You are on page 1of 9

Chapter 3

दिल्ली सल्तनत

#तोमर राजपत

 *अनंगपाल तोमर ने 1052 में दिल्ली की स्थापना की।


 *(भारत सरकार ने हाल ही में 11 वीं सदी के तोमर सम्राट अनंगपाल द्वितीय की विरासत को लोकप्रिय
बनाने के लिए 'महाराजा अनंगपाल द्वितीय स्मारक समिति' का गठन किया है )
 *बारहवीं शताब्दी के मध्य में अजमेर के चौहानों से पहले तोमरों राजपूतों ने दिल्ली को अपनी पहली
बार अपने राज्य की राजधानी बनाया था। तोमर वंश के बाद दिल्ली की राजगद्दी पर बैठे चौहान शासकों
के समय में दिल्ली राजनीतिक स्थान के साथ एक महत्वपूर्ण व्यापारिक केंद्र बन गई थी। तत्कालीन
दिल्ली में व्यापक रूप से प्रचलित मुद्रा, दे हलीवाल कहलाती थी। वैसे तो उस समय सिक्के, शुद्ध चांदी से
लेकर तांबे के होते थे। पर सभी सिक्कों को चांदी की मुद्रा के रूप में ढाला गया था और सभी एक ही नाम
दे हलीवाल से जाने जाते थे।

#दिल्ली सल्तनत

1206 से 1526 तक भारत पर शासन करने वाले पाँच वंश के सल्


ु तानों के शासनकाल को दिल्ली सल्तन

कहा जाता है ।

ये पाँच वंश थे-

गुलाम वंश (1206 - 1290),

ख़िलजी वंश (1290- 1320),

तुग़लक़ वंश (1320 - 1414),

सैयद वंश (1414 - 1451), तथा

लोदी वंश (1451 - 1526), इनमें से पहले चार वंश मूल रूप से तुर्क थे और आखरी अफगान था।
#गुलाम वंश (ममलुक)

 मोहम्मद ग़ौरी ने उत्तर भारत पर हमले करना आरम्भ किया। उसने अपने उद्देश्य के तहत इस्लामिक
शासन को बढ़ाना शुरू किया। गोरी एक सुन्नी मुसलमान था, जिसने अपने साम्राज्य को पूर्वी सिंधु नदी
तक बढ़ाया और सल्तनत काल की नीव डाली। 1206 में गोरी की हत्या कर दी गई पथ्
ृ वीराज चौहान के
द्वारा, गौरी का कोई उतराधिकारी नहीं था अतः उसकी मौत के बाद उसके साम्राज्य के भारतीय क्षेत्र
पर उसके प्रिय ग़ल
ु ाम क़ुतुब-उद-दीन ऐबक ने दिल्ली सल्तनत स्थापित करके उसका विस्तार करना
शरू
ु कर दिया।

 इसने अपनी राजधानी लाहौर को बनाया।

 कुतुबुद्दीन ऐबक ने यलदोज (गजनी) को दामाद, कुबाचा (मुलतान + सिंध) को बहनोई और इल्तुतमिश
को अपना दामाद बनाया ताकि गौरी की मत्ृ यु के बाद सिंहासन का कोई और दावेदार ना बन सके।

 अजमेर का ढाई दिन का झोंपडा का निर्माण कुतब


ु द्द
ु ीन ऐबक ने ही करवाया था।

 1210 में चौगान खेलते समय घोड़े से गिरकर इसकी मत्ृ यु हुई तथा इसे लाहौर में दफनाया गया था।

 इसने अपने गुरु कुतुबद्दीन बख्तियार काकी की याद में कुतुब मीनार की नींव रखी परं तु वह इसका
निर्माण कार्य परू ा नही करवा सका। इल्तुतमिश ने कुतुब मीनार का निर्माण कार्य पूरा करवाया।

# इल्तुतमिश: - (1210-1236)

 कुतुबुद्दीन ऐबक की मत्ृ यु के बाद इल्तुत्मिश 1210 ई. में दिल्ली के सिंहासन पर बैठा।

 इसने दिल्ली के सिंहासन पर बैठने के बाद राजधानी को लाहौर से दिल्ली स्थांतरित किया।

 इल्तुतमिश को गुलामो का ग़ल


ु ाम कहा जाता है क्योंकि यह कुतुबुद्दीन ऐबक का गुलाम था जो
(कुतुबुद्दीन ऐबक) खुद भी महमूद गौरी का गुलाम था।
 इसने सोने व चांदी के सिक्के चलाए जिसमें चांदी के सिक्कों को टं का और सोने के सिक्कों को जीतल
कहा जाता था।

 इल्तत
ु मिश इक्ता प्रथा और शद्ध
ु अर्बियन सिक्के चलाने वाला प्रथम शासक था ।

 1236 ई. में मरने से पहले इल्तत


ु मिश ने अपनी पत्र
ु ी रजिया को अपनी उतराधिकारी घोषित किया
क्योंकि उसका बड़ा पुत्र महमूद मारा जा चुका था।

# रजिया सुल्तान (1236-40)

 रज़िया ने रुकनद्द
ु ीन को अपदस्थ करके सत्ता प्राप्त की। उत्तराधिकार को लेकर रज़िया सल्
ु तान को
जनता का समर्थन प्राप्त था।

 रज़िया ने भटिंडा के गवर्नर अल्तुनिया से विवाह किया।

 1240 ईसवी में कैथल में रज़िया की हत्या कर दी गयी।

#गयासुद्दीन बलबन (1265-1290)

 गयासद्द
ु ीन बलबन दिल्ली सल्तनत का नौवां सल्
ु तान था। वह 1266 में दिल्ली सल्तनत का सल्
ु तान
बना।

 बलबन, इल्तुतमिश का दास था।

 बलबन ने सिजदा और पेबोस प्रथा की शुरुआत की।

 इसने जिले - ए- इलाही तथा नियाबते खुदाई की उपाधि धारण की।


 बलबन ने इल्तुतमिश द्वारा बनाए गए चालीसा दल को समाप्त किया।

 1287 में मंगोलों से लड़ते हुए बलबन की मत्ृ यु हुई।

ख़िलजी वंश (1290- 1320)

 जलालुद्दीन ख़िलजी – (1290-1296 ई.)


 अलाउद्दीन ख़िलजी – (1296-1316 ई.)
 शिहाबद्द
ु ीन उमर ख़िलजी – (1316)
 क़ुतुबुद्दीन मुबारक ख़िलजी – (1316-1320 ई.)
 नाइसीरुद्दीन खुसरशवाह (1320)

खिलजी वंश का संस्थापक जलालुद्दीन खिलजी था।

 यह दिल्ली सल्तनत का प्रथम शासक था जिसका हिन्द ू जनता के प्रति उदार दृष्टिकोण था

 जलालद्द
ु ीन खिलजी दिल्ली सल्तनत का पहला शासक था ,जिसने अपने विचारों को स्पष्ट रुप से

सामने रखा कि राज्य का आधार प्रजा का समर्थन होना चाहिए खिलजी की नीति दस
ू रों को प्रसन्न

रखना थी

 जलालुद्दीन खिलजी उदार शासक था वह हिंदओ


ु के प्रति सहिष्णु था

 सुल्तान के भतीजे अलाउद्दीन ने धोखे से अपने चाचा की हत्या करवा दी।

अलाउद्दीन खिलजी (1296 ई.-1316 ई.)

 अलाउद्दीन खिलजी का जन्म 1266-67 ई. में हुआ था, पिता शिहाबु ्द्दीन खिलजी था, जो कि

जलालुद्दीन फिरोज खिलजी का भाई था।

 1290 ई. में जलालद्द


ु ीन ने उसे ‘अमीर-ए-तज
ु क
ु ’ पद प्रदान किया।

 1294 ई में अलाउद्दीन ने दे वगिरि पर आक्रमण किया और सुल्तान जलालुद्दीन से छिपाकर

अपार धन सम्पत्ति प्राप्त किया था।


 दे वगिरि की विजय से अलाउद्दीन की सुल्तान बनने की इच्छा प्रबल हो उठी और उसने 19

जुलाई, 1296 ई. को धोखे से सुल्तान जलालुद्दीन की हत्या करके स्वयं सत्ता हस्तगत कर ली।

 प्रारम्भिक इच्छा एक नवीन धर्म चलाने की तथा विश्वविजेता बनने की थी

 अलाउद्दीन का महान सेनापति मलिक काफूर

 प्रथम सल्
ु तान जिसने दक्षिण भारत में विजय प्राप्त की थी।

 अलाउद्दीन ने बलबन की लौह व रक्त की नीति अपनायी गयी थी।

 अलाउद्दीन ने अलाई दरवाजा (कुतुबमीनार प्रवेश द्वार) का निर्माण करवाया

 अपने अमीरों के बीच उसकी इजाजत के बिना दावतों, त्योहार मनाने पर रोक लगा दी थी

 सेनापति गाजी मलिक द्वारा उत्तर-पश्चिमी सीमा को मजबूती प्रदान करायी 

 सैनिकों को नकद वेतन दिये जाने की शुरूआत 

 प्रथम बार घोड़ों को दागने की प्रथा तथा सैनिकों के लिए हुलिया प्रणाली की शुरूआत की थी।

 उसने भमि
ू की उत्पादकता के आधार पर कर निर्धारित किये तथा भमि
ू को बिस्वा में मापने

की प्रथा शुरू की।

 गह
ृ कर ‘घरी‘ तथा चारागाह पर ‘चरी‘ जैसे नए कर लागू किये गए।

 4 जनवरी, 1316 को अलाउद्दीन का निधन हो गया इसे दिल्ली में  जामा मस्जिद के बाहर

उसके मकबरे  में दफनाया गया।

#तुग़लक़ वंश (1320 - 1414)

 गयासद्द
ु ीन तग
ु लक (1320-1325 ई.) तग
ु लक वंश की स्थापना की।

 तुगलकाबाद में रोमन शैली में एक किले का निर्माण कराया जिसे छप्पनकोट कहा जाता है ।

 इसके दो लक्ष्य थे किसानों की स्थिति को सध


ु ारना और कृषि योग्य भमि
ू को उभारना।

 विकास निर्माण के लिए गयासुद्दीन तुगलक ने नहरों का निर्माण करवाया। वह इसे पूरा करने के

लिए सल्तनत काल का पहला शासक बन गया।

 इसने खुफिया और डाक प्रणाली को मजबूत किया। 


 बंगाल विजय के बाद दिल्ली लौटने पर, सुल्तान की मत्ृ यु दिल्ली से कुछ ही दरू ी पर सुल्तान के

स्वागत के लिए जौना खान द्वारा निर्मित लकड़ी के महल से गिरने के बाद हुई।

मुहम्मद-बिन-तुगलक (1325-51 ईसवी)

 वह गयासुद्दीन तुगलक का सबसे बड़ा पुत्र था।

 मुहम्मद बिन तुगलक के शासनकाल में मोरोक्कन यात्री इब्न बतूता आया था।

 मुहम्मद-बिन-तुगलक ने वारं गल, मदरु ै और वर्तमान कर्नाटक तक के क्षेत्रों पर अपना अधिकार

स्थापित किया था।

 वर्ष 1328 ईसवी में मुहम्मद-बिन-तुगलक ने अपनी राजधानी दिल्ली से दौलताबाद स्थानांतरित की

थी।

 मुहम्मद-बिन-तुगलक ने पीतल व कांसे की मुद्रा जारी की थी। ऐसा करने वाला वह प्रथम शासक था।

 इब्न बतूता के अनुसार मुहम्मद-बिन-तुगलक ने सोने का सिक्का जारी किया था, इसे दीनार कहा जाता

था।

 जियाउद्दीन बरनी ने तारीख-ए-फिरोजशाही तथा फतवा-ए-जहाँदारी की रचना की थी।

 गु जरात के तगी विद्रोह में मु हम्मद-बिन-तु गलक की मृ त्यु हुई।

फिरोज शाह तु गलक (1351-88 ईसवी)

 फिरोजशाह तु गलक, मु हम्मद-बिन-तु गलक का चचे रा भाई था। मु हम्मद-बिन-तु गलक की मृ त्यु के बाद

फिरोजशाह तु गलक दिल्ली सल्तनत का शासक बना।

 फिरोज शाह ने जनकल्याण और परोपकारिता जै से सामाजिक कार्य किये । उसके शासनकाल के बारे में

उपयोगी जानकारी उसकी आत्मकथा फुतु हत-ए-फ़िरोज़शाही से मिलती है ।

 उसके शासनकाल में भी तु गलक वं श का पतन जारी रहा।

 फिरोजशाह तु गलक ने जौनपु र, फिरोजपु र, हिस्सार, फिरोजाबाद और फते हाबाद जै से नगरों की

स्थापना की।

 फिरोजशाह तु गलक ने अपने राज्य में गै र-मु स्लिमो से जजिया नामक कर वसूल किया।

 भूमि से प्राप्त होने वाले राजस्व को खराज कहा जाता था। यु द्ध में लूटे गए धन को ख़ु म्स कहा जाता

था। 
 फिरोजशाह तु गलक ने 1200 बाग़ लगवाए थे ।

 फ़िरोज़शाह तु गलक ने ओडिशा में जगन्नाथ मं दिर को नष्ट किया था

 1388 ईसवी में फिरोजशाह की मृ त्यु हुई, उसकी मृ त्यु के साथ ही तु गलक वं श का पतन शु रू हुआ।

उसकी मृ त्यु के बाद साम्राज्य में बड़े पै माने पर अव्यवस्था फैल गयी। इसका मकबरा दिल्ली में हौज़

खास में स्थित है ।

#सैयद वंश(1414-1451)

सैय्यद वंश के शासक-

*सैय्यद ख़िज़्र खां (1414-21)

* मुबारक शाह (1421-34)

* मह
ु मद शाह (1434-45)

*आलमशाह शाह (1445-76)

*खिज्र खाँ, सैयद वंश के संस्थापक था।

 जब भारत को लट
ू कर तैमरू लंग वापस जा रहा था उसने ख़िज़्र खां को मल्
ु तान का शासक बना

दिया।

 उन्होंने तैमूर वंश की सहायता से दिल्ली की सत्ता सन ् 1414 में प्राप्त की ।

 सन ् 1413 में मोहम्मद शाह का निधन हो गया। मोहम्मद शाह के कोई पुत्र नहीं था और न ही पहले

से कोई तुगलक उत्तराधिकारी घोषित था अतः दिल्ली में अनिश्चितता की स्थिति पैदा हो गई।

इस समय के लिए दौलत खान लोदी को दिल्ली की सता सौंपी गयी। मार्च 1414 में खिज्र खाँ ने

दिल्ली पर हमला कर दिया और चार माह में जीत दर्ज करते हुये दिल्ली पर अपना शासन आरम्भ

कर दिया।
मुबारक शाह (1421-1434 ई.)-

 सैय्यद खिज्र खाँ ने मत्ृ यु से पूर्व अपने पुत्र मुबारक शाह को अपना उत्तराधिकारी मनोनीत किया।

 इसने याहिया -बिन- अहमद सरहिंद को संरक्षण दिया जिसने तारीख-ए-मुबारकशाही ग्रंथ को

फारसी भाषा में लिखा।यह ग्रंथ सैयद वंश का एक मात्र समकालीन ग्रंथ है , जो सैयद वंश की

जानकारी प्रदान करता है ।

 19 फरवरी, 1434 ई. को उसके एक सरदार सरवर-उल-मुल्क ने एक षड्यन्त्र द्वारा मुबारक शाह

की हत्या करवा दी.

आलम शाह (1445-51 ई.)

 आलम शाह अपने दे श का सबसे अयोग्य शासक साबित हुआ।

 बहलोल लोदी (लाहौर का गवर्नर) के भय के कारण आलम शाह अपनी राजधानी दिल्ली कसे हटा

कर बदायूँ ले. गया और यहाँ वह भोग-विलास में डूब गया।

 1451 ई. में आलमशाह ने बहलोल लोदी को दिल्ली का राज्य पूर्णतः सौंप दिया और स्वयं बदायूं की

जागीर में रहने लगा. वहीं पर 1476 ई में उसकी मत्ृ यु हुई।

#लोदी वंश (1451-1526)

लोदी वंश दिल्ली सल्तनत का आखिरी वंश था। इसकी स्थापना बहलोल लोदी ने की थी.
*बहलोल लोदी

 सैय्यद वंश के आखिरी शासक को हटाकर बहलोल लोदी ने 1451 ई मे लोदी वंश की स्थापना की.

*सिकंदर लोदी

o बहलोल लोदी के बाद 1489 मे उसका बेटा सिकंदर लोदी सुल्तान बना।

o सिकंदर लोदी ने 1489 से 1517 ई तक शासन किया।

o उसने 1503 ई मे आगरा शहर बसाया और 1506 ई मे अपनी राजधानी दिल्ली से आगरा ले आया।

o इसकी मत्ृ यु 1517 ई मे हुई उसके बाद उसका बेटा इब्राहिम लोदी राजा बना।

*इब्राहिम लोदी

 वह एक सफल प्रशासक साबित नहीं हो सका।

 इब्राहिम लोदी इतना अलोकप्रिय हो गया कि उसका ज़मींदार व चाचा आलम खान काबल
ु भाग

गया और बाबर को भारत पर हमला करने का न्यौता दिया । जल्द ही बाबर ने भारत पर आक्रमण

करके इब्राहिम लोदी को हरा दिया।

You might also like