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Budh Pradosh Varth Katha 893
Budh Pradosh Varth Katha 893
ॐ
ॐ ॐ
ॐ
बुध प्रदोष पूजा विधध ॐ
बाि साफ और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। मं दिर में भगवान शिव
ॐ ॐ
के सामने िीप प्रज्जवशित करें। तथा भोिेनाथ के मं त्ों का
IN
ॐ जाप कर जिाशभषेक करें और साथ ही माता पाववती और ॐ
F.
दवघ्नहताव भगवान गणेि की भी पूजा अर्वना करें। दफर प्रिोष
D
ॐ ॐ
AP
ॐ ॐ
ॐ
ध्यान रहे पूजा के समय र्ौकी पर शिवशिंग जरूर स्थादपत ॐ
करें।
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ
ॐ पूजा करते समय आपका मुख पूवव या उत्तर दििा में होना ॐ
IN
ॐ ॐ
इस दिन आपको दनराहार रहना है। इस िौरान आप फिाहार
F.
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र्ीजों का ही सेवन कर सकते हैं। ॐ
ॐ
AP
ॐ ॐ
ST
ॐ ॐ
भवायिभवनािायिमहािे वायिधीमते।िरुद्रायिनीिकण्ठायििवावयििशिमौशिने।।
ॐ
उग्रायोग्राघिनािायिभीमायिभयहाररणे।िईिानायिनमस्तुभ्यंिपिूनांिपतयेिनम:।। ॐ
ॐ
ओमिनम: िं भायिर्िमयोभवायिर्िनम: र्ििं करायिर् ॐ
मयस्करायिर्िशिवायिर्िशिवतरायिर्।।
ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ
ॐ ॐ
ॐ
बुध प्रदोष व्रत का महत्व ॐ
ॐ ॐ
पौराशणक कथाओं के अनुसार प्रिोष काि के िौरान भगवान शिव
साक्षात शिवशिंग में वास करते हैं। ऐसे में इस दिन भगवान शिव के ॐ
ॐ
पूजन से दविेष फि की प्रादि होती है और सभी मनोकामनाएं पूणव
IN
ॐ होती हैं। तथा प्रिोष व्रत करने से र्ं द्रमा के अिुभ असर और िोष ॐ
F.
से छु टकारा दमिता है। यादन आपके िरीर के र्ं द्र तिों में सुधार
D
ॐ ॐ
AP
होता है। र्ं द्रमा मन का स्वामी होता है, इसशिए र्ं द्रमा सं बं धी िोष
ॐ िूर होने से मन को िांदत दमिती है। वहीं आपको बता िें सिाह के ॐ
ST
सातो दिनों के प्रिोष व्रत का अपना अिग अिग महि है। बुधवार
IN
ॐ को प्रिोष काि पड़ने के कारण इसे बुध प्रिोष काि भी कहा जाता ॐ
ॐ
सिस्ों, खासकर बच्ों की सेहत बेहतर रहती है और कु िाग्र बुदि ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ
ॐ ॐ
ॐ
बुध प्रदोष व्रत कथा ॐ
ॐ ॐ
IN
ॐ कहा दक बुधवार के दिन ही पत्नी को िेकर अपने नगर ॐ
F.
जायेगा। उस पुरुष के ससुराि वािों ने उसे समझाया दक
D
ॐ ॐ
AP
ॐ ॐ
पत्नी बैिगाड़ी में र्िे जा रहे थे । एक नगर से बाहर दनकिते
ॐ ॐ
ही पत्नी को प्यास िगी । पदत िोटा िेकर पत्नी के शिये पानी
िेने गया । जब वह पानी िेकर िौटा तो उसने िे खा दक
ॐ ॐ
उसकी पत्नी दकसी पराये पुरुष के िाये िोटे से पानी पीकर,
ॐ ॐ
हँस-हँसकर बात कर रही है ।
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ
ॐ ॐ
वह पराया पुरुष दबल्कु ि इसी पुरुष के िक्ल-सूरत जैसा था ।
यह िे खकर वह पुरुष िूसरे अन्य पुरुष से क्रोध में आग-बबूिा
ॐ ॐ
होकर िड़ाई करने िगा। धीरे-धीरे वहाँ काफी भीड़ इकट्ठा हो
ॐ ॐ
गयी । इतने में एक शसपाही भी आ गया । शसपाही ने स्त्री से
पूछा दक सर्-सर् बता तेरा पदत इन िोनों में से कौन है?
ॐ ॐ
िेदकन वह स्त्री र्ुप रही क्ोंदक िोनों पुरुष हमिक्ल थे ।
IN
ॐ ॐ
F.
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बीर् राह में पत्नी को इस तरह िे खकर वह पुरुष मन ही मन ॐ
ॐ
AP
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अपनी पत्नी को दविा कराकर जो अपराध दकया है उसके शिये ॐ
मुझे क्षमा करो । भदवष्य में मुझसे ऐसी गिती नहीं होगी ।
ॐ ॐ
िं कर भगवान उस पुरुष की प्राथवना से द्रदवत हो गये और
शिि जी की आरती
ॐ ॐ
जय शिव ओंकारा ॐ जय शिव ओंकारा ।
ब्रह्मा दवष्णु सिा शिव अिाांगी धारा ॥ ॐ जय शिव...॥
ॐ ॐ
एकानन र्तुरानन पं र्ानन राजे ।
हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे ॥ ॐ जय शिव...॥
ॐ ॐ
IN
िो भुज र्ार र्तुभुवज िस भुज अदत सोहे।
ॐ दत्गुण रूपदनरखता दत्भुवन जन मोहे ॥ ॐ जय शिव...॥ ॐ
अक्षमािा बनमािा
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रुण्डमािा धारी ।
D
ॐ र्ं िन मृगमि सोहै भािे िशिधारी ॥ ॐ जय शिव...॥ ॐ
AP
ॐ
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे । ॐ
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ॐ ॐ
ॐ ॐ
ॐ ॐ
ॐ ॐ
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ॐ ॐ
F.
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ॐ ॐ
AP
ॐ ॐ
ST
IN
ॐ ॐ
ॐ ॐ
ॐ ॐ
ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ