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Durga
Durga
1
श श ललाट मुख महा िवशाला |
ने लाल भृकुटी िवकराला ||
प मातु का अ धक सुहावे |
दरश करत जन अित सुख पावे ||
सब सं सार शि मय िकना |
पालन हेतु अ धन दीना ||
2
जब लिग जयो दया फल पाऊँ ,
तु रो यश म सदा सुनाऊँ ||
अ पूणा ई जग पाला |
तुम ही आिद सु री बाला ||
भई स आिद जगद ा |
दई शि निहं क बील ा ||
ल ी प धा रयो जग माहीं |
ीनारायण अंक समाहीं ||
ीर स ु म करत िवलासा |
दया स ु दीजे मन आसा ||
िहंगलाज म तु ीं भवानी |
मिहमा अिमत न जात बखानी ||
5
मातं गी धूमवती माता ,
भुवने री बगला सुखदाता |
ी भैरव तारा जगता र ण |
छ भाल भव दु:ख िनवार ण ||
के हरी बाहन सोहे भवानी |
लं गूर बीर चलत अगवानी ||
6
शं कराचाय जब तप अित क ा,
काम ोध जीित सब ल ा ||
िनशिदन ान धरो शं कर को |
ित ंलोक भू सुमरो तुमको ||
शि प का मरम न पायो |
शि गई तब मन पछतायो ||
11
ेम भि से जो यश गावे,
दु:ख दा र िनकट नहीं आवै ||
ावै तु जो नर मन लाई ,
ज मरणा ताकर छू ट जाई ||
कर ख र खं ग िवराजै |
जाको देख काल दर भागे ||
सोहे अ और ि शूला |
जात उठत श ु िहय शुला ||
नव कोटी म तु ी िवराजत,
ित ंलोक म डंका बाजत |
7
शु िनशु दनुज तुम मारे |
र बीज शं खन सं हारे ||
मिहषासुर नृप ित अ भमानी |
जेिह अघ भार मही अकु लानी ||
प कराल का लका धारा ,
सेना सिहत तुम ितनिह सं हारा ||
8
परी गाढ़ स न पर जब जब,
भइ सहाय मातु तुम तब तब ||
अमरपुरी और सब लोका,
तब मिहमा सब रहे अशोका ||
ाला मय है ोत तु ारी |
तु सदा पूजे नर नारी ||
9