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चंदा रे चंदा रे

कभी तो ज़मीं पर आ

बैठेंगे, बातें करेंगे

चंदा रे चंदा रे

कभी तो ज़मीं पर आ

बैठेंगे, बातें करेंगे

चंदा रे चंदा रे

कभी तो ज़मीं पर आ

बैठेंगे, बातें करेंगे

तुझको आते इधर

लाज आये अगर

ओढ़ के आजा, तू बादल घने

चंदा रे चंदा रे

कभी तो ज़मीं पर आ

बैठेंगे, बातें करेंगे

तुझको आते इधर

लाज आये अगर

ओढ़ के आजा, तू बादल घने

गुलशन, गुलशन, वादी वादी, बहती है रेशम जैसी हवा

गुलशन, गुलशन, वादी वादी, बहती है रेशम जैसी हवा

जंगल जंगल, पववत, पववत, हैं नींद में सब इक मेरे ससवा,

चंदा चंदा

आजा सपनों की नीली नददया में नहायें

आजा ये तारे चुनके हम, हार बनाएं

इन धु
ुँ धली धु
ुँ धली राहों में, आ दोनों ही खो जाएं

चंदा रे, चंदा रे

कभी तो ज़मीं पर आ

बैठेंगे बातें करेंगे


तुझको आते इधर

लाज आये अगर

ओढ़ के आजा तू बादल घने

चंदा से पूछेंगे हम, सारे सवाल दनराले

झरने क्यों गाते हैं, पंछी क्यों मतवाले

हो, क्यों है सावन महीना घटाओं का

चंदा से पूछेंगे हम सारे सवाल दनराले

चंदा, चंदा

तततली के पर क्यों इतने रंगीन होते हैं

जुगनू रातों में जागे, तो कब सोते हैं

इन धु
ुँ धली-धु
ुँ धली राहों में, आ दोनों ही खो जाएं

चंदा रे, चंदा रे

कभी तो ज़मीं पर आ

बैठेंगे बातें करेंगे

तुझको आते इधर

लाज आये अगर

ओढ़ के आजा तू बादल घने

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