसके चलते नदी के
पास नहीं रहने की हिदायत दी गई है ।
जैसे किसी भी मकान, कालोनी या मुहल्ले और शहर के बीच का स्थान ब्रह्मा स्थान कहा गया
है । यह यदि यह स्थान गंदा है । यह कि किसी नगहर के बीचोबीच नाला बह रहा है तो यह वास्तु
दोष है । यदि नगर के ईशान या उत्तर में कचरा इकट्टा करने का स्थान बना रखा है , वहां कोई
पहाड़ है या बिजरी घर है तो यह भी वास्तद
ु ोष है ।
चौराहे के पास घऱ
घर के अंदर और बाहर का वातावरण व्यक्ति के जीवन पर बहुत प्रभाव डालता है । ऐसे में
ध्यान रखें कि घर खरीदते वक्त या फिर बनवाते घर के पास कोई चौराहा न हो, ऐसा होने से
घर में वास्तु दोष पैदा होते हैं। चौराहे के पास बने घर में रहने से जीवन में वास्तु दोष पैदा होते
हैं।
एकांत जगह
मानसिक शांति पाने के लिए कभी भी घर किसी एकांत जगह पर न बनवाएं। अकेलापन भी
आपके मन को उदास करता है । घर हमेशा शहर के बीचो-बीच बनवाना चाहिए ताकि लोगों से
मेलजोल बना रहे ।
जआ
ु घर
ध्यान रखें कभी भी अपना सपनों का घर जुआ खाना और मांस-मछली की दक
ु ान के पास न
बनवाएं। ये सब चीजें जहां सामाजिक तौर पर अवैध मानी जाती हैं, वहीं इनका असर आपके
जीवन पर भी पड़ता है । ऐसी जगहों पर रहने से परिवार के बच्चों पर बुरा असर डलता है । ऐसी
जगहें जीवन में कभी भी शांति नहीं आने दे ती।
घर के अंदर से जड़
ु े वास्तु टिप्स
- घर के दक्षिण कोने में कभी भी अंधेरा न होने दें , साथ ही ध्यान रखें उत्तर दिशा में ज्यादा
तेज रोशनी भी नहीं होनी चाहिए।
- घर में जितना हो सके धीमी आवाज में बात करें । घर भी एक मंदिर है , वहां भगवान वास
करते हैं। ऐसे में जहां भगवान विराजमान हो वहां थोड़ा लहजे और प्यार से ही बोलना चाहिए।
-घर के पास यदि कोई सूखा पेड़ है तो उसे आज ही वहां से हटा दें , उसकी जगह हरे -भरे पौधे
लगाएं और रोजाना उनकी दे खभाल करें ।