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प रभाषा: अलंकार का शा क अथ होता है - 'आभूषण, िजस

कार ी की शोभा आभूषण से उसी कार का की शोभा


अलंकार से होती है अथात जो िकसी व ु को अलंकृत करे वह
अलंकार कहलाता है।
अलंकार को ाकरण शा यों ने उनके गु णों के आधार पर तीन
भी िकया ह- श ालंकार, अथालंकार और उभयालंकार।
श ालंकार दो श ों से िमलकर बना होता है – श + अलंकार ,
िजसके दो प होते ह – नी और अथ। जब अलंकार िकसी िवशे ष
श की थित म ही रहे और उस श की जगह पर कोई और
पयायवाची श का इ ेमाल कर दे ने से उस श का अ ही
न बचे तो ऐसी थित को श ालंकार कहते ह।
अथात िजस अलंकार म श ों का योग करने से कोई चम ार हो
जाता है और उन श ों की जगह पर समानाथ श को रखने से वो
चम ार कही ं गायब हो जाता है तो, ऐसी ि या को श ालंकार
कहा जाता है।
श ालंकार के 6 भेद ह:
1. अनु ास
2.यमक
3.पुन
4.िव ा
5.व ो
6. ेष
•अनु का अथ होता है बार बार
• ास अथ होता है – वण
•जब िकसी भी वण की बार-बार आवृि हो तब जो चम ार होता है
वह अनु ास अलंकार कहलाता है ।
प रभाषा :- "जहाँ पर िकसी ं जन वण की आवृि होती है वहाँ पर
अनु ास अलंकार होता है। आवृ ि का अथ है दोहराना।" सरल
श ों म कह तो जहां पर कोई अ र बार बार आये या उस वण को
बार बार दुहराया जाए वहां पर अनु ास अलंकार होता है।
जैसे - रघुपित राघव राजाराम ।
पितत पावन सीताराम ||
उपयु उदाहरण म 'र' वण कई बार आया है अतः यहां पर
अनु ास अलंकार है।
यमक श का अथ होता है िक दो। जब एक ही श का बार बार
योग हो और हर बार अथ अलग-अलग आए वहां पर यमक
अलंकार होता है। उदाहरण:

कनक कनक ते सौ गु नी मादकता अिधकाय।


या खाए बौराए जग, वा पाए बौराए।
ेष का अथ होता है िचपका आ या िमला आ। जब एक ही
श से हम िविभ अथ िमलते हों तो उस समय ेष अलंकार होता
है ।
यानी जब िकसी श का योग एक बार ही िकया जाता है लेिकन
उससे अथ कई िनकलते ह तो वह ेष अलंकार कहलाता है।
जैसे:
रिहमन पानी रा खये,िबन पानी सब सू न।
पानी गये न ऊबरै , मोती मानु ष चून।।
इस दोहे म रहीम ने पानी को तीन अथ म योग िकया है :
1.पानी का पहला अथ मनु के सं दभ म है जब इसका
मतलब िवन ता से है। रहीम कह रहे ह िक मनु म हमे शा
िवन ता (पानी) होना चािहए।
2.पानी का दूसरा अथ आभा, तेज या चमक से है . रहीम कहते ह िक
चमक के िबना मोती का कोई मू नही ं ।
पानी का तीसरा अथ जल से है िजसे आटे (चून) से जोड़कर दशाया
गया है। रहीम का कहना है िक िजस तरह आटे का अ पानी
के िबना न नही ं हो सकता और मोती का मू उसकी आभा के
िबना नही ं हो सकता है , उसी तरह मनु को भी अपने वहार म
हमेशा पानी (िवन ता) रखना चािहए िजसके िबना उसका मू ास
होता है। अतः यह उदाहरण े ष के अंतगत आएगा ।
जहाँ पर अथ के मा म से का म चम ार होता हो वहाँ
अथालंकार होता है।
1. उपमा अलंकार
2. पक अलंकार
3. उ े ा अलंकार
उपमा श का अथ होता है - तुलना । जब िकसी या व ु की
तुलना िकसी दूसरे य या व ु से की जाए वहाँ पर उपमा
अलंकार होता है। जैसे-
उदाहरण- सागर-सा गं भीर दय हो,
िगरी - सा ऊँचा हो िजसका मन ।
उपमा अलंकार के अंग-
उपमा अलंकार के चार अंग होते ह - उपमेय, उपमान, वाचक श
और साधारण धम |
उपमेय: उपमेय का अथ होता है - उपमा दे ने के यो | अगर िजस
व ु की समानता िकसी दूसरी व ु से की जाये वहाँ पर उपमेय
होता है।
उपमान: उपमेय की उपमा िजससे दी जाती है उसे उपमान कहते
ह। अथात उपमेय की िजस के साथ समानता बताई जाती है उसे
उपमान कहते ह।
वाचक श ः जब उपमेय और उपमान म समानता िदखाई जाती है
तब िजस श का योग िकया
जाता है उसे वाचक श कहते ह।
साधारण धम: दो व ुओ ं के बीच समानता िदखाने के िलए जब
िकसी ऐसे गुण या धम की मदद ली जाती है जो दोनों म वतमान
थित म हो उसी गुण या धम को साधारण धम कहते ह।
जहाँ पर उपमान के न होने पर उपमेय को ही उपमान मान िलया
जाए। अथात जहाँ पर अ ु त को ु त मान िलया जाए वहाँ पर
उ े ा अलंकार होता है।
जैसे- ने मानो कमल ह।
ऊपर िदए गए उदाहरण म ‘ने ’ – उपमेय की ‘कमल’ –
उपमान होने िक क ना िक जा रही है। मानो श का ग
क ना करने के िलए िकया गया है । आएव यह उदाहरण उ े ा
अलंकार के अंतगत आएगा।
•जहाँ पर उपमेय और उपमान म कोई अंतर न िदखाई दे वहाँ
पक अलंकार होता है अथात जहाँ पर उपमेय और उपमान के
बीच के भेद को समा करके उसे एक कर िदया जाता है वहाँ पर
पक अलंकार होता है।

•जैसे-मुिन पद कमल बंिद दोउ ाता।


मुिन के चरणों (उपमेय) पर कमल (उपमान) का आरोप।

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