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अलंकार और उसके भेद कक्षा 10
अलंकार और उसके भेद कक्षा 10
इसी प्रकार आपको जहां भी ऐसे शब्द नजर आए तो आप वहां श्लेष अलंकार करें र्े।
२. अर्ाालंकार:– अर्ा अलंकार का अर्ा होता है , अर्ा के जररए अलंकार की पहचान करना।
१. उपमा अलंकार
२. रूपक अलंकार
३. उत्प्प्रेक्षा अलंकार
४. अनतशयोक्तत अलंकार
क्जसकी तुलना हो रही है उसे उपमेय कहते हैं और क्जससे तुलना होती है उसे उपमान
कहते हैं।
जब उपमेय में उपमान की तुलना करते हुए कल्पना की जाने लर्े तो वहां पर उत्प्प्रेक्षा
अलंकार होता है ।
उत्प्प्रेक्षा अलंकार की पहचान करने का सरल तरीका है क्जस वातय में जानू, मान,ू
ननश्चय,ज्यों आए वहां उत्प्प्रेक्षा अलंकार होर्ा।
४. अनतशयोक्तत अलंकार:– जब कोई वर्ान बहुत बडा– चढाकर ककया जाए, तो उसे
अनतशयोक्तत अलंकार कहते हैं।
इसमें इसका वर्ान बहुत बडा चढाकर ककया र्या है , इसललए यह अनतशयोक्तत अलंकार
होर्ा।
जैसा कक ऊपर ददए र्ए उदाहरर् में ददया र्या है की फूल हंस रहे हैं एवं कललयाँ मस्
ु कुरा
रही हैं। जैसा की हम जानते हैं की हंसने एवं मस्
ु कुराने की कियाएं केवल मनष्ु य ही कर सकते
हैं प्राकृनतक चीज़ें नहीं।
ऊपर दी र्यी पंक्ततयों में बताया र्या है कक संध्या सुन्दर परी की तरह धीरे धीरे आसमान से
नीचे उतर रही है।इस वातय में संध्या कक तुलना एक सुन्दर परी से की है । तब यह मानवीकरर्
अलंकार होता है।
• उषा सन
ु हरे तीर बरसाती, जय लक्ष्मी-सी उददत हुई।
ऊपर ददए र्ए उदाहरर् में उषा यानी भोर को सुनहरे तीर बरसाती हुई नानयका के रूप में
ददखाया जा रहा है। यहाँ भी ननजीवों में मानवीय भावनाओं का होना ददख रहा है। तब यह
मानवीकरर् अलंकार होता है।
जैसा कक आप ऊपर ददए र्ए उदाहरर् में दे ख सकते हैं कललयों को दरवाज़े खोल खोल कर
झुरमुट में मुस्कुराते हुए वर्र्ात ककया र्या है । तब यह मानवीकरर् अलंकार होता है।
ऊपर ददए र्ए उदाहरर् में बताया र्या है कक वनस्पनतयाँ जार्ी कफर अलसाई ओर शीतल यानी
ठन्डे जल से उन्होंने मह
ु धोया। अतः यहाँ मानवीकरर् अलंकार है.
अतएव यह उदाहरर् मानवीकरर् अलंकार के अंतर्ात आएर्ा।
जैसा कक आप ऊपर ददए र्ए उदाहरर् में दे ख सकते हैं कक लहरों को नाचता हुआ व र्ाता हुआ
वर्र्ात ककया है। अतः यह उदाहरर् मानवीकरर् अलंकार के अंतर्ात आएर्ा।
• लोने-लोने वे घने चने तया बने-बने इठलाते हैं, हौले-हौले होली र्ा-र्ा धुंघरू पर ताल बजाते हैं।
ऊपर ददए र्ए उदाहरर् में जैसा की आप दे ख सकते है ,यहाँ चने पर होली र्ाने, सज-धजकर
इतराने और ताल बजाने में मानवीय कियाओं का आरोप है।
है वसुंधरा बबखेर दे ती मोती सबके सोने पर। रवव बटोर लेता है उसको सदा सवेरा होने पर।
जैसा कक आप ऊपर ददए र्ए उदाहरर् में दे ख सकते हैं कक यहाँ वसुंधरा द्वारा मोती बबखेरने
और सूया द्वारा उसे सवेरे एकत्र कर लेने में मानवीय कियाओं का आरोप है । अतः यह उदाहरर्
मानवीकरर् अलंकार के अंतर्ात आएर्ा।