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ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ

ॐ ॐ

ॐ ॐ

ॐ ॐ

ॐ ॐ

ॐ ॐ

ॐ ॐ

ॐ ॐ

ॐ ॐ

ॐ ॐ

ॐ ॐ

ॐ हिन्दी अनुवाद सहित, स्तुतत,शिवाष्टक, रुद्राष्टक, ॐ


शिवषडक्षरस्तोत्रम्, आरती और पूजा तवधि
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ

ॐ शिवजी पूजा तवधि ॐ

ॐ ॐ
शिवजी की पूजा-अर्चना / पूजा ववशि इस प्रकाह :
ॐ ॐ
 सोमवाह के विन ब्रह्म मुहूर्च में उठ जाएं । वनत्यकमों को पूहा कह

IN
स्नानावि कह वनवृत्त ो जाएं ।
ॐ  विह पूजा घह में जाए या विह मं विह जाएं । य ां पह शिवजी समेर् ॐ

F.
मार्ा पावचर्ी औह नं िी को गं गाजल औह िूि र्ढाएं ।
D
 शिवशलंग पह िर्ूहा, भांग, आलू, र्ं िन, र्ावल अवपचर् कहें। सभी ॐ

AP

को वर्लक लगाएं । विह िूप, िीप जलाएं । सबसे प ले गणेि जी


की आहर्ी कहें औह विह शिवजी की आहर्ी कहें।
ॐ ॐ
ST

 विह शिवजी को घी, िक्कह या प्रसाि का भोग लगाएं । इसके बाि


सभी में प्रसाि बांटे।
IN


 शिवजी को वबल्व पत्र बे ि वप्रय ैं। इन्हें अवपचर् कहने से शिवजी ॐ
प्रसन्न ो जार्े ैं।
 भगवान शिव के पूजन के िौहान म ामृत्यजय ुं मं त्र का 108 बाह
ॐ ॐ
जाप कहें। इससे िांवर् एवं सुख-समृवि की प्रावो ोर्ी ।
 इसके अलावा नमः शिवाय, ऊँ नम: शिवाय मं त्र का जाप भी

कहना र्ाव ए। ॐ
 पूहे विन व्रर् कहें। िाम को पूजा कहने के बाि कह व्रर् खोलें।
आप र्ा ें र्ो य पूहा व्रर् िला ाह ी कह सकर्े ।ैं
ॐ ॐ

ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ


श्री शिव चालीसा ॐ

ॐ ॐ

।। दोिा ।।
ॐ ॐ

IN
श्री गणेि वगरहजा सुवन, मं गल मूल सुजान।
ॐ ॐ

F.
क र् अयोध्यािास र्ुम, िेहु अभय वहिान॥
D

ॐ || श्री शिव चालीसा चौपाई ||
AP

ॐ ॐ
ST

जय वगरहजा पवर् िीन ियाला। सिा कहर् सन्तन प्रवर्पाला॥


IN

भाल र्न्द्रमा सो र् नीके । कानन कु ण्डल नागिनी के ॥


ॐ ॐ

अंग गौह शिह गं ग ब ाये। मुण्डमाल र्न छाह लगाये॥


ॐ ॐ
वस्त्र खाल बाघम्बह सो े। छवव को िे ख नाग मुवन मो े॥

ॐ मना मार्ु की ह्व िुलाही। बाम अंग सो र् छवव न्याही॥ ॐ

कह वत्रिूल सो र् छवव भाही। कहर् सिा ित्रुन क्षयकाही॥


ॐ ॐ

ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ

नशि गणेि सो र् ँ कसे। सागह मध्य कमल ैं जसे॥


ॐ ॐ
कावर्चक श्याम औह गणहाऊ। या छवव को कव जार् न काऊ॥
ॐ ॐ
िेवन जब ीं जाय पुकाहा। र्ब ी िुख प्रभु आप वनवाहा॥
वकया उपद्रव र्ाहक भाही। िेवन सब वमशल र्ुमव ं जु ाही॥
ॐ ॐ
र्ुहर् षडानन आप पठायउ। लववनमेष म ँ मारह वगहायउ॥

IN
ॐ आप जलं िह असुह सं ाहा। सुयि र्ुम्हाह ववविर् सं साहा॥ ॐ

F.
वत्रपुहासुह सन युि मर्ाई। सबव ं कृ पा कह लीन बर्ाई॥
D
ॐ ॐ
वकया र्पव ं भागीहथ भाही। पुहब प्रवर्ज्ञा र्सु पुहाही॥
AP

िावनन म ं र्ुम सम कोउ ना ीं। सेवक स्तुवर् कहर् सिा ीं॥ ॐ



ST

वेि नाम मव मा र्व गाई। अकथ अनावि भेि नव ं पाई॥


IN

ॐ प्रगट उिशि मं थन में ज्वाला। जहे सुहासुह भये वव ाला॥ ॐ

कीन्ह िया र् ँ कही स ाई। नीलकण्ठ र्ब नाम क ाई॥


ॐ ॐ
पूजन हामर्ं द्र जब कीन्हा। जीर् के लं क ववभीषण िीन्हा॥
स स कमल में ो ह े िाही। कीन्ह पहीक्षा र्बव ं पुहाही॥ ॐ

एक कमल प्रभु हाखेउ जोई। कमल नयन पूजन र् ं सोई॥
ॐ कवठन भवि िेखी प्रभु िं कह। भये प्रसन्न विए इच्छिर् वह॥ ॐ

ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ

जय जय जय अनं र् अववनािी। कहर् कृ पा सब के घटवासी॥


ॐ ॐ
िुष्ट सकल वनर् मोव सर्ाव । भ्रमर् ह े मोव र्न न आव॥

ॐ त्राव त्राव मैं नाथ पुकाहो। यव अवसह मोव आन उबाहो॥ ॐ

ल वत्रिूल ित्रुन को माहो। सं कट से मोव आन उबाहो॥


ॐ मार्ु वपर्ा भ्रार्ा सब कोई। सं कट में पूछर् नव ं कोई॥ ॐ

IN
स्वामी एक आस र्ुम्हाही। आय हहु अब सं कट भाही॥
ॐ ॐ

F.
िन वनिचन को िेर् सिा ीं। जो कोई जांर्े वो िल पा ीं॥
D
ॐ अस्तुवर् के व ववशि कहौं र्ुम्हाही। क्षमहु नाथ अब र्ूक माही॥ ॐ
AP

िं कह ो सं कट के नािन। मं गल काहण ववघ्न ववनािन॥


ॐ ॐ
ST

योगी यवर् मुवन ध्यान लगावैं। नाहि िाहि िीि नवावैं॥


IN

नमो नमो जय नमो शिवाय। सुह ब्रह्माविक पाह न पाय॥


ॐ ॐ
जो य पाठ कहे मन लाई। र्ा पाह ोर् िम्भु स ाई॥
ॐ ॠवनया जो कोई ो अशिकाही। पाठ कहे सो पावन ाही॥ ॐ

पुत्र ीन कह इिा कोई। वनश्चय शिव प्रसाि र्ेव ोई॥


ॐ ॐ
पच्छण्डर् त्रयोििी को लावे। ध्यान पूवचक ोम कहावे ॥
त्रयोििी ब्रर् कहे मेिा। र्न न ीं र्ाके ह े कलेिा॥
ॐ ॐ

ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ

िूप िीप नवेद्य र्ढावे। िं कह सम्मुख पाठ सुनावे॥


ॐ ॐ
जन्म जन्म के पाप नसावे। अन्तवास शिवपुह में पावे॥
ॐ क े अयोध्या आस र्ुम्हाही। जावन सकल िुः ख हहु माही॥ ॐ

ॐ ॐ
।। दोिा ।।

IN
ॐ ॐ
वनत्त नेम कह प्रार्ः ी, पाठ कहौं र्ालीसा।
F.
र्ुम मेही मनोकामना, पूणच कहो जगिीि॥
D
ॐ ॐ
AP

मगसह छवठ ेमन्त ॠर्ु, सं वर् र्ौसठ जान।


ॐ अस्तुवर् र्ालीसा शिवव , पूणच कीन कल्याण॥ ॐ
ST
IN

ॐ ॐ

ॐ ॐ

ॐ ॐ

ॐ ॐ

ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ

ॐ श्री शिव चालीसा हिन्दी अनुवाद सहित ॐ

ॐ ॐ

।। दोिा ।।
ॐ ॐ
श्री गणेि वगरहजा सुवन, मं गल मूल सुजान।

IN
क र् अयोध्यािास र्ुम, िे हु अभय वहिान॥
ॐ ॐ

F.
अथच: े वगरहजा पुत्र भगवान श्री गणेि आपकी जय ो। आप
मं गलकाही ैं, ववद्वर्ा के िार्ा ैं, अयोध्यािास की प्राथचना प्रभु वक
D
ॐ आप ऐसा वहिान िें शजससे साहे भय समाो ो जांए। ॐ
AP

ॐ ॐ
ST

|| श्री शिव चालीसा चौपाई ||


IN

ॐ जय वगरहजा पवर् िीन ियाला। सिा कहर् सन्तन प्रवर्पाला॥ ॐ


भाल र्न्द्रमा सो र् नीके । कानन कु ण्डल नागिनी के ॥
ॐ ॐ

अथच: े वगरहजा पवर् े, िीन ीन पह िया बहसाने वाले भगवान शिव


ॐ आपकी जय ो, आप सिा सं र्ो के प्रवर्पालक ह े ैं। आपके मस्तक ॐ
पह छोटा सा र्ं द्रमा िोभायमान , आपने कानों में नागिनी के कुं डल
डाल हखें ैं। ॐ

ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ

अंग गौह शिह गं ग ब ाये। मुण्डमाल र्न छाह लगाये॥


ॐ वस्त्र खाल बाघम्बह सो े। छवव को िेख नाग मुवन मो े॥ ॐ

अथच: आपकी जटाओं से ी गं गा ब र्ी , आपके गले में मुं डमाल ॐ



(माना जार्ा भगवान शिव के गले में जो माला उसके सभी िीष
िेवी सर्ी के ैं, िेवी सर्ी का 108वां जन्म हाजा िक्ष प्रजापवर् की
ॐ पुत्री के रुप में हुआ था। जब िेवी सर्ी के वपर्ा प्रजापवर् ने भगवान ॐ
शिव का अपमान वकया र्ो उन्होंने यज्ञ के वन कुं ड में कु िकह अपनी

IN
जान िे िी र्ब भगवान शिव की मुं डमाला पूणच हुई। इसके बाि सर्ी ॐ

ने पावचर्ी के रुप में जन्म शलया व अमह हुई) । बाघ की खाल के
F.
वस्त्र भी आपके र्न पह जं र् ह े ैं। आपकी छवव को िेखकह नाग भी
D
ॐ आकवषचर् ोर्े ैं। ॐ
AP


मना मार्ु की ह्व िुलाही। बाम अंग सो र् छवव न्याही॥ ॐ
ST

कह वत्रिूल सो र् छवव भाही। कहर् सिा ित्रुन क्षयकाही॥


IN

ॐ ॐ
अथच: मार्ा मनावं र्ी की िुलाही अथाचर् मार्ा पावचर्ी जी आपके बांये
अंग में ैं, उनकी छवव भी अलग से मन को वषचर् कहर्ी , र्ात्पयच
ॐ ॐ
वक आपकी पत्नी के रुप में मार्ा पावचर्ी भी पूजनीय ैं। आपके ाथों
में वत्रिूल आपकी छवव को औह भी आकषचक बनार्ा । आपने मेिा
ॐ ित्रुओ ं का नाि वकया । ॐ

ॐ ॐ

ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ

नशि गणेि सो र् ँ कसे। सागह मध्य कमल ैं जसे॥


ॐ कावर्चक श्याम औह गणहाऊ। या छवव को कव जार् न काऊ॥ ॐ

ॐ अथच: आपके सावनध्य में नं िी व गणेि सागह के बीर् शखले कमल के ॐ


समान विखाई िेर्े ैं। कावर्चकेय व अन्य गणों की उपच्छिवर् से
आपकी छवव ऐसी बनर्ी , शजसका वणचन कोई न ीं कह सकर्ा।
ॐ ॐ

IN
िेवन जब ीं जाय पुकाहा। र्ब ी िुख प्रभु आप वनवाहा॥
ॐ ॐ
वकया उपद्रव र्ाहक भाही। िेवन सब वमशल र्ुमव ं जु ाही॥
F.
D
ॐ ॐ
अथच: े भगवन, िेवर्ाओं ने जब भी आपको पुकाहा , र्ुहंर् आपने
AP

उनके िुखों का वनवाहण वकया। र्ाहक जसे हाक्षस के उत्पार् से


ॐ पहेिान िेवर्ाओं ने जब आपकी िहण ली, आपकी गु ाह लगाई। ॐ
ST
IN

ॐ ॐ
र्ुहर् षडानन आप पठायउ। लववनमेष म ँ मारह वगहायउ॥
आप जलं िह असुह सं ाहा। सुयि र्ुम्हाह ववविर् सं साहा॥
ॐ ॐ

अथच: े प्रभू आपने र्ुहंर् र्हकासुह को माहने के शलए षडानन (भगवान


ॐ शिव व पावचर्ी के पुत्र कावर्चकेय) को भेजा। आपने ी जलं िह ॐ
(श्रीमि्िेवी भागवर्् पुहाण के अनुसाह भगवान शिव के र्ेज से ी
जलं िह पिा हुआ था) नामक असुह का सं ाह वकया। आपके ॐ

कल्याणकाही यि को पूहा सं साह जानर्ा ।

ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ

वत्रपुहासुह सन युि मर्ाई। सबव ं कृ पा कह लीन बर्ाई॥


ॐ वकया र्पव ं भागीहथ भाही। पुहब प्रवर्ज्ञा र्सु पुहाही॥ ॐ


अथच: े शिव िं कह भोलेनाथ आपने ी वत्रपुहासुह (र्हकासुह के र्ीन ॐ
पुत्रों ने ब्रह्मा की भवि कह उनसे र्ीन अभेद्य पुह मांगे शजस काहण
उन्हें वत्रपुहासुह क ा गया। िर्च के अनुसाह भगवान शिव ने अशभशजर्
ॐ नक्षत्र में असं भव हथ पह सवाह ोकह असं भव बाण र्लाकह उनका ॐ
सं ाह वकया था) के साथ युि कह उनका सं ाह वकया व सब पह

IN

अपनी कृ पा की। े भगवन भागीहथ के र्प से प्रसन्न ो कह उनके ॐ
पूवचजों की आत्मा को िांवर् विलाने की उनकी प्रवर्ज्ञा को आपने पूहा
वकया। F.
D
ॐ ॐ
AP

िावनन म ं र्ुम सम कोउ ना ीं। सेवक स्तुवर् कहर् सिा ीं॥


ॐ ॐ
ST

वेि नाम मव मा र्व गाई। अकथ अनावि भेि नव ं पाई॥


IN

ॐ अथच: े प्रभू आपके समान िानी औह कोई न ीं , सेवक आपकी सिा ॐ


से प्राथचना कहर्े आए ैं। े प्रभु आपका भेि शसिच आप ी जानर्े ैं,
ॐ क्ोंवक आप अनावि काल से ववद्यमान ैं, आपके बाहे में वणचन न ीं ॐ
वकया जा सकर्ा , आप अकथ ैं। आपकी मव मा का गान कहने में
र्ो वेि भी समथच न ीं ैं।
ॐ ॐ

ॐ ॐ

ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ

हगट उिशि मं थन में ज्वाला। जहे सुहासुह भये वव ाला॥


ॐ कीन्ह िया र् ँ कही स ाई। नीलकण्ठ र्ब नाम क ाई॥ ॐ

अथच: े प्रभु जब क्षीह सागह के मं थन में ववष से भहा घडा वनकला र्ो ॐ

समस्त िेवर्ा व ित्य भय से कांपने लगे (पौहाशणक कथाओं के
अनुसाह सागह मं थन से वनकला य ववष इर्ना खर्हनाक था वक
ॐ उसकी एक बूं ि भी ब्रह्मांड के शलए ववनािकाही थी) आपने ी सब पह ॐ
मे ह बहसार्े हुए इस ववष को अपने कं ठ में िाहण वकया शजससे

IN
आपका नाम नीलकं ठ हुआ। ॐ

F.
D
पूजन हामर्ं द्र जब कीन्हा। जीर् के लं क ववभीषण िीन्हा॥
ॐ ॐ
स स कमल में ो ह े िाही। कीन्ह पहीक्षा र्बव ं पुहाही॥
AP

एक कमल प्रभु हाखेउ जोई। कमल नयन पूजन र् ं सोई॥


ॐ कवठन भवि िे खी प्रभु िं कह। भये प्रसन्न विए इच्छिर् वह॥ ॐ
ST
IN

ॐ अथच: े नीलकं ठ आपकी पूजा कहके ी भगवान श्री हामर्ं द्र लं का को ॐ


जीर् कह उसे ववभीषण को सौंपने में कामयाब हुए। इर्ना ी न ीं
जब श्री हाम मां िवि की पूजा कह ह े थे औह सेवा में कमल अपचण
ॐ ॐ
कह ह े थे, र्ो आपके ईिाहे पह ी िेवी ने उनकी पहीक्षा लेर्े हुए एक
कमल को छु पा शलया।
ॐ अपनी पूजा को पूहा कहने के शलए हाजीवनयन भगवान हाम ने, कमल ॐ
की जग अपनी आं ख से पूजा सं पन्न कहने की ठानी, र्ब आप प्रसन्न
हुए औह उन्हें इच्छिर् वह प्रिान वकया।
ॐ ॐ

ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ जय जय जय अनं र् अववनािी। कहर् कृ पा सब के घटवासी॥ ॐ
िुष्ट सकल वनर् मोव सर्ाव । भ्रमर् ह े मोव र्न न आव॥
त्राव त्राव मैं नाथ पुकाहो। यव अवसह मोव आन उबाहो॥ ॐ

ल वत्रिूल ित्रुन को माहो। सं कट से मोव आन उबाहो॥

ॐ अथच: े अनं र् एवं नष्ट न ोने वाले अववनािी भगवान भोलेनाथ, सब ॐ


पह कृ पा कहने वाले, सबके घट में वास कहने वाले शिव िं भू, आपकी
जय ो। े प्रभु काम, क्रोि, मो , लोभ, अं काह जसे र्माम िुष्ट
ॐ ॐ
मुझे सर्ार्े ह र्े ैं। इन्होंनें मुझे भ्रम में डाल विया , शजससे मुझे
िांवर् न ीं वमल पार्ी। े स्वामी, इस ववनािकाही च्छिवर् से मुझे

IN
ॐ उभाह लो य ी उशर्र् अवसह। अथाचर् जब मैं इस समय आपकी िहण ॐ

F.
में हूं, मुझे अपनी भवि में लीन कह मुझे मो माया से मुवि विलाओ,
सांसारहक कष्टों से उभाहों। अपने वत्रिुल से इन र्माम िुष्टों का नाि
D
ॐ ॐ
कह िो। े भोलेनाथ, आकह मुझे इन कष्टों से मुवि विलाओ।
AP

ॐ मार्ु वपर्ा भ्रार्ा सब कोई। सं कट में पूछर् नव ं कोई॥ ॐ


ST

स्वामी एक आस र्ुम्हाही। आय हहु अब सं कट भाही॥


िन वनिचन को िेर् सिा ीं। जो कोई जांर्े वो िल पा ीं॥
IN

ॐ अस्तुवर् के व ववशि कहौं र्ुम्हाही। क्षमहु नाथ अब र्ूक माही॥ ॐ

ॐ अथच: े प्रभु वसे र्ो जगर् के नार्ों में मार्ा-वपर्ा, भाई-बं िु, नार्े- ॐ
रहश्र्ेिाह सब ोर्े ैं, लेवकन ववपिा पडने पह कोई भी साथ न ीं
िेर्ा। े स्वामी, बस आपकी ी आस , आकह मेहे सं कटों को ह
ॐ ॐ
लो। आपने सिा वनिचन को िन विया , शजसने जसा िल र्ा ा,
आपकी भवि से वसा िल प्राो वकया । म आपकी स्तुवर्, आपकी
ॐ प्राथचना वकस ववशि से कहें अथाचर् म अज्ञानी प्रभु, अगह आपकी ॐ
पूजा कहने में कोई र्ूक हुई ो र्ो े स्वामी, में क्षमा कह िेना।
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ
िं कह ो सं कट के नािन। मं गल काहण ववघ्न ववनािन॥
योगी यवर् मुवन ध्यान लगावैं। नाहि िाहि िीि नवावैं॥
ॐ ॐ
अथच: े शिव िं कह आप र्ो सं कटों का नाि कहने वाले ो, भिों का
कल्याण व बािाओं को िूह कहने वाले ो योगी यवर् ऋवष मुवन सभी
ॐ ॐ
आपका ध्यान लगार्े ैं। िाहि नाहि सभी आपको िीि नवार्े ैं।

नमो नमो जय नमो शिवाय। सुह ब्रह्माविक पाह न पाय॥


ॐ ॐ
जो य पाठ कहे मन लाई। र्ा पाह ोर् िम्भु स ाई॥

IN
ॐ अथच: े भोलेनाथ आपको नमन । शजसका ब्रह्मा आवि िेवर्ा भी भेि ॐ

F.
न जान सके , े शिव आपकी जय ो। जो भी इस पाठ को मन
D
लगाकह कहेगा, शिव िम्भु उनकी हक्षा कहेंगें, आपकी कृ पा उन पह
ॐ ॐ
AP

बहसेगी।

ॐ ॠवनया जो कोई ो अशिकाही। पाठ कहे सो पावन ाही॥ ॐ


ST

पुत्र ीन कह इिा कोई। वनश्चय शिव प्रसाि र्ेव ोई॥


IN

पच्छण्डर् त्रयोििी को लावे। ध्यान पूवचक ोम कहावे ॥


ॐ ॐ
त्रयोििी ब्रर् कहे मेिा। र्न न ीं र्ाके ह े कलेिा॥

ॐ अथच: पववत्र मन से इस पाठ को कहने से भगवान शिव कजच में डू बे को ॐ


भी समृि बना िेर्े ैं। यवि कोई सं र्ान ीन ो र्ो उसकी इिा को
भी भगवान शिव का प्रसाि वनशश्चर् रुप से वमलर्ा । त्रयोििी
ॐ (र्ं द्रमास का र्ेह वां विन त्रयोििी क लार्ा , ह र्ं द्रमास में िो ॐ

त्रयोििी आर्ी ैं, एक कृ ष्ण पक्ष में व एक िुक्ल पक्ष में) को पं वडर्
ॐ बुलाकह वन कहवाने, ध्यान कहने औह व्रर् हखने से वकसी भी प्रकाह ॐ
का कष्ट न ीं ह र्ा।
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ
िूप िीप नवेद्य र्ढावे। िं कह सम्मुख पाठ सुनावे॥
जन्म जन्म के पाप नसावे। अन्तवास शिवपुह में पावे॥
ॐ क े अयोध्या आस र्ुम्हाही। जावन सकल िुः ख हहु माही॥ ॐ

ॐ ॐ
अथच: जो कोई भी िूप, िीप, नवेद्य र्ढाकह भगवान िं कह के सामने
इस पाठ को सुनार्ा , भगवान भोलेनाथ उसके जन्म-जन्मांर्ह के
पापों का नाि कहर्े ैं। अंर्काल में भगवान शिव के िाम शिवपुह ॐ

अथाचर् स्वगच की प्रावो ोर्ी , उसे मोक्ष वमलर्ा । अयोध्यािास को

IN
प्रभु आपकी आस , आप र्ो सबकु छ जानर्े ैं, इसशलए माहे साहे
ॐ ॐ
िुख िूह कहो भगवन।
F.
D

ॐ ।। दोिा ।।
AP

ॐ ॐ
ST

वनत्त नेम कह प्रार्ः ी, पाठ कहौं र्ालीसा।


र्ुम मेही मनोकामना, पूणच कहो जगिीि॥
IN


मगसह छवठ ेमन्त ॠर्ु, सं वर् र्ौसठ जान। ॐ
अस्तुवर् र्ालीसा शिवव , पूणच कीन कल्याण॥
ॐ ॐ
अथच: ह होज वनयम से उठकह प्रार्:काल में शिव र्ालीसा का पाठ
कहें औह भगवान भोलेनाथ जो इस जगर् के ईश्वह ैं, उनसे अपनी

मनोकामना पूही कहने की प्राथचना कहें। सं वर् 64 में मं गशसह मास की ॐ
छवठ वर्शथ औह ेमंर् ऋर्ु के समय में भगवान शिव की स्तुवर् में शिव
र्ालीसा लोगों के कल्याण के शलए पूणच की गई।
ॐ ॐ

ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ

ॐ ॐ

शिव स्तुतत
ॐ ॐ

ॐ िं कहं , िं प्रिं , सज्जनानं ििं , िल – कन्या – वहं , पहमहम्यं । ॐ

काम – मि – मोर्नं , र्ामहस – लोर्नं , वामिे वं भजे भावगम्यं ॥1॥


ॐ ॐ
कं बु – कुं िेंिु – कपूचह – गौहं शिवं , सुं िहं , सच्छििानं िकं िं ।

IN
ॐ शसि – सनकावि – योगींद्र – वृं िाहका, ववष्णु – ववशि – वन्द्य र्हणाहववंिं ॥2॥ ॐ

F.
D
ब्रह्म – कु ल – वल्लभं , सुलभ मवर् िुलचभं, ववकट – वेषं, ववभुं , वेिपाहं ।
ॐ ॐ
AP

नौवम करुणाकहं , गहल – गं गािहं , वनमचलं, वनगुचणं, वनववचकाहं ॥3॥


ॐ ॐ
ST

लोकनाथं , िोक – िूल – वनमूशच लनं , िूशलनं मो – र्म – भूरह – भानुं ।


IN

कालकालं , कलार्ीर्मजहं , हं , कवठन – कशलकाल – कानन – कृ िानुं ॥4॥ ॐ


र्ज्ञमज्ञान – पाथोशि – घटसं भवं , सवचगं, सवचसौभाग्यमूलं ।


ॐ ॐ
प्रर्ुह – भव – भं जनं , प्रणर् – जन – हं जनं , िास र्ुलसी िहण सानुकूलं ॥5॥

ॐ ॐ

ॐ ॐ

ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ

ॐ ॐ

शिवाष्टक
ॐ ॐ
जय शिविं कह, जय गं गािह, करुणा-कह कहर्ाह हे,
जय कलािी, जय अववनािी, सुखहाशि, सुख-साह हे ॐ

जय िशि-िेखह, जय डमरू-िह जय-जय प्रेमागाह हे,
जय वत्रपुहाही, जय मि ाही, अवमर् अनन्त अपाह हे,
ॐ ॐ
वनगुचण जय जय, सगुण अनामय, वनहाकाह साकाह हे।

IN
पावचर्ी पवर् ह- ह िम्भो, पाव पाव िार्ाह हे॥
ॐ ॐ

F.
जय हामेश्वह, जय नागेश्वह वद्यनाथ, के िाह हे,
D
ॐ ॐ
AP

मच्छल्लकाजुचन, सोमनाथ, जय, म ाकाल ओंकाह हे,


त्र्रहयम्बके श्वह, जय घुश्मेश्वह भीमेश्वह जगर्ाह हे,
ॐ ॐ
ST

कािी-पवर्, श्री ववश्वनाथ जय मं गलमय अघ ाह हे,


नील-कण्ठ जय, भूर्नाथ जय, मृत्युंजय अववकाह हे ।
IN

ॐ ॐ
पावचर्ी पवर् ह- ह िम्भो, पाव पाव िार्ाह हे॥

ॐ जय म ेि जय जय भवेि, जय आवििेव म ािेव ववभो, ॐ

वकस मुख से े गुहार्ीर् प्रभु! र्व अपाह गुण वणचन ो,


ॐ जय भवकाह, र्ाहक, ाहक पार्क-िाहक शिव िम्भो, ॐ
िीन िु:ख ह सवच सुखाकह, प्रेम सुिािह िया कहो,
ॐ पाह लगा िो भव सागह से, बनकह कणाचिाह हे । ॐ

पावचर्ी पवर् ह- ह िम्भो, पाव पाव िार्ाह हे॥


ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ

ॐ ॐ
जय मन भावन, जय अवर् पावन, िोक निावन,
ववपि वविाहन, अिम उबाहन, सत्य सनार्न शिव िम्भो,
ॐ ॐ
स ज वर्न ह जलज नयनवह िवल-वहन-र्न शिव िम्भो,
मिन-किन-कह पाप हन- ह, र्हन-मनन, िन शिव िम्भो, ॐ

वववसन, ववश्वरूप, प्रलयं कह, जग के मूलािाह हे।
पावचर्ी पवर् ह- ह िम्भो, पाव पाव िार्ाह हे॥
ॐ ॐ

IN
भोलानाथ कृ पालु ियामय, औढहिानी शिव योगी,
ॐ ॐ

F.
सहल हृिय, अवर्करुणा सागह, अकथ-क ानी शिव योगी,
D
वनवमष में िेर्े ैं, नववनशि मन मानी शिव योगी,
ॐ ॐ
AP

भिों पह सवचस्व लुटाकह, बने मसानी शिव योगी,


स्वयम् अवकं र्न, जनमनहं जन पह शिव पहम उिाह हे।
ॐ ॐ
ST

पावचर्ी पवर् ह- ह िम्भो, पाव पाव िार्ाह हे॥


IN

ॐ ॐ

ॐ ॐ

ॐ ॐ

ॐ ॐ

ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ

ॐ ॐ

शिव रुद्राष्टक स्तोत्र


ॐ ॐ
नमामीिमीिान वनवाचण रूपं , ववभुं व्यापकं ब्रह्म वेि: स्वरूपम्।
अजं वनगुचणं वनववचकल्पं वनही ं, शर्िाकाि माकािवासं भजेऽ म्॥ ॐ

वनहाकाह मोंकाह मूलं र्ुहीयं , वगहाज्ञान गोर्ीर्मीिं वगहीिम्।


कहालं म ाकाल कालं कृ पालुं , गुणागाह सं साह पाहं नर्ोऽ म्॥ ॐ

IN
र्ुषाहावद्र सं काि गौहं गभीहं , मनोभूर् कोवट प्रभा श्री िहीहम्।
ॐ स्फुहन्मौशल कल्लोशलनी र्ारू गं गा, लसद्भाल बालेिु कण्ठे भुजंगा॥ ॐ

F.
र्लत्कु ण्डलं िुभ्र नेत्रं वविालं , प्रसन्नाननं नीलकण्ठं ियालुम।्
D
ॐ मृगािीि र्माचम्बहं मुण्डमालं , वप्रय िं कहं सवचनाथं भजावम॥ ॐ
AP

प्रर्ण्डं प्रकृ ष्टं प्रगल्भं पहेिं, अखण्डं अजं भानु कोवट प्रकािम्।
ॐ ॐ
ST

त्रय:िूल वनमूचलनं िूलपाशणं, भजे अ ं भवानीपवर्ं भाव गम्यम्॥


IN

कलार्ीर्-कल्याण-कल्पांर्काही, सिा सज्जनानि िार्ापुहाही।


ॐ शर्िानि सिो मो ाप ाही, प्रसीि-प्रसीि प्रभो मन्माथाही॥ ॐ


न यावि् उमानाथ पािाहवविं , भजं र्ी लोके पहे वा नाहाणम्। ॐ
न र्ावत्सुखं िांवर् सं र्ाप नािं , प्रसीि प्रभो सवचभुर्ाशिवासम् ॥

न जानावम योगं जपं नव पूजा, न र्ोऽ म् सिा सवचिा िम्भू र्ुभ्यम्। ॐ



जहा जन्म िु:खौद्य र्ार्प्यमानं , प्रभो पाव आपन्नमामीि िम्भो॥

ॐ रूद्राष्टक इिं प्रोिं ववप्रेण हर्ोषये, ॐ


ये पठं वर् नहा भक्त्या र्ेषां िम्भु प्रसीिवर् ॥

ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ

ॐ ॐ

शिवषडक्षरस्तोत्रम्
ॐ ॐ

ॐ ऊंकाहं वबंिसु ं युिं वनत्यं ध्यायं वर् योवगन:। ॐ


कामिं मोक्षिं र्व ओंकाहाय नमो नम:।।

ॐ नमं वर् ऋषयो िे वा नमं त्यप्सहसां गणा:। ॐ


नहा नमं वर् िे वेिं नकाहाय नमो नम:।।

IN
ॐ ॐ
म ािे वं म ात्मानं म ाध्यानं पहायणम्।
म ापाप हं िे वं F.
मकाहाय नमो नम:।।
D
ॐ ॐ
शिवं िान्तं जगन्नाथं लोकनुग्र काहकम्।
AP

शिवमेकपिं वनत्यं शिकाहाय नमो नम:।।


ॐ ॐ
ST

वा नं वृषभो यस्य वासुवक: कं ठभूषणम्।


वामे िवििहं िे वं वकाहाय नमो नम:।।
IN

ॐ ॐ
यत्र यत्र च्छिर्ो िेव: सवचव्यापी म ेश्वह:।
यो गुरु: सवचिेवानां यकाहाय नमो नम:।।
ॐ ॐ
षडक्षहवमिं स्तोत्रं य: पठे च्छिवसं वनिौ।
शिवलोकमवाप्नोवर् शिवेन स मोिर्े।।
ॐ ॐ

ॐ ॐ

ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ

ॐ ॐ


श्री शिव जी आरती ॐ

ॐ जय शिव ओंकाहा ॐ जय शिव ओंकाहा । ॐ


ब्रह्मा ववष्णु सिा शिव अिाांगी िाहा ॥ ॐ जय शिव...॥

ॐ एकानन र्र्ुहानन पं र्ानन हाजे । ॐ


ंसानन गरुडासन वृषवा न साजे ॥ ॐ जय शिव...॥

IN
ॐ िो भुज र्ाह र्र्ुभुचज िस भुज अवर् सो े। ॐ

F.
वत्रगुण रूपवनहखर्ा वत्रभुवन जन मो े ॥ ॐ जय शिव...॥
D
ॐ अक्षमाला बनमाला रुण्डमाला िाही । ॐ
AP

र्ं िन मृगमि सो भाले िशििाही ॥ ॐ जय शिव...॥


ॐ ॐ
ST

श्वेर्ाम्बह पीर्ाम्बह बाघम्बह अंगे ।


सनकाविक गरुणाविक भूर्ाविक सं गे ॥ ॐ जय शिव...॥
IN

कह के मध्य कमं डलु र्क्र वत्रिूल िर्ाच ।


ॐ ॐ
जगकर्ाच जगभर्ाच जगसं ाहकर्ाच ॥ ॐ जय शिव...॥

ॐ ब्रह्मा ववष्णु सिाशिव जानर् अवववेका । ॐ


प्रणवाक्षह मध्ये ये र्ीनों एका ॥ ॐ जय शिव...॥

ॐ कािी में ववश्वनाथ ववहाजर् निी ब्रह्मर्ाही । ॐ


वनर् उवठ भोग लगावर् मव मा अवर् भाही ॥ ॐ जय शिव...॥

ॐ वत्रगुण शिवजीकी आहर्ी जो कोई नह गावे । ॐ


क र् शिवानि स्वामी मनवांशछर् िल पावे ॥ ॐ जय शिव...॥

ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ

ॐ ॐ

ॐ ॐ

ॐ ॐ

ॐ ॐ

IN
ॐ ॐ

F.
D
ॐ ॐ
AP

ॐ ॐ
ST
IN

ॐ ॐ

ॐ ॐ

ॐ ॐ

ॐ ॐ

ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ

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