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बसतो क फ़ रयाद

{पा :महाराजा, महामं ी, चार ब ते, एक बालक, दो सपाह }


{मंच पर परदे के पीछे से आवाज आ रह है।
आजकल कैसी-कैसी शकायत आ रह ह महामं ी, अब तो ब ते भी शकायत करने लगे। जमीन-जायदाद
क शकायत तो आती ह, मारपीट और ी-पु ष के झगड़ क शकायत आना भी समझ म आता है ,
पर... पर... ये ब ते! आ चय है इ ह या क ट हो गया, समझ से परे है महामं ी।}
महाराज- कोई वशेष बात लगती है । राजमहल को हजार ब त ने घेर रखा है , नारे बाजी हो रह है , 'हम पर
न ये जु म करो- इंसाफ करो इंसाफ करो।'
सारे ब ते आपसे मलना चाहते थे, वह तो मने केवल चार त न ध ब त को ह दरबार म आने क
इजाजत द है।
चलो चलकर दे खते ह।
{राजसी वेशभष
ू ा म महाराज और महामं ी मंच पर वेश करते ह। मंच पर उपि थत दो सै नक सर
झुकाकर अ भवादन करते ह। महाराज आसन पर बैठ जाते ह और ब त क तरफ एक सरसर नजर डालते
ह।
पांच छोटे -बड़े ब चे ब ता बने हुए ह, छाती पर छोटे से बैनर बंधे ह िजन पर लखा है - फ ट टडड, फोथ
टडड, सेवंथ टडड, टथ टडड और वे थ टडड। पांच ब च के कमर बे ट म कताब-कॉ पयां बंधी ह।}
महाराज- इतने छोटे ब ते? इ ह या क ट हो सकता है महामं ी? एक-एक कर इनको हमारे सम पेश
कया जाए।
(महामं ी एक ब ते क तरफ इशारा करता है )
एक छोटा ब ता- महाराज क जय हो, दहु ाई हो महाराज हम नर ह क पुकार सुनी जाए, हम बहुत ह
दख
ु ी ह महाराज।
महाराज- यह कौन सा ब ता है , यह कैसा जोकर बना हुआ है , इसक कमर कताब से ढं क है, यह या
तमाशा है।
महामं ी- यह फ ट टडड का ब ता है ।
महाराज- यह फ ट टडड या होता है महामं ी?
महामं ी- फ ट टडड का मतलब थम क ा है महाराज, पहल लास। यह पहल लास का ब ता है ...
महाराज- हां-हां हम जानते ह महामं ी, श ा हण के पायदान क थम सीढ़ होती है पहल क ा।
महामं ी- मा कर महाराज, अब वैसा समय नह ं रहा। पहल जमात तक आते-आते तो तीन जमात उ ीण
कर ल जाती ह।
महाराज- कैसी बेतुक बात करते हो महामं ी, पहल क ा म आते-आते ब चे तीन क ाएं पार कर आते ह,
या पैदा होते ह ब चे के कंधे पर ब ता टांग दया जाता है?
महामं ी- हां महाराज, नह ं महाराज (हकला जाता है)।
महाराज- यह या हां महाराज, नह ं महाराज लगा रखी है । ठ क से बताओ या पैदा होते ह ब च को
शाला भेज दया जाता है ?
महामं ी- दो वष के ब चे को बचपन ले म भत कर दे ते ह महाराज।
महाराज- यह कौन सा ले है ? कोई खेल का मैदान है या? हमारे जमाने म तो खेल के मैदान म
घुड़सवार , तलवारबाजी, कु ती, कब डी, खो-खो, फुटबॉल वगैरह होती थी। कहां पर है यह बचपन का
मैदान?
महामं ी- महाराज यह वैसा वाला ले ाउं ड नह ं है। यह तो ब च क शाला जाने म दलच पी बढ़े और
च जागे इसके लए एक पाठशाला ह है महाराज। यहां पढ़ाई के साथ खेल- खलौन क सु वधा होती है।
महाराज- परं तु यह काय तो घर म भी हो सकता है । माता- पता, दादा-दाद के संर ण म सीखगे तो उ ह
नेह-दल
ु ार भी मलेगा, ब चे कुछ अ धक ह हण करगे।
महामं ी- आपका कथन सौ तशत स य है महाराज, कं तु आजकल दाद -दादा ब च के साथ रह ह कहां
पाते ह और माता- पता को तो इतना व त ह नह ं है क ब च के साथ खेल सक, उ ह पढ़ा सक।
महाराज- ऐसा या हो गया क दादा-दाद ब च के साथ नह ं रह पाते, माता- पता के पास समय नह ं है ?
महामं ी- आजकल अ धक से अ धक धन कमाने क चाहत म आदमी मदहोश हुआ जा रहा है । अपना गांव-
क बा छोड़कर बड़े शहर क ओर पलायन कर रहा है । माता- पता दोन कसी सरकार , गैरसरकार द तर
म कायरत ह। ब च के दादा-दाद अपने गांव-क ब के ह होकर रह गए ह। बहुत कम खश
ु नसीब ब च को
उनका लाड़-दल
ु ार ा त हो पा रहा है ।
महाराज- यह कैसी यव था है िजसम दो साल के ब चे को माता क गोद से छ नकर शालाओं म फक दे ते
ह। महामं ी यह भी बताओ क बचपन ले के बाद ब चे और कहां कहां पढ़ते-खेलते ह?
महामं ी- बचपन ले के बाद ब चे केजी वन व केजी टू नाम क क ा म पढ़ते ह महाराज।
महाराज- बचपन ले, केजी, वन केजी टू, ये या सुन रहा हूं म। ब च के मां क गोद म खेलने के दन
शाला ांगण म बीतते ह। वह भी मा इस कारण क माता- पता के पास इनके लए समय नह ं है।
महामं ी- मा कर महाराज कं तु अब तो यह सब परं परा म शम
ु ार हो गया है , हमार दनचया म शा मल
है । छ: बजे से ह सैकड़ ब चे सड़क पर वाहन क ती ा म सड़क पर दे खे जा सकते ह।
महाराज- ठ क है, ठ क है, अब मामले का वषयांतरण न कर। इन ब त क शकायत पर गौर कया जाए
( फर ब ते क ओर इं गत करते हुए) बोलो न हे ब ते, तु ह या दःु ख है?
न हा ब ता- महाराज, आप हमार हालत दे खए, हम पहल क ा के ब ते ह। ये दे खए हमारे भीतर
कतनी कताब ठुंसी हुई ह (कमर क तरफ इशारा करता है )। हवा जाने तक को जगह नह ं है। महाराज म
जगह-जगह से फट गया हूं फर भी रोज सबेरे मुझे कताब से भर दया जाता है। ऊपर-नीचे, अगल-बगल
सब म कताब भर द जाती ह। कॉ पय को जबरन भीतर धका दया जाता है।
महाराज- अरे ब ते बेटे आप यहां आए ह, आपके मा लक कहां है ? आ खर आप कसी ब चे के ह तो ब ते
ह गे िजसके कंधे पर आप टं गकर जाते ह?
ब ता- महाराज वह न हा बालक यहां नह ं आ सकता। उसके श क ने उसे हदायत द है क अगर ब ते
के वजन संबंधी कोई शकायत क तो शाला से न का सत कर दगे। वह आपके पास आने से डरता है
महाराज। मझ
ु जैसे भार ब ते को रोज लादकर शाला जाता है बेचारा, कमर झक
ु गई है , पर मंह
ु से एक
श द भी नह ं बोलता। सभी ब च के यह हाल ह। हम लोग ने कहा था, हड़ताल कर दो पर डरते ह बेचारे ।
उन पर दया आती है । महाराज तब ह तो हम ब त ने मलकर आप तक आने क ह मत क है । याय
कर महाराज।
महाराज- इतनी सार कताब इतने छोटे ब ते म! महामं ी इस ब ते को तुलवाओ...
(महामं ी इशारा करता है और एक सै नक वजन तौलने क मशीन ले आता है। महामं ी ब ता उस पर रख
दे ता है।)
महामं ी- (मशीन म पढ़ते हुए) महाराज चौदह कलो ाम और... और... तीन सौ ाम, चौदह कलो तीन सौ
ाम है महाराज।
महाराज- ओह इतना वजन, चौदह कलो ाम से भी अ धक। महामं ी उस ब चे का वजन कतना होगा,
जो इस ब ते को लादकर शाला ले जाता है । हम व तुि थ त जानना चाहते ह। लगता है हम अपने दे श के
नौ नहाल को ता ड़त कर रहे ह। उस ब चे को हािजर कया जाए तरु ं त अभी, हम शी ह याय करना
चाहते ह।
महामं ी- जी महाराज अभी बुलवाता हूं (महामं ी महाराज के चेहरे पर आते ोध के भाव को पढ़कर सहम
गया था)। वह एक सपाह को इशारा करता है । महाराज सभी ब त क तरफ ि ट डालकर अनुमान लगाने
का यास कर रहे ह क इन ब त म कतनी कताब भर ह।
( एक ब चा डरते-डरते मंच पर वेश करता है )।
महाराज- ब चे यह तु हारा ब ता है ?
ब चा- हां महाराज... जी महाराज, हां-हां... मेरा ह है (ब चे का मुंह घबराहट म सूख रहा है वह थूक
गट
ु कने का यास कर रहा है )।
महाराज- ब चे डरो नह ं, मने तु ह दं ड दे ने के लए नह ं बुलाया है । हम तु हारे दख
ु का नवारण करना
चाहते ह। या तुम इस ब ते को लेकर रोज शाला जाते हो? कहां रखते हो, कंधे पर या बगल म लटकाते
हो?
ब चा- महाराज, हम इसे पीठ पर लादते ह।
महाराज- ब चे, तु ह वजन महसूस नह ं होता? या आराम से तुम इसे शाला ले जाते हो?
( ब चा चुपचाप खड़ा रहता है ) बोलो-बोलो खामोश य हो गए?
ब चा- महाराज बहुत ह भार होता ब ता। महाराज कुछ गर ब ब चे तो घर से पैदल ह ब ता लादकर
शाला जाते ह। (ब चे क आंख म आंसू आ जाते ह)
महाराज- महामं ी इस बालक का वजन भी तो दे खो। मुझे तीत होता क ब ते का वजन बालक के वजन
से अ धक है ।
( महामं ी ब चे को मशीन पर तौलता है )
महामं ी- ये रहा महाराज... तेरह कलो... और-और... दो सौ ाम। तेरह कलो दो सौ ाम है महाराज इस
ब चे का वजन।
महाराज- महामं ी इस बालक का वजन भी तो दे खो। मुझे तीत होता क ब ते का वजन बालक के वजन
से अ धक है ।
( महामं ी ब चे को मशीन पर तौलता है )
महामं ी- ये रहा महाराज... तेरह कलो... और-और... दो सौ ाम। तेरह कलो दो सौ ाम है महाराज इस
ब चे का वजन।
महाराज- (चेहरे पर क णा का भाव लाकर) हे भगवान! यह कैसा अ याय हो रहा है हमारे रा य म।
महामं ी दे खा मेरा अनुमान सच नकला न, ब ते का वजन ब चे से अ धक है। महामं ी या हम अपराध
नह ं कर रहे ह इन ब च के साथ?
िजन ब च क पीठ पर मां क यार - यार थप कयां होना चा हए, हाथ म गु डे-गु ड़या होना चा हए, उन
पर भार -भरकम ब त का भार, कताब क गठर । या हमार संवेदनाएं मर गई ह? या हम दयह न
नह ं हो गए ह? अब दस
ू रे ब च क भी जानकार ल जाए। वैसे हंडी का एक दाना दे खकर हमने चावल
पकने का अंदाज तो लगा ह लया है , फर भी...। दस
ू रे ब त क तरफ दे खते ह...
महामं ी- (अंगल
ु से इशारा करते हुए) महाराज ये चौथी, सातवीं, दसवीं और बारहवीं के ब ते ह।
महाराज- ये भी ठसाठस भरे हुए ह। वजन भी लगभग इतना ह तीत हो रहा है। नि चत तौर पर बड़ी
क ाओं के ब चे आयु म बड़े ह ह गे और इनके ब त का वजन, ब च के वजन से कम या बराबर होगा।
महामं ी- ठ क कहा महाराज, अ धक बड़े ब च के लए ब ते का वजन क सम या नह ं के बराबर होगी।
महाराज- नह ं महामं ी नह ं, भले वजन क सम या न हो फर भी इतनी अ धक कताब क या
आव यकता है । बीस कलो का ब चा भी पं ह कलो का ब ता य लादे फरे ?िजन कंध पर दे श का भार
हो, वे नादान कोमल कंधे ब ता ढोएं, यह बात का बले बदा त नह ं है महामं ी। (दरू एक मेज क तरफ
दे खते हुए)। वह मेज पर कताब कैसी पड़ी हुई है ? कसक है वह?
महामं ी- महाराज वह कॉलेज के कसी व याथ क कॉपी लगती है ।
महाराज- तो कॉलेज जाने वाला व याथ केवल कॉपी लेकर कॉलेज जाता है ?
महामं ी- हां महाराज, वह कभी-कभी नोट बुक लेकर कॉलेज जाता है।
महाराज- कभी-कभी से या मतलब है महामं ी?
महामं ी- वह कॉलेज रोज नह ं जाता। आजकल कॉलेज रोज लगते भी नह ं ह, फर वहां क यट
ू र इ या द
से भी काम चल जाता है । अपनी जेब म ये ब चे डायर भी रखते ह महाराज।
महाराज- ये बस करो महामं ी, बहुत हुआ। मुझे समझ म आ रहा है क दे श का भार छोटे लोग के कंध
पर ह है। जैसे-जैसे बड़े होते जाते ह जवाबदार से मु त होते जाते ह। सारा दे श छोटे लोग पर नभर है ।
कसान मेहनत करता है तजोर यापा रय क भरती है । प र म मजदरू करता है हवेल सेठ क खड़ी होती
है । बड़े लोग कानून बनाते ह पालन सफ छोटे करते ह। कार गर कपड़े बन
ु ता है साहब लोग ठाठ से पहनते
ह और वह कार गर फटे हाल है । यह है न दे श क यव था?
महामं ी- बात तो आपक सोलह आने सच है महाराज।
( बाहर ब त का शोरगुल सुनाई दे रहा है , नारे बाजी हो रह है, शोर दरवाजे तक आ जाता है)
ब त पर कुछ रहम करो,
ठूंस ठूंस कर नह ं भरो
( महाराज मंच पर खड़े हो जाते ह)- मेरे यारे ब त , आज हमने आपक फ रयाद सन
ु ी। यथाथ म आप
बहुत क ट म ह। छोटे ब च के ब ते बहुत भार ह, यह हमने अनुभव कया है। हम यह ब तालाद
प रपाट शी बंद करगे। प रवतन आव यक है ।
हमारे पूवज भी ब ता लेकर नह ं जाते थे। गु कुल म ह सार यव था होती थी। वेद, पुराण, मृ तयां और
आयव
ु द के बड़े ंथ के लए कभी भी भार -भरकम कताब , कॉ पय क ज रत नह ं पड़ी। परु ानी
आ याि मक प ध त अब आधु नक हो चुक है । क यूटर का युग है तो ब त का या काम? हम ब त
का चलन बंद कर दगे। कताब बंद, कॉ पयां बंद। 'न रहे गा बांस न बजेगी बांसुर '। जब कताब-कॉ पयां ह
नह ं ह गी तो ब त का या काम?

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