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जीवाजी ववश्वववद्यालय

सविन तेंदुलकर मार्ग ,कैलाश नर्र, महल र्ाां व, ग्वावलयर मध्य प्रदे श 474001

कृ/ आई ऐ आर आई./एच.आर./ स.नि./15075/2022/1465 नििाक 30/04/2022

वनयुक्ति पत्र

//कर्ाा लर् आिे श//

सेवा में ,

श्री अिू प शमाा


पुत्र रनव शमाा
183/A, ग्राम हड़बाां सी
तहसील जौरा, मोरे िा
मध्य प्रिे श 476001

सांिर्ा :- र्ती सांख्या2185 पत्र क्रमाां क1125 के अिु मोिि र्ारतीर् कृनि अिु सांधाि सांस्थाि सहार्क निरीक्षक पि हे तु |

नविर् :- र्ारतीर् कृनि अिु सांधाि सांस्थाि के अांतर्ात सहार्क निरीक्षक पि के नलए निर्ुक्ति पत्र|

महाशर् ,

र्ारतीर् कृनि अिु सांधाि सांस्थाि के अांतर्ात आप को सूनचत नकर्ा जाता है र्ती सांख्या 2185/ आई ऐ आर आई नििाां क
16/01/2022 के मे ररट सूनच पररणाम के आधार पर आप का चर्ि सहार्क निरीक्षक के पि पर वेतिमाि रुपर्ा
20,500/- राजमाता नवजर्ाराजे नसांनधर्ा कृनि नवश्वनवद्यालर् , ग्वानलर्र रे स कोसा रोड , मेला ग्राउां ड के पास ,ग्वानलर्र
मध्य प्रिे श 474002पर नकर्ा र्र्ा है |

अतः आप को नििाां क 05/05/2022 से 10/05/2022 के मध्य अपिे मू ल िस्तावेजोां एवां प्रनतर्ोां के साथ राजमाता
ववजयाराजे वसांविया कृवि ववश्वववद्यालय , ग्वावलयर रे स कोसग रोड , मेला ग्राउां ड के पास ,ग्वावलयर मध्य प्रदे श
474002 कायागलय उपक्तस्थत होकर अपिे मू ल िस्तावेजोां एवां प्रनतर्ोां जमा करार्े |

सहार्क निरीक्षक को निए र्ए समर् के र्ीतर पिर्ार ग्रहण करिा आवश्यक होर्ा निधाा ररत नतनथ के पश्चात र्ह आिे श
स्वतः ही निरस्त मािा जाएर्ा,आप से आशा की जाती है के आप निए र्ए समर्ािु सार उपक्तस्थत होकर अपिा पिर्ार
ग्रहण करें र्े एवां र्ारतीर् कृनि अिु सांधाि सांस्थाि प्रिे श के सर्ी निर्मोां/शतों का अिु पालि करें र्े |

(मध्य प्रदे श भारतीय कृवि अनु सांिान सांस्थान द्वारा अनुमोवदत)

प्रवत :- कृपया सूिनाथग हे तु प्रेवित

रवजस्ट्र ार
1. अपर मु ख़्य सनचव जीवाजी नवश्वनवद्यालर्
सुसील मां डेररया
2. अपर मु ख़्य सनचव मध्य प्रिे श र्ारतीर् कृनि अिु सांधाि सांस्थाि | जीवाजी ववश्वववद्यालय प्रिान कृवि ववभार्
3. आर्ुि, र्ारतीर् कृनि अिु सांधाि सांस्थाि सेवाएां म. प्र. |
4. नमशि सांचालक आई ऐ आर आई म.प्र. |
5. समस्त सांचिालर् कृनि अिु सांधाि सांस्थाि, सांचालक आई ऐ आर आई म.प्र. |
6. क्षे त्रीर् सांचालक सांर्ार् ग्वानलर्र कृनि अिु सांधाि सांस्थाि म.प्र. |
7. मु ख़्य रनजस्ट्र ार एवां मु ख़्य सनचव अनधकारी जीवाजी नवश्वनवद्यालर् प्रधाि कृनि नवर्ार् नजला ग्वानलर्र |
8. आिे श िस्ती |

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