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ट् रां सक्रिप्शन

कॉन्ट््ैक्ट्स

कॉन्ट्रैक्ट्स के महत्वपूर्ण पहलु

कोई भी दो पार्टीज के बीच में ककये गए समझोते को कॉन्ट्रैक्ट कहा जाता हैं | अच्छे से किखे हुए कॉन्ट्रैक्ट न होने की वजह
से अकसर कबज़नेस में, पार्टट नसट में, एम्पोयी और एमप्लोयी के बीच में इश्यूज होने के चाां सेस बढ़ जाते हैं | ये हमेशा बेहतर
हैं की कॉन्ट्रैक्टस को किखखत रूप से बनाया जाये | और सभी क्लाव्स और पॉइां र्ट्स को समझ बुझ के ही कॉन्ट्रैक्ट में डािा
जाये | आइये अपने एक्सपर्टट से इस बारे मैं कुछ सुनते हैं |

सबसे बेकसक िेवि पर कॉन्ट्रैक्ट की व्याख्या करनी हो| तो ये वो शतें हैं कजन पर सब िोगोां का एक मत हुआ हैं | कॉन्ट्रैक्ट
वेबटि हो सकता हैं और किखा हुआ भी हो सकता हैं | कसर्ट वेबटि कडस्कशन भी कॉन्ट्रैक्ट हो सकता हैं | अगर सारी पार्टीज

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एक बात पर सहमत हो जाये | िेककन हम इस बात पर जोर दे ते की कॉन्ट्रैक्ट किखे होने चाकहए ंूांकक इस में सबकुछ
स्पष्ट हो जाता हैं | जब आप कॉन्ट्रैक्ट नहीां बनाते हैं तो कई बार इसका असर आपके कमकशटयि कबज़नेस पर होता हैं | आप
कजस नजररये से इसे दे खते हैं ये जरूरी नहीां की आपकी काउां र्टर पार्टी भी उसे उस नजररये से समझे | और इसकिए आप
दोनोां के बीच ंा कमकशट यि डीि हुई हैं इस पर रौशनी डािने के किए आप नोमटल्ली कॉन्ट्रैक्ट बनाते हैं | तो अगर
कॉन्ट्रैक्ट की बात करते हैं तो इसके पॉइां र्ट्स ंा हैं ?

कॉन्ट्रैक्ट के मुख्य पहिु


1. कॉन्ट्रैक्ट के कनयम
 िम्बी अवकि का कॉन्ट्रैक्ट
 छोर्टी अवकि का कॉन्ट्रैक्ट
इसके कई सारे पॉइां र्ट्स में पहिा पॉइां र्ट हैं जो की इम्पोर्टे न्ट् हैं वो हैं कॉन्ट्रैक्ट की अवकि| अगर आप इस प्रोडक्ट पर कनभटर
हैं और ये प्रोडक्ट आपके कबज़नेस के किए बहुत अहम् हैं | अगर इसकी कीमत सही हैं तो आपको िॉन्ग र्टमट कॉन्ट्रैक्ट
बनाने चाकहए| और दू सरी तरर् अगर माककटर्ट की कसचु एशन सही नहीां हैं और हािात ऐसे हैं की आप दू सरी कोई डीि
करने की सोच रहे हैं तो आपको शोर्टट र्टमट कॉन्ट्रैक्ट बनाना चाकहए| तो पहिे र्टमट तय कीकजये पहिे ये तय कीकजये की
ककतने वक़्त के किए आप इस कॉन्ट्रैक्ट का कहस्सा बनाना चाहते हैं ? ये पहिी बात हैं दू सरी बात कजसके बारे मैं आपको
सोचना चाकहए वो हैं ककन हािातोां मैं आप इस कॉन्ट्रैक्ट से बाहर कनकि सकते हैं | इसकी वजह उल्लांिन हो सकता हैं ,
तय कािावकि हो सकती हैं | और एक बार ये कािावकि पूरा होने के बाद कैसे मैं इस कॉन्ट्रैक्ट से बाहर कनकि सकता हूँ |
और बाहर कनकिने की प्रकिया ककतनी मुखिि हो सकती हैं |
कॉन्ट्रैक्ट के मुख्य पहिु
1. कॉन्ट्रैक्ट के कनयम
 िम्बी अवकि का कॉन्ट्रैक्ट
 छोर्टी अवकि का कॉन्ट्रैक्ट
2. समापन
3. कवकशष्टता
और इसकिए हमें र्टमट और र्टकमटनेशन दोनोां पर ध्यान दे ना चाकहए| र्टकमटनेशन वो पॉइां र्ट हैं जो ये तय करता हैं की ककन
कसचुएशन में दोनोां पार्टीज कॉन्ट्रैक्ट से बाहर कनकि सकती हैं | इसी के साथ र्टकमटनेशन के साथ एक र्टमट जुडी हैं
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एक्स्क्क्लुकसकवर्टी| एक्स्क्क्लुकसकवर्टी का मतिब हैं आप कसर्ट एक ही पार्टी को सकवटस दे सकते हैं या कर्र उन से माि खरीद
सकते हैं | आपकी काउां र्टर पार्टी या कर्र अगर आप सप्लायर हैं तो आप ककसी और को सप्लाई नहीां कर सकते | कशवाय
आपकी काउां र्टर पार्टी को| दे खखये एक्स्क्क्लुकसकवर्टी ये बहुत ही अहम् हैं | ंूूँ? अगर आपने एक्स्क्क्लुकसकवर्टी को कमस ककया|
जैसे की ज्यादातर कॉन्ट्रैक्ट में होता रहता हैं | आप खुद को ऐसे कसचुएशन में पा सकते हैं जहाूँ आपको िगा था की
आपको सही पार्टट नर कमिा हैं िेककन वो आपको बाहर कबज़नेस करने से रोकता हैं | और इस वजह से माककटर्ट में आपकी
वैल्यू कम हो जाती हैं |
कॉन्ट्रैक्ट के मुख्य पहिु
1. कॉन्ट्रैक्ट के कनयम
o िम्बी अवकि का कॉन्ट्रैक्ट
o छोर्टी अवकि का कॉन्ट्रैक्ट
2. समापन
3. कवकशष्टता
4. भुगतान के कनयम
5. प्रकतकनकित्व और वारां र्टी
हम इस बात पर ध्यान नहीां दे ते हैं की आपका पे मेंर्ट ककस तरह होनेवािा हैं | या आपको पैसे कबाकमिनेवािे हैं | और
अगर इस मामिे मैं कुछ तय नहीां हुआ हैं तो इसके ंा पररणाम हो सकते हैं | हर कॉन्ट्रैक्ट एक ाास मकसद के किए
बनाया जाता हैं | ये हमेशा ध्यान में रखे | इसमें कर्टल्ट होता हैं इसका मकसद जो भी हो आप हमेशा िॉयर करना न भूिे|
या कर्र ककसी एडवाइस से बात करे कजसे इस काम का अनुभव हैं और जो आपको सही सिाह दे सके|
कॉन्ट्रैक्ट के मुख्य पहिु
1. कॉन्ट्रैक्ट के कनयम
o िम्बी अवकि का कॉन्ट्रैक्ट
o छोर्टी अवकि का कॉन्ट्रैक्ट
2. समापन
3. कवकशष्टता
4. भुगतान के कनयम
5. प्रकतकनकित्व और वारां र्टी
इसके बाद आपको ररप्रजें र्टेशनस और वारां र्टीइस की माां ग करनी चाकहए| इसका आपको र्ायदा कमिेगा जब आप
कॉपोरे र्ट के साथ काम करते हैं | आपको इस बात पर ध्यान दे ना चाकहए की उन्हें इस तरह का कॉन्ट्रैक्ट की अथॉररर्टी हैं
या नहीां| जब आप कम्पनी के ऑकर्ससट के साथ काम करते हैं तो कई बार वो अथॉररर्टी नहीां होते | या कर्र कम्पनी उस
पोजीशन में नहीां होती हैं की वो अपना वादा कनभा सके| तो आपको ररप्रजेंर्टेशनस और वारें र्टाइस पर ध्यान दे ना चाकहए|
कॉन्ट्रैक्ट के मुख्य पहिु
1. कॉन्ट्रैक्ट के कनयम
o िम्बी अवकि का कॉन्ट्रैक्ट
o छोर्टी अवकि का कॉन्ट्रैक्ट
2. समापन
3. कवकशष्टता
4. भुगतान के कनयम
5. प्रकतकनकित्व और वारां र्टी
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6. हाकन की पूकतट

और इसी के साथ आपको इन्दे किर्टी के बारे मैं भी सोचना चाकहए| अगर आपकी कम्पनी को नुक्सान हुआ हैं ककसी ाास
उल्लांघन की वजह से या कर्र ररप्रजेंर्टेशनस और वारां र्टीस की वजह से नुक्सान हुआ हैं तो आप पैसे क्लै म कर सकते हैं |

संस्थापक और कमणचारी एग्रीमेंट

हमने अभी ये जाना की कॉन्ट्रैक्ट के बेकसस ंा हैं और कबज़नेस के किए कॉन्ट्रैक्ट ंूूँ जरूरी हैं | और इस में कौनसी
इम्पोर्टे न्ट् र्टर्म्ट होती हैं | आप एक्स्क्क्लु कसवे र्टी और कॉांकर्डें र्टिी समझ गये हैं | तो आप सोच गए होांगे ऐसे ककतने तरह के
कॉन्ट्रैक्टस हैं जो आपके कबज़नेस के किए जरूरी हैं |
कॉन्ट्रैक्ट के प्रकार:
2. सांस्थापक समझौता
तो न में से सबसे पहिा और सबसे जरूरी कॉन्ट्रैक्ट हैं आपका र्ाउां डर अग्रीमेंर्ट जो आप बाकी मेम्बेसट के साथ साइन
करें गे| जो इस बात पर कनभर करते हैं की आप कोर्ौांडर हैं या आप अपने पररवार के साथ कोई कबज़नेस शुरू कर रहे
हैं या कर्र अपने दोस्त या पररवार के साथ| आप ककसके साथ कम्पनी शुरू कर रहे हैं ? आपके कोखम्बनेस के के शेयर
होल्डसट कौन हैं ? कसर्ट आपके पररवार के सदस्य या इनमें दोस्त या ररश्तेदार शाकमि हैं या आप एकिौते र्ाउां डर हो या
कर्र और भी कोई र्ाउां डरस हैं | ये वो की पॉइां र्ट्स हैं कजन पर आपका र्ाउां डरस अग्रीमेंर्ट बनाया जाएगा|

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एक इां र्टरप्रेन्योर होने के नाते आपके सामने अिग अिग तरह के कॉन्ट्रैक्ट अक्सर आयेगे| और जैसे जैसे आप अपने
कबज़नेस को आगे बढ़ाएां गे तो कांसल्टें र्ट्स और िॉयर भी आप से जुड़ेंगे| पर कर्र भी ये जरूरी हैं की आपको बेकसक
नॉिेज तो कम से कम हो| एक कबज़नेस में आपको अच्छी र्टीम बनाने पे भी र्ोकस करना पड़े गा| एक अच्छी र्टीम कजस
में पार्टट नसट और एम्प्प्लाइज दोनोां ही आपके साथ चिे | इस बारे मैं आप कसख सकते हैं स्टार्टट अप कवथ अपग्रड प्रोग्रामके
जररये जो की अिग पेज पर उपिब्ध हैं | कििहाि एक इां र्टरप्रेन्योर को सािारण कॉन्ट्रैक्ट की जो जानकारी होनी चाकहए
उस पर हम अपने एक्सपर्टट से कुछ सुनते हैं |

अगर आप र्ाउां डर हो जो अपने दोस्त या पररवार के साथ नया कबज़नेस सेर्टअप कर रहे हो| तो ये हैं कजस पर कई
र्ाउां डरस ध्यान नहीां दे ते हैं | आपके वांडर कॉन्ट्रैक्ट्स के कवपरीत या कोस्टमर कॉन्ट्रैक्ट्स के कवपरीत जहाूँ अनजान पार्टी
के साथ कबज़नेस करते हैं | ंूांकक आप कुछ िोगोां को जानते कहां तो कबज़नेस शुरू करने के किए एक्साइर्टे ड होते हैं | आप
शायद कॉन्ट्रैक्ट्स बनाना भूि सकते हैं ंूांकक आपको उन पर भरोसा हैं | सबकुछ अच्छे से चि रहा हो तो आप भूि
सकते हैं की कमकशटयि कैसे काम करते हैं | ाास करके जब आपके कबज़नेस को पाां च साि हो चुके हो|

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कॉन्ट्रैक्ट के प्रकार:
1. सांस्थापक समझौता
 र्ैसिा िेने का एक
 वोर्ट दे ने का अकिकार
र्ाउां डर अग्रीिेर्ट जो बाकी दे शोां में बहुत आम बात मानी जाती हैं वो एक्चुअिी इां कडया में इतना प्रचकित नहीां हैं | और
इसका पररणाम बढ़ने िगा हैं ंूांकक कबज़नेस में कई तरह की मुखििें हो सकती हैं | र्ॉर एक्साम्पि आखरी कडकसशन
कौन िेगा आप तीनोां इस बात पर सहमत नहीां हो| ंूूँ ककसी बोडट मेम्बर के पास काखस्टां ग वोर्ट का अकिकार हैं या नहीां?
वहाां चेयरमैन की कॉन्सेप्ट हैं या नहीां? आप तीनोां के पास बराबर के अकिकार हैं |
कॉन्ट्रैक्ट के प्रकार:
1. सांस्थापक समझौता
 र्ैसिा िेने का एक
 वोर्ट दे ने का अकिकार
 शेयर होखल्डां ग पैर्टनट
िेककन भिे ही आप तीनोां में से एक र्ाउां डर के पास कम्पनी के 50 परसेंर्ट से ज्यादा शेयरस हो तो? कर्र ऐसी कसचुएशन
में कजसके पास ज्यादा शेयरस हो तो? वो कम्पनी को कण्ट्र ोि l कर सकते हैं | अगर आपके पास 75 परसेंर्ट से ज्यादा
शेयर हो तो आपका कण्ट्र ोि स्टर ोांग होगा| और आप कुछ रे गुिेशनस पास कर सकते हैं | तो आपके शेयर होखल्डां ग को
दे खते हुए जरूरी हैं | भिे ही आपने दोस्त के साथ कम्पनी शुरू की हैं |ये तय करना बहुत जरूरी हैं की कौन आखरी
र्ैसिा िेगा| या डे डिॉक कसचुएशनस में ंा होगा? र्ांकडां ग के किए एप्रोच करते वक्त शायद एक र्ाउां डर सोच सकता
हैं की कम्पनी रे डी हैं बखि दु सरे र्ाउां डर को िग सकता हैं की कम्पनी को और ग्रोथ चाकहए| और एक सर्टे न िेवि पर
पहुां चकर म्याचुअर कम्पनी बनना चाकहए ताकक वो इवेसे स्टर को आककषटत कर सके|
कॉन्ट्रैक्ट के प्रकार:
1. सांस्थापक समझौता
 र्ैसिा िेने का एक
 वोर्ट दे ने का अकिकार
 शेयर होखल्डां ग पैर्टनट
 र्ण्ड का दाकयत्व
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हम जानते हैं शुरुआती स्टे ज में कम्पनी को काम करने के किए कुछ र्ण्डस की जरूरत होती हैं | तो कौन र्ाउां डर हैं
जो पैसा इवेसेस्ट करे गा? ंा तीनोां एक साथ इवेसेस्ट कर रहे हैं ? ंा पैसे खड़े करना तीनोां की इक्वि कजम्मे दारी हैं ? इन
मैं से कौन ये कजम्मेदारी उठानेवािा हैं ? िेककन अगर एक र्ाउां डर कम्पनी में पैसा इवेसेस्ट करने के किए ककमर्टे ड हैं और
आपके कबज़नेस की नीव इस र्ाउां डर के पैसे इवेसेस्ट करने पर राखी गयी हैं | ऐसा अग्रीमेंर्ट मेंशन करना जरूरी हैं ताकक
कोई कमसअांडरस्टैं कडां ग न हो| जहाूँ अचानक आपकी कम्पनी में पैसे आना बांद हो और अचानक आपके किए काम करना
मुखिि हो जाये |
कॉन्ट्रैक्ट के प्रकार:
1| सां स्थापक समझौता
 र्ैसिा िेने का एक
 वोर्ट दे ने का अकिकार
 शेयर होखल्डां ग पैर्टनट
 र्ण्ड का दाकयत्व
 आयपी माकिकाना हक
आखरी किकर्टकि पहिू हैं ओनरकशप इन अ कम्पनी कुछ महत्वपूणट ऐसेस को िेकर जैसे इां र्टेिेक्चुअि प्रोपर्टी| कई
र्ाउां डर आयपी के किए अप्लाई करते हैं | आपकी इां र्टेिेक्चुअि प्रॉपर्टी रकजस्टर होता हैं | िेककन इससे कई इखम्प्प्लकेशन
हो सकते हैं | वो अपनी इवेसेस्टमेंर्ट को बचने के किए प्रॉपर्टी अपनी नाम से रकजस्टर कर रहा हैं | िेककन अगर आप अपनी
कम्पनी को अगिे िेवि पर िे जाना चाहे हैं तो आपको इस बात का ध्यान रखना होगा की सारे ऐसेस कम्पनी में होने
चाकहए| कम्पनी के ऐसेस कम्पनी के नाम हो तो ये अच्छा हैं |
कॉन्ट्रैक्ट के प्रकार:
1| सांस्थापक समझौता
 र्ैसिा िेने का एक
 वोर्ट दे ने का अकिकार
 शेयर होखल्डां ग पैर्टनट
 र्ण्ड का दाकयत्व
 आयपी माकिकाना हक
 Expertise का पररश्रकमक
और र्ाउां डरस में जो अरें जमेंर्टस तय हुई हैं वो र्ौखडां ग या कम्पनी में कुछ एक्सपर्टट िोगोां को िाना ताकक सब
डॉंूमेंर्टेशन ठीक से हो| इस में कोखम्प्प्लकेशन तब आ सकती हैं जब एक र्ाउां डर र्ाइनेंस िा रहा हैं | और एक
र्ाउां डर र्टे खिकि एक्सपर्टाइस िा रहा हैं | तभी ये जरूरी होता हैं आप कम्पनी का शेयर होखल्डां ग स्टर क्चरस बना िे | और
तय कर िे की एक्सपर्टट इस का कैसे इस्ते माि करना हैं | ंा आप प्रमोर्टर को कसर्ट सैिरी पर रखनेवािी हैं या आप उन्हें
कम्पनी में इखक्वर्टी ओनरकशप ऑर्र करनेवािी हैं | कजस तरह एक मजबूत र्ाउां डर अग्रीमेंर्ट आपके कबज़ने स के किए
जरूरी हैं | उसी तरह एक अच्छे तरीके से तैयार ककया गया एमप्लोयी कॉन्ट्रैक्ट भी उतना ही इम्पोर्टे न्ट् हैं | तो अब एक
एमप्लोयी अग्रीमेंर्ट के की र्टर्म्ट ंा हैं ? एक र्ाउां डर के जररये से कम्पनी को बचने के किए आपको ंा करना चाकहए?
कॉन्ट्रैक्ट के प्रकार:
1. सांस्थापक समझौता
 कवकशष्टता

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और उसी तरह से सोचना की एमप्लोयी ंा चाहता हैं ? आप इन दोनोां बातोां पर कवचार करे और एक बेहतर कॉन्ट्रैक्ट
बना सकते हैं | एक की पॉइां र्ट की बात करे जो कबज़नेस कॉन्ट्रैक्ट में भी होता हैं वो हैं एक्स्क्क्लुकसकवर्टी|अगर आप ककसी
एमप्लोयी को साइन कर रहे हैं जो कांसखल्टां ग नहीां हैं बखि एमप्लोयी हैं तो आप चाहें गे की वो अपना पूरा वक़्त आपके
कबज़नेस के किए दे | वो बाकी कई काम कर सकता हैं जैसे की इवेसेस्टमेंर्ट एखक्टकवर्टी या बाकी एखक्टकवर्टी जो जब तक ये
काम उसके कम्पनी के प्रकत कोई बुरा असर न डाि रहा हो| तो एम्प्प्लॉयमेंर्ट कॉन्ट्रैक्ट के एक बेकसक र्टमट हैं ध्यान रखे की
आपका एमप्लोयी कसर्ट आपके किए काम कर रहा हैं | और वो ककसी और कम्पनीज में काम नहीां कर रहा हो|

कॉन्ट्रैक्ट के प्रकार:
1. कमटचारी समझौता
 कवकशष्टता
 आयपी की कजम्मेदारी
दू सरा सबसे अहम् पहिू हैं आयपी असाइनमेंर्ट हमने इससे पहिे दे खा की आयपी की ंा इम्पोर्टें स हैं और ये कैसे
रकजस्टर हो| िेककन अगर कुछ हाित में आपके एमप्लोयी कुछ काम कर रहे हो| ाास करके किएकर्टव कांर्टें र्ट की बात
हो या आपके कबज़नेस से जुडी कोई बात हो| तो कॉन्ट्रैक्ट में आयपी असाइनमेंर्ट क्लाव्स होना जरूरी हैं | कजसके तहत

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एमप्लोयी जो कुछ भी तैयार करे गा उस पर कम्पनी का अकिकार होगा| अगर आपने ये क्लाव्स नहीां बनाये तो कानून की
नज़र में आपका एमप्लोयी उसके काम का हकदार होगा| और आगे चिकर इस काम से गेनेरर्टे हुए कबज़नेस पर ककसका
हक हैं इस बात को िेकर मतभेद हो सकता हैं |
कॉन्ट्रैक्ट के प्रकार:
3. कमटचारी समझौता
 कवकशष्टता
 आयपी की कजम्मेदारी
 रोजगार समापन
एम्प्प्लॉयमेंर्ट ररिेशनकशप का एक और कर्टरकी पहिू हैं वो हैं नॉन कम्पिीर्ट एक्स्क्क्लुकसकवर्टी की बात करे तो आपका
एमप्लोयी कसर्ट आपका होना चाकहए| पर तब ंा होगा जब उसके एम्प्प्लॉयमेंर्ट र्टकमटनेर्ट होती हैं | सोकचये आपने ककसी को
काम पर रखा जो कम्पनी की शुरुआत से एक की एमप्लोयी हैं कजसे शुरुआत से बहुत एहम भूकमका कनभानी थी| और
कजससे सेंकसकर्टव डार्टा पर काम ककया हो| अगर ककसी वजह से एमप्लोयी अपनी नौकरी छोड़ दे ता हैं या कुछ गडबड हो
जाती हैं और वो सेंकसकर्टव जानकारी के साथ आपके कोम्पेर्टीर्टर को जॉइन करता हैं | तो इससे कम्पनी को बहुत नुक्सान
हो सकता हैं | इसकिए एक एम्प्प्लायर और एमप्लोयी के नजररये से जो कोई एमप्लोयी हैं | कार्ी स्टार्टट अप कम्पनी सोचती
हैं की एक पेज का ऑर्र िैर्टर कार्ी होगा| कजस में रे मुनेरशन और बाकी र्टर्म्ट किखे हो और बाकी सब िीड पोकिसी
के तहत ककया जायेगा| िेककन आपके किए ये बेहतर होगा की आप एक कसांपि एमप्लोयी अग्रीमेंर्ट बनाये | दो या तीन पेज
का भी अग्रीमेंर्ट कार्ी होगा| ताकक इां र्टेिेक्चुअि प्रॉपर्टी, कॉांकर्डें र्टकशयािी और सें कसकर्टव डार्टा से जुडी जानकारी पूरी
तरह से सुरकित रहे |

विक्रेता और ग्राहक कॉन्ट्रैक्ट

वाकई ये जानकर बहुत कदिचस्पी हुई की एक अच्छे एमप्लोयी अग्रीमेंर्ट बनाने के किए ककन कवकभन्न पहिुओां के बारे में
ाास ध्यान रखना चाकहए| अब आगे हमें ये दे खना हैं की ककस तरह बाहरी िोग जैसे कोस्टमरस या वेंडरस के किए हम
कैसे कॉन्ट्रैक्ट्स बना सकते हैं | तो आप ंा अपने शेयर होल्डसट या आपके एमप्लोयी के कॉन्ट्रैक्ट्स के अिावा तीसरी
महत्वपूणट हैं वो कॉन्ट्रैक्ट्स जो आप बाकी थडट पार्टीज के साथ बनायेंगे वो थडट पार्टीज इन से आप सकवटस िेते हैं या वो
थडट पार्टीज जो आपके कस्टमर हैं और कजन्हें आप सकवटस प्रोवाइड करते हैं | और ये कई कबज़नेस का अहम् कहस्सा हैं |
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कॉन्ट्रैक्ट के प्रकार :
1. वेंडर के समझौते
कजसे कस्टमर कॉन्ट्रैक्ट्स या वेंडर कॉन्ट्रैक्ट्स कहा जाता हैं | िेककन ये कोई ऐसे कॉन्ट्रैक्ट्स नहीां हैं जो हर तरह की
कबज़नेस को एक जैसे िागू हो सके या सामान रूप से इस्तेमाि हो सके| ये ऐसे र्टाइप के कॉन्ट्रैक्ट्स हैं जो कबज़नेस के
साथ बदिते जायेंगे| ये कॉन्ट्रैक्ट्स आपके सकवटसेस पर कनभटर करते हैं | तो आप कजन्हें सकवटस दे रहे हैं उनके साथ कस्टमर
कॉन्ट्रैक्ट्स या वेंडर कॉन्ट्रैक्ट्स बनाना जरूरी ंूूँ हैं ?
कॉन्ट्रैक्ट के प्रकार :
1. वेंडर के समझौते
 ररर्ांड की कनकत
इसकी कई वजह हैं जो आपकी अपनी कष्टमर के साथ ंा अरें जमेंर्ट हैं उस पर कनभटर करती हैं | ककस आिार पर ररर्ांड
ककये जा सकते हैं | र्ॉर एक्सामपि ये प्रोडक्ट् स बेच रहे हैं | ये आपकी वे बसाईर्ट से बेचा हैं और अगर इस में कोई कडर्ेक्ट
हैं आपका अपना क्वाकिर्टी चेक इसकी जाूँ च करे गा| िेककन आपकी पास वजह होनी चाकहए कजसके कबना पर आप
कडर्टे खक्टव प्रोडक्ट ररर्टनर कर सके|
कॉन्ट्रैक्ट के प्रकार :
1. वेंडर के समझौते
 ररर्ांड की कनकत
 र्टै क्स की िारा
 कवकशष्टता
 समापन की िारा
आपके पास कबज़नेस में र्टै क्स क्लॉज़ कैसे काम करें गे ये जानने की िमता होनी चाकहये | अगर आप एक स्टे र्ट्स से माि
खरीद रहे हैं और वोदु सरे स्टे र्ट्स में िे जा रहे हैं तो कौनसे र्टै क्स िागू होांगे| मतिब आप इस माि के किए जो कीमत
अदा करें गे पल्स आपकी से खल्लांग प्राइज पर जो र्टै क्सेज पे करने पड़ें गे और इसके साथ जो र्टै क्सेज डे डक्ट ककये जायेंगे |
और एक पहिू हैं कजसका हम बार बार कजि कर रहे हैं वो हैं एक्स्क्क्लुकसकवर्टी| ये जो वेंडर हैं जो आपके वेब साईर्ट के
किए माि प्रोवाइड कर रहा हैं ंा वो बाहर ककसी को अपना माि बेच सकता हैं ?
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अगर वो बाहर ककसी को माि बेच रहा हैं तो माि की कीमत में ककतना र्कट हैं यही सारी चीज़ें | आपको कॉन्ट्रैक्ट में कई
क्लॉज़ को शाकमि करना हैं | कजस में र्टकमटनेशन भी जरूरी हैं | अगर इस अरें जमें र्ट में िॉग इन हुआ तो ंा होगा?ंा
आपकी सप्लायर के साथ कॉन्ट्रैक्ट साइन करते वक़्त उसे गारां र्टी दी हैं की तय हुए अवकि के किए आपको माि सप्लाई
करे गा? या आप खुद को सु रकित करना चाहते हैं ताकक वो बीच में कॉन्ट्रैक्ट र्टकमटनेर्ट न करे | ंूांकक आप अपने वेब साईर्ट
पर उस पर कनभटर हैं | आप शायद दोनोां तरह से िॉगइन करना चाहें गे| वो वेंडर जो आपको माि सप्लाई कर रहा हैं या
आपके नजररये से आप ऐसी पोजीशन में हो की उसे ये गारां र्टी दे सके इसकिए आपके र्टर्म्ट और र्टकमटनेशन बहुत अहम्
हैं | स्पेशिी ऐसी िॉग इन अरें जमेंर्ट जो आपके कबज़नेस के किए र्ायदे मांद हो| इन पॉइां र्ट्स पर ध्यान दे ना बहुत जरूरी हैं
अगर आप िॉग इन करने के बारे मैं सोच रहे हैं एक अच्छे कॉन्ट्रैक्ट के किए| ऐसे कई और िीगि क्लौसेस हो सकते हैं |
जो र्ाउां डसट के काम आ सकते हैं कडस्यूर्ट रे सोिुर्टशन, गवकनिंग िॉ या ऐसे कई मामिोां में जो र्टे खिकि हैं और जो
कबिुि स्टै ण्डडट हैं | िेककन कमकशटयि नजररये से कम से कम इसके बारे में सोचना और कॉन्ट्रैक्ट्स में इनका कजि होना
जरूरी हैं |
कॉन्ट्रैक्ट के प्रकार :
1. वेंडर के समझौते
 ररर्ांड की कनकत
 र्टै क्स की िारा
 कवकशष्टता
 समापन की िारा
2. सकवटस के समझौते
एक र्टाइप का कॉन्ट्रैक्ट हैं कजसकी आपको जरूरत पड सकती हैं | वो हैं सकवटस कॉन्ट्रैक्ट्स जैसे हमने पहिे दे खा हैं
आप इन-हाउस एमप्लोयी से सारी सकवटसेस प्रोवाइड नहीां कर सकते | ाास करके की स्टार्टट अप में आपके पास एमप्लोयी
को पे करने के किए उतने पै से न हो| र्ॉर एक्सामप्ले अगर आपको ककसी तरह का कांर्टें र्ट किएर्ट करना हैं या कर्र आपके
वेबसाईर्ट का एक्साम्प्प्ले िेते हैं | आप खुद अपने ऑकर्स में वेब साईर्ट कडजाईन नहीां कर पाएां गे | और ये काम बहुत सी
कम्पनीया आउर्ट सोसट करती हैं | इसकिए आपको वेंडर के साथ सकवटस कॉन्ट्रैक्ट बनाना पड़े गा| तो अब यहाूँ कर्र से
सवाि उठता हैं की आपकी वेब साईर्ट बनाने वािे के साथ कॉन्ट्रैक्ट बनाना ंूूँ जरूरी हैं |जब तक वो किएर्ट करके
कडिीवर कर रहे हैं और उन्हें उनके सकवटस के किए पै से कमि रहे हैं कॉन्ट्रैक्ट करने की कोई ाास जरूरत नहीां हैं | सुरिा
की नजररयें से हमें ककन बातोां पर ध्यान दे ना चाकहए? र्ॉर एक्स्क्मप्ल काम की ओररकजनाकिर्टी आपको िगता हैं की कुछ
हािात में वो कर्र से ओररकजनि काम ररपीर्ट कर सकते हैं |
कॉन्ट्रैक्ट के प्रकार :
1. वेंडर के समझौते
 ररर्ांड की कनकत
 र्टै क्स की िारा
 कवकशष्टता
 समापन की िारा
2. सकवटस के समझौते
 थडट पार्टी का आयपी उल्लां घन
 आयपी का माकिकाना हक
जो काम वो प्रोवाइड कर रहे हैं वो ककसी और पार्टी के इां र्टेिेक्चुअि राइर्ट् स का उल्लांघन नहीां करे गा| और एक महत्वपूणट
पहिू हैं आय पी पर ककसका हक हैं ? आप ऐसे इां सान की बात कर रहे हैं कजसने आपके किए प्रोडक्ट बनाया हैं | और

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आप इसका इस्तेमाि कर सकते हैं | िेककन ये प्रोडक्ट आखखर ककसका हैं ? कर्र से आपको िग सकता हैं की इसकी
ओनरकशप आपके पास हैं | िेककन आपको ये कॉन्ट्रैक्ट में किखना होगा की ये कॉन्ट्रैक्ट हैं | ये वकट हायर कॉन्ट्रैक्ट हैं और
सकवटस प्रोवाइड द्वारा बनाये गए हर चीज़ पर आपका अकिकार हैं और दू सरी बात अगर ककसी हद तक कुछ चीज़ें आपकी
नहीां हैं | तो वो इसके इस्तमाि के सारे हक़ आपको दे रहे हैं |
कॉन्ट्रैक्ट के प्रकार :
1. वेंडर के समझौते
 ररर्ांड की कनकत
 र्टै क्स की िारा
 कवकशष्टता
 समापन की िारा
2. सकवटस के समझौते
 थडट पार्टी का आयपी उल्लां घन
 आयपी का माकिकाना हक
 भुगतान के किए समयसीमा
और एक पहिू हैं पे मेंर्ट के किए बनायी र्टाइम िाइन्स| कभी कभी हम समझते हैं की काम पूरा होते ही पे मेंर्ट ररिीज़ ककया
जायेगा| कभी कभी समझते हैं की ककसी को साइन करने के बाद पे मेंर्ट का कुछ कहस्सा कमि जायेगा| और बाकी कहस्सा
कमि जाएगा और बाकी कहस्सा बाद में कदया जाएगा|

कॉन्ट्रैक्ट के प्रकार :
1. ग्राहक के समझौते
अगिी र्टाइप हैं आपके कस्टमर कॉन्ट्रैक्ट्स आपके कस्टमरस कौन हैं ? और आपको उनके साथ कॉन्ट्रैक्ट्स ंूूँ बनाना
चाकहए? ये कर्र से एक बार कनभटर करते हैं आप ककस तरह की सकवटस दे रहे हैं | या आपकी कम्पनी ककस तरह का
कबज़नेस करती हैं | ऐसे कुछ र्टाइप के कबज़नेस हैं कजनके किए कोई कॉन्ट्रैक्ट नहीां होता| र्ॉर एक्स्क्मपि अगर आप ककसी
प्रोडक्ट के अग्ग्ग्रेगार्टर हैं या कर्र आपकी वेब साईर्ट मान िीकजये मेकडकि सकवटसेस के किए बनायी गयी हैं | इस में कस्टमर

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िॉग इन कर रहे हैं | और मान िीकजये आप इन्हें मेकडकि प्रखक्टर्टोनेर से कनेक्ट कर रहे हैं | तो कर्र उन्हें आपके कस्टमर
के साथ कोई अग्रीमेंर्ट बनाने की जरूरत नहीां हैं |
कॉन्ट्रैक्ट के प्रकार :
1. ग्राहक के समझौते
 क़ानूनी िायकबिर्टी
िेककन कर्र िीगि िायकबकिर्टी का ंा? इस में आपका रोिे ंा हैं ? आप यहाूँ कमडि मेंन हैं जो दो िोगोां को काां र्टेक्ट
कर रहे हैं | इस मैं बहुत सारे कॉम्पोनेन्ट् हो सकते हैं | जैसे की इन्सुरैंस पोकिसी को िाना, मेकडकि सकवटसेस अवेिेबि
करना या कर्र ऑनिाइन ककसी भी तरह की बेकसक जानकारी को इकट्टा करना| आपका रोिे ंा होना चाकहए? एक
कमकडि मेन की तरह या अगर आप कुछ सकवटसेस की क्वाकिर्टी की गारां र्टी दे रहे हैं तो ये जरूरी हैं की आप अपनी
कजम्मेदारी को अपनी कस्टमर के साथ हुए अरें जमेंर्ट तक कसकमत रखे | आपने नोकर्टस ककया होगा की कई बार जब आप
ककसी वेब साईर्ट पर िॉग इन करते हैं तो आपको खक्लक ग्रैब अग्रीमेंर्ट करना पड़ता हैं | कजस मैं आपको वेब साईर्ट की
सारी र्टर्म्ट और कांडीशन को स्वीकार करना होता हैं | िेककन इस प्रोसेस के जररये कई कबज़नेस कम्पनी अपनी कजम्मेदारी
से मुक्त होती हैं और आप उनकी र्टर्म्ट और कांडीशनस स्वीकार करते हैं |
कॉन्ट्रैक्ट के प्रकार :
1. ग्राहक के समझौते
 क़ानूनी िायकबिर्टी
 कनयम और शते
 कारोबार की प्रकृकत
अगर एक्चुअि कॉन्ट्रैक्ट्स नहीां तो आप अपने वेब साईर्ट पर कुछ बेकसक र्टर्म्ट और कांडीशनस डाि सकते हैं | कजससे
आपकी कस्टमर को पता चिे की वो एक्साक्ट् िी ंा कर रहे हैं | जाकहर हैं कस्टमर कॉन्ट्रैक्ट्स का नेचर हैं की जो सूकचत
करता हैं की ये बी2सी कबज़नेस हैं | जहाूँ आप उनके साथ आमने सामने डीि करते हैं | िेककन जहाूँ आप कांजूमर के साथ
कबज़नेस नहीां कर रहे हैं | ये बी2सी कबज़नेस हैं | जहाूँ आप बाकी कम्पनीज के साथ डीि कर रहे हैं | जो अिग तरह का
कबज़नेस करते हैं |
तो जब आप ककसी कम्पनी के साथ या कांजू मर के साथ डीि करते हैं | और आप जो माि और सकवटस प्रोवाइड करते हैं
उनके कबना पर आप तय कर सकते हैं की आपको ककस तरह की कॉन्ट्रैक्ट की जरूरत हैं | और इस में कौनसी क्लॉज़
होनी चाकहए| और पचेस आडट र पे ंा ककया जा सकता हैं | तो एक बात जाकहर हैं अगर आपका बी2सी कबज़नेस हैं तो
आपको तय करना होगा आपको आपकी कस्टमर के साथ ककस तरह की र्टर्म्ट और कांडीशनस होने चाकहए|और ककस
तरह कीकिअखिर्टी कडस क्लेम कर सकते हैं | और अगर बी2सी कबज़नेस हैं तो शायद इतनी ज्यादा र्टर्म्ट और कांडीशनस
नहीां होगी आप ककसी और के किए वेंडर का काम कर रहे हैं | जहाूँ जरूरत होगी स्टै ण्डडट सप्लाइज सकवटसेस अग्रीमेंर्ट की|
तो हमारे किए सबसे पहिे सात से दस कदनोां का इवेसेस्टमेंर्ट करना बहुत जरूरी होता हैं | न की बस जल्दबाजी में ककसी
को भी काम पर रख िेना| िेककन ये सेल्स साइककि हैं की कमड साइड के कस्टमर के किए तीन से चार हफ्ते एां र्टरप्राइज
कस्टमर को किए ये बहुत बड़ा होना चाकहए ंूांकक एां र्टरप्राइज में वहाूँ बहुत ज्यादा प्रोसेस होती हैं | तो आपको ध्यान रखना
हैं आप वहाूँ पर पहिे प्रपोजि भेजेंगे| और उसके बाद उस पर आरएर्ंू होगा| एक दो बार जाकर आप िोगोां से कमिेंगे
उन्हें समझायें गे की आप उनके साथ काम ंूूँ करना चाहते हैं | कर्र वो आपके साथ प्राइज को िेकर कनगोकशएर्ट करें गे |
इस में दो, चार, छे ह हफ्ते भी िग सकते हैं |

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कर्र से डराखटां ग की जाएगी मतिब हम कमड साइज़ कम्पनी के किए स्टै ण्डडट ज कॉन्ट्रैक्ट करें गे और एां र्टरप्राइज के किए
अिग कॉन्ट्रैक्ट बनायेंगे| ओके तो कॉन्ट्रैक्ट बनने में दो से तीन हफ्ते िग जायें गे | एां र्टरप्राइज क्लाइां र्ट के साथ कॉन्ट्रैक्ट
करने में िगभग दो से तीन महीने िग सकते हैं | और बहुत ही छोर्टे कस्टमर के किए आपके वेब साईर्ट पर कडकजर्टि
कॉन्ट्रैक्ट होता हैं बस आपको िॉग इन करना हैं | जैसे कुछ भी साकहि@ अगर मैं जैम बेच रहा हूँ तो साकहिजैम|कॉम
और मैं कहूँ गा अगर मुझे आपकी सकवटसेस यूज करनी हैं तो कर्टक कर्टक कर्टक ये सरे मेरे जामस हैं आपको यहीां कमिेंगे आप
मुझे कॉि कीकजये और खरीद िीकजये | इस मैं कसर्ट दो कदन िगेंगे|

सारांश - कॉन्ट्रैक्ट्स

1. कॉन्ट्रैक्ट का महत्व

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2. कॉन्ट्रैक्ट के मुख्य पहिू
a. कॉन्ट्रैक्ट के कनयम
b. समापन
c. कवकशष्टता
d. भुगतान के कनयम
e. प्रकतकनकितव और वारां र्टी
f. हाकन से सुरिा

3. कॉन्ट्रैक्ट के प्रकार
a. सांस्थापक समझौता
b. कमटचारी समझौता
c. वेंडर कॉन्ट्रैक्टस
d. सकवटस कॉन्ट्रैक्टस
e. कस्टमर कॉन्ट्रैक्टस

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इस सेशन में हमने कॉन्ट्रैक्ट्स के महत्व को समझा| कर्र हमने कॉन्ट्रैक्ट्स से जुड़े अिग अिग पहिुओां के बारे में जाना
र्टर्म्ट ऑि कॉन्ट्रैक्ट, र्टकमटनेशन, एक्सक्लूकसवर्टी, पेमेंर्ट र्टर्म्ट, ररप्रजेंर्टेशन वारां र्टीइस और आखखर में इनडे किर्टी कर्र हमने
कॉन्ट्रैक्ट्स के अिग र्टाइप्स को समझा जैसे र्ाउां डर अग्रीमेंर्ट, एमप्लोयी अग्रीमें र्ट, वेंडर कॉन्ट्रैक्ट्स, सकवटस कॉन्ट्रैक्ट्स
और कस्टमर कॉन्ट्रैक्ट्स|उम्मीद हैं आपको इस सेशन मैं कार्ी जरूरी जानकारी कमिी| अगिे सेशन में हम कर्नाकसअि
स्टे र्टमेंर्ट्स, मैनेजमेंर्ट इनर्ामेशन कसस्टम और की परर्ॉरमेंस इां डीकेर्टसट के बारे में बात करें गे | आशा करती हूँ की अगिे
सेशन में आप से मुिाकात होगी| सी यू|

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