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उसने कहा था

चंद्रधर शर्मा गल
ु ेरी

बडे-बडे शहरों के इक्के -गमडडवमलों की जवमन के कोडों से डजनकी पीठ डिल गई है, और कमन पक गए हैं, उनसे हर्मरी
प्रमर्ानम है डक अर्ृतसर के बम्बक
ू मर्ा वमलों की बोली कम र्रहर् लगमएँ।

जब बडे-बडे शहरों की चौडी सडकों पर घोडे की पीठ चमबक ु से धनु ते हुए, इक्के वमले कभी घोडे की नमनी से अपनम
डनकर्-सम्बन्ध डथर्र करते हैं, कभी रमह चलते पैदलों की आँखों के न होने पर तरस खमते हैं, कभी उनके पैरों की
अगं डु लयों के पोरे को चींघकर अपने-ही को सतमयम हुआ बतमते हैं, और संसमर-भर की ग्लमडन, डनरमशम और क्षोभ के
अवतमर बने, नमक की सीध चले जमते हैं, तब अर्ृतसर र्ें उनकी डबरमदरी वमले तंग चक्करदमर गडलयों र्ें, हर-एक लड्ढी
वमले के डलए ठहर कर सब्र कम सर्द्रु उर्डम कर 'बचो खमलसमजी।' 'हर्ो भमई जी।' 'ठहरनम भमई जी।' 'आने दो लमलम
जी।' 'हर्ो बमिम।' -- कहते हुए सफे द फे र्ों, खच्चरों और बत्तकों, गन्नें और खोर्चे और भमरे वमलों के जगं ल र्ें से रमह
खेते हैं।

क्यम र्जमल है डक 'जी' और 'समहब' डबनम सनु े डकसी को हर्नम पडे। यह बमत नहीं डक उनकी जीभ चलती नहीं, पर र्ीठी
िुरी की तरह र्हीन र्मर करती हुई।

यडद कोई बडु ़ियम बमर-बमर डचतौनी देने पर भी लीक से नहीं हर्ती, तो उनकी बचनमवली के ये नर्नू े हैं -- 'हर् जम जीणे
जोडगए; हर् जम करर्म वमडलए; हर् जम पतु मं प्यमररए; बच जम लम्बी वमडलए।' सर्डि र्ें इनके अर्ा हैं, डक तू जीने योग्य
है, तू भमग्योंवमली है, पत्रु ों को प्यमरी है, लम्बी उर्र तेरे समर्ने है, तू क्यों र्ेरे पडहये के नीचे आनम चमहती है? बच जम।

ऐसे बम्बक
ू मर्ावमलों के बीच र्ें होकर एक लडकम और एक लडकी चौक की एक दक ू मन पर आ डर्ले। उसके बमलों और
इसके ढीले सर्ु ने से जमन पडतम र्म डक दोनों डसक्ख हैं। वह अपने र्मर्म के के श धोने के डलए दही लेने आयम र्म, और
यह रसोई के डलए बडडयमँ। दक ु मनदमर एक परदेसी से गर्ँु रहम र्म, जो सेर-भर गीले पमपडों की गड्डी को डगने डबनम हर्तम
न र्म।

"तेरे घर कहमँ है?"


"र्गरे र्ें; और तेरे?"
" र्मँझे र्ें; यहमँ कहमँ रहती है?"
"अतरडसहं की बैठक र्ें; वे र्ेरे र्मर्म होते हैं।"
"र्ैं भी र्मर्म के यहमँ आयम ह,ँ उनकम घर गरुु बमजमर र्ें हैं।"
इतने र्ें दक
ु मनदमर डनबर्म, और इनकम सौदम देने लगम। सौदम लेकर दोनों समर्-समर् चले। कुि दरू जम कर लडके ने
र्सु करमकमर पि ू म, "तेरी कुडर्मई हो गई?"

इस पर लडकी कुि आँखें च़िम कर 'धत्' कह कर दौड गई, और लडकम र्हँु देखतम रह गयम।

दसू रे -तीसरे डदन सब्जीवमले के यहमँ, दधू वमले के यहमँ अकथर्मत दोनों डर्ल जमते। र्हीनम-भर यही हमल रहम। दो-तीन बमर
लडके ने डफर पि ू म, 'तेरी कुडर्मई हो गई?' और उत्तर र्ें वही 'धत'् डर्लम। एक डदन जब डफर लडके ने वैसे ही हँसी र्ें
डच़िमने के डलए पि ू म तो लडकी, लडके की संभमवनम के डवरुद्ध बोली, "हमँ हो गई।"

"कब?"

"कल, देखते नहीं, यह रे शर् से क़िम हुआ समल।ू "

लडकी भमग गई। लडके ने घर की रमह ली। रमथते र्ें एक लडके को र्ोरी र्ें ढके ल डदयम, एक िमवडीवमले की डदन-भर
की कर्मई खोई, एक कुत्ते पर पत्र्र र्मरम और एक गोभीवमले के ठे ले र्ें दधू उडेल डदयम। समर्ने नहम कर आती हुई डकसी
वैष्णवी से र्करम कर अन्धे की उपमडध पमई। तब कहीं घर पहुचँ म।

(दो)

"रमर्-रमर्, यह भी कोई लडमई है। डदन-रमत खन्दकों र्ें बैठे हडड्डयमँ अकड गई।ं लडु धयमनम से दस गनु म जमडम और र्ेंह
और बर्फा ऊपर से। डपंडडलयों तक कीचड र्ें धँसे हुए हैं। जर्ीन कहीं डदखती नहीं; - घर्ं े-दो-घर्ं े र्ें कमन के परदे
फमडनेवमले धर्मके के समर् समरी खन्दक डहल जमती है और सौ-सौ गज धरती उिल पडती है।

इस गैबी गोले से बचे तो कोई लडे। नगरकोर् कम जलजलम सनु म र्म, यहमँ डदन र्ें पचीस जलजले होते हैं। जो कहीं खन्दक
से बमहर समफम यम कुहनी डनकल गई, तो चर्मक से गोली लगती है। न र्मलूर् बेईर्मन डर्ट्टी र्ें लेर्े हुए हैं यम घमस की
पडत्तयों र्ें डिपे रहते हैं।"

"लहनमडसहं , और तीन डदन हैं। चमर तो खन्दक र्ें डबतम ही डदए। परसों 'ररलीफ' आ जमएगी और डफर समत डदन की िुट्टी।
अपने हमर्ों झर्कम करें गे और पेर्-भर खमकर सो रहेंग।े उसी डफरंगी र्ेर् के बमग र्ें -- र्खर्ल कम-सम हरम घमस है। फल
और दधू की वर्मा कर देती है। लमख कहते हैं, दमर् नहीं लेती। कहती है, तर्ु रमजम हो, र्ेरे र्ल्ु क को बचमने आए हो।"
"चमर डदन तक पलक नहीं झँपी। डबनम फे रे घोडम डबगडतम है और डबनम लडे डसपमही। र्झु े तो संगीन च़िम कर र्मचा कम
हुक्र् डर्ल जमय। डफर समत जर्ानों को अके लम र्मर कर न लौर्ूँ, तो र्झु े दरबमर समहब की देहली पर र्त्र्म र्ेकनम नसीब
न हो। पमजी कहीं के , कलों के घोडे -- सगं ीन देखते ही र्हँु फमड देते हैं, और पैर पकडने लगते हैं। यों अधं ेरे र्ें तीस-
तीस र्न कम गोलम फें कते हैं। उस डदन धमवम डकयम र्म - चमर र्ील तक एक जर्ान नहीं िोडम र्म। पीिे जनरल ने हर्
जमने कम कर्मन डदयम, नहीं तो..."

"नहीं तो सीधे बडलान पहुचँ जमते! क्यों?" सबू ेदमर हजमरडसहं ने र्सु करमकर कहम, "लडमई के र्मर्ले जर्मदमर यम नमयक
के चलमये नहीं चलते। बडे अफसर दरू की सोचते हैं। तीन सौ र्ील कम समर्नम है। एक तरर्फ ब़ि गए तो क्यम होगम?"

"सबू ेदमर जी, सच है," लहनडसंह बोलम, "पर करें क्यम? हडड्डयों-हडड्डयों र्ें तो जमडम धँस गयम है। सयू ा डनकलतम नहीं,
और खमई र्ें दोनों तरर्फ से चम्बे की बमवडलयों के से सोते झर रहे हैं। एक धमवम हो जमय, तो गरर्ी आ जमय।"

"उदर्ी, उठ, डसगडी र्ें कोले डमल। वजीरम, तर्ु चमर जने बमलडर्यमँ लेकर खमई कम पमनी बमहर फें कों। र्हमडसंह, शमर्
हो गई है, खमई के दरवमजे कम पहरम बदल ले।" यह कहते हुए सबू ेदमर समरी खन्दक र्ें चक्कर लगमने लगे।

वजीरमडसहं पलर्न कम डवदर्ू क र्म। बमल्र्ी र्ें गँदलम पमनी भर कर खमई के बमहर फें कतम हुआ बोलम, "र्ैं पमधम बन गयम
ह।ँ करो जर्ानी के बमदशमह कम तपाण!" इस पर सब डखलडखलम पडे और उदमसी के बमदल फर् गए।

लहनमडसहं ने दसू री बमल्र्ी भर कर उसके हमर् र्ें देकर कहम, "अपनी बमडी के खरबजू ों र्ें पमनी दो। ऐसम खमद कम पमनी
पजं मब-भर र्ें नहीं डर्लेगम।"

"हमँ, देश क्यम है, थवगा है। र्ैं तो लडमई के बमद सरकमर से दस धर्ु म जर्ीन यहमँ र्मँग लँगू म और फलों के बर्ू े लगमऊँगम।"

ु म लोगे? यम वही दधू डपलमनेवमली फरंगी र्ेर्..."


"लमडी होरम को भी यहमँ बल

"चपु कर। यहमँ वमलों को शरर् नहीं।"

"देश-देश की चमल है। आज तक र्ैं उसे सर्झम न सकम डक डसख तम्बमखू नहीं पीते। वह डसगरे र् देने र्ें हठ करती है,
ओठों र्ें लगमनम चमहती है, और र्ैं पीिे हर्तम हँ तो सर्झती है डक रमजम बरु म र्मन गयम, अब र्ेरे र्ल्ु क के डलये लडेगम
नहीं।"

"अच्िम, अब बोधडसंह कै सम है?"


"अच्िम है।"
"जैसे र्ैं जमनतम ही न होऊँ ! रमत-भर तुर् अपने कम्बल उसे उ़िमते हो और आप डसगडी के सहमरे गजु र करते हो। उसके
पहरे पर आप पहरम दे आते हो। अपने सख ू े लकडी के तख्तों पर उसे सल ु मते हो, आप कीचड र्ें पडे रहते हो। कहीं तर्ु
न र्मँदे पड जमनम। जमडम क्यम है, र्ौत है, और 'डनर्ोडनयम' से र्रनेवमलों को र्रु ब्बे नहीं डर्लम करते।"

"र्ेरम डर र्त करो। र्ैं तो बुलेल की खड्ड के डकनमरे र्रँगम। भमई कीरतडसंह की गोदी पर र्ेरम सीर होगम और र्ेरे हमर्
के लगमये हुए आँगन के आर् के पेड की िमयम होगी।"

वजीरमडसहं ने त्योरी च़िमकर कहम, "क्यम र्रने-र्मरने की बमत लगमई है? र्रें जर्ानी और तरु क! हमँ भमइयों, कै से?"

डदल्ली शहर तें डपशोर नंु जमडं दए,


कर लेणम लौंगमं दम बपमर र्डडए;
कर लेणम नमदेडम सौदम अडडए --
(ओय) लमणम चर्मकम कदएु नँ।ु
क बणमयम वे र्जेदमर गोररये,
हुण लमणम चर्मकम कदएु नँ।ु ।

कौन जमनतम र्म डक दमड़ियमवमले, घरबमरी डसख ऐसम लच्ु चों कम गीत गमएँगे, पर समरी खन्दक इस गीत से गजँू उठी और
डसपमही डफर तमजे हो गए, र्मनों चमर डदन से सोते और र्ौज ही करते रहे हों।

(तीन)
दोपहर रमत गई है। अन्धेरम है। सन्नमर्म िमयम हुआ है। बोधमडसहं खमली डबसकुर्ों के तीन डर्नों पर अपने दोनों कम्बल
डबिम कर और लहनमडसंह के दो कम्बल और एक बरमनकोर् ओ़ि कर सो रहम है। लहनमडसंह पहरे पर खडम हुआ है। एक
आँख खमई के र्हँु पर है और एक बोधमडसंह के दबु ले शरीर पर। बोधमडसंह करमहम।

"क्यों बोधम भमई, क्यम है?"

"पमनी डपलम दो।"

लहनमडसहं ने कर्ोरम उसके र्ँहु से लगम कर पि ू म, "कहो कै से हो?" पमनी पी कर बोधम बोलम, "कँ पनी िुर् रही है। रोर्-
रोर् र्ें तमर दौड रहे हैं। दमँत बज रहे हैं।"
"अच्िम, र्ेरी जरसी पहन लो!"

"और तुर्?"

"र्ेरे पमस डसगडी है और र्झु े गर्ी लगती है। पसीनम आ रहम है।"

"नम, र्ैं नहीं पहनतम। चमर डदन से तुर् र्ेरे डलए..."

"हमँ, यमद आई। र्ेरे पमस दसू री गरर् जरसी है। आज सबेरे ही आई है। डवलमयत से बनु -बनु कर भेज रही हैं र्ेर्ें, गरुु
उनकम भलम करें ।" यों कह कर लहनम अपनम कोर् उतमर कर जरसी उतमरने लगम।

"सच कहते हो?"

"और नहीं झठू ?" यों कह कर नहीं करते बोधम को उसने जबरदथती जरसी पहनम दी और आप खमकी कोर् और जीन
कम कुरतम भर पहन-कर पहरे पर आ खडम हुआ। र्ेर् की जरसी की कर्म के वल कर्म र्ी।

आधम घण्र्म बीतम। इतने र्ें खमई के र्हँु से आवमज आई, "सबू ेदमर हजमरमडसंह।"

"कौन लपर्न समहब? हुक्र् हुजरू !" कह कर सबू ेदमर तन कर फौजी सलमर् करके समर्ने हुआ।

"देखो, इसी सर्य धमवम करनम होगम। र्ील भर की दरू ी पर परू ब के कोने र्ें एक जर्ान खमई है। उसर्ें पचमस से डजयमदह
जर्ान नहीं हैं। इन पेडों के नीचे-नीचे दो खेत कमर् कर रमथतम है। तीन-चमर घर्ु मव हैं। जहमँ र्ोड है वहमँ पन्द्रह जवमन खडे
कर आयम ह।ँ तर्ु यहमँ दस आदर्ी िोड कर सब को समर् ले उनसे जम डर्लो। खन्दक िीन कर वहीं, जब तक दसू रम
हुक्र् न डर्ले, डर्े रहो। हर् यहमँ रहेगम।"

"जो हुक्र्।"

चपु चमप सब तैयमर हो गए। बोधम भी कम्बल उतमर कर चलने लगम। तब लहनमडसंह ने उसे रोकम। लहनमडसंह आगे हुआ
तो बोधम के बमप सबू ेदमर ने उँगली से बोधम की ओर इशमरम डकयम। लहनमडसंह सर्झ कर चपु हो गयम। पीिे दस आदर्ी
कौन रहें, इस पर बडी हुज़्जजत हुई। कोई रहनम न चमहतम र्म। सर्झम-बुझमकर सूबेदमर ने र्मचा डकयम। लपर्न समहब लहनम
की डसगडी के पमस र्हँु फे र कर खडे हो गए और जेब से डसगरे र् डनकमल कर सल ु गमने लगे। दस डर्नर् बमद उन्होंने लहनम
की ओर हमर् ब़िम कर कहम, "लो तुर् भी डपयो।"
आँख र्मरते-र्मरते लहनमडसंह सब सर्झ गयम। र्हँु कम भमव डिपम कर बोलम, "लमओ समहब।" हमर् आगे करते ही उसने
डसगडी के उजमले र्ें समहब कम र्हँु देखम। बमल देख।े तब उसकम र्मर्म ठनकम। लपर्न समहब के पडर््र्यों वमले बमल एक
डदन र्ें ही कहमँ उड गए और उनकी जगह कै डदयों से कर्े बमल कहमँ से आ गए?"

शमयद समहब शरमब डपए हुए हैं और उन्हें बमल कर्वमने कम र्ौकम डर्ल गयम है? लहनमडसंह ने जमँचनम चमहम। लपर्न
समहब पमँच वर्ा से उसकी रे डजर्ेंर् र्ें र्े।

"क्यों समहब, हर्लोग डहन्दथु तमन कब जमएँगे?"

"लडमई ख़त्र् होने पर। क्यों, क्यम यह देश पसन्द नहीं?"

"नहीं समहब, डशकमर के वे र्जे यहमँ कहमँ? यमद है, पमरसमल नकली लडमई के पीिे हर् आप जगमधरी डजले र्ें डशकमर
करने गए र्े -

हमँ- हमँ -- वहीं जब आप खोते पर सवमर र्े और और आपकम खमनसमर्म अब्दल्ु लम रमथते के एक र्डन्दर र्ें जल च़िने
को रह गयम र्म? बेशक पमजी कहीं कम - समर्ने से वह नील गमय डनकली डक ऐसी बडी र्ैंने कभी न देखी र्ीं। और
आपकी एक गोली कन्धे र्ें लगी और पट्ठु े र्ें डनकली। ऐसे अर्फसर के समर् डशकमर खेलने र्ें र्जम है। क्यों समहब, डशर्ले
से तैयमर होकर उस नील गमय कम डसर आ गयम र्म न? आपने कहम र्म डक रे जर्ेंर् की र्ैस र्ें लगमएँगे। हमँ पर र्ैंने वह
डवलमयत भेज डदयम - ऐसे बडे-बडे सींग! दो-दो फुर् के तो होंगे?"

"हमँ, लहनमडसहं , दो फुर् चमर इचं के र्े। तर्ु ने डसगरे र् नहीं डपयम?"

"पीतम हँ समहब, डदयमसलमई ले आतम ह"ँ कह कर लहनमडसहं खन्दक र्ें घसु म। अब उसे सन्देह नहीं रहम र्म। उसने झर्पर्
डनश्चय कर डलयम डक क्यम करनम चमडहए।

अधं ेरे र्ें डकसी सोने वमले से वह र्करमयम।

"कौन? वजीरडसंह?"

"हमँ, क्यों लहनम? क्यम कयमर्त आ गई? जरम तो आँख लगने दी होती?"
(चार)

"होश र्ें आओ। कयमर्त आई और लपर्न समहब की वदी पहन कर आई है।"

"क्यम?"

"लपर्न समहब यम तो र्मरे गए हैं यम कै द हो गए हैं। उनकी वदी पहन कर यह कोई जर्ान आयम है। सूबेदमर ने इसकम र्ँहु
नहीं देखम। र्ैंने देखम और बमतें की है। सोहरम समफ उदाू बोलतम है, पर डकतमबी उद।ाू और र्झु े पीने को डसगरे र् डदयम है?"

"तो अब!"

"अब र्मरे गए। धोखम है। सबू ेदमर होरम, कीचड र्ें चक्कर कमर्ते डफरें गे और यहमँ खमई पर धमवम होगम। उठो, एक कमर्
करो। पल्र्न के पैरों के डनशमन देखते-देखते दौड जमओ। अभी बहुत दरू न गए होंगे।

सबू ेदमर से कहो एकदर् लौर् आयें। खन्दक की बमत झठू है। चले जमओ, खन्दक के पीिे से डनकल जमओ। पत्तम तक न
खडके । देर र्त करो।"

"हुकुर् तो यह है डक यहीं-"

"ऐसी तैसी हुकुर् की! र्ेरम हुकुर्... जर्मदमर लहनमडसहं जो इस वक्त यहमँ सब से बडम अर्फसर है, उसकम हुकुर् है। र्ैं
लपर्न समहब की ख़बर लेतम ह।ँ "

"पर यहमँ तो तर्ु आठ है।"

"आठ नहीं, दस लमख। एक-एक अकमडलयम डसख सवम लमख के बरमबर होतम है। चले जमओ।"

लौर् कर खमई के र्हु मने पर लहनमडसंह दीवमर से डचपक गयम। उसने देखम डक लपर्न समहब ने जेब से बेल के बरमबर तीन
गोले डनकमले। तीनों को जगह-जगह खन्दक की दीवमरों र्ें घसु ेड डदयम और तीनों र्ें एक तमर-सम बमँध डदयम। तमर के आगे
सतू की एक गत्ु र्ी र्ी, डजसे डसगडी के पमस रखम। बमहर की तरर्फ जमकर एक डदयमसलमई जलम कर गत्ु र्ी पर रखने...

डबजली की तरह दोनों हमर्ों से उल्र्ी बन्दक


ु को उठम कर लहनमडसंह ने समहब की कुहनी पर तमन कर दे र्मरम। धर्मके के
समर् समहब के हमर् से डदयमसलमई डगर पडी। लहनमडसहं ने एक कुन्दम समहब की गदान पर र्मरम और समहब 'आँख! र्ीन
गौट्ट' कहते हुए डचत्त हो गए। लहनमडसंह ने तीनों गोले बीन कर खन्दक के बमहर फें के और समहब को घसीर् कर डसगडी
के पमस डलर्मयम। जेबों की तलमशी ली। तीन-चमर डलर्फमर्फे और एक डमयरी डनकमल कर उन्हें अपनी जेब के हवमले डकयम।
समहब की र्िू मा हर्ी। लहनमडसंह हँस कर बोलम, "क्यों लपर्न समहब? डर्जमज कै सम है? आज र्ैंने बहुत बमतें सीखीं।
यह सीखम डक डसख डसगरे र् पीते हैं। यह सीखम डक जगमधरी के डजले र्ें नील गमयें होती हैं और उनके दो फुर् चमर इचं
के सींग होते हैं। यह सीखम डक र्सु लर्मन खमनसमर्म र्डू तायों पर जल च़िमते हैं।

और लपर्न समहब खोते पर च़िते हैं। पर यह तो कहो, ऐसी समर्फ उदाू कहमँ से सीख आए? हर्मरे लपर्न समहब तो डबन
'डेर्' के पमँच लफ्जज भी नहीं बोलम करते र्े।"

लहनम ने पतलनू के जेबों की तलमशी नहीं ली र्ी। समहब ने र्मनो जमडे से बचने के डलए, दोनों हमर् जेबों र्ें डमले।

४४

लहनमडसहं कहतम गयम, "चमलमक तो बडे हो पर र्मँझे कम लहनम इतने बरस लपर्न समहब के समर् रहम है। उसे चकर्म
देने के डलए चमर आँखें चमडहए। तीन र्डहने हुए एक तरु की र्ौलवी र्ेरे गमँव आयम र्म। औरतों को बच्चे होने के तमबीज
बमँर्तम र्म और बच्चों को दवमई देतम र्म। चौधरी के बड के नीचे र्जं म डबिम कर हुक्कम पीतम रहतम र्म और कहतम र्म
डक जर्ानीवमले बडे पंडडत हैं। वेद प़ि-प़ि कर उसर्ें से डवर्मन चलमने की डवद्यम जमन गए हैं। गौ को नहीं र्मरते। डहन्दथु तमन
र्ें आ जमएँगे तो गोहत्यम बन्द कर देंगे। र्डं ी के बडनयों को बहकमतम डक डमकखमने से रुपयम डनकमल लो। सरकमर कम
रमज्य जमनेवमलम है। डमक-बमबू पोल्हरमर् भी डर गयम र्म। र्ैंने र्ल्ु लम जी की दम़िी र्डू दी र्ी। और गमँव से बमहर डनकल
कर कहम र्म डक जो र्ेरे गमँव र्ें अब पैर रक्खम तो..."

समहब की जेब र्ें से डपथतौल चलम और लहनम की जमँघ र्ें गोली लगी। इधर लहनम की हैनरी र्मडर्ान के दो फमयरों ने
समहब की कपमल-डियम कर दी। धडमकम सनु कर सब दौड आए।

बोधम डचल्लमयम, "क्यम है?"

लहनमडसहं ने उसे यह कह कर सल ु म डदयम डक 'एक हडकम हुआ कुत्तम आयम र्म, र्मर डदयम' और, औरों से सब हमल कह
डदयम। सब बन्दक ू ें लेकर तैयमर हो गए। लहनम ने समफम फमड कर घमव के दोनों तरर्फ पडर््र्यमँ कस कर बमँधी। घमव र्मंस
र्ें ही र्म। पडर््र्यों के कसने से लह डनकलनम बन्द हो गयम।

इतने र्ें सत्तर जर्ान डचल्लमकर खमई र्ें घसु पडे। डसक्खों की बन्दक
ू ों की बम़ि ने पहले धमवे को रोकम। दसू रे को रोकम। पर
यहमँ र्े आठ (लहनमडसंह तक-तक कर र्मर रहम र्म - वह खडम र्म, और, और लेर्े हुए र्े) और वे सत्तर। अपने र्दु मा
भमइयों के शरीर पर च़ि कर जर्ान आगे घसु े आते र्े। र्ोडे से डर्डनर्ों र्ें वे...

अचमनक आवमज आई 'वमह गरुु जी की फतह? वमह गरुु जी कम खमलसम!!' और धडमधड बन्दक ू ों के फमयर जर्ानों की
पीठ पर पडने लगे। ऐन र्ौके पर जर्ान दो चक्की के पमर्ों के बीच र्ें आ गए। पीिे से सबू ेदमर हजमरडसंह के जवमन आग
बरसमते र्े और समर्ने लहनमडसंह के समडर्यों के संगीन चल रहे र्े। पमस आने पर पीिे वमलों ने भी संगीन डपरोनम शर

कर डदयम।

एक डकलकमरी और... 'अकमल डसक्खमँ दी फौज आई! वमह गरुु जी दी फतह! वमह गरुु जी दम खमलसम! सत श्री
अकमलपरुु ख!!!' और लडमई ख़तर् हो गई। डतरे सठ जर्ान यम तो खेत रहे र्े यम करमह रहे र्े। डसक्खों र्ें पन्द्रह के प्रमण
गए। सबू ेदमर के दमडहने कन्धे र्ें से गोली आरपमर डनकल गई। लहनमडसहं की पसली र्ें एक गोली लगी। उसने घमव को
खन्दक की गीली र्ट्टी से परू डलयम और बमकी कम समफम कस कर कर्रबन्द की तरह लपेर् डलयम। डकसी को ख़बर न
हुई डक लहनम को दसू रम घमव - भमरी घमव लगम है।

लडमई के सर्य चमँद डनकल आयम र्म, ऐसम चमँद, डजसके प्रकमश से सथं कृ त-कडवयों कम डदयम हुआ 'क्षयी' नमर् समर्ाक
होतम है। और हवम ऐसी चल रही र्ी जैसी वमणभट्ट की भमर्म र्ें 'दन्तवीणोपदेशमचमया' कहलमती। वजीरमडसंह कह रहम र्म
डक कै से र्न-र्न भर फ्मसं की भडू र् र्ेरे बर्ू ों से डचपक रही र्ी, जब र्ैं दौडम-दौडम सबू ेदमर के पीिे गयम र्म। सबू ेदमर
लहनमडसंह से समरम हमल सनु और कमग़जमत पमकर वे उसकी तरु त-बडु द्ध को सरमह रहे र्े और कह रहे र्े डक तू न होतम
तो आज सब र्मरे जमते।

इस लडमई की आवमज तीन र्ील दमडहनी ओर की खमई वमलों ने सनु ली र्ी। उन्होंने पीिे र्ेलीफोन कर डदयम र्म। वहमँ
से झर्पर् दो डमक्र्र और दो बीर्मर ढोने की गमडडयमँ चलीं, जो कोई डे़ि घण्र्े के अन्दमर-अन्दर आ पहुचँ ी। फील्ड
अथपतमल नजदीक र्म। सबु ह होते-होते वहमँ पहुचँ जमएँगे, इसडलए र्मर्ल ू ी पट्टी बमँधकर एक गमडी र्ें घमयल डलर्मए गए
और दसू री र्ें लमशें रक्खी गई।ं सबू ेदमर ने लहनमडसंह की जमँघ र्ें पट्टी बँधवमनी चमही। पर उसने यह कह कर र्मल डदयम
डक र्ोडम घमव है सबेरे देखम जमयेगम। बोधमडसंह ज्वर र्ें बरमा रहम र्म। वह गमडी र्ें डलर्मयम गयम। लहनम को िोड कर
सबू ेदमर जमते नहीं र्े। यह देख लहनम ने कहम, "तम्ु हें बोधम की कसर् है, और सबू ेदमरनी जी की सौगन्ध है जो इस गमडी
र्ें न चले जमओ।"

"और तर्ु ?"

"र्ेरे डलए वहमँ पहुचँ कर गमडी भेज देनम, और जर्ान र्रु दों के डलए भी तो गमडडयमँ आती होंगी। र्ेरम हमल बरु म नहीं है।
देखते नहीं, र्ैं खडम ह?ँ वजीरमडसंह र्ेरे पमस है ही।"

"अच्िम, पर..."

"बोधम गमडी पर लेर् गयम? भलम। आप भी च़ि जमओ। सडु नये तो, सबू ेदमरनी होरमं को डचठ्ठी डलखो, तो र्ेरम र्त्र्म र्ेकनम
डलख देनम। और जब घर जमओ तो कह देनम डक र्झु से जो उसने कहम र्म वह र्ैंने कर डदयम।"
गमडडयमँ चल पडी र्ीं। सूबेदमर ने च़िते-च़िते लहनम कम हमर् पकड कर कहम, "तैने र्ेरे और बोधम के प्रमण बचमये हैं।
डलखनम कै सम? समर् ही घर चलेंग।े अपनी सबू ेदमरनी को तू ही कह देनम। उसने क्यम कहम र्म?"

"अब आप गमडी पर च़ि जमओ। र्ैंने जो कहम, वह डलख देनम, और कह भी देनम।"

गमडी के जमते लहनम लेर् गयम। "वजीरम पमनी डपलम दे, और र्ेरम कर्रबन्द खोल दे। तर हो रहम है।"

र्ृत्यु के कुि सर्य पहले थर्ृडत बहुत समर्फ हो जमती है। जन्र्-भर की घर्नमयें एक-एक करके समर्ने आती हैं। समरे दृश्यों
के रंग समर्फ होते हैं। सर्य की धन्ु ध डबल्कुल उन पर से हर् जमती है।

लहनमडसहं बमरह वर्ा कम है। अर्ृतसर र्ें र्मर्म के यहमँ आयम हुआ है। दहीवमले के यहमँ, सब्जीवमले के यहमँ, हर कहीं,
उसे एक आठ वर्ा की लडकी डर्ल जमती है। जब वह पि ू तम है, तेरी कुडर्मई हो गई? तब 'धत'् कह कर वह भमग जमती
है। एक डदन उसने वैसे ही पि
ू म, तो उसने कहम, "हमँ, कल हो गई, देखते नहीं यह रे शर् के फूलोंवमलम समल'ू ' सनु ते ही
लहनमडसंह को द:ु ख हुआ। िोध हुआ। क्यों हुआ?

"वजीरमडसंह, पमनी डपलम दे।"

पचीस वर्ा बीत गए। अब लहनमडसंह नं ७७ रै फल्स र्ें जर्मदमर हो गयम है। उस आठ वर्ा की कन्यम कम ध्यमन ही न रहम।
न-र्मलूर् वह कभी डर्ली र्ी, यम नहीं। समत डदन की िुट्टी लेकर जर्ीन के र्क ु दर्ें की पैरवी करने वह अपने घर गयम।
वहमँ रे डजर्ेंर् के अफसर की डचठ्ठी डर्ली डक फौज लमर् पर जमती है, फौरन चले आओ। समर् ही सबू ेदमर हजमरमडसंह की
डचठ्ठी डर्ली डक र्ैं और बोधडसंह भी लमर् पर जमते हैं। लौर्ते हुए हर्मरे घर होते जमनम। समर् ही चलेंग।े सबू ेदमर कम गमँव
रमथते र्ें पडतम र्म और सबू ेदमर उसे बहुत चमहतम र्म। लहनमडसंह सबू ेदमर के यहमँ पहुचँ म।

जब चलने लगे, तब सबू ेदमर बेढे र्ें से डनकल कर आयम। बोलम, "लहनम, सबू ेदमरनी तुर्को जमनती हैं, बल ु मती हैं। जम
डर्ल आ।" लहनमडसंह भीतर पहुचँ म। सबू ेदमरनी र्झु े जमनती हैं? कब से? रे डजर्ेंर् के क्वमर्ारों र्ें तो कभी सूबेदमर के घर
के लोग रहे नहीं। दरवमजे पर जम कर 'र्त्र्म र्ेकनम' कहम। असीस सनु ी। लहनमडसंह चपु ।
र्झु े पहचमनम?"

"नहीं।"

''तेरी कुडर्मई हो गई -धत् -कल हो गई- देखते नहीं, रे शर्ी बर्ू ोंवमलम समलू -अर्ृतसर र्ें -''
भमवों की र्करमहर् से र्िू मा खल
ु ी। करवर् बदली। पसली कम घमव बह डनकलम।

''वजीरम, पमनी डपलम।'' 'उसने कहम र्म।'


थवप्न चल रहम है। सूबेदमरनी कह रही है, "र्ैंने तेरे को आते ही पहचमन डलयम। एक कमर् कहती ह।ँ र्ेरे तो भमग फूर् गए।
सरकमर ने बहमदरु ी कम डखतमब डदयम है, लमयलपरु र्ें जर्ीन दी है, आज नर्क-हलमली कम र्ौकम आयम है। पर सरकमर
ने हर् तीडर्यों की एक घंघररयम पल्र्न क्यों न बनम दी, जो र्ैं भी सबू ेदमर जी के समर् चली जमती? एक बेर्म है। फौज र्ें
भती हुए उसे एक ही बरस हुआ। उसके पीिे चमर और हुए, पर एक भी नहीं डजयम।'' सबू ेदमरनी रोने लगी। ''अब दोनों
जमते हैं। र्ेरे भमग! तम्ु हें यमद है, एक डदन र्मँगवे मले कम घोडम दहीवमले की दक
ू मन के पमस डबगड गयम र्म। तुर्ने उस डदन
र्ेरे प्रमण बचमये र्े, आप घोडे की लमतों र्ें चले गए र्े, और र्झु े उठम-कर दक ू मन के तख्ते पर खडम कर डदयम र्म। ऐसे
ही इन दोनों को बचमनम। यह र्ेरी डभक्षम है। तम्ु हमरे आगे आँचल पसमरती ह।ँ ''

रोती-रोती सूबेदमरनी ओबरी र्ें चली गई। लहनम भी आँसू पोंितम हुआ बमहर आयम।

''वजीरमडसंह, पमनी डपलम'' ... 'उसने कहम र्म।'

लहनम कम डसर अपनी गोद र्ें रक्खे वजीरमडसंह बैठम है। जब र्मँगतम है, तब पमनी डपलम देतम है। आध घण्र्े तक लहनम
चपु रहम, डफर बोलम, "कौन! कीरतडसंह?"

वजीरम ने कुि सर्झकर कहम, "हमँ।"

"भइयम, र्झु े और ऊँचम कर ले। अपने पट्ट पर र्ेरम डसर रख ले।" वजीरम ने वैसे ही डकयम।

"हमँ, अब ठीक है। पमनी डपलम दे। बस, अब के हमड र्ें यह आर् खबू फलेगम। चमचम-भतीजम दोनों यहीं बैठ कर आर्
खमनम। डजतनम बडम तेरम भतीजम है, उतनम ही यह आर् है। डजस र्हीने उसकम जन्र् हुआ र्म, उसी र्हीने र्ें र्ैंने इसे
लगमयम र्म।"

वजीरमडसंह के आँसू र्प-र्प र्पक रहे र्े।

कुि डदन पीिे लोगों ने अख़बमरों र्ें प़िम... फ्मन्स और बेलडजयर्... ६८ वीं सचू ी... र्ैदमन र्ें घमवों से र्रम... नं ७७
डसख रमइफल्स जर्मदमर लहनडसंह।

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