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1.

श्लेष अलंकार
2. उत्प्रेक्षा अलंकार
3. अतिशयोक्ति अलंकार
4. मानवीकरण अलंकार
उत्प्रेक्षा अलं कार

“जब एक वस्िु से दूसरी वस्िु की संभावना की जाए,अर्ााि एक वस्िु को दूसरी वस्िु


मान ललया जाय |

संभावना करने के ललए कुछ शब्दों का रयोग ककया जािा है , जो


उत्प्रेक्षा वाचक शब्द कहलािे हैं

यर्ा : मानो,मानो,मनु मनहुं,जानो ,जनु ,सा इत्प्यादद |


उदाहरण :- “नेत्र मानो कमल हैं|”

नेत्र वास्िव में कमल नहीं है परंिु मान ललया गया है |

“सोहि औढे पीि पट श्याम सलोने गाि ।

मानो नीलमतन सैल पर आिप परयो रभाि।“

यहााँ श्रीकृष्ण के श्यामल शरीर पर पीिाम्बर ऐसा लग रहा है मानो नीलम पवाि पर रभाि काल की धूप शोभा पा
रही हो ।

“कहिी हुई यों उत्तरा के नेत्र जल से भर गये

दहम के कणों से पूण ा मानो हो गये पंकज नये |”

ु ं से भरे हुए उत्तरा के नेत्र में ओस-कण-यत


यहां आंसओ ु ि पंकजों की संभावना की गयी है |
अतिशयोक्ति अलंकार

“जहां ककसी वस्िु या बाि का वणान इिना बढ़ा-चढ़ा कर ककया जाये कक लोक
सीमा का उल्लंघन सा रिीि हो, वहां अतिशयोक्ति अलंकार होिा है |

‘अतिशयोक्ति शब्द ही ‘अतिशय’ उक्ति से बना है – क्जसका अर्ा ही है -उक्ति को


अतिशयिा (बढ़ाचढ़ा कर)से रस्ििु करना |
“हनम
ु ान की पंू छ में ,लग न पायी आग |
लंका लसगरी जर गयी,गये तनशाचर भाग |”
मानवीकरण अलंकार

“कवविा में तनजीव वस्िओ


ु ं पर मानव सल
ु भ गण
ु ों और कियाओं का आरोप ककया जािा है, वहां मानवीकरण अलंकार होिा है |”

उदाहरण :1.च ुपचाप खड़ी र्ी वक्ष


ृ -पांि

सन
ु िी जैसे कुछ तनजी बाि |”

2. “संध्या घनमाला की संद


ु र

ओढ़े रं ग-बबरं गी छ ंट “

1. फूल हाँसे काललयां मस


ु काई |

2. मेध आए बड़े बन-ठन के संवर के ।

3. उषा सन
ु हरे िीर बरसािी, जल लक्ष्मी-सी उददि हुई ।
1. “लो यह लतिका भी भर लाई

मधु मकुल नवल रस गागरी |”

क) श्लेष ख) मानवीकरण ग)यमक घ)उत्प्रेक्षा

ख) मानवीकरण

. “उस काल मारे िोध के िनु कांपने उनका लगा ।

मानो हवा के ज़ोर से सोिा हुआ सागर जागा|”

क) श्लेष ख) मानवीकरण ग)यमक घ)उत्प्रेक्षा


5.” आगे नदी पड़ी अपार, घोडा कैसे उिरे पार ।

राणा ने सोचा इस पार, िब िक चेिक र्ा उस पार ।“

क) श्लेष ख) मानवीकरण ग)अतिशयोक्ति घ)उत्प्रेक्षा

6. “कातिाक की एक हाँसमुख सुबह

नदी-िट से लौटिी गांगा नहाकर|”

क) श्लेष ख) मानवीकरण ग)अतिशयोक्ति घ)उत्प्रेक्षा

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