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ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ

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ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ


बिल्वाष्टकम् ॐ

ॐ त्रिदलं त्रिगुणाकारं त्रिनेिं च ियायुधम् । ॐ

ॐ त्रिजन्मपाप-सं हारमेकत्रिल्वं शिवापणणम्।।1।। ॐ

IN

त्रििाखैत्रिणल्वपिैश्च ह्यच्छिद्रै : कोमलै: िुभै: । ॐ

F.
शिवपूजां कररष्यात्रम ह्येकत्रिल्वं शिवापणणम्।।2।।
D
ॐ ॐ
AP

अखण्डत्रिल्वपिेण पूशजते नशिके श्वरे ।


ॐ ॐ
ST

िुद्धयच्छि सवणपापेभ्यो ह्येकत्रिल्वं शिवापणणम्।।3।।


IN

ॐ ॐ
िाशलग्रामशिलमेकां त्रवप्राणां जातु अपणयेत्।
ॐ ॐ
सोमयज्ञ-महापुण्यमेकत्रिल्वं शिवापणणम्।।4।।
ॐ ॐ
दच्छिकोत्रिसहस्त्राशण वाजपेयितात्रन च ।
ॐ ॐ
कोत्रिकन्या-महादानमेकत्रिल्वं शिवापणणम्।।5।।
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ
लक्ष्म्या: स्तनत उत्पन्नं महादे वस्य च त्रप्रयम्।
ॐ ॐ
त्रिल्ववृक्षं प्रयिात्रम ह्येकत्रिल्वं शिवापणणम्।।6।।
ॐ ॐ
दिणनं त्रिल्ववृक्षस्य स्पिणनं पापनािनम्।

ॐ ॐ
अघोरपापसं हारमेकत्रिल्वं शिवापणणम्।।7।।

IN
ॐ ॐ
मूलतो ब्रह्मरूपाय मध्यतो त्रवष्णुरूत्रपणे ।
F.
D
ॐ अग्रत: शिवरूपाय ह्येकत्रिल्वं शिवापणणम्।।8।। ॐ
AP

ॐ त्रवल्वाष्टकत्रमदं पुण्यं य: पठे च्छिवसत्रन्नध।। ॐ


ST
IN

सवणपापत्रवत्रनमुणक्त: शिवलोकमवाप्नुयात्।।9।।
ॐ ॐ

।। इत्रत त्रिल्वाष्टकं सम्पूणम


ण ।् ।
ॐ ॐ

ॐ ॐ

ॐ ॐ

ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ

ॐ ॐ

ॐ ॐ

ॐ ॐ

ॐ ॐ

IN
ॐ ॐ

F.
D
ॐ ॐ
AP

ॐ ॐ
ST
IN

ॐ ॐ

ॐ ॐ

ॐ ॐ

ॐ ॐ

ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ

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