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ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ


ॐ ॐ


बुध प्रदोष पूजा विधध ॐ

ॐ इस दिन सुबह स्नान आदि कर दनवृत हो जाएं । स्नान करने के ॐ

बाि साफ और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। मं दिर में भगवान शिव
ॐ ॐ
के सामने िीप प्रज्जवशित करें। तथा भोिेनाथ के मं त्ों का

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ॐ जाप कर जिाशभषेक करें और साथ ही माता पाववती और ॐ

F.
दवघ्नहताव भगवान गणेि की भी पूजा अर्वना करें। दफर प्रिोष
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ॐ ॐ
AP

काि से पहिे स्नान कर श्वेत वस्त्र धारण करें, ये वस्त्र आपके


ॐ एकिम स्वच्छ होने र्ादहए। इस समय आप मं दिर या घर कहीं ॐ
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भी पूजा कर सकते हैं।


IN

ॐ ॐ

यदि आप घर में भगवान शिव की पूजा कर रहे हैं तो एक ॐ



र्ौकी पर स्वच्छ वस्त्र दबछाएं और उसपर भगवान शिव, माता
ॐ ॐ
पाववती और दवघ्नहताव भगवान गणेि की मूदतव स्थादपत करें ।


ध्यान रहे पूजा के समय र्ौकी पर शिवशिंग जरूर स्थादपत ॐ

करें।
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ

ॐ पूजा करते समय आपका मुख पूवव या उत्तर दििा में होना ॐ

र्ादहए। पूजा की िुरुआत माता पाववती और भगवान गणेि


ॐ ॐ
को दतिक िगाकर करें। दफर भगवान शिव को पं र्ाम्रत से
ॐ ॐ
स्नान करवाएं । जिाशभषेक कराते समय ध्यान रहे की जिधारा
नहीं टू टनी र्ादहए। शिवशिंग पर भस्म, धतूरा, भांग अदपवत
ॐ ॐ
करें। दफर भगवान शिव को साशिक र्ीजों का भोग िगाएं ।

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ॐ ॐ
इस दिन आपको दनराहार रहना है। इस िौरान आप फिाहार
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र्ीजों का ही सेवन कर सकते हैं। ॐ

AP

ॐ ॐ
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प्रिोष व्रत पर शि‍िव जी के मं त्,


IN

ॐ ॐ
भवाय‍िभवनािाय‍िमहािे वाय‍िधीमते।‍िरुद्राय‍िनीिकण्ठाय‍ििवावय‍ििशिमौशिने।।


उग्रायोग्राघ‍िनािाय‍िभीमाय‍िभयहाररणे।‍िईिानाय‍िनमस्तुभ्यं‍िपिूनां‍िपतये‍िनम:।। ॐ


ओम‍िनम: िं भाय‍िर्‍िमयोभवाय‍िर्‍िनम: र्‍ििं कराय‍िर् ॐ
मयस्कराय‍िर्‍िशिवाय‍िर्‍िशिवतराय‍िर्।।
ॐ ॐ

ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ

ॐ ॐ


बुध प्रदोष व्रत का महत्व ॐ

ॐ ॐ
पौराशणक कथाओं के अनुसार प्रिोष काि के िौरान भगवान शिव
साक्षात शिवशिंग में वास करते हैं। ऐसे में इस दिन भगवान शिव के ॐ

पूजन से दविेष फि की प्रादि होती है और सभी मनोकामनाएं पूणव

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ॐ होती हैं। तथा प्रिोष व्रत करने से र्ं द्रमा के अिुभ असर और िोष ॐ

F.
से छु टकारा दमिता है। यादन आपके िरीर के र्ं द्र तिों में सुधार
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ॐ ॐ
AP

होता है। र्ं द्रमा मन का स्वामी होता है, इसशिए र्ं द्रमा सं बं धी िोष

ॐ िूर होने से मन को िांदत दमिती है। वहीं आपको बता िें सिाह के ॐ
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सातो दिनों के प्रिोष व्रत का अपना अिग अिग महि है। बुधवार
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ॐ को प्रिोष काि पड़ने के कारण इसे बुध प्रिोष काि भी कहा जाता ॐ

है। बुधवार का प्रिोष व्रत रखने से भोिेनाथ जीवन के सभी कष्ों


ॐ ॐ
को िूर करते हैं और सं तान सुख की प्रादि होती है। तथा घर के


सिस्ों, खासकर बच्ों की सेहत बेहतर रहती है और कु िाग्र बुदि ॐ

की प्रादि होती है।


ॐ ॐ

ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ

ॐ ॐ


बुध प्रदोष व्रत कथा ॐ

ॐ ॐ

एक पुरुष की नई-नई िािी हुई थी । वह गौने के बाि िूसरी


ॐ ॐ
बार पत्नी को िाने के शिये ससुराि पहुंर्ा और उसने सास से

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ॐ कहा दक बुधवार के दिन ही पत्नी को िेकर अपने नगर ॐ

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जायेगा। उस पुरुष के ससुराि वािों ने उसे समझाया दक
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ॐ ॐ
AP

बुधवार को पत्नी को दविा कराकर िे जाना िुभ नहीं है,


ॐ िेदकन वह पुरुष नहीं माना दववि होकर सास-ससुर को अपने ॐ
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जमाता और पुत्ी को भारी मन से दविा करना पड़ा । पदत-


IN

ॐ ॐ
पत्नी बैिगाड़ी में र्िे जा रहे थे । एक नगर से बाहर दनकिते
ॐ ॐ
ही पत्नी को प्यास िगी । पदत िोटा िेकर पत्नी के शिये पानी
िेने गया । जब वह पानी िेकर िौटा तो उसने िे खा दक
ॐ ॐ
उसकी पत्नी दकसी पराये पुरुष के िाये िोटे से पानी पीकर,
ॐ ॐ
हँस-हँसकर बात कर रही है ।

ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ

ॐ ॐ
वह पराया पुरुष दबल्कु ि इसी पुरुष के िक्ल-सूरत जैसा था ।
यह िे खकर वह पुरुष िूसरे अन्य पुरुष से क्रोध में आग-बबूिा
ॐ ॐ
होकर िड़ाई करने िगा। धीरे-धीरे वहाँ काफी भीड़ इकट्ठा हो
ॐ ॐ
गयी । इतने में एक शसपाही भी आ गया । शसपाही ने स्त्री से
पूछा दक सर्-सर् बता तेरा पदत इन िोनों में से कौन है?
ॐ ॐ
िेदकन वह स्त्री र्ुप रही क्ोंदक िोनों पुरुष हमिक्ल थे ।

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ॐ ॐ

F.
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बीर् राह में पत्नी को इस तरह िे खकर वह पुरुष मन ही मन ॐ

AP

िं कर भगवान की प्राथवना करने िगा दक हे भगवान मुझे और


ॐ ॐ
ST

मेरी पत्नी को इस मुसीबत से बर्ा िो, मैंने बुधवार के दिन


IN


अपनी पत्नी को दविा कराकर जो अपराध दकया है उसके शिये ॐ

मुझे क्षमा करो । भदवष्य में मुझसे ऐसी गिती नहीं होगी ।
ॐ ॐ
िं कर भगवान उस पुरुष की प्राथवना से द्रदवत हो गये और

ॐ उसी क्षण वह अन्य पुरुष कही अंतवध्‍ियान हो गया. वह पुरुष ॐ

अपनी पत्नी के साथ सकु िि अपने नगर को पहुँर् गया ।


ॐ ॐ
इसके बाि िोनों पदत-पत्नी दनयमपूववक प्रिोष व्रत करने िगे ।
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ

ॐ ॐ

शिि जी की आरती
ॐ ॐ
जय शिव ओंकारा ॐ जय शिव ओंकारा ।
ब्रह्मा दवष्णु सिा शिव अिाांगी धारा ॥ ॐ जय शिव...॥
ॐ ॐ
एकानन र्तुरानन पं र्ानन राजे ।
हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे ॥ ॐ जय शिव...॥
ॐ ॐ

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िो भुज र्ार र्तुभुवज िस भुज अदत सोहे।
ॐ दत्गुण रूपदनरखता दत्भुवन जन मोहे ॥ ॐ जय शिव...॥ ॐ

अक्षमािा बनमािा
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रुण्डमािा धारी ।
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ॐ र्ं िन मृगमि सोहै भािे िशिधारी ॥ ॐ जय शिव...॥ ॐ
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श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे । ॐ
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सनकादिक गरुणादिक भूतादिक सं गे ॥ ॐ जय शिव...॥


कर के मध्य कमं डिु र्क्र दत्िूि धताव ।
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ॐ जगकताव जगभताव जगसं हारकताव ॥ ॐ जय शिव...॥ ॐ

ब्रह्मा दवष्णु सिाशिव जानत अदववेका ।


ॐ ॐ
प्रणवाक्षर मध्ये ये तीनों एका ॥ ॐ जय शिव...॥

कािी में दवश्वनाथ दवराजत नन्दी ब्रह्मर्ारी । ॐ



दनत उदि भोग िगावत मदहमा अदत भारी ॥ ॐ जय शिव...॥

ॐ दत्गुण शिवजीकी आरती जो कोई नर गावे । ॐ


कहत शिवानन्द स्वामी मनवांशछत फि पावे ॥ ॐ जय शिव...॥
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ

ॐ ॐ

ॐ ॐ

ॐ ॐ

ॐ ॐ

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ॐ ॐ

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ॐ ॐ
AP

ॐ ॐ
ST
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ॐ ॐ

ॐ ॐ

ॐ ॐ

ॐ ॐ

ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ

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