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GURUTVA KARYALAY
92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA, BHUBNESWAR-
751018, (ODISHA)
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गुरुत्ल ज्मोसतऴ ऩत्रिका
गुरुत्ल ज्मोसतऴ भासवक ई-ऩत्रिका
अप्रैर-2015
वॊ ऩादक भं रेखन शे तु फ्रीराॊव (स्लतॊि)
सचॊतन जोळी
वॊ ऩका
गुरुत्ल ज्मोसतऴ त्रलबाग
रेखकं का स्लागत शं ...
गुरुत्ल कामाारम
92/3. BANK COLONY,
BRAHMESHWAR PATNA,
गुरुत्ल ज्मोसतऴ भासवक ई-ऩत्रिका भं
आऩके द्राया सरखे गमे भॊि, मॊि,
BHUBNESWAR-751018,
(ORISSA) INDIA
पोन
91+9338213418, तॊि, ज्मोसतऴ, अॊक ज्मोसतऴ, लास्तु,
पंगळुई, टै यं, ये की एलॊ अन्म
91+9238328785,
ईभे र
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gurutva_karyalay@yahoo.in, आध्मात्त्भक सान लधाक रेख को
लेफ
www.gurutvakaryalay.com प्रकासळत कयने शे तु बेज वकते शं ।
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ऩत्रिका प्रस्तुसत
असधक जानकायी शे तु वॊऩका कयं ।
सचॊ तन जोळी,
स्लत्स्तक.ऎन.जोळी GURUTVA KARYALAY
पोटो ग्राफपक्व BHUBNESWAR-751018, (ORISSA) INDIA
सचॊ तन जोळी, स्लत्स्तक आटा
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शभाये भु ख्म वशमोगी
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स्लत्स्तक.ऎन.जोळी (स्लत्स्तक
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वोफ्टे क इत्न्डमा सर)
अनु क्र भ
शनुभान चारीवा औय फजयॊ ग फाण का चभत्काय 7 राङ्गूरास्त्र ळिुज्जम शनुभत ् स्तोि 42
वयर उऩामं वे काभना ऩूसता 8 ॥ श्री आज्ज्ने म अद्शोत्तयळत नाभालसर् ॥ 44
वयर त्रलसध-त्रलधान वे शनुभानजी की ऩूजा 9 भन्दात्भकॊ भारुसतस्तोिभ ् 45
ऩॊचभुखी शनुभान का ऩूजन उत्तभ परदामी शं 11 || श्री शनुभत ् स्तलन || 45
शनुभान जी को सवॊदयू क्मं अत्मासधक त्रप्रम शं ? 12 || वॊकट भोचन शनुभानाद्शक || 46
शनुभानजी के ऩूजन वे कामासवत्रि 13 शनुभत्ऩञ्रत्न स्तोिभ ् 46
शनुभान फाशुक क ऩाठ योग ल कद्श दयू कयता शं 15 ॥ भारुसतस्तोिभ ् ॥ 47
जफ शनुभानजी ने वूमा को पर वभझा! 20 ॥श्रीशनुभन्नभस्काय् ॥ 47
नटखट फारशनुभान 21 श्री शनुभान वशस्त्रनभालसर् 48
भॊिजाऩ वे ळास्त्रसान 22 ॥ रान्गूरोऩसनऴत ्॥ 57
भॊि सवि लाशन दघ
ु ाटना नाळक भारुसत मॊि 23 ॥ श्रीशनुभत्प्रळॊवनभ ् ॥ 59
शनुभान भॊि वे बम सनलायण 24 ॥ शनुभद्राडलानरस्तोिभ ् ॥ 60
|| शनुभान आयती || 24 ॥ श्री शनुभान वशस्त्रनाभस्तोिभ ् ॥ 61
जफ शनुभान जी ने तोडा़ ळसनदे ल का घभॊड! 25 ॥ श्रीशनूभत्स्भयणभ ् ॥ 65
वला सवत्रिदामक शनुभान भन्ि 26 ॥आऩदि
ु ायक श्रीशनूभत्स्तोिभ ् ॥ 65
शनुभान आयाधना के प्रभुख सनमभ 28 ॥ श्रीशनुभद्रन्दनभ ् ॥ 66
स्लमॊप्रबा ने की याभदत
ू शनुभान की वशामता? 30 ॥श्रीशनुभद्धध्मानभ ् भाकाण्डे मऩुय ाणत्॥ 70
|| श्री शनुभान चारीवा || 31 ॥श्रीशनुभत्स्तोिभ ् व्मावतीथात्रलयसचतभ ् ॥70 70
॥ फजयॊ ग फाण ॥ 32 ॥श्रीशनुभत्स्तोिॊ त्रलबीऴणकृतभ ् ॥ 71
श्री एक भुखी शनुभत ् कलच 33 अषम तृसतमा (अखातीज 21-अप्रैर-2015) 72
श्री ऩच्चभुखी शनुभत्कलचभ ् 37 अप्रैर-2015 के प्रभुख व्रत-ऩला 74
श्री वद्ऱभुखी शनुभत ् कलचभ ् 39 लरुसथनी एकादळी 15 अप्रैर 2015 76
एकादळभुखी शनुभान कलच 41 भोफशनी एकादळी 29 अप्रैर 2015 77
स्थामी औय अन्म रे ख
वॊऩादकीम 4 दैसनक ळुब एलॊ अळुब वभम सान तासरका 101
अप्रैर 2015 भासवक व्रत-ऩला- त्मौशाय 88 फदन फक शोया - वूमोदम वे वूमाास्त तक 103
फॊधु/ फफशन
जम गुरुदे ल
आज शय व्मत्रि अऩने जीलन भे वबी बौसतक वुख वाधनो की प्रासद्ऱ के सरमे बौसतकता की दौड भे
बागते शुए फकवी न फकवी वभस्मा वे ग्रस्त शै। एलॊ व्मत्रि उव वभस्मा वे ग्रस्त शोकय जीलन भं शताळा औय
सनयाळा भं फॊध जाता शै।
व्मत्रि उव वभस्मा वे असत वयरता एलॊ वशजता वे भुत्रि तो चाशता शै ऩय मश वफ के वे शोगा? उव की
उसचत जानकायी के अबाल भं भुि शो नशीॊ ऩाते। औय उवे अऩने जीलन भं आगे गसतळीर शोने के सरए भागा प्राद्ऱ
नशीॊ शोता। एवे भे वबी प्रकाय के दख
ु एलॊ कद्शं को दयू कयने के सरमे अचुक औय उत्तभ उऩाम शै शनुभान चारीवा
औय फजयॊ ग फाण का ऩाठ…
क्मोफक लताभान मुग भं श्री शनुभानजी सळलजी के एक एवे अलताय शै जो असत ळीघ्र प्रवन्न शोते शै जो
अऩने बिो के वभस्त दख
ु ो को शयने भे वभथा शै। श्री शनुभानजी का नाभ स्भयण कयने भाि वे शी बिो के वाये
वॊकट दयू शो जाते शं। क्मोफक इनकी ऩूजा-अचाना असत वयर शै, इवी कायण श्री शनुभानजी जन वाधायण भे
अत्मॊत रोकत्रप्रम शै। इनके भॊफदय दे ळ-त्रलदे ळ वलि त्स्थत शं। अत् बिं को ऩशुॊचने भं अत्मासधक कफठनाई बी
नशीॊ आती शै। शनुभानजी को प्रवन्न कयना असत वयर शै
शनुभान चारीवा औय फजयॊ ग फाण के ऩाठ के भाध्मभ वे वाधायण व्मत्रि बी त्रफना फकवी त्रलळेऴ ऩूजा
अचाना वे अऩनी दै सनक फदनचमाा वे थोडा वा वभम सनकार रे तो उवकी वभस्त ऩये ळानी वे भुत्रि सभर जाती
शै।
इव लऴा 2015 भं शनु भ ान जमॊ त ी 4 अप्रैर , ळसनलाय को शं ।
लैव े तो शनुभानजी की ऩूजा शेत ु अनेको त्रलसध-त्रलधान प्रचरन भं शं ऩय मशा वाधायण व्मत्रि जो वॊऩण
ू ा
त्रलसध-त्रलधान वे शनुभानजी का ऩूजन नशीॊ कय वकते लश व्मत्रि वयर त्रलसध-त्रलधान वे कय वके इव उदे श्म वे इव
अॊक भं शभने वयर त्रलसध-त्रलधान वे शनुभानजी की ऩूजन त्रलसध दळााने का प्रमाव फकमा शं।
धभा ळास्त्रो त्रलधान वे शनुभानजी का ऩूजन औय वाधना त्रलसबन्न रुऩ वे फकमे जा वकते शं। शनुभानजी का
एकभुखी, ऩॊचभुखीऔय एकादळ भुखीस्लरूऩ के वाथ शनुभानजी का फार शनुभान, बि शनुभान, लीय शनुभान, दाव
शनुभान, मोगी शनुभान आफद प्रसवि शै। फकॊ तु ळास्त्रं भं श्री शनुभान के ऐवे चभत्कारयक स्लरूऩ औय चरयि की
बत्रि का भशत्ल फतामा गमा शै,
भान्मता के अनुळाय ऩॊचभुखीशनुभान का अलताय बिं का कल्माण कयने के सरए शुला शं। शनुभान के ऩाॊच
भुख क्रभळ:ऩूल,ा ऩत्द्ळभ, उत्तय, दत्षण औय ऊधध्ल फदळा भं प्रसतत्रद्षत शं।
ऩॊचभुखीशनुभानजी का अलताय भागाळीऴा कृ ष्णाद्शभी को भाना जाता शं। रुद्र के अलताय शनुभान ऊजाा के
प्रतीक भाने जाते शं। इवकी आयाधना वे फर, कीसता, आयोग्म औय सनबॉकता फढती शै।
याभामण के अनुवाय श्री शनुभान का त्रलयाट स्लरूऩ ऩाॊच भुख ऩाॊच फदळाओॊ भं शं। शय रूऩ एक भुख लारा,
त्रिनेिधायी मासन तीन आॊखं औय दो बुजाओॊ लारा शै। मश ऩाॊच भुख नयसवॊश, गरुड, अद्व, लानय औय लयाश रूऩ शै।
शनुभान के ऩाॊच भुख क्रभळ:ऩूल,ा ऩत्द्ळभ, उत्तय, दत्षण औय ऊधध्ल फदळा भं प्रसतत्रद्षत भाने गएॊ शं।
ऩॊचभुख शनुभान के ऩूल ा की ओय का भुख लानय का शं। त्जवकी प्रबा कयोडं वूमो के तेज वभान शं। ऩूल ा
भुख लारे शनुभान का ऩूजन कयने वे वभस्त ळिुओॊ का नाळ शो जाता शै।
ऩत्द्ळभ फदळा लारा भुख गरुड का शं। जो बत्रिप्रद, वॊकट, त्रलघ्न-फाधा सनलायक भाने जाते शं। गरुड की तयश
शनुभानजी बी अजय-अभय भाने जाते शं।
शनुभानजी का उत्तय की ओय भुख ळूकय का शै। इनकी आयाधना कयने वे अऩाय धन-वम्ऩत्रत्त,ऐद्वमा, मळ,
फदधाामु प्रदान कयने लार ल उत्तभ स्लास््म दे ने भं वभथा शं। शनुभानजी का दत्षणभुखी स्लरूऩ बगलान नृसवॊश का
शै। जो बिं के बम, सचॊता, ऩये ळानी को दयू कयता शं।
श्री शनुभान का ऊधध्लभुख घोडे के वभान शं। शनुभानजी का मश स्लरुऩ मा जी ा जी की प्राथाना ऩय प्रकट शुआ
था। भान्मता शै फक शमग्रीलदै त्म का वॊशाय कयने के सरए ले अलतरयत शुए। कद्श भं ऩडे बिं को ले ळयण दे त े शं ।
ऐवे ऩाॊच भुशॊ लारे रुद्र कशराने लारे शनुभान फडे कृ ऩारु औय दमारु शं।
शनुभानजी के अनेको फदव्म चरयि फर, फुत्रि कभा, वभऩाण, बत्रि, सनद्षा, कताव्म ळीर जैव े आदळा गुणो वे मुि
शं। अत् श्री शनुभानजी के ऩूजन वे व्मत्रि भं बत्रि, धभा, गुण, ळुि त्रलचाय, भमाादा, फर , फुत्रि , वाशव इत्मादी गुणो
का बी त्रलकाव शो जाता शं।
त्रलद्रानो के भतानुळाय शनुभानजी के प्रसत दढ आस्था औय अटू ट त्रलद्वाव के वाथ ऩूणा बत्रि एलॊ वभऩाण की
बालना वे शनुभानजी के त्रलसबन्न स्लरूऩका अऩनी आलश्मकता के अनुळाय ऩूजन-अचान कय व्मत्रि अऩनी
वभस्माओॊ वे भुि शोकय जीलन भं वबी प्रकाय के वुख प्राद्ऱ कय वकता शं।
भनोकाभना की ऩूसता शेत ु कौन वी शनुभान प्रसतभा का ऩूजर कयना राबप्रद यशेगा। इव जानकायी वे
आऩको अलगत कयाने का प्रमाव फकमा जायशा शं।
इव अॊक भं प्रकासळत कलच वे वॊफॊसधत जानकायीमं के त्रलऴम भं वाधक एलॊ त्रलद्रान ऩाठको वे
अनुयोध शं , मफद दळाामे गए भॊि, श्रोक, मॊि, वाधना एलॊ उऩामं के राब, प्रबाल इत्मादी के वॊकरन,
प्रभाण ऩढ़ने, वॊऩादन भं, फडजाईन भं, टाईऩीॊग भं, त्रप्रॊफटॊ ग भं, प्रकाळन भं कोई िुफट यश गई शो, तो
उवे स्लमॊ वुधाय रं मा फकवी मोग्म ज्मोसतऴी, गुरु मा त्रलद्रान वे वराश त्रलभळा कय रे । क्मोफक
त्रलद्रान ज्मोसतऴी, गुरुजनो एलॊ वाधको के सनजी अनुबल त्रलसबन्न भॊि , द्ऴोक, मॊि, वाधना, उऩाम के
प्रबालं का लणान कयने भं बेद शोने ऩय काभना सवत्रि शे तु फक जाने लारी लारी ऩूजन त्रलसध एलॊ
उवके प्रबालं भं सबन्नता वॊबल शं ।
आऩका जीलन वु खभम, भॊ गरभम शो शनु भान जी की कृ ऩा आऩके ऩरयलाय ऩय फनी यशे । शनु भान
जी वे मशी प्राथना शं …
सचॊतन जोळी
6 अप्रैर-2015
वे भुत्रि तो चाशता शै ऩय मश वफ केवे शोगा? उव की शनुभान जी की कृऩा प्राद्ऱ कयना चाशते शं उनके सरए
उसचत जानकायी के अबाल भं भुि शो नशीॊ ऩाते । औय प्रस्तुत शं कुछ उऩमोगी जानकायी ..
शनुभान चारीवा औय फजयॊ ग फाण शी क्मु ? धूऩ-दीऩ अलश्म रगामे इस्वे चभत्कायी एलॊ ळीघ्र प्रबाल
एक एवे अलताय शै जो असत ळीघ्र प्रवन्न शोते शै जो दीऩ वॊबल न शोतो के लर ३ अगयफत्ती जराकय शी ऩाठ
कये ।
अऩने बिो के वभस्त दख
ु ो को शयने भे वभथा शै । श्री
कुछ त्रलद्रानो के भत वे त्रफना धूऩ वे शनुभान चारीवा औय
शनुभानजी का नाभ स्भयण कयने भाि वे शी बिो के
फजयॊ ग फाण के ऩाठ प्रबाल फशन शोता शै ।
वाये वॊक ट दयू शो जाते शं । क्मोफक इनकी ऩूज ा-अचाना
मफद वॊबल शो तो प्रवाद केलर ळुि घी का चढाए अन्म था
असत वयर शै , इवी कायण श्री शनुभानजी जन वाधायण भे
न चढाए
अत्मॊत रोकत्रप्रम शै । इनके भॊफदय दे ळ -त्रलदे ळ वलि त्स्थत जशा तक वॊबल शो शनुभान जी का सवर्ा सचि (पोटो) यखे।
शं । अत् बिं को ऩशुॊचने भं अत्मासधक कफठनाई बी नशीॊ
मफद घय भे अरग वे ऩूजा घय की व्मलस्था शो
आती शै । शनुभानजी को प्रवन्न कयना असत वयर शै तो लास्तुळास्त्र के फशवाफ वे भूसता यखना ळुब शोगा। नशी
शनुभान चारीवा औय फजयॊ ग फाण के ऩाठ के तो शनुभान जी का सवर्ा सचि (पोटो) यखे।
भाध्मभ वे वाधायण व्मत्रि बी त्रफना फकवी त्रलळे ऴ ऩूजा मफद भूसता शो तो ज्मद फडी न शो एलॊ सभट्टी फक फनी नशी
अचाना वे अऩनी दैसनक फदनचमाा वे थोडा वा वभम यखे।
सनकार रे तो उवकी वभस्त ऩये ळानी वे भुत्रि सभर भूसता यखना चाशे तो फे शतय शै सवर्ा फकवी धातु मा ऩत्थय
वबी प्रकाय के वुख प्राद्ऱ कय वकता शं । त्रलळे ऴ राब प्रद शोता शं । त्जव प्रकाय याभामण एक
भनोकाभना की ऩूसता शे तु कौन वी शनुभान प्रसतभा आदळा ग्रॊथ शं उवी प्रकाय शनुभानजी के याभामणी स्लरुऩ का
का ऩूजर कयना राबप्रद ऩूजन त्रलद्या अध्मन वे जुडे रोगो के सरमे राबप्रद शोता शं ।
तुरवी को न चायो । दोऴ वुनामे तं आगेशॉ ु को शोसळमाय उथऩे थऩनसथय थऩे उथऩनशाय, केवयी कुभाय फर आऩनो
ह्वं शं भन तो फशम शायो ॥१६॥ वॊफारयमे ।
याभ के गुराभसन को काभ तरु याभदत
ू , भोवे दीन दफ
ू ये
ते ये थऩै उथऩै न भशे व, थऩै सथय को कत्रऩ जे उय घारे ।
को तफकमा सतशारयमे ॥ वाशे फ वभथा तो वं तुरवी के
ते ये सनफाजे गयीफ सनफाज त्रफयाजत फैरयन के उय वारे ॥ भाथे ऩय, वोऊ अऩयाध त्रफनु फीय, फाॉसध भारयमे । ऩोखयी
वॊकट वोच वफै तुरवी सरमे नाभ पटै भकयी के वे जारे त्रफवार फाॉशु, फसर, फारयचय ऩीय, भकयी ज्मं ऩकरय के फदन
। फूढ बमे फसर भे रयफशॊ फाय, फक शारय ऩये फशुतै नत ऩारे त्रफदारयमे ॥२२॥
॥१७॥
याभ को वने श, याभ वाशव रखन सवम, याभ की बगसत,
सवॊध ु तये फड़ेे फीय दरे खर, जाये शं रॊक वे फॊक भलावे । वोच वॊकट सनलारयमे । भुद भयकट योग फारयसनसध शे रय
तं यसन केशरय केशरय के त्रफदरे अरय कुॊजय छै र छलावे ॥
शाये , जील जाभलॊत को बयोवो ते य ो बारयमे ॥ कूफदमे कृऩार
तोवो वभत्थ वुवाशे फ वे ई वशै तुरवी दख
ु दोऴ दला वे । तुरवी वुप्रेभ ऩब्फमतं , वुथर वुफेर बारू फैफठ कै त्रलचारयमे
फानयफाज ! फढ़े खर खेचय, रीजत क्मं न रऩे फट रलावे
। भशाफीय फाॉकुये फयाकी फाॉश ऩीय क्मं न, रॊफकनी ज्मं
॥१८॥
रात घात शी भयोरय भारयमे ॥२३॥
फारक त्रफरोफक, फसर फायं तं आऩनो फकमो, दीनफन्धु दमा बार की फक कार की फक योऴ की त्रिदोऴ की शै , फे दन
कीन्शीॊ सनरुऩासध न्मारयमे । यालयो बयोवो तुरवी के ,
त्रफऴभ ऩाऩ ताऩ छर छाॉश की । कयभन कूट की फक जन्ि
यालयोई फर, आव यालयीमै दाव यालयो त्रलचारयमे ॥ फड़ेो भन्ि फूट की, ऩयाफश जाफश ऩात्रऩनी भरीन भन भाॉश की ॥
त्रफकयार कसर काको न त्रफशार फकमो, भाथे ऩगु फसर को
ऩैशफश वजाम, नत कशत फजाम तोफश, फाफयी न शोफश फासन
सनशारय वो सनफारयमे । केवयी फकवोय यनयोय फयजोय फीय,
जासन कत्रऩ नाॉश की । आन शनुभान की दशु ाई फरलान
फाॉश ऩीय याशु भातु ज्मं ऩछारय भारयमे ॥२१॥
की, वऩथ भशाफीय की जो यशै ऩीय फाॉश की ॥२६॥
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नटखट फारशनुभान
याकेळ ऩॊडा
शनुभान जी अऩनी फाल्मालस्था भं चॊचर औय नटखट एवी कृऩा कयो की त्जववे उवकी नटखटता भं ऩरयलतान
स्लबाल के थे। ले अऩनी ळत्रि प्रभाण कयने के सरए शाथी शो जामे ।
को उठाकय अऩनी ळत्रि का प्रदळा न कयते । खेर -खेर भं के वयी जी की फात वुनकय ऋत्रऴमं ने वोचा फक
फड़ेे-फड़ेे लृषं को बी जडभूर वे उखाडकय पंक दे ते अतूट शनुभानजी अऩनी ळत्रिमं को बूर जाएॊ तो एवी शयकतं
ळत्रि उनभं त्रलद्यभानथी औय खेर -खेर भं एक ऩलात वे फॊद शो जामे गी औय उनका फशत बी उवी भं वभामा शुआ
दव
ू ये ऩलात ऩय छराॊग रगा दे ते थे एवा कोई ऩलातीम शै । ऋत्रऴ जानते थे के मश फारक का श्री याभ के कामा के
सळखय नशीॊ था त्जव ऩय वे शनुभानजी ने छराॊग न वॊऩादन शे तु जन्भ शुआ शै । इव सरए भशत्रऴा बृग ु औय
रगाई शो। इव तयश शनुभान जी कई फाय ऋत्रऴ-भुसनमं भशत्रऴा अॊसगया के लॊळ भं उत्ऩन्न शुए ऋत्रऴ भुनीमं ने श्री
के आश्रभ भं ऩशॊु च कय नादान शयकतं कयते , त्जववे शनुभानजी को ळाऩ फदमा की लानयलीय आऩको अऩने फर
ऋत्रऴभुनीओॊ की तऩस्मा एलॊ व्रत बॊग शो जाते । लशॉ ऋत्रऴ- औय ते ज का ध्मान नशीॊ यशे गा। जफ कोई आऩकी कीसता
भुसनमं के कभडॊ र , आवन इत्मादी लस्तुओॊ को लृष ऩय औय फर का स्भयण कयामे गा तबी आऩ का फर फढ़े गा।
टाॉग दे ते इव प्रकाय त्रलसबन्न शयकतो वे उन्शं ऩये ळान एवे ळाऩ के कायण श्री शनुभानजी का फर एलॊ ते ज कभ
कयते थे। धीये -धीये आमु फढ़ने के वाथ-वाथ श्री शो गमा औय लश वौम्म स्लबाल के शो गमे । इव तयश
शनुभानजी की ळयायते औय बी फढ़ती चरी गई इव लजश अन्म ऋत्रऴबी प्रवन्न शुए।
वे उनके भाता-त्रऩता असधक सचॊसतत शोगए औय ऋत्रऴ के उवके फाद श्री शनुभानजी के उऩनमन वॊस्काय शुए। श्री
ऩाव ऩशॊु चे औय ऋत्रऴमं को शनुभानजी की नटखत शनुभानजी ने वभम के वाथ बगलान श्री वूमानायामण को
ळैतासनमा कशॉ वुनाई। शनुभानजी के त्रऩता केवयीने ऋत्रऴ- गुरु फनामा। इव तयश श्री शनुभानजी की फाल्मालस्था
भुसनमं वे कशा की शभं मश फारक कठोय तऩ के प्रबाल फशुत शी त्रलसळद्श एलॊ अदबूत यशी ।
वे प्राद्ऱ शुआ शं । आऩ उव ऩय अनुग्रश कयो औय उव ऩय
*****
GURUTVA KARYALAY
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जफ ळसन दे ल रड़ेने ऩय उतय आए, तो शनुभान जी ने अऩनी ऩूॊछ भं रऩे टना ळुरू कय फदमा। फपय उन्शे कवना
प्रायॊ ब कय फदमा जोय रगाने ऩय बी ळसन उव फॊधन वे भुि न शोकय ऩीड़ेा वे व्माकुर शोने रगे। शनुभान ने फपय वे तु
की ऩरयक्रभा कय ळसन के घभॊड को तोड़ेने के सरए ऩत्थयो ऩय ऩूॊछ को झटका दे -दे कय ऩटकना ळुरू कय फदमा। इववे
ळसन का ळयीय रशुरुशान शो गमा, त्जववे उनकी ऩीड़ेा फढ़ती गई। तफ ळसन दे ल ने शनुभान जी वे प्राथाना की फक भुझे
फधॊन भुि कय दीत्जए। भं अऩने अऩयाध की वजा ऩा चुक ा शॉ ू , फपय भुझवे ऐवी गरती नशी शोगी।
इव ऩय शनुभान जी फोरे -भं तुम्शे तबी छोडू ॊ गा, जफ तुभ भुझे लचन दोगे फक श्री याभ के बि को कबी ऩये ळान नशी
कयोगे। मफद तुभने ऐवा फकमा, तो भं तुम्शं कठोय दॊड दॊग
ू ा। ळसन ने सगड़ेसगड़ेाकय कशा -भं लचन दे ता शॊू फक कबी
बूरकय बी आऩके औय श्री याभ के बि की यासळ ऩय नशी आऊॉगा। आऩ भुझे छोड़े दं । तबी शनुभान जी ने ळसनदे ल को
छोड़े फदमा। फपय शनुभान जी वे ळसनदे ल ने अऩने घालो की ऩीड़ेा सभटाने के सरए ते र भाॊगा। शनुभान जी ने जो ते र
फदमा, उवे घाल ऩय रगाते शी ळसन दे ल की ऩीड़ेा सभट गई। उवी फदन वे ळसनदे ल को ते र चढ़ामा जाता शं , त्जववे उनकी
ऩीडा ळाॊत शो जाती शं औय ले प्रवन्न शो जाते शं ।
वला काभना ऩूयक शनुभान भारा भन्ि को ळुब भुशूता भं योग बी ळाॊत शो जाते शं ।
शनुभान जी को रार, ऩीरे फड़ेे पूर अत्रऩात कयने जानकायो के भत वे शनुभाजी के भन्ि जऩ के सरए
चाफशए जैवे कभर, गंदे, वूमाभुखी के पूर अत्रऩात वात्त्लक कामा के सरए रुद्राष का प्रमोग उत्तभ शोता शं
कयने ऩय शनुभान जी ळीघ्र प्रवन्न शोते शं । शनुभान औय ऩयाक्रभी कामं मा ताभवी कामं के सरए भूॊगे की
जी को आॊकड़ेे (आॊक ) के पूर बी त्रप्रम शं , इव सरए भारा उत्तभ परदामक शोती शं ।
कई जगश शनुभानजी को आॊकड़ेे (आॊक ) के पूर शनुभान जी की आयाधना ऩूणा आस्था, श्रिा औय वे ला
अत्रऩात फकमे जाते शं । बाल वे कयनी चाफशए।
ऩूजन भं नैलेद्य के रुऩ भं शनुभानजी को प्रात् भं गुड़े , शनुभान जी का फदन भॊगरलाय शै । इव फदन की जाने
नारयमर का गोरा औय रडू का प्रवाद अऩाण कयना लारी त्रलळे ऴ ऩूजा-अचाना, व्रत-उऩलाव मा वाधना बी
चाफशए, दोऩशय के वभम भं गुड़े , घी औय गेशूॊ की त्रलळे ऴ परप्रद शोती शं ।
योटी का चूयभा का प्रवाद अत्रऩात कयना चाफशए। यात्रि भॊगरलाय के अराला ळसनलाय को बी शनुभान ऩूजा का
भं आभ, अभरूद, केरा आफद परं का प्रवाद अत्रऩात त्रलधान ळास्त्रं भं सभरता शं ।
कयने चाफशए। शनुभान जी के ऩूजन वे ग्रशं का अळुब प्रबाल कभ
शनुभान जी की फकवी वाधना त्रलळे ऴ मा व्रत-उऩलाव शो जाता शं ।
के दौयान मा जी चमा का अलश्म ऩारन कयना चाफशए। इवसरए शनुभान वाधना कयने लारे वाधकं भं वूमा
शनुभान जी को नैलेद्य भै अत्रऩात फकमा गमा प्रवाद तत्ल अथाात आत्भत्रलद्वाव, ओज, ते जत्स्लता आफद
बि को ग्रशण कयना चाफशए। त्रलळे ऴ रूऩ वे आ जाते शं । मश ते ज शी वाधकं को
भॊि जऩ कयते वभम शनुभान जी की प्रसतभा मा सचि वाभान्म व्मत्रिमं वे अरग कयता शै ।
के वभष उनके ने िं की ओय दे खते शुए भॊिं के जऩ शनुभान आयाधना के कुछ त्रलळे ऴ सनमभं का ऩारन
कयना अत्मॊत राबदामक शोता शं । कय के त्रलळे ऴ राब प्राद्ऱ शो वकते शं ।
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41 अप्रैर-2015
बस्भीबूतानुिर
ू म बिजनलत्वर वीताळोकाऩशायक वलाि रोरल्राॊगर
ू ऩाते न भभाऽतयीन ् सनऩातम ॥८॥
भाभे नॊ च यष यष भशारुद्रालताय शाॊ शाॊ शुॊ शुॊ बूत वॊघै् ग्रस्ताऽळैजगत ् स्लास््म याषवाम्बोसधभन्दय ।
वश बषम बषम क्रुि चेतवा नखैत्रलादायम नखैत्रलादायम रोरल्राॊगर
ू ऩाते न भभाऽतयीन ् सनऩातम ॥९॥
दे ळादस्भादच्ु चाटम त्रऩळाचलद् भ्रॊळम भ्रॊळम घे घे शूॊ पट् ऩुच्छ गुच्छ स्पुयद्रीय जगद् दग्धारयऩत्तन ।
स्लाशा ॥१॥ रोरल्राॊगर
ू ऩाते न भभाऽतयीन ् सनऩातम ॥१०॥
ॐ नभो बगलते शनुभते भशाफरऩयाक्रभाम भशात्रलऩत्रत्त जगन्भनो दरु
ु ल्रॊघ्म ऩायालाय त्रलरॊघन ! ।
सनलायकाम बिजन भन्कल्ऩना कल्ऩद्रभ
ु ाम दद्श
ु जन रोरल्राॊगर
ू ऩाते न भभाऽतयीन ् सनऩातम ॥११॥
भनोयथ स्तम्बकाम प्रबञ्जन प्राणत्रप्रमाम स्लाशा ॥२॥ स्भृतभाि वभस्ते द्श ऩूय क ! प्रणत त्रप्रम ! ।
ध्मान् रोरल्राॊगर
ू ऩाते न भभाऽतयीन ् सनऩातम ॥१२॥
श्रीभन्तॊ शनुभन्तभात्तरयऩुसबद्भब
ू ृत्तरुभ्रात्जतॊ यात्रिञ्चय चभूय ासळकत्तानैकत्रलकत्तान ! ।
लल्गद्रारसधफिलैरयसनचमॊ चाभीकयाफद्रप्रबभ ् । रोरल्राॊगर
ू ऩाते न भभाऽतयीन ् सनऩातम ॥१३॥
योऴाद्रित्रऩळङ्ग ने ि नसरनॊ भ्रूभबङ्मङ्गस्पुयत ् प्रोद्यच्चण्ड जानकी जानकीजासन प्रे भ ऩाि ! ऩयॊ तऩ ! ।
भमूख भण्डर भुख ॊ द्ु खाऩशॊ द्ु त्खनाभ ् ॥१॥ रोरल्राॊगर
ू ऩाते न भभाऽतयीन ् सनऩातम ॥१४॥
कौऩीनॊ कफटवूिभंज्मत्जनमुग् दे शॊ त्रलदे शात्भजाप्राणाधीळ बीभाफदक भशालीय लीयले ळालतायक ! ।
ऩदायत्रलन्द सनयतॊ स्लान्तॊ कृतान्तॊ फद्रऴाभ ् । रोरल्राॊगर
ू ऩाते न भभाऽतयीन ् सनऩातम ॥१५॥
ध्मात्लैल वभयाङ्गणत्स्थतभथानीम स्लरृत्ऩङ्कजे लैदेशी त्रलयश क्रान्त याभयोऴैक त्रलग्रश ! ।
वॊऩूजनोित्रलसधना वॊप्राथामेत्प्रासथातभ ् ॥२॥ रोरल्राॊगर
ू ऩाते न भभाऽतयीन ् सनऩातम ॥१६॥
॥भूर ऩाठ॥ लज्राङ्नखदॊद्सेळ ! लत्ज्रलज्रालगुण्ठन ! ।
शनुभन्नञ्जनीवूनो ! भशाफरऩयाक्रभ ! । रोरल्राॊगर
ू ऩाते न भभाऽतयीन ् सनऩातम ॥१७॥
रोरल्राॊगर
ू ऩाते न भभाऽतयीन ् सनऩातम ॥१॥ अखला गला गॊधला ऩलातोद् बे दन स्लय् ! ।
भकाटासधऩ ! भाताण्ड भण्डर ग्राव कायक ! । रोरल्राॊगर
ू ऩाते न भभाऽतयीन ् सनऩातम ॥१८॥
रोरल्राॊगर
ू ऩाते न भभाऽतयीन ् सनऩातम ॥२॥ रक्ष्भण प्राण वॊिाण िात तीक्ष्ण कयान्लम ! ।
अषषऩणत्रऩङ्गाषत्षसतजाळुग्षमर ! ! । रोरल्राॊगर
ू ऩाते न भभाऽतयीन ् सनऩातम ॥१९॥
रोरल्राॊगर
ू ऩाते न भभाऽतयीन ् सनऩातम ॥३॥ याभाफदत्रलप्रमोगात्ता ! बयताद्यात्रत्तानाळन ! ।
रुद्रालताय ! वॊवाय द्ु ख बायाऩशायक ! । रोरल्राॊगर
ू ऩाते न भभाऽतयीन ् सनऩातम ॥२०॥
रोरल्राॊगर
ू ऩाते न भभाऽतयीन ् सनऩातम ॥४॥ द्रोणाचर वभुत्षे ऩ वभुत्त्षद्ऱारय लैबल ! ।
श्रीयाभ चयणाम्बोज भधुऩासमतभानव ! । रोरल्राॊगर
ू ऩाते न भभाऽतयीन ् सनऩातम ॥२१॥
रोरल्राॊगर
ू ऩाते न भभाऽतयीन ् सनऩातम ॥५॥ वीताळीलााद वम्ऩन्न ! वभस्तालमलाषत ! ।
फासरप्रथभक्रान्त वुग्रीलोन्भोचनप्रबो ! । रोरल्राॊगर
ू ऩाते न भभाऽतयीन ् सनऩातम ॥२२॥
रोरल्राॊगर
ू ऩाते न भभाऽतयीन ् सनऩातम ॥६॥ इत्मे लभद्वत्थतरोऩत्रलद्श् ळिुज
ॊ मॊ नाभ ऩठे त्स्लमॊ म् ।
वीता त्रलयश लायीळ भग्न वीते ळ तायक ! । व ळीघ्रभे लास्त वभस्तळिु् प्रभोदते भारुतज प्रवादात ्
रोरल्राॊगर
ू ऩाते न भभाऽतयीन ् सनऩातम ॥७॥ ॥२३॥
यषोयाज ताऩात्ग्न दह्यभान जगद्रन ! । ॥ इसत ळिुञ्जम शनुभत्स्त्रोतॊ ॥
44 अप्रैर-2015
तत्त्लसानवुधासवन्धुसनभगनम भशीमते ।
गोष्ऩदीकृतलायीळॊ भळकीकृतयाषवभ ्।
आञ्जने माम ळूय ाम वुग्रीलवसचलाम ते ॥
याभामणभशाभारायत्नॊ लन्दे ऽसनरात्भजभ ्॥४॥
जन्भभृत्मुबमघनम वलाकद्शशयाम च।
ने फदद्षाम प्रे तबूतत्रऩळाचबमशारयणे ॥ अञ्जनानन्दनॊ लीयॊ जानकीळोकनाळनभ ्।
कऩीळभषशन्तायॊ लन्दे रङ्काबमङ्कयभ ्॥५॥
मातनानाळनामास्तु नभो भकाटरूत्रऩणे ।
मषयाषवळादार
ू वऩालृत्द्ळकबीरृते ॥ भशाव्माकयणाम्बोसधभन्थभानवभन्दयभ ्।
॥ भारुसतस्तोिभ ् ॥
बीभरूऩी भशारुद्रा लज्र शनुभान भारुती । आत्णरा भागुतीॊ ने रा आरा गेरा भनोगती ।
लनायी अन्जनीवूता याभदत
ू ा प्रबॊज ना ॥१॥ भनावी टाफकरं भागं गतीवी तूऱणा नवे ॥१०॥
भशाफऱी प्राणदाता वकऱाॊ उठली फऱं । अणूऩावोसन मा जी ाॊडाएलढा शोत जातवे ।
वौख्मकायी द्ु खशायी (ळोकशताा)(धूता)दत
ू लैष्णल गामका ॥२॥ तमावी तुऱणा कोठं भे रु- भाॊदाय धाकुटे ॥११॥
दीननाथा शयीरूऩा वुॊदया जगदॊतया । मा जी ाॊडाबंलते ले ढे लज्रऩुच्छं करूॊ ळके ।
ऩातारदे लताशॊ ता बव्मसवॊदयू रे ऩना ॥३॥ तमावी तुऱणा कंची मा जी ाॊडीॊ ऩाशताॊ नवे ॥१२॥
रोकनाथा जगन्नाथा प्राणनाथा ऩुय ातना । आयि दे त्खरे डोऱाॊ ग्रासवरं वूमाभॊडऱा ।
ऩुण्मलॊता ऩुण्मळीरा ऩालना ऩरयतोऴका ॥४॥ लाढताॊ लाढताॊ लाढे बे फदरं ळून्मभॊडऱा ॥१३॥
ध्लजाॊगं उचरी फाशो आले ळं रोटरा ऩुढं । धनधान्म ऩळुलृत्रि ऩुिऩौि वभग्रशी (वभस्तशी)।
काऱात्ग्न काऱरुद्रात्ग्न दे खताॊ काॊऩती बमं ॥५॥ ऩालती रूऩत्रलद्याफद स्तोिऩाठं करूसनमाॊ ॥१४॥
मा जी ाॊडं भाइरीॊ ने णं आॊलाऱे दॊतऩॊगती । बूतप्रे तवभॊधाफद योगव्मासध वभस्तशी ।
ने िाग्नी चासरल्मा ज्लाऱा भ्रुकुटी ताफठल्मा फऱं ॥६॥ नावती तुटती सचॊता आनॊदे बीभदळानं ॥१५॥
ऩुच्छ तं भुयफडरं भाथाॊ फकयीटी कुॊडरं फयीॊ । शे धया ऩॊधयाद्ऴोकी राबरी ळोबरी बरी (फयी)
वुलणा कफट काॊवोटी घॊटा फकॊफकत्ण नागया ॥७॥ दृढदे शो सन्वॊदेशो वॊख्मा चॊद्रकरा गुणं ॥१६॥
ठकाये ऩलाता ऐवा ने टका वडऩातऱू । याभदावीॊ अग्रगण्मू कत्रऩकुऱासव भॊडणू ।
चऩऱाॊग ऩाशताॊ भोठं भशात्रलद्युल्रते ऩयी ॥८॥ याभरूऩी अन्तयात्भा दळाने दोऴ नावती ॥१७॥
कोफटच्मा कोफट उरडाणं झंऩाले उत्तये कडे । ॥इसत श्री याभदावकृतॊ वॊकटसनयवनॊ नाभ श्री भारुसतस्तोिभ ्
भॊदाद्रीवायखा द्रोणू क्रोधं उत्ऩाफटरा फऱं ॥९॥ वॊऩूणाभ ् ॥
॥श्रीशनुभन्नभस्काय् ॥
गोष्ऩदी- कृत- लायीळॊ भळकी- कृत- याषवभ ् । भनोजलॊ भारुत- तुल्म- ले ग ॊ
याभामण- भशाभारा- यत्नॊ लन्दे ऽसनरात्भजभ ् ॥१॥ त्जते त्न्द्रमॊ फुत्रिभताॊ लरयद्षभ ् ।
लातात्भजॊ लानय- मूथ- भुख्मॊ
अञ्जना- नन्दनॊ- लीयॊ जानकी- ळोक- नाळनभ ् ।
श्रीयाभ- दत
ू ॊ सळयवा नभासभ ॥५॥
कऩीळभष- शन्तायॊ लन्दे रङ्का- बमङ्कयभ ् ॥२॥
आञ्जने मभसतऩाटराननॊ
भशा- व्माकयणाम्बोसध- भन्थ- भानव- भन्दयभ ् ।
काञ्चनाफद्र- कभनीम- त्रलग्रशभ ् ।
कलमन्तॊ याभ- कीत्माा शनुभन्तभुऩास्भशे ॥३॥ ऩारयजात- तरु- भृर- लासवनॊ
बालमासभ ऩलभान- नन्दनभ ् ॥६॥
उल्रङ्घ्म सवन्धो् वसररॊ वरीरॊ
म् ळोक- लफह्नॊ जनकात्भजामा् । मि मि यघुनाथ- कीतानॊ
आदाम ते नैल ददाश रङ्काॊ ति ति कृत- भस्तकाञ्जसरभ ् ।
नभासभ तॊ प्राञ्जसरयाञ्जने मभ ् ॥४॥ फाष्ऩ- लारय- ऩरयऩूणा- रोचनॊ
भारुसतनाभत याषवान्तकभ ् ॥७॥
48 अप्रैर-2015
॥ रान्गूरोऩसनऴत ्॥
श्रीगणे ळाम नभ्। ॐ अस्म श्री अनन्तघोयप्ररमज्लारात्ग्न- सनलायण आत्भत्रलद्यावॊय षक अत्ग्नदीद्ऱ अथलाणले द-
यौद्रस्म लीयशनुभत्वाध्मवाधनाघोयभूरभन्िस्म ईद्वय ऋत्रऴ्। सवित्स्थयकारात्ग्नसनयाशायक लामुलेग भनोले ग श्रीयाभताय-
अनुद्शुऩ ् छन्द्। श्रीयाभरक्ष्भणौ दे लता। वं फीजभ ्। कऩयमा जी त्रलद्वरूऩदळान रक्ष्भणप्राणप्रसतद्षानन्दकय स्थर-
अञ्जनावूनुरयसत ळत्रि्। लामुऩुि इसत कीरकभ ्। जरात्ग्नभभाबेफदन ् वलाळिून ् सछत्न्ध सछत्न्ध भभ लैरयण्
श्रीशनुभत्प्रवादसवद्धध्मथं बूबुालस्स्लरोकवभावीन- तत्लम्ऩद- खादम खादम भभ वञ्जीलनऩलातोत्ऩाटन डाफकनीत्रलध्लॊवन
ळोधनाथं जऩे त्रलसनमोग्। ॐ बू् नभो बगलते वुग्रीलवख्मकयण सनष्करङ्क कुभायमा जी चारयन ् फदगम्फय
दालानरकारात्ग्नशनुभते अङ्गुद्षाभ्माॊ नभ्। ॐ बुल् नभो वलाऩाऩ वलाग्रश कुभायग्रश वलं छे दम छे दम बे दम बे दम सबत्न्ध
बगलते चण्डप्रताऩशनुभते तजानीभ्माॊ नभ्। ॐ स्ल् नभो सबत्न्ध खादम खादम टङ्क टङ्क ताडम ताडम भायम भायम
बगलते सचन्ताभत्णशनुभते भध्मभाभ्माॊ नभ्। ॐ भश् नभो ळोऴम ळोऴम ज्लारम ज्लारम शायम शायम नाळम नाळम
बगलते ऩातारगरुडशनुभते अनासभकाभ्माॊ नभ्। ॐ जन् नभो असतळोऴम असतळोऴम भभ वलं च शनुभन ् यष यष ॐ ह्राॊ ह्रीॊ ह्रूॊ
बगलते कारात्ग्नरुद्रशनुभते कसनत्रद्षकाभ्माॊ नभ्। ॐ तऩ् शुॊ पट् घे घे स्लाशा॥ ॐ नभो बगलते चण्डप्रताऩशनुभते
वत्मॊ नभो बगलते बद्रजासतत्रलकटरुद्रलीयशनुभते कयतरकय- भशालीयाम वलाद्ु खत्रलनाळनाम ग्रशभण्डरबूतभण्डर-
ऩृद्षाभ्माॊ नभ्। ॐ बू् नभो बगलते दालानरकारात्ग्नशनुभते प्रे तत्रऩळाचभण्डर वलोच्चाटनाम असतबमङ्कयज्लय-
रृदमाम नभ्। ॐ बुल् नभो बगलते चण्डप्रताऩशनुभते सळयवे भाशे द्वयज्लय-त्रलष्णुज्लय-मा जी ज्लय- ले ताऱ मा जी याषवज्लय-
स्लाशा। ॐ स्ल् नभो बगलते सचन्ताभत्णशनुभते सळखामै त्रऩत्तज्लय-द्ऴेष्भवात्न्नऩासतकज्लय-त्रलऴभज्लय- ळीतज्लय
लऴट्। ॐ भश् नभो बगलते ऩातारगरुडशनुभते कलचाम शुभ ्। एकाफशकज्लय-द्व्माफशकज्लय-िैफशकज्लय-चातुसथाकज्लय-
ॐ जन् नभो बगलते कारात्ग्नरुद्रशनुभते ने ििमाम लौऴट्। ॐ अधाभासवकज्लय-भासवकज्लय-ऴाण्भासवकज्लय वाॊलत्वरय-
तऩ् वत्मॊ नभो बगलते बद्रजासतत्रलकटरुद्रलीयशनुभते अस्त्राम कज्लय- अस््मन्तगातज्लय-भशाऩस्भाय-श्रसभकाऩस्भायाॊद्ळ
पट्। अथ ध्मानभ ्। लज्राङ्गॊ त्रऩङ्गने ि ॊ बे दम बे दम खादम खादम ॐ ह्राॊ ह्रीॊ ह्रॊू शॊु पट् घे घे स्लाशा॥ ॐ
कनकभमरवत्कुण्डराक्रान्तगण्डॊ दम्बोसरस्तम्बवायप्रशयण- नभो बगलते सचन्ताभत्णशनुभते अङ्गळूर-अत्षळूर-
त्रललळीबूतयषोऽसधनाथभ ्। उद्यल्राङ्गूरघऴाप्रचरजरसनसधॊ सळयश्ळूर- गुल्भळूर-उदयळूर-कणाळूर-ने िळूर-गुदळूर-
बीभरूऩॊ कऩीन्द्रॊ ध्मामन्तॊ याभचन्द्रॊ प्रलगऩरयलृढॊ वत्लवायॊ कफटळूर- जानुळूर-जङ्घाळूर-शस्तळूर-ऩादळूर-गुल्पळूर-
प्रवन्नभ ्॥ इसत भानवोऩचायै ् वम्ऩूज्म। ॐ नभो बगलते लातळूर- त्रऩत्तळूर-ऩामुळूर-स्तनळूर-ऩरयणाभळूर -
दालानरकारात्ग्नशनुभते जमसश्रमो जमजीत्रलताम ऩरयधाभळूर- ऩरयफाणळूर -दन्तळूर-कुत्षळूर-वुभनश्ळूर -
धलरीकृतजगत्िम लज्रदे श लज्रऩुच्छ लज्रकाम लज्रतुण्ड वलाळूरासन सनभूारम सनभूारम दैत्मदानलकासभनी-
लज्रभुख लज्रनख लज्रफाशो लज्रयोभ लज्रने ि लज्रदन्त लज्रळयीय ले तारमा जी याषवकोराशर- नागऩाळानन्तलावुफकतष-
वकरात्भकाम बीभकय त्रऩङ्गराष उग्र प्ररमकारयौद्र ककाकोटकसरङ्गऩद्मककुभुदज्लरयोगऩाळ- भशाभायीन ्
लीयबद्रालताय ळयबवारुलबैय लदोदाण्ड रङ्काऩुय ीदाशन कारऩाळत्रलऴॊ सनत्रलाऴॊ कुरु कुरु ॐ ह्राॊ ह्रीॊ ह्रूॊ शुॊ पट् घे घे स्लाशा॥
उदसधरङ्घन दळग्रीलकृ तान्त वीतात्रलद्वाव ईद्वयऩुि अञ्जना- ॐ ह्रीॊ श्रीॊ क्रीॊ ग्राॊ ग्रीॊ ग्रूॊ ॐ नभो बगलते
गबावम्बूत उदमबास्कयत्रफम्फानरग्रावक दे लदानलऋत्रऴभु- ऩातारगरुडशनुभते बैय ललनगतगजसवॊशे न्द्राषीऩाळफन्धॊ छे दम
सनलन्द्य ऩाळुऩतास्त्रमा जी ास्त्रफैरला स्त्रनायामणास्त्रकार ळत्रि- छे दम प्ररमभारुत कारात्ग्नशनुभन ् श्रृङ्खराफन्धॊ त्रलभोषम
कास्त्रदण्डकास्त्रऩाळाघोयास्त्रसनलायण ऩाळुऩतास्त्रमा जी ास्त्रफैरला- त्रलभोषम वलाग्रशॊ छे दम छे दम भभ वलाकामाात्ण वाधम वाधम
स्त्रनायामणास्त्रभृड वलाळत्रिग्रवन भभात्भयषाकय ऩयत्रलद्या- भभ प्रवादॊ कुरु कुरु भभ प्रवन्न श्रीयाभवे लकसवॊश बैय लस्लरूऩ
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॥ श्रीशनुभत्प्रळॊवनभ ् ॥
भुत्रिप्रदानात ् प्रसतकतृाता भे वलास्म फोधो बलताॊ बले त । भशाफरोऽशॊ कत्रऩराख्मरूऩत्स्त्रकूटरूऩ् ऩलनद्ळ भे वुत् ॥६॥
शनूभतो न प्रसतकतृाता स्मात ् स्लबालबिस्म सनयौऴधॊ भे ॥१॥ आलाॊ स्लळक्त्मा जसमनात्रलसत स्भ सळलो लयान्ते ऽजमदे नभे लभ ्।
सात्ला वुय ाजे मसभभॊ फश लव्रे शयो जमे माशभभुॊ दळाननभ ् ॥७॥
भद्भिौ सानऩूताालनुऩसधकफरप्रोन्नसतस्थैमाधम
ै ा-
स्लाबाव्मासधक्मते ज्वुभसतदभळभे ष्लस्म तुल्मो न कत्द्ळत ् । अत् स्लबालाज्जसमनालशॊ च लामुद्ळ लामुशानुभान ् वएऴ् ।
ळे ऴो रुद्र् वुऩणोऽप्मुरुगुणवसभतौ नो वशस्राॊळुतुल्मा अभुष्म शे तोस्तु ऩुय ा फश लामुना -
अस्मे त्मस्भान्भदैळॊ ऩदभशभभुना वाधाभेलोऩबोक्ष्मे ॥२॥ सळले न्द्रऩूलाा अत्रऩ काद्षलत्कृता् ॥८॥
अवरी 1 भु ख ी वे 14 भु ख ी रुद्राष
गुरु त्ल कामाारम भं वॊऩूणा प्राणप्रसतत्रद्षत एलॊ अवरी 1 भुखी वे 14 भुखी तक के रुद्राष उऩरब्ध शं । ज्मोसतऴ कामा वे जुडे़
फॊध/
ु फशन ल यत्न व्मलवाम वे जुडे रोगो के सरमे त्रलळे ऴ भूल्म ऩय यत्न, उऩयत्न मॊि, रुद्राष ल अन्म दर
ु ाब वाभग्रीमाॊ एलॊ
अन्म वुत्रलधाएॊ उऩरब्ध शं । रुद्राष के त्रलऴम भं असधक जानकायी के सरए कामाारम भं वॊऩका कयं ।
त्रलळे ऴ मॊ ि : शभायं मशाॊ वबी प्रकाय के मॊि वोने -चाॊफद-ताम्फे भं आऩकी आलश्मिा के अनुळाय फकवी बी बाऴा/धभा
के मॊिो को आऩकी आलश्मक फडजाईन के अनुळाय २२ गेज ळुि ताम्फे भं अखॊफडत फनाने की त्रलळे ऴ वुत्रलधाएॊ उऩरब्ध
शं । असधक जानकायी के सरए कामाारम भं वॊऩका कयं ।
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60 अप्रैर-2015
॥ शनुभद्राडलानरस्तोिभ ् ॥
श्रीगणे ळाम नभ् । षवबूतप्रे तत्रऩळाचान ् उच्चाटम उच्चाटम
ॐ अस्म श्रीशनुभद्राडलानरस्तोिभन्िस्म ॐ ह्राॊ ह्रीॊ ॐ नभो बगलते श्रीभशाशनुभते
श्रीयाभचन्द्र ऋत्रऴ्।, श्रीलडलानरशनुभान ् दे लता।, ॐ ह्राॊ ह्रीॊ ह्रूॊ ह्रं ह्रं ह्र् आॊ शाॊ शाॊ शाॊ औ ॊ वं एफश एफश एफश
भभ वभस्तयोगप्रळभनाथं। , आमुय ायोग्मैद्वमाासबलृद्धध्मथं। , ॐशॊ ॐशॊ ॐशॊ ॐशॊ ॐनभो बगलते श्रीभशाशनुभते
वभस्तऩाऩषमाथं। , वीतायाभचन्द्रप्रीत्मथं च श्रलणचषुबूातानाॊ ळाफकनीडाफकनीनाॊ त्रलऴभदद्श
ु ानाॊ
शनुभद्राडलानरस्तोिजऩभशॊ करयष्मे ॥ वलात्रलऴॊ शय शय आकाळबुलनॊ बे दम बे दम छे दम छे दम
ॐ ह्राॊ ह्रीॊ ॐ नभो बगलते श्री भशाशनुभते प्रकटऩयाक्रभ भायम भायम ळोऴम ळोऴम भोशम भोशम ज्लारम ज्लारम
वकरफदङ्मण्डरमळोत्रलतानधलरीकृतजगत्त्ितम लज्रदे श प्रशायम प्रशायम वकरभामाॊ बे दम बे दम
रुद्रालताय रङ्काऩुयीदशन उभाअभरभन्ि उदसधफन्धन ॐ ह्राॊ ह्रीॊ ॐ नभो बगलते भशाशनुभते वला ग्रशोच्चाटन
दळसळय्कृतान्तक वीताद्ववन लामुऩुि अञ्जनीगबावम्बूत ऩयफरॊ षोबम षोबम वकरफन्धनभोषणॊ कुरु कुरु
श्रीयाभरक्ष्भणानन्दकय कत्रऩवैन्मप्राकाय वुग्रीलवाह्य सळय्ळूरगुल्भळूरवलाळूरात्न्नभूारम सनभूारम
यणऩलातोत्ऩाटन कुभायमा जी चारयन ् गबीयनाद नागऩाळानन्तलावुफकत षकककोटक कासरमान ्
वलाऩाऩग्रशलायण वलाज्लयोच्चाटन डाफकनीत्रलध्लॊवन मषकुरजर गतत्रफरगतयात्रिञ्चय फदलाचय
ॐ ह्राॊ ह्रीॊ ॐ नभो बगलते भशालीयलीयाम वलाात्न्नत्रलाऴॊ कुरु कुरु स्लाशा॥
वलाद्ु खसनलायणाम याजबम चोयबम ऩयभन्िऩयमन्िऩयतन्िऩयत्रलद्याच्छे दम छे दम
ग्रशभण्डरवलाबूतभण्डरवलात्रऩळाचभण्डरोच्चाटन स्लभन्िस्लमन्िस्लतन्िस्लत्रलद्या् प्रकटम प्रकटम वलाारयद्शा-
बूतज्लय एकाफशकज्लय द्धव्माफशकज्लय न्नाळम नाळम वलाळिून्नाळम नाळम
त्र्माफशकज्लयचातुसथाकज्लय वन्ताऩज्लय त्रलऴभज्लय अवाध्मॊ वाधम वाधम शुॊ पट् स्लाशा॥
ताऩज्लयभाशे द्वयलैष्णलज्लयान ् सछत्न्ध सछत्न्ध मषमा जी या ॥ इसत श्रीत्रलबीऴणकृतॊ शनुभद्राडलानरस्तोिॊ वम्ऩूणाभ ् ॥
॥ श्रीशनूभत्स्भयणभ ् ॥
प्रात् स्भयासभ शनुभन्तभनन्तलीमं वीताऽऽसधसवन्धुऩरयळोऴणकभादषॊ
श्रीयाभचन्द्रचयणाम्फुजचञ्चयीकभ ् । लन्दारुकल्ऩतरुभव्ममभाञ्जने मभ ् ॥२॥
रङ्काऩुयीदशननत्न्दतदे ललृन्दॊ
वामॊ बजासभ ळयणोऩवृतात्खरासता-
वलााथसा वत्रिवदनॊ प्रसथतप्रबालभ ् ॥१॥
ऩुञ्जप्रणाळनत्रलधौ प्रसथतप्रताऩभ ् ।
भाध्मॊ नभासभ लृत्जनाणालतायणैक - अषान्तकॊ वकरयाषवलॊळधूभ -
धीयॊ ळयण्मभुफदतानुऩभप्रबालभ ् । के तुॊ प्रभोफदतत्रलदे शवुतॊ दमारुभ ् ॥३॥
॥आऩदि
ु ायक श्रीशनूभत्स्तोिभ ् ॥
त्रलबीऴणकृतभ ् वॊवायवागयालताागतवम्भ्रान्तचेतवाभ ् ।
श्रीशनुभते नभ् । अस्म श्रीशनुभत्स्तोिभशाभन्िस्म, त्रलबीऴण ळयणागतभत्माानाॊ ळयण्माम नभोऽस्तु ते ॥४॥
ऋत्रऴ्, अनुद्शुऩ ् छन्द्, शनुभान ् दे लता । भभ
याजद्राये त्रफरद्राये प्रले ळे बूतवङ्कुरे ।
ळिुभुखस्तम्बनाथे वलाकामासवद्धध्मथे च जऩे त्रलसनमोग् ।
गजसवॊशभशाव्माघ्रचोयबीऴणकानने ॥५॥
ध्मानभ ्
चन्द्राबॊ चयणायत्रलन्दमुगरॊ कौऩीनभौञ्जीधयॊ
भशाबमे ऽत्ग्नवॊस्थाने ळिुवङ्गवभासश्रते ।
नाभ्माॊ लै कफटवूिमुिलवनॊ मसोऩलीतालृतभ ् ।
ळयणागतभत्माानाॊ ळयण्माम नभो नभ् ॥६॥
शस्ताभ्माभलरम्ब्म चाञ्जसरभथो शायालरीकुण्डरॊ
त्रफभ्रदीघासळखॊ प्रवन्नलदनॊ फदव्माञ्जने मॊ बजे ॥ प्रदोऴे ला प्रबाते ला मे स्भयन्त्मञ्जनावुतभ ् ।
अथासवत्रिमळ्काभान ् प्राप्नुलत्न्त न वॊळम् ॥७॥
भन्ि्-ॐ नभो शनुभते रुद्राम ।
भभ वलादद्श
ु जनभुखस्तम्बनॊ कुरु कुरु ॥ कायागृशे प्रमाणे च वङ्ग्राभे दे ळत्रलप्रले ।
मे स्भयत्न्त शनूभन्तॊ ते ऴाॊ नात्स्त त्रलऩत्तम् ॥८॥
भभ वलाकामासवत्रिॊ कुरु कुरु । ऐॊ ह्राॊ ह्रीॊ ह्रूॊ पट् स्लाशा ।
note अद्शलायॊ जऩे त ् । लज्रदे शाम कारात्ग्नरुद्रामासभतते जवे ।
आऩन्नात्खररोकासताशारयणे श्रीशनूभते । नभ् प्रलगवैन्मानाॊ प्राणबूतात्भने नभ् ॥९॥
अकस्भादागतोत्ऩातनाळनाम नभोऽस्तु ते ॥१॥
दद्श
ु दैत्मभशादऩादरनाम भशात्भने ।
वीतात्रलमुिश्रीयाभळोकद्ु खबमाऩश । मा जी ास्त्रस्तम्बनामास्भै नभ् श्रीरुद्रभूतामे ॥१०॥
ताऩिमस्म वॊशारयन्नाञ्जने म नभोऽस्तु ते ॥२॥
जप्त्ला स्तोिसभदॊ ऩुण्मॊ लवुलायॊ ऩठे न्नय् ।
प्राणाऩशन्िे दैत्मानाॊ याभप्राणात्भने नभ् ॥३॥ त्रलबीऴणकृतॊ स्तोिॊ म् ऩठे त ् प्रमतो नय् ।
वलााऩद्धभ्मो त्रलभुच्मे त नाि कामाा त्रलचायणा ॥१२॥
66 अप्रैर-2015
॥ श्रीशनुभद्रन्दनभ ् ॥
अळे ऴरङ्काऩसतवैन्मशन्ता श्रीयाभवे लाचयणैककताा । कदात्रऩ ळुभ्रैलाय चाभयै ् प्रबुॊ गामन ्गुणान ् लीजमसत त्स्थतोऽग्रत्।
अने क द्ु खाशतरोकगोद्ऱा त्लवौ शनूभान्भभ वौख्मकताा ॥५॥ कदाप्मुऩद्ऴोकमसत स्लसनसभातै् स्तलै् ळुबै् श्रीशनुभान ्
कृताञ्जसर्॥१५॥
आञ्जने मॊ ऩाटरास्मॊ स्लणााफद्रवभत्रलग्रशभ ् ।
ऩारयजातद्रभ
ु ूरस्थॊ लन्दे वाधकनन्दनभ ् ॥६॥ कयात्तळैरळस्त्राम द्रभ
ु ळस्त्राम ते नभ् ।
फारैकमा जी चमााम रुद्रभूसताधयाम च ॥१६॥
आञ्जने मभसतऩाटराननॊ काञ्चनाफद्रकभनीमत्रलग्रशभ ् ।
ऩारयजाततरुभूरलासवनॊ बालमासभ ऩलभाननन्दनभ ् ॥७॥ कायागृशे प्रमाणे च वङ्ग्राभे दे ळत्रलप्रले ।
स्भयत्न्त त्लाॊ शनूभन्तॊ ते ऴाॊ नात्स्त त्रलऩत्तदा ॥१७॥
आसधव्मासधभशाभारयग्रशऩीडाऩशारयणे ।
प्राणाऩशिे दैत्मानाॊ याभप्राणात्भने नभ् ॥८॥ कृतक्रोधे मत्स्भन्नभयनगयी भङ्गरयला
नलातङ्का रङ्का वभजसन लनॊ लृद्ळसत वसत ।
आऩन्नात्खररोकासताशारयणे श्रीशनूभते । वदा वीताकान्तप्रणसतभसतत्रलख्मातभफशभा
अकस्भादागतोत्ऩातनाळनाम नभोऽस्तु ते ॥९॥ शनूभानव्मान्न् कत्रऩकुरसळयोभण्डनभत्ण् ॥१८॥
उद्यत्कोट्मकावङ्काळॊ जगत्प्रषोबशायकभ ् ।
गोष्ऩदीकृतलायासळॊ भळकीकृतयाषवभ ् ।
श्रीयाभात्ङ्घ्रध्मानसनद्षॊ वुग्रीलप्रभुखासचातभ ् । याभामणभशाभारायत्नॊ लन्दे ऽसनरात्भजभ ् । १९
त्रलिावमन्तॊ नादे न याषवान ् भारुसतॊ बजे ॥१०॥
जानुस्थलाभफाशुॊ च सानभुद्राऩयॊ शरयभ ् ।
अध्मात्भसचत्तभावीनॊ कदरीलनभध्मगभ ् ।
उद्यदाफदत्मवङ्काळभुदायबुजत्रलक्रभभ ् ।
फाराकाकोफटप्रसतभॊ लन्दे सानप्रदॊ शरयभ ् ॥२०॥
कन्दऩाकोफटरालण्मॊ वलात्रलद्यात्रलळायदभ ् ॥११॥
67 अप्रैर-2015
नादत्रफन्दक
ु रातीतॊ उत्ऩत्रत्तत्स्थसतलत्जातभ ् । भशाळैरॊ वभुत्ऩाट्म धालन्तॊ यालणॊ प्रसत ।
वाषादीद्वयवद्रऩ
ू ॊ शनूभन्तॊ बजाम्मशभ ् ॥२६॥ सतद्ष सतद्ष यणे दद्श
ु घोययालॊ वभुच्चयन ् ॥३६॥
॥श्रीशनुभत्स्तोिॊ त्रलबीऴणकृ तभ ् ॥
श्रीगणे ळाम नभ् । प्रसतग्राभत्स्थतामाथ यषोबूतलधासथाने ।
नभो शनुभते तुभ्मॊ नभो भारुतवूनले । कयारळैरळस्त्राम द्रभ
ु ळस्त्राम ते नभ् ॥१३॥
नभ् श्रीयाभबिाम श्माभास्माम च ते नभ् ॥१॥
फारैकमा जी चमााम रुद्रभूसताधयाम च ।
नभो लानयलीयाम वुग्रीलवख्मकारयणे । त्रलशङ्गभाम वलााम लज्रदे शाम ते नभ् ॥१४॥
रङ्कात्रलदाशनाथााम शे रावागयतारयणे ॥२॥
कौऩीनलाववे तुभ्मॊ याभबत्रियताम च ।
वीताळोकत्रलनाळाम याभभुद्राधयाम च । दत्षणाळाबास्कयाम ळतचन्द्रोदमात्भने ॥१५॥
यालणान्तकुरच्छे दकारयणे ते नभो नभ् ॥३॥
कृत्माषतव्मथाघ्नाम वलाक्रे ळशयाम च ।
भे घनादभखध्लॊवकारयणे ते नभो नभ् । स्लाम्मासाऩाथावङ्ग्राभवङ्ख्मे वञ्जमधारयणे ॥१६॥
अळोकलनत्रलध्लॊवकारयणे बमशारयणे ॥४॥
बिान्तफदव्मलादे ऴु वङ्ग्राभे जमदासमने ।
लामुऩुिाम लीयाम आकाळोदयगासभने । फकत्ल्कराफुफुकोच्चायघोयळब्दकयाम च ॥१७॥
लनऩारसळयश्छे दरङ्काप्रावादबत्ञ्जने ॥५॥
वऩाात्ग्नव्मासधवॊस्तम्बकारयणे लनचारयणे ।
ज्लरत्कनकलणााम दीघाराङ्गूरधारयणे । वदा लनपराशायवन्तृद्ऱाम त्रलळे ऴत् ॥१८॥
वौसभत्रिजमदािे च याभदत
ू ाम ते नभ् ॥६॥
भशाणालसळराफिवे तुफन्धाम ते नभ् ।
अषस्म लधकिे च मा जी ऩाळसनलारयणे । लादे त्रललादे वङ्ग्राभे बमे घोये भशालने ॥१९॥
रक्ष्भणाङ्गभशाळत्रिघातषतत्रलनासळने ॥७॥
सवॊशव्माघ्राफदचौये भ्म् स्तोिऩाठाद् बमॊ न फश ।
यषोघ्नाम रयऩुघ्नाम बूतघ्नाम च ते नभ् । फदव्मे बूतबमे व्माधौ त्रलऴे स्थालयजङ्गभे ॥२०॥
ऋषलानयलीयौघप्राणदाम नभो नभ् ॥८॥
याजळस्त्रबमे चोग्रे तथा ग्रशबमे ऴु च ।
ऩयवैन्मफरघ्नाम ळस्त्रास्त्रघ्नाम ते नभ् । जरे वले भशालृद्शौ दसु बाषे प्राणवम्प्रले ॥२१॥
त्रलऴघ्नाम फद्रऴघ्नाम ज्लयघ्नाम च ते नभ् ॥९॥
ऩठे त ् स्तोिॊ प्रभुच्मे त बमे भ्म् वलातो नय् ।
तस्म क्लात्रऩ बमॊ नात्स्त शनुभत्स्तलऩाठत् ॥२२॥
भशाबमरयऩुघ्नाम बििाणैककारयणे ।
ऩयप्रे रयतभन्िाणाॊ मन्िाणाॊ स्तम्बकारयणे ॥१०॥ वलादा लै त्रिकारॊ च ऩठनीमसभदॊ स्तलभ ् ।
वलाान ् काभानलाप्नोसत नाि कामाा त्रलचायणा ॥२३॥
ऩम्ऩाऴाणतयणकायणाम नभो नभ् ।
फाराकाभण्डरग्रावकारयणे बलतारयणे ॥११॥ त्रलबीऴणकृतॊ स्तोिॊ ताक्ष्मेण वभुदीरयतभ ् ।
मे ऩफठष्मत्न्त बक्त्मा लै सवद्धध्मस्तत्कये त्स्थता् ॥२४॥
नखामुधाम बीभाम दन्तामुधधयाम च ।
रयऩुभामात्रलनाळाम याभासारोकयत्षणे ॥१२॥ इसत श्रीवुदळानवॊफशतामाॊ त्रलबीऴणगरुडवॊलादे
त्रलबीऴणकृतॊ शनुभत्स्तोिॊ वम्ऩूणाभ ् ॥
72 अप्रैर-2015
लश द्ु खी शोकय नगयी को छोड़े गमा औय जॊगर भं तफ ऋत्रऴ फोरे - "तू ध्नान दे कय वुन - लैळाख भाव के
ऩळु- ऩत्षमं को भाय कय ऩे ट बयने रगा । फपय फशे सरमा फन ळुक्र ऩष की एकादळी का व्रत कय । इव एकादळी का नाभ
गमा औय धनुऴ-फाण वे ऩळुओॊ- ऩत्षमं को भाय-भाय कय खाने भोफशनी शै । इवके कयने वे ते ये वभस्त ऩाऩ नऴ ्ट शो जामं गे ।"
औय फे चने रगा । भुसन के लचनं को वुनकय लश फशुत प्रवन्न शुआ औय भुसन की
एक फदन लश बूख औय प्माव वे व्माकुर शोकय बोजन फतराई शुई त्रलसध के अनुवाय उवने भोफशनी एकादळी का व्रत
की खोज भं सनकर ऩड़ेा औय कोफटन्म ऋत्रऴ के आश्रभ ऩय जा फकमा ।
ऩशुॊचा । इव वभम लैवाख का भशीना था । कौफटन्म ऋत्रऴ गॊगा "शे याभजी ! उव व्रत के प्रबाल वे उवके वभस्त ऩाऩ
स्नान कयके आमे थे । उनके बीगे लस्त्रं के छीॊटे भाि वे इव नऴ ्ट शो गमे औय अन्त भं लश गरुड़े ऩय त्रलयात्जत शोकय त्रलष्णु
ऩाऩी को कुछ वुफुत्रि की प्राऩ ्सत शुई । रोक को गमा । इव व्रत वे भोश आफद बी नऴ ्ट शो जाते शं ।
लश ऩाऩी, भुसन के ऩाव जाकय शाथ जोड़ेकय कशने रगा वॊवाय भं इव व्रत वे अन्म श्रेऴ ्ठ कोई व्रत नशीॊ शै । इवके
- "शे भुसन ! भंने अऩने जीलन भं फशुत ऩाऩ फकमे शं , आऩ उन भाशात्म्म के श्रलण ल ऩठन वे जो ऩुण्म शोता शै , लश ऩुण्म एक
ऩाऩं वे छूटने का कोई वाधायण औय त्रफना धन का उऩाम वशस्त्र गौदान के ऩुण्म के फयाफय शै ।
फतराइमे ।"
***
अभोद्य भशाभृत्मुॊजम कलच
अभोद्य् भशाभृत्मुॊजम कलच ल उल्रेत्खत अन्म वाभग्रीमं को ळास्त्रोि त्रलसध-
त्रलधान वे त्रलद्रान मा ाजी णो द्राया वला राख भशाभृत् मुॊ ज म भॊ ि जऩ एलॊ दळाॊळ
शलन द्राया सनसभात कलच अत्मॊत प्रबालळारी शोता शं ।
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वला कामा सवत्रि कलच के वाथ भं वला ज न लळीकयण कलच के सभरे शोने की लजश वे धायण
कताा की फात का दव
ू ये व्मत्रिओ ऩय प्रबाल फना यशता शं ।
वला कामा सवत्रि कलच के वाथ भं अद्श रक्ष्भी कलच के सभरे शोने की लजश वे व्मत्रि ऩय वदा
भाॊ भशा रक्ष्भी की कृऩा एलॊ आळीलााद फना यशता शं । त्जस्वे भाॊ रक्ष्भी के अद्श रुऩ (१)-
आफद रक्ष्भी, (२)-धान्म रक्ष्भी, (३)- धैमा रक्ष्भी, (४)-गज रक्ष्भी, (५)-वॊतान रक्ष्भी, (६)-
त्रलजम रक्ष्भी, (७)-त्रलद्या रक्ष्भी औय (८)-धन रक्ष्भी इन वबी रुऩो का अळीलााद प्राद्ऱ शोता शं ।
वला कामा सवत्रि कलच के वाथ भं तॊ ि यषा कलच के सभरे शोने की लजश वे ताॊत्रिक फाधाए दयू
शोती शं , वाथ शी नकायात्भक ळत्रिमो का कोइ कुप्रबाल धायण कताा व्मत्रि ऩय नशीॊ शोता। इव
कलच के प्रबाल वे इऴाा-द्रे ऴ यखने लारे व्मत्रिओ द्राया शोने लारे दद्श
ु प्रबालो वे यषा शोती शं ।
वला कामा सवत्रि कलच के वाथ भं ळिु त्रलजम कलच के सभरे शोने की लजश वे ळिु वे वॊफॊसधत
वभस्त ऩये ळासनओ वे स्लत् शी छुटकाया सभर जाता शं । कलच के प्रबाल वे ळिु धायण कताा
व्मत्रि का चाशकय कुछ नशी त्रफगाड़े वकते।
अन्म कलच के फाये भे असधक जानकायी के सरमे कामाारम भं वॊऩका कये :
फकवी व्मत्रि त्रलळे ऴ को वला कामा सवत्रि कलच दे ने नशी दे ना का अॊसतभ सनणाम शभाये ऩाव वुय त्षत शं ।
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83 अप्रैर-2015
श्री मॊि (वॊऩूणा भॊि वफशत) रक्ष्भी दामक सवि फीवा मॊि श्री श्री मॊि (रसरता भशात्रिऩुय वु न्दमै श्री भशारक्ष्भमं श्री भशामॊि)
श्री मॊि (फीवा मॊि) रक्ष्भी दाता फीवा मॊि अॊकात्भक फीवा मॊि
श्री मॊि श्री वूि मॊि रक्ष्भी फीवा मॊि ज्मे द्षा रक्ष्भी भॊि ऩूजन मॊि
श्री मॊि (कुभा ऩृद्षीम) रक्ष्भी गणे ळ मॊि धनदा मॊि >> Shop Online | Order Now
वलासवत्रिदामक भुफद्रका
इव भुफद्रका भं भूॊगे को ळुब भुशूता भं त्रिधातु (वुलणा+यजत+ताॊफं) भं जड़ेला कय उवे ळास्त्रोि त्रलसध-
त्रलधान वे त्रलसळद्श तेजस्ली भॊिो द्राया वलासवत्रिदामक फनाने शे तु प्राण-प्रसतत्रद्षत एलॊ ऩूणा चैतन्म मुि फकमा
जाता शं । इव भुफद्रका को फकवी बी लगा के व्मत्रि शाथ की फकवी बी उॊ गरी भं धायण कय वकते शं ।
मशॊ भुफद्रका कबी फकवी बी त्स्थती भं अऩत्रलि नशीॊ शोती। इव सरए कबी भुफद्रका को उतायने की
आलश्मिा नशीॊ शं । इवे धायण कयने वे व्मत्रि की वभस्माओॊ का वभाधान शोने रगता शं । धायणकताा
को जीलन भं वपरता प्रासद्ऱ एलॊ उन्नसत के नमे भागा प्रवस्त शोते यशते शं औय जीलन भं वबी प्रकाय
की सवत्रिमाॊ बी ळीध्र प्राद्ऱ शोती शं । भू ल् म भाि- 6400/- >> Shop Online | Order Now
(नोट: इव भुफद्रका को धायण कयने वे भॊगर ग्रश का कोई फुय ा प्रबाल वाधक ऩय नशीॊ शोता शं ।)
वला सवत्रिदामक भु फ द्रका के त्रलऴम भं असधक जानकायी के सरमे शे तु वम्ऩका कयं ।
उऩयोि वबी मॊिो को द्रादळ भशा मॊि के रुऩ भं ळास्त्रोि त्रलसध-त्रलधान वे भॊि सवि ऩू ण ा
प्राणप्रसतत्रद्षत एलॊ चै तन्म मुि फकमे जाते शं । त्जवे स्थाऩीत कय त्रफना फकवी ऩू जा अचाना-
त्रलसध त्रलधान त्रलळेऴ राब प्राद्ऱ कय वकते शं । >> Shop Online | Order Now
GURUTVA KARYALAY
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86 अप्रैर-2015
1
फुध चै ि ळुक्र द्रादळी 10:09:05 भघा 14:46:35 ळूर 13:39:05 फारल 10:09:05 सवॊश -
2
गुरु चै ि ळुक्र िमोदळी 12:47:18 ऩूलाापाल्गुनी 17:52:00 गॊड 14:39:48 तैसतर 12:47:18 सवॊश 24:38:00
3
ळुक्र चै ि ळुक्र चतुदाळी 15:18:02 उत्तयापाल्गुनी 20:50:51 लृत्रि 15:35:51 लत्णज 15:18:02 कन्मा -
4
ळसन चै ि ळुक्र ऩूत्णाभा 17:35:39 शस्त 23:35:39 ध्रु ल 16:21:35 फल 17:35:39 कन्मा -
5
यत्रल लैळाख कृ ष्ण एकभ 19:34:30 सचिा 26:01:42 व्माघात 16:55:08 फारल 06:37:19 कन्मा 12:51:00
6
वोभ लैळाख कृ ष्ण फद्रतीमा 21:10:52 स्लाती 28:04:19 शऴाण 17:09:56 तैसतर 08:25:52 तुरा -
7
भॊगर लैळाख कृ ष्ण तृतीमा 22:20:04 त्रलळाखा 29:42:34 लज्र 17:05:04 लत्णज 09:49:07 तुरा 23:21:00
8
फुध लैळाख कृ ष्ण चतुथ ॉ 23:02:04 अनुयाधा 30:51:45 सवत्रि 16:39:34 फल 10:45:11 लृत्द्ळक -
9
गुरु लैळाख कृ ष्ण ऩॊचभी 23:12:12 अनुयाधा 06:51:35 व्मसतऩात 15:50:38 कौरल 11:11:16 लृत्द्ळक -
10
ळुक्र लैळाख कृ ष्ण ऴद्षी 22:50:28 जे द्षा 07:29:51 लरयमान 14:35:28 गय 11:05:28 लृत्द्ळक 07:30:00
11
ळसन लैळाख कृ ष्ण वद्ऱभी 21:55:00 भूर 07:36:15 ऩरयग्रश 12:55:00 त्रलत्रद्श 10:25:56 धनु -
12
यत्रल लैळाख कृ ष्ण अद्शभी 20:26:43 ऩूलााऴाढ़ 07:10:47 सळल 10:49:13 फारल 09:14:32 धनु 12:59:00
13
वोभ लैळाख कृ ष्ण नलभी 18:28:27 उत्तयाऴाढ़ 06:12:31 सवि 08:17:12 तैसतर 07:32:12 भकय -
14
भॊगर लैळाख कृ ष्ण दळभी 16:03:00 धसनद्षा 26:54:34 ळुब 26:05:49 त्रलत्रद्श 16:03:00 भकय 15:54:00
87 अप्रैर-2015
15
फुध लैळाख कृ ष्ण एकादळी 13:15:04 ळतसबऴा 24:44:07 ळुक्र 22:32:52 फारल 13:15:04 कुॊब -
16 द्रादळी-
गुरु लैळाख कृ ष्ण 10:08:23 ऩूलााबाद्रऩद 22:18:42 मा जी 18:48:42 तैसतर 10:08:23 कुॊब 16:56:00
िमोदळी
17 िमोदळी -
ळुक्र लैळाख कृ ष्ण 06:53:16 उत्तयाबाद्रऩद 19:48:35 इन्द्र 14:59:50 लत्णज 06:53:16 भीन -
चतुदाळी
18
ळसन लैळाख कृ ष्ण अभालस्मा 24:27:52 ये लसत 17:22:14 लैधृसत 11:11:56 चतुष्ऩाद 14:00:41 भीन 17:23:00
19
यत्रल लैळाख ळुक्र एकभ 21:32:28 अत्द्वनी 15:09:58 त्रलऴकुॊब 07:32:28 फकस्तुघ्न 10:57:47 भेऴ -
20
वोभ लैळाख ळुक्र फद्रतीमा 19:02:24 बयणी 13:17:24 आमुष्भान 25:06:09 फारल 08:14:35 भेऴ 18:54:00
21
भॊगर लैळाख ळुक्र तृतीमा 17:07:01 कृ सतका 11:56:42 वौबाग्म 22:34:12 तैसतर 05:59:31 लृऴ -
22
फुध लैळाख ळुक्र चतुथ ॉ 15:49:09 योफशत्ण 11:14:28 ळोबन 20:36:02 त्रलत्रद्श 15:49:09 लृऴ 23:10:00
23
गुरु लैळाख ळुक्र ऩॊचभी 15:18:11 भृगसळया 11:16:18 असतगॊड 19:13:30 फारल 15:18:11 सभथु न -
24
ळुक्र लैळाख ळुक्र ऴद्षी 15:35:58 आद्रा 12:05:58 वुकभाा 18:28:28 तैसतर 15:35:58 सभथु न -
25
ळसन लैळाख ळुक्र वद्ऱभी 16:38:46 ऩुनलावु 13:39:42 धृसत 18:20:01 लत्णज 16:38:46 सभथु न 07:12:00
26
यत्रल लैळाख ळुक्र अद्शभी 18:21:54 ऩुष्म 15:53:46 ळूर 18:41:35 फल 18:21:54 कका -
27
वोभ लैळाख ळुक्र नलभी 20:35:58 आद्ऴे ऴा 18:37:51 गॊड 19:26:36 फारल 07:25:39 कका 18:38:00
28
भॊगर लैळाख ळुक्र दळभी 23:06:56 भघा 21:39:45 लृत्रि 20:25:41 तैसतर 09:50:04 सवॊश -
29
फुध लैळाख ळुक्र एकादळी 25:41:40 ऩूलाापाल्गुनी 24:47:18 ध्रु ल 21:30:25 लत्णज 12:24:48 सवॊश -
30
गुरु लैळाख ळुक्र द्रादळी 28:08:55 उत्तयापाल्गुनी 27:46:25 व्माघात 22:28:36 फल 14:58:36 सवॊश -
88 अप्रैर-2015
1
फुध चै ि ळुक्र द्रादळी 10:09:05 भदन द्रादळी, प्रदोऴ व्रत, शरय दभनोत्वल, लाभन द्रादळी
2
गुरु चै ि ळुक्र िमोदळी 12:47:18 श्री भशालीय जमन्ती (जै न), अनॊग िमोदळी व्रत, दभनक चतुदाळी
3
ळुक्र चै ि ळुक्र चतुदाळी 15:18:02 -
5
यत्रल लैळाख कृ ष्ण एकभ 19:34:30 लैळाख कृ ष्ण ऩषायम्ब,
6
वोभ लैळाख कृ ष्ण फद्रतीमा 21:10:52 आळा फद्रतीमा
7
भॊगर लैळाख कृ ष्ण तृतीमा 22:20:04 -
9
गुरु लैळाख कृ ष्ण ऩॊचभी 23:12:12 -
10
ळुक्र लैळाख कृ ष्ण ऴद्षी 22:50:28 -
11
ळसन लैळाख कृ ष्ण वद्ऱभी 21:55:00 श्री ळीतरावद्ऱभी व्रत,, काराद्शभी, बानु वद्ऱभी
12
यत्रल लैळाख कृ ष्ण अद्शभी 20:26:43 श्री ळीतराद्शभी व्रत, अद्शका, काराद्शभी
13
वोभ लैळाख कृ ष्ण नलभी 18:28:27 चत्ण्डका नलभी व्रत
वूम ा अत्द्वनी नषि भं एलॊ वूम ा की भेऴ वॊक्रात्न्त दोऩशय 01:01 फजे ,
15
फुध लैळाख कृ ष्ण एकादळी 13:15:04 लरुसथनी एकादळी व्रत वफका, वौय (भेऴ) लैळाख भावायम्ब,
16 द्रादळी-
गुरु लैळाख कृ ष्ण 10:08:23 प्रदोऴ व्रत,
िमोदळी
17 िमोदळी -
ळुक्र लैळाख कृ ष्ण 06:53:16 भाव सळलयात्रि व्रत, सळल चतुदाळी
चतुदाळी
19
यत्रल लैळाख ळुक्र एकभ 21:32:28 -
22
फुध लैळाख ळुक्र चतुथ ॉ 15:49:09 लैनामकी श्री गणेळ चतुथॉ व्रत, (चन्द्र अस्त यात 10.04 फजे )
24
ळुक्र लैळाख ळुक्र ऴद्षी 15:35:58 श्री याभानुजाचामा जमन्ती (उ.बा), चन्दन ऴद्षी (ऩ.फॊ)
26
यत्रल लैळाख ळुक्र अद्शभी 18:21:54 श्री दुगााद्शभी व्रत, श्री फगराभुख ी जमन्ती,
28
भॊगर लैळाख ळुक्र दळभी 23:06:56 -
29
फुध लैळाख ळुक्र एकादळी 25:41:40 भोफशनी एकादळी व्रत,
30
गुरु लैळाख ळुक्र द्रादळी 28:08:55 ऩयळुयाभ द्रादळी, रुत्क्भणी द्रादळी, प्रदोऴ
90 अप्रैर-2015
वॊऩूणा प्राणप्रसतत्रद्षत
22 गेज ळुि स्टीर भं सनसभात अखॊफडत
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91 अप्रैर-2015
गरे भं शोने के कायण मॊ ि ऩत्रलि यशता शं एलॊ स्नान कयते वभम इव मॊ ि ऩय स्ऩळा कय जो
जर त्रफॊदु ळयीय को रगते शं , लश गॊगा जर के वभान ऩत्रलि शोता शं । इव सरमे इवे वफवे
तेजस्ली एलॊ परदासम कशजाता शं । जै वे अभृत वे उत्तभ कोई औऴसध नशीॊ, उवी प्रकाय रक्ष्भी
प्रासद्ऱ के सरमे श्री मॊ ि वे उत्तभ कोई मॊ ि वॊ वाय भं नशीॊ शं एवा ळास्त्रोि लचन शं । इव प्रकाय के
नलयत्न जफड़ेत श्री मॊ ि गुरूत्ल कामाारम द्राया ळु ब भु शूता भं प्राण प्रसतत्रद्षत कयके फनालाए जाते
शं । Rs: 2350, 2800, 3250, 3700, 4600, 5500 वे 10,900 तक >> Shop Online | Order Now
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92 अप्रैर-2015
श्री शनुभान मॊि ळास्त्रं भं उल्रे ख शं की श्री शनुभान जी को बगलान वूमादेल ने मा जी ा जी के आदे ळ ऩय शनुभान
जी को अऩने ते ज का वौलाॉ बाग प्रदान कयते शुए आळीलााद प्रदान फकमा था, फक भं शनुभान को वबी ळास्त्र का ऩूणा
सान दॉ ग
ू ा। त्जववे मश तीनोरोक भं वला श्रेद्ष लिा शंगे तथा ळास्त्र त्रलद्या भं इन्शं भशायत शासवर शोगी औय इनके
वभन फरळारी औय कोई नशीॊ शोगा। जानकायो ने भतानुवाय शनुभान मॊि की आयाधना वे ऩुरुऴं की त्रलसबन्न फीभारयमं
दयू शोती शं , इव मॊि भं अद्भत
ु ळत्रि वभाफशत शोने के कायण व्मत्रि की स्लप्न दोऴ, धातु योग, यि दोऴ, लीमा दोऴ, भूछाा,
नऩुॊवकता इत्माफद अने क प्रकाय के दोऴो को दयू कयने भं अत्मन्त राबकायी शं । अथाात मश मॊि ऩौरुऴ को ऩुद्श कयता
शं । श्री शनुभान मॊि व्मत्रि को वॊकट, लाद-त्रललाद, बूत-प्रे त, द्यूत फक्रमा, त्रलऴबम, चोय बम, याज्म बम, भायण, वम्भोशन
स्तॊबन इत्माफद वे वॊकटो वे यषा कयता शं औय सवत्रि प्रदान कयने भं वषभ शं ।
श्री शनुभान मॊि के त्रलऴम भं असधक जानकायी के सरमे गुरुत्ल कामाारम भं वॊऩका कयं । भू ल् म Rs- 730 वे 10900 तक
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93 अप्रैर-2015
त्रलसबन्न दे ल ताओॊ के मॊ ि
गणेळ मॊि भशाभृत्मुॊजम मॊि याभ यषा मॊि याज
गणेळ मॊि (वॊऩूण ा फीज भॊि वफशत) भशाभृत्मुॊजम कलच मॊि याभ मॊि
गणेळ सवि मॊि भशाभृत्मुॊजम ऩूजन मॊि द्रादळाषय त्रलष्णु भॊि ऩूजन मॊि
एकाषय गणऩसत मॊि भशाभृत्मुॊजम मुि सळल खप्ऩय भाशा सळल मॊि त्रलष्णु फीवा मॊि
शरयद्रा गणेळ मॊि सळल ऩॊचाषयी मॊि गरुड ऩूजन मॊि
कुफेय मॊि सळल मॊि सचॊ ताभणी मॊि याज
श्री द्रादळाषयी रुद्र ऩूजन मॊि अफद्रतीम वलाकाम्म सवत्रि सळल मॊि सचॊ ताभणी मॊि
दत्तािम मॊि नृसवॊश ऩूजन मॊि स्लणााकऴाणा बैयल मॊि
दत्त मॊि ऩॊचदे ल मॊि शनुभान ऩूजन मॊि
आऩदुिायण फटु क बैयल मॊि वॊतान गोऩार मॊि शनुभान मॊि
फटु क मॊि श्री कृ ष्ण अद्शाषयी भॊि ऩूजन मॊि वॊकट भोचन मॊि
व्मॊकटे ळ मॊि कृ ष्ण फीवा मॊि लीय वाधन ऩूजन मॊि
कातालीमााजुान ऩूजन मॊि वला काभ प्रद बैयल मॊि दत्षणाभूसता ध्मानभ ् मॊि
सान दाता भशा मॊि रग्न त्रलघ्न सनलायक मॊि कुदृत्रद्श नाळक मॊि
कामा कल्ऩ मॊि रग्न मोग मॊि श्री ळिु ऩयाबल मॊि
दीधाामु अभृत तत्ल वॊजीलनी मॊि दरयद्रता त्रलनाळक मॊि ळिु दभनाणाल ऩूजन मॊि
भॊ ि सवि त्रलळे ऴ दै ली मॊ ि वू सच
आद्य ळत्रि दुगाा फीवा मॊि (अॊ फाजी फीवा मॊि) वयस्लती मॊि
भशान ळत्रि दुगाा मॊि (अॊ फाजी मॊि) वद्ऱवती भशामॊि (वॊऩूण ा फीज भॊि वफशत)
नल दुगाा मॊि कारी मॊि
नलाणा मॊि (चाभुॊडा मॊि) श्भळान कारी ऩूजन मॊि
नलाणा फीवा मॊि दत्षण कारी ऩूजन मॊि
चाभुॊडा फीवा मॊि ( नलग्रश मुि) वॊकट भोसचनी कासरका सवत्रि मॊि
त्रिळूर फीवा मॊि खोफडमाय मॊि
फगरा भुख ी मॊि खोफडमाय फीवा मॊि
फगरा भुख ी ऩूजन मॊि अन्नऩूणाा ऩूजा मॊि
याज याजे द्वयी लाॊ छा कल्ऩरता मॊि एकाॊ षी श्रीपर मॊि
यासळ यत्न
भेऴ यासळ: लृऴब यासळ: सभथुन यासळ: कका यासळ: सवॊश यासळ: कन्मा यासळ:
भूॊ गा शीया ऩन्ना भोती भाणेक ऩन्ना
Red Coral Diamond Green Emerald Naturel Pearl Ruby Green Emerald
(Special) (Special) (Old Berma)
(Special) (Special) (Special) (Special)
5.25" Rs. 1050 10 cent Rs. 4100 5.25" Rs. 9100 5.25" Rs. 910 2.25" Rs. 12500 5.25" Rs. 9100
6.25" Rs. 1250 20 cent Rs. 8200 6.25" Rs. 12500 6.25" Rs. 1250 3.25" Rs. 15500 6.25" Rs. 12500
7.25" Rs. 1450 30 cent Rs. 12500 7.25" Rs. 14500 7.25" Rs. 1450 4.25" Rs. 28000 7.25" Rs. 14500
8.25" Rs. 1800 40 cent Rs. 18500 8.25" Rs. 19000 8.25" Rs. 1900 5.25" Rs. 46000 8.25" Rs. 19000
9.25" Rs. 2100 50 cent Rs. 23500 9.25" Rs. 23000 9.25" Rs. 2300 6.25" Rs. 82000 9.25" Rs. 23000
10.25" Rs. 2800 10.25" Rs. 28000 10.25" Rs. 2800 10.25" Rs. 28000
All Diamond are Full
** All Weight In Rati ** All Weight In Rati ** All Weight In Rati ** All Weight In Rati ** All Weight In Rati
White Colour.
तुरा यासळ: लृत्द्ळक यासळ: धनु यासळ: भकय यासळ: कुॊब यासळ: भीन यासळ:
शीया भूॊ गा ऩुखयाज नीरभ नीरभ ऩुखयाज
* उऩमोि लजन औय भूल्म वे असधक औय कभ लजन औय भूल्म के यत्न एलॊ उऩयत्न बी शभाये मशा व्माऩायी भूल्म ऩय उप्रब्ध
शं । >> Shop Online | Order Now
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96 अप्रैर-2015
तीन भुखी रूद्राष (नेऩार) 55 to 280 ग्मायश भुखी रूद्राष (नेऩार) 2800 to 5500
चाय भुखी रूद्राष (नेऩार) 55 to 190 फायश भुखी रूद्राष (नेऩार) 3700 to 7300
ऩॊच भुखी रूद्राष (नेऩार) 55 to 370 तेयश भुखी रूद्राष (नेऩार) 5500 to 14500
छश भुखी रूद्राष (नेऩार) 55 to 190 चौदश भुखी रूद्राष (नेऩार) 21000 to 41500
वात भुखी रूद्राष (नेऩार) 460 to 730 गौयीळॊकय रूद्राष (नेऩार) 3700 to 14500
आठ भुखी रूद्राष (नेऩार) 1900 to 460 गणेळ रुद्राष (नेऩार) 730 to 1450
* भूल्म भं अॊतय रुद्राष के आकाय औय गुणलत्ता के अनुवाय अरग-अरग शोते शं । उऩयोि भूल्म छोटे वे फड़ेे आकाय
के अनुरुऩ दळाामे गमे शं । कबी-कबी वॊबात्रलत शं की छोटे आकाय के उत्तभ गुणलत्ता लारे रुद्राष असधक भूल्म भं प्राद्ऱ
शो वकते शं ।
त्रलळे ऴ वू च ना: फाजाय की त्स्थसत के अनुवाय, रूद्राष भूल्म, फदन-फ-फदन फदरते यशते शै , त्जव कायण शभायी भूल्म
वूची भं बी फाजाय की त्स्थसत के अनुवाय ऩरयलतान शोते यशते शं , कृप्मा रुद्राष के सरए अऩना बुगतान बे जने वे
ऩशरे रुद्राष के नमी भूल्म वूची शे तु शभ वे वॊऩका कयं ।
रुद्राष के त्रलऴम भं असधक जानकायी शे तु वॊऩका कयं । >> Shop Online | Order Now
GURUTVA KARYALAY ,
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भॊि सवि दर
ु ाब वाभग्री
शत्था जोडी- Rs- 730 घोडे की नार- Rs.351 भामा जार- Rs- 251
सवमाय सवॊगी- Rs- 1050 दत्षणालतॉ ळॊख-Rs-550-2100 इन्द्र जार- Rs- 251
त्रफल्री नार- Rs- 370 भोसत ळॊख-Rs- 550 वे 1450 धन लृत्रि शकीक वेट Rs-251
GURUTVA KARYALAY
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97 अप्रैर-2015
श्रीकृ ष्ण फीवा मॊ ि ऩय अॊफकत ळत्रिळारी त्रलळे ऴ ये खाएॊ, फीज भॊि एलॊ मा ाशभणं द्राया ळुब भुशुता भं ळास्त्रोि
श्रीकृ ष्ण फीवा मॊ ि के ऩूजन ल सनमसभत दळान के भाध्मभ वे बगलान मुि कयके सनभााण फकमा जाता शं ।
त्जव के पर स्लरुऩ धायण कयता
श्रीकृष्ण का आळीलााद प्राद्ऱ कय वभाज भं स्लमॊ का अफद्रतीम स्थान स्थात्रऩत कयं ।
व्मत्रि को ळीघ्र ऩूणा राब प्राद्ऱ शोता
श्रीकृ ष्ण फीवा मॊ ि अरौफकक मा जी ाॊडीम उजाा का वॊचाय कयता शं , जो
एक प्राकृ त्रत्त भाध्मभ वे व्मत्रि के बीतय वदबालना, वभृत्रि, वपरता, उत्तभ शं । कलच को गरे भं धायण कयने
स्लास््म, मोग औय ध्मान के सरमे एक ळत्रिळारी भाध्मभ शं ! वे लशॊ अत्मॊत प्रबाल ळारी शोता
श्रीकृ ष्ण फीवा मॊ ि के ऩूजन वे व्मत्रि के वाभात्जक भान-वम्भान ल शं । गरे भं धायण कयने वे कलच
त्रलद्रानो के भतानुवाय श्रीकृ ष्ण फीवा मॊ ि के भध्मबाग ऩय ध्मान मोग व्मत्रि ऩय उवका राब असत तीव्र
कंफद्रत कयने वे व्मत्रि फक चेतना ळत्रि जाग्रत शोकय ळीघ्र उच्च स्तय एलॊ ळीघ्र सात शोने रगता शं ।
भू र म भाि: 1900 >>Order Now
को प्राद्ऱशोती शं ।
जो ऩुरुऴं औय भफशरा अऩने वाथी ऩय अऩना प्रबाल डारना चाशते शं औय उन्शं अऩनी औय आकत्रऴात कयना
चाशते शं । उनके सरमे श्रीकृ ष्ण फीवा मॊ ि उत्तभ उऩाम सवि शो वकता शं ।
ऩसत-ऩत्नी भं आऩवी प्रभ की लृत्रि औय वुखी दाम्ऩत्म जीलन के सरमे श्रीकृ ष्ण फीवा मॊ ि राबदामी शोता शं ।
भूल्म:- Rs. 730 वे Rs. 10900 तक उप्रब्ि >> Shop Online | Order Now
GURUTVA KARYALAY
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98 अप्रैर-2015
त्रलळेऴ मॊि
त्रलघ्नकायक बद्रा
03 फदन 03.19 वे दे य यात्रि 04.28 तक 17 प्रात: 06.55 वे वामॊ 05.17 तक
10 यात्रि 10.51 वे 11 अप्रैर को प्रात: 10.27 तक 25 फदन 04.39 वे 26 अप्रैर को प्रात: 05.31 तक
मोग पर :
कामा सवत्रि मोग भे फकमे गमे ळुब कामा भे सनत्द्ळत वपरता प्राद्ऱ शोती शं , एवा ळास्त्रोि लचन शं ।
फद्रऩुष्कय मोग भं फकमे गमे ळुब कामो का राब दोगुना शोता शं । एवा ळास्त्रोि लचन शं ।
त्रिऩुष्कय मोग भं फकमे गमे ळुब कामो का राब तीन गुना शोता शं । एवा ळास्त्रोि लचन शं ।
ळास्त्रंि भत वे त्रलघ्नकायक बद्रा मोग भं ळुब कामा कयना लत्जात शं ।
फदन के चौघफडमे
वभम यत्रललाय वोभलाय भॊगरलाय फुधलाय गुरुलाय ळुक्रलाय ळसनलाय
यात के चौघफडमे
वभम यत्रललाय वोभलाय भॊगरलाय फुधलाय गुरुलाय ळुक्रलाय ळसनलाय
यत्रललाय वूमा ळुक्र फुध चॊद्र ळसन गुरु भॊगर वूमा ळुक्र फुध चॊद्र ळसन
वोभलाय चॊद्र ळसन गुरु भॊगर वूमा ळुक्र फुध चॊद्र ळसन गुरु भॊगर वूमा
भॊगरलाय भॊगर वूमा ळुक्र फुध चॊद्र ळसन गुरु भॊगर वूमा ळुक्र फुध चॊद्र
फुधलाय फुध चॊद्र ळसन गुरु भॊगर वूमा ळुक्र फुध चॊद्र ळसन गुरु भॊगर
गुरुलाय गुरु भॊगर वूमा ळुक्र फुध चॊद्र ळसन गुरु भॊगर वूमा ळुक्र फुध
ळुक्रलाय ळुक्र फुध चॊद्र ळसन गुरु भॊगर वूमा ळुक्र फुध चॊद्र ळसन गुरु
ळसनलाय ळसन गुरु भॊगर वूमा ळुक्र फुध चॊद्र ळसन गुरु भॊगर वूमा ळुक्र
त्रलद्रानो के भत वे इत्च्छत कामा सवत्रि के सरए ग्रश वे वॊ फॊस धत शोया का चु न ाल कयने वे त्रलळेऴ राब
प्राद्ऱ शोता शं ।
वूमा फक शोया वयकायी कामो के सरमे उत्तभ शोती शं ।
चॊद्रभा फक शोया वबी कामं के सरमे उत्तभ शोती शं ।
भॊगर फक शोया कोटा-कचेय ी के कामं के सरमे उत्तभ शोती शं ।
फुध फक शोया त्रलद्या-फुत्रि अथाात ऩढाई के सरमे उत्तभ शोती शं ।
गुरु फक शोया धासभाक कामा एलॊ त्रललाश के सरमे उत्तभ शोती शं ।
ळुक्र फक शोया मािा के सरमे उत्तभ शोती शं ।
ळसन फक शोया धन-द्रव्म वॊफॊसधत कामा के सरमे उत्तभ शोती शं ।
104 अप्रैर-2015
2 11:17:51 04:20:34 00:06:54 11:09:34 03:18:35 00:24:34 07:10:34 05:15:56 11:15:56 11:22:07 10:14:27 08:21:24
3 11:18:50 05:02:24 00:07:38 11:11:30 03:18:34 00:25:45 07:10:32 05:15:56 11:15:56 11:22:10 10:14:29 08:21:25
4 11:19:50 05:14:18 00:08:22 11:13:26 03:18:33 00:26:56 07:10:30 05:15:56 11:15:56 11:22:14 10:14:31 08:21:25
5 11:20:49 05:26:18 00:09:07 11:15:24 03:18:32 00:28:07 07:10:28 05:15:56 11:15:56 11:22:17 10:14:33 08:21:26
6 11:21:48 06:08:26 00:09:51 11:17:24 03:18:31 00:29:18 07:10:26 05:15:55 11:15:55 11:22:21 10:14:35 08:21:26
7 11:22:47 06:20:44 00:10:35 11:19:24 03:18:31 01:00:28 07:10:24 05:15:55 11:15:55 11:22:24 10:14:37 08:21:26
8 11:23:46 07:03:13 00:11:19 11:21:26 03:18:31 01:01:39 07:10:22 05:15:54 11:15:54 11:22:27 10:14:38 08:21:27
9 11:24:45 07:15:56 00:12:03 11:23:29 03:18:31 01:02:49 07:10:19 05:15:53 11:15:53 11:22:31 10:14:40 08:21:27
10 11:25:44 07:28:54 00:12:47 11:25:33 03:18:31 01:04:00 07:10:17 05:15:52 11:15:52 11:22:34 10:14:42 08:21:27
11 11:26:43 08:12:09 00:13:31 11:27:38 03:18:31 01:05:10 07:10:14 05:15:51 11:15:51 11:22:38 10:14:44 08:21:27
12 11:27:42 08:25:42 00:14:15 11:29:43 03:18:32 01:06:20 07:10:12 05:15:50 11:15:50 11:22:41 10:14:46 08:21:28
13 11:28:40 09:09:35 00:14:59 00:01:49 03:18:32 01:07:30 07:10:09 05:15:51 11:15:51 11:22:44 10:14:48 08:21:28
14 11:29:39 09:23:46 00:15:43 00:03:55 03:18:33 01:08:40 07:10:06 05:15:51 11:15:51 11:22:48 10:14:49 08:21:28
15 00:00:38 10:08:14 00:16:27 00:06:01 03:18:34 01:09:50 07:10:03 05:15:52 11:15:52 11:22:51 10:14:51 08:21:28
16 00:01:37 10:22:56 00:17:11 00:08:07 03:18:36 01:11:00 07:10:00 05:15:53 11:15:53 11:22:55 10:14:53 08:21:28
17 00:02:36 11:07:47 00:17:54 00:10:13 03:18:37 01:12:09 07:09:57 05:15:54 11:15:54 11:22:58 10:14:54 08:21:28
18 00:03:34 11:22:40 00:18:38 00:12:18 03:18:39 01:13:19 07:09:54 05:15:54 11:15:54 11:23:02 10:14:56 08:21:28
19 00:04:33 00:07:26 00:19:22 00:14:21 03:18:41 01:14:28 07:09:51 05:15:53 11:15:53 11:23:05 10:14:58 08:21:28
20 00:05:32 00:22:00 00:20:05 00:16:24 03:18:43 01:15:37 07:09:48 05:15:52 11:15:52 11:23:08 10:14:59 08:21:28
21 00:06:30 01:06:14 00:20:49 00:18:24 03:18:45 01:16:47 07:09:45 05:15:49 11:15:49 11:23:12 10:15:01 08:21:28
22 00:07:29 01:20:05 00:21:32 00:20:22 03:18:47 01:17:55 07:09:41 05:15:46 11:15:46 11:23:15 10:15:02 08:21:28
23 00:08:27 02:03:30 00:22:15 00:22:18 03:18:50 01:19:04 07:09:38 05:15:43 11:15:43 11:23:18 10:15:04 08:21:27
24 00:09:26 02:16:30 00:22:59 00:24:11 03:18:52 01:20:13 07:09:34 05:15:40 11:15:40 11:23:22 10:15:06 08:21:27
25 00:10:24 02:29:07 00:23:42 00:26:02 03:18:55 01:21:22 07:09:31 05:15:39 11:15:39 11:23:25 10:15:07 08:21:27
26 00:11:23 03:11:25 00:24:25 00:27:49 03:18:58 01:22:30 07:09:27 05:15:38 11:15:38 11:23:28 10:15:09 08:21:27
27 00:12:21 03:23:28 00:25:09 00:29:32 03:19:02 01:23:38 07:09:23 05:15:39 11:15:39 11:23:32 10:15:10 08:21:27
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29 00:14:18 04:17:11 00:26:35 01:02:48 03:19:09 01:25:54 07:09:16 05:15:42 11:15:42 11:23:38 10:15:13 08:21:26
30 00:15:16 04:28:59 00:27:18 01:04:20 03:19:12 01:27:02 07:09:12 05:15:43 11:15:43 11:23:41 10:15:14 08:21:26
105 अप्रैर-2015
कलच के राब :
एवा ळास्त्रोि लचन शं त्जव घय भं भशाभृत्मुॊजम मॊि स्थात्रऩत शोता शं लशा सनलाव कताा शो नाना प्रकाय
फक आसध-व्मासध-उऩासध वे यषा शोती शं।
ऩूणा प्राण प्रसतत्रद्षत एलॊ ऩूणा चैतन्म मुि वला योग सनलायण कलच फकवी बी उम्र एलॊ जासत धभा के रोग
चाशे स्त्री शो मा ऩुरुऴ धायण कय वकते शं।
जन्भाॊगभं अनेक प्रकायके खयाफ मोगो औय खयाफ ग्रशो फक प्रसतकू रता वे योग उतऩन्न शोते शं।
कु छ योग वॊक्रभण वे शोते शं एलॊ कु छ योग खान-ऩान फक असनमसभतता औय अळुितावे उत्ऩन्न शोते शं ।
कलच एलॊ मॊि द्राया एवे अनेक प्रकाय के खयाफ मोगो को नद्श कय, स्लास््म राब औय ळायीरयक यषण प्राद्ऱ
कयने शेत ु वला योगनाळक कलच एलॊ मॊि वला उऩमोगी शोता शं।
आज के बौसतकता लादी आधुसनक मुगभे अनेक एवे योग शोते शं, त्जवका उऩचाय ओऩये ळन औय दलावे बी
कफठन शो जाता शं। कु छ योग एवे शोते शं त्जवे फताने भं रोग फशचफकचाते शं ळयभ अनुबल कयते शं एवे
योगो को योकने शेत ु एलॊ उवके उऩचाय शेत ु वला योगनाळक कलच एलॊ मॊि राबादासम सवि शोता शं।
प्रत्मेक व्मत्रि फक जेव-े जेव े आमु फढती शं लैव-े लवै उवके ळयीय फक ऊजाा कभ शोती जाती शं। त्जवके वाथ
अनेक प्रकाय के त्रलकाय ऩैदा शोने रगते शं एवी त्स्थती भं उऩचाय शेत ु वलायोगनाळक कलच एलॊ मॊि परप्रद
शोता शं।
त्जव घय भं त्रऩता-ऩुि, भाता-ऩुि, भाता-ऩुिी, मा दो बाई एक फश नषिभे जन्भ रेत े शं , तफ उवकी भाता
के सरमे असधक कद्शदामक त्स्थती शोती शं। उऩचाय शेत ु भशाभृत्मुॊजम मॊि परप्रद शोता शं।
त्जव व्मत्रि का जन्भ ऩरयसध मोगभे शोता शं उन्शे शोने लारे भृत्मु तुल्म कद्श एलॊ शोने लारे योग, सचॊता भं
उऩचाय शेत ु वला योगनाळक कलच एलॊ मॊि ळुब परप्रद शोता शं।
नोट:- ऩूणा प्राण प्रसतत्रद्षत एलॊ ऩूणा चैतन्म मुि वला योग सनलायण कलच एलॊ मॊि के फाये भं असधक जानकायी
शेत ु वॊऩका कयं । >> Shop Online | Order Now
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Our Goal
Here Our goal has The classical Method-Legislation with Proved by specific with fiery chants prestigious full
consciousness (Puarn Praan Pratisthit) Give miraculous powers & Good effect All types of Yantra, Kavach,
Rudraksh, preciouse and semi preciouse Gems stone deliver on your door step.
107 अप्रैर-2015
भॊ ि सवि कलच
भॊि सवि कलच को त्रलळे ऴ प्रमोजन भं उऩमोग के सरए औय ळीघ्र प्रबाल ळारी फनाने के सरए ते जस्ली भॊिो द्राया ळुब भशूता भं ळुब
फदन को तैमाय फकमे जाते शै । अरग-अरग कलच तैमाय कयने के सरए अरग-अरग तयश के भॊिो का प्रमोग फकमा जाता शै ।
क्मं चुने भॊि सवि कलच? उऩमोग भं आवान कोई प्रसतफन्ध नशीॊ कोई त्रलळे ऴ सनसत-सनमभ नशीॊ कोई फुय ा प्रबाल नशीॊ
भॊ ि सवि कलच वू स च
अभोघ भशाभृत्मुॊजम कलच 10900 श्रात्रऩत मोग सनलायण कलच 1900 तॊि यषा 730
याज याजेद्वयी कलच 11000 * वला जन लळीकयण 1450 ळिु त्रलजम 730
वला कामा सवत्रि कलच 4600 सवत्रि त्रलनामक कलच 1450 त्रललाश फाधा सनलायण 730
श्री घॊटाकणा भशालीय वला सवत्रिप्रद कलच 6400 वकर वम्भान प्रासद्ऱ कलच 1450 व्माऩय लृत्रि 730
वकर सवत्रि प्रद गामिी कलच 6400 आकऴाण लृत्रि कलच 1450 वला योग सनलायण 730
दव भशा त्रलद्या कलच 6400 लळीकयण नाळक कलच 1450 योजगाय लृत्रि 730
नलदुगाा ळत्रि कलच 6400 प्रीसत नाळक कलच 1450 भत्स्तष्क ऩृत्रद्श लधाक 640
यवामन सवत्रि कलच 6400 चॊडार मोग सनलायण कलच 1450 काभना ऩूसता 640
ऩॊचदेल ळत्रि कलच 6400 ग्रशण मोग सनलायण कलच 1450 त्रलयोध नाळक 640
वु लणा रक्ष्भी कलच 4600 अद्श रक्ष्भी 1250 त्रलघ्न फाधा सनलायण 550
स्लणााकऴाण बै यल कलच 4600 भाॊगसरक मोग सनलायण कलच 1250 नज़य यषा 550
*त्रलरषण वकर याज लळीकयण कलच 3250 वॊ तान प्रासद्ऱ 1250 योजगाय प्रासद्ऱ 550
कारवऩा ळाॊसत कलच 2800 स्ऩे- व्माऩय लृत्रि 1050 दुब ााग्म नाळक 460
इद्श सवत्रि कलच 2800 कामा सवत्रि 1050 * लळीकयण (2-3 व्मत्रि के सरए) 1050
ऩयदेळ गभन औय राब प्रासद्ऱ कलच 2350 आकत्स्भक धन प्रासद्ऱ 1050 * ऩत्नी लळीकयण 640
श्रीदुगाा फीवा कलच 1900 स्लत्स्तक फीवा कलच 1050 * ऩसत लळीकयण 640
अद्श त्रलनामक कलच 1900 शॊ व फीवा कलच 1050 वयस्लती (कषा +10 के सरए) 550
त्रलष्णु फीवा कलच 1900 स्लप्न बम सनलायण कलच 1050 वयस्लती (कषा 10 तकके सरए) 460
याभबद्र फीवा कलच 1900 नलग्रश ळाॊसत 910 * लळीकयण ( 1 व्मत्रि के सरए) 640
कुफेय फीवा कलच 1900 बू सभ राब 910 सवि वू मा कलच 550
गरुड फीवा कलच 1900 काभ देल 910 सवि चॊद्र कलच 550
सवॊ श फीवा कलच 1900 ऩदं उन्नसत 910 सवि भॊ गर कलच 550
नलााण फीवा कलच 1900 ऋण भु त्रि 910 सवि फुध कलच 550
वॊ कट भोसचनी कासरका सवत्रि कलच 1900 वु दळान फीवा कलच 910 सवि गुरु कलच 550
याभ यषा कलच 1900 भशा वु दळान कलच 910 सवि ळुक्र कलच 550
शनुभ ान कलच 1900 त्रिळूर फीवा कलच 910 सवि ळसन कलच 550
बै यल यषा कलच 1900 धन प्रासद्ऱ 820 सवि याशु कलच 550
ळसन वाड़ेेव ाती औय ढ़ैमा कद्श सनलायण कलच 1900 सवि केतु कलच 550
उऩयोि कलच के अराला अन्म वभस्मा त्रलळेऴ के वभाधान शे तु एलॊ उदे श्म ऩूसता शे तु कलच का सनभााण फकमा जाता शं । कलच के त्रलऴम भं असधक
जानकायी शे तु वॊऩका कयं । *कलच भाि ळुब कामा मा उदे श्म के सरमे >> Shop Online | Order Now
GURUTVA KARYALAY
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(ALL DISPUTES SUBJECT TO BHUBANESWAR JURISDICTION)
108 अप्रैर-2015
GURUTVA KARYALAY
YANTRA LIST EFFECTS
Our Splecial Yantra
1 12 – YANTRA SET For all Family Troubles
2 VYAPAR VRUDDHI YANTRA For Business Development
3 BHOOMI LABHA YANTRA For Farming Benefits
4 TANTRA RAKSHA YANTRA For Protection Evil Sprite
5 AAKASMIK DHAN PRAPTI YANTRA For Unexpected Wealth Benefits
6 PADOUNNATI YANTRA For Getting Promotion
7 RATNE SHWARI YANTRA For Benefits of Gems & Jewellery
8 BHUMI PRAPTI YANTRA For Land Obtained
9 GRUH PRAPTI YANTRA For Ready Made House
10 KAILASH DHAN RAKSHA YANTRA -
Shastrokt Yantra
वूचना
ऩत्रिका भं प्रकासळत वबी रे ख ऩत्रिका के असधकायं के वाथ शी आयत्षत शं ।
रे ख प्रकासळत शोना का भतरफ मश कतई नशीॊ फक कामाारम मा वॊऩादक बी इन त्रलचायो वे वशभत शं।
ऩत्रिका भं प्रकासळत फकवी बी नाभ, स्थान मा घटना का उल्रे ख मशाॊ फकवी बी व्मत्रि त्रलळे ऴ मा फकवी बी स्थान मा
घटना वे कोई वॊफॊध नशीॊ शं ।
प्रकासळत रे ख ज्मोसतऴ, अॊक ज्मोसतऴ, लास्तु, भॊि, मॊि, तॊि, आध्मात्त्भक सान ऩय आधारयत शोने के कायण
मफद फकवी के रे ख, फकवी बी नाभ, स्थान मा घटना का फकवी के लास्तत्रलक जीलन वे भे र शोता शं तो मश भाि
एक वॊमोग शं ।
प्रकासळत वबी रे ख बायसतम आध्मात्त्भक ळास्त्रं वे प्रे रयत शोकय सरमे जाते शं । इव कायण इन त्रलऴमो फक
वत्मता अथला प्राभात्णकता ऩय फकवी बी प्रकाय फक त्जन्भे दायी कामाारम मा वॊऩादक फक नशीॊ शं ।
अन्म रे खको द्राया प्रदान फकमे गमे रे ख/प्रमोग फक प्राभात्णकता एलॊ प्रबाल फक त्जन्भे दायी कामाारम मा वॊऩादक
फक नशीॊ शं । औय नाशीॊ रे खक के ऩते फठकाने के फाये भं जानकायी दे ने शे तु कामाारम मा वॊऩादक फकवी बी
प्रकाय वे फाध्म शं ।
ज्मोसतऴ, अॊक ज्मोसतऴ, लास्तु, भॊि, मॊि, तॊि, आध्मात्त्भक सान ऩय आधारयत रे खो भं ऩाठक का अऩना
त्रलद्वाव शोना आलश्मक शं । फकवी बी व्मत्रि त्रलळे ऴ को फकवी बी प्रकाय वे इन त्रलऴमो भं त्रलद्वाव कयने ना कयने
का अॊसतभ सनणाम स्लमॊ का शोगा।
शभाये द्राया ऩोस्ट फकमे गमे वबी रे ख शभाये लऴो के अनुबल एलॊ अनुळॊधान के आधाय ऩय सरखे शोते शं । शभ फकवी बी व्मत्रि
त्रलळे ऴ द्राया प्रमोग फकमे जाने लारे भॊि- मॊि मा अन्म प्रमोग मा उऩामोकी त्जन्भे दायी नफशॊ रे ते शं ।
मश त्जन्भे दायी भॊि-मॊि मा अन्म प्रमोग मा उऩामोको कयने लारे व्मत्रि फक स्लमॊ फक शोगी। क्मोफक इन त्रलऴमो भं नैसतक
भानदॊडं, वाभात्जक, कानूनी सनमभं के त्खराप कोई व्मत्रि मफद नीजी स्लाथा ऩूसता शे तु प्रमोग कताा शं अथला प्रमोग
के कयने भे िुफट शोने ऩय प्रसतकूर ऩरयणाभ वॊबल शं ।
शभाये द्राया ऩोस्ट फकमे गमे वबी भॊि-मॊि मा उऩाम शभने वैकडोफाय स्लमॊ ऩय एलॊ अन्म शभाये फॊधग
ु ण ऩय प्रमोग फकमे शं
त्जस्वे शभे शय प्रमोग मा भॊि-मॊि मा उऩामो द्राया सनत्द्ळत वपरता प्राद्ऱ शुई शं ।
ऩाठकं फक भाॊग ऩय एक फश रे खका ऩून् प्रकाळन कयने का असधकाय यखता शं । ऩाठकं को एक रे ख के ऩून्
प्रकाळन वे राब प्राद्ऱ शो वकता शं ।
FREE
E CIRCULAR
गुरुत्ल ज्मोसतऴ ऩत्रिका अप्रैर-2015
वॊऩादक
सचॊतन जोळी
वॊऩका
गुरुत्ल ज्मोसतऴ त्रलबाग
गुरुत्ल कामाारम
92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA, BHUBNESWAR-751018, (ORISSA)
INDIA
पोन
91+9338213418, 91+9238328785
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लेफ
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113 अप्रैर-2015
फॊध/ु फफशन
जम गुरुदे ल
जशाॉ आधुसनक त्रलसान वभाद्ऱ शो जाता शं । लशाॊ आध्मात्त्भक सान प्रायॊ ब शो जाता शं , बौसतकता का आलयण ओढे व्मत्रि
जीलन भं शताळा औय सनयाळा भं फॊध जाता शं , औय उवे अऩने जीलन भं गसतळीर शोने के सरए भागा प्राद्ऱ नशीॊ शो ऩाता क्मोफक
बालनाए फश बलवागय शं , त्जवभे भनुष्म की वपरता औय अवपरता सनफशत शं । उवे ऩाने औय वभजने का वाथाक प्रमाव शी श्रेद्षकय
वपरता शं । वपरता को प्राद्ऱ कयना आऩ का बाग्म शी नशीॊ असधकाय शं । ईवी सरमे शभायी ळुब काभना वदैल आऩ के वाथ शं । आऩ
अऩने कामा- उदे श् म एलॊ अनुकूरता शे तु मॊि, ग्रश यत्न एलॊ उऩयत्न औय दर
ु ाब भॊि ळत्रि वे ऩूणा प्राण-प्रसतत्रद्षत सचज लस्तु का शभं ळा
प्रमोग कये जो १००% परदामक शो। ईवी सरमे शभाया उदे श्म मशीॊ शे की ळास्त्रोि त्रलसध-त्रलधान वे त्रलसळद्श ते जस्ली भॊिो द्राया सवि
प्राण-प्रसतत्रद्षत ऩूणा चैतन्म मुि वबी प्रकाय के मन्ि- कलच एलॊ ळुब परदामी ग्रश यत्न एलॊ उऩयत्न आऩके घय तक ऩशोचाने का शं ।
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APR
2015