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ब्रह्मां ड की समर्वभौमिक चेतनम अल्लमह है ?

इस पोस्ट िें हि मर्चमर करें गे की कुरमन िें जो अल्लमह कम मर्र्रण मियम गयम है र्ह अल्लमह सांपूणव सृमि के
अांिर व्यमप्त है अथर्म इस सृमि से बमहर खडम हो करके मकसी प्रकमर से इस सृमि कम सांचमलन कर रहम है ?
कुरमन िें कहम गयम:“यमि तु म्हें कोई सांिेह हो तो िे खो हिने तु म्हें मिट्टी से पैिम मकयम मिर मिर लोथडे से
मिर िमां स की बोटी से तममक हि तुि पर अपने अस्तित्व को स्पि कर िें .” यह सही है मक अल्लमह ने हिें
पैिम मकयम ले मकन जब अल्लमह ने हिें पैिम मकयम तो र्ह अल्लमह हिमरे अांिर थम अथर्म हिमरे बमहर थम--
इस प्रश्न कम उत्तर इस आयम से स्पि नहीां होतम है . िोनोां ही सांभमर्नमएां इस आयम से िेल खमती है .

अल्लमह ने बमहर से ब्लै क होल िें मर्स्फोट कर इस सृमि को पैिम मकयम अथर्म अांिर से ही ब्लै क होल िें
मर्स्फोट कर इस सृमि को पैिम मकयम?

कुरमन| अल्लमह|ब्लै क होल|मिट्टी|र्ीयव| लोथडे |िमां स की बोटी

पमरां पररक मर्चमर है मक अल्लमह इस सृमि के बमहर है और बमहर से र्ह हिें सांचमलन कर रहम है . जैसे
अल्लमह ने बमहर से ब्लै क होल िें मर्स्फोट मकयम होगम.र्ैकस्तिक मर्चमर है की अल्लमह इस ब्लै क होल के
अांिर ही थम और इस ब्लै क होल िें व्यमप्त थम और उसने स्वयां अपनम ही मर्स्फोट करके इस सृमि को पैिम
मकयम.

इस मिशम िें इस्लमिी मर्चमरक कहते हैं मक हिें इस बमत कम कोई ज्ञमन नहीां है की अल्लमह कैसे स्वयां
अस्तित्व िें आए? इसी बमत को बढमते हुए हि यह भी कह सकते हैं मक हिें इस बमत कम कोई ज्ञमन नहीां है
की अल्लमह कम स्वरूप क्यम है ?एक सांभमर्नम है मक अल्लमह इस सृमि की सर्व व्यमपी चे तनम है . जैसे कुरमन
िें कहम गयम “क्यम तुिने िे खम नहीां मक अल्लमह ही को सजिम करते हैं र्े सब जो आकमश िें है और धरती
िें है और सूयव चां द्रिम तमरे पहमड र्ृक्ष जमनर्र और बहुत से िनुष्य.” पुनः कहम गयम “हिने अिमनत को
आकमश और धरती और पर्वतोां के सिक्ष प्रिु त मकयम मकांतु उन्ोांने उसे उठमने से इनकमर कर मियम और
उससे डर गए ले मकन िनु ष्य ने उसे उठम मलयम.” इन आयो से स्पि है मक कुरमन के अनुसमर सूयव चां द्रिम तमरे
पहमड र्ृक्ष इन सब िें चे तनतम है क्योांमक जब चे तनतम होगी तभी र्ह अल्लमह को सजिम कर सकते हैं
अथर्म अिमनत को स्वीकमर एर्ां अस्वीकमर कर सकते हैं .

इब्न अरबी|अलहे य|कुरमन|सैयि हुसैन नस्र|िू मतव पूजम|

इब्न अरबी के अनुसमर “अल्लमह कम जो नमि है “अलहे य,” इसकम अथव “जीर्ांत” है इसमलए उससे केर्ल
जीर् ही उत्पन्न हो सकते हैं . सांपूणव सृमि ही जीमर्त है . र्मिर् िें सृमि िें ऐसी कोई र्िु है ही नहीां जो
जीमर्त नहीां है इसमलए मजसे आप अजीर् िमनते हैं र्ह र्मिर् िें जीर्ांत है .” कुरमन के अनुर्मिक सैयि
हुसैन नस्र कहते हैं की “एक पत्थर क्योांमक र्ह अस्तित्व िें है इसमलए जीर्ांत अल्लमह कम प्रस्फुटन है और
उसके पमस ज्ञमन, आत्मशस्ति और बुस्ति िनुष्य और पररयोां की तरह ही है ले मकन पत्थर के िर पर
अल्लमह कम प्रस्फुटन बहुत सूक्ष्म िर पर है .” इन र्िव्योां से स्पि है मक सांपूणव सृमि कम जीर्ांत होनम कुरमन
से सम्मत है .

पत्थर िें चे तनतम होने से िू मतव पूजम कम सिथव न होतम है ?

इस मर्चमरधमरम िें सिस्यम उत्पन्न होती है यमि हि िमनते हैं मक पत्थरोां िें चे तनतम है तो यह िू मतव पूजम कम
सिथव न हो सकतम है . ले मकन यहमां पर अांतर है . िू मतव के पत्थर िें जो जीर्ांततम है र्ह बहुत सूक्ष्म िर पर है
ले मकन जबमक िू मतव के रूप िें मनमहत ईश्वर की ऊांची चेतनतम होती है . इसमलए पत्थर िें चेतनतम होने से
िू मतव पूजम कम सिथव न नहीां होतम है . िू मतव पूजम एक अलग मर्षय है मजस पर अन्यत्र मर्चमर मकयम जम सकतम
है .
अल्लमह आकमशोां और धरती कम प्रकमश है .

अल नूर 24:35|अल जलमलयन|सूयव और चां द्रिम|जैतून र्ृक्ष|जैतून िल|जैतून ते ल|िमनूस|अल्लमह नूर|

अब हि सुरम अल नूर 24.35 पर मर्चमर करें गे. इस आयम िें कहम गयम “अल्लमह कम प्रकमश ऐसम है जैसे
एक िरमर िें मचरमग है , मचरमग एक िमनूस िें है , र्ह िमनूस िमनो चिकतम हुआ कोई तमरम हो, र्ह मचरमग
जैतून के ते ल से जलमयम जमतम है जो मक न पूर्ी है नम पमििी, उसकम तेल आप ही आप भडकतम है , प्रकमश
पर प्रकमश, अल्लमह मजसे चमहतम है अपने प्रमप्त होने कम िमगव मिखम िे तम है .” इस आयम के िो इां टरप्रटे शन
हो सकते हैं .

यहमां जो अल्लमह के प्रकमश की बमत की गई र्ह प्रकमश इस सृमिके अन्दर भी हो सकतम है जैसे सूयव इस
सृमि िें है , और इसके बमहर भी हो सकतम है . इस मर्षय को सिझने के मलए हि इस आयम के अलग-
अलग शब्ोां पर मर्चमर करें गे और िे खेंगे मक र्ह िोनोां मर्चमरधमरमओां से सम्मत है यम नहीां.

इस आयम कम पहलम शब् है “अल्लमह नूर” अथर्म “अल्लमह रोशनी है .” अल जलमलयन के अनुसमर यह नूर
सूयव और चां द्रिम कम प्रकमश है . ले मकन अल्लमह कम यह प्रकमश सूयव और चां द्रिम के अांिर है अथर्म सूयव और
चां द्रिम के बमहर है इसकम इस आयम िें स्पि मर्र्रण नहीां है और यह िोनोां से सम्मत हो जमतम है .

अगलम शब् है “आकमश और धरती कम” यमनी “अल्लमह रोशनी है आकमश और धरती कम.” अल्लमह बमहर
रहकर सांपूणव आकमश और धरती को प्रकममशत भी कर सकतम है और अांिर से भी आकमश और धरती को
प्रकममशत कर सकतम है .
आगे कहम गयम “उिमहरण रोशनी.” इन शब्ोां िें अल्लमह शब् नहीां है . हि अल्लमह शब् को मकस स्थमन
पर जोडें गे उससे इन शब्ोां कम अथव बिल जमतम है . जैसे कहम जमए के “अल्लमह की रोशनी कम उिमहरण”
कुछ है तो अल्लमह और रोशनी िोनोां अलग-अलग सत्तमएां हो जमती हैं क्योांमक अल्लमह की रोशनी उससे
अलग है . ले मकन यमि कहम जमए की “अल्लमह कम उिमहरण रोशनी है ” तो अल्लमह और रोशनी एक ही
सत्तम हो जमती है . इसमलए ये शब् भी अल्लमह के िोनोां रूपोां से सम्मत है .

इसके बमि कहम गयम “िरमर िें मियम.” पमरां पररक मर्र्रण िें हि िमनते हैं मक जैसे पहमड िें कोई िरमर थी
उसिें एक मियम जल रहम थम. ले मकन यहमां “िरमर” शब् कम अथव अांतररक्ष की शुन्यतम भी हो सकत है मजसिे
मर्स्फोट हुआ हो सकतम है. हि यह भी सोच सकते हैं मक शून्यतम िें यह मियम जल रहम थम.

अल नूर 24:35 िें कहम गयम मक मियम कमां च िें है .

िमनूस|ब्लै क होल|जैतून र्ृक्ष|सजमरम|जैतून िल|जैतून ते ल|इब्न अब्बमस|जलमलयन|इब्न खमतर|िौिू िी|प्रॉमिट


िोहम्मि|

इसके बमि कहम गयम मक “मियम कमां च िें है .”यहमाँ कमां च कम अथव र्ह पमरिमशवतम से है . इसमलए “मियम कमां च
िें ” कम अथव यह भी हो सकतम है मक जैसे िमनूस के कमांच के अांिर मियम जलतम है उसी प्रकमर इस सांपूणव
सृमि मक शून्यतम िें एक ब्लै क होल थम मजसिे मर्स्फोट हुआ.

इसके बमि कहम गयम “कमां च िें जैसे तमरम.” जैसे िमनूस के अांिर यमि मियम जलतम है तो हि उसको तमरे के
सिमन िमन सकते हैं अथर्म हि यह भी िमन सकते हैं मक सांपूणव अांतररक्ष की शून्यतम िें कहीां एक ब्लै क
होल चिक रहम थम.
इसके बमि कहम गयम “जलमयम.” यमनी कमां च िें जैसे मियम को जलमयम अथर्म जलमने कम अथव ऐसम भी हो
सकतम है मक सांपूणव अांतररक्ष िें जो ब्लै क होल थम र्ह स्वयां मर्स्फोमटत हुआ.

जैतून कम अथव ते ल और जैतून िल िोनोां होतम है .

इसके बमि कहमगयम “मिव्य जैतून र्ृक्ष.” यहमां र्ृक्ष के मलए “सजमरम” शब् कम उपयोग मकयम गयम है मजसकम
एक अथव “बढमनम” भी होतम है ; और “जैतून”के मलए “जयतु नमह” शब् कम उपयोग मकयम गयम मजसकम अथव
ते ल और जैतून िोनोां होतम है . इसमलए “मिव्य जैतून र्ृक्ष” को हि िो प्रकमर से सिझ सकते हैं .एक यह मक
“मिव्य जैतून के र्ृक्ष के तेल” से मियम जलमयम गयम. िू सरम अथव यह भी हो सकतम है मक ब्लै क होल के अांिर
जो अल्लमह की मिव्य शस्ति थी उसे ईांधन कहम गयम और उस शस्ति से उस ब्लै क होल को बढमयम गयम.

इसके बमि कहम गयम “न पूरब कम पमिि.” इब्न अब्बमस, जलमलयन, इब्न खमतर, िौिू िी सभी पूरब और
पमिि को धरती के पूरब और पमिि मिशमओां से जोडते हैं . ले मकन सृमि के िर पर “न पूरब और न पमिि”
कम अथव यह भी हो सकतम है मक सांपूणव सृमि िें कोई मबांिु नहीां है अथर्म सांपूणव सृमि की शून्यतम िें जो ब्लै क
होल थम र्ह “न पूरब कम पमिि” िें थम.

इसके बमि कहम गयम “मजसकम ते ल प्रकममशत हुआ.”इसकम अथव यह हो सकतम है मक जैतून के तेल से मिए
को जलमयम गयम और र्ह प्रकममशत हुआ; और यह भी हो सकतम है मक ब्लै क होल के अांिर जो अल्लमह की
शस्ति थी उसने अपने को मर्स्फोमटत मकयम और प्रकममशत हुई.

इसके बमि कहम गयम “मबनम अमि के सांपकव के.” यह भी कह सकते हैं की अल्लमह की मिव्य शस्ति ने बमहर
से जैतून के ते ल के िीए को मबनम अमि के जलम मियम; और यह भी िमन सकते हैं मक ब्लै क होल िें जो
मर्स्फोट हुआ र्ह स्वयां मबनम बमहरी अमि के हुआ.
इसके बमि प्रिु ख शब् हैं “रोशनी पर रोशनी.” इब्न अब्बमस के अनुसमर यहमां प्रोिेट िोहम्मि की रोशनी
की बमत की गई है . अल असरमर के अनुसमर “मर्शमलतम, सौांियवतम, मिव्यतम, आमि” को बतमयम गयम है . इब्न
खमतर के अनुसमर यह कुरमन की रोशनी है . जममहर है मक मर्मभन्न मर्चमरकोां ने इस रोशनी की अपनी-अपनी
तरह से व्यमख्यम की है . हि सुझमर् िे नम चमहें गे मक जब ब्लै क होल के अांिर मर्स्फोट हुआ तो उसकी चेतनम
कम मर्भमजन हुआ. कुछ चे तनम ऊांची हो गई और कुछ नीची हो गई. यह जो चे तनम कम अांतर हुआ, इसे
कहम गयम “रोशनी पर रोशनी” अथर्म “नीची चे तनम पर ऊांची चे तनम.”

इन र्ैकस्तिक अथों को यमि हि जोडें तो इस आयम कम अनुर्मि इस प्रकमर मनकलतम है :“अल्लमह इस सृमि
की रोशनी है , उसकम उिमहरण र्ह रोशनी है मक जो एक िरमर िें मिए के सिमन है , र्ह मियम शून्यतम िें है ,
उसिें मिव्य आां तररक ईांधन से मर्स्फोट हुआ और उस मर्स्फोट से ऊांची चे तनम से नीची चे तनम पर प्रभमर्
स्थममपत हुआ.” यमि हि इस प्रकमर से इस आयम को सिझें तो यह अल्लमह के इस सांपूणव सृमि के अांिर
होने से िे ल खमतम है .

अल्लमह ने पिमथव , जीर्न और िन की रचनम की,ले मकन अल्लमह मक रचनम मकसने की?

पिमथव | जीर्न|िन|मिमलप गोफ़|इले क्ट्रॉन|क्वमकव|एमिल डकवहमईि|कमलव युांग|यूमनर्सवल कॉन्शसनेस|

इस मचत्र िें हिने इस मर्कमस की प्रमियम कम मचत्रण मकयम है . ले फ्ट समइड िें जो कमली पट्टी है र्ह ब्लै क
होल है . इसिें मर्स्फोट के बमि मर्कमस होतम है तो हि िममहने तरि आगे बढ रहे हैं . पहले िैटर पैिम हुआ
मिर लमइि पैिम हुई मिर िमइां ड पैिम हुआ. इस मर्कमस को ऊपर जो बैंड िें अल्लमह यम यूमनर्सवल
कॉन्शसनेस मलखम गयम है उसने प्रेररत मकयम. अथर्म ऊपर र्मले बैंड िें स्तस्थत अल्लमह ने ऊपर से नीचे जमने
र्मले तीर के िमध्यि से सृमि को मर्कमस के मलए आगे बढमयम.

अब हि इस मर्चमर कम िॉडनव समइां स ए समथ समिां जस्य बैठमने कम प्रयमस करें गे. आधु मनक मर्ज्ञमन िें एक
मर्चमरधमरम पेनसमइमकजि की है . इस मर्चमरधमरम के प्रिु ख प्रर्तव क मिमलप गोफ़ कम कहनम है की भौमतक
िु मनयम के सबसे िौमलक घटकोां जैसे इले क्ट्रॉन और क्वमकवभी अकिनीय सूक्ष्म अनुभर् करते हैं . यमनी मजस
प्रकमर कुरमन िें कहम गयम की पहमड आिी सजिम करते है उसी प्रकमर मिमलप गोफ़ कहते हैं मक इले क्ट्रॉन
अनुभर् करतम है . िोनोां कम िे ल है .

अल्लमह “सिमज”के सहभमगीयोां की चे तनमओां कम एकीकरण है -सिमजशमस्त्री एमिल डकवहमईि.


एमिल डकवहमईि| हमइडर ोजन और ऑक्सीजन| पत्थर, पहमड, र्ृक्ष, पशु और िनुष्य|

इसके आगे सिमजशमस्त्री एमिल डकवहमईि कहते हैं मक “सिमज” सहभमगीयोां के मर्चमर और भमर्नमओां कम
एकीकरण है . मजस प्रकमर हमइडर ोजन और ऑक्सीजन के मिलने से पमनी उत्पन्न होतम है जोमक पूणवतयम नयम
है ; इसी प्रकमर सहभमगीयोां की व्यस्तिगत चेतनमओां के जोड से समिू महक चेतनम बनती है जो मक मबलकुल
नयी होती है . हमइडर ोजन और ऑक्सीजन िो अलग-अलग प्रकमर के अणु है ले मकन जब र्ह जुड जमते हैं तो
र्े पमनी बन जमते हैं जो मक िोनोां से मबल्कुल अलग र्िु है . इसी प्रकमर हि कह सकते हैं मक सृमि िें मजतने
पत्थर, पहमड, र्ृक्ष, पशु और िनुष्य है इनकी चे तनम आपस िें जुड जमती है . हिमरम सुझमर् है मक सांपूणव सृमि
के सहयोग से उत्पन्न हुई इस चे तनम को ही हि अल्लमह के रूप िें जमनते हैं .
युांग के अनुसमर हिमरीबुस्ति स्वयां अपने को मर्कमसत करती है . इसी प्रकमर अल्लमह स्वयां मर्कमस को प्रमप्त
होतम है .
ब्लै क होल| सांयुि चेतनतम| मर्स्फोट| कमलव युांग|

िनोर्ैज्ञममनक कमलव युांग कहते हैं “हि यह सोचकर हसेंगे की एक पौधम यम पशु अपने को स्वयां बिल
सकतम है ले मकन बुस्ति अपनी र्तव िमन चेतनतम मक स्तस्थमत िें उसी प्रकमर आई है जैसे एक बरगि कम बीज
र्ृक्ष बनतम है .” युांग के अनुसमर हिमरी र्तव िमन बुस्ति स्वयां नीचे से ऊपर उठी है और स्वयां उसने अपने को
मर्कमसत मकयम है . इन आधमर पर हि कह सकते हैं मक ब्लै क होल की सांयुि चे तनतम ने स्वयां अपने िें
मर्स्फोट मकयम और अपने को बढमयम. तब उस सम्पू णव चे तनम िें चेतनम के अलग अलग स्टमर पैिम हो गए.

ब्लै क होल के असांख्य महस्ोां की चेतनम आपस िें जुड कर सृमि की चे तनम यम अल्लमह बन जमती है .

ब्लै क होल|मर्स्फोट| चेतनम| अल्लमह| गर्नव| नमगररक| रमिरपमत|


अब मपचले मचत्र िें मिए गए ऊपर से नीचे आने र्मले तीर के समथ-समथ हिने नीचे से ऊपर जमने र्मले तीर
को जोड मियम है . जैसे ब्लै क होल िें मर्स्फोट हुआ और िै टर पैिम हुआ तो िैटर की चे तनम कम मर्िमर
हुआ मजसे ऊपर जमने र्मले तीर से िशमव यम गयम है . इस चे तन से सृमि की चे तनतम पैिम हुई और उसे हि
अल्लमह कम नमि िे ते हैं . सृमि की इस चे तनतम ने पुनः उस िै टर को गर्नव मकयम. जैसे मकसी िे श के
नमगररक अपने रमिरपमत को चु नते हैं और चु न मलए जमने के बमि र्ही रमिरपमत उन पर गर्नव करतम है . इसी
प्रकमर सांपूणव सृमिकी चे तनतम ऊपर उठी और उस सांयुि चे तनम को अल्लमह कम नमि मियम गयम. मिर
अल्लमह ने उसी सृमि को बढमयम. यह र्ैज्ञममनक मर्चमरधमरम से िे ल खमतम है .

इस मर्चमरधमरम िें एक आपमत्त यह हो सकती है अल्लमह को ब्लै क होल िें सिममहत करनम उसे सीमित
करनम है . ले मकन यह सही नहीां है . कमरण मक ब्लै क होल कम र्जन है असीमित है . ब्लै क होल के र्जन की
असीमिततम और अल्लमह की शस्ति की असीमिततम िोनोां एक िू सरे से िे ल खमखमते है . इसमलए अल्लमह
को यमि हि ब्लै क होल िें िमनते हैं तो उसकी असीमिततम कम रूप िमत्र बिलतम है . इससे अल्लमह कम
मलमिटे शन पैिम नहीां होतम है .

अब हि कुरमन की अल इख्लमस सूरम मक चमर आयोां पर मर्चमर करें गे. इस सूरम िें अल्लमह के अस्तित्व पर
मचां तन मकयम गयम है . कहम गयम मक “अल्लमह एक है .”अतः जो सांपूणव सृमि की यूमनर्सवल कॉन्शसनेस है
अथर्म सांपूणव सृमि की चेतनतम कम सांयोग है र्ह एक है क्योांमक र्ह सांपूणव सृमि को सिममहत करतम है .

िू सरी आयम िें कहम गयम “अल्लमह सब की शरण है उसी पर सब मनभव र है .” तो जब सांपूणव सृमि की चे तनतम
ने ऊांचम िर ले मलयम मजसे हि अल्लमह के नमि से जमनते हैं तो उस ऊांची चे तनतम पर सब मनभव र हो जमते है
उसी प्रकमर जैसे एक रमिरपमत पर सभी नमगररक मनभव र हो जमते हैं .

तीसरी आयम िें कहम गयम “र्ह न मकसी से उत्पन्न हुआ है न र्ह मकसी को उत्पन्न करतम है .” यहमां पर सिझ
यह है मक अल्लमह मनरां तर है . ब्लै क होल िें मर्स्फोट हुआ उसके पहले भी अल्लमह हो सकतम है . िॉडनव
समइां स इस बमत कम कोई उत्तर नहीां िे ती मक ब्लै क होल के पहले सृमि कम क्यम रूप थम. सांभर् है मक ब्लै क
होल के पहले जो भी सृमि कम रूप हुआ हो र्ही अल्लमह थम और उसिें मनरां तरतम बनी हुई है . यमनी
मर्स्फोट को शुन्य से नयी सृमि कम उत्पन्न होनम नहीां िमनते हैं बस्तल्क र्ह मर्स्फोट सृमि की मनरां तरतम की
एक छोटी सी घटनम कही जम सकती है .

चौथी आयम िें कहम गयम “उसकी कोई बरमबरी नहीां है .” यह भी मबल्कुल सही है . यमि अल्लमह यूमनर्सवल
कॉन्शसनेस है तो यूमनर्सवल होने के कमरण उसकी कोई बरमबरी नहीां है चूाँ मक सब कुछ उसी िें है .

इस प्रकमर अल्लमह की िो किनम हो सकती है . एक यह मक अल्लमह हिमरी सृमि के बमहर है और िू सरम


यह की अल्लमह इस सृमि के अांिर है . िोनोां कुरमन से सम्मत है . अांतर यह है की यमि हि अल्लमह को इस
सृमि के अांिर िमनते हैं तो यह आधु मनक मर्ज्ञमन से िे ल खमतम है जैसम मक पेनसमइमकजि आमि
मर्चमरधमरमओां िें कहम गयम है .
कुरमन और मर्ज्ञमन को समथ िें रखनम है .

कुरमन|मर्ज्ञमन|इां डोनेमशयम|स्टे ट इस्लममिक यूमनर्मसवटी सोरमबमयम|मटयोशिी पमत्रकम|

हिें कुरमन और मर्ज्ञमन को समथ िें रखनम है जैसम इस मचत्र िें मिखमयम गयम है . कुरमन बहुत समरी बमतें
कहती है और मर्ज्ञमन बहुत समरी बमतें कहतम है . हिमरम यह आशय नहीां है मक यह िोनोां एक ही है . हि इन
िोनोां के बीच िें जो कॉिन एररयम है उस को मचस्तन्त करें और मिर इन िोनोां को सिझने की कोमशश करें
जैसम इस मचत्र िें मिखमयम गयम है . इसी दृमि से कुरमन िें कहम गयम “अल्लमह की दृमि िें र्ह बहरे गूांगे हैं जो
बुस्ति से कमि नहीां ले ते.” हि बुस्ति से कमि ले नम चमहते हैं .
इस मर्षय पर इां डोनेमशयम की स्टे ट इस्लममिक यूमनर्मसव टी सोरमबमयम द्वमरम प्रकममशत मटयोशिी पमत्रकम िें
हने एक मर्िृ त ले ख प्रकममशत मकयम है मजसे आप मनचे मिए गए मलां क िें िे ख सकते हैं .
http://jurnalfuf.uinsby.ac.id/index.php/teosofi/article/view/1691/1263

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