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दिल्ली सल्तनत
#तोमर राजपत
ू
#दिल्ली सल्तनत
कहा जाता है ।
लोदी वंश (1451 - 1526), इनमें से पहले चार वंश मूल रूप से तुर्क थे और आखरी अफगान था।
#गुलाम वंश (ममलुक)
मोहम्मद ग़ौरी ने उत्तर भारत पर हमले करना आरम्भ किया। उसने अपने उद्देश्य के तहत इस्लामिक
शासन को बढ़ाना शुरू किया। गोरी एक सुन्नी मुसलमान था, जिसने अपने साम्राज्य को पूर्वी सिंधु नदी
तक बढ़ाया और सल्तनत काल की नीव डाली। 1206 में गोरी की हत्या कर दी गई पथ्
ृ वीराज चौहान के
द्वारा, गौरी का कोई उतराधिकारी नहीं था अतः उसकी मौत के बाद उसके साम्राज्य के भारतीय क्षेत्र
पर उसके प्रिय ग़ल
ु ाम क़ुतुब-उद-दीन ऐबक ने दिल्ली सल्तनत स्थापित करके उसका विस्तार करना
शरू
ु कर दिया।
कुतुबुद्दीन ऐबक ने यलदोज (गजनी) को दामाद, कुबाचा (मुलतान + सिंध) को बहनोई और इल्तुतमिश
को अपना दामाद बनाया ताकि गौरी की मत्ृ यु के बाद सिंहासन का कोई और दावेदार ना बन सके।
1210 में चौगान खेलते समय घोड़े से गिरकर इसकी मत्ृ यु हुई तथा इसे लाहौर में दफनाया गया था।
इसने अपने गुरु कुतुबद्दीन बख्तियार काकी की याद में कुतुब मीनार की नींव रखी परं तु वह इसका
निर्माण कार्य परू ा नही करवा सका। इल्तुतमिश ने कुतुब मीनार का निर्माण कार्य पूरा करवाया।
# इल्तुतमिश: - (1210-1236)
कुतुबुद्दीन ऐबक की मत्ृ यु के बाद इल्तुत्मिश 1210 ई. में दिल्ली के सिंहासन पर बैठा।
इसने दिल्ली के सिंहासन पर बैठने के बाद राजधानी को लाहौर से दिल्ली स्थांतरित किया।
इल्तत
ु मिश इक्ता प्रथा और शद्ध
ु अर्बियन सिक्के चलाने वाला प्रथम शासक था ।
रज़िया ने रुकनद्द
ु ीन को अपदस्थ करके सत्ता प्राप्त की। उत्तराधिकार को लेकर रज़िया सल्
ु तान को
जनता का समर्थन प्राप्त था।
गयासद्द
ु ीन बलबन दिल्ली सल्तनत का नौवां सल्
ु तान था। वह 1266 में दिल्ली सल्तनत का सल्
ु तान
बना।
यह दिल्ली सल्तनत का प्रथम शासक था जिसका हिन्द ू जनता के प्रति उदार दृष्टिकोण था
जलालद्द
ु ीन खिलजी दिल्ली सल्तनत का पहला शासक था ,जिसने अपने विचारों को स्पष्ट रुप से
सामने रखा कि राज्य का आधार प्रजा का समर्थन होना चाहिए खिलजी की नीति दस
ू रों को प्रसन्न
रखना थी
अलाउद्दीन खिलजी का जन्म 1266-67 ई. में हुआ था, पिता शिहाबु ्द्दीन खिलजी था, जो कि
जुलाई, 1296 ई. को धोखे से सुल्तान जलालुद्दीन की हत्या करके स्वयं सत्ता हस्तगत कर ली।
प्रथम सल्
ु तान जिसने दक्षिण भारत में विजय प्राप्त की थी।
अपने अमीरों के बीच उसकी इजाजत के बिना दावतों, त्योहार मनाने पर रोक लगा दी थी
प्रथम बार घोड़ों को दागने की प्रथा तथा सैनिकों के लिए हुलिया प्रणाली की शुरूआत की थी।
उसने भमि
ू की उत्पादकता के आधार पर कर निर्धारित किये तथा भमि
ू को बिस्वा में मापने
गह
ृ कर ‘घरी‘ तथा चारागाह पर ‘चरी‘ जैसे नए कर लागू किये गए।
गयासद्द
ु ीन तग
ु लक (1320-1325 ई.) तग
ु लक वंश की स्थापना की।
तुगलकाबाद में रोमन शैली में एक किले का निर्माण कराया जिसे छप्पनकोट कहा जाता है ।
विकास निर्माण के लिए गयासुद्दीन तुगलक ने नहरों का निर्माण करवाया। वह इसे पूरा करने के
स्वागत के लिए जौना खान द्वारा निर्मित लकड़ी के महल से गिरने के बाद हुई।
मुहम्मद बिन तुगलक के शासनकाल में मोरोक्कन यात्री इब्न बतूता आया था।
वर्ष 1328 ईसवी में मुहम्मद-बिन-तुगलक ने अपनी राजधानी दिल्ली से दौलताबाद स्थानांतरित की
थी।
मुहम्मद-बिन-तुगलक ने पीतल व कांसे की मुद्रा जारी की थी। ऐसा करने वाला वह प्रथम शासक था।
इब्न बतूता के अनुसार मुहम्मद-बिन-तुगलक ने सोने का सिक्का जारी किया था, इसे दीनार कहा जाता
था।
फिरोजशाह तु गलक, मु हम्मद-बिन-तु गलक का चचे रा भाई था। मु हम्मद-बिन-तु गलक की मृ त्यु के बाद
फिरोज शाह ने जनकल्याण और परोपकारिता जै से सामाजिक कार्य किये । उसके शासनकाल के बारे में
स्थापना की।
फिरोजशाह तु गलक ने अपने राज्य में गै र-मु स्लिमो से जजिया नामक कर वसूल किया।
भूमि से प्राप्त होने वाले राजस्व को खराज कहा जाता था। यु द्ध में लूटे गए धन को ख़ु म्स कहा जाता
था।
फिरोजशाह तु गलक ने 1200 बाग़ लगवाए थे ।
1388 ईसवी में फिरोजशाह की मृ त्यु हुई, उसकी मृ त्यु के साथ ही तु गलक वं श का पतन शु रू हुआ।
उसकी मृ त्यु के बाद साम्राज्य में बड़े पै माने पर अव्यवस्था फैल गयी। इसका मकबरा दिल्ली में हौज़
#सैयद वंश(1414-1451)
* मह
ु मद शाह (1434-45)
जब भारत को लट
ू कर तैमरू लंग वापस जा रहा था उसने ख़िज़्र खां को मल्
ु तान का शासक बना
दिया।
सन ् 1413 में मोहम्मद शाह का निधन हो गया। मोहम्मद शाह के कोई पुत्र नहीं था और न ही पहले
से कोई तुगलक उत्तराधिकारी घोषित था अतः दिल्ली में अनिश्चितता की स्थिति पैदा हो गई।
इस समय के लिए दौलत खान लोदी को दिल्ली की सता सौंपी गयी। मार्च 1414 में खिज्र खाँ ने
दिल्ली पर हमला कर दिया और चार माह में जीत दर्ज करते हुये दिल्ली पर अपना शासन आरम्भ
कर दिया।
मुबारक शाह (1421-1434 ई.)-
सैय्यद खिज्र खाँ ने मत्ृ यु से पूर्व अपने पुत्र मुबारक शाह को अपना उत्तराधिकारी मनोनीत किया।
इसने याहिया -बिन- अहमद सरहिंद को संरक्षण दिया जिसने तारीख-ए-मुबारकशाही ग्रंथ को
फारसी भाषा में लिखा।यह ग्रंथ सैयद वंश का एक मात्र समकालीन ग्रंथ है , जो सैयद वंश की
बहलोल लोदी (लाहौर का गवर्नर) के भय के कारण आलम शाह अपनी राजधानी दिल्ली कसे हटा
1451 ई. में आलमशाह ने बहलोल लोदी को दिल्ली का राज्य पूर्णतः सौंप दिया और स्वयं बदायूं की
जागीर में रहने लगा. वहीं पर 1476 ई में उसकी मत्ृ यु हुई।
लोदी वंश दिल्ली सल्तनत का आखिरी वंश था। इसकी स्थापना बहलोल लोदी ने की थी.
*बहलोल लोदी
सैय्यद वंश के आखिरी शासक को हटाकर बहलोल लोदी ने 1451 ई मे लोदी वंश की स्थापना की.
*सिकंदर लोदी
o बहलोल लोदी के बाद 1489 मे उसका बेटा सिकंदर लोदी सुल्तान बना।
o उसने 1503 ई मे आगरा शहर बसाया और 1506 ई मे अपनी राजधानी दिल्ली से आगरा ले आया।
o इसकी मत्ृ यु 1517 ई मे हुई उसके बाद उसका बेटा इब्राहिम लोदी राजा बना।
*इब्राहिम लोदी
इब्राहिम लोदी इतना अलोकप्रिय हो गया कि उसका ज़मींदार व चाचा आलम खान काबल
ु भाग
गया और बाबर को भारत पर हमला करने का न्यौता दिया । जल्द ही बाबर ने भारत पर आक्रमण