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चार गाय

-आनंद गप्ु ता
-8ए
-ह द
ं ी पररयोजना कायय
एक बार एक जंगल में चार गाय र ती थी।
वे सारी अच्छी दोस्त थी। वे साथ में घास
चरती और संकट के समय में एक दस ू रे की
मदद करती थी।
म मेशा
दोस्त र ें गे! आं!!

कभी-भी
अलग एक
न ी दस
ू रे की
ोंगे! मदद
करें गे!
तो फिर शुब्भ
काम में दे री
कैसी।
मला!!!
ां बाघ
भाई शेर भाई, इन
चारों को खाने
में मजा
आयेगा!!
उनकी ऐकता की वज से शेर और बाघ भी
उनका बाल बाका न ीं कर सकते थे।
परं तू एक हदन उनके बीच झगडा ो गया
ओर वे अलग-अलग ो गयीं। वे अलग-
अलग घास चरने लगी
तमु लेग मेरे भला म जब एक घंटे तक
बबना घास चरने रुके थे तब ये बात न ी सूजी
कैसे जा सकती की र हदन तुम तीन मेशा
ो। म तो दे र से आती ो, बताऔ-
ब न ै ना!! बताऔ!!

और तुम लोग तो मेरी


बात ी न ी सन ु ाते ो,
सरू ज ढलने से २ घंटे
कभी ये तुमने
प ले का समय ोता ै , सोचा की तुम
कोई एक घंटे प ले आता जल्दी आती
तो कोई एक घंटे बाद!! ोगी!!
और ये बात शेर और बाघ को पता लग
गई।
वा ! ये
तो बडी
अच्छी शेर भाई, पता चला ै
खबर ै की चारों गाय के बीच
झगडा ऊआ ै और
वे अलग ो गई ै
एक हदन शेर और बाघ एक झांड के पीछे
छछप गए और गाय का इंतजार करने लगे।
शेर भाई इस झाड
के पीछे छछपे र ो,
जब गाय आएगी ा, और फिर मजे से
तो उसपे कूद उसको खायेंगे
पडेंगे
कुछ समय बाद जब गाय आई तो शेर और
बाघ उसपे कूद पडे और उसको खा गए।
ऐसे ी वे चारों गाय को खा गय।
नैतिक सीख:
ऐकता सबसे बडी शक्तत ै।

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