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द प पूजन : द पक जला ल |
द पो यो त: परं ह द पो यो त: जनादन: |
द पो हरतु म पापं द प यो त: नमोऽ तु ते ||
कलश पूजन : हाथ म अ त-पु प लेकर कलश म ‘ॐ’ वं व णाय नम:’ कहते ए व ण दे वता का तथा न न ोक पढ़ते ए तीथ
का आवाहन करगे –
गंगे च यमुने चैव गोदावरी सर व त |
नमदे सधु कावेरी जलेऽ मन स ध कु ||
(अ त –पु प कलश के सामने चढ़ा द | )
कलश को तलक कर | पु प, ब वप व वा चढाय | धुप व द प दखाय | साद चढाय |
नोट : हाथ म लए जल को दे खते ये ऐसी भावना कर क जैसे जल ापक ह, ऐसे ही हमारा संक प भी ापक हो | संक प करने
के पहले, म य म एवं अंत म भगवान व णु (वसुदेव) को सम पत करने क भावना करते ये तीन बार भगवान के ‘ व णु’ नाम का
उ चारण कर | (सभी को बुलवाना है | ) ‘ॐ व णु: व णु: व णु:’
नोट : ७ दन के स व ध सवा लाख महामृ युंजय मं अनु ान म कुल १४०० माला होती है ( त दन २०० माला ) | ५० के
हसाब से त त दन ४ माला जप कर | ( य क सं या के अनुसार माला क सं या नधा रत कर सकते है |)
फर इन मं ो से हवन कर –
ॐ ह जूं स: ॐ भूभुव: व: ॐ य बकं यजामहे सुग धं पु वधनम |
उवा क मव ब धना मृ योमु ीय मामृतात || ( १ माला )
ॐ ॐ – ( ५ माला )
पवन तनय बल पवन समाना | बु ध बबेक ब यान नधाना || ( २७ बार )
व कृत होम : जाने-अनजाने म हवन करते समय जो भी गलती हो गयी हो, उसके ाय त के प म गुड़ व घृत क आ त द |
पूणा त होम : एक हाथ म ना रयल ले ले व अ य सभी लोग ना रयल का पश कर ल | जो घी क आ त डाल रहे थे, वाह
न न मं उ चारण करते ए ना रयल के ऊपर घी क धारा कर |
ॐ पूणमद: पूण मदं पूणात पूणमुद यते | पूण य पूणमादाय पु मवाव श यते ||
ॐ शां त: शां त: शां त: |
भ मधारणम : य कुंड से ुवा ( जससे घी क आ त द जा रही थी ) म भ म लेकर पहले बापूजी को तलक कर, फर सभी लोग
वयं को तलक कर |
मा ाथना : पूजन, जप, हवन आ द म जो गल तयाँ हो गयी ह , उनके लए हाथ जोड़कर सभी लोग मा ाथना कर |
ॐ आवाहनं न जाना म न जाना म वसजनम |
पूजां चैव न जाना म म व परमे र ||
ॐ मं हीनं याहीनं भ हीनं सुरे र |
य पू जतं माया दे वं प रपूण तद तु म ||
पूजन के लए आव यक साम ी :
पू य बापूजी का ी च , चावल (१ कलो), ह द म त अ त, चंदन, कुमकुम या स र, मौली (नाडाछड़ी), गंगाजल (न हो तो
आ म के बड बादशाह का जल या शु जल म तुलसी डाल द ), पु प, तुलसीदल, वा, ब वप , अगरब ी, द पक (सरस के तेल
से जलाय ), ई, मा चस, कपूर,सफ़ेद कपड़ा, एक ना रयल, कुछ फल, आम के प े, साद, दोना (साम ी डालने के लए ), एक
लकड़ी क चौक |
थापन : लकड़ी क चौक म सफ़ेद कपड़ा बछाकर पू य बापूजी का ी च रख और उसके सामने चावल से व तक बनाकर
उसके ऊपर जल से भरा आ कलश रख | कलश के ऊपर आम, ीफल, पीपल अथवा बड के ५ प े रखकर उसके ऊपर ना रयल
रख |
येक कुंड म :
ुवा ( जसमे घी क आ त दगे), घी क कटोरी |
आचमन, संक प व व नयोग के लए कुंड के चार तरफ जल क एक-एक कटोरी |
संक प के लए अ त व पु प रख |
संक प, व नयोग का जल डालने के लए एक थाली |
हवन साम ी : कुल साम ी म सबसे यादा तल, तल का आधा चावल, चावल का आधा जौ ह चा हए |
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