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दोहा
चौपाई
बि उपिि मग गगरर गह
ृ माही, तम
ु रे बल हम डरपत िाही |
बदि कराल काल कुल घालक, राम सहाय सदा प्रनत पालक |
इन्हे मारुं तोहह सपथ राम की, राख िाथ मयाादा िाम की |
जिक सत
ु ा हरर दास कहािो, ताकक शपथ बबलम्ब ि लािो |
उिु उिु चलु तोहह राम दोहाई, पाुँय परों कर जोरर मिाई |
यहह बजरं ग बाण जेहह मारे , ताहह कहो किरी कौि उबारो |
दोहा