You are on page 1of 12

समास

समास क्या है?


समा स शब् द का अर्थ है – समा हा र या मि ला ना |

समास

अव्ययी भाव तत्पुरुष समास कर्मधारय समास बहुब्रीहि समास द्विगु समास द्वंद्ध समास
अव्ययी भाव
• इस समा स का पहला पद अव् यय तथा प्र धा न हो ता है |
इससे बना सा मा सि क शब् द भी अव् यय हो ता है | जै से -
नि डर, अनु रू प, भरपे ट आदि |
• कु छ अन् य उदा हरण-

समस्त पद विग्रह
आजीवन आमरण जीवन भर
आजन्म मरने तक
यथाशीघ्र जन्म ले कर
गाँव–गाँव जन्म से लेकर
घर-घर जितना भी शीघ्र हो सके
प्रत्येक गाँव प्रत्येक घर
तत्पुरुष समास
जि स समा स का उत्त र पद प्र दा न हो तथा वि भक्ति
चि न् हों का लो प हो वह ‘तत् पु रु ष समा स कहला ता है |
जै से -रा हखर्च , गु रु दा क्षि ना , वनवा स, हस् तलि खि त,
यज्ञ शा ला आदि |
कु छ अन् य उदा हरण-

समस्त पद विग्रह

माखनचोर माखन को चुराने वाला


ग्रामगत्त ग्राम को गया हुआ
परलोकगमन परलोक को गमन
शोकाकु ल शोक के आकु ल
तुलसीकृ त तुलसी द्वारा कृ त
स्वर्ग गत स्वर्ग को गया हुआ
यश प्राप्त यश को प्राप्त
गृह गत गृह को गया हुआ
रसभरा रस से भरा हुआ
भुखमरा भूख से मारा हुआ
कर्म धारय समास-

इस समा स का पहला पद वि शे षण तथा दू सरा कु छ आन् य उदहा रण


वि शे ष् य हो ता है अथवा एक पद उपमा न तथा
• अ समस्त पद विग्रह
दू सरा पद उपमे य हो ता है | जै से - नी लकमल,
अधपका आधा है जो पका
धनश् या म, चं द्र मु खी , चरणकमल, परमा नं द
सुपुत्र अच्छा है जो पुत्र
आदि |
भलामानस भला है जो मानुष
महाराजा महँन है जो राजा
महात्मा महान है जो आत्मा
नीलकं ठ नीला है जो कं ठ
बहुब्री हि समास
इस समा स में पू र्व तथा उत्त र दो नों पदों में को ई भी पद
प्र धा न नहीं हो ता , बल्कि अन् य पद प्र धा न हो ता है |
इसका वि ग्र ह करते समय ‘वा ला ’, ‘वा ली ’, ‘जि सके ’,
शब् दों का प्र यो ग हो ता है | जै से - नी लकं ठ- नी ला कं ठ
है जि सका अर्था त् शि वजी | पं कज- पं क में जन् म ले ता
है जो अर्था त् कमल|
कु छ अन् य उदा हरण-

समस्त पद विग्रह
धनश्याम धन के सामान श्याम वर्ना है जिसका अर्थात्
श्रीकृ ष्ण
मेघनाद मेघ के सामान नाद वर्ना है जिसका अर्थात्
रावन का पुत्र
गजानन गज के सामान आनन् है जिसका अर्थात्
गणेशजी
नीलकं ठ नीला कं ठ हो जिसका अर्थात् शिवजी
द्वि गु समास

इस समा स का पू र्व पद सं ख् या वा ची हो ता है
कु छ आन् य उदहा रण-

तथा समस् त पद से कि सी समू ह वि शे ष का समस्त पद वि ग्र ह


बो ध हो ता है | जै से - पं चवटी , एकपदी य एकपदीय एक पदवा ला

द्वि घा त शता ब् दी आदि | द्विघातीय दो घा तो का समू ह


त्रिफला ती न फलों का समू ह
त्रिकोण ती न को ड़ो का समा हा र
त्रिभुज ती न भु जा ओं का समू ह
चतुर्भुज चा र भु जा ओं का समू ह
पंचवटी पां च वटों का समा हा र
द्वं द्ध समास

• इस समा स में समस् त पद का वि ग्र ह करने पर


दो नों पदों के बी च ‘और’, ‘या ’, अथवा ‘तथा ’
यो जक प्र यो ग हो ता है | जै से - आना -जा ना ,
मो ह-मा या , गु रु -शि ष् य, हा थ-पै र|
कु छ आन् य उदहा रण-

समस्त पद विग्रह
माता-पिता माता और पिता
भाई-बहन भाई और बहन
पाप-पुण्य पाप और पुण्य
सुख-दुःख सुख और दुःख
धन्यवाद

You might also like