You are on page 1of 116

Our Web Site: www.gurutvajyotish.com Font Help >> http://gurutvajyotish.blogspot.

com

गुरुत्ल कामाा रम द्राया प्रस्तुत भासवक ई-ऩत्रिका अप्रैर-2015

NON PROFIT PUBLICATION .


हम अब बेनामी उऩयोगकर्ााओं के लऱए
गुरुत्व ज्योलर्ष ई-ऩत्रिका को मुफ्र्
डाउनऱोड करने कीसेवा बंद कर रहे हैं ।
जीके प्रीलमयम सदस्यर्ा प्राप्त करें ।
Get a GK Premium
Membership
Only Rs.590 (All Tax included)
और हमारी गुरुत्व ज्योलर्ष ई-ऩत्रिका के आज र्क प्रकालिर् सभी अंको
को सदस्यर्ा की समय अवलध के दौरान सरऱर्ा से डाउनऱोड करने की
अनुमलर् प्राप्त कर सकर्े हैं । हम जीके प्रीलमयम सदस्य ऩत्रिका के साथ
हम अन्य त्रवलभन्न कई प्रकार के असीलमर् ऱाभ प्रदान कर रहे हैं ।
गुरुत्व ज्योलर्ष ई-ऩत्रिका के सभी संस्करणों को सरऱर्ा से डाउनऱोड
करने की अनुमलर् प्राप्त कर सकर्े हैं ।
अलधक जानकारी हे र्ु संऩका करें ।
GURUTVA KARYALAY
92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA, BHUBNESWAR-
751018, (ODISHA)
Call us: 91 + 9338213418, 91+ 9238328785
Mail Us: gurutva.karyalay@gmail.com, gurutva_karyalay@yahoo.in,
Visit Us: www.gurutvakaryalay.com | www.gurutvakaryalay.in
हम अब बेनामी उऩयोगकर्ााओं के लऱए गुरुत्व
ज्योलर्ष ई-ऩत्रिका को मुफ्र् डाउनऱोड
करने की सेवा बंद कर रहे हैं ।
डाउनऱोड करने के लऱए

जीके प्रीलमयम सदस्यर्ा प्राप्त करें ।


Get a GK Premium
Membership
Subscribe
Subscriptions Extra GK Gift Price In India
Period Bonus Card (All Tax included)
Quarterly +1 Month Free
Rs.99* 399
(3 Months) Bonus
Half Yearly +3 Month Free
Rs.149* 699
(6 Months) Bonus
Yearly
- Rs.199* 799
(12 Months)
* GK Gift Card Redeem on Our Website Only |
अलधक जानकारी हे र्ु संऩका करें ।

GURUTVA KARYALAY
92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA, BHUBNESWAR-
751018, (ODISHA)
Call us: 91 + 9338213418, 91+ 9238328785
Mail Us: gurutva.karyalay@gmail.com, gurutva_karyalay@yahoo.in,
Visit Us: www.gurutvakaryalay.com | www.gurutvakaryalay.in
FREE
E CIRCULAR
गुरुत्ल ज्मोसतऴ ऩत्रिका
गुरुत्ल ज्मोसतऴ भासवक ई-ऩत्रिका
अप्रैर-2015
वॊ ऩादक भं रेखन शे तु फ्रीराॊव (स्लतॊि)
सचॊतन जोळी
वॊ ऩका
गुरुत्ल ज्मोसतऴ त्रलबाग
रेखकं का स्लागत शं ... 
गुरुत्ल कामाारम
92/3. BANK COLONY,
BRAHMESHWAR PATNA,
गुरुत्ल ज्मोसतऴ भासवक ई-ऩत्रिका भं
आऩके द्राया सरखे गमे भॊि, मॊि,
BHUBNESWAR-751018,
(ORISSA) INDIA
पोन
91+9338213418, तॊि, ज्मोसतऴ, अॊक ज्मोसतऴ, लास्तु,
पंगळुई, टै यं, ये की एलॊ अन्म
91+9238328785,
ईभे र
gurutva.karyalay@gmail.com,
gurutva_karyalay@yahoo.in, आध्मात्त्भक सान लधाक रेख को
लेफ
www.gurutvakaryalay.com प्रकासळत कयने शे तु बेज वकते शं ।
http://gk.yolasite.com/
www.gurutvakaryalay.blogspot.com/
ऩत्रिका प्रस्तुसत
असधक जानकायी शे तु वॊऩका कयं ।
सचॊ तन जोळी,
स्लत्स्तक.ऎन.जोळी GURUTVA KARYALAY
पोटो ग्राफपक्व BHUBNESWAR-751018, (ORISSA) INDIA
सचॊ तन जोळी, स्लत्स्तक आटा
Call Us: 91 + 9338213418,
शभाये भु ख्म वशमोगी
91 + 9238328785
Email Us:- gurutva_karyalay@yahoo.in,
स्लत्स्तक.ऎन.जोळी (स्लत्स्तक
gurutva.karyalay@gmail.com
वोफ्टे क इत्न्डमा सर)
अनु क्र भ
शनुभान चारीवा औय फजयॊ ग फाण का चभत्काय 7 राङ्गूरास्त्र ळिुज्जम शनुभत ् स्तोि 42
वयर उऩामं वे काभना ऩूसता 8 ॥ श्री आज्ज्ने म अद्शोत्तयळत नाभालसर् ॥ 44
वयर त्रलसध-त्रलधान वे शनुभानजी की ऩूजा 9 भन्दात्भकॊ भारुसतस्तोिभ ् 45
ऩॊचभुखी शनुभान का ऩूजन उत्तभ परदामी शं 11 || श्री शनुभत ् स्तलन || 45
शनुभान जी को सवॊदयू क्मं अत्मासधक त्रप्रम शं ? 12 || वॊकट भोचन शनुभानाद्शक || 46
शनुभानजी के ऩूजन वे कामासवत्रि 13 शनुभत्ऩञ्रत्न स्तोिभ ् 46
शनुभान फाशुक क ऩाठ योग ल कद्श दयू कयता शं 15 ॥ भारुसतस्तोिभ ् ॥ 47
जफ शनुभानजी ने वूमा को पर वभझा! 20 ॥श्रीशनुभन्नभस्काय् ॥ 47
नटखट फारशनुभान 21 श्री शनुभान वशस्त्रनभालसर् 48
भॊिजाऩ वे ळास्त्रसान 22 ॥ रान्गूरोऩसनऴत ्॥ 57
भॊि सवि लाशन दघ
ु ाटना नाळक भारुसत मॊि 23 ॥ श्रीशनुभत्प्रळॊवनभ ् ॥ 59
शनुभान भॊि वे बम सनलायण 24 ॥ शनुभद्राडलानरस्तोिभ ् ॥ 60
|| शनुभान आयती || 24 ॥ श्री शनुभान वशस्त्रनाभस्तोिभ ् ॥ 61
जफ शनुभान जी ने तोडा़ ळसनदे ल का घभॊड! 25 ॥ श्रीशनूभत्स्भयणभ ् ॥ 65
वला सवत्रिदामक शनुभान भन्ि 26 ॥आऩदि
ु ायक श्रीशनूभत्स्तोिभ ् ॥ 65
शनुभान आयाधना के प्रभुख सनमभ 28 ॥ श्रीशनुभद्रन्दनभ ् ॥ 66
स्लमॊप्रबा ने की याभदत
ू शनुभान की वशामता? 30 ॥श्रीशनुभद्धध्मानभ ् भाकाण्डे मऩुय ाणत्॥ 70
|| श्री शनुभान चारीवा || 31 ॥श्रीशनुभत्स्तोिभ ् व्मावतीथात्रलयसचतभ ् ॥70 70
॥ फजयॊ ग फाण ॥ 32 ॥श्रीशनुभत्स्तोिॊ त्रलबीऴणकृतभ ् ॥ 71
श्री एक भुखी शनुभत ् कलच 33 अषम तृसतमा (अखातीज 21-अप्रैर-2015) 72
श्री ऩच्चभुखी शनुभत्कलचभ ् 37 अप्रैर-2015 के प्रभुख व्रत-ऩला 74
श्री वद्ऱभुखी शनुभत ् कलचभ ् 39 लरुसथनी एकादळी 15 अप्रैर 2015 76
एकादळभुखी शनुभान कलच 41 भोफशनी एकादळी 29 अप्रैर 2015 77

स्थामी औय अन्म रे ख
वॊऩादकीम 4 दैसनक ळुब एलॊ अळुब वभम सान तासरका 101

अप्रैर 2015 भासवक ऩॊचाॊग 86 फदन के चौघफडमे 102

अप्रैर 2015 भासवक व्रत-ऩला- त्मौशाय 88 फदन फक शोया - वूमोदम वे वूमाास्त तक 103

अप्रैर 2015-त्रलळे ऴ मोग 101 ग्रश चरन अप्रैर-2015 104


त्रप्रम आत्त्भम

फॊधु/ फफशन

जम गुरुदे ल
आज शय व्मत्रि अऩने जीलन भे वबी बौसतक वुख वाधनो की प्रासद्ऱ के सरमे बौसतकता की दौड भे
बागते शुए फकवी न फकवी वभस्मा वे ग्रस्त शै। एलॊ व्मत्रि उव वभस्मा वे ग्रस्त शोकय जीलन भं शताळा औय
सनयाळा भं फॊध जाता शै।
व्मत्रि उव वभस्मा वे असत वयरता एलॊ वशजता वे भुत्रि तो चाशता शै ऩय मश वफ के वे शोगा? उव की
उसचत जानकायी के अबाल भं भुि शो नशीॊ ऩाते। औय उवे अऩने जीलन भं आगे गसतळीर शोने के सरए भागा प्राद्ऱ
नशीॊ शोता। एवे भे वबी प्रकाय के दख
ु एलॊ कद्शं को दयू कयने के सरमे अचुक औय उत्तभ उऩाम शै शनुभान चारीवा
औय फजयॊ ग फाण का ऩाठ…
क्मोफक लताभान मुग भं श्री शनुभानजी सळलजी के एक एवे अलताय शै जो असत ळीघ्र प्रवन्न शोते शै जो
अऩने बिो के वभस्त दख
ु ो को शयने भे वभथा शै। श्री शनुभानजी का नाभ स्भयण कयने भाि वे शी बिो के वाये
वॊकट दयू शो जाते शं। क्मोफक इनकी ऩूजा-अचाना असत वयर शै, इवी कायण श्री शनुभानजी जन वाधायण भे
अत्मॊत रोकत्रप्रम शै। इनके भॊफदय दे ळ-त्रलदे ळ वलि त्स्थत शं। अत् बिं को ऩशुॊचने भं अत्मासधक कफठनाई बी
नशीॊ आती शै। शनुभानजी को प्रवन्न कयना असत वयर शै
शनुभान चारीवा औय फजयॊ ग फाण के ऩाठ के भाध्मभ वे वाधायण व्मत्रि बी त्रफना फकवी त्रलळेऴ ऩूजा
अचाना वे अऩनी दै सनक फदनचमाा वे थोडा वा वभम सनकार रे तो उवकी वभस्त ऩये ळानी वे भुत्रि सभर जाती
शै।
इव लऴा 2015 भं शनु भ ान जमॊ त ी 4 अप्रैर , ळसनलाय को शं ।
लैव े तो शनुभानजी की ऩूजा शेत ु अनेको त्रलसध-त्रलधान प्रचरन भं शं ऩय मशा वाधायण व्मत्रि जो वॊऩण
ू ा
त्रलसध-त्रलधान वे शनुभानजी का ऩूजन नशीॊ कय वकते लश व्मत्रि वयर त्रलसध-त्रलधान वे कय वके इव उदे श्म वे इव
अॊक भं शभने वयर त्रलसध-त्रलधान वे शनुभानजी की ऩूजन त्रलसध दळााने का प्रमाव फकमा शं।
धभा ळास्त्रो त्रलधान वे शनुभानजी का ऩूजन औय वाधना त्रलसबन्न रुऩ वे फकमे जा वकते शं। शनुभानजी का
एकभुखी, ऩॊचभुखीऔय एकादळ भुखीस्लरूऩ के वाथ शनुभानजी का फार शनुभान, बि शनुभान, लीय शनुभान, दाव
शनुभान, मोगी शनुभान आफद प्रसवि शै। फकॊ तु ळास्त्रं भं श्री शनुभान के ऐवे चभत्कारयक स्लरूऩ औय चरयि की
बत्रि का भशत्ल फतामा गमा शै,
भान्मता के अनुळाय ऩॊचभुखीशनुभान का अलताय बिं का कल्माण कयने के सरए शुला शं। शनुभान के ऩाॊच
भुख क्रभळ:ऩूल,ा ऩत्द्ळभ, उत्तय, दत्षण औय ऊधध्ल फदळा भं प्रसतत्रद्षत शं।
ऩॊचभुखीशनुभानजी का अलताय भागाळीऴा कृ ष्णाद्शभी को भाना जाता शं। रुद्र के अलताय शनुभान ऊजाा के
प्रतीक भाने जाते शं। इवकी आयाधना वे फर, कीसता, आयोग्म औय सनबॉकता फढती शै।
याभामण के अनुवाय श्री शनुभान का त्रलयाट स्लरूऩ ऩाॊच भुख ऩाॊच फदळाओॊ भं शं। शय रूऩ एक भुख लारा,
त्रिनेिधायी मासन तीन आॊखं औय दो बुजाओॊ लारा शै। मश ऩाॊच भुख नयसवॊश, गरुड, अद्व, लानय औय लयाश रूऩ शै।
शनुभान के ऩाॊच भुख क्रभळ:ऩूल,ा ऩत्द्ळभ, उत्तय, दत्षण औय ऊधध्ल फदळा भं प्रसतत्रद्षत भाने गएॊ शं।
ऩॊचभुख शनुभान के ऩूल ा की ओय का भुख लानय का शं। त्जवकी प्रबा कयोडं वूमो के तेज वभान शं। ऩूल ा
भुख लारे शनुभान का ऩूजन कयने वे वभस्त ळिुओॊ का नाळ शो जाता शै।
ऩत्द्ळभ फदळा लारा भुख गरुड का शं। जो बत्रिप्रद, वॊकट, त्रलघ्न-फाधा सनलायक भाने जाते शं। गरुड की तयश
शनुभानजी बी अजय-अभय भाने जाते शं।
शनुभानजी का उत्तय की ओय भुख ळूकय का शै। इनकी आयाधना कयने वे अऩाय धन-वम्ऩत्रत्त,ऐद्वमा, मळ,
फदधाामु प्रदान कयने लार ल उत्तभ स्लास््म दे ने भं वभथा शं। शनुभानजी का दत्षणभुखी स्लरूऩ बगलान नृसवॊश का
शै। जो बिं के बम, सचॊता, ऩये ळानी को दयू कयता शं।
श्री शनुभान का ऊधध्लभुख घोडे के वभान शं। शनुभानजी का मश स्लरुऩ मा जी ा जी की प्राथाना ऩय प्रकट शुआ
था। भान्मता शै फक शमग्रीलदै त्म का वॊशाय कयने के सरए ले अलतरयत शुए। कद्श भं ऩडे बिं को ले ळयण दे त े शं ।
ऐवे ऩाॊच भुशॊ लारे रुद्र कशराने लारे शनुभान फडे कृ ऩारु औय दमारु शं।
शनुभानजी के अनेको फदव्म चरयि फर, फुत्रि कभा, वभऩाण, बत्रि, सनद्षा, कताव्म ळीर जैव े आदळा गुणो वे मुि
शं। अत् श्री शनुभानजी के ऩूजन वे व्मत्रि भं बत्रि, धभा, गुण, ळुि त्रलचाय, भमाादा, फर , फुत्रि , वाशव इत्मादी गुणो
का बी त्रलकाव शो जाता शं।
त्रलद्रानो के भतानुळाय शनुभानजी के प्रसत दढ आस्था औय अटू ट त्रलद्वाव के वाथ ऩूणा बत्रि एलॊ वभऩाण की
बालना वे शनुभानजी के त्रलसबन्न स्लरूऩका अऩनी आलश्मकता के अनुळाय ऩूजन-अचान कय व्मत्रि अऩनी
वभस्माओॊ वे भुि शोकय जीलन भं वबी प्रकाय के वुख प्राद्ऱ कय वकता शं।
भनोकाभना की ऩूसता शेत ु कौन वी शनुभान प्रसतभा का ऩूजर कयना राबप्रद यशेगा। इव जानकायी वे
आऩको अलगत कयाने का प्रमाव फकमा जायशा शं।

इव अॊक भं प्रकासळत कलच वे वॊफॊसधत जानकायीमं के त्रलऴम भं वाधक एलॊ त्रलद्रान ऩाठको वे
अनुयोध शं , मफद दळाामे गए भॊि, श्रोक, मॊि, वाधना एलॊ उऩामं के राब, प्रबाल इत्मादी के वॊकरन,
प्रभाण ऩढ़ने, वॊऩादन भं, फडजाईन भं, टाईऩीॊग भं, त्रप्रॊफटॊ ग भं, प्रकाळन भं कोई िुफट यश गई शो, तो
उवे स्लमॊ वुधाय रं मा फकवी मोग्म ज्मोसतऴी, गुरु मा त्रलद्रान वे वराश त्रलभळा कय रे । क्मोफक
त्रलद्रान ज्मोसतऴी, गुरुजनो एलॊ वाधको के सनजी अनुबल त्रलसबन्न भॊि , द्ऴोक, मॊि, वाधना, उऩाम के
प्रबालं का लणान कयने भं बेद शोने ऩय काभना सवत्रि शे तु फक जाने लारी लारी ऩूजन त्रलसध एलॊ
उवके प्रबालं भं सबन्नता वॊबल शं ।

आऩका जीलन वु खभम, भॊ गरभम शो शनु भान जी की कृ ऩा आऩके ऩरयलाय ऩय फनी यशे । शनु भान
जी वे मशी प्राथना शं …
सचॊतन जोळी
6 अप्रैर-2015

***** शनुभान जमॊसत त्रलळेऴाॊक वे वॊफसॊ धत वूचना *****


 ऩत्रिका भं प्रकासळत शनुभान जमॊसत त्रलळेऴाॊक भं दे ली उऩावना वे वॊफसॊ धत रेख गुरुत्ल कामाारम के
असधकायं के वाथ शी आयत्षत शं।
 शनुभान जमॊसत त्रलळेऴाॊक भं लत्णात रेखं को नात्स्तक/अत्रलद्वावु व्मत्रि भाि ऩठन वाभग्री वभझ वकते
शं।
 दे ली उऩावना का त्रलऴम आध्मात्भ वे वॊफसॊ धत शोने के कायण बायसतम धभा ळास्त्रं वे प्रेरयत शोकय प्रस्तुत
फकमा शं।
 शनुभान जमॊसत त्रलळेऴाॊक वे वॊफसॊ धत त्रलऴमो फक वत्मता अथला प्राभात्णकता ऩय फकवी बी प्रकाय की
त्जन्भेदायी कामाारम मा वॊऩादक फक नशीॊ शं।
 शनुभान जमॊसत वे वॊफसॊ धत वबी जानकायीकी प्राभात्णकता एलॊ प्रबाल की त्जन्भेदायी कामाारम मा
वॊऩादक की नशीॊ शं औय ना शीॊ प्राभात्णकता एलॊ प्रबाल की त्जन्भेदायी के फाये भं जानकायी दे ने शेत ु
कामाारम मा वॊऩादक फकवी बी प्रकाय वे फाध्म शं।
 शनुभान जमॊसत त्रलळेऴाॊक वे वॊफसॊ धत रेखो भं ऩाठक का अऩना त्रलद्वाव शोना आलश्मक शं। फकवी बी
व्मत्रि त्रलळेऴ को फकवी बी प्रकाय वे इन त्रलऴमो भं त्रलद्वाव कयने ना कयने का अॊसतभ सनणाम स्लमॊ का
शोगा।
 शनुभान जमॊसत त्रलळेऴाॊक वे वॊफसॊ धत फकवी बी प्रकाय की आऩत्ती स्लीकामा नशीॊ शोगी।
 शनुभान जमॊसत त्रलळेऴाॊक वे वॊफसॊ धत रेख शभाये लऴो के अनुबल एलॊ अनुळध
ॊ ान के आधाय ऩय फदए गमे
शं। शभ फकवी बी व्मत्रि त्रलळेऴ द्राया प्रमोग फकमे जाने लारे शनुभान जमॊसत, भॊि- मॊि मा अन्म प्रमोग
मा उऩामोकी त्जन्भेदायी नफशॊ रेत े शं। मश त्जन्भेदायी शनुभान जमॊसत, भॊि-मॊि मा अन्म प्रमोग मा
उऩामोको कयने लारे व्मत्रि फक स्लमॊ फक शोगी।
 क्मोफक इन त्रलऴमो भं नैसतक भानदॊ डं, वाभात्जक, कानूनी सनमभं के त्खराप कोई व्मत्रि मफद नीजी
स्लाथा ऩूसता शेत ु प्रमोग कताा शं अथला प्रमोग के कयने भे िुफट शोने ऩय प्रसतकू र ऩरयणाभ वॊबल शं।
 शनुभान जमॊसत त्रलळेऴाॊक वे वॊफसॊ धत जानकायी को भाननने वे प्राद्ऱ शोने लारे राब, राब की शानी मा
शानी की त्जन्भेदायी कामाारम मा वॊऩादक की नशीॊ शं।
 शभाये द्राया ऩोस्ट फकमे गमे वबी दे ली उऩावना की जानकायी एलॊ भॊि-मॊि मा उऩाम शभने वैकडोफाय
स्लमॊ ऩय एलॊ अन्म शभाये फॊधुगण ऩय प्रमोग फकमे शं त्जस्वे शभे शय प्रमोग मा कलच, भॊि-मॊि मा
उऩामो द्राया सनत्द्ळत वपरता प्राद्ऱ शुई शं।

असधक जानकायी शेत ु आऩ कामाारम भं वॊऩका कय वकते शं।

(वबी त्रललादो के सरमे के लर बुलनेद्वय न्मामारम शी भान्म शोगा।)


7 अप्रैर-2015

शनुभान चारीवा औय फजयॊ ग फाण का चभत्काय


 सचॊतन जोळी
आज शय व्मत्रि अऩने जीलन भे वबी बौसतक “मश नातो वुसन वुनाइ फात शै ना फकवी फकताफ
वुख वाधनो की प्रासद्ऱ के सरमे बौसतकता की दौड भे भे सरखी फात शै , मश स्लमॊ शभाया सनजी एलॊ शभाये वाथ
बागते शुए फकवी न फकवी वभस्मा वे ग्रस्त शै । एलॊ जुडे रोगो के अनुबत शै । ”
व्मत्रि उव वभस्मा वे ग्रस्त शोकय जीलन भं शताळा औय
सनयाळा भं फॊध जाता शै । उऩमोगी जानकायी
व्मत्रि उव वभस्मा वे असत वयरता एलॊ वशजता शनुभान चारीवा औय फजयॊ ग फाण के सनमसभत ऩाठ वे

वे भुत्रि तो चाशता शै ऩय मश वफ केवे शोगा? उव की शनुभान जी की कृऩा प्राद्ऱ कयना चाशते शं उनके सरए

उसचत जानकायी के अबाल भं भुि शो नशीॊ ऩाते । औय प्रस्तुत शं कुछ उऩमोगी जानकायी ..

उवे अऩने जीलन भं आगे गसतळीर शोने के सरए भागा


 सनमसभत योज वुबश स्नान आफदवे सनलृत शोकय स्लच्छ
प्राद्ऱ नशीॊ शोता। एवे भे वबी प्रकाय के दख
ु एलॊ कद्शं को
कऩडे ऩशन कय शी ऩाठ का प्रायम्ब कये ।
दयू कयने के सरमे अचुक औय उत्तभ उऩाम शै शनुभान
 सनमसभत ऩाठ भं ळुिता एलॊ ऩत्रलिता असनलामा शै ।
चारीवा औय फजयॊ ग फाण का ऩाठ…
 शनुभान चारीवा औय फजयॊ ग फाण के ऩाठ कयते वभम

शनुभान चारीवा औय फजयॊ ग फाण शी क्मु ? धूऩ-दीऩ अलश्म रगामे इस्वे चभत्कायी एलॊ ळीघ्र प्रबाल

क्मोफक लताभान मुग भं श्री शनुभानजी सळलजी के प्राद्ऱ शोता शै ।

एक एवे अलताय शै जो असत ळीघ्र प्रवन्न शोते शै जो  दीऩ वॊबल न शोतो के लर ३ अगयफत्ती जराकय शी ऩाठ
कये ।
अऩने बिो के वभस्त दख
ु ो को शयने भे वभथा शै । श्री
 कुछ त्रलद्रानो के भत वे त्रफना धूऩ वे शनुभान चारीवा औय
शनुभानजी का नाभ स्भयण कयने भाि वे शी बिो के
फजयॊ ग फाण के ऩाठ प्रबाल फशन शोता शै ।
वाये वॊक ट दयू शो जाते शं । क्मोफक इनकी ऩूज ा-अचाना
 मफद वॊबल शो तो प्रवाद केलर ळुि घी का चढाए अन्म था
असत वयर शै , इवी कायण श्री शनुभानजी जन वाधायण भे
न चढाए
अत्मॊत रोकत्रप्रम शै । इनके भॊफदय दे ळ -त्रलदे ळ वलि त्स्थत  जशा तक वॊबल शो शनुभान जी का सवर्ा सचि (पोटो) यखे।
शं । अत् बिं को ऩशुॊचने भं अत्मासधक कफठनाई बी नशीॊ
 मफद घय भे अरग वे ऩूजा घय की व्मलस्था शो
आती शै । शनुभानजी को प्रवन्न कयना असत वयर शै तो लास्तुळास्त्र के फशवाफ वे भूसता यखना ळुब शोगा। नशी
शनुभान चारीवा औय फजयॊ ग फाण के ऩाठ के तो शनुभान जी का सवर्ा सचि (पोटो) यखे।
भाध्मभ वे वाधायण व्मत्रि बी त्रफना फकवी त्रलळे ऴ ऩूजा  मफद भूसता शो तो ज्मद फडी न शो एलॊ सभट्टी फक फनी नशी
अचाना वे अऩनी दैसनक फदनचमाा वे थोडा वा वभम यखे।
सनकार रे तो उवकी वभस्त ऩये ळानी वे भुत्रि सभर  भूसता यखना चाशे तो फे शतय शै सवर्ा फकवी धातु मा ऩत्थय

जाती शै । की फनी भूसता यखे।


Dear Reader…
You have reached a Limit that is available for Free viewing !

Now it's unavailable to Unauthorised or Unregistered User.


We hope Enjoyed the preview?

Now time to Get A GK Premium Membership For Full Access ..


>> See details for this Membership in the our Store.

(GK Premium Membership available for any 1 Edition or All Edition.)


9 अप्रैर-2015

वयर त्रलसध-त्रलधान वे शनुभानजी की ऩूजा


 सचॊतन जोळी
इव करमुग भं वलाासधक दे लता के रुऩ भं श्री याभबि
इवके ऩद्ळमात चालर औय पूर शनुभानजी को अत्रऩात कय
शनुभानजी की शी ऩूजा की जाती शं क्मंफक शनुभानजी
दं ।
को करमुग का जीलॊत अथाात वाषात दे लता भाना गमा
शं । धभा ळास्त्रं के अनुवाय शनुभानजी का जन्भ चैि भाव
आलाह्न:
की ऩूत्णाभा के फदन शुआ था। इव सरमे प्रसतलऴा चैि भाव
शाथ भं पू र रे क य इव भॊि का उच्चायण कयते शुए श्री
की ऩूत्णाभा का ऩला शनुभान जमॊती के रूऩ भं भनामा
शनुभानजी का आलाह्न कयं ।
जाता शै । लऴा 2015 भं शनु भान जमॊ त ी 4 अप्रै र , ळसनलाय
को शं । उद्यत्कोट्मका वॊकाळभ ् जगत्प्रषोबकायकभ ्।
श्रीयाभत्रघ्रध्मानसनद्षभ ् वुग्रीलप्रभुखासचातभ ्॥
लैवे तो शनुभानजी की ऩूजा शे तु अने को त्रलसध-त्रलधान
त्रलन्नावमन्तभ ् नादे न याषवान ् भारुसतभ ् बजे त ्॥
प्रचरन भं शं ऩय मशा वाधायण व्मत्रि जो वॊऩूणा त्रलसध-
त्रलधान वे शनुभानजी का ऩूजन नशीॊ कय वकते लश ॐ शनुभते नभ: आलाशनाथे ऩुष्ऩात्ण वभऩामासभ॥
व्मत्रि मफद इव त्रलसध-त्रलधान वे ऩूजन कये तो उन्शं बी इवके ऩद्ळमात पूरं को शनुभानजी को अत्रऩात कय दं ।
ऩूणा पर प्राद्ऱ शो वकता शं ।
आवन:
श्रीशनु भ ान ऩू ज न त्रलसध इव भॊि वे शनुभानजी का आवन अत्रऩा त कयं । आवन शे तु
कभर अथला गुराफ का पूर अत्रऩात कयं ।
शनुभानजी का ऩूजन कयते वभम वफवे ऩशरे ऊन के
आवन ऩय ऩूला फदळा की ओय भुख कयके फैठ जाएॊ। तद्ऱकाॊचनलणााबभ ् भुिाभत्णत्रलयात्जतभ ्।
शनुभानजी की छोटी प्रसतभा अथला सचि स्थात्रऩत कयं । अभरभ ् कभरभ ् फदव्मभावनभ ् प्रसतगृह्यताभ ्॥

इवके ऩद्ळात शाथ भं अषत (अथाात त्रफना टू टे चालर) आचभनी:


एलॊ पूर रे कय इव भॊि वे शनुभानजी का इवके ऩद्ळमात इन भॊिं का उच्चायण कयते शुए
शनुभानजी के वम्भुख बूसभ ऩय अथला फकवी फतान भं
ध्मान: तीन फाय जर छोड़ें।

अतुसरतफरधाभभ ् शे भळैराबदे शभ ् ॐ शनुभते नभ:, ऩाद्यभ ् वभऩामासभ॥


दनुजलनकृळानुभ ् सासननाभग्रगण्मभ ्। अध्र्मभ ् वभऩामासभ। आचभनीमभ ् वभऩामासभ॥
वकरगुणसनधानभ ् लानयाणाभधीळभ ्
यघुऩसतत्रप्रमबिभ ् लातजातभ ् नभासभ॥ स्नान:
इवके ऩद्ळमात शनुभानजी की भूसता को गॊगाजर अथला
ॐ शनुभते नभ: ध्मानाथे ऩुष्ऩात्ण वभाऩमासभ॥
ळुि जर वे स्नान कयलाएॊ तत्ऩद्ळात ऩॊचाभृत (घी, ळशद,
Dear Reader…
You have reached a Limit that is available for Free viewing !

Now it's unavailable to Unauthorised or Unregistered User.


We hope Enjoyed the preview?

Now time to Get A GK Premium Membership For Full Access ..


>> See details for this Membership in the our Store.

(GK Premium Membership available for any 1 Edition or All Edition.)


11 अप्रैर-2015

ऩॊचभुखी शनुभान का ऩूजन उत्तभ परदामी शं


 सचॊतन जोळी
ळास्त्रो त्रलधान वे शनुभानजी का ऩूजन औय शनुभानजी का उत्तय की ओय भुख ळूकय का शै ।
वाधना त्रलसबन्न रुऩ वे फकमे जा वकते शं । इनकी आयाधना कयने वे अऩाय धन-वम्ऩत्रत्त,ऐद्वमा, मळ,
शनुभानजी का एकभुखी, ऩॊचभुखीऔय एकादळ फदधाामु प्रदान कयने लार ल उत्तभ स्लास््म दे ने भं वभथा
भुखीस्लरूऩ के वाथ शनुभानजी का फार शनुभान, बि शं । शनुभानजी का दत्षणभुखी स्लरूऩ बगलान नृसवॊश का
शनुभान, लीय शनुभान, दाव शनुभान, मोगी शनुभान आफद शै । जो बिं के बम, सचॊता, ऩये ळानी को दयू कयता शं ।
प्रसवि शै । फकॊतु ळास्त्रं भं श्री शनुभान के ऐवे चभत्कारयक श्री शनुभान का ऊधध्लभुख घोडे के वभान शं ।
स्लरूऩ औय चरयि की बत्रि का भशत्ल फतामा गमा शै , शनुभानजी का मश स्लरुऩ मा जी ा जी की प्राथाना ऩय प्रकट
त्जववे बि को फे जोड़े ळत्रिमाॊ प्राद्ऱ शोती शै । श्री शनुभान शुआ था। भान्मता शै फक शमग्रीलदैत्म का वॊशाय कयने के
का मश रूऩ शै - ऩॊचभुखी शनुभान। सरए ले अलतरयत शुए। कद्श भं ऩडे बिं को ले ळयण दे ते
भान्मता के अनुळाय ऩॊचभुखीशनुभान का अलताय शं । ऐवे ऩाॊच भुॊश लारे रुद्र कशराने लारे शनुभान फडे
बिं का कल्माण कयने के सरए शुला शं । शनुभान के ऩाॊच कृऩारु औय दमारु शं ।
भुख क्रभळ:ऩूला, ऩत्द्ळभ, उत्तय, दत्षण औय ऊधध्ल फदळा भं शनु भतभशाकाव्म भं ऩॊचभुख ीशनुभान के फाये भं एक कथा शं ।
प्रसतत्रद्षत शं । एक फाय ऩाॊच भुॊश लारा एक बमानक याषव प्रकट शुआ।
ऩॊचभुखीशनुभानजी का अलताय भागाळीऴा कृष्णाद्शभी उवने तऩस्मा कयके मा जी ाजीवे लयदान ऩामा फक भे ये रूऩ
को भाना जाता शं । रुद्र के अलताय शनुभान ऊजाा के जैवा शी कोई व्मत्रि भुझे भाय वके। ऐवा लयदान प्राद्ऱ
प्रतीक भाने जाते शं । इवकी आयाधना वे फर, कीसता, कयके लश वभग्र रोक भं बमॊकय उत्ऩात भचाने रगा।
आयोग्म औय सनबॉकता फढती शै । वबी दे लताओॊ ने बगलान वे इव कद्श वे छुटकाया सभरने
याभामण के अनुवाय श्री शनुभान का त्रलयाट स्लरूऩ की प्राथाना की। तफ प्रबु की आसा ऩाकय शनुभानजी ने
ऩाॊच भुख ऩाॊच फदळाओॊ भं शं । शय रूऩ एक भुख लारा, लानय, नयसवॊश, गरुड, अद्व औय ळूकय का ऩॊचभुख स्लरूऩ
त्रिने िधायी मासन तीन आॊखं औय दो बुजाओॊ लारा शै । धायण फकमा। इव सरमे एवी भान्मता शै फक
मश ऩाॊच भुख नयसवॊश , गरुड, अद्व, लानय औय लयाश रूऩ ऩॊचभुखीशनुभान की ऩूजा-अचाना वे वबी दे लताओॊ की
शै । शनुभान के ऩाॊच भुख क्रभळ:ऩूला, ऩत्द्ळभ, उत्तय, दत्षण उऩावना के वभान पर सभरता शै । शनुभान के ऩाॊचं
औय ऊधध्ल फदळा भं प्रसतत्रद्षत भाने गएॊ शं । भुखं भं तीन-तीन वुॊदय आॊखं आध्मात्त्भक, आसधदैत्रलक तथा
ऩॊचभुख शनुभान के ऩूला की ओय का भुख लानय आसधबौसतक तीनं ताऩं को छुडाने लारी शं । मे भनुष्म के
का शं । त्जवकी प्रबा कयोडं वूमो के ते ज वभान शं । ऩूला वबी त्रलकायं को दयू कयने लारे भाने जाते शं । बि को
भुख लारे शनुभान का ऩूजन कयने वे वभस्त ळिुओॊ का ळिुओॊ का नाळ कयने लारे शनुभानजी का शभे ळा स्भयण
नाळ शो जाता शै । कयना चाफशए। त्रलद्रानो के भत वे ऩॊचभुखी शनुभानजी की
ऩत्द्ळभ फदळा लारा भुख गरुड का शं । जो बत्रिप्रद, उऩावना वे जाने -अनजाने फकए गए वबी फुये कभा एलॊ
वॊकट, त्रलघ्न-फाधा सनलायक भाने जाते शं । गरुड की तयश सचॊतन के दोऴं वे भुत्रि प्रदान कयने लारा शं । ऩाॊच भुख
शनुभानजी बी अजय-अभय भाने जाते शं । लारे शनुभानजी की प्रसतभा धासभाक औय तॊि ळास्त्रं भं बी
फशुत शी चभत्कारयक परदामी भानी गई शै ।
Dear Reader…
You have reached a Limit that is available for Free viewing !

Now it's unavailable to Unauthorised or Unregistered User.


We hope Enjoyed the preview?

Now time to Get A GK Premium Membership For Full Access ..


>> See details for this Membership in the our Store.

(GK Premium Membership available for any 1 Edition or All Edition.)


13 अप्रैर-2015

शनुभानजी के ऩूजन वे कामासवत्रि


 सचॊतन जोळी, स्लत्स्तक.ऎन.जोळी
फशन्द ू धभा भं श्री शनुभानजी प्रभुख दे ली-दे लताओ भं याभ बि शनुभान स्लरुऩ: याभ बत्रि भं भग्न शनुभानजी
वे एक प्रभुख दे ल शं । ळास्त्रोि भत के अनुळाय शनुभानजी को की उऩावना कयने वे जीलन के भशत्ल ऩूणा कामो भं आ यशे
रूद्र (सळल) अलताय शं । शनुभानजी का ऩूजन मुगो-मुगो वे वॊकटो एलॊ फाधाओॊ को दयू कयती शं एलॊ अऩने रक्ष्म को प्राद्ऱ
अनॊत कार वे शोता आमा शं । शनुभानजी को कसरमुग भं कयने शे तु आलश्मक एकाग्रता ल अटू ट रगन प्रदान कयने
प्रत्मष दे ल भानागमा शं । जो थोडे वे ऩूजन-अचान वे अऩने लारी शोती शै ।
बि ऩय प्रवन्न शो जाते शं औय अऩने बि की वबी प्रकाय के वॊ ज ीलनी ऩशाड़े सरमे शनु भ ान स्लरुऩ: वॊजीलनी ऩशाड़े
द्ु ख, कद्श, वॊकटो इत्मादी का नाळ शो कय उवकी यषा कयते उठामे शुए शनुभानजी की उऩावना कयने वे व्मत्रि को
शं । प्राणबम, वॊकट, योग इत्मादी शे तु राबप्रद भानी
शनुभानजी का फदव्म चरयि फर, गई शं । त्रलद्रानो के भत वे त्जव प्रकाय
फुत्रि कभा, वभऩाण, बत्रि, सनद्षा, कताव्म शनुभानजी ने रषभणजी के प्राण फचामे
ळीर जैवे आदळा गुणो वे मुि शं । अत् थे उवी प्रकाय शनुभानजी अऩने बिो के
श्री शनुभानजी के ऩूजन वे व्मत्रि भं प्राण की यषा कयते शं एलॊ अऩने बि
बत्रि, धभा, गुण, ळुि त्रलचाय, के फडे वे फडे वॊकटो को वॊत्जलनी
भमाादा, फर , फुत्रि, वाशव इत्मादी ऩशाड़े की तयश उठाने भं वभथा शं ।
गुणो का बी त्रलकाव शो जाता शं ।
ध्मान भग्न शनु भ ान स्लरुऩ:
त्रलद्रानो के भतानुळाय
शनुभानजी का ध्मान भग्न स्लरुऩ
शनुभानजी के प्रसत दढ आस्था औय
व्मत्रि को वाधना भं वपरता प्रदान
अटू ट त्रलद्वाव के वाथ ऩूणा बत्रि एलॊ
कयने लारा, मोग सवत्रि मा प्रदान कयने
वभऩाण की बालना वे शनुभानजी के
लारा भानागमा शं ।
त्रलसबन्न स्लरूऩका अऩनी आलश्मकता
के अनुळाय ऩूजन-अचान कय व्मत्रि
याभामणी शनु भ ान स्लरुऩ: याभामणी
अऩनी वभस्माओॊ वे भुि शोकय जीलन भं शनुभानजी का स्लरुऩ त्रलद्याथॉमो के सरमे

वबी प्रकाय के वुख प्राद्ऱ कय वकता शं । त्रलळे ऴ राब प्रद शोता शं । त्जव प्रकाय याभामण एक

भनोकाभना की ऩूसता शे तु कौन वी शनुभान प्रसतभा आदळा ग्रॊथ शं उवी प्रकाय शनुभानजी के याभामणी स्लरुऩ का

का ऩूजर कयना राबप्रद ऩूजन त्रलद्या अध्मन वे जुडे रोगो के सरमे राबप्रद शोता शं ।

यशे गा। इव जानकायी वे आऩको अलगत कयाने का प्रमाव


शनु भानजी का ऩलन ऩु ि स्लरुऩ: शनुभानजी का ऩलन
फकमा जायशा शं ।
शनुभानजी के प्रभुख स्लरुऩ इव प्रकाय शं । ऩुि स्लरुऩ के ऩूजन वे आकत्स्भक दघ
ु ाटना, लाशन इत्माफद
की वुय षा शे तु उत्तभ भाना गमा शं । शनुभानजी के उव स्लरुऩ
का ऩूजन कयने वे
Dear Reader…
You have reached a Limit that is available for Free viewing !

Now it's unavailable to Unauthorised or Unregistered User.


We hope Enjoyed the preview?

Now time to Get A GK Premium Membership For Full Access ..


>> See details for this Membership in the our Store.

(GK Premium Membership available for any 1 Edition or All Edition.)


15 अप्रैर-2015

शनुभान फाशुक क ऩाठ योग ल कद्श दयू कयता शं


 सचॊतन जोळी,
शनुभान फाशुक की यचना वॊत गोस्लाभी तुरवीदावजी ने यवना दवनानन । कत्रऩव केव कयकव रॊगयू , खर-दर-
अऩीन दाफशनी फाशु भं शुई अवह्य ऩीड़ेा के सनलायण के फर-बानन ॥ कश तुरसवदाव फव जावु उय भारुतवुत
सरए की थी। शनुभान फाशुक भं तुरवीदावजी ने भूय सत त्रलकट । वॊताऩ ऩाऩ ते फश ऩुरुऴ ऩफश वऩने शॉ ु नफशॊ
शनुभानजी की भफशभा का सचॊतन ल तुरवीदावजी के आलत सनकट ॥२॥
वलाअॊगो भं शो यशी ऩीड़ेा की सनलृसत की प्राथाना शै । झूर ना
शनुभान फाशुक सवि वॊत गोस्लाभी तुरवीदावजी के द्राया ऩञ्चभुख-छ्भुख बृग ु भुख्म बट अवुय वुय , वला वरय
त्रलयसचत सवि स्तोि शै । वभय वभयत्थ वूय ो । फाॊकुयो फीय त्रफरुदैत त्रफरुदालरी, फे द
शनुभान फाशुक का ऩाठ फकवी बी प्रकाय की आसध–व्मासध फॊदी फदत ऩैजऩूय ो ॥ जावु गुनगाथ यघुनाथ कश जावुफर,
जे वी ऩीड़ेा, बूत, ऩे त, त्रऩळाच, जे वी उऩासध तथा फकवी बी त्रफऩुर जर बरयत जग जरसध झूय ो ।
प्रकाय के ळिु द्राया फकमे शुए दद्श
ु सबचाय कभा की सनलृसत दल
ु न दर दभन को कौन तुरवीव शै , ऩलन को ऩूत
के सरए शनुभान फाशुक का सनमसभत ऩाठ तथा अनुद्षान यजऩूत रुयो ॥३॥
श्रेद्ष उऩाम शं । अनुद्षान के वभम एकाशाय अथला पराशाय
घनाषयी
कये । ऩूणा मा जी चमा आफद का ऩारन औय बूसभ ळमन कयं ।
बानुवं ऩढ़न शनुभान गए बानुभन, अनुभासन सववु के सर
शनुभानजी का ऩूज न औय शनुभान फाशुक के ऩाठ
फकमो पेय पायवो । ऩासछरे ऩगसन गभ गगन भगन भन,
का अनुद्षान 40 फदन तक कयने वे अबीद्श पर की सवत्रि
क्रभ को न भ्रभ कत्रऩ फारक त्रफशाय वो ॥ कौतुक त्रफरोफक
अथला योग, कद्श इत्माफद का सनलायण शो जाता शै ।
रोकऩार शरयशय त्रलसध, रोचनसन चकाचंधी सचत्तसन खफाय
नोट: जो व्मत्रि अनुद्षान कयने भं अवभथा शो लश
वो। फर कंधो फीय यव धीयज कै , वाशव कै , तुरवी वयीय
प्रसतफदन शनुभान फाशुक का श्रिा अनुळाय ऩाठ कयके बी
धये वफसन वाय वो ॥४॥
राब प्राद्ऱ कय वकते शं ।

बायत भं ऩायथ के यथ केथू कत्रऩयाज, गाज्मो वुसन


शनुभान फाशुक
कुरुयाज दर शर फर बो । कह्यो द्रोन बीऴभ वभीय वुत
छप्ऩम
भशाफीय, फीय-यव-फारय-सनसध जाको फर जर बो ॥ फानय
सवॊध ु तयन, सवम-वोच शयन, यत्रफ फार फयन तनु । बुज
वुबाम फार के सर बूसभ बानु रासग, परॉ ग पराॉग शूतं
त्रफवार, भूय सत कयार कारशु को कार जनु ॥ गशन-दशन-
घाफट नब तर बो । नाई-नाई-भाथ जोरय-जोरय शाथ जोधा
सनयदशन रॊक सन्वॊक , फॊक -बुल । जातुधान-फरलान भान-
जो शं , शनुभान दे खे जगजीलन को पर बो ॥५॥
भद-दलन ऩलनवुल ॥ कश तुरसवदाव वे लत वुरब वे लक
फशत वन्तत सनकट । गुन गनत, नभत, वुसभयत जऩत गो-ऩद ऩमोसध करय, शोसरका ज्मं राई रॊक , सनऩट
वभन वकर-वॊकट-त्रलकट ॥१॥
सन्वॊक ऩय ऩुय गर फर बो । द्रोन वो ऩशाय सरमो ख्मार
शी उखारय कय, कॊ दक
ु ज्मं कत्रऩ खेर फे र कै वो पर बो
स्लना-वैर-वॊकाव कोफट-यत्रल तरुन ते ज घन । उय त्रलवार
॥ वॊकट वभाज अवभॊजव बो याभ याज, काज जुग ऩूगसन
बुज दण्ड चण्ड नख-लज्रतन ॥ त्रऩॊग नमन, बृकुटी कयार
Dear Reader…
You have reached a Limit that is available for Free viewing !

Now it's unavailable to Unauthorised or Unregistered User.


We hope Enjoyed the preview?

Now time to Get A GK Premium Membership For Full Access ..


>> See details for this Membership in the our Store.

(GK Premium Membership available for any 1 Edition or All Edition.)


17 अप्रैर-2015

तुरवी को न चायो । दोऴ वुनामे तं आगेशॉ ु को शोसळमाय उथऩे थऩनसथय थऩे उथऩनशाय, केवयी कुभाय फर आऩनो
ह्वं शं भन तो फशम शायो ॥१६॥ वॊफारयमे ।
याभ के गुराभसन को काभ तरु याभदत
ू , भोवे दीन दफ
ू ये
ते ये थऩै उथऩै न भशे व, थऩै सथय को कत्रऩ जे उय घारे ।
को तफकमा सतशारयमे ॥ वाशे फ वभथा तो वं तुरवी के
ते ये सनफाजे गयीफ सनफाज त्रफयाजत फैरयन के उय वारे ॥ भाथे ऩय, वोऊ अऩयाध त्रफनु फीय, फाॉसध भारयमे । ऩोखयी
वॊकट वोच वफै तुरवी सरमे नाभ पटै भकयी के वे जारे त्रफवार फाॉशु, फसर, फारयचय ऩीय, भकयी ज्मं ऩकरय के फदन
। फूढ बमे फसर भे रयफशॊ फाय, फक शारय ऩये फशुतै नत ऩारे त्रफदारयमे ॥२२॥
॥१७॥
याभ को वने श, याभ वाशव रखन सवम, याभ की बगसत,
सवॊध ु तये फड़ेे फीय दरे खर, जाये शं रॊक वे फॊक भलावे । वोच वॊकट सनलारयमे । भुद भयकट योग फारयसनसध शे रय
तं यसन केशरय केशरय के त्रफदरे अरय कुॊजय छै र छलावे ॥
शाये , जील जाभलॊत को बयोवो ते य ो बारयमे ॥ कूफदमे कृऩार
तोवो वभत्थ वुवाशे फ वे ई वशै तुरवी दख
ु दोऴ दला वे । तुरवी वुप्रेभ ऩब्फमतं , वुथर वुफेर बारू फैफठ कै त्रलचारयमे
फानयफाज ! फढ़े खर खेचय, रीजत क्मं न रऩे फट रलावे
। भशाफीय फाॉकुये फयाकी फाॉश ऩीय क्मं न, रॊफकनी ज्मं
॥१८॥
रात घात शी भयोरय भारयमे ॥२३॥

अच्छ त्रलभदान कानन बासन दवानन आनन बा न सनशायो


रोक ऩयरोकशॉ ु सतरोक न त्रलरोफकमत, तोवे वभयथ चऴ
। फारयदनाद अकॊऩन कुॊबकयन वे कुञ्जय केशरय लायो ॥
चारयशॉ ू सनशारयमे । कभा, कार, रोकऩार, अग जग जीलजार,
याभ प्रताऩ शुतावन, कच्छ, त्रलऩच्छ, वभीय वभीय दर
ु ायो ।
नाथ शाथ वफ सनज भफशभा त्रफचारयमे ॥ खाव दाव यालयो,
ऩाऩ ते वाऩ ते ताऩ सतशॉ ू तं वदा तुरवी कश वो यखलायो
सनलाव ते य ो तावु उय, तुरवी वो, दे ल दख
ु ी दे त्खअत बारयमे
॥१९॥ । फात तरुभूर फाॉशूवूर कत्रऩकच्छु फे सर, उऩजी वके सर
कत्रऩ केसर शी उखारयमे ॥२४॥
घनाषयी
जानत जशान शनुभान को सनलाज्मो जन, भन अनुभासन
कयभ कयार कॊव बूसभऩार के बयोवे , फकी फक बसगनी
फसर फोर न त्रफवारयमे । वे ला जोग तुरवी कफशॉ ु कशा काशू तं कशा डयै गी । फड़ेी त्रफकयार फार घासतनी न जात
चूक ऩयी, वाशे फ वुबाल कत्रऩ वाफशफी वॊबारयमे ॥ अऩयाधी कफश, फाॉशू फर फारक छफीरे छोटे छयै गी ॥ आई शै फनाई
जासन कीजै वावसत वशव बात्न्त, भोदक भयै जो ताफश
फे ऴ आऩ शी त्रफचारय दे ख, ऩाऩ जाम वफ को गुनी के ऩारे
भाशुय न भारयमे । वाशवी वभीय के दर
ु ाये यघुफीय जू के , ऩयै गी । ऩूतना त्रऩवासचनी ज्मं कत्रऩ कान्श तुरवी की, फाॉश
फाॉश ऩीय भशाफीय फे सग शी सनलारयमे ॥२०॥ ऩीय भशाफीय ते ये भाये भयै गी ॥२५॥

फारक त्रफरोफक, फसर फायं तं आऩनो फकमो, दीनफन्धु दमा बार की फक कार की फक योऴ की त्रिदोऴ की शै , फे दन
कीन्शीॊ सनरुऩासध न्मारयमे । यालयो बयोवो तुरवी के ,
त्रफऴभ ऩाऩ ताऩ छर छाॉश की । कयभन कूट की फक जन्ि
यालयोई फर, आव यालयीमै दाव यालयो त्रलचारयमे ॥ फड़ेो भन्ि फूट की, ऩयाफश जाफश ऩात्रऩनी भरीन भन भाॉश की ॥
त्रफकयार कसर काको न त्रफशार फकमो, भाथे ऩगु फसर को
ऩैशफश वजाम, नत कशत फजाम तोफश, फाफयी न शोफश फासन
सनशारय वो सनफारयमे । केवयी फकवोय यनयोय फयजोय फीय,
जासन कत्रऩ नाॉश की । आन शनुभान की दशु ाई फरलान
फाॉश ऩीय याशु भातु ज्मं ऩछारय भारयमे ॥२१॥
की, वऩथ भशाफीय की जो यशै ऩीय फाॉश की ॥२६॥
Dear Reader…
You have reached a Limit that is available for Free viewing !

Now it's unavailable to Unauthorised or Unregistered User.


We hope Enjoyed the preview?

Now time to Get A GK Premium Membership For Full Access ..


>> See details for this Membership in the our Store.

(GK Premium Membership available for any 1 Edition or All Edition.)


19 अप्रैर-2015

घनाषयी अवन फवन शीन त्रफऴभ त्रफऴाद रीन, दे त्ख दीन दफ


ू यो कयै
कार की कयारता कयभ कफठनाई कीधौ, ऩाऩ के प्रबाल न शाम शाम को । तुरवी अनाथ वो वनाथ यघुनाथ
की वुबाम फाम फालये । फे दन कुबाॉसत वो वशी न जासत फकमो, फदमो पर वीर सवॊध ु आऩने वुबाम को ॥ नीच
यासत फदन, वोई फाॉश गशी जो गशी वभीय डाफये ॥ रामो मफश फीच ऩसत ऩाइ बरु शाईगो, त्रफशाइ प्रबु बजन फचन
तरु तुरवी सतशायो वो सनशारय फारय, वीॊसचमे भरीन बो भन काम को । ता तं तनु ऩे त्रऴमत घोय फयतोय सभव, पूफट
तमो शै सतशॉ ु तालये । बूतसन की आऩनी ऩयामे की कृऩा पूफट सनकवत रोन याभ याम को ॥४१॥
सनधान, जासनमत वफशी की यीसत याभ यालये ॥३७॥ जीओ जग जानकी जीलन को कशाइ जन, भरयफे को
ऩाॉम ऩीय ऩे ट ऩीय फाॉश ऩीय भुॊश ऩीय, जय जय वकर ऩीय फायानवी फारय वुय वरय को । तुरवी के दोशॉ ू शाथ भोदक
भई शै । दे ल बूत त्रऩतय कयभ खर कार ग्रश, भोफश ऩय शं ऐवे ठाॉऊ, जाके त्जमे भुमे वोच करयशं न ररय को ॥ भो
दलरय दभानक वी दई शै ॥ शं तो त्रफनु भोर के त्रफकानो को झूॉटो वाॉचो रोग याभ कौ कशत वफ, भे ये भन भान शै
फसर फाये शीतं , ओट याभ नाभ की रराट सरत्ख रई शै । न शय को न शरय को । बायी ऩीय दव
ु श वयीय तं त्रफशार
कॉ ु बज के फकॊकय त्रफकर फूढ़े गोखुय सन, शाम याभ याम ऐवी शोत, वोऊ यघुफीय त्रफनु वकै दयू करय को ॥४२॥
शार कशॉ ू बई शै ॥३८॥ वीताऩसत वाशे फ वशाम शनुभान सनत, फशत उऩदे ळ को
फाशुक वुफाशु नीच रीचय भयीच सभसर, भुॉश ऩीय के तुजा भशे व भानो गुरु कै । भानव फचन काम वयन सतशाये
कुयोग जातुधान शै । याभ नाभ जऩ जाग फकमो चशं ऩाॉम, तुम्शये बयोवे वुय भं न जाने वुय कै ॥ ब्मासध बूत
वानुयाग, कार कै वे दत
ू बूत कशा भे ये भान शै ॥ वुसभये जसनत उऩासध काशु खर की, वभासध की जै तुरवी को
वशाम याभ रखन आखय दौऊ, त्जनके वभूश वाके जागत जासन जन पुय कै । कत्रऩनाथ यघुनाथ बोरानाथ बूतनाथ,
जशान शै । तुरवी वॉ बारय ताडका वॉ शारय बारय बट, फे धे योग सवॊध ु क्मं न डारयमत गाम खुय कै ॥४३॥
फयगद वे फनाई फानलान शै ॥३९॥ कशं शनुभान वं वुजान याभ याम वं, कृऩासनधान वॊकय
फारऩने वूधे भन याभ वनभुख बमो, याभ नाभ रे त भाॉसग वं वालधान वुसनमे । शयऴ त्रलऴाद याग योऴ गुन दोऴ भई,
खात टू क टाक शं । ऩयमो रोक यीसत भं ऩुनीत प्रीसत याभ त्रफयची त्रफयञ्ची वफ दे त्खमत दसु नमे ॥ भामा जील कार के
याम, भोश फव फैठो तोरय तयफक तयाक शं ॥ खोटे खोटे कयभ के वुबाम के , कयै मा याभ फे द कशं वाॉची भन गुसनमे
आचयन आचयत अऩनामो, अॊजनी कुभाय वोध्मो याभऩासन । तुम्श तं कशा न शोम शा शा वो फुझम
ै े भोफशॊ , शं शॉ ू यशं
ऩाक शं । तुरवी गुवाॉई बमो बंडे फदन बूर गमो, ताको भौनशी लमो वो जासन रुसनमे ॥४४॥
पर ऩालत सनदान ऩरयऩाक शं ॥४०॥

भॊि सवि त्रलळेऴ दै ली मॊि वूसच


आद्य ळत्रि दुगाा फीवा मॊि (अॊ फाजी फीवा मॊि) वयस्लती मॊि खोफडमाय मॊि
वद्ऱवती भशामॊि (वॊऩूण ा फीज भॊि वफशत) नल दुगाा मॊि खोफडमाय फीवा मॊि
भशान ळत्रि दुगाा मॊि (अॊ फाजी मॊि) कारी मॊि अन्नऩूणाा ऩूजा मॊि
वॊ क ट भोसचनी कासरका सवत्रि मॊ ि श्भळान कारी ऩूजन मॊि एकाॊ षी श्रीपर मॊि
चाभुॊडा फीवा मॊि ( नलग्रश मुि) दत्षण कारी ऩूजन मॊि त्रिळूर फीवा मॊि
नलाणा फीवा मॊि फगरा भुख ी मॊि याज याजे द्वयी लाॊ छा कल्ऩरता मॊि
नलाणा मॊि (चाभुॊडा मॊि) फगरा भुख ी ऩूजन मॊि >> Shop Online | Order Now
GURUTVA KARYALAY Call us: 91 + 9338213418, 91+ 9238328785
Dear Reader…
You have reached a Limit that is available for Free viewing !

Now it's unavailable to Unauthorised or Unregistered User.


We hope Enjoyed the preview?

Now time to Get A GK Premium Membership For Full Access ..


>> See details for this Membership in the our Store.

(GK Premium Membership available for any 1 Edition or All Edition.)


21 अप्रैर-2015

नटखट फारशनुभान
 याकेळ ऩॊडा
शनुभान जी अऩनी फाल्मालस्था भं चॊचर औय नटखट एवी कृऩा कयो की त्जववे उवकी नटखटता भं ऩरयलतान
स्लबाल के थे। ले अऩनी ळत्रि प्रभाण कयने के सरए शाथी शो जामे ।
को उठाकय अऩनी ळत्रि का प्रदळा न कयते । खेर -खेर भं के वयी जी की फात वुनकय ऋत्रऴमं ने वोचा फक
फड़ेे-फड़ेे लृषं को बी जडभूर वे उखाडकय पंक दे ते अतूट शनुभानजी अऩनी ळत्रिमं को बूर जाएॊ तो एवी शयकतं
ळत्रि उनभं त्रलद्यभानथी औय खेर -खेर भं एक ऩलात वे फॊद शो जामे गी औय उनका फशत बी उवी भं वभामा शुआ
दव
ू ये ऩलात ऩय छराॊग रगा दे ते थे एवा कोई ऩलातीम शै । ऋत्रऴ जानते थे के मश फारक का श्री याभ के कामा के
सळखय नशीॊ था त्जव ऩय वे शनुभानजी ने छराॊग न वॊऩादन शे तु जन्भ शुआ शै । इव सरए भशत्रऴा बृग ु औय
रगाई शो। इव तयश शनुभान जी कई फाय ऋत्रऴ-भुसनमं भशत्रऴा अॊसगया के लॊळ भं उत्ऩन्न शुए ऋत्रऴ भुनीमं ने श्री
के आश्रभ भं ऩशॊु च कय नादान शयकतं कयते , त्जववे शनुभानजी को ळाऩ फदमा की लानयलीय आऩको अऩने फर
ऋत्रऴभुनीओॊ की तऩस्मा एलॊ व्रत बॊग शो जाते । लशॉ ऋत्रऴ- औय ते ज का ध्मान नशीॊ यशे गा। जफ कोई आऩकी कीसता
भुसनमं के कभडॊ र , आवन इत्मादी लस्तुओॊ को लृष ऩय औय फर का स्भयण कयामे गा तबी आऩ का फर फढ़े गा।
टाॉग दे ते इव प्रकाय त्रलसबन्न शयकतो वे उन्शं ऩये ळान एवे ळाऩ के कायण श्री शनुभानजी का फर एलॊ ते ज कभ
कयते थे। धीये -धीये आमु फढ़ने के वाथ-वाथ श्री शो गमा औय लश वौम्म स्लबाल के शो गमे । इव तयश
शनुभानजी की ळयायते औय बी फढ़ती चरी गई इव लजश अन्म ऋत्रऴबी प्रवन्न शुए।
वे उनके भाता-त्रऩता असधक सचॊसतत शोगए औय ऋत्रऴ के उवके फाद श्री शनुभानजी के उऩनमन वॊस्काय शुए। श्री
ऩाव ऩशॊु चे औय ऋत्रऴमं को शनुभानजी की नटखत शनुभानजी ने वभम के वाथ बगलान श्री वूमानायामण को
ळैतासनमा कशॉ वुनाई। शनुभानजी के त्रऩता केवयीने ऋत्रऴ- गुरु फनामा। इव तयश श्री शनुभानजी की फाल्मालस्था
भुसनमं वे कशा की शभं मश फारक कठोय तऩ के प्रबाल फशुत शी त्रलसळद्श एलॊ अदबूत यशी ।
वे प्राद्ऱ शुआ शं । आऩ उव ऩय अनुग्रश कयो औय उव ऩय
*****

Now Shop Our Exclusive Products Online @


www.gurutvakaryalay.com | www.gurutvakaryalay.in | www.shrigems.com
Our Store Location:
GURUTVA KARYALAY
92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA,BHUBNESWAR-751018,(ORISSA) INDIA
Call us: 91 + 9338213418, 91+ 9238328785
Mail Us: gurutva.karyalay@gmail.com, gurutva_karyalay@yahoo.in,
Dear Reader…
You have reached a Limit that is available for Free viewing !

Now it's unavailable to Unauthorised or Unregistered User.


We hope Enjoyed the preview?

Now time to Get A GK Premium Membership For Full Access ..


>> See details for this Membership in the our Store.

(GK Premium Membership available for any 1 Edition or All Edition.)


23 अप्रैर-2015

भॊि सवि लाशन दघ


ु ाटना नाळक भारुसत मॊि
ऩौयात्णक ग्रॊथो भं उल्रे ख शं की भशाबायत के मुि के वभम अजुान के यथ के अग्रबाग ऩय भारुसत ध्लज एलॊ
भारुसत मन्ि रगा शुआ था। इवी मॊि के प्रबाल के कायण वॊऩूणा मुि के दौयान शज़ायं-राखं प्रकाय के आग्ने म अस्त्र-
ळस्त्रं का प्रशाय शोने के फाद बी अजुान का यथ जया बी षसतग्रस्त नशीॊ शुआ। बगलान श्री कृष्ण भारुसत मॊि के इव
अद्भत
ु यशस्म को जानते थे फक त्जव यथ मा लाशन की यषा स्लमॊ श्री भारुसत नॊदन कयते शं, लश दघ
ु ाटनाग्रस्त कैवे शो
वकता शं । लश यथ मा लाशन तो लामुलेग वे , सनफाासधत रुऩ वे अऩने रक्ष्म ऩय त्रलजम ऩतका रशयाता शुआ ऩशॊु चेगा।
इवी सरमे श्री कृष्ण नं अजुान के यथ ऩय श्री भारुसत मॊि को अॊफकत कयलामा था।
त्जन रोगं के स्कूटय, काय, फव, ट्रक इत्माफद लाशन फाय-फाय दघ
ु ाटना ग्रस्त शो यशे शो!, अनालश्मक लाशन को
नुषान शो यशा शं! उन्शं शानी एलॊ दघ
ु ाटना वे यषा के उदे श्म वे अऩने लाशन ऩय भॊि सवि श्री भारुसत मॊि अलश्म
रगाना चाफशए। जो रोग ट्रान्स्ऩोफटंग (ऩरयलशन) के व्मलवाम वे जुडे शं उनको श्रीभारुसत मॊि को अऩने लाशन भं अलश्म
स्थात्रऩत कयना चाफशए, क्मोफक, इवी व्मलवाम वे जुडे वैकडं रोगं का अनुबल यशा शं की श्री भारुसत मॊि को स्थात्रऩत
कयने वे उनके लाशन असधक फदन तक अनालश्मक खचो वे एलॊ दघ
ु ाटनाओॊ वे वुय त्षत यशे शं । शभाया स्लमॊका एलॊ अन्म
त्रलद्रानो का अनुबल यशा शं , की त्जन रोगं ने श्री भारुसत मॊि अऩने लाशन ऩय रगामा शं , उन रोगं के लाशन फडी वे
फडी दघ
ु ाटनाओॊ वे वुयत्षत यशते शं । उनके लाशनो को कोई त्रलळे ऴ नुक्ळान इत्माफद नशीॊ शोता शं औय नाशीॊ अनालश्मक
रुऩ वे उवभं खयाफी आसत शं ।
लास्तु प्रमोग भं भारुसत मॊ ि : मश भारुसत नॊदन श्री शनुभान जी का मॊि शै । मफद कोई जभीन त्रफक नशीॊ यशी शो, मा उव
ऩय कोई लाद-त्रललाद शो, तो इच्छा के अनुरूऩ लशॉ जभीन उसचत भूल्म ऩय त्रफक जामे इव सरमे इव भारुसत मॊि का
प्रमोग फकमा जा वकता शं । इव भारुसत मॊि के प्रमोग वे जभीन ळीघ्र त्रफक जाएगी मा त्रललादभुि शो जाएगी। इव सरमे
मश मॊि दोशयी ळत्रि वे मुि शै । भारुसत मॊि के त्रलऴम भं असधक जानकायी के सरमे गुरुत्ल कामाारम भं वॊऩका कयं ।
भू ल् म Rs- 255 वे 10900 तक >> Shop Online | Order Now

भॊि सवि मॊि


गुरुत्ल कामाारम द्राया त्रलसबन्न प्रकाय के मॊि कोऩय ताम्र ऩि, सवरलय (चाॊदी) ओय गोल्ड (वोने ) भे त्रलसबन्न प्रकाय की वभस्मा के
अनुवाय फनला के भॊि सवि ऩूणा प्राणप्रसतत्रद्षत एलॊ चैतन्म मुि फकमे जाते शै . त्जवे वाधायण (जो ऩूजा-ऩाठ नशी जानते मा नशी
कवकते ) व्मत्रि त्रफना फकवी ऩूजा अचाना-त्रलसध त्रलधान त्रलळे ऴ राब प्राद्ऱ कय वकते शै . त्जव भे प्रसचन मॊिो वफशत शभाये लऴो के
अनुवॊधान द्राया फनाए गमे मॊि बी वभाफशत शै . इवके अरला आऩकी आलश्मकता अनुळाय मॊि फनलाए जाते शै . गुरुत्ल कामाारम
द्राया उऩरब्ध कयामे गमे वबी मॊि अखॊफडत एलॊ २२ गेज ळुि कोऩय (ताम्र ऩि)- 99.99 टच ळुि सवरलय (चाॊदी) एलॊ 22 के ये ट
गोल्ड (वोने ) भे फनलाए जाते शै . मॊि के त्रलऴम भे असधक जानकायी के सरमे शे तु वम्ऩका कये

GURUTVA KARYALAY
92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA,
BHUBNESWAR-751018, (ORISSA)
Call us: 91 + 9338213418, 91+ 9238328785
Mail Us: gurutva.karyalay@gmail.com, gurutva_karyalay@yahoo.in,
Dear Reader…
You have reached a Limit that is available for Free viewing !

Now it's unavailable to Unauthorised or Unregistered User.


We hope Enjoyed the preview?

Now time to Get A GK Premium Membership For Full Access ..


>> See details for this Membership in the our Store.

(GK Premium Membership available for any 1 Edition or All Edition.)


25 अप्रैर-2015

जफ शनुभान जी ने तोडा़ ळसनदे ल का घभॊड!


 सचॊतन जोळी, स्लत्स्तक.ऎन.जोळी
ळसन दे ल ऩय ते र चढामा जाता शं , इव वॊफॊध भं आनॊद याभामण भं एक कथा का उल्रे ख सभरता शं । जफ श्री
याभ की वे ना ने वागय वे तु फाॊध सरमा, तफ याषव इवे शासन न ऩशुॊचा वकं , उवके सरए ऩलन वुत शनुभान को उवकी
दे खबार की त्जम्भे दायी वौऩी गई। जफ शनुभान जी ळाभ के वभम अऩने इद्शदे ल याभ के ध्मान भं भग्न थे , तबी वूमा
ऩुि ळसन ने अऩना कारा कुरूऩ चेशया फनाकय क्रोधऩूणा कशा- शे लानय भं दे लताओ भं ळत्रिळारी ळसन शॉ ू । वुना शं , तुभ
फशुत फरळारी शो। आॉ खं खोरो औय भे ये वाथ मुि कयो, भं तुभवे मुि कयना चाशता शॉ ू । इव ऩय शनुभान ने
त्रलनम्रताऩूलाक कशा- इव वभम भं अऩने प्रबु को माद कय यशा शॊू । आऩ भे य ी ऩूजा भं त्रलध्न भत डासरए। आऩ भे ये
आदयणीम शै । कृऩा कयके आऩ मशा वे चरे जाइए।

जफ ळसन दे ल रड़ेने ऩय उतय आए, तो शनुभान जी ने अऩनी ऩूॊछ भं रऩे टना ळुरू कय फदमा। फपय उन्शे कवना
प्रायॊ ब कय फदमा जोय रगाने ऩय बी ळसन उव फॊधन वे भुि न शोकय ऩीड़ेा वे व्माकुर शोने रगे। शनुभान ने फपय वे तु
की ऩरयक्रभा कय ळसन के घभॊड को तोड़ेने के सरए ऩत्थयो ऩय ऩूॊछ को झटका दे -दे कय ऩटकना ळुरू कय फदमा। इववे
ळसन का ळयीय रशुरुशान शो गमा, त्जववे उनकी ऩीड़ेा फढ़ती गई। तफ ळसन दे ल ने शनुभान जी वे प्राथाना की फक भुझे
फधॊन भुि कय दीत्जए। भं अऩने अऩयाध की वजा ऩा चुक ा शॉ ू , फपय भुझवे ऐवी गरती नशी शोगी।

इव ऩय शनुभान जी फोरे -भं तुम्शे तबी छोडू ॊ गा, जफ तुभ भुझे लचन दोगे फक श्री याभ के बि को कबी ऩये ळान नशी
कयोगे। मफद तुभने ऐवा फकमा, तो भं तुम्शं कठोय दॊड दॊग
ू ा। ळसन ने सगड़ेसगड़ेाकय कशा -भं लचन दे ता शॊू फक कबी
बूरकय बी आऩके औय श्री याभ के बि की यासळ ऩय नशी आऊॉगा। आऩ भुझे छोड़े दं । तबी शनुभान जी ने ळसनदे ल को
छोड़े फदमा। फपय शनुभान जी वे ळसनदे ल ने अऩने घालो की ऩीड़ेा सभटाने के सरए ते र भाॊगा। शनुभान जी ने जो ते र
फदमा, उवे घाल ऩय रगाते शी ळसन दे ल की ऩीड़ेा सभट गई। उवी फदन वे ळसनदे ल को ते र चढ़ामा जाता शं , त्जववे उनकी
ऩीडा ळाॊत शो जाती शं औय ले प्रवन्न शो जाते शं ।

श्री शनुभान मॊि


ळास्त्रं भं उल्रे ख शं की श्री शनुभान जी को बगलान वूमादेल ने मा जी ा जी के आदे ळ ऩय शनुभान जी को अऩने ते ज का
वौलाॉ बाग प्रदान कयते शुए आळीलााद प्रदान फकमा था, फक भं शनुभान को वबी ळास्त्र का ऩूणा सान दॉ ग
ू ा। त्जववे मश
तीनोरोक भं वला श्रेद्ष लिा शंगे तथा ळास्त्र त्रलद्या भं इन्शं भशायत शासवर शोगी औय इनके वभन फरळारी औय कोई
नशीॊ शोगा। जानकायो ने भतानुळाय शनुभान मॊि की आयाधना वे ऩुरुऴं की त्रलसबन्न फीभारयमं दयू शोती शं , इव मॊि भं
अद्भत
ु ळत्रि वभाफशत शोने के कायण व्मत्रि की स्लप्न दोऴ, धातु योग, यि दोऴ, लीमा दोऴ, भूछाा, नऩुॊवकता इत्माफद अनेक
प्रकाय के दोऴो को दयू कयने भं अत्मन्त राबकायी शं । अथाात मश मॊि ऩौरुऴ को ऩुद्श कयता शं । श्री शनुभान मॊि व्मत्रि
को वॊकट, लाद-त्रललाद, बूत-प्रे त, द्यूत फक्रमा, त्रलऴबम, चोय बम, याज्म बम, भायण, वम्भोशन स्तॊबन इत्माफद वे वॊकटो वे
यषा कयता शं औय सवत्रि प्रदान कयने भं वषभ शं । श्री शनुभान मॊि के त्रलऴम भं असधक जानकायी के सरमे गुरुत्ल
कामाारम भं वॊऩका कयं । भू ल् म Rs- 730 वे 10900 तक >> Shop Online | Order Now
GURUTVA KARYALAY, Call Us – 91 + 9338213418, 91 + 9238328785
Dear Reader…
You have reached a Limit that is available for Free viewing !

Now it's unavailable to Unauthorised or Unregistered User.


We hope Enjoyed the preview?

Now time to Get A GK Premium Membership For Full Access ..


>> See details for this Membership in the our Store.

(GK Premium Membership available for any 1 Edition or All Edition.)


27 अप्रैर-2015

आभ के परं वे त्रलसधलत शलन कयं । शलन ऩूणा शोने ऩय 22 भारा भॊि:


मा जी चारयमं को बोजन कयाना चाफशए । इव वाधना वे
बगलान भशालीय प्रवन्न शोते शं औय आधक को सवत्रि प्रदान ॐ लज्र-काम लज्र तुण्ड कत्रऩर त्रऩॊगर ऊध्ला-केळ भशालीय
कयते शं । वुयि भुख तफडत्ज्जह्व भशा-यौद्र दॊद्सोत्कट कश कश कयासरने
ध्मान भॊि: भशा दृढ़ प्रशारयन रन्केद्वय लधाम भशा वे तु फॊध भशा ळैर
याभे द्शसभिभ ् जगदे कलीयभ ् प्रलॊगयाजे न्द्रकृत प्रणाभभ ् । प्रलाश गगने चय एह्ये फशॊ बगलन्भशा फर ऩयाक्रभ बैयलासाऩम
वुभेरु ळटन्गागभसचन्तमाभाद्यभ ् रृफद स्भे यशभ ् एह्ये फश भशायौद्र दीघा ऩुच्छे न ले द्शम लैरयणभ ् बन्जम बन्जम शॉु
शनुभन्तभीरमभ ् ।। पट् ।।

भशालीय भॊ ि : उदय व्मासधनाळक शनु भ न भॊ ि :


ॐ ह्रं शस्फ्रं ख्फ्रं शस्त्रं शस्ख्पं शवं शनुभते नभ्। भॊि:
ॐ मो मो शनुभन्त परपसरत धग्धसगत आमुयाऴ् ऩरुडाश ।
वला काभना ऩूयक शनुभान भारा भन्ि:
उि भन्ि के प्रसतफदन 11 फाय ऩाठ कयने वे , जफटर ऩे ट के

वला काभना ऩूयक शनुभान भारा भन्ि को ळुब भुशूता भं योग बी ळाॊत शो जाते शं ।

कुभकुभ अथला गोयोचन वे बोजऩि ऩय सरख कय त्रलधान के


श्री शनुभद् भॊि
वाथ ऩूजन कयके मन्ि अथाात तात्रलज भं यख कय धायण
इव भॊि का प्रसतफदन एक भार (108 फाय) जऩ कयने वे सवत्रि
कयने वे नज़य टोना-टोटका बूत-प्रे त आफद फाधाएॊ ळाॊत शो
प्राद्ऱ शोती शै -
जाती शं । इव भॊि का जऩ तथा शलन कयने वे बी ळाॊसत प्राद्ऱ
श्री शनुभद् भॊि:
शोती शं ।
ॐ एॊ ह्रीॊ शनुभते याभदत
ू ाम रॊका त्रलध्लॊवनऩामाॊनीगबावॊबूताम
शनुभान जी की भूसता मा सचि के वम्भुख इव भॊि के 51 ऩाठ
ळाफकनी डाफकनी त्रलध्लॊवनाम फकसर फकसर फुलुकये ण
कयं , इव भॊि को बोजऩि ऩय सरखकय ऩाव भं यखने वे
वाधक को वबी ळुब कामं भं वपरता सभरती शं ।
त्रलबीऴणाम शनुभद्दे लाम ॐ ह्रीॊ श्रीॊ ह्रं ह्राॊ पट् स्लाशा।

नलयत्न जफड़ेत श्री मॊि


ळास्त्र लचन के अनुवाय ळुि वुलणा मा यजत भं सनसभात श्री मॊि के चायं औय मफद नलयत्न जड़ेला ने ऩय मश नलयत्न
जफड़ेत श्री मॊि कशराता शं । वबी यत्नो को उवके सनत्द्ळत स्थान ऩय जड़े कय रॉकेट के रूऩ भं धायण कयने वे व्मत्रि
को अनॊत एद्वमा एलॊ रक्ष्भी की प्रासद्ऱ शोती शं । व्मत्रि को एवा आबाव शोता शं जैवे भाॊ रक्ष्भी उवके वाथ शं ।
नलग्रश को श्री मॊि के वाथ रगाने वे ग्रशं की अळुब दळा का धायण कयने लारे व्मत्रि ऩय प्रबाल नशीॊ शोता शं ।
गरे भं शोने के कायण मॊि ऩत्रलि यशता शं एलॊ स्नान कयते वभम इव मॊि ऩय स्ऩळा कय जो जर त्रफॊद ु ळयीय को
रगते शं , लश गॊगा जर के वभान ऩत्रलि शोता शं । इव सरमे इवे वफवे ते जस्ली एलॊ परदासम कशजाता शं । जैवे
अभृत वे उत्तभ कोई औऴसध नशीॊ, उवी प्रकाय रक्ष्भी प्रासद्ऱ के सरमे श्री मॊि वे उत्तभ कोई मॊि वॊवाय भं नशीॊ शं एवा
ळास्त्रोि लचन शं । इव प्रकाय के नलयत्न जफड़ेत श्री मॊि गुरूत्ल कामाारम द्राया ळुब भुशूता भं प्राण प्रसतत्रद्षत कयके
फनालाए जाते शं । Rs: 2800, 3250, 3700, 4600, 5500 वे 10,900 वे असधक >> Shop Online | Order Now
Dear Reader…
You have reached a Limit that is available for Free viewing !

Now it's unavailable to Unauthorised or Unregistered User.


We hope Enjoyed the preview?

Now time to Get A GK Premium Membership For Full Access ..


>> See details for this Membership in the our Store.

(GK Premium Membership available for any 1 Edition or All Edition.)


29 अप्रैर-2015

 शनुभान जी को रार, ऩीरे फड़ेे पूर अत्रऩात कयने  जानकायो के भत वे शनुभाजी के भन्ि जऩ के सरए
चाफशए जैवे कभर, गंदे, वूमाभुखी के पूर अत्रऩात वात्त्लक कामा के सरए रुद्राष का प्रमोग उत्तभ शोता शं
कयने ऩय शनुभान जी ळीघ्र प्रवन्न शोते शं । शनुभान औय ऩयाक्रभी कामं मा ताभवी कामं के सरए भूॊगे की
जी को आॊकड़ेे (आॊक ) के पूर बी त्रप्रम शं , इव सरए भारा उत्तभ परदामक शोती शं ।
कई जगश शनुभानजी को आॊकड़ेे (आॊक ) के पूर  शनुभान जी की आयाधना ऩूणा आस्था, श्रिा औय वे ला
अत्रऩात फकमे जाते शं । बाल वे कयनी चाफशए।
 ऩूजन भं नैलेद्य के रुऩ भं शनुभानजी को प्रात् भं गुड़े ,  शनुभान जी का फदन भॊगरलाय शै । इव फदन की जाने
नारयमर का गोरा औय रडू का प्रवाद अऩाण कयना लारी त्रलळे ऴ ऩूजा-अचाना, व्रत-उऩलाव मा वाधना बी
चाफशए, दोऩशय के वभम भं गुड़े , घी औय गेशूॊ की त्रलळे ऴ परप्रद शोती शं ।
योटी का चूयभा का प्रवाद अत्रऩात कयना चाफशए। यात्रि  भॊगरलाय के अराला ळसनलाय को बी शनुभान ऩूजा का
भं आभ, अभरूद, केरा आफद परं का प्रवाद अत्रऩात त्रलधान ळास्त्रं भं सभरता शं ।
कयने चाफशए।  शनुभान जी के ऩूजन वे ग्रशं का अळुब प्रबाल कभ
 शनुभान जी की फकवी वाधना त्रलळे ऴ मा व्रत-उऩलाव शो जाता शं ।
के दौयान मा जी चमा का अलश्म ऩारन कयना चाफशए।  इवसरए शनुभान वाधना कयने लारे वाधकं भं वूमा
 शनुभान जी को नैलेद्य भै अत्रऩात फकमा गमा प्रवाद तत्ल अथाात आत्भत्रलद्वाव, ओज, ते जत्स्लता आफद
बि को ग्रशण कयना चाफशए। त्रलळे ऴ रूऩ वे आ जाते शं । मश ते ज शी वाधकं को
 भॊि जऩ कयते वभम शनुभान जी की प्रसतभा मा सचि वाभान्म व्मत्रिमं वे अरग कयता शै ।
के वभष उनके ने िं की ओय दे खते शुए भॊिं के जऩ  शनुभान आयाधना के कुछ त्रलळे ऴ सनमभं का ऩारन
कयना अत्मॊत राबदामक शोता शं । कय के त्रलळे ऴ राब प्राद्ऱ शो वकते शं ।

दत्षणालसता ळॊ ख
आकाय रॊ फ ाई भं पाईन वु ऩ य पाईन स्ऩे ळर आकाय रॊ फ ाई भं पाईन वु ऩ य पाईन स्ऩे ळर
0.5" ईंच 180 230 280 4" to 4.5" ईंच 730 910 1050
1" to 1.5" ईंच 280 370 460 5" to 5.5" ईंच 1050 1250 1450
2" to 2.5" ईंच 370 460 640 6" to 6.5" ईंच 1250 1450 1900
3" to 3.5" ईंच 460 550 820 7" to 7.5" ईंच 1550 1850 2100

शभाये मशाॊ फड़ेे आकाय के फकभती ल भशॊगे ळॊख जो आधा रीटय ऩानी औय 1 रीटय ऩानी वभाने की षभता
लारे शोते शं। आऩके अनुरुध ऩय उऩरब्ध कयाएॊ जा वकते शं। >> Shop Online | Order Now
 स्ऩेळर गुणलत्ता लारा दत्षणालसता ळॊख ऩूयी तयश वे वपे द यॊ ग का शोता शं।
 वुऩय पाईन गुणलत्ता लारा दत्षणालसता ळॊख पीके वपे द यॊ ग का शोता शं।
 पाईन गुणलत्ता लारा दत्षणालसता ळॊख दं यॊ ग का शोता शं।

GURUTVA KARYALAY Call us: 91 + 9338213418, 91+ 9238328785


Mail Us: gurutva.karyalay@gmail.com, gurutva_karyalay@yahoo.in,
Visit Us: www.gurutvakaryalay.com | www.gurutvajyotish.com | www.gurutvakaryalay.blogspot.com
Dear Reader…
You have reached a Limit that is available for Free viewing !

Now it's unavailable to Unauthorised or Unregistered User.


We hope Enjoyed the preview?

Now time to Get A GK Premium Membership For Full Access ..


>> See details for this Membership in the our Store.

(GK Premium Membership available for any 1 Edition or All Edition.)


31 अप्रैर-2015

|| श्री शनुभान चारीवा ||


|| दोशा || यघुऩसत कीन्शी फशुत फड़ेाई। औय भनोयथ जो कोई रालै।
श्री गुरु चयन वयोज यज, तुभ भभ त्रप्रम बयतफश वभ बाई॥ ॥१२॥ वोइ असभत जीलन पर ऩालै॥ ॥२८॥
सनज भनु भुकुरु वुधारय। वशव फदन तुम्शयो जव गालं। चायं जुग ऩयताऩ तुम्शाया।
फयनऊॉ यघुफय त्रफभर जवु, अव कफश श्रीऩसत कॊठ रगालं॥ ॥१३॥ शै ऩयसवि जगत उत्जमाया॥ ॥२९॥
जो दामकु पर चारय॥ वनकाफदक मा जी ाफद भुनीवा। वाधु वॊत के तुभ यखलाये ।
फुत्रिशीन तनु जासनके , नायद वायद वफशत अशीवा॥ ॥१४॥ अवुय सनकॊ दन याभ दर
ु ाये ॥ ॥३०॥
वुसभयं ऩलन-कुभाय। जभ कुफे य फदगऩार जशाॉ ते । अद्श सवत्रि नौ सनसध के दाता।
फर फुत्रि त्रफद्या दे शु भोफशॊ , कत्रफ कोत्रफद कफश वके कशाॉ ते ॥ ॥१५॥ अव फय दीन जानकी भाता॥ ॥३१॥
शयशु करे व त्रफकाय॥ तुभ उऩकाय वुग्रीलफशॊ कीन्शा। याभ यवामन तुम्शये ऩावा।
|| चौऩाई || याभ सभराम याज ऩद दीन्शा॥ ॥१६॥ वदा यशो यघुऩसत के दावा॥ ॥३२॥
जम शनुभान सान गुन वागय। तुम्शयो भॊि त्रफबीऴन भाना। तुम्शये बजन याभ को ऩालै।
जम कऩीव सतशॉ ु रोक उजागय॥ ॥१॥ रॊकेस्लय बए वफ जग जाना॥ ॥१७॥ जनभ-जनभ के दख
ु त्रफवयालै॥ ॥३३॥
याभदत
ू अतुसरत फर धाभा। जुग वशस्र जोजन ऩय बानू। अन्तकार यघुफय ऩुय जाई।
अॊजसन-ऩुि ऩलनवुत नाभा॥ ॥२॥ रील्मो ताफश भधुय पर जानू॥ ॥१८॥ जशाॉ जन्भ शरय-बि कशाई॥ ॥३४॥
भशाफीय त्रफक्रभ फजयॊ गी। प्रबु भुफद्रका भे सर भुख भाशीॊ। औय दे लता सचत्त न धयई।
कुभसत सनलाय वुभसत के वॊगी॥ ॥३॥ जरसध राॉसघ गमे अचयज नाशीॊ॥ ॥१९॥ शनुभत वे इ वफा वुख कयई॥ ॥३५॥
कॊचन फयन त्रफयाज वुफेवा। दग
ु भ
ा काज जगत के जे ते। वॊकट कटै सभटै वफ ऩीया।
कानन कुॊडर कुॊसचत के वा॥ ॥४॥ वुगभ अनुग्रश तुम्शये ते ते॥ ॥२०॥ जो वुसभयै शनुभत फरफीया॥ ॥३६॥
शाथ फज्र औ ध्लजा त्रफयाजै। याभ दआ
ु ये तुभ यखलाये । जम जम जम शनुभान गोवाईं।
काॉधे भूॉज जने ऊ वाजै।। ॥५॥ शोत न आसा त्रफनु ऩैवाये ॥ ॥२१॥ कृ ऩा कयशु गुरुदे ल की नाईं॥ ॥३७॥
वॊकय वुलन केवयीनॊदन। वफ वुख रशै तुम्शायी वयना। जो वत फाय ऩाठ कय कोई।
ते ज प्रताऩ भशा जग फन्दन॥ ॥६॥ तुभ यषक काशू को डय ना॥ ॥२२॥ छूटफश फॊफद भशा वुख शोई॥ ॥३८॥
त्रलद्यालान गुनी असत चातुय । आऩन ते ज वम्शायो आऩै। जो मश ऩढ़ै शनुभान चारीवा।
याभ काज करयफे को आतुय ॥ ॥७॥ तीनं रोक शाॉक तं काॉऩै॥ ॥२३॥ शोम सवत्रि वाखी गौयीवा॥ ॥३९॥
प्रबु चरयि वुसनफे को यसवमा। बूत त्रऩवाच सनकट नफशॊ आलै। तुरवीदाव वदा शरय चेय ा।
याभ रखन वीता भन फसवमा॥ ॥८॥ भशाफीय जफ नाभ वुनालै॥ ॥२४॥ कीजै नाथ रृदम भॉ श डे या॥ ॥४०॥
वूक्ष्भ रूऩ धरय सवमफशॊ फदखाला। नावै योग शयै वफ ऩीया। || दोशा ||
त्रफकट रूऩ धरय रॊक जयाला॥ ॥९॥ जऩत सनयॊ तय शनुभत फीया॥ ॥२५॥ ऩलनतनम वॊकट शयन,
बीभ रूऩ धरय अवुय वॉ शाये । वॊकट तं शनुभान छुड़ेालै। भॊगर भूय सतरूऩ।
याभचॊद्र के काज वॉ लाये ॥ ॥१०॥ भन क्रभ फचन ध्मान जो रालै॥ ॥२६॥ याभ रखन वीता वफशत,
राम वजीलन रखन त्जमामे । वफ ऩय याभ तऩस्ली याजा। रृदम फवशु वुय बूऩ॥
श्रीयघुफीय शयत्रऴ उय रामे ॥ ॥११॥ सतन के काज वकर तुभ वाजा॥ ॥२७॥ || इसत श्री शनुभान चारीवा वम्ऩूणा ||
Dear Reader…
You have reached a Limit that is available for Free viewing !

Now it's unavailable to Unauthorised or Unregistered User.


We hope Enjoyed the preview?

Now time to Get A GK Premium Membership For Full Access ..


>> See details for this Membership in the our Store.

(GK Premium Membership available for any 1 Edition or All Edition.)


33 अप्रैर-2015

श्री एक भुखी शनुभत ् कलच


॥अथ एकभुखी शनुभान ् कलचभ ् ॥ ॐ ह्राॊ ह्रीॊ ह्रूॊ पट् । घे घे घे ॐ सळलसवत्रिॊ ॐ ह्राॊ ॐ ह्रीॊ
॥श्रीयाभदाव उलाच ॥ ॐ ह्रूॊ ॐ ह्रं ॐ ह्रं ॐ ह्र: स्लाशा । ऩय कृत मन्ि भन्ि
एकदा वुखभावीनॊ ळॊकयॊ रोकळॊकयभ ् । ऩयाशॊ काय बूत प्रे त त्रऩळाच दृत्रद्श वला त्रलघ्न दज
ु ान चेद्शा
प्रऩच्छ सगरयजाकाॊतॊ कऩूाय धलरॊ सळलभ ् ॥ कुत्रलद्या वलोग्रबमासन सनलायम सनलायम फन्ध फन्ध रुण्ठ
॥ऩालात्मुलाच ॥ रुण्ठ त्रलरुञ्च त्रलरुञ्च फकसर फकसर वलाकुमन्िात्ण दद्श
ु लाचॊ
बगलन ् दे लदे लेळ रोकनाथ जगत्प्रबो । ॐ शुॊ पट् स्लाशा ।
ळोकाकुरानाॊ रोकानाॊ केन यषा बले द् ध्रुलभ ् ॥ श्रिाऩूलाक प्राथाना कयने के उऩयाॊत शाथ की अॊजरी भं
वॊग्राभे वॊकटे घोये बूत प्रे ताफदके बमे । जर रे कय त्रलसनमोग कयते शुए जर को ऩृ्ली ऩय छोड़े
द:ु ख दालात्ग्न वॊतद्ऱ चेतवाॊ द:ु खबासगनाभ ् ॥ दं । तत्ऩद्ळात ् लामुऩुि का ध्मान कयते शुए वम्ऩूणा अॊगं
॥श्रीभशादे ल उलाच ॥ का न्माव कयं । प्रत्मे क अॊग को ध्मान कयते शुए स्ऩळा
श्रृणु दे त्रल प्रलक्ष्मासभ रोकानाॊ फशतकाम्ममा । कयं ।
त्रलबीऴणाम याभे ण प्रे म्णा दत्तॊ च मत्ऩुय ा ॥ त्रलसनमोग् ॐ अस्म श्रीशनुभत ् कलच स्तोि भन्िस्म
कलचॊ कत्रऩ नाथस्म लामु ऩुिस्म धीभत: । श्रीयाभचन्द्र ऋत्रऴ:, श्रीशनुभान ् ऩयभात्भा दे लता, अनुद्शुऩ ्
गुह्यॊ तत्ते प्रलक्ष्मासभ त्रलळे ऴाच्रणु वुॊदरय ॥ छॊ द:, भारुतात्भज इसत फीजभ ्, ॐ अॊजनीवूनुरयसत ळत्रि:,
उद्यदाफदत्म वॊकाळभुदाय बुज त्रलक्रभभ ् । रक्ष्भण प्राण दाते सत कीरकभ ् याभदत
ू ामे ती अस्त्रभ ्,
कॊदऩा कोफट रालण्मॊ वला त्रलद्या त्रलळायदभ ् ॥ शनुभानदे लता इसत कलचभ ्, त्रऩङ्गाषोऽसभतत्रलक्रभ इसत
श्रीयाभ रृदमानन्दॊ बि कल्ऩभशीरुशभ ् । भन्ि:, श्रीयाभचन्द्रप्रे य णमा याभचन्द्रप्रीत्मथं भभ
अबमॊ लयदॊ दोभ्मां करमे भारुतात्भजभ ् ॥ वकरकाभनासविमे जऩे त्रलसनमोग:।
शनुभानञ्जनीवूनुलाामुऩुिो भशाफर: । कयन्माव् ॐ ह्राॊ अञ्जनी वुताम अॊगद्ष
ु ाभ्माॊ नभ:। ॐ ह्रीॊ
याभे द्श: पाल्गुनवख: त्रऩङ्गाषोऽसभतत्रलक्रभ: ॥ रुद्र भूत्तम
ा े तजानीभ्माॊ नभ:। ॐ ह्रॊू याभ दत
ू ाम भध्मभाभ्माॊ
उदसधक्रभणद्ळैल वीताळोकत्रलनाळन: । नभ:। ॐ ह्रं लामु ऩुिाम अनासभकाभ्माॊ नभ:। ॐ अत्ग्न
रक्ष्भणप्राणदाता च दळग्रीलस्म दऩाशा ॥ गबााम कसनत्रद्षकाभ्माॊ नभ:। ॐ ह्र: मा जी ास्त्र सनलायणाम
एलॊ द्रादळ नाभासन कऩीन्द्रस्म भशात्भन: । कयतर कय ऩृद्षाभ्माॊ नभ:।
स्लल्ऩकारे प्रफोधे च मािाकारे च म: ऩठे त ् ॥ रृदमाफदन्माव् ॐ ह्राॊ अञ्जनीवुताम रृदमाम नभ:। ॐ ह्रीॊ
तस्म वलाबमॊ नात्स्त यणे च त्रलजमी बले त ् । रुद्रभूतामे सळयवे स्लाशा। ॐ ह्रूॊ याभदत
ू ाम सळखामै लऴट्।
याजद्राये गह्वये च बमॊ नात्स्त कदाचन ॥ ॐ ह्रं लामुऩुिाम कलचाम शुभ ्। ॐ ह्रं अत्ग्नगबााम
उल्रङ्घ्म सवन्धो: वसररॊ वरीरॊ म: ळोकलफह्नॊ ने ििमाम लौऴट्। ॐ ह्र: मा जी ास्त्रसनलायणाम अस्त्राम पट्।
जनकात्भजामा: । ॥ध्मानभ ् ॥
आदाम ते नैल ददाश रङ्काॊ नभासभ तॊ प्राञ्जसरयाञ्जने मभ ् ध्मामे द् फार फदलाकय द्युसत सनबॊ दे लारय दऩााऩशॊ दे लेन्द्र
॥ प्रभुख ॊ प्रळस्त मळवॊ दे दीप्मभानॊ रुचा ।
भॊि ॐ नभो शनुभते वला ग्रशान ् बूत बत्रलष्म द्रताभानान ् वुग्रीलाफद वभस्त लानय मुतॊ वुव्मि तत्त्ल त्रप्रमॊ वॊय िारुण
वभीऩ स्थान ् वला कार दद्श
ु फुिीनुच्चाटमोच्चाटम रोचनॊ ऩलनजॊ ऩीताम्फयारॊकृतभ ् ॥
ऩयफरान ् षोबम षोबम भभ वला कामाात्ण वाधम वाधम
Dear Reader…
You have reached a Limit that is available for Free viewing !

Now it's unavailable to Unauthorised or Unregistered User.


We hope Enjoyed the preview?

Now time to Get A GK Premium Membership For Full Access ..


>> See details for this Membership in the our Store.

(GK Premium Membership available for any 1 Edition or All Edition.)


35 अप्रैर-2015

भध्मयािे जरे त्स्थत्ला वद्ऱलायॊ ऩठे द्यफद । ऩद्मयागभत्णकुण्डरत्त्लऴा ऩाटरीकृतकऩोरभण्डरभ ् ।


षमाऽऩस्भाय कुद्षाफदताऩिम सनलायणभ ् ॥१७॥ फदव्मदे शकदरीलनान्तये बालमासभ ऩलभानन्दनभ ् ॥
अद्वत्थभूरेऽकालाये त्स्थत्ला ऩठसत म् ऩुभान ् । मि मि यघुनाथकीतानभ ् ति ति कृतभस्तकाञ्जसरभ ् ।
अचराॊ सश्रमभाप्नोसत वॊग्राभे त्रलजमॊ तथा ॥१८॥ लाष्ऩलारयऩरयऩूणारोलनॊ भारुसतॊ नभत याषवान्तकभ ् ॥
याभाग्रे शनुभदग्रे म् ऩठे च्च नय् वदा । भनोजलॊ भारुततुल्मले ग ॊ त्जते त्न्द्रमॊ फुत्रिभताॊ लरयद्षभ ् ।
सरत्खत्ला ऩूजमे द्यस्तु वलाि त्रलजमी बले त ् ॥१९॥ लातात्भजॊ लानयमूथभुख्मॊ श्रीयाभदत
ू ॊ सळयवा नभासभ ॥
म् कये धायमे त्न्नत्मॊ वलाान्काभानलाप्नुमात ् ॥२०॥ त्रललादे मुिकारे च द्युते याजकुरे यणे ।
फुत्रिफारॊ मळोलीमं सनबामत्लभयोगता । दळलायॊ ऩठे द्रािौ सभताशायो त्जते त्न्द्रम् ॥
वुदाढमं लाक्स्पुयत्लॊ च शनुभत्स्भयणाद्भले त ् ॥२१॥ त्रलजमॊ रबते रोके भानले ऴु नये ऴु च ।
भायणॊ लैरयणाॊ वद्य् ळयणॊ वलावम्ऩदाभ ् । बुते प्रे ते भशादग
ु ऽे यण्मे वागयवम्प्रले ॥
ळोकस्म शयणे दषॊ लन्दे तॊ यणदारुणभ ् ॥२२॥ सवॊशव्माघ्रबमे चोग्रे ळयळस्त्रास्त्रऩातने ।
सरत्खत्ला ऩूजमे द्यस्तु वलाि त्रलजमी बले त ् । श्रृङ्खराफन्धने चैल कायागृशाफदमॊिणे ॥
म् कये धायमे त्न्नत्मॊ व ऩुभान ् सश्रमभाप्नुमात ् ॥२३॥ कोऩस्तम्बे लफह्न चक्रे षे िे घोये वुदारुणे ।
त्स्थत्ला तु फन्धने मस्तु जऩॊ कायमसत फद्रजै् । ळोके भशायणे चैल मा जी ग्रश सनलायणे ॥
तत्षणान्भुत्रिभाप्नोसत सनगडात्तु तथैल च ॥२४॥ वलादा तु ऩठे त्न्नत्मॊ जमभाप्नोसत सनत्द्ळतभ ् ।
॥ईद्वय उलाच ॥ बूजे ला लवने यिे षौभे ला तारऩिके ॥
बात्रलन्द ू चयणायत्रलन्दमुगरॊ कौऩीनभौञ्जीधयॊ , काञ्ची त्रिगॊसधना ला भष्मा ला त्रलसरख्म धायमे न्नय् ।
श्रेत्णधयॊ दक
ु ू रलवनॊ मसोऩलीतात्जनभ ् । ऩॊचवद्ऱत्रिरोशै लाा गोत्रऩत् वलात् ळुबभ ् ॥
शस्ताभ्माॊ धृतऩुस्तकॊ च त्रलरविायालसरॊ कुण्डरॊ कये कट्माॊ फाशुभूरे कण्ठे सळयसव धारयतभ ् ।
मद्ळारॊत्रफसळखॊ प्रवन्नलदनॊ श्री लामुऩुि ॊ बजे त ् ॥ वलाान्काभान्लाप्नोसत वत्मॊ श्रीयाभबात्रऴतभ ् ॥
मो लायाॊसनसधभल्ऩऩल्लरसभलोल्रॊघ्म प्रताऩात्न्लतो अऩयात्जत नभस्ते ऽस्तु नभस्ते याभऩूत्जत ।
लैदेशीघनळोकताऩशयणो लैकुण्ठबत्रि त्रप्रम् । प्रस्थानञ्च करयष्मासभ सवत्रिबालतु भे वदा ॥
अषाद्यूत्जातयाषवे द्वयभशादऩााऩशायी यणे वोऽमॊ इत्मुक्त्ला मो व्रजे द् ग्राभ दे ळॊ तीथाान्तयॊ यणभ ् ।
लानयऩुॊगलोऽलतु वदा मोऽस्भान ् वभीयात्भज् ॥ आगसभष्मसत ळीघ्रॊ व क्ज़े भरुऩो गृशॊ ऩुन् ॥
लज्राॊग ॊ त्रऩङ्गने ि ॊ कनकभमरस्कुण्डराक्रान्तगण्डॊ इसत लदसत त्रलळे ऴाद्राघले याषवे न्द्र् प्रभुफदतलयसचत्तो
दॊबोसरस्तॊबवायप्रशयणवुलळीबूतयषोधीनाथभ ् । यालणस्मानुजो फश ।
उद्यल्राङ्गूरवद्ऱप्रचराचरधयॊ बीभभूसतं कऩीन्द्रॊ ध्मामन्तॊ यघुलयऩदऩद्मॊ लॊदमाभाव बूम् कुरवफशतकृताथा् ळभादॊ
याभचन्द्रॊ भ्रभयदृढकयॊ वत्त्लवायॊ प्रवन्नभ ् ॥ भन्मभानॊ ॥
लज्राङ्गॊ त्रऩङ्गने ि ॊ कनकभमरवत्कुण्डरै् ळोबनीमॊ तॊ ले दळास्त्रऩरयसनत्रद्षतळुिफुत्रिॊ ळभााम्फयॊ वुय भुनीन्द्रनुतॊ
वलााऩीठ्माफदनाथॊ कयतरत्रलधृतॊ ऩूणाकुम्बॊ दृढाङ्म ् । कऩीन्द्रभ ् ।
बिानासभद्शकायॊ त्रलदधसतच वदा वुप्रवन्नभ ् शयीळॊ िैरोक्मॊ कृष्णत्लचॊ क नकत्रऩङ्गजटाकराऩॊ व्मावॊ नभासभ सळयवा
िातुकाभॊ वकरबुत्रलगतॊ याभदत
ू ॊ नभासभ ॥ सतरकॊ भुनीनाभ ् ॥
लाभे कये लैयसबदॊ लशन्तॊ ळैरॊ ऩयॊ श्रृङ्खरशायकण्ठभ ् । म इदॊ प्रातरुत्थाम ऩठते कलचॊ वदा ।
दधानभाच्छाद्य वुलणालणं बजे ज्ज्लरकुण्डरभाञ्जने मभ ् ॥ आमुय ायोग्मवॊतानैस्ते भ्मस्तस्म स्तलो बले त ् ॥
Dear Reader…
You have reached a Limit that is available for Free viewing !

Now it's unavailable to Unauthorised or Unregistered User.


We hope Enjoyed the preview?

Now time to Get A GK Premium Membership For Full Access ..


>> See details for this Membership in the our Store.

(GK Premium Membership available for any 1 Edition or All Edition.)


37 अप्रैर-2015

श्री ऩच्चभुखी शनुभत्कलचभ ्


॥अथ श्रीऩच्चभुखी शनुभत्कलचभ ्॥ ॐ नभो बगलते ऩॊचलदनाम उत्तयभुखे आफद-लयाशाम
श्री गणे ळाम नभ्। वकरवम्ऩतकयाम स्लाशा ।
ईद्वय उलाच: ॐ नभो बगलते ऩॊचलदनाम ऊध्लाभुखे शमग्रीलाम
अथ ध्मानॊ प्रलक्ष्मासभ श्रृणु वलााङ्ग-वुन्दयी । मत्कृतॊ वकरजनलळीकयणाम स्लाशा ।
दे लदे लेसळ ध्मानॊ शनुभत् ऩयभ ् ॥१॥ ऩच्चलक्ि भशाबीभॊ ॥ अथ न्मावध्मानाफदकभ ् । दळाॊळ तऩाणॊ कुमाात ् ॥
त्रिऩच्चनमनैमुातभ ् । फाशुसबदाळसबमुािॊ वलाकाभाथा सवत्रिदभ ् त्रलसनमोग्- ॐ अस्म श्रीऩच्चभुखी-शनुभत ्-कलच-स्तोि-
॥२॥ ऩूलं तु लानयॊ लक्ि कोफटवूमावभप्रणभ ् । दॊद्साकयार भॊिस्म याभचन्द्र ऋत्रऴ्, अनुद्शुऩ छॊ द्, भभ वकर
लदनॊ भ्रकुटी कुफटरे षणभ ् ॥३॥ अस्मैल दत्षणॊ लक्िॊ बमत्रलनाळाथे जऩे त्रलसनमोग् ।
नायसवॊशॊ भशाद्भत
ु भ ् । अत्मुग्र ते जलऩुऴॊ बीऴणॊ बमनाळनभ ् ॐ शॊ शनुभासनसत फीजभ ्, ॐ लामुदेलता इसत ळत्रि्, ॐ
॥४॥ ऩत्द्ळभॊ गारुडॊ लक्िॊ लज्रतुण्डॊ भशाफरभ ् । अञ्जनीवूनुरयसत कीरकभ ्, श्रीयाभचन्द्रप्रवादसविमथं
वलानागप्रळभनॊ त्रलऴबुताफदकृतन्तनभ ् ॥५॥ शनुभत्कलच भन्ि जऩे त्रलसनमोग् ।
उत्तयॊ वौकय लक्िॊ कृष्णॊ दीद्ऱॊ नबोऩभभ ् । कय-न्माव्- ॐ शॊ शनुभान ् अङ्गुद्षाभ्माॊ नभ्, ॐ
ऩातारसवत्रिले तारज्लययोगाफद कृन्तनभ ् ॥६॥ ऊध्लं शमाननॊ लामुदेलता तजानीभ्माॊ नभ्, ॐ अञ्जनी-वुताम
घोयॊ दानलान्तकयॊ ऩयभ ् । खङ्ग त्रिळूर खट्लाङ्गॊ भध्मभाभ्माॊ नभ्, ॐ याभदत
ू ाम अनासभकाभ्माॊ नभ्, ॐ
ऩाळभॊकुळऩलातभ ् ॥७॥ भुत्रद्शद्रभ
ु गदासबत्न्दऩारसाने नवॊमुत भ ् श्री शनुभते कसनत्रद्षकाभ्माॊ नभ्, ॐ रुद्र-भूतामे कयतर-कय-
। एतान्मामुधजारासन धायमन्तॊ मजाभशे ॥८॥ ऩृद्षाभ्माॊ नभ् ।
प्रे तावनोऩत्रलद्शॊ त वलााबयणबूत्रऴतभ ् । फदव्मभाराम्फयधयॊ रृदमाफद-न्माव्- ॐ शॊ शनुभान ् रृदमाम नभ्, ॐ
फदव्मगन्धानुरेऩनभ ् ॥९॥ लामुदेलता सळयवे स्लाशा, ॐ अञ्जनी-वुताम सळखामै लऴट्,
वलााद्ळमाभमॊ दे लॊ शनुभफद्रद्वतोभुखभ ् ॥१०॥ ॐ याभदत
ू ाम कलचाम शुभ ्, ॐ श्री शनुभते ने ि-िमाम
ऩञ्चास्मभच्मुतभने क त्रलसचिलणं चक्रॊ वुळङ्खत्रलधृतॊ त्रलऴट्, ॐ रुद्र-भूतामे अस्त्राम पट् ।
कत्रऩयाजलमाभ ् । ऩीताम्फयाफदभुकुटैरुऩळोसबताङ्गॊ ध्मानभ ्:
त्रऩङ्गाषभाद्यभसनळॊ भनवा स्भयासभ ॥११॥ भकाटे ळॊ श्रीयाभचन्द्र-दत
ू ाम आञ्जने माम लामु-वुताम भशा-फराम
भशोत्वाशॊ वलाळोक-त्रलनाळनभ ् । ळिुॊ वॊशय भाॊ यष सश्रमॊ वीता-द्ु ख-सनलायणाम रङ्कोऩदशनाम भशाफर-प्रचण्डाम
दाऩमभे शरयभ ् ॥१२॥ शरयभकाटभकाटभन्िसभभॊ ऩरयसरख्मसत पाल्गुन-वखाम कोराशर-वकर-मा जी ाण्ड-त्रलद्वरुऩाम
बूसभतरे । मफद नश्मसत ळिु-कुरॊ मफद भुञ्चसत भुञ्चसत वद्ऱवभुद्रनीयारत्ङ्घताम त्रऩङ्रनमनासभत-त्रलक्रभाम वूमा-
लाभकय् ॥१३॥ त्रफम्फ-पर-वे लनाम दृत्रद्शसनयारङ्कृताम वञ्जीलनीनाॊ
ॐ शरयभकाटभकाटाम स्लाशा । नभो बगलते ऩच्चलदनाम सनयारङ्कृताम अङ्गद-रक्ष्भण-भशाकत्रऩ-वैन्म-प्राण-
ऩूलाकत्रऩभुखे वकरळिुवॊशायणाम स्लाशा । सनलााशकाम दळकण्ठत्रलध्लॊवनाम याभे द्शाम भशापाल्गुन -
ॐ नभो बगलते ऩॊचलदनाम दत्षणभुखे कयारलदनाम नय- वखाम वीता-वभे त-श्रीयाभचन्द्र-लय-प्रवादकाम ऴट्
सवॊशाम वकर बूत प्रे त प्रभथनाम स्लाशा । प्रमोगागभ ऩच्चभुखी शनुभन ् भन्ि जऩे त्रलसनमोग् ।
ॐ नभो बगलते ऩॊचलदनाम ऩत्द्ळभभुखे गरुडाम ॐ ह्रीॊ शरयभकाटाम लॊ लॊ लॊ लॊ लॊ लऴट् स्लाशा ।
वकरत्रलऴशयाम स्लाशा । ॐ ह्रीॊ शरयभकाटभकाटाम पॊ पॊ पॊ पॊ पॊ पट् स्लाशा ।
Dear Reader…
You have reached a Limit that is available for Free viewing !

Now it's unavailable to Unauthorised or Unregistered User.


We hope Enjoyed the preview?

Now time to Get A GK Premium Membership For Full Access ..


>> See details for this Membership in the our Store.

(GK Premium Membership available for any 1 Edition or All Edition.)


39 अप्रैर-2015

श्री वद्ऱभुखी शनुभत ् कलचभ ्


॥ अथ श्री वद्ऱभुखी शनुभत ् कलचभ ् ॥ (अथणाल यशस्मोि)
त्रलसनमोग् ॐ अस्म श्रीवद्ऱभुत्खलीयशनुभत्कलच स्तोि भन्िस्म नायद ऋत्रऴ्, अनुद्शुऩ छन्द्, श्रीवद्ऱभुत्खकत्रऩ् ऩयभात्भा
दे लता, ह्राॊ फीजभ ्, ह्रीॊ ळत्रि्, शॊू कीरकभ ्, भभ वलााबीद्शसविमथे जऩे त्रलसनमोग् ।
कयन्माव् ॐ ह्राॊ अॊगद्ष
ु ाभ्माॊ नभ्, ॐ ह्रीॊ तजानीभ्माॊ नभ्, ॐ ह्रॊू भध्मभाभ्माॊ नभ्, ॐ ह्रं अनासभकाभ्माॊ नभ्, ॐ ह्रं
कसनत्रद्षकाभ्माॊ नभ्, ॐ ह्र् कयतरकयऩृद्षाभ्माॊ नभ्।
रृदमाफदन्माव् ॐ ह्राॊ रृदमाम नभ्, ॐ ह्रीॊ सळयवे स्लाशा, ॐ ह्रॊू सळखामै लऴट्, ॐ ह्रै कलचाम शुभ ्, ॐ ह्रं ने ि िमाम
लोऴट्, ॐ ह्र् अस्त्राम पट् ।
ध्मान् लॊदे लानयसवॊश वऩारयऩुलायाशद्वगोभानुऴैमुािॊ वद्ऱभुख्ै कयै द्राभ
ु सगरयॊ चक्रॊ गदाॊ खेटकभ ् । खट्लाङ्गॊ शरभॊकुळॊ
पत्णवुधाकुम्बौ ळयाब्जाबमाञ्छूरॊ वद्ऱसळखॊ दधानभभयै ् वे व्मॊ कत्रऩॊ काभदभ ् ॥
॥ मा जी ोलाच ॥
वद्ऱळीष्णा् प्रलक्ष्मासभ कलचॊ वलासवत्रिदभ ् । जप्त्ला शनुभतो सनत्मॊ वलाऩाऩै् प्रभुच्मते ॥१॥
वद्ऱस्लगाऩसत् ऩामात्च्छखाॊ भे भारुतात्भज् । वद्ऱभूधाा सळयोऽव्मान्भे वद्ऱासचाबाारदे ळकभ ् ॥२॥
त्रि्वद्ऱने िो ने िेऽव्मात्वद्ऱस्लयगसत् श्रुती । नावाॊ वद्ऱऩदाथोव्मान्भुख ॊ वद्ऱभुखोऽलतु ॥३॥
वद्ऱत्जह्वस्तु यवनाॊ यदान्वद्ऱशमोऽलतु । वद्ऱच्छॊ दो शरय् ऩातु कण्ठॊ फाशूसगरयत्स्थत् ॥४॥
कयौ चतुदाळकयो बूधयोऽव्मान्भभाङ्गुरी् । वद्ऱत्रऴाध्मातो रृदमभुदयॊ कुत्षवागय् ॥५॥
वद्ऱद्रीऩऩसतत्द्ळतॊ वद्ऱव्मारृसतरुऩलान ् । कफटॊ भे वद्ऱवॊस्थाथादामक् वत्क्थनी भभ ॥६॥
वद्ऱग्रशस्लरुऩी भे जानुनी जॊघमोस्तथा । वद्ऱधान्मत्रप्रम् ऩादौ वद्ऱऩातारधायक् ॥७॥
ऩळून्धनॊ च धान्मॊ च रक्ष्भी रक्ष्भीप्रदोऽलतु । दायान ् ऩुिाॊद्ळ कन्माद्ळ कुटु म्फॊ त्रलद्वऩारक् ॥८॥
अनुयिस्थानभत्रऩ भे ऩामाद्रामुवुत् वदा ।
चौये भ्मो व्मारदॊत्रद्सभ्म् श्रृत्ङ्गभ्मो बूतया्षवात ् ॥९॥ दैत्मे भ्मोऽप्मथ मषे भ्मो मा जी याषवजाद्भमात ् । दॊद्साकयारलदनो
शनुभान्भाॊ वदाऽलतु ॥१०॥
ऩयळस्त्रभॊितॊिमॊिात्ग्नजरत्रलद्युत् । रुद्राॊळ् ळिुवॊग्राभात्वलाालस्थावु वलाबृत ् ॥११॥
ॐ नभो बगलते वद्ऱलदनाम आद्यकत्रऩभुखाम लीयशनुभते वलाळिुवॊशायणाम ठॊ ठॊ ठॊ ठॊ ठॊ ठॊ ठॊ ॐ नभ् स्लाशा ॥१२॥
ॐ नभो बगलते वद्ऱलदनाम फद्रतीमनायसवॊशास्माम अत्मुग्रते जोलऩुऴे बीऴणाम बमनाळनाम शॊ शॊ शॊ शॊ शॊ शॊ शॊ ॐ नभ्
स्लाशा ॥१३॥
ॐ नभो बगलते वद्ऱलदनाम तृतीमत्रलनाळनामलक्िाम लज्रदॊद्साम भशाफराम वलाय ोगत्रलनाळनाम भॊ भॊ भॊ भॊ भॊ भॊ भॊ ॐ
नभ् स्लाशा ॥१४॥
ॐ नभो बगलते वद्ऱलदनाम चतुथक्र
ा ोडतुण्डाम वौसभत्रियषकामऩुिाद्यसबलृत्रिकयाम रॊ रॊ रॊ रॊ रॊ रॊ रॊ ॐ नभ् स्लाशा ॥१५॥
ॐ नभो बगलते वद्ऱलदनाम ऩञ्चभाद्वलदनाम रुद्रभूत्तम
ा े वलालळीकयणाम वलासनगभस्लरुऩाम रुॊ रुॊ रुॊ रुॊ रुॊ रुॊ रुॊ ॐ नभ्
स्लाशा ॥१६॥
ॐ नभो बगलते वद्ऱलदनाम ऴद्षगोभुखाम वूमास्लरुऩाम वलाय ोगशयाम भुत्रिदािे ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ नभ् स्लाशा
॥१७॥
40 अप्रैर-2015

Dear Reader…
You have reached a Limit that is available for Free viewing !

Now it's unavailable to Unauthorised or Unregistered User.


We hope Enjoyed the preview?

Now time to Get A GK Premium Membership For Full Access ..


>> See details for this Membership in the our Store.

(GK Premium Membership available for any 1 Edition or All Edition.)

अभोद्य भशाभृत्मुॊजम कलच


अभोद्य् भशाभृत्मुॊ जम कलच ल उल्रे त्खत अन्म वाभग्रीमं को ळास्त्रोि त्रलसध-त्रलधान वे
त्रलद्रान मा ाजी णो द्राया वला राख भशाभृ त् मुॊ ज म भॊ ि जऩ एलॊ दळाॊळ शलन द्राया सनसभा त कलच
अत्मॊ त प्रबालळारी शोता शं ।

अभोद्य् भशाभृत्मुॊजम कलच


अभोद्य् भशाभृत्मुज
ॊ म
कलच फनलाने शे तु:
अऩना नाभ, त्रऩता-भाता का नाभ, कलच
गोि, एक नमा पोटो बेजे दत्षणा भाि: 10900

कलच के त्रलऴम भं असधक जानकायी शे तु गुरुत्ल कामाारम भं वॊ ऩका कयं । >> Order Now
GURUTVA KARYALAY
91+ 9338213418, 91+ 9238328785
Mail Us: gurutva.karyalay@gmail.com, gurutva_karyalay@yahoo.in,
Website: www.gurutvakaryalay.com | www.gurutvajyotish.com |
41 अप्रैर-2015

एकादळभुखी शनुभान कलच


॥ अथ श्री एकादळभुखी शनुभान कलचभ ् ॥
॥ श्रीगणे ळाम नभ: ॥ ॐ याॊ फीजलाच्मो रृदमॊ ऩातु भे कत्रऩनामक: । इसत
॥ रोऩाभुद्रोलाच ॥ कयतरकयऩृद्षाभ्माॊ नभ् ॥११॥
कुम्बोद्भलदमा सवन्धो श्रुतॊ शनुभॊत: ऩयभ ् । मॊिभॊिाफदकॊ ॐ लॊ फीजकीसतात: ऩातु फाशु भे चाञ्जनीवुत: ।
वलं त्लन्भुखोदीरयतॊ भमा ॥१॥ ॐ ह्राॊ फीजॊ याषवे न्द्रस्म दऩाशा ऩातु चोदयभ ् ॥१२॥
दमाॊ कुरु भसम प्राणनाथ ले फदतुभुत्वशे । कलचॊ लामुऩुिस्म वं फीजभमो भध्मॊ भे ऩातु रॊकात्रलदाशाक: ।
एकादळखात्भन: ॥२॥ ह्रीॊ फीजधयो गुह्यॊ भे ऩातु दे लेन्द्रलत्न्दत: ॥१३॥
इत्मे लॊ लचनॊ श्रुत्ला त्रप्रमामा: प्रश्रमात्न्लतभ ् । लिुॊ प्रचक्रभे यॊ फीजात्भा वदा ऩातु चोरू लासधारङ्घन: ।
ति रोऩाभुद्राॊ प्रसत प्रबु: ॥३॥ वुग्रील वसचल: ऩातु जानुनी भे भनोजल: ॥१४॥
॥ अगस्त उलाच ॥ आऩादभस्तकॊ ऩातु याभदत
ु ो भशाफर: ।
नभस्कृ त्ला याभदत
ू ॊ शनुभन्तॊ भशाभसतभ ् । मा जी प्रोिॊ तु ऩुले लानयलक्िो भाॊ चाग्ने य्माॊ षत्रिमान्तकृत ् ॥१५॥
कलचॊ श्रृणु वुन्दरय वादयात ् ॥४॥ दत्षणे नायसवॊशस्तु नैऋत्माॊ गणनामक: ।
वनन्दनाम वुभशच्चतुयाननबात्रऴतभ ् । कलचॊ काभदॊ फदव्मॊ लारुण्माॊ फदसळ भाभव्मात्खलक्िो शरयश्लय: ॥१६॥
यष्कुरसनफशा णभ ् ॥५॥ लामव्माॊ बैय लभुख: कौफमां ऩातु भाॊ वदा ।
वलावॊऩत्प्रदॊ ऩुण्मॊ भत्माानाॊ भधुय स्लये । ॐ अस्म क्रोडास्म: ऩातु भाॊ सनत्मभीळान्माॊ रुद्ररूऩधृक् ॥१७॥
श्रीकलचस्मैकादळलक्िस्म धीभत: ॥६॥ याभस्तु ऩातु भाॊ सनत्मॊ वौम्मरुऩी भशाबुज : ।
शनुभत्कलचभॊिस्म वनन्दन ऋत्रऴ: स्भृत: । प्रवन्नात्भा एकादळभुखस्मैतफदव्मॊ लै कीसतातॊ भमा ॥१८॥
शनुभाॊश्च दे लाताऽि प्रकीसतात् ॥७॥ यषोघ्नॊ काभदॊ वौम्मॊ वलावम्ऩफद्रधामकभ ् ।
छन्दोऽनुद्शुऩ ् वभाख्मातॊ फीजॊ लामुवुतस्तथा । भुख्माि ऩुिदॊ धनदॊ चोग्रॊ ळिुवम्ऩत्रत्तभदानभ ् ॥१९॥
प्राण: ळत्रिद्ळ त्रलसनमोग: प्रकसतात: ॥८॥ स्लगााऩलगादॊ फदव्मॊ सचत्न्तताथाप्रदॊ ळुबभ ् ।
वलाकाभाथासविमथा जऩ एलभुदीयमे त ् । एतत्कलचभसात्ला भॊिसवत्रिना जामते ॥२०॥
स्फ्रं फीजॊ ळत्रिधृक् ऩातु सळयो भे ऩलनात्भज: । चत्लारयॊ ळत्वशस्त्रात्ण ऩठे च्छुद्रात्भना नय: ।
इसत अङ्गुद्षाभ्माॊ नभ् । एकलायॊ ऩठे त्न्नत्मॊ कलचॊ सवत्रिदॊ भशत ् ॥२१॥
क्रं फीजात्भा नमनमो् ऩातु भाॊ लानये श् लय: ॥९॥ इसत फद्रलायॊ ला त्रिलायॊ ला ऩठन्नामुष्मभाप्नुमात ् ।
तजानीभ्माॊ नभ् । क्रभादे कादळादे लभालतानकृतात्वुधी: ॥२२॥
ॐ षॊ फीजरुऩी कणं भे वीताळोकत्रलनाळन: । इसत लऴाान्ते दळानॊ वाषाल्रबते नाि वॊळम: ।
भध्मभाभ्माॊ नभ् । मॊ मॊ सचन्तमते काभॊ तॊ तॊ प्राप्नोसत ऩुरुऴ: ॥२३॥
ॐ ग्रं फीजलाच्मो नावाॊ भे रक्ष्भणप्राणदामक: । इसत मा जी ोदीरयतभे तत्रि तलाग्रे कसथतॊ भशत ् ।
अनासभकाभ्माॊ नभ् ॥१०॥ इत्मे लभुक्त्ला कलचॊ भशत्रऴास्तूष्णीॊ फबूलेन्दभ
ु ुखीॊ सनयीक्ष्म ।
ॐ लॊ फीजाथाश्च कण्ठॊ भे अषमषमकायक: । इसत वॊरृद्शसचत्ताऽत्रऩ तदा तदीमऩादौ ननाभासतभुदा स्लबतुा:
कसनत्रद्षकाभ्माॊ नभ् । ॥२४॥
॥ इत्मगस्त्मवॊफशतामाभे कादळभुखशनुभत्कलचॊ वॊऩूणाभ ् ॥
42 अप्रैर-2015

राङ्गूरास्त्र ळिुज्जम शनुभत ् स्तोि


ॐ शनुभन्तभशालीय लामुतुल्मऩयाक्रभभ ् । ॐ ऐॊ श्रीॊ ह्वाॊ ह्वीॊ ह्वूॊ स्फ्रं ख्फ्रं ह्सस्त्रं ह्सस्ख्फ्रं ह्सवं
भभ कामााथभ
ा ागच्छ प्रणभात्ण भुशुभुाशु् ॥ रङ्काप्रावादबञ्जनाम अस्त्राम पट् ।
त्रलसनमोग् ॐ अस्म श्रीशनुभच्छिुञ्जमस्तोिभाराभन्िस्म ध्मान्
श्रीयाभचन्द्र ऋत्रऴ्, नानाच्छन्दाॊसव श्री भशालीयो शनुभान ् ध्मामे दच ् फारफदलाकय द्युतसनबॊ दे लारया दऩााऩशॊ दे लेन्द्रप्रभुख
दे लता भारुतात्भज इसत ह्सवं फीजभ ,् अञ्जनीवूनुरयसत ह्सफ्रं प्रळस्तमळवॊ दे दीप्मभानॊ रुचा ।
ळत्रि्, ॐ शा शा शा इसत कीरकभ ् श्री याभ बत्रि इसत ह्वाॊ वुग्रीलाफदवभस्तलानयमुतॊ वुव्मि तत्त्ल त्रप्रमॊ वॊय िारुण
प्राण्, श्रीयाभ रक्ष्भणानन्दकय इसत ह्वाॊ ह्वीॊ ह्वूॊ जील, रोचनॊ ऩलनजॊ ऩीताम्फयारॊकृतभ ् ॥
भभाऽयासतऩयाजम सनसभत्त ळिुञ्जम स्तोि भन्ि जऩे उद्यन्भाताण्ड कोफट प्रकटरुसचमुतॊ चारुलीयावनस्थॊ
त्रलसनमोग्। भौञ्जीमसोऩलीताबयणरुसचसळखॊ ळोसबतॊ कुॊडराङ्कभ ् ।
कयन्माव् बिानासभद्शदॊ तॊ प्रणतभुसनजनॊ ले दनादप्रभोदॊ ध्मामे द् दे लॊ
ॐ ऐॊ श्रीॊ ह्वाॊ ह्वीॊ ह्वूॊ स्फ्रं ख्फ्रं ह्सस्त्रं ह्सस्ख्फ्रं ह्सवं शनुभते त्रलधेमॊ प्रलगकुरऩसतॊ गोष्ऩदी बूतलासधाभ ् ॥
अॊगद्ष
ु ाभ्माॊ नभ् । लज्राङ्गॊ त्रऩङ्गकेळाढ्मॊ स्लणाकुण्डर भत्ण्डतभ ् ।
ॐ ऐॊ श्रीॊ ह्वाॊ ह्वीॊ ह्वॊू स्फ्रं ख्फ्रं ह्सस्त्रं ह्सस्ख्फ्रं ह्सवं याभदत
ू ाम सनगूढभुऩवङ्गम्म ऩायालायऩयाक्रभभ ् ॥
तजानीभ्माॊ नभ् । स्पफटकाबॊ स्लणाकात्न्तॊ फद्रबुजॊ च कृताञ्जसरभ ् ।
ॐ ऐॊ श्रीॊ ह्वाॊ ह्वीॊ ह्वॊू स्फ्रं ख्फ्रं ह्सस्त्रं ह्सस्ख्फ्रं ह्सवं रक्ष्भण कुण्डरद्रमवॊळोसबभुखाम्बोजॊ शरयॊ बजे ॥
प्राणदािे भध्मभाभ्माॊ नभ् । वव्मशस्ते गदामुिॊ लाभशस्ते कभण्डरुभ ् ।
ॐ ऐॊ श्रीॊ ह्वाॊ ह्वीॊ ह्वॊू स्फ्रं ख्फ्रं ह्सस्त्रं ह्सस्ख्फ्रं ह्सवं उद्यदत्षणदोदाण्डॊ शनुभन्तॊ त्रलसचन्तमे त ् ॥
अञ्जनीवूनले अनासभकाभ्माॊ नभ् । इव तयश वे श्रीशनुभानजी का ध्मान कयके “अये भल्र
ॐ ऐॊ श्रीॊ ह्वाॊ ह्वीॊ ह्वॊू स्फ्रं ख्फ्रं ह्सस्त्रं ह्सस्ख्फ्रं ह्सवं वीताळोक चटख” तथा “टोडय भल्र चटख” का उच्चायण कयके
त्रलनाळाम कसनत्रद्षकाभ्माॊ नभ् । शनुभानजी को „कत्रऩभुद्रा‟ प्रदसळात कयं ।
ॐ ऐॊ श्रीॊ ह्वाॊ ह्वीॊ ह्वूॊ स्फ्रं ख्फ्रं ह्सस्त्रं ह्सस्ख्फ्रं ह्सवं ॥ भारा भन्ि ॥
रङ्काप्रावादबञ्जनाम कयतरकयऩृद्षाभ्माॊ नभ् । “ॐ ऐॊ श्रीॊ ह्वाॊ ह्वीॊ ह्वूॊ स्फ्रं ख्फ्रं शस्ख्फ्रं ह्सवं नभो शनुभते
रृदमाफद न्माव् िैरोक्माक्रभण ऩयाक्रभण श्रीयाभबि भभ ऩयस्म च
ॐ ऐॊ श्रीॊ ह्वाॊ ह्वीॊ ह्वूॊ स्फ्रं ख्फ्रं ह्सस्त्रं ह्सस्ख्फ्रं ह्सवं शनुभते वलाळिून ् चतुलाणावम्बलान ् ऩुॊ स्त्री नऩुॊवकान ् बूत बत्रलष्मद्
रृदमाम नभ् । लताभानान ् दयू स्थ वभीऩस्थान ् नाना नाभघे मान ् नाना
ॐ ऐॊ श्रीॊ ह्वाॊ ह्वीॊ ह्वूॊ स्फ्रं ख्फ्रं ह्सस्त्रं ह्सस्ख्फ्रं ह्सवं याभदत
ू ाम वॊकय जासतमान ् करि ऩुि सभि बृत्म फन्धु वुरृत ्
सळयवे स्लाशा । वभे तान ् प्रबु ळत्रि वभे तान ् धन धान्माफद वम्ऩत्रत्त मुतान ्
ॐ ऐॊ श्रीॊ ह्वाॊ ह्वीॊ ह्वूॊ स्फ्रं ख्फ्रं ह्सस्त्रं ह्सस्ख्फ्रं ह्सवं रक्ष्भण यासो याजऩुि वयलकान ् भॊिी वसचल वखीन ् आत्मत्न्त
प्राणदािे सळखामै लऴट् । कान्षणे न त्लयमा एतफदनालसध नानोऩामैभााय म भायम
ॐ ऐॊ श्रीॊ ह्वाॊ ह्वीॊ ह्वूॊ स्फ्रं ख्फ्रं ह्सस्त्रं ह्सस्ख्फ्रं ह्सवं ळस्त्रे ण छे दम छे दम अत्ग्नना ज्लारम ज्लारम दाशम
अञ्जनीवूनले कलचाम शुभ ् । दाशम अषमकुभायलत ् ऩादताक्रभणे सळरातरे िोटम िोटम
ॐ ऐॊ श्रीॊ ह्वाॊ ह्वीॊ ह्वूॊ स्फ्रं ख्फ्रं ह्सस्त्रं ह्सस्ख्फ्रं ह्सवं वीताळोक घातम घातम फॊधम फॊधम भ्राभम भ्राभम
त्रलनाळाम ने ि िमाम लोऴट् । बमातुय ात्न्लवॊसान्वद्य् कु रु कु रु बस्भीबूतानुिर
ू म
43 अप्रैर-2015

बस्भीबूतानुिर
ू म बिजनलत्वर वीताळोकाऩशायक वलाि रोरल्राॊगर
ू ऩाते न भभाऽतयीन ् सनऩातम ॥८॥
भाभे नॊ च यष यष भशारुद्रालताय शाॊ शाॊ शुॊ शुॊ बूत वॊघै् ग्रस्ताऽळैजगत ् स्लास््म याषवाम्बोसधभन्दय ।
वश बषम बषम क्रुि चेतवा नखैत्रलादायम नखैत्रलादायम रोरल्राॊगर
ू ऩाते न भभाऽतयीन ् सनऩातम ॥९॥
दे ळादस्भादच्ु चाटम त्रऩळाचलद् भ्रॊळम भ्रॊळम घे घे शूॊ पट् ऩुच्छ गुच्छ स्पुयद्रीय जगद् दग्धारयऩत्तन ।
स्लाशा ॥१॥ रोरल्राॊगर
ू ऩाते न भभाऽतयीन ् सनऩातम ॥१०॥
ॐ नभो बगलते शनुभते भशाफरऩयाक्रभाम भशात्रलऩत्रत्त जगन्भनो दरु
ु ल्रॊघ्म ऩायालाय त्रलरॊघन ! ।
सनलायकाम बिजन भन्कल्ऩना कल्ऩद्रभ
ु ाम दद्श
ु जन रोरल्राॊगर
ू ऩाते न भभाऽतयीन ् सनऩातम ॥११॥
भनोयथ स्तम्बकाम प्रबञ्जन प्राणत्रप्रमाम स्लाशा ॥२॥ स्भृतभाि वभस्ते द्श ऩूय क ! प्रणत त्रप्रम ! ।
ध्मान् रोरल्राॊगर
ू ऩाते न भभाऽतयीन ् सनऩातम ॥१२॥
श्रीभन्तॊ शनुभन्तभात्तरयऩुसबद्भब
ू ृत्तरुभ्रात्जतॊ यात्रिञ्चय चभूय ासळकत्तानैकत्रलकत्तान ! ।
लल्गद्रारसधफिलैरयसनचमॊ चाभीकयाफद्रप्रबभ ् । रोरल्राॊगर
ू ऩाते न भभाऽतयीन ् सनऩातम ॥१३॥
योऴाद्रित्रऩळङ्ग ने ि नसरनॊ भ्रूभबङ्मङ्गस्पुयत ् प्रोद्यच्चण्ड जानकी जानकीजासन प्रे भ ऩाि ! ऩयॊ तऩ ! ।
भमूख भण्डर भुख ॊ द्ु खाऩशॊ द्ु त्खनाभ ् ॥१॥ रोरल्राॊगर
ू ऩाते न भभाऽतयीन ् सनऩातम ॥१४॥
कौऩीनॊ कफटवूिभंज्मत्जनमुग् दे शॊ त्रलदे शात्भजाप्राणाधीळ बीभाफदक भशालीय लीयले ळालतायक ! ।
ऩदायत्रलन्द सनयतॊ स्लान्तॊ कृतान्तॊ फद्रऴाभ ् । रोरल्राॊगर
ू ऩाते न भभाऽतयीन ् सनऩातम ॥१५॥
ध्मात्लैल वभयाङ्गणत्स्थतभथानीम स्लरृत्ऩङ्कजे लैदेशी त्रलयश क्रान्त याभयोऴैक त्रलग्रश ! ।
वॊऩूजनोित्रलसधना वॊप्राथामेत्प्रासथातभ ् ॥२॥ रोरल्राॊगर
ू ऩाते न भभाऽतयीन ् सनऩातम ॥१६॥
॥भूर ऩाठ॥ लज्राङ्नखदॊद्सेळ ! लत्ज्रलज्रालगुण्ठन ! ।
शनुभन्नञ्जनीवूनो ! भशाफरऩयाक्रभ ! । रोरल्राॊगर
ू ऩाते न भभाऽतयीन ् सनऩातम ॥१७॥
रोरल्राॊगर
ू ऩाते न भभाऽतयीन ् सनऩातम ॥१॥ अखला गला गॊधला ऩलातोद् बे दन स्लय् ! ।
भकाटासधऩ ! भाताण्ड भण्डर ग्राव कायक ! । रोरल्राॊगर
ू ऩाते न भभाऽतयीन ् सनऩातम ॥१८॥
रोरल्राॊगर
ू ऩाते न भभाऽतयीन ् सनऩातम ॥२॥ रक्ष्भण प्राण वॊिाण िात तीक्ष्ण कयान्लम ! ।
अषषऩणत्रऩङ्गाषत्षसतजाळुग्षमर ! ! । रोरल्राॊगर
ू ऩाते न भभाऽतयीन ् सनऩातम ॥१९॥
रोरल्राॊगर
ू ऩाते न भभाऽतयीन ् सनऩातम ॥३॥ याभाफदत्रलप्रमोगात्ता ! बयताद्यात्रत्तानाळन ! ।
रुद्रालताय ! वॊवाय द्ु ख बायाऩशायक ! । रोरल्राॊगर
ू ऩाते न भभाऽतयीन ् सनऩातम ॥२०॥
रोरल्राॊगर
ू ऩाते न भभाऽतयीन ् सनऩातम ॥४॥ द्रोणाचर वभुत्षे ऩ वभुत्त्षद्ऱारय लैबल ! ।
श्रीयाभ चयणाम्बोज भधुऩासमतभानव ! । रोरल्राॊगर
ू ऩाते न भभाऽतयीन ् सनऩातम ॥२१॥
रोरल्राॊगर
ू ऩाते न भभाऽतयीन ् सनऩातम ॥५॥ वीताळीलााद वम्ऩन्न ! वभस्तालमलाषत ! ।
फासरप्रथभक्रान्त वुग्रीलोन्भोचनप्रबो ! । रोरल्राॊगर
ू ऩाते न भभाऽतयीन ् सनऩातम ॥२२॥
रोरल्राॊगर
ू ऩाते न भभाऽतयीन ् सनऩातम ॥६॥ इत्मे लभद्वत्थतरोऩत्रलद्श् ळिुज
ॊ मॊ नाभ ऩठे त्स्लमॊ म् ।
वीता त्रलयश लायीळ भग्न वीते ळ तायक ! । व ळीघ्रभे लास्त वभस्तळिु् प्रभोदते भारुतज प्रवादात ्
रोरल्राॊगर
ू ऩाते न भभाऽतयीन ् सनऩातम ॥७॥ ॥२३॥
यषोयाज ताऩात्ग्न दह्यभान जगद्रन ! । ॥ इसत ळिुञ्जम शनुभत्स्त्रोतॊ ॥
44 अप्रैर-2015

॥ श्री आज्ज्ने म अद्शोत्तयळत नाभालसर् ॥


ॐ भनोजलॊ भारुततुल्म लेगॊ,त्जतेत्न्द्रमॊ ॐ गन्धला त्रलद्याम नभ् । ॐ त्रऩन्गाऱाषाम नभ् ।
फुत्रिभताॊ लरयद्षभ ् । लातात्भजॊ लानयमूध ॐ तत्लञाम नभ् । ॐ लासधा भै नाक ऩूत्जताम नभ् ।
भु ख्मॊ,श्री याभदूतॊ सळयवा नभासभ ॥ ॐ भशाफर ऩयाक्रभाम नभ् । ॐ कफऱीकृ त भाताान्ड भन्डराम नभ् ।
ॐ आञ्जनेमाम नभ् । ॐ कायाग्रश त्रलभोक्िे नभ् । ॐ त्रलत्जतेत्न्द्रमाम नभ् ।
ॐ भशालीयाम नभ् । ॐ ळृन्खरा फन्धभोचकाम नभ् । ॐ याभवु ग्रील वन्धािे नभ् ।
ॐ शनूभ ते नभ् । ॐ वागयोत्तायकाम नभ् । ॐ भफशयालण भधानाम नभ् ।
ॐ भारुतात्भजाम नभ् । ॐ प्रासाम नभ् । ॐ स्पफटकाबाम नभ् ।
ॐ तत्लसानप्रदाम नभ् । ॐ याभदूताम नभ् । ॐ लागधीळाम नभ् ।
ॐ वीतादेत्रलभु द्राप्रदामकाम नभ् । ॐ प्रताऩलते नभ् । ॐ नलव्माकृ तऩत्ण्डताम नभ् ।
ॐ अळोकलनकाच्छे िे नभ् । ॐ लानयाम नभ् । ॐ चतुफााशले नभ् ।
ॐ वलाभ ामात्रलबॊ जनाम नभ् । ॐ केवयीवु ताम नभ् । ॐ दीनफन्धुयाम नभ् ।
ॐ वलाफन्धत्रलभोक्िे नभ् । ॐ वीताळोक सनलायकाम नभ् । ॐ भामात्भने नभ् ।
ॐ यषोत्रलध्लॊव कायकाम नभ् । ॐ अन्जनागबा वॊ बू ताम नभ् । ॐ बिलत्वराम नभ् ।
ॐ ऩयत्रलद्या ऩरयशायाम नभ् । ॐ फाराकावद्रळाननाम नभ् । ॐ वॊ जीलननगामाथाा नभ् ।
ॐ ऩय ळौमा त्रलनाळकाम नभ् । ॐ त्रलबीऴण त्रप्रमकयाम नभ् । ॐ वु चमे नभ् ।
ॐ ऩयभन्ि सनयाकिे नभ् । ॐ दळग्रील कुरान्तकाम नभ् । ॐ लात्ग्भने नभ् ।
ॐ ऩयमन्ि प्रबे दकाम नभ् । ॐ रक्ष्भणप्राणदािे नभ् । ॐ दृढव्रताम नभ् ।
ॐ वलाग्रश त्रलनासळने नभ् । ॐ लज्र कामाम नभ् । ॐ कारनेसभ प्रभथनाम नभ् ।
ॐ बीभवे न वशामकृ थे नभ् । ॐ भशाद्युथमे नभ् । ॐ शरयभकाट भकाटाम नभ् ।
ॐ वलादख
ु ् शयाम नभ् । ॐ सचयॊ जीत्रलने नभ् । ॐ दान्ताम नभ् ।
ॐ वलार ोकचारयणे नभ् । ॐ याभ बिाम नभ् । ॐ ळान्ताम नभ् ।
ॐ भनोजलाम नभ् । ॐ दैत्म कामा त्रलघातकाम नभ् । ॐ प्रवन्नात्भने नभ् ।
ॐ ऩारयजात द्रुभू र स्थाम नभ् । ॐ अषशन्िे नभ् । ॐ ळतकन्टभु दाऩशिे नभ् ।
ॐ वला भन्ि स्लरूऩाम नभ् । ॐ काञ्चनाबाम नभ् । ॐ मोसगने नभ् ।
ॐ वला तन्ि स्लरूत्रऩणे नभ् । ॐ ऩञ्चलक्िाम नभ् । ॐ याभकथा रोराम नभ् ।
ॐ वलामन्िात्भकाम नभ् । ॐ भशा तऩवे नभ् । ॐ वीतान्लेळण ऩफठताम नभ् ।
ॐ कऩीद्वयाम नभ् । ॐ रत्न्कनी बञ्जनाम नभ् । ॐ लज्रद्रनुद्शाम नभ् ।
ॐ भशाकामाम नभ् । ॐ श्रीभते नभ् । ॐ लज्रनखाम नभ् ।
ॐ वलायोगशयाम नभ् । ॐ सवॊ फशका प्राण बन्जनाम नभ् । ॐ रुद्र लीमा वभु द्भलाम नभ् ।
ॐ प्रबले नभ् । ॐ गन्धभादन ळैर स्थाम नभ् । ॐ इन्द्रत्जत्प्रफशताभोघमा जी ास्त्र त्रलसनलायकाम
ॐ फर सवत्रिकयाम नभ् । ॐ रॊ काऩुय त्रलदामकाम नभ् । नभ् ।
ॐ वलात्रलद्या वम्ऩत्रत्तप्रदामकाम नभ् । ॐ वु ग्रील वसचलाम नभ् । ॐ ऩाथा ध्लजाग्रवॊ लासवने नभ् ।
ॐ कत्रऩवे नानामकाम नभ् । ॐ धीयाम नभ् । ॐ ळयऩॊजयबे धकाम नभ् ।
ॐ बत्रलष्म्चतुयाननाम नभ् । ॐ ळूयाम नभ् । ॐ दळफाशले नभ् ।
ॐ कुभाय मा जी चारयणे नभ् । ॐ दैत्मकुरान्तकाम नभ् । ॐ रोकऩूज्माम नभ् ।
ॐ यत्नकुन्डराम नभ् । ॐ वु लाचार ासचाताम नभ् । ॐ जाम्फलत्प्रीसतलधानाम नभ् ।
ॐ दीसद्ऱभते नभ् । ॐ तेजवे नभ् । ॐ वीतावभे त श्रीयाभऩाद वे लदुयन्धयाम नभ् ।
ॐ चन्चरद्रारवन्निाम नभ् । ॐ याभचूडाभत्णप्रदामकाम नभ् । ॥ इसत श्री आ ञ्जनेम अद्शोत्तयळत नाभालसर
ॐ रम्फभानसळखोज्लराम नभ् । ॐ काभरूत्रऩणे नभ् । वॊ ऩू णा भ ् ॥
45 अप्रैर-2015

भन्दात्भकॊ भारुसतस्तोिभ ् || श्री शनुभत ् स्तलन ||


प्रनलउॉ ऩलनकुभाय खर फन ऩालक ग्मानघन।
नभो लामुऩुिाम बीभरूऩाम धीभते ।
जावु ह्रदम आगाय फवफशॊ याभ वय चाऩ धय॥१॥
नभस्ते याभदत
ू ाम काभरूऩाम श्रीभते ॥

अतुसरतफरधाभॊ शे भळैराबदे शॊ।


भोश ळोकत्रलनाळाम वीताळोकत्रलनासळने ।
बगनळोकलनामास्तु दग्धरङ्काम लात्ग्भने ॥ दनुजलनकृळानुॊ सासननाभग्रगण्मभ ्॥२॥

गसतसनत्जातलाताम रक्ष्भणप्राणदाम च। वकरगुणसनधानॊ लानयाणाभधीळॊ।


लनौकवाॊ लरयद्षाम लसळने लनलासवने ॥ यघुऩसतत्रप्रमबिॊ लातजातॊ नभासभ॥३॥

तत्त्लसानवुधासवन्धुसनभगनम भशीमते ।
गोष्ऩदीकृतलायीळॊ भळकीकृतयाषवभ ्।
आञ्जने माम ळूय ाम वुग्रीलवसचलाम ते ॥
याभामणभशाभारायत्नॊ लन्दे ऽसनरात्भजभ ्॥४॥
जन्भभृत्मुबमघनम वलाकद्शशयाम च।
ने फदद्षाम प्रे तबूतत्रऩळाचबमशारयणे ॥ अञ्जनानन्दनॊ लीयॊ जानकीळोकनाळनभ ्।
कऩीळभषशन्तायॊ लन्दे रङ्काबमङ्कयभ ्॥५॥
मातनानाळनामास्तु नभो भकाटरूत्रऩणे ।
मषयाषवळादार
ू वऩालृत्द्ळकबीरृते ॥ भशाव्माकयणाम्बोसधभन्थभानवभन्दयभ ्।

भशाफराम लीयाम सचयॊ जीत्रलन उिते । कलमन्तॊ याभकीत्माा शनुभन्तभुऩास्भशे ॥६॥

शारयणे लज्रदे शाम चोल्रत्ङ्घतभशाब्धमे ॥


उल्रङ्घ्म सवन्धो् वसररॊ वरीरॊ म् ळोकलफह्नॊ
फसरनाभग्रगण्माम नभो न: ऩाफश भारुते । जनकात्भजामा्।
राबदोऽसव त्लभे लाळु शनुभन ् याषवान्तक॥
आदाम ते नैल ददाश रङ्काॊ नभासभ तॊ

मळो जमॊ च भे दे फश ळिून ् नाळम नाळम। प्राञ्जसरयाञ्जने मभ ्॥७॥

स्लासश्रतानाभबमदॊ म एलॊ स्तौसत भारुसतभ ्।


भनोजलॊ भारुततुल्मले ग ॊ त्जते त्न्द्रमॊ फुत्रिभताॊ लरयद्षभ ्।
शासन: कुतो बले त्तस्म वलाि त्रलजमी बले त ्॥ लातात्भजॊ लानयमूथभुख्मॊ श्रीयाभदत
ू ॊ ळयणॊ प्रऩद्ये ॥ ८॥

आञ्जने मभसतऩाटराननॊ काञ्चनाफद्रकभनीमत्रलग्रशभ ्।


इव स्तोिका प्रसतफदन ऩाठ कयने वे भृत्मु , मष,
ऩारयजाततरुभूरलासवनॊ बालमासभ ऩलभाननन्दनभ ्॥९॥
याषव, सवॊश, वऩा, त्रफच्छू बूत, प्रेत औय त्रऩळाच
इत्माफद बमका नाळ शोकय उवकी वभस्त ऩीड़ेा
मि-मि यघुनाथकीतानॊ ति-ति कृतभस्तकाञ्जसरभ ्।
का सनयाकयण शोता शं । उवे वभस्त कामो भे
फाष्ऩलारयऩरयऩूणारोचनॊ भारुसतॊ नभत याषवान्तकभ ्॥१०॥
त्रलजम प्राद्ऱ शोती शं
Dear Reader…
You have reached a Limit that is available for Free viewing !

Now it's unavailable to Unauthorised or Unregistered User.


We hope Enjoyed the preview?

Now time to Get A GK Premium Membership For Full Access ..


>> See details for this Membership in the our Store.

(GK Premium Membership available for any 1 Edition or All Edition.)


47 अप्रैर-2015

॥ भारुसतस्तोिभ ् ॥
बीभरूऩी भशारुद्रा लज्र शनुभान भारुती । आत्णरा भागुतीॊ ने रा आरा गेरा भनोगती ।
लनायी अन्जनीवूता याभदत
ू ा प्रबॊज ना ॥१॥ भनावी टाफकरं भागं गतीवी तूऱणा नवे ॥१०॥
भशाफऱी प्राणदाता वकऱाॊ उठली फऱं । अणूऩावोसन मा जी ाॊडाएलढा शोत जातवे ।
वौख्मकायी द्ु खशायी (ळोकशताा)(धूता)दत
ू लैष्णल गामका ॥२॥ तमावी तुऱणा कोठं भे रु- भाॊदाय धाकुटे ॥११॥
दीननाथा शयीरूऩा वुॊदया जगदॊतया । मा जी ाॊडाबंलते ले ढे लज्रऩुच्छं करूॊ ळके ।
ऩातारदे लताशॊ ता बव्मसवॊदयू रे ऩना ॥३॥ तमावी तुऱणा कंची मा जी ाॊडीॊ ऩाशताॊ नवे ॥१२॥
रोकनाथा जगन्नाथा प्राणनाथा ऩुय ातना । आयि दे त्खरे डोऱाॊ ग्रासवरं वूमाभॊडऱा ।
ऩुण्मलॊता ऩुण्मळीरा ऩालना ऩरयतोऴका ॥४॥ लाढताॊ लाढताॊ लाढे बे फदरं ळून्मभॊडऱा ॥१३॥
ध्लजाॊगं उचरी फाशो आले ळं रोटरा ऩुढं । धनधान्म ऩळुलृत्रि ऩुिऩौि वभग्रशी (वभस्तशी)।
काऱात्ग्न काऱरुद्रात्ग्न दे खताॊ काॊऩती बमं ॥५॥ ऩालती रूऩत्रलद्याफद स्तोिऩाठं करूसनमाॊ ॥१४॥
मा जी ाॊडं भाइरीॊ ने णं आॊलाऱे दॊतऩॊगती । बूतप्रे तवभॊधाफद योगव्मासध वभस्तशी ।
ने िाग्नी चासरल्मा ज्लाऱा भ्रुकुटी ताफठल्मा फऱं ॥६॥ नावती तुटती सचॊता आनॊदे बीभदळानं ॥१५॥
ऩुच्छ तं भुयफडरं भाथाॊ फकयीटी कुॊडरं फयीॊ । शे धया ऩॊधयाद्ऴोकी राबरी ळोबरी बरी (फयी)
वुलणा कफट काॊवोटी घॊटा फकॊफकत्ण नागया ॥७॥ दृढदे शो सन्वॊदेशो वॊख्मा चॊद्रकरा गुणं ॥१६॥
ठकाये ऩलाता ऐवा ने टका वडऩातऱू । याभदावीॊ अग्रगण्मू कत्रऩकुऱासव भॊडणू ।
चऩऱाॊग ऩाशताॊ भोठं भशात्रलद्युल्रते ऩयी ॥८॥ याभरूऩी अन्तयात्भा दळाने दोऴ नावती ॥१७॥
कोफटच्मा कोफट उरडाणं झंऩाले उत्तये कडे । ॥इसत श्री याभदावकृतॊ वॊकटसनयवनॊ नाभ श्री भारुसतस्तोिभ ्
भॊदाद्रीवायखा द्रोणू क्रोधं उत्ऩाफटरा फऱं ॥९॥ वॊऩूणाभ ् ॥

॥श्रीशनुभन्नभस्काय् ॥
गोष्ऩदी- कृत- लायीळॊ भळकी- कृत- याषवभ ् । भनोजलॊ भारुत- तुल्म- ले ग ॊ
याभामण- भशाभारा- यत्नॊ लन्दे ऽसनरात्भजभ ् ॥१॥ त्जते त्न्द्रमॊ फुत्रिभताॊ लरयद्षभ ् ।
लातात्भजॊ लानय- मूथ- भुख्मॊ
अञ्जना- नन्दनॊ- लीयॊ जानकी- ळोक- नाळनभ ् ।
श्रीयाभ- दत
ू ॊ सळयवा नभासभ ॥५॥
कऩीळभष- शन्तायॊ लन्दे रङ्का- बमङ्कयभ ् ॥२॥
आञ्जने मभसतऩाटराननॊ
भशा- व्माकयणाम्बोसध- भन्थ- भानव- भन्दयभ ् ।
काञ्चनाफद्र- कभनीम- त्रलग्रशभ ् ।
कलमन्तॊ याभ- कीत्माा शनुभन्तभुऩास्भशे ॥३॥ ऩारयजात- तरु- भृर- लासवनॊ
बालमासभ ऩलभान- नन्दनभ ् ॥६॥
उल्रङ्घ्म सवन्धो् वसररॊ वरीरॊ
म् ळोक- लफह्नॊ जनकात्भजामा् । मि मि यघुनाथ- कीतानॊ
आदाम ते नैल ददाश रङ्काॊ ति ति कृत- भस्तकाञ्जसरभ ् ।
नभासभ तॊ प्राञ्जसरयाञ्जने मभ ् ॥४॥ फाष्ऩ- लारय- ऩरयऩूणा- रोचनॊ
भारुसतनाभत याषवान्तकभ ् ॥७॥
48 अप्रैर-2015

श्री शनु भान वशस्त्रनभालसर्


१ ॐ शनुभते नभ्। ३८ ॐ त्रलद्वनाथाम नभ्। ७५ ॐ बुलरोकाम नभ्।
२ ॐ श्रीप्रदाम नभ्। ३९ ॐ शयीद्वयाम नभ्। ७६ ॐ स्लरोकाम नभ्।
३ ॐ लामुऩुिाम नभ्। ४० ॐ बगाा म नभ्। ७७ ॐ भशरोकाम नभ्।
४ ॐ रुद्राम नभ्। ४१ ॐ याभाम नभ्। ७८ ॐ जनरोकाम नभ्।
५ ॐ अनघाम नभ्। ४२ ॐ याभबिाम नभ्। ७९ ॐ तऩोरोकाम नभ्।
६ ॐ अजयाम नभ्। ४३ ॐ कल्माणप्रकृतमे नभ्। ८० ॐ अव्ममाम नभ्।
७ ॐ अभृत्मले नभ्। ४४ ॐ त्स्थयाम नभ्। ८१ ॐ वत्माम नभ्।
८ ॐ लीयलीयाम नभ्। ४५ ॐ त्रलद्वम्बयाम नभ्। ८२ ॐ ओङ्कायगम्माम नभ्।
९ ॐ ग्राभलावाम नभ्। ४६ ॐ त्रलद्वभूतामे नभ्। ८३ ॐ प्रणलाम नभ्।
१० ॐ जनाश्रमाम नभ्। ४७ ॐ त्रलद्वाकायाम नभ्। ८४ ॐ व्माऩकाम नभ्।
११ ॐ धनदाम नभ्। ४८ ॐ त्रलद्वऩाम नभ्। ८५ ॐ अभराम नभ्।
१२ ॐ सनगुाणाम नभ्। ४९ ॐ त्रलद्वात्भने नभ्। ८६ ॐ सळलधभाप्रसतद्षािे नभ्।
१३ ॐ अकामाम नभ्। ५० ॐ त्रलद्ववेव्माम नभ्। ८७ ॐ याभेद्शाम नभ्।
१४ ॐ लीयाम नभ्। ५१ ॐ त्रलद्वस्भै नभ्। ८८ ॐ पाल्गुनत्रप्रमाम नभ्।
१५ ॐ सनसधऩतमे नभ्। ५२ ॐ त्रलद्वशयाम नभ्। ८९ ॐ गोष्ऩदीकृतलायीळाम नभ्।
१६ ॐ भुनमे नभ्। ५३ ॐ यलमे नभ्। ९० ॐ ऩूणाकाभाम नभ्।
१७ ॐ त्रऩङ्गषाम नभ्। ५४ ॐ त्रलद्वचेद्शाम नभ्। ९१ ॐ धयाऩतमे नभ्।
१८ ॐ लयदाम नभ्। ५५ ॐ त्रलद्वगम्माम नभ्। ९२ ॐ यषोघ्नाम नभ्।
१९ ॐ लात्ग्भने नभ्। ५६ ॐ त्रलद्वध्मेमाम नभ्। ९३ ॐ ऩुण्डयीकाषाम नभ्।
२० ॐ वीताळोकत्रलनाळनाम नभ्। ५७ ॐ कराधयाम नभ्। ९४ ॐ ळयणागतलत्वराम नभ्।
२१ ॐ सळलाम नभ्। ५८ ॐ प्रलङ्गभाम नभ्। ९५ ॐ जानकीप्राणदािे नभ्।
२२ ॐ वलास्भै नभ्। ५९ ॐ कत्रऩश्रेद्षाम नभ्। ९६ ॐ यष्प्राणाऩशायकाम नभ्।
२३ ॐ ऩयस्भै नभ्। ६० ॐ ज्मेद्षाम नभ्। ९७ ॐ ऩूणाा म नभ्।
२४ ॐ अव्मिाम नभ्। ६१ ॐ लैद्याम नभ्। ९८ ॐ वत्माम् नभ्।
२५ ॐ व्मिाव्मिाम नभ्। ६२ ॐ लनेचयाम नभ्। ९९ ॐ ऩीतलाववे नभ्।
२६ ॐ यवाधयाम नभ्। ६३ ॐ फाराम नभ्। १०० ॐ फदलाकयवभप्रबाम नभ्।
२७ ॐ त्रऩङ्गकेळाम नभ्। ६४ ॐ लृिाम नभ्। १०१ ॐ दे लोद्यानत्रलशारयणे नभ्।
२८ ॐ त्रऩङ्गयोम्णे नभ्। ६५ ॐ मूने नभ्। १०२ ॐ दे लताबमबञ्जनाम नभ्।
२९ ॐ श्रुसतगम्माम नभ्। ६६ ॐ तत्त्लाम नभ्। १०३ ॐ बिोदमाम नभ्।
३० ॐ वनातनाम नभ्। ६७ ॐ तत्त्लगम्माम नभ्। १०४ ॐ बिरब्धाम नभ्।
३१ ॐ अनादमे नभ्। ६८ ॐ वख्मे नभ्। १०५ ॐ बिऩारनतत्ऩयाम नभ्।
३२ ॐ बगलते नभ्। ६९ ॐ अजाम नभ्। १०६ ॐ द्रोणशिे नभ्।
३३ ॐ दे लाम नभ्। ७० ॐ अञ्जनावूनले नभ्। १०७ ॐ ळत्रिनेिे नभ्।
३४ ॐ त्रलद्वशे तले नभ्। ७१ ॐ अव्मग्राम नभ्। १०८ ॐ ळत्रियाषवभायकाम नभ्।
३५ ॐ सनयाभमाम नभ्। ७२ ॐ ग्राभख्माताम नभ्। १०९ ॐ अषघ्नाम नभ्।
३६ ॐ आयोग्मकिे नभ्। ७३ ॐ धयाधयाम नभ्। ११० ॐ याभदूताम नभ्।
३७ ॐ त्रलद्वेळाम नभ्। ७४ ॐ बूरोकाम नभ्। १११ ॐ ळाफकनीजीलशायकाम नभ्।
49 अप्रैर-2015

११२ ॐ फुफुकायशतायातमे नभ्। १५१ ॐ बिोदमाम नभ्। १९० ॐ ऩुण्मकीतामे नभ्।


११३ ॐ गलाऩलातभदा नाम नभ्। १५२ ॐ बिगम्माम नभ्। १९१ ॐ ऩुण्मगतमे नभ्।
११४ ॐ शे तले नभ्। १५३ ॐ बिबाग्मप्रदामकाम नभ्। १९२ ॐ जगत्ऩालनऩालनाम नभ्।
११५ ॐ अशे तले नभ्। १५४ ॐ उदसधक्रभणामनभ्। १९३ ॐ दे लेळाम नभ्।
११६ ॐ प्राॊ ळले नभ्। १५५ ॐ दे लाम नभ्। १९४ ॐ त्जतभायाम नभ्।
११७ ॐ त्रलद्वबिे नभ्। १५६ ॐ वॊवायबमनाळनाम नभ्। १९५ ॐ याभबत्रित्रलधामकाम नभ्।
११८ ॐ जगद्धगुयले नभ्। १५७ ॐ लासधाफन्धनकृते नभ्। १९६ ॐ ध्मािे नभ्।
११९ ॐ जगन्नेिे नभ्। १५८ ॐ त्रलद्वजेिे नभ्। १९७ ॐ ध्मेमाम नभ्।
१२० ॐ जगन्नाथाम नभ्। १५९ ॐ त्रलद्वप्रसतत्रद्षताम नभ्। १९८ ॐ रमाम नभ्।
१२१ ॐ जगदीळाम नभ्। १६० ॐ रङ्कायमे नभ्। १९९ ॐ वात्षणे नभ्।
१२२ ॐ जनेद्वयाम नभ्। १६१ ॐ कारऩुरुऴाम नभ्। २०० ॐ चेतवे नभ्।
१२३ ॐ जगत्रिताम नभ्। १६२ ॐ रङ्केळगृशबञ्जनाम नभ्। २०१ ॐ चैतन्मत्रलग्रशाम नभ्।
१२४ ॐ शयमे नभ्। १६३ ॐ बूतालावाम नभ्। २०२ ॐ सानदाम नभ्।
१२५ ॐ श्रीळाम नभ्। १६४ ॐ लावुदेलाम नभ्। २०३ ॐ प्राणदाम नभ्।
१२६ ॐ गुरुडस्भमबञ्जनाम नभ्। १६५ ॐ लवले नभ्। २०४ ॐ प्राणाम नभ्।
१२७ ॐ ऩाथाध्लजाम नभ्। १६६ ॐ त्रिबुलनेद्वयाम नभ्। २०५ ॐ जगत्प्राणाम नभ्।
१२८ ॐ लामुऩुिाम नभ्। १६७ ॐ श्रीयाभरूऩाम नभ्। २०६ ॐ वभीयणाम नभ्।
१२९ ॐ असभतऩुच्छाम नभ्। १६८ ॐ कृष्णाम नभ्। २०७ ॐ त्रलबीऴणत्रप्रमाम नभ्।
१३० ॐ असभतत्रलक्रभाम नभ्। १६९ ॐ रङ्काप्रावादबञ्जकाम नभ्। २०८ ॐ ळूयाम नभ्।
१३१ ॐ मा जी ऩुच्छाम नभ्। १७० ॐ कृष्णाम नभ्। २०९ ॐ त्रऩप्ऩराश्रमसवत्रिदाम नभ्।
१३२ ॐ ऩयमा जी ऩुच्छाम नभ्। १७१ ॐ कृष्णस्तुताम नभ्। २१० ॐ सविाम नभ्।
१३३ ॐ याभेद्शकायकाम नभ्। १७२ ॐ ळान्ताम नभ्। २११ ॐ सविाश्रमाम नभ्।
१३४ ॐ वुग्रीलाफदमुताम नभ्। १७३ ॐ ळात्न्तदाम नभ्। २१२ ॐ काराम नभ्।
१३५ ॐ सासनने नभ्। १७४ ॐ त्रलद्वऩालनाम नभ्। २१३ ॐ भशोषाम नभ्।
१३६ ॐ लानयाम नभ्। १७५ ॐ त्रलद्वबोक्िे नभ्। २१४ ॐ कारजान्तकाम नभ्।
१३७ ॐ लानये द्वयाम नभ्। १७६ ॐ भायघ्नाम नभ्। २१५ ॐ रङ्केळसनधनाम नभ्।
१३८ ॐ कल्ऩस्थासमने नभ्। १७७ ॐ मा जी चारयणे नभ्। २१६ ॐ स्थासमने नभ्।
१३९ ॐ सचयञ्जीत्रलने नभ्। १७८ ॐ त्जतेत्न्द्रमाम नभ्। २१७ ॐ रङ्कादाशकाम नभ्।
१४० ॐ तऩनाम नभ्। १७९ ॐ ऊध्लागाम नभ्। २१८ ॐ ईद्वयाम नभ्।
१४१ ॐ वदासळलाम नभ्। १८० ॐ राङ्गुसरने नभ्। २१९ ॐ चन्द्रवूमाा त्ग्ननेिाम नभ्।
१४२ ॐ वन्नतमे नभ्। १८१ ॐ भासरने नभ्। २२० ॐ काराग्नमे नभ्।
१४३ ॐ वद्नतमे नभ्। १८२ ॐ राङ्गूराशतयाषवाम नभ्। २२१ ॐ प्ररमान्तकाम नभ्।
१४४ ॐ बुत्रिभुत्रिदाम नभ्। १८३ ॐ वभीयतनुजाम नभ्। २२२ ॐ कत्रऩराम नभ्।
१४५ ॐ कीसतादामकाम नभ्। १८४ ॐ लीयाम नभ्। २२३ ॐ कत्रऩळाम नभ्।
१४६ ॐ कीतामे नभ्। १८५ ॐ लीयतायाम नभ्। २२४ ॐ ऩुण्मयाळमे नभ्।
१४७ ॐ कीसताप्रदाम नभ्। १८६ ॐ जमप्रदाम नभ्। २२५ ॐ द्रादळयासळगाम नभ्।
१४८ ॐ वभुद्राम नभ्। १८७ ॐ जगन्भङ्गरदाम नभ्। २२६ ॐ वलाा श्रमाम नभ्
१४९ ॐ श्रीप्रदाम नभ्। १८८ ॐ ऩुण्माम नभ्। २२७ ॐ अप्रभेमात्भने नभ्।
१५० ॐ सळलाम नभ्। १८९ ॐ ऩुण्मश्रलणकीतानाम नभ्। २२८ ॐ ये लत्माफदसनलायकाम नभ्।
50 अप्रैर-2015

२२९ ॐ रक्ष्भणप्राणदािे नभ्। २६७ ॐ रोकेळाम नभ्। ३०६ ॐ वभीयजाम नभ्।


२३० ॐ वीताजीलनशे तुकाम नभ्। २६८ ॐ वद्नसतप्रदाम नभ्। ३०७ ॐ भळकीकृतदे लायमे नभ्।
२३१ ॐ याभध्मेमाम नभ्। २६९ ॐ प्रलङ्गभेद्वयाम नभ्। ३०८ ॐ दै त्मायमे नभ्।
२३२ ॐ रृऴीकेळाम नभ्। २७० ॐ क्रोधाम नभ्। ३०९ ॐ भधुवूदनाम नभ्।
२३३ ॐ त्रलष्णुबिाम नभ्। २७१ ॐ क्रोधवॊयिरोचनाम नभ्। ३१० ॐ काभाम नभ्।
२३४ ॐ जफटने नभ्। २७२ ॐ वौम्माम नभ्। ३११ ॐ कऩमे नभ्।
२३५ ॐ फसरने नभ्। २७३ ॐ गुयले नभ्। ३१२ ॐ काभऩाराम नभ्।
२३६ ॐ दे लारयदऩाघ्ने नभ्। २७४ ॐ काव्मकिे नभ्। ३१३ ॐ कत्रऩराम नभ्।
२३७ ॐ शोिे नभ्। २७५ ॐ बिानाॊ लयप्रदाम नभ्। ३१४ ॐ त्रलद्वजीलनाम नभ्।
२३८ ॐ धािे नभ्। २७६ ॐ बिानुकत्म्ऩने नभ्। ३१५ ॐ बागीयथीऩदाम्बोजाम नभ्।
२३९ ॐ किे नभ्। २७७ ॐ त्रलद्वेळाम नभ्। ३१६ ॐ वेतुफन्धत्रलळायदाम नभ्।
२४० ॐ जगत्प्रबले नभ्। २७८ ॐ ऩुरुशूताम नभ्। ३१७ ॐ स्लाशामै नभ्।
२४१ ॐ नगयग्राभऩाराम नभ्। २७९ ॐ ऩुयॊदयाम नभ्। ३१८ ॐ स्लधामै नभ्।
२४२ ॐ ळुिाम नभ्। २८० ॐ क्रोधशते नभ्। ३१९ ॐ शत्रलऴे नभ्।
२४३ ॐ फुिाम नभ्। २८१ ॐ तभोशते नभ्। ३२० ॐ कव्माम नभ्।
२४४ ॐ सनयिऩाम नभ्। २८२ ॐ बिबमलयप्रदाम नभ्। ३२१ ॐ शव्मलाशप्रकाळकाम नभ्।
२४५ ॐ सनयञ्जनाम नभ्। २८३ ॐ अग्नमे नभ्। ३२२ ॐ स्लप्रकाळाम नभ्।
२४६ ॐ सनत्रलाकल्ऩाम नभ्। २८४ ॐ त्रलबालवले नभ्। ३२३ ॐ भशालीयाम नभ्।
२४७ ॐ गुणातीताम नभ्। २८५ ॐ बास्लते नभ्। ३२४ ॐ रघले नभ्।
२४८ ॐ बमॊकयाम नभ्। २८६ ॐ मभाम नभ्। ३२५ ॐ ऊत्जातत्रलक्रभाम नभ्।
२४९ ॐ शनुभते नभ्। २८७ ॐ सनऋतमे नभ्। ३२६ ॐ उरडीनोरडीनगसतभते नभ्।
२५० ॐ दुय ायाध्माम नभ्। २८८ ॐ लरुणाम नभ्। ३२७ ॐ वद्नतमे नभ्।
२५१ ॐ तऩ्वाध्माम नभ्। २८९ ॐ लामुगसतभते नभ्। ३२८ ॐ ऩुरुऴोत्तभाम नभ्।
२५२ ॐ भशे द्वयाम नभ्। २९० ॐ लामले नभ्। ३२९ ॐ जगदात्भने नभ्।
२५३ ॐ जानकीधनळोकोत्थताऩशिं २९१ ॐ कौफेयाम नभ्। ३३० ॐ जगद्योनमे नभ्।
नभ्। २९२ ॐ ईद्वयाम नभ्। ३३१ ॐ जगदन्ताम नभ्।
२५४ ॐ ऩयात्ऩयस्भै नभ्। २९३ ॐ यलमे नभ्। ३३२ ॐ अनन्तकाम नभ्।
२५५ ॐ लाङ्भमाम नभ्। २९४ ॐ चन्द्राम नभ्। ३३३ ॐ त्रलऩाप्भने नभ्।
२५६ ॐ वदवद्रूऩाम नभ्। २९५ ॐ कुजाम नभ्। ३३४ ॐ सनष्करङ्काम नभ्।
२५७ ॐ कायणाम नभ्। २९६ ॐ वौम्माम नभ्। ३३५ ॐ भशते नभ्।
२५८ ॐ प्रकृते् ऩयस्भै नभ्। २९७ ॐ गुयले नभ्। ३३६ ॐ भशदशॊ कृतमे नभ्।
२५९ ॐ बाग्मदाम नभ्। २९८ ॐ काव्माम नभ्। ३३७ ॐ खाम नभ्।
२६० ॐ सनभाराम नभ्। २९९ ॐ ळनैद्ळ याम नभ्। ३३८ ॐ लामले नभ्।
२६१ ॐ नेिे नभ्। ३०० ॐ याशले नभ्। ३३९ ॐ ऩृसथव्मै नभ्।
२६२ ॐ ऩुच्छङ्कात्रलदाशकाम नभ्। ३०१ ॐ केतले नभ्। ३४० ॐ अद्धभ्मो नभ्।
२६३ ॐ ऩुच्छफिमातुधानाम नभ्। ३०२ ॐ भरुते नभ्। ३४१ ॐ लह्नमे नभ्।
२६४ ॐ मातुधानरयऩुत्रप्रमाम नभ्। ३०३ ॐ शोिे नभ्। ३४२ ॐ फदक्ऩाराम नभ्।
२६५ ॐ छामाऩशारयणे नभ्। ३०४ ॐ दािे नभ्। ३४३ ॐ षेिसाम नभ्।
२६६ ॐ बूतेळाम नभ्। ३०५ ॐ शिे नभ्। ३४४ ॐ षेिशिे नभ्।
51 अप्रैर-2015

३४५ ॐ ऩल्लरीकृतवागयाम नभ्। ३८३ ॐ स्भृतमे नभ्। ४२२ ॐ फृशत्ऩुच्छाम नभ्।


३४६ ॐ फशयण्मभमाम नभ्। ३८४ ॐ भनले नभ्। ४२३ ॐ फृशत्कयाम नभ्।
३४७ ॐ ऩुयाणाम नभ्। ३८५ ॐ स्लगाद्रायाम नभ्। ४२४ ॐ फृशद्गतमे नभ्।
३४८ ॐ खे चयाम नभ्। ३८६ ॐ प्रजाद्रायाम नभ्। ४२५ ॐ फृशत्वेव्माम नभ्।
३४९ ॐ बूचयाम नभ्। ३८७ ॐ भोषद्रायाम नभ्। ४२६ ॐ फृशल्रोकपरप्रदाम नभ्।
३५० ॐ अभयाम नभ्। ३८८ ॐ मतीद्वयाम नभ्। ४२७ ॐ फृशच्छिमे नभ्।
३५१ ॐ फशयण्मगबाा म नभ्। ३८९ ॐ नादरूऩाम नभ्। ४२८ ॐ फृशद्राञ्छापरदाम नभ्।
३५२ ॐ वूिात्भने नभ्। ३९० ॐ ऩयस्भै मा जी णे नभ्। ४२९ ॐ फृशदीद्वयाम नभ्।
३५३ ॐ याजयाजाम नभ्। ३९१ ॐ मा जी णे नभ्। ४३० ॐ फृशल्रोकनुताम नभ्।
३५४ ॐ त्रलळाॊ ऩतमे नभ्। ३९२ ॐ मा जी ऩुयातनाम नभ्। ४३१ ॐ द्रद्से नभ्।
३५५ ॐ लेदान्तलेद्याम नभ्। ३९३ ॐ एकस्भै नभ्। ४३२ ॐ त्रलद्यादािे नभ्।
३५६ ॐ उद्नीथाम नभ्। ३९४ ॐ अनेकस्भै नभ्। ४३३ ॐ जगद्धगुयले नभ्।
३५७ ॐ लेदलेदाङ्गऩायगाम नभ्। ३९५ ॐ जनाम नभ्। ४३४ ॐ दे लाचामाा म नभ्।
३५८ ॐ प्रसतग्राभत्स्थतमे नभ्। ३९६ ॐ ळुक्राम नभ्। ४३५ ॐ वत्मलाफदने नभ्।
३५९ ॐ वद्य् स्पूसतादािे नभ्। ३९७ ॐ स्लमॊज्मोसतऴे नभ्। ४३६ ॐ मा जी लाफदने नभ्।
३६० ॐ गुणाकयाम नभ्। ३९८ ॐ अनाकुराम नभ्। ४३७ ॐ कराधयाम नभ्।
३६१ ॐ नषिभासरने नभ्। ३९९ ॐ ज्मोसतज्मोसतऴे नभ्। ४३८ ॐ वद्ऱऩातारगासभने नभ्।
३६२ ॐ बूतात्भने नभ्। ४०० ॐ अनादमे नभ्। ४३९ ॐ भरमाचरवॊश्रमाम नभ्।
३६३ ॐ वुयबमे नभ्। ४०१ ॐ वात्त्त्लकाम नभ्। ४४० ॐ उत्तयाळात्स्थताम नभ्।
३६४ ॐ कल्ऩऩादऩाम नभ्। ४०२ ॐ याजवाम नभ्। ४४१ ॐ श्रीदाम नभ्।
३६५ ॐ सचन्ताभणमे नभ्। ४०३ ॐ तभाम नभ्। ४४२ ॐ फदव्मौऴसधलळाम नभ्।
३६६ ॐ गुणसनधमे नभ्। ४०४ ॐ तभोशिे नभ्। ४४३ ॐ खगाम नभ्।
३६७ ॐ प्रजाधायाम नभ्। ४०५ ॐ सनयारम्फाम नभ्। ४४४ ॐ ळाखाभृगाम नभ्।
३६८ ॐ अनुत्तभाम नभ्। ४०६ ॐ सनयाकायाम नभ्। ४४५ ॐ कऩीन्द्राम नभ्।
३६९ ॐ ऩुण्मश्रोकाम नभ्। ४०७ ॐ गुणाकयाम नभ्। ४४६ ॐ ऩुयाणश्रुसतचञ्चुय ाम नभ्।
३७० ॐ ऩुयायातमे नभ्। ४०८ ॐ गुणाश्रमाम नभ्। ४४७ ॐ चतुयमा ाजी णाम नभ्।
३७१ ॐ ज्मोसतष्भते नभ्। ४०९ ॐ गुणभमाम नभ्। ४४८ ॐ मोसगने नभ्।
३७२ ॐ ळलायीऩतमे नभ्। ४१० ॐ फृशत्कभाणे नभ्। ४४९ ॐ मोगगम्माम नभ्।
३७३ ॐ फकरफकरायालवॊिस्तबूतप्रेत- ४११ ॐ फृशद्यळवे नभ्। ४५० ॐ ऩयस्भै नभ्।
त्रऩळाचकाम नभ्। ४१२ ॐ फृशिनले नभ्। ४५१ ॐ अलयस्भै नभ्।
३७४ ॐ ऋणिमशयाम नभ्। ४१३ ॐ फृशत्ऩादाम नभ्। ४५२ ॐ अनाफदसनधनाम नभ्।
३७५ ॐ वूक्ष्भाम नभ्। ४१४ ॐ फृशन्भूध्ने नभ्। ४५३ ॐ व्मावाम नभ्।
३७६ ॐ स्थूराम नभ्। ४१५ ॐ फृशत्स्लनाम नभ्। ४५४ ॐ लैकुण्ठाम नभ्।
३७७ ॐ वलागतमे नभ्। ४१६ ॐ फृशत्कणाा म नभ्। ४५५ ॐ ऩृसथलीऩतमे नभ्।
३७८ ॐ ऩुॊवे नभ्। ४१७ ॐ फृशन्नावाम नभ्। ४५६ ॐ अऩयात्जताम नभ्।
३७९ ॐ अऩस्भायशयाम नभ्। ४१८ ॐ फृशद्बाशले नभ्। ४५७ ॐ त्जतायातमे नभ्।
३८० ॐ स्भिे नभ्। ४१९ ॐ फृशत्तनले नभ्। ४५८ ॐ वदानन्दाम नभ्।
३८१ ॐ श्रुतमे नभ्। ४२० ॐ फृशज्जानले नभ्। ४५९ ॐ दमामुताम नभ्।
३८२ ॐ गाथामै नभ्। ४२१ ॐ फृशत्कामाा म नभ्। ४६० ॐ गोऩाराम नभ्।
52 अप्रैर-2015

४६१ ॐ गोऩतमे नभ्। ४९९ ॐ अभयाम नभ्। ५३८ ॐ चषुऴे नभ्।


४६२ ॐ गोप्िे नभ्। ५०० ॐ चतुबुाजाम नभ्। ५३९ ॐ श्रुतमे नभ्।
४६३ ॐ कसरकारऩयाळयाम नभ्। ५०१ ॐ दळबुजाम नभ्। ५४० ॐ लचवे नभ्।
४६४ ॐ भनोलेसगने नभ्। ५०२ ॐ शमग्रीलाम नभ्। ५४१ ॐ घ्राणाम नभ्।
४६५ ॐ वदामोसगने नभ्। ५०३ ॐ खगाननाम नभ्। ५४२ ॐ गन्धाम नभ्।
४६६ ॐ वॊवायबमनाळनाम नभ्। ५०४ ॐ कत्रऩलक्िाम नभ्। ५४३ ॐ स्ऩळानाम नभ्।
४६७ ॐ तत्त्लदािे नभ्। ५०५ ॐ कत्रऩऩतमे नभ्। ५४४ ॐ स्ऩळाा म नभ्।
४६८ ॐ तत्त्लसाम नभ्। ५०६ ॐ नयसवॊशाम नभ्। ५४५ ॐ अशॊ कायभानगाम नभ्।
४६९ ॐ तत्त्लाम नभ्। ५०७ ॐ भशाद्युतमे नभ्। ५४६ ॐ नेसतनेतीसतगम्माम नभ्।
४७० ॐ तत्त्लप्रकाळकाम नभ्। ५०८ ॐ बीऴणाम नभ्। ५४७ ॐ लैकुण्ठबजनत्रप्रमाम नभ्।
४७१ ॐ ळुिाम नभ्। ५०९ ॐ बालगाम नभ्। ५४८ ॐ सगयीळाम नभ्।
४७२ ॐ फुिाम नभ्। ५१० ॐ लन्द्याम नभ्। ५४९ ॐ सगरयजाकान्ताम नभ्।
४७३ ॐ सनत्मभुिाम नभ्। ५११ ॐ लयाशाम नभ्। ५५० ॐ दुलाा ववे नभ्।
४७४ ॐ बियाजाम नभ्। ५१२ ॐ लामुरूऩधृऴे नभ्। ५५१ ॐ कलमे नभ्।
४७५ ॐ जमद्रथाम नभ्। ५१३ ॐ रक्ष्भणप्राणदािे नभ्। ५५२ ॐ अत्ङ्गयवे नभ्।
४७६ ॐ प्ररमाम नभ्। ५१४ ॐ ऩयात्जतदळाननाम नभ्। ५५३ ॐ बृगले नभ्।
४७७ ॐ असभतभामाम नभ्। ५१५ ॐ ऩारयजातसनलासवने नभ्। ५५४ ॐ लसवद्षाम नभ्।
४७८ ॐ भामातीताम नभ्। ५१६ ॐ लटले नभ्। ५५५ ॐ च्मलनाम नभ्।
४७९ ॐ त्रलभत्वयाम नभ्। ५१७ ॐ लचनकोत्रलदाम नभ्। ५५६ ॐ नायदाम नभ्।
४८० ॐ भामाबत्जातयषभे नभ्। ५१८ ॐ वुयवास्मत्रलसनभुािाम नभ्। ५५७ ॐ तुम्फयाम नभ्।
४८१ ॐ भामासनसभातत्रलद्शऩाम नभ्। ५१९ ॐ सवॊफशकायप्राणशायकाम नभ्। ५५८ ॐ अभराम नभ्।
४८२ ॐ भामाश्रमाम नभ्। ५२० ॐ रङ्कारङ्कायत्रलध्लॊसवने नभ्। ५५९ ॐ त्रलद्वषेिाम नभ्।
४८३ ॐ सनरेऩाम नभ्। ५२१ ॐ लृऴदॊ ळकरूऩधृऴे नभ्। ५६० ॐ त्रलद्वफीजाम नभ्।
४८४ ॐ भामासनलाताकाम नभ्। ५२२ ॐ यात्रिवॊचायकुळराम नभ्। ५६१ ॐ त्रलद्वनेिाम नभ्।
४८५ ॐ वुखाम नभ्। ५२३ ॐ यात्रिॊचयगृशत्ग्नदाम नभ्। ५६२ ॐ त्रलद्वऩाम नभ्।
४८६ ॐ वुत्खगे नभ्। ५२४ ॐ फकङ्कयान्तकयाम नभ्। ५६३ ॐ माजकाम नभ्।
४८७ ॐ वुखप्रदाम नभ्। ५२५ ॐ जम्फुभासरशन्िे नभ्। ५६४ ॐ मजभानाम नभ्।
४८८ ॐ नागाम नभ्। ५२६ ॐ उग्ररूऩधृऴे नभ्। ५६५ ॐ ऩालकाम नभ्।
४८९ ॐ भशे ळकृतवॊस्तलाम नभ्। ५२७ ॐ आकाळचारयणे नभ्। ५६६ ॐ त्रऩतृभ्मो नभ्।
४९० ॐ भशे द्वयाम नभ्। ५२८ ॐ शरयगाम नभ्। ५६७ ॐ श्रिामै नभ्।
४९१ ॐ वत्मवॊधाम नभ्। ५२९ ॐ भेघनादयणोत्वुकाम नभ्। ५६८ ॐ फुिमै नभ्।
४९२ ॐ ळयबाम नभ्। ५३० ॐ भेघगम्बीयसननदाम नभ्। ५६९ ॐ षभामै नभ्।
४९३ ॐ कसरऩालनाम नभ्। ५३१ ॐ भशायालणकुरान्तकाम नभ्। ५७० ॐ तन्द्रामै नभ्।
४९४ ॐ वशस्त्रकन्धय फरत्रलध्लॊवन- ५३२ ॐ कारनेसभप्राणशारयणे नभ्। ५७१ ॐ भन्िाम नभ्।
त्रलचषणाम नभ्। ५३३ ॐ भकयीळाऩभोषदाम नभ्। ५७२ ॐ भन्िसमिे नभ्।
ॐ वशस्त्रफाशले नभ्। ५३४ ॐ यवाम नभ्। ५७३ ॐ स्लयाम नभ्।
४९६ ॐ वशजाम नभ्। ५३५ ॐ यवसाम नभ्। ५७४ ॐ याजेन्द्राम नभ्।
४९७ ॐ फद्रफाशले नभ्। ५३६ ॐ वम्भानाम नभ्। ५७५ ॐ बूऩतमे नभ्।
४९८ ॐ फद्रबुजाम नभ्। ५३७ ॐ रूऩाम नभ्। ५७६ ॐ रुण्डभासरने नभ्।
53 अप्रैर-2015

५७७ ॐ वॊवायवायथमे नभ्। ६१६ ॐ भशाभन्िाम नभ्। ६५५ ॐ वद्ऱवाभोऩगीताम नभ्।


५७८ ॐ सनत्मवम्ऩूणाकाभाम नभ्। ६१७ ॐ भशाभतमे नभ्। ६५६ ॐ वद्ऱऩातारवॊश्रमाम नभ्।
५७९ ॐ बिकाभदुशे नभ्। ६१८ ॐ भशागभाम नभ्। ६५७ ॐ भेधादाम नभ्।
५८० ॐ उत्तभाम नभ्। ६१९ ॐ भशोदायाम नभ्। ६५८ ॐ कीसतादाम नभ्।
५८१ ॐ गणऩाम नभ्। ६२० ॐ भशादे लात्भकाम नभ्। ६५९ ॐ ळोकशारयणे नभ्।
५८२ ॐ केळलाम नभ्। ६२१ ॐ त्रलबले नभ्। ६६० ॐ दौबाा ग् मनाळनाम नभ्।
५८३ ॐ भ्रािे नभ्। ६२२ ॐ यौद्रकभाणे नभ्। ६६१ ॐ वलायषाकयाम नभ्।
५८४ ॐ त्रऩिे नभ्। ६२३ ॐ क्रूयकभाणे नभ्। ६६२ ॐ गबादोऴघ्ने नभ्।
५८५ ॐ भािे नभ्। ६२४ ॐ यत्ननाबाम नभ्। ६६३ ॐ ऩुिऩौिदाम नभ्।
५८६ ॐ भारुतमे नभ्। ६२५ ॐ कृतागभाम नभ्। ६६४ ॐ प्रसतलाफदभुखस्तम्बाम नभ्।
५८७ ॐ वशस्त्रभूध्ने नभ्। ६२६ ॐ अम्बोसधरङ्घनाम नभ्। ६६५ ॐ रुद्शसचत्तप्रवादनाम नभ्।
५८८ ॐ अनेकास्माम नभ्। ६२७ ॐ सवॊशाम नभ्। ६६६ ॐ ऩयासबचायळभनाम नभ्।
५८९ ॐ वशस्त्राषाम नभ्। ६२८ ॐ वत्मधभाप्रभोदनाम नभ्। ६६७ ॐ दु्खघ्ने नभ्।
५९० ॐ वशस्त्रऩादे नभ्। ६२९ ॐ त्जतासभिाम नभ्। ६६८ ॐ फन्धभोषदाम नभ्।
५९१ ॐ काभत्जते नभ्। ६३० ॐ जमाम नभ्। ६६९ ॐ नलद्रायऩुयाधायाम नभ्।
५९२ ॐ काभदशनाम नभ्। ६३१ ॐ वोभाम नभ्। ६७० ॐ नलद्रायसनकेतनाम नभ्।
५९३ ॐ काभाम नभ्। ६३२ ॐ त्रलजमाम नभ्। ६७१ ॐ नयनायामणस्तुत्माम नभ्।
५९४ ॐ काभपरप्रदाम नभ्। ६३३ ॐ लामुन्दनाम नभ्। ६७२ ॐ नलनाथभशे द्वयाम नभ्।
५९५ ॐ भुद्राऩशरयणे नभ्। ६३४ ॐ जीलदािे नभ्। ६७३ ॐ भेखसरने नभ्।
५९६ ॐ यषोघ्नाम नभ्। ६३५ ॐ वशस्त्राॊ ळले नभ्। ६७४ ॐ कलसचने नभ्।
५९७ ॐ त्षसतबायशयाम नभ्। ६३६ ॐ भुकुन्दाम नभ्। ६७५ ॐ खडसगने नभ्।
५९८ ॐ फराम नभ्। ६३७ ॐ बूरयदत्षणाम नभ्। ६७६ ॐ भ्रात्जष्णले नभ्।
५९९ ॐ नखदॊ द्सामुधाम नभ्। ६३८ ॐ सविाथाा म नभ्। ६७७ ॐ त्जष्णुवायथमे नभ्।
६०० ॐ त्रलष्णले नभ्। ६३९ ॐ सवत्रिदाम नभ्। ६७८ ॐ फशुमोजनत्रलस्तीणाऩुच्छाम नभ्।
६०१ ॐ बिाबमलयप्रदाम नभ्। ६४० ॐ सविवङ्कल्ऩाम नभ्। ६७९ ॐ ऩुच्छशतावुयाम नभ्।
६०२ ॐ दऩाघ्ने नभ्। ६४१ ॐ सवत्रिशे तुकाम नभ्। ६८० ॐ दुद्शग्रशसनशन्िे नभ्।
६०३ ॐ दऩादाम नभ्। ६४२ ॐ वद्ऱऩातारचयणाम नभ्। ६८१ ॐ त्रऩळाचग्रशघातकाम नभ्।
६०४ ॐ दॊ द्साळतभूतामे नभ्। ६४३ ॐ वद्ऱत्रऴागणलत्न्दताम नभ्। ६८२ ॐ फारग्रशत्रलनासळने नभ्।
६०५ ॐ अभूसताभते नभ्। ६४४ ॐ वद्ऱात्ब्धरङ्घनाम नभ्। ६८३ ॐ धभानेिे नभ्।
६०६ ॐ भशासनधमे नभ्। ६४५ ॐ लीयाम नभ्। ६८४ ॐ कृऩाकयाम नभ्।
६०७ ॐ भशाबागाम नभ्। ६४६ ॐ वद्ऱद्रीऩोरुभण्डराम नभ्। ६८५ ॐ उग्रकृत्माम नभ्।
६०८ ॐ भशाबगाा म नभ्। ६४७ ॐ वद्ऱाङ्गयाज्मवुखदाम नभ्। ६८६ ॐ उग्रलेगाम नभ्।
६०९ ॐ भशत्रिादाम नभ्। ६४८ ॐ वद्ऱभातृसनऴेत्रलताम नभ्। ६८७ ॐ उग्रनेिाम नभ्।
६१० ॐ भशाकायाम नभ्। ६४९ ॐ वद्ऱस्लरोकभुकुटाम नभ्। ६८८ ॐ ळतक्रतले नभ्।
६११ ॐ भशामोसगने नभ्। ६५० ॐ वद्ऱशोिे नभ्। ६८९ ॐ ळतभन्मुनुताम नभ्।
६१२ ॐ भशातेजवे नभ्। ६५१ ॐ स्लयाश्रमाम नभ्। ६९० ॐ स्तुत्माम नभ्।
६१३ ॐ भशाद्युतमे नभ्। ६५२ ॐ वद्ऱच्छन्दोसनधमे नभ्। ६९१ ॐ स्तुतमे नभ्।
६१४ ॐ भशावनाम नभ्। ६५३ ॐ वद्ऱच्छन्दवे नभ्। ६९२ ॐ स्तोिे नभ्।
६१५ ॐ भशानादाम नभ्। ६५४ ॐ वद्ऱजनाश्रमाम नभ्। ६९३ ॐ भशाफराम नभ्।
54 अप्रैर-2015

६९४ ॐ वभग्रगुणाळासरने नभ्। ७३३ ॐ कूभाा म नभ्। ७७२ ॐ ऩुरुजेिे नभ्।


६९५ ॐ व्मग्राम नभ्। ७३४ ॐ सनयाश्रमाम नभ्। ७७३ ॐ अघनाळनाम नभ्।
६९६ ॐ यषोत्रलनाळकाम नभ्। ७३५ ॐ लायाशाम नभ्। ७७४ ॐ कैलल्मरूऩाम नभ्।
६९७ ॐ यषोऽत्ग्नदाशाम नभ्। ७३६ ॐ नायसवॊशाम नभ्। ७७५ ॐ कैलल्माम नभ्।
६९८ ॐ मा जी ेळाम नभ्। ७३७ ॐ लाभनाम नभ्। ७७६ ॐ गरुडाम नभ्।
६९९ ॐ श्रीधयाम नभ्। ७३८ ॐ जभदत्ग्नजाम नभ्। ७७७ ॐ ऩन्नगोयगाम नभ्।
७०० ॐ बिलत्वराम नभ्। ७३९ ॐ याभाम नभ्। ७७८ ॐ फकरफकर
् यालशतायातमे
् नभ्।
७०१ ॐ भेघनादाम नभ्। ७४० ॐ कृष्णाम नभ्। ७७९ ॐ गलाऩलातबेदनाम नभ्।
७०२ ॐ भेघरूऩाम नभ्। ७४१ ॐ सळलाम नभ्। ७८० ॐ लज्राङ्गाम नभ्।
७०३ ॐ भेघलृत्रद्शसनलायकाम नभ्। ७४२ ॐ फुिाम नभ्। ७८१ ॐ लज्रदॊ द्साम नभ्।
७०४ ॐ भेघजीलनशे तले नभ्। ७४३ ॐ कत्ल्कने नभ्। ७८२ ॐ बिलज्रसनलायकाम नभ्।
७०५ ॐ भेघश्माभाम नभ्। ७४४ ॐ याभाश्रमाम नभ्। ७८३ ॐ नखामुधाम नभ्।
७०६ ॐ ऩयात्भकाम नभ्। ७४५ ॐ शयमे नभ्। ७८४ ॐ भत्णग्रीलाम नभ्।
७०७ ॐ वभीयतनमाम नभ्। ७४६ ॐ नत्न्दने नभ्। ७८५ ॐ ज्लाराभासरने नभ्।
७०८ ॐ मोद्धध्रे नभ्। ७४७ ॐ बृत्ङ्गणे नभ्। ७८६ ॐ बास्कयाम नभ्।
७०९ ॐ नृत्मत्रलद्यात्रलळायदाम नभ्। ७४८ ॐ चत्ण्डने नभ्। ७८७ ॐ प्रौढप्रताऩाम नभ्।
७१० ॐ अभोघाम नभ्। ७४९ ॐ गणेळाम नभ्। ७८८ ॐ तऩनाम नभ्।
७११ ॐ अभोघदृद्शमे नभ्। ७५० ॐ गणवेत्रलताम नभ्। ७८९ ॐ बिताऩसनलायकाम नभ्।
७१२ ॐ इद्शदाम नभ्। ७५१ ॐ कभाा ध्मषाम नभ्। ७९० ॐ ळयणाम नभ्।
७१३ ॐ अरयद्शनाळनाम नभ्। ७५२ ॐ वुयाध्मषाम नभ्। ७९१ ॐ जीलनाम नभ्।
७१४ ॐ अथाा म नभ्। ७५३ ॐ त्रलश्राभाम नभ्। ७९२ ॐ बोक्िे नभ्।
७१५ ॐ अनथाा ऩशारयणे नभ्। ७५४ ॐ जगतीऩतमे नभ्। ७९३ ॐ नानाचेद्शाम नभ्।
७१६ ॐ वभथाा म नभ्। ७५५ ॐ जगन्नाथाम नभ्। ७९४ ॐ अचञ्चराम नभ्।
७१७ ॐ याभवेलकाम नभ्। ७५६ ॐ कऩीळाम नभ्। ७९५ ॐ स्लत्स्तभते नभ्।
७१८ ॐ असथालन्द्याम नभ्। ७५७ ॐ वलाा लावाम नभ्। ४९६ ॐ स्लत्स्तदाम नभ्।
७१९ ॐ अवुयायातमे नभ्। ७५८ ॐ वदाश्रमाम नभ्। ७९७ ॐ दु्खळातनाम नभ्।
७२० ॐ ऩुण्डयीकाषाम नभ्। ७५९ ॐ वुग्रीलाफदस्तुताम नभ्। ७९८ ॐ ऩलनात्भजाम नभ्।
७२१ ॐ आत्भबुले नभ्। ७६० ॐ दान्ताम नभ्। ७९९ ॐ ऩालनाम नभ्।
७२२ ॐ वॊकऴाणाम नभ्। ७६१ ॐ वलाकभाणे नभ्। ८०० ॐ ऩलनाम नभ्।
७२३ ॐ त्रलळुिात्भने नभ्। ७६२ ॐ प्रलङ्गभाम नभ्। ८०१ ॐ कान्ताम नभ्।
७२४ ॐ त्रलद्यायाळमे नभ्। ७६३ ॐ नखदारयतयषवे नभ्। ८०२ ॐ बिाग्वशनाम नभ्।
७२५ ॐ वुयेद्वयाम नभ्। ७६४ ॐ नखमुित्रलळायदाम नभ्। ८०३ ॐ फसरने नभ्।
७२६ ॐ अचरोिायकाम नभ्। ७६५ ॐ कुळराम नभ्। ८०४ ॐ भेघनादरयऩले नभ्।
७२७ ॐ सनत्माम नभ्। ७६६ ॐ वुधनाम नभ्। ८०५ ॐ भेघनादवॊशतयाषवाम नभ्।
७२८ ॐ वेतुकृते नभ्। ७६७ ॐ ळेऴाम नभ्। ८०६ ॐ षयाम नभ्।
७२९ ॐ याभवायथमे नभ्। ७६८ ॐ लावुकमे नभ्। ८०७ ॐ अषयाम नभ्।
७३० ॐ आनन्दाम नभ्। ७६९ ॐ तषकाम नभ्। ८०८ ॐ त्रलनीतात्भने नभ्।
७३१ ॐ ऩयभानन्दाम नभ्। ७७० ॐ स्लणालणाा म नभ्। ८०९ ॐ लानये ळाम नभ्।
७३२ ॐ भत्स्माम नभ्। ७७१ ॐ फराढ्माम नभ्। ८१० ॐ वताॊ गतमे नभ्।
55 अप्रैर-2015

८११ ॐ श्रीकण्ठाम नभ्। ८५० ॐ कुण्डसरने नभ्। ८८८ ॐ रुक्भलणाा म नभ्।


८१२ ॐ सळसतकण्ठाम नभ्। ८५१ ॐ सचिभासरने नभ्। ८८९ ॐ कऩारबृते नभ्।
८१३ ॐ वशामाम नभ्। ८५२ ॐ मोगत्रलदाॊ लयाम नभ्। ८९० ॐ अनाकुराम नभ्।
८१४ ॐ वशनामकाम नभ्। ८५३ ॐ त्रलऩत्द्ळते नभ्। ८९१ ॐ बलोऩामाम नभ्।
८१५ ॐ अस्थूराम नभ्। ८५४ ॐ कलमे नभ्। ८९२ ॐ अनऩामाम नभ्।
८१६ ॐ अनणले नभ्। ८५५ ॐ आनन्दत्रलग्रशाम नभ्। ८९३ ॐ लेदऩायगाम नभ्।
८१७ ॐ बगाा म नभ्। ८५६ ॐ अनल्ऩळावनाम नभ्। ८९४ ॐ अषयाम नभ्।
८१८ ॐ फदव्माम नभ्। ८५७ ॐ पाल्गुनीवूनले नभ्। ८९५ ॐ ऩुरुऴाम नभ्।
८१९ ॐ वॊवसृ तनाळनाम नभ्। ८५८ ॐ अव्मग्राम नभ्। ८९६ ॐ रोकनाथाम नभ्।
८२० ॐ अध्मात्भत्रलद्यावायाम नभ्। ८५९ ॐ मोगात्भने नभ्। ८९७ ॐ ऋषप्रबले नभ्।
८२१ ॐ अध्मात्भकुळराम नभ्। ८६० ॐ मोगतत्ऩयाम नभ्। ८९८ ॐ दृढाम नभ्।
८२२ ॐ वुसधमे नभ्। ८६१ ॐ मोगत्रलदे नभ्। ८९९ ॐ अद्शाङ्गमोगपरबुजे नभ्।
८२३ ॐ अकल्भऴाम नभ्। ८६२ ॐ मोगकिे नभ्। ९०० ॐ वत्मवॊधाम नभ्।
८२४ ॐ वत्मशे तले नभ्। ८६३ ॐ मोगमोनमे नभ्। ९०१ ॐ ऩुरुद्शुताम नभ्।
८२५ ॐ वत्मदाम नभ्। ८६४ ॐ फदगम्फयाम नभ्। ९०२ ॐ श्भळानस्थानसनरमाम नभ्।
८२६ ॐ वत्मगोचयाम नभ्। ८६५ ॐ अकयाफदशकायान्तलणासनसभात- ९०३ ॐ प्रेतत्रलद्रालणषभाम नभ्।
८२७ ॐ वत्मगबाा म नभ्। त्रलग्रशाम नभ्। ९०४ ॐ ऩञ्चाषयऩयाम नभ्।
८२८ ॐ वत्मरूऩाम नभ्। ८६६ ॐ उरूखरभुखाम नभ्। ९०५ ॐ ऩञ्चभातृकाम नभ्।
८२९ ॐ वत्माम नभ्। ८६७ ॐ सविवॊस्तुताम नभ्। ९०६ ॐ यञ्चनध्लजाम नभ्।
८३० ॐ वत्मऩयाक्रभाम नभ्। ८६८ ॐ प्रभथेद्वयाम नभ्। ९०७ ॐ मोसगनीलृन्दलन्द्यसश्रमै नभ्।
८३१ ॐ अञ्जनाप्राणसरङ्गाम नभ्। ८६९ ॐ त्श् रद्शजङ्घाम नभ्। ९०८ ॐ ळिुघ्नाम नभ्।
८३२ ॐ लामुलॊळोद्भलाम नभ्। ८७० ॐ त्श् रद्शजानले नभ्। ९०९ ॐ अनन्तत्रलक्रभाम नभ्।
८३३ ॐ ळुबाम नभ्। ८७१ ॐ त्श् रद्शऩाणमे नभ्। ९१० ॐ मा जी चारयणे नभ्।
८३४ ॐ बद्ररूऩाम नभ्। ८७२ ॐ सळखाधयाम नभ्। ९११ ॐ इत्न्द्रमरयऩले नभ्।
८३५ ॐ रुद्ररूऩाम नभ्। ८७३ ॐ वुळभाणे नभ्। ९१२ ॐ धृतदण्डाम नभ्।
८३६ ॐ वुरूऩाम नभ्। ८७४ ॐ असभतळभाणे नभ्। ९१३ ॐ दळात्भकाम नभ्।
८३७ ॐ सचिरूऩधृऴे नभ्। ८७५ ॐ नायामणऩयामणाम नभ्। ९१४ ॐ अप्रऩञ्चाम नभ्।
८३८ ॐ भैनाकलत्न्दताम नभ्। ८७६ ॐ त्जष्णले नभ्। ९१५ ॐ वदाचायाम नभ्।
८३९ ॐ वूक्ष्भदळानाम नभ्। ८७७ ॐ बत्रलष्णले नभ्। ९१६ ॐ ळूयवेनात्रलदायकाम नभ्।
८४० ॐ त्रलजमाम नभ्। ८७८ ॐ योसचष्णले नभ्। ९१७ ॐ लृिाम नभ्।
८४१ ॐ जमाम नभ्। ८७९ ॐ ग्रसवष्णले नभ्। ९१८ ॐ प्रभोदाम नभ्।
८४२ ॐ क्रान्तफदङ्भण्डराम नभ्। ८८० ॐ स्थाणले नभ्। ९१९ ॐ आनन्दाम नभ्।
८४३ ॐ रुद्राम नभ्। ८८१ ॐ शरयरुद्रानुवेकाम नभ्। ९२० ॐ वद्ऱद्रीऩऩसतन्धयाम नभ्।
८४४ ॐ प्रकटीकृतत्रलक्रभाम नभ्। ८८२ ॐ कम्ऩनाम नभ्। ९२१ ॐ नलद्रायऩुयाधायाम नभ्।
८४५ ॐ कम्फुकण्ठाम नभ्। ८८३ ॐ बूसभकम्ऩनाम नभ्। ९२२ ॐ प्रत्मग्राम नभ्।
८४६ ॐ प्रवन्नात्भने नभ्। ८८४ ॐ गुणप्रलाशाम नभ्। ९२३ ॐ वाभगामकाम नभ्।
८४७ ॐ ह्रस्लनावाम नभ्। ८८५ ॐ वूिात्भने नभ्। ९२४ ॐ ऴट्चक्रधाम्ने नभ्।
८४८ ॐ लृकोदयाम नभ्। ८८६ ॐ लीतयागस्तुसतत्रप्रमाम नभ्। ९२५ ॐ स्लरोकाबमकृते नभ्।
८४९ ॐ रम्फौद्षाम नभ्। ८८७ ॐ नागकन्माबमध्लॊसवने नभ्। ९२६ ॐ भानदाम नभ्।
56 अप्रैर-2015

९२७ ॐ भदाम नभ्। ९५४ ॐ धभाऩाराम नभ्। ९८१ ॐ कऩमे नभ्।


९२८ ॐ वलालश्मकयाम नभ्। ९५५ ॐ धभाा म नभ्। ९८२ ॐ ळाफकनीडाफकनीमषयषोबूत-
९२९ ॐ ळिमे नभ्। ९५६ ॐ धभाप्रदाम नभ्। प्रबञ्जकाम नभ्।
९३० ॐ अनन्ताम नभ्। ९५७ ॐ अथादाम नभ्। ९८३ ॐ वद्योजाताम नभ्।
९३१ ॐ अनन्तङ्गराम नभ्। ९५८ ॐ ऩञ्चत्रलॊळसततत्त्लसाम नभ्। ९८४ ॐ काभगतमे नभ्।
९३२ ॐ अद्शभूतामे नभ्। ९५९ ॐ तायकाम नभ्। ९८५ ॐ सानभूतामे नभ्।
९३३ ॐ नमोऩेताम नभ्। ९६० ॐ मा जी तत्ऩयाम नभ्। ९८६ ॐ मळस्कयाम नभ्।
९३४ ॐ त्रलरूऩाम नभ्। ९६१ ॐ त्रिभागालवतमे नभ्। ९८७ ॐ ळम्बुतेजवे नभ्।
९३५ ॐ वुयवुन्दायाम नभ्। ९६२ ॐ बीभाम नभ्। ९८८ ॐ वालाबौभाम नभ्।
९३६ ॐ धूभकेतले नभ्। ९६३ ॐ वलादु्खसनफशा णाम नभ्। ९८९ ॐ त्रलष्णुबिाम नभ्।
९३७ ॐ भशाकेतले नभ्। ९६४ ॐ ऊजास्लते नभ्। ९९० ॐ प्रलङ्गभाम नभ्।
९३८ ॐ वत्मकेतले नभ्। ९६५ ॐ सनष्कराम नभ्। ९९१ ॐ चतुनालसतभन्िसाम नभ्।
९३९ ॐ भशायथाम नभ्। ९६६ ॐ ळूसरने नभ्। ९९२ ॐ ऩौरस्त्मफरदऩाघ्ने नभ्।
९४० ॐ नत्न्दत्रप्रमाम नभ्। ९६७ ॐ भौसरने नभ्। ९९३ ॐ वलारक्ष्भीप्रदाम नभ्।
९४१ ॐ स्लतन्िाम नभ्। ९६८ ॐ गजात्न्नळाचयाम नभ्। ९९४ ॐ श्रीभते नभ्।
९४२ ॐ भेखसरने नभ्। ९६९ ॐ यिाम्फयधयाम नभ्। ९९५ ॐ अङ्गदत्रप्रमाम नभ्।
९४३ ॐ डभरुत्रप्रमाम नभ्। ९७० ॐ यिाम नभ्। ९९६ ॐ ईफडताम नभ्।
९४४ ॐ रौशाङ्गाम नभ्। ९७१ ॐ यिभाल्माम नभ्। ९९७ ॐ स्भृसतफीजाम नभ्।
९४५ ॐ वलात्रलदे नभ्। ९७२ ॐ त्रलबूऴणाम नभ्। ९९८ ॐ वुयेळानाम नभ्।
९४६ ॐ धत्न्लने नभ्। ९७३ ॐ लनभासरने नभ्। ९९९ ॐ वॊवायबमनाळनाम नभ्।
९४७ ॐ खण्डराम नभ्। ९७४ ॐ ळुबाङ्गाम नभ्। १००० ॐ उत्तभाम नभ्।
९४८ ॐ ळलाा म नभ्। ९७५ ॐ द्वेताम नभ्। १००१ ॐ श्रीऩयीलायाम नभ्।
९४९ ॐ ईद्वयाम नभ्। ९७६ ॐ द्वेताम्फयाम नभ्। १००२ ॐ सश्रताम नभ्।
९५० ॐ परबुजे नभ्। ९७७ ॐ मूने नभ्। १००३ ॐ रुद्राम नभ्।
९५१ ॐ परशस्ताम नभ्। ९७८ ॐ जमाम नभ्। १००४ ॐ काभदुशे नभ्।
९५२ ॐ वलाकभापरप्रदाम नभ्। ९७९ ॐ अजमऩयीलायाम नभ्।
९५३ ॐ धभाा ध्मषाम नभ्। ९८० ॐ वशस्त्रलदनाम नभ्। ***
दग
ु ाा फीवा मॊि
ळास्त्रोि भत के अनुळाय दग
ु ाा फीवा मॊि दब
ु ााग्म को दयू कय व्मत्रि के वोमे शुल े बाग्म को जगाने लारा भाना गमा
शं। दग
ु ाा फीवा मॊि द्राया व्मत्रि को जीलन भं धन वे वॊफसॊ धत वॊस्माओॊ भं राब प्राद्ऱ शोता शं। जो व्मत्रि आसथाक
वभस्मावे ऩये ळान शं, लश व्मत्रि मफद नलयािं भं प्राण प्रसतत्रद्षत फकमा गमा दग
ु ाा फीवा मॊि को स्थासद्ऱ कय रेता
शं, तो उवकी धन, योजगाय एलॊ व्मलवाम वे वॊफध
ॊ ी वबी वभस्मं का ळीघ्र शी अॊत शोने रगता शं। नलयाि के फदनो भं
प्राण प्रसतत्रद्षत दग
ु ाा फीवा मॊि को अऩने घय-दक
ु ान-ओफपव-पै क्टयी भं स्थात्रऩत कयने वे त्रलळेऴ राब प्राद्ऱ शोता शं,
व्मत्रि ळीघ्र शी अऩने व्माऩाय भं लृत्रि एलॊ अऩनी आसथाक त्स्थती भं वुधाय शोता दे खंगे। वॊऩण
ू ा प्राण प्रसतत्रद्षत एलॊ
ऩूणा चैतन्म दग
ु ाा फीवा मॊि को ळुब भुशूत ा भं अऩने घय-दक
ु ान-ओफपव भं स्थात्रऩत कयने वे त्रलळेऴ राब प्राद्ऱ
शोता शं। भू ल् म: Rs.7300 वे Rs.12700 तक >> Shop Online | Order Now
57 अप्रैर-2015

॥ रान्गूरोऩसनऴत ्॥
श्रीगणे ळाम नभ्। ॐ अस्म श्री अनन्तघोयप्ररमज्लारात्ग्न- सनलायण आत्भत्रलद्यावॊय षक अत्ग्नदीद्ऱ अथलाणले द-
यौद्रस्म लीयशनुभत्वाध्मवाधनाघोयभूरभन्िस्म ईद्वय ऋत्रऴ्। सवित्स्थयकारात्ग्नसनयाशायक लामुलेग भनोले ग श्रीयाभताय-
अनुद्शुऩ ् छन्द्। श्रीयाभरक्ष्भणौ दे लता। वं फीजभ ्। कऩयमा जी त्रलद्वरूऩदळान रक्ष्भणप्राणप्रसतद्षानन्दकय स्थर-
अञ्जनावूनुरयसत ळत्रि्। लामुऩुि इसत कीरकभ ्। जरात्ग्नभभाबेफदन ् वलाळिून ् सछत्न्ध सछत्न्ध भभ लैरयण्
श्रीशनुभत्प्रवादसवद्धध्मथं बूबुालस्स्लरोकवभावीन- तत्लम्ऩद- खादम खादम भभ वञ्जीलनऩलातोत्ऩाटन डाफकनीत्रलध्लॊवन
ळोधनाथं जऩे त्रलसनमोग्। ॐ बू् नभो बगलते वुग्रीलवख्मकयण सनष्करङ्क कुभायमा जी चारयन ् फदगम्फय
दालानरकारात्ग्नशनुभते अङ्गुद्षाभ्माॊ नभ्। ॐ बुल् नभो वलाऩाऩ वलाग्रश कुभायग्रश वलं छे दम छे दम बे दम बे दम सबत्न्ध
बगलते चण्डप्रताऩशनुभते तजानीभ्माॊ नभ्। ॐ स्ल् नभो सबत्न्ध खादम खादम टङ्क टङ्क ताडम ताडम भायम भायम
बगलते सचन्ताभत्णशनुभते भध्मभाभ्माॊ नभ्। ॐ भश् नभो ळोऴम ळोऴम ज्लारम ज्लारम शायम शायम नाळम नाळम
बगलते ऩातारगरुडशनुभते अनासभकाभ्माॊ नभ्। ॐ जन् नभो असतळोऴम असतळोऴम भभ वलं च शनुभन ् यष यष ॐ ह्राॊ ह्रीॊ ह्रूॊ
बगलते कारात्ग्नरुद्रशनुभते कसनत्रद्षकाभ्माॊ नभ्। ॐ तऩ् शुॊ पट् घे घे स्लाशा॥ ॐ नभो बगलते चण्डप्रताऩशनुभते
वत्मॊ नभो बगलते बद्रजासतत्रलकटरुद्रलीयशनुभते कयतरकय- भशालीयाम वलाद्ु खत्रलनाळनाम ग्रशभण्डरबूतभण्डर-
ऩृद्षाभ्माॊ नभ्। ॐ बू् नभो बगलते दालानरकारात्ग्नशनुभते प्रे तत्रऩळाचभण्डर वलोच्चाटनाम असतबमङ्कयज्लय-
रृदमाम नभ्। ॐ बुल् नभो बगलते चण्डप्रताऩशनुभते सळयवे भाशे द्वयज्लय-त्रलष्णुज्लय-मा जी ज्लय- ले ताऱ मा जी याषवज्लय-
स्लाशा। ॐ स्ल् नभो बगलते सचन्ताभत्णशनुभते सळखामै त्रऩत्तज्लय-द्ऴेष्भवात्न्नऩासतकज्लय-त्रलऴभज्लय- ळीतज्लय
लऴट्। ॐ भश् नभो बगलते ऩातारगरुडशनुभते कलचाम शुभ ्। एकाफशकज्लय-द्व्माफशकज्लय-िैफशकज्लय-चातुसथाकज्लय-
ॐ जन् नभो बगलते कारात्ग्नरुद्रशनुभते ने ििमाम लौऴट्। ॐ अधाभासवकज्लय-भासवकज्लय-ऴाण्भासवकज्लय वाॊलत्वरय-
तऩ् वत्मॊ नभो बगलते बद्रजासतत्रलकटरुद्रलीयशनुभते अस्त्राम कज्लय- अस््मन्तगातज्लय-भशाऩस्भाय-श्रसभकाऩस्भायाॊद्ळ
पट्। अथ ध्मानभ ्। लज्राङ्गॊ त्रऩङ्गने ि ॊ बे दम बे दम खादम खादम ॐ ह्राॊ ह्रीॊ ह्रॊू शॊु पट् घे घे स्लाशा॥ ॐ
कनकभमरवत्कुण्डराक्रान्तगण्डॊ दम्बोसरस्तम्बवायप्रशयण- नभो बगलते सचन्ताभत्णशनुभते अङ्गळूर-अत्षळूर-
त्रललळीबूतयषोऽसधनाथभ ्। उद्यल्राङ्गूरघऴाप्रचरजरसनसधॊ सळयश्ळूर- गुल्भळूर-उदयळूर-कणाळूर-ने िळूर-गुदळूर-
बीभरूऩॊ कऩीन्द्रॊ ध्मामन्तॊ याभचन्द्रॊ प्रलगऩरयलृढॊ वत्लवायॊ कफटळूर- जानुळूर-जङ्घाळूर-शस्तळूर-ऩादळूर-गुल्पळूर-
प्रवन्नभ ्॥ इसत भानवोऩचायै ् वम्ऩूज्म। ॐ नभो बगलते लातळूर- त्रऩत्तळूर-ऩामुळूर-स्तनळूर-ऩरयणाभळूर -
दालानरकारात्ग्नशनुभते जमसश्रमो जमजीत्रलताम ऩरयधाभळूर- ऩरयफाणळूर -दन्तळूर-कुत्षळूर-वुभनश्ळूर -
धलरीकृतजगत्िम लज्रदे श लज्रऩुच्छ लज्रकाम लज्रतुण्ड वलाळूरासन सनभूारम सनभूारम दैत्मदानलकासभनी-
लज्रभुख लज्रनख लज्रफाशो लज्रयोभ लज्रने ि लज्रदन्त लज्रळयीय ले तारमा जी याषवकोराशर- नागऩाळानन्तलावुफकतष-
वकरात्भकाम बीभकय त्रऩङ्गराष उग्र प्ररमकारयौद्र ककाकोटकसरङ्गऩद्मककुभुदज्लरयोगऩाळ- भशाभायीन ्
लीयबद्रालताय ळयबवारुलबैय लदोदाण्ड रङ्काऩुय ीदाशन कारऩाळत्रलऴॊ सनत्रलाऴॊ कुरु कुरु ॐ ह्राॊ ह्रीॊ ह्रूॊ शुॊ पट् घे घे स्लाशा॥
उदसधरङ्घन दळग्रीलकृ तान्त वीतात्रलद्वाव ईद्वयऩुि अञ्जना- ॐ ह्रीॊ श्रीॊ क्रीॊ ग्राॊ ग्रीॊ ग्रूॊ ॐ नभो बगलते
गबावम्बूत उदमबास्कयत्रफम्फानरग्रावक दे लदानलऋत्रऴभु- ऩातारगरुडशनुभते बैय ललनगतगजसवॊशे न्द्राषीऩाळफन्धॊ छे दम
सनलन्द्य ऩाळुऩतास्त्रमा जी ास्त्रफैरला स्त्रनायामणास्त्रकार ळत्रि- छे दम प्ररमभारुत कारात्ग्नशनुभन ् श्रृङ्खराफन्धॊ त्रलभोषम
कास्त्रदण्डकास्त्रऩाळाघोयास्त्रसनलायण ऩाळुऩतास्त्रमा जी ास्त्रफैरला- त्रलभोषम वलाग्रशॊ छे दम छे दम भभ वलाकामाात्ण वाधम वाधम
स्त्रनायामणास्त्रभृड वलाळत्रिग्रवन भभात्भयषाकय ऩयत्रलद्या- भभ प्रवादॊ कुरु कुरु भभ प्रवन्न श्रीयाभवे लकसवॊश बैय लस्लरूऩ
Dear Reader…
You have reached a Limit that is available for Free viewing !

Now it's unavailable to Unauthorised or Unregistered User.


We hope Enjoyed the preview?

Now time to Get A GK Premium Membership For Full Access ..


>> See details for this Membership in the our Store.

(GK Premium Membership available for any 1 Edition or All Edition.)


59 अप्रैर-2015

॥ श्रीशनुभत्प्रळॊवनभ ् ॥

भुत्रिप्रदानात ् प्रसतकतृाता भे वलास्म फोधो बलताॊ बले त । भशाफरोऽशॊ कत्रऩराख्मरूऩत्स्त्रकूटरूऩ् ऩलनद्ळ भे वुत् ॥६॥
शनूभतो न प्रसतकतृाता स्मात ् स्लबालबिस्म सनयौऴधॊ भे ॥१॥ आलाॊ स्लळक्त्मा जसमनात्रलसत स्भ सळलो लयान्ते ऽजमदे नभे लभ ्।
सात्ला वुय ाजे मसभभॊ फश लव्रे शयो जमे माशभभुॊ दळाननभ ् ॥७॥
भद्भिौ सानऩूताालनुऩसधकफरप्रोन्नसतस्थैमाधम
ै ा-
स्लाबाव्मासधक्मते ज्वुभसतदभळभे ष्लस्म तुल्मो न कत्द्ळत ् । अत् स्लबालाज्जसमनालशॊ च लामुद्ळ लामुशानुभान ् वएऴ् ।
ळे ऴो रुद्र् वुऩणोऽप्मुरुगुणवसभतौ नो वशस्राॊळुतुल्मा अभुष्म शे तोस्तु ऩुय ा फश लामुना -
अस्मे त्मस्भान्भदैळॊ ऩदभशभभुना वाधाभेलोऩबोक्ष्मे ॥२॥ सळले न्द्रऩूलाा अत्रऩ काद्षलत्कृता् ॥८॥

ऩूलं त्जगाम बुलनॊ दळकन्धयोऽवा- अतो शनूभान ् ऩदभे तु धातुभादासमा वृष्ट्मलनाफदकभा ।


लब्जोद्भलस्म लयतो न तु तॊ कदासचत ् । भोषॊ च रोकस्म वदैल कुलान ्
कत्द्ळत्ज्जगाम ऩुरुशूतवुत् कत्रऩत्लाद्- -भुिद्ळ भुिान ् वुखमन ् प्रलताताभ ् ॥९॥
त्रलष्णोलायादजमदजुान एल चैनभ ् ॥३॥
बोगाद्ळ मे मासन च कभाजातान्मनाद्यनन्तासन भभे श वत्न्त ।
दत्तो लयो न भनुजान ् प्रसत लानयाॊद्ळ भदासमा तान्मत्खरासन वत्न्त
धािास्म ते न त्रलत्जतो मुसध लासरनैऴ्। -धातु् ऩदे तत ् वशबोगनाभ ॥१०॥
अब्जोद्भलस्म लयभाद्वसबबूम यषो
त्जग्मे त्लशॊ यणभुखे फसरभाह्वमन्तभ ् ॥४॥ एतादृळॊ भे वशबोजनॊ ते भमा प्रदत्तॊ शनुभन ् वदैल ।
इतीरयतस्तॊ शनूभान ् प्रणम्म -
फरे द्राास्थोऽशॊ लयभस्भै वम्प्रदाम ऩूलं तु । जगाद लाक्मॊ त्स्थयबत्रिनम्र् ॥११॥
ते न भमा यषोऽस्तॊ मोजनभमुतॊ ऩदाङ्गुल्मा ॥५॥
॥ इसत श्रीभदानन्दतीथॉमभशाबायततात्ऩमासनणामत्
ऩुनद्ळ मुिाम वभाह्वमन्तॊ न्मऩातमॊ यालणभे कभुत्रद्शना । श्रीशनुभत्प्रळॊवनभ ्॥

अवरी 1 भु ख ी वे 14 भु ख ी रुद्राष
गुरु त्ल कामाारम भं वॊऩूणा प्राणप्रसतत्रद्षत एलॊ अवरी 1 भुखी वे 14 भुखी तक के रुद्राष उऩरब्ध शं । ज्मोसतऴ कामा वे जुडे़
फॊध/
ु फशन ल यत्न व्मलवाम वे जुडे रोगो के सरमे त्रलळे ऴ भूल्म ऩय यत्न, उऩयत्न मॊि, रुद्राष ल अन्म दर
ु ाब वाभग्रीमाॊ एलॊ
अन्म वुत्रलधाएॊ उऩरब्ध शं । रुद्राष के त्रलऴम भं असधक जानकायी के सरए कामाारम भं वॊऩका कयं ।

त्रलळे ऴ मॊ ि : शभायं मशाॊ वबी प्रकाय के मॊि वोने -चाॊफद-ताम्फे भं आऩकी आलश्मिा के अनुळाय फकवी बी बाऴा/धभा
के मॊिो को आऩकी आलश्मक फडजाईन के अनुळाय २२ गेज ळुि ताम्फे भं अखॊफडत फनाने की त्रलळे ऴ वुत्रलधाएॊ उऩरब्ध
शं । असधक जानकायी के सरए कामाारम भं वॊऩका कयं ।
GURUTVA KARYALAY
BHUBNESWAR-751018, (ORISSA), Call Us – 91 + 9338213418, 91 + 9238328785
Email Us:- gurutva_karyalay@yahoo.in, gurutva.karyalay@gmail.com
60 अप्रैर-2015

॥ शनुभद्राडलानरस्तोिभ ् ॥
श्रीगणे ळाम नभ् । षवबूतप्रे तत्रऩळाचान ् उच्चाटम उच्चाटम
ॐ अस्म श्रीशनुभद्राडलानरस्तोिभन्िस्म ॐ ह्राॊ ह्रीॊ ॐ नभो बगलते श्रीभशाशनुभते
श्रीयाभचन्द्र ऋत्रऴ्।, श्रीलडलानरशनुभान ् दे लता।, ॐ ह्राॊ ह्रीॊ ह्रूॊ ह्रं ह्रं ह्र् आॊ शाॊ शाॊ शाॊ औ ॊ वं एफश एफश एफश
भभ वभस्तयोगप्रळभनाथं। , आमुय ायोग्मैद्वमाासबलृद्धध्मथं। , ॐशॊ ॐशॊ ॐशॊ ॐशॊ ॐनभो बगलते श्रीभशाशनुभते
वभस्तऩाऩषमाथं। , वीतायाभचन्द्रप्रीत्मथं च श्रलणचषुबूातानाॊ ळाफकनीडाफकनीनाॊ त्रलऴभदद्श
ु ानाॊ
शनुभद्राडलानरस्तोिजऩभशॊ करयष्मे ॥ वलात्रलऴॊ शय शय आकाळबुलनॊ बे दम बे दम छे दम छे दम
ॐ ह्राॊ ह्रीॊ ॐ नभो बगलते श्री भशाशनुभते प्रकटऩयाक्रभ भायम भायम ळोऴम ळोऴम भोशम भोशम ज्लारम ज्लारम
वकरफदङ्मण्डरमळोत्रलतानधलरीकृतजगत्त्ितम लज्रदे श प्रशायम प्रशायम वकरभामाॊ बे दम बे दम
रुद्रालताय रङ्काऩुयीदशन उभाअभरभन्ि उदसधफन्धन ॐ ह्राॊ ह्रीॊ ॐ नभो बगलते भशाशनुभते वला ग्रशोच्चाटन
दळसळय्कृतान्तक वीताद्ववन लामुऩुि अञ्जनीगबावम्बूत ऩयफरॊ षोबम षोबम वकरफन्धनभोषणॊ कुरु कुरु
श्रीयाभरक्ष्भणानन्दकय कत्रऩवैन्मप्राकाय वुग्रीलवाह्य सळय्ळूरगुल्भळूरवलाळूरात्न्नभूारम सनभूारम
यणऩलातोत्ऩाटन कुभायमा जी चारयन ् गबीयनाद नागऩाळानन्तलावुफकत षकककोटक कासरमान ्
वलाऩाऩग्रशलायण वलाज्लयोच्चाटन डाफकनीत्रलध्लॊवन मषकुरजर गतत्रफरगतयात्रिञ्चय फदलाचय
ॐ ह्राॊ ह्रीॊ ॐ नभो बगलते भशालीयलीयाम वलाात्न्नत्रलाऴॊ कुरु कुरु स्लाशा॥
वलाद्ु खसनलायणाम याजबम चोयबम ऩयभन्िऩयमन्िऩयतन्िऩयत्रलद्याच्छे दम छे दम
ग्रशभण्डरवलाबूतभण्डरवलात्रऩळाचभण्डरोच्चाटन स्लभन्िस्लमन्िस्लतन्िस्लत्रलद्या् प्रकटम प्रकटम वलाारयद्शा-
बूतज्लय एकाफशकज्लय द्धव्माफशकज्लय न्नाळम नाळम वलाळिून्नाळम नाळम
त्र्माफशकज्लयचातुसथाकज्लय वन्ताऩज्लय त्रलऴभज्लय अवाध्मॊ वाधम वाधम शुॊ पट् स्लाशा॥
ताऩज्लयभाशे द्वयलैष्णलज्लयान ् सछत्न्ध सछत्न्ध मषमा जी या ॥ इसत श्रीत्रलबीऴणकृतॊ शनुभद्राडलानरस्तोिॊ वम्ऩूणाभ ् ॥

नलयत्न जफड़ेत श्री मॊि


ळास्त्र लचन के अनुवाय ळुि वुलणा मा यजत भं सनसभात श्री मॊि के चायं औय मफद नलयत्न जड़ेला ने ऩय
मश नलयत्न जफड़ेत श्री मॊि कशराता शं । वबी यत्नो को उवके सनत्द्ळत स्थान ऩय जड़े कय रॉकेट के रूऩ
भं धायण कयने वे व्मत्रि को अनॊत एद्वमा एलॊ रक्ष्भी की प्रासद्ऱ शोती शं । व्मत्रि को एवा आबाव शोता शं
जैवे भाॊ रक्ष्भी उवके वाथ शं । नलग्रश को श्री मॊि के वाथ रगाने वे ग्रशं की अळुब दळा का धायण
कयने लारे व्मत्रि ऩय प्रबाल नशीॊ शोता शं । गरे भं शोने के कायण मॊि ऩत्रलि यशता शं एलॊ स्नान कयते
वभम इव मॊि ऩय स्ऩळा कय जो जर त्रफॊद ु ळयीय को रगते शं , लश गॊगा जर के वभान ऩत्रलि शोता शं ।
इव सरमे इवे वफवे तेजस्ली एलॊ परदासम कशजाता शं । जैवे अभृत वे उत्तभ कोई औऴसध नशीॊ, उवी
प्रकाय रक्ष्भी प्रासद्ऱ के सरमे श्री मॊि वे उत्तभ कोई मॊि वॊवाय भं नशीॊ शं एवा ळास्त्रोि लचन शं । इव
प्रकाय के नलयत्न जफड़ेत श्री मॊि गुरूत्ल कामाारम द्राया ळुब भुशूता भं प्राण प्रसतत्रद्षत कयके फनालाए जाते
शं । Rs: 2800, 3250, 3700, 4600, 5500 वे 10,900 वे असधक >> Shop Online | Order Now
61 अप्रैर-2015

॥ श्री शनुभान वशस्त्रनाभस्तोिभ ् ॥


श्री शनुभॊत वशस्त्रनाभस्तोिभ ् ध्मानभ ् अतुसरतफरधाभॊ शे भ- जगत्रितो शरय् श्रोळो गरुडस्भमबञ्जन् ॥१५॥
ळैराबदे शॊ दनुजलनकृळानुॊ सासननाभग्रगण्मभ ् । वकरगुण- ऩाथाध्लजो लामुऩुिोऽसभतऩुच्छोऽसभतत्रलक्रभ् ।
सनधानॊ लानयाणाभधीळॊ यघुऩसतत्रप्रमबिॊ लातजातॊ नभासभ ॥ मा जी ऩुच्छ् ऩयमा जी ऩुच्छो याभे द्शकायक् ॥१६॥
स्तोिभ ् वुग्रीलाफदमुतो सानी लानयो लानये द्वय् ।
श्रीयाभचन्द्र उलाच शनुभाञ्श्रीप्रदो लामुऩुिो रुद्रोऽनघोऽजय् । कल्ऩस्थामी सचयञ्जीली तऩनद्ळ वदासळल् ॥१७॥
अभृत्मुलॉयलीयद्ळ ग्राभलावो जनाश्रम् ॥१॥ वन्नासत् वद्गसतबुात्रिभुत्रिद् कीसतादामक् ।
धनदो सनगुण
ा ोऽकामो लीयो सनसधऩसतभुासन् । कीसता् कीसताप्रदद्ळैल वभुद्र् श्रीऩद् सळल् ॥१८॥
त्रऩङ्गषो लयदो लाग्भी वीताळोकत्रलनाळन् ॥२॥ बिोदमो बिगम्मो बिबाग्मप्रदामक् ।
सळल् वला् ऩयोऽव्मिो व्मिाव्मिो यवाधन् । उदसधक्रभणो दे ल् वॊवायबमनाळन् ॥१९॥
त्रऩङ्गकेळ् त्रऩङ्गयोभा श्रुसतगम्म वनातन् ॥३॥ लासधाफन्धनकृद त्रलद्वजे ता त्रलद्वप्रसतत्रद्षत् ।
अनाफदबालान दे लो त्रलद्वशे तुसनाय ाभम् । रङ्कारय् कारऩुरुऴो रङ्केळगृशबञ्जक् ॥२०॥
आयोग्मकताा त्रलद्वे ळो त्रलद्वनाथो शयीद्वय् ॥४॥ बूतालावो लावुदेलो लवुत्स्त्रबुलने द्वय् ।
बगो याभो याभबि् कल्माणप्रकृसत् त्स्थय् । श्रीयाभरूऩ् कृष्णस्तु रङ्काप्रावादबञ्जक् ॥२१॥
त्रलद्वम्बयो त्रलद्वभूसतात्रलाद्वाकायोऽथ त्रलद्वऩ् ॥५॥ कृष्ण् कृष्णस्तुत् ळान्त् ळात्न्तदो त्रलद्वऩालन् ।
त्रलद्वात्भा त्रलद्ववे व्मोऽथ त्रलद्वो त्रलद्वशयो यत्रल् । त्रलद्वबोिाथ भायघ्नो मा जी चायी त्जते त्न्द्रम् ॥२२॥
त्रल ्द्वचेद्शो त्रलद्वगम्मो त्रलद्वध्मे म् कराधय् ॥६॥ ऊध्लागो राङ्गुरी भारी राङ्गूराशतयाषव् ।
प्रलङ्गभ् कत्रऩश्रेद्षो ज्मे द्षो लैद्यो लने चय् । वभीयतनुजो लीयो लीयतायी जमप्रद् ॥२३॥
फारो लृिो मुला तत्त्लॊ तत्त्लगम्म् वखा ह्राज् ॥७॥ जगन्भङ्गरद् ऩुण्म् ऩुण्मश्रलणकीतान् ।
अञ्जनावूनुयव्मग्रो ग्राभख्मातो धयाधय् । ऩुण्मकीसता् ऩुण्मगसतजागत्ऩालनऩालन् ॥२४॥
बूबुाल्स्लभाशरोको जनरोकस्तऩोऽव्मम् ॥८॥ दे लेळो त्जतभायोऽथ याभबत्रित्रलधामक् ।
वत्मभोङ्कायगम्मद्ळ प्रललो व्माऩकोऽभर् । ध्माता ध्मे मो रम् वाषी चेता चैतन्मत्रलग्रश् ॥२५॥
सळलधभाप्रसतद्षाता याभे द्श् पाल्गुनत्रप्रम् ॥९॥ सानद् प्राणद् प्राणो जगत्प्राण वभीयण् ।
गोष्ऩदीकृतलायीळ् ऩूणाकाभो धयाऩसत् । त्रलबीऴणत्रप्रम् ळूय ् त्रऩप्ऩराश्रमसवत्रिद् ॥२६॥
यषोघ्नो् ऩुण्डयीकाष् ळयणागतलत्वर् ॥१०॥ सवि् सविश्रम् कारो भशोष् कारजान्तक् ।
जानकीप्राणदाता च यष्प्राणाऩशायक् । रङ्के ळसनधनस्थामी ररकादाशक ईश्र्लय् ॥२७॥
ऩूणा् वत्म् ऩीतलावा फदलाकयवभप्रब् ॥११॥ चन्द्रवूमात्ग्नने िद्ळ कारात्ग्न् प्ररमान्तक् ।
दे लोद्यानत्रलशायी च दे लताबमबञ्जन् । कत्रऩर् कत्रऩळ् ऩुण्मयासळद्राादळयासळग् ॥२८॥
बिोदमो बिरब्धो बिऩारनतत्ऩय् ॥१२॥ वलााश्रमोऽप्रभे मात्भा ये लत्माफदसनलायक् ।
द्रोणशताा ळत्रिने ता ळत्रियाषवभायक् । रक्ष्भणप्राणदाता च वीताजीलनशे तुक् ॥२९॥
अषघ्नो याभदत
ू द्ळ ळाफकनीजीलशायक् ॥१३॥ याभध्मे मो रृऴीकेळी त्रलष्णुबि जटी फरी ।
फुफुकायशतायासतगालाऩलातभदान् । दे लारयदऩाशा शोता धाता कताा जगत्प्रबु् ॥३०॥
शे तुस्त्लशे तु् प्राॊळुद्ळ त्रलद्वबताा जगद्गुरु् ॥१४॥ नगयग्राभऩारद्ळ ळुिो फुिो सनयिऩ् ।
जगन्ने ता जगन्नाथो जगदीळो जने द्वय् । सनयञ्जनो सनत्रलाकल्ऩो गुणातीतो बमॊकय् ॥३१॥
62 अप्रैर-2015

शनुभाॊद्ळ दयु ायाध्मस्तऩ्वाध्मो भशे द्वय् । स्लगाद्रायॊ प्रजाद्रायॊ भोषद्रायॊ मतीद्वय् ।


जानकीधनळोकोत्थताऩशताा ऩयात्ऩय् ॥३२॥ नादरूऩ् ऩयॊ मा जी मा जी मा जी ऩुय ातन् ॥४९॥
लारभम् वदवद्रऩ
ू ् कायणॊ प्रकृते ् ऩय् । एकोऽने को जन् ळुक्र् स्लमॊज्मोसतयनाकुर् ।
बाग्मदो सनभारो ने ता ऩुच्छरङ्कात्रलदाशक् ॥३३॥ ज्मोसतज्मोसतयनाफदद्ळ वात्त्त्लको याजवस्तभ् ॥५०॥
ऩुच्छफिमातुधानो मातुधानरयऩुत्रप्रम् । तभोशताा सनयरम्फो सनयाकायी गुणाकय् ।
छामाऩशायी बूतेळो रोकेळ् वद्गसतप्रद् ॥३४॥ गुणाश्रमो गुणभमो फृशत्कभाा फृशद्यळा् ॥५१॥
प्रलङ्गभे द्वय् क्रोध् क्रोधवॊय िरोचन् । फृशिनुफृाशत्ऩादो फृशन्भूधाा फृशत्स्लन् ।
वौम्मो गुरु् काव्मकताा बिानाॊ च लयप्रद् ॥३५॥ फृशत्कणो फृशन्नावो फृशद्बाशुफृाशत्तनु् ॥५२॥
बिानुकम्ऩी त्रलद्वे ळ् ऩुरुशूत् ऩुयॊ दय् । फृशज्जानुफृाशत्कामो फृशत्ऩुच्छो फृशत्कय् ।
क्रोधशताा तभोशताा बिाबमलयप्रद् ॥३६॥ फृशद्रसतफृाशत्वे व्मो फृशल्रोकपरप्रद् ॥५३॥
अत्ग्नत्रलाबालवुबाास्लान ् मभो सनऋसतये ल च । फृशच्छत्रिफृाशद्राञ्छापरदो फृशदीद्वय् ।
लरुणो लामुगसतभान ् लामु् कौफे य ईद्वय् ॥३७॥ फृशल्रोकनुतो द्रद्शा त्रलद्यादाता जगद्गुरु् ॥५४॥
यत्रलद्ळन्द्र् कुज् वौम्मो गुरु् काव्म् ळनैद्ळय् । दे लाचामा् वत्मलादी मा जी लादी कराधय् ।
याशु् केतुभारुिोता दाता शताा वभीयज् ॥३८॥ वद्ऱऩातारगाभी च भरमाचरवॊश्रम् ॥५५॥
भळकीकृतदे लारयदैत्मारयभाधव
ु ूदन् । उत्तयाळात्स्थत् श्रीदो फदव्मौऴसधलळ् खग् ।
काभ् कत्रऩ् काभऩार् कत्रऩरो त्रलद्वजीलन ॥३९॥ ळाखाभृग् कऩीन्द्रोऽथ ऩुय ाणश्रुसतचञ्चुय ् ॥५६॥
बागीयथीऩदाम्बोज् वे तुफन्धत्रलळायद् । चतुय मा ाजी णो मोगी मोगगम्म् ऩयालय् ।
स्लाशा स्लधा शत्रल् कव्मॊ शव्मलाशप्रकाळक् ॥४०॥ अनाफदसनधनो व्मावो लैकुण्ठ् ऩृसथलीऩसत् ॥५७॥
स्लप्रकाळो भशालीयो रघुरूत्जातत्रलक्रभ् । अऩयात्जतो त्जतायासत् वदानन्दो दमामुत्।
उरडीनोरडीनगसतभान ् वद्गसत् ऩुरुऴोत्तभ् ॥४१॥ गोऩारो गोऩसतगोद्ऱा कसरकारऩयाळन् ॥५८॥
जगदात्भा जगद्योसनजागदन्तो ह्यनन्तक् । भनोले गी वदामोगी वॊवायबमनाळन्।
त्रलऩाप्भा सनष्करङ्कोऽथ भशान ् भशादशॊ कृसत् ॥४२॥ तत्त्लदाताथ तत्त्लसस्तत्त्लॊ तत्त्लप्रकाळक् ॥५९॥
खॊ लामु् ऩृसथली चाऩो लफह्नफदाक्ऩार एल च । ळुिो फुिो सनत्मभुिो बियाजो जमद्रथ्।
षे िस् षे िशताा च ऩल्लरीकृतवागय् ॥४३॥ प्ररमोऽसभतभामद्ळ भामातीतो त्रलभत्वय् ॥६०॥
फशयण्भम् ऩुयाणद्ळ खेचयो बूचयोऽभय् । भामाबत्जातयषद्ळ भामासनसभातत्रलद्शऩ्।
फशयण्भमगबा् वूिात्भा याजयाजो त्रलळाॊऩसत् ॥४४॥ भामाश्रमद्ळ सनरेऩो भामासनलाताक् वुखभ ् ॥६१॥
ले दान्तले द्य उद्गीथो ले दले दाङ्गऩायग् । वुखी वुखप्रदो नागो भशे ळकृतवॊस्तल्।
प्रसतग्राभत्स्थसत् वद्य्स्पूसतादाता गुणाकय् ॥४५॥ भशे द्वय् वत्मवॊध् ळयब् कसरऩालन् ॥६२॥
नषिभारी बूतात्भा वुय सब् कल्ऩऩादऩ् । वशस्त्रकन्धयफरत्रलध्लॊवनत्रलचषण्।
सचन्ताभत्णगुण
ा सनसध् प्रजाधायो ह्यनुत्तभ् ॥४६॥ वशस्त्रफाशु् वशजो फद्रफाशुफद्राबुज ोऽभय्॥६३॥
ऩुण्मळरोक्
् ऩुयायासतज्मोसतष्भाञ्ळलाय ीऩसत् । चतुबुाजो दळबुजो शमग्रील् खगानन्।
फकरफकरायालवॊिस्तबूतप्रे तत्रऩळाचक् ॥४७॥ कत्रऩलक्ि् कत्रऩऩसतनाय सवॊशो भशाद्युसत् ॥६४॥
ऋणिमशय् वूक्ष्भ् स्थूर् वलागसत् ऩुभान ् । बीऴणो बालगो लन्घो लयाशो लामुरूऩधृक् ।
अऩस्भायशय् स्भताा श्रुसतगााथा स्भृसतभानु् ॥४८॥ रक्ष्भणप्राणदाता च ऩयात्जतदळानन् ॥६५॥
63 अप्रैर-2015

ऩारयजातसनलावी च लटलाचनकोत्रलद् । वद्ऱात्ब्धरङ्घनो लीय् वद्ऱद्रीऩोरुभण्डर् ।


वुयवास्मत्रलसनभुाि् सवॊफशकाप्राणशायक् ॥६६॥ वद्ऱाङ्गयाज्मवुखद् वद्ऱभातृसनऴे त्रलत् ॥८३॥
रङ्कारङ्कायत्रलध्लॊवी लृऴदॊळकरूऩधृक् । वद्ऱस्लरोकभुकुट् वद्ऱशोता स्लयाश्रम् ।
यात्रिवॊचायकुळरो यात्रिॊचयगृशत्ग्नद् ॥६७॥ वद्ऱच्छन्दोसनसध् वद्ऱच्छन्द् वद्ऱजनाश्रम् ॥८४॥
फकङ्कयान्तकयो जम्फुभासरशन्तोगुरूऩधृक् । वद्ऱवाभोऩगीतद्ळ वद्ऱऩातारवॊश्रम् ।
आकाळचायी शरयगो भे घनादयणोत्वुक् ॥६८॥ भे धाद् कीसताद् ळोकशायी दौबााग्मनाळन् ॥८५॥
भे घगम्बीयसननदो भशायालनकुरात नक्
् । वलाय षाकायो गबादोऴशा ऩुिऩौिद् ।
कारने सभप्रानशायी भकयीळाऩभोषद् ॥६९॥ प्रसतलाफदभुखस्तम्बो रुद्शसचत्तप्रवादन् ॥८६॥
यवो यवस् वम्भानो रूऩॊ चषु् श्रुसतलाच् । ऩयासबचायळभनो द्ु खशा फन्धभोषद् ।
घ्राणो गन्ध् स्ऩळानॊ च स्ऩळोऽशङ्कायभानग् ॥७०॥ नलद्रायऩुय ाधायो नलद्रायसनकेतन् ॥८७॥
ने सतने तीसतगम्मद्ळ लैकुण्ठबजनत्रप्रम् । नयनायामणस्तुत्मो नलनाथभशे द्वय् ।
सगयीळो सगरयजाकान्तो दल
ु ाावा् कत्रलयत्ङ्गया् ॥७१॥ भे खरी कलची खडगी भ्रात्जष्णुत्जाष्णुवायसथ् ॥८८॥
बृगल
ु ासवद्षळ च्मलनो
् नायदस्तुम्फयोऽभर् । फशुमोजनत्रलस्तीणाऩुच्छ् ऩुच्छशतावुय ् ।
त्रलद्वषे िो त्रलद्वफीजो त्रलद्वने िद्ळ त्रलद्वऩ् ॥७२॥ दद्श
ु ग्रशसनशन्ता च त्रऩळाचग्रशघातक् ॥८९॥
माजको मजभानद्ळ ऩालक् त्रऩतयस्तथा । फारग्रशत्रलनाळी च धभानेता कृऩाकय् ।
श्रिा फुत्रि् षभा तन्द्रा भन्िो भन्िसमता स्लय् ॥७३॥ उग्रकृत्मद्ळोग्रले ग उग्रने ि् ळतक्रतु् ॥९०॥
याजे न्द्रो बूऩती रुण्डभारी वॊवायवायसथ् । ळतभन्मुनुत् स्तुत्म् स्तुसत् स्तोता भशाफर् ।
सनत्मवम्ऩूणाकाभद्ळ बिकाभधुगत्त
ु भ् ॥७४॥ वभग्रगुणळारी च व्मग्रो यषोत्रलनाळक् ॥९१॥
गणऩ् केळलो भ्राता त्रऩता भाता च भारुसत् । यषोऽत्ग्नदाशो मा जी े ळ् श्रीधयो बिलत्वर् ।
वशस्त्रभूिाानेकास्म् वशस्त्राष् वशस्त्रऩात ् ॥७५॥ भे घनादो भे घरूऩो भे घलृत्रद्शसनलायक् ॥९२॥
काभत्जत ् काभदशन् काभ् काभपरप्रद् । भे घजीलनशे तुद्ळ ु भे घश्माभ् ऩयात्भक् ।
भुद्राऩशायी यषाघ्न् त्षसतबायशयो फर् ॥७६॥ वभीयतनमो मोिा नृत्मत्रलद्यात्रलळायद् ॥९३॥
नखदॊद्सामुधो त्रलष्णुबािाबमलयप्रद् । अभोघोऽभोघदृद्शीद्ळ इद्शदोऽरयद्शनाळन् ।
दऩाशा दऩादो दॊद्साळतभूसताय भूसताभान ् ॥७७॥ अथोऽनथााऩशायी च वभथो याभवे लक् ॥९४॥
भशासनसधभाशाबागो भशाबगो भशत्रिाद् । असथालन्द्योऽवुय ायासत् ऩुण्डयीकाष आत्भबू् ।
भशाकायो भशामोगी भशाते जा भशाद्युसत् ॥७८॥ वॊकऴाणो त्रलळुिात्भा त्रलद्यायासळ् वुये द्वय् ॥९५॥
भशावनो भशानादो भशाभन्िो भशाभसत् । अचरोिायको सनत्म् वे तुकृद् याभवायसथ् ।
भशागभो भशोदायो भशादे लात्भको त्रलबु् ॥७९॥ आनन्द् ऩयभानन्दो भत्स्म् कूभो सनयाश्रम् ॥९६॥
यौद्रकभाा क्रूयकभाा यत्ननाब् कृतागभ् । लायाशो नायसवॊशद्ळ लाभनो जभदत्ग्नज् ।
अम्बोसधरङ्घन् सवॊश् वत्मधभाप्रभोदन् ॥८०॥ याभ् कृष्ण् सळलो फुि् कल्की याभाश्रमो शरय् ॥९७॥
त्जतासभिो जम् वोभो त्रलजमो लामुनन्दन् । नन्दी बृङ्गी च चण्डी च गणे ळो गणवे त्रलत् ।
जीलदाता वशस्त्राॊळुभुाकुन्दो बूरयदत्षण् ॥८१॥ कभााध्मष् वुय ाध्मषो त्रलश्राभो जगतीऩसत् ॥९८॥
सविाथा् सवत्रिद् सविवङ्कल्ऩ् सवत्रिशे तुक् । जगन्नाथ् कऩीळद्ळ वलाालाव् वदाश्रम् ।
वद्ऱऩातारचयण् वद्ऱत्रऴागणालत्न्दत् ॥८२॥ वुग्रीलाफदस्तुतो दान्त् वलाकाभाा प्रलङ्गभ् ॥९९॥
64 अप्रैर-2015

नखदारयतयषाद्ळ नखमुित्रलळायद् । नागकन्माबध्लॊवी रुक्भलणा् कऩारबृत ् ।


कुळर् वुधन् ळे ऴो लावुफकस्तषकस्तथा ॥१००॥ अनाकुरो बलोऩामोऽनऩामो ले दऩायग् ॥११७॥
स्लणालणो फराढ्मद्ळ ऩुरुजे ताघनाळन् । अषय् ऩुरुऴो रोकनाथ ऋषप्रबुदृाढ् ।
कैलल्मरूऩ् कैलल्मो गरुड् ऩन्नगोयग् ॥१०१॥ अद्शाङ्गमोगपरबुक् वत्मवॊध् ऩुरुद्शु त् ॥११८॥
फकरफकरयालशतायासतगालाऩलातबे दन् । श्भळानस्थानसनरम् प्रे तत्रलद्रालनषभ् ।
लज्राङ्गो लज्रदॊद्सद्ळ बिलज्रसनलायक् ॥१०२॥ ऩञ्चाषयऩय् ऩञ्चभातृको यञ्जनध्लज् ॥११९॥
नखामुधो भत्णग्रीलो ज्लाराभारी च बास्कय् । मोसगनीलृन्दलन्द्यश्री् ळिुघ्नोऽनन्तत्रलक्रभ् ।
प्रौढप्रताऩस्तऩनो बिताऩसनलायक् ॥१०३॥ मा जी चायीत्न्द्रमरयऩुधत
ृा दण्डो दळात्भक् ॥१२०॥
ळयणॊ जीलनॊ बोिा नानाचेद्शो ह्यचञ्चर् । अप्रऩञ्च् वदाचाय् ळूय वे नात्रलदायक् ।
स्लत्स्तभान ् स्लत्स्तदो द्ु खळातन् ऩलनात्भज् ॥१०४॥ लृि् प्रभोद आनन्द् वद्ऱद्रीऩऩसतन्धय् ॥१२१॥
ऩालन् ऩलन् कान्तो बिाग्वशनो फरी । नलद्रायऩुय ाधाय् प्रत्मग्र् वाभगामक् ।
भे घनादरयऩुभेघनादवॊशतयाषव् ॥१०५॥ ऴट्चक्रधाभ स्लरोकाबमकृन्भानदो भद् ॥१२२॥
षयोऽषयी त्रलनीतात्भा लानये ळ् वताॊ गसत् । वलालळमकय्
् ळत्रियनन्तोऽनन्तभङ्गर् ।
श्रीकण्ठ् सळसतकण्ठद्ळ वशाम् वशनामक् ॥१०६॥ अद्शभूसतानामोऩे तो त्रलरूऩ् वुय वुन्दय् ॥१२३॥
अस्थूरस्त्लनणुबागो फदव्म् वॊवृसतनाळन् । धूभके तुभाशाके तु् वत्मके तुभाशायथ् ।
अध्मात्भात्रलद्यावायद्ळ ह्याध्मात्भदळ
ु र् वुधी् ॥१०७॥ नत्न्दत्रप्रम् स्लतन्िद्ळ भे खरी डभरुत्रप्रम् ॥१२४॥
अकल्भऴ् वत्मशे तु् वत्मद् वत्मगोचय् । रौशाङ्ग् वलात्रलिन्ली खण्डर् ळला ईद्वय् ।
वत्मगबा् वत्मरूऩ् वत्म् वत्मऩयाक्रभ् ॥१०८॥ परबुक् परशस्तद्ळ वलाकभापरप्रद् ॥१२५॥
अञ्जनाप्राणसरङ्गद्ळ लामुलॊळोद्भल् ळुब् । धभााध्मषो धभाऩारो धभो धभाप्रदोऽथाद् ।
बद्ररूऩो रुद्ररूऩ् वुरूऩत्द्ळिरूऩधृक् ॥१०९॥ ऩञ्चत्रलॊळसततत्त्लसस्तायको मा जी तत्ऩय् ॥१२६॥
भैनाकलत्न्दत् वूक्ष्भदळानो त्रलजमो जम् । त्रिभागालवसतबॉभ् वलाद्ु खसनफशा ण् ।
कान्तफदङभण्डरो रुद्र् प्रकटीकृतत्रलक्रभ् ॥११०॥ ऊजास्लान ् सनष्कर् ळूरी भौसरगाजात्न्नळाचाय् ॥१२७॥
कम्फुकण्ठ् प्रवन्नात्भा ह्रस्लनावो लृकोदय् । यिाम्फयधयो यिो यिभाल्मो त्रलबूऴण् ।
रम्फौद्ष् कुण्डरी सचिभारी मोगत्रलॊदा लय् ॥१११॥ लनभारी ळुबाङ्गद्ळ द्वे त् द्वे ताम्फयो मुला ॥१२८॥
त्रलऩत्द्ळत्कत्रलयानन्दत्रलग्रशोऽनल्ऩळावन् । जमोऽजमऩयीलाय् वशस्त्रलदन् कत्रऩ् ।
पाल्गुनीवूनुयव्मग्रो मोगात्भा मोगतत्ऩय् ॥११२॥ ळाफकनीडाफकनीमषयषोबूतप्रबञ्जक् ॥१२९॥
मोगत्रलद् मोगकताा च मोगमोसनफदागम्फय् । वद्योजात् काभगसतसाानभूसतामाळस्कय् ।
अकायाफदशकायान्तलणासनसभातत्रलग्रश् ॥११३॥ ळम्बुतेजा् वालाबौभो त्रलष्णुबि् प्रलङ्गभ् ॥१३०॥
उरूखरभुख् सविवॊस्तुत् प्रभथेद्वय् । चतुनालसतभन्िस् ऩौरस्त्मफरदऩाशा ।
ळसरद्शजङ्घ्
् ळसरद्शजानु
् ् ळसरद्शऩात्ण्
् सळखाधय् ॥११४॥ वलारक्ष्भीप्रद् श्रीभानङ्गदत्रप्रम ईफडत् ॥१३१॥
वुळभाासभतळभाा च नायामणऩयामण् । स्भृसतफीजॊ वुये ळान् वॊवायबमनाळन् ।
त्जष्णुबात्रलष्णू योसचष्णुग्रसा वष्णु् स्थाणुये ल च ॥११५॥ उत्तभ् श्रीऩयीलाय् सश्रतो रुद्रद्ळ काभधुक् ॥१३२॥
शरयरुद्रानुवेकोऽथ कम्ऩनो बूसभकम्ऩन् । ॥ इसत भन्िभशाणाले ऩूलाखण्डे नलभतयङ्गे
गुणप्रलाश् वूिात्भा लीतयागस्तुसतत्रप्रम् ॥११६॥ श्रीयाभकृतॊ श्रीशनुभत्वशस्त्रनाभस्तोिॊ वम्ऩूणाभ ् ॥
65 अप्रैर-2015

॥ श्रीशनूभत्स्भयणभ ् ॥
प्रात् स्भयासभ शनुभन्तभनन्तलीमं वीताऽऽसधसवन्धुऩरयळोऴणकभादषॊ
श्रीयाभचन्द्रचयणाम्फुजचञ्चयीकभ ् । लन्दारुकल्ऩतरुभव्ममभाञ्जने मभ ् ॥२॥
रङ्काऩुयीदशननत्न्दतदे ललृन्दॊ
वामॊ बजासभ ळयणोऩवृतात्खरासता-
वलााथसा वत्रिवदनॊ प्रसथतप्रबालभ ् ॥१॥
ऩुञ्जप्रणाळनत्रलधौ प्रसथतप्रताऩभ ् ।
भाध्मॊ नभासभ लृत्जनाणालतायणैक - अषान्तकॊ वकरयाषवलॊळधूभ -
धीयॊ ळयण्मभुफदतानुऩभप्रबालभ ् । के तुॊ प्रभोफदतत्रलदे शवुतॊ दमारुभ ् ॥३॥

॥आऩदि
ु ायक श्रीशनूभत्स्तोिभ ् ॥
त्रलबीऴणकृतभ ् वॊवायवागयालताागतवम्भ्रान्तचेतवाभ ् ।
श्रीशनुभते नभ् । अस्म श्रीशनुभत्स्तोिभशाभन्िस्म, त्रलबीऴण ळयणागतभत्माानाॊ ळयण्माम नभोऽस्तु ते ॥४॥
ऋत्रऴ्, अनुद्शुऩ ् छन्द्, शनुभान ् दे लता । भभ
याजद्राये त्रफरद्राये प्रले ळे बूतवङ्कुरे ।
ळिुभुखस्तम्बनाथे वलाकामासवद्धध्मथे च जऩे त्रलसनमोग् ।
गजसवॊशभशाव्माघ्रचोयबीऴणकानने ॥५॥
ध्मानभ ्
चन्द्राबॊ चयणायत्रलन्दमुगरॊ कौऩीनभौञ्जीधयॊ
भशाबमे ऽत्ग्नवॊस्थाने ळिुवङ्गवभासश्रते ।
नाभ्माॊ लै कफटवूिमुिलवनॊ मसोऩलीतालृतभ ् ।
ळयणागतभत्माानाॊ ळयण्माम नभो नभ् ॥६॥
शस्ताभ्माभलरम्ब्म चाञ्जसरभथो शायालरीकुण्डरॊ
त्रफभ्रदीघासळखॊ प्रवन्नलदनॊ फदव्माञ्जने मॊ बजे ॥ प्रदोऴे ला प्रबाते ला मे स्भयन्त्मञ्जनावुतभ ् ।
अथासवत्रिमळ्काभान ् प्राप्नुलत्न्त न वॊळम् ॥७॥
भन्ि्-ॐ नभो शनुभते रुद्राम ।
भभ वलादद्श
ु जनभुखस्तम्बनॊ कुरु कुरु ॥ कायागृशे प्रमाणे च वङ्ग्राभे दे ळत्रलप्रले ।
मे स्भयत्न्त शनूभन्तॊ ते ऴाॊ नात्स्त त्रलऩत्तम् ॥८॥
भभ वलाकामासवत्रिॊ कुरु कुरु । ऐॊ ह्राॊ ह्रीॊ ह्रूॊ पट् स्लाशा ।
note अद्शलायॊ जऩे त ् । लज्रदे शाम कारात्ग्नरुद्रामासभतते जवे ।
आऩन्नात्खररोकासताशारयणे श्रीशनूभते । नभ् प्रलगवैन्मानाॊ प्राणबूतात्भने नभ् ॥९॥
अकस्भादागतोत्ऩातनाळनाम नभोऽस्तु ते ॥१॥
दद्श
ु दैत्मभशादऩादरनाम भशात्भने ।
वीतात्रलमुिश्रीयाभळोकद्ु खबमाऩश । मा जी ास्त्रस्तम्बनामास्भै नभ् श्रीरुद्रभूतामे ॥१०॥
ताऩिमस्म वॊशारयन्नाञ्जने म नभोऽस्तु ते ॥२॥
जप्त्ला स्तोिसभदॊ ऩुण्मॊ लवुलायॊ ऩठे न्नय् ।

आसधव्मासधभशाभारयग्रशऩीडाऩशारयणे । याजस्थाने वबास्थाने लादे प्राद्ऱे जऩे द्धध्रुलभ ् ॥११॥

प्राणाऩशन्िे दैत्मानाॊ याभप्राणात्भने नभ् ॥३॥ त्रलबीऴणकृतॊ स्तोिॊ म् ऩठे त ् प्रमतो नय् ।
वलााऩद्धभ्मो त्रलभुच्मे त नाि कामाा त्रलचायणा ॥१२॥
66 अप्रैर-2015

॥ श्रीशनुभद्रन्दनभ ् ॥

अञ्जनानन्दनॊ लीयॊ जानकीळोकनाळनभ ् ।


श्रीयाभरृदमानन्दॊ बिकल्ऩभशीरुशभ ् ।
कऩीळभषशन्तायॊ लन्दे रङ्काबमङ्कयभ ् ॥१॥
अबमॊ लयदॊ दोभ्मां करमे भारुतात्भजभ ् ॥१२॥
अञ्जनीगबावम्बूत कऩीन्द्रवसचलोत्तभ ।
उद्यन्भाताण्डकोफटप्रकटरुसचमुतॊ चारुलीयावनस्थॊ
याभत्रप्रम नभस्तुभ्मॊ शनूभन ् यष वलादा ॥२॥
भौञ्जीमसोऩलीतारुणरुसचयसळखाळोबनॊ कुण्डराङ्कभ ् ।
अतुसरतफरधाभॊ स्लणाळैराबदे शॊ बिानासभद्शदॊ तॊ प्रणतभुसनजनॊ भे घनादप्रभोदॊ
दनुजलनकृळानुॊ सासननाभग्रगण्मभ ् । लन्दे दे लॊ त्रलधेमॊ प्रलगकुरऩसतॊ गोष्ऩदीबूतलासधाभ ् ॥१३॥
वकरगुणसनधानॊ लानयाणाभधीळॊ
उल्रङ्घ्म सवन्धो् वसररॊ वरीरॊ म् ळोकलफह्नॊ
यघुऩसतत्रप्रमबिॊ लातजातॊ नभासभ ॥३॥
जनकात्भजामा् ।
अऩयात्जत त्रऩङ्गाष नभस्ते याजऩूत्जत । आदाम ते नैल ददाश रङ्काॊ नभासभ तॊ प्राञ्जसरयाञ्जने मभ ्
दीने भसम दमाॊ कृत्ला भभ द्ु खॊ त्रलनाळम ॥४॥ ॥१४॥

अळे ऴरङ्काऩसतवैन्मशन्ता श्रीयाभवे लाचयणैककताा । कदात्रऩ ळुभ्रैलाय चाभयै ् प्रबुॊ गामन ्गुणान ् लीजमसत त्स्थतोऽग्रत्।
अने क द्ु खाशतरोकगोद्ऱा त्लवौ शनूभान्भभ वौख्मकताा ॥५॥ कदाप्मुऩद्ऴोकमसत स्लसनसभातै् स्तलै् ळुबै् श्रीशनुभान ्
कृताञ्जसर्॥१५॥
आञ्जने मॊ ऩाटरास्मॊ स्लणााफद्रवभत्रलग्रशभ ् ।
ऩारयजातद्रभ
ु ूरस्थॊ लन्दे वाधकनन्दनभ ् ॥६॥ कयात्तळैरळस्त्राम द्रभ
ु ळस्त्राम ते नभ् ।
फारैकमा जी चमााम रुद्रभूसताधयाम च ॥१६॥
आञ्जने मभसतऩाटराननॊ काञ्चनाफद्रकभनीमत्रलग्रशभ ् ।
ऩारयजाततरुभूरलासवनॊ बालमासभ ऩलभाननन्दनभ ् ॥७॥ कायागृशे प्रमाणे च वङ्ग्राभे दे ळत्रलप्रले ।
स्भयत्न्त त्लाॊ शनूभन्तॊ ते ऴाॊ नात्स्त त्रलऩत्तदा ॥१७॥
आसधव्मासधभशाभारयग्रशऩीडाऩशारयणे ।
प्राणाऩशिे दैत्मानाॊ याभप्राणात्भने नभ् ॥८॥ कृतक्रोधे मत्स्भन्नभयनगयी भङ्गरयला
नलातङ्का रङ्का वभजसन लनॊ लृद्ळसत वसत ।
आऩन्नात्खररोकासताशारयणे श्रीशनूभते । वदा वीताकान्तप्रणसतभसतत्रलख्मातभफशभा
अकस्भादागतोत्ऩातनाळनाम नभोऽस्तु ते ॥९॥ शनूभानव्मान्न् कत्रऩकुरसळयोभण्डनभत्ण् ॥१८॥

उद्यत्कोट्मकावङ्काळॊ जगत्प्रषोबशायकभ ् ।
गोष्ऩदीकृतलायासळॊ भळकीकृतयाषवभ ् ।
श्रीयाभात्ङ्घ्रध्मानसनद्षॊ वुग्रीलप्रभुखासचातभ ् । याभामणभशाभारायत्नॊ लन्दे ऽसनरात्भजभ ् । १९
त्रलिावमन्तॊ नादे न याषवान ् भारुसतॊ बजे ॥१०॥
जानुस्थलाभफाशुॊ च सानभुद्राऩयॊ शरयभ ् ।
अध्मात्भसचत्तभावीनॊ कदरीलनभध्मगभ ् ।
उद्यदाफदत्मवङ्काळभुदायबुजत्रलक्रभभ ् ।
फाराकाकोफटप्रसतभॊ लन्दे सानप्रदॊ शरयभ ् ॥२०॥
कन्दऩाकोफटरालण्मॊ वलात्रलद्यात्रलळायदभ ् ॥११॥
67 अप्रैर-2015

ज्लरत्काञ्चनलणााम दीघाराङ्गूरधारयणे । खेचारॊ त्रलसळखॊ प्रवन्नलदनॊ श्रीलामुऩुि ॊ बजे ॥३१॥


वौसभत्रिजमदािे च याभदत
ू ाम ते नभ् ॥२१॥
भनोजलॊ भारुततुल्मले ग ॊ त्जते त्न्द्रमॊ फुत्रिभताॊ लरयद्षभ ् ।
तद्ऱचाभीकयसनबॊ बीघ्नॊ वॊत्रलफशताञ्जसरभ ् । लातात्भजॊ लानयमूथभुख्मॊ श्रीयाभदत
ू ॊ सळयवा नभासभ ॥३२॥
चरत्कुण्डरदीद्ऱास्मॊ ऩद्माषॊ भारुसतॊ बजे ॥२२॥
भरुत्वुतॊ याभऩदायत्रलन्दलन्दारुफृन्दायकभाळु लन्दे ।
फद्रबुजॊ स्लणालणााबॊ याभवे लाऩयामणभ ् । धीळत्रिबत्रिद्युसतसविमो मॊ कान्तॊ स्लकान्ता इल काभमन्ते
भौञ्जीकौऩीनवफशतॊ तॊ लन्दे याभवे लकभ ् ॥२३॥ ॥३३॥

दशनतद्ऱवुलणावभप्रबॊ बमशयॊ रृदमे त्रलफशताञ्जसरभ ् । भकाटे ळ भशोत्वाश वलाळिुशयोत्तभ ।


श्रलणकुण्डरळोसबभुखाम्फुजॊ नभत लानययाजसभशाद्भत
ु भ ् ॥२४॥ ळिुॊ वम्शय भाॊ यष श्रीभन्नाऩद उिय ॥३४॥

नखामुधाम बीभाम दन्तामुधधयाम च । भकाटे ळ भशोत्वाश वलाातङ्कसनलायक ।


त्रलशङ्गाम च ळलााम लज्रदे शाम ते नभ् ॥२५॥ अयीन्वम्शय भाॊ यष वुख ॊ दाऩम भे प्रबो ॥३५॥

नादत्रफन्दक
ु रातीतॊ उत्ऩत्रत्तत्स्थसतलत्जातभ ् । भशाळैरॊ वभुत्ऩाट्म धालन्तॊ यालणॊ प्रसत ।
वाषादीद्वयवद्रऩ
ू ॊ शनूभन्तॊ बजाम्मशभ ् ॥२६॥ सतद्ष सतद्ष यणे दद्श
ु घोययालॊ वभुच्चयन ् ॥३६॥

ऩञ्चास्मभच्मुतभने कत्रलसचिलणालक्िॊ ळळाङ्कळे खयॊ राषायवारुणॊ लन्दे कारान्तकमभोऩभभ ् ।


कत्रऩयाजलमाभ ् । ज्लरदत्ग्नरवन्ने ि ॊ वूमाकोफटवभप्रबभ ् ।
ऩीताम्फयाफदभुकुटैरुऩळोसबताङ्गॊ त्रऩङ्गाषभाद्यभसनळॊ भनवा अङ्गदाद्यैभाशालीयै लेत्रद्शतॊ रुद्ररूत्रऩणभ ् ॥३७॥
स्भयासभ ॥२७॥
भारुसतॊ लीयलज्राङ्गॊ बियषणदीत्षतभ ् ।
ऩद्मयागभत्णकुण्डरत्त्लऴा ऩाटरीकृतकऩोरभण्डरभ ् । शनूभन्तॊ वदा लन्दे याभभन्िप्रचायकभ ् ॥३८॥
फदव्मशे भकदरीलनान्तये बालमासभ ऩलभाननन्दनभ ् ॥२८॥
मि मि यघुनाथकीतानॊ ति ति कृतभस्तकाञ्जसरभ ् ।
प्रतद्ऱस्लणालणााबॊ वॊयिारुणरोचनभ ् । फाष्ऩलारयऩरयऩूणारोचनॊ भारुसतॊ नभत याषवान्तकभ ् ॥३९॥
वुग्रीलाफदमुतॊ लन्दे ऩीताम्फयवभालृतभ ् ।
मो लायाॊसनसधभल्ऩऩल्लरसभलोल्रङ्घ्म प्रताऩात्न्लतो
गोष्ऩदीकृतलायीळॊ (यासळॊ) ऩुच्छभस्तकभीद्वयभ ्
लैदेशीघनळोकलफह्नशयणो लैकुण्ठबित्रप्रम् ।
सानभुद्राॊ च त्रफभ्राणॊ वलाारङ्कायबूत्रऴतभ ् ॥२९॥
अषाद्यत्जातयाषवे द्वयभशादऩााऩशायी यणे
फुत्रिफारॊ मळो धैमं सनबामत्लभयोगता । वोऽमॊ लानयऩुङ्गलोऽलतु वदा चास्भान ् वभीयात्भज् ॥४०॥
अजारमॊ लाक्ऩटु त्लॊ च शनूभत्स्भयणाद्भले त ् ॥३०॥
याजद्रारय त्रफरद्रारय प्रले ळे बूतवङ्कुरे ।
बात्न्लन्दच
ू यणायत्रलन्दमुगरॊ कौऩीनभौञ्जीधयॊ गजसवम्शभशाव्माघ्रचौयबीऴणकानने । ४१
कात्ञ्चश्रेत्णधयॊ दक
ु ू रलवनॊ मसोऩलीतात्जनभ ् । ळयणाम ळयण्माम लातात्भज नभोस्तु ते ।
शस्ताभ्माॊ धृतऩुस्तकॊ च त्रलरविायालसरॊ कुण्डरॊ नभ् प्रलगवैन्मानाॊ प्राणबूतात्भने नभ् ॥४२॥
68 अप्रैर-2015

याभे द्शॊ करुणाऩूणं शनूभन्तॊ बमाऩशभ ् । लन्दे लानयसवम्शखगयाट् क्रोडाद्वलक्िात्न्लतॊ


ळिुनाळकयॊ बीभॊ वलााबीद्शपरप्रदभ ् ॥४३॥ फदव्मारङ्कयणॊ त्रिऩञ्चनमनॊ दे दीप्मभानॊ रुचा ।
शस्ताब्जैय सवखेटऩुस्तकवुधाकुम्बाङ्कुळाद्रीन ् शरॊ
प्रदोऴे त्लाॊ प्रबाते ला मे स्भयन्त्मञ्जनावुतभ ् ।
खट्लाङ्गॊ पत्णबूरुशॊ दळबुजॊ वलाारयलीयाऩशभ ् ॥५४॥
अथासवत्रिॊ मळ्ऩूसतं प्राप्नुलत्न्त न वॊळम् ॥४४॥
लाभशस्ते भशालृषॊ दळास्मकयखण्डनभ ् ।
राषायवारुणॊ लन्दे कारान्तकमभोऩभभ ् ।
उद्यदत्षणदोदाण्डॊ शनूभन्तॊ त्रलसचन्तमे ॥५५॥
ज्लरदत्ग्नरवन्ने ि ॊ वूमाकोफटवभप्रबभ ् ।
अङ्गदाद्यैभाशालीयै लेत्रद्शतॊ रुद्ररूत्रऩणभ ् ॥४५॥ लाभे कये लैरयसबदॊ लशन्तॊ ळैरॊ ऩये ळृङ्खरशायटङ्कभ ् ।
दधानभच्छच्छत्रलमसवूि ॊ बजे ज्लरत्कुण्डरभाञ्जने मभ ्
लज्रदे शाम कारात्ग्नरुद्रामासभतते जवे ।
॥५६॥
मा जी ास्त्रस्तम्बनामास्भै नभ् श्रीरुद्रभूतामे ॥४६॥
लाभे जानुसन लाभफाशुभऩयॊ तॊ सानभुद्रामुतॊ
लज्राङ्गॊ त्रऩङ्गकेळाढ्मॊ स्लणाकुण्डरभत्ण्डतभ ् ।
रृदे ळे करमन ् लृतो भुसनगणैय ध्मात्भदत्तेषण् ।
सनमुिभुऩवङ्क्रम्म ऩायालायऩयाक्रभभ ् ॥४७॥
आवीन् कदरीलने भत्णभमे फाराकाकोफटप्रबो
ध्मामन ् मा जी ऩयॊ कयोतु भनव् सवत्रिॊ शनूभान्भभ ॥५७॥
लाभशस्तगदामुिॊ ऩाळशस्तकभण्डरुभ ् ।
उद्यदत्षणदोदाण्डॊ शनूभन्तॊ त्रलसचन्तमे ॥४८॥
लाभे ळैरॊ लैरयसबदॊ त्रलळुिॊ टङ्कभन्मत् ।
दधानॊ स्लणालणं च लन्दे कुण्डसरनॊ शरयभ ् ॥५८॥
लज्राङ्गॊ ऩद्मने ि ॊ कनकभमरवत्कुण्डराक्रान्तगण्डॊ
दम्बोसरस्तम्बवायप्रशयणवुलळीबूतयषोऽसधनाथभ ् ।
वदा याभ याभे सत नाभाभृतॊ तॊ वदा याभभानन्दसनष्मन्दकन्दभ ्।
उद्यल्राङ्गूरवद्ऱाचरत्रलचरकयॊ बीभभूसतं कऩीन्द्रॊ
त्रऩफन्तॊ नभन्तॊ वुदन्तॊ शवन्तॊ शनूभन्तभन्तबाजे तॊ सनतान्तभ ्
लन्दे तॊ याभचन्द्रप्रभुखदृढतयॊ वत्प्रवायॊ प्रवन्नभ ् ॥४९॥
॥५९॥

लन्दे फारफदलाकयद्युसतसनबॊ दे लारयदऩााऩशॊ


वऩीतकौऩीनभुदत्ञ्चताङ्गुसरभ ्
दे लेन्द्रप्रभुख्ै प्रळस्तमळवॊ दे दीप्मभानॊ रुचा ।
वभुज्ज्लरन्भौञ्ज्मत्जनोऩलीसतनभ ् ।
वुग्रीलाफदवभस्तलानयमुतॊ वुव्मितत्त्लत्रप्रमॊ
वकुण्डरॊ रम्फसळखावभालृतॊ तभाञ्जने मॊ ळयणॊ प्रऩद्ये ॥६०॥
वॊयिारुणरोचनॊ ऩलनजॊ ऩीताम्फयारङ्कृतभ ् ॥५०॥
वलाारयद्शसनलायकॊ ळुबकयॊ त्रऩङ्गाषभषाऩशॊ
लन्दे यणे शनुभन्तॊ कत्रऩकोफटवभत्न्लतभ ् ।
वीतान्ले ऴणतत्ऩयॊ कत्रऩलयॊ कोटीन्दव
ु ूमाप्रबभ ् ।
धालन्तॊ यालणॊ जे तुॊ दृष्ट्ला वत्लयभुत्त्थतभ ् ॥५१॥
रङ्काद्रीऩबमङ्कयॊ वकरदॊ वुग्रीलवम्भासनतॊ
दे लेन्द्राफदवभस्तदे लत्रलनुतॊ काकु त्स्थदत
ू ॊ बजे ॥६१॥
रक्ष्भणॊ च भशालीयॊ ऩसततॊ यणबूतरे ।
गुरुॊ च क्रोधभुत्ऩाद्य गृशीत्ला गुरुऩलातभ ् ॥५२॥ वॊवायवागयालताकताव्मभ्रान्तचेतवाभ ् ।
ळयणागतभत्माानाॊ ळयण्माम नभोऽस्तु ते ॥६२॥
शाशाकायै ् वदऩैद्ळ कम्ऩमन्तॊ जगत्िमभ ् ।
वीतायाभऩदाम्फुजे भधुऩलद्यन्भानवॊ रीमते
मा जी ाण्डॊ व वभालाप्म कृत्ला बीभकरे लयभ ् ॥५३॥
वीतायाभगुणालरी सनसळ फदला मत्ज्जह्वमा ऩीमते ।
Dear Reader…
You have reached a Limit that is available for Free viewing !

Now it's unavailable to Unauthorised or Unregistered User.


We hope Enjoyed the preview?

Now time to Get A GK Premium Membership For Full Access ..


>> See details for this Membership in the our Store.

(GK Premium Membership available for any 1 Edition or All Edition.)


70 अप्रैर-2015

॥श्रीशनुभद्धध्मानभ ् भाकाण्डे मऩुयाणत् ॥ ॥श्रीशनुभत्स्तोिभ ् व्मावतीथात्रलयसचतभ ् ॥


भयकतभत्णलणं फदव्मवौन्दमादेशॊ
नभासभ दत
ू ॊ याभस्म वुखदॊ च वुय द्रभ
ु भ्।
नखयदळनळस्त्रैलाज्रतुल्मै् वभे तभ ् ।
ऩीनलृत्तभशाफाशुॊ वलाळिुसनफशा णभ ् ॥१॥
तफडदभरफकयीटॊ भूत्ध्ना योभात्ङ्कतॊ च नानायत्नवभामुिकुण्डराफदत्रलबूत्रऴतभ ् ।
शरयतकुवुभबावॊ ने िमुग् भॊ वुपुल्रभ ् ॥१॥ वलादाबीद्शदातायॊ वताॊ लै दृढभाशले ॥२॥
लासवनॊ चक्रतीथास्म दत्षणस्थसगयौ वदा ।
असनळभतुरबक्त्मा याभदे लस्म मोग्मा- तुङ्गाम्बोसधतयङ्गस्म लाते न ऩरयळोसबते ॥३॥
त्न्नत्खरगुरुचरयिाण्मास्मऩद्माद्रदन्तभ ् । नानादे ळागतै् वत्रद्भ् वे व्मभानॊ नृऩोत्तभै् ।
धूऩदीऩाफदनैलेद्यै् ऩञ्चखाद्यैद्ळ ळत्रित् ॥४॥
स्पफटकभत्णसनकाळे कुण्डरे धायमन्तॊ
बजासभ श्रीशनूभन्तॊ शे भकात्न्तवभप्रबभ ् ।
गजकय इल फाशॊु याभवे लाथाजातभ ् ॥२॥
व्मावतीथामतीन्द्रे ण ऩूत्जतॊ प्रत्णधानत् ॥५॥
अळसनवभद्रफढम्नॊ दीघालष्स्थरॊ च त्रिलायॊ म् ऩठे त्न्नत्मॊ स्तोिॊ बक्त्मा फद्रजोत्तभ् ।
नलकभरवुऩादॊ भदामन्तॊ रयऩूॊद्ळ । लात्ञ्छतॊ रबते ऽबीद्शॊ ऴण्भावाभ्मन्तये खरु ॥६॥
ऩुिाथॉ रबते ऩुि ॊ मळोऽथॉ रबते मळ् ।
शरयदसमतलरयद्षॊ प्राणवूनुॊ फराढ्मॊ त्रलद्याथॉ रबते त्रलद्याॊ धनाथॉ रबते धनभ ् ॥७॥
सनत्खरगुणवभे तॊ सचन्तमे लानये ळभ ् ॥३॥ वलाथा भास्तु वन्दे शो शरय् वाषी जगत्ऩसत् ।
म् कयोत्मि वन्दे शॊ व मासत सनयमॊ ध्रुलभ ् ॥८॥
इसत भाकाण्डे मऩुय ाणत् श्रीशनुभद्धध्मानभ ् ।
इसत श्रीव्मावतीथात्रलयसचतभ ् शनुभत्स्तोिॊ वम्ऩूणाभ ् ।

 क्मा आऩके फच्चे कुवॊगती के सळकाय शं ?


 क्मा आऩके फच्चे आऩका कशना नशीॊ भान यशे शं ?
 क्मा आऩके फच्चे घय भं अळाॊसत ऩैदा कय यशे शं ?
घय ऩरयलाय भं ळाॊसत एलॊ फच्चे को कुवॊगती वे छुडाने शे तु फच्चे के नाभ वे गुरुत्ल कामाारत द्राया
ळास्त्रोि त्रलसध-त्रलधान वे भॊि सवि प्राण-प्रसतत्रद्षत ऩूणा चैतन्म मुि लळीकयण कलच एलॊ एव.एन.फडब्फी
फनलारे एलॊ उवे अऩने घय भं स्थात्रऩत कय अल्ऩ ऩूजा, त्रलसध-त्रलधान वे आऩ त्रलळेऴ राब प्राद्ऱ कय
वकते शं । मफद आऩ तो आऩ भॊि सवि लळीकयण कलच एलॊ एव.एन.फडब्फी फनलाना चाशते शं , तो वॊऩका
इव कय वकते शं । GURUTVA KARYALAY
Call us: 91 + 9338213418, 91+ 9238328785
Mail Us: gurutva.karyalay@gmail.com, gurutva_karyalay@yahoo.in,
Visit Us: www.gurutvakaryalay.com www.gurutvajyotish.com and gurutvakaryalay.blogspot.com
71 अप्रैर-2015

॥श्रीशनुभत्स्तोिॊ त्रलबीऴणकृ तभ ् ॥
श्रीगणे ळाम नभ् । प्रसतग्राभत्स्थतामाथ यषोबूतलधासथाने ।
नभो शनुभते तुभ्मॊ नभो भारुतवूनले । कयारळैरळस्त्राम द्रभ
ु ळस्त्राम ते नभ् ॥१३॥
नभ् श्रीयाभबिाम श्माभास्माम च ते नभ् ॥१॥
फारैकमा जी चमााम रुद्रभूसताधयाम च ।
नभो लानयलीयाम वुग्रीलवख्मकारयणे । त्रलशङ्गभाम वलााम लज्रदे शाम ते नभ् ॥१४॥
रङ्कात्रलदाशनाथााम शे रावागयतारयणे ॥२॥
कौऩीनलाववे तुभ्मॊ याभबत्रियताम च ।
वीताळोकत्रलनाळाम याभभुद्राधयाम च । दत्षणाळाबास्कयाम ळतचन्द्रोदमात्भने ॥१५॥
यालणान्तकुरच्छे दकारयणे ते नभो नभ् ॥३॥
कृत्माषतव्मथाघ्नाम वलाक्रे ळशयाम च ।
भे घनादभखध्लॊवकारयणे ते नभो नभ् । स्लाम्मासाऩाथावङ्ग्राभवङ्ख्मे वञ्जमधारयणे ॥१६॥
अळोकलनत्रलध्लॊवकारयणे बमशारयणे ॥४॥
बिान्तफदव्मलादे ऴु वङ्ग्राभे जमदासमने ।
लामुऩुिाम लीयाम आकाळोदयगासभने । फकत्ल्कराफुफुकोच्चायघोयळब्दकयाम च ॥१७॥
लनऩारसळयश्छे दरङ्काप्रावादबत्ञ्जने ॥५॥
वऩाात्ग्नव्मासधवॊस्तम्बकारयणे लनचारयणे ।
ज्लरत्कनकलणााम दीघाराङ्गूरधारयणे । वदा लनपराशायवन्तृद्ऱाम त्रलळे ऴत् ॥१८॥
वौसभत्रिजमदािे च याभदत
ू ाम ते नभ् ॥६॥
भशाणालसळराफिवे तुफन्धाम ते नभ् ।
अषस्म लधकिे च मा जी ऩाळसनलारयणे । लादे त्रललादे वङ्ग्राभे बमे घोये भशालने ॥१९॥
रक्ष्भणाङ्गभशाळत्रिघातषतत्रलनासळने ॥७॥
सवॊशव्माघ्राफदचौये भ्म् स्तोिऩाठाद् बमॊ न फश ।
यषोघ्नाम रयऩुघ्नाम बूतघ्नाम च ते नभ् । फदव्मे बूतबमे व्माधौ त्रलऴे स्थालयजङ्गभे ॥२०॥
ऋषलानयलीयौघप्राणदाम नभो नभ् ॥८॥
याजळस्त्रबमे चोग्रे तथा ग्रशबमे ऴु च ।
ऩयवैन्मफरघ्नाम ळस्त्रास्त्रघ्नाम ते नभ् । जरे वले भशालृद्शौ दसु बाषे प्राणवम्प्रले ॥२१॥
त्रलऴघ्नाम फद्रऴघ्नाम ज्लयघ्नाम च ते नभ् ॥९॥
ऩठे त ् स्तोिॊ प्रभुच्मे त बमे भ्म् वलातो नय् ।
तस्म क्लात्रऩ बमॊ नात्स्त शनुभत्स्तलऩाठत् ॥२२॥
भशाबमरयऩुघ्नाम बििाणैककारयणे ।
ऩयप्रे रयतभन्िाणाॊ मन्िाणाॊ स्तम्बकारयणे ॥१०॥ वलादा लै त्रिकारॊ च ऩठनीमसभदॊ स्तलभ ् ।
वलाान ् काभानलाप्नोसत नाि कामाा त्रलचायणा ॥२३॥
ऩम्ऩाऴाणतयणकायणाम नभो नभ् ।
फाराकाभण्डरग्रावकारयणे बलतारयणे ॥११॥ त्रलबीऴणकृतॊ स्तोिॊ ताक्ष्मेण वभुदीरयतभ ् ।
मे ऩफठष्मत्न्त बक्त्मा लै सवद्धध्मस्तत्कये त्स्थता् ॥२४॥
नखामुधाम बीभाम दन्तामुधधयाम च ।
रयऩुभामात्रलनाळाम याभासारोकयत्षणे ॥१२॥ इसत श्रीवुदळानवॊफशतामाॊ त्रलबीऴणगरुडवॊलादे
त्रलबीऴणकृतॊ शनुभत्स्तोिॊ वम्ऩूणाभ ् ॥
72 अप्रैर-2015

अषम तृसतमा (अखातीज 21-अप्रैर-2015)


 सचॊतन जोळी
अषम तृसतमा को ऩूये बायत लऴा भं कई नाभं वे फने शुए ऩदाथा, वोना, कऩडे , जर का घडा आफद
जाना औय भनामा जाता शं , त्जवभं अषम तृतीमा, आखा दान कयना बी राबदामक भाना जाता शं ।
तीज तथा लैळाख तीज प्रभुख शं । इव लऴा 2015 भं  अषम तृसतमा के फदन फकए गए वबी धभा कामा
अषम तृतीमा 21 अप्रैर को शं । असत उत्तभ यशते शं ।
बायतीम ऩयॊ ऩयाके अॊतगात अषम तृसतमा का ऩला  अषम तृसतमा के फदन व्रत-उऩलाव के सरमे बी
प्रभुख त्मौशायं भं वे एक शं । अषम तृसतमा को अफूझ उत्तभ भाना जाता शं ।
भशूता बी कशा जाता शं ।  अषम तृसतमा के फदन दे ळ के कई फशस्वो भं
अषम तृसतमा ऩला लैळाख भाव के ळुक्र ऩष की चालर, भूॊग की फनी त्खचडी खाने का रयलाज शं ।
तृसतमा सतसथ के फदन भनामा जाता शं । त्रलद्रानो के  अषम तृसतमा के फदन गॊगा स्नान का फडा भशत्ल
अनुळाय अषम तृसतमा के फदन स्नान, जऩ, शोभ, दान भाना जाता शं ।
आफद ऩूण्म कामा कयना त्रलळे ऴ राबदामक शोता शं ।
क्मोफक भान्मता शं , फक इव फदन फकमे गम ऩुण्म कामा लैळाख ळुक्र ऩष की तृसतमा को स्लगॉम आत्भाओॊ
का पर व्मत्रि को अषम रुऩ भं प्राद्ऱ शोता शं । की प्रवन्नाता के सरए करळ, ऩॊखा, खडाऊॉ, छाता, वत्तू,
अषम तृसतमा के फदन कोई बी ळुब कामो का ककडी, खयफूजा आफद भौवभी पर, ळक्कय इत्माफद
प्रायम्ब कयना त्रलळे ऴ ळुब भाना जाता शं । ळास्त्रोि ऩदाथा मा ाजी ाण को दान कयने का त्रलधान शं ।
भतानुळाय इव फदन कोई बी ळुब कामा ळुरु कयने वे उव अषम तृसतमा के फदन चायं धाभं भं वे एक श्री
कामा का पर सनत्द्ळत त्स्थय रुऩ भं प्राद्ऱ शोते शं । फद्रीनाथ नायामण धाभ के ऩाट खुरते शं ।
ळास्त्रो भं उल्रे ख शं फक लैळाख भाव के ळुक्र
ऩष की तृसतमा अथाात अषम तृसतमा के फदन बगलान के अषम तृ स तमा (ऩयळु य ाभ तीज)
नय-नायामण, ऩयळुयाभ, शमग्रील रुऩ भं अलतरयत शुए थे। लैळाख ळुक्र ऩष की तृसतमा को अषम तृसतमा के नाभ
इव सरमे अषम तृसतमा को ऩयळुय ाभ ल अन्म जमत्न्तमाॊ वे जानाजाता शं । इव फदन श्री ऩयळुय ाभजी का जन्भ फदन
भानकय उवे उत्वल रुऩ भं भनामा जाता शं । शोने के कायण इवे ऩयळुय ाभ तीज मा ऩयळुय ाभ जमॊती बी
एक ऩौयात्णक भान्मता के अनुवाय िेता मुग की कशा जाता शं ।
ळुरुआत बी इवी फदन वे शुई थी. इवी कायण वे इवे
िेतामुगाफद सतसथ बी कशा जाता शं । अषम तृ त ीमा ळु ब भु शू ता
त्रलद्रानो के अनुळाय अषम तृसतमा के फदन गभॉ के बायत भं ऩौयात्णक कार वे वबी ळुब कामा ळुब भुशुता
भौवभ भं खाने -ऩीने -ऩशनने आफद काभ आने लारी औय एलॊ ळुब वभम ऩय प्रायॊ ब कयने का प्रचरन शं ।
गभॉ को ळाॊत कयने लारी वबी लस्तुओॊ का दान कयना
ळुब भाना जाता शं । व्मत्रि द्राया फकए जाने लारे कामा भं वपरता प्राद्ऱ
 अषम तृसतमा के फदन जौ, गेशूॊ, चने , दशी, चालर, कयने के सरमे ळुब भुशुता औय वभम का चुनाल फकमा
त्खचडी, ईळ (गन्ना) का यव, ठण्डाई ल दध
ू वे जाता शं ।
Dear Reader…
You have reached a Limit that is available for Free viewing !

Now it's unavailable to Unauthorised or Unregistered User.


We hope Enjoyed the preview?

Now time to Get A GK Premium Membership For Full Access ..


>> See details for this Membership in the our Store.

(GK Premium Membership available for any 1 Edition or All Edition.)


74 अप्रैर-2015

अप्रैर-2015 के प्रभुख व्रत-ऩला


 स्लत्स्तक.ऎन.जोळी
प्रदोऴ व्रत (1 अप्रै र , 16 अप्रै र एलॊ 30 अप्रै र ) अप्रै र ) फुधलाय का प्रदोऴ व्रत अथाात फुध प्रदोऴ व्रत कयने वे
व्मत्रि फक काभना सवि शोती शै । (16 अप्रै र एलॊ 30 अप्रै र )
प्रदोऴ व्रत का भशत्ल
वॊतान फक काभना शे तु प्रदोऴ व्रत के फदन ऩसत-ऩत्नी दोनो प्रात्
त्रलद्रानं ने प्रदोऴ व्रत के भशत्ल को असत व्माऩक,
स्नान इत्माफद सनत्म कभा वे सनलृत शोकय सळल, ऩालाती औय
वलोच्च एलॊ वला श्रेद्ष फतामा शं , प्रदोऴ व्रत शय भशीने भं दो फाय
गणे ळजी फक एक वाथभं आयाधना कय फकवी बी सळल भॊफदय भं
ळुक्र ऩष औय कृष्ण ऩष की िमोदळी को प्रदोऴ व्रत कशते शं ।
जाकय सळलसरॊग ऩय जर सबऴे क , ऩीऩर के भूर भं जर चढ़ाकय
मफद इन सतसथमं को वोभलाय शोतो उवे वोभ प्रदोऴ व्रत कशते
वाये फदन सनजार यशने का त्रलधान शं ।
शं , मफद भॊगर लाय शोतो उवे बौभ प्रदोऴ व्रत कशते शं औय
वूमाास्त के ऩद्ळात 2 घण्टे एलॊ 24 सभनट यात्रि के आने
ळसनलाय शोतो उवे ळसन प्रदोऴ व्रत व्रत कशते शं । त्रलळे ऴ कय
वे ऩूला का वभम प्रदोऴ कार कशराता शं । इव व्रत भं बगलान
वोभलाय, भॊगरलाय एलॊ ळसनलाय के प्रदोऴ व्रत अत्मासधक
ळॊकय की ऩूजा की जाती शै । इव व्रत भं व्रती को सनजार यशकय
प्रबालकायी भाने गमे शं । इव फदन व्रत यखने का त्रलधान शं ।
व्रत यखना शोता शै । प्रात: कार स्नान कयके बगलान सळल की
प्रदोऴ व्रत का भशत्ल कुछ इव प्रकाय का फतामा गमा शं
फे र ऩि, गॊगाजर, अषत, धूऩ, दीऩ वफशत ऩूजा कयं । वॊध्मा
फक मफद कोई व्मत्रि त्जवको वबी तयश के जऩ, तऩ औय सनमभ
कार भं ऩुन: स्नान कयके इवी प्रकाय वे सळल जी की ऩूजा कयना
वॊमभ के फाद बी मफद उवके गृशस्थ जीलन भं द्ु ख, वॊकट,
चाफशए। इव प्रकाय प्रदोऴ व्रत कयने वे व्रती को ऩुण्म सभरता शै ।
क्रे ळ आसथाक ऩये ळासन, ऩारयलारयक करश, वॊतानशीनता मा
वॊतान के जन्भ के फाद बी मफद नाना प्रकाय के कद्श त्रलघ्न- भदनद्रादळी (1 अप्रै र )
फाधाएॊ, योजगाय के वाथ वाॊवारयक जीलन वे ऩये ळासनमा खत्भ भदनद्रादळी
नशीॊ शो यशी शं , तो उव व्मत्रि के सरए प्रसत भाश भं ऩड़ेने लारे
भदनद्रादळी व्रत चैि ळुक्र द्रादळी को फकमा जाता शै ।
दोनो प्रदोऴ व्रत ऩय जऩ, दान, व्रत इत्माफद ऩूण्म कामा कयना उव फदन स्त्रान के जर भं गुड़े डार कय स्त्रान कयके । एक ले दीऩय
ळुब परप्रद शोता शं ।
चालरंवे बया शुआ करळ स्थात्रऩत कय औय करळ ऩय ताॉफेके
ज्मोसतऴ फक द्रत्रद्श वे जो व्मत्रि चॊद्रभा के कायण ऩीफडत ऩािभं गुड़े औय वुलणाकी प्रसतभा यखकय उवका गन्ध, ऩुष्ऩ
शो उवे लऴा बय प्रदोऴ व्रतं ऩय चाशे लश फकवी बी लायको ऩडता शो
आफदवे त्रलसधलत ऩूजन कये । वाथ शी अने क प्रकायके पर, पु र
उवे प्रदोऴ व्रत अलश्म कयना चाफशमे । औय नैलेद्य अऩाण कये तथा उनभं वे एक पर रे कय उवको
फु ध लाय का प्रदोऴ व्रत अथाात फुध प्रदोऴ व्रत कयने वे प्रवाद स्लरुऩ ग्रशण कये । इव प्रकाय १३ भशीने कये तो उवको
व्मत्रि फक काभना सवि शोती शै । ऩुि वे वॊफॊसधत ळोक-वॊताऩ नशीॊ शोता ।
गुरु लाय के फदन ऩडने लारा प्रदोऴ व्रत त्रलळे ऴ कय वॊतान
चैिी ऩूत्णाभा (4 अप्रैर)
काभना शे तु मा वॊतान की भॊगर काभना शे तु यखना उत्तभ शोता
शं । वॊतानशीन दॊऩत्रत्तमं के सरए इव व्रत ऩय घयभं सभद्षान मा चै ि ी ऩू त् णा भ ा
पर इत्माफद गाम को त्खराने वे ळीघ्र ळुब परकी प्रासद्ऱ शोसत चैि भावकी ऩूत्णाभाको त्रलष्णुरुऩ वत्मनायामाणका व्रत फकमा
जाता शं । ऩूत्णाभा व्रत शे तु चद्रोदमव्मात्रऩनी ऩूत्णाभा सतसथ री
शं । वॊतान फक काभना शे तु 16 प्रदोऴ व्रत कयने का त्रलधान शं , एलॊ
जाती शै । इवभे दे लऩूजन दान - ऩुण्म, तीथा- स्त्रान, दान-ऩुण्म,
वॊतान फाधा भं ळसन प्रदोऴ व्रत वफवे उत्तभ भनागमा शं । (1
ऩुय ाण आफद का श्रलणाफद कयने वे ऩूणा पर सभरता शै ।
75 अप्रैर-2015

लैळाखस्नान (4 अप्रैर वे) वॊ क द्शचतु थ ॉ (22 अप्रै र )


लै ळ ाखस्नान लै ळ ाख ळु क् र चतु थ ॉ
चैि ळुक्र ऩूत्णाभावे प्रायॊ ब कय इक्कीव फदनं तक प्रात्कार लैळाख भाव की कृष्ण चतुथॉ को श्रीकृष्णत्रऩॊगाष
वूमोदमवे ऩूला फकवी तीथास्थान नदी मा कुआॉ , फालरी, वयोलय गणऩसत का ऩूजन फकमा जाता शं ।
मा अऩने घय ऩय शी ळुि जरवे स्त्रान कये औय सनत्म कभा वे
सनलृत्त शोकय अऩने इद्श भन्ि का मथाळत्रि जऩ कयके एक फाय चत्ण्डका नलभी व्रत (13 अप्रै र एलॊ 27 अप्रै र)
बोजन कयने का त्रलधान शं । इव प्रकाय वे मश व्रत इक्कीव चत्ण्डका नलभी व्रत
फदनंतक सनत्म कयने वे अने क प्रकायके योग-ळोक-दोऴ मश व्रत लैळाख भाव की दोनं ऩषंभे नलभी सतसथ को
इत्माफद दयू शोते शं । भनुष्म के ऩुण्म कभा भं लृत्रि शोती शै । फकमा जाता शै । व्रती को प्रात्स्त्रान इत्माफद वे सनलृत्त शोकय
रार लस्र धायण कय वुगत्न्धत ऩुष्ऩाफदवे चत्ण्डका दे लीका
शनु भ द्व्रत (4 अप्रै र ) त्रलसध-त्रलधान वे ऩूजन कयके उऩलाव यखने वे वुख की प्रासद्ऱ
शनु भ द्व्रत शोती शं
मश शनुभद्व्रत शनुभानजी की जन्भसतसथ ऩय फकमा शॊ वकु न्दे न्दव
ु न्काळस्ते ज वा ध्रुलवॊसनब:।
जाता शै । फशन्द ू वॊस्कृ सत भं ऩॊचाॊग के आधाय वे व्रत-ऩला- त्रलभानलयभारुढो दे लरोके भशीमते ॥
त्मौशायं का सनणाम फकमा जाता शै , इव आधाय ऩय श्री (सनणामाभृते बत्रलष्मोत्तये )
शनुभानजीकी जन्भसतसथ फकवी धभा ग्रॊथ भं चैि ळुक्र ऩूत्णाभा अथाात : भनुष्म शॊ व, कुन्द औय चन्द्रभाके वभान गौयलणा एलॊ
औय फकवी भं कासताक कृष्ण चतुदाळी का लणान सभरता शै । ध्रुलके वभान ते जस्ली औय फदव्म स्लरुऩ धायणकय उत्तभ
प्राम् वबी दे ली-दे लता की जन्भसतसथ एक शी भानामा त्रलभानऩय त्रलयात्जत शो कय दे लरोकभं आदय ऩाता शै ।
जाता शं , रे फकन श्री शनुभानजीकी जन्भ दो सतसथमं को
भानामा जाता शं । त्रलसबन्न धासभाक ग्रॊथो भं शनुभानजी की ऩयळु य ाभ जमन्ती (20 अप्रै र )
दोनो जन्भ सतसथमं का लणान फकमा गमा शं , रे फकन उवके ऩयळु य ाभ जमन्ती
अथं भं सबन्नता शं । सतसथ की सबन्न ता कल्ऩबे द के कायण दो धभा ग्रॊथं भं लत्णात शं की ऩयळुय ाभजीका जन्भ लैळाख ळुक्र
भानी जाती शं । फकवी धभा ग्रॊथ भं लत्णात शं की शनुभानजी तृतीमा सतसथ को यात्रिके प्रथभ प्रशयभं शुआ था, इव असरए
का जन्भ कासताक कृष्ण चतुदाळी, भॊगरलाय को स्लाती नषि प्रदोऴव्मात्रऩनी सतसथ ग्राह्य शोती शै । जानकाय त्रलद्रानं के
एलॊ भे ऴ रग्न भं शुला था । अन्म धभा ग्रॊथ भं लत्णात शं की भतानुवाय मफद दो फदन प्रदोऴव्मात्रऩनी सतसथ शो तो दव
ू या व्रत
शनुभानजी का जन्भ चैि ळुक्र ऩूत्णाभा, भॊगरलाय को शुला था कयना चाफशमे ।
। मफश कायण शं की शनुभानजी के बिं द्राया इन दोनं सतसथमं
को व्रत-उऩलाव इत्माफद फकमा जाता शं । श्रीजानकी नलभी (27 अप्रै र )
श्रीजानकी नलभी
वॊ क द्शचतु थ ॉ (8 अप्रै र )
त्रलद्रानं के भतानुवाय लैळाख ळुक्र नलभीको दे ली बगलती
वॊ क द्शचतु थ ॉ जानकीका प्रादब
ु ााल शुआ था । इव सरए इव फदन व्रत यशकय
लैळाख भाव की चतुथॉ को वॊकद्शी गणे ळ का ऩूजा कय उनका जन्भोत्वल तथा ऩूजन फकमा जता शं ।
मा ाजी णं को ळॊख का दान कयना चाफशए। इवके प्रबाल वे भनुष्म
वभस्त रोक भं कल्ऩं तक वुख प्राद्ऱ कयता शै ।
***
76 अप्रैर-2015

लरुसथनी एकादळी 15 अप्रैर 2015


 स्लत्स्तक.ऎन.जोळी
कृ ष्णऩष की एकादळी 15 अप्रै र 2015 लरुसथनी एकादळी के व्रत वे भनुष्म को अन्न तथा कन्मादान
लैवाख : कृष्ण ऩष एकादळी व्रत दानो प्रकाय के उत्तभ पर सभरता शै ।
अजुान फोरे - "शे बगलन ् ! लैळाख भाव के कृष्ण ऩष मफद कोई भनुष्म रोब लळ शोकय कन्मा का धन रे रे ते
की एकादळी का क्मा नाभ शै ! तथा उवकी त्रलसध क्मा शै ! औय शं मा आरस्म औय चोयी वे फकवी कन्मा के धन का शयण कयते
उवने कौन वे पर की प्राऩ ्सत शोती शै !, मश वफ कृऩा ऩूलाक शं , ले जीलन के अन्त तक नयक बोगते यशते शं मा उनको अगरे
वत्रलस्ताय वे कफशए । जन्भ भं जानलय मोसन भं कद्श बोगना ऩड़ेता शै ।
बगलान श्रीकृष्ण फोरे - "शे अजुान ! लैळाख भाव के जो भनुष्म वप्रे भ वे एलॊ मस वफशत कन्मादान कयते शं
कृष्ण ऩष की एकादळी का नाभ "लरुसथनी" शै । मश वौबाग्म उनके ऩुण्म को सचिगुऩ ्त बी सरखने भं अवभथा शो जाते शं ।
प्रदान कयने लारी शै । इवका व्रत कयने वे भनुष्म के वबी ऩाऩ जो भनुष्म इव लरुसथनी एकादळी का व्रत कयते शं , उनको
नऴ ्ट शोते शं । मफद इव व्रत को द्ु खी वुशागीन स्त्री कयती शै तो कन्मादान के वभान पर सभरता शै ।
उवे वौबाग्म की प्रासद्ऱ शोती शै । लरुसथनी के प्रबाल वे शी याजा त्रलद्रानं के भतानुवाय लरुसथनी एकादळी का व्रत कयने
भाॊधाता को स्लगा प्राऩ ्त शुआ था । इवी प्रकाय धुध
ॊ भ
ु ाय आफद लारे को दळभी के फदन वे सनम्नसरत्खत लस्तुओॊ का त्माग कय
को बी स्लगा की प्रासद्ऱ शुआ था। दे ना चाफशए –
“ लरुसथनी एकादळी के व्रत का पर दव वशस्त्र लऴा 1. काॊवे के फतान भं बोजन कयना,
2. भाॊव,
तऩस्मा कयने के पर के फयाफय शै ।”
कुरुषे ि भं वूमा ग्रशण के वभम जो पर एक फाय स्लणा 3. चना ल भवूय की दार,
4. ळाक,
दान कयने वे प्राद्ऱ शोता शै , लशी पर फरुसथनी एकादळी का व्रत
5. भधु (ळशद),
कयने वे प्राद्ऱ शोता शै । इव व्रत वे भनुष्म इव रोक औय
6. दव
ू यी फाय का बोजन का त्माग कयं ।
ऩयरोक दोनं भं वुख को प्राद्ऱ कयता शं ल अन्त भं स्लगा को
7. ते र तथा अन्न बषण बी लत्जात भाना गमा शै ।
प्राऩ ्त कयते शं ।"
"शे याजन ् ! इव एकादळी का व्रत कयने वे भनुष्म को
एकादळी व्रत शे तु ऩूणा मा जी चमा का ऩारन कयना चाफशए
इव रोक भं वुख औय ऩयरोक भं भुक् सत की प्रासद्ऱ शोती शै ।
। यात्रिळमन न कयके वाया वभम ळास्त्र सचॊतन औय बजन-
ळास्त्रं भं लत्णात शं फक घोड़ेे के दान वे शाथी का दान
कीतान आफद भं रगाना चाफशए । दव
ू यं की सनॊदा तथा दऴ
ु ्ट औय
उत्तभ शै औय शाथी के दान वे बूसभ का दान उत्तभ शै , उववे उत्तभ
ऩाऩी रोगं की वॊगत बी नशीॊ कयनी चाफशए । क्रोध कयना मा
सतर का दान शै ।
अवत्म फोरना बी लत्जात शै ।
सतर वे उत्तभ शै वोने का दान औय वोने के दान वे
शे याजन ् ! जो भनुष्म एकादळी का त्रलसधऩूलाक व्रत
अन्नदान उत्तभ शै ।
कयते शं , उनको स्लगा रोक की प्राऩ ्सत शोती शै । इव व्रत के
वॊवाय भं अन्नदान के फयाफय औय कोई दान नशीॊ शै ।
भाशात्म्म को श्रलण कयने मा ऩढ़ने वे एक वशस्त्र गौदान का
अन्नदान दान वे त्रऩतृ, दे लता, भनुष्म आफद वफ तृऩ ्त शोते शं ।
पर प्राऩ ्त शोता शै । इवका पर गॊगा स्नान कयने के पर वे बी
ळास्त्रं भं कन्मादान को अन्नदान के फयाफय भाना गमा शै ।
असधक भाना गमा शै ।
77 अप्रैर-2015

भोफशनी एकादळी 29 अप्रैर 2015


 स्लत्स्तक.ऎन.जोळी
भोफशनी एकादळी 29 अप्रै र 2015 भनुष्म के वभस्त ऩाऩ नऴ ्ट शो जाते शं । अफ आऩ इवकी कथा
लैळाख ळुक्र एकादळी व्रत को ध्मानऩूलाक वुसनए –
लैळाख ळुक्र एकादळीको भोफशनी एकादळी कशा जाता वयस्लती नदी के फकनाये बद्रालती नाभ की एक नगयी
शं । त्रलद्रानं के भतानुळाय भोफशनी एकादळी के व्रत वे भनुष्म के शै । उव नगयी भं द्युसतभान नाभ याजा याज्म कयता था । उवी
भोश-भामा एलॊ ऩाऩ कभा दयू शोते शं । धभा ळास्त्रं भं लत्णात शं की नगयी भं एक लैश्म यशता था, जो धन-धान्म वे ऩूणा था । उवका
श्री याभजी ने वीताजीकी खोज कयते वभम इव व्रतको फकमा नाभ धनऩार था । लश अत्मन्त धभाात्भा तथा त्रलष्णुबक् त था
था एलॊ श्रीकृष्णके कशने वे मुसधत्रद्षय ने बी फकमा था। इव । उवने नगय भं अने क कुआॊ, ताराफ, बोजनळारा, धभाळारा
करमुग भं इव व्रतका फड़ेा भशत्ल भाना जाता शं । इव व्रत के आफद फनलामे , वड़ेकं फकनाये ऩसथकं को वुख के सरए अने क
प्रबाल वे भनुष्म के खोमे शुले वुख-ळाधनं की ऩुन् प्रासद्ऱ शो कय आभ, जाभुन, नीभ आफद के लृष रगलामे । उव लैश् म के ऩाॊच
भृत्मु उऩयाॊत स्लगा रोक की प्रासद्ऱ शोती शं । ऩुि थे त्जनभं वे वफवे फड़ेा ऩुि अत्मन्त ऩाऩी ल दऴ
ु ्ट था । लश
अजुान फोरे - "शे बगलन ् ! लैळाख भाव की ळुक्रऩष ले श्माओॊ औय दऴ
ु ्टं की वॊगसत कयता था औय मफद वभम
की एकादळी का क्मा नाभ शै ! तथा उवकी त्रलसध क्मा शै ! औय फचता था, उवे लश जुआ खेरने भं व्मतीत कयता था । लश फड़ेा
उवने कौन वे पर की प्राऩ ्सत शोती शै ! मश वफ कृऩा ऩूलाक शी नीच था औय दे लता, त्रऩतृ आफद फकवी को बी नशीॊ भानता था
वत्रलस्ताय वे कफशए । । अऩने त्रऩता का असधकाॊळ धन लश फुये व्मवनं भं शी व्मम
बगलान ् श्री कृष्ण फोरे - "शे अजुान ! भं एक तुम्शं फकमा कयता था । भद्यऩान तथा भाॊव का बषण कयना उवका
ऩुयातन कथा कशता शूॊ, त्जवको भशत्रऴा लसळऴ ्ठजी ने सनत्म का कभा था । जफ कापी वभझाने - फुझाने ऩय बी लश
श्रीयाभचन्द्रजी वे कशीॊ थी । तुभ इवे ध्मानऩूलाक वुनो, एक वीधे यास्ते ऩय नशीॊ आमा तो द्ु खी शोकय उवके त्रऩता, बाइमं
वभम की फात शै , श्रीयाभचन्द्रजी भशत्रऴा लसळऴ ्ठ वे फोरे - शे तथा कुटु त्म्फमं ने उवे घय वे सनकार फदमा औय उवकी सनन्दा
गुरुदे ल! भंने वीताजी के त्रलमोग भं फशुत द्ु ख बोगे शं । अत् कयने रगे ।
भे ये द्ु खं का नाळ फकव प्रकाय शोगा ? आऩ भुझे कोई ऐवा व्रत घय वे सनकरने के फाद उवने अऩने आबूऴणं तथा
फताएॊ, त्जववे भे ये वभस्त ऩाऩ औय द्ु ख का नाव शो जामं । लस्त्रं को फे च-फे चकय अऩना गुजाया फकमा। धन नऴ ्ट शो जाने
भशत्रऴा लसळऴ ्ठजी फोरे - ’शे याभ ! आऩने फशुत उत्तभ प्रळ ्न ऩय ले श्माओॊ तथा उवके दऴ
ु ्ट वासथमं ने बी उवका वाथ छोड़े
फकमा शै । आऩके नाभ के स्भयण भाि वे शी भनुष्म ऩत्रलि शो फदमा । जफ लश बूख-प्माव वे द्ु खी शो गमा तो उवने चोयी
जाता शै । आऩने रोकफशत भं मश फड़ेा शी उत्तभ प्रळ ्न फकमा शै । कयने का त्रलचाय फकमा औय यातं भं चोयी कय-कयके अऩना ऩे ट
भं आऩको भोफशनी एकादळी व्रत का भशत्त्ल वुनाता शूॊ - लैळाख ऩारने रगा । एक फदन लश ऩकड़ेा गमा, ऩयन्तु सवऩाफशमं ने
भाव के ळुक्र ऩष की एकादळी का नाभ भोफशनी शै । इव लैश्म का ऩुि जानकय छोड़े फदमा । लश दव
ू यी फाय फपय ऩकड़ेा
एकादळी का व्रत कयने वे भनुष्म के वभस्त ऩाऩ तथा द्ु ख- गमा, तफ सवऩाफशमं ने बी उवका कोई सरशाज नशीॊ फकमा औय
वॊताऩ नऴ ्ट शो जाते शं । इव व्रत के प्रबाल वे भनुष्म भोश के याजा के वाभने प्रस्तुत कयके उवे वायी फात फताई । तफ याजा
जार वे छूट जाता शै । ने उवे कायागाय भं डरला फदमा । कायागाय भं याजा के आदे ळ वे
अत् शे याभ ! द्ु ख-वॊताऩ वे ऩीफड़ेत भनुष्म को इव उवे फशुत द्ु ख फदमे गमे औय अन्त भं उवे नगय छोड़ेने को कशा
एकादळी का व्रत अलश्म शी कयना चाफशए । इव व्रत के कयने वे गमा ।
78 अप्रैर-2015

लश द्ु खी शोकय नगयी को छोड़े गमा औय जॊगर भं तफ ऋत्रऴ फोरे - "तू ध्नान दे कय वुन - लैळाख भाव के
ऩळु- ऩत्षमं को भाय कय ऩे ट बयने रगा । फपय फशे सरमा फन ळुक्र ऩष की एकादळी का व्रत कय । इव एकादळी का नाभ
गमा औय धनुऴ-फाण वे ऩळुओॊ- ऩत्षमं को भाय-भाय कय खाने भोफशनी शै । इवके कयने वे ते ये वभस्त ऩाऩ नऴ ्ट शो जामं गे ।"
औय फे चने रगा । भुसन के लचनं को वुनकय लश फशुत प्रवन्न शुआ औय भुसन की
एक फदन लश बूख औय प्माव वे व्माकुर शोकय बोजन फतराई शुई त्रलसध के अनुवाय उवने भोफशनी एकादळी का व्रत
की खोज भं सनकर ऩड़ेा औय कोफटन्म ऋत्रऴ के आश्रभ ऩय जा फकमा ।
ऩशुॊचा । इव वभम लैवाख का भशीना था । कौफटन्म ऋत्रऴ गॊगा "शे याभजी ! उव व्रत के प्रबाल वे उवके वभस्त ऩाऩ
स्नान कयके आमे थे । उनके बीगे लस्त्रं के छीॊटे भाि वे इव नऴ ्ट शो गमे औय अन्त भं लश गरुड़े ऩय त्रलयात्जत शोकय त्रलष्णु
ऩाऩी को कुछ वुफुत्रि की प्राऩ ्सत शुई । रोक को गमा । इव व्रत वे भोश आफद बी नऴ ्ट शो जाते शं ।
लश ऩाऩी, भुसन के ऩाव जाकय शाथ जोड़ेकय कशने रगा वॊवाय भं इव व्रत वे अन्म श्रेऴ ्ठ कोई व्रत नशीॊ शै । इवके
- "शे भुसन ! भंने अऩने जीलन भं फशुत ऩाऩ फकमे शं , आऩ उन भाशात्म्म के श्रलण ल ऩठन वे जो ऩुण्म शोता शै , लश ऩुण्म एक
ऩाऩं वे छूटने का कोई वाधायण औय त्रफना धन का उऩाम वशस्त्र गौदान के ऩुण्म के फयाफय शै ।
फतराइमे ।"
***
अभोद्य भशाभृत्मुॊजम कलच
अभोद्य् भशाभृत्मुॊजम कलच ल उल्रेत्खत अन्म वाभग्रीमं को ळास्त्रोि त्रलसध-
त्रलधान वे त्रलद्रान मा ाजी णो द्राया वला राख भशाभृत् मुॊ ज म भॊ ि जऩ एलॊ दळाॊळ
शलन द्राया सनसभात कलच अत्मॊत प्रबालळारी शोता शं ।

अभोद्य् भशाभृत्मुॊजम कलच


अभोद्य् भशाभृत्मुॊजम
कलच फनलाने शे तु:
अऩना नाभ, त्रऩता-भाता का नाभ, कलच
गोि, एक नमा पोटो बेजे दत्षणा भाि: 10900

कलच के त्रलऴम भं असधक जानकायी शे तु गुरुत्ल कामाारम भं वॊ ऩका कयं । >> Order Now
GURUTVA KARYALAY
91+ 9338213418, 91+ 9238328785
Mail Us: gurutva.karyalay@gmail.com, gurutva_karyalay@yahoo.in,
Website: www.gurutvakaryalay.com | www.gurutvajyotish.com |
Dear Reader…
You have reached a Limit that is available for Free viewing !

Now it's unavailable to Unauthorised or Unregistered User.


We hope Enjoyed the preview?

Now time to Get A GK Premium Membership For Full Access ..


>> See details for this Membership in the our Store.

(GK Premium Membership available for any 1 Edition or All Edition.)


80 अप्रैर-2015

वला कामा सवत्रि कलच


त्जव व्मत्रि को राख प्रमत्न औय ऩरयश्रभ कयने के फादबी उवे भनोलाॊसछत वपरतामे एलॊ
फकमे गमे कामा भं सवत्रि (राब) प्राद्ऱ नशीॊ शोती, उव व्मत्रि को वला कामा सवत्रि कलच अलश्म
धायण कयना चाफशमे।
कलच के प्रभु ख राब: वला कामा सवत्रि कलच के द्राया वुख वभृत्रि औय नल ग्रशं के
नकायात्भक प्रबाल को ळाॊत कय धायण कयता व्मत्रि के जीलन वे वला प्रकाय के द:ु ख-दारयद्र का
नाळ शो कय वुख-वौबाग्म एलॊ उन्नसत प्रासद्ऱ शोकय जीलन भे वसब प्रकाय के ळुब कामा सवि शोते
शं । त्जवे धायण कयने वे व्मत्रि मफद व्मलवाम कयता शोतो कायोफाय भे लृत्रि शोसत शं औय मफद
नौकयी कयता शोतो उवभे उन्नसत शोती शं ।

 वला कामा सवत्रि कलच के वाथ भं वला ज न लळीकयण कलच के सभरे शोने की लजश वे धायण
कताा की फात का दव
ू ये व्मत्रिओ ऩय प्रबाल फना यशता शं ।
 वला कामा सवत्रि कलच के वाथ भं अद्श रक्ष्भी कलच के सभरे शोने की लजश वे व्मत्रि ऩय वदा
भाॊ भशा रक्ष्भी की कृऩा एलॊ आळीलााद फना यशता शं । त्जस्वे भाॊ रक्ष्भी के अद्श रुऩ (१)-
आफद रक्ष्भी, (२)-धान्म रक्ष्भी, (३)- धैमा रक्ष्भी, (४)-गज रक्ष्भी, (५)-वॊतान रक्ष्भी, (६)-
त्रलजम रक्ष्भी, (७)-त्रलद्या रक्ष्भी औय (८)-धन रक्ष्भी इन वबी रुऩो का अळीलााद प्राद्ऱ शोता शं ।
 वला कामा सवत्रि कलच के वाथ भं तॊ ि यषा कलच के सभरे शोने की लजश वे ताॊत्रिक फाधाए दयू
शोती शं , वाथ शी नकायात्भक ळत्रिमो का कोइ कुप्रबाल धायण कताा व्मत्रि ऩय नशीॊ शोता। इव
कलच के प्रबाल वे इऴाा-द्रे ऴ यखने लारे व्मत्रिओ द्राया शोने लारे दद्श
ु प्रबालो वे यषा शोती शं ।
 वला कामा सवत्रि कलच के वाथ भं ळिु त्रलजम कलच के सभरे शोने की लजश वे ळिु वे वॊफॊसधत
वभस्त ऩये ळासनओ वे स्लत् शी छुटकाया सभर जाता शं । कलच के प्रबाल वे ळिु धायण कताा
व्मत्रि का चाशकय कुछ नशी त्रफगाड़े वकते।
अन्म कलच के फाये भे असधक जानकायी के सरमे कामाारम भं वॊऩका कये :
फकवी व्मत्रि त्रलळे ऴ को वला कामा सवत्रि कलच दे ने नशी दे ना का अॊसतभ सनणाम शभाये ऩाव वुय त्षत शं ।
>> Shop Online | Order Now
GURUTVA KARYALAY
92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA, BHUBNESWAR-751018, (ORISSA)
Call Us - 9338213418, 9238328785
Our Website:- www.gurutvakaryalay.com and http://gurutvakaryalay.blogspot.com/
Email Us:- gurutva_karyalay@yahoo.in, gurutva.karyalay@gmail.com

(ALL DISPUTES SUBJECT TO BHUBANESWAR JURISDICTION)


81 अप्रैर-2015

भॊि सवि ऩायद प्रसतभा


ऩायद श्री मॊि ऩायद रक्ष्भी गणे ळ ऩायद रक्ष्भी नायामण ऩायद रक्ष्भी नायामण

21 Gram वे 5.250 Kg तक 100 Gram 121 Gram 100 Gram


उऩरब्ध
ऩायद सळलसरॊग ऩायद सळलसरॊग+नॊफद ऩायद सळलजी ऩायद कारी

21 Gram वे 5.250 Kg तक 101 Gram वे 5.250 Kg 75 Gram 37 Gram


उऩरब्ध तक उऩरब्ध
ऩायद दग
ु ाा ऩायद दग
ु ाा ऩायद वयस्लती ऩायद वयस्लती

82 Gram 100 Gram 50 Gram 225 Gram


ऩायद शनुभान 2 ऩायद शनुभान 3 ऩायद शनुभान 1 ऩायद कुफे य

100 Gram 125 Gram 100 Gram 100 Gram


शभायं मशाॊ वबी प्रकाय की भॊि सवि ऩायद प्रसतभाएॊ, सळलसरॊग, त्रऩयासभड, भारा एलॊ गुफटका ळुि ऩायद भं उऩरब्ध शं ।
त्रफना भॊि सवि की शुई ऩायद प्रसतभाएॊ थोक व्माऩायी भूल्म ऩय उऩरब्ध शं ।
ज्मोसतऴ, यत्न व्मलवाम, ऩूजा-ऩाठ इत्माफद षे ि वे जुडे़ फॊध/ु फशन के सरमे शभायं त्रलळे ऴ मॊि, कलच, यत्न, रुद्राष ल अन्म दर
ु ब
वाभग्रीमं ऩय त्रलळे ऴ वुत्रफधाएॊ उऩरब्ध शं । असधक जानकायी शे तु वॊऩका कयं ।
82 अप्रैर-2015

भॊि सवि गोभसत चक्र

Premium Quality Very Rare Premium Quality Very Rare Premium Quality Very Rare Premium Quality Very Rare
Gomati Chakra Big Size 1 Gomati Chakra Big Size 1 Gomati Chakra Big Size 1 Gomati Chakra Big Size 1
Weight 36 Gram Gomti... Weight 27 Gram Gomti... Weight 21 Gram Gomti... Weight 18 Gram Gomti...
30% Off Rs. 820.00 30% Off Rs. 640.00 30% Off Rs. 550.00 30% Off Rs. 501.00
Offer Price : Rs. 574.00 Offer Price : Rs. 448.00 Offer Price : Rs. 385.00 Offer Price : Rs. 350.70

Premium Q 11 PCS Very Premium Q 11 PCS Very Premium Q Very Rare Premium Q Very Rare
Rare Gomati Chakra Big Each Rare Gomati Chakra Big Each Gomati Chakra Big Size Gomati Chakra Big Size
1 Weight 7 Gram 1 Weight 6 Gram ... Weight 11 Gram ... Weight 10 Gram ...
30% Off Rs. 1100.00 30% Off Rs. 910.00 30% Off Rs. 460.00 30% Off Rs. 251.00
Offer Price: Rs. 770.00 Offer Price: Rs. 637.00 Offer Price: Rs. 322.00 Offer Price: Rs. 175.70

Premium Q Very Rare Premium Q Gomati Chakra Premium Q 3 PCS Very Rare Rakt Gunja 51 Pcs + Free 11
Gomati Chakra Big 8 Gram ... 7pcs Big Each 4.5Gram Gomati Chakra 7 Gram Each.. Pcs Gomti Chakra...
30% Off Rs. 151.00 30% Off Rs. 251.00 30% Off Rs. 251.00 30% Off Rs. 221.00
Offer Price: Rs. 105.70 Offer Price: Rs. 175.70 Offer Price: Rs. 175.70 Offer Price: Rs. 154.70
 शभायं मशाॊ त्रलसबन्न प्रकाय की वभस्माओॊ के सनलायण शे तु भॊ ि सवि
गोभसत चक्र भं उऩरब्ध शं ।  त्रफना भॊ ि सवि फकमे शुले गोभसत चक्र
थोक व्माऩायी भू ल्म ऩय उऩरब्ध शं ।

GURUTVA KARYALAY
Call Us:
91 + 9338213418, 91 + 9238328785.
Gomti Chakra 11 Pcs+11 Pcs Gomti Chakra 11 Pcs Gomati
Rakt Gunja+11 White Cowrie.. Chakra Sudarshan Chakra......
Email Us:
gurutva_karyalay@yahoo.in
30% Off Rs. 201.00 30% Off Rs. 101.00 gurutva.karyalay@gmail.com
Offer Price: Rs. 140.70 Offer Price: Rs. 70.70 Visit Us:www.gurutvakaryalay.com
83 अप्रैर-2015

शभाये त्रलळेऴ मॊि


व्माऩाय लृत्र ि मॊ ि : शभाये अनुबलं के अनुवाय मश मॊि व्माऩाय लृत्रि एलॊ ऩरयलाय भं वुख वभृत्रि शे तु त्रलळे ऴ प्रबालळारी शं ।
बू स भराब मॊ ि : बूसभ, बलन, खेती वे वॊफॊसधत व्मलवाम वे जुड़ेे रोगं के सरए बूसभराब मॊि त्रलळे ऴ राबकायी सवि
शुला शं ।
तॊ ि यषा मॊ ि : फकवी ळिु द्राया फकमे गमे भॊि-तॊि आफद के प्रबाल को दयू कयने एलॊ बूत , प्रे त नज़य आफद फुयी ळत्रिमं
वे यषा शे तु त्रलळे ऴ प्रबालळारी शं ।
आकत्स्भक धन प्रासद्ऱ मॊ ि : अऩने नाभ के अनुवाय शी भनुष्म को आकत्स्भक धन प्रासद्ऱ शे तु परप्रद शं इव मॊि के
ऩूजन वे वाधक को अप्रत्मासळत धन राब प्राद्ऱ शोता शं । चाशे लश धन राब व्मलवाम वे शो, नौकयी वे शो, धन-वॊऩत्रत्त
इत्माफद फकवी बी भाध्मभ वे मश राब प्राद्ऱ शो वकता शं । शभाये लऴं के अनुवॊधान एलॊ अनुबलं वे शभने आकत्स्भक
धन प्रासद्ऱ मॊि वे ळे मय ट्रे फडॊ ग, वोने -चाॊदी के व्माऩाय इत्माफद वॊफॊसधत षे ि वे जुडे रोगो को त्रलळे ऴ रुऩ वे आकत्स्भक
धन राब प्राद्ऱ शोते दे खा शं । आकत्स्भक धन प्रासद्ऱ मॊि वे त्रलसबन्न स्रोत वे धनराब बी सभर वकता शं ।
ऩदौन्नसत मॊ ि : ऩदौन्नसत मॊि नौकयी ऩैवा रोगो के सरए राबप्रद शं । त्जन रोगं को अत्मासधक ऩरयश्रभ एलॊ श्रेद्ष कामा
कयने ऩय बी नौकयी भं उन्नसत अथाात प्रभोळन नशीॊ सभर यशा शो उनके सरए मश त्रलळे ऴ राबप्रद शो वकता शं ।
यत्ने द्वयी मॊ ि : यत्ने द्वयी मॊि शीये -जलाशयात, यत्न ऩत्थय, वोना-चाॊदी, ज्लैरयी वे वॊफॊसधत व्मलवाम वे जुडे रोगं के सरए
असधक प्रबाली शं । ळे य फाजाय भं वोने -चाॊदी जैवी फशुभूल्म धातुओॊ भं सनले ळ कयने लारे रोगं के सरए बी त्रलळे ऴ
राबदाम शं ।
बू स भ प्रासद्ऱ मॊ ि : जो रोग खेती, व्मलवाम मा सनलाव स्थान शे तु उत्तभ बूसभ आफद प्राद्ऱ कयना चाशते शं , रे फकन उव
कामा भं कोई ना कोई अड़ेचन मा फाधा-त्रलघ्न आते यशते शो त्जव कायण कामा ऩूणा नशीॊ शो यशा शो, तो उनके सरए
बूसभ प्रासद्ऱ मॊि उत्तभ परप्रद शो वकता शं ।
गृश प्रासद्ऱ मॊ ि : जो रोग स्लमॊ का घय, दक
ु ान, ओफपव, पैक्टयी आफद के सरए बलन प्राद्ऱ कयना चाशते शं । मथाथा
प्रमावो के उऩयाॊत बी उनकी असबराऴा ऩूणा नशीॊ शो ऩायशी शो उनके सरए गृश प्रासद्ऱ मॊि त्रलळे ऴ उऩमोगी सवि शो वकता शं ।
कै राव धन यषा मॊ ि : कैराव धन यषा मॊि धन लृत्रि एलॊ वुख वभृत्रि शे तु त्रलळे ऴ परदाम शं ।
आसथाक राब एलॊ वुख वभृत्रि शे तु 19 दर
ु ाब रक्ष्भी मॊि >> Shop Online | Order Now

त्रलसबन्न रक्ष्भी मॊि


श्री मॊि (रक्ष्भी मॊि) भशारक्ष्भमै फीज मॊि कनक धाया मॊि
श्री मॊि (भॊि यफशत) भशारक्ष्भी फीवा मॊि लैबल रक्ष्भी मॊि (भशान सवत्रि दामक श्री भशारक्ष्भी मॊि)

श्री मॊि (वॊऩूणा भॊि वफशत) रक्ष्भी दामक सवि फीवा मॊि श्री श्री मॊि (रसरता भशात्रिऩुय वु न्दमै श्री भशारक्ष्भमं श्री भशामॊि)

श्री मॊि (फीवा मॊि) रक्ष्भी दाता फीवा मॊि अॊकात्भक फीवा मॊि
श्री मॊि श्री वूि मॊि रक्ष्भी फीवा मॊि ज्मे द्षा रक्ष्भी भॊि ऩूजन मॊि
श्री मॊि (कुभा ऩृद्षीम) रक्ष्भी गणे ळ मॊि धनदा मॊि >> Shop Online | Order Now

GURUTVA KARYALAY :Call us: 91 + 9338213418, 91+ 9238328785


84 अप्रैर-2015

वलासवत्रिदामक भुफद्रका
इव भुफद्रका भं भूॊगे को ळुब भुशूता भं त्रिधातु (वुलणा+यजत+ताॊफं) भं जड़ेला कय उवे ळास्त्रोि त्रलसध-
त्रलधान वे त्रलसळद्श तेजस्ली भॊिो द्राया वलासवत्रिदामक फनाने शे तु प्राण-प्रसतत्रद्षत एलॊ ऩूणा चैतन्म मुि फकमा
जाता शं । इव भुफद्रका को फकवी बी लगा के व्मत्रि शाथ की फकवी बी उॊ गरी भं धायण कय वकते शं ।
मशॊ भुफद्रका कबी फकवी बी त्स्थती भं अऩत्रलि नशीॊ शोती। इव सरए कबी भुफद्रका को उतायने की
आलश्मिा नशीॊ शं । इवे धायण कयने वे व्मत्रि की वभस्माओॊ का वभाधान शोने रगता शं । धायणकताा
को जीलन भं वपरता प्रासद्ऱ एलॊ उन्नसत के नमे भागा प्रवस्त शोते यशते शं औय जीलन भं वबी प्रकाय
की सवत्रिमाॊ बी ळीध्र प्राद्ऱ शोती शं । भू ल् म भाि- 6400/- >> Shop Online | Order Now
(नोट: इव भुफद्रका को धायण कयने वे भॊगर ग्रश का कोई फुय ा प्रबाल वाधक ऩय नशीॊ शोता शं ।)
वला सवत्रिदामक भु फ द्रका के त्रलऴम भं असधक जानकायी के सरमे शे तु वम्ऩका कयं ।

ऩसत-ऩत्नी भं करश सनलायण शे तु


मफद ऩरयलायं भं वुख-वुत्रलधा के वभस्त वाधान शोते शुए बी छोटी-छोटी फातो भं ऩसत-ऩत्नी के त्रफच भे करश शोता यशता शं ,
तो घय के त्जतने वदस्म शो उन वफके नाभ वे गुरुत्ल कामाारत द्राया ळास्त्रोि त्रलसध-त्रलधान वे भॊि सवि प्राण-प्रसतत्रद्षत
ऩूणा चैतन्म मुि लळीकयण कलच एलॊ गृश करश नाळक फडब्फी फनलारे एलॊ उवे अऩने घय भं त्रफना फकवी ऩूजा, त्रलसध-
त्रलधान वे आऩ त्रलळे ऴ राब प्राद्ऱ कय वकते शं । मफद आऩ भॊि सवि ऩसत लळीकयण मा ऩत्नी लळीकयण एलॊ गृश करश
नाळक फडब्फी फनलाना चाशते शं , तो वॊऩका आऩ कय वकते शं ।

100 वे असधक जैन मॊि


शभाये मशाॊ जैन धभा के वबी प्रभुख, दर
ु ब
ा एलॊ ळीघ्र प्रबालळारी मॊि ताम्र ऩि,
सवरलय (चाॊदी) ओय गोल्ड (वोने) भे उऩरब्ध शं ।
शभाये मशाॊ वबी प्रकाय के मॊि कोऩय ताम्र ऩि, सवरलय (चाॊदी) ओय गोल्ड (वोने) भे फनलाए जाते शै । इवके
अराला आऩकी आलश्मकता अनुवाय आऩके द्राया प्राद्ऱ (सचि, मॊि, फड़ेज़ाईन) के अनुरुऩ मॊि बी फनलाए
जाते शै . गुरुत्ल कामाारम द्राया उऩरब्ध कयामे गमे वबी मॊि अखॊफडत एलॊ 22 गेज ळुि कोऩय(ताम्र
ऩि)- 99.99 टच ळुि सवरलय (चाॊदी) एलॊ 22 केये ट गोल्ड (वोने) भे फनलाए जाते शै । मॊि के त्रलऴम भे
असधक जानकायी के सरमे शे तु वम्ऩका कयं ।
GURUTVA KARYALAY
Call us: 91 + 9338213418, 91+ 9238328785
Mail Us: gurutva.karyalay@gmail.com, gurutva_karyalay@yahoo.in,
Visit Us: www.gurutvakaryalay.com | www.gurutvajyotish.com | www.gurutvakaryalay.blogspot.com
85 अप्रैर-2015

द्रादळ भशा मॊि


मॊि को असत प्रासचन एलॊ दर
ु ाब मॊिो के वॊकरन वे शभाये लऴो के अनुवॊधान
द्राया फनामा गमा शं ।
 ऩयभ दर
ु ाब लळीकयण मॊि,  वशस्त्राषी रक्ष्भी आफि मॊि
 बाग्मोदम मॊि  आकत्स्भक धन प्रासद्ऱ मॊि
 भनोलाॊसछत कामा सवत्रि मॊि  ऩूणा ऩौरुऴ प्रासद्ऱ काभदे ल मॊि
 याज्म फाधा सनलृत्रत्त मॊि  योग सनलृत्रत्त मॊि
 गृशस्थ वुख मॊि  वाधना सवत्रि मॊि
 ळीघ्र त्रललाश वॊऩन्न गौयी अनॊग मॊि  ळिु दभन मॊि

उऩयोि वबी मॊिो को द्रादळ भशा मॊि के रुऩ भं ळास्त्रोि त्रलसध-त्रलधान वे भॊि सवि ऩू ण ा
प्राणप्रसतत्रद्षत एलॊ चै तन्म मुि फकमे जाते शं । त्जवे स्थाऩीत कय त्रफना फकवी ऩू जा अचाना-
त्रलसध त्रलधान त्रलळेऴ राब प्राद्ऱ कय वकते शं । >> Shop Online | Order Now

 क्मा आऩके फच्चे कुवॊ गती के सळकाय शं ?


 क्मा आऩके फच्चे आऩका कशना नशीॊ भान यशे शं ?

 क्मा आऩके फच्चे घय भं अळाॊसत ऩैदा कय यशे शं ?


घय ऩरयलाय भं ळाॊसत एलॊ फच्चे को कुवॊ गती वे छुडाने शे तु फच्चे के नाभ वे गुरुत्ल कामाारत
द्राया ळास्त्रोि त्रलसध-त्रलधान वे भॊ ि सवि प्राण-प्रसतत्रद्षत ऩूणा चैतन्म मु ि लळीकयण कलच एलॊ
एव.एन.फडब्फी फनलारे एलॊ उवे अऩने घय भं स्थात्रऩत कय अल्ऩ ऩूजा, त्रलसध-त्रलधान वे आऩ
त्रलळे ऴ राब प्राद्ऱ कय वकते शं । मफद आऩ तो आऩ भॊ ि सवि लळीकयण कलच एलॊ एव.एन.फडब्फी
फनलाना चाशते शं , तो वॊ ऩका इव कय वकते शं ।

GURUTVA KARYALAY
92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA,
BHUBNESWAR-751018, (ORISSA), Call us: 91 + 9338213418, 91+ 9238328785
Mail Us: gurutva.karyalay@gmail.com, gurutva_karyalay@yahoo.in,
Visit Us: www.gurutvakaryalay.com | www.gurutvajyotish.com | www.gurutvakaryalay.blogspot.com
86 अप्रैर-2015

अप्रैर 2015 भासवक ऩॊचाॊ ग


सतसथ चॊ द्र
फद लाय भाश ऩष वभासद्ऱ नषि वभासद्ऱ मोग वभासद्ऱ कयण वभासद्ऱ वभासद्ऱ
यासळ

1
फुध चै ि ळुक्र द्रादळी 10:09:05 भघा 14:46:35 ळूर 13:39:05 फारल 10:09:05 सवॊश -

2
गुरु चै ि ळुक्र िमोदळी 12:47:18 ऩूलाापाल्गुनी 17:52:00 गॊड 14:39:48 तैसतर 12:47:18 सवॊश 24:38:00

3
ळुक्र चै ि ळुक्र चतुदाळी 15:18:02 उत्तयापाल्गुनी 20:50:51 लृत्रि 15:35:51 लत्णज 15:18:02 कन्मा -

4
ळसन चै ि ळुक्र ऩूत्णाभा 17:35:39 शस्त 23:35:39 ध्रु ल 16:21:35 फल 17:35:39 कन्मा -

5
यत्रल लैळाख कृ ष्ण एकभ 19:34:30 सचिा 26:01:42 व्माघात 16:55:08 फारल 06:37:19 कन्मा 12:51:00

6
वोभ लैळाख कृ ष्ण फद्रतीमा 21:10:52 स्लाती 28:04:19 शऴाण 17:09:56 तैसतर 08:25:52 तुरा -

7
भॊगर लैळाख कृ ष्ण तृतीमा 22:20:04 त्रलळाखा 29:42:34 लज्र 17:05:04 लत्णज 09:49:07 तुरा 23:21:00

8
फुध लैळाख कृ ष्ण चतुथ ॉ 23:02:04 अनुयाधा 30:51:45 सवत्रि 16:39:34 फल 10:45:11 लृत्द्ळक -

9
गुरु लैळाख कृ ष्ण ऩॊचभी 23:12:12 अनुयाधा 06:51:35 व्मसतऩात 15:50:38 कौरल 11:11:16 लृत्द्ळक -

10
ळुक्र लैळाख कृ ष्ण ऴद्षी 22:50:28 जे द्षा 07:29:51 लरयमान 14:35:28 गय 11:05:28 लृत्द्ळक 07:30:00

11
ळसन लैळाख कृ ष्ण वद्ऱभी 21:55:00 भूर 07:36:15 ऩरयग्रश 12:55:00 त्रलत्रद्श 10:25:56 धनु -

12
यत्रल लैळाख कृ ष्ण अद्शभी 20:26:43 ऩूलााऴाढ़ 07:10:47 सळल 10:49:13 फारल 09:14:32 धनु 12:59:00

13
वोभ लैळाख कृ ष्ण नलभी 18:28:27 उत्तयाऴाढ़ 06:12:31 सवि 08:17:12 तैसतर 07:32:12 भकय -

14
भॊगर लैळाख कृ ष्ण दळभी 16:03:00 धसनद्षा 26:54:34 ळुब 26:05:49 त्रलत्रद्श 16:03:00 भकय 15:54:00
87 अप्रैर-2015

15
फुध लैळाख कृ ष्ण एकादळी 13:15:04 ळतसबऴा 24:44:07 ळुक्र 22:32:52 फारल 13:15:04 कुॊब -

16 द्रादळी-
गुरु लैळाख कृ ष्ण 10:08:23 ऩूलााबाद्रऩद 22:18:42 मा जी 18:48:42 तैसतर 10:08:23 कुॊब 16:56:00
िमोदळी

17 िमोदळी -
ळुक्र लैळाख कृ ष्ण 06:53:16 उत्तयाबाद्रऩद 19:48:35 इन्द्र 14:59:50 लत्णज 06:53:16 भीन -
चतुदाळी

18
ळसन लैळाख कृ ष्ण अभालस्मा 24:27:52 ये लसत 17:22:14 लैधृसत 11:11:56 चतुष्ऩाद 14:00:41 भीन 17:23:00

19
यत्रल लैळाख ळुक्र एकभ 21:32:28 अत्द्वनी 15:09:58 त्रलऴकुॊब 07:32:28 फकस्तुघ्न 10:57:47 भेऴ -

20
वोभ लैळाख ळुक्र फद्रतीमा 19:02:24 बयणी 13:17:24 आमुष्भान 25:06:09 फारल 08:14:35 भेऴ 18:54:00

21
भॊगर लैळाख ळुक्र तृतीमा 17:07:01 कृ सतका 11:56:42 वौबाग्म 22:34:12 तैसतर 05:59:31 लृऴ -

22
फुध लैळाख ळुक्र चतुथ ॉ 15:49:09 योफशत्ण 11:14:28 ळोबन 20:36:02 त्रलत्रद्श 15:49:09 लृऴ 23:10:00

23
गुरु लैळाख ळुक्र ऩॊचभी 15:18:11 भृगसळया 11:16:18 असतगॊड 19:13:30 फारल 15:18:11 सभथु न -

24
ळुक्र लैळाख ळुक्र ऴद्षी 15:35:58 आद्रा 12:05:58 वुकभाा 18:28:28 तैसतर 15:35:58 सभथु न -

25
ळसन लैळाख ळुक्र वद्ऱभी 16:38:46 ऩुनलावु 13:39:42 धृसत 18:20:01 लत्णज 16:38:46 सभथु न 07:12:00

26
यत्रल लैळाख ळुक्र अद्शभी 18:21:54 ऩुष्म 15:53:46 ळूर 18:41:35 फल 18:21:54 कका -

27
वोभ लैळाख ळुक्र नलभी 20:35:58 आद्ऴे ऴा 18:37:51 गॊड 19:26:36 फारल 07:25:39 कका 18:38:00

28
भॊगर लैळाख ळुक्र दळभी 23:06:56 भघा 21:39:45 लृत्रि 20:25:41 तैसतर 09:50:04 सवॊश -

29
फुध लैळाख ळुक्र एकादळी 25:41:40 ऩूलाापाल्गुनी 24:47:18 ध्रु ल 21:30:25 लत्णज 12:24:48 सवॊश -

30
गुरु लैळाख ळुक्र द्रादळी 28:08:55 उत्तयापाल्गुनी 27:46:25 व्माघात 22:28:36 फल 14:58:36 सवॊश -
88 अप्रैर-2015

अप्रैर 2015 भासवक व्रत-ऩला-त्मौशाय


फद लाय भाश ऩष सतसथ वभासद्ऱ प्रभु ख व्रत-त्मोशाय

1
फुध चै ि ळुक्र द्रादळी 10:09:05 भदन द्रादळी, प्रदोऴ व्रत, शरय दभनोत्वल, लाभन द्रादळी

2
गुरु चै ि ळुक्र िमोदळी 12:47:18 श्री भशालीय जमन्ती (जै न), अनॊग िमोदळी व्रत, दभनक चतुदाळी

3
ळुक्र चै ि ळुक्र चतुदाळी 15:18:02 -

स्नान-दान-व्रत इत्माफद शे तु उत्तभ चै िी ऩूत्णाभा, चाॊ डक ऩूजा (ऩ.फॊ),

4 अन्लाधान, भन्लाफद, वलादेल दभनकोत्वल, श्री शनुभान जमॊती इत्रद्श,


ळसन चै ि ळुक्र ऩूत्णाभा 17:35:39
ग्रस्तोदम खग्राव चन्द्रग्रशण, लैळाख भावीम व्रत-मभ-सनमभाफद
प्रायम्ब,

5
यत्रल लैळाख कृ ष्ण एकभ 19:34:30 लैळाख कृ ष्ण ऩषायम्ब,

6
वोभ लैळाख कृ ष्ण फद्रतीमा 21:10:52 आळा फद्रतीमा

7
भॊगर लैळाख कृ ष्ण तृतीमा 22:20:04 -

8 वॊकद्शी श्री गणेळ चतुथॉ व्रत, (चन्द्रोदम.या.9.44), वती अनवुइमा


फुध लैळाख कृ ष्ण चतुथ ॉ 23:02:04
जमन्ती, सविमोग वॊकद्श चतुथॉ

9
गुरु लैळाख कृ ष्ण ऩॊचभी 23:12:12 -

10
ळुक्र लैळाख कृ ष्ण ऴद्षी 22:50:28 -

11
ळसन लैळाख कृ ष्ण वद्ऱभी 21:55:00 श्री ळीतरावद्ऱभी व्रत,, काराद्शभी, बानु वद्ऱभी

12
यत्रल लैळाख कृ ष्ण अद्शभी 20:26:43 श्री ळीतराद्शभी व्रत, अद्शका, काराद्शभी

13
वोभ लैळाख कृ ष्ण नलभी 18:28:27 चत्ण्डका नलभी व्रत

वूम ा अत्द्वनी नषि भं एलॊ वूम ा की भेऴ वॊक्रात्न्त दोऩशय 01:01 फजे ,

14 वॊक्रात्न्त का वाभान्म ऩुण्मकार प्रात् 06.37 फजे वे वूमाास्त तक ,


भॊगर लैळाख कृ ष्ण दळभी 16:03:00
त्रलळेऴ ऩुण्मकार वुफश 09.01 फजे वे वाॊ म 05.01 फजे तक, भीन
भाव (खयभाव) वभाद्ऱ, डॉ.बीभयाल अम्फेडकय जमन्ती,
89 अप्रैर-2015

15
फुध लैळाख कृ ष्ण एकादळी 13:15:04 लरुसथनी एकादळी व्रत वफका, वौय (भेऴ) लैळाख भावायम्ब,

16 द्रादळी-
गुरु लैळाख कृ ष्ण 10:08:23 प्रदोऴ व्रत,
िमोदळी

17 िमोदळी -
ळुक्र लैळाख कृ ष्ण 06:53:16 भाव सळलयात्रि व्रत, सळल चतुदाळी
चतुदाळी

18 स्नान-दान-श्रािाफद शे तु उत्तभ अभालस्मा, ऩुण्म अभालस्मा, दे लत्रऩतृ


ळसन लैळाख कृ ष्ण अभालस्मा 24:27:52
कामा अभालस्मा

19
यत्रल लैळाख ळुक्र एकभ 21:32:28 -

20 बगलान ऩयळुयाभ जमन्ती (प्रदोऴ कार व्मात्रऩनी तृतीमा भं), छिऩसत


वोभ लैळाख ळुक्र फद्रतीमा 19:02:24
सळला जी जमन्ती, वूम ा वामन लृऴ यासळ भं 14.54 फजे ,

21 अषम तृतीमा (योफशणी नषिमुता), िे तामुगाफद, कल्ऩाफद, याद्सीम


भॊगर लैळाख ळुक्र तृतीमा 17:07:01
लैळाख भावायम्ब,

22
फुध लैळाख ळुक्र चतुथ ॉ 15:49:09 लैनामकी श्री गणेळ चतुथॉ व्रत, (चन्द्र अस्त यात 10.04 फजे )

23 श्री आद्य ळॊकयाचामा जमन्ती, श्री वूयदाव जमन्ती, श्री याभानुजाचामा


गुरु लैळाख ळुक्र ऩॊचभी 15:18:11
जमन्ती (द.बा),

24
ळुक्र लैळाख ळुक्र ऴद्षी 15:35:58 श्री याभानुजाचामा जमन्ती (उ.बा), चन्दन ऴद्षी (ऩ.फॊ)

25 श्री गॊगा वद्ऱभी, गॊगोत्ऩत्रत्त, गॊगालतयण (भध्मान्श भं गॊगा ऩूजन),


ळसन लैळाख ळुक्र वद्ऱभी 16:38:46
गॊगा जन्भ रग्न (लृऴ),

26
यत्रल लैळाख ळुक्र अद्शभी 18:21:54 श्री दुगााद्शभी व्रत, श्री फगराभुख ी जमन्ती,

27 श्री वीता नलभी, लैष्णल भतानुवाय श्री जानकी जमन्ती, चत्ण्डका


वोभ लैळाख ळुक्र नलभी 20:35:58
नलभी व्रत, श्री शरय जमन्ती, त्रिचू य ऩूयभ (केय.),

28
भॊगर लैळाख ळुक्र दळभी 23:06:56 -

29
फुध लैळाख ळुक्र एकादळी 25:41:40 भोफशनी एकादळी व्रत,

30
गुरु लैळाख ळुक्र द्रादळी 28:08:55 ऩयळुयाभ द्रादळी, रुत्क्भणी द्रादळी, प्रदोऴ
90 अप्रैर-2015

वॊऩूणा प्राणप्रसतत्रद्षत 22 गेज ळुि स्टीर भं सनसभात अखॊफडत

ऩुरुऴाकाय ळसन मॊि


ऩुरुऴाकाय ळसन मॊि (स्टीर भं) को तीव्र प्रबालळारी फनाने शे तु ळसन की कायक धातु ळुि स्टीर(रोशे )
भं फनामा गमा शं । त्जव के प्रबाल वे वाधक को तत्कार राब प्राद्ऱ शोता शं । मफद जन्भ कुॊडरी भं
ळसन प्रसतकूर शोने ऩय व्मत्रि को अनेक कामं भं अवपरता प्राद्ऱ शोती शै , कबी व्मलवाम भं घटा,
नौकयी भं ऩये ळानी, लाशन दघ
ु ाटना, गृश क्रेळ आफद ऩये ळानीमाॊ फढ़ती जाती शै ऐवी त्स्थसतमं भं
प्राणप्रसतत्रद्षत ग्रश ऩीड़ेा सनलायक ळसन मॊि की अऩने को व्मऩाय स्थान मा घय भं स्थाऩना कयने वे
अनेक राब सभरते शं । मफद ळसन की ढै ़मा मा वाढ़े वाती का वभम शो तो इवे अलश्म ऩूजना चाफशए।
ळसनमॊि के ऩूजन भाि वे व्मत्रि को भृत्मु, कजा, कोटा केळ, जोडो का ददा , फात योग तथा रम्फे वभम
के वबी प्रकाय के योग वे ऩये ळान व्मत्रि के सरमे ळसन मॊि असधक राबकायी शोगा। नौकयी ऩेळा आफद
के रोगं को ऩदौन्नसत बी ळसन द्राया शी सभरती शै अत् मश मॊि असत उऩमोगी मॊि शै त्जवके द्राया
ळीघ्र शी राब ऩामा जा वकता शै । भू ल् म: 1050 वे 8200 >> Shop Online | Order Now

वॊऩूणा प्राणप्रसतत्रद्षत
22 गेज ळुि स्टीर भं सनसभात अखॊफडत

ळसन तैसतवा मॊि


ळसनग्रश वे वॊफॊसधत ऩीडा के सनलायण शे तु त्रलळेऴ राबकायी मॊि।
भू ल्म: 550 वे 12700 >> Shop Online | Order Now

GURUTVA KARYALAY
92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA, BHUBNESWAR-751018, (ORISSA)
Call us: 91 + 9338213418, 91+ 9238328785
Mail Us: gurutva.karyalay@gmail.com, gurutva_karyalay@yahoo.in,
Visit Us: www.gurutvakaryalay.com | www.gurutvajyotish.com | www.gurutvakaryalay.blogspot.com
91 अप्रैर-2015

नलयत्न जफड़ेत श्री मॊि


ळास्त्र लचन के अनुवाय ळुि वुलणा मा यजत
भं सनसभात श्री मॊि के चायं औय मफद नलयत्न
जड़ेला ने ऩय मश नलयत्न जफड़ेत श्री मॊि
कशराता शं । वबी यत्नो को उवके सनत्द्ळत
स्थान ऩय जड़े कय रॉकेट के रूऩ भं धायण
कयने वे व्मत्रि को अनॊत एद्वमा एलॊ रक्ष्भी
की प्रासद्ऱ शोती शं । व्मत्रि को एवा आबाव
शोता शं जैवे भाॊ रक्ष्भी उवके वाथ शं ।
नलग्रश को श्री मॊि के वाथ रगाने वे ग्रशं
की अळुब दळा का धायणकयने लारे व्मत्रि
ऩय प्रबाल नशीॊ शोता शं ।

गरे भं शोने के कायण मॊ ि ऩत्रलि यशता शं एलॊ स्नान कयते वभम इव मॊ ि ऩय स्ऩळा कय जो
जर त्रफॊदु ळयीय को रगते शं , लश गॊगा जर के वभान ऩत्रलि शोता शं । इव सरमे इवे वफवे
तेजस्ली एलॊ परदासम कशजाता शं । जै वे अभृत वे उत्तभ कोई औऴसध नशीॊ, उवी प्रकाय रक्ष्भी
प्रासद्ऱ के सरमे श्री मॊ ि वे उत्तभ कोई मॊ ि वॊ वाय भं नशीॊ शं एवा ळास्त्रोि लचन शं । इव प्रकाय के
नलयत्न जफड़ेत श्री मॊ ि गुरूत्ल कामाारम द्राया ळु ब भु शूता भं प्राण प्रसतत्रद्षत कयके फनालाए जाते
शं । Rs: 2350, 2800, 3250, 3700, 4600, 5500 वे 10,900 तक >> Shop Online | Order Now

असधक जानकायी शे तु वॊ ऩका कयं ।

GURUTVA KARYALAY
92/3BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA, BHUBNESWAR-751018, (ORISSA)
Call us: 91 + 9338213418, 91+ 9238328785
Mail Us: gurutva.karyalay@gmail.com, gurutva_karyalay@yahoo.in,
92 अप्रैर-2015

भॊि सवि लाशन दघ


ु ाटना नाळक भारुसत मॊि
ऩौयात्णक ग्रॊथो भं उल्रे ख शं की भशाबायत के मुि के वभम अजुान के यथ के अग्रबाग ऩय भारुसत ध्लज एलॊ
भारुसत मन्ि रगा शुआ था। इवी मॊि के प्रबाल के कायण वॊऩूणा मुि के दौयान शज़ायं-राखं प्रकाय के आग्ने म अस्त्र-
ळस्त्रं का प्रशाय शोने के फाद बी अजुान का यथ जया बी षसतग्रस्त नशीॊ शुआ। बगलान श्री कृष्ण भारुसत मॊि के इव
अद्भत
ु यशस्म को जानते थे फक त्जव यथ मा लाशन की यषा स्लमॊ श्री भारुसत नॊदन कयते शं, लश दघ
ु ाटनाग्रस्त कैवे शो
वकता शं । लश यथ मा लाशन तो लामुलेग वे , सनफाासधत रुऩ वे अऩने रक्ष्म ऩय त्रलजम ऩतका रशयाता शुआ ऩशॊु चेगा।
इवी सरमे श्री कृष्ण नं अजुान के यथ ऩय श्री भारुसत मॊि को अॊफकत कयलामा था।
त्जन रोगं के स्कूटय, काय, फव, ट्रक इत्माफद लाशन फाय-फाय दघ
ु ाटना ग्रस्त शो यशे शो!, अनालश्मक लाशन को
नुषान शो यशा शं! उन्शं शानी एलॊ दघ
ु ाटना वे यषा के उदे श्म वे अऩने लाशन ऩय भॊि सवि श्री भारुसत मॊि अलश्म
रगाना चाफशए। जो रोग ट्रान्स्ऩोफटंग (ऩरयलशन) के व्मलवाम वे जुडे शं उनको श्रीभारुसत मॊि को अऩने लाशन भं अलश्म
स्थात्रऩत कयना चाफशए, क्मोफक, इवी व्मलवाम वे जुडे वैकडं रोगं का अनुबल यशा शं की श्री भारुसत मॊि को स्थात्रऩत
कयने वे उनके लाशन असधक फदन तक अनालश्मक खचो वे एलॊ दघ
ु ाटनाओॊ वे वुय त्षत यशे शं । शभाया स्लमॊका एलॊ अन्म
त्रलद्रानो का अनुबल यशा शं , की त्जन रोगं ने श्री भारुसत मॊि अऩने लाशन ऩय रगामा शं , उन रोगं के लाशन फडी वे
फडी दघ
ु ाटनाओॊ वे वुयत्षत यशते शं । उनके लाशनो को कोई त्रलळे ऴ नुक्ळान इत्माफद नशीॊ शोता शं औय नाशीॊ अनालश्मक
रुऩ वे उवभं खयाफी आसत शं ।
लास्तु प्रमोग भं भारुसत मॊ ि : मश भारुसत नॊदन श्री शनुभान जी का मॊि शै । मफद कोई जभीन त्रफक नशीॊ यशी शो, मा उव
ऩय कोई लाद-त्रललाद शो, तो इच्छा के अनुरूऩ लशॉ जभीन उसचत भूल्म ऩय त्रफक जामे इव सरमे इव भारुसत मॊि का
प्रमोग फकमा जा वकता शं । इव भारुसत मॊि के प्रमोग वे जभीन ळीघ्र त्रफक जाएगी मा त्रललादभुि शो जाएगी। इव सरमे
मश मॊि दोशयी ळत्रि वे मुि शै ।
भारुसत मॊि के त्रलऴम भं असधक जानकायी के सरमे गुरुत्ल कामाारम भं वॊऩका कयं । भू ल् म Rs- 255 वे 10900 तक

श्री शनुभान मॊि ळास्त्रं भं उल्रे ख शं की श्री शनुभान जी को बगलान वूमादेल ने मा जी ा जी के आदे ळ ऩय शनुभान
जी को अऩने ते ज का वौलाॉ बाग प्रदान कयते शुए आळीलााद प्रदान फकमा था, फक भं शनुभान को वबी ळास्त्र का ऩूणा
सान दॉ ग
ू ा। त्जववे मश तीनोरोक भं वला श्रेद्ष लिा शंगे तथा ळास्त्र त्रलद्या भं इन्शं भशायत शासवर शोगी औय इनके
वभन फरळारी औय कोई नशीॊ शोगा। जानकायो ने भतानुवाय शनुभान मॊि की आयाधना वे ऩुरुऴं की त्रलसबन्न फीभारयमं
दयू शोती शं , इव मॊि भं अद्भत
ु ळत्रि वभाफशत शोने के कायण व्मत्रि की स्लप्न दोऴ, धातु योग, यि दोऴ, लीमा दोऴ, भूछाा,
नऩुॊवकता इत्माफद अने क प्रकाय के दोऴो को दयू कयने भं अत्मन्त राबकायी शं । अथाात मश मॊि ऩौरुऴ को ऩुद्श कयता
शं । श्री शनुभान मॊि व्मत्रि को वॊकट, लाद-त्रललाद, बूत-प्रे त, द्यूत फक्रमा, त्रलऴबम, चोय बम, याज्म बम, भायण, वम्भोशन
स्तॊबन इत्माफद वे वॊकटो वे यषा कयता शं औय सवत्रि प्रदान कयने भं वषभ शं ।
श्री शनुभान मॊि के त्रलऴम भं असधक जानकायी के सरमे गुरुत्ल कामाारम भं वॊऩका कयं । भू ल् म Rs- 730 वे 10900 तक

GURUTVA KARYALAY
92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA,
BHUBNESWAR-751018, (ORISSA), Call us: 91 + 9338213418, 91+ 9238328785
Mail Us: gurutva.karyalay@gmail.com, gurutva_karyalay@yahoo.in, >> Shop Online | Order Now
93 अप्रैर-2015

त्रलसबन्न दे ल ताओॊ के मॊ ि
गणेळ मॊि भशाभृत्मुॊजम मॊि याभ यषा मॊि याज
गणेळ मॊि (वॊऩूण ा फीज भॊि वफशत) भशाभृत्मुॊजम कलच मॊि याभ मॊि
गणेळ सवि मॊि भशाभृत्मुॊजम ऩूजन मॊि द्रादळाषय त्रलष्णु भॊि ऩूजन मॊि
एकाषय गणऩसत मॊि भशाभृत्मुॊजम मुि सळल खप्ऩय भाशा सळल मॊि त्रलष्णु फीवा मॊि
शरयद्रा गणेळ मॊि सळल ऩॊचाषयी मॊि गरुड ऩूजन मॊि
कुफेय मॊि सळल मॊि सचॊ ताभणी मॊि याज
श्री द्रादळाषयी रुद्र ऩूजन मॊि अफद्रतीम वलाकाम्म सवत्रि सळल मॊि सचॊ ताभणी मॊि
दत्तािम मॊि नृसवॊश ऩूजन मॊि स्लणााकऴाणा बैयल मॊि
दत्त मॊि ऩॊचदे ल मॊि शनुभान ऩूजन मॊि
आऩदुिायण फटु क बैयल मॊि वॊतान गोऩार मॊि शनुभान मॊि
फटु क मॊि श्री कृ ष्ण अद्शाषयी भॊि ऩूजन मॊि वॊकट भोचन मॊि
व्मॊकटे ळ मॊि कृ ष्ण फीवा मॊि लीय वाधन ऩूजन मॊि
कातालीमााजुान ऩूजन मॊि वला काभ प्रद बैयल मॊि दत्षणाभूसता ध्मानभ ् मॊि

भनोकाभना ऩू स ता एलॊ कद्श सनलायण शे तु त्रलळे ऴ मॊ ि


व्माऩाय लृत्रि कायक मॊि अभृत तत्ल वॊजीलनी कामा कल्ऩ मॊि िम ताऩंवे भुत्रि दाता फीवा मॊि
व्माऩाय लृत्रि मॊि त्रलजमयाज ऩॊचदळी मॊि भधु भेश सनलायक मॊि
व्माऩाय लधाक मॊि त्रलद्यामळ त्रलबू सत याज वम्भान प्रद सवि फीवा मॊि ज्लय सनलायण मॊि
व्माऩायोन्नसत कायी सवि मॊि वम्भान दामक मॊि योग कद्श दरयद्रता नाळक मॊि
बाग्म लधाक मॊि वुख ळाॊ सत दामक मॊि योग सनलायक मॊि
स्लत्स्तक मॊि फारा मॊि तनाल भुि फीवा मॊि
वला कामा फीवा मॊि फारा यषा मॊि त्रलद्युत भानव मॊि
कामा सवत्रि मॊि गबा स्तम्बन मॊि गृश करश नाळक मॊि
वुख वभृत्रि मॊि ऩुि प्रासद्ऱ मॊि करेळ शयण फत्रत्तवा मॊि
वला रयत्रि सवत्रि प्रद मॊि प्रवूता बम नाळक मॊि लळीकयण मॊि
वला वुख दामक ऩंवफठमा मॊि प्रवल-कद्शनाळक ऩॊचदळी मॊि भोफशसन लळीकयण मॊि
ऋत्रि सवत्रि दाता मॊि ळाॊ सत गोऩार मॊि कणा त्रऩळाचनी लळीकयण मॊि
वला सवत्रि मॊि त्रिळूर फीळा मॊि लाताारी स्तम्बन मॊि
वाफय सवत्रि मॊि ऩॊचदळी मॊि (फीवा मॊि मुि चायं प्रकायके) लास्तु मॊि
ळाफयी मॊि फेकायी सनलायण मॊि श्री भत्स्म मॊि
सविाश्रभ मॊि ऴोडळी मॊि लाशन दुघट
ा ना नाळक मॊि
ज्मोसतऴ तॊि सान त्रलसान प्रद सवि फीवा मॊि अडवफठमा मॊि प्रेत-फाधा नाळक मॊि
मा जी ाण्ड वाफय सवत्रि मॊि अस्वीमा मॊि बूतादी व्मासधशयण मॊि
कुण्डसरनी सवत्रि मॊि ऋत्रि कायक मॊि कद्श सनलायक सवत्रि फीवा मॊि
क्रात्न्त औय श्रीलधाक चंतीवा मॊि भन लाॊ सछत कन्मा प्रासद्ऱ मॊि बम नाळक मॊि
श्री षे भ कल्माणी सवत्रि भशा मॊि त्रललाशकय मॊि स्लप्न बम सनलायक मॊि
94 अप्रैर-2015

सान दाता भशा मॊि रग्न त्रलघ्न सनलायक मॊि कुदृत्रद्श नाळक मॊि
कामा कल्ऩ मॊि रग्न मोग मॊि श्री ळिु ऩयाबल मॊि
दीधाामु अभृत तत्ल वॊजीलनी मॊि दरयद्रता त्रलनाळक मॊि ळिु दभनाणाल ऩूजन मॊि

भॊ ि सवि त्रलळे ऴ दै ली मॊ ि वू सच
आद्य ळत्रि दुगाा फीवा मॊि (अॊ फाजी फीवा मॊि) वयस्लती मॊि
भशान ळत्रि दुगाा मॊि (अॊ फाजी मॊि) वद्ऱवती भशामॊि (वॊऩूण ा फीज भॊि वफशत)
नल दुगाा मॊि कारी मॊि
नलाणा मॊि (चाभुॊडा मॊि) श्भळान कारी ऩूजन मॊि
नलाणा फीवा मॊि दत्षण कारी ऩूजन मॊि
चाभुॊडा फीवा मॊि ( नलग्रश मुि) वॊकट भोसचनी कासरका सवत्रि मॊि
त्रिळूर फीवा मॊि खोफडमाय मॊि
फगरा भुख ी मॊि खोफडमाय फीवा मॊि
फगरा भुख ी ऩूजन मॊि अन्नऩूणाा ऩूजा मॊि
याज याजे द्वयी लाॊ छा कल्ऩरता मॊि एकाॊ षी श्रीपर मॊि

भॊ ि सवि त्रलळे ऴ रक्ष्भी मॊ ि वू सच


श्री मॊि (रक्ष्भी मॊि) भशारक्ष्भमै फीज मॊि
श्री मॊि (भॊि यफशत) भशारक्ष्भी फीवा मॊि
श्री मॊि (वॊऩूण ा भॊि वफशत) रक्ष्भी दामक सवि फीवा मॊि
श्री मॊि (फीवा मॊि) रक्ष्भी दाता फीवा मॊि
श्री मॊि श्री वूि मॊि रक्ष्भी गणेळ मॊि
श्री मॊि (कुभा ऩृद्षीम) ज्मेद्षा रक्ष्भी भॊि ऩूजन मॊि
रक्ष्भी फीवा मॊि कनक धाया मॊि
श्री श्री मॊि (श्रीश्री रसरता भशात्रिऩुय वुन्दमै श्री भशारक्ष्भमं श्री भशामॊि) लैबल रक्ष्भी मॊि (भशान सवत्रि दामक श्री भशारक्ष्भी मॊि )
अॊ कात्भक फीवा मॊि
ताम्र ऩि ऩय वु ल णा ऩोरीव ताम्र ऩि ऩय यजत ऩोरीव ताम्र ऩि ऩय
(Gold Plated) (Silver Plated) (Copper)
वाईज भू ल्म वाईज भू ल्म वाईज भू ल्म
1” X 1” 460 1” X 1” 370 1” X 1” 255
2” X 2” 820 2” X 2” 640 2” X 2” 460
3” X 3” 1650 3” X 3” 1050 3” X 3” 730
4” X 4” 2350 4” X 4” 1450 4” X 4” 1050
6” X 6” 3700 6” X 6” 2800 6” X 6” 1900
9” X 9” 7300 9” X 9” 4600 9” X 9” 3250
12” X12” 12700 12” X12” 9100 12” X12” 7300
मॊि के त्रलऴम भं असधक जानकायी शे तु वॊऩका कयं । >> Shop Online | Order Now
GURUTVA KARYALAY
Call us: 91 + 9338213418, 91+ 9238328785
Mail Us: gurutva.karyalay@gmail.com, gurutva_karyalay@yahoo.in,
Visit Us: www.gurutvakaryalay.com | www.gurutvajyotish.com | www.gurutvakaryalay.blogspot.com
95 अप्रैर-2015

यासळ यत्न
भेऴ यासळ: लृऴब यासळ: सभथुन यासळ: कका यासळ: सवॊश यासळ: कन्मा यासळ:
भूॊ गा शीया ऩन्ना भोती भाणेक ऩन्ना

Red Coral Diamond Green Emerald Naturel Pearl Ruby Green Emerald
(Special) (Special) (Old Berma)
(Special) (Special) (Special) (Special)
5.25" Rs. 1050 10 cent Rs. 4100 5.25" Rs. 9100 5.25" Rs. 910 2.25" Rs. 12500 5.25" Rs. 9100
6.25" Rs. 1250 20 cent Rs. 8200 6.25" Rs. 12500 6.25" Rs. 1250 3.25" Rs. 15500 6.25" Rs. 12500
7.25" Rs. 1450 30 cent Rs. 12500 7.25" Rs. 14500 7.25" Rs. 1450 4.25" Rs. 28000 7.25" Rs. 14500
8.25" Rs. 1800 40 cent Rs. 18500 8.25" Rs. 19000 8.25" Rs. 1900 5.25" Rs. 46000 8.25" Rs. 19000
9.25" Rs. 2100 50 cent Rs. 23500 9.25" Rs. 23000 9.25" Rs. 2300 6.25" Rs. 82000 9.25" Rs. 23000
10.25" Rs. 2800 10.25" Rs. 28000 10.25" Rs. 2800 10.25" Rs. 28000
All Diamond are Full
** All Weight In Rati ** All Weight In Rati ** All Weight In Rati ** All Weight In Rati ** All Weight In Rati
White Colour.

तुरा यासळ: लृत्द्ळक यासळ: धनु यासळ: भकय यासळ: कुॊब यासळ: भीन यासळ:
शीया भूॊ गा ऩुखयाज नीरभ नीरभ ऩुखयाज

Diamond Red Coral Y.Sapphire B.Sapphire B.Sapphire Y.Sapphire


(Special)
(Special) (Special) (Special) (Special) (Special)
10 cent Rs. 4100 5.25" Rs. 1050 5.25" Rs. 30000 5.25" Rs. 30000 5.25" Rs. 30000 5.25" Rs. 30000
20 cent Rs. 8200 6.25" Rs. 1250 6.25" Rs. 37000 6.25" Rs. 37000 6.25" Rs. 37000 6.25" Rs. 37000
30 cent Rs. 12500 7.25" Rs. 1450 7.25" Rs. 55000 7.25" Rs. 55000 7.25" Rs. 55000 7.25" Rs. 55000
40 cent Rs. 18500 8.25" Rs. 1800 8.25" Rs. 73000 8.25" Rs. 73000 8.25" Rs. 73000 8.25" Rs. 73000
50 cent Rs. 23500 9.25" Rs. 2100 9.25" Rs. 91000 9.25" Rs. 91000 9.25" Rs. 91000 9.25" Rs. 91000
10.25" Rs. 2800 10.25" Rs.108000 10.25" Rs.108000 10.25" Rs.108000 10.25" Rs.108000
All Diamond are Full
** All Weight In Rati ** All Weight In Rati ** All Weight In Rati ** All Weight In Rati ** All Weight In Rati
White Colour.

* उऩमोि लजन औय भूल्म वे असधक औय कभ लजन औय भूल्म के यत्न एलॊ उऩयत्न बी शभाये मशा व्माऩायी भूल्म ऩय उप्रब्ध
शं । >> Shop Online | Order Now
GURUTVA KARYALAY
92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA, BHUBNESWAR-751018, (ORISSA)
Call us: 91 + 9338213418, 91+ 9238328785
Mail Us: gurutva.karyalay@gmail.com, gurutva_karyalay@yahoo.in,
96 अप्रैर-2015

भॊि सवि रूद्राष


Rate In Rate In
Rudraksh List Rudraksh List
Indian Rupee Indian Rupee
एकभुखी रूद्राष (नेऩार) 730 to 3700 नौ भुखी रूद्राष (नेऩार) 1900 to 4600

दो भुखी रूद्राष (नेऩार) 55 to 280 दव भुखी रूद्राष (नेऩार) 2350 to 5500

तीन भुखी रूद्राष (नेऩार) 55 to 280 ग्मायश भुखी रूद्राष (नेऩार) 2800 to 5500

चाय भुखी रूद्राष (नेऩार) 55 to 190 फायश भुखी रूद्राष (नेऩार) 3700 to 7300

ऩॊच भुखी रूद्राष (नेऩार) 55 to 370 तेयश भुखी रूद्राष (नेऩार) 5500 to 14500

छश भुखी रूद्राष (नेऩार) 55 to 190 चौदश भुखी रूद्राष (नेऩार) 21000 to 41500

वात भुखी रूद्राष (नेऩार) 460 to 730 गौयीळॊकय रूद्राष (नेऩार) 3700 to 14500

आठ भुखी रूद्राष (नेऩार) 1900 to 460 गणेळ रुद्राष (नेऩार) 730 to 1450

* भूल्म भं अॊतय रुद्राष के आकाय औय गुणलत्ता के अनुवाय अरग-अरग शोते शं । उऩयोि भूल्म छोटे वे फड़ेे आकाय
के अनुरुऩ दळाामे गमे शं । कबी-कबी वॊबात्रलत शं की छोटे आकाय के उत्तभ गुणलत्ता लारे रुद्राष असधक भूल्म भं प्राद्ऱ
शो वकते शं ।
त्रलळे ऴ वू च ना: फाजाय की त्स्थसत के अनुवाय, रूद्राष भूल्म, फदन-फ-फदन फदरते यशते शै , त्जव कायण शभायी भूल्म
वूची भं बी फाजाय की त्स्थसत के अनुवाय ऩरयलतान शोते यशते शं , कृप्मा रुद्राष के सरए अऩना बुगतान बे जने वे
ऩशरे रुद्राष के नमी भूल्म वूची शे तु शभ वे वॊऩका कयं ।
रुद्राष के त्रलऴम भं असधक जानकायी शे तु वॊऩका कयं । >> Shop Online | Order Now
GURUTVA KARYALAY ,
92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA, BHUBNESWAR-751018, (ORISSA),
Call us: 91 + 9338213418, 91+ 9238328785
Mail Us: gurutva.karyalay@gmail.com, gurutva_karyalay@yahoo.in,

भॊि सवि दर
ु ाब वाभग्री
शत्था जोडी- Rs- 730 घोडे की नार- Rs.351 भामा जार- Rs- 251
सवमाय सवॊगी- Rs- 1050 दत्षणालतॉ ळॊख-Rs-550-2100 इन्द्र जार- Rs- 251
त्रफल्री नार- Rs- 370 भोसत ळॊख-Rs- 550 वे 1450 धन लृत्रि शकीक वेट Rs-251
GURUTVA KARYALAY
Call Us: 91 + 9338213418, 91 + 9238328785,
Email Us:- gurutva_karyalay@yahoo.in, gurutva.karyalay@gmail.com >> Shop Online | Order Now
97 अप्रैर-2015

श्रीकृ ष्ण फीवा मॊि


फकवी बी व्मत्रि का जीलन तफ आवान फन जाता शं जफ उवके चायं औय का भाशोर उवके अनुरुऩ उवके लळ
भं शं। जफ कोई व्मत्रि का आकऴाण दव
ु यो के उऩय एक चुम्फकीम प्रबाल डारता शं , तफ रोग उवकी वशामता एलॊ
वे ला शे तु तत्ऩय शोते शै औय उवके प्राम् वबी कामा त्रफना असधक कद्श ल ऩये ळानी वे वॊऩन्न शो जाते शं । आज के
बौसतकता लाफद मुग भं शय व्मत्रि के सरमे दव
ू यो को अऩनी औय खीचने शे तु एक प्रबालळासर चुफ
ॊ कत्ल को कामभ
यखना असत आलश्मक शो जाता शं । आऩका आकऴाण औय व्मत्रित्ल आऩके चायो ओय वे रोगं को आकत्रऴात कये इव
सरमे वयर उऩाम शं , श्रीकृ ष्ण फीवा मॊ ि । क्मोफक बगलान श्री कृष्ण एक अरौफकल एलॊ फदलम चुफ
ॊ कीम व्मत्रित्ल के
धनी थे। इवी कायण वे श्रीकृ ष्ण फीवा मॊ ि के ऩूजन एलॊ दळान वे आकऴाक व्मत्रित्ल प्राद्ऱ शोता शं ।
श्रीकृ ष्ण फीवा मॊ ि के वाथ व्मत्रिको दृढ़ इच्छा ळत्रि एलॊ उजाा प्राद्ऱ
शोती शं , त्जस्वे व्मत्रि शभे ळा एक बीड भं शभे ळा आकऴाण का कं द्र यशता शं ।
श्रीकृ ष्ण फीवा कलच
मफद फकवी व्मत्रि को अऩनी प्रसतबा ल आत्भत्रलद्वाव के स्तय भं लृत्रि,
श्रीकृष्ण फीवा कलच को के लर
अऩने सभिो ल ऩरयलायजनो के त्रफच भं रयश्तो भं वुधाय कयने की ईच्छा शोती
शं उनके सरमे श्रीकृ ष्ण फीवा मॊ ि का ऩूजन एक वयर ल वुरब भाध्मभ त्रलळे ऴ ळुब भुशुता भं सनभााण फकमा

वात्रफत शो वकता शं । जाता शं । कलच को त्रलद्रान कभाकाॊडी

श्रीकृ ष्ण फीवा मॊ ि ऩय अॊफकत ळत्रिळारी त्रलळे ऴ ये खाएॊ, फीज भॊि एलॊ मा ाशभणं द्राया ळुब भुशुता भं ळास्त्रोि

अॊको वे व्मत्रि को अद्धद्भत त्रलसध-त्रलधान वे त्रलसळद्श ते जस्ली भॊिो


ु आॊतरयक ळत्रिमाॊ प्राद्ऱ शोती शं जो व्मत्रि को
वफवे आगे एलॊ वबी षे िो भं अग्रत्णम फनाने भं वशामक सवि शोती शं । द्राया सवि प्राण-प्रसतत्रद्षत ऩूणा चैतन्म

श्रीकृ ष्ण फीवा मॊ ि के ऩूजन ल सनमसभत दळान के भाध्मभ वे बगलान मुि कयके सनभााण फकमा जाता शं ।
त्जव के पर स्लरुऩ धायण कयता
श्रीकृष्ण का आळीलााद प्राद्ऱ कय वभाज भं स्लमॊ का अफद्रतीम स्थान स्थात्रऩत कयं ।
व्मत्रि को ळीघ्र ऩूणा राब प्राद्ऱ शोता
श्रीकृ ष्ण फीवा मॊ ि अरौफकक मा जी ाॊडीम उजाा का वॊचाय कयता शं , जो
एक प्राकृ त्रत्त भाध्मभ वे व्मत्रि के बीतय वदबालना, वभृत्रि, वपरता, उत्तभ शं । कलच को गरे भं धायण कयने

स्लास््म, मोग औय ध्मान के सरमे एक ळत्रिळारी भाध्मभ शं ! वे लशॊ अत्मॊत प्रबाल ळारी शोता

 श्रीकृ ष्ण फीवा मॊ ि के ऩूजन वे व्मत्रि के वाभात्जक भान-वम्भान ल शं । गरे भं धायण कयने वे कलच

ऩद-प्रसतद्षा भं लृत्रि शोती शं । शभे ळा रृदम के ऩाव यशता शं त्जस्वे

 त्रलद्रानो के भतानुवाय श्रीकृ ष्ण फीवा मॊ ि के भध्मबाग ऩय ध्मान मोग व्मत्रि ऩय उवका राब असत तीव्र

कंफद्रत कयने वे व्मत्रि फक चेतना ळत्रि जाग्रत शोकय ळीघ्र उच्च स्तय एलॊ ळीघ्र सात शोने रगता शं ।
भू र म भाि: 1900 >>Order Now
को प्राद्ऱशोती शं ।
 जो ऩुरुऴं औय भफशरा अऩने वाथी ऩय अऩना प्रबाल डारना चाशते शं औय उन्शं अऩनी औय आकत्रऴात कयना
चाशते शं । उनके सरमे श्रीकृ ष्ण फीवा मॊ ि उत्तभ उऩाम सवि शो वकता शं ।
 ऩसत-ऩत्नी भं आऩवी प्रभ की लृत्रि औय वुखी दाम्ऩत्म जीलन के सरमे श्रीकृ ष्ण फीवा मॊ ि राबदामी शोता शं ।
भूल्म:- Rs. 730 वे Rs. 10900 तक उप्रब्ि >> Shop Online | Order Now
GURUTVA KARYALAY
Call Us – 91 + 9338213418, 91 + 9238328785
Email Us:- gurutva_karyalay@yahoo.in, gurutva.karyalay@gmail.com
98 अप्रैर-2015

जैन धभाके त्रलसळद्श मॊिो की वूची


श्री चौफीव तीथंकयका भशान प्रबात्रलत चभत्कायी मॊि श्री एकाषी नारयमेय मॊि
श्री चोफीव तीथंकय मॊि वलातो बद्र मॊि
कल्ऩलृष मॊि वला वॊऩत्रत्तकय मॊि
सचॊ ताभणी ऩाद्वानाथ मॊि वलाकामा-वला भनोकाभना सवत्रिअ मॊि (१३० वलातोबद्र मॊि)
सचॊ ताभणी मॊि (ऩंवफठमा मॊि) ऋत्रऴ भॊडर मॊि
सचॊ ताभणी चक्र मॊि जगदलल्रब कय मॊि
श्री चक्रेद्वयी मॊि ऋत्रि सवत्रि भनोकाभना भान वम्भान प्रासद्ऱ मॊि
श्री घॊटाकणा भशालीय मॊि ऋत्रि सवत्रि वभृत्रि दामक श्री भशारक्ष्भी मॊि
श्री घॊटाकणा भशालीय वला सवत्रि भशामॊि त्रलऴभ त्रलऴ सनग्रश कय मॊि
(अनुबल सवि वॊऩूण ा श्री घॊटाकणा भशालीय ऩतका मॊि)
श्री ऩद्मालती मॊि षु द्रो ऩद्रल सननााळन मॊि
श्री ऩद्मालती फीवा मॊि फृशच्चक्र मॊि
श्री ऩाद्वाऩद्मालती ह्रंकाय मॊि लॊध्मा ळब्दाऩश मॊि
ऩद्मालती व्माऩाय लृत्रि मॊि भृतलत्वा दोऴ सनलायण मॊि
श्री धयणेन्द्र ऩद्मालती मॊि काॊ क लॊध्मादोऴ सनलायण मॊि
श्री ऩाद्वानाथ ध्मान मॊि फारग्रश ऩीडा सनलायण मॊि
श्री ऩाद्वानाथ प्रबुका मॊि रधु देल कुर मॊि
बिाभय मॊि (गाथा नॊफय १ वे ४४ तक) नलगाथात्भक उलवग्गशयॊ स्तोिका त्रलसळद्श मॊि
भत्णबद्र मॊि उलवग्गशयॊ मॊि
श्री मॊि श्री ऩॊच भॊगर भशाश्रृत स्कॊध मॊि
श्री रक्ष्भी प्रासद्ऱ औय व्माऩाय लधाक मॊि ह्रीॊ काय भम फीज भॊि
श्री रक्ष्भीकय मॊि लधाभान त्रलद्या ऩट्ट मॊि
रक्ष्भी प्रासद्ऱ मॊि त्रलद्या मॊि
भशात्रलजम मॊि वौबाग्मकय मॊि
त्रलजमयाज मॊि डाफकनी, ळाफकनी, बम सनलायक मॊि
त्रलजम ऩतका मॊि बूताफद सनग्रश कय मॊि
त्रलजम मॊि ज्लय सनग्रश कय मॊि
सविचक्र भशामॊि ळाफकनी सनग्रश कय मॊि
दत्षण भुख ाम ळॊख मॊि आऩत्रत्त सनलायण मॊि
दत्षण भुख ाम मॊि ळिु भुख स्तॊबन मॊि
मॊ ि के त्रलऴम भं असधक जानकायी शे तु वॊ ऩ का कयं । >> Shop Online | Order Now
GURUTVA KARYALAY
92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA, BHUBNESWAR-751018, (ORISSA)
Call us: 91 + 9338213418 , 91+ 9238328785
Mail Us: gurutva.karyalay@gmail.com, gurutva_karyalay@yahoo.in,
99 अप्रैर-2015

घॊटाकणा भशालीय वला सवत्रि भशामॊि को स्थाऩीत


कयने वे वाधक की वला भनोकाभनाएॊ ऩूणा शोती शं । वला
प्रकाय के योग बूत-प्रेत आफद उऩद्रल वे यषण शोता शं ।
जशयीरे औय फशॊ वक प्राणीॊ वे वॊफॊसधत बम दयू शोते शं ।
अत्ग्न बम, चोयबम आफद दयू शोते शं ।
दद्श
ु ल अवुयी ळत्रिमं वे उत्ऩन्न शोने लारे बम
वे मॊि के प्रबाल वे दयू शो जाते शं ।
मॊि के ऩूजन वे वाधक को धन, वुख, वभृत्रि,
ऎद्वमा, वॊतत्रत्त-वॊऩत्रत्त आफद की प्रासद्ऱ शोती शं । वाधक की
वबी प्रकाय की वात्त्लक इच्छाओॊ की ऩूसता शोती शं ।
मफद फकवी ऩरयलाय मा ऩरयलाय के वदस्मो ऩय
लळीकयण, भायण, उच्चाटन इत्माफद जाद-ू टोने लारे
प्रमोग फकमे गमं शोतो इव मॊि के प्रबाल वे स्लत् नद्श
शो जाते शं औय बत्रलष्म भं मफद कोई प्रमोग कयता शं तो
यषण शोता शं ।
कुछ जानकायो के श्री घॊटाकणा भशालीय ऩतका
मॊि वे जुडे अद्धद्भत
ु अनुबल यशे शं । मफद घय भं श्री
घॊटाकणा भशालीय ऩतका मॊि स्थात्रऩत फकमा शं औय मफद
कोई इऴाा, रोब, भोश मा ळिुतालळ मफद अनुसचत कभा
कयके फकवी बी उदे श्म वे वाधक को ऩये ळान कयने का प्रमाव कयता शं तो मॊि के प्रबाल वे वॊऩूणा
ऩरयलाय का यषण तो शोता शी शं , कबी-कबी ळिु के द्राया फकमा गमा अनुसचत कभा ळिु ऩय शी उऩय
उरट लाय शोते दे खा शं । भू ल् म:- Rs. 1650 वे Rs. 10900 तक उप्रब्ि >> Shop Online | Order Now
वॊ ऩका कयं । GURUTVA KARYALAY
Call Us – 91 + 9338213418, 91 + 9238328785
92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA, BHUBNESWAR-751018, (ORISSA)
Email Us:- gurutva_karyalay@yahoo.in, gurutva.karyalay@gmail.com
Visit Us: www.gurutvakaryalay.com | www.gurutvajyotish.com | www.gurutvakaryalay.blogspot.com
100 अप्रैर-2015

अभोघ भशाभृत्मुॊजम कलच


अभोद्य् भशाभृत्मुॊजम कलच ल उल्रेत्खत अन्म वाभग्रीमं को ळास्त्रोि त्रलसध-त्रलधान वे त्रलद्रान
मा ाजी णो द्राया वला राख भशाभृत् मुॊ ज म भॊ ि जऩ एलॊ दळाॊळ शलन द्राया सनसभात फकमा जाता शं इव
सरए कलच अत्मॊत प्रबालळारी शोता शं । >> Order Now

अभोद्य् भशाभृत्मुॊजम कलच


अभोद्य् भशाभृत्मुॊजम
कलच फनलाने शे तु:
अऩना नाभ, त्रऩता-भाता का नाभ, कलच
गोि, एक नमा पोटो बेजे दत्षणा भाि: 10900

याळी यत्न एलॊ उऩयत्न

त्रलळेऴ मॊि

शभायं मशाॊ वबी प्रकाय के मॊ ि वोने -चाॊफद-


ताम्फे भं आऩकी आलश्मिा के अनु वाय
फकवी बी बाऴा/धभा के मॊ िो को आऩकी
आलश्मक फडजाईन के अनु वाय २२ गेज
ळु ि ताम्फे भं अखॊफडत फनाने की त्रलळे ऴ
वबी वाईज एलॊ भूल्म ल क्लासरफट के
वु त्रलधाएॊ उऩरब्ध शं ।
अवरी नलयत्न एलॊ उऩयत्न बी उऩरब्ध शं ।
शभाये मशाॊ वबी प्रकाय के यत्न एलॊ उऩयत्न व्माऩायी भूल्म ऩय उऩरब्ध शं । ज्मोसतऴ कामा वे जुडे़
फधु/फशन ल यत्न व्मलवाम वे जुडे रोगो के सरमे त्रलळेऴ भूल्म ऩय यत्न ल अन्म वाभग्रीमा ल अन्म
वुत्रलधाएॊ उऩरब्ध शं ।
GURUTVA KARYALAY
92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA, BHUBNESWAR-751018, (ORISSA)
Call us: 91 + 9338213418, 91+ 9238328785
Mail Us: gurutva.karyalay@gmail.com, gurutva_karyalay@yahoo.in,
101 अप्रैर-2015

अप्रै र 2015-त्रलळेऴ मोग


कामा सवत्रि मोग
08 वूमोदम वे फदन यात 21 वूमोदम वे फदन 03.10 तक

09 वूमोदम वे 06.52 तक 22 वूमोदम वे फदन यात

12 वुफश 07.11 वे दे य यात्रि 06.17 तक 24 फदन 12.16 वे दे य यात्रि 05.28 तक

13 वुफश 06.13 वे दे य यात्रि 04.47 तक 26 वूमोदम वे फदन 03.54 तक

17 वामॊ 07.49 वे दे य यात्रि 05.34 तक

त्रिऩु ष् कय मोग (तीनगुन ा पर दामक ) फद्रऩु ष् कय मोग (दौ गुन ा पर दामक )

25 प्रात: 05.28 वे फदन 01.40 तक 05 वामॊ 07:36 वे दे य यात्रि 02:02 तक

त्रलघ्नकायक बद्रा
03 फदन 03.19 वे दे य यात्रि 04.28 तक 17 प्रात: 06.55 वे वामॊ 05.17 तक

04 प्रात: 09.50 वे यात्रि 10.22 तक 21 यात्रि 04.29 वे 22 अप्रैर को फदन 03.51 तक

10 यात्रि 10.51 वे 11 अप्रैर को प्रात: 10.27 तक 25 फदन 04.39 वे 26 अप्रैर को प्रात: 05.31 तक

13 यात्रि 05.17 वे 14 अप्रैर को फदन 04.04 तक 29 फदन 12.26 वे दे य यात्रि 01.44 तक

मोग पर :
 कामा सवत्रि मोग भे फकमे गमे ळुब कामा भे सनत्द्ळत वपरता प्राद्ऱ शोती शं , एवा ळास्त्रोि लचन शं ।
 फद्रऩुष्कय मोग भं फकमे गमे ळुब कामो का राब दोगुना शोता शं । एवा ळास्त्रोि लचन शं ।
 त्रिऩुष्कय मोग भं फकमे गमे ळुब कामो का राब तीन गुना शोता शं । एवा ळास्त्रोि लचन शं ।
 ळास्त्रंि भत वे त्रलघ्नकायक बद्रा मोग भं ळुब कामा कयना लत्जात शं ।

दै सनक ळु ब एलॊ अळु ब वभम सान तासरका


गुसरक कार (ळुब) मभ कार (अळुब) याशु कार (अळुब)
लाय वभम अलसध वभम अलसध वभम अलसध
यत्रललाय 03:00 वे 04:30 12:00 वे 01:30 04:30 वे 06:00
वोभलाय 01:30 वे 03:00 10:30 वे 12:00 07:30 वे 09:00
भॊगरलाय 12:00 वे 01:30 09:00 वे 10:30 03:00 वे 04:30
फुधलाय 10:30 वे 12:00 07:30 वे 09:00 12:00 वे 01:30
गुरुलाय 09:00 वे 10:30 06:00 वे 07:30 01:30 वे 03:00
ळुक्रलाय 07:30 वे 09:00 03:00 वे 04:30 10:30 वे 12:00
ळसनलाय 06:00 वे 07:30 01:30 वे 03:00 09:00 वे 10:30
102 अप्रैर-2015

फदन के चौघफडमे
वभम यत्रललाय वोभलाय भॊगरलाय फुधलाय गुरुलाय ळुक्रलाय ळसनलाय

06:00 वे 07:30 उद्रे ग अभृत योग राब ळुब चर कार


07:30 वे 09:00 चर कार उद्रे ग अभृत योग राब ळुब
09:00 वे 10:30 राब ळुब चर कार उद्रे ग अभृत योग
10:30 वे 12:00 अभृत योग राब ळुब चर कार उद्रे ग
12:00 वे 01:30 कार उद्रे ग अभृत योग राब ळुब चर
01:30 वे 03:00 ळुब चर कार उद्रे ग अभृत योग राब
03:00 वे 04:30 योग राब ळुब चर कार उद्रे ग अभृत
04:30 वे 06:00 उद्रे ग अभृत योग राब ळुब चर कार

यात के चौघफडमे
वभम यत्रललाय वोभलाय भॊगरलाय फुधलाय गुरुलाय ळुक्रलाय ळसनलाय

06:00 वे 07:30 ळुब चर कार उद्रे ग अभृत योग राब


07:30 वे 09:00 अभृत योग राब ळुब चर कार उद्रे ग
09:00 वे 10:30 चर कार उद्रे ग अभृत योग राब ळुब
10:30 वे 12:00 योग राब ळुब चर कार उद्रे ग अभृत
12:00 वे 01:30 कार उद्रे ग अभृत योग राब ळुब चर
01:30 वे 03:00 राब ळुब चर कार उद्रे ग अभृत योग
03:00 वे 04:30 उद्रे ग अभृत योग राब ळुब चर कार
04:30 वे 06:00 ळुब चर कार उद्रे ग अभृत योग राब
ळास्त्रोि भत के अनुळाय मफद फकवी बी कामा का प्रायॊ ब ळुब भुशूता मा ळुब वभम ऩय फकमा जामे तो कामा भं वपरता
प्राद्ऱ शोने फक वॊबालना ज्मादा प्रफर शो जाती शं । इव सरमे दैसनक ळुब वभम चौघफड़ेमा दे खकय प्राद्ऱ फकमा जा वकता शं ।
नोट: प्राम् फदन औय यात्रि के चौघफड़ेमे फक सगनती क्रभळ् वूमोदम औय वूमाास्त वे फक जाती शं । प्रत्मे क चौघफड़ेमे फक अलसध 1
घॊटा 30 सभसनट अथाात डे ढ़ घॊटा शोती शं । वभम के अनुवाय चौघफड़ेमे को ळुबाळुब तीन बागं भं फाॊटा जाता शं , जो क्रभळ् ळुब,
भध्मभ औय अळुब शं ।

चौघफडमे के स्लाभी ग्रश * शय कामा के सरमे ळुब/अभृत/राब का


ळुब चौघफडमा भध्मभ चौघफडमा अळुब चौघफड़ेमा चौघफड़ेमा उत्तभ भाना जाता शं ।
चौघफडमा स्लाभी ग्रश चौघफडमा स्लाभी ग्रश चौघफडमा स्लाभी ग्रश
ळुब गुरु चय ळुक्र उद्बे ग वूमा * शय कामा के सरमे चर/कार/योग/उद्रे ग
अभृत चॊद्रभा कार ळसन का चौघफड़ेमा उसचत नशीॊ भाना जाता।
राब फुध योग भॊगर
103 अप्रैर-2015

फदन फक शोया - वूमोदम वे वूमाा स्त तक


लाय 1.घॊ 2.घॊ 3.घॊ 4.घॊ 5.घॊ 6.घॊ 7.घॊ 8.घॊ 9.घॊ 10.घॊ 11.घॊ 12.घॊ

यत्रललाय वूमा ळुक्र फुध चॊद्र ळसन गुरु भॊगर वूमा ळुक्र फुध चॊद्र ळसन
वोभलाय चॊद्र ळसन गुरु भॊगर वूमा ळुक्र फुध चॊद्र ळसन गुरु भॊगर वूमा
भॊगरलाय भॊगर वूमा ळुक्र फुध चॊद्र ळसन गुरु भॊगर वूमा ळुक्र फुध चॊद्र
फुधलाय फुध चॊद्र ळसन गुरु भॊगर वूमा ळुक्र फुध चॊद्र ळसन गुरु भॊगर
गुरुलाय गुरु भॊगर वूमा ळुक्र फुध चॊद्र ळसन गुरु भॊगर वूमा ळुक्र फुध
ळुक्रलाय ळुक्र फुध चॊद्र ळसन गुरु भॊगर वूमा ळुक्र फुध चॊद्र ळसन गुरु
ळसनलाय ळसन गुरु भॊगर वूमा ळुक्र फुध चॊद्र ळसन गुरु भॊगर वूमा ळुक्र

यात फक शोया – वूमाा स्त वे वूमोदम तक


यत्रललाय गुरु भॊगर वूमा ळुक्र फुध चॊद्र ळसन गुरु भॊगर वूमा ळुक्र फुध
वोभलाय ळुक्र फुध चॊद्र ळसन गुरु भॊगर वूमा ळुक्र फुध चॊद्र ळसन गुरु
भॊगरलाय ळसन गुरु भॊगर वूमा ळुक्र फुध चॊद्र ळसन गुरु भॊगर वूमा ळुक्र
फुधलाय वूमा ळुक्र फुध चॊद्र ळसन गुरु भॊगर वूमा ळुक्र फुध चॊद्र ळसन
गुरुलाय चॊद्र ळसन गुरु भॊगर वूमा ळुक्र फुध चॊद्र ळसन गुरु भॊगर वूमा
ळुक्रलाय भॊगर वूमा ळुक्र फुध चॊद्र ळसन गुरु भॊगर वूमा ळुक्र फुध चॊद्र
ळसनलाय फुध चॊद्र ळसन गुरु भॊगर वूमा ळुक्र फुध चॊद्र ळसन गुरु भॊगर
शोया भुशूता को कामा सवत्रि के सरए ऩूणा परदामक एलॊ अचूक भाना जाता शं , फदन-यात के २४ घॊटं भं ळुब-अळुब वभम
को वभम वे ऩूला सात कय अऩने कामा सवत्रि के सरए प्रमोग कयना चाफशमे ।

त्रलद्रानो के भत वे इत्च्छत कामा सवत्रि के सरए ग्रश वे वॊ फॊस धत शोया का चु न ाल कयने वे त्रलळेऴ राब
प्राद्ऱ शोता शं ।
 वूमा फक शोया वयकायी कामो के सरमे उत्तभ शोती शं ।
 चॊद्रभा फक शोया वबी कामं के सरमे उत्तभ शोती शं ।
 भॊगर फक शोया कोटा-कचेय ी के कामं के सरमे उत्तभ शोती शं ।
 फुध फक शोया त्रलद्या-फुत्रि अथाात ऩढाई के सरमे उत्तभ शोती शं ।
 गुरु फक शोया धासभाक कामा एलॊ त्रललाश के सरमे उत्तभ शोती शं ।
 ळुक्र फक शोया मािा के सरमे उत्तभ शोती शं ।
 ळसन फक शोया धन-द्रव्म वॊफॊसधत कामा के सरमे उत्तभ शोती शं ।
104 अप्रैर-2015

ग्रश चरन अप्रैर-2015


Day Sun Mon Ma Me Jup Ven Sat Rah Ket Ua Nep Plu
1 11:16:52 04:08:46 00:06:09 11:07:40 03:18:36 00:23:23 07:10:36 05:15:55 11:15:55 11:22:03 10:14:25 08:21:24

2 11:17:51 04:20:34 00:06:54 11:09:34 03:18:35 00:24:34 07:10:34 05:15:56 11:15:56 11:22:07 10:14:27 08:21:24

3 11:18:50 05:02:24 00:07:38 11:11:30 03:18:34 00:25:45 07:10:32 05:15:56 11:15:56 11:22:10 10:14:29 08:21:25

4 11:19:50 05:14:18 00:08:22 11:13:26 03:18:33 00:26:56 07:10:30 05:15:56 11:15:56 11:22:14 10:14:31 08:21:25

5 11:20:49 05:26:18 00:09:07 11:15:24 03:18:32 00:28:07 07:10:28 05:15:56 11:15:56 11:22:17 10:14:33 08:21:26

6 11:21:48 06:08:26 00:09:51 11:17:24 03:18:31 00:29:18 07:10:26 05:15:55 11:15:55 11:22:21 10:14:35 08:21:26

7 11:22:47 06:20:44 00:10:35 11:19:24 03:18:31 01:00:28 07:10:24 05:15:55 11:15:55 11:22:24 10:14:37 08:21:26

8 11:23:46 07:03:13 00:11:19 11:21:26 03:18:31 01:01:39 07:10:22 05:15:54 11:15:54 11:22:27 10:14:38 08:21:27

9 11:24:45 07:15:56 00:12:03 11:23:29 03:18:31 01:02:49 07:10:19 05:15:53 11:15:53 11:22:31 10:14:40 08:21:27

10 11:25:44 07:28:54 00:12:47 11:25:33 03:18:31 01:04:00 07:10:17 05:15:52 11:15:52 11:22:34 10:14:42 08:21:27

11 11:26:43 08:12:09 00:13:31 11:27:38 03:18:31 01:05:10 07:10:14 05:15:51 11:15:51 11:22:38 10:14:44 08:21:27

12 11:27:42 08:25:42 00:14:15 11:29:43 03:18:32 01:06:20 07:10:12 05:15:50 11:15:50 11:22:41 10:14:46 08:21:28

13 11:28:40 09:09:35 00:14:59 00:01:49 03:18:32 01:07:30 07:10:09 05:15:51 11:15:51 11:22:44 10:14:48 08:21:28

14 11:29:39 09:23:46 00:15:43 00:03:55 03:18:33 01:08:40 07:10:06 05:15:51 11:15:51 11:22:48 10:14:49 08:21:28

15 00:00:38 10:08:14 00:16:27 00:06:01 03:18:34 01:09:50 07:10:03 05:15:52 11:15:52 11:22:51 10:14:51 08:21:28

16 00:01:37 10:22:56 00:17:11 00:08:07 03:18:36 01:11:00 07:10:00 05:15:53 11:15:53 11:22:55 10:14:53 08:21:28

17 00:02:36 11:07:47 00:17:54 00:10:13 03:18:37 01:12:09 07:09:57 05:15:54 11:15:54 11:22:58 10:14:54 08:21:28

18 00:03:34 11:22:40 00:18:38 00:12:18 03:18:39 01:13:19 07:09:54 05:15:54 11:15:54 11:23:02 10:14:56 08:21:28

19 00:04:33 00:07:26 00:19:22 00:14:21 03:18:41 01:14:28 07:09:51 05:15:53 11:15:53 11:23:05 10:14:58 08:21:28

20 00:05:32 00:22:00 00:20:05 00:16:24 03:18:43 01:15:37 07:09:48 05:15:52 11:15:52 11:23:08 10:14:59 08:21:28

21 00:06:30 01:06:14 00:20:49 00:18:24 03:18:45 01:16:47 07:09:45 05:15:49 11:15:49 11:23:12 10:15:01 08:21:28

22 00:07:29 01:20:05 00:21:32 00:20:22 03:18:47 01:17:55 07:09:41 05:15:46 11:15:46 11:23:15 10:15:02 08:21:28

23 00:08:27 02:03:30 00:22:15 00:22:18 03:18:50 01:19:04 07:09:38 05:15:43 11:15:43 11:23:18 10:15:04 08:21:27

24 00:09:26 02:16:30 00:22:59 00:24:11 03:18:52 01:20:13 07:09:34 05:15:40 11:15:40 11:23:22 10:15:06 08:21:27

25 00:10:24 02:29:07 00:23:42 00:26:02 03:18:55 01:21:22 07:09:31 05:15:39 11:15:39 11:23:25 10:15:07 08:21:27

26 00:11:23 03:11:25 00:24:25 00:27:49 03:18:58 01:22:30 07:09:27 05:15:38 11:15:38 11:23:28 10:15:09 08:21:27

27 00:12:21 03:23:28 00:25:09 00:29:32 03:19:02 01:23:38 07:09:23 05:15:39 11:15:39 11:23:32 10:15:10 08:21:27

28 00:13:19 04:05:22 00:25:52 01:01:12 03:19:05 01:24:46 07:09:20 05:15:40 11:15:40 11:23:35 10:15:11 08:21:26

29 00:14:18 04:17:11 00:26:35 01:02:48 03:19:09 01:25:54 07:09:16 05:15:42 11:15:42 11:23:38 10:15:13 08:21:26

30 00:15:16 04:28:59 00:27:18 01:04:20 03:19:12 01:27:02 07:09:12 05:15:43 11:15:43 11:23:41 10:15:14 08:21:26
105 अप्रैर-2015

वला योगनाळक मॊि/कलच


भनुष्म अऩने जीलन के त्रलसबन्न वभम ऩय फकवी ना फकवी वाध्म मा अवाध्म योग वे ग्रस्त शोता शं।
उसचत उऩचाय वे ज्मादातय वाध्म योगो वे तो भुत्रि सभर जाती शं , रेफकन कबी-कबी वाध्म योग शोकय बी
अवाध्म शोजाते शं, मा कोइ अवाध्म योग वे ग्रसवत शोजाते शं। शजायो राखो रुऩमे खचा कयने ऩय बी असधक
राब प्राद्ऱ नशीॊ शो ऩाता। डॉक्टय द्राया फदजाने लारी दलाईमा अल्ऩ वभम के सरमे कायगय वात्रफत शोती शं , एवी
त्स्थती भं राब प्रासद्ऱ के सरमे व्मत्रि एक डॉक्टय वे दव
ू ये डॉक्टय के चक्कय रगाने को फाध्म शो जाता शं।
बायतीम ऋऴीमोने अऩने मोग वाधना के प्रताऩ वे योग ळाॊसत शेत ु त्रलसबन्न आमुलये औऴधो के असतरयि
मॊि, भॊि एलॊ तॊि का उल्रेख अऩने ग्रॊथो भं कय भानल जीलन को राब प्रदान कयने का वाथाक प्रमाव शजायो
लऴा ऩूल ा फकमा था। फुत्रिजीलो के भत वे जो व्मत्रि जीलनबय अऩनी फदनचमाा ऩय सनमभ, वॊमभ यख कय आशाय
ग्रशण कयता शं, एवे व्मत्रि को त्रलसबन्न योग वे ग्रसवत शोने की वॊबालना कभ शोती शं। रेफकन आज के
फदरते मुग भं एवे व्मत्रि बी बमॊकय योग वे ग्रस्त शोते फदख जाते शं। क्मोफक वभग्र वॊवाय कार के अधीन
शं। एलॊ भृत्मु सनत्द्ळत शं त्जवे त्रलधाता के अराला औय कोई टार नशीॊ वकता, रेफकन योग शोने फक त्स्थती भं
व्मत्रि योग दयू कयने का प्रमाव तो अलश्म कय वकता शं। इव सरमे मॊ ि भॊि एलॊ तॊि के कु ळर जानकाय वे
मोग्म भागादळान रेकय व्मत्रि योगो वे भुत्रि ऩाने का मा उवके प्रबालो को कभ कयने का प्रमाव बी अलश्म
कय वकता शं।
ज्मोसतऴ त्रलद्या के कु ळर जानकय बी कार ऩुरुऴकी गणना कय अनेक योगो के अनेको यशस्म को
उजागय कय वकते शं। ज्मोसतऴ ळास्त्र के भाध्मभ वे योग के भूरको ऩकडने भे वशमोग सभरता शं , जशा
आधुसनक सचफकत्वा ळास्त्र अषभ शोजाता शं लशा ज्मोसतऴ ळास्त्र द्राया योग के भूर(जड़े) को ऩकड कय उवका
सनदान कयना राबदामक एलॊ उऩामोगी सवि शोता शं।
शय व्मत्रि भं रार यॊ गकी कोसळकाए ऩाइ जाती शं , त्जवका सनमभीत त्रलकाव क्रभ फि तयीके वे शोता
यशता शं। जफ इन कोसळकाओ के क्रभ भं ऩरयलतान शोता शै मा त्रलखॊफडन शोता शं तफ व्मत्रि के ळयीय भं
स्लास््म वॊफध
ॊ ी त्रलकायो उत्ऩन्न शोते शं। एलॊ इन कोसळकाओ का वॊफध
ॊ नल ग्रशो के वाथ शोता शं । त्जस्वे योगो
के शोने के कायण व्मत्रि के जन्भाॊग वे दळा-भशादळा एलॊ ग्रशो फक गोचय त्स्थती वे प्राद्ऱ शोता शं।
वला योग सनलायण कलच एलॊ भशाभृत्मुॊजम मॊि के भाध्मभ वे व्मत्रि के जन्भाॊग भं त्स्थत कभजोय एलॊ
ऩीफडत ग्रशो के अळुब प्रबाल को कभ कयने का कामा वयरता ऩूलक
ा फकमा जावकता शं। जेव े शय व्मत्रि को
मा जी ाॊड फक उजाा एलॊ ऩृ्ली का गुरुत्लाकऴाण फर प्रबालीत कताा शं फठक उवी प्रकाय कलच एलॊ मॊि के भाध्मभ
वे मा जी ाॊड फक उजाा के वकायात्भक प्रबाल वे व्मत्रि को वकायात्भक उजाा प्राद्ऱ शोती शं त्जस्वे योग के प्रबाल
को कभ कय योग भुि कयने शेत ु वशामता सभरती शं।
योग सनलायण शेत ु भशाभृत्मुॊजम भॊि एलॊ मॊि का फडा भशत्ल शं। त्जस्वे फशन्द ू वॊस्कृ सत का प्राम् शय
व्मत्रि भशाभृत्मुॊजम भॊि वे ऩरयसचत शं।
106 अप्रैर-2015

कलच के राब :
 एवा ळास्त्रोि लचन शं त्जव घय भं भशाभृत्मुॊजम मॊि स्थात्रऩत शोता शं लशा सनलाव कताा शो नाना प्रकाय
फक आसध-व्मासध-उऩासध वे यषा शोती शं।
 ऩूणा प्राण प्रसतत्रद्षत एलॊ ऩूणा चैतन्म मुि वला योग सनलायण कलच फकवी बी उम्र एलॊ जासत धभा के रोग
चाशे स्त्री शो मा ऩुरुऴ धायण कय वकते शं।
 जन्भाॊगभं अनेक प्रकायके खयाफ मोगो औय खयाफ ग्रशो फक प्रसतकू रता वे योग उतऩन्न शोते शं।
 कु छ योग वॊक्रभण वे शोते शं एलॊ कु छ योग खान-ऩान फक असनमसभतता औय अळुितावे उत्ऩन्न शोते शं ।
कलच एलॊ मॊि द्राया एवे अनेक प्रकाय के खयाफ मोगो को नद्श कय, स्लास््म राब औय ळायीरयक यषण प्राद्ऱ
कयने शेत ु वला योगनाळक कलच एलॊ मॊि वला उऩमोगी शोता शं।
 आज के बौसतकता लादी आधुसनक मुगभे अनेक एवे योग शोते शं, त्जवका उऩचाय ओऩये ळन औय दलावे बी
कफठन शो जाता शं। कु छ योग एवे शोते शं त्जवे फताने भं रोग फशचफकचाते शं ळयभ अनुबल कयते शं एवे
योगो को योकने शेत ु एलॊ उवके उऩचाय शेत ु वला योगनाळक कलच एलॊ मॊि राबादासम सवि शोता शं।
 प्रत्मेक व्मत्रि फक जेव-े जेव े आमु फढती शं लैव-े लवै उवके ळयीय फक ऊजाा कभ शोती जाती शं। त्जवके वाथ
अनेक प्रकाय के त्रलकाय ऩैदा शोने रगते शं एवी त्स्थती भं उऩचाय शेत ु वलायोगनाळक कलच एलॊ मॊि परप्रद
शोता शं।
 त्जव घय भं त्रऩता-ऩुि, भाता-ऩुि, भाता-ऩुिी, मा दो बाई एक फश नषिभे जन्भ रेत े शं , तफ उवकी भाता
के सरमे असधक कद्शदामक त्स्थती शोती शं। उऩचाय शेत ु भशाभृत्मुॊजम मॊि परप्रद शोता शं।
 त्जव व्मत्रि का जन्भ ऩरयसध मोगभे शोता शं उन्शे शोने लारे भृत्मु तुल्म कद्श एलॊ शोने लारे योग, सचॊता भं
उऩचाय शेत ु वला योगनाळक कलच एलॊ मॊि ळुब परप्रद शोता शं।
नोट:- ऩूणा प्राण प्रसतत्रद्षत एलॊ ऩूणा चैतन्म मुि वला योग सनलायण कलच एलॊ मॊि के फाये भं असधक जानकायी
शेत ु वॊऩका कयं । >> Shop Online | Order Now

Declaration Notice
 We do not accept liability for any out of date or incorrect information.
 We will not be liable for your any indirect consequential loss, loss of profit,
 If you will cancel your order for any article we can not any amount will be refunded or Exchange.
 We are keepers of secrets. We honour our clients' rights to privacy and will release no information about our
any other clients' transactions with us.
 Our ability lies in having learned to read the subtle spiritual energy, Yantra, mantra and promptings of the
natural and spiritual world.
 Our skill lies in communicating clearly and honestly with each client.
 Our all kawach, yantra and any other article are prepared on the Principle of Positiv energy, our Article dose
not produce any bad energy.

Our Goal
 Here Our goal has The classical Method-Legislation with Proved by specific with fiery chants prestigious full
consciousness (Puarn Praan Pratisthit) Give miraculous powers & Good effect All types of Yantra, Kavach,
Rudraksh, preciouse and semi preciouse Gems stone deliver on your door step.
107 अप्रैर-2015

भॊ ि सवि कलच
भॊि सवि कलच को त्रलळे ऴ प्रमोजन भं उऩमोग के सरए औय ळीघ्र प्रबाल ळारी फनाने के सरए ते जस्ली भॊिो द्राया ळुब भशूता भं ळुब
फदन को तैमाय फकमे जाते शै । अरग-अरग कलच तैमाय कयने के सरए अरग-अरग तयश के भॊिो का प्रमोग फकमा जाता शै ।
 क्मं चुने भॊि सवि कलच?  उऩमोग भं आवान कोई प्रसतफन्ध नशीॊ  कोई त्रलळे ऴ सनसत-सनमभ नशीॊ  कोई फुय ा प्रबाल नशीॊ

भॊ ि सवि कलच वू स च
अभोघ भशाभृत्मुॊजम कलच 10900 श्रात्रऩत मोग सनलायण कलच 1900 तॊि यषा 730
याज याजेद्वयी कलच 11000 * वला जन लळीकयण 1450 ळिु त्रलजम 730
वला कामा सवत्रि कलच 4600 सवत्रि त्रलनामक कलच 1450 त्रललाश फाधा सनलायण 730
श्री घॊटाकणा भशालीय वला सवत्रिप्रद कलच 6400 वकर वम्भान प्रासद्ऱ कलच 1450 व्माऩय लृत्रि 730
वकर सवत्रि प्रद गामिी कलच 6400 आकऴाण लृत्रि कलच 1450 वला योग सनलायण 730
दव भशा त्रलद्या कलच 6400 लळीकयण नाळक कलच 1450 योजगाय लृत्रि 730
नलदुगाा ळत्रि कलच 6400 प्रीसत नाळक कलच 1450 भत्स्तष्क ऩृत्रद्श लधाक 640
यवामन सवत्रि कलच 6400 चॊडार मोग सनलायण कलच 1450 काभना ऩूसता 640
ऩॊचदेल ळत्रि कलच 6400 ग्रशण मोग सनलायण कलच 1450 त्रलयोध नाळक 640
वु लणा रक्ष्भी कलच 4600 अद्श रक्ष्भी 1250 त्रलघ्न फाधा सनलायण 550
स्लणााकऴाण बै यल कलच 4600 भाॊगसरक मोग सनलायण कलच 1250 नज़य यषा 550
*त्रलरषण वकर याज लळीकयण कलच 3250 वॊ तान प्रासद्ऱ 1250 योजगाय प्रासद्ऱ 550
कारवऩा ळाॊसत कलच 2800 स्ऩे- व्माऩय लृत्रि 1050 दुब ााग्म नाळक 460
इद्श सवत्रि कलच 2800 कामा सवत्रि 1050 * लळीकयण (2-3 व्मत्रि के सरए) 1050
ऩयदेळ गभन औय राब प्रासद्ऱ कलच 2350 आकत्स्भक धन प्रासद्ऱ 1050 * ऩत्नी लळीकयण 640
श्रीदुगाा फीवा कलच 1900 स्लत्स्तक फीवा कलच 1050 * ऩसत लळीकयण 640
अद्श त्रलनामक कलच 1900 शॊ व फीवा कलच 1050 वयस्लती (कषा +10 के सरए) 550
त्रलष्णु फीवा कलच 1900 स्लप्न बम सनलायण कलच 1050 वयस्लती (कषा 10 तकके सरए) 460
याभबद्र फीवा कलच 1900 नलग्रश ळाॊसत 910 * लळीकयण ( 1 व्मत्रि के सरए) 640
कुफेय फीवा कलच 1900 बू सभ राब 910 सवि वू मा कलच 550
गरुड फीवा कलच 1900 काभ देल 910 सवि चॊद्र कलच 550
सवॊ श फीवा कलच 1900 ऩदं उन्नसत 910 सवि भॊ गर कलच 550
नलााण फीवा कलच 1900 ऋण भु त्रि 910 सवि फुध कलच 550
वॊ कट भोसचनी कासरका सवत्रि कलच 1900 वु दळान फीवा कलच 910 सवि गुरु कलच 550
याभ यषा कलच 1900 भशा वु दळान कलच 910 सवि ळुक्र कलच 550
शनुभ ान कलच 1900 त्रिळूर फीवा कलच 910 सवि ळसन कलच 550
बै यल यषा कलच 1900 धन प्रासद्ऱ 820 सवि याशु कलच 550
ळसन वाड़ेेव ाती औय ढ़ैमा कद्श सनलायण कलच 1900 सवि केतु कलच 550
उऩयोि कलच के अराला अन्म वभस्मा त्रलळेऴ के वभाधान शे तु एलॊ उदे श्म ऩूसता शे तु कलच का सनभााण फकमा जाता शं । कलच के त्रलऴम भं असधक
जानकायी शे तु वॊऩका कयं । *कलच भाि ळुब कामा मा उदे श्म के सरमे >> Shop Online | Order Now
GURUTVA KARYALAY
Call Us - 9338213418, 9238328785, Our Website:- www.gurutvakaryalay.com and www.gurutvajyotish.com
Email Us:- gurutva_karyalay@yahoo.in, gurutva.karyalay@gmail.com
(ALL DISPUTES SUBJECT TO BHUBANESWAR JURISDICTION)
108 अप्रैर-2015

GURUTVA KARYALAY
YANTRA LIST EFFECTS
Our Splecial Yantra
1 12 – YANTRA SET For all Family Troubles
2 VYAPAR VRUDDHI YANTRA For Business Development
3 BHOOMI LABHA YANTRA For Farming Benefits
4 TANTRA RAKSHA YANTRA For Protection Evil Sprite
5 AAKASMIK DHAN PRAPTI YANTRA For Unexpected Wealth Benefits
6 PADOUNNATI YANTRA For Getting Promotion
7 RATNE SHWARI YANTRA For Benefits of Gems & Jewellery
8 BHUMI PRAPTI YANTRA For Land Obtained
9 GRUH PRAPTI YANTRA For Ready Made House
10 KAILASH DHAN RAKSHA YANTRA -

Shastrokt Yantra

11 AADHYA SHAKTI AMBAJEE(DURGA) YANTRA Blessing of Durga


12 BAGALA MUKHI YANTRA (PITTAL) Win over Enemies
13 BAGALA MUKHI POOJAN YANTRA (PITTAL) Blessing of Bagala Mukhi
14 BHAGYA VARDHAK YANTRA For Good Luck
15 BHAY NASHAK YANTRA For Fear Ending
16 CHAMUNDA BISHA YANTRA (Navgraha Yukta) Blessing of Chamunda & Navgraha
17 CHHINNAMASTA POOJAN YANTRA Blessing of Chhinnamasta
18 DARIDRA VINASHAK YANTRA For Poverty Ending
19 DHANDA POOJAN YANTRA For Good Wealth
20 DHANDA YAKSHANI YANTRA For Good Wealth
21 GANESH YANTRA (Sampurna Beej Mantra) Blessing of Lord Ganesh
22 GARBHA STAMBHAN YANTRA For Pregnancy Protection
23 GAYATRI BISHA YANTRA Blessing of Gayatri
24 HANUMAN YANTRA Blessing of Lord Hanuman
25 JWAR NIVARAN YANTRA For Fewer Ending
JYOTISH TANTRA GYAN VIGYAN PRAD SHIDDHA BISHA
26 YANTRA
For Astrology & Spritual Knowlage

27 KALI YANTRA Blessing of Kali


28 KALPVRUKSHA YANTRA For Fullfill your all Ambition
29 KALSARP YANTRA (NAGPASH YANTRA) Destroyed negative effect of Kalsarp Yoga
30 KANAK DHARA YANTRA Blessing of Maha Lakshami
31 KARTVIRYAJUN POOJAN YANTRA -
32 KARYA SHIDDHI YANTRA For Successes in work
33  SARVA KARYA SHIDDHI YANTRA For Successes in all work
34 KRISHNA BISHA YANTRA Blessing of Lord Krishna
35 KUBER YANTRA Blessing of Kuber (Good wealth)
36 LAGNA BADHA NIVARAN YANTRA For Obstaele Of marriage
37 LAKSHAMI GANESH YANTRA Blessing of Lakshami & Ganesh
38 MAHA MRUTYUNJAY YANTRA For Good Health
39 MAHA MRUTYUNJAY POOJAN YANTRA Blessing of Shiva
40 MANGAL YANTRA ( TRIKON 21 BEEJ MANTRA) For Fullfill your all Ambition
41 MANO VANCHHIT KANYA PRAPTI YANTRA For Marriage with choice able Girl
42 NAVDURGA YANTRA Blessing of Durga
109 अप्रैर-2015

YANTRA LIST EFFECTS

43 NAVGRAHA SHANTI YANTRA For good effect of 9 Planets


44 NAVGRAHA YUKTA BISHA YANTRA For good effect of 9 Planets
45  SURYA YANTRA Good effect of Sun
46  CHANDRA YANTRA Good effect of Moon
47  MANGAL YANTRA Good effect of Mars
48  BUDHA YANTRA Good effect of Mercury
49  GURU YANTRA (BRUHASPATI YANTRA) Good effect of Jyupiter
50  SUKRA YANTRA Good effect of Venus
51  SHANI YANTRA (COPER & STEEL) Good effect of Saturn
52  RAHU YANTRA Good effect of Rahu
53  KETU YANTRA Good effect of Ketu
54 PITRU DOSH NIVARAN YANTRA For Ancestor Fault Ending
55 PRASAW KASHT NIVARAN YANTRA For Pregnancy Pain Ending
56 RAJ RAJESHWARI VANCHA KALPLATA YANTRA For Benefits of State & Central Gov
57 RAM YANTRA Blessing of Ram
58 RIDDHI SHIDDHI DATA YANTRA Blessing of Riddhi-Siddhi
59 ROG-KASHT DARIDRATA NASHAK YANTRA For Disease- Pain- Poverty Ending
60 SANKAT MOCHAN YANTRA For Trouble Ending
61 SANTAN GOPAL YANTRA Blessing Lorg Krishana For child acquisition
62 SANTAN PRAPTI YANTRA For child acquisition
63 SARASWATI YANTRA Blessing of Sawaswati (For Study & Education)
64 SHIV YANTRA Blessing of Shiv
Blessing of Maa Lakshami for Good Wealth &
65 SHREE YANTRA (SAMPURNA BEEJ MANTRA) Peace
66 SHREE YANTRA SHREE SUKTA YANTRA Blessing of Maa Lakshami for Good Wealth
67 SWAPNA BHAY NIVARAN YANTRA For Bad Dreams Ending
68 VAHAN DURGHATNA NASHAK YANTRA For Vehicle Accident Ending
VAIBHAV LAKSHMI YANTRA (MAHA SHIDDHI DAYAK SHREE Blessing of Maa Lakshami for Good Wealth & All
69 MAHALAKSHAMI YANTRA) Successes
70 VASTU YANTRA For Bulding Defect Ending
71 VIDHYA YASH VIBHUTI RAJ SAMMAN PRAD BISHA YANTRA For Education- Fame- state Award Winning
72 VISHNU BISHA YANTRA Blessing of Lord Vishnu (Narayan)
73 VASI KARAN YANTRA Attraction For office Purpose
74  MOHINI VASI KARAN YANTRA Attraction For Female
75  PATI VASI KARAN YANTRA Attraction For Husband
76  PATNI VASI KARAN YANTRA Attraction For Wife
77  VIVAH VASHI KARAN YANTRA Attraction For Marriage Purpose
Yantra Available @:- Rs- 255, 370, 460, 550, 640, 730, 820, 910, 1250, 1850, 2300, 2800 and Above…..
>> Shop Online | Order Now
GURUTVA KARYALAY
92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA, BHUBNESWAR-751018, (ORISSA)

Call Us - 09338213418, 09238328785


Email Us:- chintan_n_joshi@yahoo.co.in, gurutva_karyalay@yahoo.in, gurutva.karyalay@gmail.com
Visit Us: www.gurutvakaryalay.com | www.gurutvajyotish.com | www.gurutvakaryalay.blogspot.com
(ALL DISPUTES SUBJECT TO BHUBANESWAR JURISDICTION)
110 अप्रैर-2015

Gemstone Price List


NAME OF GEM STONE GENERAL MEDIUM FINE FINE SUPER FINE SPECIAL

Emerald (ऩन्ना) 200.00 500.00 1200.00 1900.00 2800.00 & above


Yellow Sapphire (ऩुखयाज) 550.00 1200.00 1900.00 2800.00 4600.00 & above
Blue Sapphire (नीरभ) 550.00 1200.00 1900.00 2800.00 4600.00 & above
White Sapphire (वर्ेद ऩुखयाज) 550.00 1200.00 1900.00 2800.00 4600.00 & above
Bangkok Black Blue(फं क ोक नीरभ) 100.00 150.00 200.00 500.00 1000.00 & above
Ruby (भात्णक) 100.00 190.00 370.00 730.00 1900.00 & above
Ruby Berma (फभाा भात्णक) 5500.00 6400.00 8200.00 10000.00 21000.00 & above
Speenal (नयभ भात्णक/रारडी) 300.00 600.00 1200.00 2100.00 3200.00 & above
Pearl (भोसत) 30.00 60.00 90.00 120.00 280.00 & above
Red Coral (4 यसत तक) (रार भूॊ गा) 75.00 90.00 12.00 180.00 280.00 & above
Red Coral (4 यसत वे उऩय)( रार भूॊ गा) 120.00 150.00 190.00 280.00 550.00 & above
White Coral (वर्ेद भूॊ गा) 20.00 28.00 42.00 51.00 90.00 & above
Cat‟s Eye (रशवु सनमा) 25.00 45.00 90.00 120.00 190.00 & above
Cat‟s Eye Orissa (उफडवा रशवु सनमा) 460.00 640.00 1050.00 2800.00 5500.00 & above
Gomed (गोभे द) 15.00 27.00 60.00 90.00 120.00 & above
Gomed CLN (सवरोनी गोभे द) 300.00 410.00 640.00 1800.00 2800.00 & above
Zarakan (जयकन) 350.00 450.00 550.00 640.00 910.00 & above
Aquamarine (फेरुज) 210.00 320.00 410.00 550.00 730.00 & above
Lolite (नीरी) 50.00 120.00 230.00 390.00 500.00 & above
Turquoise (फर्योजा) 15.00 30.00 45.00 60.00 90.00 & above
Golden Topaz (वु नशरा) 15.00 30.00 45.00 60.00 90.00 & above
Real Topaz (उफडवा ऩुखयाज/टोऩज) 60.00 120.00 280.00 460.00 640.00 & above
Blue Topaz (नीरा टोऩज) 60.00 90.00 120.00 280.00 460.00 & above
White Topaz (वर्ेद टोऩज) 60.00 90.00 120.00 240.00 410.00& above
Amethyst (कटेर ा) 20.00 30.00 45.00 60.00 120.00 & above
Opal (उऩर) 30.00 45.00 90.00 120.00 190.00 & above
Garnet (गायनेट) 30.00 45.00 90.00 120.00 190.00 & above
Tourmaline (तुभा र ीन) 120.00 140.00 190.00 300.00 730.00 & above
Star Ruby (वु माकान्त भत्ण) 45.00 75.00 90.00 120.00 190.00 & above
Black Star (कारा स्टाय) 15.00 30.00 45.00 60.00 100.00 & above
Green Onyx (ओनेक्व) 09.00 12.00 15.00 19.00 25.00 & above
Real Onyx (ओनेक्व) 60.00 90.00 120.00 190.00 280.00 & above
Lapis (राजलात ) 15.00 25.00 30.00 45.00 55.00 & above
Moon Stone (चन्द्रकान्त भत्ण) 12.00 21.00 30.00 45.00 100.00 & above
Rock Crystal (स्र्फटक) 09.00 12.00 15.00 30.00 45.00 & above
Kidney Stone (दाना फर्यॊ गी) 09.00 11.00 15.00 19.00 21.00 & above
Tiger Eye (टाइगय स्टोन) 03.00 05.00 10.00 15.00 21.00 & above
Jade (भयगच) 12.00 19.00 23.00 27.00 45.00 & above
Sun Stone (वन सवताया) 12.00 19.00 23.00 27.00 45.00 & above
50.00 100.00 200.00 370.00 460.00 & above
Diamond (शीया) (Per Cent ) (Per Cent ) (PerCent ) (Per Cent) (Per Cent )
(.05 to .20 Cent )
>> Order Now
Note : Bangkok (Black) Blue for Shani, not good in looking but mor effective, Blue Topaz not Sapphire This Color of Sky Blue, For Venus
111 अप्रैर-2015

वूचना
 ऩत्रिका भं प्रकासळत वबी रे ख ऩत्रिका के असधकायं के वाथ शी आयत्षत शं ।

 रे ख प्रकासळत शोना का भतरफ मश कतई नशीॊ फक कामाारम मा वॊऩादक बी इन त्रलचायो वे वशभत शं।

 नात्स्तक/ अत्रलद्वावु व्मत्रि भाि ऩठन वाभग्री वभझ वकते शं ।

 ऩत्रिका भं प्रकासळत फकवी बी नाभ, स्थान मा घटना का उल्रे ख मशाॊ फकवी बी व्मत्रि त्रलळे ऴ मा फकवी बी स्थान मा
घटना वे कोई वॊफॊध नशीॊ शं ।

 प्रकासळत रे ख ज्मोसतऴ, अॊक ज्मोसतऴ, लास्तु, भॊि, मॊि, तॊि, आध्मात्त्भक सान ऩय आधारयत शोने के कायण
मफद फकवी के रे ख, फकवी बी नाभ, स्थान मा घटना का फकवी के लास्तत्रलक जीलन वे भे र शोता शं तो मश भाि
एक वॊमोग शं ।

 प्रकासळत वबी रे ख बायसतम आध्मात्त्भक ळास्त्रं वे प्रे रयत शोकय सरमे जाते शं । इव कायण इन त्रलऴमो फक
वत्मता अथला प्राभात्णकता ऩय फकवी बी प्रकाय फक त्जन्भे दायी कामाारम मा वॊऩादक फक नशीॊ शं ।

 अन्म रे खको द्राया प्रदान फकमे गमे रे ख/प्रमोग फक प्राभात्णकता एलॊ प्रबाल फक त्जन्भे दायी कामाारम मा वॊऩादक
फक नशीॊ शं । औय नाशीॊ रे खक के ऩते फठकाने के फाये भं जानकायी दे ने शे तु कामाारम मा वॊऩादक फकवी बी
प्रकाय वे फाध्म शं ।

 ज्मोसतऴ, अॊक ज्मोसतऴ, लास्तु, भॊि, मॊि, तॊि, आध्मात्त्भक सान ऩय आधारयत रे खो भं ऩाठक का अऩना
त्रलद्वाव शोना आलश्मक शं । फकवी बी व्मत्रि त्रलळे ऴ को फकवी बी प्रकाय वे इन त्रलऴमो भं त्रलद्वाव कयने ना कयने
का अॊसतभ सनणाम स्लमॊ का शोगा।

 ऩाठक द्राया फकवी बी प्रकाय फक आऩत्ती स्लीकामा नशीॊ शोगी।

 शभाये द्राया ऩोस्ट फकमे गमे वबी रे ख शभाये लऴो के अनुबल एलॊ अनुळॊधान के आधाय ऩय सरखे शोते शं । शभ फकवी बी व्मत्रि
त्रलळे ऴ द्राया प्रमोग फकमे जाने लारे भॊि- मॊि मा अन्म प्रमोग मा उऩामोकी त्जन्भे दायी नफशॊ रे ते शं ।

 मश त्जन्भे दायी भॊि-मॊि मा अन्म प्रमोग मा उऩामोको कयने लारे व्मत्रि फक स्लमॊ फक शोगी। क्मोफक इन त्रलऴमो भं नैसतक
भानदॊडं, वाभात्जक, कानूनी सनमभं के त्खराप कोई व्मत्रि मफद नीजी स्लाथा ऩूसता शे तु प्रमोग कताा शं अथला प्रमोग
के कयने भे िुफट शोने ऩय प्रसतकूर ऩरयणाभ वॊबल शं ।

 शभाये द्राया ऩोस्ट फकमे गमे वबी भॊि-मॊि मा उऩाम शभने वैकडोफाय स्लमॊ ऩय एलॊ अन्म शभाये फॊधग
ु ण ऩय प्रमोग फकमे शं
त्जस्वे शभे शय प्रमोग मा भॊि-मॊि मा उऩामो द्राया सनत्द्ळत वपरता प्राद्ऱ शुई शं ।

 ऩाठकं फक भाॊग ऩय एक फश रे खका ऩून् प्रकाळन कयने का असधकाय यखता शं । ऩाठकं को एक रे ख के ऩून्
प्रकाळन वे राब प्राद्ऱ शो वकता शं ।

 असधक जानकायी शे तु आऩ कामाारम भं वॊऩका कय वकते शं ।

(वबी त्रललादो के सरमे के लर बु ल ने द्वय न्मामारम शी भान्म शोगा।)


112 अप्रैर-2015

FREE
E CIRCULAR
गुरुत्ल ज्मोसतऴ ऩत्रिका अप्रैर-2015
वॊऩादक

सचॊतन जोळी
वॊऩका
गुरुत्ल ज्मोसतऴ त्रलबाग
गुरुत्ल कामाारम
92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA, BHUBNESWAR-751018, (ORISSA)
INDIA

पोन

91+9338213418, 91+9238328785
ईभेर
gurutva.karyalay@gmail.com,
gurutva_karyalay@yahoo.in,

लेफ
www.gurutvakaryalay.com
www.gurutvajyotish.com
http://gk.yolasite.com/
www.gurutvakaryalay.blogspot.com
113 अप्रैर-2015

शभाया उदे श्म


त्रप्रम आत्त्भम

फॊध/ु फफशन

जम गुरुदे ल

जशाॉ आधुसनक त्रलसान वभाद्ऱ शो जाता शं । लशाॊ आध्मात्त्भक सान प्रायॊ ब शो जाता शं , बौसतकता का आलयण ओढे व्मत्रि
जीलन भं शताळा औय सनयाळा भं फॊध जाता शं , औय उवे अऩने जीलन भं गसतळीर शोने के सरए भागा प्राद्ऱ नशीॊ शो ऩाता क्मोफक
बालनाए फश बलवागय शं , त्जवभे भनुष्म की वपरता औय अवपरता सनफशत शं । उवे ऩाने औय वभजने का वाथाक प्रमाव शी श्रेद्षकय
वपरता शं । वपरता को प्राद्ऱ कयना आऩ का बाग्म शी नशीॊ असधकाय शं । ईवी सरमे शभायी ळुब काभना वदैल आऩ के वाथ शं । आऩ
अऩने कामा- उदे श् म एलॊ अनुकूरता शे तु मॊि, ग्रश यत्न एलॊ उऩयत्न औय दर
ु ाब भॊि ळत्रि वे ऩूणा प्राण-प्रसतत्रद्षत सचज लस्तु का शभं ळा
प्रमोग कये जो १००% परदामक शो। ईवी सरमे शभाया उदे श्म मशीॊ शे की ळास्त्रोि त्रलसध-त्रलधान वे त्रलसळद्श ते जस्ली भॊिो द्राया सवि
प्राण-प्रसतत्रद्षत ऩूणा चैतन्म मुि वबी प्रकाय के मन्ि- कलच एलॊ ळुब परदामी ग्रश यत्न एलॊ उऩयत्न आऩके घय तक ऩशोचाने का शं ।

वूम ा की फकयणे उव घय भं प्रले ळ कयाऩाती शं ।


जीव घय के त्खड़ेकी दयलाजे खु रे शं।

GURUTVA KARYALAY
92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA, BHUBNESWAR-751018, (ORISSA)
Call Us - 9338213418, 9238328785
Visit Us: www.gurutvakaryalay.com | www.gurutvajyotish.com | www.gurutvakaryalay.blogspot.com
Email Us:- gurutva_karyalay@yahoo.in, gurutva.karyalay@gmail.com

(ALL DISPUTES SUBJECT TO BHUBANESWAR JURISDICTION)

(ALL DISPUTES SUBJECT TO BHUBANESWAR JURISDICTION)


114 अप्रैर-2015

APR
2015

You might also like