You are on page 1of 12

ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ

ॐ ॐ

ॐ ॐ

ॐ ॐ

ॐ ॐ

ॐ ॐ

ॐ ॐ

ॐ ॐ

ॐ ॐ

ॐ ॐ

ॐ ॐ

ॐ ॐ

ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ

ॐ ॐ


महालक्ष्मी पूजाविधि ॐ


❖ महालक्ष्मी व्रत के समापन के दिन सुबह जल्दी दनत्य दियाओं से ॐ
दनवृत्त होकर स्नान करें।
ॐ ❖ इसके बाि अपने पूजा घर को साफ करें और व्रत करने का सं कल्प ॐ

लें।

.IN
ॐ ॐ
❖ अब एक चौकी पर मां लक्ष्मी की मूदति या प्रदतमा को स्थादपत करें
DF
और इसके पास श्री यं त्र रखें।
ॐ ॐ
❖ एक कलश में जल भरकर उस पर नाररयल रख िें और इसे मां
AP

लक्ष्मी के मूदति के सामने रखें। ॐ



ST

❖ इसके पश्चात मां लक्ष्मी को फल, नैवेद्य तथा फूल चढाएं और िीपक
IN

ॐ या धूप जलाएं । ॐ

❖ आप माता लक्ष्मी की पूजा करें तथा महालक्ष्मी स्त्रोत का जाप करें।


ॐ ॐ
❖ महालक्ष्मी व्रत के प्रत्येक दिन सूयििेव को अर्घ्ि िे ने की दवधध है।
❖ महालक्ष्मी व्रत के समापन दतधथ पर कलश की पूजा करने की परं परा
ॐ ॐ
है।
❖ महालक्ष्मी माता को प्रसन्न करने के धलए नौ अलग-अलग प्रकार की
ॐ ॐ
दमठाई और सेवइयां अदपित करें।
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ

ॐ ॐ


महालक्ष्मी व्रत कवा ाव ॐ

ॐ महालक्ष्मी व्रत कथा ाक-1 ॐ

ॐ एक समय महदषि श्री वेिव्यासजी हस्तिनापुर पधारे। उनका आगमन सुन ॐ

महाराज धृतराष्ट्र उनको आिर सदहत राजमहल में ले गए। स्वर्ि धसंहासन

.IN
ॐ ॐ
पर दवराजमान कर चरर्ोिक ले उनका पूजन दकया।
DF
ॐ ॐ
श्री व्यासजी से माता कुं ती तथा गांधारी ने हाथ जोड़कर प्रश्न दकया- हे
AP

महामुने! आप दत्रकालिशी हैं अत: आपसे हमारी प्राथिना है दक आप ॐ



ST

हमको कोई ऐसा सरल व्रत तथा पूजन बताएं धजससे हमारा राज्यलक्ष्मी,
IN

ॐ सुख-सं पदत्त, पुत्र-पोत्रादि व पररवार सुखी रहें। ॐ

ॐ ॐ
इतना सुन श्री वेि व्यासजी कहने लगे- 'हम एक ऐसे व्रत का पूजन व
वर्िन कहते हैं धजससे सिा लक्ष्मीजी का दनवास होकर सुख-समृदि की
ॐ ॐ
वृदि होती है। यह श्री महालक्ष्मीजी का व्रत है धजसे प्रदतवषि आधिन कृ ष्ण
अष्ट्मी को दवधधवत दकया जाता है।'
ॐ ॐ

ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ

ॐ ॐ
हे महामुने! इस व्रत की दवधध हमें दविारपूविक बताने की कृ पा करें। तब
व्यासजी बोले- 'हे िे वी! यह व्रत भाद्रपि शुक्ल अष्ट्मी से प्रारं भ दकया
ॐ ॐ
जाता है। इस दिन स्नान करके 16 सूत के धागों का डोरा बनाएं , उसमें 16


गांठ लगाएं , हल्दी से पीला करें। प्रदतदिन 16 िूब व 16 गेहं डोरे को ॐ
चढाएं । आधिन (क्ांर) कृ ष्ण अष्ट्मी के दिन उपवास रखकर दमट्टी के हाथी
ॐ पर श्री महालक्ष्मीजी की प्रदतमा स्थादपत कर दवधधपूविक पूजन करें। ॐ

.IN
ॐ ॐ
इस प्रकार श्रिा-भदि सदहत महालक्ष्मीजी का व्रत, पूजन करने से आप
DF
लोगों की राज्यलक्ष्मी में सिा अधभवृदि होती रहेगी। इस प्रकार व्रत का
ॐ ॐ
AP

दवधान बताकर श्री वेिव्यासजी अपने आश्रम को प्रस्थान कर गए।

ॐ ॐ
ST

इधर समयानुसार भाद्रपि शुक्ल अष्ट्मी से गांधारी तथा कुं ती अपने-अपने


IN

ॐ महलों में नगर की स्त्रत्रयों सदहत व्रत का आरं भ करने लगीं। इस प्रकार 15 ॐ

दिन बीत गए। 16वें दिन आधिन कृ ष्ण अष्ट्मी के दिन गांधारी ने नगर की
ॐ ॐ
सरभी प्रदतदित मदहलाओं को पूजन के धलए अपने महल में बुलवा धलया।
माता कुं ती के यहां कोई भी मदहला पूजन के धलए नहीं आई। साथ ही
ॐ ॐ
माता कुं ती को भी गांधारी ने नहीं बुलाया। ऐसा करने से माता कुं ती ने
अपना बड़ा अपमान समझा। उन्ोंने पूजन की कोई तैयारी नहीं की एवं
ॐ ॐ
उिास होकर बैठ गईं।
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ

ॐ ॐ
जब पांचों पांडव युधधदिर, अजुिन, भीम, नकु ल और सहिे व महल में आए
तो कुं ती को उिास िे खकर पूछा- हे माता! आप इस प्रकार उिास क्ों हैं?
ॐ ॐ
आपने पूजन की तैयारी क्ों नहीं की?' तब माता कुं ती ने कहा- 'हे पुत्र!


आज महालक्ष्मीजी के व्रत का उत्सव गांधारी के महल में मनाया जा रहा ॐ
है।
ॐ ॐ

उन्ोंने नगर की समि मदहलाओं को बुला धलया और उसके 100 पुत्रों ने

.IN
ॐ ॐ
दमट्टी का एक दवशाल हाथी बनाया धजस कारर् सभी मदहलाएं उस बड़े
DF
हाथी का पूजन करने के धलए गांधारी के यहां चली गईं, लेदकन मेरे यहां
ॐ ॐ
AP

नहीं आईं। यह सुनकर अजुिन ने कहा- 'हे माता! आप पूजन की तैयारी


करें और नगर में बुलावा लगवा िें दक हमारे यहां स्वगि के ऐरावत हाथी की ॐ

ST

पूजन होगी।’
IN

ॐ ॐ

इधर माता कुं ती ने नगर में दढंढोरा दपटवा दिया और पूजा की दवशाल
ॐ ॐ
तैयारी होने लगी। उधर अजुिन ने बार् के द्वारा स्वगि से ऐरावत हाथी को
बुला धलया। इधर सारे नगर में शोर मच गया दक कुं ती के महल में स्वगि से
ॐ ॐ
इन्द्र का ऐरावत हाथी पृथ्वी पर उतारकर पूजा जाएगा। समाचार को
सुनकर नगर के सभी नर-नारी, बालक एवं वृिों की भीड़ एकत्र होने
ॐ ॐ
लगी। उधर गांधारी के महल में हलचल मच गई।
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ

ॐ ॐ
वहां एकत्र हुईं सभी मदहलाएं अपनी-अपनी थाधलयां लेकर कुं ती के महल
की ओर जाने लगीं। िे खते ही िे खते कुं ती का सारा महल ठसाठस भर
ॐ ॐ
गया। माता कुं ती ने ऐरावत को खड़ा करने हेतु अनेक रं गों के चौक


पुरवाकर नवीन रेशमी वस्त्र दबछवा दिए। नगरवासी स्वागत की तैयारी में ॐ
फूलमाला, अबीर, गुलाल, के शर हाथों में धलए पं दिबि खड़े थे। जब
ॐ स्वगि से ऐरावत हाथी पृथ्रवी पर उतरने लगा तो उसके आभूषर्ों की ध्वदन ॐ

गूं जने लगी। ऐरावत के िशिन होते ही जय-जयकार के नारे लगने लगे।

.IN
ॐ DF ॐ

सायं काल के समय इन्द्र का भेजा हुआ हाथी ऐरावत माता कुं ती के भवन
ॐ ॐ
AP

के चौक में उतर आया, तब सब नर-नाररयों ने पुष्प-माला, अबीर, गुलाल,


के शर आदि सुगंधधत पिाथि चढाकर उसका स्वागत दकया। राज्य पुरोदहत ॐ

ST

द्वारा ऐरावत पर महालक्ष्मीजी की मूदति स्थादपत करके वेि मं त्रोच्चारर् द्वारा


IN

ॐ पूजन दकया गया। नगरवाधसयों ने भी महालक्ष्मी पूजन दकया। दफर अनेक ॐ

प्रकार के पकवान लेकर ऐरावत को धखलाए और यमुना का जल उसे


ॐ ॐ
दपलाया गया। राज्य पुरोदहत द्वारा स्वस्ति वाचन करके मदहलाओं द्वारा
महालक्ष्म
र ी का पूजन कराया गया।
ॐ ॐ

ॐ ॐ

ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ

ॐ ॐ
16 गांठों वाला डोरा लक्ष्मीजी को चढाकर अपने-अपने हाथों में बांध
धलया। ब्राह्मर्ों को भोजन कराया गया। िधिर्ा के रूप में स्वर्ि आभूषर्,
ॐ ॐ
वस्त्र आदि दिया गया। तत्पश्चात मदहलाओं ने दमलकर मधुर सं गीत


लहररयों के साथ भजन कीतिन कर सं पूर्ि रादत्ररमहालक्ष्रमी व्रत का जागरर् ॐ
दकया। िूसरे दिन प्रात: राज्य पुरोदहत द्वारा वेि मं त्रोच्चार के साथ जलाशय
ॐ में महालक्ष्मीजी की मूदति का दवसजिन दकया गया। दफर ऐरावत को ॐ

दबिाकर इन्द्रलोक को भेज दिया।

.IN
ॐ DF ॐ

इस प्रकार जो स्त्रत्रयां श्री महालक्ष्मीजी का दवधधपूविक व्रत एवं पूजन करती


ॐ ॐ
AP

हैं, उनके घर धन-धान्य से पूर्ि रहते हैं तथा उनके घर में महालक्ष्मीजी
सिा दनवास करती हैं। इस हेतु महालक्ष्मीजी की यह िुदत अवश्य बोलें- ॐ

ST
IN

ॐ 'महालक्ष्म
र ी नमिुभ्यं नमिुभ्यं सुरेिरर। ॐ

हरररदप्रयेरनमिुभ्यं नमिुभ्यं ियारदनधे।।'


ॐ ॐ

ॐ ॐ

ॐ ॐ

ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ

ॐ ॐ
महालक्ष्मी व्रत कथा ाक-2
ॐ ॐ
प्राचीन समय में एक बार एक गांव में गरीब ब्राह्मर् रहता था। वह
दनयदमत रूप से श्री दवष्णु का पूजन दकया करता था। उसकी पूजा-भदि
ॐ ॐ
से प्रसन्न होकर उसे भगवान श्री दवष्णु ने िशिन दिए और ब्राह्मर् से अपनी


मनोकामना मांगने के धलए कहा। ब्राह्मर् ने लक्ष्मी जी का दनवास अपने ॐ
घर में होने की इच्छा जादहर की। यह सुनकर श्री दवष्णु जी ने लक्ष्मीजी की

.IN
ॐ प्रादि का मागि ब्राह्मर् को बता दिया, धजसमें श्री हरर ने बताया दक मं दिर
DF ॐ

के सामने एक स्त्री आती है जो यहां आकर उपले थापती है। तुम उसे
ॐ ॐ
अपने घर आने का आमं त्रर् िे ना और वह स्त्री ही िे वी लक्ष्मी है। िे वी
AP

लक्ष्मी जी के तुम्हारे घर आने के बाि तुम्हारा घर धन और धान्य से भर


ॐ ॐ
ST

जाएगा। यह कहकर श्री दवष्णु चले गए।


IN

ॐ ॐ
अगले दिन वह सुबह चार बजे ही मं दिर के सामने बैठ गया। लक्ष्मी जी
ॐ उपले थापने के धलए आईं तो ब्राह्मर् ने उनसे अपने घर आने का दनवेिन ॐ

दकया। ब्राह्मर् की बात सुनकर लक्ष्मी जी समझ गईं दक यह सब दवष्णु जी


ॐ ॐ
के कहने से हुआ है। लक्ष्मी जी ने ब्राह्मर् से कहा की तुम महालक्ष्मी व्रत
करो। 16 दिन तक व्रत करने और सोलहवें दिन रादत्र को चन्द्रमा को अघ्र्य
ॐ ॐ
िे ने से तुम्हारा मनोरथ पूरा होगा।

ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ

ॐ ब्राह्मर् ने िे वी के कहे अनुसार व्रत और पूजन दकया और िे वी को उत्तर ॐ

दिशा की ओर मुं ह करके पुकारा, लक्ष्मी जी ने अपना वचन पूरा दकया।


ॐ ॐ
उस दिन से यह व्रत इस दिन दवधध-दवधान से करने से व्यदि की
मनोकामना पूरी होती है।
ॐ ॐ

महालक्ष्मी व्रत कथा ाक-3


ॐ ॐ

.IN
एक बार महालक्ष्मी का त्योहार आया। हस्तिनापुर में गांधारी ने नगर की
ॐ ॐ
सभी धस्त्रयों को पूजा का दनमं त्रर् दिया, परन्तु कुं ती से नहीं कहा। गांधारी
DF
के 100 पुत्रों ने बहुत सी दमट्टी लाकर एक हाथी बनाया और उसे खूब
ॐ ॐ
AP

सजाकर महल में बीचों बीच स्थादपत दकया। सभी धस्त्रयां पूजा के थाल ले

ॐ लेकर गांधारी के महल में जाने लगीं। इस पर कुं ती बड़ी उिास हो गईं, ॐ
ST

जब पांडवों ने कारर् पूछा तो उन्ोंने बताया दक मैं दकसकी पूजा करूं?


IN

ॐ अजुिन ने कहा मां! तुम पूजा की तैयारी करो मैं जीदवत हाथी लाता हं। ॐ

ॐ ॐ
अजुिन इन्द्र के यहां गए और अपनी माता के पूजन हेतु वह ऐरावत को ले
आए। माता ने सप्रेम पूजन दकया। सभी ने सुना दक कुं ती के यहां तो स्वयं
ॐ ॐ
इं द्र का ऐरावत हाथी आया है तो सभी उनके महल की ओर िौड़ पड़े और
सभी ने पूजन दकया। इस व्रत पर सोलह बोल की कहानी सोलह बार कही
ॐ ॐ
जाती है और चावल या गेहं अदपित दकए जाते हैं।
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ

ॐ ॐ

महालक्ष्मी आरत कीव ॐ


ॐ ॐ
ॐरजयरलक्ष्मीरमातारमैयारजयरलक्ष्मीरमाता


तुमकोरदनशदिन सेवत, मैयारजीरकोरदनशदिन सेवत ॐ

हरररदवष्णुरदवधाता, ।।रॐरजयरलक्ष्मीरमाता।।

.IN
ॐ ॐ
उमाररमारब्रह्मार्ी तुमरहीरजगमाता
DF
ॐ मैयारतुमरहीरजगमाता, सूयिरचन्द्रमारध्यावत ॐ
AP

नारिरऋदषरगाता, ।।रॐरजयरलक्ष्मीरमाता।।
ॐ ॐ
ST

िुगािररूपरदनरंजनी सुखरसम्पदत्त िाता


IN

ॐ ॐ
मैयारसुखरसम्पदत्त िाता, जोरकोईरतुमकोरध्यावत

ॐ ऋदि-धसदिरधनरपाता, ।।रॐरजयरलक्ष्मीरमाता।। ॐ

तुमरपातालरदनवाधसदन तुमरहीरशुभिाता
ॐ ॐ
मैयारतुमरहीरशुभिाता,कमिप्रभावप्रकाधशनी

ॐ भवदनधध कीरत्राता, ।।रॐरजयरलक्ष्मीरमाता।। ॐ

ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ

ॐ ॐ
धजसरघररमेंरतुमररहतीरसबरसद्गुर्रआता

मैयारसबरसद्गुर्रआता, सबरसम्भवरहोरजाता ॐ

मनरनहींरघबराता, ।।रॐरजयरलक्ष्मीरमाता।।
ॐ ॐ
तुमरदबनरयज्ञरनरहोतेरवस्त्ररनरकोईरपाता

ॐ मैयारवस्त्ररनरकोईरपाता, खानरपानरकारवैभवर ॐ

.IN
सबरतुमसेरआता, ।।ॐरजयरलक्ष्मीरमाता।।
ॐ ॐ
शुभरगुर्रमधिर सुिररिीरोिधध जाता
DF
ॐ मैयारसुिररिीरोिधध जाता, रत्नरचतुििश तुमरदबनरकोईरनहींरपाता ॐ
AP

।।ॐरजयरलक्ष्मीरमाता।। ॐ

ST

महालक्ष्मीजी कीरआरतीरजोरकोईरनररगाता
IN

ॐ ॐ
मैयारजोरकोईरनररगाता, उररआनिरसमातारपापरउतररजाता

ॐ ॐरजयरलक्ष्मीरमाता, मैयारजयरलक्ष्मीरमाता ॐ

तुमकोरदनशदिन सेवत, हरररदवष्णुरदवधाता


ॐ ॐ
।।ॐरजयरलक्ष्मीरमाता।।र।।रमैयारजयरलक्ष्मीरमाता।।

ॐ ॐ

ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ

ॐ ॐ

ॐ ॐ

ॐ ॐ

ॐ ॐ

.IN
ॐ DF ॐ

ॐ ॐ
AP

ॐ ॐ
ST
IN

ॐ ॐ

ॐ ॐ

ॐ ॐ

ॐ ॐ

ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ

You might also like