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Alkankar Example
Alkankar Example
िारे = छोिा िोने पर (संतान के पक्ष में), जलाने पर दीपक के पक्ष में।
उत्प्रेक्षा अलंकार
‘उत्तरा के अश्रुपूणथ नेत्र’ उपमेय में हिमकणों (ओस) से पूणथ पंकज- उपमान की संिावना के कारण
यिााँ उत्प्रेक्षा अलंकार िै। यिााँ ‘मानो’ वाचक शब्द िै।
उस काल मारे क्रोध के तनु कााँपने उनका लगा।
मानो िवा के जोर से सोता िुआ सागर जगा॥
यिााँ ‘तनु’ उपमेय में सोता िुआ सागर’ उपमान की संिावना िै । ‘मानो’ वाचक शब्द िै । यिााँ
उत्प्रेक्षा अलंकार िै।
सोित ओढे पीत पि स्याम सलोने गात।, मनिु नील मनन सैल पर आतप पयो रिात।
2. झक
ु कर मैंने पछ
ू भलया, िा गया मानो झिका।
3. जरा से लाल केसर से फक जैसे धल
ु गई िो।
4. मनु दृग िारर अनेक जमन
ु ननरित ब्रज सोिा।िनम
ू ान की पंछ
ू में , लगन न पाई आग।
लंका भसगरी जल गई, गए ननसाचर िाग॥
िनुमान की पूंछ में आग लगने से पूवथ िी सारी लंका के जल जाने का वणथन फकए जाने के
कारण यिााँ अनतशयोक्तत अलंकार िै।
3. दे ि लो साकेत िै यिी।
स्वगथ से भमलने गगन में जा रिी।
यिााँ सागर-लिरों का कन्याओं के रूप में चचत्रण फकया गया िै। सागर-लिरों में मानवीकरण
अलंकार िै।
ििा जूता िन गया िै,
र्के गोवरधन का जीवन।
यिााँ ‘ििा जूता’ में मानवीकरण अलंकार िै । गोवरधन को ििा जूता मान भलया गया िै ।
हदवावसान का समय
मेघमय आसमान से उतर रिी िै
संध्या सुंदरी परी-सी धीरे -धीरे ।
यिााँ संध्या सुंदरी में मानवीकरण अलंकार िै । मानवीकरण अलंकार के अन्य उदािरण-
1. िीती वविावरी जाग री,
अंिर-पनघि में डुिो रिी तारा-घि उषा-नागरी।
2. राचधका िन लिरा रिी,
कंु ज की छरिरी लताएाँ।