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पाठ - 7 कक्षा 10
पाठ - 7 कक्षा 10
ु र्दरता है ।)
पाठ की हहन्र्दी –
शेर सख
ु पव
ू क
व आराम कर रहा है , तभी एक बंर्दर आकर उसके पूँछ
ू को
घम
ु ा र्दे ता है । क्रोधित शेर उसे मारना चाहता है , परं तु बंर्दर कूर्दकर पेड़
पर चढ़ जाता , तभी अचानक ही वक्ष
ृ से र्दस
ू रा बंर्दर शेर के कान को
खींचकर फिर से वक्ष
ृ पर चढ़ जाता है । इसी प्रकार बंर्दर बार-बार शेर को
परे शान करते हैं। क्रोधित शेर इिर-उिर र्दौड़ता है, गरजता है परं तु कुछ
भी करने में असमर्व रहता है। बंर्दर हं सते हैं और पेड़ पर बैठे हुए अनेक
प्रकार के पक्षी भी शेर की ऐसी अवस्र्ा को र्दे खकर प्रसन्नता से ममधित
आवाज करते हैं।
शेर - (क्रोि से गरजता हुआ) अरे मैं जंगल का राजा हूं। क्या आप सब
को डर नहीं लगता है? मझ
ु े क्यों इस प्रकार से आप सब परे शान कर
रहे हैं?
जो र्दस
ू रों के द्वारा सताए गए और शारीररक रूप से पीडडत गए
जानवरों की रक्षा नहीं करता है, वह तनस्सन्र्दे ह ही शरीर िारण फकए हुए
यमराज के समान होता है।
कौआ – हाूँ, तम
ु सत्य कह रहे हो। वास्तव में मैं जंगल का राजा बनने
के योग्य हूूँ।
(हार्ी उस वक्ष
ृ को ही अपनी सूँड
ू से घम
ु ाना चाहता है परन्तु बन्र्दर तो
कूर्दकर र्दस
ू रे वक्ष
ृ पर चढ़ जाता है। इस प्रकार हार्ी को एक पेड़ से
र्दस
ू रे पेड़ की ओर र्दौड़ता हुआ र्दे खकर शेर भी हूँसता है और कहता है ।)
मोर - (वक्ष
ृ के ऊपर से जोर से हूँसते हुए) अधिक आत्मप्रशंसा मत करो।
क्या तम
ु नहीं जानते फक –
बगुला – शेर ने बबल्कुल सही कहा। वास्तव में शेर ने बहुत विों तक
शासन फकया, अब तो कोई पक्षी ही राजा बने ऐसा हमें तनश्चय करना
चाहहए । इसमें संशय की कोई आवश्यकता नहीं है ।
सभी पक्षी - ( जोर से ) हाूँ हाूँ, कोई पक्षी ही राजा होगा।
भयानक स्वभाव वाले, अतत क्रोिी, तनर्दव यी और अषप्रय बोलने वाले उल्लू
को राजा बनाकर हम क्या सिलता प्राप्त कर लेंगे |
(प्रेम से ) अरे अरे प्राणणयों! तुम सब मेरे बच्चे हो। क्यों आपस में लड़ाई
कर रहे हो? वास्तव में सभी जीव एक -र्दस
ू रे पर आधित होते हैं। हमेशा
यार्द रखो –
प्रकृतत माता – मैं प्रकृतत आप सब की माता हूं । तुम सब मेरे षप्रय हो।
सबका समय – समय पर मेरे मलए महत्व है , इसमलए बेकार में लड़ाई
करके अपने समय को बबावर्द मत करो अषपतु ममलकर प्रसन्नता पव
ू क
व
रहो और अपने रसमय बनाओ। इसमलए कहा गया है -
प्रजा के सुख में ही राजा का सुख होता है और प्रजा के हहत में ही राजा
का हहत होता है। राजा को केवल अपने हहत के बारे में नहीं सोचना
चाहहए अषपतु प्रजा के षप्रय और हहत के बारे में सोचना चाहहए।
और भी कहा गया है -
गहरे पानी में रहने वाली रोहहत मछली कभी घमंड नहीं करती है , जबफक
अंगठ
ू े भर पानी में रहने शिरी मछली िुर्दकती रहती है ।
सभी प्रकृतत माता को प्रणाम करते है और दृढ संकल्प के सार् गाते हैं-