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इस उप यास केनये

संकरण पर दो श द िलखते
समय म समझ नह ंपा रहा हू
ँक या िलखू

? अिधक-से
-अिधक म
अपनी हा दक कृ
त ता उन सभी पाठक के ित य कर सकता हू
ँज ह ने
इसक कला मक अप रप वता केबावजू

इसको पस द कया है
। मे
रेिलए इस उप यास का िलखना वै
सा ह रहा हैजै
सा पीड़ा के ण म पू
र आ था से ाथना
करना, और इस समय भी मु
झेऐसा लग रहा हैजै
सेम वह ाथना मन-ह -मन दोहरा रहा हू

, बस...

- धमवीर भारती

अगर पु
र ानेजमाने
क नगर-दे
वता क और ाम-दे
वता क क पनाएँ
आज भी मा य होतींतो म कहता क इलाहाबाद
का नगर-दे
वता ज र कोई रोमैटक कलाकार है
। ऐसा लगता हैक इस शहर क बनावट, गठन, जं
दगी और रहन-
सहन म कोई बँ
धे
-बँ
धायेिनयम नह ं
, कह ंकोई कसाव नह ं
, हर जगह एक व छ द खु
लाव, एक बखर हु
ई-सी
अिनयिमतता। बनारस क गिलय सेभी पतली गिलयाँऔर लखनऊ क सडक़ सेचौड़ सडक़। याकशायर और ाइटन
केउपनगर का मु
काबला करनेवालेिस वल लाइ स और दलदल क ग दगी को मात करनेवालेमु
ह ले
। मौसम म
भी कह ंकोई सम नह ं
, कोई स तु
लन नह ं
। सु
बह मलयजी, दोपहर अं
गार , तो शाम रे
शमी! धरती ऐसी क सहारा के
रे
िग तान क तरह बालूभी िमले
, मालवा क तरह हरे
-भरेखे
त भी िमल और ऊसर और परती क भी कमी नह ं

सचमु
च लगता हैक याग का नगर-दे
वता वग-कं

ज सेिनवािसत कोई मनमौजी कलाकार हैजसकेसृ
जन म हर
रं
ग केडोरेह।

और चाहेजो हो, मगर इधर वार, काितक तथा उधर वस त केबाद और होली केबीच केमौसम से
इलाहाबाद
का वातावरण नैटिशयम और पजी केफू
ल सेभी यादा खू
बसू
र त और आम केबौर क खु
शबूसेभी यादा
महकदार होता है
। िस वल लाइ स हो या अ े
ड पाक, गं
गातट हो या खु
स बाग, लगता है क हवा एक नटखट
दोशीजा क तरह किलय केआँ
चल और लहर केिमजाज से
छेडख़ानी करती चलती है
। और अगर आप सद से
बहु

नह ंडरतेतो आप जरा एक ओवरकोट डालकर सु
बह-सु
बह घू
मनेिनकल जाएँतो इन खु
ली हु
ई जगह क फजाँ
इठलाकर आपको अपने
जाद ूम बाँ
ध ले
गी। खासतौर से
पौ फटने
केपहले
तो आपको एक ब कु
ल नयी अनु
भिू
त होगी।
वस त केनये
-नयेमौसमी फू
ल केरं
ग सेमु
काबला करनेवाली ह क सु
नहली, बाल-सू
य क अँ
गु
िलयाँसु
बह क
राजकु
मार केगु
लाबी व पर बखरेहु
ए भ रालेगे
सओ
ु ंको धीरे
-धीरेहटाती जाती ह और ितज पर सु
नहली त णाई
बखर पड़ती है

एक ऐसी ह खु
शनु
मा सु
बह थी, और जसक कहानी म कहने
जा रहा हू

, वह सु
बह से
भी यादा मासू
म यु
वक,
भाती गाकर फू
ल को जगानेवाले
देवदत
ू क तरह अ े
ड पाक केलॉन पर फू
ल क सरजमींके कनारे
- कनारेघू

रहा था। क थई वीटपी केरं
ग का प मीने
का ल बा कोट, जसका एक कालर उठा हु
आ था और दस
ूरेकालर म सरो
क एक प ी बटन होल म लगी हु
ई थी, सफे
द म खन जीन क पतली पट और पै
र म सफे
द जर क पे
शावर
सैडल, भरा हु
आ गोरा चे
हरा और ऊँ
चेचमकतेहु
ए माथेपर झू
लती हु
ई एक खी भू
र लट। चलते
-चलतेउसनेएक
रं
ग- बरं
गा गुछा इक ठा कर िलया था और रह-रह कर वह उसे
सूघ
ँ ले
ता था।

पू
र ब केआसमान क गु
लाबी पाँ
खुरयाँबखरनेलगी थींऔर सु
नहलेपराग क एक बौछार सु
बह केताजेफू

पर बछ रह थी। ''अरेसु
बह हो गयी?'' उसने
च ककर कहा और पास क एक बच पर बै
ठ गया। सामने
सेएक माली
आ रहा था। '' य जी, लाइ रे खु
ल गयी?'' ''अभी नह ंबाबू
जी!'' उसने
जवाब दया। वह फर स तोष से
बैठ गया और
फू
ल क पाँ
खुरयाँनोचकर नीचेफकनेलगा। जमीन पर बछाने
वाली सोनेक चादर परत पर परत बछाती जा रह
थी और पे
ड़ क छायाओंका रं
ग गहरानेलगा था। उसक बच केनीचेफू
ल क चु
नी हु
ई प याँबखर थींऔर अब
उसकेपास िसफ एक फू
ल बाक रह गया था। हलकेफालसई रं
ग केउस फू
ल पर गहरेबजनी डोरेथे

''हलो कपू
र !'' सहसा कसी ने
पीछेसे
क धेपर हाथ रखकर कहा, ''यहाँ या झक मार रहेहो सु
बह-सु
बह?''

उसने
मुडक़र पीछेदे
खा, ''आओ, ठाकु
र साहब! आओ बै
ठो यार, लाइ रे खु
लने
का इ तजार कर रहा हू

।''

'' य , यू
िनविसट लाइ रे चाट डाली, अब इसे
तो शर फ लोग केिलए छोड़ दो!''

''हाँ
, हाँ
, शर फ लोग ह केिलए छोड़ रहा हू

; डॉ टर शुला क लड़क हैन, वह इसक मेबर बनना चाहती थी
तो मु
झेआना पड़ा, उसी का इ तजार भी कर रहा हू

।''

''डॉ टर शुला तो पॉिल ट स डपाटमट म ह?''

''नह ं
, गवनमट साइकोलॉ जकल यू
र ो म।''

''और तु
म पॉिल ट स म रसच कर रहेहो?''

''नह ं
, इकनॉिम स म!''

''बहु
त अ छे
! तो उनक लड़क को सद य बनवाने
आये
हो?'' कु
छ अजब वर म ठाकु
र ने
कहा।

''िछह!'' कपू
र नेहँ
सतेहु
ए, कु
छ अपनेको बचातेहु
ए कहा, ''यार, तु
म जानतेहो क मे
र ा उनसेकतना घरे
लू
स ब ध है
। जब से
म याग म हू

, उ ह ंकेसहारेहू
ँऔर आजकल तो उ ह ंकेयहाँपढ़ता-िलखता भी हू

...।''

ठाकु
र साहब हँ
स पड़े
, ''अरेभाई, म डॉ टर शुला को जानता नह ं या? उनका-सा भला आदमी िमलना मुकल
है
। तु
म सफाई यथ म देरहेहो।''

ठाकु
र साहब यू
िनविसट केउन व ािथय म से
थेजो बरायनाम व ाथ होतेह और कब तक वे
यूिनविसट को
सु
शोिभत करते
रहगे
, इसका कोई िन य नह ं
। एक अ छे
-खासे पयेवालेय थेऔर घर केता लु
के
दार। हँ
समु
ख,
फ तयाँकसने
म मजा ले
नेवाले
, मगर दल केसाफ, िनगाह केस चे
। बोले
-

''एक बात तो म वीकार करता हू


ँक तुहार पढ़ाई का सारा य
े डॉ. शुला को है
! तुहारेघर वालेतो कु

खचा भे
जते
नह ं
?''

''नह ं
, उनसे
अलग ह होकर आया था। समझ लो क इ ह नेकसी-न- कसी बहाने
मदद क है
।''

''अ छा, आओ, तब तक लोटस-प ड (कमल-सरोवर) तक ह घू


म ल। फर लाइ रे भी खु
ल जाएगी!''

दोन उठकर एक कृ म कमल-सरोवर क ओर चल दये


जो पास ह म बना हु
आ था। सी ढय़ाँचढक़र ह उ ह ने
दे
खा क एक स जन कनारेबै
ठेकमल क ओर एकटक दे
खतेहु
ए यान म त लीन ह। िछपकली सेदब
ुले
-पतले
,
बाल क एक लट माथेपर झू
मती हु
ई-

''कोई म
ेी ह, या कोई फलासफर ह, दे
खा ठाकु
र?''

''नह ंयार, दोन सेिनकृ को ट केजीव ह-येक व ह। म इ ह जानता हू



। येरवी बस रया ह। एम. ए. म
पढ़ता है
। आओ, िमलाएँ
तुह!''

ठाकु
र साहब नेएक बड़ा-सा घास का ितनका तोडक़र पीछेसे
चुपके
-सेजाकर उसक गरदन गु
दगु
दायी। बस रया
च क उठा-पीछेमु
डक़र दे
खा और बगड़ गया-''यह या बदतमीजी है
, ठाकु
र साहब! म कतनेग भीर वचार म डू
बा
था।'' और सहसा बड़ेविच वर म आँ
ख ब द कर बस रया बोला, ''आह! कै
सा मनोरम भात है
! मे
र आ मा म घोर
अनु
भिू
त हो रह थी...।''

कपू
र बस रया क मुा पर ठाकु
र साहब क ओर दे
खकर मु
सकराया और इशारेम बोला, ''हैयार शगल क
चीज। छे
ड़ो जरा!''

ठाकु
र साहब नेितनका फक दया और बोले
, ''माफ करना, भाई बस रया! बात यह हैक हम लोग क व तो ह
नह ं
, इसिलए समझ नह ंपाते
। या सोच रहेथेतु
म?''

बस रया नेआँ
ख खोलींऔर एक गहर साँ
स ले
कर बोला, ''म सोच रहा था क आ खर म
े या होता है
, य
होता है
? क वता य िलखी जाती है
? फर क वता केसंह उतने य नह ंबकतेजतने
उप यास या कहानी-संह?''

''बात तो ग भीर है
।'' कपू
र बोला, ''जहाँतक मने
समझा और पढ़ा है
- म
े एक तरह क बीमार होती है
, मानिसक
बीमार , जो मौसम बदलने
के दन म होती है
, मसलन वार-काितक या फागु
न-चै
त। उसका स ब ध र ढ़ क ह ड से
होता है
। और क वता एक तरह का स नपात होता है
। मे
र ा मतलब आप समझ रहेह, िम. िसब रया?''

''िसब रया नह ं
, बस रया?'' ठाकु
र साहब ने
टोका।

बस रया ने
कुछ उजलत, कु
छ परे
शानी और कु
छ गुसेसे
उनक ओर दे
खा और बोला, '' मा क जएगा, आप या
तो ायडवाद ह या गितवाद और आपके वचार सवदा वदे
शी ह। म इस तरह के वचार से
घृणा करता हू

...।''

कपू
र कु
छ जवाब दे
नेह वाला था क ठाकु
र साहब बोले
, ''अरेभाई, बे
कार उलझ गये
तुम लोग, पहले
प रचय तो
कर लो आपस म। येह ी च कु
मार कपू
र, व व ालय म रसच कर रहेह और आप ह ी रवी बस रया, इस
वष एम. ए. म बै
ठ रहेह। बहु
त अ छेक व ह।''

कपू
र ने
हाथ िमलाया और फर ग भीरता सेबोला, '' य साहब, आपको दिु
नया म और कोई काम नह ंरहा जो
आप क वता करते
ह?''

बस रया ने
ठाकु
र साहब क ओर दे
खा और बोला, ''ठाकु
र साहब, यह मे
र ा अपमान है
, म इस तरह केसवाल का
आद नह ंहू

।'' और उठ खड़ा हु
आ।
''अरेबै
ठो-बै
ठो!'' ठाकु
र साहब नेहाथ खीं
चकर बठा िलया, ''दे
खो, कपू
र का मतलब तु
म समझेनह ं
। उसका
कहना यह हैक तु
मम इतनी ितभा है क लोग तुहार ितभा का आदर करना नह ंजानते
। इसिलए उ ह ने
सहानु
भिू
त म तु
मसेकहा क तु
म और कोई काम य नह ंकरते
। वरना कपू
र साहब तुहार क वता केबहु
त शौक न
ह। मु
झसे
बराबर तार फ करते
ह।''

बस रया पघल गया और बोला, '' मा क जएगा। मनेगलत समझा, अब मे


र ा क वता-संह छप रहा है
, म
आपको अव य भट क ँ
गा।'' और फर बस रया ठाकु
र साहब क ओर मु
डक़र बोला, ''अब लोग मे
र क वताओंक
इतनी माँ
ग करतेह क म परे
शान हो गया हू

। अभी कल ' वे
णी' केस पादक िमले
। कहनेलगेअपना िच देदो।
मने
कहा क कोई िच नह ंहैतो पीछेपड़ गये
। आ खरकार मने
आइडेटट काड उठाकर देदया!''

''वाह!'' कपू
र बोला, ''मान गये
आपको हम! तो आप रा ीय क वताएँ
िलखते
ह या म
े क ?''

''जब जै
सा अवसर हो!'' ठाकु
र साहब नेजड़ दया, ''वै
सेतो यह वार ट का क व-स मे
लन, शराबब द कॉ ेस
का क व-स मे
लन, शाद - याह का क व-स मे
लन, सा ह य-स मे
लन का क व-स मे
लन सभी जगह बु
लायेजाते
ह। बड़ा
यश हैइनका!''

बस रया ने शं
सा से
मुध होकर दे
खा, मगर फर एक गव का भाव मु

ँ पर लाकर ग भीर हो गया।

कपू
र थोड़ दे
र चु
प रहा, फर बोला, ''तो कु
छ हम लोग को भी सु
नाइए न!''

''अभी तो मू
ड नह ंहै
।'' बस रया बोला।

ठाकु
र साहब बस रया को पछलेपाँ
च साल सेजानते
थे, वे
अ छ तरह जानते
थेक बस रया कस समय और
कै
सेक वता सु
नाता है
। अत: बोले
, ''ऐसेनह ंकपू
र , आज शाम को आओ। ज़रा गं
गाजी चल, कु
छ बो टं
ग रहे
, कु

खाना-पीना रहेतब क वता भी सु
नना!''

कपू
र को बो टं
ग का बे
हद शौक था। फौरन राजी हो गया और शाम का व तृ
त काय म बन गया।

इतनेम एक कार उधर सेलाइ रे क ओर गु


जर । कपू
र नेदे
खा और बोला, ''अ छा, ठाकु
र साहब, मु
झेतो
इजाजत द जए। अब चलू

लाइ रे म। वो लोग आ गये
। आप कहाँचल रहेह?''

''म ज़रा जमखाने


क ओर जा रहा हू

। अ छा भाई, तो शाम को प क रह ।''

'' ब कु
ल प क !'' कपू
र बोला और चल दया।

लाइ रे केपो टको म कार क थी और उसकेअ दर ह डॉ टर साहब क लड़क बै


ठ थी।

'' य सु
धा, अ दर य बै
ठ हो?''

''तुह ह दे
ख रह थी, च दर।'' और वह उतर आयी। दब
ुली-पतली, नाट -सी, साधारण-सी लड़क , बहु
त सु
दर
नह ं
, के
वल सु
दर, ले
कन बातचीत म बहु
त दल
ुार ।
''चलो, अ दर चलो।'' च दर ने
कहा।

वह आगेबढ़ , फर ठठक गयी और बोली, ''च दर, एक आदमी को चार कताब िमलती ह?''

''हाँ
! य ?''

''तो...तो...'' उसनेबड़ेभोले
पन सेमु
सकरातेहु
ए कहा, ''तो तु
म अपनेनाम सेमेबर बन जाओ और दो कताब
हम देदया करना बस, यादा का हम या करगे
?''

''नह ं
!'' च दर हँ
सा, ''तुहारा तो दमाग खराब है
। खु
द य नह ंबनतींमेबर?''

''नह ं
, हम शरम लगती है
, तु
म बन जाओ मेबर हमार जगह पर।''

''पगली कह ंक !'' च दर नेउसका क धा पकडक़र आगेलेचलते


हुए कहा, ''वाह रेशरम! अभी कल याह होगा
तो कहना, हमार जगह तु
म बै
ठ जाओ च दर! कॉले च गयी लड़क ; अभी शरम नह ंछू
ज म पहु
ँ ट इसक ! चल अ दर!''

और वह हचकती, ठठकती, झपती और मु


ड़-मु
डक़र च दर क ओर ठ हु
ई िनगाह सेदे
खती हु
ई अ दर चली
गयी।

थोड़ दे
र बाद सु
धा चार कताब लादेहु
ए िनकली। कपू
र ने
कहा, ''लाओ, म ले
लू!ँ
'' तो बाँ
स क पतली टहनी क
तरह लहराकर बोली, ''सद य म हू

। तुह य दँ
ूकताब?'' और जाकर कार केअ दर कताब पटक द ं
। फर बोली,
''आओ, बै
ठो, च दर!''

''म अब घर जाऊँ
गा।''

''ऊँ
हू

, यह दे
खो!'' और उसनेभीतर सेकागज का एक बं
डल िनकाला और बोली, ''दे
खो, यह पापा ने
तुहारेिलए
दया है
। लखनऊ म कॉ ेस हैन। वह ंपढऩेकेिलए यह िनब ध िलखा हैउ ह ने
। शाम तक यह टाइप हो जाना
चा हए। जहाँसंयाएँह वहाँखु
द आपको बै
ठकर बोलना होगा। और पापा सु
बह सेह कह ंगयेह। समझेजनाब!''
उसनेब कु
ल अ हड़ ब च क तरह गरदन हलाकर शोख वर म कहा।

कपू
र नेबं
डल लेिलया और कु
छ सोचता हु
आ बोला, ''ले
कन डॉ टर साहब का ह तले
ख, इतनेपृ, शाम तक
कौन टाइप कर दे
गा?''

''इसका भी इ तजाम है
,'' और अपनेलाउज म सेएक प िनकालकर च दर केहाथ म दे
ती हु
ई बोली, ''यह
कोई पापा क पु
र ानी ईसाई छा ा है
। टाइ प ट। इसकेघर म तुह पहु

चायेदे
ती हू

। मु
कज रोड पर रहती हैयह। उसी
केयहाँटाइप करवा ले
ना और यह खत उसे
देदे
ना।''

''ले
कन अभी मने
चाय नह ंपी।''

''समझ गये
, अब तु
म सोच रहेहोगेक इसी बहानेसु
धा तुह चाय भी पला दे
गी। सो मे
र ा काम नह ंहैजो म
चाय पलाऊँ
? पापा का काम हैयह! चलो, आओ!''
च दर जाकर भीतर बै
ठ गया और कताब उठाकर दे
खनेलगा, ''अरे
, चार क वता क कताब उठा लायी-समझ म
आएँ
गी तुहारे
? य , सु
धा?''

''नह ं
!'' िचढ़ाते
हुए सु
धा बोली, ''तु
म कहो, तुह समझा द। इकनॉिम स पढऩे
वाले या जान सा ह य?''

''अरे
, मु
कज रोड पर ले
चलो, ाइवर!'' च दर बोला, ''इधर कहाँचल रहेहो?''

''नह ं
, पहले
घर चलो!'' सु
धा बोली, ''चाय पी लो, तब जाना!''

''नह ं
, म चाय नह ंपऊँ
गा।'' च दर बोला।

''चाय नह ंपऊँ
गा, वाह! वाह!'' सु
धा क हँ
सी म दिू
धया बचपन छलक उठा-''मु

ँ तो सू
खकर गोभी हो रहा है
,
चाय नह ंपएँ
गे
।''

बँ
गला आया तो सु
धा नेमहरा जन सेचाय बनानेकेिलए कहा और च दर को टड म म बठाकर याले
िनकालने
केिलए चल द ।

वै
सेतो यह घर, यह प रवार च कपू
र का अपना हो चु
का था; जब सेवह अपनी माँसेझगडक़र याग भाग
आया था पढऩे
केिलए, यहाँआकर बी. ए. म भरती हु
आ था और कम खच केखयाल सेचौक म एक कमरा ले
कर
रहता था, तभी डॉ टर शुला उसकेसीिनयर ट चर थेऔर उसक प र थितय सेअवगत थे
। च दर क अँे
जी बहु

ह अ छ थी और डॉ. शुला उससेअ सर छोटे
-छोटेले
ख िलखवाकर प काओंम िभजवातेथे
। उ ह नेकई प के
आिथक त भ का काम च दर को दलवा दया था और उसकेबाद च दर केिलए डॉ. शुला का थान अपने
संर क
और पता सेभी यादा हो गया था। च दर शरमीला लड़का था, बे
हद शरमीला, कभी उसनेयू
िनविसट केवजीफेके
िलए भी कोिशश न क थी, ले
कन जब बी. ए. म वह सार यू
िनविसट म सव थम आया तब वयं
इकनॉिम स वभाग
नेउसेयू
िनविसट केआिथक काशन का वै
तिनक स पादक बना दया था। एम. ए. म भी वह सव थम आया और
उसकेबाद उसनेरसच ले
ली। उसकेबाद डॉ. शुला यू
िनविसट से
हटकर यू
र ो म चलेगये
थे। अगर सच पू
छा जाय
तो उसकेसारेकैरयर का य
े डॉ. शुला को था ज ह नेहमे
शा उसक ह मत बढ़ायी और उसको अपनेलड़केसे
बढक़र माना। अपनी सार मदद केबावजू
द डॉ. शुला नेउससेइतना अपनापन बनायेरखा क कै
सेधीरे
-धीरेच दर
सार गै
रयत खो बै
ठा; यह उसेखु
द नह ंमालू
म। यह बँ
गला, इसकेकमरे
, इसकेलॉन, इसक कताब, इसकेिनवासी,
सभी कु
छ जै
सेउसकेअपने
थेऔर सभी का उससे
जानेकतने
ज म का स ब ध था।

और यह न ह दब
ुली-पतली रं
गीन च करन-सी सु
धा। जब आज सेवष पहलेयह सातवींपास करकेअपनी
बु
आ केपास से
यहाँआयी थी तब सेले
कर आज तक कै
सेवह भी च दर क अपनी होती गयी थी, इसेच दर खु

नह ंजानता था। जब वह आयी थी तब वह बहु
त शरमीली थी, बहु
त भोली थी, आठवींम पढऩेकेबावजू
द वह खाना
खातेव रोती थी, मचलती थी तो अपनी कॉपी फाड़ डालती थी और जब तक डॉ टर साहब उसेगोद म बठाकर
नह ंमनातेथे
, वह कू
ल नह ंजाती थी। तीन बरस क अव था म ह उसक माँचल बसी थी और दस साल तक वह
अपनी बु
आ केपास एक गाँ
व म रह थी। अब ते
र ह वष क होनेपर गाँ
व वाल नेउसक शाद पर जोर दे
ना और
शाद न होनेपर गाँ
व क औरत नेहाथ नचाना और मु

ँ मटकाना शु कया तो डॉ टर साहब नेउसेइलाहाबाद
बु
लाकर आठवींम भत करा दया। जब वह आयी थी तो आधी जं
गली थी, तरकार म घी कम होनेपर वह महरा जन
का चौका जू
ठा कर दे
ती थी और रात म फू
ल तोडक़र न लानेपर अकसर उसनेमाली को दाँ
त भी काट खाया था।
च दर सेज र वह बे
हद डरती थी, पर न जाने य च दर भी उससे
नह ंबोलता था। ले
कन जब दो साल तक उसके
येउप व जार रहेऔर अ सर डॉ टर साहब गुसेकेमारेउसेन साथ खलातेथेऔर न उससेबोलतेथे
, तो वह
रो-रोकर और िसर पटक-पटककर अपनी जान आधी कर दे
ती थी। तब अ सर च दर नेपता और पुी का समझौता
कराया था, अ सर सु
धा को डाँ
टा था, समझाया था, और सु
धा, घर-भर सेअ हड़ पु
र वाई और व ोह झ केक तरह
तोड़-फोड़ मचाती रहनेवाली सु
धा, च दर क आँ
ख केइशारेपर सु
बह क नसीम क तरह शा त हो जाती थी। कब
और य उसने
च दर केइशार का यह मौन अनु
शासन वीकार कर िलया था, यह उसे
खुद नह ंमालू
म था, और यह
सभी कु
छ इतने वाभा वक ढं
ग से
, इतना अपने
-आप होता गया क दोन म सेकोई भी इस या सेवा कफ नह ं
था, कोई भी इसके ित जाग क न था, दोन का एक-दस
ूरेके ित अिधकार और आकषण इतना वाभा वक था जै
से
शरद क प व ता या सु
बह क रोशनी।

और मजा तो यह था क च दर क श ल दे
खकर िछप जानेवाली सु
धा इतनी ढ ठ हो गयी थी क उसका सारा
व ोह, सार झु

झलाहट, िमजाज क सार ते
जी, सारा तीखापन और सारा लड़ाई-झगड़ा, सभी क तरफ सेहटकर
च दर क ओर के त हो गया था। वह व ो हनी अब शा त हो गयी थी। इतनी शा त, इतनी सु
शील, इतनी वन ,
इतनी िम भा षणी क सभी को दे
खकर ता जु
ब होता था, ले
कन च दर को दे
खकर जै
सेउसका बचपन फर लौट आता
था और जब तक वह च दर को खझाकर, छे
डक़र लड़ नह ंले
ती थी उसे
चैन नह ंपड़ता था। अ सर दोन म अनबोला
रहता था, ले
कन जब दो दन तक दोन मु

ँ फु
लायेरहतेथेऔर डॉ टर साहब केलौटनेपर सु
धा उ साह सेउनके
यू
र ो का हाल नह ंपू
छती थी और खातेव दल
ुार नह ंदखाती थी तो डॉ टर साहब फौरन पू
छतेथे
, '' या... च दर
सेलड़ाई हो गयी या?'' फर वह मु

ँ फु
लाकर िशकायत करती थी और िशकायत भी या- या होती थीं
, च दर ने
उसक हे
ड िम े
स का नाम एलीफटा ( ीमती हिथनी) रखा था, या च दर नेउसको डबे
ट केभाषण के वाइं
ट नह ं
बताये
, या च दर कहता हैक सु
धा क स खयाँकोयला बे
चती ह, और जब डॉ टर साहब कहतेह क वह च दर को
डाँ
ट दगेतो वह खु
शी से
फूल उठती और च दर केआने
पर आँ
ख नचाती हु
ई िचढ़ाती थी, ''कहो, कै
सी डाँ
ट पड़ ?''

वै
सेसु
धा अपने
घर क पु
र खन थी। कस मौसम म कौन-सी तरकार पापा को मा फक पड़ती है
, बाजार म चीज
का या भाव है
, नौकर चोर तो नह ंकरता, पापा कतनेसोसाय टय केमेबर ह, च दर केइ नॉिम स केकोस म
या है
, यह सभी उसेमालू
म था। मोटर या बजली बगड़ जाने
पर वह थोड़ -बहु
त इं
जीिनय रं
ग भी कर ले
ती थी और
मातृ
व का अं
श तो उसम इतना था क हर नौकर और नौकरानी उससे
अपना सु
ख-द:ु
ख कह दे
तेथे
। पढ़ाई केसाथ-
साथ घर का सारा काम-काज करतेहु
ए उसका वा य भी कु
छ बगड़ गया था और अपनी उ के हसाब सेकु

अिधक शा त, सं
यम, ग भीर और बु
जु
ग थी, मगर अपने
पापा और च दर, इन दोन केसामनेहमे
शा उसका बचपन
इठलाने
लगता था। दोन केसामने
उसका दय उ मु था और ने
ह बाधाह न।

ले
कन हाँ
, एक बात थी। उसेजतना ने
ह और ने
ह-भर फटकार और वा य के ित िच ता अपनेपापा से
िमलती थी, वह सब बड़ेिन: वाथ भाव से
वह च दर को देडालती थी। खाने
-पीने
क जतनी परवाह उसकेपापा उसक
रखतेथे
, न खानेपर या कम खानेपर उसेजतने
दलुार सेफटकारतेथे
, उतना ह याल वह च दर का रखती थी
और वा य केिलए जो उपदे
श उसेपापा सेिमलतेथे
, उसेऔर भी ने
ह म पागकर वह च दर को देडालती थी।
च दर कैबजेखाना खाता है
, यहाँसे
जाकर घर पर कतनी दे
र पढ़ता है
, रात को सोतेव दध
ू पीता हैया नह ं
, इन
सबका ले
खा-जोखा उसेसु
धा को दे
ना पड़ता, और जब कभी उसकेखाने
-पीने
म कोई कमी रह जाती तो उसे
सुधा क
डाँ
ट खानी ह पड़ती थी। पापा केिलए सु
धा अभी ब ची थी; और वा य केमामलेम सु
धा केिलए च दर अभी
ब चा था। और कभी-कभी तो सु
धा क वा य-िच ता इतनी यादा हो जाती थी क च दर बे
चारा जो खु
द त दु त
था, घबरा उठता था। एक बार सु
धा नेकमाल कर दया। उसक तबीयत खराब हु
ई और डॉ टर नेउसेलड़ कय का
एक टॉिनक पीनेकेिलए बताया। इ तहान म जब च दर कु
छ दब
ुला-सा हो गया तो सु
धा अपनी बची हु
ई दवा ले
आयी। और लगी च दर सेजद करनेक '' पयो इसे
!'' जब च दर नेकसी अखबार म उसका व ापन दखाकर बताया
क लड़ कय केिलए है
, तब कह ंजाकर उसक जान बची।

इसीिलए जब आज सु
धा ने
चाय केिलए कहा तो उसक ह काँ
प गयी य क जब कभी सु
धा चाय बनाती थी तो
यालेकेमु

ँ तक दध
ू भरकर उसम दो-तीन च मच चाय का पानी डाल दे
ती थी और अगर उसने यादा ां
ग चाय
क माँ
ग क तो उसेखािलस दध
ू पीना पड़ता था। और चाय केसाथ फल और मे
वा और खु
दा जाने या- या, और
उसकेबाद सु
धा का इसरार, न खानेपर सु
धा का गुसा और उसकेबाद क ल बी-चौड़ मनु
हार; इस सबसेच दर
बहु
त घबराता था। ले
कन जब सु
धा उसे टड म म बठाकर ज द सेचाय बना लायी तो उसेमजबू
र होना पड़ा,
और बै
ठे
-बै
ठेिनहायत बे
बसी सेउसनेदे
खा क सु
धा नेयालेम दध
ू डाला और उसकेबाद थोड़ -सी चाय डाल द ।
उसकेबाद अपनेयाले
म चाय डालकर और दो च मच दध
ू डालकर आप ठाठ से
पीने
लगे
, और बे
तक लु
फ से
दिू
धया
चाय का याला च दर केसामनेखसकाकर बोली, ''पी जए, ना ता आ रहा है
।''

च दर नेयालेको अपनेसामनेरखा और उसेचार तरफ घु


माकर दे
खता रहा क कस तरफ सेउसेचाय का
अं
श िमल सकता है
। जब सभी ओर सेयाले
म ीरसागर नजर आया तो उसने
हारकर याला रख दया।

'' य , पीते य नह ं
?'' सु
धा ने
अपना याला रख दया।

''पीएँ या? कह ंचाय भी हो?''

''तो और या खािलस चाय पी जएगा? दमागी काम करने


वाल को ऐसी ह चाय पीनी चा हए।''

''तो अब मु
झेसोचना पड़े
गा क म चाय छोड़ू
ँया रसच। न ऐसी चाय मु
झेपस द, न ऐसा दमागी काम!''

''लो, आपको व ास नह ंहोता। मे


र लासफे
लो हैगे
सूकाजमी; सबसेते
ज लड़क है
, उसक अ मी उसे
दधूम
चाय उबालकर दे
ती है
।''

'' या नाम हैतुहार सखी का?''

''गे
स!ू
''

''बड़ा अ छा नाम है
!''

''और या! मे
र सबसे
घिन िम हैऔर उतनी ह अ छ हैजतना अ छा नाम!''
''ज र-ज र,'' मु

ँ बचकाते
हुए च दर ने
कहा, ''और उतनी ह काली होगी, जतने
काले
गेस।ू
''

''धत,्शरम नह ंआती कसी लड़क केिलए ऐसा कहते


हुए!''

''और हमारेदो त क बु
र ाई करती हो तब?''

''तब या! वेतो सब ह ह बु


रे
! अ छा तो ना ता, पहलेफल खाओ,'' और वह ले
ट म छ ल-छ लकर स तरा
रखनेलगी। इतनेम य ह वह झु
ककर एक िगरेहु
ए स तरेको नीचेसेउठानेलगी क च दर नेझट सेउसका
याला अपनेसामनेरख िलया और अपना याला उधर रख दया और शा त िच सेपीनेलगा। स तरेक फाँ

उसक ओर बढ़ाते
हुए य ह उसने
एक घू

ँ चाय ली तो वह च ककर बोली, ''अरे
, यह या हु
आ?''

''कु
छ नह ं
, हमने
उसम दध
ू डाल दया। तुह दमागी काम बहु
त रहता है
!'' च दर ने
ठाठ से
चाय घू

ँते
हुए कहा।
सु
धा कु
ढ़ गयी। कु
छ बोली नह ं
। चाय ख म करकेच दर ने
घड़ दे
खी।

''अ छा लाओ, या टाइप कराना है


? अब बहु
त दे
र हो रह है
।''

''बस यहाँतो एक िमनट बै


ठना बु
र ा लगता हैआपको! हम कहते
ह क ना ते
और खाने
केव आदमी को ज द
नह ंकरनी चा हए। बै
ठए न!''

''अरे
, तो तुह कॉले
ज क तै
यार नह ंकरनी है
?''

''करनी य नह ंहै
। आज तो गे
सूको मोटर पर ले
तेहु
ए तब जाना है
!''

''तुहार गे
सूऔर कभी मोटर पर चढ़ है
?''

''जी, वह सा बर हु
सन
ै काजमी क लड़क है
, उसकेयहाँदो मोटर ह और रोज तो उसकेयहाँदावत होती रहती
ह।''

''अ छा, हमार तो दावत कभी नह ंक ?''

''अहा हा, गे
सूकेयहाँदावत खाएँ
गे
! इसी मु

ँ से
! जनाब उसक शाद भी तय हो गयी है
, अगले
जाड़ तक शायद
हो भी जाय।''

''िछह, बड़ खराब लड़क हो! कहाँरहता है यान तुहारा?''

सु
धा नेमजाक म परा जत कर बहु
त वजय-भर मु
सकान सेउसक ओर दे
खा। च दर नेझपकर िनगाह नीची
कर ली तो सु
धा पास आकर च दर का क धा पकडक़र बोली-''अरेउदास हो गये
, नह ंभइया, तुहारा भी याह तय
कराएँ
गे
, घबराते य हो!'' और एक मोट -सी इकनॉिम स क कताब उठाकर बोली, ''लो, इस मु
टक सेयाह करोगे
!
लो बातचीत कर लो, तब तक म वह िनब ध ले
आऊँ
, टाइप कराने
वाला।''

च दर नेखिसयाकर बड़ जोर से
सुधा का हाथ दबा दया। ''हाय रे धा नेहाथ छु
!'' सु ड़ाकर मु

ँ बनातेहु
ए कहा,
''लो बाबा, हम जा रहेह, काहेबगड़ रहेह आप?'' और वह चली गयी! डॉ टर साहब का िलखा हु
आ िनब ध उठा
लायी और बोली, ''लो, यह िनब ध क पा डु
िल प है
।'' उसकेबाद च दर क ओर बड़ेदल
ुार सेदे
खती हु
ई बोली, ''शाम
को आओगे
?''

''न!''

''अ छा, हम परे


शान नह ंकरगे
। तु
म चु
पचाप पढऩा। जब रात को पापा आ जाएँतो उ ह िनब ध क ितिल प
दे
कर चले
जाना!''

''नह ं
, आज शाम को मे
र दावत हैठाकु
र साहब केयहाँ
।''

''तो उसकेबाद आ जाना। और दे


खो, अब फरवर आ गयी है
, मा टर ढू

ढ़ दो हम।''

''नह ं
, ये
सब झू
ठ बात है
। हम कल सु
बह आएँ
गे
।''

''अ छा, तो सु
बह ज द आना और दे
खो, मा टर लाना मत भू
लना। ाइवर तुह मु
कज रोड पहु

चा दे
गा।''

वह कार म बै
ठ गया और कार टाट हो गयी क फर सु
धा नेपु
कारा। वह फर उतरा। सु
धा बोली, ''लो, यह
िलफाफा तो भू
ल ह गये
थे। पापा ने
िलख दया है
। उसे
देदे
ना।''

''अ छा।'' कहकर फर च दर चला क फर सु


धा ने
पुकारा, ''सु
नो!''

''एक बार म य नह ंकह दे


ती सब!'' च दर ने
झ लाकर कहा।

''अरेबड़ ग भीर बात है


। दे
खो, वहाँकु
छ ऐसी-वै
सी बात मत कहना लड़क से
, वरना उसकेयहाँदो बड़े
-बड़े
बु
लडॉग ह।'' कहकर उसनेगाल फु
लाकर, आँ
ख फै
लाकर ऐसी बु
लडॉग क भं
िगमा बनायी क च दर हँ
स पड़ा। सु
धा भी
हँ
स पड़ ।

ऐसी थी सु
धा, और ऐसा था च दर।

िस वल लाइ स केएक उजाड़ ह सेम एक पु


र ाने
-सेबँ
गलेकेसामनेआकर मोटर क । बँ
गलेका नाम था
'रोजलान' ले
कन सामनेकेक पाउं
ड म जं
गली घास उग रह थी और गु
लाब केफू
ल केबजाय अहातेम मु
र गी के
पं
ख बखरेपड़ेथे
। रा ते
पर भी घास उग आयी थी और और फाटक पर, जसकेएक ख भे
क कॉिनस टू
ट चु
क थी,
बजाय लोहेकेदरवाजेकेदो आड़ेबाँ
स लगेहु
ए थे
। फाटक केएक ओर एक छोटा-सा लकड़ का नामपटल लगा था,
जो कभी काला रहा होगा, ले
कन जसेधू
ल, बरसात और हवा नेिचतकबरा बना दया था। च दर मोटर सेउतरकर
उस बोड पर िलखेहु
ए अधिमटेसफे
द अ र को पढऩेक कोिशश करनेलगा, और जानेकसका मु

ँ दे
खकर सु
बह
उठा था क उसे
सफलता भी िमल गयी। उस पर िलखा था, 'ए. एफ. ड ू
ज'। उसने
जेब से
िलफाफा िनकाला और पता
िमलाया। िलफाफेपर िलखा था, 'िमस पी. ड ू
ज'। यह बँ
गला है
, उसे
स तोष हु
आ।

''हॉन दो!'' उसने ाइवर सेकहा। ाइवर नेहॉन दया। ले


कन कसी का बाहर आना तो दरू
, एक मु
र गा, जो
अहातेम कु
डक़ु
ड़ा रहा था, उसनेमु
डक़र बड़ेस दे
ह और ास सेच दर क ओर दे
खा और उसकेबाद पं
ख फडफ़ड़ाते
हु
ए, चीखते
हुए जान छोडक़र भागा। ''बड़ा मनहू
स बँ
गला है
, यहाँआदमी रहतेह या त
े?'' कपू
र ने
ऊबकर कहा और
ाइवर से
बोला, ''जाओ तु
म, हम अ दर जाकर दे
खते
ह!''

''अ छा हु
जू
र , सु
धा बीबी से या कह दगे
?''

''कह दे
ना, पहु

चा दया।''

कार मु
ड़ और कपू
र बाँ
स फाँ
दकर अ दर घु
सा। आगेका पो टको खाली पड़ा था और नीचेक जमीन ऐसी थी
जै
सेकई साल से
उस बँ
गले
म कोई सवार गाड़ न आयी हो। वह बरामदेम गया। दरवाजेब द थेऔर उन पर धू

जमी थी। एक जगह चौखट और दरवाजेकेबीच म मकड़ ने
जाला बु
न रखा था। 'यह बँ
गला खाली है या?' कपू
र ने
सोचा। सु
बह साढ़ेआठ बजेह वहाँऐसा स नाटा छाया था क दल घबरा जाय। आस-पास चार ओर आधी फलाग
तक कोई बँ
गला नह ंथा। उसनेसोचा बँ
गलेकेपीछेक ओर शायद नौकर क झ प डय़ाँह । वह दाय बाजूसेमु
ड़ा
और खु
शबू
का एक ते
ज झ का उसे
चूमता हु
आ िनकल गया। 'ता जु
ब है
, यह स नाटा, यह मनहू
सी और इतनी खु
शबू
!'
कपू
र ने
कहा और आगेबढ़ा तो दे
खा क बँ
गलेके पछवाड़ेगु
लाब का एक बहु
त खू
बसू
र त बाग है
। क ची र वश और
बड़े
-बड़ेगु
लाब, हर रं
ग के
। वह सचमु
च 'रोजलान' था।

वह बाग म पहु

चा। उधर सेभी बँ
गलेकेदरवाजेब द थे
। उसनेखटखटाया ले
कन कोई जवाब नह ंिमला। वह
बाग म घु
सा क शायद कोई माली काम कर रहा हो। बीच-बीच म ऊँ
चे
-ऊँ
चेजं
गली चमे
ली केझाड़ थेऔर कह ं
-कह ं
लोहेक छड़ केकटघरे
। बे
गमबे
िलया भी फू
ल रह थी ले
कन चार ओर एक अजब-सा स नाटा था और हर फू
ल पर
कसी खामोशी केफ र ते
क छाँ
ह थी। फू
ल म रं
ग था, हवा म ताजगी थी, पे
ड़ म ह रयाली थी, झ क म खु
शबू
थी,
ले
कन फर भी सारा बाग एक ऐसेिसतार का गु
लद ता लग रहा था जनक चमक, जनक रोशनी और जनक
ऊँ
चाई लु
ट चु
क हो। लगता था जै
सेबाग का मािलक मौसमी रं
गीनी भू
ल चु
का हो, य क नैटिशयम या वीटपी या
ला स, कोई भी मौसमी फू
ल न था, िसफ गु
लाब थेऔर जं
गली चमे
ली थी और बे
गमबे
िलया थी जो साल पहले
बोये
गयेथे
। उसकेबाद उ ह ंक काट-छाँ
ट पर बाग चल रहा था। बागबानी म कोई नवीनता और मौसम का उ लास न
था।

च दर फू
ल का बे
हद शौक न था। सु
बह घू
मने
केिलए उसने
द रया कनारेकेबजाय अ े
ड पाक चु
ना था य क
पानी क लहर केबजाय उसेफू
ल केबाग केरं
ग और सौरभ क लहर से
बेहद यार था। और उसेदस
ूरा शौक था
क फू
ल केपौध केपास सेगु
जरतेहु
ए हर फू
ल को समझनेक कोिशश करना। अपनी नाजु
क टहिनय पर हँ
सते
-
मु
सकराते
हुए ये
फूल जै
सेअपनेरं
ग क बोली म आदमी सेजं
दगी का जाने
कौन-सा राज कहना चाहते
ह। और ऐसा
लगता हैक जै
सेहर फू
ल केपास अपना य गत स दे
श हैजसेवह अपनेदल क पाँ
खुरय म आ ह ते
सेसहे

कर रखेहु
ए ह क कोई सु
नने
वाला िमलेऔर वह अपनी दा ताँकह जाए। पौधेक ऊपर फु
नगी पर मु
सकराता हु

आसमान क तरफ मु

ँ कयेहु
ए यह गु
लाब जो रात-भर िसतार क मु
सकराहट चु
पचाप पीता रहा है
, यह अपने
मोितय -पाँ
खुरय केहोठ सेजाने य खल खलाता ह जा रहा है
। जानेइसे
कौन-सा रह य िमल गया है
। और वह
एक नीचेवाली टहनी म आधा झु
का हु
आ गु
लाब, झु
क हु
ई पलक -सी पाँ
खुरयाँऔर दोहरेमखमली तार-सी उसक
डं
ड , यह गु
लाब जाने य उदास है
? और यह दब
ुली-पतली ल बी-सी नाजु
क कली जो बहु
त सावधानी सेहरा आँ
चल
लपे
टेहैऔर थम ात-यौवना क तरह लाज म जो िसमट तो िसमट ह चली जा रह है
, ले
कन जसकेयौवन क
गु
लाबी लपट सात हरेपरद म सेझलक ह पड़ती ह, झलक ह पड़ती ह। और फारस केशाहजादेजै
सा शान से
खला हु
आ पीला गु
लाब! उस पीलेगु
लाब केपास आकर च दर क गया और झु
ककर दे
खनेलगा। काितक पू
नो के
चाँ
द से
झरनेवाले
अमृ
त को पीने
केिलए याकु
ल कसी सु
कु
मार, भावु
क पर क फै
ली हु
ई अं
जिल केबराबर बड़ा-सा
वह फू
ल जै
सेरोशनी बखे
र रहा था। बे
गमबे
िलया केकं

ज से
छनकर आने
वाली तोतापं
खी धू
प ने
जैसे
उस पर धान-पान
क तरह खु
शनु
मा ह रयाली बखे
र द थी। च दर ने
सोचा, उसे
तोड़ ल ले
कन ह मत न पड़ । वह झु
का क उसेसू


ह ल। सू

ँनेकेइरादेसेउसने
हाथ बढ़ाया ह था क कसी नेपीछेसेगरजकर कहा, ''ह यर यू
आर, आई है
व काट
रे
ड-हैडे
ड टु
डे
!'' (यह तु
म हो; आज तुह मौकेपर पकड़ पाया हू

)

और उसकेबाद कसी ने
अपनेदोन हाथ म जकड़ िलया और उसक गरदन पर सवार हो गया। वह उछल पड़ा
और अपनेको छु
ड़ाने
क कोिशश करने
लगा। पहले
तो वह कु
छ समझ नह ंपाया। अजब रह यमय हैयह बँ
गला। एक
अ य भय और एक िसहरन म उसकेहाथ-पाँ
व ढ ले
हो गये कन उसनेह मत करकेअपना एक हाथ छु
। ले ड़ा िलया
और मु
डक़र दे
खा तो एक बहु
त कमजोर, बीमार-सा, पीली आँ
ख वाला गोरा उसे
पकड़ेहु
ए था। च दर केदस
ूरेहाथ को
फर पकडऩेक कोिशश करता हु
आ वह हाँ
फता हु
आ बोला (अँे
जी म), ''रोज-रोज यहाँसेफू
ल गायब होतेथे
। म
कहता था, कहता था, कौन लेजाता है
। हो...हो...,'' वह हाँ
फता जा रहा था, ''आज मनेपकड़ा तुह। रोज चु
पकेसे
चले
जातेथे
...'' वह च दर को कसकर पकड़ेथा ले
कन उस बीमार गोरेक साँ
स जै
सेछू
ट जा रह थी। च दर ने
उसे
झटका दे
कर धके
ल दया और डाँ
टकर बोला, '' या मतलब हैतुहारा! पागल है या! खबरदार जो हाथ बढ़ाया, अभी
ढे
र कर दँ

ूा तु
झे
! गोरा सु
अर!'' और उसने
अपनी आ तीन चढ़ायीं

वह ध केसेिगर गया था, धू


ल झाड़तेउठ बै
ठा और बड़ ह रोनी आवाज म बोला, '' कतना जुम है
, कतना
जुम है
! मे
रेफू
ल भी तु
म चु
र ा लेगयेऔर मु
झेइतना हक भी नह ंक तुह धमकाऊँ
! अब तु
म मु
झसेलड़ोगे
! तु

जवान हो, म बू
ढ़ा हू

। हाय रेम!'' और सचमु
च वह जै
सेरोने
लगा हो।

च दर ने
उसका रोना दे
खा और उसका सारा गुसा हवा हो गया और हँ
सी रोककर बोला, ''गलतफहमी है
, जनाब!
म बहु
त दरूरहता हू

। म िच ठ ले
कर िमस ड ू
ज से
िमलने
आया था।''

उसका रोना नह ं का, ''तु


म बहाना बनातेहो, बहाना बनातेहो और अगर म व ास नह ंकरता तो तु
म मारने
क धमक दे
तेहो? अगर म कमजोर न होता...तो तुह पीसकर खा जाता और तुहार खोपड़ कु
चलकर फक दे
ता
जै
सेतु
मने
मेरेफू
ल फकेह गे
?''

'' फर तु
मने
गाली द ! म उठाकर तुह अभी नाले
म फक दँ

ूा!''

''अरेबाप रे
! दौड़ो, दौड़ो, मु
झेमार डाला...पॉपी...टॉमी...अरेदोन कुेमर गये
...।'' उसने
डर केमारेचीखना शु
कया।

'' या है
, बट ? य िच ला रहेहो?'' बाथ म केअ दर सेकसी ने
िच लाकर कहा।

''अरेमार डाला इसने


...दौड़ो-दौड़ो!''

झटकेसेबाथ म का दरवाजा खु
ला बे
द -गाउन पहनेहु
ए एक लड़क दौड़ती हु
ई आयी और च दर को दे
खकर
क गयी।
'' या है
?'' उसने
डाँ
टकर पू
छा।

''कु
छ नह ं
, शायद पागल मालू
म दे
ता है
!''

''जबान सँ
भालकर बोलो, वह मे
र ा भाई है
!''

''ओह! कोई भी हो। म िमस ड ू


ज सेिमलनेआया था। मनेआवाज द तो कोई नह ंबोला। म बाग म घू
मने
लगा। इतने
म इसने
मेर गरदन पकड़ ली। यह बीमार और कमजोर हैवरना अभी गरदन दबा दे
ता।''

गोरा उस लड़क केआते


ह फर तनकर खड़ा हो गया और दाँ
त पीसकर बोला, ''अरेम तुहारेदाँ
त तोड़ दँ

ूा।
बदमाश कह ंका, चु
पके
-चु
पकेआया और गु
लाब तोडऩे
लगा। म चमे
ली केझाड़ केपीछेिछपा दे
ख रहा था।''

''अभी म पु
िलस बु
लाती हू

, तु
म दे
खते
रहो बट इसे
। म फोन करती हू

।''

लड़क ने
डाँ
टते
हुए कहा।

''अरेभाई, म िमस ड ू
ज से
िमलने
आया हू

।''

''म तुह नह ंजानती, झू


ठा कह ंका। म िमस ड ू
ज हू

।''

''दे
खए तो यह खत!''

लड़क ने
खत खोला और पढ़ा और एकदम उसने
आवाज बदल द ।

''िछह बट , तु
म कसी दन पागलखाने
जाओगे
। आपको डॉ. शुला ने
भेजा है
। तु
म तो मु
झेबदनाम करा डालोगे
!''

उसक श ल और भी रोनी हो गयी , ''म नह ंजानता था, म जानता नह ंथा।'' उसने


और भी घबराकर कहा।

''माफ क जएगा!'' लड़क नेबड़ेमीठे वर म साफ ह द ुतानी म कहा, ''मे


रेभाई का दमाग ज़रा ठ क नह ं
रहता, जब से
इनक प ी क मौत हो गयी।''

''इसका मतलब ये
नह ंक येकसी भले
आदमी क इ जत उतार ल।'' च दर नेबगडक़र कहा।

''दे
खए, बु
र ा मत मािनए। म इनक ओर सेमाफ माँ
गती हू

। आइए, अ दर चिलए।'' उसने
च दर का हाथ पकड़
िलया। उसका हाथ बे
हद ठ डा था। वह नहाकर आ रह थी। उसकेहाथ केउस तु
षार पश से
च दर िसहर उठा और
उसने
हाथ झटककर कहा, ''अफसोस, आपका हाथ तो बफ है
?''

लड़क च क गयी। वह स : नाता सहसा सचे


त हो गयी और बोली, ''अरेशै
तान तुह ले
जाए, बट ! तुहारेपीछे
म बे
द गाउन म भाग आयी।'' और बे
द गाउन केदोन कालर पकडक़र उसने
अपनी खु
ली गरदन ढँ
कने
का यास
कया और फर अपनी पोशाक पर ल जत होकर भागी।

अभी तक गुसेकेमारेच दर नेउस पर यान ह नह ंदया था। ले


कन उसनेदे
खा क वह ते
ईस बरस क
दब
ुली-पतली त णी है
। लहराता हु
आ बदन, गले
तक कटेहु
ए बाल। एं
लो-इं
डयन होनेकेबावजू
द गोर नह ंहै
। चाय
क तरह वह ह क , पतली, भू
र और तु
श थी। भागते
व ऐसी लग रह थी जै
सेछलकती हु
ई चाय।

इतनेम वह गोरा उठा और च दर का क धा छू


कर बोला, ''माफ करना, भाई! उससेमे
र िशकायत मत करना।
असल म येगु
लाब मे
र मृ
त प ी क यादगार ह। जब इनका पहला पे
ड़ आया था तब म इतना ह जवान था जतने
तु
म, और मे
र प ी उतनी ह अ छ थी जतनी प मी।''

''कौन प मी?''

''यह मे
र बहन िमला ड ू
ज!''

''ओह! कब मर आपक प ी?ï माफ क जएगा मु


झेभी मालू
म नह ंथा!''

''हाँ
, म बड़ा अभागा हू

। मे
र ा दमाग कु
छ खराब है
; दे
खए!'' कहकर उसने
झुककर अपनी खोपड़ च दर केसामने
कर द और बहु
त िगड़िगड़ाकर बोला, ''पता नह ंकौन मे
रेफू
ल चु
र ा लेजाता है
! अपनी प ी क मृ
युकेबाद पाँ

साल से
म इन फू
ल को सँ
भाल रहा हू

। हाय रेम! जाइए, प मी बु
ला रह है
।''

पछवाड़ेकेसहन का बीच का दरवाजा खु


ल गया था और प मी कपड़ेपहनकर बाहर झाँ
क रह थी। च दर आगे
बढ़ा और गोरा मु
डक़र अपनेगु
लाब और चमे
ली क झाड़ म खो गया। च दर गया और कमरेम पड़ेहु
ए एक सोफा
पर बै
ठ गया। प मी वायले
ट कर चु
क थी और एक ह क ा सीसी खु
शबू
सेमहक रह थी। शैपू
सेधु
लेहु
ए खे
बाल जो मचलेपड़ रहेथे
, खु
शनु
मा आसमानी रं
ग का एक पतला िचपका हु
आ झीना लाउज और लाउज पर एक
लै
नल
े का फु
लपट जसकेदो गे
िलस कमर, छाती और क धेपर िचपकेहु
ए थे
। होठ पर एक ह क िलप टक क
झलक मा थी, और गले
तक बहु
त ह का पाउडर, जो बहु
त नजद क से
ह मालू
म होता था। ल बेनाखू
न पर ह क
गु
लाबी पट। वह आयी, िन सं
कोच भाव सेउसी सोफेपर कपू
र केबगल म बै
ठ गयी और बड़ मु
लायम आवाज म
बोली, ''मु
झेबड़ा द:ु
ख है
, िम टर कपू
र ! आपको बहु
त तवालत उठानी पड़ । चोट तो नह ंआयी?''

''नह ं
, नह ं
, कोई बात नह ं
!'' कपू
र का सारा गुसा हवा हो गया। कोई भी लड़क िन:सं
कोच भाव से
, इतनी
अपनायत सेसहानु
भिू
त दखायेऔर माफ माँ
गे
, तो उसकेसामनेकौन पानी-पानी नह ंहो जाएगा, और फर वह भी
तब जब क उसकेहोठ पर न के
वल बोली अ छ लगती हो, वरन िलप टक भी इतनी यार हो। ले
कन च दर क एक
आदत थी। और चाहेकु
छ न हो, कम-से
-कम वह यह अ छ तरह जानता था क नार जाित सेयवहार करतेसमय
कहाँपर कतनी ढ ल दे
नी चा हए, कतना कसना चा हए, कब सहानु
भिू
त से
उ ह झु
काया जा सकता है
, कब अकड़कर।
इस व जानता था क इस लड़क सेवह जतनी सहानु
भिू
त चाहे
, ले
सकता है
, अपने
अपमान केहजानेकेतौर पर।
इसिलए कपू
र साहब बोले
, ''ले
कन िमस ड ू
ज, आपकेभाई बीमार होनेकेबावजू
द बहु
त मजबू
त ह। उफ! गरदन पर
जै
सेअभी तक जलन हो रह है
।''

''ओहो! सचमु
च म बहु
त शिम दा हू

। दे
खँ

!'' और कालर हटाकर उसनेगरदन पर अपनी बफ ली अँ
गु
िलयाँरख द ं
,
''लाइए, लोशन मल दँ
ूम!''

''ध यवाद, ध यवाद, इतना क न क जए। आपक अँ


गु
िलयाँग द हो जाएँ
गी!'' कपू
र ने
बड़ शालीनता से
कहा।
प मी केहोठ पर एक ह क -सी मुकराहट, आँ
ख म ह क -सी लाज और व म एक ह का-सा क पन दौड़
गया। यह वा य कपू
र नेचाहेशरारत म ह कहा हो, ले
कन कहा इतनेशा त और सं
यत वर म क प मी कु

ितवाद भी न कर सक और फर छह बरस सेसाठ बरस तक क कौन ऐसी ी हैजो अपने प क शं
सा पर
बे
होश न हो जाए।

''अ छा लाइए, वह पीच कहाँहैजो मु


झेटाइप करनी है
।'' उसनेवषय बदलते
हुए कहा।

''यह ली जए।'' कपू


र ने
देद ।

''यह तो मुकल से
तीन-चार घ टेका काम है
?'' और प मी पीच को उलट-पु
लटकर दे
खने
लगी।

''माफ क जएगा, अगर म कु


छ य छू
गत सवाल पूँ
; या आप टाइ प ट ह?'' कपू
र ने
बहु
त िश ता से
पूछा।

''जी नह ं
!'' प मी ने
उ ह ंकागज पर नजर गड़ाते
हुए कहा, ''मने
कभी टाइ पं
ग और शाटहड सीखी थी, और तब
म सीिनयर के ज पास करकेयू
िनविसट गयी थी। यू
िनविसट मु
झेछोडऩी पड़ य क मने
अपनी शाद कर ली।''

''अ छा, आपकेपित कहाँह?''

''रावल पं
ड म, आम म।''

''ले
कन फर आप ड ू
ज य िलखती ह, और फर िमस?''

'' य क हमलोग अलग हो गये


ह।'' और पीच केकागज को फर तह करती हु
ई बोली-

''िम टर कपू
र , आप अ ववा हत ह?''

''जी हाँ
?''

''और ववाह करने


का इरादा तो नह ंरखते
?''

''नह ं
।''

''बहु
त अ छे
। तब तो हम लोग म िनभ जाएगी। म शाद सेबहु
त नफरत करती हू

। शाद अपनेको दया
जाने
वाला सबसे
बड़ा धोखा है
। दे
खए, ये
मेरेभाई ह न, कै
सेपीले
और बीमार-से
ह। ये
पहले
बड़ेत द ु त और टे
िनस
म ा त केअ छेखला डय़ म सेथे
। एक बशप क दब
ुली-पतली भावु
क लड़क सेइ ह नेशाद कर ली, और उसे
बे
हद यार करते
थे। सु
बह-शाम, दोपहर, रात कभी उसे
अलग नह ंहोने
देते
थे। हनीमू
न केिलए उसे
लेकर सीलोन गये
थे
। वह लड़क बहु
त कला य थी। बहु
त अ छा नाचती थी, बहु
त अ छा गाती थी और खु
द गीत िलखती थी। यह
गु
लाब का बाग उसी ने
बनवाया था और इ ह ंकेबीच म दोन बै
ठकर घं
ट गु
जार दे
तेथे

''कु
छ दन बाद दोन म झगड़ा हु
आ। लब म बॉल डा स था और उस दन वह लड़क बहु
त अ छ लग रह
थी। बहु
त अ छ । डा स केव इनका यान डा स क तरफ कम था, अपनी प ी क तरफ यादा। इ ह नेआवे
श म
उसक अँ
गु
िलयाँजोर से
दबा द ं
। वह चीख पड़ और सभी इन लोग क ओर दे
खकर हँ
स पड़े

''वह घर आयी और बहु
त बगड़ , बोली, 'आप नाच रहेथेया टे
िनस का मै
च खे
ल रहेथे
, मे
र ा हाथ था या टे
िनस
का रै
कट?' इस बात पर बट भी बगड़ गया, और उस दन सेजो इन लोग म खटक तो फर कभी न बनी। धीरे
-
धीरेवह लड़क एक साजट को यार करनेलगी। बट को इतना सदमा हु
आ क वह बीमार पड़ गया। ले
कन बट ने
तलाक नह ंदया, उस लड़क सेकु
छ कहा भी नह ं
, और उस लड़क नेसाजट सेयार जार रखा ले
कन बीमार म
बट क बहु
त से
वा क । बट अ छा हो गया। उसकेबाद उसको एक ब ची हु
ई और उसी म वह मर गयी। हालाँ
क हम
लोग सब जानतेह क वह ब ची उस साजट क थी ले
कन बट को यक न नह ंहोता क वह साजट को यार करती
थी। वह कहता है
, 'यह दस
ूरेको यार करती होती तो मे
र इतनी से
वा कै
सेकर सकती थी भला!' उस ब ची का नाम
बट नेरोज रखा। और उसे
लेकर दनभर उ ह ंगु
लाब केपे
ड़ केबीच म बै
ठा करता था जै
सेअपनी प ी को ले
कर
बै
ठता था। दो साल बाद ब ची को साँ
प ने
काट िलया, वह मर गयी और तब से
बट का दमाग ठ क नह ंरहता। खै
र,
जाने
द जए। आइए, अपना काम शु कर। चिलए, अ दर के टड - म म चल!''

''चिलए!'' च दर बोला। और प मी केपीछे


-पीछेचल दया। मकान बहु
त बड़ा था और पु
र ानेअँे
ज केढं
ग पर
सजा हु
आ था। बाहर सेजतना पु
र ाना और ग दा नजर आता था, अ दर सेउतना ह आलीशान और सु
थरा। ई ट
इं
डया क पनी केजमानेक छाप थी अ दर। यहाँतक क बजली लगनेकेबावजू
द अ दर पु
र ानेबड़े
-बड़ेहाथ से
खीं
चेजानेवालेपं
खेलगेथे
। दो कमर को पार कर वेलोग टड - म म पहु

चे
। बड़ा-सा कमरा जसम चार तरफ
आलमा रय म कताब सजी हु
ई थीं
। चार कोने
म चार मे
ज लगी हु
ई थींजनम कु
छ ब ट और कु
छ त वीर टड के
सहारेरखी हु
ई थीं
। एक आलमार म नीचेखानेम टाइपराइटर रखा था। प मी नेबजली जला द और टाइपराइटर
खोलकर साफ करनेलगी। च दर घू
मकर कताब दे
खने
लगा। एक कोनेम कु
छ मराठ क कताब रखी थीं
। उसेबड़ा
ता जु
ब हु
आ-''अ छा प मी, ओह, माफ क जएगा, िमस ड ू
ज...''

''नह ं
, आप मु
झेप मी पु
कार सकते
ह। मु
झेयह नाम अ छा लगता है
-हाँ
, या पू
छ रहेथेआप?''

'' या आप मराठ भी जानती ह?''

''नह ं
, म तो नह ं
, मे
र नानीजी जानती थीं
। या आपको डॉ टर शुला ने
हमलोग केबारेम कु
छ नह ंबताया?''

''नह ं
!'' कपू
र ने
कहा।

''अ छा! ता जु
ब है
!'' प मी बोली, ''आपनेे
नाली ड ू
ज का नाम सु
ना हैन?''

''हाँहाँ
, ड ू
ज ज ह ने
कौशा बी क खु
दाई करवायी थी। वह तो बहु
त बड़ेपु
र ात ववेा थे
?'' कपू
र ने
कहा।

''हाँ
, वह । वह मे
रेसगेनाना थे
। और वह अँे
ज नह ंथे
, मराठा थेऔर उ ह नेमे
र नानी सेशाद क थी जो
एक क मीर ईसाई म हला थीं
। उनकेकारण भारत म उ ह ईसाइयत अपनानी पड़ । यह मे
रेनाना का ह मकान है
और अब हम लोग को िमल गया है
। डॉ. शुला केदो त िम टर ीवा तव बै
र टर ह न, वे
हमारेखानदान केऐटन
थे
। उ ह ने
और डॉ. शुला ने
ह यह जायदाद हम दलवायी। ली जए, मशीन तो ठ क हो गयी।'' उसने
टाइपराइटर म
काबन और कागज लगाकर कहा, ''लाइए िनब ध!''

इसकेबाद घं
टे
-भर तक टाइपराइटर का नह ं
। कपू
र नेदे
खा क यह लड़क जो यवहार म इतनी सरल और
प है
, फै
शन म इतनी नाजु
क और शौक न है
, काम करनेम उतनी ह मे
हनती और ते
ज भी है
। उसक अँ
गु
िलयाँ
मशीन क तरह चल रह थीं
। और ते
ज इतनी क एक घं
टेम उसने
लगभग आधी पां
डु
िल प टाइप कर डाली थी। ठ क
एक घ टेकेबाद उसनेटाइपराइटर ब द कर दया, बगल म बै
ठेहु
ए कपू
र क ओर झु
ककर कहा, ''अब थोड़ दे

आराम।'' और अपनी अँ
गु
िलयाँचटखानेकेबाद वह कु
रसी खसकाकर उठ और एक भरपू
र अँ
गड़ाई ली। उसका अं
ग-
अं
ग धनु
ष क तरह झु
क गया। उसकेबाद कपू
र केक धेपर बे
तक लु
फ से
हाथ रखकर बोली, '' य , एक याला चाय
मँ
गवायी जाय?''

''म तो पी चु
का हू

।''

''ले
कन मु
झसेतो काम होनेसेरहा अब बना चाय के
।'' प मी एक अ हड़ ब ची क तरह बोली, और अ दर
चली गयी। कपू
र नेटाइप कयेहु
ए कागज उठायेऔर कलम िनकालकर उनक गलितयाँसु
धारनेलगा। चाय पीकर
थोड़ दे
र म प मी वापस आयी और बै
ठ गयी। उसने
एक िसगरे
ट के
स कपू
र केसामनेकया।

''ध यवाद, म िसगरे


ट नह ंपीता।''

''अ छा, ता जु
ब है
, आपक इजाजत हो तो म िसगरे
ट पी लू
!ँ
''

'' या आप िसगरे
ट पीती ह? िछह, पता नह ं य औरत का िसगरे
ट पीना मु
झेबहु
त ह नासप द है
।''

''मे
र तो मजबू
र हैिम टर कपू
र , म यहाँकेसमाज म िमलती-जु
लती नह ं
, अपनेववाह और अपनेतलाक के
बाद मु
झेऐं
लो-इं
डयन समाज से
नफरत हो गयी है
। म अपनेदल सेह द ुतानी हू

। ले
कन ह द ुतािनय से
घुलना-
िमलना हमारेिलए स भव नह ं
। घर म अके
लेरहती हू

। िसगरे
ट और चाय सेतबीयत बदल जाती है
। कताब का मु
झे
शौक नह ं
।''

''तलाक केबाद आपने


पढ़ाई जार य नह ंरखी?'' कपू
र ने
पूछा।

''मने
कहा न, क कताब का मु
झेशौक नह ंब कु
ल!'' प मी बोली। ''और म अपने
को आदिमय म घु
लने
-िमलने
केलायक नह ंपाती। तलाक केबाद साल-भर तक म अपने
घर म ब द रह । म और बट । िसफ बट सेबात करने
का मौका िमला। बट मे
र ा भाई, वह भी बीमार और बू
ढ़ा। कह ंकोई तक लु
फ क गु

जाइश नह ं
। अब म हरे
क से
बे
तक लु
फ से
बात करती हू
ँतो कु
छ लोग मु
झ पर हँ
सतेह, कु
छ लोग मु
झेस य समाज केलायक नह ंसमझते
, कु

लोग उसका गलत मतलब िनकालतेह। इसिलए मनेअपनेको अपनेबँ
गलेम ह कै
द कर िलया है
। अब आप ह ह,
आज पहली बार मने
देखा आपको। म समझी ह नह ंक आपसेकतना दरु
ाव रखना चा हए। अगर आप भले
मानस न
ह तो आप इसका गलत मतलब िनकाल सकते
ह।''

''अगर यह बात हो तो...'' कपू


र हँ
सकर बोला, ''स भव है क म भले
मानस बननेके बजाय गलत मतलब
िनकालना यादा पस द क ँ
।''

''तो स भव हैम मजबू


र होकर आपसे
भी न िमलू
!ँ
'' प मी ग भीरता से
बोली।

''नह ं
, िमस ड ू
ज...''
''नह ं
, आप प मी क हए, ड ू
ज नह ं
!''

''प मी सह , आप गलत न समझ, म मजाक कर रहा था।'' कपू


र बोला। उसनेइतनी दे
र म समझ िलया था क
यह साधारण ईसाई छोकर नह ंहै

इतनेम बट लडख़ड़ाता हु
आ, हाथ म धू
ल सना खु
र पा िलयेआया और चु
पचाप खड़ा हो गया और अपनी धु

धली
पीली आँ
ख सेएकटक कपू
र को दे
खने
लगा। कपू
र ने
एक कु
रसी खसका द और कहा, ''आइए!'' प मी उठ और बट
केक धेपर एक हाथ रखकर उसेसहारा दे
कर कु
रसी पर बठा दया। बट बै
ठ गया और आँ
ख ब द कर लीं
। उसका
बीमार कमजोर य व जानेकै
सा लगता था क प मी और कपू
र दोन चु
प हो गये
। थोड़ दे
र बाद बट नेआँ

खोलींऔर बहु
त क ण वर म बोला, ''प मी, तु
म नाराज हो, मनेजान-बू
झकर तुहारेिम का अपमान नह ंकया
था?''

''अरेनह ं
!'' प मी ने
उठकर बट का माथा सहलाते
हुए कहा, ''म तो भू
ल गयी और कपू
र भी भू
ल गये
?''

''अ छा, ध यवाद! प मी, अपना हाथ इधर लाओ!'' और वह प मी केहाथ पर िसर रखकर पड़ रहा और बोला,
''म कतना अभागा हू

! कतना अभागा! अ छा प मी, कल रात को तु
मनेसु
ना था, वह आयी थी और पू
छ रह थी,
बट तुहार तबीयत अब ठ क है
, मनेझट अपनी आँ
ख ढँ
क लींक कह ंआँ
ख का पीलापन दे
ख न ले
। मनेकहा,
तबीयत अब ठ क है
, म अ छा हू
ँतो उठ और जानेलगी। मने
पूछा, कहाँचली, तो बोली साजट केसाथ ज़रा लब
जा रह हू

। तु
मने
सुना था प मी?''

कपू
र त ध-सा उन दोन क ओर दे
ख रहा था। प मी ने
कपू
र को आँ
ख का इशारा करतेहु
ए कहा, ''हाँ
, हमसे
िमली थी वह, ले
कन बट , वह साजट केसाथ नह ंगयी थी!''

''हाँ
, तब?'' बट क आँ
ख चमक उठ ंऔर उसने
उ लास-भरे वर म पू
छा।

''वह बोली, बट केये


गुलाब साजट से यादा यारेह।'' प मी बोली।

''अ छा!'' मु
सकराहट से
बट का चे
हरा खल उठा, उसक पीली-पीली आँ
ख और धँ
स गयींऔर दाँ
त बाहर झलकने
लगे
, ''हू

! या कहा उसने
, फर तो कहो!''

उसने
कहा, ''ये
गुलाब साजट से यादा यारेह, फर इ ह ंगु
लाब पर नाचती रह और सु
बह होते
ह इ ह ंफू

म िछप गयी! तुह सु
बह कसी फू
ल म तो नह ंिमली?''

''उहू

, तुह तो कसी फू
ल म नह ंिमली?'' बट ने
ब च के
-से
भोलेव ास के वर म कपू
र से
पूछा।

च दर च क उठा। प मी और बट क इन बात पर उसका मन बे


हद भर आया था। बट क मु
सकराहट पर
उसक नस थरथरा उठ थीं

''नह ं
; मने
तो नह ंदे
खा था।'' च दर ने
कहा।

बट नेफर मायू
सी से
िसर झु
का िलया और आँ
ख ब द कर लींऔर कराहती हु
ई आवाज म बोला, '' जस फू
ल म
वह िछप गयी थी, उसी को कसी ने
चुर ा िलया होगा!'' फर सहसा वह तनकर खड़ा हो गया और पु
चकारतेहु
ए बोला,
''जानेकौन येफू
ल चु
र ाता है
! अगर मु
झेएक बार िमल जाए तो म उसका खू
न ऐसेपी लू
!ँ
'' उसनेहाथ क अँ
गु
ली
काटते
हुए कहा और उठकर लडख़ड़ाता हु
आ चला गया।

वातावरण इतना भार हो गया था क फर प मी और कपू


र ने
कोई बात नह ंक ं
। प मी नेचु
पचाप टाइप करना
शु कया और कपू
र चु
पचाप बट क बात सोचता रहा। घं
टा-भर बाद टाइपराइटर खामोश हु
आ तो कपू
र ने
कहा-

''प मी, मनेजतने


लोग दे
खेह उनम शायद बट सबसेविच हैऔर शायद सबसे
दयनीय!''

प मी खामोश रह । फर उसी लापरवाह सेअँ


गड़ाई ले
तेहु
ए बोली, ''मु
झेबट क बात पर ज़रा भी दया नह ं
आती। म उसको दलासा दे
ती हू
ँ य क वह मे
र ा भाई हैऔर ब चेक तरह नासमझ और लाचार है
।''

कपू
र च क गया। वह प मी क ओर आ य से
चुपचाप दे
खता रहा; कु
छ बोला नह ं

'' य , तुह ता जु
ब य होता है
?'' प मी ने
कुछ मु
सकराकर कहा, ''ले
कन म सच कहती हू

''-वह बहु
त ग भीर
हो गयी, ''मु
झेजरा तरस नह ंआता इस पागलपन पर।'' ण-भर चु
प रह , फर जै
सेबहु
त ह ते
जी सेबोली, ''तु

जानतेहो उसकेफू
ल कौन चु
र ाता है
? म, म उसकेफू
ल तोडक़र फक दे
ती हू

। मु
झेशाद सेनफरत है
, शाद केबाद
होनेवाली आपसी धोखे
बाजी सेनफरत है
, और उस धोखे
बाजी केबाद इस झू
ठमू
ठ क यादगार और बे
ईमानी के
पागलपन सेनफरत है
। और येगु
लाब केफू
ल, ये य मूयवान ह, इसिलए न क इसकेसाथ बट क जं
दगी क
इतनी बड़ े
जे
ड गु

थी हु
ई है
। अगर एक फू
ल केखू
बसू
र त होनेकेिलए आदमी क जं
दगी म इतनी बड़ े
जे
ड आना
ज र हैतो लानत हैउस फू
ल क खू
बसू
र ती पर! म उससे
नफरत करती हू

। इसीिलए म कताब सेनफरत करती हू


एक कहानी िलखने
केिलए कतनी कहािनय क े
जे
ड बदा त करनी होती है
।''

प मी चु
प हो गयी। उसका चे
हरा सु
ख हो गया था। थोड़ दे
र बाद उसका तै
श उतर गया और वह अपनेआवे

पर खु
द शरमा गयी। उठकर वह कपू
र केपास गयी और उसकेक ध पर हाथ रखकर बोली, ''बट सेमत कहना,
अ छा?''

कपू
र नेिसर हलाकर वीकृ
ित द और कागज समे
टकर खड़ा हु
आ। प मी नेउसकेक ध पर हाथ रखकर उसे
अपनी ओर घु
माकर कहा, ''दे
खो, पछलेचार साल से
म अके
ली थी, और कसी दो त का इ तजार कर रह थी, तु

आये
और दो त बन गये
। तो अब अ सर आना, ऐं
?''

''अ छा!'' कपू


र ने
ग भीरता से
कहा।

''डॉ. शुला से
मेर ा अिभवादन कहना, कभी यहाँज र आएँ
।''

''आप कभी चिलए, वहाँउनक लड़क है


। आप उससे
िमलकर खु
श ह गी।''

प मी उसकेसाथ फाटक तक पहु



चानेचली तो दे
खा बट एक चमे
ली केझाड़ म टहिनयाँहटा-हटाकर कु
छ ढू


रहा था। प मी को दे
खकर पू
छा उसने
-''तुह याद है
; वह चमे
ली केझाड़ म तो नह ंिछपी थी?'' कपू
र नेपता नह ं
य ज द प मी को अिभवादन कया और चल दया। उसे
बट को दे
खकर डर लगता था।
सु
धा का कॉले
ज बड़ा एका त और खू
बसू
र त जगह बना हु
आ था। दोन ओर ऊँ
ची-सी मे
ड़ और बीच म सेकं
कड़
क एक खू
बसू
र त घु
मावदार सड़क। दायींओर चनेऔर गे
हू
ँकेखे
त, बे
र और शहतू
त केझाड़ और बायींओर ऊँ
चे
-ऊँ
चे
ट ले
और ताड़ केल बे
-ल बेपे
ड़। शहर से
काफ बाहर दे
हात का-सा नजारा और इतना शा त वातावरण लगता था क
यहाँकोई उथल-पु
थल, कोई शोरगु
ल हैह नह ं
। जगह इतनी हर -भर क दज केकमर केपीछेह महु
आ चू
ता था
और ल बी-ल बी घास क दप
ुह रया केनीले
फूल क जं
गली लतर उलझी रहती थीं

और इस वातावरण ने
अगर कसी पर सबसे यादा भाव डाला था तो वह थी गे
स।ूउसेअ छ तरह मालू
म था
क बाँ
स केझाड़ केपीछेकस चीज केफू
ल ह। पु
र ाने
पीपल पर िगलोय क लतर चढ़ हैऔर कर देकेझाड़ केपीछे
एक साह क माँ
द है
। नागफनी क झाड़ केपास एक बार उसनेएक लोमड़ भी दे
खी थी। शहर केएक मशहू
र रईस
सा बर हु
सन
ै काजमी क वह सबसे
बड़ लड़क थी। उसक माँ
, ज ह उसके पता अदन सेयाह कर लाये
थे, शहर क
मशहू
र शायरा थीं
। हालाँ
क उनका द वान छपकर मशहू
र हो चु
का था, मगर वह कसी भी बाहर आदमी से
कभी नह ं
िमलती-जु
लती थीं
, उनक सार दिु
नया अपनेपित और अपनेब च तक सीिमत थी। उ ह शायराना नाम रखनेका
बहु
त शौक था। अपनी दोन लड़ कय का नाम उ ह नेगे
सूऔर फू
ल रखा था और अपने
छोटेब चेका नाम हसरत।
हाँ
, अपने
पितदे
व सा बर साहब केहुकेसे
बेहद िचढ़ती थींऔर उनका नाम उ ह ने
रखा था, 'आितश- फजाँ
।'

घास, फू
ल, लतर और शायर का शौक गे
सूनेअपनी माँसेवरासत म पाया था। क मत से
उसका कॉले
ज भी
ऐसा िमला जसम दज क खड़ कय सेआम क शाख झाँ
का करती थींइसिलए हमे
शा जब कभी मौका िमलता था,
लास सेभाग कर गे
सूघास पर ले
टकर सपने
देखनेक आद हो गयी थी। लास केइस महािभिन मण और उसके
बाद लतर क छाँ
ह म जाकर यान-योग क साधना म उसक एकमा सािथन थी सु
धा। आम क घनी छाँ
ह म हर -
हर दब
ूम दोन िसर केनीचेहाथ रखकर ले
ट रहतींऔर दिु
नया-भर क बात करतीं
। बात म छोट से
छोट और बड़
सेबड़ कस तरह क बात करती थीं
, यह वह समझ सकता हैजसनेकभी दो अिभ न सहे
िलय क एका त वाता
सु
नी हो। गािलब क शायर सेले
कर, उनकेछोटेभाई हसरत नेएक कुेका प ला पाला है
, यह गे
सूसु
नाया करती
थी और शरत केउप यास से
लेकर यह क उसक मािलन नेिगलट का कड़ा बनवाया है
, यह सु
धा बताया करती थी।
दोन अपने
-अपनेमन क बात एक-दस
ूरेको बता डालती थींऔर जतना भावु
क, यारा, अनजान और सु
कु
मार दोन
का मन था, उतनी ह भावु
क और सु
कु
मार दोन क बात। हाँभावु
क, सु
कु
मार दोन ह थीं
, ले
कन दोन म एक अ तर
था। गे
सूशायर होतेहु
ए भी इस दिु
नया क थी और सु
धा शायर न होतेहु
ए भी क पनालोक क थी। गे
सूअगर
झा ड़य म सेकु
छ फू
ल चु
नती तो उ ह सू

ँती, उ ह अपनी चोट म सजाती और उन पर च द शे
'र कहनेकेबाद भी
उ ह माला म परोकर अपनी कलाई म लपे
ट ले
ती। सु
धा लतर केबीच म िसर रखकर ले
ट जाती और िनिनमे
ष पलक
सेफू
ल को दे
खती रहती और आँ
ख सेन जाने या पीकर उ ह उ ह ंक डाल पर फू
लता हु
आ छोड़ दे
ती। गे
सूहर
चीज का उिचत इ ते
माल जानती थी, कसी भी चीज को पस द करने
या यार करनेकेबाद अब उसका या उपयोग
है
, या मक यथाथ जीवन म उसका या थान है
, यह गे
सूखू
ब समझती थी। ले
कन सु
धा कसी भी फू
ल केजाद ू

बँ
ध जाना चाहती थी, उसी क क पना म डू
ब जाना जानती थी, ले
कन उसकेबाद सु
धा को कु
छ नह ंमालू
म था। गे
सू
क क पना और भावु
क सूमता शायर म य हो जाती थी, अत: उसक जं
दगी म काफ यावहा रकता और यथाथ
था, ले
कन सु
धा, जो शायर िलख नह ंसकती थी, अपने वभाव और गठन म खु
द ह एक मासू
म शायर बन गयी
थी। वह भी पछले
दो साल म तो सचमु
च ह इतनी ग भीर, सु
कु
मार और भावनामयी बन गयी थी क लगता था क
सू
र केगीत से
उसके य व केरे
शेबु
न गये
ह।
लड़ कयाँ
, गे
सूऔर सु
धा केइस वभाव और उनक अिभ नता सेवा कफ थीं
। और इसिलए जब आज सु
धा क
मोटर आकर सायबान म क और उसम से
सुधा और गे
सूहाथ म फाइल िलयेउतर ंतो कािमनी ने
हँसकर भा से
कहा, ''लो, च दा-सू
र ज क जोड़ आ गयी!'' सु
धा नेसु
न िलया। मु
सकराकर गे
सूक ओर फर कािमनी और भा क
ओर दे
खकर हँ
स द । सु
धा बहु
त कम बोलती थी, ले
कन उसक हँ
सी नेउसे
खुशिमजाज सा बत कर रखा था और वह
सभी क यार थी। भा ने
आकर सु
धा केगलेम बाँ
ह डालकर कहा, ''गे
सूबानो, थोड़ दे
र केिलए सु
धारानी को हम
देदो। जरा कल केनो स उतारने
ह इनसे
पूछकर।''

गे
सूहँ
सकर बोली, ''उसकेपापा से
तय कर ले
, फर तूजं
दगी भर सु
धा को पाल-पोस, मु
झे या करना है
।''

जब सु
धा भा केसाथ चली गयी तो गे
सूनेकािमनी केक धेपर हाथ रखा और कहा, ''क मो रानी, अब तो
तुह ंहमारेह से
म पड़ , आओ। चलो, दे
ख लतर म कुद ह?''

''कुद तो नह ं
, अब चने
का खे
त ह रया आया है
।'' क मो बोली।

गृ
ह- व ान का पी रयड था और िमस उमालकर पढ़ा रह थीं
। बीच क कतार क एक बच पर कािमनी, भा, गे
सू
और सु
धा बै
ठ थीं
। ह सा बाँ
ट अभी तक कायम था, अत: कािमनी केबगल म गे
स,ूगे
सूकेबगल म भा और भा
केबाद बच केकोने
पर सु
धा बै
ठ थी। िमस उमालकर रोिगय केखान-पान केबारेम समझा रह थीं
। मे
ज केबगल
म खड़ हु
ई, हाथ म एक कताब िलये
हुए, उसी पर िनगाह लगायेवह बोलती जा रह थीं
। शायद अँ
गरे
जी क कताब
म जो कु
छ िलखा हु
आ था, उसी का ह द म उ था करते
हुए बोलती जा रह थीं
, ''आलू
एक नु
कसानदे
ह तरकार है
,
रोग क हालत म। वह खुक होता है
, गरम होता हैऔर हजम मुकल से
होता है
...।''

सहसा गे
सूने
एकदम बीच से
पूछा, ''गुजी, गाँ
धी जी आलू
खाते
ह या नह ं
?'' सभी हँ
स पड़े

िमस उमालकर नेबहु


त गुसेसेगे
सूक ओर दे
खा और डाँ
टकर कहा, '' हाइ टॉक ऑव गाँ
धी? आई वा ट नो
पोिल टकल ड शन इन लास। (गाँ
धी से या मतलब? म दज म राजनीितक बहस नह ंचाहती।)'' इस पर तो सभी
लड़ कय क दबी हु
ई हँ
सी फू
ट पड़ । िमस उमालकर झ ला गयींऔर मे
ज पर कताब पटकतेहु
ए बोलीं
, ''साइले

(खामोश)!'' सभी चु
प हो गये
। उ ह नेफर पढ़ाना शु कया।

'' जगर केरोिगय केिलए हर तरका रयाँबहु


त फायदे
म द होती ह। लौक , पालक और हर क म केहरेसाग
त द ु ती केिलए बहु
त फायदे
म द होते
ह।''

सहसा भा ने
कुहनी मारकर गे
सूसे
कहा, ''ले
, फर या है
, िनकाल चने
का हरा साग, खा-खाकर मोटेह िमस
उमालकर केघं
टेम!''

गे
सूने
अपने
कुरते
क जे
ब से
बहु
त-सा साग िनकालकर कािमनी और भा को दया।

िमस उमालकर अब श कर केहािन-लाभ बता रह थीं


, ''ल बेरोग केबाद रोगी को श कर कम दे
नी चा हए।
दध
ू या साबू
दाने
म ताड़ क िम ी िमला सकते
ह। दध
ू तो लू
कोज केसाथ बहु
त वा द लगता है
।''

इतनेम जब तक सु
धा केपास साग पहु

चा क फौरन िमस उमालकर ने
देख िलया। वह समझ गयीं
, यह शरारत
गे
सूक होगी, ''िमस गे
स,ूबीमार क हालत म दध
ू काहेकेसाथ वा द लगता है
?''

इतने
म सु
धा केमु

ँ से
िनकला, ''साग काहेकेसाथ खाएँ
?'' और गे
सूने
कहा, ''नमक केसाथ!''

''हू

? नमक केसाथ?'' िमस उमालकर ने
कहा, ''बीमार म दध
ू नमक केसाथ अ छा लगता है
। खड़ हो! कहाँथा
यान तुहारा?''

गे
सूस न। िमस उमालकर का चे
हरा मारेगुसे
केलाल हो रहा था।

'' या बात कर रह थींतु


म और सु
धा?''

गे
सूस न!

''अ छा, तु
म लोग लास केबाहर जाओ, और आज हम तुहारेगा जयन को खत भे
जगे
। चलो, जाओ बाहर।''

सु
धा ने
कुछ मु
सकराते
हुए भा क ओर दे
खा और भा हँ
स द । गे
सूने
देखा क िमस उमालकर का पारा और
भी चढऩेवाला हैतो वह चु
पचाप कताब उठाकर चल द । सु
धा भी पीछे
-पीछेचल द । कािमनी नेकहा, ''खत-वत
भे
जती रहना, सु
धा!'' और लास ठठाकर हँ
स पड़ । िमस उमालकर गुसे
सेनीली पड़ गयीं
, '' लास अब ख म होगी।''
और र ज टर उठाकर चल द ं
। गे
सूअभी अ दर ह थी क वह बाहर चली गयींऔर उनकेजरा दरूपहु

चते
ह गे
सूने
बड़ अदा सेकहा, ''बड़ेबे
आब होकर ते
रेकू
चेसेहम िनकले
!'' और सार लास फर हँ
सी सेगू

ज उठ । लड़ कयाँ
िच ड़य क तरह फु
र हो गयींऔर थोड़ ह दे
र म सु
धा और गे
सूबै
डिमं
टन फ ड केपास वालेछतनार पाकड़ केनीचे
ले
ट हु
ई थीं

बड़ खु
शनु
मा दोपहर थी। खु
शबू
सेलदेह के
-ह केझ केगे
सूक ओढ़नी और गरारेक िसलवट से
आँखिमचौली
खे
ल रहेथे
। आसमान म कु
छ ह के पहले
बादल उड़ रहेथेऔर जमीन पर बादल क साँ
वली छायाएँदौड़ रह थीं

घास केल बे
-चौड़ेमै
दान पर बादल क छायाओंका खे
ल बड़ा मासू
म लग रहा था। जतनी दरूतक छाँ
ह रहती थी,
उतनी दरूतक घास का रं
ग गहरा काह हो जाता था, और जहाँ
-जहाँबादल सेछनकर धू
प बरसने
लगती थी वहाँ
-वहाँ
घास सु
नहरेधानी रं
ग क हो जाती थी। दरू कह ंपर पानी बरसा था और बादल ह केहोकर खरगोश केमासू

व छ द ब च क तरह दौड़ रहेथे
। सु
धा आँ
ख पर फाइल क छाँ
ह कये
हुए बादल क ओर एकटक दे
ख रह थी।
गे
सूने
उसक ओर करवट बदली और उसक वे
णी म लगेहु
ए रे
शमी फ ते
को उँ
गली म उमे
ठते
हुए एक ल बी-सी साँ

भरकर कहा-

बादशाह क मु
अ र वाबगाह म कहाँ

वह मजा जो भीगी-भीगी घास पर सोने


म है
,

मु
तमइन बे
फ लोग क हँ
सी म भी कहाँ

लु
फ जो एक-दस
ूरेको दे
खकर रोने
म है

सु
धा ने
बादल से
अपनी िनगाह नह ंहटायी, बस एक क ण सपनीली मु
सकराहट बखे
र कर रह गयी।
या दे
ख रह है
, सु
धा?'' गे
सूने
पूछा।

''बादल को दे
ख रह हू

।'' सु
धा नेबे
होश आवाज म जवाब दया। गे
सूउठ और सु
धा क छाती पर िसर रखकर
बोली-

कै
फ बरदोश, बादल को न दे
ख,

बे
खबर, तू
न कु
चल जाय कह ं
!

और सु
धा केगाल म जोर क चु
टक काट ली। ''हाय रे
!'' सु
धा ने
चीखकर कहा और उठ बै
ठ , ''वाह वाह! कतना
अ छा शे
र है
! कसका है
?''

''पता नह ंकसका है
।'' गे
सूबोली, ''ले
कन बहु
त सच हैसु
धी, आ माँकेबादल केदामन म अपने वाब टाँ

ले
ना और उनकेसहारेजं
दगी बसर करनेका खयाल हैतो बड़ा नाजु
क, मगर रानी बड़ा खतरनाक भी है
। आदमी बड़
ठोकर खाता है
। इससे
तो अ छा हैक आदमी को नाजु
कखयाली से
सा बका ह न पड़े
। खाते
-पीते
, हँ
सते
-बोलते
आदमी
क जं
दगी कट जाए।''

सु
धा ने
अपना आँ
चल ठ क कया, और लट म सेघास केितनकेिनकालतेहु
ए कहा, ''गे
स,ूअगर हम लोग को
भी शाद - याह केझं
झट म न फँ
सना पड़ेऔर इसी तरह दन कटतेजाएँतो कतना मजा आए। हँ
सते
-बोलते
, पढ़ते
-
िलखते
, घास म ले
टकर बादल सेयार करते
हुए कतना अ छा लगता है
, ले
कन हम लड़ कय क जं
दगी भी या! म
तो सोचती हू
ँगे
स;ूकभी याह ह न क ँ
। हमारेपापा का यान कौन रखे
गा?''

गे
सूथोड़ दे
र तक सु
धा क आँ
ख म आँ
ख डालकर शरारत-भर िनगाह सेदे
खती रह और मु
सकराकर बोली,
''अरे
, अब ऐसी भोली नह ंहो रानी तु
म! ये
शबाब, ये
उठान और याह नह ंकरगी, जोगन बनगी।''

''अ छा, चल हट बे
शरम कह ंक , खु
द याह करने
क ठान चु
क हैतो दिु
नया-भर को य तोहमत लगाती है
!''

''म तो ठान ह चु
क हू

, मे
र ा या! क तो तु
म लोग क हैक याह नह ंहोता तो ले
टकर बादल दे
खती ह।''
गे
सूने
मचलते
हुए कहा।

''अ छा अ छा,'' गे
सूक ओढ़नी खीं
चकर िसर केनीचेरखकर सु
धा ने
कहा, '' या हाल हैते
रेअ तर िमयाँका?
मँ
गनी कब होगी ते
र ?''

''मँ
गनी या, कसी भी दन हो जाय, बस फू
फ जान केयहाँआने
-भर क कसर है
। वै
सेअ मी तो फू
ल क बात
उनसेचला रह थीं
, पर उ ह नेमे
रेिलए इरादा जा हर कया। बड़ेअ छेह, आतेह तो घर-भर म रोशनी छा जाती
है
।'' गे
सूने
बहु
त भोले
पन से
गोद म सु
धा का हाथ रखकर उसक उँ
गिलयाँिचटकाते
हुए कहा।

''वे
तो ते
रेचचाजाद भाई ह न? तु
झसे
तो पहले
उनसे
बोल-चाल रह होगी।'' सु
धा ने
पूछा।

''हाँ
-हाँ
, खू
ब अ छ तरह से
। मौलवी साहब हम लोग को साथ-साथ पढ़ाते
थेऔर जब हम दोन सबक भू
ल जाते
थेतो एक-दस
ूरेका कान पकडक़र साथ-साथ उठते
-बै
ठते
थे।'' गे
सूकु
छ झपते
हुए बोली।
सु
धा हँ
स पड़ , ''वाह रे
! म
े क इतनी विच शुआत मनेकह ंनह ंसु
नी थी। तब तो तु
म लोग एक-दस
ूरेका
कान पकडऩे
केिलए अपने
-आप सबक भू
ल जाते
ह गे
?''

''नह ंजी, एक बार फर पढक़र कौन सबक भू


लता हैऔर एक बार सबक याद होने
केबाद जानती हो इ क म
या होता है
-

मकतबे
इ क म इक ढं
ग िनराला दे
खा,

उसको छुट न िमली जसको सबक याद हु


आ"

''खै
र , यह सब बात जाने
देसु
धा, अब तू
कब याह करे
गी?''

''ज द ह क ँ
गी।'' सु
धा बोली।

'' कससे
?''

''तु
झसे
।'' और दोन खल खलाकर हँ
स पड़ ं

बादल हट गयेथेऔर पाकड़ क छाँ


ह को चीरते
हुए एक सु
नहली रोशनी का तार झलिमला उठा। हँ
सते
व गे
सू
केकान केटॉप चमक उठेऔर सु
धा का यान उधर खं
च गया। ''ये
कब बनवाया तू
न?
े''

''बनवाया नह ं
।''

''तो उ ह नेदये
ह गे
, य ?''

गे
सूने
शरमाकर िसर हला दया।

सु
धा ने छू
उठकर हाथ से ते
हुए कहा, '' कतने
सुदर कमल ह! वाह! य , गे
स!ूतू
नेसचमु
च केकमल दे
खेह?''

''न।''

''मने
देखेह।''

''कहाँ
?''

''असल म पाँ
च-छह साल पहलेतक तो म गाँ
व म रहती थी न! ऊँ
चाहार केपास एक गाँ
व म मे
र बु
आ रहती ह
न, बचपन सेम उ ह ंकेपास रहती थी। पढ़ाई क शुआत मनेवह ंक और सातवींतक वह ंपढ़ । तो वहाँमे
रे
कू
ल केपीछेकेपोखरेम बहु
त-सेकमल थे
। रोज शाम को म भाग जाती थी और तालाब म घु
सकर कमल तोड़ती
और घर सेबु
आ एक ल बा-सा स टा ले
कर गािलयाँदे
ती हु
ई आती थींमु
झेपकड़नेकेिलए। जहाँवह कनारेपर
पहु

चतींतो म कहती, अभी डू
ब जाएँ
गेबु
आ, अभी डू
बे
, तो बहु
त रबड़ -मलाई क लालच दे
कर वह िम नत करतीं
-िनकल
आओ, तो म िनकलती थी। तु
मने
तो कभी दे
खा नह ंहोगा हमार बु
आ को?''

''न, तू
नेकभी दखाया ह नह ं
।''
''इधर बहु
त दन सेआयींह नह ंवे
। आएँ
गी तो दखाऊँ
गी तु
झे
। और उनक एक लड़क है
। बड़ यार , बहु

मजेक है
। उसे
देखकर तो तु
म उसे
बहु
त यार करोगी। वो तो अब यह ंआने
वाली है
। अब यह ंपढ़े
गी।''

'' कस दज म पढ़ती है
?''

'' ाइवे
ट वदष
ुी म बै
ठे
गी इस साल। खू
ब गोल-मटोल और हँ
समु
ख है
।'' सु
धा बोली।

इतने
म घं
टा बोला और गे
सूने
सुधा केपै
र केनीचेदबी हु
ई अपनी ओढ़नी खीं
ची।

''अरे
, अब आ खर घं
टेम जाकर या पढ़ोगी! हा जर कट ह गयी। अब बै
ठो यह ंबातचीत कर, आराम कर।''
सु
धा नेअलसाये वर म कहा और खड़ होकर एक मदमाती हु
ई अँ
गड़ाई ली-गे
सूनेहाथ पकडक़र उसेबठा िलया
और बड़ ग भीरता सेकहा, ''दे
खो, ऐसी अरसौह ंअँ
गड़ाई न िलया करो, इससेलोग समझ जातेह क अब बचपन
करवट बदल रहा है
।''

''धत!''
् बे
हद झपकर और फाइल म मु

ँ िछपाकर सु
धा बोली।

''लो, तु
म मजाक समझती हो, एक शायर ने
तुहार अँ
गड़ाई केिलए कहा है
-

कौन ये
लेरहा हैअँ
गड़ाई

आसमान को नीं
द आती है
''

''वाह!'' सु
धा बोली, ''अ छा गे
स,ूआज बहु
त-से
शेर सु
नाओ।''

''सु
नो-

इक रदाये
तीरगी हैऔर खाबे
कायनात

डू
बते
जाते
ह तारे
, भीगती जाती हैरात!''

''पहली लाइन के या मतलब ह?'' सु


धा ने
पूछा।

'' रदाये
तीरगी केमाने
ह अँ
धे
रेक चादर और खाबे
कायनात केमाने
ह जं
दगी का सपना-अब फर सु
नो शे
र-

इक रदाये
तीरगी हैऔर खाबे
कायनात

डू
बते
जाते
ह तारे
, भीगती जाती हैरात!''

''वाह! कतना अ छा है
-अ धकार क चादर है
, जीवन का व न है
, तारेडू
बते
जाते
ह, रात भीगती जाती है
...गे
स,ू
उद ू
क शायर बहु
त अ छ है
।''

''तो तू
खुद उद ू य नह ंपढ़ ले
ती?'' गे
सूने
कहा।

''चाहती तो बहु
त हू

, पर िनभ नह ंपाता!''
'' कसी दन शाम को आओ सु
धा तो अ मीजान से
तुझेशे
र सु
नवाएँ
। यह ले
तेर मोटर तो आ गयी।''

सु
धा उठ , अपनी फाइल उठायी। गे
सूनेअपनी ओढऩी झाड़ और आगेचली। पास आकर उचककर उसने
िं
सपल का म दे
खा। वह खाली था। उसने
दाई को खबर द और मोटर पर बै
ठ गयी।

गे
सूबाहर खड़ थी। ''चल तू
भी न!''

''नह ं
, म गाड़ पर चली जाऊँ
गी।''

''अरेचलो, गाड़ साढ़ेचार बजेजाएगी। अभी घं


टा-भर है
। घर पर चाय पएँ
गे
, फर मोटर पहु

चा दे
गी। जब तक
पापा नह ंह, तब तक जतना चाहो कार िघसो!''

गे
सूभी आ बै
ठ और कार चल द ।

दस
ूरेदन जब च दर डॉ. शुला केयहाँिनब ध क ितिल प ले
कर पहु

चा तो आठ बज चु
केथे
। सात बजेतो
च दर क नीं
द ह खु
ली थी और ज द सेवह नहा-धोकर साइ कल दौड़ाता हु
आ भागा था क कह ंभाषण क
ितिल प पहु

चने
म दे
र न हो जाए।

जब वह बँ
गले
पर पहु

चा तो धू
प फै
ल चु
क थी। अब धू
प भली नह ंमालू
म दे
ती थी, धू
प क ते
जी बदा त केबाहर
होनेलगी थी, ले
कन सु
धा नीलकाँ
टेकेऊँ
चे
-ऊँ
चेझाड़ क छाँ
ह म एक छोट -सी कु
रसी डालेबै
ठ थी। बगल म एक
छोट -सी मे
ज थी जस पर कोई कताब खु
ली हु
ई रखी थी, हाथ म ोिशया थी और उँ
गिलयाँएक नाजु
क ते
जी से
डोरे
सेउलझ-सु
लझ रह थीं
। ह केबादामी रं
ग क इकलाई क लहराती हु
ई धोती, नारं
गी और काली ितरछ धा रय का
कलफ कया चुत लाउज और एक क धेपर उभरा एक उसका पफ ऐसा लग रहा था जै
सेक बाँ
ह पर कोई रं
गीन
िततली आकर बै
ठ हु
ई हो और उसका िसफ एक पं
ख उठा हो! अभी-अभी शायद नहाकर उठ थी य क शरद क
खु
शनु
मा धू
प क तरह हलकेसु
नहलेबाल पीठ पर लहरा रहेथे
। नीलकाँ
टेक टहिनयाँउनको सु
नहली लहर समझकर
अठखे
िलयाँकर रह थीं

च दर क साइ कल जब अ दर दख पड़ तो सु
धा नेउधर दे
खा ले
कन कु
छ भी न कहकर फर अपनी ोिशया
बु
ननेम लग गयी। च दर सीधा पो टको म गया और अपनी साइ कल रखकर भीतर चला गया डॉ. शुला केपास।
टड - म म, बै
ठक म, सोनेकेकमरेम कह ंभी डॉ. शुला नजर नह ंआये
। हारकर वह बाहर आया तो दे
खा मोटर
अभी गै
र ज म है
। तो वे
जा कहाँसकते
? और सु
धा को तो दे
खए! या अकड़़
ी हु
ई हैआज, जै
सेच दर को जानती ह
नह ं
। च दर सु
धा केपास गया। सु
धा का मु

ँ और भी लटक गया।

''डॉ टर साहब कहाँह?'' च दर ने


पूछा।

''हम या मालू
म?'' सु
धा ने ोिशया पर सेबना िनगाह उठाये
जवाब दया।

''तो कसेमालू
म होगा?'' च दर नेडाँ
टतेहु
ए कहा, ''हर व का मजाक हम अ छा नह ंलगता। काम क बात
का उसी तरह जवाब दे
ना चा हए। उनकेिनब ध क िल प दे
नी हैया नह ं
!''
''हाँ
-हाँ
, दे
नी हैतो म या क ँ
? नहा रहेह गे
। अभी कोई येतो हैनह ंक तु
म िनब ध क िल प लायेहो तो
कोई नहाये
-धोयेन, बस सु
बह सेबै
ठा रहेक अब िनब ध आ रहा है
, अब आ रहा है
!'' सु
धा नेमु

ँ बनाकर आँ

नचाते
हुए कहा।

''तो सीधे य नह ंकहती क नहा रहेह।'' च दर नेसु


धा केगुसेपर हँ
सकर कहा। च दर क हँ
सी पर तो
सु
धा का िमजाज और भी बगड़ गया और अपनी ोिशया उठाकर और कताब बगल म दबाकर, वह उठकर अ दर
चल द । उसकेउठतेह च दर आराम सेउस कु
रसी पर बै
ठ गया और मे
ज पर टाँ
ग फै
लाकर बोला-''आज मु
झेबहु

गुसा चढ़ा है
, खबरदार कोई बोलना मत!''

सु
धा जाते
-जाते
मुडक़र खड़ हो गयी।

''हमने
कह दया च दर एक बार क हम ये
सब बात अ छ नह ंलगतीं
। जब दे
खो तु
म िचढ़ाते
रहते
हो!'' सु
धा ने
गुसे
सेकहा।

''नह ं
! िचढ़ाएँ
गेनह ंतो पू
जा करगे
! तु
म अपने
मौकेपर छोड़ दे
ती हो!'' च दर ने
उसी लापरवाह से
कहा।

सु
धा गयी नह ं
। वह ंघास पर बै
ठ गयी और कताब खोलकर पढऩे
लगी। जब पाँ
च िमनट तक वह कु
छ नह ंबोली
तो च दर ने
सोचा आज बात कु
छ ग भीर है

''सु
धा!'' उसने
बड़ेदल
ुार से
पुकारा। ''सु
धा!''

सु
धा ने
कुछ नह ंकहा मगर दो बड़े
-बड़ेआँ
सूटप से
नीचेकताब पर िगर गये

''अरे या बात हैसु


धा, नह ंबताओगी?''

''कु
छ नह ं
।''

''बता दो, तुह हमार कसम है


।''

''कल शाम को तु
म आये
नह ं
...'' सु
धा रोनी आवाज म बोली।

''बस इस बात पर इतनी नाराज हो, पागल!''

''हाँ
, इस बात पर इतनी नाराज हू

! तु
म आओ चाहेहजार बार न आओ; इस पर हम य नाराज ह गे
! बड़ेकह ं
केआये
, नह ंआएँ
गेतो जै
सेहमारा घर-बार नह ंहै
। अपनेको जाने या समझ िलया है
!'' सु
धा नेिचढक़र जवाब
दया।

''अरेतो तुह ंतो कह रह थी, भाई।'' च दर ने


हँसकर कहा।

''तो बात पू
र भी सु
नो। शाम को गे
सूका नौकर आया था। उसकेछोटेभाई हसरत क सालिगरह थी। सु
बह
'कु
रानखानी' होने
वाली थी और उसक माँने
बुलाया था।''
''तो गयी य नह ं
?''

''गयी य नह ं
! कससे
पूछकर जाती? आप तो इस व आ रहेह जब सब ख म हो गया!'' सु
धा बोली।

''तो पापा सेपू


छ केचली जाती!'' च दर नेसमझाकर कहा, ''और फर गे
सूकेयहाँतो य अकसर जाती हो
तु
म!''

''तो? आज तो डा स भी करने
केिलए कहा था उसने
। फर बाद म तु
म कहते
, 'सु
धा, तुह ये
नह ंकरना चा हए,
वो नह ंकरना चा हए। लड़ कय को ऐसे
रहना चा हए, वै
सेरहना चा हए।' और बै
ठ केउपदे
श पलाते
और नाराज होते

बना तु
मसे
पूछेहम कह ंिसने
मा, पकिनक, जलस म गये
ह कभी?'' और फर आँ
सूटपक पड़े

''पगली कह ंक ! इतनी-सी बात पर रोना या? कसी केहाथ कु


छ उपहार भे
ज दो और फर कसी मौकेपर
चली जाना।''

''हाँ
, चली जाना! तुह कहते या लगता है
! गे
सूनेकतना बु
र ा माना होगा!'' सु
धा नेबगड़तेहु
ए ह कहा।
''इ तहान आ रहा है
, फर कब जाएँ
गे
?''

''कब हैइ तहान तुहारा?''

''चाहेजब हो! मु
झेपढ़ाने
केिलए कहा कसी से
?''

''अरेभू
ल गये
! अ छा, आज दे
खो कहगे
!''

''कहगे
-कहगेनह ं
, आज दोपहर को आप बु
ला लाइए, वरना हम सब कताब म लगायेदे
तेह आग। समझेक
नह ं
!''

''अ छा-अ छा, आज दोपहर को बु


ला लाएँ
गे
। ठ क, अ छा याद आया बस रया सेकहू

गा तुह पढ़ानेकेिलए।
उसे पये
क ज रत भी है छु
।'' च दर ने टकारेका कोई रा ता न पाकर कहा।

''आज दोपहर को ज र से
।'' सु
धा नेफर आँ
ख नचाकर कहा। ''लो, पापा आ गये
नहाकर, जाओ!''

च दर उठा और चल दया। सु
धा उठ और अ दर चली गयी।

डॉ. शुला ह के
-साँ
वले
रं
ग केजरा थू
लकाय-से
थे। बहु
त ग भीर अ ययन और अ यापन और उ केसाथ-साथ
ह उनक न ता और भी बढ़ती जा रह थी।

ले
कन वे
लोग सेिमलते
-जु
लते
कम थे
। य गत दो ती उनक कसी सेनह ंथी। ले
कन उ र भारत के मु

व ान ्
होनेकेनातेका ेस म, मौ खक पर ाओंम, सरकार कमे
टय म वेबराबर बु
लायेजातेथेऔर इसम
मु
ख दलच पी सेह सा ले
तेथे
। ऐसी जगह म च दर अ सर उनका मु
ख सहायक रहता था और इसी नाते
च दर
भी ा त केबड़े
-बड़ेलोग से
प रिचत हो गया था। जब वह एम. ए. पास हु
आ था तब से
फाइने
स वभाग म उसे
कई
बार ऊँ
चे
-ऊँ
चेपद का 'ऑफर' आ चु
का था ले
कन डॉ. शुला इसके खलाफ थे
। वेचाहते
थेक पहलेवह रसच पू

कर ले
। स भव हो तो वदे
श हो आये
, तब चाहेकु
छ काम करे
। अपनेय गत जीवन म डॉ. शुला अ त वरोध के
य थे
। पा टय म मु
सलमान और ईसाइय केसाथ खानेम उ ह कोई एतराज नह ंथा ले
कन क चा खाना वे
चौके
म आसन पर बै
ठकर, रे
शमी धोती पहनकर खातेथे
। सरकार को उ ह नेसलाह द क साधु
ओंऔर सं
यािसय को
जबरद ती काम म लगाया जाए और म दर क जायदाद ज त कर ली जाएँ
, ले
कन सु
बह घं
टे
-भर तक पू
जा ज र
करतेथे
। पू
जा-पाठ, खान-पान, जात-पाँ
त केप केहामी, ले
कन य गत जीवन म कभी यह नह ंजाना क उनका
कौन िश य ा ण है
, कौन बिनया, कौन ख ी, कौन काय थ!

नहाकर वेआ रहेथेऔर दग


ुास शती का कोई ोक गु
नगु
ना रहेथे
। कपू
र को दे
खा तो क गयेऔर बोले
,
''है
लो, हो गया वह टाइप!''

''जी हाँ
।''

''कहाँकराया टाइप?''

''िमस ड ू
ज केयहाँ
।''

''अ छा! वह लड़क अ छ है


। अब तो बहु
त बड़ हु
ई होगी? अभी शाद नह ंहु
ई? मनेतो सोचा वह िमले
या न
िमले
!''

''नह ं
, वह यह ंहै
। शाद हु
ई। फर तलाक हो गया।''

''अरे
! तो अके
लेरहती है
?''

''नह ं
, अपने
भाई केसाथ है
, बट केसाथ!''

''अ छा! और बट क प ी अ छ तरह है


?''

''वह मर गयी।''

''राम-राम, तब तो घर ह बदल गया होगा।''

''पापा, पू
जा केिलए सब बछा दया है
।'' सहसा सु
धा बोली।

''अ छा बे
ट , अ छा च दर, म पू
जा कर आऊँज द से
। तु
म चाय पी चु
के
?''

''जी हाँ
।''

''अ छा तो मे
र मे
ज पर एक चाट है
, जरा इसको ठ क तो कर दो तब तक। म अभी आया।''

च दर टड - म म गया और मे
ज पर बै
ठ गया। कोट उतारकर उसनेखू

ट पर टाँ
ग दया और न शा दे
खने
लगा। पास म एक छोट -सी चीनी क याली म चाइना इं
क रखी थी और मे
ज पर पानी। उसनेदो बू

ँ पानी डालकर
चाइना इं
क िघसनी शु क , इतनेम सु
धा कमरेम दा खल, ''ऐ सु
नो!'' उसनेचार ओर दे
खकर बड़ेसशं
कत वर म
कहा और फर झु
ककर च दर केकान केपास मु

ँ लगाकर कहा, ''चावल क नानखटाई खाओगे
?''

''ये या बला है
?'' च दर ने
इंक िघसते
-िघसते
पूछा।

''बड़ अ छ चीज होती है


; पापा को बहु
त अ छ लगती है
। आज हमनेसु
बह अपनेहाथ सेबनायी थी। ऐं
,
खाओगे
?'' सु
धा ने
बड़ेदल
ुार से
पूछा।

''ले
आओ।'' च दर ने
कहा।

''ले
आये
हम, लो!'' और सु
धा ने
अपने
आँचल म िलपट हु
ई दो नानखटाई िनकालकर मे
ज पर रख द ।

''अरेत तर म य नह ंलायी? सब धोती म घी लग गया। इतनी बड़ हो गयी, शऊर नह ंजरा-सा।'' च दर ने


बगडक़र कहा।

''िछपा करकेलायेह, फर येसकर होती ह क नह ं


? चौकेकेबाहर कै
सेलाते
! तुहारेिलयेतो लायेह और
तुह ंबगड़ रहेहो। अ धेको नोन दो, अ धा कहेमे
र आँ
ख फोड़ ं
।'' सु
धा ने
मुह
ँ बनाकर कहा, ''खाना हैक नह ं
?''

''हाथ म तो हमारे याह लगी है


।'' च दर बोला।

''हम अपने
हाथ से
नह ंखलाएँ
गे
, हमारा हाथ जू
ठा हो जाएगा और राम राम! पता नह ंतु
म रेतराँम मु
सलमान
केहाथ का खाते
होगे
। थू
-थू
!''

च दर हँ
स पड़ा सु
धा क इस बात पर और उसनेपानी म हाथ डु
बोकर बना पू
छेसु
धा केआँ
चल म हाथ प छ
दये याह केऔर बे
तक लु
फ से
नानखटाई उठाकर खाने
लगा।

''बस, अब धोती का कनारा रं


ग दया और यह पहनना हैहम दनभर।'' सु
धा नेबगडक़र कहा।

''खु
द नानखटाई िछपाकर लायी और घी लग गया तो कु
छ नह ंऔर हमने याह प छ द तो मु

ँ बगड़ गया।''
च दर ने
मैपं
ग पे
न म इं
क लगाते
हुए कहा।

''हाँ
, अभी पापा दे
ख तो और बगड़ क धोती म घी, याह सब लगायेरहती है
। तुह या?'' और उसने याह
लगा हु
आ छोर कसकर कमर म ख स िलया।

''िछह, वह घी म तर छोर कमर म ख स िलया। ग द कह ंक !'' च दर ने


चाट क लाइन ठ क करते
हुए कहा।

''ग द ह तो, तु
मसे
मतलब!'' और मु

ँ िचढ़ाते
हुए सु
धा कमरेसे
बाहर चली गयी।

च दर चु
पचाप बै
ठा चाट द ु त करता रहा। उ र दे
श केपू
व जला-बिलया, आजमगढ़, ब ती, बनारस आ द म
ब च क मृ
यु-संया का ाफ बनाना था और एक ओर उनकेन शे
पर ब दओ
ुंक एक सघनता सेमृ
यु-संया का
िनदश करना था। च दर क एक आदत थी वह काम म लगता था तो भू
त क तरह लगता था। फर उसे
द न-दिु
नया,
कसी क खबर नह ंरहती थी। खाना-पीना, तन-बदन, कसी का होश नह ंरहता था। इसका एक कारण था। च दर
उन लड़क म सेथा जनक जं
दगी बाहर सेबहु
त ह क -फुक होतेहु
ए भी अ दर सेबहु
त ग भीर और अथमयी
होती है
, जनकेसामने
एक प उ ेय, एक ल य होता है
। बाहर सेचाहेजै
सेहोनेपर भी अपनेआ त रक स य के
ित घोर ईमानदार यह इन लोग क वशे नया के ित अग भीर और उ छृ
षता होती हैऔर सार दिु ं
खल होने
पर भी
जो चीज इनक ल यप रिध म आ जाती ह, उनके ित उनक ग भीरता, साधना और पू
जा बन जाती है
। इसिलए बाहर
सेइतना य वाद और सार दिु
नया के ित िनरपे और लापरवाह दख पडऩेपर भी वह अ तरतम से
समाज और
यु
ग और अपनेआसपास केजीवन और य य के ित अपनेको बे
हद उ रदायी अनु
भव करता था। वह दे
शभ भी
था और शायद समाजवाद भी, पर अपनेतर केसे
। वह ख र नह ंपहनता था, कांे
स का सद य नह ंथा, जे
ल नह ं
गया था, फर भी वह अपनेदे
श को यार करता था। बे
हद यार। उसक दे
शभ , उसका समाजवाद, सभी उसके
अ ययन और खोज म समा गया था। वह यह जानता था क समाज केसभी त भ का थान अपना अलग होता है

अगर सभी म दर केकं
गू
रेका फू
ल बनने
क कोिशश करनेलग तो नीं
व क ट और सीढ़ का प थर कौन बने
गा?
और वह जानता था क अथशा वह प थर हैजस पर समाज केसारेभवन का बोझ है
। और उसने
िन य कया था
क अपनेदे
श, अपनेयु
ग केआिथक पहलूको वह खू
ब अ छ तरह सेअपनेढं
ग सेव े
षण करकेदे
खे
गा और उसे
आशा थी क वह एक दन ऐसा समाधान खोज िनकाले
गा क मानव क बहु
त-सी सम याएँहल हो जाएँ
गी और
आिथक और राजनीितक े म अगर आदमी खू

खार जानवर बन गया हैतो एक दन दिु
नया उसक एक आवाज पर
दे
वता बन सके
गी। इसिलए जब वह बै
ठकर कानपु
र क िमल केमजदरू केवे
तन का चाट बनाता था, या उपयु
साधन केअभाव म मर जानेवाली गर ब औरत और ब च का ले
खा-जोखा करता था तो उसकेसामनेअपना
कैरयर, अपनी ित ा, अपनी ड ी का सपना नह ंहोता था। उसकेमन म उस व वै
सा स तोष होता था जो कसी
पु
जार केमन म होता है
, जब वह अपनेदे
वता क अचना केिलए धू
प, द प, नै
वे सजाता है
। ब क च दर थोड़ा
भावु
क था, एक बार तो जब च दर नेअपनेरसच केिसलिसलेम यह पढ़ा क अँ
गरे
ज नेअपनी पू

ँी लगानेऔर
अपना यापार फै
लाने
केिलए कस तरह मु
िशदाबाद से
लेकर रोहतक तक ह द ुतान केगर ब से
गर ब और अमीर से
अमीर बािश देको अमानु
षकता से
लूटा, तब वह फू
ट-फू
टकर रो पड़ा था ले
कन इसकेबावजू
द उसने
राजनीित म कभी
डू
बकर ह सा नह ंिलया य क उसनेदे
खा क उसकेजो भी िम राजनीित म गये
, वेथोड़ेदन बाद बहु
त िस
और ित ा पा गये
मगर आदमीयत खो बै
ठे

अपने
अथशा केबावजू
द वह यह समझता था क आदमी क जं
दगी िसफ आिथक पहलूतक सीिमत नह ंऔर
वह यह भी समझता था क जीवन को सु
धारनेकेिलए िसफ आिथक ढाँ
चा बदल दे
न-े
भर क ज रत नह ंहै
। उसके
िलए आदमी का सु
धार करना होगा, य का सु
धार करना होगा। वरना एक भरे
-पू
रेऔर वै
भवशाली समाज म भी
आज के
-से
अ व थ और पाश वक वृय वालेय रहगेतो दिु
नया ऐसी ह लगे
गी जै
सेएक खू
बसू
र त सजा-सजाया
महल जसम क ड़ेऔर रा स रहते
ह।

वह यह भी समझता था क वह जस तरह क दिु


नया का सपना दे
खता, वह दिु
नया आज कसी भी एक
राजनीितक ा त या कसी भी वशे
ष पाट क सहायता मा सेनह ंबन सकती है
। उसकेिलए आदमी को अपने
को
बदलना होगा, कसी समाज को बदलने
सेकाम नह ंचले
गा। इसिलए वह अपनेय केसं
सार म िनर तर लगा रहता
था और समाज केआिथक पहलू
को समझनेक कोिशश करता रहता था। यह कारण हैक अपने
जीवन म आने
वाले
य य के ित वह बे
हद ईमानदार रहता था और अपनेअ ययन और काम के ित वह सचे
त और जाग क रहता था
और वह अ छ तरह समझता था क इस तरह वह दिु
नया को उस ओर बढ़ानेम थोड़ -सी मदद कर रहा है
। चू


अपनेम भी वह स य क वह िचनगार पाता था इसिलए क व या दाशिनक न होते
हुए भी वह इतना भावु
क, इतना
ढ़-च र , इतना सश और इतना ग भीर था और काम तो अपना वह इस तरह करता था जै
सेवह कसी क एका
उपासना कर रहा हो। इसिलए जब वह चाट केन शेपर कलम चला रहा था तो उसेमालू
म नह ंहु
आ क कतनी दे

से
डॉ. शुला आकर उसकेपीछेखड़ेहो गये

''वाह, न शेपर तो तुहारा हाथ बहु


त अ छा चलता है
। बहु
त अ छा! अब उसेरहनेदो। लाओ, दे
ख, तुहारा
काम कै
सा चल रहा है
। आज तो इतवार हैन?''

डॉ. शुला पास क कु


रसी पर बै
ठकर बोले
, ''च दर! आजकल म एक कताब िलखनेक सोच रहा हू

। मनेसोचा
क भारतवष क जाित- यव था का नयेवैािनक ढं
ग सेअ ययन और व े
षण कया जाए। तु
म इसकेबारेम या
सोचते
हो?''

'' यथ है
! जो यव था आज नह ंतो कल चू
र -चू
र होनेजा रह है
, उसकेबारेम तू
मार बाँ
धना और समय बरबाद
करना बे
कार है
।'' च दर ने
बहु
त आ म व ास से
कहा।

''यह तो तु
म लोग म खराबी है
। कु
छ थोड़ -सी खरा बयाँजाित- यव था क दे
ख लींऔर उसके खलाफ हो गये

एक रसच कॉलर का कोण ह दस
ूरा होना चा हए। फर हमारेभारत क ाचीन सांकृ
ितक पर पराओंको तो
बहु
त ह सावधानी सेसमझनेक आव यकता है
। यह समझ लो क मानव जाित दब
ुल नह ंहै
। अपनेवकास- म म
वह उ ह ंसंथाओं
, र ित- रवाज और पर पराओंको रहने
देती हैजो उसकेअ त व केिलए बहु
त आव यक होती है

अगर वेआव यक न हु तो मानव उससेछु
टकारा माँ
ग ले
ता है
। यह जाित- यव था जानेकतने
साल सेह द ुतान
म कायम है
, या यह इस बात का माण नह ंक यह बहु
त सश है
, अपने
म बहु
त ज र है
?''

''अरेह द ुतान क भली चलायी।'' च दर बोला, '' ह द ुतान म तो गु


लामी कतनेदन से
कायम हैतो या वह
भी ज र है
।''

'' ब कु
ल ज र है
।'' डॉ. शुला बोले
, ''मु
झेभी ह द ुतान पर गव है
। मने
कभी कांे
स का काम कया, ले
कन म
इसे
नतीजेपर पहु

चा हू
ँक जरा-सी आजाद अगर िमलती हैह द ुतािनय को, तो वे
उसका भरपू
र द ुपयोग करने
से
बाज नह ंआते
और कभी भी ये
लोग अ छेशासक नह ंिनकलगे
।''

''अरेनह ं
! ऐसी बात नह ं
। ह द ुतािनय को ऐसा बना दया हैअँ
गरे
ज ने
। वरना ह द ुतान नेह तो च गु
और अशोक पै
दा कये
थेऔर रह जाित- यव था क बात तो मु
झेतो प दख रहा हैक जाित- यव था टू
ट रह
है
।'' कपू
र बोला, ''रोट -बे
ट क कै
द थी। रोट क कै
द तो कर ब-कर ब टू
ट गयी, अब बे
ट क कै
द भी... याह-शा दयाँ
भी दो-एक पीढ़ केबाद व छ दता से
होने
लगगी।''

''अगर ऐसा होगा तो बहु


त गलत होगा। इससे
जाितगत पतन होता है
। याह-शाद को कम-से
-कम म भावना क
सेनह ंदे
खता। यह एक सामा जक त य हैऔर उसी कोण सेहम दे
खना चा हए। शाद म सबसेबड़ बात
होती हैसांकृ
ितक समानता। और जब अलग-अलग जाित म अलग-अलग र ित- रवाज ह तो एक जाित क लड़क
दस
ूर जाित म जाकर कभी भी अपनेको ठ क सेस तु
िलत नह ंकर सकती। और फर एक बिनया क यापा रक
वृय क लड़क और एक ा ïण का अ ययन वृ का लड़का, इनक स तान न इधर वकास कर सकती हैन
उधर। यह तो सामा जक यव था को यथ केिलए अस तु
िलत करना हु
आ।''

''हाँ
, ले
कन ववाह को आप के
वल समाज के कोण से य दे
खते
ह? य के कोण सेभी दे
खए। अगर
दो विभ न जाित केलड़के
-लड़क अपना मानिसक स तु
लन यादा अ छा कर सकतेह तो य न ववाह क इजाजत
द जाए!''

''ओह, एक य केसु
झाव केिलए हम समाज को य नु
कसान पहु

चाएँ
! और इसका या िन य क ववाह के
समय य द दोन म मानिसक स तु
लन हैतो ववाह केबाद भी रहे
गा ह । मानिसक स तु
लन और म
े जतना अपने
मन पर आधा रत होता हैउतना ह बाहर प र थितय पर। या जानेयाह केव क प र थित का दोन केमन
पर कतना भाव हैऔर उसकेबाद स तु
लन रह पाता हैया नह ं
? और मनेतो लव-मै
रजे
ज ( म
े- ववाह) को असफल
ह होते
देखा है
। बोलो हैया नह ं
?'' डॉ. शुला ने
कहा।

''हाँ
, म
े- ववाह अकसर असफल होतेह, ले
कन स भव हैवह म
े न होता हो। जहाँस चा म
े होगा वहाँकभी
असफल ववाह नह ंह गे
।'' च दर ने
बहु
त साहस करकेकहा।

''ओह! येसब सा ह य क बात ह। समाजशा क सेया वैािनक सेदे


खो! अ छा खै
र , अभी मने
उसक प-रे
खा बनायी है
। िलखू

गा तो तु
म सु
नते
चलना। लाओ, वह िनब ध कहाँहै
!'' डॉ. शुला बोले

च दर नेउ ह टाइप क हु
ई ितिल प देद । उलट-पु
लटकर डॉ. शुला नेदे
खा और कहा, ''ठ क है
। अ छा
च दर, अपना काम इधर ठ क-ठ क कर लो, अगले
इतवार को लखनऊ कॉ ेस म चलना है
।''

''अ छा! कार पर चलगेया े


न से
?''

'' े
न से
। अ छा।'' घड़ दे
खते
हुए उ ह नेकहा, ''अब जरा म काम सेचल रहा हू

। तु
म यह चाट बना डालो और
एक िनब ध िलख डालना - 'पू
व जल म िशशु
मृयु
।' ा त के वा य वभाग ने
एक पु
र कार घो षत कया है
।''

डॉ. शुला चले


गये
। च दर नेफर चाट म हाथ लगाया।

च दर केजाने
केजरा ह दे
र बाद पापा आये
और खाने
बैठे
। सु
धा ने
रसोई क रे
शमी धोती पहनी और पापा को
पं
खा झलनेबै
ठ गयी। सु
धा अपनेपापा क िसरचढ़ दल
ुार बे
टय म सेथी और इतनी बड़ हो जाने
पर भी वह दल
ुार
दखाने
सेबाज नह ंआती थी। फर आज तो उसने
पापा क य नानखटाई अपने
हाथ सेबनायी थी। आज तो दल
ुार
दखाने
का उसका हक था और भली-बु
र हर तरह क जद को मान ले
ना करना, यह पापा क मजबू
र थी।

मुकल से
डॉ. साहब ने
अभी दो कौर खाये
ह गेक सु
धा ने
कहा, ''नानखटाई खाओ, पापा!''

डॉ. शुला ने
एक नानखटाई तोडक़र खाते
हुए कहा, ''बहु
त अ छ है
!'' खाते
-खाते
उ ह ने
पूछा, ''सोमवार को कौन
दन है
, सु
धा!''

''सोमवार को कौन दन है
? सोमवार को 'म डे
' है
।'' सु
धा ने
हँसकर कहा। डॉ. शुला भी अपनी भू
ल पर हँ
स पड़े

''अरेदे
ख तो म कतना भु
ल कड़ हो गया हू

। मे
र ा मतलब था क सोमवार को कौन तार ख है
?''
''11 तार ख।'' सु
धा बोली, '' य ?''

''कु
छ नह ं
, 10 को कॉ ेस हैऔर 14 को तुहार बु
आ आ रह ह।''

''बु
आ आ रह ह, और बनती भी आएगी?''

''हाँ
, उसी को तो पहु

चाने
आ रह ह। वदष
ुी का के यह ंतो है
।''

''आहा! अब तो बनती तीन मह ने


यह ंरहे
गी, पापा अब बनती को यह ंबु
ला लो। म बहु
त अके
ली रहती हू

।''

''हाँ
, अब तो जू
न तक यह ंरहे
गी। फर जु
लाई म उसक शाद होगी।'' डॉ. शुला ने
कहा।

''अरे
, अभी से
? अभी उसक उ ह या है
!'' सु
धा बोली।

'' य , ते
रेबराबर है
। अब ते
रेिलए भी ते
र बु
आ ने
िलखा है
।''

''नह ंपापा, हम याह नह ंकरगे


।'' सु
धा ने
मचलकर कहा।

''तब?''

''बस हम पढ़गे
। एफ.ए. कर लगे
, फर बी.ए., फर एम.ए., फर रसच, फर बराबर पढ़तेजाएँ
गे
, फर एक दन
हम भी तुहारेबराबर हो जाएँ
गे
। य , पापा?''

''पागल नह ंतो, बात तो सु


नो इसक ! ला, दो नानखटाई और दे
।'' शुला हँ
सकर बोले

''नह ं
, पहलेतो कबू
ल दो तब हम नानखटाई दगे
। बताओ याह तो नह ंकरोगे
।'' सु
धा ने
दो नानखटाइयाँहाथ म
उठाकर कहा।

''ला, रख।''

''नह ं
, पहले
बता दो।''

''अ छा-अ छा, नह ंकरगे


।''

सु
धा नेदोन नानखटाइयाँरखकर पं
खा झलना शु कया। इतनेम फर नानखटाइयाँखातेहु
ए डॉ. शुला बोले
,
''ते
र सास तु
झेदे
खने
आएगी तो यह नानखटाइयाँतु
मसे
बनवा कर खलाएँ
गे
।''

'' फर वह बात!'' सु
धा ने
पंखा पटककर कहा, ''अभी तु
म वादा कर चु
केहो क याह नह ंकरगे
।''

''हाँ
-हाँ
, याह नह ंक ँ
गा, यह तो कह दया मने
। ले
कन ते
र ा याह नह ंक ँ
गा, यह मने
कब कहा?''

''हाँआँ
, ये
तो फर झू
ठ बोल गये
तुम...'' सु
धा बोली।

''अ छा, ए! चलो ओहर।'' महरा जन नेडाँ


टकर कहा, ''ए ी बड़ ब टया हो गयी, मारेदल
ुारेकेबररानी जात है
।''
महरा जन पु
र ानी थी और सु
धा को डाँ
टने
का पू
र ा हक था उसे
, और सु
धा भी उसका बहु
त िलहाज करती थी। वह उठ
और चु
पचाप जाकर अपने
कमरेम ले
ट गयी। बारह बज रहेथे

वह ले
ट -ले
ट कल रात क बात सोचनेलगी। लास म या मजा आया था कल; गे
सूकतनी अ छ लड़क है
!
इस व गे
सूकेयहाँखाना-पीना हो रहा होगा और फर सब लोग िमलकर गाएँ
गे
। कौन जानेशायद दोपहर को
क वाली भी हो। इन लोग केयहाँक वाली इतनी अ छ होती है
। सु
धा सु
न नह ंपाएगी और गे
सूनेभी कतना बु
रा
माना होगा। और यह सब च दर क वजह से
। च दर हमे
शा उसकेआने
-जाने
, उठने
-बै
ठनेम कतर- य त करता रहता
है
। एक बार वह अपनेमन सेलड़ कय केसाथ पकिनक म चली गयी। वह ंच दर केबहु
त-सेदो त भी थे
। एक
दो त नेजाकर च दर सेजाने या कह दया क च दर उस पर बहु
त बगड़ा। और सु
धा कतनी रोयी थी उस दन।
यह च दर बहु
त खराब है
। सच पू
छो तो अगर कभी-कभी वह सु
धा का कहना मान ले
ता हैतो उससेदग
ुुना सु
धा पर
रोब जमाता हैऔर सु
धा को ला- लाकर मार डालता है
। और खु
द अपने
-आप दिु
नयाभर म घू
मगे
। अपना काम होगा
तो 'चलो सु
धा, अभी करो, फौरन।' और सु
धा का काम होगा तो-'अरेभाई, या कर, भू
ल गये
।' अब आज ह दे
खो,
सु
बह आठ बजेआयेऔर अब दे
खो दो बजेभी जनाब आतेह या नह ं
? और कह गयेह दो बजेतक केिलए तो दो
बजेतक सु
धा को चै
न नह ंपड़े
गी। न नीं
द आएगी, न कसी काम म तबीयत लगे
गी। ले
कन अब ऐसेकाम कै
से
चले
गा। इ तहान को कतनेथोड़ेदन रह गयेह। और सु
धा क तबीयत िसवा पोय (क वता) केऔर कु
छ पढऩेम
लगती ह नह ं
। कब से
वह च दर से
कह रह हैथोड़ा-सा इकनािम स पढ़ा दो, ले
कन ऐसा वाथ हैक बस चाय पी
ली, नानखटाई खा ली, ला िलया और फर अपने
म त साइ कल पर घू
म रहेह।

यह सब सोचते
-सोचते
सुधा को नीं
द आ गयी।

और तीन बजेजब गे
सूआयी तो भी सु
धा सो रह थी। पलं
ग केनीचेड .एम.सी. का गोला खु
ला हु
आ था और
त कये
केपास ोिशया पड़ थी। सु
धा थी बड़ यार । बड़ खू
बसू
र त। और खासतौर से
उसक पलक तो अपरा जता के
फू
ल को मात करती थीं
। और थी इतनी गोर गु
दकार क कह ंपर दबा दो तो फू
ल खल जाए। मू
िँ
गया ह ठ पर
सा अछू
जानेकै ता गु
लाब मु
सकराता था और बाँ
ह तो जै
सेबे
लेक पाँ
खुरय क बनी ह । गे
सूआयी। उसकेहाथ म
िमठाई थी जो उसक माँनेसु
धा केिलए भे
जी थी। वह पल-भर खड़ रह और फर उसनेमे
ज पर िमठाई रख द
और ोिशया सेसु
धा क गदन गु
दगु
दानेलगी। सु
धा नेकरवट बदल ली। गे
सूनेनीचेपड़ा हु
आ डोरा उठाया और
आ ह तेसेउसका चु
ट ला डोरेकेएक छोर सेबाँ
धकर दस
ूरा छोर मे
ज केपायेसेबाँ
ध दया। और उसकेबाद बोली,
''सु
धा, सु
धा उठो।''

सु
धा च ककर उठ गयी और आँ
ख मलते
-मलते
बोली, ''अब दो बजेह? लाये
उ ह या नह ं
?''

''ओहो! उ ह लायेया नह ंकसेबु


लाया था रानी, दो बजे
; जरा हम भी तो मालू
म हो?'' गे
सूनेबाँ
ह म चु
टक
काटते
हुए पू
छा।

''उ फोह!'' सु
धा बाँ
ह झटककर बोली, ''मार डाला! बे
दद कह ंक ! येसब अपनेउ ह ंअ तर िमयाँको दखाया
कर!'' और य ह सु
धा नेिसर ढँ
कनेकेिलए प ला उठाया तो दे
खा क चोट डोर म बँ
धी हु
ई है
। इसकेपहलेक
सु
धा कु
छ कहे
, गे
सूबोली, ''या सनम! जरा पढ़ाई तो दे
खो, मनेतो सु
ना था क नीं
द न आयेइसिलए लड़केअपनी
चोट खू

ट म बाँ
ध ले
तेह पर यह नह ंमालू
म था क लड़ कयाँभी अब वह करने
लगी ह।''
सु
धा नेचोट सेडोर खोलतेहु
ए कहा, ''म ह सतानेको रह गयी हू

। अ तर िमयाँक चोट बाँ
धकर नचाना
उ ह। अभी से
बेताब य हु
ई जाती है
?''

''अरेरानी, उनकेचोट कहाँ


? िमयाँह िमयाँ
?''

''चोट न सह , दाढ़ सह ।''

''दाढ़ , खु
दा खै
र करे
, मगर वो दाढ़ रख ल तो म उनसे
मोह बत तोड़ लू
।ँ
''

सु
धा हँ
सने
लगी।

''ले
, अ मी ने
तेरेिलए िमठाई भे
जी है
। तू
आयी य नह ं
?''

'' या बताऊँ
?''

''बताऊँ
-वताऊँकु
छ नह ं
। अब कब आएगी तू
?''

''गे
स,ूसु
नो, इसी मं
गल, नह ं
-नह ंबृ
ह पित को बु
आ आ रह ह। वो चली जाएँ
गी तब आऊँ
गी म।''

''अ छा, अब म चलू


।ँअभी कािमनी और भा केयहाँिमठाई पहु

चानी है
।''

गे
सूमु
ड़ते
हुए बोली।

''अरेबै
ठो भी।'' सु
धा नेगे
सूक ओढऩी पकडक़र उसे
खीं
चकर बठलाते
हुए कहा, ''अभी आये
हो, बै
ठेहो, दामन
सँ
भाला है
।''

''आहा। अब तो तू
भी उद ू
शायर कहने
लगी।'' गे
सूने
बैठते
हुए कहा।

''ते
र ा ह मज लग गया।'' सु
धा ने
हँसकर कहा।

''दे
ख कह ंऔर भी मज न लग जाए, वरना फर ते
रेिलए भी इ तजाम करना होगा!'' गे
सूने
पलं
ग पर ले
टते
हुए
कहा।

''अरेये
वो गु
ड़ नह ंक चीं
टेखाएँ
।''

''दे
खँ

गी, और दे
खँ

गी या, दे
ख रह हू

। इधर पछलेदो साल सेकतनी बदल गयी हैतू
। पहलेकतना हँ
सती-
बोलती थी, कतनी लड़ती-झगड़ती थी और अब कतना हँ
सने
-बोलनेपर भी गु
मसु
म हो गयी हैतू
। और वै
सेहमे
शा
हँ
सती रहेचाहेले
कन जानेकस खयाल म डू
बी रहती हैहमे
शा।'' गे
सूने
सुधा क ओर दे
खते
हुए कहा।

''धत ्
पगली कह ंक ।'' सु
धा ने
गेसूकेएक ह क -सी चपत मारकर कहा, ''यह सब ते
रेअपने
खयाली-पु
लाव ह।
म कसी के यान म डू
बू

ँी, ये
हमारेगु ने
नह ंिसखाया।''

''गु तो कसी केनह ंिसखातेसु


धा रानी, ब कु
ल सच-सच, या कभी तुहारेमन म कसी केिलए मोह बत
नह ंजागी?'' गे
सूने
बहु
त ग भीरता से
पूछा।

''दे
ख गे
स,ूतु
झसेमनेआज तक तो कभी कु
छ नह ंिछपाया, न शायद कभी िछपाऊँ
गी। अगर कभी कोई बात
होती तो तु
झसेिछपी न रहती और रहा मु
ह बत का, तो सच पू
छ तो मनेजो कु
छ कहािनय म पढ़ा हैक कसी को
दे
खकर म रोने
लगू

, गाने
लगू

, पागल हो जाऊँयह सब कभी मु
झेनह ंहु
आ। और रह ंक वताएँ
तो उनम क बात मु
झे
बहु
त अ छ लगती ह। क स क क वताएँपढक़र ऐसा लगा हैअ सर क मे
र नस का कतरा-कतरा आँ
सूबनकर
छलकने
वाला है
। ले
कन वह महज क वता का असर होता है
।''

''महज क वता का असर,'' गे


सूने
पूछा, ''कभी कसी खास आदमी केिलए ते
रेमन म हँ
सी या आँ
सूनह ंउमड़ते
!
कभी अपने
मन को जाँ
चकर तो दे
ख, कह ंते
र नाजु
क-खयाली केपरदेम कसी एक क सू
र त तो नह ंिछपी है
।''

''नह ंगे
सूबानो, नह ं
, इसम मन को जाँ
चने
क या बात है
। ऐसी बात होती और मन कसी केिलए झु
कता तो
या खु
द मु
झेनह ंमालू
म होता?'' सु
धा बोली, ''ले
कन तु
म ऐसा य सोचती हो?''

''बात यह है
, सु
धी!'' गे
सूने
सुधा को अपनी गोद म खीं
चते
हुए कहा, ''दे
खो, तु
म मु
झसेइ म म ऊँ
ची हो, तु
मने
अँे
जी शायर छान डाली हैले
कन जं
दगी सेजतना मु
झेसा बका पड़ चु
का है
, अभी तुह नह ंपड़ा। अ सर कब,
कहाँऔर कै
सेमन अपने
को हार बै
ठता है
, यह खु
द हम पता नह ंलगता। मालू
म तब होता हैजब जसकेकदम पर
हमने
िसर रखा है
, वह झटकेसे
अपने
कदम घसीट ले
। उस व हमार नीं
द टू
ट जाती हैऔर तब हम जाकर दे
खते

क अरेहमारा िसर तो कसी केकदम पर रखा हु
आ था और उनकेसहारेआराम से
सोतेहु
ए हम सपना दे
ख रहेथे
क हमारा िसर कह ंझु
का ह नह ं
। और मु
झेजाने
तेर आँ
ख म इधर या द ख रहा हैक म बे
चै
न हो उठ हू

। तू
ने
कभी कु
छ नह ंकहा, ले
कन मनेदे
खा क नाजु
क अशआर ते
रेदल को उस जगह छूले
तेह जस जगह उसी को छू
सकतेह जो अपना दल कसी केकदम पर चढ़ा चु
का हो। और म यह नह ंकहती क तू
नेमु
झसे
िछपाया है
। कौन
जानता हैते
रेदल नेखु
द तु
झसेयह राज िछपा रखा हो।'' और सु
धा केगाल थपथपातेहु
ए गे
सूबोली, ''ले
कन मे

एक बात माने
गी तू
? तू
कभी इस दद को मोल न ले
ना, बहु
त तकलीफ होती है
।''

सु
धा हँ
सने
लगी, ''तकलीफ क या बात? तू
तो हैह । तु
झसे
पूछ लू

ँी उसका इलाज।''

''मु
झसे
पूछकर या कर ले
गी-

दद दल या बाँ
टने
क चीज है
?

बाँ
ट ल अपने
पराये
दद दल?

नह ं
, तूबड़ सु
कु
वाँ
र है
। तूइन तकलीफ केिलए बनी नह ंमे
र च पा!'' और गे
सूने
उसका िसर अपनी छाती म
िछपा िलया।

टन से
घड़ ने
साढ़ेतीन बजाये

सु
धा ने
अपना िसर उठाया और घड़ क ओर दे
खकर कहा-
''ओ फोह, साढ़ेतीन बजेगये
और अभी तक गायब!''

'' कसकेइ तजार म बे


ताब हैतू
?'' गे
सूने
उठकर पू
छा।

''बस दद दल, मु
ह बत, इ तजार, बे
ताबी, ते
रेदमाग म तो यह सब भरा रहता हैआज कल, वह तूसबको
समझती है
। इ तजार- व तजार नह ं
, च दर अभी मा टर ले
कर आएँ
गे
। अब इ तहान कतना नजद क है
।''

''हाँ
, ये
तो सच हैऔर अभी तक मु
झसे
पूछ, या पढ़ाई हु
ई है
। असल बात तो यह हैक कॉले
ज म पढ़ाई हो तो
घर म पढऩे
म मन लगेऔर राजा कॉले
ज म पढ़ाई नह ंहोती। इससे
अ छा सीधेयू
िनविसट म बी.ए. करते
तो अ छा
था। मे
र तो अ मी ने
कहा क वहाँलड़केपढ़ते
ह, वहाँनह ंभे
जँ

गी, ले
कन तू य नह ंगयी, सु
धा?''

''मु
झेभी च दर ने
मना कर दया था।'' सु
धा बोली।

सहसा गे
सूने
एक ण को सु
धा क ओर दे
खा और कहा, ''सु
धी, तु
झसे
एक बात पू
छू

!''

''हाँ
!''

''अ छा जाने
दे!''

''पू
छो न!''

''नह ं
, पू
छना या, खु
द जा हर है
।''

'' या?''

''कु
छ नह ं
।''

''पू
छो न!''

''अ छा, फर कभी पू


छ लगे
! अब दे
र हो रह है
। आधा घं
टा हो गया। कोचवान बाहर खड़ा है
।''

सु
धा गे
सूको पहु

चाने
बाहर तक आयी।

''कभी हसरत को ले
कर आओ।'' सु
धा बोली।

''अब पहले
तुम आओ।'' गे
सूने
चलते
-चलते
कहा।

''हाँ
, हम तो बनती को ले
कर आएँ
गे
। और हसरत से
कह दे
ना तभी उसकेिलए तोहफा लाएँ
गे
!''

''अ छा, सलाम...''

और गे
सूक गाड़ मुकल सेफाटक केबाहर गयी होगी क साइ कल पर च दर आतेहु
ए द ख पड़ा। सु
धा ने
बहु
त गौर से
देखा क उसकेसाथ कौन है
, मगर वह अके
ला था।
सु
धा सचमु
च झ ला गयी। आ खर लापरवाह क हद होती है
। च दर को दिु
नया भर केकाम याद रहतेह, एक
सु
धा से
जाने या खार खाये
बैठा हैक सु
धा का काम कभी नह ंकरे
गा। इस बात पर सु
धा कभी-कभी द:ु
खी हो जाती
हैऔर घर म कससेवह कहेकाम केिलए। खु
द कभी बाजार नह ंजाती। नतीजा यह होता हैक वह छोट -से
-छोट
चीज केिलए मोहताज होकर बै
ठ जाती है
। और काम नौकर सेकरवा भी ले
, पर अब मा टर तो नौकर सेनह ं
ढु

ढ़वाया जा सकता? ऊन तो नौकर नह ंपस द कर सकता? कताब तो नौकर नह ंला सकता? और च दर का यह
हाल है
। इसी बात पर कभी-कभी उसे लाई आ जाती है

च दर नेआकर बरामदेम साइ कल रखी और सु


धा का चे
हरा दे
खते
ह वह समझ गया। ''काहेमु

ँ बना रखा है
,
पाँ
च बजेमा टर साहब आएँ
गेतुहारे
। अभी उ ह ंकेयहाँसे
आ रहेह। बस रया को जानती हो, वह आएँ
गे
।'' और
उसकेबाद च दर सीधा टड - म म पहु

च गया। वहाँजाकर दे
खा तो आराम-कु
स पर बै
ठे
-ह -बै
ठेडॉ. शुला सो रहे
ह, अत: उसने
अपना चाट और पे
न उठाया और ाइं
ग म म आकर चु
पचाप काम करने
लगा।

बड़ा ग भीर था वह। जब इं


क घोलनेकेिलए उसनेसु
धा सेपानी नह ंमाँ
गा और खु
द िगलास लाकर आँ
गन म
पानी ले
नेलगा, तब सु
धा समझ गयी क आज दमाग कु
छ बगड़ा है
। वह एकदम तड़प उठ । या करेवह! वै
सेचाहे
वह च दर सेकतना ह ढ ठ य न हो पर च दर गुसा रहता था तब सु
धा क ह काँ
प उठती थी। उसक ह मत
नह ंपड़ती थी क वह कु
छ भी कहे
। ले
कन अ दर-ह -अ दर वह इतनी परे
शान हो उठती थी क बस।

कई बार वह कसी-न- कसी बहानेसे ाइं


ग म म आयी, कभी गु
लद ता बदलने
, कभी मे
जपोश बदलने
, कभी
आलमार म कु
छ रखने
, कभी आलमार म सेकु
छ िनकालने
, ले
कन च दर अपनेचाट म िनगाह गड़ायेरहा। उसने
सु
धा क ओर दे
खा तक नह ं
। सु
धा क आँ
ख म आँ
सूछलक आये
और वह चु
पचाप अपने
कमरेम चली गयी और ले

गयी। थोड़ दे
र वह पड़ रह , पता नह ं य वह फू
ट-फू
टकर रो पड़ । खू
ब रोयी, खू
ब रोयी और फर मु

ँ धोकर आकर
पढऩेक कोिशश करनेलगी। जब हर अ र म उसेच दर का उदास चे
हरा नजर आनेलगा तो उसनेकताब ब द
करकेरख द और ाइं
ग म म गयी। च दर ने
चाट बनाना भी ब द कर दया था और कु
रसी पर िसर टे
केछत क
ओर दे
खता हु
आ जाने या सोच रहा था।

वह जाकर सामनेबै
ठ गयी तो च दर नेच ककर िसर उठाया और फर चाट को सामनेखसका िलया। सु
धा ने
बड़ ह मत करकेकहा-

''च दर!''

'' या!'' बड़ेभराये


गले
सेच दर बोला।

''इधर दे
खो!'' सु
धा ने
बहु
त दल
ुार से
कहा।

'' या है
!'' च दर ने
उधर दे
खते
हुए कहा, ''अरेसु
धा! तु
म रो य रह हो?''

''हमार बात पर नाराज हो गयेतु


म। हम या कर, हमारा वभाव ह ऐसा हो गया। पता नह ं य तु
म पर
इतना गुसा आ जाता है
।'' सु
धा केगाल पर दो बड़े
-बड़ेमोती ढलक आये

''अरेपगली! मालू
म होता हैतुहारा तो दमाग बहु
त ज द खराब हो जाएगा, हमने
तुमसे
कुछ कहा है
?''

''कह ले
तेतो हम स तोष हो जाता। हमने
कभी कहा तु
मसेक तु
म कहा मत करो। गुसा मत हु
आ करो। मगर
तु
म तो फर गुसा मन-ह -मन म िछपाने
लगते
हो। इसी पर हम लाई आ जाती है
।''

''नह ंसु
धी, तुहार बात नह ंथी और हम गुसा भी नह ंथे
। पता नह ं य मन बड़ा भार -सा था।''

'' या बात है
, अगर बता सको तो बताओ, वरना हम कौन ह तु
मसे
पूछने
वाले
।'' सु
धा ने
बड़़
ेक ण वर म कहा।

''तो तुहारा दमाग खराब हु


आ। हमनेकभी तु
मसेकोई बात िछपायी? जाओ, अ छ लड़क क तरह मु

ँ धो
आओ।''

सु
धा उठ और मु

ँ धोकर आकर बै
ठ गयी।

''अब बताओ, या बात थी?''

''कोई एक बात हो तो बताएँ


। पता नह ंतुहारेघर सेगये
तो एक-न-एक ऐसी बात होती गयी क मन बड़ा उदास
हो गया।''

''आ खर फर भी कोई बात तो हु


ई ह होगी!''

''बात यह हु
ई क तुहारेयहाँसे
म घर गया खाना खाने
। वहाँदे
खा चाचाजी आयेहु
ए ह, उनकेसाथ एक कोई
साहब और ह। खै
र बड़ खु
शी हु
ई। खाना-वाना खाकर जब बै
ठेतब मालू
म हु
आ क चाचाजी मे
र ा याह तय करनेके
िलए आयेह और साथ वालेसाहब मे
रेहोने
वाले
ससु
र ह। जब मने
इनकार कर दया तो बहु
त बगडक़र चलेगये
और
बोले
हम आज से
तुहारेिलए मर गये
और तु
म हमारेिलए मर गये
।''

''तुहार माताजी कहाँह?''

'' तापगढ़ म, ले
कन वो तो सौते
ली ह और वे
तो चाहती ह नह ंक म घर लौटू

, ले
कन चाचाजी ज र आज तक
मु
झसे
कुछ मु
ह बत करते
थे। आज वह भी नाराज होकर चले
गये
।''

सु
धा कु
छ दे
र तक सोचती रह , फर बोली, ''तो च दर, तु
म शाद कर य नह ंले
त?
े''

''नह ंसु
धा, शाद नह ंकरनी हैमु
झे
। मने
देखा क जसक शाद हु
ई, कोई भी सु
खी नह ंहु
आ। सभी का भ व य
बगड़ गया। और य एक तवालत पाली जाए? जाने
कैसी लड़क हो, या हो?''

''तो उसम या? पापा सेकहो उस लड़क को जाकर दे


ख ल। हम भी पापा केसाथ चलेजाएँ
गे
। अ छ हो तो
कर लो न, च दर। फर यह ंरहना। हम अके
ला भी नह ंलगे
गा। य ?''

''नह ंजी, तु
म तो समझती नह ंहो। जं
दगी िनभानी हैक कोई गाय-भस खर दना है
!'' च दर नेहँ
सकर कहा,
''आदमी एक-दस
ूरेको समझे
, बू
झे
, यार करे
, तब याह केभी कोई माने
ह।''
''तो उसी से
कर लो जससेयार करते
हो!''

च दर ने
कुछ जवाब नह ंदया।

''बोलो! चु
प य हो गये
! अ छा, तु
मनेकसी को यार कया, च दर!''

'' य ?''

''बताओ न!''

''शायद नह ं
!''

'' ब कु
ल ठ क, हम भी यह सोच रहेथेअभी।'' सु
धा बोली।

'' य , ये य सोच रह थी?''

''इसिलए क तु
मनेकया होता तो तु
म हमसेथोड़़
ेह िछपाते
, हम ज र बताते
, और नह ंबताया तो हम समझ
गयेक अभी तु
मनेकसी सेयार नह ंकया।''

''ले
कन तु
मने
यह पू
छा य , सु
धा! यह बात तुहारेमन म उठ कै
से
?''

''कु
छ नह ं
, अभी गे
सूआयी थी। वह बोली-सु
धा, तु
मनेकसी सेकभी यार कया है
, असल म वह अ तर को
यार करती है
। उससे
उसका ववाह होने
वाला है
। हाँ
, तो उसनेपू
छा क तू
नेकसी सेयार कया है
, हमनेकहा, नह ं

बोली, तूअपने
सेिछपाती है
। तो हम मन-ह -मन म सोचते
रहेक तु
म आओगेतो तु
मसे
पूछगेक हमनेकभी यार
तो नह ंकया है
। य क तुह ंएक हो जससेहमारा मन कभी कोई बात नह ंिछपाता, अगर कोई बात िछपाई भी
होती हमने
, तो तुह ज र बता दे
ती। फर हमनेसोचा, शायद कभी हमनेयार कया हो और तुह बताया हो, फर
हम भू
ल गये
ह । अभी उसी दन दे
खो, हम पापा क दवाई का नाम भू
ल गये
और तुह याद रहा। शायद हम भू
ल गये
ह और तुह मालू
म हो। कभी हमनेयार तो नह ंकया न?''

''नह ं
, हम तो कभी नह ंबताया।'' च दर बोला।

''तब तो हमनेयार-वार नह ंकया। गे


सूयू

ह ग प उड़ा रह थी।'' सु
धा ने
स तोष क साँ
स ले
कर कहा, ''ले
कन
बस! चाचाजी केनाराज होने
पर तु
म इतने
द:ु
खी हो गयेहो! हो जाने
दो नाराज। पापा तो ह अभी, या पापा मु
ह बत
नह ंकरते
तुमसे
?''

''सो य नह ंकरते
, तु
मसे यादा मु
झसे
करते
ह ले
कन उनक बात से
मन तो भार हो ह गया। उसकेबाद गये
बस रया केयहाँ
। बस रया ने
कुछ बड़ अ छ क वताएँ
सुनायीं
। और भी मन भार हो गया।'' च दर ने
कहा।

''लो, तब तो च दर, तु
म यार करते
होगे
! ज र से
?'' सु
धा ने
हाथ पटककर कहा।

'' य ?''
''गे
सूकह रह थी-शायर पर जो उदास हो जाता हैवह ज र मु
ह बत-वु
ह बत करता है
।'' सु
धा ने
कहा, ''अरेयह
पो टको म कौन है
?''

च दर ने
देखा, ''लो बस रया आ गया!''

च दर उसे
बुलाने
उठा तो सु
धा ने
कहा, ''अभी बाहर बठलाना उ ह, म तब तक कमरा ठ क कर लू
।ँ
''

बस रया को बाहर बठाकर च दर भीतर आया, अपना चाट वगै


र ह समे
टने
केिलए, तो सु
धा ने
कहा, ''सु
नो!''

च दर क गया।

सु
धा नेपास आकर कहा, ''तो अब तो उदास नह ंहो तु
म। नह ंचाहतेमत करो शाद , इसम उदास या होना।
और क वता-व वता पर मु

ँ बनाकर बै
ठेतो अ छ बात नह ंहोगी।''

''अ छा!'' च दर ने
कहा।

''अ छा-व छा नह ं
, बताओ, तुह मे
र कसम है
, उदास मत हु
आ करो फर हमसे
कोई काम नह ंहोता।''

''अ छा, उदास नह ंह गे


, पगली!'' च दर नेह क -सी चपत मारकर कहा और बरबस उसकेमु

ँ सेएक ठ ड
साँ
स िनकली। उसने
चाट उठाकर टड म म रखा। दे
खा डॉ टर साहब अभी सो ह रहेह। सु
धा कमरा ठ क कर रह
थी। वह आकर बस रया केपास बै
ठ गया।

थोड़ दे
र म कमरा ठ क करकेसु
धा आकर कमरेकेदरवाजेपर खड़ हो गयी। च दर नेपू
छा-'' य , सब ठ क
है
?''

उसने
िसर हला दया, कु
छ बोली नह ं

''यह ह आपक िश या। सुी सु


धा शुला। इस साल बी.ए. फाइनल का इ तहान दगी।''

बस रया नेबना आँ
ख उठायेह हाथ जोड़ िलये
। सु
धा ने
हाथ जोड़ेफर बहु
त सकु
चा-सी गयी। च दर उठा और
बस रया को लाकर उसने
अ दर बठा दया। बस रया केसामने
सुधा और उसक बगल म च दर।

चु
प। सभी चु
प।

अ त म च दर बोला-''लो, तुहारेमा टर साहब आ गये


। अब बताओ न, तुह या- या पढऩा है
?''

सु
धा चु
प। बस रया कभी यह पुतक उलटता, कभी वह। थोड़ दे
र बाद वह बोला-''आपके या वषय ह?''

''जी!'' बड़ कोिशश से
बोलते
हुए सु
धा नेकहा-'' ह द , इकनॉिम स और गृ
ह- व ान।'' और उसकेमाथेपर पसीना
झलक आया।

''आपको ह द कौन पढ़ाता है


?'' बस रया नेकताब म ह िनगाह गड़ाये
हुए कहा।
सु
धा ने
च दर क ओर दे
खा और मुकराकर फर मु

ँ झु
का िलया।

''बोलो न तु
म खु
द, ये
राजा ग स कॉले
ज म ह। शायद िमस पवार ह द पढ़ाती ह।'' च दर नेकहा-''अ छा, अब
आप पढ़ाइए, म अपना काम क ँ
।'' च दर उठकर चल दया। टड म म मुकल से
च दर दरवाजेतक पहु

चा होगा
क सु
धा नेबस रया से
कहा-

''जी, म पे
न ले
आऊँ
!'' और लपकती हु
ई च दर केपास पहु

ची।

''ए सु
नो, च दर!'' च दर क गया और उसका कु
रता पकडक़र छोटेब च क तरह मचलतेहु
ए सु
धा बोली-''तु

चलकर बै
ठो तो हम पढ़गे
। ऐसे
शरम लगती है
।''

''जाओ, चलो! हर व वह बचपना!'' च दर नेडाँ


टकर कहा-''चलो, पढ़ो सीधेसे
। इतनी बड़ हो गयी, अभी तक
वह आदत!''

सु
धा चु
पचाप मु

ँ लटकाकर खड़ हो गयी और फर धीरे
-धीरेपढ़नेलग गयी। च दर डट म म जाकर चाट
बनानेलगा। डॉ टर साहब अभी तक सो रहेथे
। एक म खी उडक़र उनकेगलेपर बै
ठ गयी और उ ह नेबाय हाथ से
म खी मारते
हुए नीं
द म कहा-''म इस मामले
म सरकार क नीित का वरोध करता हू

।''

च दर ने
च ककर पीछेदे
खा। डॉ टर साहब जग गये
थेऔर जमु
हाई ले
रहेथे

''जी, आपने
मुझसे
कुछ कहा?'' च दर ने
पूछा।

''नह ं
, या मने
कुछ कहा था? ओह! म सपना दे
ख रहा था कैबज गये
?''

''साढ़ेपाँ
च।''

''अरेब कु
ल शाम हो गयी!'' डॉ टर साहब ने
बाहर दे
खकर कहा-''अब रहनेदो कपू
र , आज काफ काम कया है
तु
मने
। चाय मँ
गवाओ। सु
धा कहाँहै
?''

''पढ़ रह है
। आज से
उसकेमा टर साहब आने
लगेह।''

''अ छा-अ छा, जाओ उ ह भी बु


ला लाओ, और चाय भी मँ
गवा लो। उसे
भी बु
ला लो-सु
धा को।''

च दर जब ाइं
ग म म पहु

चा तो दे
खा सु
धा कताब समे
ट रह हैऔर बस रया जा चु
का है
। उसनेसु
धा से
कहना चाहा ले
कन सु
धा का मु

ँ दे
खते
ह उसने
अनु
मान कया क सु
धा लड़ने
केमू
ड म है
, अत: वह वयंह जाकर
महरा जन सेकह आया क तीन याला चाय पढ़नेकेकमरेम भे
ज दो। जब वह लौटनेलगा तो खु
द सु
धा ह उसके
रा ते
म खड़ हो गयी और धमक के वर म बोली-''अगर कल से
साथ नह ंबै
ठोगेतु
म, तो हम नह ंपढ़गे
।''

''हम साथ नह ंबै


ठ सकते
, चाहेतु
म पढ़ो या न पढ़ो।'' च दर ने
ठंडे वर म कहा और आगेबढ़ा।

''तो फर हम नह ंपढ़गे
।'' सु
धा ने
जोर से
कहा।
'' या बात है
? य लड़ रहेहो तु
म लोग?'' डॉ. शुला अपने
कमरेसेबोले
। च दर कमरेम जाकर बोला, ''कु

नह ं
, ये
कह रह ह क...''

''पहले
हम कहगे
,'' बात काटकर सु
धा बोली-''पापा, हमने
इनसे
कहा क तु
म पढ़ाते
व बै
ठा करो, हम बहु
त शरम
लगती है
, ये
कहते
ह पढ़ो चाहेन पढ़ो, हम नह ंबै
ठगे
।''

''अ छा-अ छा, जाओ चाय लाओ।''

जब सु
धा चाय लानेगयी तो डॉ टर साहब बोले
-''कोई व ासपा लड़का है
? अपने
घर क लड़क समझकर सु
धा
को स पना पढ़ने
केिलए। सु
धा अब ब ची नह ंहै
।''

''हाँ
-हाँ
, अरेयह भी कोई कहने
क बात है
!''

''हाँ
, वै
सेअभी तक सु
धा तुहार ह िनगहबानी म रह है
। तु
म खु
द ह अपनी ज मे
वार समझतेहो। लड़का
ह द म एम.ए. है
?''

''हाँ
, एम.ए. कर रहा है
।''

''अ छा है
, तब तो बनती आ रह है
, उसे
भी पढ़ा दे
गा।''

सु
धा चाय ले
कर आ गयी थी।

''पापा, तु
म लखनऊ कब जाओगे
?''

''शुवार को, य ?''

''और ये
भी जाएँ
गे
?''

''हाँ
।''

''और हम अके
लेरहगे
?''

'' य , महरा जन यह ंसोएगी और अगले


सोमवार को हम लौट आएँ
गे
।''

डॉ. शुला ने
चाय का याला मु

ँ से
लगाते
हुए कहा।

एक गमकदेक शाम, मन उदास, तबीयत उचट -सी, िसतार क रोशनी फ क लग रह थी। माच क शुआत थी
और फर भी जानेशाम इतनी गरम थी, या सु
धा को ह इतनी बे
चै
नी लग रह थी। पहलेवह जाकर सामने
केलॉन
म बै
ठ ले
कन सामनेकेमौलिसर केपे
ड़ म छोट -छोट गौरै
य नेिमलकर इतनी जोर सेचहचहाना शु कया क
उसक तबीयत घबरा उठ । वह इस व एका त चाहती थी और सबसेबढ़कर स नाटा चाहती थी जहाँकोई न बोले
,
कोई बात न करे
, सभी खामोशी म डू
बेहु
ए ह।

वह उठकर टहलनेलगी और जब लगा क पै


र म ताकत ह नह ंरह तो फर ले
ट गयी, हर -हर घास पर।
मं
गलवार क शाम थी और अभी तक पापा नह ंआयेथे
। आना तो दरू
, पापा या च दर केहाथ केएक पु
र जेकेिलए
तरस गयी थी। कसी ने
यह भी नह ंिलखा क वे
लोग कहाँरह गयेह, या कब तक आएँ
गे
। कसी को भी सु
धा का
खयाल नह ं
। शिनवार या इतवार को तो वह हर रोज खाना खातेव रोयी, चाय पीना तो उसनेउसी दन सेछोड़
दया था और सोमवार को सु
बह पापा नह ंआयेतो वह इतना फू
ट-फू
टकर रोयी क महरा जन को िसं
कती हु
ई रोट
छोड़कर चूहेक आँ
च िनकालकर सु
धा को समझानेआना पड़ा। और सु
धा क लाई दे
खकर तो महरा जन केहाथ-
पाँ
व ढ ले
हो गयेथे
। उसक सार डाँ
ट हवा हो गयी थी और वह सु
धा का मु

ँ-ह -मु

ँ दे
खती थी। कल से
कॉले
ज भी
नह ंगयी थी। और दोन दन इ तजार करती रह क कह ंदोपहर को पापा न आ जाएँ
। गे
सूसेभी दो दन से
मु
लाकात नह ंहु
ई थी।

ले
कन मं
गल को दोपहर तक जब कोई खबर न आयी तो उसक घबराहट बे
काबू
हो गयी। इस व उसनेबस रया
सेकोई भी बात नह ंक । आधा घं
टा पढऩेकेबाद उसनेकहा क उसकेिसर म दद हो रहा हैऔर उसकेबाद खू

रोयी, खू
ब रोयी। उसकेबाद उठ , चाय पी, मु

ँ-हाथ धोया और सामनेकेलॉन म टहलनेलगी। और फर ले
ट गयी
हर -हर घास पर।

बड़ ह उदास शाम थी। और ितज क लाली केहोठ भी याह पड़ गयेथे


। बादल साँ
स रोकेपड़ेथेऔर
खामोश िसतारेटम टमा रहेथे
। बगु
ल क धु

धली-धु

धली कतार पर मारती हु
ई गु
जर रह थीं
। सु
धा ने
एक ल बी साँ

ले
कर सोचा क अगर वह िच डय़ा होती तो एक ण म उडक़र जहाँचाहती वहाँक खबर लेआती। पापा इस व
घू
मनेगयेह गे
। च दर अपनेदो त क टोली म बै
ठा रँ
गरे
िलयाँकर रहा होगा। वहाँभी दो त बना ह िलयेह गे
उसने
। बड़ा बातू
नी हैच दर और बड़ा मीठे वभाव का। आज तक कसी सेसु
धा नेउसक बु
र ाई नह ंसु
नी। सभी
उसको यार करते
थे। यहाँतक क महरा जन, जो सु
धा को हमे
शा डाँ
टती रहती थी, च दर का हमे
शा प ले
ती थी।
और सु
धा हरे
क से
पूछ ले
ती थी क च दर केबारेम उसक या राय है
? ले
कन सब लोग जतनी च दर क तार फ
करतेवह उतना अ छा उसेनह ंसमझती थी। आदमी क परख तब होती हैजब दन-रात बरते
। च दर उसका ऊन
कभी नह ंलाकर दे
ता था, बादामी रं
ग का रे
शम मँ
गाओ तो के
स रया रं
ग का ला दे
ता था। इतनेन शेबनाता रहता
था, और सु
धा ने
हमे
शा उससेकहा क मे
जपोश क कोई डजाइन बना दो तो उसनेकभी नह ंबनायी। एक बार सु
धा
नेबहु
त अ छ वायल कानपु
र सेमँ
गवायी और च दर नेकहा, ''लाओ, यह बहु
त अ छ है
, इस पर हम कनारेक
डजाइन बना दगे
।'' और उसकेबाद उसनेउसम तमाम पान-जै
सा जाने या बना दया और जब सु
धा नेपू
छा, ''यह
या है
?'' तो बोला, ''लं
का का न शा है
।'' जब सु
धा बगड़ तो बोला, ''लड़़
कय के दय म रावण सेमे
घनाद तक
करोड़ रा स का वास होता है
, इसिलए उनक पोशाक म लं
का का न शा यादा सु
शोिभत होता है
।'' मारेगुसेके
सु
धा नेवह धोती अपनी मािलन को देडाली थी। यह सब बात तो कसी को मालू
म नह ं
। उनकेसामनेतो जरा-सा
कपू
र साहब हँ
स दये
, चार मजाक क बात कर द ं
, छोटे
-मोटेउनकेकाम कर दये
, मीठ बात कर लींऔर सब समझे
कपू
र साहब तो ब कु
ल गु
लाब केफू
ल ह। ले
कन कपू
र साहब एक तीखेकाँ
टेह जो दन-रात सु
धा केमन म चु
भते
रहतेह, यह तो दिु
नया को नह ंमालू
म। दिु
नया या जानेक सु
धा कतनी परे
शानी रहती हैच दर क आदत से
!
अगर दिु
नया को मालू
म हो जाए तो कोई च दर क जरा भी तार फ न करे
, सब सु
धा को ह यादा अ छा कह,
ले
कन सु
धा कभी कसी सेकु
छ नह ंकहती, मगर आज उसका मन हो रहा था क कसी सेच दर क जी भरकर
बु
र ाई कर ले
तो उसका मन बहु
त ह का हो जाए।
''चलो ब टया रानी, तई खाय ले
व, फर भीतर ले
टो। अब हन ले
टेका बखत नह ंआवा!'' सहसा महरा जन ने
आकर सु
धा क व न-शृ

ंला तोड़ते
हुए कहा।

''अब हम नह ंखाएँ
गे
, भू
ख नह ं
।'' सु
धा ने
अपने
सुनहले
सपन म ह डू
बी हु
ई बे
होश आवाज म जवाब दया।

''खाय ले
व ब टया, खाय- पयै
छोड़ैसेकसस काम चली, आव उठौ!'' महरा जन नेबड़ेदल
ुार सेकहा। सु
धा पीछा
छू
टने
क कोई आशा न दे
खकर उठ गयी और चल द खाने
। कौर उठातेह उसक आँ
ख म आँ
सूछलक आये
, ले
कन
अपनेको रोक िलया उसने
। दस
ूर केसामनेअपनेको बहु
त शा त रखना आता था। उसे
। दो कौर खानेकेबाद वह
महरा जन से
बोली, ''आज कोई िच ठ तो नह ंआयी?''

''नह ंब टया, आज तो दन भर घरैम र ो!'' महरा जन नेपराठेउलटतेहु


ए जवाब दया-''काहेब टया, बाबू
जी
कु
छौ नाह िल खन तो छोटेबाबू
तो िलख दे
त।े
''

''अरेमहरा जन, यह तो हमार जान का रोना है


। हम चाहेरो-रोकर मर जाएँ
मगर न पापा को खयाल, न पापा
केिश य को। और च दर तो ऐसे
खराब ह क हम या कर। ऐसे वाथ ह, अपने
मतलब के क बस! सु
बह-शाम आएँ
और हम या पापा न िमल तो आफत ढा दगे
-बहु
त घू
मने
लगी हो तु
म, बहु
त बाहर कदम िनकल गया हैतुहारा-और
सच पू
छो तो च दर क वजह सेहमनेसब जगह आना-जाना ब द कर दया और खु
द ह क आज लखनऊ, कल
कलक ा और एक िच ठ भे
जने
तक का व नह ंिमलता! अभी हम ऐसा करते
तो हमार जान नोच खाते
! और पापा
को दे
खो, उनकेदल
ुारेउनकेसाथ ह तो बस और कसी क फ ह नह ं
। अब तु
म महरा जन, च दर को तो कभी
कु
छ चाय-वाय बना केमत दे
ना।''

''काहेब टया, काहेकोसत हो। कै


सा चाँ
द-से
तो ह छोटेबाबू
, और कै
सा हँ
स केबात करत ह। माई का जाने
कैसे
हयाव पड़ा क उ ह अलग कैद हस। बे
चारा होटल म जानेकै
सेरोट खात होई। उ ह हं
यई बु
लाय ले
व तो अपने
हाथ
क खलाय केदईुमह ना माँमोटा कैदे। हम तोसे यादा उसक ममता लगत है
।''

''बीबीजी, बाहर एक मे
म पू
छत ह- हं
या कोनो डाकदर रहत ह? हम कहा, नाह ं
, हं
या तो बाबू
जी रहत ह तो कहत
ह, नह ंयह मकान आय।'' मािलन ने
सहसा आकर बहु
त वतं वर म कहा।

''बै
ठाओ उ ह, हम आते
ह।'' सु
धा ने
कहा और ज द -ज द खाना शु कया और ज द -ज द ख म कर दया।

बाहर जाकर उसनेदे


खा तो नीलकाँ
टेकेझाड़ सेटक हु
ई एक बाइिस कल रखी थी और एक ईसाई लड़क लॉन
पर टहल रह है
। होगी कर ब चौबीस-प चीस बरस क , ले
कन बहु
त अ छ लग रह थी।

''क हए, आप कसे


पूछ रह ह?'' सु
धा ने
अँे
जी म पू
छा।

''म डॉ टर शुला से
िमलने
आयी हू

।'' उसने
शु ह द ुतानी म कहा।

''वे
तो बाहर गये
ह और कब आएँ
गे
, कु
छ पता नह ं
। कोई खास काम हैआपको?'' सु
धा ने
पूछा।

''नह ं
, यू

ह िमलने
आ गयी। आप उनक लड़क ह?'' उसने
साइ कल उठाते
हुए कहा।
''जी हाँ
, ले
कन अपना नाम तो बताती जाइए।''

''मे
र ा नाम कोई मह वपू
ण नह ं
। म उनसे
िमल लू

ँी। और हाँ
, आप उसे
जानती ह, िम टर कपू
र को?''

''आहा! आप प मी ह, िमस ड ू
ज!'' सु
धा को एकदम खयाल आ गया-''आइए, आइए; हम आपको ऐसेनह ंजाने
दगे
। चिलए, बै
ठए।'' सु
धा ने
बड़ बे
तक लु
फ से
उसक साइ कल पकड़ ली।

''अ छा-अ छा, चलो!'' कहकर प मी जाकर ाइं


ग म म बै
ठ गयी।

''िम टर कपू
र रहते
कहाँह?'' प मी ने
बैठने
सेपहले
पूछा।

''रहतेतो वेचौक म ह, ले
कन आजकल तो वेभी पापा केसाथ बाहर गयेह। वेतो आपक एक दन बहु

तार फ कर रहेथे
, बहु
त तार फ। इतनी तार फ कसी लड़क क करते
तो हमने
सुना नह ं
।''

''सचमु
च!'' प मी का चे
हरा लाल हो गया। ''वह बहु
त अ छेह, बहु
त अ छेह!''

थोड़ दे
र प मी चु
प रह , फर बोली-'' या बताया था उ ह ने
हमारेबारेम?''

''ओह तमाम! एक दन शाम को तो हम लोग आप ह केबारेम बात करतेरहे


। आपकेभाई केबारेम बताते
रहे
। फर आपकेकाम केबारेम बताया क आप कतना ते
ज टाइप करती ह, फर आपक िचय केबारेम बताया
क आपको सा ह य सेबहु
त शौक नह ंहैऔर आप शाद सेबे
हद नफरत करती ह और आप यादा िमलती-जु
लती
नह ं
, बाहर आती-जाती नह ंऔर िमस ड ू
ज...''

''न, आप प मी क हए मु
झे
?''

''हाँ
, तो िमस प मी, शायद इसीिलए आप उसेइतनी अ छ लगींक आप कह ंआती-जाती नह ं
, वह लड़ कय
का आना-जाना और आजाद बहु
त नापस द करता है
।'' सु
धा बोली।

''नह ं
, वह ठ क सोचता है
।'' प मी बोली-''म शाद और तलाक केबाद इसी नतीजेपर पहु

ची हू
ँक चौदह बरस से
च तीस बरस तक लड़ कय को बहु
त शासन म रखना चा हए।'' प मी ने
ग भीरता से
कहा।

एक ईसाई मे
म केमु

ँ से
यह बात सु
नकर सु
धा दं
ग रह गयी।

'' य ?'' उसने


पूछा।

''इसिलए क इस उ म लड़ कयाँबहु
त नादान होती ह और जो कोई भी चार मीठ बात करता है
, तो लड़ कयाँ
समझती ह क इससे यादा यार उ ह कोई नह ंकरता। और इस उ म जो कोई भी ऐरा-गै
र ा उनकेसं
सग म आ
जाता है
, उसेवे यार का दे
वता समझनेलगती ह और नतीजा यह होता हैक वेऐसेजाल म फँ
स जाती ह क
जं
दगी भर उससेछु
टकारा नह ंिमलता। मे
र ा तो यह वचार हैक या तो लड़ कयाँच तीस बरस केबाद शा दयाँकर
जब वेअ छा-बु
र ा समझनेकेलायक हो जाएँ
, नह ंतो मु
झेतो ह दओ
ुंका कायदा सबसे यादा पस द आता हैक
चौदह वष केपहलेह लड़क क शाद कर द जाए और उसकेबाद उसका सं
सग उसी आदमी सेरहेजससेउसे
जं
दगी भर िनबाह करना हैऔर अपनेवकास- म से
दोन ह एक-दस
ूरेको समझते
चल। ले
कन यह तो सबसेभ ा
तर का हैक चौदह और च तीस बरस केबीच म लड़क क शाद हो, या उसेआजाद द जाए। मनेतो वयंअपने
ऊपर ब धन बाँ
ध िलये
थे।....तुहार तो शाद अभी नह ंहु
ई?''

''नह ं
।''

''बहु
त ठ क, तु
म च तीस बरस केपहले
शाद मत करना, अ छा हाँ
, और या बताया च दर ने
मेरेबारेम?''

''और तो कु
छ खास नह ं
; हाँ
, यह कह रहा था, आपको चाय और िसगरे
ट बहु
त अ छ लगती है
। ओहो, दे
खए म
भू
ल ह गयी, ली जए िसगरे
ट मँ
गवाती हू

।'' और सु
धा ने
घंट बजायी।

''रहने
द जए, म िसगरे
ट छोड़ रह हू

।''

'' य ?''

''इसिलए क कपू
र को अ छा नह ंलगता और अब वह मे
र ा दो त बन गया है
, और दो ती म एक-दस
ूरेसे
िनबाह
ह करना पड़ता है
। उसने
आपसे
यह नह ंबताया क मने
उसे
दो त मान िलया है
?'' प मी ने
पूछा।

''जी हाँ
, बताया था, अ छा तो चाय ली जए!''

''हाँ
-हाँ
, चाय मँ
गवा ली जए। आपका कपू
र से या स ब ध है
?'' प मी ने
पूछा।

''कु
छ नह ं
। मु
झसेभला या स ब ध होगा उनका, जब दे
खए तब बगड़तेरहतेह मु
झ पर; और बाहर गयेह
और आज तक कोई खत नह ंभे
जा। ये
कह ंस ब ध ह?''

''नह ं
, मे
र ा मतलब आप उनसे
घिन ह!''

''हाँ
, कभी वह िछपाते
तो नह ंमु
झसे
कुछ! य ?''

''तब तो ठ क है
, स चेदल केआदमी मालू
म पड़तेह। आप तो यह बता सकती ह क उ ह या- या चीज
पस द ह?''

''हाँ
...उ ह क वता पस द है
। बस क वता केबारेम बात न क जए, क वता सु
ना द जए उ ह या क वता क
कताब देद जए उ ह और उनको सु
बह घू
मना पस द है
। रात को गं
गाजी क सै
र करना पस द है
। िसने
मा तो बे
हद
पस द है
। और, और या, चाय क प ी का हलु
आ पस द है
।''

''यह या होता है
?''

''मे
र ा मतलब बना दध
ू क चाय उ ह पस द है
।''

''अ छा, अ छा। दे


खए आप सोचगी क म इस तरह सेिम. कपू
र केबारेम पू
छ रह हू
ँजै
सेम कोई जासू

होऊँ
, ले
कन असल बात म आपको बता दँ
।ूम पछले
दो-तीन साल सेअके
ली रहती रह । कसी सेभी नह ंिमलती-
जु
लती थी। उस दन िम टर कपू
र गये
तो पता नह ं य मु
झ पर भाव पड़ा। उनको दे
खकर ऐसा लगा क यह आदमी
हैजसम दल क स चाई है
, जो आदिमय म ब कु
ल नह ंहोती। तभी मने
सोचा, इनसे
दो ती कर लू
।ँले
कन चू


एक बार दो ती करके ववाह, और ववाह केबाद अलगाव, म भोग चु
क हू
ँइसिलए इनकेबारेम पू
र जाँ
च-पड़ताल
कर ले
ना चाहती हू

। ले
कन दो त तो अब बना ह चु
क हू

।'' चाय आ गयी थी और प मी नेसु
धा के यालेम चाय
ढाली।

''न, म तो अभी खाना खा चु


क हू

।'' सु
धा बोली।

''प मी ने
दो-तीन चुकय केबाद कहा-''आपकेबारेम च दर ने
मुझसे
कहा था।''

''कहा होगा!'' सु
धा मु

ँ बगाडक़र बोली-''मे
र बु
र ाई कर रहेह गेऔर या?''

प मी चाय के यालेसेउठतेहु
ए धु
एँको दे
खती हु
ई अपनेह खयाल म डू
बी थी। थोड़ दे
र बाद बोली, ''मे
रा
अनु
मान गलत नह ंहोता। मने
कपू
र को दे
खते
ह समझ िलया था क यह मे
रेिलए उपयु िम ह। मने
क वता पढऩी
बहु
त दन सेछोड़ द ले
कन कसी कविय ी ने
, शायद िमसे
ज ाउिनं
ग नेकह ंिलखा था, क वह मे
र जं
दगी म
रोशनी बनकर आया, उसे
देखते
ह म समझ गयी क यह वह आदमी हैजसकेहाथ म मे
रेदल केसभी राज सु
र त
रहगे
। वह खे
ल नह ंकरे
गा, और यार भी नह ंकरे
गा। जं
दगी म आकर भी जं
दगी सेदरूऔर सपन म बँ
धकर भी
सपन से
अलग...यह बात कपू
र पर बहु
त लागूहोती है
। माफ करना िमस सु
धा, म आपसे
इसिलए कह रह हू
ँक आप
इनक घिन ह और आप उ ह बतला दगी क मे
र ा या खयाल हैउनकेबारेम। अ छा, अब म चलू

ँी।''

''बै
ठए न!'' सु
धा बोली।

''नह ं
, मे
र ा भाई अके
ला खाने
केिलए इ तजार कर रहा होगा।'' उठते
हुए प मी ने
कहा।

''आप बहु
त अ छ ह। इस व आप आयींतो म थोड़ -सी िच ता भू
ल गयी वरना म तीन दन सेउदास थी।
बै
ठए, कु
छ और च दर केबारेम बताइए न!''

''अब नह ं
। वह अपनेढं
ग का अके
ला आदमी है
, यह म कह सकती हू

...ओह तुहार आँ
ख बड़ सु
दर ह। दे
खँ

।''
और छोटेब चेक तरह उसकेमु

ँ को हथे
िलय सेऊपर उठाकर प मी नेकहा, ''बहु
त सु
दर आँ
ख ह। माफ करना,
म कपू
र से
भी इतनी ह बे
तक लु
फ हू

!''

सु
धा झप गयी। उसने
आँख नीची कर लीं

प मी नेअपनी साइ कल उठातेहु


ए कहा-''कपू
र केसाथ आप आइएगा। और आपनेकहा था कपू
र को क वता
पस द है
।''

''जी हाँ
, गु
डनाइट।''

जब प मी बँ
गले
पर पहु

ची तो उसक साइ कल केकैरयर म अँ
गरे
जी क वता केपाँ
च-छह थ बँ
धेथे

आठ बज चु
केथे
। सु
धा जाकर अपनेब तरेपर ले
टकर पढऩेलगी। अँ
गरे
जी क वता पढ़ रह थी। अँ
गरे
जी
लड़ कयाँकतनी आजाद और व छ द होती ह गी! जब प मी, जो ईसाई है
, इतनी आजाद है
, उसने
सोचा और प मी
कतनी अ छ हैउसक बे
तक लु
फ म भोलापन तो नह ंहै
, पर सरलता बे
हद है
। बड़ा साफ दल है
, कु
छ िछपाना नह ं
जानती। और सु
धा सेिसफ पाँ
च-छह साल बड़ है
, ले
कन सु
धा उसकेसामने
ब ची लगती है
। कतना जानती हैप मी
और कतनी अ छ समझ हैउसक । और च दर क तार फ करतेनह ंथकती। च दर केिलए उसने
िसगरे
ट छोड़ द ।
च दर उसका दो त है
, इतनी पढ़ -िलखी लड़क केिलए रोशनी का दे
वदत
ू है
। सचमु
च च दर पर सु
धा को गव है
। और
उसी च दर से
वह लड़-झगड़ ले
ती है
, इतनी मान-मनु
हार कर ले
ती हैऔर च दर सब बदा त कर ले
ता हैवरना च दर
केइतनेबड़े
-बड़ेदो त ह और च दर क इतनी इ जत है
। अगर च दर चाहेतो सु
धा क र ी भर परवाह न करे
ले
कन च दर सु
धा क भली-बु
र बात बदा त कर ले
ता है
। और वह कतना परे
शान करती रहती हैच दर को।

कभी अगर सचमु


च च दर बहु
त नाराज हो गया और सचमु
च हमे
शा केिलए बोलना छोड़ देतब या होगा? या
च दर यहाँसे
कह ंचला जाए तब या होगा? खै
र , च दर जाएगा तो नह ंइलाहाबाद छोडक़र, ले
कन अगर वह खु

कह ंचली गयी तब या होगा? वह कहाँजाएगी! अरेपापा को मनाना तो बाय हाथ का खे
ल है
, और ऐसा यार वह
करे
गी नह ंक शाद करनी पड़े

ले
कन यह सब तो ठ क है
। पर च दर ने
िच ठ य नह ंभे
जी? या नाराज होकर गया है
? जाते
व सु
धा ने
परे
शान तो बहु
त कया था। होलडॉल क पे
ट का ब सु
आ खोल दया था और उठातेह च दर केहाथ सेसब कपड़े
बखर गये
। च दर कु
छ बोला नह ंले
कन जाते
समय उसनेसु
धा को डाँ
टा भी नह ंऔर न यह समझाया क घर का
खयाल रखना, अके
लेघू
मना मत, महरा जन से
लड़ना मत, पढ़ती रहना। इससेसु
धा समझ तो गयी थी क वह नाराज
है
, ले
कन कु
छ कहा नह ं

ले
कन च दर को खत तो भे
जना चा हए था। चाहेगुसेका ह खत य न होता? बना खत केमन उसका
कतना घबरा रहा है
। और या च दर को मालू
म नह ंहोगा। यह कै
सेहो सकता है
? जब इतनी दरूबै
ठेहु
ए सु
धा को
मालू
म हो गया क च दर नाखु
श हैतो या च दर को नह ंमालू
म होगा क सु
धा का मन उदास हो गया है
। ज र
मालू
म होगा। सोचते
-सोचतेउसेजानेकब नीं
द आ गयी और नीं
द म उसेपापा या च दर क िच ठ िमली या नह ं
,
यह तो नह ंमालू
म, ले
कन इतना ज र हैक जै
सेयह सार सृ एक ब द ु
सेबनी और एक ब द ु
म समा गयी, उसी
तरह सु
धा क यह भाद क घटाओंजै
सी फै
ली हु
ई बे
चै
नी और गीली उदासी एक च दर के यान से
उठ और उसी म
समा गयी।

दस
ूरेदन सु
बह सु
धा आँ
गन म बै
ठ हु
ई आलू
छ ल रह थी और च दर का इ तजार कर रह थी। उसी दन रात
को पापा आ गये
थेऔर दस
ूरेदन सु
बह बु
आजी और बनती।

''सु
धी!'' कसी ने
इतनेयार से
पुकारा क हवाओंम रस भर गया।

''अ छा! आ गये


च दर!'' सु
धा आलू
छोडक़र उठ बै
ठ , '' या लाये
हमारेिलए लखनऊ से
?''

''बहु
त कु
छ, सु
धा!''

''केहैसु
धा!'' सहसा कमरेम से
कोई बोला।
''च दर ह।'' सु
धा ने
कहा, ''च दर, बु
आ आ गयीं
।'' और कमरेसे
बुआजी बाहर आयीं

'' णाम, बु
आजी!'' च दर बोला और पै
र छू
नेकेिलए झु
का।

''हाँ
, हाँ
, हाँ
!'' बु
आजी तीन कदम पीछेहट गयीं
। ''दे
ख य न हम पू
जा क धोती पहने
ह। ई केहै
, सु
धा!''

सु
धा ने
बुआ क बात का कु
छ जवाब नह ंदया-''च दर, चलो अपने
कमरेम; यहाँबु
आ पू
जा करगी।''

च दर अलग हटा। बु
आ ने
हाथ केपं
चपा सेवहाँपानी िछडक़ा और जमीन फँ

कने
लगीं
। ''सु
धा, बनती को भे

दे
व।'' बु
आजी ने
धूपदानी म महरा जन से
कोयला ले
तेहु
ए कहा।

सु
धा अपने
कमरेम पहु

चकर च दर को खाट पर बठाकर नीचेबै
ठ गयी।

''अरे
, ऊपर बै
ठो।''

''नह ं
, हम यह ंठ क ह।'' कहकर वह बै
ठ गयी और च दर क पट पर पेसल से
लक र खीं
चने
लगीं

''अरेयह या कर रह हो?'' च दर ने
पैर उठाते
हुए कहा।

''तो तु
मने
इतनेदन य लगाये
?'' सु
धा ने
दसूरेपाँ
यचेपर पेसल लगाते
हुए कहा।

''अरे
, बड़ आफत म फँ
स गये
थे, सु
धा। लखनऊ सेहम लोग गयेबरे
ली। वहाँएक उ सव म हम लोग भी गये
और एक िमिन टर भी पहु

चे
। कु
छ सोशिल ट, क यु
िन ट, और मजदरू नेवरोध दशन कया। फर तो पु
िलसवाल
और मजदरू म जमकर लड़ाई हु
ई। वह तो कहो एक बे
चारा सोशिल ट लड़का था कै
लाश िम ा, उसनेहम लोग क
जान बचायी, वरना पापा और हम, दोन ह अ पताल म होते
...''

''अ छा! पापा नेहम कु


छ बताया नह ं
!'' सु
धा घबराकर बोली और बड़ दे
र तक बरे
ली, उप व और कै
लाश िम ा
क बात करती रह ।

''अरेये
बाहर गा कौन रहा है
?'' च दर ने
सहसा पू
छा।

बाहर कोई गाता हु


आ आ रहा था, ''आँ
चल म य बाँ
ध िलया मु
झ परदे
शी का यार....आँ
चल म य ...'' और
च दर को दे
खते
ह उस लड़क ने
च ककर कहा, ''अरे
?'' ण-भर त ध, और फर शरम से
लाल होकर भागी बाहर।

''अरे
, भागती य है
? यह तो ह च दर।'' सु
धा ने
कहा।

लड़क बाहर क गयी और गरदन हलाकर इशारेसे


कहा, ''म नह ंआऊँ
गी। मु
झेशरम लगती है
।''

''अरेचली आ, दे
खो हम अभी पकड़ लातेह, बड़ झ क हैयह।'' कहकर सु
धा उठ , वह फर भागी। सु
धा पीछे
-
पीछेभागी। थोड़ दे
र बाद सु
धा अ दर आयी तो सु
धा केहाथ म उस लड़क क चोट और वह बे
चार बु
र तरह अ त-
य त थी। दाँ
त से
अपने
आँचल का छोर दबाये
हुए थी बाल क तीन-चार लट मु

ँ पर झु
क रह थींऔर लाज केमारे
िसमट जा रह थी और आँ
ख थींक मुकाये
या रोये
, यह तय ह नह ंकर पायी थीं

''दे
खो...च दर...दे
खो।'' सु
धा हाँ
फ रह थी-''यह हैबनती मोटक कह ंक , इतनी मोट हैक दम िनकल गया
हमारा।'' सु
धा बु
र तरह हाँ
फ रह थी।

च दर नेदे
खा-बे
चार क बु
र हालत थी। मोट तो बहु
त नह ंथी पर हाँ
, गाँ
व क त द ु ती थी, लाल चे
हरा,
जसेशरम नेतो दन
ूा बना दया था। एक हाथ सेअपनी चोट पकड़ेथी, दस
ूरेसे
अपनेकपड़ेठ क कर रह थी और
दाँ
त से
आँचल पकड़े

''छोड़ दो उसे
, यह या हैसु
धा! बड़ जं
गली हो तु
म।'' च दर ने
डाँ
टकर कहा।

''जं
गली म हू
ँया यह?'' चोट छोड़कर सु
धा बोली-''यह दे
खो, दाँ
त काट िलया हैइसने
।'' सचमु
च सु
धा केक धेपर
दाँ
त केिनशान बने
हुए थे

च दर इस स भावना पर बे
तहाशा हँ
सने
लगा क इतनी बड़ लड़क दाँ
त काट सकती है
-'' य जी, इतनी बड़ हो
गयी और दाँ
त काटती हो?'' उसक हँ
सी क नह ंरह थी। ''सचमु
च यह तो बड़ेमजेक लड़क है
। बनती हैइसका
नाम? य रे
, महु
आ बीनती थी या वहाँ
, जो बु
आजी नेबनती नाम रखा है
?''

वह प ला ठ क से
ओढ़ चु
क थी। बोली, ''नम ते
।''

च दर और सु
धा दोन हँ
स पड़े
। ''अब इतनी दे
र बाद याद आयी।'' च दर और भी हँ
सने
लगा।

'' बनती! ए बनती!'' बु


आ क आवाज आयी। बनती ने
सुधा क ओर दे
खा और चली गयी।

''और कहो सु
धी,'' च दर बोला-'' या हाल-चाल रहा यहाँ
?''

'' फर भी एक िच ठ भी तो नह ंिलखी तु
मने
।'' सु
धा बड़ िशकायत के वर म बोली, ''हम रोज लाई आती थी।
और तुहार वो आयी थी।''

''हमार वो?'' च दर ने
च ककर पू
छा।

''अरेहाँ
, तुहार प मी रानी।''

''अ छा वो आयी थीं


। या बात हु
ई?''

''कु
छ नह ं
; तुहार तसवीर दे
ख-दे
खकर रो रह थीं
।'' सु
धा ने
उँगिलयाँनचाते
हुए कहा।

''मे
र तसवीर दे
खकर! अ छा, और थी कहाँमे
र तसवीर?''

''अब तु
म तो बहस करने
लगे
, हम कोई वक ल ह! तु
म कोई नयी बात बताओ।'' सु
धा बोली।

''हम तो तुह बहु


त-बहु
त बात बताएँ
गे
। पू
र कहानी है
।''

इतनेम बनती आयी। उसकेहाथ म एक त तर थी और एक िगलास। त तर म कु


छ िमठाई थी, और िगलास
म शरबत। उसने
लाकर त तर च दर केसामने
रख द ।
''ना भई, हम नह ंखाएँ
गे
।'' च दर ने
इनकार कया।

बनती ने
सुधा क ओर दे
खा।

''खा लो। लगेनखरा करने


। लखनऊ सेआ रहेह न, तक लु
फ न कर तो मालू
म कै
सेहो?'' सु
धा ने
मुह
ँ िचढ़ाते
हु
ए कहा। च दर मु
सकराकर खाने
लगा।

''द द केकहने
पर खाने
लगेआप!'' बनती ने
अपने
हाथ क अँ
गू
ठ क ओर दे
खते
हुए कहा।

च दर हँ
स दया, कु
छ बोला नह ं
। बनती चली गयी।

''बड़ अ छ लड़क मालू


म पड़ती हैयह।'' च दर बोला।

''बहु
त यार है
। और पढऩे
म हमार तरह नह ंहै
, बहु
त ते
ज है
।''

''अ छा! तुहार पढ़ाई कै


सी चल रह है
?''

''मा टर साहब बहु


त अ छा पढ़ातेह। और च दर, अब हम खू
ब बात करतेह उनसेदिु
नया-भर क और वेबस
हमे
शा िसर नीचेकयेरहतेह। एक दन पढ़तेव हम गर पास म रखकर खातेगये
, उ ह मालू
म ह नह ंहु
आ।
उनसे
एक दन क वता सु
नवा दो।'' सु
धा बोली।

च दर ने
कुछ जवाब नह ंदया और डॉ. साहब केकमरेम जाकर कताब उलटने
लगा।

इतने
म बु
आजी का ते
ज वर आया-''हम मालू
म होता क ई मु

ँ-झ सी हमकेऐसी नाच नचइहैतौ हम पै
दा होतै
गला घ ट दे
इत। हरेराम! अ काश िसर पर उठाये
है। कैघं
टेसेन रयात-न रयात गटई फट गयी। ई बोलतैनाह ंजै
से
साँ
प सू

ँ गवा होय।''

ोफे
सर शुला केघर म वह नया सांकृ
ितक त व था। कतनी शालीनता और िश ता से
वह रहतेथे
। कभी इस
तरह क भाषा भी उनकेघर म सु
नने
को िमले
गी, इसक च दर को जरा भी उ मीद न थी। च दर च ककर उधर दे
खने
लगा। डॉ. शुला समझ गये
। कु
छ ल जत-सेऔर मु
सकराकर लािन िछपातेहु
ए-से
बोले
, ''मे
र वधवा बहन है
, कल
गाँ
व से
आयी हैलड़क को पहु

चाने
।''

उसकेबाद कु
छ पटकनेका वर आया, शायद कसी बरतन के
। इतनेम सु
धा आयी, गुसेसेलाल-''सु
ना पापा
तु
मने
, बु
आ बनती को मार डालगी।''

'' या हु
आ आ खर?'' डॉ. शुला ने
पूछा।

''कु
छ नह ं
, बनती नेपू
जा का पं
चपा उठाकर ठाकु
रजी केिसं
हासन केपीछेरख दया था। उ ह दखाई नह ं
पड़ा, तो गुसा बनती पर उतार रह ह।''

इतनेम फर उनक आवाज आयी-''पै


दा करतेबखत बहु
त अ छा लाग रहा, पालत बखत ट बोल गये
। मर गये
र ो तो आपन स तानौ अपनेसाथ लैजा यौ। हमारेमू
ड़ पर ई ह या काहेडाल गयौ। ऐसी कु
ल छनी हैक पै
दा
होते
हन बाप को खाय गयी।''

''सु
ना पापा तु
मने
?''

''चलो हम चलते
ह।'' डॉ. शुला ने
कहा। सु
धा वह ंरह गयी। च दर सेबोली, ''ऐसा बु
र ा वभाव हैबु
आ का क
बस। बनती ऐसी हैक इतना बदा त कर ले
ती है
।''

बु
आ नेठाकु
रजी का िसं
हासन साफ करते
हुए कहा, ''रोवत काहेहो, कौन तुहारेमाई-बाप को ग रयावा हैक ई
अँ
सआ
ु ढरकाय रह हो। ई सब चोचला अपनेओ को दखाओ जायके
। दईु मह ना और ह-अब हन सेउिधयानी न
जाओ।''

अब अभ ता सीमा पार कर चु
क थी।

'' बनती, चलो कमरेकेअ दर, हटो सामनेसे


।'' डॉ. शुला नेडाँ
टकर कहा, ''अब येचरखा ब द होगा या नह ं

कु
छ शरम-हया हैया नह ंतु
मम?''

बनती िससकते
हुए अ दर गयी। टड म म दे
खा क च दर हैतो उलटेपाँ
व लौट आयी सु
धा केकमरेम और
फू
ट-फू
टकर रोने
लगी।

डॉ. शुला लौट आये


-''अब हम येसब कर क अपना काम कर! अ छा कल सेघर म महाभारत मचा रखा है

कब जाएँ
गी ये
, सु
धा?''

''कल जाएँ
गी। पापा अब बनती को कभी मत भे
जना इनकेपास।'' सु
धा ने
गुसा-भरे वर म कहा।

''अ छा-जाओ, हमारा खाना परसो। च दर, तु


म अपना काम यहाँकरो। यहाँशोर यादा हो तो तु
म लाइ रे म
चले
जाना। आज भर क तकलीफ है
।''

च दर नेअपनी कु
छ कताब उठायींऔर उसनेचला जाना ह ठ क समझा। सु
धा खाना परोसनेचली गयी।
बनती रो-रोकर और त कयेपर िसर पटककर अपनी कं

ठा और द:ु
ख उतार रह थी। बु
आ घं
ट बजा रह थीं
, दबी
जबान जाने या बकती जा रह थीं
, यह घं
ट केभ -भावना-भरेमधु
र वर म सु
नायी नह ंदे
ता था।

ले
कन बु
आजी दस
ूरेदन गयींनह ं
। जब तीन-चार दन बाद च दर गया तो दे
खा बाहर केसे
हन म डॉ. शुला
बै
ठेहु
ए ह और दरवाजा पकडक़र बु
आजी खड़ बात कर रह ह। ले
कन इस व बु
आजी काफ ग भीर थींऔर कसी
वषय पर म णा कर रह थीं
। च दर केपास पहु

चने
पर फौरन वे
चुप हो गयींऔर च दर क ओर सशं
कत ने से
दे
खनेलगीं
। डॉ. शुला बोले
, ''आओ च दर, बै
ठो।'' च दर बगल क कु
स खीं
चकर बै
ठ गया तो डॉ. साहब बु
आजी से
बोले
, ''हाँ
, हाँ
, बात करो, अरेयेतो घर केआदमी ह। इनकेबारेम सु
धा नेनह ंबताया तुह? येच दर ह हमारे
िश य, बहु
त अ छा लड़का है
।''

''अ छा, अ छा, भइया बइठो, तू


तो एक दन अउर आये
र ो, बी. ए. म पढ़त हौ सु
धा केसं
गे
।''

''नह ंबु
आजी, म रसच कर रहा हू

।''
''वाह, बहु
त खु
शी भई तोको दे
ख के
-हाँतो सु
कु
ल!'' वेअपनेभाई सेबोलीं
, '' फर यह ठ क होई। बनती का
बयाह टाल दे
व और अगर ई लड़का ठ क हु
ई जाय तो सु
धा का बयाह अषाढ़-भर म िनपटाय दे
व। अब अ छा नाह ं
लागत। ठू

ठ ऐसी ब टया, सू
नी माँ
ग िलये
छररावा करत हैएहर-ओहर!'' बु
आ बोलीं

''हाँ
, येतो ठ क है
।'' डॉ. शुला बोले
, ''म खु
द सु
धा का याह अब टालना नह ंचाहता। बी.ए. तक क िश ा
काफ हैवरना फर हमार जाित म तो लड़केनह ंिमलते
। ले
कन येजो लड़कातु
म बता रह हो तो घर वालेकु

एतराज तो नह ंकरगे
! और फर, लड़का तो हम अ छा लगा ले
कन घरवाले
पता नह ंकै
सेह ?''

''अरेतो घरवालन सेका करैका हैतोको। लड़कातो अलग है


, अपने
-आप पढ़ रहा हैऔर लड़क अलग र हए, न
सास का डर, न ननद क ध स। हम प ी मँ
गवाये
देइत ह , िमलवाय ले
व।''

डॉ. शुला ने वीकृ


ित म िसर हला दया।

''तो फर बनती केबारेम का कहत हौ? अगहन तक टाल दया जाय न?'' बु
आजी ने
पूछा।

''हाँहाँ
,'' डॉ. शुला नेवचार म डू
बेहु
ए कहा।

''तो फर तु
म ह इन जू
ता पटऊ, बड़न कूसे
कह दयौ; आय केकल सेहमर छाती पर मू

ँ दलत ह।'' बु
आजी
ने
च दर क ओर कसी को िनदिशत करते
हुए कहा और चली गयीं

च दर चु
पचाप बै
ठा था। जाने या सोच रहा था। शायद कु
छ भी नह ंसोच रहा था! मगर फर भी अपनी वचार-
शू
यता म ह खोया हु
आ-सा था। जब डॉ. शुला उसक ओर मु
ड़ेऔर कहा, ''च दर!'' तो वह एकदम सेच क गया
और जानेकस दिु
नया से
लौट आया। डॉ. साहब ने
कहा, ''अरे
! तुहार तबीयत खराब है या?''

''नह ंतो।'' एक फ क हँ
सी हँ
सकर च दर ने
कहा।

''तो मे
हनत बहु
त कर रहेहोगे
। कतनेअ याय िलखेअपनी थीिसस के
? अब माच ख म हो रहा हैऔर पू
रा
अ ल
ै तुह थीिसस टाइप कराने
म लगे
गा और मई म हर हालत म जमा हो जानी चा हए।''

''जी, हाँ
।'' बड़ेथके वर म च दर नेकहा, ''दस अ याय हो ह गयेह। तीन अ याय और होनेह और
अनुम णका बनानी है
। अ ल
ै केपहले
स ाह तक ख म हो ह जाये
गा। अब िसवा थीिसस केऔर करना ह या है
?''
एक बहु
त गहर साँ
स ले
तेहु
ए च दर ने
कहा और माथा थामकर बै
ठ गया।

''कु
छ तबीयत ठ क नह ंहैतुहार । चाय बनवा लो! ले
कन सु
धा तो हैनह ं
, न महरा जन है
।'' डॉ टर साहब
बोले

अरेसु
धा, सु
धा केनाम पर च दर च क गया। हाँ
, अभी वह सु
धा केह बारेम सोच रहा था, जब बु
आजी बात
कर रह थीं
। या सोच रहा था। दे
खो...उसनेयाद करने
क कोिशश क पर कु
छ याद ह नह ंआ रहा था, पता नह ं
या सोच रहा था। पता नह ंथा...कु
छ सु
धा के याह क बात हो रह थी शायद। या बात हो रह थी...?

''कहाँगयी हैसु
धा?'' च दर ने
पूछा।
''आज शायद सा बर साहब केयहाँगयी है
। उनक लड़क उनकेसाथ पढ़ती हैन, वह ंगयी हैबनती केसाथ।''

''अब इ तहान को कतनेदन रह गये


ह, अभी घू
मना ब द नह ंहु
आ उनका?''

''नह ं
, दन-भर पढ़ने
केबाद उठ थी, उसकेभी िसर म दद था, चली गयी। घू
म- फर ले
नेदो बे
चार को, अब तो
जा ह रह है
।'' डॉ. शुला बोले
, एक हँ
सी केसाथ जसम आँ
सूछलकेपड़ते
थे।

''कहाँतय हो रह हैसु
धा क शाद ?''

''बरे
ली म। अब उसक बु
आ ने
बताया है
। ज मप ी द हैिमलवा लो, फर तु
म जरा सब बात दे
ख ले
ना। तु
म तो
थीिसस म य त रहोगे
; म जाकर लड़का दे
ख आऊँ
गा। फर मई केबाद जु
लाई तक सु
धा का याह कर दगे
। तुह
डॉ टरे
ट िमल जाए और यू
िनविसट म जगह िमल जाए। बस हम तो लड़का-लड़क दोन सेफा रग।'' डॉ. शुला बहु

अजब-से वर म बोले

च दर चु
प रहा।

'' बनती को दे
खा तु
मने
?'' थोड़ दे
र बाद डॉ टर ने
पूछा।

''हाँ
, वह न जनको डाँ
ट रह थींये
उस दन?''

''हाँ
, वह । उसकेससु
र आये
हुए ह; उनसे
कहना हैक अब शाद अगहन-पू
स केिलए टाल द। पहले
सुधा क हो
जाए, वह बड़ हैऔर हम चाहतेह क बनती को तब तक वदष
ुी का दस
ूरा खं
ड भी दला द। आओ, उनसे
बात कर
ल अभी।'' डॉ. शुला उठे
। च दर भी उठा।

और उसने
अ दर जाकर बनती केससु
र के द य दशन ा कये
। वेएक पलँ
ग पर बै
ठेथे
, ले
कन वह अभागा
पलँ
ग उनकेउदर केह िलए नाकाफ था। वेिचत पड़ेथेऔर साँ
स ले
तेथेतो पु
र ाण क उस कथा का दशन हो
जाता था क धीरे
-धीरेपृवी का गोला वाराह केमु

ँ पर कै
सेऊपर उठा होगा। िसर पर छोटे
-छोटेबाल और कमर म
एक अँ
गोछेकेअलावा सारा शर र दग बर। सु
बह शायद गं
गा नहाकर आये
थे य क पे
ट तक म च दन, रोली लगी
हु
ई थी।

डॉ. शुला जाकर बगल म कु


स पर बै
ठ गये
; ''क हए दब
ुज
ेी, कु
छ जलपान कया आपने
?''

पलँ
ग चरमराया। उस वशाल मां
स- पं
ड म एक भू
डोल आया और दब
ुज
ेी जलपान क याद करकेग द होकर हँ
सने
लगे
। एक थलथलाहट हु
ई और कमरेक द वार िगरते
-िगरतेबचीं
। दब
ुज
ेी नेउठकर बै
ठनेक कोिशश क ले
कन
असफल होकर ले
टे
-ह -ले
टेकहा, ''हो-हो! सब आपक कृ
पा है
। खू
ब छककेिम ा न पाया। अब जरा सरबत-उरबत कु

िमलै
तो जो कु
छ पे
ट म जलन है
, सो शा त होय!'' उ ह ने
पेट पर अपना हाथ फे
रते
हुए कहा।

''अ छा, अरेभाई जरा शरबत बना दे


ना।'' डॉ. शुला नेदरवाजेक ओट म खड़ हु
ई बु
आजी सेकहा। बु
आजी
क आवाज सु
नाई पड़ , ''बाप रे
! ई ढाई मन क लहास कम-से
-कम मसक-भर केशरबत तो उलीचैलैह।'' च दर को
हँ
सी आ गयी, डॉ. शुला मु
सकरानेलगेले
कन दब
ुज
ेी के द य मु
खमं
डल पर कह ं ोभ या उ लास क रे
खा तक न
आयी। च दर मन-ह -मन सोचने
लगा, ाचीन काल के ान द िस महा मा ऐसे
ह होते
ह गे

बु
आ एक िगलास म शरबत लेआयीं
। दब
ुज
ेी काँ
ख-काँ
खकर उठेऔर एक साँ
स म शरबत गलेसेनीचेउतारकर,
िगलास नीचेरख दया।

''दब
ुज
ेी, एक ाथना हैआपसे
!'' डॉ. शुला ने
हाथ जोडक़र बड़ेवनीत वर म कहा।

''नह ं
! नह ं
!'' बात काटकर दब
ुज
ेी बोले
, ''बस अब हम कु
छ न खाव। आप बहु
त स कार कये
। हम एह सेछक
गये
। आपको दे
खकेतो हम बड़ स नता भई। आप सचमु
च द य पुष हौ! और फर आप तो लड़क केमामा हो,
और बयाह-शाद म जो हैसो मामा का प दे
खा जाता है
। ई तो भगवान ्
ऐसा जोड़ िमलाइन ह क वरप अउर
क याप दइुन केमामा बड़े ानी ह। आप ह तौन कािलज म पु
र फे
सर और ओहर हमार सार-लड़काके
र मामा जौन ह
तौन डाकघर म मु

ंी ह, आपक करपा से
।'' दब
ुज
ेी ने
गव से
कहा। च दर मु
सकराने
लगा।

''अरेसो तो आपक न ता हैले


कन म सोच रहा हू
ँक गरिमय म अगर याह न रखकर जाड़ेम रखा जाए तो
यादा अ छा होगा। तब तक आपकेस कार क हम कु
छ तै
यार भी कर लगे
।'' डॉ. शुला बोले

दब
ुज
ेी इसकेिलए तै
यार नह ंथे
। वेबड़ेअचरज म भरकर उनक ओर दे
खनेलगे
। ले
कन बहु
त कहने
-सु
ननेके
बाद अ त म वे
इस शत पर राजी हु
ए क अगहन तक हर तीज- यौहार पर लड़केकेिलए कु
रता-धोती का कपड़ा और
यारह-बारह पयेनजराना जाएगा और अगहन म अगर याह हो रहा हैतो सास-ननद और जठानी केिलए गरम
साड़ जाएगी और जब-जब दब
ुज
ेी गं
गा नहाने यागराज आएँ
गेतो उनका रोचना एक थाल, कपड़ेऔर एक
वणम डत जौ सेहोगा। जब डॉ. शुला नेयह वीकार कर िलया तो दब
ुज
ेी नेउठकर अपना झालम-झोला कु
रता
गले
म अटकाया और अपनी गठर हाथ म उठाकर बोले
-

''अ छा तो अब आ ा दे
व, हम चली अब, और ई पया लड़क को दैदयो, अब बात प क है
।'' और अपनी टट
से
उ ह ने
एक मु
ड़ा-मु
ड़ाया ते
ल लगा हु
आ पाँ
च पये
का नोट िनकाला और डॉ. साहब को देदया।

''च दर एक ताँ
गा कर दो, दब
ुज
ेी को। अ छा, आओ हम भी चल।''

जब येलोग लौटेतो बु
आजी एक थै
ली से
कुछ धर-िनकाल रह थीं
। डॉ. शुला ने
नोट बु
आजी को दे
तेहु
ए कहा,
''लो, ये
देगये
तुहारेसमधी जी, लड़क को।''

पाँ
च का नोट दे
खा तो बु
आजी सु
लग उठ ं
-''न गहना न गु
रया, बयाह प का कर गयेई कागज केटु
कड़ेसे

अपना-आप तो सोना और पया और कपड़ा सब लीलैको तै
यार और दे
त केदाँ
ई पे
ट पराता हैजू
ता- पटऊ का। अरे
राम चाह तो जमदत
ू ई लहास क बोट -बोट करकेरामजी केकुन को खलइह।''

च दर हँ
सी केमारेपागल हो गया।

बु
आजी ने
थैली का मु

ँ बाँ
धा और बोलीं
, ''अब हन तक बनती का पता नै
, और ऊ तु
र कन-मलेछन के हयाँकु

खा-पी िल हस तो फर हमरेहयाँगु
जारा ना ह ना ओका। बड़ आजाद हु
ई गयी हैसु
धा क सह पाय के
। आवैदे
व,
आज हम भ ा उता रत ह ।''
डॉ. शुला अपनेकमरेम चले
गये
। च दर को यास लगी थी। उसनेबु
आजी से
एक िगलास पानी माँ
गा। बु
आ ने
एक िगलास म पानी दया और बोलीं
, ''बै
ठ के पयो बे
टा; बै
ठ के
। कु
छ खाय का दे
ई?''

''नह ं
, बु
आजी!'' बु
आ बै
ठकर हँ
िसया से
कटहल छ लने
लगींऔर च दर पानी पीता हु
आ सोचने
लगा, बु
आजी सभी
से
इतनी मीठ बात करती ह तो आ खर बनती से
ह इतनी कटु य ह?

इतने
म अ दर च पल क आहट सु
नाई पड़ । च दर नेदे
खा, सु
धा और बनती आ गयी थीं
। सु
धा अपनी च पल
उतारकर अपनेकमरेम चली गयी और बनती आँ
गन म आयी। बु
आजी केपास आकर बोली, ''लाओ, हम तरकार
काट द।''

''चल हट ओहर। प हलेनहाव जाय के


। कु
छ खाय तो नैरहयो। ए ी दे
र कहाँघू
मित रहयो ? हम खू
ब अ छ
तरह जािनत ह तू

हमार नाक कटाइन केरहबो। पतु
रयन केढँ
ग सीखेह!''

बनती चु
प। एक तीखी वे
दना का भाव उसकेमु

ँ पर आया। उसनेआँ
ख झु
का लीं
। रोयी नह ंऔर चु
पचाप िसर
झु
काये
हुए सु
धा केकमरेम चली गयी।

च दर ण-भर खड़ा रहा। फर सु


धा केपास गया। सु
धा केकमरेम अके
लेबनती खाट पर पड़ थी-औं
धेमु

ँ,
त कया म मु

ँ िछपाये
। च दर को जानेकै
सा लगा। उसकेमन म बे
हद तरस आ रहा था इस बे
चार लड़क केिलए,
जसके पता ह ह नह ंऔर जसे ताडऩा केिसवा कु
छ नह ंिमला। च दर को बहु
त ह ममता लग रह थी इस
अभािगनी केिलए। वह सोचनेलगा, कतना अ तर हैदोन बहन म। एक बचपन सेह कतनेअसीम दल
ुार, वै
भव
और ने
ह म पली हैऔर दस
ूर ताड़ना और कतनेअपमान म पली और वह भी अपनी ह सगी माँसेजो दिु
नया
भर के ित ने
हमयी है
, अपनी लड़क को छोडक़र।

वह कु
स पर बै
ठकर चु
पचाप यह सोचनेलगा-अब आगेभी इस बे
चार को या सु
ख िमले
गा। ससु
र ाल कै
सी है
,
यह तो ससु
र को दे
खकर ह मालू
म दे
ता है

इतने
म सु
धा कपड़ेबदलकर हाथ म कताब िलये
, उसे
पढ़ती हु
ई, उसी म डू
बी हु
ई आयी और खाट पर बै
ठ गयी।
''अरे
! बनती! कै
सेपड़ हो? अ छा तु
म हो च दर! बनती! उठो!'' उसनेबनती क पीठ पर हाथ रखकर कहा।

बनती, जो अभी तक िनचे पड़ थी, सु


धा केममता-भरे पश पर फू
ट-फू
टकर रो पड़ । तो सु
धा नेच दर से
कहा, '' या हु
आ बनती रानी को।'' और बनती भी जोर सेिसस कयाँभरनेलगी तो सु
धा नेच दर सेकहा, ''कु

तु
मनेकहा होगा। चौदह दन बाद आयेऔर आतेह लगे लानेउसे
। कु
छ कहा होगा तु
मने
! समझ गये
। घू
मनेके
िलए उसेभी डाँ
टा होगा। हम साफ-साफ बतायेदे
तेह च दर, हम तुहार डाँ
ट सह ले
तेह इसकेयेमतलब नह ंक
अब तु
म इस बे
चार पर भी रोब झाडऩे
लगो। इससे
कभी कु
छ कहा तो अ छ बात नह ंहोगी!''

''तुहारेदमाग का कोई पु
र जा ढ ला हो गया है या? म य कहू

गा बनती को कु
छ!''

''बस फर यह बात तुहार बु


र लगती है
।'' सु
धा बगड़कर बोली, '' य नह ंकहोगेबनती को कु
छ? जब हम
कहते
हो तो उसे य नह ंकहोगे
? हम तुहारेअपने
ह तो या वो तुहार अपनी नह ंहै
?''
च दर हँ
स पड़ा-''सो य नह ंहै
, ले
कन तुहारेसाथ न ऐसे
िनबाह, न वै
सेिनबाह।''

''ये
सब कु
छ हम नह ंजानते
! य रो रह हैयह?'' सु
धा बोली धमक के वर म।

''बु
आजी ने
कुछ कहा था।'' च दर बोला।

''अरेतो उसकेिलए या रोना! इतना समझाया तु


झेक उनक तो आदत है
। हँ
सकर टाल दया कर। चल उठ!
हँ
सती हैक गु
दगु
दाऊँ
।'' सु
धा ने
गुदगु
दातेहु
ए कहा। बनती नेउसका हाथ पकडक़र झटक दया और फर िसस कयाँ
भरने
लगी।

''नह ंमाने
गी तू
?'' सु
धा बोली, ''अभी ठ क करती हू
ँतु
झेम। च दर, पकड़ो तो इसका हाथ।''

च दर चु
प रहा।

''नह ंउठे
। उठो, तु
म इसका हाथ पकड़ लो तो हम अभी इसेहँ
साते
ह।'' सु
धा नेच दर का हाथ पकडक़र बनती
क ओर बढ़तेहु
ए कहा। च दर ने
अपना हाथ खीं
च िलया और बोला, ''वह तो रो रह हैऔर तु
म बजाय समझानेके
उसे
परे
शान कर रह हो।''

''अरेजानते
हो, य रो रह है
? अभी इसकेससु
र आये
थे, वो बहु
त मोटेथेतो ये
सोच रह हैकह ं'वो' भी मोटे
ह !'' सु
धा नेफर उसक गरदन गु
दगु
दाकर कहा।

बनती हँ
स पड़ । सु
धा उछल पड़ -''लो, येतो हँ
स पड़ , अब रोओगी?'' अब फर सु
धा नेगु
दगु
दाना शु कया।
बनती पहले
तो हँ
सी सेलोट गयी फर प ला सँ
भालते
हुए बोली, ''िछह, द द ! वो बै
ठेह क नह ं
!'' और उठकर बाहर
जाने
लगी।

''कहाँचली?'' सु
धा ने
पूछा।

''जा रह हू
ँनहाने
।'' बनती प लू
सेिसर ढँ
कते
हुए चल द ।

'' य , मने
तेर ा बदन छू दया इसिलए?'' सु
धा हँ
सकर बोली, ''ऐ च दर, वो गे
सूका छोटा भाई हैन-हसरत, मने
उसेछूिलया तो फौरन उसनेजाकर अपना मु

ँ साबु
न सेधोया और अ मीजान सेबोला, ''मे
र ा मु

ँ जू
ठा हो गया।''
और आज हमनेगे
सूकेअ तर िमयाँको दे
खा। बड़ेमजेकेह। म तो गे
सूसेबात करती रह ले
कन बनती और फू

नेबहु
त छे
ड़ा उ ह। बे
चारेघबरा गये
। फू
ल बहु
त चु
लबु
ली हैऔर बड़ नाजु
क है
। बड़ बोलनेवाली हैऔर बनती और
फू
ल का खू
ब जोड़ िमला। दोन खू
ब गाती ह।''

'' बनती गाती भी है


?'' च दर ने
पूछा, ''हमने
तो रोते
ह दे
खा।''

''अरेबहु
त अ छा गाती है
। इसने
एक गाँ
व का गाना बहु
त अ छा गाया था।...अरेदे
खो वह सब बताने
म हम तु

पर गुसा होना तो भू
ल ह गये
। कहाँरहेचार रोज? बोलो, बताओ ज द से
।''

'' य त थेसु
धा, अब थीिसस तीन ह सा िलख गयी। इधर हम लगातार पाँ
च घं
टेसेबै
ठकर िलखतेथे
!'' च दर
बोला।

''पाँ
च घं
टे
!'' सु
धा बोली, ''दध
ू आजकल पीते
हो क नह ं
?''

''हाँ
-हाँ
, तीन गाय खर द ली ह...।'' च दर बोला।

''नह ं
, मजाक नह ं
, कु
छ खाते
-पीतेरहना, कह ंतबीयत खराब हु
ई तो अब हमारा इ तहान है
, पड़े
-पड़ेम खी
मारोगेऔर अब हम दे
खने
भी नह ंआ सकगे
।''

''अब कतना कोस बाक हैतुहारा?''

''कोस तो ख म था हमारा। कु
छ क ठनाइयाँथींसो पछलेदो-तीन ह तेम मा टर साहब नेबता द थीं
। अब
दोहराना है
। ले
कन बनती का इ तहान मई म है
, उसे
भी तो पढ़ाना है
।''

''अ छा, अब चल हम।''

''अरेबै
ठो! फर जाने
कैदन बाद आओगे
। आज बु
आ तो चली जाएँ
गी फर कल सेयह ंपढ़ो न। तु
मनेबनती के
ससु
र को दे
खा था?''

''हाँ
, दे
खा था!'' च दर उनक परे
खा याद करकेहँ
स पड़ा-''बाप रे
! पू
रेटक थेवे
तो।''

'' बनती क ननद से


तुहारा याह करवा द। करोगे
?'' सु
धा बोली, ''लड़क इतनी ह मोट है
। उसे
कभी डाँ
ट ले
ना
तो दे
खगेतुहार ह मत।''

याह! एकदम से
च दर को याद आ गया। अभी बु
आ ने
बात क थी सु
धा के याह क । तब उसे
कैसा लगा था?
कै
सा लगा था? उसका दमाग घू
म गया था। लगा जै
सेएक असहनीय दद था या या था-जो उसक नस-नस को तोड़
गया। एकदम...।

'' या हु
आ, च दर? अरेचु
प य हो गये
? डर गयेमोट लड़क केनाम से
?'' सु
धा ने
च दर का क धा पकड़कर
झकझोरते
हुए कहा।

च दर एक फ क हँ
सी हँ
सकर रह गया और चु
पचाप सु
धा क ओर दे
खनेलगा। सु
धा च दर क िनगाह सेसहम
गयी। च दर क िनगाह म जाने या था, एक अजब-सा पथराया सू
नापन, एक जानेकस दद क अमं
गल छाया, एक
जानेकस पीड़ा क मू
क आवाज, एक जाने
कैसी पघलती हु
ई-सी उदासी और वह भी गहर , जानेकतनी गहर ...और
च दर था क एकटक दे
खता जा रहा था, एकटक अपलक...।

सु
धा को जाने
कैसा लगा। येअपना च दर तो नह ं
, ये
अपने
च दर क िनगाह तो नह ंहै
। च दर तो ऐसी िनगाह
से
, इस तरह अपलक तो सु
धा को कभी नह ंदे
खता था। नह ं
, यह च दर क िनगाह तो नह ं
। इस िनगाह म न शरारत
है
, न डाँ
ट न दल
ुार और न क णा। इसम कु
छ ऐसा हैजससेसु
धा ब कु
ल प रिचत नह ं
, जो आज च दर म पहली
बार दखाई पड़ रहा है
। सु
धा को जै
सा डर लगने
लगा, जै
सेवह काँ
प उठ । नह ं
, यह कोई दस
ूरा च दर हैजो उसे
इस
तरह दे
ख रहा है
। यह कोई अप रिचत है
, कोई अजनबी, कसी दस
ूरेदे
श का कोई य जो सु
धा को...
''च दर, च दर! तुह या हो गया!'' सु
धा क आवाज मारेडर केकाँ
प रह थी, उसका मु

ँ पीला पड़ गया, उसक
साँ
स बै
ठने
लगी थी-''च दर...'' और जब उसका कु
छ बस न चला तो उसक आँ
ख म आँ
सूछलक आये

हाथ पर एक गरम-गरम बू

ँ आकर पड़तेह च दर च क गया। ''अरेसु
धी! रोओ मत। नह ंपगली। हमार
तबीयत कु
छ ठ क नह ंहै
, एक िगलास पानी तो ले
आओ।''

सु
धा अब भी काँ
प रह थी। च दर क आवाज म अभी भी वह मु
लायिमयत नह ंआ पायी थी। वह पानी लाने
के
िलए उठ ।

''नह ं
, तु
म कह ंजाओ मत, तु
म बै
ठो यह ं
।'' उसनेउसक हथे
ली अपनेमाथेपर रखकर जोर सेअपनेहाथ म
दबा ली और कहा, ''सु
धा!...''

'' य , च दर!''

''कु
छ नह ं
!'' च दर ने
आवाज द ले
कन लगता था वह आवाज च दर क नह ंथी। न जाने
कहाँसे
आ रह थी...

'' या िसर म दद है
? बनती, एक िगलास पानी लाओ ज द से
।''

सु
धा ने
आवाज द । च दर जै
सेपहले
-सा हो गया-''अरे
! अभी मु
झे या हो गया था? तु
म या बात कर रह थीं
सु
धा?''

''पता नह ंतुह अभी या हो गया था?'' सु


धा ने
घबरायी हु
ई गौरे
या क तरह सहमकर कहा।

च दर व थ हो गया-''कु
छ नह ंसु
धा! म ठ क हू

। म तो यू
ँह तुह परे
शान करनेकेिलए चु
प था।'' उसने
हँ
सकर कहा।

''हाँ
, चलो रहने
दो। तुहारेिसर म दद हैज र से
।'' सु
धा बोली। बनती पानी ले
कर आ गयी थी।

''लो, पानी पयो!''

''नह ं
, हम कु
छ नह ंचा हए।'' च दर बोला।

'' बनती, जरा पे


नबाम लेजाओ।'' सु
धा नेिगलास जबद ती उसकेमु

ँ सेलगातेहु
ए कहा। बनती पे
नबाम ले
आयी थी-'' बनती, तूजरा लगा देइनके
। अरेखड़ य है
? कु
स केपीछेखड़ होकर माथेपर जरा ह क उँ
गली से
लगा दे
।''

बनती आ ाकार लड़क क तरह आगेबढ़ , ले


कन फर हचक गयी। कसी अजनबी लड़केकेमाथेपर कै
से
पे
नबाम लगा दे
। ''चलती हैया अभी काट केगाड़ दगेयह ं
। मोटक कह ंक ! खा-खाकर मु
टानी है
। जरा-सा काम नह ं
होता।''

बनती नेहारकर पे
नबाम लगाया। च दर नेउसका हाथ हटा दया तो सु
धा नेबनती केहाथ सेपे
नबाम ले
कर
कहा, ''आओ, हम लगा द।'' बनती पे
नबाम दे
कर चली गयी तो च दर बोला, ''अब बताओ, या बात कर रह थीं
? हाँ
,
बनती के याह क । ये
उनकेससु
र तो बहु
त ह भ ेमालू
म पड़ रहेथे
। या दे
खकर याह कर रह हो तु
म लोग?''

''पता नह ं या दे
खकर याह कर रह ह बु
आ। असल म बु
आ पता नह ं य बनती सेइतनी िचढ़ती ह, वह तो
चाहती ह कसी तरह से
बोझ टले
िसर से
। ले
कन च दर, यह बनती बड़ खु
श है
। यह तो चाहती हैकसी तरह ज द
सेयाह हो!'' सु
धा मु
सकराती हु
ई बोली।

''अ छा, यह खु
द याह करना चाहती है
!'' च दर ने
ता जु
ब से
पूछा।

''और या? अपनेससु


र क खू
ब से
वा कर रह थी सु
बह। ब क पापा तो कह रहेथेक अभी यह बी.ए. कर ले
तब याह करो। हमसेपापा नेकहा इससेपू
छनेको। हमनेपू
छा तो कहनेलगी बी.ए. करकेभी वह करना होगा तो
बे
कार टालनेसे या फायदा। फर पापा हमसे
बोलेक कु
छ वजह सेअगहन म याह होगा, तो बड़ेता जु
ब से
बोली,
''अगहन म?''

''सु
धी, तु
म जानती हो अगहन म उसका याह य टल रहा है
? पहलेतुहारा याह होगा।'' च दर हँ
सकर बोला।
वह पू
णतया शा त था और उसके वर म कम-से
-कम बाहर िसवा चु
हल केऔर कु
छ भी न था।

''मे
र ा याह, मे
र ा याह!'' आँ
ख फाडक़र, मु

ँ फै
लाकर, हाथ नचाकर, कु
तू
हल-भरेआ य से
सुधा ने
कहा और फर
हँ
स पड़ , खू
ब हँ
सी-''कौन करे
गा मे
र ा याह? बु
आ? पापा करनेह नह ंदगे
। हमारेबना पापा का काम ह नह ंचले
गा
और बाबू
साहब, तु
म कस पर आकर रं
ग जमाओगे
? याह मे
र ा। हू

!'' सु
धा ने
मुह
ँ बचकाकर उपेा से
कहा।

''नह ंसु
धा, म ग भीरता से
कह रहा हू

। तीन-चार मह ने
केअ दर तुहारा याह हो जाएगा।'' च दर उसेव ास
दलाते
हुए बोला।

''अरेजाओ!'' सु
धा ने
हँसते
हुए कहा, ''ऐसे
हम तुहारेबनाने
म आ जाएँ
तो हो चु
का।''

''अ छा जानेदो। तुहारेपास कोई पो टकाड है


? लाओ जरा इस कॉमरे
ड को एक िच ठ तो िलख द।'' च दर
बात बदलकर बोला। पता नह ं य इस वषय क बात केचलने
म उसे
कैसा लगता था।

''कौन कामरे
ड?'' सु
धा ने
पूछा, ''तु
म भी क यु
िन ट हो गये या?''

''नह ं
, जी, वो बरे
ली का सोशिल ट लड़का कै
लाश जसनेझगड़ेम हम लोग क जान बचायी थी। हमनेतुह
बताया नह ंथा सब क सा उस झगड़ेका, जब हम और पापा बाहर गये
थे!''

''हाँ
-हाँ
, बताया था। उसे
ज र खत िलख दो!'' सु
धा ने
पो टकाड दे
तेहु
ए कहा, ''तुह पता मालू
म है
?''

च दर जब पो टकाड िलख रहा था तो सु


धा नेकहा, ''सु
नो, उसेिलख दे
ना क पापा क सु
धा, पापा क जान
बचाने
केएवज म आपक बहु
त कृ
त हैऔर कभी अगर हो सकेतो आप इलाहाबाद ज र आएँ
!...िलख दया?''

''हाँ
!'' च दर ने
पो टकाड जे
ब म रखते
हुए कहा।

''च दर, हम भी सोशिल ट पाट केमेबर ह गे


!'' सु
धा ने
मचलते
हुए कहा।
''चलो, अब तुह नयी सनक सवार हु
ई। तु
म या समझ रह हो सोशिल ट पाट को। राजनीितक पाट हैवह। यह
मत करना क सोशिल ट पाट म जाओ और लौटकर आओ तो पापा सेकहो-अरेहम तो समझेपाट है
, वहाँचाय-
पानी िमले
गा। वहाँतो सब लोग लेचर दे
तेह।''

''धत,्हम कोई बे
वकू
फ ह या?'' सु
धा नेबगडक़र कहा।

''नह ं
, सो तो तु
म बुसागर हो, ले
कन लड़ कय क राजनीितक बु कु
छ ऐसी ह होती है
!'' च दर बोला।

''अ छा रहने
दो। लड़ कयाँन ह तो काम ह न चले
।'' सु
धा ने
कहा।

''अ छा, सु
धा! आज कु
छ पयेदोगी। हमारेपास पै
सेखतम ह। और िसने
मा दे
खना हैजरा।'' च दर नेबहु

दल
ुार से
कहा।

''हाँ
-हाँ
, ज र दगेतुह। मतलबी कह ंके
!'' सु
धा बोली, ''अभी-अभी तु
म लड़ कय क बु
र ाई कर रहेथेन?''

''तो तु
म और लड़ कय म से
थोड़ेह हो। तु
म तो हमार सु
धा हो। सु
धा महान।''

सु
धा पघल गयी-''अ छा, कतना लोगे
?'' अपनी पॉके
ट म सेपाँ
च पयेका नोट िनकालकर बोली, ''इससेकाम
चल जाएगा?''

''हाँ
-हाँ
, आज जरा सोच रहेह प मी केयहाँजाएँ
, तब से
कड शो जाएँ
।''

''प मी रानी केयहाँजाओगे


। समझ गये
, तभी तु
मने
चाचाजी सेयाह करनेसे
इनकार कर दया। ले
कन प मी
तु
मसे
तीन साल बड़ है
। लोग या कहगे
?'' सु
धा ने
छेड़ा।

''ऊँ
ह, तो या हु
आ जी! सब य ह चलता है
!'' च दर हँ
सकर टाल गया।

''तो फर खाना यह ंखाये


जाओ और कार ले
तेजाओ।'' सु
धा ने
कहा।

''मँ
गाओ!'' च दर ने
पलँ
ग पर पै
र फै
लाते
हुए कहा। खाना आ गया। और जब तक च दर खाता रहा, सु
धा सामने
बै
ठ रह और बनती दौड़-दौडक़र पू
ड़ लाती रह ।

जब च दर प मी केबँ
गले
पर पहु

चा तो शाम होनेम दे
र नह ंथी। ले
कन अभी फ ट शो शु होनेम दे
र थी।
प मी गु
लाब केबीच म टहल रह थी और बट एक अ छा-सा सू
ट पहनेलॉन पर बै
ठा था और घु
टन पर ठुड रखे
कु
छ सोच- वचार म पड़ा था। बट केचे
हरेपर का पीलापन भी कु
छ कम था। वह दे
खनेसे
इतना भयं
कर नह ंमालू

पड़ता था। ले
कन उसक आँ
ख का पागलपन अभी वै
सा ह था और खू
बसू
र त सू
ट पहनने
पर भी उसका हाल यह था
क एक कालर अ दर था और एक बाहर।

प मी ने
च दर को आते
देखा तो खल गयी। ''ह लो, कपू
र ! या हाल है
। पता नह ं य आज सु
बह से
मेर ा मन
कह रहा था क आज मे
रेिम ज र आएँ
गे
। और शाम केव तु
म तो इतने
अ छेलगते
हो जै
सेवह जगमग िसतारा
जसेदे
खकर क स ने
अपनी आ खर साने
ट िलखी थी।'' प मी नेएक गु
लाब तोड़ा और च दर केकोट केबटन होल
म लगा दया। च दर नेबड़ेभय सेबट क ओर दे
खा क कह ंगु
लाब को तोड़ेजानेपर वह फर च दर क गरदन
पर सवार न हो जाए। ले
कन बट कु
छ बोला नह ं
। बट ने
िसफ हाथ उठाकर अिभवादन कया और फर बै
ठकर सोचने
लगा।

प मी ने
कहा, ''आओ, अ दर चल।'' और च दर और प मी दोन ाइं
ग म म बै
ठ गये

च दर नेकहा, ''म तो डर रहा था क तु


मनेगु
लाब तोडक़र मु
झेदया तो कह ंबट नाराज न हो जाए, ले
कन
वह कु
छ बोला नह ं
।''

प मी मु
सकरायी, ''हाँ
, अब वह कु
छ कहता नह ंऔर पता नह ं य गु
लाब सेउसक तबीयत भी इधर हट गयी।
अब वह उतनी परवाह भी नह ंकरता।''

'' य ?'' च दर ने
ता जु
ब से
पूछा।

''पता नह ं य । मे
र तो समझ म यह आता हैक उसका जतना व ास अपनी प ी पर था वह इधर धीरे
-धीरे
हट गया और इधर वह यह व ास करनेलगा हैक सचमु
च वह साजट को यार करती थी। इसिलए उसने
फूल को
यार करना छोड़ दया।''

''अ छा! ले
कन यह हु
आ कै
से
? उसने
तो अपने
मन म इतना गहरा व ास जमा रखा था क म समझता था क
मरते
दम तक उसका पागलपन न छू
टे
गा।'' च दर ने
कहा।

''नह ं
, बात यह हु
ई क तुहारेजाने
केदो-तीन दन बाद मने
एक दन सोचा क मान िलया जाए अगर मे
रेऔर
बट के वचार म मतभे
द हैतो इसका मतलब यह नह ंक म उसकेगु
लाब चु
र ाकर उसेमानिसक पीड़ा पहु

चाऊँऔर
उसका पागलपन और बढ़ाऊँ
। बु और तक केअलावा भावना और सहानु
भिू
त का भी एक मह व मु
झेलगा और मने
फू
ल चु
र ाना छोड़ दया। दो-तीन दन वह बे
हद खु
श रहा, बे
हद खु
श और मु
झेभी बड़ा स तोष हु
आ क लो अब बट
शायद ठ क हो जाए। ले
कन तीसरेदन सहसा उसनेअपना खु
र पा फक दया, कई गु
लाब केपौधेउखाड़कर फक दये
और मु
झसेबोला, ''अब तो कोई फू
ल भी नह ंचु
र ाता, अब भी वह इन फू
ल म नह ंिमलती। वह ज र साजट केसाथ
जाती है
। वह मु
झे यार नह ंकरती, हरिगज नह ंकरती, और वह रोनेलगा।'' बस उसी दन सेवह गु
लाब केपास
नह ंजाता और आजकल बहु
त अ छे
-अ छेसू
ट पहनकर घू
मता हैऔर कहता है
- या म साजट से
कम सु
दर हू

! और
इधर वह ब कु
ल पागल हो गया है
। पता नह ंकससे
अपने
-आप लड़ता रहता है
।''

च दर ने
ता जु
ब से
िसर हलाया।

''हाँ
, मु
झेबड़ा द:ु
ख हु
आ!'' प मी बोली, ''मनेतो, हमदद क क फू
ल चु
र ानेब द कर दयेऔर उसका नतीजा
यह हु
आ। पता नह ं य कपू
र , मु
झेलगता हैक हमदद करना इस दिु
नया म सबसेबड़ा पाप है
। आदमी सेहमदद
कभी नह ंकरनी चा हए।''

च दर ने
सहसा अपनी घड़ दे
खी।

'' य , अभी तु
म नह ंजा सकते
। बै
ठो और बात सु
नो, इसिलए मनेतुह दो त बनाया है
। आज दो-तीन साल हो
गये
, मनेकसी से
बात ह नह ंक ह और तु
मसे
इसिलए मै
नेिम ता क हैक बात क ँ
गी।''

च दर हँ
सा, ''आपने
मेर ा अ छा उपयोग ढू

ढ़ िनकाला।''

''नह ं
, उपयोग नह ं
, कपू
र ! तु
म मु
झेगलत न समझना। जं
दगी नेमु
झेइतनी बात बतायी ह और यह कताब जो
म इधर पढ़नेलगी हू

, इ ह नेमु
झेइतनी बात बतायी ह क म चाहती हू
ँक उन पर बातचीत करकेअपनेमन का
बोझ ह का कर लू
।ँऔर तुह बै
ठकर सु
ननी ह गी सभी बात!''

''हाँ
, म तै
यार हू
ँले
कन कताब पढ़नी कब से
शु कर द ंतु
मने
?'' च दर ने
ता जु
ब से
पूछा।

''अभी उस दन म डॉ. शुला केयहाँगयी। उनक लड़क सेमालू


म हु
आ क तुह क वता पस द है
। मनेसोचा,
उसी पर बात क ँऔर मने
क वताएँ
पढ़नी शु कर द ं
।''

''अ छा, तो दे
खता हू
ँक दो-तीन ह ते
म भाई और बहन दोन म कु
छ प रवतन आ गये
।''

प मी कु
छ बोली नह ं
, हँ
स द।

''म सोचता हू
ँप मी क आज िसने
मा दे
खने
जाऊँ
। कार हैसाथ म, अभी प ह िमनट बाक है
। चाहो तो चलो।''

''िसने
मा! आज चार साल सेम कह ंनह ंगयी हू

। िसने
मा, हौजी, बाल डां
स-सभी जगह जाना ब द कर दया है
मने
। मे
र ा दम घु
टे
गा हॉल केअ दर ले
कन चलो दे
ख, अभी भी कतनेह लोग वै
सेह खु
शी सेिसने
मा दे
खतेह गे
।''
एक गहर साँ
स ले
कर प मी बोली, ''बट को ले
चलोगे
?''

''हाँ
, हाँ
! तो चलो उठो, फर दे
र हो जाएगी!'' च दर ने
घड़ दे
खते
हुए कहा।

प मी फौरन अ दर केकमरेम गयी और एक जाजट का ह का भू


र ा गाउन पहनकर आयी। इस रं
ग सेवह जै
से
िनखर आयी। च दर ने
उसक ओर दे
खा, तो वह लजा गयी और बोली, ''इस तरह से
मत दे
खो। म जानती हू
ँयह मे
रा
सबसे
अ छा गाउन है
। इसम कु
छ अ छ लगती होऊँ
गी। चलो!'' और आकर उसने
बेतक लु
फ से
उसकेक धेपर हाथ
रख दया।

दोन बाहर आयेतो बट लॉन पर घू


म रहा था। उसकेपै
र लडख़ड़ा रहेथे
। ले
कन वह बड़ शान सेसीना ताने
था। ''बट , आज िम टर कपू
र मु
झेिसने
मा दखलाने
जा रहेह। तु
म भी चलोगे
?''

''हू

!'' बट ने
िसर हलाकर जोर सेकहा, ''िसने
मा जाऊँ
गा? कभी नह ं
। भू
लकर भी नह ं
। तु
मनेमु
झे या समझा
है
? म िसने
मा जाऊँ
गा?'' धीरे
-धीरेउसका वर म द पड़ गया...''अगर िसने
मा म वह साजट केसाथ िमल गयी तो! तो
म उसका गला घ ट दँ

ूा।'' अपनेगलेको दबातेहु
ए बट बोला और इतनी जोर सेदबा दया अपना गला क आँ

लाल हो गयींऔर खाँ
सने
लगा। खाँ
सी ब द हु
ई तो बोला, ''वह मु
झे यार नह ंकरती। वह साजट को यार करती है

वह उसी केसाथ घू
मती है
। अगर वह िमल जाएगी िसने
मा म तो उसक ह या कर डालू

ँा, तो पु
िलस आएगी और खे

ख म हो जाएगा। तु
म जानतेहो िम. कपू
र , म उससेकतना नफरत करता हू

...और...और ले
कन नह ं
, कौन जानता है
म नफरत करता होऊँऔर वह मु
झे
...कु
छ समझ म नह ंआता, म पागल हू

, ओफ।'' और वह िसर थामकर बै
ठ गया।
प मी ने
च दर का हाथ पकडक़र कहा, ''चलो, यहाँरहने
सेउसका दमाग और खराब होगा। आओ!''

दोन जाकर कार म बै


ठे
। च दर खु
द ह ाइव कर रहा था। प मी बोली, ''बहु
त दन सेमने
कार नह ं ाइव क
है
। लाओ, आज ाइव क ँ
।''

प मी ने ट य रं
ग अपने
हाथ म ले
ली। च दर इधर बै
ठ गया।

थोड़ दे
र म कार र जट केसामनेजा पहु

ची। िच था-'से
लामी, े
यर शी डांड' ('से
लामी, जहाँवह नाची थी')।
च दर नेटकट िलया और दोन ऊपर बै
ठ गये
। अभी यू
ज र ल चल रह थी। सहसा प मी नेकहा, ''कपू
र , से
लामी
क कहानी मालू
म है
?''

''न! या यह कोई उप यास है


!'' च दर ने
पूछा।

''नह ं
, यह बाइ बल क एक कहानी है
। असल म एक राजा था है
र ाद। उसने
अपने
भाई को मारकर उसक प ी से
अपनी शाद कर ली। उसक भतीजी थी से
लामी, जो बहु
त सु
दर थी और बहु
त अ छा नाचती थी। है
र ाद उस पर मु

हो गया। ले
कन से
लामी एक पै
ग बर पर मु
ध थी। पै
ग बर नेसे
लामी के णय को ठु
करा दया। एक बार है
र ाद ने
से
लामी सेकहा क य द तु
म नाचो तो म तुह कु
छ देसकता हू

। से
लामी नाची और पु
र कार म उसनेअपना अपमान
करनेवालेपै
ग बर का िसर माँ
गा! है
र ाद वचनब था। उसनेपै
ग बर का िसर तो देदया ले
कन बाद म इस भय से
क कह ंरा य पर कोई आप न आये
, उसने
सेलामी को भी मरवा डाला।''

च दर को यह कहानी बहु
त अ छ लगी। तब तो िच बहु
त ह अ छा होगा, उसनेसोचा। सु
धा क पर ा है
वरना सु
धा को भी दखला दे
ता। ले
कन या नै
ितकता हैइन पा ा य दे
श क क अपनी भतीजी पर ह है
र ाद मु

हो गया। उसने
कहा प मी से
-

''ले
कन है
र ाद अपनी भतीजी पर ह मु
ध हो गया?''

''तो या हु
आ! यह तो सेस हैिम. कपू
र । सेस कतनी भयं
कर श शाली भावना है
, यह भी शायद तु
म नह ं
समझते
। अभी तुहार आँ
ख म बड़ा भोलापन है
। तु
म प क आग केसं
सार सेदरूमालू
म पड़तेहो, ले
कन शायद
दो-एक साल बाद तु
म भी जानोगेक यह कतनी भयं
कर चीज है
। आदमी केसामनेव -बे
व , नाता- र ता, मयादा-
अमयादा कु
छ भी नह ंरह जाता। वह अपनी भतीजी पर मो हत हु
आ तो या? मनेतो तुहारेयहाँएक पौरा णक
कहानी पढ़ थी क महादे
व अपनी लड़क सर वती पर मु
ध हो गये
।''

''महादे
व नह ं
, ा।'' च दर बोला।

''हाँ
, हाँ
, ाï। म भू
ल गयी थी। तो यह तो सेस है
। आदमी को कहाँलेजाता है
, यह अ दाज भी नह ंकया
जा सकता। तु
म तो अभी ब च क तरह भोलेहो और ई र न करेतु
म कभी इस यालेका शरबत चखो। म भी तो
तुहार इसी प व ता को यार करती हू

।'' प मी नेच दर क ओर दे
खकर कहा, ''तु
म जानतेहो, मनेतलाक य
दया? मे
र ा पित मु
झेबहु
त चाहता था ले
कन म ववा हत जीवन केवासना मक पहलू
सेघबरा उठ ! मु
झेलगनेलगा,
म आदमी नह ंहू
ँबस मां
स का लोथड़ा हू
ँजसे
मेर ा पित जब चाहेमसल दे
, जब चाहे
...ऊब गयी थी! एक गहर नफरत
थी मे
रेमन म। तु
म आये
तो तु
म बड़ेप व लगे
। तु
मनेआतेह णय-याचना नह ंक । तुहार आँ
ख म भू
ख नह ं
थी। हमदद थी, ने
ह था, कोमलता थी, िन छलता थी। मु
झेतु
म काफ अ छेलगे
। तु
मनेमु
झेअपनी प व ता दे
कर
जला दया...।''

च दर को एक अजब-सा गौरव अनु


भव हु
आ और प मी के ित एक बहु
त ऊँ
ची आदर-भावना। उसनेप व ता
दे
कर जला दया। सहसा च दर केमन म आया-ले
कन यह उसके य व क प व ता कसक द हु
ई है
। सु
धा क
ह न! उसी ने
तो उसे
िसखाया हैक पुष और नार म कतने
ऊँचेस ब ध रह सकते
ह।

'' या सोच रहेहो?'' प मी ने


अपना हाथ कपू
र क गोद म रख दया।

कपू
र िसहर गया ले
कन िश ाचारवश उसनेअपना हाथ प मी केक धेपर रख दया। प मी नेदो ण केबाद
अपना हाथ हटा िलया और बोली, ''कपू
र , म सोच रह हू
ँअगर यह ववाह संथा हट जाए तो कतना अ छा हो। पुष
और नार म िम ता हो। बौ क िम ता और दल क हमदद । यह नह ंक आदमी औरत को वासना क यास बु
झाने
का याला समझेऔर औरत आदमी को अपना मािलक। असल म बँ
धने
केबाद ह , पता नह ं य स ब ध म वकृ
ित
आ जाती है
। म तो दे
खती हू
ँक णय ववाह भी होतेह तो वह असफल हो जातेह य क ववाह केपहलेआदमी
औरत को ऊँ
ची िनगाह सेदे
खता है
, हमदद और यार क चीज समझता हैऔर ववाह केबाद िसफ वासना क । म
तो म
े म भी ववाह-प म नह ंहू
ँऔर म
े म भी वासना का वरोध करती हू

।''

''ले
कन हर लड़क ऐसी थोड़ेह होती है
!'' च दर बोला, ''तुह वासना से
नफरत हो ले
कन हर एक को तो नह ं
।''

''हर एक को होती है
। लड़ कयाँबस वासना क झलक, एक ह क िसहरन, एक गु
दगु
द पस द करती ह। बस,
उसी केपीछेउन पर चाहेजो दोष लगाया जाय ले
कन अिधकतर लड़ कयाँकम वासना य होती ह, लड़के यादा।''

िच शु हो गया। वह चु
प हो गयी। ले
कन थोड़ ह दे
र म मालू
म हु
आ क िच मा मक था। वह बाइ बल क
से
लामी क कहानी नह ंथी। वह एक अमे
रकन नतक और कु
छ डाकु
ओंक कहानी थी। प मी ऊब गयी। अब जब
डाकूपकडक़र से
लामी को एक जं
गल म लेगयेतो इं
टरवल हो गया और प मी ने
कहा, ''अब चलो, आधेह िच से
तबीयत ऊब गयी।''

दोन उठ खड़ेहु
ए और नीचेआये

''कपू
र , अबक बार तु
म ाइव करो!'' प मी बोली।

''नह ं
, तुह ं ाइव करो'' कपू
र बोला।

''कहाँचल,'' प मी ने टाट करते


हुए कहा।

''जहाँचाहो।'' कपू
र नेवचार म डू
बेहु
ए कहा।

प मी ने
गाड़ खू
ब ते
ज चला द । सड़क साफ थीं
। प मी का कालर फहराने
लगा और उड़कर च दर केगाल पर
थप कयाँलगानेलगा। च दर दरू खसक गया। प मी नेच दर क ओर दे
खा और बजाय कालर ठ क करनेके
, गले
का एक बटन और खोल दया और च दर को पास खीं
च िलया। च दर चु
पचाप बै
ठ गया। प मी ने
एक हाथ ट य रं

पर रखा और एक हाथ से
च दर का हाथ पकड़ेरह जै
सेवह च दर को दरूनह ंजाने
देगी। च दर केबदन म एक
ह क िसहरन नाच रह थी। य ? शायद इसिलए क हवा ठं
ड थी या शायद इसिलए क...उसनेप मी का हाथ अपने
हाथ से
हटाने
क कोिशश क । प मी ने
हाथ खीं
च िलया और कार केअ दर क बजली जला द ।

कपू
र चु
पचाप ठाकु
र साहब केबारेम सोचता रहा। कार चलती रह । जब च दर का यान टू
टा तो उसनेदे
खा
कार मै
कफसन ले
क केपास क है

दोन उतरे
। बीच म सड़क थी, इधर नीचेउतरकर झील और उधर गं
गा बह रह थी। आठ बजा होगा। रात हो
गयी थी, चार तरफ स नाटा था। बस िसतार क ह क रोशनी थी। मै
कफसन झील काफ सू
ख गयी थी। कनारे
-
कनारेमछली मारने
केमचान बने
थे।

''इधर आओ!'' प मी बोली। और दोन नीचेउतरकर मचान पर जा बै


ठे
। पानी का धरातल शा त था। िसफ कह ं
-
कह ंमछिलय केउछलने
या साँ
स ले
नेसे
पानी हल जाता था। पास ह केनीवाँगाँ
व म कसी केयहाँशायद शाद थी
जो शहनाई का ह का वर हवाओंक तरं
ग पर हलता-डु
लता हु
आ आ रहा था। दोन चु
पचाप थे
। थोड़ दे
र बाद
प मी ने
कहा, ''कपू
र , चु
पचाप रहो, कु
छ बात मत करना। उधर दे
खो पानी म। िसतार का ित ब ब दे
ख रहेहो। चु
पे
से
सुनो, ये
िसतारे या बात कर रहेह।''

प मी िसतार क ओर दे
खनेलगी। कपू
र चु
पचाप प मी क ओर दे
खता रहा। थोड़ दे
र बाद सहसा प मी एक
बाँ
स सेटककर बै
ठ गयी। उसकेगलेकेदो बटन खु
लेहु
ए थे
। और उसम से प क चाँ
दनी फट पड़ती थी। प मी
आँ
ख ब द कयेबै
ठ थी। च दर नेउसक ओर दे
खा और फर जाने य उससेदे
खा नह ंगया। वह िसतार क ओर
दे
खने
लगा। प मी केकालर केबीच से
िसतारेटू
ट-टू
टकर बरस रहेथे

सहसा प मी नेआँ
ख खोल द ंऔर च दर का क धा पकडक़र बोली, '' कतना अ छा हो अगर आदमी हमे
शा
स ब ध म एक दरू रखे
। सेस न आनेदे
। येिसतारेह, दे
खो कतनेनजद क ह। करोड़ बरस सेसाथ ह, ले
कन
कभी भी एक दस
ूरेको छू
तेतक नह ं
, तभी तो सं
ग िनभ जाता है
।'' सहसा उसक आवाज म जाने या छलक आया
क च दर जै
सेमदहोश हो गया-बोली वह-''बस ऐसा हो क आदमी अपने म
ेा पद को िनकटतम लाकर छोड़ दे
, उसको
बाँ
धेन। कु
छ ऐसा हो क होठ केपास खीं
चकर छोड़ दे
।'' और प मी ने
च दर का माथा होठ तक लाकर छोड़ दया।
उसक गरम-गरम साँ
स च दर क पलक पर बरस गयीं
...''कु
छ ऐसा हो क आदमी उसे
अपने दय तक खीं
चकर फर
हटा दे
।'' और च दर को प मी ने
अपनी बाँ
ह म घे
र कर अपने
व तक खीं
चकर छोड़ दया। व क गरमाई च दर के
रोम-रोम म सु
लग उठ , वह बे
चै
न हो उठा। उसकेमन म आया क वह अभी यहाँसेचला जाए। जानेकै
सा लग रहा
था उसे
। सहसा प मी बोली, ''ले
कन नह ं
, हम लोग िम ह और कपू
र , तु
म बहु
त पव हो, िन कलं
क हो और तु

पव रहोगे
। म जतनी दरू, जतना अ तर, जतनी प व ता पस द करती हू

, वह तु
मम हैऔर हम लोग म हमे
शा
िनभे
गी जै
सेइन िसतार म हमे
शा िनभती आयी है
।''

च दर चु
पचाप सोचनेलगा, ''वह प व है
। एकाएक उसका मन जै
सेऊबनेलगा। जै
सेएक वहग िशशुघबराकर
अपनेनीड़ केिलए तड़प उठता है
, वै
सेह वह इस व तड़प उठा सु
धा केपास जानेकेिलए- य ? पता नह ं य ?
यहाँकु
छ हैजो उसे
जकड़ ले
ना चाहता है
। वह या करे
?
प मी उठ , वह भी उठा। बाँ
स का मचान हला। लहर म हरकत हु
ई। करोड़ साल सेअलग और प व िसतारे
हले
, आपसे
म टकराये
और चू
र -चू
र होकर बखर गये

रात-भर च दर को ठ क सेनीं
द नह ंआयी। अब गरमी काफ पड़नेलगी थी। एक सू
ती चादर से यादा नह ं
ओढ़ा जाता था और च दर नेवह भी ओढ़ना छोड़ दया था, ले
कन उस दन रात को अ सर एक अजब-सी कँ
पकँ
पी
उसेझकझोर जाती थी और वह कसकर चादर लपे
ट ले
ता था, फर जब उसक तबीयत घु
टने
लगती तो वह उठ बै
ठता
था। उसे
रात-भर नीं
द नह ंआयी; बार-बार झपक आयी और लगा क खड़क केबाहर सु
नसान अँ
धे
रेम से
अजब-सी
आवाज आती ह और नािगन बनकर उसक साँ
स म िलपट जाती ह। वह परे
शान हो उठता है
, इतनेम फर कह ंसे
कोई मीठ सतरं
गी सं
गीत क लहर आती हैऔर उसेसचे
त और सजग कर जाती है
। एक बार उसनेदे
खा क सु
धा
और गे
सूकह ंचली जा रह ह। उसने
गेसू
को कभी नह ंदे
खा था ले
कन उसने
सपने
म गे
सूको पहचान िलया। ले
कन
गे
सूतो प मी क तरह गाउन पहनेहु
ए थी! फर दे
खा बनती रो रह हैऔर इतना बलख- बलखकर रो रह हैक
तबीयत घबरा जाए। घर म कोई नह ंहै
। च दर समझ नह ंपाता क वह या करे
! अके
लेघर म एक अप रिचत लड़क
सेबोलनेका साहस भी नह ंहोता उसका। कसी तरह ह मत करकेवह समीप पहु

चा तो दे
खा अरे
, यह तो सु
धा है

सु
धा लु
ट हु
ई-सी मालू
म पड़ती है
। वह बहु
त ह मत करकेसु
धा केपास बै
ठ गया। उसनेसोचा, सु
धा को आ ासन दे
ले
कन उसकेहाथ पर जानेकै
सेसु
कु
मार जं
जीर कसी हु
ई ह। उसकेमु

ँ पर कसी क साँ
स का भार है
। वह िन े
है
। उसका मन अकु
ला उठा। वह च ककर जाग गया तो दे
खा वह पसीनेसेतर है
। वह उठकर टहलनेलगा। वह जाग
गया था ले
कन फर भी उसका मन व थ नह ंथा। कमरेम ह टहलते
-टहलतेवह फर ले
ट गया। लगा जै
सेसामने
क खु
ली खडक़ सेसै
कड़ तारेटू
ट-टू
टकर भयानक ते
जी सेआ रहेह और उसकेमाथेसे
टकरा-टकराकर चू
र -चू
र हो
जाते
ह। एक ममा तक पीड़ा उसक नस म खौल उठ और लगा जै
सेउसकेअं
ग-अं
ग म िचताएँ
धधक रह ह।

जै
स-े
तैसेरात कट और सु
बह उठतेह वह यू
िनविसट जानेसेपहलेसु
धा केयहाँगया। सु
धा ले
ट हु
ई पढ़ रह
थी। डॉ. शुला पू
जा कर रहेथे
। बु
आजी शायद रात को चली गयी थीं
। य क बनती बै
ठ तरकार काट रह थी और
खु
श नजर आ रह थी। च दर सु
धा केकमरेम गया। दे
खतेह सु
धा मु
सकरा पड़ । बोली कु
छ नह ंले
कन आतेह
उसने
च दर केअं
ग-अं
ग को अपनी िनगाह के वागत म समे
ट िलया। च दर सु
धा केपै
र केपास बै
ठ गया।

''कल रात को तु
म कार ले
कर वापस आये
तो चु
पेसे
चले
गये
!'' सु
धा बोली, ''कहो, कल कौन-सा खे
ल दे
खा?''

''कल बहु
त बड़ा खे
ल दे
खा; बहु
त बड़ा खे
ल, सु
धी!'' च दर याकु
लता सेबोला, ''अरेजानेकै
सा मन हो गया क
रात-भर नीं
द ह नह ंआयी।'' और उसकेबाद च दर सब बता गया। कै
सेवह िसने
मा गया। उसनेप मी से या बात
क । उसकेबाद कै
सेकार पर उसनेच दर को पास खीं
च िलया। कै
सेवेलोग मै
कफसन झील गयेऔर वहाँप मी
पागल हो गयी। फर कै
सेच दर को एकदम सु
धा क याद आनेलगी और फर रात-भर च दर को कै
से
-कै
सेसपने
आये
। सु
धा बहु
त ग भीर होकर मु

ँ म पेसल दबायेकु
हनी टे
केबस चु
पचाप सु
नती रह और अ त म बोली, ''तो तु

इतने
परे
शान य हो गये
, च दर! उसने
तो अ छ ह बात कह थी। यह तो अ छा ह हैक येसब जसेतु
म सेस
कहते
हो, यह स ब ध म न आए। उसम या बु
र ाई है
? या तु
म चाहते
हो क सेस आए?''

''कभी नह ं
, तु
म मु
झेअभी तक नह ंसमझ पायीं
।''

''तो ठ क है
, तु
म भी नह ंचाहतेक सेस आए और वह भी नह ंचाहती क सेस आए तो झगड़ा या है
? य,
तु
म उदास य हो इतने
?'' सु
धा बोली बड़ेअचरज से

''ले
कन उसका यवहार कै
सा है
?'' च दर ने
सुधा से
कहा।

''ठ क तो है
। उसनेबता दया तुह क इतना अ तर होना चा हए। समझ गये
। तु
म लालची आदमी, चाहतेहोगे
यह भी अ तर न रहे
! इसीिलए तु
म उदास हो गये
, िछह!'' ह ठ म मु
सकराहट और आँ
ख म शरारत क झलक िछपाते
हु
ए सु
धा बोली।

''तु
म तो मजाक करने
लगीं
।'' च दर बोला।

सु
धा िसफ च दर क ओर दे
खकर मु
सकराती रह । च दर सामनेलगी हु
ई तसवीर क ओर दे
खता रहा। फर
उसनेसु
धा केकबू
तर -जै
सेउजलेमासू
म न हेपै
र अपनेहाथ म लेिलये
और भरायी हु
ई आवाज म बोला, ''सु
धा, तु

कभी हम पर व ास न हार बै
ठना।''

सु
धा नेकताब ब द करकेरख द और उठकर बै
ठ गयी। उसनेच दर केदोन हाथ अपनेहाथ म ले
कर कहा,
''पागल कह ंके
! हम कहते
हो, अभी सु
धा म बचपन हैऔर तु
मम या है
! वाह रेछु
ईमु
ई केफू
ल! कसी ने
हाथ पकड़
िलया, कसी ने
बदन छूिलया तो घबरा गये
! तु
मसेअ छ लड़ कयाँहोती ह।'' सु
धा नेउसकेदोन हाथ झकझोरते
हुए
कहा।

''नह ंसु
धी, तु
म नह ंसमझतीं
। मे
र जं
दगी म एक ह व ास क च टान है
। वह हो तु
म। म जानता हू
ँक
कतनेह जल- लय ह ले
कन तुहारेसहारेम हमे
शा ऊपर रहू

गा। तु
म मु
झेडू
बनेनह ंदोगी। तुहारेह सहारेम
लहर सेखे
ल भी सकता हू

। ले
कन तुहारा व ास अगर कभी हला तो म कन अँ
धे
र गहराइय म डू
ब जाऊँ
गा, यह
कभी म सोच नह ंपाता।'' च दर ने
बड़ेकातर वर म कहा।

सु
धा बहु
त ग भीर हो गयी। ण-भर वह च दर केचे
हरेक ओर दे
खती रह , फर च दर केमाथेपर झू
लती हु

एक लट को ठ क करती हु
ई बोली, ''च दर, और म कसके व ास पर चल रह हू

, बोलो! ले
कन मनेतो कभी नह ं
कहा क च दर अपना व ास मत हारना! और या कहू

। मु
झेअपनेच दर पर पू
र ा व ास है
। मरते
दम तक व ास
रहे
गा। फर तुहारा मन इतना डगमगा य गया? बु
र बात हैन?''

च दर ने
सुधा केक धेपर अपना िसर रख दया। सु
धा ने
उसका हाथ ले
कर कहा, ''लाओ, यहाँछु
आ था प मी
ने
तुह!'' और उसका हाथ होठ तक ले
गयी। च दर काँ
प गया, आज सु
धा को यह या हो गया है
। ले
कन ह ठ तक
हाथ ले
जाकर झाड़ने
-फँ

कने
वाल क तरह सु
धा नेफँ

ककर कहा, ''जाओ, तुहारेहाथ से
प मी के पश का जहर उतर
गया। अब तो ठ क हो गये
! पव हो गये
! छू
-म तर!''

च दर हँ
स पड़ा। उसका मन शा त हो गया। सु
धा म जाद ू
था। सचमु
च जाद ू
था। बनती चाय ले
आयी। दो याले

सु
धा बोली, ''अपने
िलए भी लाओ।'' बनती ने
िसर हलाया।

सु
धा ने
च दर क ओर दे
खकर कहा, ''ये
पगली जाने य तु
मसे
झपती है
?''

''झपती कहाँहू

?'' बनती ने ितवाद कया और याला भी ले
आयी और जमीन पर बै
ठ गयी। सु
धा नेयाला मु


सेलगाया और बोली, ''च दर, तु
मनेप मी को गलत समझा है
। प मी बहु
त अ छ लड़क है
। तु
मसेबड़ भी हैऔर
तु
मसे यादा समझदार, और उसी तरह यवहार भी करती है
। तु
म अगर कु
छ सोचतेहो तो गलत सोचतेहो। मे
रा
मतलब समझ गये
न।''

''जी हाँ
, गुआनीजी, अ छ तरह से
!'' च दर ने
हाथ जोडक़र वन ता सेकहा। बनती हँ
स पड़ और उसक चाय
छलक गयी। नीचेरखी हु
ई च दर क जर दार पे
शावर स डल भीग गयी। बनती ने
झुककर एक अँ
गोछेसे
उसे
प छना
चाहा तो सु
धा िच ला उठ -''हाँ
-हाँ
, छु
ओ मत। कह ंइनक स डल भी बाद म आकेन रोनेलगे
। सु
न बनती, एक
लड़क नेकल इ ह छूिलया तो आप आज उदास थे
। अभी तु
म स डल छु
ओ तो कह ंजाकेकोतावली म रपट न कर
द।''

च दर हँ
स पड़ा। और उसका मन धु
लकर ऐसे
िनखर गया जै
सेशरद का नीलाभ आकाश।

''अब प मी केयहाँकब जाओगे


?'' सु
धा ने
शरारत-भर मु
सकराहट से
पूछा।

''कल जाऊँ
गा! ठाकु
र साहब प मी केहाथ अपनी कार बे
च रहेह तो कागज पर द तखत करना है
।'' च दर ने
कहा, ''अब म िनडर हू

। कहो बनती, तुहारेससु
र का या कोई खत नह ंआया।''

बनती झप गयी। च दर चल दया।

थोड़ दरूजाकर फर मु
ड़ा और बोला, ''अ छा सु
धा, आज तक जो काम हो बता दो फर एक मह ने
तक मु
झसे
कोई मतलब नह ं
। हम थीिसस पू
र करगे
। समझीं
?''

''समझे
!'' हाथ पटककर सु
धा बोली।

सचमु
च डे
ढ़ मह नेतक च दर को होश नह ंरहा क कहाँ या हो रहा है
। बस रया रोज सु
धा और बनती को
पढ़ानेआता रहा, सु
धा और बनती दोन ह का इ तहान ख म हो गया। प मी दो बार सु
धा और च दर सेिमलने
आयी ले
कन च दर एक बार भी उसकेयहाँनह ंगया। िम ा का एक खत बरे
ली से
आया ले
कन च दर ने
उसका भी
जवाब नह ंदया। डॉ टर साहब नेअपनी पुतक केदो अ याय िलख डाले
लेकन उसनेएक दन भी बहस नह ंक ।
बनती उसेबराबर चाय, दध
ू, ना ता, शरबत और खरबू
जा दे
ती रह ले
कन च दर ने
एक बार भी उसकेससु
र का नाम
ले
कर नह ंिचढ़ाया। सु
धा या करती है
, कहाँजाती है
, च दर से या कहती है
, च दर को कोई होश नह ं
, बस उसका
पे
न, उसकेकागज, टड म क मे
ज और च दर हैक आ खर थीिसस पू
र करकेह माना।

7 मई को जब उसनेथीिसस का आ खर प ना िलखकर पू
र ा कया और स तोष क साँ
स ली तो दे
खा क शाम
केपाँ
च बजेह, सायबान म अभी परदा पड़ा हैले
कन धू
प उतार पर हैऔर लूब द हो गयी है
। उसक कु
स केपीछे
एक चटाई बछाये
हुए सु
धा बै
ठ है
। ग
ूो का अधपढ़ा हु
आ उप यास बगल म खु
ला हु
आ औं
धा पड़ा हैऔर आप च दर
क एक मोट -सी इकनॉिम स क कताब खोले
उस पर कलम से
कुछ गोदा-गोद कर रह है

''सु
धा!'' एक गहर साँ
स ले
कर अँ
गड़ाई ले
तेहु
ए च दर नेकहा, ''लो, आज आ खरकार जान छू
ट । बस, अब दो-
तीन मह ने
म माबदौलत डॉ टर बन जाएँ
गे
!''
सु
धा अपनेकाय म य त। च दर ने या कहा, यह सु
नकर भी गु
म। च दर नेहाथ बढ़ाकर चोट झटक द ।
''हाय रे
! हम नह ंअ छा लगता, च दर!'' सु
धा बगडक़र बोली, ''तुहारेकाम केबीच म कोई बोलता हैतो बगड़ जाते
हो और हमारा काम थोड़ेह मह वपू
ण है
!'' कहकर सु
धा फर पे
न ले
कर गोदने
लगी।

''आ खर कौन-सा उपिनषद िलख रह ह आप? जरा दे


ख तो!'' च दर नेकताब खीं
च ली। टा जग क इकनॉिम स
क कताब म एक पू
रेप नेपर सु
धा नेएक ब ली बनायी थी और अगर िनगाह जरा चू
क जाए तो आप कह नह ं
सकतेथेयह चौरासी लाख योिनय म सेकस योिन का जीव है
, ले
कन चू

क सु
धा कह रह हैक यह ब ली है
,
इसिलए मानना होगा क यह ब ली ह है

च दर ने
सुधा क बाँ
ह पकडक़र कहा, ''उठ! आलसी कह ंक , चल उठा ये
पोथा! चलकेपापा केपै
र छूआएँ
?''

सु
धा चु
पचाप उठ और आ ाकार लड़क क तरह मोट फाइल उठा ली। दरवाजेतक पहु

चकर क गयी और
च दर केक धेपर फाइल टकाकर बोली, ''ऐ च दर, तो स ची अब तु
म डॉ टर हो जाओगे
?''

''और या?''

''आहा!'' कहकर जो सु
धा उछली तो फाइल हाथ सेखसक और सभी प ने
जमीन पर।

च दर झ ला गया। उसनेगुसेसेलाल होकर एक घू



ँा सु
धा को मार दया। ''अरेराम रे
!'' सु
धा नेपीठ सीधी
करते
हुए कहा, ''बड़ेपरोपकार हो डॉ टर च दर कपू
र ! हम बना थीिसस िलखेड ी देद ! ले
कन बहु
त जोर क थी!''

च दर हँ
स पड़ा।

खै
र दोन पापा केपास गये
। वेभी िलखकर ह उठेथेऔर शरबत पी रहेथे
। च दर नेजाकर कहा, ''पू
र हो
गयी।'' और झु
ककर पै
र छूिलये
। उ ह नेच दर को सीनेसेलगाकर कहा, ''बस बे
टा, अब तुहार तप या पू
र हो
गयी। अब जु
लाई से
यूिनविसट म ज र आ जाओगेतु
म!''

सु
धा ने
पोथा कोच पर रख दया और अपने
पैर बढ़ाकर खड़ हो गयी। ''ये या?'' पापा ने
पूछा।

''हमारेपै
र नह ंछु
एँ
गे या?'' सु
धा ने
ग भीरता से
कहा।

''चल पगली! बहु


त बदतमीज होती जा रह है
!'' पापा नेकृ म गुसे
सेकहा, ''च दर! बहु
त िसर चढ़ हो गयी है

जरा दबाकर रखा करो। तु
मसे
छोट हैक नह ं
?''

''अ छा पापा, अब आज िमठाई िमलनी चा हए।'' सु


धा बोली, ''च दर ने
थीिसस ख म क है
?''

''ज र, ज र बे
ट !'' डॉ टर शुला नेजे
ब सेदस का नोट िनकालकर देदया, ''जाओ, िमठाई मँ
गवाकर खाओ
तु
म लोग।''

सु
धा हाथ म नोट िलयेउछलतेहु
ए टड म म आयी, पीछे
-पीछेच दर। सु
धा क गयी और अपनेमन म
हसाब लगाते
हुए बोली, ''दस पये
प ड ऊन। एक प ड म आठ ल छ । छह ल छ म एक शाल। बाक बची दो ल छ ।
दो ल छ म एक वे
टर। बस एक बनती का वे
टर, एक हमारा शाल।''

च दर का माथा ठनका। अब िमठाई क उ मीद नह ं


। फर भी कोिशश करनी चा हए।

''सु
धा, अभी से
शाल का या करोगी? अभी तो बहु
त गरमी है
!'' च दर बोला।
''अबक जाड़ेम तुहारा याह होगा तो आ खर हम लोग नयी-नयी चीज का इ तजाम कर न। अब डॉ टर हु
ए, अब
डॉ टरनी आएँ
गी!'' सु
धा बोली।

खै
र , बहु
त मनाने
-बहलाने
-फु
सलानेपर सु
धा िमठाई मँ
गवानेको राजी हु
ई। जब नौकर िमठाई ले
नेचला गया तो
च दर ने
चार ओर दे
खकर पू
छा, ''कहाँगयी बनती? उसे
भी बु
लाओ क अके
ले
-अके
लेखा लोगी!''

''वह पढ़ रह हैमा टर साहब से


!''

'' य ? इ तहान तो ख म हो गया, अब या पढ़ रह है


?'' च दर ने
पूछा।

'' वदष
ुी का दस
ूरा ख ड तो देरह हैन िसत बर म!'' सु
धा बोली।

''अ छा, बु
लाओ बस रया को भी!'' च दर बोला।

''अ छा, िमठाई आनेदो।'' सु


धा नेकहा और फाइल क ओर दे
खकर कहा, ''मु
झेइस क ब त पर बहु
त गुसा
आ रहा है
।''

'' य ?''

''इसक वजह से
तुम डे
ढ़ मह ने
सीधेसे
बोले
तक नह ं
। इ तहान वालेदन सु
बह-सु
बह तुह हाथ जोडऩे
आयी तो
तु
मने
िसर पर हाथ भी नह ंरखा!'' सु
धा ने
िशकायत के वर म कहा।

''तो अब आशीवाद देद। अब तो ख म हु


ई थीिसस। अब जतना चाहो बात कर लो। थीिसस न िलखतेतो फर
तुहारेच दर को उपािध कहाँसे
िमलती?'' च दर ने
दलुार से
कहा।

''तो फर क वोके
शन पर तुहार गाउन हम पहनकर फोटो खं
चाएँ
गे
!'' सु
धा मचलकर बोली। इतनेम नौकर
िमठाई ले
आया। ''जाओ, बनतीजी को बु
ला लाओ।'' च दर ने
कहा।

बनती आयी।

''तु
म पढ़ चु
क !'' च दर ने
पूछा।

''अभी नह ं
।'' बनती बोली।

''अ छा, अब आज पढ़ाई ब द करो, उ ह भी बु


ला लाओ। िमठाई खाई जाए।'' च दर ने
कहा।

''अ छा!'' कहकर बनती जो मु


ड़ तो सु
धा बोली, ''अरेलालिचन! ये
तो पू
छ लेक िमठाई काहेक है
?''

''मु
झेमालू
म है
!'' बनती मु
सकराती हु
ई बोली, ''उनकेयहाँआज गये
ह गे
, प मी केयहाँफर आज कु
छ उस दन
जै
सी बात हु
ई होगी।''

सु
धा हँ
स पड़ । च दर झप गया। बनती चली गयी बस रया को बु
लाने

''अब तो ये
तुमसे
बोलने
लगी!'' सु
धा ने
कहा।

''हाँ
, यह हैबड़ सु
शील लड़क और बहु
त शा त। हम बहु
त अ छ लगती है
। बोलना तो जै
सेआता ह नह ंइसे
।''

''हाँ
, ले
कन अब खू
ब सीख रह है
। इसक गु िमली हैगे
स।ूहमसेभी यादा गे
सूसे
पटने
लगी हैइसक । दोन
याह करने
जा रह ह और दोन उसी क बात करती ह जब िमलती ह तब।'' सु
धा बोली।

''और क वता भी करती हैयह, तु


म एक बार कह रह थीं
?'' च दर ने
पूछा।

''नह ंजी, असल म एक बड़ सु


दर-सी नोट-बु
क थी, उसम यह जाने या िलखती थी? हम नह ंदखाती थी। बाद
म हमने
देखा क एक डायर है
। उसम धोबी का हसाब िलखती थी।''

''तो क वता नह ंिलखतीं


! ता जु
ब है
, वरना सोलह बरस केबाद म
े करकेक वता करना तो लड़ कय का फै
शन
हो गया है
, उतना ह यापक जतना उलटा प ला ओढ़ना।'' च दर बोला।

''चला तुहारा नार -पु


र ाण!'' सु
धा बगड़ ।

िमठाई खानेवालेआये
। आगे
-आगेबनती, पीछे
-पीछे बस रया। अिभवादन केबाद बस रया बै
ठ गया। ''कहो
बस रया, तुहार िश या कै
सी है
?''

''बस अ तीय।'' क व बस रया ने


िसर हलाकर कहा। सु
धा मु
सकरा द , च दर क ओर दे
खकर।

''और ये
सुधा कै
सी थी?''

''बस अ तीय।'' बस रया ने


उसी तरह कहा।

''दोन अ तीय ह? साथ ह !'' च दर ने


पूछा।

सु
धा और बनती दोन हँ
स दं
। बस रया नह ंसमझ पाया क उसने
कौन-सी हँ
सने
क बात क थी और जब नह ं
समझ पाया तो पहले
िसर खु
जलाने
लगा फर खु
द भी हँ
स पड़ा। उसक हँ
सी पर तीन और हँ
स पड़े

''च दर, मा टर साहब भी खू


ब ह। एक दन बनती को महादे
वी क वह क वता पढ़ा रहेथे
, ' वरह का जलजात
जीवन,' तो पढ़ते
-पढ़ते
बड़ गहर साँ
स भरने
लगे
।''

च दर और बनती दोन हँ
स पड़े
। बस रया पहलेतो खु
द हँ
सा फर बोला, ''हाँभाई, या कर, कपू
र ! तु
म तो
जानते
ह हो, म बहु
त भावु
क हू

। मु
झसे
बदा त नह ंहोता। एक बार तो ऐसा हु
आ क पच म एक क ण रस का गीत
आ गया अथ िलखनेको। म उसेपढ़तेह इतना यिथत हो गया क उठकर टहलनेलगा। ोफे
सर समझेम दस
ूरे
लड़केक कॉपी दे
खने
उठा हू

, तो उ ह ने
िनकाल दया। मु
झेिनकाले
जाने
का अफसोस नह ंहु
आ ले
कन क वता पढक़र
मु
झेबहु
त लाई आयी।''

सु
धा हँ
सी तो च दर नेआँ
ख केइशारेसेमना कया और ग भीरता से
बोला, ''हाँभाई बस रया, सो तो सह है
ह । तु
म इतने
भावु
क न हो तो इतना अ छा कै
सेिलख सकते
हो? तो तु
मने
पचा छोड़ दया?''
''हाँ
, म पच वगै
रह क या परवाह करता हू

? मे
रेिलए इन सभी व तु
ओंका कु
छ भी अथ नह ं
। म भावना क
उपासना करता हू

। उस समय पर ा दे
नेक भावना से यादा सबल उस क वता क क ण भावना थी। और इस तरह
म कतनी बार फे
ल हो चु
का हू

। मे
रेसाथ वह पढ़ता था न ह रहर टं
डन, वह अब ब ती कॉले
ज का सपल है
। एक
मे
र ा सहपाठ था, वह रे
डयो का ो ाम ए जी यू
टव है
...''

''और एक तुहारा सहपाठ तो हमनेसु


ना क असेबली का पीकर भी है
!'' च दर बात काटकर बोला। सु
धा फर
हँ
स पड़ । बनती भी हँ
स पड़ ।

खै
र िमठाई का भोग ार भ हु
आ। बस रया कु
छ तक लु
फ कर रहा था तो बनती बोली, ''खाइए, िमठाई तो
वरह-रोग और भावु
कता म बहु
त वा य द होती है
!''

''अ छा, अब तो बनती का कं


ठ फू
ट िनकला! अपने
गुजी को बना रह है
।'' च दर बोला।

बस रया थोड़ दे
र बाद चला गया। ''अब मु
झेएक पाट म जाना है
।'' उसनेकहा। जब आ खर म एक रसगुला
बच रहा तो बनती हाथ म ले
कर बोली, ''कौन ले
गा?'' आज पता नह ं य बनती बहु
त खु
श थी और बहु
त बोल रह
थी।

च दर बोला, ''हम दो!''

सु
धा बोली, ''हम!''

बनती ने
एक बार च दर क ओर दे
खा, एक बार सु
धा क ओर। च दर बोला, ''दे
ख बनती हमार हैया सु
धा क
है
।''

बनती ने
झट रसगुला सु
धा केमु
ख म रख दया और सु
धा केिसर पर िसर रखकर बोली-

''हम अपनी द द केह!'' सु


धा नेआधा रसगुला बनती को देदया तो बनती च दर को दखलाकर खातेहु

सु
धा से
बोली, ''द द , ये
हम बहु
त बनाते
ह, अब हम भी तुहार तरह बोलगेतो इनका दमाग ठ क हो जाएगा।''

''हम-तु
म दोन िमलकेइनका दमाग ठ क करगे
?'' सु
धा ने यार सेबनती को थपथपातेहु
ए कहा, ''अब हम
त त रयाँधोकर रख द।'' और त त रयाँउठाकर चल द ।

''पानी नह ंदोगी?'' च दर बोला।

बनती पानी ले
आयी और बोली, ''हम तो आपका इतना काम करतेह और आप जब दे
खो तब हम बनातेरहते
ह। आपको या आन द आता हैहम बनाने
म?''

च दर नेपल-भर बनती क ओर दे
खा और बोला, ''असल म बननेकेबाद जब तु
म झप जाती हो तो...हाँऐसे
ह ।''

बनती नेफर झपकर मु



ँ िछपा िलया और लाज सेसकु
चाकर इ वधूबन गयी। बनती दे
खने
-सु
ननेम बड़
अ छ थी। उसक गठन तो सु
धा क तरह नह ंथी ले
कन उसकेचे
हरेपर एक फरोजी आभा थी जसम गु
लाल के
डोरेथे
। आँ
ख उसक बड़ -बड़ और पलक म इस तरह डोलती थींजै
सेकसी सु
कु
मार सीपी म कोई बहु
त बड़ा मोती
डोले
। झपती थी तो मु

ँ पर साँ
झ मु
सकरा उठती थी और गाल म फू
ल केकटोर जै
सेदो छोटे
-छोटेग ढो। और
बनती केअं
ग-अं
ग म एक प क लहर थी जो नािगन क तरह लहराती थी और उसक आदत थी क बात करते
समय अपनी गरदन जरा टे
ढ़ कर ले
ती थी और अँ
गु
िलय से
अपने
आँचल का छोर उमे
ठने
लगती थी।

इस व च दर क बात पर झप गयी और उसी तरह आँ


चल केछोर को उमे
ठती हु
ई, मु
सकान िछपाकर उसने
ऐसी िनगाह से
च दर क ओर दे
खा जसम थोड़ लाज, थोड़ा गुसा, थोड़ स नता और थोड़ शरारत थी।

च दर एकदम बोला उठा, ''अरेसु


धा, सु
धा, जरा बनती क आँ
ख दे
खो इस व !''

''आयी अभी।'' बगल केकमरेम त तर रखते


हुए सु
धा बोली।

''बड़ेखराब ह आप?'' बनती बोली।

''हाँ
, बनाओगी न आज से
हम? हमारा दमाग ठ क करोगी न? बहु
त बोल रह थी, अब बताओ!''

''बताएँ या? अभी तक हम बोलते


नह ंथेतभी न?''

''अब अपनी ससु


र ाल म बोलना टु
इयाँऐसी! वह ंतुहारेबोल पर र झगेलोग।'' च दर नेफर छे
ड़ा।

''िछह, राम-राम! येसब मजाक हमसेमत कया क जए। द द से य नह ंकहतेजनक अभी शाद होनेजा
रह है
।''

''अभी उनक कहाँ


, अभी तो तय भी नह ंहु
ई।''

''तय ह सम झए, फोटो इनक उन लोग नेपस द कर ली। अ छा एक बात कह, मािनएगा!'' बनती बड़ेआ ह
और द नता के वर म बोली।

'' या?'' च दर ने
आ य से
पूछा। बनती आज सहसा कतना बोलने
लगी है
। बनती बोली, नीचेजमीन क ओर
दे
खती हु
ई-''आप हमसेयाह केबारेम मजाक न कया क जए, हम अ छा नह ंलगता।''

''ओहो, याह अ छा लगता हैले


कन उसकेबारेम मजाक नह ं
। गु
ड़ खाया गु
लगु
लेसे
परहे
ज!''

''हाँ
, यह तो बात है
।'' बनती सहसा ग भीर हो गयी-''आप समझते
ह गेक म याह केिलए उ सु
क हू

, द द भी
समझती ह; ले
कन मे
रा ह दल जानता हैक याह क बात सु
नकर मु
झेकै
सा लगने
लगता है
। ले
कन फर भी मने
याह करने
सेइनकार नह ंकया। खु
द दौड़-दौडक़र उस दन दब
ुज
ेी क से
वा म लगी रह , इसिलए क आप दे
ख चु
के
ह क माँका यवहार मु
झसेकै
सा है
? आप यहाँइस प रवार को दे
खकर समझ नह ंसकतेक म वहाँकै
सेरहती हू

,
कै
सेमाँ
जी क बात बदा त करती हू

, वह नरक हैमे
रेिलए, माँक गोद नरक हैऔर म कसी तरह िनकल भागना
चाहती हू

। कु
छ चै
न तो िमले
गा!'' बनती क आँ
ख म आँ
सूआ गयेऔर िससकती हु
ई बोली, ''ले
कन आप या द द
जब यह कहतेह, तो मु
झेलगता हैक म कतनी नीच हू

, कतनी पितत हू
ँक खु
द अपनेयाह केिलए याकु
ल हू

,
ले
कन आप न कहा कर तो अ छा है
!'' बनती को आँ
सओ
ु ंका तार बँ
ध गया था।

सु
धा बगल केकमरेसे
सब कु
छ सु
न रह थी। आयी और च दर से
बोली, ''बहु
त बु
र बात है
, च दर! बनती, य
रो रह हो, रानी? बु
आ का वभाव ह ऐसा है
, उससेहमे
शा अपना दल दख
ुाने
से या लाभ?'' और पास जाकर उसको
छाती सेलगाकर सु
धा बोली, ''मे
र राजदल
ुार ! अब रोना मत, ऐं
! अ छा, हम लोग कभी मजाक नह ंकरगे
! बस अब
चु
प हो जाओ, रानी ब टया क तरह जाओ मु

ँ धो आओ।''

बनती चली गयी। च दर ल जत-सा बै


ठा था।

''लो, अब तुह भी लाई आ रह है या?'' सु


धा नेबहु
त दल
ुार सेकहा, ''तु
म उससेससु
र ाल का मजाक मत
कया करो। वह बहु
त द:ु
खी हैऔर बहु
त कदर करती हैतुहार । और कसी क मजाक क बात और है
। हम या तु

कहते
ह तो उसे
लग जाता है
।''

''अ छा, वो कह रह थी, तुहार फोटो उन लोग ने


पस द कर ली है
''-च दर ने
बात बदलने
केखयाल से
कहा।

''और या, कोई हमार श ल तुहार तरह हैक लोग नापस द कर द।'' सु
धा अकड़कर बोली।

''नह ं
, सच-सच बताओ?'' च दर ने
पूछा।

''अरेजी,'' लापरवाह सेमु



ँ बचकाकर सु
धा बोली, ''उनकेपस द करनेसे या होता है
? म याह-उआह नह ं
क ँ
गी। तु
म इस फे
र म न रहना क हम िनकाल दोगेयहाँसे
।''

इतने
म बनती आ गयी। वह भी उदास थी। सु
धा उठ और बनती को पकड़ लायी और ढके
लकर च दर केबगल
म बठा दया।

''लो, च दर! अब इसेदल


ुार कर लो तो अभी गु
र गु
र ानेलगे
। ब ली कह ंक !'' सु
धा नेउसेह क -सी चपत
मारकर कहा। बनती का मु

ँ अपनी हथे
िलय म ले
कर अपने
मुह
ँ केपास लाकर आँ
ख म आँ
ख डालकर कहा, ''पगली
कह ंक , आँ
सूका खजाना लु
टाती फरती है
।''

''च दर!'' डॉ. शुला ने


पुकारा और च दर उठकर चला गया।

सु
धा पर इन दन घू
मना सवार था। सु
बह हु
ई क च पल पहनी और गायब। गे
स,ूकािमनी, भा, लीला शायद ह
कोई लड़क बची होगी जसकेयहाँजाकर सु
धा ऊधम न मचा आती हो, और चार सु
ख-द:ु
ख क बात न कर आती हो।
बनती को घू
मना कम पस द था, हाँजब कभी सु
धा गे
सूकेयहाँजाती थी तो बनती ज र जाती थी, उसेसु
धा क
सभी िम म गे र ो म छुट हो चु
सूसबसे यादा पस द थी। डॉ टर शुला के यू क थी पर वेसु
धा का याह तय
करने
क कोिशश कर रहेथे
। इसिलए वह बाहर भी नह ंगयेथे
। च दर डे
ढ़ मह नेतक लगातार मे
हनत करनेकेबाद
पढ़ाई-िलखाई क ओर सेआराम कर रहा था और उसनेिन त कर िलया था क अब बरसात केपहलेवह कताब
छु
एगा नह ं
। बड़ेआराम के दन कटतेथेउसके
। सु
बह उठकर साइ कल पर गं
गा नहानेजाता था और वहाँअ सर
ठाकु
र साहब से
भी मु
लाकात हो जाती थी। डॉ टर शुला ने
भी कई दफेइरादा कया क वेगं
गाजी चला कर ले
कन
एक तो उनसेदन म काम नह ंहोता था, शाम को वे
घूमते
और सु
बह उठकर कताब िलखते
थे।
एक दन सु र छू
बह िलख रहेथेक च दर आया और उनकेपै कर बोला, '' ा तीय सरकार का वह पु
र कार कल
शाम को आ गया!''

''कौन-सा?''

''वह जो उ र ा त म माता और िशशु


ओंक मृ
यु-संया पर मने
िनब ध िलखा था, उसी पर।''

''तो या पदक आ गया?'' डॉ टर शुला ने


कहा।

''जी,'' अपनी जे
ब म सेएक मखमली ड बा िनकालकर च दर नेदया। पदक बहु
त सु
दर था। जगमगाता हु

वणपदक जसम ा तीय राजमुा अं
कत थी।

''ई र तुह बहु


त यश वी करेजीवन म।'' डॉ टर शुला नेपदक उसक कमीज म अपनेहाथ सेलगा दया,
''जाओ, अ दर सु
धा को दखा आओ।''

च दर जानेलगा तो डॉ टर साहब नेबु


लाया, ''अ छा, अब सु
धा क शाद का इ तजाम करना है
। हमसेतो कु

होनेसेरहा, तुह ंको सब करना होगा। और सु
नो, जे
ठ दशहरा को लड़केका भाई और माँदे
खनेआ रह ह। और
बहन भी आएँ
गी गाँ
व से
।''

''अ छा?'' च दर बै
ठ गया कु
स पर और बोला, ''कहाँहैलड़का? या करता है
?''

''लड़का शाहजहाँ
परुम है
। घर केजमीं
दार ह येलोग। लड़का एम. ए. है
। और अ छेवचार का है
। उसने
िलखा
हैक िसफ दस आदमी बारात म आएँ
गे
, एक दन कगे
। संकार केबाद चलेजाएँ
गे
। िसवा लड़क केगहने
-कपड़े
और लड़केकेगहने
-कपड़ केऔर कु
छ भी नह ं वीकार करगे
।''

''अ छा, ा ण म तो ऐसा कु


ल नह ंिमले
गा।''

''तभी तो! सु
धा क क मत है
, वरना तु
म बनती केससु
र को तो दे
ख ह चु
केहो। अ छा जाओ, सु
धा सेिमल
आओ।''

वह सु
धा केकमरेम आ गया। सु
धा थी ह नह ं
। वह आँ
गन म आया। दे
खा महरा जन खाना बना रह हैऔर
बनती बरामदेम बु
र ादेक अँ
गीठ पर पको ड़याँबना रह है

''आइए,'' बनती बोली, ''द द तो गयी ह गे


सूको बु
लाने
। आज गे
सूक दावत है
।...पीढ़ेपर बै
ठएगा, ली जए।''
एक पीढ़ा च दर क ओर बनती नेखसका दया। च दर बै
ठ गया। बनती नेउसकेहाथ म मखमली ड बा दे
खा तो
पू
छा, ''यह या लाये
? कु
छ द द केिलए है या? यह तो अँ
गू
ठ मालू
म पड़ती है
।''

''अँ
गू
ठ , वह या दाल म िमला केखाएगी! जं
गली कह ंक ! उसे या तमीज हैअँ
गू
ठ पहनने
क !''

''हमार द द केिलए ऐसी बात क तो अ छा नह ंहोगा, हाँ


!'' उसेबनती नेउसी तरह गरदन टे
ढ़ कर आँ

डु
लातेहु
ए धमकाया-''उ ह नह ंअँ
गू
ठ पहननी आएगी तो या आपको आएगी? अब याह म सोलह िसं
गार करगी!
अ छा, द द कै
सी लगगी घू

ँट काढ़ के
? अभी तक तो िसर खोले
चकई क तरह घू
मती- फरती ह।''

''तु
मने
तो डाल ली आदत, ससु
र ाल म रहने
क !'' च दर नेबनती से
कहा।

''अरेहमारा या!'' एक गहर साँ


स ले
तेहु
ए बनती नेकहा, ''हम तो उसी केिलए बनेथे
। ले
कन सु
धा द द को
याह-शाद म न फँ
सना पड़ता तो अ छा था। द द इन सबकेिलए नह ंबनी थीं
। आप मामाजी से
कहते य नह ं
?''

च दर नेकु
छ जवाब नह ंदया। चु
पचाप बै
ठा हु
आ सोचता रहा। बनती भी कड़ाह म सेपकौ ड़याँिनकाल-
िनकालकर थाली म रखनेलगी। थोड़ दे
र बाद जब वह घी म पकौ ड़याँडाल चु
क तब भी वह वै
सेह गु
मसु
म बै
ठा
सोच रहा था।

'' या सोच रहेह आप? नह ंबताइएगा। फर अभी हम द द से


कह दगेक बै
ठ-बै
ठेसोच रहेथे
।'' बनती बोली।

'' या तुहार द द का डर पड़ा है


?'' च दर ने
कहा।

''अपनेदल से
पूिछए। हमसे
नह ंबन सकते
आप!'' बनती ने
मुसकराकर कहा और उसकेगाल म फू
ल केकटोरे
खल गये
-''अ छा, इस ड बे
म या है
, कु
छ ाइवे
ट!''

''नह ंजी, ाइवे


ट या होगा, और वह भी तु
मसे
? सोनेका मे
डल है
। िमला हैमु
झेएक ले
ख पर।'' और च दर ने
ड बा खोलकर दखला दया।

''आहा! ये
तो बहु
त अ छा है
। हम देद जए।'' बनती बोली।

'' या करे
गी तू
?'' च दर ने
हँसकर पू
छा।

''अपने
आने
वाले
जीजाजी केिलए कान केबु
देबनवा लगे
।'' बनती बोली, ''अरेहाँ
, आपको एक चीज दखाएँ
गे
।''

'' या?''

''यह नह ंबताते
। दे
खएगा तो उछल प ़
डएगा।''

''तो दखाओ न!''

''अभी तो द द आ रह ह गी। द द केसामने


नह ंदखाएँ
गे
।''

''सु
धा से
िछपाकर हम कु
छ नह ंकर सकते
, यह तु
म जानती हो।'' च दर बोला।

''िछपाने
क बात थोड़ेह है
। दे
खकर तब उ ह बता द जएगा। वै
सेवह खु
द ह सु
धा द द से या िछपाते
ह? लो,
सु
धा द द तो आ गयीं
...''

च दर नेपीछेमु
डक़र दे
खा। सु
धा केहाथ म एक ल बा-सा सरकं
डा था और उसे
झंडेक तरह फहराती हु
ई चली
आ रह थी। च दर हँ
स पड़ा।
'' खल गये
द द को दे
खते
ह !'' बनती बोली और एक गरम पकौड़ च दर केऊपर फक द ।

''अरे
, बड़ शै
तान हो गयी हो तु
म इधर! पाजी कह ंक !'' च दर बोला।

सु
धा च पल उतारकर अ दर आयी। झू
मती-इठलाती हु
ई चली आ रह थी।

''कहो, से
ठ वाथ मल!'' उसनेच दर को दे
खतेह कहा, ''सु
बह हु
ई और पकौड़ क महक लग गयी तुह!'' पीढ़ा
खीं
चकर उसकेबगल म बै
ठ गयी और सरकं
डा च दर केहाथ पर रखतेहु
ए बोली, ''लो, यह ग ना। घर म बो दे
ना।
और गँ
डे
र खाना! अ छा!'' और हाथ बढ़ाकर वह ड बया उठा ली और बोली, ''इसम या है
? खोल या न खोल?''

''अ छा, खत तक तो हमारेबना पू


छेखोल ले
ती हो। इसे
पूछ केखोलोगी!''

''अरेहमनेसोचा शायद इस ड बया म प मी का दल ब द हो। तुहार िम है


, शायद मृ
ित-िच ï म वह दे
दया हो।'' और सु
धा नेड बया खोली तो उछल पड़ , ''यह तो उसी िनब ध पर िमला हैजसका चाट तु
म बनाये
थे!''

''हाँ
!''

''तब तो ये
हमारा है
।'' ड बया अपने
व म िछपाकर सु
धा बोली।

''तुहारा तो हैह । म अपना कब कहता हू



?'' च दर ने
कहा।

''लगाकर दे
ख!'' और उठकर सु
धा चल द ।

'' बनती, दो पकौड़ तो दो।'' और दो पकौ ड़याँले


कर खातेहु
ए च दर सु
धा केकमरेम गया। दे
खा, सु
धा शीशे
के
सामने
खड़ हैऔर मे
डल अपनी साड़ म लगा रह है
। वह चु
पचाप खड़ा होकर दे
खने
लगा। सु
धा ने
मेडल लगाया और
ण-भर तनकर दे
खती रह फर उसे
एक हाथ से
व पर िचपका िलया और मु

ँ झु
काकर उसे
चूम िलया।

''बस, कर दया न ग दा उसे


!'' च दर मौका नह ंचू
का।

और सु
धा तो जै
सेपानी-पानी। गाल सेलाज क रतनार लपट फू
ट ंऔर एड़ तक धधक उठ ं
। फौरन शीशेके
पास से
हट गयी और बगड़कर बोली, ''चोर कह ंके
! या दे
ख रहेथे
?''

बनती इतनेम त तर म पकौड़ रखकर लेआयी। सु


धा नेझट सेमे
डल उतार दया और बोली, ''लो, रखो
सहे
जकर।''

'' य , पहने
रहो न!''

''ना बाबा, परायी चीज, अभी खो जाये


तो डाँ
ड़ भरना पड़े
।'' और मे
डल च दर क गोद म रख दया।

बनती ने
धीमे
सेकहा, ''या मु
र ली मु
र लीधर क अधरा न धर अधरा न धर गी।''

च दर और सु
धा दोन झप गये
। ''लो, गे
सूआ गयी।''
सु
धा क जान म जान आ गयी। च दर नेबनती का कान पकडक़र कहा, ''बहु
त उलटा-सीधा बोलने
लगी है
!''

कान छु
बनती ने ड़ाते
हुए कहा, ''कोई झू
ठ थोड़ेह कहती हू

!''

च दर चु
पचाप सु
धा केकमरेम पकौ डय़ाँखाता रहा। बगल केकमरेम सु
धा, गे
स,ूफू
ल और हसरत बै
ठेबात
करतेरहे
। बनती उन लोग को ना ता दे
ती रह । उस कमरेम ना ता पहु

चाकर बनती एक िगलास म पानी ले
कर
च दर केपास आयी और पानी रखकर बोली, ''अभी हलु
आ ला रह हू

, जाना मत!'' और पल-भर म त तर म हलु

रखकर ले
आयी।

''अब म चल रहा हू

!'' च दर ने
कहा।

''बै
ठो, अभी हम एक चीज दखाएँ
गे
। जरा गे
सूसे
बात कर आएँ
।'' बनती बड़ेभोले वर म बोली, ''आइए, हसरत
िमयाँ
।'' और पल-भर म न ह-मु
ने-से
छह वष केहसरत िमयाँतनजे
ब का कु
रता और चू
ड़ दार पायजामेपर पीले
रे
शम
क जाके
ट पहने
कमरेम खरगोश क तरह उछल आये

''आदाबज।'' बड़ेतमीज से
उ ह ने
च दर को सलाम कया।

च दर ने
उसे
गोद म उठाकर पास बठा दया। ''लो, हलु
आ खाओ, हसरत!''

हसरत नेिसर हला दया और बोला, ''गे


सूनेकहा था, जाकर च दर भाई सेहमारा आदाब कहना और कु

खाना मत! हम खाएँ
गेनह ं
।''

च दर बोला, ''हमारा भी नम ते
कह दो उनसे
जाकर।''

हसरत उठ खड़ा हु
आ-''हम कह आएँ
।'' फर मु
डक़र बोला, ''आप तब तक हलु
आ ख म कर दगे
?''

च दर हँ
स पड़ा, ''नह ं
, हम तुहारा इ तजार करगे
, जाओ।''

हसरत िसर हलाता हु


आ चला गया।

इतनेम सु
धा आयी और बोली, ''गे
सूक गजल सु
नो यहाँबै
ठकर। आवाज आ रह हैन! फू
ल भी आयी है
इसिलए गे
सूतुहारेसामने
नह ंआएगी वरना फू
ल अ मीजान से
िशकायत कर दे
गी। ले
कन वह तु
मसे
िमलने
को बहु

इ छु
क है
, अ छा यह ंसे
सुनना बै
ठे
-बै
ठे
...''

सु
धा चली गयी। गे
सूनेगाना शु कया बहु
त मह न, पतली ले
कन बे
हद मीठ आवाज म जसम कसक और
नशा दोन घु
ल-े
िमलेथे
। च दर एक त कया टे
ककर बै
ठ गया और उनीं
दा-सा सु
ननेलगा। गजल ख म होतेह सु
धा
भागकर आयी-''कहो, सु
न िलया न!'' और उसकेपीछे
-पीछेआया हसरत और सु
धा केपै
र म िलपटकर बोला, ''सु
धा,
हम हलु
आ नह ंखाएँ
गे
!''

सु
धा हँ
स पड़ , ''पागल कह ंका। लेखा।'' और उसकेमु

ँ म हलु
आ ठू

स दया। हसरत को गोद म ले
कर वह
च दर केपास बै
ठ गयी और गे
सूकेबारेम बतानेलगी, ''गे
सूगिमयाँबतानेनै
नीताल जा रह है
। वह ंअ तर क
अ मी भी आएँ
गी और मँ
गनी क र म वह ंपू
र करगी। अब वह पढ़े
गी नह ं
। जु
लाई तक उसका िनकाह हो जाएगा।
कल रात क गाड़ से
जा रहेह ये
लोग। वगै
र ह-वगै
र ह।''

बनती बै
ठ -बै
ठ गे
सूऔर फू
ल सेबात करती रह । थोड़ दे
र बाद सु
धा उठकर चली गयी। तु
म जाना मत, आज
खाना यह ंखाना, म बनती को तुहारेपास भे
ज रह हू

, उससे
बात करते
रहना।''

थोड़ दे
र बाद बनती आयी। उसकेहाथ म कु
छ था जसे
वह अपनेआँ
चल से
िछपायेहु
ई थी। आयी और बोली,
''अब द द नह ंह, ज द से
देख ली जए।''

'' या है
?'' च दर ने
ता जु
ब से
पूछा।

''जीजाजी क फोटो।'' बनती नेमु


सकराकर कहा और एक छोट -सी बहु
त कला मक फोटो च दर केहाथ म रख
द।

''अरेयह तो िम है
। कॉमरे
ड कै
लाश िम ।'' और च दर के दमाग म बरे
ली क बात, लाठ चाज...सभी कु
छ घू

गया। च दर केमन म इस व जाने
कैसा-सा लग रहा था। कभी बड़ा अचरज होता, कभी एक स तोष होता क चलो
सु
धा केभा य क रे
खा उसेअ छ जगह लेगयी, फर कभी सोचता क िम इतना विच वभाव का है
, सु
धा क
उससे
िनभे
गी या नह ं
? फर सोचता, नह ंसु
धा भा यवान है
। इतना अ छा लड़का िमलना मुकल था।

''आप इ ह जानते
ह?'' बनती ने
पूछा।

''हाँ
, सु
धा भी उ ह नाम से
जानती हैश ल सेनह ं
। ले
कन अ छा लड़का है
, बहु
त अ छा लड़का।'' च दर ने
एक
गहर साँ
स ले
कर कहा और फर चु
प हो गया। बनती बोली, '' या सोच रहेह आप?''

''कु
छ नह ं
।'' पलक म आये
हुए आँ
सूरोककर और होठ पर मु
सकान लाने
क कोिशश करतेहु
ए बोला, ''म सोच
रहा हू

, आज कतना स तोष हैमु
झे
, कतनी खु
शी हैमु
झे
, क सु
धा एक ऐसेघर जा रह हैजो इतना अ छा है
, ऐसे
लड़केकेसाथ जा रह हैजो इतना ऊँ
चा''...कहते
-कहते
च दर क आँ
ख भर आयीं

बनती च दर केपास खड़ होकर बोली, ''िछह, च दर बाबू


! आपक आँ
ख म आँ
स!ूयह तो अ छा नह ंलगता।
जतनी प व ता और ऊँ
चाई से
आपनेसु
धा केसाथ िनबाह कया है
, यह तो शायद दे
वता भी नह ंकर पाते
और द द
नेआपको जै
सा िन छल यार दया हैउसको पाकर तो आदमी वग सेभी ऊँ
चा उठ जाता है
, फौलाद सेभी यादा
ताकतवर हो जाता है
, फर आज इतने
शुभ अवसर पर आप म कमजोर कहाँसे
? हम तो बड़ शरम लग रह है
। आज
तक द द तो दरू
, हम तक को आप पर गव था। अ छा, म फोटो रख तो आऊँवरना द द आ जाएँ
गी!'' बनती ने
फोटो ली और चली गयी।

बनती जब लौट तो च दर व थ था। बनती क ओर ण भर च दर ने


देखा और कहा, ''म इसिलए नह ंरोया
था बनती, मु
झेयह लगा क यहाँकै
सा लगे
गा। खै
र जाने
दो।''

''एक दन तो ऐसा होता ह हैन, सहना पड़े


गा!'' बनती बोली।
''हाँ
, सो तो है
; अ छा बनती, सु
धा ने
यह फोटो दे
खी है
?'' च दर ने
पूछा।

''अभी नह ं
, असल म मामाजी नेमु
झसे
कहा था क यह फोटो दखा देसु
धा को; ले
कन मे
र ह मत नह ंपड़ ।
मनेउनसे
कह दया क च दर आएँ
गेतो दखा दगे
। आप जब ठ क समझ तो दखा द। जे
ठ दशहरा अगले
ह मं
गल
को है
।'' बनती ने
कहा।

''अ छा।'' एक गहर साँ


स ले
कर च दर बोला।

बनती थोड़ दे
र तक च दर क ओर एकटक दे
खती रह । च दर ने
उसक िनगाह चु
र ा ली और बोला, '' या दे

रह हो, बनती?''

''दे
ख रह हू
ँक आपक पलक झपकती ह या नह ं
?'' बनती बहु
त ग भीरता से
बोली।

'' य ?''

''इसिलए क मने
सुना था, दे
वताओंक पलक कभी नह ंिगरतीं
।''

च दर एक फ क हँ
सी हँ
सकर रह गया।

''नह ं
, आप मजाक न समझ। मनेअपनी जं
दगी म जतनेलोग दे
खे
, उनम आप-जै
सा कोई भी नह ंिमला।
कतने
ऊँचेह आप, कतना वशाल दय हैआपका! द द कतनी भा यशाली ह।''

च दर नेकु
छ जवाब नह ंदया। ''जाओ, फोटो लेआओ।'' उसनेकहा, ''आज ह दखा दँ
।ूजाओ, खाना भी ले
आओ। अब घर जाकर या करना है
।''

पापा को खाना खलाने


केबाद च दर और सु
धा खाने
बैठे
। महरा जन चली गयी थी। इसिलए बनती सक-सककर
रोट देरह थी। सु
धा एक रे
शमी सिनया पहने
चौकेकेअ दर खा रह थी। और च दर चौकेकेबाहर। सु
बह केक चे
खाने त छू
म डॉ टर शुला बहु त-छात का वचार रखते
थे।

''दे
खो, आज बनती नेरोट बनायी हैतो कतनी मीठ लग रह है
, एक तु
म बनाती हो क मालू
म ह नह ंपड़ता
रोट हैक सो ता!'' च दर ने
सुधा को िचढ़ाते
हुए कहा।

सु
धा नेहँ
सकर कहा, ''हम बनती सेलड़ानेक कोिशश कर रहेहो! बनती क हमसेजं
दगी-भर लड़ाई नह ंहो
सकती!''

''अरेहम सब समझते
ह इनक बात!'' बनती ने
रोट पटकते
हुए कहा और जब सु
धा िसर झु
काकर खाने
लगी तो
बनती ने
आँख केइशारेसे
पूछा, ''कब दखाओगे
?''

च दर ने
िसर हलाया और फर सु
धा से
बोला, ''तु
म उ ह िच ठ िलखोगी?''

'' क ह?''
''कै
लाश िम ा को, वह बरे
ली वाले
? उ ह ने
हम खत िलखा था उसम तुह णाम िलखा था।'' च दर बोला।

''नह ं
, खत-वत नह ंिलखते
। उ ह एक दफेबु
लाओ तो यहाँ
।''

''हाँ
, बु
लाएँ
गेअब मह ने
-दो मह ने
बाद, तब तु
मसे
खूब प रचय करा दगेऔर तुह उसक पाट म भी भरती करा
दगे
।'' च दर ने
कहा।

'' या? हम मजाक नह ंकरते


? हम सचमु
च समाजवाद दल म शािमल ह गे
।'' सु
धा बोली, ''अब हम सोचतेह
कु
छ काम करना चा हए, बहु
त खे
ल-कू
द िलये
, बचपन िनभा िलया।''

''उ ह ने
अपना िच भे
जा है
। दे
खोगी?'' च दर ने
जेब म हाथ डालते
हुए पू
छा।

''कहाँ
?'' सु
धा ने
बहु
त उ सु
कता से
पूछा, ''िनकालो दे
ख।''

''पहले
बताओ, हम या इनाम दोगी? बहु
त मुकल से
भेजा उ ह ने
िच !'' च दर ने
कहा।

''इनाम दगेइ ह!'' सु


धा बोली और झट से
झपटकर िच छ न िलया।

, छूिलया चौकेम से
''अरे ?'' बनती ने
दबी जबान से
कहा।

सु थाली छोड़ द । अब छूगयी थी वह; अब खा नह ंसकती थी।


धा ने

''अ छ फोटो दे क थाली छू


खी द द । सामने ट गयी!'' बनती ने
कहा।

सु
धा नेहाथ धोकर आँ
चल केछोर सेपकडक़र फोटो दे
खी और बोली, ''च दर, सचमु
च दे
खो! कतनेअ छेलग
रहेह। कतना ते
ज हैचे
हरेपर, और माथा दे
खो कतना ऊँ
चा है
।'' सु
धा फोटो दे
खती हु
ई बोली।

''अ छ लगी फोटो? पस द है


?'' च दर ने
बहु
त ग भीरता से
पूछा।

''हाँ
, हाँ
, और समाजवा दय क तरह नह ंलगते
ये।'' सु
धा बोली।

''अ छा सु
धा, यहाँआओ।'' और च दर केसाथ सु
धा अपनेकमरेम जाकर पलँ
ग पर बै
ठ गयी। च दर उसके
पास बै
ठ गया और उसका हाथ अपने
हाथ म ले
कर उसक अँ
गू
ठ घु
माते
हुए बोला, ''सु
धा, एक बात कह, मानोगी?''

'' या?'' सु
धा ने
बहु
त दल
ुार और भोले
पन से
पूछा।

''पहले
बता दो क मानोगी?'' च दर ने
उसक अँ
गू
ठ क ओर एकटक दे
खते
हुए कहा।

'' फर, हमने


कभी कोई बात तुहार टाली है
! या बात है
?''

''तु
म मानोगी चाहेकु
छ भी हो?'' च दर ने
पूछा।

''हाँ
-हाँ
, कह तो दया। अब कौन-सी तुहार ऐसी बात हैजो तुहार सु
धा नह ंमान सकती!'' आँ
ख म, वाणी म,
अं
ग-अं
ग से
सुधा केआ मसमपण छलक रहा था।
'' फर अपनी बात पर कायम रहना, सु
धा! दे
खो!'' उसनेसु
धा क उँ
गिलयाँअपनी पलक से
लगाते
हुए कहा, ''सु
धी
मे
र ! तु
म उस लड़केसेयाह कर लो!''

'' या?'' सु
धा चोट खायी नािगन क तरह तड़प उठ -''इस लड़केसे
? यह शकल हैइसक हमसेयाह करनेक !
च दर, हम ऐसा मजाक नापस द करते
ह, समझेक नह ं
! इसिलए बड़ेयार से
बुला लाये
, बड़ा दल
ुार कर रहेथे
!''

''तु
म अभी वायदा कर चु
क हो!'' च दर ने
बहु
त आ जजी से
कहा।

''वायदा कै
सा? तु
म कब अपनेवायदेिनभातेहो? और फर यह धोखा दे
कर वायदा कराना या? ह मत थी तो
साफ-साफ कहते
हमसे
! हमारेमन म आता सो कहते
। हम इस तरह से
बाँ
ध कर य बिलदान चढ़ा रहेहो!'' और सु
धा
मारेगुसे
केरोने
लगी।

च दर त ध। उसने
इस य क क पना ह नह ंक थी। वह ण भर खड़ा रहा। वह या कहेसु
धा से
, कु

समझ ह म नह ंआता था। वह गया और रोती हु
ई सु
धा केकं
धेपर हाथ रख दया। ''हटो उधर!'' सु
धा नेबहु

खाई सेहाथ हटा दया और आँ
चल सेिसर ढकती हु
ई बोली, ''म याह नह ंक ँ
गी, कभी नह ंक ँ
गी। कसी से
नह ं
क ँ
गी। तु
म सभी लोग नेिमलकर मु
झेमार डालनेक ठानी है
। तो म अभी िसर पटककर मर जाऊँ
गी।'' और मारे
तै
श केसचमु
च सु
धा नेअपना िसर द वार पर पटक दया। ''अरे
!'' दौडक़र च दर, नेसु
धा को पकड़ िलया। मगर सु
धा
गरजकर कहा, ''दरूहटो च दर, छू
ने ना मत मु
झे
।'' और जै
सेउसम जाने
कहाँक ताकत आ गयी है
, उसनेअपने
को
छु
ड़ा िलया।

च दर नेदबी जबान सेकहा, ''िछह सु


धा! यह तु
मसे
उ मीद नह ंथी मु
झे
। यह भावु
कता तुह शोभा नह ंदे
ती।
बात कै
सी कर रह हो तु
म! हम वह च दर ह न!''

''हाँ
, वह च दर हो! और तभी तो! इस सार दिु
नया म तुह ंएक रह गये
हो मु
झेफोटो दखाकर पस द कराने
को।'' सु
धा िससक-िससककर रोने
लगी-''पापा ने
भी धोखा देदया। हम पापा से
यह उ मीद नह ंथी।''

''पगली! कौन अपनी लड़क को हमे


शा अपने
पास रख पाया है
!'' च दर बोला।

''तु
म चु
प रहो, च दर। हम तुहार बोली जहर लगती है
। 'सु
धा, यह फोटो तुह पस द है
?' तुहार जबान हली
कै
से
? शरम नह ंआयी तुह। हम कतना मानतेथेपापा को, कतना मानते
थेतुह? हम यह नह ंमालू
म था क तु

लोग ऐसा करोगे
।'' थोड़ दे
र चु
पचाप िससकती रह सु
धा और फर धधककर उठ -''कहाँहैवह फोटो? लाओ, अभी म
जाऊँ
गी पापा केपास! म कहू

गी उनसेहाँ
, म इस लड़केको पस द करती हू

। वह बहु
त अ छा है
, बहु
त सु
दर है

ले
कन म उससे
शाद नह ंक ँ
गी, म कसी से
शाद नह ंक ँ
गी! झू
ठ बात है
...'' और उठकर पापा केकमरेक ओर
जाने
लगी।

''खबरदार, जो कदम बढ़ाया!'' च दर ने


डाँ
टकर कहा, ''बै
ठो इधर।''

''म नह ं कँ

गी!'' सु
धा ने
अकडक़र कहा।

''नह ं कोगी?''
''नह ं कँ

गी।''

और च दर का हाथ तै
श म उठा और एक भरपू
र तमाचा सु
धा केगाल पर पड़ा। सु
धा केगाल पर नीली उँ
गिलयाँ
उपट आयीं
। वह त ध! जै
सेप थर बन गयी हो। आँ
ख म आँ
सूजम गये
। पलक म िनगाह जम गयीं
। होठ म
आवाज जम गयींऔर सीने
म िसस कयाँजम गयीं

च दर नेएक बार सु
धा क ओर दे
खा और कु
स पर जै
सेिगर पड़ा और िसर पटककर बै
ठ गया। सु
धा कु
स के
पास जमीन पर बै
ठ गयी। च दर केघु
टन पर िसर रख दया। बड़ भार आवाज म बोली, ''च दर, दे
ख तुहारेहाथ म
चोट तो नह ंआयी।''

च दर ने
सुधा क ओर दे
खा, एक ऐसी िनगाह सेजसम क मु

ँ फाड़कर जमु
हाई ले
रह थी। सु
धा एकाएक फर
िससक पड़ और च दर केपै
र पर िसर रखकर बोली, ''च दर, सचमु
च मु
झेअपनेआ य सेिनकालकर ह मानोगे
!
च दर, मजाक क बात दस
ूर है
, जं
दगी म तो द ु
मनी मत िनकाला करो।''

च दर एक गहर साँ
स ले
कर चु
प हो गया। और िसर थामकर बै
ठ गया। पाँ
च िमनट बीत गये
। कमरेम स नाटा,
गहन खामोशी। सु
धा च दर केपाँ
व को छाती से
िचपकायेसू
नी-सू
नी िनगाह से
जाने
कुछ दे
ख रह थी द वार केपार,
दशाओंकेपार, ितज से
परे
...द वार पर घड़ चल रह थी टक... टक...

च दर ने
िसर उठाया और कहा, ''सु
धा, हमार तरफ दे
खो-'' सु
धा नेिसर ऊपर उठाया। च दर बोला, ''सु
धा, तु

हम जाने या समझ रह होगी, ले
कन अगर तु
म समझ पाती क म या सोचता हू

! या समझता हू

।'' सु
धा कु

नह ंबोली, च दर कहता गया, ''म तुहारेमन को समझता हू

, सु
धा! तुहारेमन नेजो तु
मसेनह ंकहा, वह मु
झसे
कह दया था-ले
कन सु
धा, हम दोन एक-दस
ूरेक जं
दगी म या इसीिलए आयेक एक-दस
ूरेको कमजोर बना द या
हम लोग ने वग क ऊँ
चाइय पर साथ बै
ठकर आ मा का सं
गीत सु
ना िसफ इसीिलए क उसे
अपनेयाह क शहनाई
म बदल द?''

''गलत मत समझो च दर, म गे


सूनह ंक अ तर सेयाह केसपनेदे
खँ
ूऔर न तुह ंअ तर हो, च दर! म
जानती हू
ँक म तुहारेिलए राखी केसू
त से
भी यादा प व रह हू
ँले
कन म जै
सी हू

, मु
झेवै
सी ह य नह ंरहने
दे
त!ेम कसी सेशाद नह ंक ँ
गी। म पापा केपास रहू

गी। शाद को मे
र ा मन नह ंकहता, म य क ँ
? तु
म गुसा
मत हो, दख
ुी मत हो, तु
म आ ा दोगेतो म कु
छ भी कर सकती हू

, ले
कन ह या करनेसे
पहलेयह तो दे
ख लो क
मे
रे दय म या है
?'' सु
धा ने
च दर केपाँ
व को अपने दय से
और भी दबाकर कहा।

''सु
धा, तु
म एक बात सोचो। अगर तु
म सबका यार बटोरती चलती हो तो कु
छ तुहार ज मे
दार हैया नह ं
?
पापा नेआज तक तुह कस तरह पाला। अब या तुहारा यह फज हैक तु
म उनक बात को ठु
कराओ? और एक
बात और सोचो-हम पर कु
छ व ास करकेह उ ह ने
कहा हैक म तु
मसे
फोटो पस द कराऊँ
? अगर अब तु
म इनकार
कर दे
ती हो तो एक तरफ पापा को तु
मसेध का पहु

चे
गा, दस
ूर ओर मे
रे ित उनके व ास को कतनी चोट लगे
गी।
हम उ ह या मु

ँ दखानेलायक रहगेभला! तो तु
म या चाहती हो? महज अपनी थोड़ -सी भावु
कता केपीछेतु

सभी क जं
दगी चौपट करने
केिलए तै
यार हो? यह तुह शोभा नह ंदे
ता है
। या कहगेपापा, क च दर ने
अभी तक
तुह यह िसखाया था? हम लोग या कहगे
? बताओ। आज तु
म शाद न करो। उसकेबाद पापा हमे
शा केिलए द:ु
खी
रहा कर और दिु
नया हम कहा करे
, तब तुह अ छा लगे
गा?''

''नह ं
।'' सु
धा ने
भराये
हुए गले
सेकहा।

''तब, और फर एक बात और हैन सु


धी! सोने
क पहचान आग म होती हैन! लपट म अगर उसम और िनखार
आये
तभी वह स चा सोना है
। सचमु
च मने
तुहारेय व को बनाया हैया तु
मने
मेरेय व को बनाया है
, यह तो
तभी मालू
म होगा जब क हम लोग क ठनाइय से
, वे
दनाओंसे
, सं
घष सेखे
ल और बाद म वजयी ह और तभी मालू

होगा क सचमु
च मनेतुहारेजीवन म काश और बल दया था। अगर सदा तु
म मे
र बाँ
ह क सीमा म रह ंऔर म
तुहार पलक क छाँ
व म रहा और बाहर केसं
घष सेहम लोग डरते
रहेतो कायरता है
। और मु
झेअ छा लगे
गा क
दिु
नया कहेक मे
र सु
धा, जस पर मु
झेनाज था, वह कायर है
? बोलो। तु
म कायर कहलाना पस द करोगी?''

''हाँ
!'' सु
धा नेफर च दर केघु
टन म मु

ँ िछपा िलया।

'' या? यह म सु
धा केमु

ँ से
सुन रहा हू

! िछह पगली! अभी तक ते
र िनगाह ने
मेरे ाण म अमृ
त भरा हैऔर
मे
र साँ
स नेते
रेपं
ख म तू
फान क ते
जी। और हम-तुह तो आज खु
श होना चा हए क अब सामनेजो रा ता है
उसम हम लोग को यह िस करनेका अवसर िमले
गा क सचमु
च हम लोग नेएक-दस
ूरेको ऊँ
चाई और प व ता द
है
। मनेआज तक तुहार सहायता पर व ास कया था। आज या तु
म मे
र ा व ास तोड़ दोगी? सु
धा, इतनी ू

य हो रह हो आज तु
म? तु
म साधारण लड़क नह ंहो। तु
म ु
वतारा से यादा काशमान हो। तु
म यह य चाहती
हो क दिु
नया कहे
, सु
धा भी एक साधारण-सी भावु
क लड़क थी और आज म अपने
कान से
सुन!ँ
ूबोलो सु
धी?'' च दर
ने
सुधा केिसर पर हाथ रखकर कहा।

सु
धा नेआँ
ख उठायीं
, बड़ कातर िनगाह सेच दर क ओर दे
खा और िसर झु
का िलया। सु
धा केिसर पर हाथ
फे
रते
हुए च दर बोला-

''सु
धा, म जानता हू
ँम तु
म पर शायद बहु
त स ती कर रहा हू

, ले
कन तुहारेिसवा और कौन हैमे
र ा? बताओ।
तुह ंपर अपना अिधकार भी आजमा सकता हू

। व ास करो मु
झ पर सु
धा, जीवन म अलगाव, दरू, दख
ु और पीड़ा
आदमी को महान बना सकती है
। भावु
कता और सु
ख हम ऊँ
चेनह ंउठाते
। बताओ सु
धा, तुह या पस द है
? म ऊँ
चा
उठू
ँतुहारेव ास केसहारे
, तु
म ऊँ
ची उठो मे
रेव ास केसहारे
, इससे
अ छा और या हैसु
धा! चाहो तो मे
रेजीवन
को एक प व साधन बना दो, चाहो तो एक िछछली अनु
भिू
त।''

सु
धा नेएक गहर साँ
स ली, ण-भर घड़ क ओर दे
खा और बोली, ''इतनी ज द या हैअभी, च दर? तु
म जो
कहोगेम कर लू

ँी!'' और फर वह िससकने
लगी-''ले
कन इतनी ज द या है
ï? अभी मु
झेपढ़ ले
नेदो!''

''नह ं
, इतना अ छा लड़का फर िमले
गा नह ं
। और इस लड़केकेसाथ तु
म वहाँपढ़ भी सकती हो। म जानता हू

उसे
। वह दे
वताओं
-सा िन छल है
। बोलो, म पापा से
कह दँ
ूक तुह पस द है
?''

सु
धा कु
छ नह ंबोली।

''मौन का मतलब हाँहैन?'' च दर ने


पूछा।
सु
धा ने
कुछ नह ंकहा। झु
ककर च दर केपै छूिलया और पलक से
र को अपनेहोठ से दो आँ
सूचूपड़े
। च दर
नेसु
धा को उठा िलया और उसकेमाथेपर हाथ रखकर कहा, ''ई र तुहार आ मा को सदा ऊँ
चा बनाएगा, सु
धा!''
उसने
एक गहर साँ
स ले
कर कहा, ''मु
झेतु
म पर गव है
,'' और फोटो उठाकर बाहर चलने
लगा।

''कहाँजा रहेहो! जाओ मत!'' सु


धा नेउसका कु
रता पकडक़र बड़ आ जजी सेकहा, ''मे
रेपास रहो, तबीयत
घबराती है
?''

च दर पलँ
ग पर बै
ठ गया। सु
धा त कयेपर िसर रखकर ले
ट गयी और फट -फट पथराई आँ
ख सेजाने या
दे
खने
लगी। च दर भी चु
प था, ब कु
ल खामोश। कमरेम िसफ घड़ चल रह थी, टक... टक...

थोड़ दे
र बाद सु
धा नेच दर केपै
र को अपनेत कयेकेपास खीं
च िलया और उसकेतलव पर होठ रखकर
उसम मु

ँ िछपाकर चु
पचाप ले
ट रह । बनती आयी। सु
धा हली भी नह ं
! च दर नेदे
खा वह सो गयी थी। बनती ने
फोटो उठाकर इशारेसेपू
छा, ''मं
जू
र ?'' ''हाँ
।'' बनती नेबजाय खु
श होनेकेच दर क ओर दे
खकर िसर झु
का िलया
और चली गयी।

सु
धा सो रह थी और च दर केतलव म उसक नरम वाँ
र साँ
स गू

ज रह थीं
। च दर बै
ठा रहा चु
पचाप। उसक
ह मत न पड़ क वह हलेऔर सु
धा क नीं
द तोड़ दे
। थोड़ दे
र बाद सु
धा ने
करवट बदली तो वह उठकर आँ
गन के
सोफेपर जाकर ले
ट रहा और जाने या सोचता रहा।

जब उठा तो दे
खा धू
प ढल गयी हैऔर सु
धा उसकेिसरहानेबै
ठ उसे
पंखा झल रह है
। उसने
सुधा क ओर एक
अपराधी जै
सी कातर िनगाह से
देखा और सु
धा ने
बहु
त दद से
आँख फे
र लींऔर ऊँ
चाइय पर आ खर साँ
स ले
ती हु

मरणास न धू
प क ओर दे
खने
लगी।

च दर उठा और सोचने
लगा तो सु
धा बोली, ''कल आओगेक नह ं
?''

'' य नह ंआऊँ
गा?'' च दर बोला।

''मनेसोचा शायद अभी सेदरूहोना चाहतेहो।'' एक गहर साँ


स ले
कर सु
धा बोली और पं
खेक ओट म आँ
सू
प छ िलये

च दर दस
ूरेदन सु
बह नह ंगया। उसक थीिसस का बहु
त-सा भाग टाइप होकर आ गया था और उसेबै
ठा वह
सु
धार रहा था। ले
कन साथ ह पता नह ं य उसका साहस नह ंहो रहा था वहाँजाने
का। ले
कन मन म एक िच ता
थी सु
धा क । वह कल सेब कु
ल मु
र झा गयी थी। च दर को अपनेऊपर कभी-कभी ोध आता था। ले
कन वह
जानता था क यह तकलीफ का ह रा ता ठ क रा ता है
। वह अपनी जं
दगी म स ते
पन के खलाफ था। ले
कन उसके
िलए सु
धा क पलक का एक आँ
सूभी दे
वता क तरह था और सु
धा केफू
ल -जै
सेचे
हरेपर उदासी क एक रे
खा भी
उसे
पागल बना दे
ती थी। सु
बह पहलेतो वह नह ंगया, बाद म वयं
उसे
पछतावा होने
लगा और वह अधीरता से
पाँ

बजने
का इ तजार करने
लगा।

पाँ
च बजे
, और वह साइ कल ले
कर पहु

चा। दे
खा, सु
धा और बनती दोन नह ंह। अके
लेडॉ टर शुला अपने
कमरे
म बै
ठेह। च दर गया। ''आओ, सु
धा ने
तुमसे
कह दया, उसे
पस द है
?'' डॉ टर शुला ने
पूछा।

''हाँ
, उसे
कोई एतराज नह ं
।'' च दर ने
कहा।

''म पहले
सेजानता था। सु
धा मे
र इतनी अ छ है
, इतनी सु
शील हैक वह मे
र इ छा का उ लं
घन तो कर ह
नह ंसकती। ले
कन च दर, कल सेउसनेखाना-पीना छोड़ दया है
। बताओ, इससे या फायदा? मे
रेबस म या है
?
म उसेहमे
शा तो रख नह ंसकता। ले
कन, ले
कन आज सु
बह खातेव वह बै
ठ भी नह ंमे
रेपास बताओ...'' उनका
गला भर आया-''बताओ, मे
र ा या कसू
र है
?''

च दर चु
प था।

''कहाँहैसु
धा?'' च दर ने
पूछा।

''गै
रे
ज म मोटर ठ क कर रह है
। म इतना मना कया क धू
प म तप जाओगी, लूलग जाएगी-ले
कन मानी ह
नह ं
! बताओ, इस झ लाहट सेमु
झेकै
सा लगता है
?'' वृ पता केकातर वर म डॉ टर ने
कहा, ''जाओ च दर, तुह ं
समझाओ! म या कहू

?''

च दर उठकर गया। मोटर गै


रे
ज म काफ गरमी थी, ले
कन बनती वह ंएक चटाई बछायेपड़ सो रह थी और
सु
धा इं
जन का कवर उठायेमोटर साफ करनेम लगी हु
ई थी। बनती बे
होश सो रह थी। त कया चटाई सेहटकर
जमीन पर चला गया था और चोट फश पर सोयी हु
ई नािगन क तरह पड़ थी। बनती का एक हाथ छाती पर था
और एक हाथ जमीन पर। आँ
चल, आँ
चल न रहकर चादर बन गया था। च दर केजाते
ह सु
धा नेमु

ँ फे
रकर दे
खा-
''च दर, आओ।'' ीण मु
सकराहट उसकेहोठ पर दौड़ गयी। ले
कन इस मु
सकराहट म उ लास लु
ट चु
का था, रे
खाएँ
बाक थीं
। सहसा उसनेमु
डक़र दे
खा-'' बनती! अरे
, कै
सेघोड़ा बे
चकर सो रह है
! उठ! च दर आयेह!'' बनती नेआँ

खोलीं
, च दर क ओर दे
खा, ले
टे
-ह -ले
टेनम तेकया और आँ
चल सँ
भालकर फर करवट बदलकर सो गयी।

''बहु
त सोती हैक ब त!'' सु
धा बोली, ''इतना कहा इससेकमरेम जाकर पं
खेम सो! ले
कन नह ं
, जहाँद द
रहे
गी, वह ंयह भी रहे
गी। म गै
रे
ज म हू
ँतो यह कै
सेकमरेम रहे
। वह ंमरे
गी जहाँम म ँ
गी।''

''तो तुह ं य गै
रे
ज म थीं
! ऐसी या ज रत थी अभी ठ क करने
क !'' च दर ने
कहा, ले
कन कोिशश करने
पर
भी सु
धा को आज डाँ
ट नह ंपा रहा था। पता नह ंकहाँपर या टू
ट गया था।

''नह ंच दर, तबीयत ह नह ंलग रह थी। या करती! ोिसया उठायी, वह भी रख दया। क वता उठायी, वह
भी रख द । क वता वगै
र ह म तबीयत नह ंलगी। मन म आया, कोई कठोर काम हो, कोई नीरस काम हो लोहे
-ल कड़,
पीतल-फौलाद का, तो मन लग जाए। तो चली आयी मोटर ठ क करने
।''

'' य , क वता म भी तबीयत नह ंलगी? ता जु


ब है
, गे
सूकेसाथ बै
ठकर तु
म तो क वता म घं
ट गु
जार दे
ती थीं
!''
च दर बोला।

''उन दन शायद कसी को यार करती रह होऊँतभी क वता म मन लगता था!'' सु


धा उस दन क पु
र ानी बात
याद करकेबहु
त उदास हँ
सी हँ
सी-''अब यार नह ंकरती होऊँ
गी, अब तबीयत नह ंलगती। बड़ फ क , बड़ बे
जार, बड़
बनावट लगती ह येक वताएँ
, मन केदद केआगेसभी फ क ह।'' और फर वह उ ह ंपु
र ज म डू
ब गयी। च दर भी
चु
पचाप मोटर क खडक़ सेटककर खड़ा हो गया। और चु
पचाप कु
छ सोचने
लगा।

सु
धा नेबना िसर उठाये
, झु
के
-ह -झु
के
, एक हाथ से
एक तार लपे
टते
हुए कहा-

''च दर, तुहारेिम का प रवार आ रहा है


, इसी मं
गल को। तै
यार करो ज द ।''

''कौन प रवार, सु
धा?''

''हमारेजे
ठ और सास आ रह ह, इसी बै
साखी को हम दे
खने
। उ ह ने
ितिथ बदल द है
। तो अब छह ह दन रह
गये
ह।''

च दर कु
छ नह ंबोला। थोड़ दे
र बाद सु
धा फर बोली-

''अगर उिचत समझो तो कु


छ पाउडर- म लेआना, लगाकर जरा गोरेहो जाएँतो शायद पस द आ जाएँ
! य,
ठ क हैन!'' सु
धा ने
बड़ विच -सी हँ
सी हँ
स द और िसर उठाकर च दर क ओर दे
खा। च दर चु
प था ले
कन उसक
आँ
ख म अजीब-सी पीड़ा थी और उसकेमाथेपर बहु
त ह क ण छाँ
ह।

सु
धा नेकवर िगरा दया और च दर केपास जाकर बोली, '' य च दर, बु
र ा मान गये
हमार बात का? या कर
च दर, कल सेहम मजाक करना भी भू
ल गये
। मजाक करते
ह तो यं
य बन जाता है
। ले
कन हम तु
मको कु
छ कह
नह ंरहेथे
, च दर। उदास न होओ।'' बड़ेह दल
ुार सेसु
धा बोली, ''अ छा, हम कु
छ नह ंकहगे
।'' और उसनेअपना
आँ
चल सँ
भालनेकेिलए हाथ उठाया। हाथ म काल च लग गयी थी। च दर समझा मे
रेक धेपर हाथ रख रह है
सु
धा। वह अलग हटा तो सु
धा अपनेहाथ दे
खकर बोली, ''घबराओ न दे
वता, तुहार उ वल साधना म कािलख नह ं
लगाऊँ
गी। अपनेआँ
चल म प छ लू

ँी।'' और सचमु
च आँ
चल म हाथ प छकर बोली, ''चलो, अ दर चल, उठ बनती!
बलै
या कह ंक !''

च दर को सोफेपर बठाकर उसी क बगल म सु


धा बै
ठ गयी और अँ
गु
िलयाँतोड़तेहु
ए कहा, ''च दर, िसर म
बहु
त दद हो रहा हैमे
रे
।''

''िसर म दद नह ंहोगा तो या? इतनी त पश म मोटर बना रह थीं


! पापा कतनेदख
ुी हो रहेथेआज? तुह
इस तरह करना चा हए? फर फायदा या हु
आ? न ऐसेद:ु
खी कया, वै
सेद:ु
खी कर िलया। बात तो वह रह न?
तार फ तो तब थी क तु
म अपनी दिु
नया म अपनेहाथ सेआग लगा दे
ती और चे
हरेपर िशकन न आती। अभी तक
दिु
नया क सभी ऊँ
चाई समे
टकर भी बाहर सेवह बचपन कायम रखा था तु
मने
, अब दिु
नया का सारा सु
ख अपनेहाथ
से
लुटाने
पर भी वह बचपन, वह उ लास य नह ंकायम रखती!''

''बचपन!'' सु
धा हँ
सी-''बचपन अब ख म हो गया, च दर! अब म बड़ हो गयी।''

''बड़ हो गयी! कब से
?''

''कल दोपहर से
, च दर!''
च दर चु
प। थोड़ दे
र बाद फर वयं
सुधा ह बोली, ''नह ंच दर, दो-तीन दन म ठ क हो जाऊँ
गी! तु
म घबराओ
मत। म मृ
यु-शै
या पर भी होऊँ
गी तो तुहारेआदे
श पर हँ
स सकती हू

।'' और फर सु
धा गु
मसु
म बै
ठ गयी। च दर
चु
पचाप सोचता रहा और बोला, ''सु
धी! मे
र ा तुह कु
छ भी यान नह ंहै
?''

''और कसका है
, च दर! तुहारा यान न होता तो दे
खती मु
झेकौन झु
का सकता था। आज सेसाल पहलेजब
म पापा केपास आयी थी तो मनेकभी न सोचा था क कोई भी होगा जसकेसामने
म इतना झु
क जाऊँ
गी।...अ छा
च दर, मन बहु
त उचट रहा है
! चलो, कह ंघू
म आएँ
! चलोगे
?''

''चलो!'' च दर ने
कहा।

''जाएँबनती को जगा लाएँ


। वह कमब त अभी पड़ सो रह है
।'' सु
धा उठकर चली गयी। थोड़ दे
र म बनती
आँ
ख मलतेबगल म चटाई दाबेआयी और फर बरामदेम बै
ठकर ऊँ
घनेलगी। पीछे
-पीछेसु
धा आयी और चोट
खीं
चकर बोली, ''चल तै
यार हो! चलगेघू
मने
।''

थोड़ दे
र म तै
यार हो गये
। सु
धा ने
जाकर मोटर िनकाली और बोली च दर से
-''तु
म चलाओगेया हम? आज हमीं
चलाएँ
। चलो, कसी पे
ड़ से
लड़ा द मोटर आज!''

''अरेबाप रे
।'' पीछेबनती िच लायी, ''तब हम नह ंजाएँ
गे
।''

सु
धा और च दर दोन ने
मुडक़र उसे
देखा और उसक घबराहट दे
खकर दं
ग रह गये

''नह ं
। मरे
गी नह ंतू
!'' सु
धा ने
कहा। और आगेबै
ठ गयी।

'' बनती, तू
पीछेबै
ठे
गी?'' सु
धा ने
पूछा।

''न भइया, मोटर चले


गी तो म िगर जाऊँ
गी।''

''अरेकोई मोटर केपीछेबै


ठने
केिलए थोड़ कह रह हू

। पीछेक सीट पर बै
ठे
गी?'' सु
धा ने
पूछा।

''ओ! म समझी तु
म कह रह हो पीछेबै
ठनेकेिलए जै
सी ब घी म साईस बै
ठतेह! हम तुहारेपास बै
ठगे
।''
बनती ने
मचलकर कहा।

''अब ते
र ा बचपन इठला रहा है
, ब ली कह ंक , चल आ मे
रेपास!'' बनती मु
सकराती हु
ई जाकर सु
धा केबगल
म बै
ठ गयी। सु
धा नेउसे
दलुार सेपास खीं
च िलया। च दर पीछेबै
ठा तो सु
धा बोली, ''अगर कु
छ हज न समझो तो
तु
म भी आगेआ जाओ या दरू रखनी हो तो पीछेह बै
ठो।''

च दर आगेबै
ठ गया। बीच म बनती, इधर च दर उधर सु
धा।

मोटर चली तो बनती चीखी, ''अरेमे


रेमा टर साहब!''

च दर नेदे
खा, बस रया चला जा रहा था, ''आज नह ंपढ़गे
...'' च दर नेिच लाकर कहा। सु
धा नेमोटर रोक
नह ं

च दर को बे
हद अचरज हु
आ जब उसनेदे
खा क मोटर प मी केबँ
गलेपर क । ''अरेयहाँ य ?'' च दर ने
पू
छा।

''य ह ।'' सु
धा ने
कहा। ''आज मन हु
आ क िमस प मी से
अँगरे
जी क वता सु
न।''

'' य , अभी तो तु
म कह रह थींक क वता पढऩे
म आज तुहारा मन ह नह ंलग रहा है
!''

''कु
छ कहो मत च दर, आज मु
झेजो मन म आये
, कर ले
नेदो। मे
र ा िसर बे
हद दद कर रहा है
। और म कु

समझ नह ंपाती या क ँ
। च दर तु
मने
अ छा नह ंकया?''

च दर कु
छ नह ंबोला। चु
पचाप आगेचल दया। सु
धा केपीछे
-पीछेकु
छ सं
कोच करती हु
ई-सी बनती आ रह
थी।

प मी बै
ठ कु
छ िलख रह थी। उसनेउठकर सब का वागत कया। वह कोच पर बै
ठ गयी। दस
ूर पर सु
धा,
च दर और बनती। सु
धा नेबनती का प रचय प मी से
कराया और प मी नेबनती से
हाथ िमलाया तो बनती जाने
य च दर क ओर दे
खकर हँ
स पड़ । शायद उस दन क घटना क याद म।

सहसा सु
धा को जाने या खयाल आ गया, बनती क शरारत-भर हँ
सी दे
खकर क उसने
फौरन कहा च दर से
-
''च दर, तु
म प मी केपास बै
ठो, दो िम को साथ बै
ठना चा हए।''

''हाँ
, और खास तौर सेजब वह कभी-कभी िमलतेह ।''- बनती नेमु
सकरातेहु
ए जोड़ दया। प मी नेमजाक
समझ िलया और बना शरमाये
बोली-

''हम लोग को म य थ क ज रत नह ं
, ध यवाद! आओ च दर, यहाँआओ।'' प मी ने
च दर को बु
लाया। च दर
उठकर प मी केपास बै
ठ गया। थोड़ दे
र तक बात होती रह ं
। मालू
म हु
आ, बट अपनेएक दो त केसाथ तराई के
पास िशकार खे
लनेगया है
। आजकल वह दल क श ल का एक पाननु
मा द ती का टु
कड़ा काटकर उसम गोली मारा
करता हैऔर जब कसी िच ड़या वगै
र ह को मारता हैतो िशकार को उठाकर दे
खता हैक गोली दय म लगी हैया
नह ं
। वा य उसका सु
धर रहा है
। सु
धा कोच पर िसर टे
केउदास बै
ठ थी। सहसा प मी नेबनती से
कहा, ''आपको
पहली दफेदे
खा मने
। आप बात य नह ंकरतीं
?''

बनती नेझपकर मु

ँ झु
का िलया। बड़ विच लड़क थी। हमे
शा चु
प रहती थी और कभी-कभी बोलनेक लहर
आती तो गु
टरगू
ँकरकेघर गु

जा दे
ती थी और जन दन चु
प रहती थी उन दन यादातर आँ
ख क िनगाह, कपोल
क आशनाई या अधर क मु
सकान के ारा बात करती थी। प मी बोली, ''आपको फू
ल से
शौक है
?''

''हाँ
, हाँ
'' बनती िसर हलाकर बोली।

''च दर, इ ह जाकर गु


लाब दखा लाओ। इधर फर खू
ब खले
ह!''

बनती ने
सुधा से
कहा, ''चलो द द ।'' और च दर केसाथ बढ़ गयी।

फू
ल केबीच म पहु

चकर, बनती ने
च दर से
कहा, ''सु
िनए, द द को तो जाने या होता जा रहा है
। बताइए, ऐसे
या होगा?''

''म खु
द परे
शान हू

, बनती! ले
कन पता नह ंकहाँमन म कौन-सा व ास हैजो कहता हैक नह ं
, सु
धा अपने
को सँ
भालना जानती है
, अपनेमन को स तु
िलत करना जानती हैऔर सु
धा सचमु
च ह याग म यादा गौरवमयी हो
सकती है
।'' इसकेबाद च दर ने
बात टाल द । वह बनती से यादा बात करना नह ंचाहता था, सु
धा केबारेम।

बनती ने
च दर को मौन दे
खा तो बोली, ''एक बात कह आपसे
? मािनएगा!''

'' या?''

''अगर हमसे
कभी कोई अनिधकार चेा हो जाए तो मा कर द जएगा, ले
कन आप और द द दोन मु
झेइतना
चाहतेह क हम समझ नह ंपातेक यवहार को कहाँसीिमत रखू

!'' बनती ने
िसर झु
कायेएक फू
ल को नोचतेहु

कहा।

च दर ने
उसक ओर दे
खा, ण-भर चु
प रहा, फर बोला, ''नह ंबनती, जब सु
धा तुह इतना चाहती हैतो तु

हमे
शा मु
झ पर उतना ह अिधकार समझना जतना सु
धा पर।''

उधर प मी ने
च दर केजाते
ह सु
धा से
कहा, '' या आपक तबीयत खराब है
?''

''नह ंतो।''

''आज आप बहु
त पीली नजर आती ह!'' प मी ने
पूछा।

''हाँ
, कु
छ मन नह ंलग रहा था तो म आपकेपास चली आयी क आपसे
कुछ क वताएँसु
न,ँ
ूअँ
गरे
जी क । दोपहर
को मनेक वता पढऩेक कोिशश क तो तबीयत नह ंलगी और शाम को लगा क अगर क वता नह ंसु
नग

ूी तो िसर
फट जाएगा।'' सु
धा बोली।

''आपकेमन म कु
छ सं
घष मालू
म पड़ता है छू
, या शायद...एक बात पूँआपसे
?''

'' या, पू
िछए?''

''आप बु
र ा तो नह ंमानगी?''

''नह ं
, बु
र ा य मानू

ँी?''

''आप कपू
र को यार तो नह ंकरतीं
? उससेववाह तो नह ंकरना चाहतीं
?''

''िछह, िमस प मी, आप कै


सी बात कर रह ह। उसका मे
रेजीवन म कोई ऐसा थान नह ं
। िछह, आपक बात
सु
नकर शर र म काँ
टेउठ आते
ह। म और च दर सेववाह क ँ
गी! इतनी िघनौनी बात तो मने
कभी नह ंसु
नी!''

''माफ क जएगा, मने


य ह पू
छा था। या च दर कसी को यार करता है
?''

''नह ं
, ब कु
ल नह ं
!'' सु
धा ने
उतने
ह व ास से
कहा जतनेव ास से
उसने
अपने
बारेम कहा था।
इतने
म च दर और बनती आ गये
। सु
धा बोली अधीरता से
, ''मे
र ा एक-एक ण कटना मुकल हो रहा है
, आप
शु क जए कु
छ गाना!''

''कपू
र , या सु
नोगे
?'' प मी ने
कहा।

''अपने
मन से
सुनाओ! चलो, सु
धा ने
कहा तो क वता सु
नने
को िमली!''

प मी ने
आलमार से
एक कताब उठायी और एक क वता गाना शु क -अपनी हे
यर पन िनकालकर मे
ज पर रख
द और उसकेबाल मचलनेलगे
। च दर केक धेसेवह टककर बै
ठ गयी और कताब च दर क गोद म रख द ।
बनती मु
सकरायी तो सु
धा ने
आँख केइशारेसे
मना कर दया। प मी ने
गाना शु कया, ले
ड नाटन का एक गीत-

म तुह यार नह ंकरती हू


ँन! म तुह यार नह ंकरती हू

फर भी म उदास रहती हू
ँजब तु
म पास नह ंहोते
हो!

और म उस चमकदार नीले
आकाश से
भी ई या करती हू

जसकेनीचेतु
म खड़ेहोगेऔर जसकेिसतारेतुह दे
ख सकते
ह...''

च दर ने
प मी क ओर दे
खा। सु
धा ने
अपने
ह व म अपना िसर छु
पा िलया। प मी ने
एक पद समा कर एक
गहर साँ
स ली और फर शु कया-

''म तुह यार नह ंकरती हू



- फर भी तुहार बोलती हु
ई आँ
ख;

जनक नीिलमा म गहराई, चमक और अिभ य है


-

मे
र िनिनमे
ष पलक और जागते
अधरा केआकाश म नाच जाती ह!

और कसी क आँ
ख केबारेम ऐसा नह ंहोता...''

सु
धा नेबनती को अपने
पास खीं
च िलया और उसकेक धेपर िसर टे
ककर बै
ठ गयी। प मी गाती गयी-

''न मु
झेमालू
म हैक म तुह यार नह ंकरती हू

, ले
कन फर भी,

कोई शायद मे
रेसाफ दल पर व ास नह ंकरे
गा।

और अकसर मने
देखा है
, क लोग मु
झेदे
खकर मु
सकरा दे
तेह

य क म उधर एकटक दे
खती हू

, जधर से
तुम आया करते
हो!''

गीत का वर बड़े वाभा वक ढं


ग सेउठा, लहरानेलगा, काँ
प उठा और फर धीरे
-धीरेएक क ण िससकती हु

लय म डू
ब गया। गीत ख म हु
आ तो सु
धा का िसर बनती केकं
धेपर था और च दर का हाथ प मी केक धेपर।
च दर थोड़ दे
र सु
धा क ओर दे
खता रहा फर प मी क एक ह क सु
नहर लट से
खेलते
हुए बोला, ''प मी, तु
म बहु

अ छा गाती हो!''

''अ छा? आ यजनक! कहो च दर, प मी इतनी अ छ हैयह तु


मनेकभी नह ंबताया था, हम फर कभी
सु
नाइएगा?''

''हाँ
, हाँिमस शुला! काश क बजाय ले
ड नाटन केयह गीत आपने
िलखा होता!''

सु
धा घबरा गयी, ''चलो। च दर, चल अब! चलो।'' उसनेच दर का हाथ पकडक़र खीं
च िलया-''िमस प मी, अब
फर कभी आएँ
गे
। आज मे
र ा मन ठ क नह ंहै
।''

च दर ाइव करने
लगा। बनती बोली, ''हम आगेहवा लगती है
, हम पीछेबै
ठगे
।''

कार चली तो सु
धा बोली, ''अब मन कु
छ शा त है
, च दर। इसकेपहलेतो मन म कै
सेतू
फान आपस म लड़ रहे
थे
, कु
छ समझ म नह ंआता। अब तू
फान बीत गये
। तू
फान केबाद क खामोश उदासी है
।'' सु
धा नेगहर साँ
स ली,
''आज जाने य बदन टू
ट रहा है
।'' बै
ठेह बै
ठेबदन उमे
ठते
हुए कहा।

दस
ूरेदन च दर गया तो सु
धा को बु
खार आ गया था। अं
ग-अं
ग जै
सेटू
ट रहा हो और आँ
ख म ऐसी तीखी
जलन क मानो कसी ने
अंगारेभर दये
ह । रात-भर वह बे
चै
न रह , आधी पागल-सी रह । उसने
त कया, चादर, पानी
का िगलास सभी उठाकर फक दया, बनती को कभी बु
लाकर पास बठा ले
ती, कभी उसे
दरूढके
ल दे
ती। डॉ टर साहब
परे
शान, रात-भर सु
धा केपास बै
ठे
, कभी उसका माथा, कभी उसकेतलव म बफ मलते
रहे
। डॉ टर घोष ने
बताया यह
कल क गरमी का असर है
। बनती ने
एक बार पू
छा, ''च दर को बु
लवा द?'' तो सु
धा नेकहा, ''नह ं
, म मर जाऊँतो!
मे
रेजीते
जी नह ं
!'' बनती ने ाइवर से
कहा, ''च दर को बु
ला लाओ।'' तो सु
धा नेबगडक़र कहा, '' य तु
म सब लोग
मे
र जान ले
नेपर तु
लेहो?'' और उसकेबाद कमजोर से
हाँ
फने
लगी। ाइवर च दर को बु
लाने
नह ंगया।

जब च दर पहु

चा तो डॉ टर साहब रात-भर केजागरण केबाद उठकर नहाने
-धोनेजा रहेथे
। ''पता नह ंसु
धा
को या हो गया कल से
! इस व तो कु
छ शा त हैपर रात-भर बु
खार और बे
हद बे
चै
नी रह है
। और एक ह दन म
इतनी िचड़िचड़ हो गयी हैक बस...'' डॉ टर साहब ने
च दर को दे
खते
ह कहा।

च दर जब कमरेम पहु

चा तो दे
खा क सु
धा आँ
ख ब द कये
हुए ले
ट हैऔर बनती उसकेिसर पर आइस-बै

रखेहु
ए है
। सु
धा का चे
हरा पीला पड़ गया हैऔर मु

ँ पर जानेकतनी ह रे
खाओंक उलझन है
, आँ
ख ब द ह और
पलक केनीचेसेअँ
गार क आँ
च छनकर आ रह है
। च दर क आहट पातेह सु
धा नेआँ
ख खोलीं
। अजब-सी
आ ने
य िनगाह से
च दर क ओर दे
खा और बनती से
बोली, '' बनती, इनसे
कह दो जाएँ
यहाँसे
।''

बनती त ध, च दर नह ंसमझा, पास आकर बै


ठ गया, बोला, ''सु
धा, य , पड़ गयी न, मने
कहा था क गै
रे

म मोटर साफ मत करो। परस इतना रोयी, िसर पटका, कल धू
प खायी। आज पड़ रह ! कै
सी तबीयत है
?''

सु
धा उधर खसक गयी और अपने
कपड़ेसमे
ट िलये
, जै
सेच दर क छाँ
ह से
भी बचना चाहती हैऔर ते
ज, कड़वी
और हाँ
फती हु
ई आवाज म बोली, '' बनती, इनसे
कह दो जाएँ
यहाँसे
।''

च दर चु
प हो गया और एकटक सु
धा क ओर दे
खने
लगा और सु
धा क बात ने
जैसे
च दर का मन मरोड़ दया।
कतनी गै
रयत सेबात कर रह हैसु
धा! सु
धा, जो उसकेअपनेय व से यादा अपनी थी, आज कस वर म बोल
रह है
! ''सु
धी, या हु
आ तुह?'' च दर ने
बहु
त आहत हो बहु
त दल
ुार-भर आवाज म पू
छा।

''म कहती हू
ँजाओगेनह ंतु
म?'' फु
फकारकर सु
धा बोली, ''कौन हो तु
म मे
र बीमार पर सहानु
भिू
त कट करने
वाले
? मे
र कु
शल पू
छने
वाले
? म बीमार हू

, म मर रह हू

, तु
मसे
मतलब? तु
म कौन हो? मे
रेभाई हो? मे
रेपता हो?
कल अपने
िम केयहाँमे
र ा अपमान कराने
लेगये
थे!'' सु
धा हाँ
फने
लगी।

''अपमान! कसनेतुहारा अपमान कया, सु


धा? प मी नेतो कु
छ भी नह ंकहा? तु
म पागल तो नह ंहो गयीं
?''
च दर ने
सुधा केपै
र पर हाथ रखते
हुए कहा।

''पागल हो नह ंगयी तो हो जाऊँ


गी!'' उसनेपै
र हटा िलये
, ''तु
म, प मी, गे
स,ूपापा डॉ टर सब लोग िमलकर मु
झे
पागल कर दोगे
। पापा कहते
हैयाह करो, प मी कहती हैमत करो, गे
सूकहती हैतु
म यार करती हो और तु
म...तु

कु
छ भी नह ंकहते
। तु
म मु
झेइस नरक म बरस से
सुलगतेदे
ख रहेहो और बजाय इसके क तु
म कु
छ कहो, तु
मने
मु
झेखु
द इस भ ट म ढके
ल दया!...च दर, म पागल हू

, म या क ँ
?'' सु
धा बड़ेकातर वर म बोली। च दर चु

था। िसफ िसर झु
काये
, हाथ पर माथा रखेबै
ठा था। सु
धा थोड़ दे
र हाँ
फती रह । फर बोली-

''तुह या हक था कल प मी केयहाँलेजाने
का? उसने य कल गीत म कहा क म तुह यार करती हू

?''
सु
धा बोली। च दर नेबनती क ओर दे
खा-'' य बनती? बनती सेम कु
छ नह ंिछपाता!'' '' य प मी ने
कल कहा,
म तुह यार नह ंकरती! मे
र ा मन मु
झेधोखा नह ंदेसकता। म तु
मसे
िसफ जाने या करती हू

... फर प मी ने
कल
ऐसी बात य कह ? मे
रेरोम-रोम म जाने
कौन-सा वालामु
खी धधक उठता हैऐसी बात सु
नकर? तु
म य प मी के
यहाँले
गये
?''

''तु
म खु
द गयी थीं
, सु
धा!'' च दर बोला।

''तो तु
म रोक नह ंसकतेथे
! तु
म कह दे
तेमत जाओ तो म कभी जा सकती थी? तु
मने य नह ंरोका? तु

हाथ पकड़ ले
त।ेतु
म डाँ
ट दे
त।ेतु
मने य नह ंडाँ
टा? एक ह दन म म तुहार गै
र हो गयी? गै
र हू
ँतो फर य
आये
हो? जाओ यहाँसे
। म कहती हू

; जाओ यहाँसे
?'' दाँ
त पीसकर सु
धा बोली।

''सु
धा...''

''म तुहार बोली नह ंसु


नना चाहती। जातेहो क नह ं
...'' और सु
धा नेअपनेमाथेपर सेउठाकर आइस-बै

फक दया। बनती च क उठ । च दर च क उठा। उसनेमु
डक़र सु
धा क ओर दे
खा। सु
धा का चे
हरा डरावना लग रहा
था। उसका मन रो आया। वह उठा, ण-भर सु
धा क ओर दे
खता रहा और धीरे
-धीरेकमरेसे
बाहर चला गया।

बरामदेकेसोफेपर आकर िसर झु


काकर बै
ठ गया और सोचने
लगा, यह सु
धा को या हो गया? परस शाम को
वह इसी सोफेपर सोया था, सु
धा बै
ठ पं
खा झल रह थी। कल शाम को वह हँ
स रह थी, लगता था तू
फान शा त हो
गया पर यह या? अ त ने
यह प कै
सेले
िलया?

और य लेिलया? जब वह अपनेमन को शा त रख सकता है


, जब वह सभी कु
छ हँ
सते
-हँ
सतेबरदा त कर
सकता हैतो सु
धा य नह ंकर सकती? उसनेआज तक अपनी साँ
स सेसु
धा का िनमाण कया है
। सु
धा को ितल-
ितल बनाया, सजाया, सँ
वारा हैफर सु
धा म यह कमजोर य?

या उसने
यह रा ता अ तयार करकेभू
ल क? या सु
धा भी एक साधारण-सी लड़क हैजसके म
े और घृ
णा
का तर उतना ह साधारण है
? माना उसनेअपनेदोन केिलए एक ऐसा रा ता अपनाया हैजो वल ण हैले
कन
इससे या! सु
धा और वह दोन ह या वल ण नह ंह? फर सु
धा य बखर रह है
? लड़ कयाँभावना क ह बनी
होती ह? साधना उ ह आती ह नह ं या? उसने
सुधा का गलत मूयां
कन कया था? या सु
धा इस 'तलवार क धार'
पर चलने
म असमथ सा बत होगी? यह तो च दर क हार थी।

और फर सु
धा ऐसी ह रह तो च दर? सु
धा च दर क आ मा है
; इसेअब च दर खू
ब अ छ तरह पहचान
गया। तो या अपनी ह आ मा को घ ट डालने
क ह या का पाप च दर केिसर पर है
?

तो या याग मा नाम ह है
? या पुष और नार केस ब ध का एक ह रा ता है
- णय, ववाह और तृ
ि !
प व ता, याग और दरू या स ब ध को, व ास को ज दा नह ंरहने
देसकते
? तो फर सु
धा और प मी म या
अ तर है
? या सु
धा के दय केइतनेसमीप रहकर, सु
धा के य व म घु
ल-िमलकर और आज सु
धा को इतने
अ तर पर डालकर च दर पाप कर रहा है
? तो या फू
ल को तोड़कर अपने
ह बटन होल म लगा ले
ना ह पु
य हैऔर
दस
ूरा रा ता ग हत है
? वनाशकार है
? य उसने
सुधा का य व तोड़ दया है
?

कसी नेउसकेक धेपर हाथ रखा। वचार-शृ



ंला टू
ट गयी... बनती थी। '' या सोच रहेह आप?'' बनती ने
पू
छा, बहु
त ने
ह से

''कु
छ नह ं
!''

''नह ंबताइएगा? हम नह ंजान सकते


?'' बनती के वर म ऐसा आ ह, ऐसा अपनापन, ऐसी िन छलता रहती थी
क च दर अपने
को कभी नह ंरोक पाता था। िछपा नह ंपाता था।

''कु
छ नह ंबनती! तु
म कहती हो, सु
धा को इतने
अ तर पर मने
रखा तो म दे
वता हू

! सु
धा कहती है
, मने
अ तर
पर रखा, मने
पाप कया! जाने या कया हैमने
? या मु
झेकम तकलीफ है
? मे
र ा जीवन आजकल कस तरह घायल
हो गया है
, म जानता हू

। एक पल मु
झेआराम नह ंिमलता। या उतनी सजा काफ नह ंथी जो सु
धा को भी क मत
यह द ड देरह है
? मु
झी को सभी बचै
नी और द:ु
ख िमल जाता। सु
धा को मे
रेपाप का द ड य िमल रहा है
?
बनती, तु
मसेअब कु
छ नह ंिछपा। जसको म अपनी साँ
स म दब
ुकाकर इ धनु
ष केलोक तक ले
गया, आज हवा के
झ केउसे
बादल क ऊँ
चाई से य ढके
ल दे
ना चाहते
ह? और म कु
छ भी नह ंकर सकता?'' इतनी दे
र बाद बनती के
ममता-भरे पश म च दर क आँ
ख छलछला आयीं

''िछह, आप समझदार ह! द द ठ क हो जाएँ


गी! घबराने
सेकाम नह ंचले
गा न! आपको हमार कसम है
। उदास
मत होइए। कु
छ सोिचए मत। द द बीमार ह, आप इस तरह से
करगेतो कै
सेकाम चले
गा! उ ठए, द द बु
ला रह ह।''

च दर गया। सु
धा नेइशारेसेपास बु
लाकर बठा िलया। ''च दर, हमारा दमाग ठ क नह ंहै
। बै
ठ जाओ ले
कन
कु
छ बोलना मत, बै
ठेरहो।''
उसकेबाद दन भर अजब-सा गु
जरा। जब-जब च दर नेउठने
क कोिशश क , सु
धा नेउसे
खीं
चकर बठा िलया।
घर तो उसेजाने
ह नह ंदया। बनती वह ंखाना लेआयी। सु
धा कभी च दर क ओर दे
ख ले
ती। फर त कयेम मु


गड़ा ले
ती। बोली एक श द भी नह ं
, ले
कन उसक आँ
ख म अजब-सी कातरता थी। पापा आये
, घं
ट बै
ठेरहे
; पापा चले
गयेतो उसनेच दर का हाथ अपने
हाथ म ले
िलया, करवट बदली और त कये
पर अपनेकपोल सेच दर क हथे
ली
दबाकर ले
ट रह । पलक सेकतने
ह गरम-गरम आँ
सूछलककर गाल पर फसलकर च दर क हथे
ली िभगोते
रहे

च दर चु
प रहा। ले
कन सु
धा केआँ
सूजै
सेनस केसहारेउसके दय म उतर गये
और जब दय डू
बने
लगा तो
उसक पलक पर उतर आये
। सु
धा नेदे
खा ले
कन कु
छ भी नह ंबोली। घं
टा-भर बहु
त गहर साँ
स ली; बे
हद उदासी से
मु
सकराकर कहा, ''हम दोन पागल हो गये
ह, य च दर? अ छा, अब शाम हो गयी। जरा लॉन पर चल।''

सु
धा च दर केक धेपर हाथ रखकर खड़ हो गयी। बनती नेदवा द , थमामीटर सेबु
खार दे
खा। बु
खार नह ं
था। च दर नेसु
धा केिलए कु
रसी उठायी। सु
धा नेहँ
सकर कहा, ''च दर, आज बीमार हू
ँतो कु
रसी उठा रहेहो, मर
जाऊँ
गी तो अरथी उठाने
भी आना, वरना नरक िमले
गा! समझेन!''

''िछह, ऐसा कु
बोल न बोला करो, द द ?''

सु
धा लॉन म कु
रसी पर बै
ठ गयी। बगल म नीचेच दर बै
ठ गया। सु
धा ने
च दर का िसर अपनी कु
रसी म टका
िलया और अपनी उँ
गिलय से खेहोठ को छू
च दर केसू तेहु
ए कहा, ''च दर, आज मने
तुह बहु
त द:ु
खी कया, य?
ले
कन जाने य , द:ु
खी न करती तो आज मु
झेवह ताकत न िमलती जो िमल गयी।'' और सहसा च दर केिसर को
अपनी गोद म खीं
चती हु
ई-सी सु
धा ने
कहा, ''आरा य मे
रे
! आज तुह बहु
त-सी बात बताऊँ
गी। बहु
त-सी।''

बनती उठकर जानेलगी तो सु


धा नेकहा, ''कहाँचली? बै
ठ तूयहाँ
। तूगवाह रहे
गी ता क बाद म च दर यह न
कहेक सु
धा कमजोर िनकल गयी।'' बनती बै
ठ गयी। सु
धा ने ण-भर आँ
ख ब द कर लींऔर अपनी वे
णी पीठ पर
से
खीं
चकर गोद म ढाल ली और बोली, ''च दर, आज कतने
ह साल हु
ए, जबसेमने
तुह जाना है
, तब से
अ छे
-बु
रे
सभी काम का फै
सला तुह करतेरहेहो। आज भी तुह ंबताओ च दर क अगर म अपनेको बहु
त सँ
भालनेक
कोिशश करती हू
ँऔर नह ंसँ
भाल पाती हू

, तो यह कोई पाप तो नह ं
? तु
म जानतेहो च दर, तु
म जतनेमजबू
त हो
उस पर मु
झेघमं
ड हैक तु
म कतनी ऊँ
चाई पर हो, म भी उतना ह मजबू
त बनने
क कोिशश करती हू

, उतनेह ऊँ
चे
उठने
क कोिशश करती हू

, अगर कभी-कभी फसल जाती हू
ँतो यह अपराध तो नह ं
?''

''नह ं
।'' च दर बोला।

''और अगर अपनेउस अ त के ण म तु


म पर कठोर हो जाती हू

, तो तु
म सह ले
तेहो। म जानती हू

, तु

मु
झेजतना ने
ह करते
हो, उसम मे
र सभी दब
ुलताएँ
धुल जाती ह। ले
कन आज म तुह व ास दलाती हू
ँच दर क
मु
झेखु
द अपनी दब
ुलताओंपर शरम आती हैऔर आगेसे
म वै
सी ह बनू

ँी जै
सा तु
मने
सोचा है
, च दर।''

च दर कु
छ नह ंबोला िसफ घास पर रखेहु
ए सु
धा केपाँ
व पर अपनी काँ
पती उँ
गिलयाँरख द ं
। सु
धा कहती गयी,
''च दर, आज से
कुछ ह मह ने
पहले
जब गे
सूने
मुझसे
पूछा था क तुहारा दल कह ंझु
का था तो मनेइनकार कर
दया था, कल प मी ने
पूछा, तु
म च दर को यार करती हो तो मने
इनकार कर दया था, म आज भी इनकार करती
हू
ँक मने
तुह यार कया है
, या तु
मने
मुझेयार कया है
। म भी समझती हू
ँऔर तु
म भी समझते
हो ले
कन यह न
तु
मसेिछपा हैन मु
झसेक तु
मनेजो कु
छ दया हैवह यार सेकह ं यादा ऊँ
चा और यार सेकह ं यादा महान
है
।...म याह नह ंकरना चाहती थी, मने
परस इनकार कर दया था, इतनी रोयी थी, खीझी थी, बाद म मने
सोचा क
यह गलत है
, यह वाथ है
। जब पापा मु
झेइतना यार करतेह तो मु
झेउनका दल नह ंदख
ुाना चा हए। पर मन के
अ दर क जो खीझ थी, जो कु
ढऩ थी, वह कह ंतो उतरती ह । वह म अपनेपर उतार दे
ना चाहती थी, मन म आता
था अपनेको कतना क देडालू
ँइसीिलए अपनेगै
रे
ज म जाकर मोटर सँ
भाल रह थी, ले
कन वहाँभी असफल रह
और अ त म वह खीझ अपनेमन पर भी न उतारकर उस पर उतार जसको मनेअपनेसेभी बढ़कर माना है
। वह
खीझ उतर तु
म पर!''

च दर नेसु
धा क ओर दे
खा। सु
धा मु
सकराकर बोली, ''न, ऐसेमत दे
खो। यह मत समझो क अपनेआज के
यवहार केिलए म तु
मसे मा मागू

गी। म जानती हू

, माँ
गनेसे
तुम द:ु
खी भी होगेऔर डाँ
टने
भी लगोगे
। खै
र , आज
सेम अपना रा ता पहचान गयी हू

। म जानती हू
ँक मु
झेकतना सँ
भलकर चलना है
। तुहारेसपने
को पू
र ा करनेके
िलए मु
झेअपनेको या बनाना होगा, यह भी म समझ गयी हू

। म खु
श रहू

गी, सबल रहू

गी और सश रहू

गी और
जो रा ता तु
म दखलाओगेउधर ह चलू

ँी। ले
कन एक बात बताओ च दर, मनेयाह कर िलया और वहाँसु
खी न रह
पायी, फर और उ ह वह भावना, उपासना न देपायी और फर तुह द:ु
ख हु
आ, तब?''

च दर ने
घास का एक ितनका तोडक़र कहा, ''दे
खो सु
धा, एक बात बताओ। अगर म तुह कु
छ कह दे
ता हू
ँऔर
उसे
तुम मु
झी को वापस देदे
ती हो तो कोई बहु
त ऊँ
ची बात नह ंहु
ई। अगर मने
तुह सचमु
च ह ने
ह या प व ता जो
कु
छ भी दया है
, उसेतु
म उन सभी केजीवन म ह य नह ं ितफिलत कर सकती जो तुहारेजीवन म आतेह,
चाहेवह पित ह य न ह । तुहारेमन केअ य ने
ह-भं
डार केउपयोग म इतनी कृ
पणता य ? मे
र ा सपना कु

और ह है
, सु
धा। आज तक तुहार साँ
स केअमृ
त नेह मु
झेयह साम ी द क म अपनेजीवन म कु
छ कर सकँ

और म भी यह चाहता हू
ँक म तुह वह ने
ह दँ
ूजो कभी घटेह न। जतना बाँ
टो उतना बढ़ेऔर इतना मु
झे
व ास हैक तु
म यद ने
ह क एक बू

ँ दो तो मनु
य या से या हो सकता है
। अगर वह ने
ह रहे
गा तो तुहारे
पित को कभी कोई अस तोष या हो सकता हैऔर फर कै
लाश तो इतना अ छा लड़का है
, और उसका जीवन इतना
ऊँ
चा क तु
म उसक जं
दगी म ऐसी लगोगी, जै
सेअँ
गू
ठ म ह रा। और जहाँतक तुहारा अपना सवाल है
, म तु
मसे
भीख माँ
गता हू
ँक अपना सब कु
छ खोकर भी अगर मु
झेकोई स तोष रहे
गा तो यह दे
खकर क मे
र सु
धा अपने
जीवन म कतनी ऊँ
ची है
। म तु
मसे
इस व ास क भीख माँ
गता हू

।''

''िछह, मु
झसेबड़ेहो ,च दर! ऐसी बात नह ंकहते
! ले
कन एक बात है
। म जानती हू
ँक म च मा हू

, सू
य क
करण सेह जसम चमक आती है
। तु
मनेजै
सेआज तक मु
झेसँ
वारा है
, आगेभी तु
म अपनी रोशनी अगर मे

आ मा म भरते
गये
तो म अपना भ व य भी नह ंपहचान सकँ

गी। समझे
!''

''समझा, पगली कह ंक !'' थोड़ दे


र च दर चु
प बै
ठा रहा फर सु
धा केपाँ
व सेिसर टकाकर बोला-''परे
शान कर
डाला, तीन रोज से
। सू
र त तो दे
खो कै
सी िनकल आयी हैऔर बै
साखी को कु
ल चार रोज रह गये
। अब मत दमाग
बगाड़ना! वे
लोग आते
ह ह गे
!''

'' बनती! दवा लेआ...'' बनती उठकर गयी तो सु


धा बोली, ''हटो, अब हम घास पर बै
ठगे
!'' और घास पर बै
ठकर
वह बोली, ''ले
कन एक बात है
, आज सेले
कर याह तक तु
म हर अवसर पर हमारेसामनेरहना, जो कहोगेवह हम
करते
जाएँ
गे
।''

''हाँ
, यह हम जानतेह।'' च दर नेकहा और कु
छ दरू हटकर घास पर ले
ट गया और आकाश क ओर दे
खने
लगा। शाम हो गयी थी और दन-भर क उड़ हु
ई धू
ल अब बहु
त कु
छ बै
ठ गयी थी। आकाश केबादल ठहरेहु
ए थे
और उन पर अ णाई झलक रह थी। एक दरु

गी पतं
ग बहु
त ऊँ
चेपर उड़ रह थी। च दर का मन भार था। हालाँ

जो तू
फान परस उठा था वह ख म हो गया था, ले
कन च दर का मन अभी मरा-मरा हु
आ-सा था। वह चु
पचाप ले
टा
रहा। बनती दवा और पानी ले
आयी। दवा पीकर सु
धा बोली, '' य , चु
प य हो, च दर?''

''कोई बात नह ं
।''

'' फर बोलते य नह ं
, दे
खा बनती, अभी-अभी या कह रहेथेऔर अब दे
खो इ ह।'' सु
धा बोली।

''हम अभी बतातेह इ ह!'' बनती बोली और िगलास म थोड़ा-सा पानी ले


कर च दर केऊपर फक दया। च दर
च ककर उठ बै
ठा और बगड़क़र बोला, ''यह या बदतमीजी है
? अपनी द द को यह सब दल
ुार दखाया करो।''

''तो य पड़ेथेऐसे
? बात करगेऋ ष-मु
िनय जै
सेऔर उदास रहगेब च क तरह! वाह रेच दर बाबू
!'' बनती
ने
हँसकर कहा, ''द द , ठ क कया न मने
?''

'' ब कु
ल ठ क, ऐसे
ह इनका दमाग ठ क होगा।''

''इतने
म डॉ टर शुला आये
और कु
रसी पर बै
ठ गये
। सु
धा केमाथेपर हाथ रखकर दे
खा, ''अब तो तू
ठ क है
?''

''हाँ
, पापा!''

'' बनती, कल तुहार माताजी आ रह ह। अब बै


साखी क तै
यार करनी है
। सु
धा केजे
ठ आ रहेह और सास।''

सु
धा चु
पचाप उठकर चली गयी। च दर, बनती और डॉ टर साहब बै
ठेउस दन का बहु
त-सा काय म बनाते
रहे

च दर को सबसेबड़ा स तोष था क सु
धा ठ क हो गयी थी। बै
साख पू
नो केएक दन पहले
ह सेबनती नेघर
को इतना साफ कर डाला था क घर चमक उठा था। यह बात तो दस
ूर हैक टड - म क सफाई म बनती ने
च दर केबहु
त-से
कागज बु
हारकर फक दये
थेऔर आँ
गन धोते
व उसने
च दर केकपड़ को छ ट से
तर कर दया
था। उसकेबदले
म च दर नेबनती को डाँ
टा था और सु
धा दे
ख-दे
खकर हँ
स रह थी और कह रह थी, ''तु
म य िचढ़
रहेहो? तुह दे
खने
थोड़ेह आ रह ह हमार सास।''

बै
शाखी पू
नो क सु
बह डॉ टर साहब और बु
आजी गाड़ ले
कर उनको िलवा लानेगयेथे
। च दर बाहर बरामदेम
बै
ठा अखबार पढ़ रहा था और सु
धा अ दर कमरेम बै
ठ थी। अब दो दन उसे
बहु
त दब-ढँ
ककर रहना होगा। वह बाहर
नह ंघू
म सकती थी; य क जानेकै
सेऔर कब उसक सास आ जाएँऔर दे
ख ल। बु
आ उसेसमझा गयी थींऔर
उसने
एक ग भीर आ ाकार लड़क क तरह मान िलया था और अपने
कमरेम चु
पचाप बै
ठ थी। बनती कढ़ केिलए
बे
सन फट रह थी और महरा जन ने
रसोई म दध
ू चढ़ा रखा था।
सु
धा चु
पकेसेआयी, कवाड़ क आड़ सेदे
खा क पापा और बु
आ क मोटर आ तो नह ंरह है
! जब दे
खा क
कोई नह ंहैतो आकर चु
पेसे
खड़ हो गयी और पीछेसे
च दर केहाथ से
अखबार ले
िलया। च दर ने
पीछेदे
खा तो
सु
धा एक ब चेक तरह मु
सकरा द और बोली, '' य च दर, हम ठ क ह न? ऐसेह रह न? दे
खा तुहारा कहना
मानते
ह न हम?''

''हाँसु
धी, तभी तो हम तु
मको इतना दल
ुार करते
ह!''

''ले
कन च दर, एक बार आज रो ले
नेदो। फर उनकेसामनेनह ंरो सकगे
।'' और सु
धा का गला ँ
ध गया और
आँ
ख छलछला आयी।

''िछह, सु
धा...'' च दर ने
कहा।

''अ छा, नह ं
-नह ं
...'' और झटकेसेसु
धा नेआँ
सूप छ िलये
। इतनेम गे
ट पर कसी कार का भ पूसु
नाई पड़ा
और सु
धा भागी।

''अरे
, यह तो प मी क कार है
।'' च दर बोला। सु
धा क गयी। प मी ने
पो टको म आकर कार रोक ।

''है
लो, मे
रेजु
ड़वा िम , या हाल हैतु
म लोग का?'' और हाथ िमलाकर बे
तक लु
फ से
कुस खीं
चकर बै
ठ गयी।

''इ ह अ दर ले
चलो, च दर! वरना अभी वे
लोग आते
ह गे
!'' सु
धा बोली।

''नह ं
, मु
झेबहु
त ज द है
। आज शाम को बाहर जा रह हू

। बट अब मसू
र चला गया है
, वहाँसे
उसनेमु
झेभी
बु
लाया है
। उसकेहाथ म कह ंिशकार म चोट लग गयी है
। म तो आज जा रह हू

।''

सु
धा बोली, ''हम ले
चिलएगा?''

''चिलए। कपू
र , तु
म भी चलो, जु
लाई म लौट आना!'' प मी ने
कहा।

''जब अगले
साल हम लोग क िम ता क वषगाँ
ठ होगी तो म चलू

ँा।'' च दर ने
कहा।

''अ छा, वदा!'' प मी बोली। च दर और सु


धा नेहाथ जोड़ेतो प मी नेआगेबढक़र सु
धा का मु

ँ हथे
िलय म
उठाकर उसक पलक चू
म लींऔर बोली, ''मु
झेतुहार पलक बहु
त अ छ लगती ह। अरे
! इनम आँ
सओ
ु ंका वाद है
,
अभी रोयी थीं या?'' सु
धा झप गयी।

च दर केक धेपर हाथ रखकर प मी ने


कहा, ''कपू
र , तु
म खत ज र िलखते
रहना। चलते
तो बड़ा अ छा रहता।
अ छा, आप दोन िम का समय अ छ तरह बीते
।'' और प मी चल द ।

थोड़ दे
र म डॉ टर साहब क कार आयी। सु
धा नेअपनेकमरेकेदरवाजेब द कर िलये
, बनती नेिसर पर
प ला ढक िलया और च दर दौड़कर बाहर गया। डॉ टर साहब केसाथ जो स जन उतरेवेठगने
-से
, गोरे
-से
, गोल
चे
हरेकेकु
लीन स जन थेऔर ख र का कु
रता और धोती पहनेहु
ए थे
। हाथ म एक छोटा-सा सफर बै
ग था। च दर
नेले
नेको हाथ बढ़ाया तो हँ
सकर बोले
, ''नह ंजी, या इतना-सा बै
ग लेचलनेम मे
र ा हाथ थक जाएगा। आप लोग
तो खाितर करकेमु
झेमह वपू
ण बना दगे
!''

सब लोग टड म म गये
। वह ंडॉ टर शुला ने
प रचय कराया-''यह हमारेिश य और लड़के
, ा त केहोनहार
अथशा ी च कु
मार कपू
र और आप शाहजहाँ
परु के िस काँे
सी कायकता और यु
िनिसपल किम र ी शं
करलाल
िम ।''

''अब तूनहाय ले
व सं
कर , फर चाय ठं
डाय जइहै
।'' बु
आजी ने
आकर कहा। आज बु
आजी नेबहु
त दन पहले

बू
ट दार साड़ पहन रखी थी और शायद वह खु
श थीं य क बनती को डाँ
ट नह ंरह थीं

''नह ं
, म तो वे
टं
ग- म म नहा चु
का। चाय म पीता नह ं
। खाना ह तै
यार कराइए।'' और घड़ दे
खकर शं
कर बाबू
बोले
, ''मु
झेजरा वरा य-भवन जाना हैऔर दो बजेक गाड़ सेवापस चलेजाना हैऔर शायद उधर सेह चला
जाऊँ
गा।'' उ ह ने
बहु
त मीठे वर से
मुसकराते
हुए कहा।

''यह तो अ छा नह ंलगता क आप आये


भी और कु
छ केनह ं
।'' डॉ टर शुला बोले

''हाँ
, म खु
द कना चाहता था ले
कन माँ
जी क तबीयत ठ क नह ंहै
। कै
लाश भी कानपु
र गया हु
आ है
। मु
झे
ज द जाना चा हए।''

बनती नेलाकर थाली रखी। च दर नेआ य सेडॉ टर साहब क ओर दे


खा। वेहँ
सकर बोले
, ''भाई, यह लोग
हमार तरह छू
त-पाक नह ंमानते
। शं
कर तुहारेस दाय केह, यह ंक चा खाना खा लगे
।''

''इ ह ा ïण कहत केहै


, ई तो क र तान है
, हमरो धरम बगा डऩ हं
याँआय कै
!'' बु
आजी बोलीं
। बु
आजी ने

यह शाद तय करायी थी, लड़काबताया था और दरूके र ते
सेवे
कैलाश और शं
कर क भाभी लगती थीं

शं
कर बाबूनेहाथ धोयेऔर कु
स खीं
चकर बै
ठ गये
। च दर, क ओर दे
खकर बोले
, ''आइए, होनहार डॉ टर
साहब, आप तो मे
रेसाथ खा सकते
ह?''

''नह ं
, आप खाइए।'' च दर ने
तक लु
फ करते
हुए कहा।

''अजी वाह! म ा ïण हू

, शु; मे
रेसाथ खाकर आपको ज द मो िमल जाएगा। कह ंहाथ म तरकार लगी रह
गयी तो आपकेिलए वग का फाटक फौरन खु
ल जाएगा! खाओ।''

दो कौर खाने
केबाद शं
कर बाबू
नेबु
आजी से
कहा, ''यह बहूहै
, जो लड़क थाली रख गयी थी?''

''अरेराम कहौ, ऊ तो हमार छोर हैबनती! पहचन यौ नै


। पछले
साल तो मु
नेके ववाह म दे
खेहोबो!'' बु
आजी
बोलीं

शं
कर बाबूकै
लाश सेकाफ बड़ेथेले
कन दे
खनेम बहु
त बड़ेनह ंलगतेथे
। खाते
-पीतेबोले
, ''डॉ टर साहब!
लड़क से
क हए, रोट देजाये
। म इसी तरह दे
ख लू

ँा, और यादा तडक़-भड़क क कोई ज रत नह ं
!''

डॉ टर साहब नेबु
आजी को इशारा कया और वेउठकर चली गयीं
। थोड़ दे
र म सु
धा आयी। साद सफे
द धोती
पहने
, हाथ म रोट िलयेदरवाजेपर आकर हचक , फर आकर च दर सेबोली, ''रोट लोगे
!'' और बना च दर क
आवाज सु
नेरोट च दर केआगेरखकर बोली, ''और या चा हए?''

''मु
झेकढ़ चा हए!'' शं
कर बाबू
नेकहा। सु
धा गयी और कढ़ लेआयी। शं
कर बाबूकेसामनेरख द । शं
कर बाबू
ने
आँख उठाकर सु
धा क ओर दे
खा, सु
धा ने
िनगाह नीची कर लींऔर चली गयी।

''बहु
त अ छ हैलड़क !'' शं
कर बाबू
नेकहा। ''इतनी पढ़ -िलखी लड़क म इतनी शम-िलहाज नह ंिमलती। सचमु

जै
सेआपक एक ह लड़क थी, आपनेउसेखू
ब बनाया है
। कै
लाश के ब कु
ल यो य लड़क है
। यह तो क हए डॉ टर
साहब क िश ा बल होती हैवरना हमारा कहाँसौभा य था! जब से
मेर प ी मर तभी सेमाताजी कै
लाश के ववाह
क जद कर रह ह। कै
लाश अ तजातीय ववाह करना चाहता था, ले
कन हम तो अपनी जाित म ह इतना अ छा
स ब ध िमल गया।''

''तो तोहरेअब हन कौन बै


स ा गयी। तु
हौ काहेनाह बहु
रया लै
अउ यौ। सु
धी केअके
ल मन न लगी!'' बु
आजी
बोलीं

शं
कर बाबू
कुछ नह ंबोले
। खाना खाकर उ ह ने
हाथ धोये
और घड़ दे
खी।

''अब थोड़ा सो लू
,ँया जाने
द जए। आइए, बात कर हम और आप,'' उ ह ने
च दर से
कहा। एक बजेतक च दर
शं
कर बाबूसेबात करता रहा और डॉ टर साहब और सु
धा वगै
र ह खाना खातेरहे
। शं
कर बाबूबहु
त हँ
समु
ख थेऔर
बहु
त बातू
नी भी। च दर को तो कै
लाश से
भी यादा शं
कर बाबू
पस द आये
। बात करनेसे
मालू
म हु
आ क शं
कर बाबू
क आयु
अभी तीस वष से
अिधक क नह ंहै
। एक पाँ
च वष का ब चा हैऔर उसी केहोनेम उनक प ी मर गयी।
अब वेववाह नह ंकरगे
, वेगाँ
धीवाद ह, काँे
स के मु
ख थानीय कायकता ह और यु
िनिसपल किम र ह। घर के
जमीं
दार ह। कै
लाश बरे
ली म पढ़ता था। अब भी कै
लाश का कोई इरादा कसी कार क नौकर या यापार करनेका
नह ंहै
, वह मजदरू केिलए सा ा हक प िनकालने
का इरादा कर रहा है
। वह सु
धा को बजाय घर पर रखनेकेअपने
साथ रखे
गा य क वह सु
धा को आगेपढ़ाना चाहता है
, सु
धा को राजनीित े म ले
जाना चाहता है

बीच म एक बार बनती आयी और उसने


च दर को बु
लाया। च दर बाहर गया तो बनती ने
कहा, ''द द पू
छ रह
ह, येकतनी दे
र म जाएँ
गे
?''

'' य ?''

''कह रह ह अब च दर को याद थोड़ेह हैक सु


धा भी इसी घर म है
। उ ह ंसे
बात कर रहेह।''

च दर हँ
स दया और कु
छ नह ंकहा। बनती बोली, ''येलोग तो बहु
त अ छेह। म तो कहू

गी सु
धा द द को
इससे
अ छा प रवार िमलना मुकल है
। हमारेससु
र क तरह नह ंह ये
लोग।''

''हाँ
, फर भी सु
धा इतनी से
वा नह ंकर रह हैइनक । बनती, तु
म सु
धा को कु
छ िश ा देदो इस मामले
म।''

''हाँ
-हाँ
, हम से
वा करने
क िश ा देदगेऔर याह करने
केबाद क िश ा अपनी प मी सेदलवा दे
ना। खु
द तो
उनसे
लेह चु
केह गेआप!''
च दर झप गया। ''पाजी कह ंक , बहु
त बे
शरम हो गयी है
। पहले
मुह
ँ से
बोल नह ंिनकलता था!''

''तु
मनेऔर द द नेह तो कया बे
शरम! हम या कर? पहलेहम कतना डरतेथे
!'' बनती नेउसी तरह गदन
टे
ढ़ करकेकहा और मु
सकराकर भाग गयी।

जब डॉ टर साहब आये
तो शं
कर बाबू
नेकहा, ''अब तो म जा रहा हू

, यह माला मे
र ओर से
बहूको देद जए।''
और उ ह ने
बड़ सु
दर मोितय क माला बै
ग से
िनकाली और बु
आजी केहाथ म देद ।

''हाँ
, एक बात है
!'' शं
कर बाबूबोले
, '' याह हम लोग मह ने
भर केअ दर ह करगे
। आपक सब बात हमने
मानी,
यह बात आपको हमार माननी होगी।''

''इतनी ज द !'' डॉ टर शुला च क उठे


, ''यह अस भव है
, शं
कर बाबू
! म अके
ला हू

, आप जानते
ह।''

''नह ं
, आपको कोई क न होगा।'' शं
कर बाबूबहु
त मीठे वर म बोले
, ''हम लोग र ित-रसम केतो कायल ह
नह ं
। आप जतना चाहेर ित-रसम अपनेमन सेकर ल। हम लोग तो िसफ छह-सात आदिमय केसाथ आएँ
गे
। सु
बह
आएँ
गे
, अपने
बँगलेम एक कमरा खाली करा द जएगा। शाम को अगवानी और ववाह कर द। दस
ूरेदन दस बजेहम
लोग चले
जाएँ
गे
।''

''यह नह ंहोगा।'' डॉ टर साहब बोले


, ''हमार तो अके
ली लड़क हैऔर हमारेभी तो कु
छ हौसलेह। और फर
लड़क क बु
आ तो यह कभी भी नह ं वीकार करगी।''

''दे
खए, म आपको समझा दँ
,ूकै
लाश शा दय म तड़क-भड़क केस त खलाफ है
। पहले
तो वह इसिलए जाित म
ववाह नह ंकरना चाहता था, ले
कन जब मनेउसेभरोसा दलाया क बहु
त सादा ववाह होगा तभी वह राजी हु
आ।
इसीिलए इसे
आप मान ह ल फर ववाह केबाद तो जं
दगी पड़ है
। आपक अके
ली लड़क हैजतना चा हए, क रए।
रहा कम समय का तो शु
भ य शी म!्फर आपको कु
छ खास इ तजाम भी नह ंकरना, अगर कु
छ हो तो क हए म
यह ंरह जाऊँ
, आपका काम कर दँ
!ू
'' शं
कर बाबू
हँसकर बोले

कु
छ दे
र तक बात होती रह ं
, अ त म शं
कर बाबूनेअपनेसौज य और मीठे वभाव सेसभी को राजी कर ह
िलया। उसकेबाद उ ह नेसबसेवदा माँ
गी, चलतेव बु र छु
आजी और डॉ टर साहब केपै ए, च दर से
हाथ िमलाया
और शं
कर बाबू
सबका मन जीतकर चले
गये

बु
आजी नेमाला हाथ म ली, उसेउलट-पलटकर दे
खा और बोलीं
, ''एक ऊ आयेरहेजू
ताखोर! एक ठो कागज
थमाय केचले
गये
!'' और एक गहर साँ
स ले
केचली गयीं

डॉ. साहब नेसु


धा को बु
लाया। उसकेहाथ म वह माला रखकर उसेिचपटा िलया। सु
धा पापा क गोद म मु


िछपाकर रो पड़ ।

उसकेबाद सु
धा चली गयी और च दर, डॉ टर साहब और बु
आजी बै
ठेशाद केइ तजाम क बात करतेरहे
। यह
तय हु
आ क अभी तो इ ह ंक इ छानु
सार ववाह कर दया जाए फर यू
िनविसट खु
लने
पर सभी को बु
लाकर अ छ
दावत वगै
र ह देद जाए। यह भी तय हु
आ क बु
आजी गाँ
व जाकर अनाज, घी, ब डय़ाँऔर नौकर वगै
र ह का इ तजाम
कर लाएँ
और प ह दन केअ दर लौट आएँ
। अगवानी ठ क छह बजेशाम को हो जाए और सु
बह केना ते
म या
दया जाए, यह सभी डॉ टर साहब नेतय कर डाला। ले
कन िन य यह कया गया क चू

क आदमी बहु
त कम आ रहे
ह, अत: सु
बह-शाम केना ते
का काम यू
िनविसट के कसी रेतराँको देदया जाए।

इसी बीच म बनती खरबू


जा और शरबत लाकर रख गयी और च दर नेबहु
त आराम सेशरबत पीतेहु
ए पू
छा,
'' कसने
बनाया है
?''

''सु
धा द द ने
।''

''आज बड़ खु
श मालू
म पड़ती है
, चीनी बहु
त कम छोड़ है
!'' च दर बोला। बु
आ और बनती दोन हँ
स पड़ ं

थोड़ दे
र बाद च दर उठकर भीतर गया तो दे
खा क सु
धा अपने
पलँ
ग पर बै
ठ सामने
एक कताब रखेजाने या
दे
ख रह हैऔर सामने
वह माला पड़ है
। च दर गया और बोला, ''सु
धा! आज म बहु
त खु
श हू

।''

सु
धा ने
आँख उठायींऔर च दर क ओर दे
खकर मु
सकराने
क कोिशश क और बोली, ''म भी बहु
त खु
श हू

।''

'' य , तय हो गया इसिलए?'' बनती ने


पूछा।

''नह ं
, च दर बहु
त खु
श ह इसिलए!'' और एक गहर साँ
स ले
कर कताब ब द कर द ।

''कौन-सी कताब है
, सु
धा?'' च दर ने
पूछा।

''कु
छ नह ं
, इस पर उद ू
केकु
छ अशआर िलखेह जो गे
सूने
सुनाये
थे।'' सु
धा बोली।

च दर नेबनती क ओर दे
खा और कहा, '' बनती, कै
लाश तो जै
सा हैवै
सा ह है
, ले
कन शं
करबाबू
क तार फ म
कर नह ंसकता। या राय हैतुहार ?''

''हाँ
, हैतो सह ; द द इतनी सु
खी रहगी क बस! द द , हम भू
ल मत जाना, समझीं
!'' बनती बोली।

''और हम भी मत भू
लना सु
धा!'' च दर ने
सुधा क उदासी दरूकरने
केिलए छे
ड़ते
हुए कहा।

''हाँ
, तुह भू
लेबना कै
सेकाम चले
गा।'' सु
धा नेऔर भी गहर साँ
स ले
तेहु
ए कहा और एक आँ
सूगाल पर
फसल ह आया।

''अरेपगली, तु
म सब कु
छ अपनेच दर केिलए कर रह हो, उसक आ ा मानकर कर रह हो। फर यह आँ
सू
कै
से
? िछह! और यह माला सामने
रखे या कर रह हो?'' च दर ने
बहलाया।

''माला तो द द इसिलए सामनेरखेथींक बतलाऊँ


...बतलाऊँ
!'' बनती बोली, ''असल म रामायण क कहानी तो
सु
नी हैच दर, तु
मने
? रामच ने
अपने
एक भ को मोती क माला द तो वह उसे
दाँ
त सेतोडक़र दे
ख रहा था क
उसकेअ दर रामनाम हैया नह ं
। सो यह माला सामने
रखकर दे
ख रह थीं
, इसम कह ंच दर क झलक हैया नह ं
?''

''चु
प िगलहर कह ंक ?'' सु
धा हँ
स पड़ , ''बहु
त बोलना आ गया है
!'' सु
धा नेहँ
सतेहु
ए बनावट गुसेसेकहा।
फर सु
धा त कये
सेटककर बै
ठ गयी-''आज गे
सूनह ंहै
। मु
झेगे
सूक बहु
त याद आ रह है
।''

'' य ?''

''इसिलए क आज उसकेकई शे
र याद आ रहेह। एक दफेउसने
सुनाया था-

ये
आज फजा खामोश है य , हर जर को आ खर होश है य ?

या तु
म ह कसी केहो न सके
, या कोई तुहारा हो न सका।'

इसी क अ तम पं है
-

मौज भी हमार हो न सक ं
, तू
फाँभी हमारा हो न सका'!''

''वाह! यह पं बहु
त अ छ है
,'' च दर ने
कहा।

''आज गे
सूहोती तो बहु
त-सी बात करते
!'' सु
धा बोली, ''दे
खो च दर, जं
दगी भी या होती है
! आदमी या सोचता
हैऔर या हो जाता है
। आज सेतीन-चार मह नेपहले
मने या सोचा था! लास- म सेभागकर हम लोग पे
ड़ के
नीचेले
टकर बात करते
थे, तो म हमे
शा कहती थी-म शाद नह ंक ँ
गी। पापा को समझा लू

ँी। उस दन या मालू

था क इतनी ज द जु
ए केनीचेगरदन डाल दे
नी होगी और पापा को भी जीतकर कसी दस
ूरेसेहार जाना होगा।
अभी उसक तय भी नह ंहु
ई और मह ने
-भर बाद मे
र ...'' सु
धा थोड़ दे
र चु
प रह और फर-''और दस
ूर बात उसक ,
जो मनेतुह बतायी थी। उसने
कहा था जब कसी केकदम हट जातेह िसर केनीचेसे
, तब मालू
म होता हैक हम
कसका सपना दे
ख रहेथे
। पहले
हम भी नह ंमालू
म होता था क हमारेिसर कसकेकदम पर झु
क चु
केह। याद है
?
मने
तुह बताया था, तु
मने
पूछा था!''

''याद है
।'' च दर नेकहा। बनती उठकर चली गयी ले
कन सु
धा या च दर कसी ने यान भी नह ंदया। च दर
बोला, ''ले
कन सु
धा, इन सब बात को सोचने
से या फायदा, आगेका रा ता सामने
है, बढ़ो।''

''हाँ
, सो तो हैह दे
वता मे
रे
! कभी-कभी जानेकतनी पु
र ानी बात मन म आ ह जाती ह और मन करता हैक म
सोचती ह जाऊँ
। जाने य मन को बड़ा स तोष िमलता है
। और च दर, जब म वहाँरहू

गी, तु
मसेदरू
, तो इ ह ं
मृ
ितय केअलावा और या शे
ष रहे
गा...तुह वह दन याद हैजब म गे
सूकेयहाँनह ंजा पायी थी और उस थान
पर हम लोग म झगड़ा हो गया था...च दर, वहाँसब कु
छ हैले
कन म लड़ू

गी-झगड़ू

गी कससे
वहाँ
?''

च दर एक फ क -सी हँ
सी हँ
सकर बोला, ''अब या ज म-भर ब ची ह बनी रहोगी!''

''हाँच दर, चाहती तो यह थी ले


कन जं
दगी तो जबरद ती सब सु
ख छ न ले
ती हैऔर बदलेम कु
छ भी नह ं
दे
ती। आओ, चलो लॉन पर चल। शाम को तु
मसे
बात ह करगे
!''

उसकेबाद सु
धा रात को आठ बजेउठ , जब बु
आ तै
यार होकर टे
शन जा रह थींऔर ाइवर मोटर िनकाल रहा
था। और उदास टम टमातेहु
ए िसतार नेदे
खा क च दर और सु
धा दोन क आँ
ख म आँ
सओ
ु ंक अवशे
ष नमी
झलिमला रह थी। उठतेहु
ए सु
धा ने ण-भर च दर क ओर दे
खा, च दर नेिसर झु
का िलया और बहु
त उदास
आवाज म कहा, ''चलो सु
धा, बहु
त दे
र कर द हम लोग ने
।''

प ह दन बाद बु
आ आयींतो उ ह नेघर क श ल ह बदल द । दरवाजेपर और बरसाती म ह द केहाथ क
छाप लग गयी, कमर का सभी सामान हटाकर द रयाँबछा द गयींऔर सबसेअ दर वालेकमरेम सु
धा का सब
सामान रख दया गया। टड - म क सभी कताब समे
ट द गयींऔर वहाँएक बड़ -सी मशीन लाकर रख द गयी
जस पर बै
ठकर बनती िसलाई करती थी। उसी को कपड़ेऔर गहन का भं
डार-घर बनाया गया और उसक चाबी
बनती या बु
आ केपास रहती थी। गाँ
व से
एक महरा जन, एक कहा रन और दो मजदरूआये
थे, वे
सभी गै
रे
ज म सोते
थेऔर दन-भर काम करते
थेऔर 'पानी पीने
' को माँ
गते
रहतेथे
। सभी कु
िसयाँऔर सोफासे
ट िनकलवाकर सायबान
म लगवा दयेगयेथे
। रसोई केपार वाली कोठर म कुहड़, प ल, यालेवगै
र ह रखेथेऔर पू
जा वालेकमरेम
श कर, घी, तरकार और अनाज था। िमठाई कहाँरखी जाएगी, इस पर बु
आजी, महरा जन और बनती म घं
टे
-भर
तक बहस हु
ई ले
कन जब बु
आजी नेबनती सेकहा, ''आपन लड़के
-ब चेका बयाह कयो तो कतरनी अस जबान
चलाय िल ो, अब हन हर काम म काहेटाँ
ग अड़ावा करत हौ!'' तो बनती चु
प हो गयी और अ त म बु
आजी क राय
सव प र मानी गयी। बु
आजी क जबान जतनी ते
ज थी, हाथ भी उतनेह ते
ज। चार बोरा गे
हू
ँउ ह नेसाफ करके
कोठ रय म भरवा दये
। कम-से
-कम पाँ
च तरह क दाल लायी थीं
। बे
सन पसवाया, दाल दरवायी, पापड़ बनवाये
, मै
दा
छनवाया, सू
जी दरवायी, बर -मु

ँौर डलवायीं
, चावल क कचौ रयाँबनवायींऔर सबको अलग-अलग गठर म बाँ
धकर
रख दया। रात को अकसर बु
आजी, महरा जन तथा गाँ
व क मह रन ढोलक ले
कर बै
ठ जातींऔर गीत गातीं
। बनती
उनम भी शािमल रहती।

सच पू
छो तो सु
धा के याह का जतना उछाह बु
आ को नह ंथा, उतना बनती को था। वह सु
बह से
उठकर झाड़ू
ले
कर सारा घर बु
हार डालती थी, इसकेबाद नहाकर तरकार काटती, उसकेबाद फर चाय चढ़ाती। डॉ टर साहब,
च दर, सु
धा सभी को चाय दे
ती, बै
ठकर च दर अगर कु
छ हसाब िलखाता तो हसाब िलखती, फर अपनी मशीन पर
बै
ठ जाती और बारह-एक बजेतक िसलाई करती रहती, फर दोपहर को चावल और दाल बीनती, शाम को खरबू
जे
काटती, शरबत बनाती और रात-भर जाग-जागकर गाती या द द को हँ
साने
क कोिशश करती। एक दन सु
धा ने
कहा,
''मे
रेयाह म तो इतनी खु
श है
, अपनेयाह म या करे
गी?'' तो बनती ने
जवाब दया, ''अपनेयाह म तो म खु
द बड
बजाऊँ
गी, वद पहनकर!''

घर चमक उठा था जै
सेरे
शम! ले
कन रे
शम केचमकदार, रं
गीन उ लास भरेगोले
केअ दर भी एक ाणी होता
है
, उदास त ध अपनी साँ
स रोककर अपनी मौत क ण- ण ती ा करनेवाला रे
शम का क ड़ा। घर केइस सारे
उ लास और चहल-पहल सेिघरा हु
आ िसफ एक ाणी था जसक साँ
स धीरे
-धीरेडू
ब रह थी, जसक आँ
ख क
चमक धीरे
-धीरेकुहला रह थी, जसक चं
चलता ने
उसक नजर सेवदा माँ
ग ली थी, वह थी-सु
धा। सु
धा बदल गयी
थी। गोरा च पई चे
हरा पीला पड़ गया था, और लगता था जै
सेवह बीमार हो। खाना उसे
जहर लगने
लगा था, अपने
कमरेको छोड़कर कह ंजाती न थी। एक शीतलपाट बछाये
उसी पर दन-रात पड़ रहती थी। बनती जब हँ
सती हु

खाना लाती और सु
धा केइनकार पर बनती केआँ
सूछलछला आतेतब सु
धा पानी केघू

ँ केसहारेकु
छ खा ले
ती
और उदास, फर अपनी शीतलपाट पर ले
ट जाती। वग को कोई इ धनु
ष सेभर देऔर शची को जहर पला दे
,
कु
छ ऐसा ह लग रहा था वह घर।

डॉ टर शुला का साहस न होता था सु


धा सेबोलनेका। वह रोज बनती सेपू
छ ले
त-े
''सु
धा खाना खाती हैया
नह ं
?'' बनती कहती, ''हाँ
।'' तो एक गहर साँ
स ले
कर अपने
कमरेम चले
जाते

च दर परे
शान था। उसने
इतना काम शायद कभी भी न कया हो अपनी जं
दगी म। सु
नार केयहाँ
, कपड़ेवाले
के
यहाँ
, फर राशिनं
ग अफसर केयहाँ
, पु
िलस बड ठ क करानेपु
िलस लाइं
स, अज दे
नेमै
ज े
ट केयहाँ
, पया िनकालने
बक, शािमयानेका इ तजाम, पलँ
ग, कु
स वगै
र ह का इ तजाम, खाने
-परोसनेकेबरतन केइ तजाम और जाने या-
या...और जब बु
र तरह थककर आता, जे
ठ क तपती हु
ई दोपहर म, तब बनती आकर बताती-सु
धा नेआज फर
कु
छ नह ंखाया तो उसका मन होता था वह िसर पटक-पटक दे
। वह सु
धा केपास जाता, सु
धा आँ
सूप छकर बै
ठती,
एक टू
ट -फू
ट मु
सकान से
च दर का वागत करती। च दर उससे
पूछता, ''खाती य नह ं
?''

''खाती तो हू
ँच दर, इससे यादा गरिमय म म कभी नह ंखाती थी।'' सु
धा कहती और इतने ढ़ वर सेक
च दर से
कुछ ितवाद नह ंकरते
बनता।

अब बाहर काम लगभग समा हो गयेथे


। वै
सेतो सभी जगह ह द िछडक़कर प रवाना कयेजा चु
केथे
ले
कन िनमंण-प भी बहु
त सु
दर छपकर आयेथे
, हालाँ
क कु
छ दे
र हो गयी थी। याह को अब कु
ल सात दन बचे
थे
। च दर सु
बह दस बजेएक ड बेम िनमंण-प और िलफाफा-भरेहु
ए आया और टड - म म बै
ठ गया। बनती
बै
ठ हु
ई कु
छ िसल रह थी।

''सु
धा कहाँहै
? उसे
बुला लाओ।''

सु
धा आयी, सू
जी आँ
ख, सू
खेहोठ, खेबाल, मै
ली धोती, िन ाण चे
हरा और बीमार चाल। हाथ म पं
खा िलये
थी। आयी और च दर केपास बै
ठ गयी-''कहो, या कर आये
, च दर! अब कतना इ तजाम बाक है
?''

''अब सब हो गया, सु
धा रानी! आज तो पै
र जवाब देरहेह। साइ कल चलाते
-चलातेपै
र म जै
सेगाँ
ठ पड़ गयी
ह ।'' च दर ने
काड फै
लाते
हुए कहा, ''शाद तुहार होगी और जान मे
र िनकली जा रह हैमे
हनत से
।''

''हाँच दर, इतना उ साह तो और कसी को नह ंहैमे


र शाद का!'' सु
धा नेकहा और बहु
त दल
ुार सेबोली,
''लाओ, पै
र दबा दँ
ूतुहारे
?''

''अरेपागल हो गयी?'' च दर ने
अपने
पैर उठाकर ऊपर रख िलये

''हाँ
, च दर!'' गहर साँ
स ले
तेहु
ए सु
धा बोली, ''अब मे
र ा अिधकार भी या हैतुहारेपै
र छू
नेका। मा करना, म
भू
ल गयी थी क म पु
र ानी सु
धा नह ंहू

।'' और टप से
दो आँ
सूिगर पड़े
। सु
धा ने
पंखेक ओट कर आँ
ख प छ लीं

''तु
म तो बु
र ा मान गयीं
, सु
धा!'' च दर ने
पैर नीचेरखते
हुए कहा।

''नह ंच दर, अब बु
र ा-भला मानने
के दन बीत गये
। अब गै
र क बात का भी बु
र ा-भला नह ंमान पाऊँ
गी, फर
घर केलोग क बात का बु
र ा-भला या...छोड़ो ये
सब बात। ये या िनमंण-प छपा है
, दे
ख!''

च दर ने
एक िनमंण-प उठाया, उसे
िलफाफेम भरकर उस पर सु
धा का नाम िलखकर कहा, ''लो, हमार सु
धा
का याह है
, आइएगा ज र!''
सु
धा ने
िनमंण प ले
िलया-''अ छा!'' एक फ क हँ
सी हँ
सकर बोली, ''अ छा, अगर हमारेपितदे
व ने
आ ा देद
तो आऊँ
गी आपकेयहाँ
। उनका भी नाम िलख द जए वरना बु
र ा न मान जाएँ
।'' और सु
धा उठ खड़ हु
ई।

''कहाँचली?'' च दर ने
पूछा।

''यहाँबहु
त रोशनी है
! मु
झेअपना अँ
धे
र ा कमरा ह अ छा लगता है
।'' सु
धा बोली।

''चलो बनती, वह ंकाड लेचलो!'' च दर नेकहा, ''आओ सु


धा, आज काड िलखतेजाएँ
गे
, तु
मसेबात करते
जाएँ
गे
। जं
दगी दे
खो, सु
धी! आज प ह दन से
तुमसे
दो िमनट बै
ठकर बात भी न कर सके
।''

''अब या करना है
, च दर! जै
सा कह रहेहो वै
सा कर तो रह हू

। अभी कु
छ और बाक है या? बता दो वह भी
कर डालू
।ँअब तो रो-पीटकर ऊँ
चा बनना ह है
।''

बनती नेकाड समे


टेतो सु
धा डाँ
टकर बोली-''रख इसेयह ं
; चली उठा के
! बड़ च दर क आ ाकार बनी है
। ये
भी हमार जान क गाहक हो गयी अब! हमारेकमरेम लायी ये
सब, तो टाँ
ग तोड़ दँ

ूी! पाजी कह ंक !''

बनती ने
काड धर दये
। नौकर ने
आकर कहा, ''बाबू
जी, कुहार अपना हसाब माँ
गता है
!''

''अ छा, अभी आया, सु


धा!'' और च दर चला गया।

और इस तरह दन बीत रहेथे


। शाद नजद क आती जा रह थी और सभी का सहारा एक-दस
ूरेसेछू
टता जा
रहा था। सु
धा केमन पर जो कु
छ भी धीरे
-धीरेमरघट क उदासी क तरह बै
ठता जा रहा था और च दर अपनेयार
से
, अपनी मु
सकान से
, अपनेआँ
सओ
ु ंसेधो दे
नेकेिलए याकु
ल हो उठा था, ले
कन यह जं
दगी थी जहाँ यार हार
जाता है
, मु
सकान हार जाती ह, आँ
सूहार जातेह-त तर , याले
, कुहड़, प ल, कालीन, द रयाँऔर बाजेजीत जाते
ह। जहाँअपनी जं
दगी क रे
णा-मू
ित केआँ
सूिगननेकेबजाय कुहड़ और यालेिगनवाकर रखनेपड़ते
ह और जहाँ
कसी आ मा क उदासी को अपनेआँ
सओ
ु ंसेधोनेकेबजाय प ल धु
लवाना यादा मह वपू
ण होता है
, जहाँभावना
और अ त केसारेतू
फान सु
नार और बजलीवाल क बात म डू
ब जातेह, और जहाँदो आँ
सओ
ु ंम डू
बतेहु

य य क पु
कार शहनाइय क आवाज म डू
ब जाती हैऔर जस व क आदमी के दय का कण-कण तव त
हो जाता है
, जस व उसक नस म िसतारेटू
टते
ह, जस व उसकेमाथेपर आग धधकती है
, जस व उसकेिसर
पर सेआसमान और पाँ
व तले
सेधरती हट जाती है
, उस समय उसेशाद क सा ड़य का मोल-तोल करना पड़ता है
और बाजेवाले
को एडवा स पया दे
ना पड़ता है

ऐसी थी उस व च दर क जं
दगी और उस जं
दगी नेअपना च पू
र तरह चला दया था। करोड़ तू
फान
घु
मड़ातेहु
ए उसे
नचा रहेथे
। वह एक ण भी कह ंनह ंटक पाता था। एक पल भी उसेचै
न नह ंथा, एक पल भी
वह यह नह ंसोच पाता था क उसकेचार ओर या हो रहा है
? वह बे
होशी म, मू
छा म मशीन क तरह काम कर
रहा था। आवाज थींक उसकेकान सेटकराकर चली जाती थीं
, आँ
सूथेक दय को छूनह ंपातेथे
, च उसे
फँ
साकर खीं
चेिलयेजा रहा था। बजली सेभी यादा ते
ज, लय सेभी यादा सश वह खं
चा जा रहा था। िसफ
एक ओर। शाद का दन। सु
धा नेनथु
नी पहनी, उसेनह ंमालू
म। सु
धा नेकोरेकपड़ेपहने
, उसेनह ंमालू
म। सु
धा ने
चू
ड़ेपहने
, उसेनह ंमालू
म। घर म गीत हु
ए, उसेनह ंमालू
म। सु
धा नेचूहा पू
जते
व अपना िसर पटक दया, उसे
नह ंमालू
म...वह य नह ंथा, तू
फान म उड़ता हु
आ एक पीला प ा था जो वा याच म उलझ गया था और झ के
उसे
नचाये
जा रहेथे
...

और उसेहोश आया तब, जब बनती जबरद ती उसका हाथ पकडक़र खीं


च लेगयी बारात आनेकेएक दन
पहले
। उस छत पर, जहाँसु
धा पड़ रो रह थी, च दर को ढके
लकर चली आयी।

च दर केसामनेसु
धा थी। सु
धा, जससेवह पता नह ं य बचना चाहता था। अपनी आ मा केसं
घष से
, अपने
अ त:करण केघाव क कसक से
घबराकर जै
सेकोई आदमी एका त कमरेसे
भागकर भीड़ म िमल जाता है
, भीड़ के
िनरथक शोर म अपनेको खो दे
ना चाहता है
, बाहर केशोर म अ दर का तू
फान भु
ला दे
ना चाहता है
; उसी तरह च दर
पछलेह तेसेसब कु
छ भू
ल गया; उसेिसफ एक चीज याद रहती थी-शाद का ब ध। सु
बह सेले
कर सोनेकेव
तक वह इतना काम कर डालना चाहता था क उसे
एक ण भी बै
ठने
का मौका न िमले
, और सोने
सेपहले
वह इतना
थक जाये
, इतना चू
र -चू
र हो जायेक ले
टतेह नीं
द उसे
जकड़ लेऔर उसेबे
होश कर दे
। ले
कन उस व बनती उसे
उसके व मरण- थल से
खीं
चकर एका त म लेआयी हैजहाँउसक ताकत और उसक कमजोर , उसक प व ता और
उसका पाप, उसक मु
सकान और उसकेआँ
स,ूउसक ितभा और उसक व मृ
ित; उसक सु
धा अपनी जं
दगी के
िचर तन मोड़ पर खड़ अपना सब कु
छ लु
टा रह थी। च दर को लगा जै
सेउसको अभी च कर आ जाएगा। वह
अकु
लाकर खाट पर बै
ठ गया।

शाम थी, सू
र ज डू
ब रहा था और दन-भर क तपी हु
ई छत पर जलती हु
ई बरसाती केनीचेएक खरहर खाट पर
सु
धा ले
ट थी। एक मह न पीली धोती पहने
, कोर मारक न क कु
त , पहने
, खेिचकटेहु
ए बाल और नाक म बहु

बड़ -सी नथ। प ह दन केआँ
सओ
ु ंनेचे
हरेको जाने
कैसा बना दया। न चे
हरेपर सु
कु
मारता थी, न कठोरता। न प
था, न ताजगी। िसफ ऐसा लगता था क जै
सा सु
धा का सब कु
छ लु
ट चु
का है
। न के
वल यार और जं
दगी लु
ट है
,
वरन आवाज भी लु
ट गयी हैऔर नीरवता भी। वै
भव भी लु
ट गया और याचना भी।

सु
धा नेअपनेपीलेप लेसेआँ
सूप छेऔर उठकर बै
ठ गयी। दोन चु
प। पहलेकौन बोले
! बनती आयी, च दर
और सु
धा का खाना रखकर चली गयी। ''खाना खाओगी, सु
धा?'' च दर ने
पूछा। सु
धा कु
छ बोली नह ंिसफ िसर हला
दया। और डू
बतेहु
ए सू
र ज और उड़ते
हुए बादल क ओर दे
खकर जाने या सोचनेलगी। च दर नेथाली खसका द
और सु
धा को अपनी ओर खीं
चकर बोला, ''सु
धा, इस तरह कै
सेकाम चले
गा। तुह ंको दे
खकर तो म अपना धीरज
सँ
भालू

ँा, बताओ और तुह ंयह कर रह हो!'' सु
धा च दर केपास खसक आयी और दो िमनट तक चु
पचाप च दर
क ओर फट हु
ई पथरायी आँ
ख सेदे
खती रह और एकदम दय को फाड़ दे
नेवाली आवाज म चीखकर रो उठ -
''च दर, अब या होगा!''

च दर क समझ म नह ंआया, वह या करे


! आँ
सूउसकेसू
ख चु
केथे
। वह रो नह ंसकता था। उसकेमन पर
कह ंकोई प थर रखा था जो आँ
सओ
ु ंक बू

ँ को बननेकेसाथ ह सोख ले
ता था ले
कन वह तड़प उठा, ''सु
धा!'' वह
घबराकर बोला, ''सु
धा, तुह हमार कसम है
-चु
प हो जाओ! चु
प... ब कु
ल चु
प...हाँ
...ऐसेह !'' सु
धा च दर केपाँ
व म
मु

ँ िछपायेथी-''उठकर बै
ठो ठ क सेसु
धा...इतना समझ-बू
झकर यह सब करती हो, िछह! तुह अपना दल मजबू

करना चा हए वरना पापा को कतना दख
ु होगा।''

''पापा ने
तो मु
झसेबोलना भी छोड़ दया है
, च दर! पापा सेकह दो आज तो बोल ल, कल सेहम उ ह परे
शान
करनेनह ंआएँ
गे
, कभी नह ंआएँ
गे
। अब उनक सु
धा को सब लेजा रहेह, जानेकहाँले
जा रहेह!'' और फर वह
फफक-फफककर रो पड़ ।

च दर नेबनती सेपापा को बु
लवाया। सु
धा को रोतेहु
ए दे
खकर बनती खड़ हो गयी, ''द द , रोओ मत द द ,
फर हम कसकेभरोसेरहगेयहाँ
?'' और सु
धा को चु
प कराते
-करातेबनती भी रोनेलगी। और आँ
सूप छते
हुए चली
गयी।

पापा आये
। सु
धा चु
प हो गयी और कु
छ कहा नह ं
, फर रोने
लगी। डॉ टर शुला भरायेगले
सेबोले
, ''मु
झेयह
रोआई अ छ नह ंलगती। यह भावु
कता य ? तु
म पढ़ -िलखी लड़क हो। इसी दन केिलए तुह पढ़ाया-िलखाया गया
था! भावु
कता से या फायदा?'' कहते
-कहतेडॉ टर शुला खु
द रोनेलगे
। ''चलो च दर यहाँसे
! अभी जनवासा ठ क
करवाना है
।'' च दर और डॉ टर शुला दोन उठकर चले
गये

अपनी शाद केपहले


, हमे
शा केिलए अलग होने
सेपहले
सुधा को इतना ह मौका िमला...उसकेबाद...

सु
बह छह बजेगाड़ आती थी, ले
कन खु
श क मती सेगाड़ ले
ट थी; डॉ टर शुला तथा अ य लोग बारात का
वागत करने टे
शन पर जा रहेथेऔर च दर घर पर ह रह गया था जनवासेका इ तजाम करने
। जनवासा बगल म
था। माथु
र साहब केबँ
गलेकेदोन हॉल और कमरा खाली करवा िलयेगये
थे। च दर सु
बह छह ह बजेआ गया था
और जनवासेम सब सामान लगवा दया था। नहानेका पानी और बाक इ तजाम कर वह घर आया। जलपान का
इ तजाम तो के
दार केहाथ म था ले
कन कु
छ तौिलये
िभजवाने
थे।

'' बनती, कु
छ तौिलये
िनकाल दो।'' च दर नेबनती से
कहा।

बनती उद क दाल धो रह थी। उसने


फौरन उठकर हाथ धोये
और कमरेक ओर चली गयी।

''ऐ बनती...'' बु
आजी नेभं
डारेकेअ दर सेआवाज लगायी-''जाने
कहाँमर गयी मु

ँझ सी! अरेिसं
गार-पटार बाद
म कर िलयो, काम म तिनक द दा नै
लगते
। बे
सन का कन टर कहाँरखा है
?''

''अभी आये
!'' बनती ने
च दर से
कहा और अपनी माँकेपास दौड़ , प ह िमनट हो गये
लेकन बनती लौट ह
नह ं
। याह का घर! हर तरफ सेबनती क पु
कार मचती और बनती पं
ख लगाये
उड़ रह थी। जब बनती नह ंलौट
तो च दर ने
सुधा को ढु

ढक़र कहा, ''सु
धी, एक बहु
त बड़ा-सा तौिलया िनकाल दो।''

सु
धा चु
पचाप उठ और टड - म म चली गयी। च दर भी पीछे
-पीछेगया।

''बै
ठो, अभी िनकालकर लातेह!'' सु
धा नेभर हु
ई आवाज म कहा और बगल केकमरेम चली गयी। वहाँसे
लौट तो उसकेहाथ म मीठेक त तर थी।

''अरेखाने
का व नह ंहै
, सु
धा! आठ बजेलोग आ जाएँ
गे
।''

''अभी दो घं
टेह, खा लो च दर! अब कभी तुहारेकाम म हरजा करकेखाने
को नह ंकहू

गी!'' सु
धा बोली। च दर
चु
प।
''याद है
, च दर! इसी जगह आँ
चल म िछपाकर नानखटाई लायी थी। आओ, आज अपने
हाथ सेखला दँ
।ूकल ये
हाथ परायेहो जाएँ
गे
। और सु
धा ने
एक इमरती तोडक़र च दर केमु

ँ म देद । च दर क आँ
ख म दो आँ
सूछलक
आये
-सु
धा ने
अपने
हाथ से
आँसू
प छ दये
और बोली, ''च दर, घर म कोई खाने
का खयाल करने
वाला नह ंहै
। खाते
-
पीतेजाना, तुह हमार कसम है
। म शाहजहाँ
परु सेलौटकर आऊँ
गी तो दब
ुलेमत िमलना।'' च दर कु
छ बोला नह ं

आँ
सूबहतेगये
, सु
धा खलाती गयी, वह खाता गया। सु
धा नेिगलास म पानी दया, उसनेहाथ धोया और जे
ब से
माल िनकाला।

'' य , आज आँ
चल म हाथ नह ंप छोगे
?'' सु
धा बोली। च दर ने
आँचल हाथ म लेिलया और पलक पर आँ
चल
दबाकर फू
ट-फू
टकर रो पड़ा।

''िछह, च दर! आज तो हम सँ
भल गयेह, हमनेसब वीकार कर िलया चु
पचाप। अब तु
म कमजोर मत बनो,
तु
मने
कहा था, म शा त रहू
ँतो शा त हो गयी। अब य मु
झेभी लाओगे
! उठो।'' च दर उठ खड़ा हु
आ।

सु
धा ने
एक पान च दर केमु

ँ म दे
कर क था उसक कमीज से
लगा दया। च दर कु
छ नह ंबोला।

''अरे
, आज तो लड़ लो, च दर! आज से
ख म कर दे
ना।''

इतने
म बनती तौिलया ले
आयी। ''द द , इ ह कु
छ खला दो। ये
खा नह ंरहेह।'' बनती ने
कहा।

'' खला दया।'' सु


धा बोली, ''दे
खो च दर, आज म नह ंरोऊँ
गी ले
कन एक शत पर। तु
म बराबर मे
रेसामने
रहना।
मं
डप म रहोगेन?''

''हाँ
, रहू

गा।'' च दर ने
आँसू
पीते
हुए कहा।

''कह ंचले
मत जाना! मे
र आ खर बनती है
।'' सु
धा बोली। च दर तौिलया ले
कर चला आया।

चू

क बारात म कु
ल आठ ह लोग थेअत: घर क और माथु
र साहब क दो ह कार सेकाम चल गया। जब ये
लोग आयेतो ना तेका सामान तै
यार था और च दर चु
पचाप बै
ठा था। उसनेफौरन सबका सामान लगवाया और
सामान रखवाकर वह जा ह रहा था क कै
लाश नेपीछेसेक धेपर हाथ रखकर उसेपीछेघु
मा िलया और गलेसे
लगकर बोला, ''कहाँचलेकपू
र साहब, नम ते
! चलो, पहले
ना ता करो।'' और खीं
चकर वह च दर को लेगया। अपने
बगल क मे
ज पर बठाकर, उसक चाय अपनेहाथ से
बनायी और बोला, ''कु
छ नाराज थे या, कपू
र ? खत का जवाब
य नह ंदे
तेथे
?''

''हम तो बराबर खत का जवाब दे


तेरहे
, यार!'' कपू
र चाय पीते
हुए बोला।

''अ छा तो हम घू
मतेरहेइधर-उधर, खत गड़बड़ हो गयेह गे
।...लो, समोसा खाओ!'' कै
लाश नेकहा। च दर ने
िसर हलाया तो बोला, 'अरे
, वाह याँ
? शाद तुहार नह ंहो रह है
, हमार हो रह है
, समझे
? तु
म य तक लु

कर रहेहो। अ छा कपू
र ...काम तो तुह ंपर होगा सब!''

''हाँ
!'' कपू
र बोला।
''बड़ा अफसोस है
, यार!'' जब हम लोग पहली दफा िमलेथेतो यह नह ंमालू
म था क तु
म और डॉ टर साहब
इतना अ छा इनाम दोगे
, अपने
को बचाने
का। हमारेलायक कोई काम हो तो बताओ!''

''आपक दआ
ु है
!'' च दर नेिसर झु
काकर कहा, और सभी हँ
स पड़े
। इतनेम शं
कर बाबूडॉ टर साहब केसाथ
आये
और सब लोग चु
प हो गये

दन भर के यवहार से
च दर नेदे
खा क कै
लाश भी उतना ह अ छा हँ
समु
ख और शालीन हैजतने
शंकर बाबू
थे
। वह उसे
राजनीितक े म जतना फौलाद लगा था, घरे
लूजं
दगी म उतना ह अ छा लगा। च दर का मन खु
शी
सेनाच उठा। सु
धा क ओर सेवह थोड़ा िन त हो गया। अब सु
धा िनभा लेजाएगी। वह मौका िनकालकर घर म
गया। दे
खा, सु
धा को औरत घे
रेहु
ए बै
ठ ह और महावर लगा रह ह। बनती कन तर म सेघी िनकाल रह थी।
च दर गया और बनती क चोट घसीटकर बोला, ''ओ िगलहर , घी पी रह है या?''

बनती ने
दंग होकर च दर क ओर दे
खा। आज तक कभी अ छे
-भले
म तो च दर ने
उसे
नह ंिचढ़ाया था। आज
या हो गया? आज जब क पछले
प ह रोज से
च दर केहोठ मु
सकराना भू
ल गये
ह।

''आँ
ख फाड़कर या दे
ख रह है
? कै
लाश बहु
त अ छा लड़का है
, बहु
त अ छा। अब सु
धा बहु
त सु
खी रहे
गी। कतना
अ छा होगा, बनती! हँ
सती य नह ंिगलहर !'' और च दर नेबनती क बाँ
ह म चु
टक काट ली।

''अ छा! हम द द समझा है या? अभी बताती हू



।'' और घी भरेहाथ से
च दर क बाँ
ह पकड़कर बनती ने
जोर
से
घुमा द । च दर ने
अपने
को छु
ड़ाया और बनती को चपत मारकर गु
नगु
नाता हु
आ चला गया।

बनती ने
कन तर केमु

ँ पर लगा घी प छा और मन म बोली, 'दे
वता और कसे
कहते
ह?'

शाम को बारात चढ़ । साद -सी बारात। िसफ एक बड था। कै


लाश ने
शेर वानी और पायजामा पहना था, और टोपी।
िसफ एक माला गलेम पड़ थी और हाथ म कं
गन बँ
धा था। मौर पीछेकसी आदमी केहाथ म था। जयमाला क
र म होनेवाली थी। ले
कन बु
आजी ने प कर दया क हमार लड़क कोई ऐसी-वै
सी नह ंक याह केपहलेभर
बारात म मु

ँ खोलकर माला पहनाये
। ले
कन घू

ँट केमामलेपर सु
धा ने ढ़ता सेमना कया था, वह घू

ँट ब कु

नह ंकरे
गी।

अ त म पापा उसेले
कर मं
डप म आये
। घर का काम-काज िनबट गया था। सभी लोग आँ
गन म बै
ठेथे
। कािमनी,
भा, लीला सभी थीं
, एक ओर बाराती बै
ठेथे
। सु
धा शा त थी ले
कन उसका मु

ँ हण केच मा क तरह िन ते

था। मं
डप का एक ब ब खराब हो गया था और च दर सामनेखड़ा उसेबदल रहा था। सु
धा नेजाते
-जातेच दर को
दे
खा और आँ
सूप छकर मु
सकरानेलगी और मु
सकराकर फर आँ
सूप छनेलगीं
। कािमनी, भा, लीला तमाम लड़ कयाँ
कै
लाश पर फ तयाँकस रह थीं
। सु
धा िसर झु
कायेबै
ठ थी। पापा सेउसनेकहा, '' बनती को हमारेपास भे
ज दो।''
बनती आकर सु
धा केपीछेबै
ठ गयी। कै
लाश नेआँ
ख केइशारेसेच दर को बु
लाया। च दर जाकर पीछेबै
ठा तो
कै
लाश नेकहा, ''यार, यहाँजो लोग खड़ेह इनका प रचय तो बता दो चु
पकेसे
!'' च दर ने
सभी का प रचय बताया।
कािमनी, भा, लीला सभी केबारेम जब च दर बता रहा था तो बनती बोली, ''बड़ेलालची मालू
म दे
तेह आप? एक
से
स तोष नह ंहै या? वाह रेजीजाजी!'' कै
लाश ने
मुसकराकर च दर से
पूछा, ''इसका याह तय हु
आ क नह ं
?''
''हो गया।'' च दर ने
कहा।

''तभी बोलनेका अ यास कर रह ह; मं


डप म भी इसीिलए बै
ठ ह या?'' कै
लाश ने
कहा। बनती झप गयी और
उठकर चली गयी।

संकार शु हु
आ। कै
लाश केहाथ म ना रयल और उसक मुठ पर सु
धा केदोन हाथ। सु
धा अब चु
प थी।
इतनी चु
प...इतनी चु
प क लगता था उसकेहोठ ने
कभी बोलना जाना ह नह ं
। संकार केदौरान ह पार प रक वचन
का समय आया। कै
लाश नेसभी ित ाएँ वयं
कह ं
। शं
करबाबू
नेकहा, लड़क भी िश त हैऔर उसे
भी वयं
वचन
करनेह गे
। सु
धा ने
िसर हला दया। एक अस तोष क लहर-सी बाराितय म फै
ल गयी। च दर नेबनती को बु
लाया।
उसकेकान म कहा, ''जाकर सु
धा से
कह दो क पागलपन नह ंकरते
। इससे या फायदा?'' बनती ने
जाकर बहु
त धीरे
से
सुधा केकान म कहा। सु
धा ने
िसर उठाकर दे
खा। सामनेबरामदेक सी ढय़ पर च दर बै
ठा हु
आ बड़ा िच तत-सा
कभी शं
करबाबूक ओर दे
खता और कभी सु
धा क ओर। सु
धा सेउसक िनगाह िमली और वह िसहर-सा उठा, सु
धा
ण-भर उसक ओर दे
खती रह । च दर नेजाने या कहा और सु
धा नेआँ
ख -ह -आँ
ख म उसे या जवाब देदया।
उसकेबाद सु
धा नीचेरखेहु
ए पू
जा केना रयल पर लगेहु
ए िस दरूको दे
खती रह फर एक बार च दर क ओर दे
खा।
विच -सी थी वह िनगाह, जसम कातरता नह ंथी, क णा नह ंथी, आँ
सूनह ंथे
, कमजोर नह ंथी, था एक
ग भीरतम व ास, एक उपमाह न ने
ह, एक स पू
णतम समपण। लगा, जै
सेवह कह रह हो-सचमु
च तु
म कह रहेहो,
फर सोच लो च दर...इतने ढ़ हो...इतनेकठोर हो...मु
झसेमु

ँ से य कहलवाना चाहतेहो... या सारा सु
ख लू
टकर
थोड़ -सी आ मवं
चना भी मे
रेपास नह ंछोड़ोगे
?...अ छा लो, मे
रेदे
वता! और उसने
हारकर िसस कय सेसने वर म
अपने
को कै
लाश को सम पत कर दया। ित ाएँदोहरा द ंऔर उसकेबाद साड़ का एक छोर खीं
चकर, नथ क डोर
ठ क करने
केबहाने
उसने
आँसू
प छ िलये

च दर ने
एक गहर साँ
स ली और बगल म बै
ठ हु
ई बु
आजी से
कहा, ''बु
आजी, अब तो बै
ठा नह ंजाता। आँ
ख म
जै
सेकसी ने
िमच भर द हो।''

''जाओ...जाओ, सोय रहो ऊपर, खाट बछ है


। कल सु
बह दस बजेवदा करेको है
। कु
छ खायो पयो नै
, तो पड़े
रहबो!'' बु
आ ने
बड़े ने
ह से
कहा।

च दर ऊपर गया तो दे
खा एक खाट पर बनती औं
धी पड़ िससक रह है
। '' बनती! बनती!'' उसनेबनती को
पकडक़र हलाया। बनती फू
ट-फू
टकर रो पड़ ।

''उठ पगली, हम तो समझाती है


, खु
द अपने
-आप पागलपन कर रह है
।'' च दर नेँ
धेगले
सेकहा।

बनती उठकर एकदम च दर क गोद म समा गयी और ददनाक वर म बोली, ''हाय च दर...अब... या...होगा?''

च दर क आँ
ख म आँ
सूआ गये
, वह फू
ट पड़ा और बनती को एक डू
बतेहु
ए सहारेक तरह पकडक़र उसक
माँ
ग पर मु

ँ रखकर फू
ट-फू
टकर रो पड़ा। ले
कन फर भी सँ
भल गया और बनती का माथा सहलातेहु
ए और अपनी
िसस कय को रोकते
हुए कहा, ''रो मत पगली!''

धीरे
-धीरेबनती चु
प हु
ई। और खाट केपास नीचेछत पर बै
ठ गयी और च दर केघु
टन पर हाथ रखकर बोली,
''च दर, तु
म आना मत छोड़ना। तु
म इसी तरह आते
रहना! जब तक द द ससु
र ाल से
लौट न आएँ
।''

''अ छा!'' च दर नेबनती क पीठ पर हाथ रखकर कहा, ''घबरातेनह ं


। तु
म तो बहादरुलड़क हो न! सब चीज
बहादरु से
सहना चा हए। कै
सी द द क बहन हो? य ?''

बनती उठकर नीचेचली गयी।

च दर ले
ट रहा। उसक पोर-पोर म दद हो रहा था। नस-नस को जै
सेकोई तोड़ रहा हो, खीं
च रहा हो। ह डय
केरे
श-े
रे
शेम थकान िमल गयी थी ले
कन उसेनीं
द नह आयी। आँ
गन म पु
र ो हतजी केमं-पाठ का वर और बीच-
बीच म आनेवालेकसी बाराती या औरत क आवाज उसकेमन को अ त- य त कर दे
ती थीं
। उसक थकान और
उसक अशा त ह उसको बार-बार झटकेसेजगा दे
ती थी। वह करवट बदलता, कभी ऊपर दे
खता, कभी आँ
ख ब द
कर ले
ता क शायद नीं
द आ जाए ले
कन नीं
द नह ंह आयी। धीरे
-धीरेनीचेका रव भी शा त हो गया। संकार भी
समा हु
आ। बाराती उठकर चलनेलगेऔर वह आवाज सेयह पहचाननेक कोिशश करनेलगा क अब कौन या
कर रहा है
। धीरे
-धीरेसब शोर शा त हो गया।

च दर नेफर करवट बदली और आँ


ख ब द कर ली। धीरे
-धीरेएक कोहरा उसकेमन पर छा गया। वह इतना
जागा क अब अगर वह आँ
ख भी ब द करता तो जब पलक पु
तिलय से
छा जातींतो एक बहु
त कड़ु
आ दद होने
लगा
था। जै
स-े
तैसे
उसक थोड़ -सी आँ
ख लगी...

कसी नेसहसा जगा दया। पलक ब द करनेम जतना दद हु


आ था उतना ह पलक खोलनेम। उसनेपलक
खोलीं
-दे
खा सामने
सुधा खड़ थी...

माँ
ग और माथेम िस दरू
, कलाई म कं
गन, हाथ म अँ
गूठयाँ
, कड़े
, चू
ड़े
, गलेम गहने
, बड़ -सी नथु
नी डोरेके
सहारेकान म बँ
धी हु
ई, आँ
ख- जनम भाद क घटाओंक गरज खामोश हो रह बरसात-सी हो गयी थी।

वह ण-भर पै
तानेखड़ रह । च दर उठकर बै
ठ गया! उसका दल इस तरह धडक़ रहा था जै
सेकसी केसामने
भा य का ठा हु
आ दे
वता खड़ा हो। सु
धा कु
छ बोली नह ं
। उसने
दोन हाथ जोड़ेऔर झु
ककर च दर केपै
र पर माथा
टे
क दया। च दर ने
उसकेिसर पर हाथ रखकर कहा, ''ई र तुहारा सु
हाग अटल करे
! तु
म बहु
त महान हो। मु
झेतु

पर आज से
गव है
। आज तक तु
म जो कु
छ थी उससे
कह ं यादा हो मे
रेिलए, सु
धा!''

सु
धा कु
छ बोली नह ं
। आँ
चल सेआँ
सूप छती हु
ई पायतानेजमीन पर बै
ठ गयी। और अपनेगलेसे
एक बे
लेका
हार उतारा। उसे
तोड़ डाला और च दर केपाँ
व खीं
चकर खाट केनीचेजमीन पर रख िलये

''अरेयह या कर रह हो, सु
धा।'' च दर ने
कहा।

''जो मे
रेमन म आएगा!'' बहु
त मुकल सेँ
धेगलेसे
सुधा बोली, ''मु
झेकसी का डर नह ं
, तु
म जो कु
छ दं
ड दे
चु
केहो, उससे
बड़ा दं
ड तो अब भगवान भी नह ंदेसकगे
?'' सु
धा ने
च दर केपाँ
व पर फू
ल रखकर उ ह चू
म िलया
और अपनी कलाई म बँ
धी हु
ई एक पु
ड़या खोलकर उसम सेथोड़ा-सा िस दरूउन फू
ल पर िछडक़कर, च दर केपाँ

पर िसर रखकर चु
पचाप रोती रह ।
थोड़ दे
र बाद उठ और उन फू
ल को समे
टा। अपने
आँचल केछोर म उ ह बाँ
ध िलया और उठकर चली...धीमे
-
धीमे
िन:श द...

''कहाँचली, सु
धा?'' च दर ने
सुधा का हाथ पकड़ िलया।

''कह ंनह ं
!'' अपना हाथ छु
ड़ाते
हुए सु
धा ने
कहा।

''नह ं
-नह ं
, सु
धा, लाओ ये
हम रखगे
!'' च दर ने
सुधा को रोकते
हुए कहा।

''बे
कार है
, च दर! कल तक, परस तक ये
जूठेहो जाएँ
गे
, दे
वता मे
रे
!'' और सु
धा िससकते
हुए चली गयी।

एक चमकदार िसतारा टू
टा और पू
रेआकाश पर फसलते
हुए जानेकस ितज म खो गया।

दस
ूरेदन आठ बजेतक सारा सामान टे
शन पहु

च गया था। शं
कर बाबू
और डॉ टर साहब पहलेह टे
शन पहु


गयेथे
। बाराती भी सब वह ंचलेगयेथे
। कै
लाश और सु
धा को टे
शन तक लानेका ज मा च दर पर था। बहु

ज द करते
-कराते
भी सवा नौ बजेगये
थे। उसनेफर जाकर कहा। कै
लाश और सु
धा खड़ेहु
ए थे
। पीछेसे
नाइन सु
धा
केिसर पर पं
खा रखी थी और बु
आजी रोचना कर रह थीं
। च दर केज द मचानेपर अ त म उ ह फु
रसत िमली
और वह आगेबढ़े
। मोटर पर सु
धा ने य ह पाँ
व रखा क बनती पाँ
व सेिलपट गयी और रोनेलगी। सु
धा जोर से
बलख- बलखकर रो पड़ । च दर नेबनती को छु
ड़ाया। सु
धा पीछेबै
ठकर खड़क पर मु

ँ रखकर िससकती रह । मोटर
चल द । सु
धा मु
डक़र अपनेघर क ओर दे
ख रह थी। बनती नेहाथ जोड़ेतो सु
धा चीखकर रो पड़ । फर चु
प हो
गयी।

टे
शन पर भी सु
धा ब कु
ल शा त रह । सु
धा और कै
लाश केिलए से
कड लास म एक बथ सु
र त थी। बाक
लोग योढ़ेम थे
। शं
कर बाबूनेदोन को उस ड बेम पहु

चाया और बोले
, ''कै
लाश, तु
म जरा हमारेसाथ आओ।
िम टर कपू
र , जरा बहूकेपास आप र हए। म डॉ टर साहब को यहाँभे
ज रहा हू

।''

च दर खडक़ केपास खड़ा हो गया। शं


कर बाबूका छोटा ब चा आकर अपनी नयी चाची केपास बै
ठ गया और
उनक रे
शमी चादर से
खेलने
लगा। च दर चु
पचाप खड़ा था।

सहसा सु
धा नेउसकेहाथ पर अपना मे
हँ
द लगा हाथ रख दया और धीमेसेकहा, ''च दर!'' च दर नेमु
डक़र
दे
खा तो बोली, ''अब कु
छ सोचो मत। इधर दे
खो!'' और सु
धा ने
जानेकतने
दलुार से
च दर से
कहा, ''दे
खो, बनती का
यान रखना। उसे
तुहारेह भरोसे
छोड़ रह हू
ँऔर सु
नो, पापा को रात को सोते
व दध
ू म ओव ट न ज र देदे
ना।
खाने
-पीने
म गड़बड़ मत करना, यह मत समझना क सु
धा मर गयी तो फर बना दध
ू क चाय पीने
लगो। हम ज द
से
आ जाएँ
गे
। प मी का कोई खत आये
तो हम िलखना।''

इतने
म डॉ टर साहब और कै
लाश आ गये
। कै
लाश क पाटमट केबाथ म म चला गया। डॉ टर साहब आये
और
सु
धा केिसर पर हाथ रखकर बोले
, ''बे
टा! आज ते
र माँहोती तो कतना अ छा होता। और दे
ख, मह ने
-भर म बु
ला
लगेतु
झे
! वहाँघबराना मत।''

गाड़ ने
सीट द ।
पापा नेकहा, ''बे
टा, अब ठ क सेरहना और भावु
कता या बचपना मत करना। समझी!'' पापा नेआँ
ख से माल
लगा िलया-'' ववाह बहु
त बड़ा उ रदािय व है
। अब तुहार नयी जं
दगी है
। अब तक बे
ट थी, अब बहूहो...।''

सु
धा बोली, ''पापा, तुहारा ओव ट न का ड बा शीशे
वाली मे
ज पर है
। उसे
पी िलया करना और पापा, बनती को
गाँ
व मत भे
जना। च दर को अब घर पर ह बु
ला लो। तु
म अके
लेपड़ गये
! और हम ज द बु
ला ले
ना...''

गाड नेसीट द । कै
लाश नेज द सेडॉ टर साहब केपै
र छु
ए। च दर सेहाथ िमला िलया। सु
धा बोली, ''च दर,
येपु
जा बनती को दे
ना और दे
खो मे
र ा नतीजा िनकले
तो तार दे
ना।'' गाड़ चल पड़ । ''अ छा पापा, अ छा च दर...''
सु
धा ने
हाथ जोड़ेऔर खडक़ पर टककर रोने
लगी। और बार-बार आँ
सूप छ-प छकर दे
खने
लगी।...

गाड़ ले
टफाम केबाहर चली गयी तब च दर मु
ड़ा। उसकेबदन म पोर-पोर म दद हो रहा था। वह कै
सेघर पर
पहु

चा उसे
मालू
म नह ं

दो

च दर को ह ते
-भर तक होश नह ंरहा। शाद के दन म उसे
एक नशा था जसकेबल पर वह मशीन क तरह
काम करता गया। शाद केबाद इतनी भयं
कर थकावट उसक नस म कसक उठ क उसका चलना- फरना मुकल हो
गया था। वह अपनेघर सेहोटल तक खाना खानेनह ंजा पाता था। बस पड़ा-पड़ा सोता रहता। सु
बह नौ बजेसोता;
पाँ
च बजेउठता; थोड़ दे
र होटल म बै
ठकर फर वापस आ जाता। चु
पचाप छत पर ले
टा रहता और फर सो जाता।
उसका मन एक उजड़ेहु
ए नीड़ क तरह था जसम सेवचार, अनु
भिू
त, प दन और रस के वहं
गम कह ंदरूउड़ गये
थे
। लगता था, जै
सेवह सब कु
छ भू
ल गया है
। सु
धा, बनती, प मी, डॉ टर साहब, रसच, थीिसस, सभी कु
छ! येसब
चीज कभी-कभी उसकेमन म नाच जातींले
कन च दर को ऐसा लगता क येकसी ऐसी दिु
नया क चीज ह जसको
वह भू
ल गया है
, जो उसके मृ
ित-पटल से
िमट चु
क है
, कोई ऐसी दिु
नया जो कभी थी, कह ंथी, ले
कन कसी भयं
कर
जल लय नेजसका कण-कण व त कर दया था। उसक दिु
नया अपनी छत तक सीिमत थी, छत केचार ओर क
ऊँ
ची द वार और उन चारद वार सेबँ
धेहु
ए आकाश केचौकोर टु
कड़ेतक ह उसकेमन क उड़ान बँ
ध गयी थी।
उजाला पाख था। पहले
वह लु
धक तारेक रोशनी दे
खता फर धीरे
-धीरेचाँ
द क दिू
धया रोशनी सफे
द कफन क तरह
छा जाती और वह मन म थकेहु
ए वर जै
सेचाँ
दनी को ओढ़ता हु
आ-सा कहता, ''सो जा मु
र दे
...सो जा।''

छठेदन उसका मन कु
छ ठ क हु
आ। थकावट, जो एक कचु
ल क तरह उस पर छायी हु
ई थी, धीरे
-धीरेउतर गयी
और उसेलगा जै
सेमन म कु
छ टू
टा हु
आ-सा दद कसक रहा है
। यह दद य है
, कै
सा है
, यह उसकेकु
छ समझ म
नह ंआता था। पाँ
च बजेथेले
कन धू
प ब कु
ल नह ंथी। पीले
उदास बादल क एक झीनी तह ने
ढलतेहु
ए आषाढ़ के
सू
र ज को ढँ
क िलया था। हवा म एक ठं
डक आ गयी थी; लगता था क झ के कसी वषा केदे
श सेआ रहेह। वह
उठा, नहाया और बनती केघर चल पड़ा।

डॉ टर शुला लॉन पर हाथ म कताब िलये


टहल रहेथे
। पाँ
च दन म जै
सेवह बहु
त बू
ढ़ेहो गये
थे। बहु
त झु
के
हु
ए-सेिन ते
ज चे
हरा, डबडबायी आँ
ख और चाल म जै
सेउ थक गयी हो। उ ह नेच दर का वागत भी उस तरह
नह ंकया जै
सेपहले
करतेथे
। िसफ इतना बोले
, ''च दर, दो दफे ाइवर को भे
जकर बु
लाया तो मालू
म हु
आ तु
म सो
रहेहो। अब अपना सामान यह ंलेआओ।'' और वेबै
ठकर कताब उलट-पलट कर दे
खनेलगे
। अभी तक वेबू
ढ़ेथे
,
उनका य व त ण था। आज लगता था जै
सेउनके य व पर झु
रयाँपडऩेलगी ह, उनके य व क कमर भी
झु
क गयी है
। च दर कु
छ नह ंबोला। चु
पचाप खड़ा रहा। सामनेआकाश पर एक अजब-सी जद छा रह थी। डॉ टर
साहब नेकताब ब द क और बोले
, ''सु
ना है
...कॉले
ज के सपल आ गयेह। जाऊँजरा उनसेतुहारेबारेम बात
कर आऊँ
। तु
म जाओ, सु
धा का खत आया हैबनती केपास।''

''बु
आजी ह?'' च दर ने
पूछा।

''नह ं
, आज ह सु
बह तो गयीं
। हम लोग कतना रोकतेरहेले
कन उ ह कह ंऔर चै
न ह नह ंपड़ता। बनती को
बड़ मुकल से
रोका मने
।'' और डॉ टर साहब गै
रे
ज क ओर चल पड़े

च दर भीतर गया। सारा घर इतना सु


नसान था, इतना भयं
कर स नाटा क च दर केरोएँ
-रोएँ
खड़ेहो गये
। शायद
मौत केबाद का घर भी इतना नीरव और इतना भयानक न लगता होगा जतना यह शाद केबाद का घर। िसफ रसोई
से
कुछ खटपट क आवाज आ रह थी। '' बनती!'' च दर नेपु
कारा। बनती चौकेम थी। वह िनकल आयी। बनती को
दे
खते
ह च दर दं
ग हो गया। वह लड़क इतनी दब
ुली हो गयी थी क जै
सेबीमार हो। रो-रोकर उसक आँ
ख सू
ज गयी
थींऔर होठ मोटेपड़ गयेथे
। च दर को दे
खते
ह उसने
कड़ाह उतारकर नीचेरख द और बखर हु
ई लट सु
धारकर,
आँ
चल ठ क कर बाहर िनकल आयी। कमरेसेखीं
चकर एक चौक आँ
गन म डालकर च दर सेबहु
त उदास वर म
बोली, ''बै
ठए!''

''घर कतना सू
ना लग रहा हैबनती, तु
म अके
लेकै
सेरहती होगी?'' च दर नेकहा। बनती क आँ
ख म आँ
सू
छलछला आये

'' बनती, रोती य हो? िछह! मु


झेदे
खो। म कै
सेप थर बन गया हू

। य ? तु
म तो इतनी अ छ लड़क हो।''
च दर नेबनती केक धेपर हाथ रखकर कहा।

बनती नेआँ
सूभर पलक च दर क ओर उठायींऔर बड़ेह कातर वर म कहा, ''आप दे
वता हो सकतेह,
ले
कन हरे
क तो दे
वता नह ंहै
। फर आपनेकहा था आप आएँ
गेबराबर। पछलेह तेसेआयेभी नह ं
। यह भी नह ं
सोचा क हमारा या हाल होगा! रोज सु
बह-शाम कोई भी आता तो हम दौडक़र दे
खतेक आप आये
ह या नह ं
। दद
आपक थीं
! बस उन तक आपका र ता था। हम तो आपकेकोई नह ंह।''

''नह ंबनती! इतनेथक गयेथेक हम कह ंआने


-जानेक ह मत ह नह ंपड़ती थी। बु
आजी को जाने य
दया तु
मने
? उ ह रोक ले
ती!'' च दर ने
कहा।

''अरे
, वह थींतो रोनेभी नह ंदे
ती थीं
। म दो-तीन दन तक रोयी तो मु
झ पर बहु
त बगड़ ंऔर महरा जन से
बोलीं
, ''हमने
तो ऐसी लड़क ह नह ंदे
खी। बड़ बहन का याह हो गया तो मारेजलन के दन-रात आँ
सूबहा-बहाकर
अमं
गल बनाती है
। जब बखत आएगा तभी शाद करगेक अभी ह कसी केसाथ िनकाल दँ
।ू
'' बनती नेएक गहर
साँ
स ले
कर कहा, ''आप समझ नह ंसकतेक जं
दगी कतनी खराब है
। अब तो हमार तबीयत होती हैक मर जाएँ

अभी तक द द थीं
, सहारा दये
रहती थीं
। ह मत बँ
धाये
रहती थीं
, अब तो कोई नह ंहमारा।''

''िछह, ऐसी बात नह ंकरते


, बनती! मह ने
-भर म सु
धा आ जाएगी। और माँक बात का या बु
र ा मानना?''
''आप लड़क होते
तो समझते
, च दर बाबू
!'' बनती बोली और जाकर एक त तर म ना ता लेआयी, ''लो, द द
कह गयी थींक च दर केखाने
-पीनेका खयाल रखना ले
कन यह कसको मालू
म था क द द केजाते
ह च दर गै

हो जाएँ
गे
।''

''नह ंबनती, तु
म गलत समझ रह हो। जाने य एक अजीब-सी ख नता मन म आ गयी थी। कु
छ करनेक
तबीयत ह नह ंहोती थी। आज कु
छ तबीयत ठ क हु
ई तो सबसे
पहले
तुहारेह पास आया। बनती! अब सु
धा केबाद
मे
र ा हैह कौन, िसवा तुहारे
?'' च दर ने
बहु
त उदास वर म कहा।

''तभी न! उस दन म बु
लाती रह गयी और आप यह गये
, वह गये
और आँ
ख सेओझल! मने
तो उसी दन समझ
िलया था क अब पु
र ाने
च दर बाबू
बदल गये
।'' बनती ने
रोते
हुए कहा।

च दर का मन भर आया था, गलेम आँ


सूअटक रहेथेले
कन आदमी क जं
दगी भी कै
सी अजब होती है
। वह
रो भी नह ंसकता था, माथेपर दख
ु क रे
खा भी झलकनेनह ंदेसकता था, इसिलए क सामनेकोई ऐसा था, जो
खु
द दख
ुी था और सु
धा क थाती होने
केनातेबनती को समझाना उसका पहला कत य था। बनती केआँ
सूरोकने
के
िलए वह खु
द अपनेआँ
सूपी गया और बनती सेबोला, ''लो, कु
छ तु
म भी खाओ।'' बनती नेमना कया तो उसने
अपने
हाथ सेबनती को खला दया। बनती चु
पचाप खाती रह और रह-रहकर आँ
सूप छती रह ।

इतनेम महरा जन आयी। बनती नेचौकेकेकाम समझा दये


और च दर से
बोली, ''चिलए, ऊपर चल।'' च दर
नेचार ओर दे
खा। घर का स नाटा वै
सा ह था। सहसा उसकेमन म एक अजीब-सी बात आयी। सु
धा केसाथ कभी
भी कह ंभी वह जा सकता था, ले
कन बनती केसाथ छत पर अके
लेजाने
म य उसकेअ त:करण नेगवाह नह ं
द । वह चु
पचाप बै
ठा रहा। बनती कु
छ भी हो, कतनी ह समीप य न हो, बनती सु
धा नह ंथी, सु
धा नह ंहो सकती
थी। ''नह ं
, यह ंठ क है
।'' च दर बोला।

बनती गयी। सु
धा का प ले
आयी। च दर का मन जाने
कैसा होने
लगा। लगता था जै
सेअब आँ
सूनह ं कगे

उसकेमन म िसफ इतना आया क अभी बह र घं
टेपहले
सुधा यह ंथी, इस घर क ाण थी; आज लगता हैजै
सेइस
घर म सु
धा थी ह नह ं
...

आँ
गन म अँ
धे
र ा होनेलगा था। वह उठकर सु
धा केकमरेकेसामनेपड़ हु
ई कोच पर बै
ठ गया और बनती ने
ब ी जला द । खत छोटा-सा था-

''डॉ टर च दर बाबू
,

या तु
म कभी सोचते
थेक तु
म इतनी दरूहोगेऔर म तुह खत िलखू

गी। ले
कन खै
र!

अब तो घर म चै
न क बं
सी बजाते
ह गे
। एक अके
लेम ह काँ
टे
-जै
सी खटक रह थी, उसे
भी तु
मने
िनकाल फका।
अब तुह न कोई परे
शान करता होगा, न तुहारेपढ़ने
-िलखने
म बाधा पहु

चती होगी। अब तो तु
म एक मह नेम दस-
बारह थीिसस िलख डालोगे

जहाँदन म चौबीस घं
टेतु
म आँ
ख केसामनेरहतेथे
, वहाँअब तुहारेबारेम एक श द सु
ननेकेिलए तड़प
उठती हू

। कई दफेतबीयत आती हैक जै
सेबनती सेतुहारेबारेम बात करती थी वै
सेह इनसे
(तुहारेिम से
)
तुहारेबारेम बात क ँले
कन ये
तो जाने
कैसी-कै
सी बात करते
ह।

और सब ठ क है
। यहाँबहु
त आजाद हैमु
झे
। माँ
जी भी बहु
त अ छ ह। परदा ब कु
ल नह ंकरतीं
। अपने
पूजा के
सारेबरतन पहले
ह दन हमसे
मँजवाये

दे
खो, पापा का यान रखना। और बनती को जै
सेम छोड़ आयी हू
ँउतनी ह मोट रहे
। म मह ने
-भर बाद आकर
तुह ंसेबनती को वापस लू

ँी, समझे
? यह न करना क म न रहू
ँतो मे
रेबजाय बनती को ला- लाकर, कु
ढ़ा-
कु
ढ़ाकर मार डालो, जै
सी तुहार आदत है

चाय यादा मत पीना-खत का जवाब फौरन!

तुहार -सु
धा।''

च दर ने
िच ठ एक बार फर पढ़ , दो बार पढ़ , और बार-बार पढ़ता गया। हलकेहरेकागज पर छोटे
-छोटेकाले
अ र जानेकै
सेलग रहेथे
। जाने या कह रहेथे
, छोटे
-छोटेअथात कु
छ उनम अथ था जो श द सेभी यादा
ग भीर था। यु
ग पहले
वैयाकरण ने
उन श द केजो अथ िन त कये
थे, सु
धा क कलम से
जैसे
उन श द को एक
नया अथ िमल गया था। च दर बे
सध
ु-सा त मय होकर उस खत को बार-बार पढ़ता गया और कस समय वे
छोटे
-छोटे
नादान अ र उसके दय केचार ओर कवच-जै
सेबौ कता और स तु
लन केलौह प को चीरकर अ दर बं
ध गये
और दय क धड़कन को मरोडऩा शु कर दया, यह च दर को खु
द नह ंमालू
म हु
आ जब तक क उसक पलक से
एक गरम आँ
सूखत पर नह ंटपक पड़ा। ले
कन उसनेबनती से
वह आँ
सूिछपा िलया और खत मोड़क़र बनती को दे
दया। बनती ने
खत ले
कर रख िलया और बोली, ''अब चिलए खाना खा ली जए!'' च दर इनकार नह ंकर सका।

महरा जन ने
थाली लगायी और बोली, ''भइया, नीचेअब हन आँ
गन धोवा जाई, आप जाय केऊपर खाय ले
व।''

च दर को मजबू
र न ऊपर जाना पड़ा। बनती नेखाट बछा द । एक टू
ल डाल दया। पानी रख दया और नीचे
थाली लानेचली गयी। च दर का मन भार हो गया था। यह वह जगह है
, वह खाट हैजस पर शाद क रात वह
सोया था। इसी केपै
ताने
सुधा आकर बै
ठ थी अपने
नये
सुहाग म िलपट हु
ई-सी। यह पर सु
धा केआँ
सूिगरेथे
...।

बनती थाली ले
कर आयी और नीचेबै
ठकर पं
खा करने
लगी।

''हमार तबीयत तो हैह नह ंखाने


क , बनती!'' च दर ने
भराये
हुए वर म कहा।

''अरे
, बना खाये
-पीयेकै
सेकाम चले
गा? और फर आप ऐसा करगेतो हमार या हालत होगी? द द केबाद
और कौन सहारा है
! खाइए!'' और बनती ने
अपनेहाथ से
एक कौर बनाकर च दर को खला दया! च दर खाने
लगा।
च दर चु
प था, वह जाने या सोच रहा था। बनती चु
पचाप बै
ठ पं
खा झल रह थी।

'' या सोच रहेह आप?'' बनती ने


पूछा।

''कु
छ नह ं
!'' च दर ने
उतनी ह उदासी से
कहा।
''नह ंबताइएगा?'' बनती ने
बड़ेकातर वर से
कहा।

च दर एक फ क मु
सकान केसाथ बोला, '' बनती! अब तु
म इतना यान न रखा करो! तु
म समझती नह ं
, बाद म
कतनी तकलीफ होती है
। सु
धा ने या कर दया हैयह वह खु
द नह ंसमझती!''

''कौन नह ंसमझता!'' बनती एक गहर साँ


स ले
कर बोली, ''द द नह ंसमझती या हम नह ंसमझते
! सब समझते
ह ले
कन जाने
मन कै
सा पागल हैक सब कु
छ समझकर धोखा खाता है
। अरेदह तो आपने
खाया ह नह ं
।'' वह पू

लाने
चली गयी।

और इस तरह दन कटनेलगे
। जब आदमी अपनेहाथ से
आँसूमोल ले
ता है
, अपने
-आप दद का सौदा करता है
,
तब दद और आँ
सूतकलीफ-दे
ह नह ंलगते
। और जब कोई ऐसा हो जो आपकेदद केआधार पर आपको दे
वता बनाने
केिलए तै
यार हो और आपकेएक-एक आँ
सूपर अपनेसौ-सौ आँ
सूबखे
र दे
, तब तो कभी-कभी तकलीफ भी भली
मालू
म दे
नेलगती है
। ले
कन फर भी च दर के दन कै
सेकट रहेथेयह वह जानता था। ले
कन अकबर केमहल म
जलतेहु
ए द पक को दे
खकर अगर कसी नेजाड़ेक रात जमु
ना केघु
टन -घु
टन पानी म खड़ेहोकर काट द , तो
च दर अगर सु
धा के यारे
- यारेखत केसहारेसमय काट रहा था तो कोई ता जु
ब नह ं
। अपनेअ ययन म ौढ़,
अपनेवचार म उदार होनेकेबावजू
द च दर अपने वभाव म ब चा था, जससेजं
दगी कु
छ भी करवा सकती थी
बशत जं
दगी को यह आता हो क इस भोले
-भाले
ब चेको कै
सेबहलावा दया जाये

बहलावेकेिलए मु
सकान ह ज र नह ंहोती ह, शायद आँ
सओ
ु ंसेमन ज द बहल जाता है
। बनती केआँ
सओ
ुं
म च दर सु
धा क तसवीर दे
खता था और बहल जाता था। वह रोज शाम को आता और बनती सेसु
धा क बात
करता, जानेकतनी बात, जानेकै
सी बात और बनती केमा यम सेसु
धा म डू
बकर चला आता था। चू

क सु
धा के
बना उसका दन कटना मुकल था, एक ण कटना मुकल था इसिलए बनती उसक एक ज रत बन गयी थी। वह
जब तक बनती से
सुधा क बात नह ंकर ले
ता था, तब तक जै
सेवह बे
चै
न रहता था, तब तक उसक कसी काम म
तबीयत नह ंलगती थी।

जब तक सु
धा सामने
रह , कभी भी उसे
यह नह ंमालू
म हु
आ क सु
धा का या मह व हैउसक जं
दगी म। आज
जब सु
धा दरूथी तो उसनेदे
खा क सु
धा उसक साँ
स सेभी यादा आव यक थी उसक जं
दगी केिलए। लगता था
वह एक ण सु
धा के बना ज दा नह ंरह सकता। सु
धा केअभाव म बनती केमा यम सेवह सु
धा को ढू

ढ़ता था
और जै
सेसू
र ज केडू
ब जानेपर चाँ
द सू
र ज क रोशनी उधार ले
कर रात को उ जयारा कर दे
ता हैउसी तरह बनती
सु
धा क याद सेच दर के ाण पर उ जयार बखे
र ती रह । च दर बनती को इस तरह अपनी साँ
स क छाँ
ह म
दब
ुकाये
रहा जै
सेबनती सु
धा का पश हो, सु
धा का यार हो।

बनती भी च दर केमाथेपर उदासी केबादल दे


खते
ह तड़प उठती थी। ले
कन फर भी बनती च दर को हँ
सा
नह ंपायी। च दर का पु
र ाना उ लास लौटा नह ं
। साँ
प का काटा हु
आ जै
सेलहर ले
ता हैवै
सेह च दर क नस म फै
ला
हु
आ उदासी का जहर रह-रहकर च दर को झकझोर दे
ता था। उन दन दो-दो तीन-तीन दन तक च दर कु
छ नह ं
करता था, बनती केपास भी नह ंजाता था, बनती केआँ
सओ
ु ंक भी परवाह नह ंकरता था। खाना नह ंखाता था,
और अपनेको जतनी तकलीफ हो सकती थी, दे
ता था। फर य ह सु
धा का कोई खत आता था, वह उसेचू
म ले
ता
और फर व थ हो जाता था। बनती चाहेजतना करेले
कन च दर क इन भयं
कर उदासी क लहर को च दर से
छ न नह ंपायी थी। चाँ
द कतनी कोिशश य न करे
, वह रात को दन नह ंबना सकता।

ले
कन आदमी हँ
सता है
, दख
ु-दद सभी म आदमी हँ
सता है
। जै
सेहँ
सते
-हँ
सतेआदमी क स नता थक जाती है
वै
सेह कभी-कभी रोते
-रोतेआदमी क उदासी थक जाती हैऔर आदमी करवट बदलता है
। ता क हँ
सी क छाँ
ह म
कु
छ व ाम कर फर वह आँ
सओ
ु ंक कड़ धू
प म चल सके

ऐसी ह एक सु
बह थी जब क च दर केउदास मन म आ रहा था क वह थोड़ दे
र हँ
स भी ले
। बात य हु
ई थी
क उसेशे
ली क एक क वता बहु
त पस द आयी थी जसम शै
ली नेभारतीय मलयज को स बोिधत कया है
। उसने
अपना शे
ली-क स का थ उठाया और उसेखोला तो वह आम केअचार केदाग सामनेपड़ गयेजो सु
धा ने
शरारतन डाल दयेथे
। बस वह शे
ली क क वता तो भू
ल गया और उसेयाद आ गयी आम क फाँ
क और सु
धा क
शरारत सेभर शोख आँ
ख। फर तो एक केबाद दस
ूर शरारत ाण म उठ-उठकर च दर क नस को गु
दगु
दाने
लगी
और च दर उस दन जाने य हँ
सनेकेिलए याकु
ल हो उठा। उसेऐसा लगा जै
सेसु
धा क यह दरू, यह अलगाव
सभी कु
छ झू
ठ है
। सच तो वेसु
नहलेदन थेजो सु
धा क शरारत सेमु
सकरातेथे
, सु
धा केदल
ुार म जगमगातेथे

और कु
छ भी हो जाये
, सु
धा उसकेजीवन का एक ऐसा अमर स य हैजो कभी भी डगमगा नह ंसकता। अगर वह
उदास होता है
, द:ु
खी होता हैतो वह गलत है
। वह अपने
ह आदश को झू
ठा बना रहा है
, अपनेह सपनेका अपमान
कर रहा है
। और उसी दन सु
धा का खत भी आया जसम सु
धा नेसाफ-साफ तो नह ंपर इशारेसेिलखा था क वह
च दर केभरोसे
ह कसी तरह दन काट रह थी। उसनेसु
धा को एक प िलखा, जसम वह शरारत, वह खझाने

बात थींजो वह हमे
शा सु
धा से
करता था ले
कन जसे
वह पछले
तीन मह ने
म भू
ल गया था।

उसकेबाद वह बनती केयहाँगया।

बनती अपनी धोती म ोिशया क बे


ल टाँ
क रह थी। ''ले
िगलहर , ते
र द द का खत! लाओ, िमठाई खलाओ।''

''हम काहेको खलाएँ


! आप खलाइए जो खले
पड़ेह आज!'' बनती बोली।

''हम! हम य खलाएँ
गे
! यहाँतो सु
धा का नाम सु
नते
ह तबीयत कु
ढ़ जाती है
!''

''अरेचिलए, आपका घर मे
र ा दे
खा है
। मु
झसेनह ंबन सकते
आप!'' बनती ने
मुह
ँ िचढ़ाकर कहा, ''आज बड़ेखु

ह!''

''हाँ
, बनती...'' एक गहर साँ
स ले
कर च दर चु
प हो गया, ''कभी-कभी उदासी भी थक जाती है
!'' और मु


झु
काकर बै
ठ गया।

'' य , या हु
आ?'' बनती नेच दर क बाँ
ह म सु
ई चु
भो द -च दर च क उठा। ''हमार श ल दे
खतेह आपके
चे
हरेपर मु
हरम छा जाता है
!''

''अजी नह ं
, आपका मु
ख-मं
डल दे
खकर तो आकाश म च मा भी ल जत हो जाता होगा, ीमती बनती वदष
ुी!''
च दर ने
हँसकर कहा। आज च दर बहु
त खु
श था।

बनती लजा गयी और फर उसकेगाल म फू


ल केकटोरेखल गयेऔर उसनेच दर केक धेसेफर सू

चु
भोकर कहा, ''आपको एक बड़ेमजेक बात बतानी हैआज!''

'' या?''

'' फर हँ
िसएगा मत! और िचढ़ाइएगा नह ं
!'' बनती बोली।

''कु
छ ते
रेयाह क बात होगी!'' च दर ने
कहा।

''नह ं
, याह क नह ं
, म
े क !'' बनती ने
हँसकर कहा और झप गयी।

''अ छा, िगलहर को यह रोग कब से


ï?'' च दर ने
हँसकर पू
छा, ''अपनी माँ
जी क शकल दे
खी हैन, काटकर कु
एँ
म फक दगी तु
झे
!''

''अब या कर, कोई िसर पर म


े मढ़ ह देतो!'' बनती नेबड़ेआ म व ास सेकहा। थी बड़ खु
ले वभाव क
लड़क ।

''आ खर कौन अभागा हैवह! जरा नाम तो सु


न।'' च दर बोला।

''हमारेमहाक व मा टर साहब।'' बनती ने


हँसकर कहा।

''अ छा, यह कब से
! तू
नेपहले
तो कभी बताया नह ं
।''

''अब तो जाकर हम मालू


म हु
आ। पहले
सोचा द द को िलख द। फर कहा वहाँजानेकसकेहाथ म िच ठ पड़े

तो सोचा तुह बता द!''

''हु
आ या आ खर?'' च दर ने
पूछा।

''बात यह हु
ई क पहले
तो हम द द केसाथ पढ़ते
थेतब तो मा टर साहब कु
छ नह ंबोलतेथे
, इधर जबसे
हम
अके
लेपढऩे
लगेतब सेक वताएँ
समझाने
केबहाने
दिु
नया-भर क बात करते
रहे
। एक बार क दगु पढ़ाते
-पढ़ाते
बड़
ठं
ड साँ
स ले
कर बोले
, काश क आप भी दे
वसे
ना बन सकतीं
। बड़ा गुसा आया मु
झे
। मन म आया कह दँ
ूक म तो
दे
वसे
ना बन जाती ले
कन आप अपना क व स मे
लन का पे
शा छोड़कर क दगु कै
सेबन पाएँ
गे
। ले
कन फर मने
कुछ
कहा नह ं
। द द सेसब बात कह द । द द तो ह ह लापरवाह। कु
छ कहा ह नह ंउ ह ने
। और मा टर साहब वै
से
अ छेह, पढ़ातेभी अ छा ह, ले
कन यह फतू
र जानेकै
सेउनके दमाग म चढ़ गया।'' बनती बड़ेसहज वभाव से
बोली।

''ले
कन इधर या हु
आ?'' च दर ने
पूछा।

''अभी कल आये
, एक हाथ म उनकेएक मोट -सी कॉपी थी। देगयेतो दे
खा वह उनक क वताओंका संह है
और उसका नाम उ ह नेरखा है' बनती'। अभी आतेह गे
। या कर कु
छ समझ म नह ंआता। अभी तक द द के
भरोसे
हमने
सब छोड़ दया था। वह पता नह ंकब आएँ
गी।''

''अ छा लाओ, वह संह हम देदो।'' च दर नेकहा, ''और बस रया सेकह दे


ना वह च दर केहाथ पड़ गया।
फर कल सु
बह तुह मजा दखलाएँ
गे
। ले
कन हाँ
, यह पहले
बता दो क तुहारा तो कु
छ झु
काव नह ंहैउधर, वरना
बाद म हम कोसो?'' च दर ने
छेड़ते
हुए कहा।

''अरेहाँ
, मु
सलमान भी हो तो बे
हना केसं
ग! क वय सेयार लगाकर कौन बवालत पाले
!'' बनती नेझपतेहु

कहा।

दस
ूरेदन सु
बह पहु

चा तो बस रया साहब पढ़ा रहेथे
। बस रया क श ल पर कु
छ मायू
सी, कु
छ परे
शानी, कु

िच ता थी। उसको बनती नेबता दया क संह च दर केपास पहु

च गया है
। च दर को दे
खतेह वह बोला, ''अरे
कपू
र , या हाल है
?'' और उसकेबाद अपने
को िनद ष बताने
केिलए फौरन बोला, ''कहो, हमारा संह दे
खा है
?''

''हाँदे
खा है
, जरा आप इ ह पढ़ा ली जए। आपसेकु
छ ज र बात करनी ह।'' च दर ने
इतनेकठोर वर म कहा
क बस रया के दल क धडक़न डू
बने
-सी लगीं
। वह काँ
पती हु
ई आवाज म बहु
त मुकल सेअपनेको स हालतेहु

बोला, ''कै
सी बात? कपू
र , तु
म कु
छ गलत समझ रहेहो।''

कपू
र एक उपेा क हँ
सी हँ
सा और चला गया। डॉ टर साहब पू
जा करकेउठेथे
। दोन म बात होती रह ं
। उनसे
मालू
म हु
आ क अगले
मह ने
म स भवत: च दर क िनयु हो जाएगी और तीन दन बाद डॉ टर साहब खु
द सु
धा को
लाने
केिलए शाहजहाँ
परु जाएँ
गे
। उ ह ने
बुआजी को प िलखा हैक य द वह आ जाएँ
तो अ छा है
, वरना च दर को
दो-तीन दन बाद यह ंरहना पड़े
गा य क बनती अके
ली है
। च दर क बात दस
ूर हैले
कन और लोग केभरोसे
डॉ टर साहब बनती को अके
लेनह ंछोड़ सकते

अ व ास आदमी क वृय को जतना बगाड़ता है


, व ास आदमी को उतना ह बनाता है
। डॉ टर साहब
च दर पर जतना व ास करते
थे, सु
धा च दर पर जतना व ास करती थी और इधर बनती उस पर जतना व ास
करने
लगी थी उसकेकारण च दर केच र म इतनी ढ़ता आ गयी थी क वह फौलाद बन गया था। ऐसे
अवसर पर
जब मनु
य को ग भीरतम उ रदािय व स पा जाता हैतब वभावत: आदमी केच र म एक विच -सा िनखार आ
जाता है
। यह िनखार च दर केच र म बहु
त उभरकर आया था और यहाँतक क बु
आजी अपनी लड़क पर अ व ास
कर सकती थीं
, वह भी च दर को दे
वता ह मानती थीं
, बनती पर और चाहेजो ब धन हो ले
कन च दर केहाथ म
बनती को छोड़कर वे
िन त थीं

डॉ टर साहब और च दर बै
ठेबात कर ह रहेथेक बनती नेआकर कहा, ''चिलए, मा टर साहब आपका
इ तजार कर रहेह!'' च दर उठ खड़ा हु
आ। रा तेम बनती बोली, ''हमसेबहु
त नाराज ह। कहतेह तुह हम ऐसा
नह ंसमझतेथे
!'' च दर कु
छ नह ंबोला। जाकर बस रया केसामनेकु
स पर बै
ठ गया। ''तु
म जाओ, बनती!'' बनती
चली गयी तो च दर ने
कहा, बहु
त ग भीर वर म, '' बस रया साहब, आपका संह दे
खकर बहु
त खु
शी हु
ई ले
कन मे
रे
मन म िसफ एक शं
का है
। यह ' बनती' नाम के या माने
ह?''

बस रया ने
अपनेगलेक टाई ठ क क , वह गरमी म भी टाई लगाता था, और दन म नाइट कै
प पहनता था।
टाई ठ क कर, खँ
खारकर बोला, ''म भी यह समझता था क आपको यह गलत-फहमी होगी। ले
कन वा त वक बात
यह हैक मु
झेम यकाल क क वता बहु
त पस द है
, खासतौर म उसम बनती ( ाथना) श द बड़ा मधु
र है
। मनेयह
संह तो बहु
त पहलेतै
यार कया था। मु
झेबड़ा ता जु
ब हु
आ जब म बनती सेिमला। मनेउनसेकहा क यह संह
भी बनती नाम का है
। फर मने
उ ह लाकर दखला दया।''

च दर मु
सकराया और मन-ह -मन कहा, 'हैबस रया बहु
त चालाक। ले
कन खै
र म हार नह ंमान सकता।' और
बहु
त ग भीर होकर बै
ठ गया।

''तो यह संह इस लड़क केनाम पर नह ंहै


?''

'' ब कु
ल नह ं
।''

''और बनती केिलए आपकेमन म कह ंकोई आकषण नह ं


?''

'' ब कु
ल नह ं
। िछह, आप मु
झे या समझते
ह।'' बस रया बोला।

''िछह, म भी कै
सा आदमी हू

, माफ करना बस रया! मनेयथ म शक कया।''

बस रया यह नह ंजानता था क यह दाँ


व इतना सफल होगा। वह खु
शी से
फूल उठा। सहसा च दर नेएक गहर
साँ
स ली।

'' या बात हैच दर बाबू


?'' बस रया ने
पूछा।

''कु
छ नह ंबस रया, आज तक मु
झेतुहार ितभा, तुहार भावना, तुहार कला पर व ास था, आज सेउठ
गया।''

'' य ?''

'' य या? अगर बनती-जै


सी लड़क केसाथ रहकर भी तु
म उसकेआ त रक सौ दय सेअपनी कला को
अिभिसं
िचत न कर सकेतो तुहारेमन म कला मकता है
; यह म व ास नह ंकर पाता। तु
म जानतेहो, म पु
र ाने
वचार का सं
क ण, बड़ा बु
जु
ग तो हू
ँनह ं
, म भी भावनाओंको समझता हू

। म सौ दय-पू
जा या यार को पाप नह ं
समझता और मु
झेतो बहु
त खु
शी होती यह जानकर क तु
मनेये
क वताएँबनती पर िलखी ह, उसक रे
णा से
िलखी
ह। यह मत समझना क मु
झेइससे
जरा भी बु
र ा लगता। यह तो कला का स य है
। पा ा य दे
श म तो लोग हर क व
को रे
णा दे
नेवाली लड़ कय क खोज म वष बता दे
तेह, उसक क वता से यादा मह व उसक क वता केपीछे
रहने
वालेय व को दे
तेह। ह दो तान म पता नह ं य हम नार को इतना मह वह न समझते
ह, या डरते
ह, या
हमम इतना नै
ितक साहस नह ंहै
। तुहारा वभाव, तुहार ितभा कसी हालत म मु
झेवदे
श के कसी क व सेकम
नह ंलगती। मने
सोचा था, जब तु
म अपनी क वताओंके रे
णा मक य व का नाम घो षत करोगेतो सार दिु
नया
बनती को और हमारेप रवार को जान जाएगी। ले
कन खै
र , मनेगलत समझा था क बनती तुहार रे
णा- ब द ु
थी।'' और च दर चु
पचाप ग भीरता सेबस रया केसंह केपृउलटने
लगा।

बस रया केमन म कतनी उथल-पु


थल मची हु
ई थी। च दर का मन इतना वशाल है
, यह उसेकभी नह ंमालू

था। यहाँतो कु
छ िछपाने
क ज रत ह नह ंऔर जब च दर इतनी प बात कर रहा हैतो बस रया य िछपाये

''कपू
र , म तु
मसेकु
छ नह ंिछपाऊँ
गा। म कह नह ंसकता क बनती जी मे
रेिलए या ह। शेस पयर क
िमरा डा, साद क दे
वसे
ना, दाँ
तेक बीए स, क स क फै
नी और सू
र क राधा सेबढ़कर माधु
य अगर मु
झेकह ं
िमला हैतो बनती म। इतना, इतना डू
ब गया म बनती म क एक क वता भी नह ंिलख पाया। मे
र ा संह छपनेजा
रहा था तो मने
सोचा क इसका नाम ह य न ' बनती' रखू

।''

च दर ने
बड़ मुकल से
अपनी हँ
सी रोक । दरवाजेकेपास िछपी खड़ हु
ई बनती खल खलाकर हँ
स पड़ । च दर
बोला, ''नाम तो ' बनती' बहु
त अ छा सोचा तु
मने
, ले
कन िसफ एक बात है
। मे
रेजै
सेवचार केलोग सभी नह ंहोते

अगर घर केऔर लोग को यह मालू
म हो गया, मसलन डॉ टर साहब को, तो वह न जाने या कर डालगे
। इन लोग
को क वता और उसक रे
णा का मह व ह नह ंमालू
म। उस हालत म अगर तुहार बहु
त बे
इ जती हु
ई तो न हम
कु
छ बोल पाएँ
गेन बनती। डॉ टर साहब पु
िलस को स प द, यह अ छा नह ंलगता। वै
सेमे
र राय हैक तु
म बनती
ह नाम रखो; बड़ा नया नाम है
; ले
कन यह समझ लो क डॉ टर साहब बहु
त स त ह इस मामले
म।''

बस रया क समझ म नह ंआता था क वह या करे


। थोड़ दे
र तक िसर खु
जलाता रहा, फर बोला, '' या राय
हैकपू
र , तुहार ? अगर म कोई दस
ूरा नाम रख दँ
ूतो कै
सा रहे
गा?''

''बहु
त अ छा रहे
गा और सु
र त रहे
गा। अभी अगर तु
म बदनाम हो गयेतो आगेतुहार उ नित केसभी माग
ब द हो जाएँ
गे
। आदमी म
े करेमगर जरा सोच-समझकर; म तो इस प म हू

।''

''भावना को कोई नह ंसमझता इस दिु


नया म। कोई नह ंसमझता, हम कलाकार क कतनी मु
सीबत है
।'' एक
गहर साँ
स ले
कर बस रया बोला, ''ले
कन खै
र ! अ छा तो कपू
र , या राय हैतुहार ? म या नाम रखू
ँइसका?''

च दर ग भीरता से
िसर झु
काये
थोड़ दे
र तक सोचता रहा। फर बोला, ''तुहार क वताओंम बहु
त रस है
। कै
सा
रहेअगर तु
म इसका नाम 'गड़े
रयाँ
' रखो!''

'' या?'' बस रया ता जु


ब से
बोला।

''हाँ
-हाँगड़े
रयाँ
, मे
र ा मतलब हैग नेक गड़े
रयाँ
!'' दरवाजेकेपीछे बनती सेन रहा गया और खल खलाकर
हँ
स पड़ और सामने
आ गयी। च दर भी अ टïहास कर पड़ा।

बस रया ण-भर आँ
ख फाड़ेदोन क ओर दे
खता रहा। उसकेबाद वह य ह मजाक समझा, उसका चे
हरा
लाल हो गया। है
ट उठाकर बोला, ''अ छा, आप लोग मजाक बना रहेथेमे
र ा। कोई बात नह ं
, म दे
खँ

गा। िम टर कपू
र,
आप अपने
को या समझते
ह?'' वह चल दया।

''अरे
, सु
नो बस रया!'' च दर ने
पुकारा, वह हँ
सी नह ंरोक पा रहा था। बस रया मु
ड़ा। मु
ड़कर बोला, ''कल से

पढ़ाने
नह ंआ सकता। म आपक शकल भी नह ंदे
खना चाहता।'' उसनेबनती से
कहा।

''तो मु

ँ फे
रकर पढ़ा द जएगा।'' च दर बोला। बनती फर हँ
स पड़ । बस रया नेमु
डक़र बड़ेगुसेसे
देखा और
पै
र पटकते
हुए चला गया।

''बे
चारेक व, कलाकार आज क दिु
नया म यार भी नह ंकर पाते
।'' च दर नेकहा और दोन क हँ
सी बहु
त दे

तक गू

जती रह ।
अग त क उदास शाम थी, पानी रम झमा रहा था और डॉ टर शुला केसू
नेबँ
गलेम बरामदेम कु
स डाले
,
लॉन पर छोटे
-छोटेग ढ म पं
ख धोती और कु
ले
ल करती हु
ई गौरै
य क तरफ अपलक दे
खता हु
आ च दर जानेकन
खयाल म डू
बा हु
आ था। डॉ टर साहब सु
धा को िलवानेकेिलए शाहजहाँ
परुगयेथे
। बनती भी जद करकेउनकेसाथ
गयी थी। वहाँसेयेलोग द ली घू
मनेकेिलए चलेगयेथेले
कन आज प ह रोज हो गयेउन लोग का कोई भी
खत नह ंआया था। डॉ टर साहब नेयू
र ो को महज एक अज भे
ज द थी। च दर को डॉ टर साहब केजाने
केपहले
ह कॉले
ज म जगह िमल गयी थी और उसने लास ले
नेशु कर दयेथे
। वह अब इसी बँ
गलेम आ गया था। सु
बह
तो लास केपाठ क तै
यार करनेऔर नो स बनानेम कट जाती थी, दोपहर कॉले
ज म कट जाती थी ले
कन शाम
बड़ उदास गु
जरती थींऔर फर प ह दन से
सुधा का कोई भी खत नह ंआया। वह उदास बै
ठा सोच रहा था।

ले
कन यह उदासी थी, दख
ु नह ंथा। और वह भी उदासी, एक दे
वता क उदासी जो दख
ु भर न होकर सु
दर और
सु
कु
मार अिधक होती है
। एक बात ज र थी। जब कभी वह उदास होता था तो जाने य वह यह हमे
शा सोचने
लगता
था क उसकेजीवन म जो कु
छ हो गया हैउस पर उसेगव करना चा हए जै
सेवह अपनी उदासी को अपनेगव से
िमटाने
का यास करता था। ले
कन इस व एक बात रह-रहकर उभर आती थी उसकेमन म, 'सु
धा नेखत य नह ं
िलखा?'

पानी ब कु
ल ब द हो गया था। प म केदो-एक बादल खु
ल गये
थे। और पकेजामु
न केरं
ग केएक बहु
त बड़े
बादल केपीछेसेडू
बतेसू
र ज क उदास करण झाँ
क रह थीं
। इधर क ओर एक इ धनु
ष खल गया था जो मोटर
गै
रे
ज क छत से
उठकर दरूपर युल टस क ल बी शाख म उलझ गया था।

इतने
म छाता लगायेपो टमै
न आया, उसने
पो टको म अपने
जूत म लगी क चड़ झाड़ , पै
र पटकेऔर करिमच
केझोले
सेखत िनकाले
और सीढ़ पर फै
ला दये
। उनम से
ढूँ
ढ़कर तीन िलफाफेिनकालेऔर च दर को देदये
। च दर
ने
लपककर िलफाफेले
िलये
। पहला िलफाफा बु
आ का था बनती केनाम, दस
ूरा था ओ रयं
टल इ योरेस का िलफाफा
डॉ टर साहब केनाम और तीसरा एक सु
दर-सा नीला िलफाफा। यह सु
धा का होगा। पो टमै
न जा चु
का था। उसने
इतने यार सेिलफाफेको चू
मा जतने यार सेडू
बता हु
आ सू
र ज नीली घटाओंको चू
म रहा था। ''पगली कह ंक !
परे
शान कर डालती है
। यहाँथी तो वह आदत, वहाँहैतो वह आदत !'' च दर नेमन म कहा और िलफाफा खोल
डाला।

िलफाफा प मी का था, मसू


र सेआया। उसनेझ लाकर िलफाफा फक दया। सु
धा कतनी लापरवाह है
। वह
जानती हैक च दर को यहाँकै
सा लग रहा होगा। बनती ने
बता दया होगा फर भी वह लापरवाह ! मारेगुसे
के...

थोड़ दे
र बाद उसनेप मी का खत पढ़ा। छोटा-सा खत था। प मी अभी मसू
र म ह है
, अ टू
बर तक आएगी।
लगभग सभी या ी जा चु
केह ले
कन उसेपहाड़ क बरसात बहु
त अ छ लग रह है
। बट इलाहाबाद चला गया है

उसकेसाथ वहाँसेएक पहाड़ ईसाई लड़क भी गयी है
। बट कहता हैक वह उसकेसाथ शाद करे
गा। बट अब बहु

व थ है
। च दर चाहेतो जाकर बट से
िमल ले

सु
धा केखत केन आनेसे
च दर केमन म बहु
त बे
चै
नी थी। उसे
ठ क से
मालू
म भी नह ंहो पा रहा था क ये
लोग ह कहाँ
? बट केआनेक खबर िमलनेपर उसेस तोष हु
आ, चलो एक दन बट सेह िमल आएँ
गे
, अब दे

कै
सेह वह?
तीसरेया चौथेदन जब अक मात पानी ब द था तो वह कार ले
कर बट केयहाँगया। बरसात म इलाहाबाद क
िस वल लाइ स का सौ दय और भी िनखर आता है
। खे
-सू
खेफु
टपाथ और मै
दान पर घास जम जाती है
; बँ
गलेक
उजाड़ चहारद वा रय तक हर -भर हो जाती ह। ल बेऔर घनेपे
ड़ और झा डय़ाँिनखरकर, धु
लकर हरेमखमली रं

क हो जाती ह और कोलतार क सडक़ पर थोड़ -थोड़ पानी क चादर-सी लहरा उठती हैजसम पे
ड़ क हर छायाएँ
बछ जाती ह। बँ
गलेम पली हु
ई ब ख केदल सड़क पर चलती हु
ई मोटर को रोक ले
तेह और हर बँ
गलेम से
रे
डयो या ामोफोन केसं
गीत क लहर मचलती हु
ई वातावरण पर छा जाती ह।

कॉले
ज सेलौटकर, एक याला चाय पीकर, कार ले
कर च दर बट केयहाँचल दया। वह बहु
त दन बाद बट को
दे
खनेजा रहा है
। जन य य को उसनेअपनेजीवन म दे
खा था, बट शायद उन सभी सेिनराला था, अ त
ु था।
ले
कन कतना अभागा था। नह ं
, अभागा नह ंकमजोर था बट । और वह या कमजोर था यह सार दिु
नया कतनी
कमजोर है

बट का बँ
गला आ गया था। वह उतरकर अ दर गया। बाहर कोई नह ंथा। बरामदेम एक पं
जरा टँ
गा हु
आ था
जसम एक बहु
त छोटा तोतेका ब चा टँ
गा था। च दर भीतर जानेम हचक रहा था य क एक तो प मी नह ंथी
और दस
ूरेकोई और लड़क भी बट केसाथ आयी थी, बट क भावी प ी। च दर नेआवाज द । अ दर कोई बहु

भार पुष- वर म एक साधारण गीत गा रहा था। च दर नेफर आवाज द । बट बाहर आया। च दर उसे
देखकर दं

रह गया, बट का चे
हरा भर गया था, जवानी लौट आयी थी, पीले
पन क बजाय चे
हरेपर खू
न दौड़ गया था, सीना
उभर आया था। बट खाक रं
ग का कोट, बहु
त मोटा खाक है
ट, खाक चे
ज, िशकार बू
ट पहने
हुए था और क धेपर
ब दक
ू लटक रह थी। वह आया ाइं
ग म केदरवाजेपर पीठ झु
काकर एक हाथ सेब दक
ू पकडक़र और एक हाथ
आँ
ख केआगेरखकर उसनेइस तरह दे
खा जै
सेवह िशकार ढू

ढ़ रहा हो। च दर के ाण सू
ख गये
। उसनेमन-ह -मन
सोचा, पहली बार तो वह कुती म बट सेजीत गया था, ले
कन अबक बार जीतना मुकल है
। कहाँबे
कार फँ
सा
आकर। उसने
घबरायी हु
ई आवाज म कहा-

''यह म हू
ँिम टर बट , च दर कपू
र , प मी का िम !''

''हाँ
-हाँ
, म जानता हू

।'' बट तनकर खड़ा हो गया और हँ
सकर बोला, ''म आपको भू
ला नह ं
; म तो आपको यह
दखला रहा था क म पागल नह ंहू

, िशकार हो गया हू

।'' और उसने
च दर केक धेपकड़कर इतना जोर से
झकझोर
दया क च दर क पसिलयाँचरमरा उठ ं
। ''आओ!'' उसने
च दर केक धेदबाकर बरामदेक ह कोच पर बठा दया
और सामनेकु
स पर बै
ठता हु
आ बोला, ''म तुह अ दर लेचलता, ले
कन अ दर जे
नी हैऔर एक मे
र ा िम । दोन
बात कर रहेह। आज जे
नी क सालिगरह है
। तु
म जे
नी को जानतेहो न? वह तराई केक बे
म रहती थी। मु
झेिमल
गयी। बहु
त खराब औरत है
! म त द ु त हो गया हू
ँन!''

''बहु
त, मु
झेता जु
ब हैक त द ु ती केिलए तु
मने या कया तीन मह ने
तक!''

''नफरत, िम टर कपू
र ! औरत से
नफरत। उससे यादा अ छा टॉिनक त द ु ती केिलए कोई नह ंहै
।''

''ले
कन तु
म तो शाद करने
जा रहेहो, लड़क ले
आये
हो वहाँसे
।''
''अके
ली लड़क नह ं
, िम टर! म वहाँसेदो चीज लाया हू

। एक तो यह तोतेका ब चा और एक जे
नी, वह
लड़क । तोते
को म बहु
त यार करता हू

, यह बड़ा हो जाएगा, बोलनेलगे
गा तो इसे
गोली मार दँ

ूा और लड़क से

बहु
त नफरत करता हू

, इससे
शाद कर लू

ँा! य , हैन ठ क? इसको िशकार का चाव कहते
ह और अब म िशकार हू

न!''

च दर हाँकहेया न कहे
। अभी बट का दमाग ब कु
ल वै
सा ह है
, इसम कोई शक नह ं
। वह या बात करे
?
अ त म बोला-

''यह ब दक
ू तो उतारकर र खए। हमे
शा बाँ
धेरहते
ह!''

''हाँ
, और या? िशकार का पहला िस ा त हैक जहाँखतरा हो, जं
गली जानवर ह वहाँकभी बना ब दक
ू के
नह ंजाना चा हए?'' और बहु
त धीमेसे
च दर केकान म बट बोला, ''तु
म जानते
हो च दर, एक औरत हैजो चौबीस
घं
टेघर म रहती है
। म तो एक ण को ब दक
ू अलग नह ंरखता।''

सहसा अ दर से
कुछ िगरनेक आवाज आयी, कोई चीखा और लगा जै
सेकोई चीज पयानो पर िगर और परद
को तोड़ती हु
ई नीचेआ गयी। फर कु
छ झगड़ क आवाज आयी।

च दर च क उठा, '' या बात हैबट , दे


खो तो!''

बट ने
हाथ पकडक़र च दर को खीं
च िलया-''बै
ठो, बै
ठो! अ दर मे
रेिम और जे
नी सालिगरह मना रहेह, अ दर
मत जाना!''

''ले
कन यह आवाज कै
सी ह?'' च दर ने
िच ता से
पूछा।

''शायद वे
लोग म
े कर रहेह गे
!'' बट बोला और िन तता से
बैठ गया।

और ण-भर बाद उसने


अजब-सा य दे
खा। एक बट का ह हमउ आदमी हाथ सेमाथेका खू
न प छता हु

आया। वह नशे
म चू
र था। और बहु
त भ गािलयाँदे
ता हु
आ चला जा रहा था। वह िगरता-पड़ता आया और उसने
बट
को दे
खते
ह घू

ँा ताना-''तु
मने
मुझेधोखा दया। मु
झसे
पचास पये
उपहार ले
िलया...म अभी तुह बताता हू

।'' च दर
त ध था। या करे या न करे
? इतनेम अ दर सेजे
नी िनकली। ल बी-तगड़ , कम-से
-कम तीस वष क औरत।
उसनेआतेह पीछेसेउस आदमी क कमीज पकड़ और उसेसीढ़ सेनीचेक चड़ म ढके
ल दया और सै
कड़ गाली
दे
तेहु
ए बोली, ''जा सीधे
, वरना ह ड नह ंबचे
गी यहाँ
।'' वह फर उठा तो खु
द भी नीचेकू
द पड़ और घसीटती हु

दरवाजेकेबाहर ढके
ल आयी।

बट साँ
स रोकेअपराधी-सा खड़ा था। वह लौट और बट का कालर पकड़ िलया-''म िनद ष हू

! म कु
छ नह ं
जानता!'' सहसा जे
नी ने
च दर क ओर दे
खा-''हू

, यह भी तुहारा दो त है
। अभी बताती हू

!'' और जो वह च दर क
ओर बढ़ तो च दर ने
मन-ह -मन प मी का मरण कया। कहाँफँ
साया उस क ब त ने
खत िलखकर। य ह जे
नी
ने
च दर का कालर पकड़ा क बट बड़ेकातर वर म बोला, ''उसे
छोड़ दो! वह मे
र ा नह ंप मी का िम है
!'' जे
नी क
गयी। ''तु
म प मी केिम हो? अ छा बै
ठ जाओ, बै
ठ जाओ, तु
म शर फ आदमी मालू
म पड़तेहो। मगर आगेसे
तुहारा कोई िम आया तो म उसक ह या कर डालू

ँी। समझेक नह ं
, बट ?''

बट नेिसर हलाया, ''हाँ


, समझ गये
!'' जे
नी अ दर चल द , फर सहसा बाहर आयी और बट को पकडक़र
घसीटती हु
ई बोली, ''पानी बरस रहा है
, इतनी सद बढ़ रह हैऔर तु
मने वे
टर नह ंपहना, चलो पहनो, मरनेक
ठानी है
। म साफ बताये
देती हू
ँचाहेदिु
नया इधर क उधर हो जाये
, म बना शाद कये
मरनेनह ंदँ

ूी तुह।'' और
वह बकरेक तरह बट का कान पकडक़र अ दर घसीट ले
गयी।

च दर ने
मन म कहा, यह कु
छ इस रह यमय बँ
गलेका असर हैक हरे
क का दमाग खराब ह मालू
म दे
ता है

दो िमनट बाद जब बट लौटा तो उसकेगले
म गु
लब द, ऊनी वे
टर, ऊनी मोजेथे
। वह हाँ
फता हु
आ आकर बै
ठ गया।

''िम टर कपू
र ! तुह मानना होगा क यह लड़क , यह डाइन जे
नी बहु
त ू
र है
।''

''मानता हू

, बट ! सोलह आने
मानता हू

।'' च दर ने
मुसकराहट रोककर कहा, ''ले
कन यह झगड़ा या है
?''

''झगड़ा या होता है
? औरत को समझना बहु
त मुकल है
।''

''इस औरत केफ देम फँ


सेकै
सेतु
म?'' च दर ने
पूछा।

''शी! शी!'' होठ पर हाथ रखकर धीरेबोलने


का इशारा करते
हुए बट ने
कहा, ''धीरेबोलो। बात ऐसी हु
ई क जब
म तराई म िशकार खे
ल रहा था तो एक बार अके
लेछू
ट गया! यह एक पशनर फॉरेट गाड क अन याह लड़क थी।
िशकार म बहु
त होिशयार। म भटकते
हुए पहु

चा तो इसका बाप बीमार था। म क गया। तीसरेदन वह मर गया। उसे
जाने
कौन-सा रोग था क उसका चे
हरा बहु
त डरावना हो गया था और पे
ट फू
ल गया था। रात को इसे
बहु
त डर लगा
तो यह मे
रेपास आकर ले
ट गयी। बीच म ब दक
ू रखकर हम लोग सो गये
। रात को इसने
बीच से
ब दक
ू हटा द और
अब वह कहती हैक मु
झसे याह करे
गी और नह ंक ँ
गा तो मार डाले
गी। प मी भी मु
झसेबोली-तुह अब याह
करना ह होगा। अब मजबू
र है
, िम टर कपू
र !''

च दर चु
प बै
ठा सोच रहा था, कै
सी विच जं
दगी हैइस अभागेक ! मानो कृ
ित नेसारेआ य इसी क
क मत केिलए छोड़ रखेथे
। फर बोला-

''यह आज या झगड़ा था?''

''कु
छ नह ं
। आज इसक सालिगरह थी। यह बोली, ''मु
झेकु
छ उपहार दो।" म बहु
त दे
र तक सोचता रहा। या दँ

इसे
? कु
छ समझ ह म नह ंआया। बहु
त दे
र सोचनेकेबाद मनेसोचा-म तो इसका पित होनेजा रहा हू

। इसेएक

ेी उपहार म देदँ
।ूमने
एक िम से
कहा क तु
म मे
र भावी प ी से
आज शाम को म
े कर सकते
हो? वह राजी हो
गया, म ले
आया।''

च दर जोर से
हँस पड़ा।

''हँ
सो मत, हँ
सो मत, िम टर कपू
र !'' बट बहु
त ग भीर बनकर बोला, ''इसका मतलब यह हैक तु
म औरत को
समझते
नह ं
। दे
खो, एक औरत उसी चीज को यादा पस द करती है
, उसी के ित समपण करती हैजो उसक जं
दगी
म नह ंहोता। मसलन एक औरत हैजसका याह हो गया है
, या होने
वाला है
, उसे
य द एक नया म
ेी िमल जाये
तो
उसक स नता का ठकाना नह ंरहता। वह अपनेपित क बहु
त कम परवा करे
गी अपने म
ेी केसामने
। और अगर
वाँ
र लड़क हैतो वह अपने म
ेी क भावनाओंक पू
र तौर से
ह या कर सकती हैय द उसे
एक पित िमल जाये
तो!
म तो समझता हू
ँक कोई भी पित अपनी प ी को य द कोई अ छा उपहार देसकता हैतो वह हैएक नया म
ेी और
कोई भी म
ेी अपनी रानी को य द कोई अ छा उपहार देसकता हैतो वह यह क उसे
एक पित दान कर दे
। तुहार
अभी शाद तो नह ंहु
ई?''

''न!''

''तो तु
म म
े तो ज र करतेह गे
...न, िसर मत हलाओ...म यक न नह ंकर सकता...। म इतनी सलाह तुह दे
रहा हू

, क अगर तु
म कसी लड़क सेयार करतेहो तो ई र केवा तेउससे
शाद मत करना-तु
म मे
र ा क सा सु

चु
केहो। अगर दल से यार करना चाहतेहो और चाहतेहो क वह लड़क जीवन-भर तुहार कृ
त रहेतो तु

उसक शाद करा दे
ना...यह लड़ कय केसेस जीवन का अ तम स य है
...! हा! हा! हा!'' बट हँ
स पड़ा।

च दर को लगा जै
सेआग क लपट उसे
तपा रह है
। उसने
भी तो यह कया हैसु
धा केसाथ जसे
बट कतने
विच वर म कह रहा है
। उसेलगा जै
सेइस त
े-लोक म सारा जीवन वकृ
त दखाई दे
ता है
। वहाँसाधना क
प व ता भी क चड़ और पागलपन म उलझकर गं
द हो जाती है
। िछह, कहाँबट क बात और कहाँउसक सु
धा...

वह उठ खड़ा हु
आ। ज द सेवदा माँ
गकर इस तरह भागा जै
सेउसकेपै
र केनीचेअं
गारेिछपे
ह।

फर उसे
नीं
द नह ंआयी। चै
न नह ंआया। रात को सोया तो वह बार-बार च क-सा उठा। उसनेसपना दे
खा, एक
बहु
त ब ा कपू
र का पहाड़ है
। बहु
त बड़ा। मु
लायम कपू
र क बड़ -बड़ च टान और इतनी प व खु
शबूक आदमी क
आ मा बे
लेका फू
ल बन जाये
। वह और सु
धा उन सौरभ क च टान केबीच चढ़ रहेह। के
वल वह हैऔर सु
धा...सु
धा
सफे
द बादल क साड़ पहने
हैऔर च दर करन क चादर लपे
टेहै
। जहाँ
-जहाँच दर जाता है
, कपू
र क च टान पर
इ धनु
ष खल जाते
ह और सु
धा अपने
बादल केआँ
चल म इ धनु
ष केफू
ल बटोरती चलती है

सहसा एक च टïन हली और उसम से


एक भयं
कर त
े िनकाला। एक सफे
द कं
काल- जसकेहाथ म अपनी खोपड़
और एक हाथ म जलती मशाल और उस मु

ंह न कं
काल ने
खोपड़ हाथ म ले
कर च दर को दखायी। खोपड़ हँ
सी और
बोली, ''दे
खो, जं
दगी का अ तम स य यह है
। यह!'' और उसनेअपनेहाथ क मशाल ऊँ
ची कर द । ''यह कपू
र का
पहाड़, यह बादल क साड़ , यह करन का प रधान, यह इ धनु
ष केफू
ल, यह सब झू
ठेह। और यह मशाल, जो
अपने
एक पश म इस सबको पघला दे
गी।''

और उसनेअपनी मशाल एक ऊँ
चेिशखर सेछु
आ द । वह िशखर धधक उठा। पघलती हु
ई आग क एक धार
बरसाती नद क तरह उमडक़र बहने
लगी।

''भागो, सु
धा!'' च दर ने
चीखकर कहा, ''भागो!''

सु
धा भागी, च दर भागा और वह पघली हु
ई आग क महानद लहरातेहु
ए अजगर क तरह उ ह अपनी
गु

जिलका म लपे
टने
केिलए चल पड़ । शै
तान हँ
स पड़ा, ''हा! हा! हा!'' च दर ने
देखा, सु
धा शै
तान क गोद म थी।
च दर च ककर जाग गया। पानी बं
द था ले
कन घनघोर अँ
धे
र ा था। और पशाचनी क तरह पागल हवा पे
ड़ को
झकझोर रह थी जै
सेयु
ग केजमेहु
ए व ास को उखाड़ फकना चाहती हो। च दर काँ
प रहा था, उसका माथा पसीने
से
तर था।

वह उठकर नीचेआया। उसकेकदम ठ क नह ंपड़ रहेथे


। बरामदेक ब ी जलायी। महरा जन उठ -''का है
भइया!'' उसने
पूछा।

''कु
छ नह ं
, अ दर सोऊँ
गा।'' च दर नेकहा और सु
धा केकमरेम जाकर ब ी जलायी। सु
धा क चारपाई पर ले

गया। फर उठा, चार ओर केदरवाजेब द कर दयेक कह ंकोई फर ऐसा सपना बाहर केभयं
कर अँ
धे
रेम सेन
चला आये

ले
कन बट क बात सेअ दर-ह -अ दर उसकेमन म जानेकहाँ या टू
ट गया जो फर बन नह ंपाया। अभी
तक उसेअपने
पर गव था, व ास था, अब कभी-कभी वह अपनेय व का व े
षण करनेलगा था। अब वह कभी-
कभी अपनेव ास पर िसर ऊँ
चा करनेकेबजाय उ ह सामनेफक दे
ता और एक िनरपे वैािनक क तरह उनक
चीर-फाड़ करता, उनक शव-पर ा कया करता। अभी तक उसके व ास का स बल था, अब कसी नेउसेतक का
अ -श देदया था। जानेकस रा सी रे
णा सेउसनेअपनी आ मा को चीरना शु कया। और इस तक- वतक
और अ व ास केभयं
कर जल- लय क एक लहर ने
उसे
एक दन नरक के कनारेले
जा पटका।

सु
धा का खत आया था। द ली म पापा अपनेकु
छ काम से केथेऔर सु
धा क तबीयत खराब हो गयी थी।
अब वह दो-तीन रोज म आ जाएगी।

ले
कन च दर केमन पर एक अजब-सा असर हु
आ था इस खत का। सु
धा का प नह ंआया था, सु
धा दरूथी
तब वह खु
श था, वह उ लिसत था। सु
धा का प आते
ह सहसा वह उदास हो गया। उदास तो या उसेउबकाई-सी
आनेलगी। उसेयह सब सहसा, पता नह ंएक नाटक-सा लगनेलगा था, एक बहु
त स ता, नीचे तर का नाटक। उसे
लगता था-येसब चार ओर का याग, साधन, सौ दय, यह सब झू
ठ है
। सु
धा भी अ ततोग वा वह साधारण लड़क है
जो वाँ
रेजीवन म पित और ववा हत जीवन म म
ेी क भू
खी होती है

वह भी शै
तान सेपू
णतया हारा नह ंथा। वह लड़नेक कोिशश करता था। ले
कन वह हार रहा था, यह भी उसे
मालू
म था। और च दर के जस गव नेउसक जीत म साथ दया था, वह गव उसक हार म साथ देरहा था। उसने
मन म सोच िलया क वह सु
धा से
, सभी लड़ कय से
, इस सारेनाटक सेनफरत करता है
। सु
धा का ववाह होना ह
था, सु
धा को ववाह करना था, सु
धा केआँ
सूझू
ठेथे
, अगर च दर सु
धा को न भी समझाता तो घू
म- फर सु
धा ववाह
करती ह ।

तब फर व ास काहेका? याग काहेका?

व ास टू
ट चु
का था, गव जं
दा था, गव घमं
ड म बदल गया था, घमं
ड नफरत म, और नफरत नस को चू
र -चू

कर दे
नेवाली उदासी म।

सु
धा जब आयी तो उसनेच दर को ब कु
ल बदला हु
आ पाया। एक बात और हु
ई जसनेऔर भी आग सु
लगा
द । यह लोग दोपहर को एक बजेकेलगभग आयेजब क च दर कॉले
ज गया था। पापा तो आतेह नहा-धोकर सोने
चलेगये
। सु
धा और बनती नेआतेह अपनेकमरेक सफाई शु क ; कमरेक सार कताब झाड़ ं
, कपड़ेठ क
कये
, मे
ज साफ क ंऔर उसकेबाद कमरा धोनेम लग गयीं
। बनती बा ट म पानी भर-भर लानेलगी और सु
धा
झाड़ूसे
फश धोने
लगी। हाथ म चू
ड़ेअब भी थे
, पाँ
व म बिछया और माँ
ग म िस दरू
-चे
हरा बहु
त पीला पड़ गया था
सु
धा का; चे
हरेक ह डïयाँिनकल आयी थींऔर आँ
ख क रोशनी भी मै
ली पड़ गयी थी। वह जाने य कमजोर भी
हो गयी थी।

झाड़ूलगाते
-लगातेसु
धा बनती सेबोली, ''आज मालू
म पड़ता हैक म आदमी हू

! कल तक तो है
वान थी। पापा
को भी जाने या सू
झा क इ ह भी साथ द ली ले
गये
। म तो शरम से
मर जाती थी।''

थोड़ दे
र बाद च दर आया। बाहर ह उसे
मालू
म हो गया था क सब लोग आ गयेह। उसेजाने य ऐसा लग
रहा था क वह उलटेलौट जाये
, वह अगर इस घर म गया तो जानेउससे या अनथ हो जाएगा, ले
कन वह बढ़ता ह
गया। टड - म म डॉ टर साहब सो रहेथे
। वह लौटा और अपनेकपड़ेउतारनेकेिलए ाइं
ग- म क ओर चला।
सु
धा ने य ह आहट पायी, वह फौरन झाड़ूफककर भागी, िसर खु
ला, धोती कमर म खु

सी हु
ई, हाथ ग दे
, बाल
बखरेऔर बे
तहाशा दौड़कर च दर सेिलपट गयी और ब च क भोली हँ
सी हँ
सकर बोली, ''च दर, च दर! हम आ
गये
, अब बताओ!'' और च दर को इस तरह कस िलया क अब कभी छोड़े
गी नह ं

''िछह, दरूहटो, सु
धा! यह या नाटक करती हो! आज तु
म ब ची नह ंहो!'' और सु
धा को बड़ खाई सेपरे
हटाकर अपने
कोट पर से
सुधा केहाथ से
लगी हु
ई िम ट झाड़ते
हुए च दर चु
पचाप अपने
कमरेम चला गया।

सु
धा पर जै
सेबजली िगर पड़ हो। वह प थर क तरह खड़ रह । फर जै
सेलडख़ड़ाती हु
ई अपनेकमरेम गयी
और चारपाई पर ले
टकर फू
ट-फू
टकर रोनेलगी। च दर सु
धा सेनह ंह बोला। डॉ टर साहब केजगतेह उनसेबात
करने
लगा, शाम को वह साइ कल ले
कर घू
मने
िनकल गया। लौटकर ऊपर छत पर चला गया और बनती को पु
कारकर
कहा, ''अगर तकलीफ न हो तो जरा ऊपर खाना देजाओ।'' बनती नेथाली लगायी और सु
धा सेकहा, ''लो द द ! दे
आओ!'' सु
धा नेिसर हलाकर कहा, ''तूह देआ! म अब कौन रह गयी उनक ।'' बनती केबहु
त समझानेपर सु
धा
ऊपर खाना लेगयी। च दर ले
टा था गु
मसु
म। सु
धा ने टू
ल खीं
चकर खाना रखा। च दर कु
छ नह ंबोला। उसनेपानी
रखा। च दर कु
छ नह ंबोला।

''खाओ न!'' सु
धा ने
कहा और एक कौर बनाकर च दर को दे
नेलगी।

''तु
म जाओ!'' च दर ने
बड़े खे वर म कहा, ''म खा लू

ँा!''

सु
धा नेकौर थाली म रख दया और च दर केपायताने
बैठकर बोली, ''च दर, तु
म य नाराज हो, बताओ हमसे
या पाप हो गया है
? पछलेडे
ढ़ मह नेहमने
एक-एक ण िगन-िगनकर काटेह क कब तुहारेपास आएँ
। हम या
मालू
म था क तु
म ऐसेहो गयेहो। मु
झेजो चाहेसजा देलो ले
कन ऐसा न करो। तु
म तो कु
छ भी नह ंसमझते
।''
और सु
धा ने
च दर केपै
र पर िसर रख दया। च दर नेपै
र झटक दये
, ''सु
धा, इन सब बात से
फायदा नह ंहै
। अब
इस तरह क बात करना और सु
नना म भू
ल गया हू

। कभी इस तरह क बात करतेअ छा लगता था। अब तो कसी
सोहािगन केमु

ँ से
यह शोभा नह ंदे
ता!''
सु
धा ितलिमला उठ , ''तो यह बात हैतुहारेमन म! म पहलेसेसमझती थी। ले
कन तुह ंनेतो कहा था,
च दर! अब तुह ंऐसेकह रहेहो? शरम नह ंआती तुह।'' और सु
धा नेहाथ सेयाह वालेचू
ड़ेउतारकर छत पर
फक दये
, बिछया उतारनेलगी-और पागल क तरह फट आवाज म बोली, ''जो तु
मनेकहा, मनेकया, अब जो
कहोगेवह क ँ
गी। यह चाहते
हो न!'' और अ त म उसने
अपनी बिछया उतारकर छत पर फक द ।

च दर काँ
प गया। उसने
इस य क क पना भी नह ंक थी। '' बनती! बनती!'' उसने
घबराकर पु
कारा और सु
धा
से
बोला, ''अरे
, यह या कर रह हो! कोई दे
खे
गा तो या सोचे
गा! पहनो ज द से
।''

''मु
झेकसी क परवा नह ं
। तुहारा तो जी ठं
डा पड़ जाएगा!''

च दर उठा। उसने
जबरद ती सु
धा केहाथ पकड़ िलये
। बनती आ गयी थी।

''लो, इ ह चू
ड़ेतो पहना दो!'' बनती नेचु
पचाप चू
ड़ेऔर बिछया पहना द । सु
धा चु
पचाप उठ और नीचेचली
गयी।

च दर अपनी खाट पर िसर झु


काये
ल जत-सा बै
ठा था।

''ली जए, खाना खा ली जए।'' बनती बोली।

''म नह ंखाऊँ
गा।'' च दर नेँ
धेगले
सेकहा।

''खाइए, वरना अ छ बात नह ंहोगी। आप दोन िमलकर मु


झेमार डािलए बस क सा ख म हो जाए। न आप
सीधेमु

ँ से
बोलते
ह, न द द । पता नह ंआप लोग को या हो गया है
?''

च दर कु
छ नह ंबोला।

''खाइए, आपको हमार कसम है


। वरना द द खाना नह ंखाएँ
गी! आपको मालू
म नह ं
, द द क तबीयत इधर बहु

खराब है
। उ ह सु
बह-शाम बु
खार रहता है
। द ली म तबीयत बहु
त खराब हो गयी थी। आप ऐसे
कर रहेह। बताइए,
उनका या हाल होगा। आप समझतेह गेयह बहु
त सु
खी ह गी ले
कन आपको या मालू
म!...पहलेआप द द केएक
आँ
सूपर पागल हो उठते
थे, अब आपको या हो गया है
?''

च दर नेिसर उठाया-और गहर साँ


स ले
कर बोला, ''जाने या हो गया है
, बनती! म कभी नह ंसोचता था क
सु
धा को म इतना द:ु
ख देसकँ

गा। इतना अभागा हू
ँक म खु
द भी इधर घु
लता रहा और सु
धा को भी इतना दख
ुी कर
दया। और सचमु
च च दर क आँ
ख म आँ
सूभर आये
। बनती च दर केपीछेखड़ थी। च दर का िसर अपनी छाती
म लगाकर आँ
सूप छती हु
ई बोली, ''िछह, अब और द:ु
खी होइएगा तो द द और भी रोएँ
गी। ली जए, खाइए!''

''जाओ, द द को बु
ला लो और उ ह भी खला दो!'' च दर नेकहा। बनती गयी। फर लौटकर बोली, ''बहु
त रो
रह ह। अब आज उनका नशा उतर जाने
द जए, तब कल बात क जएगा।''

'' फर सु
धा ने
न खाया तो?''
''नह ं
, आप खा ली जएगा तो वे
खा लगी। उनको खलाए बना म नह ंखाऊँ
गी।'' बनती बोली और अपनेहाथ से
कौर बनाकर च दर को दे
नेलगी। च दर ने
खाना शु कया और धीरे
-से
गहर साँ
स-ले
कर बोला, '' बनती! तु
म हमार
और सु
धा क उस जनम क कौन हो?''

सु
बह केव च दर जब ना ता करनेबै
ठा तो डॉ टर साहब केसाथ ह बै
ठा। सु
धा आयी और याला रखकर
चली गयी। वह बहु
त उदास थी। च दर का मन भर आया। सु
धा क उदासी उसेकतना ल जत कर रह थी, कतना
दख
ुी कर रह थी। दन-भर कसी काम म उसक तबीयत नह ंलगी। उसने लास छोड़ दये
। लाइ रे म भी जाकर
कताब उलट-पलटकर चला आया। उसकेबाद स
े गया जहाँउसेअपनी थीिसस छपनेको दे
नी थी, उसकेबाद ठाकु

साहब केयहाँगया। ले
कन कह ंभी वह टक नह ंपाया। जब तक वह सु
धा को हँ
सा न ले
, सु
धा केआँ
सूसु
खा न दे
;
उसे
चैन नह ंिमले
गा।

शाम को वह लौटा तो खाना तै


यार था। बनती सेउसने
पूछा, ''कहाँहैसु
धा?'' ''अपनी छत पर।'' बनती ने
कहा।
च दर ऊपर गया। पानी परस सेबं
द था और बादल भी खु
लेहु
ए थेले
कन ते
ज पु
र वै
या चल रह थी। तीज का चाँ

शरमीली द ुहन-सा बादल म मु

ँ िछपा रहा था। हवा केते
ज झकोर पर बादल उड़ रहेथेऔर कचनार बादल म
तीज का धनु
षाकार चाँ
द आँ
खिमचौली खे
ल रहा था। सु
धा नेअपनी खाट बरसाती केबाहर खीं
च ली थी। छत पर
धु

धला अँ
धे
र ा था और रह-रहकर सु
धा पर चाँ
दनी केफू
ल बरस जाते
थे। सु
धा चु
पचाप ले
ट हु
ई बादल को दे
खती हु

जाने या सोच रह थी।

च दर गया। च दर को दे
खतेह सु
धा उठ खड़ हु
ई और उसनेबजली जला द और चु
पचाप बै
ठ गयी। च दर
बै
ठ गया। वह कु
छ भी नह ंबोली। बगल म बछ हु
ई बनती क खाट पर सु
धा बै
ठ गयी।

च दर को समझ नह ंआता था क वह या कहे


। सु
धा को इतना द:ु
ख दया उसने
। सु
धा उससेकल शाम से
बोली तक नह ं

''सु
धा, तु
म नाराज हो गयी! मु
झेजाने या हो गया था। ले
कन माफ नह ंकरोगी?'' च दर नेबहु
त काँ
पती हु

आवाज म कहा। सु
धा कु
छ नह ंबोली-चु
पचाप बादल क ओर दे
खती रह ।

''सु
धा?'' च दर नेसु
धा केदो कबू
तर जै
सेउजलेमासू
म पै
र को ले
कर अपनी गोद म रख िलया और भरेहु

गलेसे
बोला, ''सु
धा, मु
झेजाने या हो जाता हैकभी-कभी! लगता हैवह पहले
वाली ताकत टू
ट गयी। म बखर रहा
हू

। तु
म आयी और तुहारेसामनेमन का जानेकौन-सा तू
फान फू
ट पड़ा! तु
मनेउसका इतना बु
र ा मान िलया। बताओ,
अगर तु
म ह ऐसा करोगी तो मु
झेसँ
भालने
वाला फर कौन है
, सु
धा?'' और च दर क आँ
ख से
एक बू

ँ आँ
सूसु
धा के
पाँ
व पर चूपड़ा। सु
धा नेच ककर अपनेपाँ
व खीं
च िलये
। और उठकर च दर क खाट पर बै
ठ गयी और च दर के
क धेपर िसर रखकर फू
ट-फू
टकर रो पड़ । बहु
त रोयी...बहु
त रोयी। उसकेबाद उठ और सामने
बैठ गयी।

''च दर! तु
मनेगलत नह ंकया। म सचमु
च कतनी अपरािधन हू

। मनेतुहार जं
दगी चौपट कर द है
। ले
कन
म या क ँ
? कसी नेतो मु
झेकोई रा ता नह ंबताया था। अब हो ह या सकता है
, च दर! तु
म भी बदा त करो
और हम भी कर।'' च दर नह ंबोला। उसनेसु
धा केहाथ अपने
होठ सेलगा िलये
। ''ले
कन म तुह इस तरह बखरने
नह ंदँ

ूी! तु
मनेअब अगर इस तरह कया तो अ छ बात नह ंहोगी। फर हम तो बराबर हर पल तुहारेह बारेम
सोचते
रहेऔर तुहार ह बात सोच-सोचकर अपने
को धीरज दे
तेरहेऔर तु
म इस तरह करोगेतो...''

''नह ंसु
धा, म अपने
को टू
टने
नह ंदँ

ूा। तुहारा यार मे
रेसाथ है
। ले
कन इधर मु
झेजाने या हो गया था!''

''हाँ
, समझ लो, च दर! तुह हमारेसु
हाग क लाज है
, हम कतने
दखुी ह, तु
म समझ नह ंसकते
। एक तुह ंको
दे
खकर हम थोड़ा-सा दख
ु-दद भू
ल जातेह, सो तु
म भी इस तरह करने
लगे
! हम लोग कतने
अभागेह!'' और वह फर
चु
पचाप ले
टकर ऊपर दे
खती हु
ई जाने या सोचनेलगी। च दर नेएक बार धु

धली रे
शमी चाँ
दनी म मु
र झायेहु

सोनजु
ह केफू
ल-जै
सेमु

ँ क ओर दे
खा और सु
धा केनरम गु
लाबी होठ पर ऊँ
गिलयाँरख द ं
। थोड़ दे
र वह आँ
सूम
भीगेहु
ए गु
लाब क दख
ु-भर पं
ख रय से
उँगिलयाँउलझाये
रहा और फर बोला-

'' या सोच रह थीं


?'' च दर ने
बहु
त दल
ुार सेसु
धा केमाथेपर हाथ फे
रकर कहा। सु
धा एक फ क हँ
सी हँ
सकर
बोली-

''जै
सेआज ले
ट हु
ई बादल को दे
ख रह हू
ँऔर पास तु
म बै
ठेहो, उसी तरह एक दन कॉले
ज म दोपहर को म
और गे
सूले
टेहु
ए बादल को दे
ख रहेथे
। उस दन उसने
एक शे
र सु
नाया था। 'कै
फ बरदोश बादल को न दे
ख, बे
खबर
तू
कुचल न जाए कह ं
।' उसका कहना कतना सच िनकला! भा य ने
कहाँले
जा पटका मु
झे
!''

'' य , वहाँतुह कोई तकलीफ तो नह ं


?'' च दर ने
पूछा।

''हाँ
, समझतेतो सब यह ह, ले
कन जो तकलीफ हैवह म जानती हू
ँया बनती जानती है
।'' सु
धा नेगहर साँ

ले
कर कहा, ''वहाँआदमी भी बने
रहने
का अिधकार नह ं
।''

'' य ?'' च दर ने
पूछा।

'' या बताएँतुह च दर! कभी-कभी मन म आता हैक डू


ब म ँ
। ऐसा भी जीवन होगा मे
र ा, यह कभी म नह ं
सोचती थी।'' सु
धा ने
कहा।

'' या बात है
? बताओ न!'' च दर ने
पूछा।

''बता दँ

ूी, दे
वता! तु
मसे
भला या िछपाऊँ
गी ले
कन आज नह ं
, फर कभी!''

सु
धा नेकहा, ''तु
म परे
शान मत हो। कहाँतु
म, कहाँदिु
नया! काश क कभी तुहार गोद सेअलग न होती म!''
और सु
धा ने
अपना मु

ँ च दर क गोद म िछपा िलया। चाँ
दनी क पं
ख रयाँबरस पड़ ं

उ लास और रोशनी का मलय पवन फर लौट आया था, फर एक बार च दर, सु


धा और बनती के ाण को
वभोर कर गया था क सु
धा को मह ने
-भर बाद ह जाना हैऔर सु
धा भू
ल गयी थी क शाहजहाँ
परुसे
भी उसका कोई
नाता है
। बनती का इ तहान हो गया था और अकसर च दर और सु
धा बनती के याह केिलए गहनेऔर कपड़े
खर दनेजाते
। जं
दगी फर खु
शी के ह कोर पर झू
लनेलगी थी। बनती का याह उतरतेअगहन म होनेवाला था।
अब दो-ढाई मह नेरह गयेथे
। सु
धा और च दर जाकर कपड़ेखर दते
और लौटकर बनती को जबरद ती पहनाते
और
गु
डय़ा क तरह उसेसजाकर खू
ब हँ
सते
। दोन केबड़े
-बड़ेहौसलेथेबनती केिलए। सु
धा बनती को सलवार और
चुनी का एक से
ट और गरारा और कु
रतेका एक से
ट दे
ना चाहती थी। च दर बनती को एक ह रेक अँ
गू
ठ दे
ना
चाहता था। च दर बनती को बहु
त ने
ह करनेलगा था। वह बनती के याह म भी जाना चाहता था ले
कन गाँ
व का
मामला, का यकुज क बारात। शहर म सु
धा, बनती और च दर को जतनी आजाद थी उतनी वहाँभला य कर हो
सकती थी! फर कहनेवाल क जबान, कोई या कह बै
ठे
! यह सब सोचकर सु
धा ने
च दर को मना कर दया था।
इसीिलए च दर यह ंबनती को जतने
उपहार और आशीवाद दे
ना चाहता था, देरहा था। सु
धा का बचपन लौट आया
था और दन-भर उसक शरारत और कलका रय से
घर हलता था। सु
धा ने
च दर को इतनी ममता म डु
बो िलया था
क एक ण वह च दर को अपनेसे
अलग नह ंरहने
देती थी। जतनी दे
र च दर घर म रहता, सु
धा उसेअपने
दलुार
म, अपनी साँ
स क गरमाई म समे
टेरहती थी, च दर केमाथेपर हर ण वह जानेकतना ने
ह बखे
र ती रहती थी!

एक दन च दर आया तो दे
खा क बनती कह ंगयी हैऔर सु
धा चु
पचाप बै
ठ हु
ई बहु
त-से
पुर ाने
खत को सँ
भाल
रह है
। एक ग भीर उदासी का बादल घर म छाया हु
आ है
। च दर आया। दे
खा, सु
धा आँ
ख म आँ
सूभरेबै
ठ है

'' या बात है
, सु
धा?''

'' खसती क िच ठ आ गयी च दर, परस शं


कर बाबू
आ रहेह।''

च दर के दय क धडक़न पर जै
सेकसी नेहथौड़ा मार दया। वह चु
पचाप बै
ठ गया। ''अब सब ख म हु
आ,
च दर!'' सु
धा ने
बड़ ह क ण मुकान से
कहा, ''अब साल-भर केिलए वदा और उसकेबाद जाने या होगा?''

च दर कु
छ नह ंबोला। वह ंले
ट गया और बोला, ''सु
धा, द:ु
खी मत हो। आ खर कै
लाश इतना अ छा है
, शं
कर
बाबू
इतने
अ छेह। दख
ु कस बात का? रहा म तो अब म सश रहू

गा। तु
म मे
रेिलए मत घबराओ!''

सु
धा एकटक च दर क ओर दे
खती रह । फर बोली, ''च दर! तुहारेजै
सेसब य नह ंहोते
? तु
म सचमु
च इस
दिु
नया केयो य नह ंहो! ऐसे
ह बनेरहना, च दर मे
रे
! तुहार प व ता ह मु
झेज दा रख सके
गी वना म तो जस
नरक म जा रह हू

...''

''तु
म उसे
नरक य कहती हो! मे
र समझ म नह ंआता!''

''तु
म नह ंसमझ सकते
। तु
म अभी बहु
त दरू हो इन सब बात से
, ले
कन...'' सु
धा बड़ दे
र तक चु
प रह । फर
खत सब एक ओर खसका दयेऔर बोली, ''च दर, उनम सबकु
छ है
। वेबहु
त अ छेह, बहु
त खु
लेवचार केह, मु
झे
बहु
त चाहते
ह, मु
झ पर कह ंसे
कोई ब धन नह ं
, ले
कन इस सारे वग का मोल जो दे
कर चु
काना पड़ता हैउससे
मेर
आ मा का कण-कण व ोह कर उठता है
।'' और सहसा घु
टन म मु

ँ िछपाकर रो पड़ ।

च दर उठा और सु
धा केमाथेपर हाथ रखकर बोला, ''िछह, रोओ मत सु
धा! अब तो जै
सा है
, जो कु
छ भी है
,
बदा त करना पड़े
गा।''

''कै
सेक ँ
, च दर! वह इतने
अ छेह और इसकेअलावा इतना अ छा यवहार करतेह क म उनसे या कहू

?
कै
सेकहू

?'' सु
धा बोली।

''जानेदो सु
धी, जै
सी जं
दगी हो वै
सा िनबाह करना चा हए, इसी म सु
दरता है
। और जहाँतक मे
र ा खयाल है
वै
वा हक जीवन के थम चरण म ह यह नशा रहता है
, फर कसको यह सू
झता है
। आओ, चलो चाय पीएँ
! उठो,
पागलपन नह ंकरते
। परस चली जाओगी, लाकर नह ंजाना होता। उठो!'' च दर नेअपनेमन क जु
गुसा पीकर
ऊपर से
बहु
त ने
ह से
कहा।

सु
धा उठ और चाय लेआयी। च दर नेअपनेहाथ सेएक कप म चाय बनायी और सु
धा को पलाकर उसी म
पीने
लगा। चाय पीते
-पीते
सुधा बोली-

''च दर, तु
म याह मत करना! तु
म इसकेिलए नह ंबने
हो।''

च दर सु
धा को हँ
साना चाहता था-''चल वाथ कह ंक ! य न क ँ याह? ज र क ँ
गा! और जनाब, दो-दो
क ँ
गा! अपने
आप तो कर िलया और मु
झेउपदे
श देरह ह!''

सु
धा हँ
स पड़ । च दर ने
कहा-

''बस ऐसे
ह हँ
सती रहना हमे
शा, हमार याद करकेऔर अगर रोयी तो समझ लो हम उसी तरह फर अशा त हो
उठगेजै
सेअभी तक थे
!...'' फर याला सु
धा केहोठ सेलगाकर बोला, ''अ छा सु
धी, कभी तु
म सु
नो क म उतना
पव नह ंरहा जतना क हू
ँतो तु
म या करोगी? कभी मे
रा य व अगर बगड़ गया, तब या होगा?''

''होगा या? म रोकनेवाली कौन होती हू



! म खु
द ह या रोक पायी अपनेको! ले
कन च दर, तु
म ऐसेह
रहना। तुह मे
रे ाण क सौग ध है
, तु
म अपने
को बगाडऩा मत।''

च दर हँ
सा, ''नह ंसु
धा, तुहारा यार मे
र ताकत है
। म कभी िगर नह ंसकता जब तक तु
म मे
र आ मा म गु

थी
हु
ई हो।''

तीसरेदन शं
कर बाबूआयेऔर सु
धा च दर केपै
र क धू
ल माथेपर लगाकर चली गयी...इस बार वह रोयी
नह ं
, शा त थी जै
सेवध थल पर जाता हु
आ बे
बस अपराधी।

जब तक आसमान म बादल रहतेह तब तक झील म बादल क छाँ


ह रहती है
। बादल केखु
ल जाने
केबाद कोई
भी झील उनक छाँ
ह को सु
र त नह ंरख पाती। जब तक सु
धा थी, च दर क जं
दगी का फर एक बार उ लास और
उसक ताकत लौट आयी थी, सु
धा केजातेह वह फर सबकु
छ खो बै
ठा। उसकेमन म कोई थािय व नह ंरहा।
लगता था जै
सेवह एक जलागार हैजो बहु
त गहरा है
, ले
कन जसम हर चाँ
द, सू
र ज, िसतारेऔर बादल क छाँ

पड़ती हैऔर उनकेचले
जाने
केबाद फर वह उनका ित ब ब धो डालता हैऔर बदलकर फर वै
सा ह हो जाता है

कोई भी चीज पानी को रँ
ग नह ंपाती, उसे
छूनह ंपाती, हाँ
, लहर म उनक छाया का प वकृ
त हो जाता है

च दर को चार ओर क दिु
नया सहज गु
जरते
हुए बादल का िन सार तमाशा-सी लग रह थी। कॉले
ज क चहल-
पहल, ढलती हु
ई बरसात का पानी, थीिसस और ड ी, बट का पागलपन और प मी केखत-ये
सभी उसकेसामने
आते
और सपन क तरह गु
जर जाते
। कोई चीज उसके दय को छून पाती। ऐसा लगता था क च दर एक खोखला य
हैजसम िसफ एक सापे अ त:करण मा है
, कोई िनरपे आ मा नह ंऔर दय भी जै
सेसमा हो गया था। एक
जलह न ह केबादल क तरह वह हवा केहर झ केपर तै
र रहा था। ले
कन टकता कभी भी नह ंथा। उसक भावनाएँ
,
उसका मन, उसक आ मा, उसके ाण, उसका सबकु
छ सो गया था और वह जै
सेनीं
द म चल- फर रहा था, नीं
द म
सबकु
छ कर रहा था। जाने
केआठ-नौ रोज बाद सु
धा का खत आया-

''मे
रेभा य!

म इस बार तुह जस तरह छोड़ आयी हू


ँउससे
मुझेपल-भर को चै
न नह ंिमलता। अपने
को तो बे
च चु
क , अपने
मन केमोती को क चड़ म फक चु
क , तुहार रोशनी को ह दे
खकर कु
छ स तोष है
। मे
रेद पक, तु
म बु
झना मत।
तुह मे
रे ने
ह क लाज है

मे
र जं
दगी का नरक फर मे
रेअं
ग म िभदना शु हो गया है
। तु
म कहतेहो क जै
सेहो िनबाह करना चा हए।
तु
म कहतेहो क अगर मनेउनसेिनबाह नह ंकया तो यह तुहारे यार का अपमान होगा। ठ क है
, म अपनेिलए
नह ं
, तुहारेिलए िनबाह क ँ
गी, ले
कन म कै
सेसँ
भालू
ँअपनेको? दल और दमाग बे
बस हो रहेह, नफरत सेमे
रा
खू
न उबला जा रहा है
। कभी-कभी जब तुहार सू
र त सामने
होती हैतो जै
सेअपना सु
ख-दख
ु भू
ल जाती हू

, ले
कन अब
तो जं
दगी का तू
फान जानेकतना ते
ज होता जा रहा हैक लगता हैतुह भी मु
झसे
खीं
चकर अलग कर दे
गा।

ले
कन तुह अपनेदे
व व क कसम है
, तु
म मु
झेअब अपने दय सेदरून करना। तु
म नह ंजानतेक तुहार
याद केह सहारेम यह नरक झे
लनेम समथ हू

। तु
म मु
झेकह ंिछपा लो-म या क ँ
, मे
र ा अं
ग-अं
ग मु
झ पर यं

कर रहा है
, आँ
ख क नीं
द ख म है
। पाँ
व म इतना तीखा दद हैक कु
छ कह नह ंसकती। उठते
-बै
ठतेच कर आने
लगा है
। कभी-कभी बदन काँ
पने
लगता है
। आज वह बरे
ली गयेह तो लगता हैम आदमी हू

। तभी तुह िलख भी रह
हू

। तु
म दख
ुी मत होना। चाहती थी क तुह न िलखू
ँले
कन बना िलखेमन नह ंमानता। मे
रेअपने
! तु
मनेतो यह
सोचकर यहाँभे
जा था क इससे
अ छा लड़का नह ंिमले
गा। ले
कन कौन जानता था क फू
ल म क ड़ेभी ह गे

अ छा, अब माँ
जी नीचेबु
ला रह ह...चलती हू

...दे
खो अपनेकसी खत म इन सब बात का ज मत करना! और
इसे
फाड़कर फक दे
ना।

तुहार अभािगन-सु
धी।''

च दर को खत िमला तो एक बार जै
सेउसक मूछा टू
ट गयी। उसनेखत िलया और बनती को बु
लाया। बनती
हाथ म साग और डिलया िलयेआयी और पास बै
ठ गयी। च दर नेवह खत बनती को देदया। बनती नेपढ़ा और
च दर को वापस देदया और चु
पचाप तरकार काटने
लगी।

वह उठा और चु
पचाप अपनेकमरेम चला गया। थोड़ दे
र बाद बनती चाय ले
कर आयी और चाय रखकर बोली,
''आप द द को कब खत िलख रहेह?''

''म नह ंिलखू

गा!'' च दर बोला।

'' य ?''

'' या िलखू
ँबनती, कु
छ समझ म नह ंआता!'' कु
छ झ लाकर च दर ने
कहा। बनती चु
पचाप बै
ठ गयी। थोड़ दे

बाद च दर बड़ेमु
लायम वर म बोला, '' बनती, एक दन तु
मनेकहा था क म दे
वता हू

, तुह मु
झ पर गव है
। आज
भी तुह मु
झ पर गव है
?''

''पहले
से यादा!'' बनती बोली।

''अ छा, ता जु
ब है
!'' च दर बोला, ''अगर तु
म जानती क आजकल कभी-कभी म या सोचता हू
ँतो तुह
ता जु
ब होता! तु
म जानती तो, सु
धा केइस खत सेमु
झेजरा-सा भी दख
ु नह ंहु
आ, िसफ झ लाहट ह हु
ई है
। म
सोच रहा था क य सु
धा इतना वाँ
ग भरती हैदख
ु और अं
त का! कस लड़क को यह सब पस द नह ं
? कस
लड़क के यार म शर र का अं
श नह ंहोता? लाख ितभाशािलनी लड़ कयाँह ले
कन अगर वेकसी को यार करगी
तो उसेअपनी ितभा नह ंदगी, अपना शर र ह दगी और य द वह अ वीकार कर िलया जाय तो शायद ित हं
सा से
तड़प भी उठगी। अब तो मु
झेऐसा लगनेलगा क सेस ह यार है
, यार का मुय अं
श है
, बाक सभी कु
छ उसक
तै
यार है
, उसकेिलए एक समु
िचत वातावरण और व ास का िनमाण करना है
...जाने य मु
झेइस सबसे
बहु
त नफरत
होती जाती है
। अभी तक म सेस और यार को दो चीज समझता था, यार पर व ास करता था, सेस से
नफरत,
अब मु
झेदोन ह एक चीज लगती ह और जानेकै
सेअ िच-सी हो गयी हैइस जं
दगी से
। तुहार या राय है
,
बनती?''

''मे
र ? अरे
, हम बे
-पढ़े
-िलखेआदमी, हम या आपसेबात करगे
! ले
कन एक बात है
। यादा पढऩा-िलखना अ छा
नह ंहोता।''

'' य ?'' च दर ने
पूछा।

''पढ़ने
-िलखने
सेह आप और द द जाने या- या सोचते
ह! हमने
देहात म दे
खा हैक वहाँलड़ कयाँसमझती ह
क उ ह या करना है
। इसिलए कभी इन सब बात पर अपना मन नह ंबगाड़तीं
। ब क मनेतो दे
खा हैसभी शाद
केबाद मोट होकर आती ह। और द द अब छोट -सी नह ंक ऐसी उनक तबीयत खराब हो जाय। यह सब मन म
घु
टने
का नतीजा है
। जब यह होना ह हैतो य द द द:ु
खी होती ह? उ ह तो और मोट होना चा हए।'' बनती बोली।

इस सम या का इतना सरल समाधान सु


नकर च दर को हँ
सी आ गयी।

''अब तु
म ससु
र ाल जा रह हो। मोट होकर आना!''

''धत,्आप तो मजाक करने


लगे
!''

''ले
कन बनती, तु
म इस मामले
म बड़ व ान मालू
म दे
ती हो। अभी तक यह व ा कहाँिछपा रखी थी?''

''नह ं
, आप मजाक न बनाइए तो म सच बताऊँ क दे
हाती लड़ कयाँशहर क लड़ कय से यादा होिशयार होती ह
इन सब मामल म।''

''सच?'' च दर ने
पूछा। वह गाँ
व क जं
दगी को बे
हद िनर ह समझता था।

''हाँऔर या? वहाँइतना दरु


ाव, इतना गोपन नह ंहै
। सभी कु
छ उनकेजीवन का उ मु है
। और याह केपहले
ह वहाँलड़ कयाँसबकु
छ...''
''अरेनह ं
!'' च दर ने
बेहद ता जु
ब से
कहा।

''लो यक न नह ंहोता आपको? मु


झेकै
सेमालू
म हु
आ इतना। म आपसे
कुछ नह ंिछपाती, वहाँतो सब लोग इसे
इतना वाभा वक समझतेह जतना खाना-पीना, हँ
सना-बोलना। बस लड़ कयाँइस बात म सचे
त रहती ह क कसी
मु
सीबत म न फँ
स!''

च दर चु
पचाप बै
ठ चाय पीता रहा। आज तक वह जं
दगी को कतना प व मानता रहा था ले
कन जं
दगी कु

और ह है
। जं
दगी अब भी वह हैजो सृ केआर भ म थी...और दिु
नया कतनी चालाक है
! कतनी भु
लावा दे
ती है
!
अ दर सेमन म जहर िछपाकर भी होठ पर कै
सी अमृ
तमयी मु
सकान झलकाती रहती है
! यह बनती जो इतनी शा त,
सं
यत और भोली लगती थी, इसम भी सभी गु
न भरेह। इस दिु
नया म? च दर नेजं
दगी को परखनेम कतना बड़ा
धोखा खाया है
।... जं
दगी यह है
-मां
सलता और यास और उसकेसाथ-साथ अपने
को िछपाने
क कला।

वह बै
ठा-बै
ठा सोचता रहा। सहसा उसने
पूछा-

'' बनती, तु
म भी दे
हात म रह हो और सु
धा भी। तु
म लोग क जं
दगी म वह सब कभी आया?''

बनती ण-भर चु
प रह , फर बोली, '' य , या नफरत करोगेसु
नकर!''

''नह ंबनती, जतनी नफरत और अ िच दल म आ गयी हैउससे यादा आ सकती हैभला! बताना चाहो तो
बता दो। अब म जं
दगी को समझना चाहता हू

, वा त वकता के तर पर!'' च दर ने
ग भीरता से
पूछा।

''मनेआपसे
कुछ नह ंिछपाया, न अब िछपाऊँ
गी। पता नह ं य द द सेभी यादा आप पर व ास जमता जा
रहा है
। सु
धा द द क जं
दगी म तो यह सब नह ंआ पाया। वे
बड़ विच -सी थीं
। सबसे
अलग रहती थींऔर पढ़तीं
और कमल केपोखरेम फू
ल तोड़ती थीं
, बस! मे
र जं
दगी म...''

च दर ने
चाय का याला खसका दया। जानेकस भाव सेउसनेबनती केचे
हरेक ओर दे
खा। वह शा त थी,
िन वकार थी और बना कसी हचक केकहती जा रह थी।

च दर चु
प था। बनती ने
अपने
पाँ
व से
च दर केपाँ
व क उँ
गिलयाँदबाते
हुए पू
छा, '' या सोच रहेह आप? सु

रहेह आप?''

''जाने
दो, म नह ंसु
नग

ूा। ले
कन तु
म मु
झ पर इतना व ास य करती हो?'' च दर ने
पूछा।

''जाने य ? यहाँआकर मनेद द केसाथ आपका यवहार दे


खा। फर प मी वाली घटना हु
ई। मे
रेतन-मन म
एक विच -सी ा आपकेिलए छा गयी। जानेकै
सी अ िच मे
रेमन म दिु
नया केिलए थी, आपको दे
खकर म फर
व थ हो गयी।''

''ता जु
ब है
! तुहारेमन क अ िच दरू हो गयी दिु
नया के ित और मे
रेमन क अ िच बढ़ गयी। कै
से
अ त वरोध होतेह मन क ित याओंम! एक बात पू
छू

, बनती! तु
म मे
रेइतने
समीप रह हो। सै
कड़ बार ऐसा हु

होगा जो मे
रेवषय म तुहारेमन म शं
का पै
दा कर दे
ता, तु
म सै
कड़ बार मे
रेिसर को अपनेव पर रखकर मु
झे
सा वना देचु
क हो। तु
म मु
झेबहु
त यार हो, ले
कन तु
म जानती हो म तुह यार नह ंकरता हू

, फर यह सब या
है
, य है
?''

बनती चु
प रह -''पता नह ं य है
? मु
झेइसम कभी कोई पाप नह ंदखा और कभी दखा भी तो मन ने
कहा क
आप इतने
पव ह, आपका च र इतना ऊँ
चा हैक मे
र ा पाप भी आपको छू
कर प व हो जाएगा।''

''ले
कन बनती...''

''बस?'' बनती ने
च दर को टोककर कहा, ''इससे
अिधक आप कु
छ मत पू
िछए, म हाथ जोड़ती हू

!''

च दर चु
प हो गया।

च दर जतना सु
लझाने
का यास कर रहा था, चीज उतनी ह उलझती जा रह थीं
। सु
धा नेजं
दगी का एक प
च दर केसामनेरखा था। बनती उसेदस
ूर दिु
नया म खीं
च लायी। कौन सच है
, कौन झू
ठ? वह कसका ितर कार
करे
, कसको वीकार करे
। अगर सु
धा गलती पर हैतो च दर का ज मा है
, च दर नेसु
धा क ह या क है
...ले
कन
कतनी िभ न ह दोन बहन! बनती कतनी यावहा रक, कतनी यथाथ, सं
यत और सु
धा कतनी आदश, कतनी
क पनामयी, कतनी सूम, कतनी ऊँ
ची, कतनी सु
कु
मार और प व ।

जीवन क सम याओंकेअ त वरोध म जब आदमी दोन प को समझ ले


ता हैतब उसकेमन म एक ठहराव
आ जाता है
। वह भावना सेऊपर उठकर व छ बौ क धरातल पर जं
दगी को समझनेक कोिशश करनेलगता है

च दर अब भावना सेहटकर जं
दगी को समझनेक कोिशश करने
लगा था। वह अब भावना सेडरता था। भावना के
तू
फान म इतनी ठोकर खाकर अब उसने
बु क शरण ली थी और एक पलायनवाद क तरह भावना से
भाग कर बु
क एकां
िगता म िछप गया था। कभी भावु
कता सेनफरत करता था, अब वह भावना सेह नफरत करने
लगा था। इस
नफरत का भोग सु
धा और बनती दोन को ह भु
गतना पड़ा। सु
धा को उसनेएक भी खत नह ंिलखा और बनती से
एक दन भी ठ क से
बात नह ंक ।

जब भावना और सौ दय केउपासक को बु और वा त वकता क ठे


स लगती हैतब वह सहसा कटु
ता और यं

से
उबल उठता है
। इस व च दर का मन भी कु
छ ऐसा ह हो गया था। जानेकतने
जहर ले
काँ
टेउसक वाणी म उग
आयेथे
, ज ह वह कभी भी कसी को चु
भानेसेबाज नह ंआता था। एक िनमम िनरपेता सेवह अपनेजीवन क
सीमा म आने
वालेहर य को कटु
ता केजहर सेअिभ ष करता चलता था। सु
धा को वह कु
छ िलख नह ंसकता
था। प मी यहाँथी नह ं
, ले
-दे
कर बची अके
ली बनती जसे
इन जहर लेवाण का िशकार होना पड़ रहा था। िसत बर
बीत रहा था और अब वह गाँ
व जाने
क तै
यार कर रह थी। डॉ टर साहब नेदस बर तक क छुट ली थी और वे
भी गाँ
व जाने
वाले
थे। शाद केमह ने
-भर पहले
सेउनका जाना ज र था।

च दर खु
श नह ंथा, नाराज नह ंथा। एक वग दे
वदत
ू जसेपशाच नेखर द िलया हो, उ ह ंक तरह वह
जं
दगी केसु
ख-द:ु
ख को ठोकर मारता हु
आ कनारेखड़ा सभी पर हँ
स रहा था। खास तौर सेनार पर उसकेमन का
सारा जहर बखरने
लगा था और उसम उसे
यह भी अकसर यान नह ंरहता था क वह कससे या बात कर रहा है

बनती सबकु
छ चु
पचाप सहती जा रह थी, बनती को सु
धा क तरह रोना नह ंआता था; न उसक च दर इतनी परवा
ह करता था जतनी सु
धा क । दोन म बात भी बहु
त कम होती थीं
, ले
कन बनती मन-ह -मन द:ु
खी थी। वह या
करे
! एक दन उसनेच दर केपै
र पकड़कर बहु
त अनु
नय सेकहा-''आपको यह या होता जा रहा है
? अगर आप ऐसे
ह करगेतो हम द द को िलख दगे
!''

च दर बड़ भयावनी हँ
सी हँ
सा-''द द को या िलखोगी? मु
झेअब उसक परवा नह ं
। वह दन गये
, बनती! बहु

बन िलये
हम।''

''हाँ
, च दर बाबू
, आप लड़क होते
तो समझते
!''

''सब समझता हू
ँम, कै
सा दोहरा नाटक खे
लती ह लड़ कयाँ
! इधर अपराध करना, उधर मु
ख बर करना।''

बनती चु
प हो गयी। एक दन जब च दर कॉले
ज से
आया तो उसकेिसर म दद हो रहा था। वह आकर चु
पचाप
ले
ट गया। बनती ने
आकर पू
छा तो बोला, '' य , य म बतलाऊँ क या है
, तु
म िमटा दोगी?''

बनती नेच दर केिसर पर हाथ रखकर कहा, ''च दर, तुह या होता जा रहा है
? दे
खो कै
सी ह डयाँिनकल
आयी ह इधर। इस तरह अपने
को िमटाने
से या फायदा?''

''िमटानेसे
?'' च दर उठकर बै
ठ गया-''म िमटाऊँ
गा अपनेको लड़ कय केिलए? िछह, तु
म लोग अपनेको या
समझती हो? या हैतु
म लोग म िसवा एक नशीली मां
सलता के
? इसकेिलए म अपने
को िमटाऊँ
गा?''

बनती ने
च दर को फर िलटा दया।

''इस तरह अपनेको धोखा दे


नेसे या फायदा, च दर बाबू
? म जानती हू
ँद द केन होनेसेआपक जं
दगी म
कतना बड़ा अभाव है
। ले
कन...''

''द द केन होने


पर? या मतलब हैतुहारा?''

''मे
र ा मतलब आप खू
ब समझते
ह। म जानती हू

, द द होतींतो आप इस तरह न िमटाते
अपने
को। म जानती हू

द द केिलए आपकेमन म या था?'' बनती ने
िसर म ते
ल डालते
हुए कहा।

''द द केिलए या था?'' च दर हँ


सा, बड़ विच हँ
सी-''द द केिलए मे
रेमन म एक आदशवाद भावु
कता थी जो
अधकचरेमन क उपज थी, एक ऐसी भावना थी जसकेऔिच य पर ह मु
झेव ास नह ं
, वह एक सनक थी।''

''सनक!'' बनती थोड़ दे


र तक चु
पचाप िसर म ते
ल ठ कती रह । फर बोली, ''अपनी साँ
स सेबनायी दे
वमू
ित पर
इस तरह लात तो न मा रए। आपको शोभा नह ंदे
ता!'' बनती क आँ
ख म आँ
सूआ गये
, '' कतनी अभागी ह द द !''

च दर एकटक बनती क ओर दे
खता रहा और फर बोला, ''म अब पागल हो जाऊँ
गा, बनती!''

''म आपको पागल नह ंहोने


दँग
ूी। म आपको छोडक़र नह ंजाऊँ
गी।''

''मु
झेछोडक़र नह ंजाओगी!'' च दर फर हँ
सा-''जाइए आप! अब आप ीमती बनती होने
वाली ह। आपका याह
होगा। म पागल हो रहा हू

, इससे या हु
आ? इन सब बात सेदिु
नया नह ं कती, शहनाइयाँनह ंबं
द होतीं
, ब दनवार
नह ंतोड़ेजाते
!''

''म नह ंजाऊँ
गी च दर अभी, तु
म मु
झेनह ंजानते
। तुहार इतनी ताड़ना और यं
य सहकर भी तुहारेपास
रह , अब दिु
नया-भर क लां
छना और यं
य सहकर तुहारेपास रह सकती हू

।'' बनती ने
तीखे वर म कहा।

'' य ? तुहारेरहने
से या होगा? तु
म सु
धा नह ंहो। तु
म सु
धा नह ंहो सकती! जो सु
धा हैमे
र जं
दगी म, वह
कोई नह ंहो सकता। समझीं
? और मु
झ पर एहसान मत जताओ! म मर जाऊँ
, म पागल हो जाऊँ
, कसी का साझा!
य तु
म मु
झ पर इतना अिधकार समझने
लगीं
-अपनी से
वा केबल पर? म इसक र ी-भर परवा नह ंकरता। जाओ,
यहाँसे
!'' और उसनेबनती को धके
ल दया, ते
ल क शीशी उठाकर बाहर फक द ।

बनती रोती हु
ई चली गयी। च दर उठा और कपड़ेपहनकर बाहर चल दया, ''हू

, ये
लड़ कयाँसमझती ह अहसान
कर रह ह मु
झ पर!''

बनती केजानेक तै
यार हो गयी थी और िलया- दया जानेवाला सारा सामान पै
क हो रहा था। डॉ टर साहब
भी मह ने
-भर क छुट ले
कर साथ जा रहेथे
। उस दन क घटना केबाद फर बनती च दर सेब कु
ल ह नह ंबोली
थी। च दर भी कभी नह ंबोला।

ये
लोग कार पर जाने
वाले
थे। सारा सामान पीछे
-आगेलादा जाने
वाला था। डॉ टर साहब कार ले
कर बाजार गये
थे
। च दर उनका हो डॉल सँ
भाल रहा था। बनती आयी और बोली, ''म आपसे
बात कर सकती हू

?''

''हाँ
, हाँ
! तु
म उस दन क बात का बु
र ा मान गयीं
! अमू
मन लड़ कयाँस ची बात का बु
र ा मान जाती ह! बोलो,
या बात है
?'' च दर ने
इस तरह कहा जै
सेकु
छ हु
आ ह न हो।

बनती क आँ
ख म आँ
सूथे
, ''च दर, आज म जा रह हू

!''

''हाँ
, यह तो मालू
म है
, उसी का इ तजाम कर रहा हू

!''

''पता नह ंमने या अपराध कया च दर क तुहारा ने


ह खो बै
ठ । ऐसा ह था च दर तो आतेह आतेइतना
ने
ह तु
मनेदया ह य था?...म तु
मसे
कभी भी द द का थान नह ंमाँ
ग रह थी...तु
मने
मुझेगलत य समझा?''

''नह ं
, बनती! म अब ने
ह इ या द पस द नह ंकरता हू

। पू
ण प रप व मनु
य हू
ँऔर ये
सब भावनाएँ
अब अ छ
नह ंलगतींमु
झे
। ने
ह वगै
र ह क दिु
नया अब मु
झेबड़ उथली लगती है
!''

''तभी च दर! इतनेदन मनेरोते


-रोतेबताये
। तु
मनेएक बार पू
छा भी नह ं
। जं
दगी म िसवा द द और तुहारे
,
कौन था? तु
मने
मेरेआँ
सओ
ु ंक परवा नह ंक । तुह कसू
र नह ंदे
ती; कसू
र मे
र ा ह होगा, च दर!''

''नह ं
, कसू
र क बात नह ंबनती! औरत केरोने
क कहाँतक परवा क जाए, वे
कुे
, ब ली तक केिलए उतने
ह द:ु
ख से
रोती ह।''

''खै
र , च दर! ई र करेतु
म जीवन-भर इतने
मजबू
त रहो। मने
अगर कभी तुहारेिलए कु
छ कया, वै
सेकया भी
या, ले
कन अगर कु
छ भी कया तो िसफ इसिलए क मे
रेमन क जानेकतनी ममता तु
मनेजीत ली, या म हमे
शा
इस बात केिलए पागल रहती थी क तुह जरा-सी भी ठे
स न पहु

चे
, म या कर डालू
ँतुहारेिलए। तु
मने
, तुहारे
य व ने
मुझेजाद ू
म बाँ
ध िलया था। तु
म मु
झसेकु
छ भी करने
केिलए कहते
तो म हचक नह ंसकती थी-ले
कन
खै
र , तुह मे
र ज रत नह ंथी। तु
म पर भार हो उठती थी म। मनेअपने
को खीं
च िलया, अब कभी तुहारेजीवन म
आनेका साहस नह ंक ँ
गी। यह भी कै
सेकहू
ँक कभी तुह मे
र ज रत पड़े
गी। म जानती हू
ँक तुहारेतू
फानी
य व केसामने
म बहु
त तुछ हू

, ितनकेसेभी तुछ। ले
कन आज जा रह हू

, अब कभी यहाँआने
का साहस न
क ँ
गी। ले
कन या चलते
व आशीवाद भी न दोगे
? कु
छ आगेका रा ता न बताओगे
?''

बनती नेझु
ककर च दर केपै
र पकड़ िलयेऔर िससक-िससककर रोनेलगी। च दर नेबनती को उठाया और
पास क कु
स पर बठा दया और िसर पर हाथ रखकर बोला, ''आशीवाद दे
वताओंसेमाँ
गा जाता है
। म अब त
े हो
चु
का हू

, बनती!''

च दर अब एका त चाहता था और वह च दर को िमल गया था। पू


र ा घर खाली, एक महरा जन, माली और
नौकर। और सारेघर म िसफ स नाटा और उस स नाटेका त
े च दर। च दर चाहेजतना टू
ट जाये
, चाहेजतना
बखर जाये
, ले
कन च दर हारनेवाला नह ंथा। वह हार भी जाये
लेकन हार वीकार करना उसे
नह ंआता था। उसके
मन म अब स नाटा था, अपनेमन केपू
जागृ
ह म था पत सु
धा क पावन, ां
जल दे
वमू
ित को उसनेकठोरता से
उठाकर बाहर फक दया था। म दर क मू
ितमयी प व ता, बनती को अपमािनत कर दया था और म दर केपू
जा-
उपकरण को, अपनेजीवन केआदश और मानदं
ड को उसनेचू
र -चू
र कर डाला था, और बु
तिशकन वजे
ता क तरह

रता सेहँ
सतेहु
ए म दर केभ नावशे
ष पर कदम रखकर चल रहा था। उसका मन टू
टा हु
आ खँ
डहर था जसके
उजाड़, बे
छत कमर म चमगादड़ बसे
र ा करतेह और जसके वं
सावशे
ष पर िगरिगट पहरा दे
तेह। काश क कोई उन
खँ
डहर क ट उलटकर दे
खता तो हर प थर केनीचेपू
जा-म िससकतेहु
ए िमलते
, हर धू
ल क पत म घं
टय क
बे
होश विनयाँिमलतीं
, हर कदम पर मु
र झायेहु
ए पू
जा केफू
ल िमलतेऔर हर शाम-सवे
रेभ न दे
वमू
ित का क ण
दन द वार पर िसर पटकता हु
आ िमलता...ले
कन च दर ऐसा-वै
सा द ु
मन नह ंथा। उसने
म दर को चू
र -चू
र कर उस
पर अपनेगव का पहरा लगा दया था क कभी भी कोई उस पर खँ
डहर केअवशे
ष कु
रे
दकर पु
र ानेव ास, पु
र ानी
अनु
भिू
तयाँ
, पु
र ानी पू
जाएँफर सेन जगा दे
। बु
तिशकन तो म दर तोडऩे
केबाद सारा शहर जला दे
ता है
, ता क शहर
वालेफर उस म दर को न बना पाएँ
-ऐसा था च दर। अपनेमन को सु
नसान कर ले
नेकेबाद उसनेअपनी जं
दगी,
अपना रहन-सहन, अपना मकान और अपना वातावरण भी सु
नसान कर िलया था। अगहन आ गया था, ले
कन उसके
चार ओर जे
ठ क दप
ुहर से
भी भयानक स नाटा था।

बनती जब सेगयी उसनेकोई खत नह ंभे


जा था। सु
धा केभी प ब द हो चु
केथे
। प मी केदो खत आये

प मी आजकल द ली घू
म रह थी, ले
कन च दर नेप मी को कोई जवाब नह ं दया। अके
ला...अके
ला... ब कु

अके
ला...सहारा म थल क नीरस भयावनी शा त और वह भी जब तक क काँ
पता हु
आ लाल सू
र ज बालू
के ितज
पर अपनी आ खर साँ
स तोड़ रहा हो और बालू
केट ल क अधमर छायाएँ
लहरदार बालू
पर धीरे
-धीरेरग रह ह ।

बनती के याह को प ह दन रह गये


थेक सु
धा का एक प आया...

''मे
रेदे
वता, मे
रेनयन, मे
रेपं
थ, मे
रे काश!
आज कतनेदन बाद तुह खत िलखनेका मौका िमल रहा है
। सोचा था, बनती के याह केमह ने
-भर पहलेगाँ

आ जाऊँ
गी तो एक दन केिलए तुह आकर दे
ख जाऊँ
गी। ले
कन इरादेइरादेह और जं
दगी जं
दगी। अब सु
धा अपने
जे
ठ और सास केलड़केक गु
लाम है
। याह केदस
ूरेदन ह चला जाना होगा। तुह यहाँबु
ला ले
ती, ले
कन यहाँ
ब धन और परदा तो ससु
र ाल से
भी बदतर है

मनेबनती सेतुहारेबारेम बहु


त पू
छा। वह कु
छ नह ंबतायी। पापा सेइतना मालू
म हु
आ क तुहार थीिसस
छपनेगयी है
। क वोके
शन नजद क है
। तुह याद है
, वायदा था क तुहारा गाउन पहनकर म फोटो खं
चवाऊँ
गी। वह
दन याद करती हू
ँतो जाने
कैसा होने
लगता है
! एक क वोके
शन क फोटो खं
चवाकर ज र भे
जना।

या तु
मनेबनती को कोई द:ु
ख दया था? बनती हरदम तुहार बात पर आँ
सूभर लाती है
। मनेतुहारेभरोसे
बनती को वहाँछोड़ा था। म उससे
दरू
, माँका सु
ख उसे
िमला नह ं
, पता मर गये
। या तु
म उसे
इतना भी यार नह ं
देसकते
? मनेतुह बार-बार सहे
ज दया था। मे
र त द ु ती अब कु
छ-कु
छ ठ क है
, ले
कन जानेकै
सी है
। कभी-कभी
िसर म दद होनेलगता है
। जी िमचलानेलगता है
। आजकल वह बहु
त यान रखतेह। ले
कन वेमु
झको समझ नह ं
पाये
। सारेसु
ख और आजाद केबीच म कतनी अस तु हू

। म कतनी परे
शान हू

। लगता हैहजार तू
फान हमे
शा नस
म घहराया करते
ह।

च दर, एक बात कहू


ँअगर बु
र ा न मानो तो। आज शाद केछह मह ने
बाद भी म यह कहू

गी च दर क तु
मने
अ छा नह ंकया। मे
र आ मा िसफ तुहारेिलए बनी थी, उसकेरे
शेम वेत व ह जो तुहार ह पू
जा केिलए थे

तु
मनेमु
झेदरूफक दया, ले
कन इस दरू केअँ
धे
रेम भी ज म-ज मा तर तक भटकती हु ढू
ई िसफ तुह ंको ढू
ँँ
गी,
इतना याद रखना और इस बार अगर तु
म िमल गयेतो जं
दगी क कोई ताकत, कोई आदश, कोई िस ा त, कोई
वं
चना मु
झेतु
मसे
अलग नह ंकर सके
गी। ले
कन मालू
म नह ंपु
नज म सच हैया झू
ठ! अगर झू
ठ हैतो सोचो च दर
क इस अना दकाल के वाह म िसफ एक बार...िसफ एक बार मनेअपनी आ मा का स य ढू

ढ़ पाया था और अब
अन तकाल केिलए उसे
खो दया। अगर पु
नज म नह ंहैतो बताओ मे
रेदे
वता, या होगा? करोड़ सृयाँह गी, लय
ह गेऔर म अतृ िचनगार क तरह असीम आकाश म तड़पती हु
ई अँ
धे
रेक हर परत से
टकराती रहू

गी, न जाने
कब
तक केिलए। य - य दरू बढ़ती जा रह है
, य - य पू
जा क यास बढ़ती जा रह है
! काश म िसतार केफू
ल और
सू
र ज क आरती सेतुहार पू
जा कर पाती! ले
कन जानतेहो, मु
झे या करना पड़ रहा है
? मे
रेछोटेभतीजेनीलूने
पहाड़ चू
हेपाले
ह। उनके पं
जड़ेकेअ दर एक प हया लगा हैऔर ऊपर घं
टयाँलगी ह। अगर कोई अभागा चू
हा उस
च म उलझ जाता हैतो य - य छू
टनेकेिलए वह पै
र चलाता है य - य च घू
मनेलगता है
; घं
टयाँबजने
लगती ह। नीलू
बहु
त खु
श होता हैले
कन चू
हा थककर बे
दम होकर नीचेिगर पड़ता है
। कु
छ ऐसेह च म फँ
स गयी
हू

, च दर! स तोष िसफ इतना हैक घं
टयाँबजती ह तो शायद तु
म उ ह पू
जा केम दर क घं
टयाँसमझतेहोगे

ले
कन खै
र ! िसफ इतनी ाथना हैच दर! क अब थककर ज द ह िगर जाऊँ
!

मे
रेभा य! खत का जवाब ज द ह दे
ना। प मी अभी आयी या नह ं
?

तुहार , ज म-ज म क यासी-सु


धा।''

च दर ने
खत पढ़ा और फौरन िलखा-
'' य सु
धा,

तुहार प बहु
त दन केबाद िमला। तुहार भाषा वहाँजाकर बहु
त िनखर गयी है
। म तो समझता हू
ँक अगर खत
कह ंछु
पा दया जायेतो लोग इसेकसी रोमां
टक उप यास का अं
श समझ, य क उप यास केह पा ऐसेखत
िलखते
ह, वा त वक जीवन केनह ं

खै
र , म अ छा हू

। हरे
क आदमी जं
दगी सेसमझौता कर ले
ता हैक तुमनेजं
दगी सेसमपण कराकर उसके
हिथयार रख िलयेह। अब कलेकेबाहर सेआने
वाली आवाज अ छ नह ंलगतीं
, न खत केपानेक उ सु
कता, न
जवाब िलखनेका आ ह। अगर मु
झेअके
ला छोड़ दो तो बहु
त अ छा होगा। म वनती करता हू

, मु
झेखत मत
िलखना-आज वनती करता हू
ँ य क आ ा दे
नेका अब साहस भी नह ं
, अिधकार भी नह ं
, य व भी नह ं
। खत
तुहारा तुह भे
ज रहा हू

कभी जं
दगी म कोई ज रत आ पड़ेतो ज र याद करना-बस, इसकेअलावा कु
छ नह ं

अपने
म स तु-च कु
मार कपू
र ।''

उसकेबाद फर वह सु
नसान जं
दगी का ढरा। खँ
डहर केस नाटेम भू
लकर आयी हु
ई बाँ
सरु क आवाज क तरह
सु
धा का प , सु
धा का यान आया और चला गया। खँ
डहर का स नाटा, स नाटेकेउ लू
, िगरिगट और प थर काँ
पे
और फर मुतै
द सेअपनी जगह पर जम गयेऔर उसकेबाद फर वह उदास स नाटा, टू
टता हु
आ-सा अके
लापन
और मूछत दोपहर केफू
ल-सा च दर...

नव बर का एक खु
शनु
मा वहान; सोनेकेकाँ
पते
तारेसु
बह क ठ ड हवाओंम उलझेहु
ए थे
। आकाश एक छोटे
ब चेकेनीलम नयन क तरह भोला और व छ लग रहा था। या रयाँशरद केफू
ल से
भर गयी थींऔर एक नयी
ताजगी मौसम और मन म पु
लक उठ थी। च दर अपना पु
र ाना क थई वे
टर और पीले
रं
ग केप मीने
का ल बा कोट
पहनेलॉन पर टहल रहा था। छोटे
-छोटेप लेदब
ू पर कलोल कर रहेथे
। सहसा एक कार आकर क और प मी
उसम से
कूद पड़ और वाँ
र हरणी क तरह दौडक़र च दर केपास पहु

च गयी-''हलो माई वॉय, म आ गयी!''

च दर कु
छ नह ंबोला, ''आओ, ाइं
ग म म बै
ठो!'' उसनेउसी मु
दा-सी आवाज म कहा। उसेप मी केआनेक
कोई स नता नह ंथी। प मी उसकेउदास चे
हरेको दे
खती रह , फर उसकेक धेपर हाथ रखकर बोली, '' य कपू
र,
कु
छ बीमार हो या?''

''नह ंतो, आजकल मु


झेिमलना-जु
लना अ छा नह ंलगता। अके
ला घर भी है
!'' उसने
उसी फ क आवाज म कहा।

'' य , िमस सु
धा कहाँहै
? और डॉ टर शुला!''

''वे
लोग िमस बनती क शाद म गये
ह।''

''अ छा, उसक शाद भी हो गयी, डै


म इट। जै
सेयेलोग पागल हो गयेह, बट , सु
धा, बनती!... य , िमलते
-
जु
लते य नह ंतु
म?''
''य ह , मन नह ंहोता।''

''समझ गयी, जो मु
झेतीन-चार साल पहले
हुआ था, कु
छ िनराशा हु
ई हैतुह!'' प मी बोली।

''नह ं
, ऐसी तो कोई बात नह ं
।''

''कहना मत अपनी जबान से


, वीकार कर ले
नेसेपुष का गव टू
ट जाता है
।...यह तो तुहारेच र म मु
झे
यारा लगता है
। खै
र , यह ठ क हो जाएगा...! म तुह ऐसे
नह ंरहने
दँग
ूी।''

''मसू
र म इतनेदन या करती रह ं
?'' च दर ने
पूछा।

''योग-साधन!'' प मी ने
हँसकर कहा, ''जानते
हो, आजकल मसू
र म बफ पड़ रह है
। मने
कभी बफ केपहाड़ नह ं
दे
खेथे
। अँ
गरे
जी उप यास म बफ पड़नेका ज सु
ना बहु
त था। सोचा, दे
खती आऊँ
। या कपू
र ! तु
म खत य नह ं
िलखते
थे?''

''मन नह ंहोता था। अ छा बट क शाद कब होगी?'' च दर ने


बात टालने
केिलए कहा।

''हो भी गयी। म आ भी नह ंपायी क सु


नतेह जे
नी एक दन बट को पकड़क़र खीं
च लेगयी और पादर से
बोली, 'अभी शाद करा दो।' उसने
शाद करा द । लौटकर जे
नी नेबट का िशकार सू
ट फाड़ डाला और अ छा-सा सू

पहना दया। बड़ेविच ह दोन । एक दन सद केव बट वे
टर उतारकर जे
नी केकमरेम गया तो मारेगुसेके
जे
नी नेिसवा पतलू
न केसारेकपड़ेउतारकर बट को कमरेसे
बाहर िनकाल दया। म तो जब से
आयी हू

, रोज नाटक
दे
खती हू

। हाँ
, दे
खो यह तो म भू
ल ह गयी थी...'' और उसने
अपनी जे
ब से
पीतल क एक छोट -सी मू
ित िनकालकर
मे
ज पर रखी-''एक भो टया औरत इसेबे
च रह थी। मने
इसेमाँ
गा तो वह बोली-यह िसफ मद केिलए है
।' मने
पूछा,
' य ?' तो बोली-'इसे
अगर मद पहन ले
तो उस पर कसी औरत का जाद ू
नह ंचलता। वह औरत या तो मर जाती है
या भाग जाती हैया उसका याह कसी दस
ूरेसे
हो जाता है
।' तो मने
सोचा, तुहारेिलए ले
ती चलू
।ँ
''

च दर ने
देखा वह अवलो कतेर क महायानी मू
ित थी। उसनेहँ
सकर उसेलेिलया फर बोला, ''और या लायी
अपने
िलए?''

''अपने
िलए एक नया रह य लायी हू

।''

'' या?''

''इधर दे
खो, मे
र ओर, म सु
दर लगती हू

?''

च दर ने
देखा। प मी अठारह साल क लड़क -सी लगने
लगी है
। चे
हरेकेकोने
भी जै
सेगोल हो गये
थेऔर मु


पर बहु
त ह भोलापन आ गया था, आँ
ख म वाँ
र ापन आ गया था, चे
हरेपर सोना और के
सर, च पा, हरिसं
गार घु
ल-
िमल गये
थे।

''सचमु
च प मी, लगता हैजै
सेकौमाय लौट आया हैतु
म पर तो! प रय केकं

ज से
अपना बचपन फर चु
र ा लायी
या?''
''नह ंकपू
र , यह तो रह य लायी हू

, हमे
शा सु
दर बने
रहने
का और प रय केकं

ज से
नह ं
, गु
नाह केकं

ज से

मनेहमालय क छाँ
ह म एक नया सं
गीत सु
ना कपू
र , मां
सलता का सं
गीत। मसू
र केसमाज म घु
ल-िमल गयी और
मादक अनु
भिू
तयाँबटोरती रह - बना कसी प ा ाप केऔर मने
देखा क दन - दन िनखरती जा रह हू

। कपू
र , सेस
इतना बु
र ा नह ंजतना म समझती थी। तुहार या राय है
?''

''हाँ
, म दे
ख रहा हू

, सेस लोग को उतना बु
र ा नह ंलगता, जतना म समझता था।''

''नह ंच दर, िसफ इतना ह नह ं


, अ छा मान लो जै
सेतु
म आजकल उदास हो और तुहारा िसर इस तरह अपनी
गोद म रख लू
ँतो कु
छ स तोष नह ंहोगा तुह?'' और प मी नेच दर का िसर सचमु
च अपने ासा दोिलत व से
िचपका िलया। च दर झ लाकर अलग हट गया। कै
सी अजब लड़क है
! थोड़ दे
र चु
प बै
ठा रहा, फर बोला-

'' य प मी, तु
म एक लड़क हो, म तुह ंसे
पूछता हू

- या लड़ कय के म
े म सेस अिनवाय है
?''

''हाँ
।'' प मी ने प वर म जोर दे
कर कहा।

''ले
कन प मी, म तु
मसेनाम तो नह ंबताऊँ
गा ले
कन एक लड़क हैजसको मनेयार कया हैले
कन शायद वह
मु
झसे
शाद नह ंकर पाएगी। मे
रेउसकेकोई शार रक स ब ध भी नह ंह। या तु
म इसेयार नह ंकहोगी?''

''कु
छ दन बाद जब उसक शाद हो जायेतब पू
छना, तुहारा सारा म
े मर जाएगा। पहलेम भी तु
मसेकहती
थी-पुष और नार केस ब ध म एक अ तर ज र है
। अब लगता हैयह सब एक भु
लावा है
।'' अपनेसेप मी ने
कहा।

''ले
कन दस
ूर बात तो सु
नो, उसी क एक सखी है
। वह जानती हैक म उसक सखी को यार करता हू

, उसे
नह ंकर सकता। कह ंसेस क तृ
ि का सवाल नह ंफर भी वह मु
झे यार करती है
। इसे
तुम या कहोगी?'' च दर
ने
पूछा।

''यह और दस
ूरेढं
ग क प र थित है
। दे
खो कपू
र , तु
मनेह नो ट म केबारेम नह ंपढ़ा। ऐसा होता हैक अगर
कोई ह नो ट ट एक लड़क को ह नोटाइज कर रहा हैऔर बगल म एक दस
ूर लड़क बै
ठ हैजो चु
पचाप यह दे

रह हैतो वातावरण के भाव सेअकसर ऐसा दे
खा जाता हैक वह भी ह नोटाइज हो जाती है
, ले
कन वह एक
णक मानिसक मूछा होती हैजो टू
ट जाती है
।'' प मी ने
कहा।

च दर को लगा जै
सेबहु
त कु
छ सु
लझ गया। एक ण म उसकेमन का बहु
त-सा भार उतर गया।

''प मी, मु
झेतुह ंएक लड़क िमली जो साफ बात करती हो और एक शु तक और बु केधरातल से
। बस, म
आजकल बु का उपासक हू

, भगवान से
िचढ़ है
।''

''बु और शर र बस यह दो आदमी केमू


ल त व ह। दय तो दोन केअ त:सं
घष क उलझन का नाम है
।''
प मी ने
कहा और सहसा घड़ दे
खते
हुए बोली, ''नौ बज रहेह, चलो साढ़ेनौ से
मैटनी है
। आओ, दे
ख आएँ
!''

''मु
झेकॉले
ज जाना है
, म जाऊँ
गा नह ंकह ं
!''
''आज इतवार है
, ोफे
सर कपू
र ?'' प मी च दर को उठाकर बोली, ''म तुह उदास नह ंहोने
दँग
ूी, मे
रेमीठेसपने
!
तु
मनेभी मु
झेइस उदासी केइ जाल सेछु
ड़ाया था, याद हैन?'' और च दर केमाथेपर अपने
गरम मु
लायम होठ
रख दये

माथेपर प मी केहोठ क गु
लाबी आग च दर क नस को गु
दगु
दा गयी। वह ण-भर केिलए अपने
को भू

गया...प मी केरे
शमी ॉक केगु
दगु
दातेहु
ए पश, उसकेव क अल य गरमाई और उसके पश केजाद ूम खो
गया। उसकेअं
ग-अं
ग म सु
बह क शबनम ढलकने
लगी। प मी उसकेबाल को अँ
गु
िलय सेसु
लझाती रह । फर कपू

केगाल थपथपाकर बोली, ''चलो!'' कपू
र जाकर बै
ठ गया। ''तु
म ाइव करो।'' प मी बोली। च दर ाइव करने
लगा और
प मी कभी उसकेकॉलर, कभी उसकेबाल, कभी उसकेहोठ से
खेलती रह ।

सात चाँ
द क रानी ने
आ खर अपनी िनगाह केजाद ू
सेस नाटेके त
े को जीत िलया। पश केसु
कु
मार रे
शमी
तार नेनगर क आग को शबनम सेसीं
च दया। ऊबड़-खाबड़ खं
डहर को अं
ग केगु
लाब क पाँ
खुरय सेढँ
क दया
और पीड़ा केअँ
िधयारेको सी पया पलक सेझरनेवाली दिू
धया चाँ
दनी सेधो दया। एक सं
गीत क लय थी जसम
वग दे
वता खो गया, सं
गीत क लय थी या उ ाम यौवन का भरा हु
आ वार था जो च दर को एक मासू
म फू
ल क
तरह बहा लेगया...जहाँपू
जा-द प बु
झ गया था, वहाँत णाई क साँ
स क इ धनु
षी समाँझलिमला उठ थी, जहाँ
फू
ल मु
र झाकर धू
ल म िमल गयेथेवहाँपु
खराजी पश केसु
कु
मार हरिसं
गार झर पड़े
....आकाश केचाँ
द केिलए
जं
दगी केआँ
गन म मचलता हु
आ क है
या, थाली के ित ब ब म ह भू
ल गया...

च दर क शाम प मी केअद य प क छाँ


ह म मुकरा उठ ं
। ठ क चार बजेप मी आती, कार पर च दर को ले
जाती और च दर आठ बजेलौटता। यार के बना कतनेमह नेकट गये
, प मी के बना एक शाम नह ंबीत पाती,
ले
कन अब भी च दर ने
अपने
को इतना दरूरखा था क कभी प मी केहोठ केगु
लाब ने
च दर केहोठ केमू

ँेसे
बात भी नह ंक थीं

एक दन रात को जब वह लौटा तो दे
खा क अपनी कार आ गयी है
। उसका मन फू
ल उठा। जै
सेकोई अनाथ
भटका हु
आ ब चा अपनेसं
र क क गोद केिलए तड़प उठता है
, वै
सेह वह पछलेडे
ढ़ मह नेसेडॉ टर साहब के
िलए तरस गया था। जहाँइस व उसकेजीवन म िसफ नशा और नीरसता थी, वह ं दय केएक कोने
म िसफ एक
सु
कु
मार भावना शे
ष रह गयी थी, वह थी डॉ टर शुला के ित। वह भावना कृ
त ता क भावना नह ंथी, डॉ टर
शुला इतने
दरूनह ंथेक अब वह उनके ित कृ
त हो, इतनेबड़ेहो जानेपर भी वह जब कभी डॉ टर को दे
खता
था तो लगता था जै
सेकोई न हा ब चा अपने
अिभभावक क गोद म आकर िन त हो जाता हो।

उसनेपास आकर दे
खा, डॉ टर साहब बरामदेम टहल रहेथे
। च दर दौडक़र उनकेपाँ
व पर िगर पड़ा। डॉ टर
साहब नेउसे
उठाकर गलेसेलगा िलया और बड़े यार सेउसक पीठ पर हाथ फे
रतेहु
ए बोले
-''क वोके
शन हो गया?
ड ी जीत लाये
?''

''जी हाँ
!'' बड़ वन ता से
च दर ने
कहा।

''बहु
त ठ क, अब ड . िल . क तै
यार करो। तुह ज द ह स ल गवनमट म जाना है
।'' डॉ टर साहब बोले
, ''म
तो पंह जनवर को द ली जा रहा हू

। कम-से
-कम साल भर केिलए?''
''इतनी ज द ; ऑफर कब आया?'' च दर ने
अचरज से
पूछा।

''म उन दन द ली गया था न, तभी एजु


के
शन िमिन टर से
बात हु
ई थी!'' डॉ टर साहब ने
च दर को दे
खते
हुए
कहा, ''अरे
, तु
म कु
छ दब
ुले
हो रहेहो! य महरा जन ने
ठ क से
काम नह ंकया?''

''नह ं
!'' च दर हँ
सकर बोला, '' बनती क शाद ठ क-ठाक हो गयी?''

'' बनती क शाद !'' डॉ टर साहब नेिसर झु


कायेहु
ए, टहलतेहु
ए एक बड़ फ क हँ
सी हँ
सकर कहा, '' बनती और
तुहार बु
आजी दोन अ दर ह।''

''अ दर ह!'' च दर को यह रह य कु
छ समझ म ह नह ंआता था। ''इतनी ज द बनती लौट आयी?''

'' बनती गयी ह कहाँ


?'' डॉ टर साहब ने
बहु
त चु
पचाप िसर झु
का कर कहा और बहु
त क ण उदासी उनकेमु

ँ पर
छा गयी। वह बे
चै
नी से
बरामदेम टहलने
लगे
। च दर का साहस नह ंहु
आ कु
छ पू
छने
का। कु
छ अमं
गल अव य हु

है

वह अ दर गया। बु
आजी अपनी कोठर म सामान रख रह थींऔर बनती बै
ठ िसल पर उरद क भीगी दाल
पीस रह थी! बनती ने
च दर को दे
खा, दाल म सने
हुए हाथ जोड़कर णाम कया, िसर को आँ
चल से
ढँककर चु
पचाप
दाल पीसने
लगी, कु
छ बोली नह ं
। च दर ने णाम कया और जाकर बु र छूिलये
आ केपै ।

''अरेच दर है
, आओ बे
टवा, हम तो लु
ट गये
!'' और बु
आ वह ंदे
हर पर िसर थामकर बै
ठ गयीं

'' या हु
आ, बु
आजी?''

''होता का भइया! जौन बदा रहा भाग म ओ ह भवा।'' और बु


आ अपनी धोती सेआँ
सूप छकर बोलीं
, '' हमर
छाती पर मू

ँ दरैकेिलए बद रह तौन जमी है
। भगवान कौन को ऐसी कलं
कनी ब टया न दे
। तीन भाँ
वर केबाद
बारात उठ गयी, भइया! हमारा तो कु
ल डू
ब गया।'' और बु
आजी नेउ च वर म दन शु कया। बनती नेचु
पचाप
हाथ धोये
और उठकर छत पर चली गयी।

''चु
प रहो हो। अब रोय-रोय केकाहेजउ ह कान करत हउ। गु
नव ती ब टया बाय, ह जारन आय के ब टया के
िलए गोड़ेिग रह। अपना एका त होई केबै
ठो!'' महरा जन ने
पूड़ उतारते
हुए कहा।

''आ खर बात या हु
ई, महरा जन?'' च दर ने
पूछा।

महरा जन नेजो बताया उससेपता लगा क लड़केवालेबहु


त ह सं
क णमना और वाथ थे
। पहलेमालू
म हु

क लड़काउ ह ने े
जु
एट बताया था। वह था इं
टर फे
ल। फर दरवाजेपर झगड़ा कया उ ह ने
। डॉ टर साहब बहु

बगड़ गये
, अ त म मड़वे
म लोग नेदे
खा क लड़केकेबाय हाथ क अँ
गु
िलयाँगायब ह। डॉ टर साहब इस बात पर
बगड़ेऔर उ ह नेमड़वेसेबनती को उठवा दया। फर बहु
त लड़ाई हु
ई। लाठ तक चलने
क नौबत आ गयी। जै
स-े
तै
सेझगड़ा िनपटा। तीन भाँ
वर केबाद याह टू
ट गया।

''अब बताओ, भइया!'' सहसा बु


आ आँ
सूप छकर गरज उठ ं
-''ई इ ह का हु
इ गवा रहा, इनक मित मार गयी।
गुसेम आय के बनती को उठवाय िल हन। अब हम ए ी बड़ ब टया लैकेकहाँजा ? अब हमर बरादर म कौन
पू
छ एका? ए ा पढ़-िलख केइ ह का सू
झा? अरेलड़क वाले
हमे
शा दब केचलै
चाह ं
।''

''अरेतो या आँ
ख ब द कर ले
त?
े लँ
गड़े
-लू
लेलड़केसेकै
से याह कर दे
त,ेबु
आ! तु
म भी गजब करती हो!''
च दर बोला।

''भइया, जे
केभाग म लँ
गड़ा-लू
ला बदा होई ओका ओह िमली। लड़ कयन को िनबाह करैचाह क सकल दे
खै
चाह । अब हन याह केबाद कौन केहाथ-गोड़ टू
ट जायेतो औरत अपनेआदमी को छोड़ केगली-गली क हाँ

चाटै
? हम रहेतो जब बनती तीन बरस क हु
ई गयी, तब उनक सकल उजे
लेम दे
खा रहा। जै
सा भाग म रहा तै
सा
होता!''

च दर नेविच दय-ह न तक को सु
ना और आ य से
बुआ क ओर दे
खने
लगा।....बु
आजी बकती जा रह थीं
-

''अब कहतेह क बनती को पढ़उबै


! याह न करबै
! रह -सह इ जत भी बे
च रहेह। हमार तो क मत फू

गयी...'' और वेफर रोने
लगीं
, ''पै
दा होते
काहेनह ंमर गयी कु
लबोरनी...कु
ल छनी...अभािगन!''

सहसा बनती छत सेउतर और आँ


गन म आकर खड़ हो गयी, उसक आँ
ख म आग भर थी-''बस करो,
माँ
जी!'' वह चीखकर बोली, ''बहु
त सु
न िलया मने
। अब और बदा त नह ंहोता। तुहारेकोसने
सेअब तक नह ंमर , न
म ँ
गी। अब म सु
नग

ूी नह ं
, म साफ कह दे
ती हू

। तुह मे
र श ल अ छ नह ंलगती तो जाओ तीरथ-या ा म अपना
परलोक सु
धारो! भगवान का भजन करो। समझी क नह ं
!''

च दर ने
ता जु
ब सेबनती क ओर दे
खा। वह वह बनती हैजो माँ
जी क जरा-जरा-सी बात से
िलपटकर रोया
करती थी। बनती का चे
हरा तमतमाया हु
आ था और गुसेसेबदन काँ
प रहा था। बु
आ उछलकर खड़ हो गयींऔर
दग
ुुनी चीखकर बोलीं
, ''अब बहु
त जबान चलैलगी है
। कौन हैतोर जेकेबल पर ई चमक दखावत है
? हम काट के
धर दे
ब,ैतोकेबताय दे
इत हई। मु

ँझ सी! ऐसी न होती तो काहेई दन दे
खैपड़त। उ ह तो खाय गयी, हमहू
ँका खाय
ले
व!'' अपना मु

ँ पीटकर बु
आ बोलीं

''तु
म इतनी मीठ नह ंहो माँ
जी क तुह खा लू
!ँ
'' बनती ने
और तड़पकर जवाब दया।

च दर त ध हो गया। यह बनती पागल हो गयी है


। अपनी माँको या कह रह है
!

''िछह, बनती! पागल हो गयी हो या? चलो उधर!'' च दर ने


डाँ
टकर कहा।

''चु
प रहो, च दर! हम भी आदमी ह, हमनेजतना बदा त कया है
, हमींजानतेह। हम य बदा त कर! और
तु
मसे या मतलब? तु
म कौन होते
हो हमारेबीच म बोलने
वाले
?''

'' या हैयह सब? तु


म लोग सब पागल हो गयेहो या? बनती, यह या हो रहा है
?'' सहसा डॉ टर साहब ने
आकर कहा।

बनती दौडक़र डॉ टर साहब से


िलपट गयी और रोकर बोली, ''मामाजी, मु
झेद द केपास भे
ज द जए! म यहाँ
नह ंरहू

गी।''

''अ छा बे
ट ! अ छा! जाओ च दर!'' डॉ टर साहब नेकहा। बनती चली गयी तो बु
आ जी सेबोले
, ''तुहारा
दमाग खराब हो गया है
। उस पर गुसा उतारनेसे या फायदा? हमारेसामनेयेसब बात करोगी तो ठ क नह ं
होगा।''

''अरेहम काहेबोलबै
! हम तो मर जा तो अ छा है
...'' बु
आजी पर जै
सेदे
वी माँआ गयी ह इस तरह सेझू
म-
झू
मकर रो रह थीं
...''हम तो वृ
दावन जाय केडू
ब मर ं
! अब हम तु
म लोगन क सकल न दे
खबै
। हम मर जा तो
चाहेबनती को पढ़ायो चाहेनचायो-गवायो। हम अपनी आँ
ख से
न दे
खबै
।''

उस रात को कसी नेखाना नह ंखाया। एक विच -सा वषाद सारेघर पर छाया हु


आ था। जाड़ेक रात का
गहन अँ
धे
र ा खामोश छाया हु
आ था, महज एक अमं
गल छाया क तरह कभी-कभी बु
आजी का दन अँ
धे
रेको झकझोर
जाता था।

सभी चु
पचाप भू
खेसो गये
...

दस
ूरेदन बनती उठ और महरा जन केआने
केपहले
ह उसने
चूहा जलाकर चाय चढ़ा द । थोड़ दे
र म चाय
बनाकर और टो ट भू
नकर वह डॉ टर साहब केसामने
रख आयी। डॉ टर साहब कल क बात से
बहु
त ह यिथत थे

रात को भी उ ह ने
खाना नह ंखाया था, इस व भी उ ह ने
मना कर दया। बनती च दर केकमरेम गयी, ''च दर,
मामाजी ने
कल रात को भी कु
छ नह ंखाया, तु
मने
भी नह ंखाया, चलो चाय पी लो!''

च दर नेभी मना कया तो बनती बोली, ''तु


म पी लोगेतो मामाजी भी शायद पी ल।'' च दर चु
पचाप गया।
बनती थोड़ दे
र म गयी तो दे
खा दोन चाय पी रहेह। वह आकर मे
वा िनकालने
लगी।

चाय पीते
-पीतेडॉ टर साहब नेकहा, ''च दर, यह पास-बु
क लो। पाँ
च सौ िनकाल लो और दो हजार का हसाब
अलग करवा दो।...अ छा दे
खो, म तो चला जाऊँ
गा द ली, बनती को शाहजहाँ
परु भे
जना ठ क नह ंहै
। वहाँचार
र ते
दार ह, बीस तरह क बात ह गी। ले
कन म चाहता हू
ँअब आगेजब तक यह चाहे
, पढ़े
! अगर कहो तो यहाँछोड़
जाऊँ
, तु
म पढ़ाते
रहना!''

बनती आ गयी और त तर म भु
ना मे
वा रखकर उसम नमक िमला रह थी। च दर ने
एक लाइस उठायी और
उस पर नमक लगातेहु
ए बोला, ''वै
सेआप यहाँछोड़ जाएँतो कोई बात नह ंहै
, ले
कन अके
लेघर म अ छा नह ं
लगता। दो-एक रोज क बात दस
ूर होती है
। एकदम से
साल-भर केिलए...आप समझ ल।''

''हाँबे
टा, कहते
तो तु
म ठ क हो! अ छा, कॉले
ज केहो टल म अगर रख दया जाए!'' डॉ टर साहब ने
पूछा।

''म लड़ कय को हो टल म रखना ठ क नह ंसमझता हू



।'' च दर बोला, ''घर केवातावरण और वहाँकेवातावरण
म बहु
त अ तर होता है
।''

''हाँ
, यह भी ठ क है
। अ छा तो इस साल म इसेद ली िलयेजा रहा ह। अगले
साल दे
खा जाएगा...च दर, इस
मह ने
-भर म मे
र ा सारा व ास हल गया। सु
धा का ववाह कतनी अ छ जगह कया गया, मगर सु
धा पीली पड़ गयी
है
। कतना द:ु
ख हु
आ दे
खकर! और बनती केसाथ यह हु
आ! सचमु
च यह जाित, ववाह सभी पर पराएँबहु
त ह बु

ह। बु
र तरह सड़ गयी ह। उ ह तो काट फकना चा हए। मे
र ा तो वै
सेइस अनु
भव केबाद सारा आदश ह बदल गया।''

च दर बहु
त अचरज सेडॉ टर साहब क ओर दे
खनेलगा। यह जगह थी, इसी तरह बै
ठकर डॉ टर साहब ने
जाित- बरादर , ववाह आ द सामा जक पर पराओंक कतनी शं
सा क थी! जं
दगी क लहर नेहर एक को दस
मह नेम कहाँसेकहाँलाकर पटक दया है
। डॉ टर साहब कहतेगये
...''हम लोग जं
दगी सेदरूरहकर सोचतेह क
हमार सामा जक संथाएँ वग ह, यह तो जब उनम धँ
सो तब उनक गं
दगी मालू
म होती है
। च दर, तु
म कोई गै

जात का अ छा-सा लड़काढू

ढ़ो। म बनती क शाद दस
ूर बरादर म कर दँ

ूा।''

बनती, जो और चाय ला रह थी, फौरन बड़े ढ़ वर म बोली, ''मामाजी, आप जहर देद जए ले


कन म शाद
नह ंक ँ
गी। या आपको मे
र ढ़ता पर व ास नह ं
?''

'' य नह ं
, बे
ट ! अ छा, जब तक ते
र इ छा हो, पढ़!''

दस
ूरेदन डॉ टर साहब ने
बुआजी को बु
लाया और पये
देदये

''लो, यह पाँ
च सौ पहले
खच केह और दो हजार म से
तुह धीरे
-धीरेिमलता रहे
गा।''

दो-तीन दन केअ दर बु
आ ने
जाने
क सार तै
यार कर ली, ले
कन तीन दन तक बराबर रोती रह ं
। उनकेआँ
सू
थमे
नह ं
। बनती चु
प थी। वह भी कु
छ नह ंबोली, चौथेदन जब वह सामान मोटर पर रखवा चु
क ंतो उ ह ने
च दर
सेबनती को बु
लवाया। बनती आयी तो उ ह ने
उसे
गले
सेलगा िलया-और बे
हद रोयीं
। ले
कन डॉ टर साहब को दे
खते
ह फर बोल उठ ं
-''हमर लड़क का दमाग तु
म ह बगाड़ेहो। दिु
नया म भाइयौ अपना नै
होत। अपनी लड़क को बया
दयौ! हमर लड़क ...'' फर बनती को िचपटाकर रोने
लगीं

च दर चु
पचाप खड़ा सोच रहा था, अभी तक बनती खराब थी। अब डॉ टर साहब खराब हो गये
। बु
आ ने पये
सँ
भालकर रख िलये
और मोटर पर बै
ठ गयीं
। सम त लां
छन केबावजू
द डॉ टर साहब उ ह पहु

चाने टे
शन तक गये

बनती बहु
त ह चु
प-सी हो गयी थी। वह कसी से
कुछ नह ंबोलती और चु
पचाप काम कया करती थी। जब काम
सेफु
रसत पा ले
ती तो सु
धा केकमरेम जाकर ले
ट जाती और जाने या सोचा करती। च दर को बड़ा ता जु
ब होता
था बनती को दे
खकर। जब बनती खु
श थी, बोलती-चालती थी तो च दर बनती सेिचढ़ गया था, ले
कन बनती के
जीवन का यह नया प दे
खकर पहलेक सभी बात भू
ल गया। और उससेफर बात करनेक कोिशश करनेलगा।
ले
कन बनती यादा बोलती ह नह ं

एक दन दोपहर को च दर यू
िनविसट सेलौटकर आया और उसनेरे
डयो खोल दया। बनती एक त तर म
अम द काटकर ले
आयी और रखकर जानेलगी। ''सु
नो बनती, या तु
मनेमु
झेमाफ नह ंकया? म कतना यिथत
हू

, बनती! अगर तु
मको भू
ल सेकु
छ कह दया तो तु
म उसका इतना बु
र ा मान गयींक दो-तीन मह नेबाद भी नह ं
भू
लीं
!''

''नह ं
, बु
र ा माननेक या बात है
, च दर!'' बनती एक फ क हँ
सी-हँ
सकर बोली, ''आ खर नार का भी एक
वािभमान है
, मु
झेमाँबचपन सेकु
चलती रह , मनेतुह द द सेबढक़र माना। तु
म भी ठोकर लगानेसेबाज नह ं
आये
, फर भी म सब सहती गयी। उस दन जब मं
डप केनीचेमामाजी ने
जबरद ती हाथ पकड़कर खड़ा कर दया तो
मु
झेउसी ण लगा क मु
झम भी कु
छ स व है
, म इसीिलए नह ंबनी हू
ँक दिु
नया मु
झेकु
चलती ह रहे
। अब म
वरोध करना, व ोह करना भी सीख गयी हू

। जं
दगी म ने
ह क जगह है
, ले
कन वािभमान भी कोई चीज है
। और
तुह अपनी जं
दगी म कसी क ज रत भी तो नह ंहै
!'' कहकर बनती धीरे
-धीरेचली गयी।

अपमान से
च दर का चे
हरा काला पड़ गया। उसनेरे
डयो ब द कर दया और त तर उठाकर नीचेरख द और
बना कपड़ेबदले
प मी केयहाँचल दया।

मनु
य का एक वभाव होता है
। जब वह दस
ूरेपर दया करता हैतो वह चाहता हैक याचक पू
र तरह वन
होकर उसे वीकार करे
। अगर याचक दान ले
नेम कह ंभी वािभमान दखलाता हैतो आदमी अपनी दानवृ और
दयाभाव भू
लकर नृ
शस
ंता सेउसके वािभमान को कु
चलने
म य त हो जाता है
। आज ह त केबाद च दर केमन म
बनती केिलए कु
छ ने
ह, कु
छ दया जागी थी, बनती को उदास मौन दे
खकर; ले
कन बनती केइस वािभमान-भरे
उ र नेफर उसकेमन का सोया हु
आ साँ
प जगा दया था। वह इस वािभमान को तोड़कर रहे
गा, उसने
सोचा।

प मी केयहाँपहु

चा तो अभी धू
प थी। जे
नी कह ंगयी थी, बट अपनेतोतेको कु
छ खला रहा था। कपू
र को
दे
खतेह हँ
सकर अिभवादन कया और बोला, ''प मी अ दर है
!'' वह सीधा अ दर चला गया। प मी अपनेशयन-क
म बै
ठ हु
ई थी। कमरेम ल बी-ल बी खड़ कयाँथींजनम लकड़ केचौखट म रं
ग- बरं
गेशीशे
लगेहु
ए थे
। खड़ कयाँ
ब द थींऔर सू
रज क करण इन शीश पर पड़ रह थींऔर प मी पर सात रं
ग क छायाएँ
खेल रह थीं
। वह झु

हु
ई सोफेपर अधले
ट कोई कताब पढ़ रह थी। च दर नेपीछेसेजाकर उसक आँ
ख ब द कर लींऔर बगल म बै

गया।

''कपू
र !'' अपनी सु
कु
मार अँ
गु
िलय सेच दर केहाथ को आँ
ख पर सेहटातेहु
ए प मी बोली और पलक म बे
हद
नशा भरकर सोनजु
ह क मुकान बखे
र कर च दर को दे
खनेलगी। च दर नेदे
खा, वह ाउिनं
ग क क वता पढ़ रह
थी। वह पास बै
ठ गया।

प मी नेउसेअपनेव पर खीं
च िलया और उसकेबाल सेखे
लनेलगी। च दर थोड़ दे
र चु
प ले
टा रहा, फर
प मी केगु
लाबी होठ पर अँ
गु
िलयाँरखकर बोला, ''प मी, तुहारेव पर िसर रखकर म जाने य सबकु
छ भू
ल जाता
हू

? प मी, दिु
नया वासना सेइतना घबराती य है
? म ईमानदार सेकहता हू
ँक अगर कसी को वासनाह न यार
करके
, कसी केिलए याग करकेमु
झेजतनी शा त िमलती है
, पता नह ं य मां
सलता म भी उतनी ह शा त
िमलती है
। ऐसा लगता है क शर र के वकार अगर आ या मक म
े म जाकर शा त हो जातेह तो लगता है
आ या मक म
े म यासे
रह जानेवाले
अभाव फर कसी केमां
सल-ब धन म ह आकर बु
झ पाते
ह। कतना सु
ख है
तुहार ममता म!''

''शी!'' च दर केहोठ को अपनी अँ


गु
िलय सेदबाती हु
ई प मी बोली, ''चरम शा त के ण को अनु
भव कया
करो। बोलते य हो?''

च दर चु
प हो गया। चु
पचाप ले
ट रहा।
प मी क के
सर ास उसकेमाथेको रह-रहकर चू
म रह थींऔर च दर केगाल को प मी केव म धड़कता
हु
आ सं
गीत गु
दगु
दा रहा था। च दर का एक हाथ प मी केगले
म पड़ इमीटे
शन ह रेक माला से
खेलने
लगा। सारस
केपं
ख से
भी यादा मु
लायम सु
कु छू
मार गरदन से टनेपर अँ
गु
िलयाँलाजव ती क प य क तरह सकु
चा जाती थीं

माला खोल ली और उसेउतारकर अपनेहाथ म लेिलया। प मी ने
माला ले
नेकेिलए हाथ बढ़ाया ह था क गलेके
बटन टच-सेटू
ट गये
...बफानी चाँ
दनी उफनकर छलक पड़ । च दर को लगा उसकेगाल केनीचेबजिलय केफू

िसहर उठेह और एक मदमाता नशा टू
टतेहु
ए िसतार क तरह उसकेशर र को चीरता हु
आ िनकल गया। वह काँ

उठा, सचमु
च काँ
प उठा। नशे
म चू
र वह उठकर बै
ठ गया और उसने
प मी को अपनी गोद म डाल िलया। प मी अनं

केधनु
ष क यं
चा क तरह दोहर होकर उसक गोद म पड़ रह । त णाई का चाँ
द टू
टकर दो टु
कड़ेहो गया था और
वासना केतू
फान ने
झीनेबादल भी हटा दयेथे
। जहर ली चाँ
दनी नेनािगन बनकर च दर को लपे
ट िलया। च दर ने
पागल होकर प मी को अपनी बाँ
ह म कस िलया, इतनी यास से
लगा क प मी का द पिशखा-सा तन च दर केतन
म समा जाएगा। प मी िन े आँ
ख ब द कयेथी ले
कन उसकेगाल पर जाने या खल उठा था! च दर केगलेम
उसनेमृ
णाल-सी बाँ
ह डाल द थीं
। च दर नेप मी के होठ को जै
सेअपनेह ठ म समे
ट ले
ना चाहा...इतनी
आग...इतनी आग...नशा...

''ठाँ
य!'' सहसा बाहर ब दक
ू क आवाज हु
ई। च दर च क उठा। उसने
अपनेबाहु
पाश ढ ले
कर दये
। ले
कन प मी
उसकेगलेम बाँ
ह डालेबे
होश पड़ थी। च दर ने ण-भर प मी केभरपू
र प यौवन को आँ
ख सेपी ले
ना चाहा।
प मी नेअपनी बाँ
ह हटा लींऔर नशेम मखमू
र -सी च दर क गोद सेएक ओर लु
ढ़क गयी। उसे
अपनेतन-बदन का
होश नह ंथा। च दर ने
उसकेव ठ क कये
और फर झु
ककर उसक नशे
म चू
र पलक चू
म लीं

''ठाँ
य!'' ब दक
ू क दस
ूर आवाज हु
ई। च दर घबराकर उठा।

''यह या है
, प मी?''

''होगा कु
छ, जाओ मत।'' अलसायी हु
ई नशीली आवाज म प मी ने
कहा और उसेफर खीं
चकर बठा िलया। और
फर बाँ
ह म उसे
समे
टकर उसका माथा चू
म िलया।

''ठाँ
य!'' फर तीसर आवाज हु
ई।

च दर उठ खड़ा हु
आ और ज द से
बाहर दौड़ गया। दे
खा बट क ब दक
ू बरामदेम पड़ है
, और वह पं
जड़ेके
पास मरेहु
ए तोते
का पं
ख पकडक़र उठाये
हुए है
। उसकेघाव से
बट केपतलू
न पर खू
न चूरहा था। च दर को दे
खते
ह बट हँ
स पड़ा, ''दे
खा! तीन गोली म इसेब कु
ल मार डाला, वह तो कहो िसफ एक ह लगी वरना...'' और पं

पकड़कर तोते
क लाश को झु
लाने
लगा।

''िछह! फको उसे


; ह यारेकह ंके
! मार य डाला उसे
?'' च दर ने
कहा।

''तु
मसेमतलब! तु
म कौन होते
हो पू
छनेवाले
? म यार करता था उसे
, मनेमार डाला!'' बट बोला और आ ह ते
सेउसेएक प थर पर रख दया। माल िनकालकर फाड़ डाला। आधा माल उसकेनीचेबछा दया और आधेसे
उसका खू
न प छनेलगा। फर च दर केपास आया। च दर केक धेपर हाथ रखकर बोला, ''कपू
र ! तु
म मे
रेदो त हो
न! जरा माल देदो।'' और च दर का माल ले
कर तोतेकेपास खड़ा हो गया। बड़ हसरत सेउसक ओर दे
खता
रहा। फर झु
ककर उसेचू
म िलया और उस पर माल ओढ़ा दया। और बड़ेमातम क मुा म उसी केपास िसर
झु
काकर बै
ठ गया।

''बट , बट , पागल हो गये या?'' च दर नेउसका क धा पकड़ाकर हलातेहु


ए कहा, ''यह या नाटक हो रहा
है
?''

बट ने
आँख खोलींऔर च दर को भी हाथ पकडक़र वह ंबठा िलया और बोला, ''दे
खो कपू
र , एक दन तु
म आये
थेतो मने
तोता और जे
नी दोन को दखाकर कहा था क जे
नी से
म नफरत करता हू

, उससे
शाद कर लू

ँा और तोते
से
म यार करता हू

, इसे
मार डालू

ँा। कहा था क नह ं
? कहो हाँ
।''

''हाँ
, कहा था।'' च दर बोला, ''ले
कन य कहा था?''

''हाँ
, अब पू
छा तु
मने
! तु
म पू
छोगे'मने य मार डाला' तो म कहू

गा क इसेअब मर जाना चा हए था, इसिलए
इसे
मार डाला। तु
म पू
छोगे
, 'इसे य मर जाना चा हए?' तो म कहू

गा, 'जब कोई जीवन क पू
णता पर पहु

चा जाता है
तो उसे
मर जाना चा हए। अगर वह अपनी जं
दगी का ल य पू
र ा कर चु
का हैऔर नह ंमरता तो यह उसका अ याय
है
। वह अपनी जं
दगी का ल य पू
र ा कर चु
का था, फर भी नह ंमरता था। म इसेयार करता था ले
कन यह अ याय
नह ंसह सकता था, अत: मने
इसे
मार डाला!''

''अ छा, तो तुहारेतोते


क भी जं
दगी का कोई ल य था?''

''हरे
क क जदगी का ल य होता है
। और वह ल य होता हैस य को, चरम स य को जान जाना। वह स य जान
ले
नेकेबाद आदमी अगर ज दा रहता है
, तो उसक यह असीम बे
हयाई है
। मने
इसेवह स य िसखा दया। फर भी
यह नह ंमरा तो मनेमार डाला। फर तु
म पू
छोगेक वह चरम स य या है
? वह स य हैक मौत आदमी केशर र
क ह या करती है
। और आदमी क ह या गला घ ट दे
ती है
। मसलन तु
म अगर कसी औरत केपास जा रहेहो या
कसी औरत केपास से
आ रहेहो। और स भव हैउसने
तुहार आ मा क ह या कर डाली हो...''

''ऊँ
ह! अब तु
म ज द ह पू
रेपागल हो जाओगे
?'' च दर ने
कहा और फर वह प मी केपास लौट गया। प मी
उसी तरह मदहोश ले
ट थी। उसने
जातेह फर बाँ
ह फै
लाकर च दर को समे
ट िलया और च दर उसकेव क रे
शमी
गरमाई म डू
ब गया।

जब वह लौटा तो बट हाथ म खु
र पा िलयेएक ग ढï ब द कर रहा था। ''सु
नो, कपू
र ! यहाँमै
नेउसेगाड़ दया।
यह उसक समािध है
। और दे
खो, आते
-आते
यहाँिसर झु
का दे
ना। वह बे
चारा जीवन का स य जान चु
का है
। समझ लो
वह सट पै
र ट (स त शु
कदे
व) हो गया है
!''

''अ छा, अ छा!'' च दर िसर झु


काकर हँ
सते
हुए आगेबढ़ा।

''सु
नो, को कपू
र !'' फर बट नेपु
कारा और पास आकर च दर केक धेपर हाथ रखकर बोला, ''कपू
र , तु

मानते
हो क नह ंक पहले
म एक असाधारण आदमी था।''
''अब भी हो।'' च दर हँ
सते
हुए बोला।

''नह ं
, अब म असाधारण नह ंहू

, कपू
र ! दे
खो, तुह आज रह य बताऊँ
। वह आदमी असाधारण होता हैजो कसी
प र थित म कसी भी त य को वीकार नह ंकरता, उनका िनषे
ध करता चलता है
। जब वह कसी को भी वीकार
कर ले
ता है
, तब वह परा जत हो जाता है
। म तो कहू

गा असाधारण आदमी बननेकेिलए स य को भी वीकार नह ं
करना चा हए।''

'' या मतलब, बट ! तु
म तो दशन क भाषा म बोल रहेहो। म अथशा का व ाथ हू

, भाई!'' च दर ने
कौतू
हल
से
कहा।

''दे
खो, अब मनेववाह वीकार कर िलया। जे
नी को वीकार कर िलया। चाहेयह जीवन का स य ह य न हो
पर मह ा तो िनषे
ध म होती है
। सबसेबड़ा आदमी वह होता हैजो अपना िनषे
ध कर दे
...ले
कन म अब साधारण
आदमी हू

। स ती क म का अदना य । मु
झेकतना दख
ु हैआज। मे
र ा तोता भी मर गया और मे
र असाधारणता
भी।'' और बट फर तोते
क क केपास िसर झु
काकर बै
ठ गया।

वह घर पहु

चा तो उसकेपाँ
व जमीन पर नह ंपड़ रहेथे
। उसने
उफनी हु
ई चाँ
दनी चू
मी थी, उसने
त णाई केचाँ

को पश से
िसहरा दया था, उसनेनीली बजिलयाँचू
मी थीं
। ाण क िसहरन और गु
दगु
द सेखे
लकर वह आ रहा
था, वह प मी केहोठ केगु
लाब को चू
म-चू
मकर गु
लाब केदे
श म पहु

च गया था और उसक नस म बहते
हुए रस
म गु
लाब झू
म उठेथे
। वह िसर सेपै
र तक एक मदहोश यास बना हु
आ था। घर पहु

चा तो जै
सा उ लास सेउसका
अं
ग-अं
ग नाच रहा हो। बनती के ित दोपहर को जो आ ोश उसकेमन म उभर आया था, वह भी शा त हो गया था।

बनती ने
आकर खाना रखा। च दर ने
बहु
त हँ
सते
हुए, बड़ेमीठे वर म कहा, '' बनती, आज तु
म भी खाओ।''

''नह ं
, म नीचेखाऊँ
गी।''

''अरेचल बै
ठ, िगलहर !'' च दर नेबहु
त दन पहलेके ने
ह के वर म कहा और बनती केपीठ म एक घू

ँा
मारकर उसे
पास बठा िलया-''आज तुह नाराज नह ंरहने
दगे
। ले
खा, पगली!''

नफरत सेनफरत बढ़ती है


, यार से यार जागता है
। बनती केमन का सारा ने
ह सू
ख-सा गया था। वह
िचड़िचड़ , वािभमानी, ग भीर और खी हो गयी थी ले
कन औरत बहु
त कमजोर होती है
। ई र न करे
, कोई उसके
दय क ममता को छूले
। वह सबकु
छ बदा त कर ले
ती हैले
कन अगर कोई कसी तरह उसकेमन केरस को जगा
दे
, तो वह फर अपना सब अिभमान भू
ल जाती है
। च दर ने
, जब वह यहाँआयी थी, तभी सेउसके दय क ममता
जीत ली थी। इसिलए च दर केसामनेसदा झु
कती आयी ले
कन पछली बार सेच दर नेठोकर मारकर सारा ने

बखे
र दया था। उसकेबाद उसके य व का रस सू
खता ह गया। ोध जै
सेउसक भ ह पर रखा रहता था।

आज च दर नेउसको इतनेदल
ुार सेबु
लाया तो लगा वह जानेकतनेदन का भू
ला वर सु
न रह है
। चाहे
च दर के ित उसकेमन म कु
छ भी आ ोश य न हो, ले
कन वह इस वर का आ ह नह ंटाल सकती, यह वह
भली कार जानती थी। वह बै
ठ गयी। च दर नेएक कौर बनाकर बनती केमु

ँ म देदया। बनती नेखा िलया।
च दर नेबनती क बाँ
ह म चु
टक काट कर कहा-''अब दमाग ठ क हो गया पगली का! इतनेदन से
अकड़ फरती
थी!''

''हू

!'' बनती नेबहु
त दन केभू
लेहु
ए ने
ह के वर म कहा, ''खु
द ह तो अपना दमाग बगाड़ेरहतेह और हम
इ जाम लगाते
ह। तरकार ठ ड तो नह ंहै
?''

दोन म सु
लह हो गयी...जाड़ा अब काफ बढ़ गया था। खाना खा चु
कनेकेबाद बनती शाल ओढ़ेच दर केपास
आयी और बोली, ''लो, इलायची खाओगे
?'' च दर नेले
ली। छ लकर आधेदानेखु
द खा िलये
, आधेबनती केमु

ँम
देदये
। बनती ने
धीरेसेच दर क अँ
गु
ली दाँ
त से
दबा द । च दर ने
हाथ खीं
च िलया। बनती उसी केपलँ
ग पर पास
ह बै
ठ गयी और बोली, ''याद हैतुह? इसी पलँ
ग पर तुहारा िसर दबा रह थी तो तु
मने
शीशी फक द थी।''

''हाँ
, याद है
! अब कहो तुह उठाकर फक दँ
।ू
'' च दर आज बहु
त खु
श था।

''मु
झे या फकोगे
!'' बनती ने
शरारत से
मुह
ँ बनाकर कहा, ''म तु
मसे
उठू

गी ह नह ं
!''

जब अं
ग का तू
फान एक बार उठना सीख ले
ता हैतो दस
ूर बार उठतेहु
ए उसेदे
र नह ंलगती। अभी वह अपने
तू
फान म प मी को पीसकर आया था। िसरहानेबै
ठ हु
ई बनती, ह का बादामी शाल ओढ़े
, रह-रहकर मुकराती और
गाल पर फू
ल केकटोरेखल जाते
, आँ
ख म एक नयी चमक। च दर थोड़ दे
र दे
खता रहा, उसकेबाद उसनेबनती
को खीं
चकर कु
छ हचकतेहु
ए बनती केमाथेपर अपनेहोठ रख दये
। बनती कु
छ नह ंबोली। चु
पचाप अपनेको
छु
ड़ाकर िसर झु
कायेबै
ठ रह और च दर केहाथ को अपनेहाथ म ले
कर उसक अँ
गु
िलयाँिचटकाती रह । सहसा
बोली, ''अरे
, तुहारेकफ का बटन टू
ट गया है
, लाओ िसल दँ
।ू
''

च दर को पहलेकु
छ आ य हु
आ, फर कु
छ लािन। बनती कतना समपण करती है
, उसकेसामनेवह...ले
कन
उसनेअ छा नह ंकया। प मी क बात दस
ूर है
, बनती क बात दस
ूर । बनती केसाथ एक प व अ तर ह ठ क
रहता-

बनती आयी और उसकेकफ म बटन सीनेलगी...सीते


-सीतेबचेहु
ए डोरेको दाँ
त सेतोड़ती हु
ई बोली, ''च दर,
एक बात कह मानोगे
?''

'' या?''

''प मी केयहाँमत जाया करो।''

'' य ?''

''प मी अ छ औरत नह ंहै


। वह तुह यार नह ंकरती, तुह बगाड़ती है
।''

''यह बात गलत है


, बनती! तु
म इसीिलए कह रह हो न क उसम वासना बहु
त तीखी है
!''

''नह ं
, यह नह ं
। उसनेतुहार जं
दगी म िसफ एक नशा, एक वासना द , कोई ऊँ
चाई, कोई प व ता नह ं
। कहाँ
द द , कहाँप मी? कस वग से
उतरकर तु
म कस नरक म फँ
स गये
!''
''पहलेम भी यह सोचता था बनती, ले
कन बाद म मनेसोचा क माना कसी लड़क केजीवन म वासना ह
तीखी है
, तो या इसी सेवह िन दनीय है
? या वासना वत: म िन दनीय है
? गलत! यह तो वभाव और य व
का अ तर है
, बनती! हरे
क सेहम क पना नह ंमाँ
ग सकते
, हरे
क से
वासना नह ंपा सकते
। बादल है
, उस पर करण
पड़े
गी, इ धनु
ष ह खले
गा, फू
ल है
, उस पर करण पड़े
गी, तब सु
म ह आएगा। बादल सेहम माँ
गनेलग तब सु

और फू
ल सेमाँ
गने
लग इ धनु
ष, तो यह तो हमार एक क व वमयी भू
ल होगी। माना एक लड़क केजीवन म यार
आया, उसने
अपनेदे
वता केचरण पर अपनी क पना चढ़ा द । दस
ूर केजीवन म यार आया, उसने
चुबन, आिलं
गन
और गु
दगु
द क बजिलयाँद ं
। एक बोली, 'दे
वता मे
रे
! मे
र ा शर र चाहेजसका हो, मे
र पू
जा-भावना, मे
र आ मा
तुहार हैऔर वह ज म-ज मा तर तक तुहार रहे
गी...' और दस
ूर द पिशखा-सी लहराकर बोली, 'दिु
नया कु
छ कहे
अब तो मे
र ा तन-मन तुहारा है
। म तो बे
काबूहू

! म क ँ या? मे
रेतो अं
ग-अं
ग जै
सेअलसा कर चू
र हो गयेहै
तुहार गोद म िगर पडऩेकेिलए, मे
र त णाई पु
लक उठ हैतुहारेआिलं
गन म पस जानेकेिलए। मे
रेलाज के
ब धन जै
सेिशिथल हु
ए जाते
ह? म क ँतो या क ँ
? कै
सा नशा पला दया हैतु
मने
, म सब कु
छ भू
ल गयी हू

। तु

चाहेजसेअपनी क पना दो, अपनी आ मा दो, ले
कन एक बार अपने
जलतेहु
ए होठ म मे
रेनरम गु
लाबी होठ समे

लो न!' बताओ बनती, य पहली क भावना ठ क हैऔर दस
ूर क यास गलत?''

बनती कु
छ दे
र तक चु
प रह , फर बोली, ''च दर, तु
म बहु
त गहराई सेसोचतेहो। ले
कन म तो एक मोट -सी
बात जानती हू
ँक जसकेजीवन म वह यास जग जाती हैवह फर कसी भी सीमा तक िगर सकता है
। ले
कन
जसनेयाग कया, जसक क पना जागी, वह कसी भी सीमा तक उठ सकता है
। मने
तो तुह उठते
हुए दे
खा है
।''

''गलत है
, बनती! तु
मनेिगरतेहु
ए दे
खा हैमु
झे
! तु
म मानोगी क सु
धा सेमु
झेक पना ह िमली थी, याग ह
िमला था, प व ता ह िमली थी। पर वह कतनी दन टक ! और तु
म यह कै
सेकह सकती हो क वासना आदमी को
नीचेह िगराती है
। तु
म आज ह क घटना लो। तु
म यह तो मानोगी क अभी तक मने
तुह अपमान और ितर कार
ह दया था।''

''खै
र , उसक बात जाने
दो!'' बनती बोली।

''नह ं
, बात आ गयी तो म साफ कहता हू
ँक आज मने
तुहारा ितदान दे
नेक सोची, आज तुहारेिलए मन म
बड़ा ने
ह उमड़ आया। य ? जानती हो? प मी ने
आज अपने
बाहु
पाश म कसकर जै
सेमे
रेमन क सार कटु
ता, सारा
वष खीं
च िलया। मु
झेलगा बहु
त दन बाद म फर पशाच नह ं
, आदमी हू

। यह वासना का ह दान है
। तु
म कै
से
कहोगी क वासना आदमी को नीचेह ले
जाती है
!''

बनती कु
छ नह ंबोली, च दर भी थोड़ दे
र चु
प रहा। फर बोला, ''ले छू
कन एक बात पूँ
, बनती?''

'' या?''

''बहु
त अजब-सी बात है
। सोच रहा हू छू
ँपू छू
ँया न पूँ
!''

''पू
छो न!''

''अभी मने
तुहारेमाथेपर होठ रख दये
, तु
म कु
छ भी नह ंबोलीं
, और म जानता हू
ँयह कु
छ अनु
िचत-सा था।
तु
म प मी नह ंहो! फर भी तु
मने
कुछ भी वरोध नह ंकया...?''

बनती थोड़ दे
र तक चु
पचाप अपनेपाँ
व क ओर दे
खती रह । फर शाल केछोर सेएक डोरा खीं
चतेहु
ए बोली,
''च दर, म अपने
को कु
छ समझ नह ंपाती। िसफ इतना जानती हू
ँक मे
रेमन म तु
म जाने या हो; इतनेमहान हो,
इतनेमहान हो क म तुह यार नह ंकर पाती, ले
कन तुहारेिलए कु
छ भी करनेसेअपनेको रोक नह ंसकती।
लगता हैतुहारा य व, उसक श और उसक दब
ुलताएँ
, उसक यास और उसका स तोष, इतना महान है
, इतना
गहरा हैक उसकेसामने
मेरा य व कु
छ भी नह ंहै
। मे
र प व ता, मे
र अप व ता, इन सबसे यादा महान तुहार
यास है
।...ले
कन अगर तुहारेमन म मे
रेिलए जरा भी ने
ह हैतो तु
म प मी सेस ब ध तोड़ लो। द द से
अगर म
बताऊँ
गी तो जाने या हो जाएगा! और तु
म जानते
नह ं
, द द अब कै
सी हो गयी ह? तु
म दे
खो तो आँ
स.ू
..''

''बस! बस!'' च दर ने
अपने
हाथ सेबनती का मु

ँ ब द करते
हुए कहा, ''सु
धा क बात मत करो, तुह कसम है

जं
दगी के जस पहलू
को हम भू
ल चु
केह, उसे
कुरे
दने
से या फायदा?''

''अ छा, अ छा!'' च दर का हाथ हटाकर बनती बोली, ''ले


कन प मी को अपनी जं
दगी से
हटा दो।''

''यह नह ंहो सकता, बनती?'' च दर बोला, ''और जो कहो, वह म कर दँ



ूा। हाँ
, तुहारे ित आज तक जो
दु
यवहार हु
आ है
, उसकेिलए म तु
मसे मा माँ
गता हू

।''

''िछह, च दर! मु
झेशिम दा मत करो।'' काफ रात हो गयी थी। च दर ले
ट गया। बनती नेउसेरजाई उढ़ा द
और टे
बल पर बजली का टड रखकर बोली, ''अब चु
पचाप सो जाओ।''

बनती चली गयी। च दर पड़ा-पड़ा सोचनेलगा, दिु


नया गलत कहती हैक वासना पाप है
। वासना सेभी प व ता
और माशीलता आती है
। प मी सेउसेजो कु
छ िमला, वह अगर पाप हैतो आज च दर नेजो बनती को दया,
उसम इतनी मा, इतनी उदारता और इतनी शा त य थी?

उसकेबाद बनती को वह बहु


त दल
ुार और प व ता से
रखने
लगा। कभी-कभी जब वह घू
मने
जाता तो बनती को
भी लेजाता था। यूईयस डेके दन प मी नेदोन क दावत क । बनती प मी केपीछेचाहेच दर सेप मी का
वरोध कर ले
पर प मी केसामने
बहु
त िश ता और ने
ह का बरताव करती थी।

डॉ टर साहब क द ली जाने
क तै
यार हो गयी। बनती नेकाय म म कु
छ प रवतन करा िलया था। अब वह
पहले
डॉ टर साहब केसाथ शाहजहाँ
परुजाएगी और तब द ली।

िन य करते
-करते
अ त म पहली फरवर को वे
लोग गये
। टे
शन पर बहु
त-सेव ाथ और डॉ टर साहब केिम
उ ह वदा दे
नेकेिलए आये
थे। बनती व ािथय क भीड़ से
घबराकर इधर चली आयी और च दर को बु
लाकर कहने
लगी-''च दर! द द केिलए एक खत तो देदो!''

''नह ं
।'' च दर ने
बहु
त खेऔर ढ़ वर म कहा।

बनती कु
छ ण तक एकटक च दर क ओर दे
खती रह ; फर बोली, ''च दर, मन क ा चाहेअब भी वै
सी हो,
ले
कन तु
म पर अब व ास नह ंरहा।''
च दर ने
कुछ जवाब नह ंदया, िसफ हँ
स पड़ा। फर बोली, ''च दर, अगर कभी कोई ज रत हो तो ज र िलखना,
म चली आऊँ
गी, समझे
?'' और फर चु
पचाप जाकर बै
ठ गयी।

जब च दर लौटा तो उसकेसाथ कई साथी ोफे


सर थे
। घर पहु

चकर वह कार ले
कर प मी केयहाँचल दया। पता
नह ं य बनती केजाने
का च दर को कु
छ थोड़ा-सा द:ु
ख था।

गरमी का मौसम आ गया था। च दर सु


बह कॉले
ज जाता, दोपहर को सोता और शाम को वह िनयिमत प से
प मी को ले
कर घू
मनेजाता। डॉ टर साहब कार छोड़ गयेथे
। कार प मी और च दर को ले
कर दरू
-दरू का च कर
लगाया करती थी। इस बार उसनेअपनी छु टयाँद ली म ह बतानेक सोची थीं
। प मी नेभी तय कया था क
मसू
र सेलौटते
समय जु
लाई म वह एक ह ते
आकर डॉ टर शुला क मे
हमानी करे
गी और द ली केपू
वप रिचत से
भी िमल ले
गी।

यह नह ंकहा जा सकता क च दर के दन अ छ तरह नह ंबीत रहेथे


। उसने
अपना अतीत भु
ला दया था और
वतमान को वह प मी क नशीली िनगाह म डु
बो चु
का था। भ व य क उसेकोई खास िच ता नह ंथी। उसे
लगता था
क यह प मी क िनगाह केबादल और पश केफू
ल क जाद ूभर दिु
नया अमर है
, शा त है
। इस जाद ूने
हमे
शा
केिलए उसक आ मा को अिभभू
त कर िलया है
, येहोठ कभी अलग न ह गे
, यह बाहु
पाश इसी तरह उसेघे
रेरहे
गा
और प मी क गरम त ण साँ
स सदा इसी कार उसकेकपोल को िसहराती रहगी। आदमी का व ास हमे
शा सीमाएँ
और अ त भू
ल जाने
का आद होता है
। च दर भी सबकु
छ भू
ल चु
का था।

अ ल
ै क एक शाम। दन-भर लूचलकर अब थक गयी थी। ले
कन दन-भर क लूक वजह सेआसमान म
इतनी धू
ल भर गयी थी क धू
प भी ह क पड़ गयी थी। माली बाहर िछड़काव कर रहा था। च दर सोकर उठा था और
सुती िमटा रहा था। थोड़ दे
र बाद वह उठा, दशाओंक ओर िन ेय दे
खने
लगा। बड़ उदास-सी शाम थी। सड़क भी
ब कु
ल सू
नी थी, िसफ दो-एक साइ कल-सवार लूसेबचनेकेिलए कान पर तौिलया लपे
टेहु
ए चलेजा रहेथे
। एक
बफ का ठे
ला भी चला जा रहा था। ''जाओ, बफ लेआओ?'' च दर नेमाली को पै
सेदे
तेहु
ए कहा। माली नेठे
लावाले
को बु
लाया। ठे
लावाला आकर फाटक पर क गया। माली बफ तु
ड़वा ह रहा था क एक र शा, जस पर परदा बँ
धा
था, वह भी फाटक केपास मु
ड़ा और ठे
लेकेपास आकर क गया। ठे
लावाले
नेठे
ला पीछेकया। र शा अ दर आया।
र शा म कोई परदानशीन औरत बै
ठ थी, ले
कन र शा केसाथ कोई नह ंथा, च दर को ता जु
ब हु
आ, कौन
परदानशीन यहाँआ सकती है
! र शा से
एक लड़क उतर जसे
च दर नह ंजानता था, ले
कन बाहर का परदा जतना
ग दा और पु
र ाना था, लड़क क पोशाक उतनी ह साफ और चुत। वह सफे
द रे
शम क सलवार, सफे
द रे
शम का चुत
कु
रता और उस पर बहु
त ह केशरबती फालसई रं
ग क चुनी ओढ़ेहु
ई थी। वह उतर और र शावाले
सेबोली, ''अब
घं
टेभर म आकर मु
झेलेजाना।'' र शावाला िसर हलाकर चल दया और वह सीधेअ दर चल द । च दर को बड़ा
अचरज हु
आ। यह कौन हो सकती हैजो इतनी बे
तक लु
फ सेअ दर चल द । उसने
सोचा, शायद शरणािथय केिलए
च दा माँ
गनेवाली कोई लड़क हो। मगर अ दर तो कोई हैह नह ं
! उसनेचाहा क रोक देफर उसनेनह ंरोका।
सोचा, खु
द ह अ दर खाली दे
खकर लौट आएगी।

माली बफ ले
कर आया और अ दर चला गया। वह लड़क लौट । उसकेचे
हरेपर कु
छ आ य और कु
छ िच ता क
रे
खाएँथीं
। अब च दर नेउसेदे
खा। एक साँ
वली लड़क थी, कु
छ उदास, कु
छ बीमार-सी लगती थी। आँ
ख बड़ -बड़
लगती थींजो रोना भू
ल चु
क ह और हँ
सने
म भी अश ह। चे
हरेपर एक पीली छाँ
ह थी। ऐसा लगता था, दे
खनेह
सेक लड़क़ द:ु
खी हैपर अपने
को सँ
भालना जानती है

वह आयी और बड़ फ क मुकान केसाथ, बड़ िश ता के वर म बोली, ''च दर भाई, सलाम! सु


धा या
ससु
र ाल म है
?''

च दर का आ य और भी बढ़ गया। यह तो च दर को जानती भी है
!

''जी हाँ
, वह ससु
र ाल म है
। आप...''

''और बनती कहाँहै


?'' लड़क ने
बात काटकर पू
छा।

'' बनती द ली म है
।''

'' या उसक भी शाद हो गयी?''

''जी नह ं
, डॉ टर साहब आजकल द ली म ह। वह उ ह ंकेपास पढ़ रह है
। बै
ठ तो जाइए!'' च दर नेकु

खसकाकर कहा।

''अ छा, तो आप यह ंरहते


ह अब? नौकर हो गये
ह गे
?''

''जी हाँ
!'' च दर नेअचरज म डू
बकर कहा, ''ले
कन आप इतनी जानकार और प रचय क बात कर रह ह, मने
आपको पहचाना नह ं
, मा क जएगा...''

वह लड़क हँ
सी, जै
सेअपनी क मत, जं
दगी, अपने
इितहास पर हँ
स रह हो।

''आप मु
झको कै
सेपहचान सकते
ह? म ज र आपको दे
ख चु
क थी। मे
रे
-आपकेबीच म दरअसल एक रोशनदान
था, मे
र ा मतलब सु
धा से
है!''

''ओह! म समझा, आप गे
सूह!''

''जी हाँ
!'' और गे
सूने
बहु
त तमीज से
अपनी चुनी ओढ़ ली।

''आप तो शाद केबाद जै


सेब कु
ल खो ह गयीं
। अपनी सहे
ली को भी एक खत नह ंिलखा। अ तर िमयाँमजे
म ह?''

''आपको यह सब कै
सेमालू
म?'' बहु
त आकु
ल होकर गे
सूबोली और उसक पीली आँ
ख म और भी मै
लापन आ
गया।

''मु
झेसु
धा सेमालू
म हु
आ था। म तो उ मीद कर रहा था क आप हम लोग को एक दावत ज र दगी। ले
कन
कु
छ मालू
म ह नह ंहु
आ। एक बार सु
धाजी ने
मुझेआपकेयहाँभे
जा तो मालू
म हु
आ क आप लोग ने
मकान ह छोड़
दया है
।''
''जी हाँ
, म दे
हरादन
ू म थी। अ मीजान वगै
र ह सभी वह ंथीं
। अभी हाल म वहाँकु
छ पनाहगीर पहु

चे
...''

''पनाहगीर?''

''जी, पं
जाब केिसख वगै
र ह। कु
छ झगड़ा हो गया तो हम लोग चले
आये
। अब हम लोग यह ंह।''

''अ तर िमयाँकहाँह?''

''िमरजापु
र म पीतल का रोजगार कर रहेह!''

''और उनक बीवी दे


हरादन
ू म थी। यह सजा य द आपने
उ ह?''

''सजा क कोई बात नह ं


।'' गे
सूका वर घु
टता हु
आ-सा मालू
म देरहा था। ''उनक बीवी उनकेसाथ है
।''

'' या मतलब? आप तो अजब-सी बात कर रह ह। अगर म भू


ल नह ंकरता तो आपक शाद ...''

''जी हाँ
!'' बड़ ह उदास हँ
सी हँ
सकर गे
सूबोली, ''आपसे
च दर भाई, म या िछपाऊँ
गी, जै
सेसु
धा वै
सेआप! मे

शाद उनसे
नह ंहु
ई!''

''अरे
! गुताखी माफ क जएगा, सु
धा तो मु
झसे
कह रह थी क अ तर...''

''मु
झसेमु
ह बत करतेह!'' गे
सूबात काटकर बोली और बड़ ग भीर हो गयी और अपनी चुनी केछोर म टँ
के
हु
ए िसतारेको तोड़ती हु
ई बोली, ''म सचमु
च नह ंसमझ पायी क उनकेमन म या था। उनकेघरवाल नेमे
रेबजाय
फू
ल को यादा पस द कया। उ ह नेफू
ल सेह शाद कर ली। अब अ छ तरह िनभ रह हैदोन क । फू
ल तो इतने
अरसे
म एक बार भी हम लोग से
िमलने
नह ंआयी!''

''अ छा...'' च दर चु
प होकर सोचनेलगा। कतनी बड़ वं
चना हु
ई इस लड़क क जं
दगी म! और कतनेदबे
श द म यह कहकर चु
प हो गयी! एक भी आँ
सूनह ं
, एक भी िससक नह ं
। सं
यत वर और फ क मुकान, बस।
च दर चु
पचाप उठकर अ दर गया। महरा जन आ गयी थी। कु
छ ना ता और शरबत भे
जने
केिलए कहकर च दर बाहर
आया। गे
सूचु
पचाप लॉन क ओर दे
ख रह थी, शू
य िनगाह से
। च दर आकर बै
ठ गया और बोला-''बहु
त धोखा दया
आपको!''

''िछह! ऐसी बात नह ंकहते


, च दर भाई! कौन जानता हैक यह अ तर क मजबू
र रह हो! जसको मने
अपना
सरताज माना उसकेिलए ऐसा खयाल भी दल म लाना गु
नाह है
। म इतनी िगर हु
ई नह ंक यह सोचू
ँक उ ह ने
धोखा दया!'' गे
सूदाँ
त तले
जबान दबाकर बोली।

च दर दं
ग रह गया। या गे
सूअपनेदल से
कह रह है
? इतना अखं
ड व ास हैगे
सूको अ तर पर! शरबत आ
गया था। गे
सूने
तक लु
फ नह ंकया। ले
कन बोली, ''आप बड़ेभाई ह। पहले
आप शु क जए।''

''आपक फर कभी अ तर से
मुलाकात नह ंहु
ई?'' च दर ने
एक घू

ँ पीकर कहा।

''हु
ई य नह ं
? कई बार वह अ मीजान केपास आये
।''
''आपने
कुछ नह ंकहा?''

''कहती या? यह सब बात कहने


-सु
ननेक होती ह! और फर फू
ल वहाँआराम सेहै
, अ तर भी फू
ल को जान
से यादा यार सेरखतेह, यह मे
रेिलए बहु
त है
। और अब कहकर या क ँ
गी! जब फू
ल सेशाद तय हु
ई और वे
राजी हो गये
तभी मने
कुछ नह ंकहा, अब तो फू
ल क माँ
ग, फू
ल का सु
हाग मे
रेिलए सु
बह क अजान से यादा पाक
है
।'' गे
सूने
शरबत म िनगाह डु
बाये
हुए कहा। च दर ण-भर चु
प रहा फर बोला-

''अब आपक शाद अ मीजान कब कर रह ह?''

''कभी नह ं
! मने
क द कर िलया हैक म शाद ताउ नह ंक ँ
गी। दे
हरादन
ू केमै
टिनट सटर म काम सीख रह
थी। कोस पू
र ा हो गया। अब कसी अ पताल म काम क ँ
गी।''

''आप...!''

'' य , आपको ता जु
ब य हु
आ? मनेअ मीजान को इस बात केिलए राजी कर िलया है
। म अपनेपै
र पर
खड़ होना चाहती हू

।''

च दर ने
शरबत से
बफ िनकालकर फकते
हुए कहा-

''म आपक जगह होता तो दस


ूर शाद करता और अ तर से
भरसक बदला ले
ता!''

''बदला!'' गे
सूमुकराकर बोली, ''िछह, च दर भाई! बदला, गु
रे
ज, नफरत इससेआदमी न कभी सु
धरा हैन
सु
धरे
गा। बदला और नफरत तो अपनेमन क कमजोर को जा हर करतेह। और फर बदला म लू
ँकससे
? उससे
,
दल क तनहाइय म म जसकेसजदेपड़ती हू

। यह कै
सेहो सकता है
?''

गे
सूकेमाथेपर व ास का ते
ज दमक उठा, उसक बीमार आँ
ख म धू
प लहलहा उठ और उसका कं
चनलता-सा
तन जगमगाने
लगा। कु
छ ऐसी ढ़ता थी उसक आवाज म, ऐसी गहराई थी उसक विन म क च दर दे
खता ह रह
गया। वह जानता था क गे
सूके दल म अ तर केिलए कतना म
े था, वह यह भी जानता था क गे
सूअ तर क
शाद केिलए कस तरह पागल थी। वह सारा सपना ताश केमहल क तरह िगर गया। और प र थितय ने
नह ं
, खु

अ तर नेधोखा दया, ले
कन गे
सूहैक माथेपर िशकन नह ं
, भ ह म बल नह ं
, होठ पर िशकायत नह ं
। नार के
जीवन का यह कै
सा अिमट व ास था! यानी जसेगे
सूनेअपने म
े का वणम दर समझा था, वह वालामु
खी
बनकर फू
ट गया और उसने
दद क पघली आग क धारा म गे
सूको डु
बो दे
नेक कोिशश क ले
कन गे
सूहैक अटल
च टान क तरह खड़ है

च दर केमन म कह ंकोई ट स उठ । उसके दल क धडक़न ने


कह ंपर उससे
पूछा। '...और च दर, तु
मने या
कया? तु
म पुष थे
। तुहारेसबल कं
धेकसी के यार का बोझ य नह ंढो पाये
, च दर?' ले
कन च दर नेअपनी
अ त:करण क आवाज को अनसु
नी करते
हुए पू
छा- ''तो आपकेमन म जरा भी दद नह ंअ तर को न पाने
का?''

''दद?'' गे
सूक आवाज डू
बनेलगी, िनगाह क जद पाँ
खुरय पर ह क पानी क लहर दौड़ गयी-''दद, यह तो
िसफ सु
धा समझ सकती है
, च दर भाई! बचपन सेवह मे
रेिलए या थे
, यह वह जानती है
। म तो उनका सपना
दे
खते
-दे
खतेउनका सपना ह बन गयी थी, ले
कन खै
र दद इं
सान केयक देको और मजबू
त न कर दे
, आदमी के
कदम को और ताकत न दे
, आदमी के दल को ऊँ
चाई न देतो इं
सान या? दद का हाल पू
छते
ह आप! कयामत के
रोज तक मे
र म यत उ ह ंका आसरा दे
खे
गी, च दर भाई! ले
कन इसकेिलए जं
दगी म तो खामोश ह रहना होगा।
बं
द घर म जलतेहु
ए िचराग क तरह घु
लना होगा। और अगर मनेउनको अपना माना हैतो वह िमलकर ह रहगे

आज न सह कयामत केबाद सह । मु
ह बत क दिु
नया म जै
सेएक दन उनके बना कट जाता हैवै
सेएक जं
दगी
उनके बना कट जाएगी...ले
कन उसकेबाद वे
मेरेहोकर रहगे
।''

च दर का दल काँ
प उठा। गे
सूक आवाज म तारेबरस रहेथे
...

''और आपसे या कहू



, च दर भाई! या आपक बात मु
झसेिछपी है
? म जानती हू

। सबकु
छ जानती हू

। सच
पू
िछए तो जब मने
देखा क आप कतनी खामोशी से
अपनी दिु
नया म आग लगते
देख रहेह, और फर भी हँ
स रहेह,
तो मने
आपसे
सबक िलया। हम नह ंमालू
म था क हम और आप, दोन भाई-बहन क क मत एक-सी है
।''

च दर केमन म जानेकतनेघाव कसक उठे


। उसकेमन म जानेकतना दद उमड़ने
-सा लगा। गे
सूउसे या
समझ रह हैमन म और वह कहाँपहु

च चु
का है
! जसनेच दर क जं
दगी से
अपनेमन का द प जलाया, वह आज
दे
वता केचरण तक पहु

च गया, ले
कन च दर केमन क द पिशखा? उसनेअपनेयार क िचता जला डाली। च दर के
मु

ँ पर लािन क कािलमा छा गयी। गे
सूचु
पचाप बै
ठ थी। सहसा बोली, ''च दर भाई, आपको याद है
, पछलेसाल
इ ह ंदन म सु
धा से
िमलने
आयी थी और हसरत आपको मे
र ा सलाम कहने
गया था?''

''याद है
ï!'' च दर ने
बहु
त भार वर म कहा।

''इस एक साल म दिु


नया कतनी बदल गयी!'' गे
सूने
एक गहर साँ
स ले
कर कहा, ''एक बार येदन चलेजाते
ह,
फर बे
दद कभी नह ंलौटते
! कभी-कभी सोचती हू
ँक सु
धा होती तो फर कॉले
ज जाते
, लास म शोर मचाते
, भागकर
घास म ले
टते
, बादल को दे
खते
, शे
र कहतेऔर वह च दर क और हम अ तर क बात करते
...'' गे
सूका गला भर
आया और एक आँ
सूचूपड़ा... ''सु
धा और सु
धा क याह-शाद का हाल बताइए। कै
सेह उनकेशौहर?''

च दर केमन म आया क वह कह दे
, गे
स,ू य ल जत करती हो! म वह च दर नह ंहू

। मने
अपनेव ास का
म दर कर दया...म त
े हू

...मनेसु
धा के यार का गला घ ट दया है
...ले
कन पुष का गव! पुष का छल! उसे
यह भी नह ंमालू
म होनेदया क उसका व ास चू
र -चू
र हो चु
का हैऔर पछलेकतनेह मह न से
उसनेसु
धा को
खत िलखना भी ब द कर दया हैऔर यह भी नह ंमालू
म करने
का यास कया क सु
धा मरती हैया जीती!

घं
टा-भर तक दोन सु
धा केबारेम बात करते
रहे
। इतने
म र शावाला लौट आया। गे
सूने
उसेठहरने
का इशारा
कया और बोली, ''अ छा, जरा सु
धा का पता िलख द जए।'' च दर ने
एक कागज पर पता िलख दया। गे
सूनेउठने
का उप म कया तो च दर बोला, ''बै
ठए अभी, आपसे
बात करकेआज जानेकतनेदन क बात याद आ रह ह!''

गे
सूहँ
सी और बै
ठ गयी। च दर बोला, ''आप अभी तक क वताएँ
िलखती ह?''

''क वताएँ
...'' गे
सूफर हँ
सी और बोली, '' जं
दगी कतनी हमगीर है
, कतनी पु
र शोर, और इस शोर म नगम क
हक कत कतनी! अब ह डयाँ
, नस, श
ेर- वाइं
ट, प टयाँऔर मरहम म दन बीत जाता है
। अ छा च दर भाई, सु
धा
अभी उतनी ह शोख है
? उतनी ह शरारती है
!''

''नह ं
।'' च दर ने
बहु
त उदास वर म कहा, ''जाओ, कभी दे
ख आओ न!''

''नह ं
, जब तक कह ंजगह नह ंिमल जाती, तब तक तो इतनी आजाद नह ंिमले
गी। अभी यह ंहू

। उसी को
बु
लवाऊँ
गी और उसकेपित दे
वता को िलखू

गी। कतना सू
ना लग रहा हैघर जै
सेभू
त का बसे
र ा हो। जै
सेपरे
त रहते
ह !''

'' य 'परे
त' बना रह ह आप? म रहता हू
ँइसी घर म।'' च दर बोला।

''अरे
, मे
र ा मतलब यह नह ंथा!'' गे
सूहँ
सतेहु
ए बोली, ''अ छा, अब मु
झेतो अ मीजान नह ंभे
जगी, आज जाने
कै
सेअके
लेआने
क इजाजत देद । आपको कसी दन बु
लवाऊँतो आइएगा ज र!''

''हाँ
, आऊँ
गा गे
स,ूज र आऊँ
गा!'' च दर ने
बहु
त ने
ह से
कहा।

''अ छा भाईजान, सलाम!''

''नम ते
!''

गे
सूजाकर र शा पर बै
ठ गयी और परदा तन गया। र शा चल दया। च दर एक अजीब-सी िनगाह सेदे
खता
रहा जै
सेअपनेअतीत क कोई खोयी हु
ई चीज ढू

ढ़ रहा हो, फर धीरे
-धीरेलौट आया। सू
र ज डू
ब गया था। वह
गु
सलखाना ब द कर नहानेबै
ठ गया। जानेकहाँ
-कहाँमन भटक रहा था उसका। च दर मन का अ थर था, मन का
बु
र ा नह ंथा। गे
सूनेआज उसकेसामनेअचानक वह त वीर रख द थी जसम वह वग क ऊँ
चाइय पर मँ
डराया
करता था। और जानेकै
सा दद-सा उसकेमन म उठ गया था, गे
सूनेअपनेअजाने
म ह च दर केअ व ास, च दर
क ित हं
सा को बहु
त बड़ हार द थी। उसने
िसर पर पानी डाला तो उसे
लगा यह पानी नह ंहैजं
दगी क धारा है
,
पघलेहु
ए अं
गार क धारा जसम पडक़र के
वल वह ज दा बच पाया है
, जसकेअं
ग म यार का अमृ
त है
। और
च दर केमन म या है
? महज वासना का वष...वह सड़ा हु
आ, गला हु
आ शर र मा जो के
वल स नपात केजोर से
चल रहा है
। उसने
अपने
मन केअमृ
त को गली म फक दया है
...उसने या कया है
?

वह नहाकर आया और शीशेकेसामनेखड़ा होकर बाल काढऩेलगा- फर शीशेक ओर एकटक दे


खकर बोला,
''मु
झे या दे
ख रहेहो, च दर बाबू
! मु
झेतो तु
मनेबबाद कर डाला। आज कई मह नेहो गयेऔर तु
मनेएक िच ठ
तक नह ंिलखी, िछह!'' और उसने
शीशा उलटकर रख दया।

महरा जन खाना ले
आयी। उसने
खाना खाया और सुत-सा पड़ रहा। ''भइया, आज घू
मैन जाबो?''

''नह ं
!'' च दर ने
कहा और पड़ा-पड़ा सोचने
लगा। प मी केयहाँनह ंगया।

यह गे
सूदस
ूरेकमरेम बै
ठ थी। इस कमरेम बनती उसेकै
लाश का िच दखा रह थी।...िच उसकेमन म
घू
मनेलगे
...च दर, या इस दिु
नया म तुह ंरह गयेथेफोटो दखाकर पस द करानेकेिलए...च दर का हाथ उठा।
तड़ सेएक तमाचा...च दर, चोट तो नह ंआयी...मान िलया क मे
रेमन ने
मुझसे
न कहा हो, तु
मसेतो मे
र ा मन कोई
बात नह ंिछपाता...तो च दर, तु
म शाद कर य नह ंले
त?
े पापा लड़क दे
ख आएँ
गे
...हम भी दे
ख लगे
...तो फर तु

बै
ठो तो हम पढ़गे
, वरना हम शरम लगती है
...च दर, तु
म शाद मत करना, तु
म इस सबकेिलए नह ंबनेहो...नह ं
सु
धा, तुहारेव पर िसर रखकर कतना स तोष िमलता है
...

आसमान म एक-एक करकेतारेटू


टते
जा रहेथे

वह प मी केयहाँनह ंगया। एक दन...दो दन...तीन दन...अ त म चौथेदन शाम को प मी खु


द आयी। च दर
खाना खा चु
का था और लॉन पर टहल रहा था। प मी आयी। उसने वागत कया ले
कन उसक मुकराहट म उ लास
नह ंथा।

''कहो कपू
र , आये य नह ं
? म समझी, तु
म बीमार हो गये
!'' प मी नेलॉन पर पड़ एक कु
स पर बै
ठतेहु

कहा, ''आओ, बै
ठो न!'' उसने
च दर क ओर कु
स खसकायी।

''नह ं
, तु
म बै
ठो, म टहलता रहू

गा!'' च दर बोला और कहने
लगा, ''पता नह ं य प मी, दो-तीन दन से
तबीयत
बहु
त उदास-सी है
। तुहारेयहाँआने
को तबीयत नह ंहु
ई!''

'' य , या हु
आ?'' प मी नेपू
छा और च दर का हाथ पकड़ िलया। च दर प मी क कु
स केपीछेखड़ा हो गया।
प मी ने
च दर केदोन हाथ पकडक़र अपनेगले
म डाल िलये
और अपना िसर च दर सेटकाकर उसक ओर दे
खने
लगी। च दर चु
प था। न उसनेप मी केगाल थपथपाये
, न हाथ दबाया, न अलक बखे
र ंऔर न िनगाह म नशा ह
बखे
र ा।

औरत अपने ित आनेवाले यार और आकषण को समझनेम चाहेएक बार भू


ल कर जाये
, ले
कन वह अपने
ित आने
वाली उदासी और उपेा को पहचानने
म कभी भू
ल नह ंकरती। वह होठ पर होठ के पश केगू
ढ़तम अथ
समझ सकती है
, वह आपके पश म आपक नस सेचलती हु
ई भावना पहचान सकती है
, वह आपकेव सेिसर
टकाकर आपके दल क धड़कन क भाषा समझ सकती है
, य द उसे
थोड़ा-सा भी अनु
भव हैऔर आप उसकेहाथ पर
हाथ रखतेह तो पश क अनु
भिू
त सेह जान जाएगी क आप उससेकोई कर रहेह, कोई याचना कर रहेह,
सा वना देरहेह या सा वना माँ
ग रहेह। मा माँ
ग रहेह या मा देरहेह, यार का ार भ कर रहेह या
समा कर रहेह। वागत कर रहेह या वदा देरहेह। यह पु
लक का पश हैया उदासी का चाव और नशेका पश
हैया ख नता और बे
मनी का।

प मी च दर केहाथ को छू
तेह जान गयी क हाथ चाहेगरम ह , ले
कन पश बड़ा शीतल है
, बड़ा नीरस।
उसम वह पघली हु
ई आग क शराब नह ंहैजो अभी तक च दर केहोठ पर धधकती थी, च दर के पश म
बखरती थी।

''कु
छ तबीयत खराब हैकपू
र , बै
ठ जाओ!'' प मी नेउठकर च दर को जबरद ती बठाल दया, ''आजकल बहु

मे
हनत पड़ती है
, य ? चलो, तु
म हमारेयहाँरहो!''

प मी म के
वल शर र क यास थी, यह कहना प मी के ित अ याय होगा। प मी म एक बहु
त गहर हमदद थी
च दर केिलए। च दर अगर शर र क यास को जीत भी ले
ता तो उसक हमदद को वह नह ंठु
करा पाता था। उस
हमदद का ितर कार होनेसेप मी द:ु
खी होती थी और उसेवह तभी वीकृ
त समझती थी जब च दर उसके प के
आकषण म डू
बा रहे
। अगर पुष केहोठ म तीखी यास न हो, बाहु
पाश म जहर न हो तो वासना क इस िशिथलता
से
नार फौरन समझ जाती हैक स ब ध म दरू आती जा रह है
। स ब ध क घिन ता को नापने
का नार केपास
एक ह मापदं
ड है
, चुबन का तीखापन!

च दर केमन म ह नह ंवरन पश म भी इतनी बखरती हु


ई उदासी थी, इतनी उपेा थी क प मी ममाहत हो
गयी। उसकेिलए यह पहली पराजय थी! आजकल प मी जान जाती थी क च दर का रोम-रोम इस व प मी क
साँ
स म डू
बा हु
आ है

ले
कन प मी नेदे
खा क च दर उसक बाँ
ह म होतेहु
ए भी दरू
, बहु
त दरून जानेकन वचार म उलझा हु

है
। वह उससे
दरूचला जा रहा है
, बहु
त दरू
। प मी क धड़कन अ त- य त हो गयीं
। उसक समझ म नह ं
, आया वह
या करे
! च दर को या हो गया? या प मी का जाद ू
टूट रहा है
? प मी नेअपनी पराजय सेकं
ुठत होकर अपना
हाथ हटा िलया और चु
पचाप मु

ँ फे
रकर उधर दे
खनेलगी। च दर चाहेजतना उदास हो ले
कन प मी क उदासी वह
नह ंसह सकता था। बु
र या भली, प मी इस व उसक सू
नी जं
दगी का अके
ला सहारा थी और प मी क हमदद
का वह बहु
त कृ
त था। वह समझ गया, प मी य उदास है
! उसने
प मी का हाथ खीं
च िलया और अपने
होठ उसक
हथे
िलय पर रख दये
और खीं
चकर प मी का िसर अपने
कंधेपर रख िलया...

पुष केजीवन म एक ण आता हैजब वासना उसक कमजोर , उसक यास, उसका नशा, उसका आवे
श नह ं
रह जाती। जब वासना उसक हमदद का, उसक सा वना का साधन बन जाती है
। जब वह नार को इसिलए बाँ
ह म
नह ंसमे
टता क उसक बाँ
ह यासी ह, वह इसिलए उसेबाँ
ह म समे
ट ले
ता हैक नार अपना दख
ु भू
ल जाए। जस
व वह नार क सी पया पलक केनशे
म नह ंवरन उसक आँ
ख केआँ
सूसु
खाने
केिलए उसक पलक पर होठ रख
दे
ता है
, जीवन केउस ण म पुष जस नार से
सहानु
भिू
त रखता है
, उसकेमन क पराजय को भु
लाने
केिलए वह
नार को बाहु
पाश केनशे
म बहला दे
ना चाहता है
! ले
कन इन बाहु
पाश म यास जरा भी नह ंहोती, आग जरा भी नह ं
होती, िसफ नार को बहलावा दे
नेका यास मा होता है

इसम कोई स दे
ह नह ंक च दर केमन पर छाया हु
आ प मी के प का गु
लाबी बादल उचटता जा रहा था,
नशा उखड़ा-सा रहा था। ले
कन च दर प मी को द:ु
खी नह ंकरना चाहता था, वह भरसक प मी को बहलायेरखता
था...ले
कन उसकेमन म कह ं
-न-कह ंफर अं
त का एक तू
फान चलने
लगा था...

गे
सूनेउसकेसामने
उसक साल-भर पहले
क जं
दगी का वह िच रख दया था, जसक एक झलक उस अभागे
को पागल कर दे
नेकेिलए काफ थी। च दर जै
स-े
तैसेमन को प थर बनाकर, अपनी आ मा को प क शराब म
डु
बोकर, अपनेव ास म छलकर उसको भु
ला पाया था। उसे
जीता पाया था। ले
कन गे
सूनेऔर गे
सूक बात ने
जैसे
उसकेमन म मूछत पड़ अिभशाप क छाया म फर ाण- ित ा कर द थी और आधी रात केस नाटेम फर
च दर को सु
नाई दे
ता था क उसकेमन म कोई काली छाया बार-बार िससकनेलगती हैऔर च दर के दय से
टकराकर वह दन बार-बार कहता था, ''दे
वता! तु
मने
मेर ह या कर डाली! मे
र ह या, जसेतु
मने वग और ई र से
बढ़कर माना था...'' और च दर इन आवाज से
घबरा उठता था।

व मरण क एक तरं
ग जहाँच दर को प मी केपास खीं
च लायी थी, वहाँअतीत के मरण क दस
ूर तरं
ग उसे
वे
ग म उलझाकर जै
सेफर उसे
दरूखीं
च लेजाने
केिलए याकु
ल हो उठ । उसको लगा क प मी केिलए उसकेमन
म जो मादक नशा था, उस पर लािन का कोहरा छाता जा रहा हैऔर अभी तक उसने
जो कु
छ कया था, उसकेिलए
उसी केमन म कह ं
-न-कह ंपर ह क -सी अ िच झलकनेलगी थी। फर भी प मी का जाद ू
बद तू
र कायम था। वह
प मी के ित कृ
त था और वह प मी को कह ं
, कसी भी हालत म दख
ुी नह ंकरना चाहता था। भलेवह गु
नाह
करकेअपनी कृ
त ता जा हर य न कर पाये
, ले
कन जै
सेबनती केमन म च दर के ित जो ा थी, वह नै
ितकता-
अनै
ितकता केब धन से
ऊपर उठकर थी, वै
सेह च दर केमन म प मी के ित कृ
त ता पु
य और पाप केब धन से
ऊपर उठकर थी। बनती नेएक दन च दर सेकहा था क य द वह च दर को अस तु करती है
, तो वह उसेइतना
बड़ा गु
नाह लगता हैक उसकेसामनेउसेकसी भी पाप-पु
य क परवा नह ंहै
। उसी तरह च दर सोचता था क
स भव हैक उसका और प मी का यह स ब ध पापमय हो, ले
कन इस स ब ध को तोड़कर प मी को अस तु और
द:ु
खी करना इतना बड़ा पाप होगा जो अ य है

ले
कन वह नशा टू
ट चु
का था, वह साँ
स धीमी पड़ गयी थी...अपनी हर कोिशश केबावजू
द वह प मी को उदास
होने
सेबचा न पाता था।

एक दन सु
बह जब वह कॉले
ज जा रहा था क प मी क कार आयी। प मी बहु
त ह उदास थी। च दर नेआते
ह उसका वागत कया। उसकेकान म एक नीलेप थर का बु
दा था, जसक ह क छाँ
ह गाल पर पड़ रह थी।
च दर ने
झुककर वह नीली छाँ
ह चू
म ली।

प मी कु
छ नह ंबोली। वह बै
ठ गयी और फर च दर से
बोली, ''म लखनऊ जा रह हू

, कपू
र !''

''कब? आजï?''

''हाँ
, अभी कार से
।''

'' य ?''

''य ह , मन ऊब गया! पता नह ं


, कौन-सी छाँ
ह मु
झ पर छा गयी है
। म शायद लखनऊ से
मसू
र चली जाऊँ
।''

''म तुह जाने


नह ंदँ

ूा, पहले
तो तु
मने
बताया नह ं
!''

''तुह ंने
कहाँपहले
बताया था!''

'' या?''

''कु
छ भी नह ं
! अ छा, चल रह हू

।''

''सु
नो तो!''

''नह ं
, अब रोक नह ंसकतेतु
म...बहु
त दरूजाना हैच दर...'' वह चल द । फर वह लौट और जै
सेयु
ग -यु
ग क
यास बु
झा रह हो, च दर केगलेम झू
ल गयी और कस िलया च दर को...पाँ
च िमनट बाद सहसा वह अलग हो गयी
और फर बना कु
छ बोले
अपनी कार म बै
ठ गयी। ''प मी...तुह हु
आ या यह?''
''कु
छ नह ं
, कपू
र ।'' प मी कार टाट करते
हुए बोली, ''म तु
मसेजतनी ह दरूरहू
ँउतना ह अ छा है
, मे
रेिलए
भी, तुहारेिलए भी! तुहारेइन दन के यवहार ने
मुझेबहु
त कु
छ िसखा दया है
?''

च दर िसर सेपै
र तक लािन सेकं
ुठत हो उठा। सचमु
च वह कतना अभागा है
! वह कसी को भी स तु नह ं
रख पाया। उसकेजीवन म सु
धा भी आयी और प मी भी, एक को उसकेपु
य नेउससेछ न िलया, दस
ूर को उसका
गु
नाह उससेछ ने
िलयेजा रहा है
। जानेउसके ह का मािलक कतना ू
र खलाड़ हैक हर कदम पर उसक राह
उलट दे
ता है
। नह ं
, वह प मी को नह ंखो सकता-उसनेप मी का कॉलर पकड़ िलया, ''प मी, तुह हमार कसम है
-
बु
र ा मत मानो! म तुह जाने
नह ंदँ

ूा।''

प मी हँ
सी-बड़ ह क ण ले
कन सश हँ
सी। अपने
कॉलर को धीमे छु
-से ड़ाकर च दर क अँ
गु
िलय को कपोल से
दबा दया और फर व केपास से
एक िलफाफा िनकालकर च दर केहाथ म देदया और कार टाट कर द ...पीछे
मु
डक़र नह ंदे
खा...नह ंदे
खा।

कार कड़ु
वेधु
एँका बादल च दर क ओर उड़ाकर आगेचल द ।

जब कार ओझल हो गयी, तब च दर को होश आया क उसकेहाथ म एक िलफाफा भी है


। उसनेसोचा, फौरन
कार ले
कर जायेऔर प मी को रोक ले
। फर सोचा, पहलेपढ़ तो ले
, यह है या चीज? उसनेिलफाफा खोला और
पढऩे
लगा-

''कपू
र , एक दन तुहार आवाज और बट क चीख सु
नकर अपू
ण वे
श म ह अपनेशृ

ंार-गृ
ह सेभाग आयी थी
और तुह फू
ल केबीच म पाया था, आज तुहार आवाज मे
रेिलए मू
क हो गयी हैऔर अस तोष और उदासी के
काँ
ट केबीच म तुह छोडक़र जा रह हू

जा रह हू
ँइसिलए क अब तुह मे
र ज रत नह ंरह । झू
ठ य बोलू
,ँअब या, कभी भी तुह मे
र ज रत नह ं
रह थी, ले
कन मनेहमे
शा तुहारा द ुपयोग कया। झू
ठ य बोल, तु
म मे
रेपित से
भी अिधक समीप रहेहो। तु
मसे
कु
छ िछपाऊँ
गी नह ं
। म तु
मसेिमली थी, जब म एकाक थी, उदास थी, लगता था क उस समय तु
म मे
र सु
नसान
दिु
नया म रोशनी केदे
वदत
ू क तरह आये
थे। तु
म उस समय बहु
त भोले
, बहु
त सु
कु
मार, बहु
त ह पव थे
। मे
रेमन म
उस दन तुहारेिलए जानेकतना यार उमड़ आया! म पागल हो उठ । मने
तुह उस दन से
लामी क कहानी सु
नायी
थी, िसने
मा घर म, उसी अभािगन से
लामी क तरह म भी पै
ग बर को चू
मने
केिलए याकु
ल हो उठ ।

दे
खा, तु
म प व ता को यार करते
हो। सोचा, य द तु
मसेयार ह जीतना है
, तो तु
मसेप व ता क ह बात क ँ

म जानती थी क सेस यार का आव यक अं
ग है
। ले
कन मन म तीखी यास ले
कर भी मने
तुमसे
सेस- वरोधी बात
करनी शु क ं
। मु

ँ पर प व ता और अ दर म भोग का िस ा त रखते
हुए भी मे
र ा अं
ग-अं
ग यासा हो उठा था...तुह
होठ तक खीं
च लायी थी, ले
कन फर साहस नह ंहु
आ।

फर मनेउस छोकर को दे
खा, उस िनता त ितभाह न दब
ुलमना छोकर िमस सु
धा को। वह कु
छ भी नह ंथी,
ले
कन म दे
खते
ह जान गयी थी क तुहारेभा य का न है
, जाने य उसेदे
खते
ह म अपना आ म व ास खो-
सा बै
ठ । उसके य व म कु
छ न होतेहु
ए भी कम-से
-कम अजब-सा जाद ूथा, यह म भी वीकार करती हू

, ले
कन
थी वह छोकर ह !

तुह न पानेक िनराशा और तुह न पानेक असीम यास, दोन केपीस डालनेवालेसं
घष सेभागकर, म
हमालय म चली आयी। जतना तीखा आकषण होता हैकपू
र कभी-कभी नार उतनी ह दरूभागती है
। अगर कोई
याला मु

ँ सेन लगाकर दरूफक दे
, तो समझ लो क वह बे
हद यासा है
, इतना यासा क तृ
ि क क पना सेभी
घबराता है
। दन-रात उस पहाड़ क धवल चो टय म तुहार िनगाह मुकराती थीं
, पर म लौटनेका साहस न कर
पाती थी।

लौट तो दे
खा क तु
म अके
लेहो, िनराश हो। और थोड़ा-थोड़ा उलझेहु
ए भी हो। पहलेमने
तुम पर प व ता क
आड़ म वजय पानी चाह थी, अब तु
म पर वासना का सहारा ले
कर छा गयी। तु
म मु
झेबु
र ा समझ सकतेहो, ले
कन
काश क तु
म मे
र यास को समझ पाते
, कपू
र ! तु
मने
मुझे वीकार कया। वै
सेनह ंजै
सेकोई फू
ल शबनम को वीकार
करे
। तु
मनेमु
झेउस तरह वीकार कया जै
सेकोई बीमार आदमी मा फया (अफ म) केइ जेशन को वीकार करे

तुहार यासी और बीमार वृयाँबदली नह ं
, िसफ बे
होश होकर सो गयीं

ले
कन कपू
र , पता नह ंकसके पश से
वेएकाएक बखर गयीं
। म जानती हू

, इधर तु
मम या प रवतन आ गया
है
। म तुह उसकेिलए अपराधी नह ंठहराती, कपू
र ! म जानती हू
ँतु
म मे
रे ित अब भी कतनेकृ
त हो, कतने
ने
हशील हो ले
कन अब तु
मम वह यास नह ं
, वह नशा नह ं
। तुहारेमन क वासना अब मे
रेिलए एक तरस म
बदलती जा रह है

मु
झेवह दन याद है
, अ छ तरह याद हैच दर, जब तुहारेजलते
हुए होठ ने
इतनी गहर वासना से
मेरेहोठ
को समे
ट िलया था क मे
रेिलए अपना य व ह एक सपना बन गया था। लगता था, सभी िसतार का ते
ज भी
इसक एक िचनगार केसामनेफ का है
। ले
कन आज होठ होठ ह, आग केफू
ल नह ंरहे
-पहलेमे
र एक झलक से
तुहारेरोम-रोम म सै
कड़ इ छाओंक आँ
िधयाँगरज उठती थीं
...आज तुहार नस का खू
न ठं
डा है
। तुहार िनगाह
पथरायी हु
ई ह और तु
म इस तरह वासना मे
र ओर फक दे
तेहो, जै
सेतु
म कसी पालतूब ली को पावरोट का टु
कड़ा
देरहेहो।

म जानती हू
ँक हम दोन केस ब ध क उ णता ख म हो गयी है
। अब तुहारेमन म महज एक तरस है
, एक
कृ
त ता है
, और कपू
र , वह म वीकार नह ंकर सकँ

गी। मा करना, मे
र ा भी वािभमान है

ले
कन मने
कह दया क म तु
मसे
िछपाऊँ
गी नह ं
! तु
म इस म म कभी मत रहना क मने
तुह यार कया था।
पहले
म भी यह सोचती थी। कल मु
झेलगा क मने
अपनेको आज तक धोखा दया था। मने
इधर तुहार ख नता
केबाद अपनेजीवन पर बहु
त सोचा, तो मु
झेलगा क यार जै
सी थायी और गहर भावना शायद मे
रेजै
सेरं
गीन
ब हमु
ख वभावशाली केिलए हैह नह ं
। यार जै
सी ग भीर और खतरनाक तू
फानी भावना को अपनेक ध पर ढोने
का खतरा दे
वता या बुह न ह उठा सकतेह-तु
म उसे
वहन कर सकतेहो (कर रहेहो। यार क ित या भी यार
क ह प रचायक हैकपू
र ), मे
रेिलए आँ
सओ
ु ंक लहर म डू
ब जाना स भव नह ं
। या तो यार आदमी को बादल क
ऊँ
चाई तक उठा ले
जाता है
, या वग सेपाताल म फक दे
ता है
। ले
कन कु
छ ाणी ह, जो न वग केह न नरक के
,
वे
दोन लोक केबीच म अ धकार क परत म भटकते
रहते
ह। वेकसी को यार नह ंकरते
, छायाओंको पकड़ने
का
यास करते
ह, या शायद यार करतेह या िनर तर नयी अनु
भिू
तय केपीछेद वानेरहते
ह और यार ब कु
ल करते
ह नह ं
। उनको न द:ु
ख होता हैन सु
ख, उनक दिु
नया म के
वल सं
शय, अ थरता और यास होती है
...कपू
र , म उसी
अभागेलोक क एक यासी आ मा थी। अपने
एका त सेघबराकर तुह अपनेबाहु
पाश म बाँ
धकर तुहारेव ास को
वग से
खीं
च लायी थी। तु
म वग- दे
वता, भू
लकर मे
रेअिभश लोक म आ गये
थे।

आज मालू
म होता हैक फर तुहारेव ास नेतुह पु
कारा है
। म अपनी यास म खु
द धधक उठू

, ले
कन तुह
मने
अपना िम माना था। तु
म पर म आँ
च नह ंआनेदे
ना चाहती। तु
म मे
रेयो य नह ं
, तु
म अपनेव ास केलोक म
लौट जाओ।

म जानती हू
ँतु
म मे
रेिलए िच तत हो। ले
कन मने
अपना रा ता िन त कर िलया है
। ी बना पुष केआ य
केनह ंरह सकती। उस अभागी को जै
से कृ
ित ने
कोई अिभशाप देदया है
।...म थक गयी हू
ँइस म
ेलोक क भटकन
से
।...म अपने
पित केपास जा रह हू

। वे मा कर दगे
, मु
झेव ास है

उ ह ंकेपास य जा रह हू

? इसिलए मे
रेिम , क म अब सोच रह हू
ँक ी वाधीन नह ंरह सकती। उसके
पास प ी व केिसवा कोई चारा नह ं
। जहाँजरा वाधीन हु
ई क बस उसी अ धकू
प म जा पड़ती हैजहाँम थी। वह
अपना शर र भी खोकर तृ
ि नह ंपाती। फर यार से
तो मे
र ा व ास जै
सेउठा जा रहा है
, यार थायी नह ंहोता। म
ईसाई हू

, पर सभी अनु
भव केबाद मु
झेपता लगता है क ह दओ
ुंकेयहाँ म
े नह ंवरन धम और सामा जक
प र थितय केआधार पर ववाह क र ित बहु
त वैािनक और नार केिलए सबसे यादा लाभदायक है
। उसम नार
को थोड़ा ब धन चाहे य न हो ले
कन दािय व रहता है
, स तोष रहता है
, वह अपने
घर क रानी रहती है
। काश क
तु
म समझ पातेक खु
लेआकाश म इधर-उधर भटकनेकेबाद, तू
फान सेलड़नेकेबाद म कतनी आतु
र हो उठ हू

ब धन केिलए, और कसी सश डाल पर बने
हुए सु
खद, सु
कोमल नीड़ म बसे
र ा ले
नेकेिलए। जस नीड़ को म इतने
दन पहलेउजाड़ चु
क थी, आज वह फर मु
झेपु
कार रहा है
। हर नार केजीवन म यह ण आता हैऔर शायद
इसीिलए ह द ूम
े केबजाय ववाह को अिधक मह व दे
तेह।

म तुहारेपास नह ं क । म जानती थी क हम दोन केस ब ध म ार भ सेइतनी विच ताएँथींक हम


दोन का स ब ध थायी नह ंरह सकता था, फर भी जन ण म हम दोन एक ह तू
फान म फँ
स गयेथे
, वे ण
मे
रेिलए अमूय िनिध रहगे
। तु
म बु
र ा न मानना। म तु
मसेजरा भी नाराज नह ंहू

। म न अपनेको गु
नहगार मानती
हू

, न तुह, फर भी अगर तु
म मे
र सलाह मान सको तो मान ले
ना। कसी अ छ -सी सीधी-साद ह द ूलड़क से
अपना ववाह कर ले
ना। कसी बहु
त बौ क लड़क , जो तुह यार करनेका दम भरती हो, उसकेफ देम न फँ
सना
कपू
र, म उ और अनु
भव दोन म तु
मसेबड़ हू

। ववाह म भावना या आकषण अकसर जहर बखे
र दे
ता है
। याह
करनेकेबाद एक-आध मह ने
केिलए अपनी प ी स हत मे
रेपास ज र आना, कपू
र । म उसेदे
खकर वह स तोष पा
लू

ँी, जो हमार स यता ने
हम अभाग से
छ न िलया है

अभी म साल भर तक तु
मसेनह ंिमलू

ँी। मु
झेतु
मसेअब भी डर लगता हैले
कन इस बीच म तु
म बट का
खयाल रखना। कभी-कभी उसेदे
ख ले
ना। पयेक कमी तो उसे
न होगी। बीवी भी उसे
ऐसी िमल गयी है
, जसने
उसे
ठ क कर दया है
...उस अभागेभाई से
अलग होते
हुए मु
झेकै
सा लग रहा है
, यह तु
म जानते
, अगर तु
म बहन होते

अगला प तुह तभी िलखू



गी जब मे
रेपित से
मेर ा समझौता हो जाएगा...नाराज तो नह ंहो?
- िमला ड ू
ज।''

च दर प मी को लौटानेनह ंगया। कॉले


ज भी नह ंगया। एक ल बा-सा खत बनती को िलखता रहा और इसक
ितिल प कर दोन न थी कर भे
ज दये
और उसकेबाद थककर सो गया... बना खाना खाये
!

तीन

गिमय क छु टयाँहो गयी थींऔर च दर छु टयाँबतानेद ली गया था। सु


धा भी आयी हु
ई थी। ले
कन
च दर और सु
धा म बोलचाल नह ंथी। एक दन शाम केव डॉ टर साहब ने
च दर से
कहा, ''च दर, सु
धा इधर बहु

अनमनी रहती है
, जाओ इसेकह ंघु
मा लाओ।'' च दर बड़ मुकल से
राजी हु
आ। दोन पहले
कनॉट ले
स पहु

चे
। सु
धा
नेबहु
त फ क और टू
टती हु
ई आवाज म कहा, ''यहाँबहु
त भीड़ है
, मे
र तबीयत घबराती है
।'' च दर नेकार घु
मा द
शहर से
बाहर रोहतक क सड़क पर, द ली सेप ह मील दरू
। च दर ने
एक बहु
त हर -भर जगह म कार रोक द ।
कसी बहु
त पु
र ानेपीर का टू
टा-फू
टा मजार था और क केचबू
तरेको फोडक़र एक नीम का पे
ड़ उग आया था। चबू
तरे
केदो-तीन प थर िगर गयेथे
। चार-पाँ
च नीम केपे
ड़ लगेथेऔर क केप थर केपास एक िचराग बु
झा हु
आ पड़ा
था और कई एक सू
खी हु
ई फू
ल-मालाएँ
हवा सेउड़कर नीचेिगर गयी थीं
। क केआस-पास ढे
र नीम केितनकेऔर
सू
खेहु
ए नीम केफू
ल जमा थे

सु
धा जाकर चबू
तरेपर बै
ठ गयी। दरू
-दरूतक स नाटा था। न आदमी न आदमजाद। िसफ गोधू
िल केअलसाते
हुए
झ क म नीम चरमरा उठते
थे। च दर आकर सु
धा क दस
ूर ओर बै
ठ गया। चबू
तरेपर इस ओर सु
धा और उस ओर
च दर, बीच म िचर-नीरव क ...

सु
धा थोड़ दे
र बाद मु
ड़ और च दर क ओर दे
खा। च दर एकटक क क ओर दे
ख रहा था। सु
धा नेएक सू
खा
हार उठाया और च दर पर फककर कहा, ''च दर, या हमे
शा मु
झेइसी भयानक नरक म रखोगे
? या सचमु
च हमे
शा
केिलए तुहारा यार खो दया हैमने
?''

''मे
र ा यार?'' च दर हँ
सा, उसक हँ
सी उस स नाटेसेभी यादा भयं
कर थी...''मे
र ा यार! अ छ याद दलायी
तु
मने
! म आज यार म व ास नह ंकरता। या यह कहू
ँक यार केउस प म व ास नह ंकरता!''

'' फर?''

'' फर या, उस समय मे


रेमन म यार का मतलब था याग, क पना, आदश। आज म समझ चु
का हू
ँक यह
सब झू
ठ बात ह, खोखले
सपने
ह!''

''तब?''

''तब! आज म व ास करता हू
ँक यार केमानेिसफ एक है
; शर र का स ब ध! कम-से
-कम औरत केिलए।
औरत बड़ बात करे
गी, आ मा, पु
नज म, परलोक का िमलन, ले
कन उसक िस िसफ शर र म हैऔर वह अपने
यार क मं
जल पार कर पुष को अ त म एक ह चीज दे
ती है
-अपना शर र। म तो अब यह व ास करता हू
ँसु
धा
क वह औरत मु
झे यार करती हैजो मु
झेशर र देसकती है
। बस, इसकेअलावा यार का कोई प अब मे
रेभा य
म नह ं
।'' च दर क आँ
ख म कु
छ धधक रहा था...सु
धा उठ , और च दर केपास खड़ हो गयी-''च दर, तु
म भी एक
दन ऐसे
हो जाओगे
, इसक मु
झेकभी उ मीद नह ंथी। काश क तु
म समझ पातेक...'' सु
धा ने
बहु
त दद भरे वर म
कहा।

'' ने
ह है
!'' च दर ठठाकर हँ
स पड़ा-और उसनेसु
धा क ओर मु
डक़र कहा, ''और अगर म उस ने
ह का माण
माँ
गँ
ूतो? सु
धा!'' दाँ
त पीसकर च दर बोला, ''अगर तु
मसे
तुहारा शर र माँ
गँ
ूतो?''

''च दर!'' सु
धा चीखकर पीछेहट गयी। च दर उठा और पागल क तरह उसने
सुधा को पकड़ िलया, ''यहाँकोई
नह ंहै
-िसवा इस क के
। तु
म या कर सकती हो? बहु
त दन सेमन म एक आग सु
लग रह है
। आज तुह बबाद
कर दँ
ूतो मन क नारक य वे
दना बु
झ जाए....बोलो!'' उसने
अपनी आँ
ख क पघली हु
ई आग सु
धा क आँ
ख म भरकर
कहा।

सु
धा ण-भर सहमी-पथरायी से
च दर क ओर दे
खती रह फर सहसा िशिथल पड़ गयी और बोली, ''च दर,
म कसी क प ी हू

। यह ज म उनका है
। यह माँ
ग का िस दरूउनका है
। इस शर र का शृ

ंार उनका है
। मु
झ गला
घ टकर मार डालो। मने
तुह बहु
त तकलीफ द है
। ले
कन...''

''ले
कन...'' च दर हँ
सा और सु
धा को छोड़ दया, ''म तुह ने
ह करती हू

, ले
कन यह ज म उनका है
। यह शर र
उनका है
-ह:! ह:! या अ दाज ह वं
चना के
। जाओ सु
धा...म तु
मसे
मजाक कर रहा था। तुहारेइस जू
ठेतन म रखा
या है
?''

सु
धा अलग हटकर खड़ हो गयी। उसक आँ
ख से
िचनगा रयाँझरने
लगीं
, ''च दर, तु
म जानवर हो गये
; म आज
कतनी शिम दा हू

। इसम मे
र ा कसू
र है
, च दर! म अपनेको दं
ड दँ

ूी, च दर! म मर जाऊँ
गी! ले
कन तुह इं
सान
बनना पड़े
गा, च दर!'' और सु
धा ने
अपना िसर एक टू
टेहु
ए ख भे
पर पटक दया।

च दर क आँ
ख खु
ल गयी, वह थोड़ दे
र तक सपने
पर सोचता रहा। फर उठा। बहु
त अजब-सा मन था उसका।
बहु
त परा जत, बहु
त खोया हु
आ-सा, बे
हद खिसयाहट सेभरा हु
आ था। उसकेमन म एकाएक खयाल आया क वह
कसी मनोरं
जन म जाकर अपने
को डु
बो दे
-बहु
त दन सेउसनेिसने
मा नह ंदे
खा था। उन दन बनाड शॉ का 'सीजर
ऐं
ड लयोपेा' लगा हु
आ था, उसनेसोचा क प मी क िम ता का प रपाक िसने
मा म हु
आ था, उसका अ त भी वह
िसने
मा दे
खकर मनाएगा। उसने
कपड़ेपहने
, चार बजेसे
मैटनी थी, और व हो रहा था। कपड़ेपहनकर वह शीशेके
सामनेआकर बाल सँ
वारनेलगा। उसेलगा, शीशेम पड़ती हु
ई उसक छाया उससेकु
छ िभ न है
, उसनेऔर गौर से
दे
खा-छाया रह यमय ढं
ग से
मुकरा रह थी; वह सहसा बोली-

'' या दे
ख रहा है
?'' 'मु
खड़ा या दे
खेदरपन म।' एक लड़क से
परा जत और दस
ूर से
सपने
म ित हं
सा ले
नेका
कलं
क नह ंदख पड़ता तु
झे
? अपनी छ व िनरख रहा है
? पापी! पितत!''

कमरेक द वार ने
दोहराया-''पापी! पितत!''

च दर तड़प उठा, पागल-सा हो उठा। कं


घा फककर बोला, ''कौन हैपापी? म हू
ँपापी? म हू
ँपितत? मु
झेतु
म नह ं
समझते
। म िचर-प व हू

। मु
झेकोई नह ंजानता।''
''कोई नह ंजानता! हा, हा!'' ित ब ब हँ
सा, ''म तुहार नस-नस जानता हू

। तु
म वह हो न जसनेआज सेडे

साल पहलेसपना दे
खा सु
धा केहाथ सेले
कर अमृ
त बाँ
टने
का, दिु
नया को नया स दे
श दे
कर पै
ग बर बननेका। नया
स दे
श! खू
ब नया स दे
श दया मसीहा! प मी... बनती...सु
धा...कु
छ और छोक रयाँबटोर ले
। च र ह न!''

''मनेकसी को नह ंबटोरा! जो मे
र जं
दगी म आया, अपने
-आप आया, जो चला गया, उसेमनेरोका नह ं
। मे
रे
मन म कह ंभी अहम क यास नह ंथी, कभी भी वाथ नह ंथा। या म चाहता तो सु
धा को अपनेएक इशारेसे
अपनी बाँ
ह म नह ंबाँ
ध सकता था!''

''शाबाश! और नह ंबाँ
ध पायेतो सु
धा सेभी जी भरकर बदला िनकाल रहा है
। वह मर रह हैऔर तूउस पर
नमक िछड़कनेसे
बाज नह ंआया। और आज तो उसेएका त म करनेका सपना दे
ख अपनी पलक को दे
वम दर
क तरह प व बना िलया तू
न!े कतनी उ नित क हैते
र आ मा ने
! इधर आ, ते
र ा हाथ चू
म लू
।ँ
''

''चु
प रहो! पराजय क इस वे
ला म कोई भी यं
य करने
सेबाज नह ंआता। म पागल हो जाऊँ
गा।''

''और अभी या पागल से


कम हैतू
? अहं
कार पशु
! तूबट सेभी गया-गु
जरा है
। बट पागल था, ले
कन पागल
कु क तरह काटना नह ंजानता था। तूकाटना भी जानता हैऔर अपनेभयानक पागलपन को साधना और याग
भी सा बत करता रहता है
। द भी!''

''बस करो, अब तु
म सीमा लाँ
घ रहेहो।'' च दर ने
मुठयाँकसकर जवाब दया।

'' य , गुसा हो गये


, मे
रेदो त! अहं
वाद इतनेबड़ेहो और अपनी त वीर दे
खकर नाराज होतेहो! आओ, तुह
आ ह ते
सेसमझाऊँ
, अभागे
! तू
कहता हैतू
ने वाथ नह ंकया। वकलां
ग दे
वता! वह वाथ हैजो अपने
सेऊपर नह ं
उठ पाता! ते
रेिलए अपनी एक साँ
स भी दस
ूरेकेमन केतू
फान सेभी यादा मह वपू
ण रह है
। तू
नेअपनेमन क
उपेा केपीछेसु
धा को भ ट म झ क दया। प मी केअ व थ मन को पहचानकर भी उसके प का उपभोग करने
म नह ंहचका, बनती को यार न करतेहु
ए भी बनती को तू
ने वीकार कया, फर सब का ितर कार करता
गया...और कहता हैतू वाथ नह ं
। बट पागल हो ले
कन वाथ नह ंहै
।''

''ठहरो, गािलयाँमत दो, मु


झेसमझाओ न क मे
रेजीवन-दशन म कहाँपर गलती रह है
! गािलय से
मेर ा कोई
समझौता नह ं
।''

''अ छा, समझो! दे


खो, म यह नह ंकहता क तु
म ईमानदार नह ंहो, तु
म श शाली नह ंहो, ले
कन तु

अ तमु
खी रहे
, घोर य वाद रहे
, अहं
कार त रहे
। अपनेमन क वकृ
ितय को भी तु
मनेअपनी ताकत समझनेक
कोिशश क । कोई भी जीवन-दशन सफल नह ंहोता अगर उसम बा यथाथ और यापक स य धू
प-छाँ
ह क तरह न
िमला हो। म मानता हू
ँक तू
नेसु
धा केसाथ ऊँ
चाई िनभायी, ले
कन अगर ते
रे य व को, ते
रेमन को, जरा-सी ठे

पहु

चती तो तू
गुमराह हो गया होता। तू
नेसु
धा के ने
ह का िनषे
ध कर दया। तू
नेबनती क ा का ितर कार कया।
तू
नेप मी क प व ता क ...और इसे
अपनी साधना समझता है
? तूयाद कर; कहाँथा तू
एक वष पहलेऔर अब
कहाँहै
?''

च दर नेबड़ कातरता से ित ब ब क ओर दे
खा और बोला, ''म जानता हू

, म गु
मराह हू
ँले
कन बे
ईमान नह ं
!
तु
म मु
झे य िध कार रहेहो! तु
म कोई रा ता बता दो न! एक बार उसे
भी आजमा लू
।ँ
''

''रा ता बताऊँ
! जो रा ता तु
मनेएक बार बनाया था, उसी पर तु
म मजबू
त रह पाये
? फर या एक केबाद दस
ूरे
रा तेपर चहलदमी करना चाहतेहो? दे
खो कपू
र , यान सेसु
नो। तु
मसेशायद कसी ने
कभी कहा था, शायद बट ने
कहा था क आदमी तभी तक बड़ा रहता हैजब तक वह िनषे
ध करता चलता है
। पता नह ंकस मानिसक आवे
श म
एक केबाद दस
ूरेत व का व वं
स और वनाश करता चलता है
। हर च टान को उखाड़क फकता रहता हैऔर तु
मने
यह जीवन-दशन अपना िलया था, भू
ल सेया अपनेअनजानेम ह । तुहार आ मा म एक श थी, एक तू
फान था।
ले
कन यह ल य था। तुहार जं
दगी म लहर उठनेलगींले
कन गहराई नह ं
। और याद रखो च दर, स य उसे
िमलता हैजसक आ मा शा त और गहर होती हैसमु क गहराई क तरह। समु क ऊपर सतह क तरह जो
व ु
ध और तू
फानी होता है
, उसकेअं
त म चाहेकतनी गरज हो ले
कन स य क शा त अमृ
तमयी आवाज नह ं
होती।''

''ले
कन वह गहराई मु
झेिमली नह ं
?''

''बताता हू

-घबराते य हो! दे
खो, तु
मम बहु
त बड़ा अधै
य रहा है
। श रह , पर धै
य और ढ़ता ब कु
ल नह ं
। तु

ग भीर समुतल न बनकर एक सश ले
कन अशा त लहर बन गयेजो हर कनारेसेटकराकर उसेतोड़नेकेिलए
य हो उठ । तु
मम ठहराव नह ंथा। साधना नह ंथी! जानते
हो य ? तुह जहाँसे
जरा भी तकलीफ िमली, अवरोध
िमला वह ंसेतु
मनेअपना हाथ खीं
च िलया! वह ंतु
म भाग खड़ेहु
ए। तु
मनेहमे
शा उसका िनषे
ध कया-पहलेतु
मने
समाज का िनषे
ध कया, य को साधना का के बनाया; फर य का भी िनषे
ध कया। अपनेवचार म,
अ तमु
खी भावनाओंम डू
ब गये
, कम का िनषे
ध कया। फर तो कम म ऐसी भागदौड़, ऐसी वमु
खता शु हु
ई क बस!
न मानवता का यार जीवन म ितफिलत कर सका, न सु
धा का। प मी हो या बनती, हरे
क सेतू
िन य खलौने

तरह खे
लता गया। काश क तू
नेसमाज केिलए कु
छ कया होता! सु
धा केिलए कु
छ कया होता ले
कन तू
कुछ न कर
पाया। जसने
तुझेजधर चाहा उधर उ े
रत कर दया और तूअं
धेऔर इ छा वह न परतं अं
धड़ क तरह उधर ह
हू
-हूकरता हु
आ दौड़ गया। माना मनेक समाज केआधार पर बने
जीवन-दशन म कु
छ किमयाँह: ले
कन अं
शत: ह
उसे वीकार कर कु
छ काम करता, माना क सु
धा के यार से
तुझेतकलीफ हु
ई पर उसक मह ा केह आधार पर तू
कु
छ िनमाण कर लेजाता। ले
कन तूतो जरा-सेअवरोध केबहानेस पू
ण का िनषे
ध करता गया। ते
र ा जीवन िनषे

क िन यता क मानिसक ित याओंक शृ

ंला रहा है
। अभागे
, तू
नेहमे
शा जं
दगी का िनषे
ध कया है
। दिु
नया को
वीकार करता, यथाथ को वीकार करता, जं
दगी को वीकार करता और उसकेआधार पर अपनेमन को, अपने
मन
के यार को, अपनेजीवन को स तु
िलत करता, आगेबढ़ता ले
कन तू
नेअपनी मन क गं
गा को य क छोट -सी
सीमा म बाँ
ध िलया, उसे
एक पोखरा बना दया, पानी सड़ गया, उसम गं
ध आने
लगी, सु
धा के यार क सीपी जसम
स य और सफलता का मोती बन सकता था, वह मर गयी और केहु
ए पानी म वकृ
ित और वासना केक ड़ेकु
लबु
लाने
लगे
। शाबाश! या अमृ
त पाया हैतू
न!ेध य है
, अमृ
त-पु!''

''बस करो! यह यं
य म नह ंसह सकता! म या करता!''

''कै
सी लाचार का वर है
! िछह, असफल पै
ग बर! साधना यथाथ को वीकार करकेचलती है
, उसका िनषे
ध करके
नह ं
। हमारेयहाँई र को कहा गया हैने
ित ने
ित, इसका मतलब यह नह ंक ई र परम िनषे
ध व प है
। गलत, ने
ित
म 'न' तो के
वल एक वण है
। 'इित' दो वण ह। एक िनषे
ध तो कम-से
-कम दो वीकृ
ितयाँ
। इसी अनु
पात म क पना और
यथाथ का सम वय य नह ंकया तू
न?
े''

''म नह ंसमझ पाता-यह दशन मे


र समझ म नह ंआता!''

''दे
खो, इसको ऐसे
समझो। घबराओ मत! कै
लाश ने
अगर नार के य व को नह ंसमझा, सु
धा क प व ता को
ितर कृ
त कया, ले
कन उसनेसमाज केिलए कु
छ तो कया। गे
सूनेअपनेववाह का िनषे
ध कया, ले
कन अ तर के
ित अपनेयार का िनषे
ध तो नह ंकया। अपनेय व का िनमाण कया। अपने
चर का िनमाण कया। यानी गे
स,ू
एक लड़क से
तुम हार गये
, िछह!''

''ले
कन म कतना थक गया था, यह तो सोचो। मन को कतनी ऊँ
ची-नीची घा टय से
, मौत सेभी भयानक
रा त से
गुजरने
म और कोई होता तो मर गया होगा। म जं
दा तो हू

!''

''वाह, या जं
दगी है
!''

''तो या क ँ
, यह रा ता छोड़ दँ
?
ूयह य व तोड़ डालू
?
ँ''

'' फर वह िनषे
ध और व वं
स क बात। िछह दे
खो, चलनेको तो गाड़ का बै
ल भी रा तेपर चलता है
! ले
कन
सै
कड़ मील चलने
केबाद भी वह गाड़ का बै
ल ह बना रहता है
। या तु
म गाड़ केबै
ल बनना चाहते
हो? नह ंकपू
र!
आदमी जं
दगी का सफर तय करता है
। राह क ठोकर और मु
सीबत उसके य व को पुता बनाती चलती ह, उसक
आ मा को प रप व बनाती चलती ह। या तु
मम प रप वता आयी? नह ं
। म जानता हू

, तु
म अब मे
र ा भी िनषे
ध करना
चाहते
हो। तु
म मे
र आवाज को भी चु
प करना चाहतेहो। आ म- वं
चना तो ते
र ा पे
शा हो गया है
। कतना खतरनाक है
तू
अब...तू
मेर ा भी...ितर कार...करना...चाहता...है
।'' और छाया, धीरे
-धीरेएक वह ब द ु
बनकर अ य हो गयी।

च दर चु
पचाप शीशे
केसामने
खड़ा रहा।

फर वह िसने
मा नह ंगया।

च दर सहसा बहु
त शा त हो गया। एक ऐसेभोलेब चेक तरह जसनेअपराध कम कया, जससेनु
कसान
यादा हो गया था, और जस पर डाँ
ट बहु
त पड़ थी। अपनेअपराध क चे
तना से
वह बोल भी नह ंपाता था। अपना
सारा दख
ु अपनेऊपर उतार ले
ना चाहता था। वहाँएक ऐसा स नाटा था जो न कसी को आने
केिलए आम त कर
सकता था, न कसी को जानेसे
रोक सकता था। वह एक ऐसा मै
दान था जस पर क सार पगडं
डयाँतक िमट गयी
ह ; एक ऐसी डाल थी जस पर केसारेफू
ल झर गये
ह , सारेघ सलेउजड़ गये
ह । मन म उसकेअसीम कं

ठा और
दना थी, ऐसा था क कोई उसकेघाव छूलेतो वह आँ
वे सओ
ु ंम बखर पड़े
। वह चाहता था, वह सबसे मा माँ
ग ले
,
बनती से
, प मी से
, सु
धा से
और फर हमे
शा केिलए उनक दिु
नया से
चला जाए। कतना दख
ु दया था उसने
सबको!

इसी मन: थित म एक दन गे


सूनेउसे
बुलाया। वह गया। गे
सूक अ मीजान तो सामने
आयींपर गे
सूने
परदे
म से
ह बात क ं
। गे
सूनेबताया क सु
धा का खत आया हैक वह ज द ह आएगी, गे
सूसेिमलने
। गे
सूको बहु

ता जु
ब हु
आ क च दर केपास कोई खबर य नह ंआयी!
च दर जब घर पहु

चा तो कै
लाश का एक खत िमला-

'' य च दर,

बहु
त दन से
तुहारा कोई खत नह ंआया, न मे
रेपास न इनकेपास। या नाराज हो हम दोन से
? अ छा तो
लो, तुह एक खु
शखबर सु
ना दँ
।ूम सांकृ
ितक िमशन म शायद ऑ े
िलया जाऊँ
। डॉ टर साहब ने
कोिशश कर द है

आधा पया मे
र ा, आधा सरकार का।

तुह भला या फु
रसत िमले
गी यहाँआनेक ! म ह इ ह ले
कर दो रोज केिलए आऊँ
गा। इनक कोई मु
सलमान
सखी हैवहाँ
, उससेयेभी िमलना चाहती ह। हमार खाितर का इ तजाम रखना-म 11 मई को सु
बह क गाड़ से
पहु

चँ

गा।

तुहारा-कै
लाश।''

सु
धा केआने
केपहले
च दर ने
घर क ओर नजर दौड़ायी। िसवा ाइं
ग म और लॉन केसचमु
च बाक घर इतना
ग दा पड़ा था क गे
सूसच ह कह रह थी क जै
सेघर म त
े रहतेह । आदमी चाहेजतना सफाई-पस द और
सुिचपू
ण य न हो, ले हैक वह घर को छू
कन औरत केहाथ म जाने या जाद ू कर ह चमका दे
ती है
। औरत के
बना घर क यव था सँ
भल ह नह ंसकती। सु
धा और बनती कोई भी नह ंथी और तीन ह मह नेम बँ
गलेका प
बगड़ गया था।

उसनेसारा बँ
गला साफ कराया। हालाँ
क दो ह दन केिलए सु
धा और कै
लाश आ रहेथे
, ले
कन उसनेइस तरह
बँ
गलेक सफाई करायी जै
सेकोई नया समारोह हो। सु
धा का कमरा बहु
त सजा दया था और सु
धा क छत पर दो
पलँ
ग डलवा दयेथे
। ले
कन इन सब इं
तजाम केपीछेउतनी ह िन य भावह नता थी जै
सेक वह एक होटल का
मै
नज
ेर हो और दो आग तु
क का इ तजाम कर रहा हो। बस।

मानसू
न के दन म अगर कभी कसी ने
गौर कया हो तो बा रश होनेकेपहलेह हवा म एक नमी, प य पर
एक ह रयाली और मन म एक उमं
ग-सी छा जाती है
। आसमान का रं
ग बतला दे
ता हैक बादल छाने
वालेह, बू


रम झमानेवाली ह। जब बादल बहु
त नजद क आ जातेह, बू

ँ पड़नेकेपहलेह दरूपर िगरती हु
ई बू

ँ क आवाज
वातावरण पर छा जाती है
, जसे
धुर वा कहते
ह।

य - य सु
धा केआनेका दन नजद क आ रहा था, च दर केमन म हवाएँकरवट बदलनेलग गयी थीं
। मन
म उदास सु
नसान म धु
र वा उमड़ने
-घु
मड़नेलगा था। मन उदास सु
नसान आकु
ल ती ा म बे
चै
न हो उठा था। च दर
अपनेको समझ नह ंपा रहा था। नस म एक अजीब-सी घबराहट मचलनेलगी थी, जसका वह व े
षण नह ंकरना
चाहता था। उसका य व अब पता नह ं य कु
छ भयभीत-सा था।

इ तहान ख म हो रहेथे
, और जब मन क बे
चै
नी बहु
त बढ़ जाती थी तो पर क क आदत केमु
ता बक वह
का पयाँजाँ
चनेबै
ठ जाता था। जस समय पर क केघर म पा रवा रक कलह हो, मन म अं
त हो या दमाग म
फतू
र हो, उस समय उ ह कॉ पयाँजाँ
चनेसे
अ छा शरण थल नह ंिमलता। अपनेजीवन क पर ा म फे
ल हो जाने
क खीझ उतारने
केिलए लडक़ को फे
ल करने
केअलावा कोई अ छा रा ता ह नह ंहै
। च दर जब बे
हद द:ु
खी होता
तो वह कॉ पयाँजाँ
चता।

जस दन सु
बह सु
धा आ रह थी, उस रात को तो च दर का मन ब कु
ल बे
काबू
-सा हो गया। लगता था जै
से
उसनेसोचने
- वचानेसेह इनकार कर दया हो। उस दन च दर एक ण को भी अके
ला न रहकर भीड़-भाड़ म खो
जाना चाहता था। सु
बह वह गं
गा नहानेगया, कार ले
कर। कॉले
ज से
लौटकर दोपहर को अपनेएक िम केयहाँचला
गया। लौटकर आया तो नहाकर एक कताब क दक
ुान पर चला गया और शाम होनेतक वह ंखड़ा-खड़ा कताब
उलटता और खर दता रहा। वहाँउसनेबस रया का गीत-संह दे
खा जो ' बनती' नाम बदल उसने' व लव' नाम से
छपवा िलया था और मु
ख गितशील क व बन गया था। उसने
वह संह भी खर द िलया।

अब सु
धा केआने
म मुकल सेबारह घं
टेक दे
र थी। उसक तबीयत बहु
त घबरानेलगी थी और वह बस रया
केका य-संह म डू
ब गया। उन सड़ेहु
ए गीत म ह अपनेको भु
लानेक कोिशश करनेलगा और अ त म उसने
अपने
को इतना थका डाला क तीन बजेका अलाम लगाकर वह सो गया। सु
धा क गाड़ साढ़ेचार बजेआती थी।

जब वह जागा तो रात अपने


मखमली पं
ख पसारेनीं
द म डू
बी हु
ई दिु
नया पर शा त का आशीवाद बखे
र रह थी।
ठं ई थी। यह पछु
डेझ केलहरा रहेथेऔर उन झ क पर प व ता छायी हु आ केझ केथे
। ा मु
हू
त म ाचीन आय
ने
जो रह य पाया था, वह धीरे
-धीरेच दर क आँ
ख केसामने
खुलने
-सा लगा। उसेलगा जै
सेयह उसके य व क
नयी सु
बह है
। एक बड़ा शा त सं
गीत उसक पलक पर ओस क तरह िथरकने
लगा।

ितज केपास एक बड़ा-सा िसतारा जगमगा रहा था! च दर को लगा जै


सेयह उसके यार का िसतारा हैजो
जानेकस अ ात पाताल म डू
ब गया था और आज सेवह फर उग गया है
। उसनेएक अ ध व ासी भोलेब चेक
तरह उस िसतारेको हाथ जोडक़र कहा, ''मे
र कं
चन जै
सी सु
धा रानी के यार, तु
म कहाँखो गयेथे
? तु
म मे
रेसामने
नह ंरहे
, म जानेकन तू
फान म उलझ गया था। मे
र आ मा म सार गुता सु
धा के यार क थी। उसेमनेखो
दया। उसकेबाद मे
र आ मा पीले
प ेक तरह तू
फान म उड़कर जानेकस क चड़ म फँ
स गयी थी। तु
म मे
र सु
धा के
यार हो न! मने
तुह सु
धा क भोली आँ
ख म जगमगातेहु
ए दे
खा था। वे
दमं-जै
सेइस प व सु
बह म आज फर मे
रे
पाप म िल तन को अमृ
त सेधोनेआये
हो। म व ास दलाता हू
ँक आज सु
धा केचरण पर अपनेजीवन केसारे
गु
नाह को चढ़ाकर हमे
शा केिलए मा माँ
ग लू

ँा। ले
कन मे
र साँ
स क साँ
स सु
धा! मु
झे मा कर दोगी न?'' और
विच -सेभावावे
श और पु
लक से
उसक आँ
ख म आँ
सूआ गये
। उसे
याद आया क एक दन सु
धा ने
उसक हथे
िलय
को होठ सेलगाकर कहा था-जाओ, आज तु
म सु
धा के पश से
पव हो...काश क आज भी सु
धा अपनेिमसर -जै
से
होठ सेच दर क आ मा को चू
मकर कहे
-जाओ च दर, अभी तक जं
दगी केतू
फान नेतुहार आ मा को बीमार,
अप व कर दया था...आज सेतु
म वह च दर हो। अपनी सु
धा केच दर। ह रणी-जै
सी भोली-भाली सु
धा केमहान
पव च दर...

तै
यार होकर च दर जब टे
शन पहु

चा तो वह जै
सेमोहा व -सा था। जै
सेवह कसी जाद ूया टोना पढ़ा-हु
आ-सा
घू
म रहा था और वह जाद ू
था सु
धा के यार का पु
नरावतन।

गाड़ घं
टा-भर ले
ट थी। च दर को एक पल काटना मुकल हो रहा था। अ त म िसगनल डाउन हु
आ। कु
िलय म
हलचल मची और च दर पटर पर झु
ककर दे
खने
लगा। सु
बह हो गयी थी और इं
जन दरूपर एक काले
दाग-सा दखाई
पड़ रहा था, धीरे
-धीरेवह दाग बड़ा होनेलगा और ल बी-सी हर पू

ँ क तरह लहराती हु
ई े
न आती दखाई पड़ ।
च दर केमन म आया, वह पागल क तरह दौड़कर वहाँपहु

च जाए। जस दन एक घोर अ व ासी म व ास जाग
जाता है
, उस दन वह पागल-सा हो उठता है
। उसे
लग रहा था जै
सेइस गाड़ म सभी ड बे
खाली ह। िसफ एक ड बे
म अके
ली सु
धा होगी। जो आते
ह च दर को अपनी यार-भर िनगाह म समे
ट ले
गी।

गाड़ के ले
टफाम पर आते
ह हलचल बढ़ गयी। कु
िलय क दौड़धू
प, मु
सा फर क हड़बड़ , सामान क उठा-धर
सेले
टफॉम भर गया। च दर पागल -सा इस सब भीड़ को चीरकर ड बेदे
खनेलगा। एक दफेपू
र गाड़ का च कर
लगा गया। कह ंभी सु
धा नह ंदखाई द । जै
सेआँ
सूसेउसका गला ँ
धनेलगा। या आयेनह ंयेलोग! क मत
कतना यं
य करती हैउससे
! आज जब वह कसी केचरण पर अपनी आ मा उ सग कर फर प व होना चाहता था
तो सु
धा ह नह ंआयी। उसने
एक च कर और लगाया और िनराश होकर लौट पड़ा। सहसा से
कड लास केएक छोटे
-
सेड बे
म से
कैलाश ने
झाँ
ककर कहा, ''कपू
र !''

च दर मु
ड़ा, दे
खा क कै
लाश झाँ
क रहा है
। एक कु
ली सामान उतारकर खड़ा है
। सु
धा नह ंहै

जै
सेकसी नेझ केसेउसकेमन का द प बु
झा दया। सामान बहु
त थोड़ा-सा था। वह ड बेम चढक़र बोला,
''सु
धा नह ंआयी?''

''आयी ह, दे
खो न! कु
छ तबीयत खराब हो गयी है
। जी िमतला रहा है
।'' और उसनेबाथ म क ओर इशारा कर
दया। सु
धा बाथ म म बगल म लोटा रखेिसर झु
कायेबै
ठ थी-''दे
खो! दे
खती हो?'' कै
लाश बोला, ''दे
खो, कपू
र आ
गया।'' सु
धा ने
देखा और मुकल से
हाथ जोड़ पायी होगी क उसे
िमतली आ गयी...कै
लाश दौड़ा और उसक पीठ पर
हाथ फे
रने
लगा और च दर सेबोला-''पं
खा लाओ!'' च दर हत भ था। उसकेमन नेसपना दे
खा था...सु
धा िसतार क
तरह जगमगा रह होगी और अपनी रोशनी क बाँ
ह म च दर के ाण को सु
ला दे
गी। जादग
ूरनी क तरह अपनेयार
केपं
ख सेच दर क आ मा केदाग प छ दे
गी। ले
कन यथाथ कु
छ और था। सु
धा जादग
ूरनी, आ मा क रानी,
प व ता क सा ा ी सु
धा, बाथ म म बै
ठ हैऔर उसका पित उसे
सा वना देरहा था।

'' या कर रहेहो, च दर!...पं


खा उठाओ ज द से
।'' कै
लाश नेय ता से
कहा। च दर च क उठा और जाकर पं
खा
झलने
लगा। थोड़ दे
र बाद मु

ँ धोकर सु
धा उठ और कराहती हु
ई-सी जाकर सीट पर बै
ठ गयी। कै
लाश ने
एक त कया
पीछेलगा दया और वह आँ
ख ब द करकेले
ट गयी।

च दर ने
अब सु
धा को दे
खा। सु
धा उजड़ चु
क थी। उसका रस मर चु
का था। वह अपनेयौवन और प, चं
चलता
और िमठास क एक जद छाया मा रह गयी थी। चे
हरा दब
ुला पड़ गया था और ह डयाँिनकल आयी थीं
। चे
हरा
दब
ुला होनेसे
लगता था आँ
ख फट पड़ती ह। वह चु
पचाप आँ
ख ब द कये
पड़ थी। च दर पं
खा हाँ
क रहा था, कै
लाश
एक सू
टके
स खोलकर दवा िनकाल रहा था। गाड़ यह ंआकर क जाती है
, इसिलए कोई ज द नह ंथी। कै
लाश ने
दवा
द । सु
धा नेदवा पी और फर उदास, बहु
त बार क, बहु
त बीमार वर म बोली, ''च दर, अ छेतो हो! इतने
दबुलेकै
से
लगतेहो? अब कौन तुहारेखाने
-पीने
क परवा करता होगा!'' सु
धा नेएक गहर साँ
स ली। कै
लाश ब तर लपे
ट रहा
था।

''तुह या हो गया है
, सु
धा?''
''मु
झेसु
ख-रोग हो गया है
!'' सु
धा बहु
त ीण हँ
सी हँ
सकर बोली, ''बहु
त सु
ख म रहने
सेऐसा ह हो जाता है
।''

च दर चु
प हो गया। कै
लाश नेब तर कु
ली को दे
तेहु
ए कहा, ''इ ह ने
तो बीमार केमारेहम लोग को परे
शान
कर रखा है
। जाने
बीमा रय को या मु
ह बत हैइनसे
! चलो उठो।'' सु
धा उठ ।

कार पर सु
धा केसाथ पीछेसामान रख दया गया और आगेकै
लाश और च दर बै
ठे
। कै
लाश बोला, ''च दर, तु

बहु
त धीमे ाइव करना वरना इ ह च कर आनेलगे
गा...'' कार चल द । च दर कै
लाश क वदे
श-या ा और कै
लाश
च दर केकॉले
ज केबारेम बात करते
रहे
। मुकल सेघर तक कार पहु

ची होगी क कै
लाश बोला, ''यार च दर, तुह
तकलीफ तो होगी ले
कन एक दन केिलए कार तु
म मु
झेदेसकते
हो?''

'' य ?''

''मु
झेजरा र वाँतक बहु
त ज र काम सेजाना है
, वहाँकु
छ लोग सेिमलना है
, कल दोपहर तक म चला
आऊँ
गा।''

''इसकेमतलब मे
रेपास नह ंरहोगेएक दन भी?''

''नह ं
, इ ह छोड़ जाऊँ
गा। लौटकर दन-भर रहू

गा।''

''इ ह छोड़ जाओगे


? नह ंभाई, तु
म जानते
हो क आजकल घर म कोई नह ंहै
।'' च दर ने
कुछ घबराकर कहा।

''तो या हु
आ, तु
म तो हो!'' कै
लाश बोला और च दर केचे
हरेक घबराहट दे
खकर हँ
सकर बोला, ''अरेयार, अब
तु
म पर इतना अ व ास नह ंहै
। अ व ास करना होता तो याह केपहले
ह कर ले
त।े
''

च दर मुकरा उठा, कै
लाश नेच दर केक धेपर हाथ रखकर धीमेसेकहा ता क सु
धा न सु
न पाये
-''वै
सेचाहे
मु
झेकु
छ भी अस तोष य न हो, ले
कन इनका च र तो सोने
का है
, यह म खू
ब परख चु
का हू

। इनका ऐसा च र
बनाने
केिलए तो म तुह बधाई दँ

ूा, च दर! और फर आज केयु
ग म!''

च दर ने
कुछ जवाब नह ंदया।

कार पो टको म लगी। सु


धा, कै
लाश, च दर उतरे
। माली और नौकर दौड़ आये
, सु
धा नेउन सबसेउनका हाल
पू
छा। अ दर जाते
ह महरा जन दौडक़र सु
धा से
िलपट गयी। सु
धा को बहु
त दल
ुार कया।

कै
लाश मु

ँ-हाथ धो चु
का था, नहाने
चला गया। महरा जन चाय बनानेलगी। सु
धा भी मु

ँ-हाथ धोने
और नहाने
चली गयी। कै
लाश तौिलया लपे
टेनहाकर आया और बै
ठ गया। बोला, ''आज और कल क छुट ले
लो, च दर! इनक
तबीयत ठ क नह ंहैऔर मु
झेजाना ज र है
!''

''अ छा, ले
कन आज तो जाकर हा जर दे
ना ज र होगा। फर लौट आऊँ
गा!'' महरा जन चाय और ना ता ले
आयी। कै
लाश नेना ता लौटा दया तो महरा जन बोली, ''वाह, दामाद हु
इकेअके
ली चाय पीबो भइया, अब हन डॉ टर
साहब सु
िनह तो का क हह।''
''नह ंमाँ
जी, मे
र ा पे
ट ठ क नह ंहै
। दो दन केजागरण सेआ रहा हू

। फर लौटकर खाऊँ
गा। लो च दर, चाय
पयो।''

''सु
धा को आने
दो!'' च दर बोला।

''वह पू
जा-पाठ करकेखाती ह।''

''पू
जा-पाठ!'' च दर दं
ग रह गया, ''सु
धा पू
जा-पाठ करने
लगी?''

''हाँभाई, तभी तो हमार माताजी अपनी बहूपर मरती ह। असल म वह पू


जा-पाठ करती थीं
। शुआत क इ ह ने
पू
जा केबरतन धोनेसेऔर अब तो उनसेभी यादा प क पु
जा रन बन गयी ह।'' कै
लाश नेइधर-उधर दे
खा और
बोला, ''यार, यह मत समझना म सु
धा क िशकायत कर रहा हू

, ले
कन तु
म लोग ने
मुझेठ क नह ंचु
ना!''

'' य ?'' च दर कै
लाश के यवहार पर मु
ध था।

''इन जै
सी लड़ कय केिलए तु
म कोई क व या कलाकार या भावु
क लड़काढू

ढ़तेतो ठ क था। मे
रेजै
सा यावहा रक
और नीरस राजनीितक इनकेउपयु नह ंहै
। घर भर इनसे
बेहद खु
श है
। जब से
येगयी ह, माँऔर शं
कर भइया दोन
नेमु
झेनालायक करार देदया है
। इ ह ंसेपू
छकर सब करतेह, ले
कन मनेजो सोच रखा था, वह मु
झेनह ंिमल
पाया!''

'' य , या बात है
?'' च दर ने
पूछा, ''गलती बताओ तो हम इ ह समझाएँ
।''

''नह ं
, दे
खो गलत मत समझो। म यह नह ंकहता क इनक गलती है
। यह तो गलत चु
नाव क बात है
।'' कै
लाश
बोला, ''न इसम मे
र ा कसू
र , न इनका! म चाहता था कोई लड़क जो मे
रेसाथ राजनीित का काम करती, मे
र सबलता
और दब
ुलता दोन क सं
िगनी होती। इसीिलए इतनी पढ़ -िलखी लड़क सेशाद क । ले
कन इ ह धम और सा ह य म
जतनी िच है
, उतनी राजनीित सेनह ं
। इसिलए मे
रे य व को हण भी नह ंकर पायीं
। वै
सेमे
र शार रक यास
को इ ह नेचाहेसमपण कया, वह भी एक बे
मनी से
, उससे
तन क यास भलेह बु
झ जाती हो कपू
र , ले
कन मन तो
यासा ह रहता है
...बु
र ा न मानना। म बहु
त प बात करता हू

। तु
मसेिछपाना या?...और वा य केमामले
म ये
इतनी लापरवाह ह क म बहु
त द:ु
खी रहता हू

।'' इतने
म सु
धा नहाकर आती हु
ई दख पड़ । कै
लाश चु
प हो गया। सु
धा
क ओर दे
खकर बोला, ''मे
र अटै
ची भी ठ क कर दो। म अभी चला जाऊँवरना दोपहर म तपना होगा।'' सु
धा चली
गयी। सु
धा केजाते
ह कै
लाश बोला, ''भरसक म इ ह द:ु
खी नह ंहोने
देता, हाँ
, अकसर ये
दखुी हो जाती ह; ले
कन म
या क ँ
, यह मे
र मजबू
र है
, वै
सेम इ ह भरसक सु
खी रखनेका यास करता हू

...और येभी जायज-नाजायज हर
इ छा केसामने
झुक जाती ह, ले
कन इनके दल म मे
रेिलए कोई जगह नह ंहै
, वह जो एक प ी केमन म होती है

ले
कन खै
र , जं
दगी चलती जा रह है
। अब तो जै
सेहो िनभाना ह है
!''

इतनेम सु
धा आयी और बोली, ''दे
खए, अटै
ची सँ
वार द है
, आप भी दे
ख ली जए...'' कै
लाश उठकर चला गया।
च दर बै
ठा-बै
ठा सोचनेलगा-कै
लाश कतना अ छा है
, कतना साफ और व छ दल का है
! ले
कन सु
धा ने
अपनेको
कस तरह िमटा डाला...
इतने
म सु
धा आयी और च दर से
बोली, ''च दर! चलो, वो बु
ला रहेह!''

च दर चु
पचाप उठा और अ दर गया। कै
लाश नेतब तक या ा केकपड़ेपहन िलयेथे
। दे
खतेह बोला, ''अ छा
च दर, म चलता हू

। कल शाम तक आ जानेक कोिशश क ँ
गा। हाँदे
खो, यादा घु
माना मत। इनक सखी को यहाँ
बु
लवा लो तो अ छा।'' फर बाहर िनकलता हु
आ बोला, ''इनक जद थी आने
क , वरना इनक हालत आने
लायक नह ं
थी। माताजी से
म कह आया हू
ँक लखनऊ मे
डकल कॉले
ज ले
जा रहा हू

।''

कै
लाश कार पर बै
ठ गया। फर बोला, ''दे
खो च दर, दवा इ ह देदे
ना याद से
, वह ंरखी है
।'' कार टाट हो गयी।

च दर लौटा। बरामदेम सु
धा खड़ थी। चु
पचाप बु
झी हु
ई-सी। च दर नेउसक ओर दे
खा, उसनेच दर क ओर
दे
खा, फर दोन ने
िनगाह झु
का लीं
। सु
धा वह ंखड़ रह । च दर ाइं
ग- म म जाकर कताब वगै
र ह उठा लाया और
कॉले
ज जाने
केिलए िनकला। सु
धा अब भी बरामदेम खड़ थी। गु
मसु
म...च दर कु
छ कहना चाहता था...ले
कन या?
कु
छ था, जो न जानेकब से
संिचत होता आ रहा था, जो वह य करना चाहता था, ले
कन सु
धा कै
सी हो गयी है
!
यह वह सु
धा तो नह ंजसकेसामनेवह अपनेको सदा य कर दे
ता था। कभी सं
कोच नह ंकरता था, ले
कन यह
सु
धा कै
सी हैअपनेम िसमट -सकु
ची, अपनेम बँ
धी-बँ
धायी, अपनेम इतनी िछपी हु
ई क लगता था दिु
नया के ित
इसम कह ंकोई खु
लाव ह नह ं
। च दर केमन म जानेकतनी आवाज तड़प उठ ंले
कन...कु
छ नह ंबोल पाया। वह
बरामदेम ठठक गया, िन ेय। वहाँअपनी कताब खोलकर दे
खनेलगा, जै
सेवह याद करना चाहता था क कह ंभू

तो नह ंआया हैकु
छ ले
कन उसकेअ तमन म के
वल एक ह बात थी। सु
धा कु
छ तो बोले
। यह इतना गहरा, इतनी
घु
टनवाला मौन, यह तो जै
सेच दर के ाण पर घु
टन क तरह बै
ठता जा रहा था। सु
धा...िनवात िनवास म द पिशखा-
सी अचल, िन प द, थमेहु
ए तू
फान क तरह मौन। च दर ने
अ त म नो स िलए, घड़ दे
खी और चल दया। जब वह
सीढ़ तक पहु

चा तो सहसा सु
धा क छायामू
ित म हरकत हु
ई। सु
धा ने
पाँ
व केअँ
गू
ठेसे
फश पर एक लक र खीं
चते
हुए
नीचेिनगाह झु
काये
हुए कहा, '' कतनी दे
र म आओगे
?'' च दर क गया। जै
सेच दर को िसतार का राज िमल गया
हो। सु
धा भला बोली तो! ले
कन, फर भी अपनेमन का उ लास उसनेजा हर नह ंहोनेदया, बोला, ''कम-से
-कम दो
घं
टेतो लगगेह ।''

सु
धा कु
छ नह ंबोली, चु
पचाप रह गयी। च दर नेदो ण ती ा क क सु
धा अब कु
छ बोलेले
कन सु
धा फर
भी चु
प। च दर फर मु
ड़ा। ण-भर बाद सु
धा ने
पूछा, ''च दर, और ज द नह ंलौट सकते
?''

ज द ! सु
धा अगर कहेतो च दर जायेभी न, चाहेउसेइ तीफा दे
ना पड़े
। या सु
धा भू
ल गयी क च दर के
य व पर अगर कसी का शासन हैतो सु
धा का! वह जो अपनी जद से
, उछलकर, लडक़र, ठकर च दर से
हमे
शा
मनचाहा काम करवाती रह है
...आज वह इतनी द नता से
, इतनी वनय से
, इतनेअ तर और इतनी दरू से य कह
रह हैक ज द नह ंलौट सकते
? य नह ंवह पहलेक तरह दौडक़र च दर का कॉलर पकड़ ले
ती और मचलकर
कहती, 'ए, अगर ज द नह ंलौटेतो...' ले
कन अब तो सु
धा बरामदेम खड़ होकर ग भीर-सी, डू
बती हु
ई-सी आवाज
म पू
छ रह है
-ज द नह ंलौट सकते
! च दर का मन टू
ट गया। च दर क उमं
ग च टान सेटकराकर बखर
गयी...उसने
बहु
त भार -सी आवाज म पू
छा, '' य ?''

''ज द लौट आतेतो पू


जा करकेतुहारेसाथ ना ता कर ले
त!ेले
कन अगर यादा काम हो तो रहनेदो, मे

वजह से
हरज मत करना!'' उसने
उसे
ठ डे
, िश और भावह न वर म कहा।
हाय सु
धा! अगर तु
म जानती होती क मह न उ ा त च दर का टू
टा और यासा मन तु
मसेपु
र ाने ने
ह क एक
बू

ँ केिलए तरस उठा हैतो भी या तु
म इसी दरू सेबात करती! काश, क तु
म समझ पाती क च दर नेअगर
तु
मसेकु
छ दरू भी िनभायी हैतो उससे
खुद च दर कतना बखर गया है
। च दर ने
अपना दे
व व खो दया है
, अपना
सु
ख खो दया है
, अपने
को बबाद कर दया हैऔर फर भी च दर केबाहर सेशा त और सु
ग ठत दखने
वाले दय
केअ दर तुहारे यार क कतनी गहर यास धधक रह है
, उसकेरोम-रोम म कतनी जहर ली तृ
णा क बजिलयाँ
क ध रह ह, तु
मसेअलग होनेकेबाद अतृ
ि का कतना बड़ा रा ता उसने
आग क लपट म झु
लसते
हुए बताया है

अगर तु
म इसे
समझ ले
ती तो तु
म च दर को एक बार दल
ुारकर उसकेजलतेहु
ए ाण पर अमृ
त क चाँ
दनी बखे
र ने
केिलए य हो उठती; ले
कन सु
धा, तु
मनेअपनेबा व ोह को ह समझा, तु
मनेउस ग भीर यार को समझा ह
नह ंजो इस बाहर व ोह, इस बाहर व वं
स केमू
ल म पय वनी क पावन धारा क तरह बहता जा रहा है
। सु
धा,
अगर तु
म एक ण केिलए इसेसमझ लो...एक ण-भर केिलए च दर को पहलेक तरह दल
ुार लो, बहला लो, ठ
लो, मना लो तो सु
धा च दर क जलती हु
ई आ मा, नरक िचताओंम फर से
अपना गौरव पा ले
, फर से
अपनी खोयी
हु
ई प व ता जीत ले
, फर सेअपना व मृ
त दे
व व लौटा ले
...ले
कन सु
धा, तु
म बरामदेम चु
पचाप खड़ इस तरह क
बात कर रह हो जै
सेच दर कोई अप रिचत हो। सु
धा, यह या हो गया हैतुह? च दर, बनती, प मी सभी क
जं
दगी म जो भयं
कर तू
फान आ गया है
, जसनेसभी को झकझोर कर थका डाला है
, इसका समाधान िसफ तुहारे
यार म था, िसफ तुहार आ मा म था, ले
कन अगर तु
मनेइनकेच र का अ तिन हत स य न दे
खकर बाहर
व वं
स से
ह अपना आगेका यवहार िन त कर िलया तो कौन इ ह इस च वात से
खीं
च िनकाले
गा! या ये
अभागे
इसी च वात म फँ
सकर चू
र हो जाएँ
गे
...सु
धा...

ले
कन सु
धा और कु
छ नह ंबोली। च दर चल दया। जाकर लगा जै
सेकॉले
ज केपर ा भवन म जाना भी भार
मालू
म देरहा था। वह ज द ह भाग आया।

हालाँ
क सु
धा के यवहार नेउसका मन जै
सेतोड़-सा दया था, फर भी जाने य वह अब आज सु
धा को एक
काशवृ बनकर लपे
ट ले
ना चाहता था।

जब च दर लौट आया तो उसने


देखा-सु
धा तो उसी केकमरेम है
। उसने
उसकेकमरेकेएक कोने
म दर हटा द
है
, वहाँपानी िछड़क दया और एक कु
श केआसन पर सामनेचौक पर कोई पोथी धरेबै
ठ है
। चौक पर एक त

व बछाकर धू
पदानी रख द हैजसम धू
प सु
लग रह है
। लॉन सेशायद कू
छ फू
ल तोड़ लायी थी जो धू
पदानी के
पास रखेहु
ए थे
। बगल म एक ा क माला रखी थी। एक शु त
े रे
शम क धोती और के
वल एक चोली पहने
हुए
प ले
सेबाँ
ह तक ढँ
केहु
ए वह एका मनोयोग से थ का पारायण कर रह थी। धू
पदानी से
धू-रे
खाएँ
मचलती हु,
लहराती हु, उसकेकपोल पर झू
लती हु सू
खी- खी अलक से
उलझ रह थीं
। उसने
नहाकर के
श बाँ
धेनह ंथे
...च दर
नेजू
तेबाहर ह उतार दयेऔर चु
पचाप पलँ
ग पर बै
ठकर सु
धा को दे
खनेलगा। सु
धा नेिसफ एक बार बहु
त शा त,
बहु
त गहर आकाश-जै
सी व छ िनगाह सेच दर को दे
खा और फर पढऩेलगी। सु
धा केचार ओर एक विच -सा
वातावरण था, एक अपािथव विगक योित केरे
श सेबु
ना हु
आ झीना काश उस पर छाया हु
आ था। गलेम पड़ा
हु
आ आँ
चल, पीठ पर बखरेहु
ए सु
नहलेबाल, अपना सबकु
छ खोकर वर म ख न सु
हाग पर छायेहु
ए वै
ध य क
तरह सु
धा लग रह थी। माँ
ग सू
नी थी, माथेपर रोली का एक बड़ा-सा ट का था और चे
हरेपर वग केमु
र झायेहु

फू
ल क घु
लती हु
ई उदासी, जै
सेकसी ने
चाँ
दनी पर हरिसं
गार केपीले
फूल छं
टेदेदये
ह।
थोड़ दे
र तक सु
धा प वर म पढ़ती रह । उसकेबाद उसने
पोथी ब द कर रख द । उसकेबाद आँ
ख ब द कर
जानेकस अ ात दे
वता को हाथ जोडक़र नम कार कया... फर उठ खड़ हु
ई और फश पर च दर केपास बै
ठ गयी।
आँ
चल कमर म ख स िलया और बना िसर उठाये
बोली, ''चलो, ना ता कर लो!''

''यह ंलेआओ!'' च दर बोला। सु


धा उठ और ना ता लेआयी। च दर नेउठाकर एक टु
कड़ा मु

ँ म रख िलया।
ले
कन जब सु
धा उसी तरह फश पर चु
पचाप बै
ठ रह तो च दर ने
कहा, ''तु
म भी खाओ!''

''म!'' वह एक फ क हँ
सी हँ
सकर बोली, ''म खा लू
ँतो अभी कैहो जाये
। म िसवा नीं
बूकेशरबत और खचड़ के
अब कु
छ नह ंखाती। और वह भी एक व !''

'' य ?''

''असल म पहलेमनेएक त कया, प ह दन तक के


वल ात:काल खानेका, तब सेकु
छ ऐसा हो गया क
शाम को खाते
ह मन बगड़ जाता है
। इधर और कई रोग हो गये
ह।''

च दर का मन रो आया। सु
धा, तु
म चु
पचाप इस तरह अपनेको िमटाती रह ं
! मान िलया च दर नेएक खत म
तुह िलख ह दया था क अब प - यवहार ब द कर दो! ले
कन या अगर तु
म प भे
जतींतो च दर क ह मत थी
क वह उ र न दे
ता! अगर तु
म समझ पातींक च दर केमन म कतना दख
ु है
!

च दर चाहता था क सु
धा क गोद म अपने
मन क सभी बात बखे
र दे
...ले
कन सु
धा कहे
, कु
छ िशकायत करेतो
च दर अपनी सफाई दे
...ले
कन सु
धा तो हैक िशकायत ह नह ंकरती, सफाई दे
नेका मौका ह नह ंदे
ती...यह दे
व व
क मू
ित-सी पथर ली सु
धा! यह च दर क सु
धा तो नह ं
! च दर का मन बहु
त भर आया। उसके ँ
धेगलेसेपू
छा,
''सु
धा, तु
म बहु
त बदल गयी हो। खै
र और तो जो कु
छ हैउसकेिलए अब म या कहू

, ले
कन अपनी त द ु ती
बगाड़कर य तु
म मु
झेदख
ु देरह हो! अब य भी मे
र जं
दगी म या रहा है
! ले
कन एक ह स तोष था क तु

सु
खी हो। ले
कन तु
मने
मुझसे
वह सहारा छ न िलया...पू
जा कसक करती हो?''

''पू
जा कहाँ
, पाठ करती हू

, च दर! गीता का और भागवत का, कभी-कभी सू
र सागर का! पू
जा अब भला कसक
क ँ
गी? मु
झ जै
सी अभािगनी क पू
जा भला वीकार कौन करे
गा?''

''तब यह एक व का भोजन य ?''

''यह तो ाय है
, च दर!'' सु
धा ने
एक गहर साँ
स ले
कर कहा।

'' ाय त...?'' च दर ने
अचरज से
कहा।

''हाँ
, ाय ...'' सु
धा नेअपनेपाँ
व के बिछय को धोती केछोर सेरगड़तेहु
ए कहा, '' ह द ूगृ
ह तो एक ऐसा
जे
ल होता हैजहाँकै
द को उपवास करके ाण छोड़ने
क भी इजाजत नह ंरहती, अगर धम का बहाना न हो! धम के
बहाने
उपवास करकेकु
छ सु
ख िमल जाता है
।''

एक ण आता हैक आदमी यार सेव ोह कर चु


का है
, अपने
जीवन क रे
णा-मू
ित क गोद से
बहु
त दन तक
िनवािसत रह चु
का है
, उसका मन पागल हो उठता हैफर सेयार करनेको, बे
हद यार करनेको, अपनेमन का
दल
ुार फू
ल क तरह बखरा दे
नेको। आज व ोह का तू
फान उतर जानेकेबाद अपनी उजड़ हु
ई जं
दगी म बीमार
सु
धा को पाकर च दर का मन तड़प उठा। सु
धा क पीठ पर लहराती हु
ई सू
खी अलक हाथ म लेलीं
। उ ह गू

थनेका
असफल यास करते
हुए बोला-

''सु
धा, यह तो सच हैक मने
तुहारेमन को बहु
त दख
ुाया है
, ले
कन तु
म तो हमार हर बात को, हमारेहर ोध
को मा करती रह हो, इस बात का तु
म इतना बु
र ा मान गयी?''

'' कस बात का, च दर!'' सु


धा ने
च दर क ओर दे
खकर कहा, ''म कस बात का बु
र ा मान गयी!''

'' कस बात का ाय कर रह हो तु
म, इस तरह अपने
को िमटाकर!''

'' ाय तो म अपनी दब
ुलता का कर रह हू

, च दर!''

''दब
ुलता?'' च दर ने
सुधा क अलक को घटाओंक तरह िछटकाकर कहा।

''दब
ुलता-च दर! तुह यान होगा, एक दन हम लोग नेिन य कया था क हमारे यार क कसौट यह रहे
गी
च दर, दरूरहकर भी हम लोग ऊँ
चेउठगे
, पव रहगे
। दरूहो जानेकेबाद च दर, तुहारा यार तो मु
झम एक ढ़
आ मा और व ास भरता रहा, उसी केसहारेम अपनेजीवन केतू
फान को पार कर लेगयी; ले
कन पता नह ंमे
रे
यार म कौन-सी दब
ुलता रह क तु
म उसे हण नह ंकर पाये
...म तु
मसे
कुछ नह ंकहती। मगर अपनेमन म कतनी
कं
ुठत हू
ँक कह नह ंसकती। पता नह ंदस
ूरा ज म होता हैया नह ं
; ले
कन इस ज म म तुह पाकर तुहारेचरण
पर अपने
को न चढ़ा पायी। तुह अपनेमन क पू
जा म यक न न दला पायी, इससेबढ़कर और दभ
ुा य या होगा?
म अपनेय व को कतना ग हत, कतना िछछला समझने
लगी हू

, च दर!''

च दर ने
ना ता खसका दया। अपनी आँ
ख म झलकते
हुए आँ
सूको िछपाते
हुए चु
पचाप बै
ठ गया।

''ना ता कर लो, च दर! इस तरह तुह अपनेपास बठाकर खलानेका सु


ख अब कहाँनसीब होगा! लो।'' और
सु
धा ने
अपने
हाथ से
उसे
एक नमक न से
व खला दया। च दर केभरेआँ
सूसु
धा केहाथ पर चूपड़े

''िछह, यह या, च दर!''

''कु
छ नह ं
...'' च दर ने
आँसू
प छ डाले

इतनेम महरा जन आयी और सु


धा सेबोली, '' ब टया रानी! ले
व ई नानखटाई हम क हैसेबनाय केरख दया
रहा क तोके खलाइबे
!''

''अ छा! हम भी महरा जन, इतनेदन से


तुहारेहाथ का खाने
केिलए तरस गये
, तु
म चलो हमारेसाथ!''

'' हयाँच दर भइया केकौन दे


खी? अब ब टया इनहू
ँके याह कर दे
व, तो हम चली तोहरेसाथ!''

सु
धा हँ
स पड़ , च दर चु
पचाप बै
ठा रहा। महरा जन खचड़ डालनेचली गयी। सु
धा नेचु
पचाप नानखटाई क
त तर उठाकर एक ओर रख द -च दर चु
प, अब या बात करे
! पहलेवह दोन घं
ट या बात करतेथे
! उसेबड़ा
ता जु
ब हु
आ। इस व कोई बात ह नह ंसू
झती है
। पहले
जानेकतना व गु
जर जाता था, दोन क बात का खा मा
ह नह ंहोता था। सु
धा भी चु
प थी। थोड़ दे
र बाद च दर बोला, ''सु
धी, तु
म सचमु
च पू
जा-पाठ म व ास रखती हो...''

'' य , करती तो हू

, च दर! हाँ
, मू
ित ज र नह ंपू
जती, पर कृण को ज र पू
जती हू

। अब सभी सहारेटू
ट गये
,
तु
मनेभी मु
झेछोड़ दया, तब मु
झेगीता और रामायण म बहु
त स तोष िमला। पहलेम खु
द ता जु
ब करती थी क
औरत इतना पू
जा-पाठ य करती ह, फर मनेसोचा- ह द ू
नार इतनी असहाय होती है
, उसेपित से
, पु से
, सभी से
इतना लां
छन, अपमान और ितर कार िमलता हैक पू
जा-पाठ न हो तो पशुबन जाये
। पू
जा-पाठ ह नेह द ूनार का
चर अभी तक इतना ऊँ
चा रखा है
।''

''म तो समझता हू
ँयह अपने
को भु
लावा दे
ना है
।''

''मानती हू
ँच दर, ले
कन अगर कोई ह द ूधम क इन कताब को यान सेपढ़ेतब वह जाने
, या हैइनम!
जानेकतनी ताकत दे
ती ह ये
! अभी तक जं
दगी म मने
यह सोचा हैक पुष हो या नार , सभी केजीवन का एकमा
स बल व ास है
, और इन थ म सभी सं
शय को िमटाकर व ास का इतना गहन उपदे
श हैक मन पु
लक उठता
है
।...म तु
मसेकु
छ नह ंिछपाती। च दर, जब बनती के याह म तु
मनेमे
रा प लौटा दया तो म तड़प उठ । एक
अ व ास मे
र नस-नस म गु

थ गया। मनेसमझ िलया क तुहार सार बात झू
ठ थीं
। एक जानेकै
सी आग मु
झे
हरदम झु
लसाती रहती थी! मे
र ा वभाव बहु
त बगड़ गया था। मु
झेहरे
क सेनफरत हो गयी थी। हरे
क पर झ ला
उठती थी... कसी बात म मु
झेचै
न नह ंिमलता था। धीरे
-धीरेमनेइन कताब को पढऩा शु कया। मु
झेलगनेलगा
क शा त धीरे
-धीरेमे
र आ मा पर उतर रह है
। मु
झेलगा क यह सभी थ पु
कार-पु
कारकर कह रहेह-'सं
शया मा
वन यित!' धीरे
-धीरेमने
इन बात को अपने
जीवन पर घटाना शु कया, तो मने
देखा क सार भ क कताब और
उनका दशन बड़ा मनोहर पक है
, च दर! कृण यार केदे
वता ह। वं
शी क विन व ास क पु
कार है
। धीरे
-धीरे
तुहारे ित मे
रेमन म जगा हु
आ अ व ास िमट गया, मने
कहा, तु
म मु
झसेअलग ह कहाँहो, म तो तुहार आ मा
का एक टु
कड़ा हू
ँजो एक जनम केिलए अलग हो गयी। ले
कन हमे
शा तुहारेचार ओर च मा क तरह च कर
लगाती रहू

गी, जस दन मने
पढ़ा-

सवधमान ्
प र य य मामे
कंशरणं ज।

अहं वांसवपापेयो मो िय यािम मा शु


च:॥

तो मु
झेलगा क तुहारा खोया हु
आ यार मु
झेपु
कारकर कह रहा है
-मे
र शरण म चलेआओ, और िसवा तुहारे
यार केमे
र ा भगवान और हैह या...उसकेबाद से
च दर, मे
रेमन म व ास और म
े झलक आया, अपनेजीवन
क प रिध म आनेवाले
हर य केिलए। सभी मु
झेबहु
त चाहने
लगे
...ले
कन च दर, जब बनती यहाँसेद ली जाते
व मे
रेसाथ गयी और उसनेसब हाल बताया तो मु
झेकतना द:ु
ख हु
आ। कतनी लािन हु
ई। तुहारेऊपर नह ं
,
अपने
ऊपर।''

बात भावना मक तर सेउठकर बौ क तर पर आ चु


क थीं
। च दर फौरन बोला, ''सु
धा, लािन क तो कोई
बात नह ं
, कम-से
-कम मने
जो कु
छ कया हैउस पर मु
झेजरा-सी भी शम नह ं
!'' च दर के वर म फर एक बार गव
और कड़वाहट-सी आ गयी थी-''मने
जो कु
छ कया हैउसेम पाप नह ंमानता। तुहारेभगवान ने
तुह जो कु
छ रा ता
दखलाया, वह तु
मनेकया। मे
रेभगवान नेजो रा ता मु
झेदखलाया, वह मनेकया। तु
म जानती ह हो मे
र जं
दगी
क प व ता तु
म थी, तुहार भोली िन पाप साँ
स मे
रेसभी गु
नाह, मे
र सभी कमजो रयाँसु
लाती रह ह। जस दन तु

मे
र जं
दगी सेचली गयीं
, कु
छ दन तक मनेअपने
को सँ
भाला। इसकेबाद मे
र आ मा का कण-कण ोह कर उठा।
मनेकहा, वग केमािलक साफ-साफ सु
नो। तु
मनेमे
र जं
दगी क प व ता को छ न िलया है
, म तुहारे वग म
वासना क आग धधकाकर उसे
नरक से
बदतर बना दँ

ूा। और मने
होठ के कनारेचुबन क लपट सु
लगानी शु कर
दं
...धीरे
-धीरेमहा मशान केस नाटेम करोड़ वासना क लपट जहर लेसाँ
प क तरह फँ

फकारनेलगीं
। मे
रेमन को
इसम बहु
त स तोष िमला, बहु
त शा त िमली। यहाँतक क बनती केिलए म अपने
मन क सार कटु
ता भू
ल गया। म
कै
सेकह दँ
ूक यह सब गु
नाह था। सु
धा, अगर ठ क सेदे
खो, ग भीरता सेसमझो तो जो कु
छ तुहारेिलए मे
रेमन
म था, उसी क ित या वह हैजो मे
रेमन म प मी केिलए है
। तुहारा दल
ुार और प मी क वासना दोन एक
िस केकेदो पहलूह। अपनेपहलूको सह और दस
ूरेपहलूको गलत य कहती हो? दे
वता क आरती म जलता
हु
आ द पक प व हैऔर उससेिनकला हु
आ धु
आँअप व ! द प-िशखा नै
ितक हैऔर धू
म-रे
खा अनै
ितक? लािन कस
बात क , सु
धा?'' च दर ने
बहु
त आवे
श म कहा।

''िछह, च दर! तु
म मु
झेसमझेनह ं
! म नै
ितक-अनै
ितक क बात ह नह ंकरती। मे
रेभगवान ने
, मे
रेयार ने
मुझे
अब उस दिु
नया म पहु

चा दया हैजो नै
ितक-अनै
ितक से
उठकर है
। तु
मने
अपने
भगवान सेव ोह कया, ले
कन उ ह ने
तुहार बात पर कोई फै
सला भी तो दया होता। वेइतने
दयालुह क कभी मानव केकाय पर फै
सला ह नह ंदे
त।े
दं
ड तो दरूक बात, वेतो के
वल आदमी को समझाकर, उसक कमजो रयाँसमझकर उसे मा करनेऔर उसेयार
करने
क बात कहते
ह, च दर! वहाँनै
ितकता-अनै
ितकता का ह नह ं
।''

''तब? यह लािन कस बात क तुह!'' च दर ने


पूछा।

'' लािन तो मु
झेअपनेपर थी, च दर! रहा तुहारा प मी सेस ब ध तो म बनती क तरह नह ंसोचती, इतना
व ास रखो। मे
र पाप और पु
य क तराजूह दस
ूर है
। फर कम-से
-कम अब इतना दे
ख-सु
नकर म यह नह ंमानती
क शर र क यास ह पाप है
! नह ंच दर, शर र क यास भी उतनी ह प व और वाभा वक हैजतनी आ मा क
पू
जा। आ मा क पू
जा और शर र क यास दोन अिभ न ह। आ मा क अिभ य शर र सेहै
, शर र का संकार,
शर र का स तु
लन आ मा से
है। जो आ मा और शर र को अलग कर दे
ता है
, वह मन केभयं
कर तू
फान म उलझकर
चू
र -चू
र हो जाता है
। च दर, म तुहार आ मा थी। तु
म मे
रेशर र थे
। पता नह ंकै
सेहम लोग अलग हो गये
! तुहारे
बना म के
वल सूम आ मा रह गयी। शर र क यास, शर र क रं
गीिनयाँमे
रेिलए अप रिचत हो गयीं
। पित को शर र
दे
कर भी म स तोष न देपायी...और मे
रेबना तु
म के
वल शर र रह गये
। शर र म डू
ब गये
...पाप का जतना ह सा
तुहारा उतना ह मे
र ा...पाप क वै
तरणी केइस कनारेजब तक तु
म तड़पोगे
, तभी तक म भी तड़पू

ँी...दोन म से
कसी को भी चै
न नह ंऔर कभी चै
न नह ंिमले
गा...''

''ले
कन फर...''

''हटाओ इन सब बात को, च दर! तु


मनेयथ यह बात उठायी। म अब बात करना भू
लती जा रह हू

। म तो आयी
थी तुह दे
खकर कु
छ मन का ताप िमटाने
। उठो, खाना खाएँ
!'' सु
धा बोली।
''नह ं
, म चाहता हू

, बात सु
लझ जाएँ
, सु
धा!'' च दर ने
सुधा केहाथ पर अपना िसर रखकर कहा, ''मे
र तकलीफ
अब बे
हद बढ़ती जा रह है
। म पागल न हो जाऊँ
!''

''िछह, ऐसी बात नह ंसोचते


। उठो!'' च दर को उठाकर सु
धा बोली। दोन ने
खाना खाया। महरा जन बड़ेदल
ुार से
परसती रह ंऔर सु
धा सेबात करती रह ं
। खाना खाकर च दर ले
ट गया और सोचनेलगा, अब या सचमु
च उसके
और सु
धा केबीच म कोई इतना भयं
कर अ तर आ गया हैक दोन पहले
जैसे
नह ंहो सकते
?

लगभग चार बजेवह जागा तो उसनेदे


खा क उसकेपाँ
व केपास िसर रखकर सु
धा सो रह है
। पं
खेक हवा
वहाँतक नह ंपहु

चती। वह पसीने
सेतर-बतर हो रह है
। च दर उठा, उसे
नीं
द म ऐसा लगा क जै
सेइधर कु
छ हु

ह नह ंहै
। सु
धा वह सु
धा है
, च दर वह च दर है
। उसनेसु
धा केप ले
सेसु
धा केमाथेऔर गले
का पसीना प छ
दया और हाथ बढ़ाकर पं
खा उसक ओर घु
मा दया। सु
धा नेआँ
ख खोलीं
, एक अजीब-सी िनगाह सेच दर क ओर
दे
खा और च दर केपाँ
व को खीं
चकर व से
लगा फर आँ
ख ब द करकेले
ट गयी। च दर ने
अपना एक हाथ सु
धा के
माथेपर रख िलया और वह चु
पचाप बै
ठा सोचने
लगा, आज सेलगभग साल-भर पहलेक बात, जब उसने
पहले
-पहल
सु
धा को कै
लाश का िच दखाया था, और सु
धा रो-धोकर उसकेपाँ
व म इसी तरह मु

ँ िछपाकर सो गयी थी...और
आज...सु
धा साल-भर म कहाँसे
कहाँजा पहु

ची है
! च दर कहाँसे
कहाँपहु

च गया है
! काश क कोई उनक जं
दगी क
ले
ट सेइस वष-भर म खीं
ची हु
ए मानिसक रे
खाओंको िमटा सकेतो कतने
सुखी हो जाएँदोन ! च दर नेसु
धा को
हलाया और बोला-

''सु
धा, सो रह हो?''

''नह ं
।''

''उठो।''

''नह ंच दर, पड़ रहने


दो। तुहारेचरण म सबकु
छ भू
लकर एक ण केिलए भी सो सकँ

गी, मु
झेइसका व ास
नह ंथा। सबकु
छ छ न िलया हैतु
मने
, एक ण क आ म- वं
चना य छ नतेहो?'' सु
धा ने
उसी तरह पड़ेहु
ए जवाब
दया।

''अर , उठ पगली!'' च दर केमन म जाने


कहाँमरा पड़ा हु
आ उ लास फर सेज दा हो उठा था। उसने
सुधा क
बाँ
ह म जोर से
चुटक काटते
हुए कहा, ''उठती हैया नह ं
, आलसी कह ंक !''

सु
धा उठकर बै
ठ गयी। ण-भर च दर क ओर पथरायी हु
ई िनगाह सेदे
खती रह और बोली, ''च दर, म जाग
रह हू

। तुह ंनेउठाया हैमु
झे
...च दर। कह ंसपना तो नह ंहैक फर टू
ट जाए!'' और सु
धा िससक-िससक कर रो
पड़ । च दर क आँ
ख म आँ
सूआ गये
। थोड़ दे
र बाद वह बोला, ''सु
धा, कोई जादग
ूर अगर हम लोग केमन से
यह
काँ
टा िनकाल दे
ता तो म कतना सु
खी होता! ले
कन सु
धा, अब म तुह दख
ुी नह ंक ँ
गा।''

''यह तो तु
मनेपहलेभी कहा था, च दर! ले
कन इधर जानेकै
सेहो गये
। लगता हैतुहारेच र म कह ं
थािय व नह ं
...इसी का तो मु
झेदख
ु है
, च दर!''
''अब रहे
गा, सु
धा! तुह खोकर, तुहारेयार को खोकर म दे
ख चु
का हू
ँक म आदमी नह ंरह पाता, जानवर बन
जाता हू

। सु
धा, अगर तु
म आज सेमह न पहलेिमल जातींतो जो जहर मे
रेमन म घु
ट रहा है
, वह तु
हारेसामने
य करकेम ब कु
ल िन त हो जाता। अ छा सु
धा, यहाँआओ। चु
पचाप ले
ट जाओ, म तु
मसेसबकु
छ कह डालू
,ँ
फर सब भू
ल जाऊँ
। बोलो, सु
नोगी?''

सु
धा चु
पचाप ले
ट गयी और बोली, ''च दर! या तो मत बताओ या फर सभी प बता दो...''

''हाँ
, ब कु
ल प सु
धी; तु
मसेकु
छ िछपा सकता हू
ँभला!'' च दर नेह क -सी चपत मारकर कहा, ''आज मन
जै
सेपागल हो रहा हैतुहारेचरण पर बखर जानेकेिलए...जादग
ूरनी कह ंक ! दे
खो सु
धा- पछली दफेतु
मनेमु
झे
बहु
त कु
छ बताया था, कै
लाश केबारेम!''

''हाँ
।''

''बस, उसकेबाद सेएक अजीब-सी अ िच मे


रेमन म तुहारेिलए होनेलगी थी; म तु
मसेकु
छ िछपाऊँ
गा नह ं

तुहारेजानेकेबाद बट आया। उसनेमु
झसे
कहा क औरत के
वल नयी सं
वद
ेना, नया वाद चाहती हैऔर कु
छ नह ं
,
अ ववा हत लड़ कयाँववाह, और ववा हत लड़ कयाँनये म
ेी...बस यह उनका चरम ल य है
। लड़ कयाँशर र क यास
केअलावा और कु
छ नह ंचाहतीं
...जै
सेअराजकता के दन म कसी दे
श म कोई भी चालाक ने
ता श छ न ले
ता है
,
वै
सेह मानिसक शू
यता के ण म बट जै
सेमे
र ा दाशिनक गु हो गया। उसकेबाद आयी प मी। उससे
मने
कहा क
या आव यक हैक पुष और नार केस ब ध म सेस हो ह ? उसनेकहा, 'हाँ
, और य द नह ंहैतो ले
टािनक
(आदशवाद ) यार क ित या सेस क ह यास म होती है
।' अब म तुह अपनेमन का चोर बतला दँ
।ूमने
सोचा
क तु
म भी अपनेवै
वा हक जीवन म रम गयी हो। शर र क यास नेतुह अपनेम डु
बा दया हैऔर जो अ िच तु

मे
रेसामनेय करती हो वह के
वल दखावा है
। इसिलए मन-ह -मन मु
झेतु
मसे
िचढ़-सी हो गयी। पता नह ं य यह
संकार मु
झम ढ़-सा हो गया और इसी केपीछेम तुह ंको नह ं
, प मी को छोड़कर सभी लड़ कय सेनफरत-सी
करने
लगा। बनती को भी मने
बहु
त दख
ु दया। याह म जाने
केपहले
ह बहु
त दख
ुी होकर गयी। रह प मी क बात
तो म उस पर इसिलए खु
श था क उसने
बड़ यथाथ-सी बात कह थी। ले
कन उसनेमु
झसे
कहा क आदशवाद यार
क ित या शार रक यास म होती है
। तु
मको इसका अपराधी मानकर तु
मसेतो नाराज हो गया ले
कन अ दर-ह -
अ दर वह संकार मे
रा य व बदलनेलगा। सु
धा, पता नह ं
, तुहारेजीवन म ित या के प म शार रक यास
जागी या नह ंपर मे
रेमन केगु
नाह तो तू
फान क तरह लहरा उठे
। ले
कन तु
मसे
एक बात नह ंिछपाऊँ
गा। वह यह क
ऐसे
भी ण आये
ह जब प मी केसमपण ने
मेरेमन क सार कटु
ता धो द है
....बोलो, तु
म कु
छ तो बोलो, सु
धा!''

''तु
म कहते
चलो, च दर! म सु
न रह हू

।''

''हाँ
...ले
कन उस दन गे
सूआयी। उसनेमु
झेफर पु
र ानेदन क याद दला द और फर जै
सेप मी केिलए
आकषण उखड़-सा गया। अ छा सु
धा, एक बात बताओ। तु
म यह मानती हो क कभी-कभी एक य केमा यम से
दस
ूरेय क भावनाओंक अनु
भिू
त होने
लगती है
?''

'' या मतलब?''
''मे
र ा मतलब जै
सेमु
झेगे
सूक बात म उस दन ऐसा लगा, जै
सेतु
म बोल रह हो। और दस
ूर बात तुह बताऊँ

तुहारेपीछेबनती रह मे
रेपास। सारेअँ
धे
रेम वह एक रोशनी थी, बड़ ीण, टम टमाती हु
ई, सारह न-सी। ब क
मु
झेतो लगता था क वह रोशन ह इसिलए थी क उसम रोशनी तुहार थी। मनेकु
छ दन बनती को बहु
त यार
कया। मु
झेऐसा लगता था क अभी तक तु
म मे
रेसामनेथीं
, अब तु
म उसकेमा यम से
आती हो। लगता था जै
सेवह
एक य व नह ंहै
, तुहारेय व का ह अं
श है
। उस लड़क म जस अं
श तक तु
म थींवह अं
श बार-बार मे
रेमन
म रस उभार दे
ता था। य सु
धा! मन क यह भी कै
सी अजब-सी गित है
!''

सु
धा थोड़ दे
र चु
प रह , फर बोली, ''भागवत म एक जगह एक ट का म हमनेपढ़ा था च दर क जसको
भगवान बहु
त यार करतेह, उसम उनक अं
शािभ य होती है
। बहु
त बड़ा वैािनक स य हैयह! म बनती को बहु

यार करती हू

, च दर!''

''समझ गया म।'' च दर बोला, ''अब म समझा, मे


रेमन म इतनेगु
नाह कहाँसेआये
। तु
मनेमु
झेबहु
त यार
कया और वह तुहारेय व केगु
नाह मे
रेय व म उतर आये
!''

सु
धा खल खलाकर हँ
स पड़ । च दर केक धेपर हाथ रखकर बोली, ''इसी तरह हँ
सते
-बोलतेरहतेतो य यह
हाल होता? मनमौजी हो। जब चाहो खु
श हो गये
, जब चाहो नाराज हो गये
!''

उसकेबाद वह उठ और बाहर सेएक त तर म कु


छ फल काटकर लायी। च दर ने
देखा-आम। ''अरेआम! अभी
कहाँसे
आम ले
आयीï? कौन लाया?''

''लखनऊ उतर थी? वहाँसे


तुहारेिलए ले
ती आयी।''

च दर नेएक आम क फाँ
क उठाकर खायी और कसी पु
र ानी घटना क याद दलानेकेिलए आँ
चल सेहाथ प छ
दये
। सु
धा हँ
स पड़ और बड़ दल
ुार-भर ताडऩा के वर म बोली, ''बोलो, अब तो दमाग नह ंबगाड़ोगेअपना?''

''कभी नह ंसु
धी, ले
कन प मी का या होगा? प मी सेम स ब ध नह ंतोड़ सकता। यवहार चाहेजतना
सीिमत कर दँ
।ू
''

''म कब कहती हू

, म तुह कह ंसे
कभी बाँ
धना ह नह ंचाहती। जानती हू
ँक अगर चाहू
ँभी तो कभी अपने
मन
केबाहु
पाश ढ ले
कर तुह िचरमु तो म न देपाऊँ
गी, तो भला ब धन ह य बाँ
धँ

! प मी शाम को आएगी?''

''शायद...''

दरवाजा खटका और गे
सूने वे
श कया। आकर, दौडक़र सु
धा सेिलपट गयी। च दर उठकर चला आया। ''चले
कहाँभाईजान, बै
ठए न।''

''नहा लू
,ँतब आता हू

...'' च दर चल दया। वह इतना खु
श था, इतना खु
श क बाथ- म म खू
ब गाता रहा और
नहा चु
कने
केबाद उसेखयाल आया क उसनेबिनयाइन उतार ह नह ंथी। नहाकर कपड़ेबदलकर वह आया तब भी
गु
नगु
ना रहा था। कमरेम आया तब दे
खा गे
सूअके
ली बै
ठ है

''सु
धा कहाँगयी?'' च दर ने
नाचते
हुए वर म कहा।

''गयी हैशरबत बनाने


।'' गे
सूनेचुनी सेिसर ढँ
कतेहु
ए और पाँ
व को सलवार सेढँ
कतेहु
ए कहा। च दर इधर-
उधर ब स म माल ढू

ढऩे
लगा।

''आज बड़ेखु
श ह, च दर भाई! कोई खायी हु
ई चीज िमल गयी है या? अरे
, म बहन हू
ँकु
छ इनाम ह दे
द जए।'' गे
सूने
चुटक ली।

''इनाम क बात या, कहो तो वह चीज ह तुह देदँ


!ू
''

''हाँ
, कै
लाश बाबू
के दल से
पूिछए।'' गे
सूबोली।

''उनके दल से
तुह ंबात कर सकती हो!''

गे
सूने
झपकर मु

ँ फे
र िलया।

सु
धा हाथ म दो िगलास िलए आयी। ''लो गे
स,ू पयो।'' एक िगलास गे
सूको दे
कर बोली, ''च दर, लो।''

''तु
म पयो न!''

''नह ं
, म नह ंपऊँ
गी। बफ मु
झेनु
कसान करे
गी!'' सु
धा नेचु
पचाप कहा। च दर को याद आ गया। पहलेसु
धा
िचढ़-िचढ़कर अपने
आप चाय, शरबत पी जाती थी...और आज...

'' या ढू

ढ़ रहेहो, च दर?'' सु
धा बोली।

'' माल, कोई िमल ह नह ंरहा!''

''साल-भर म माल खो दये


ह गे
! म तो तुहार आदत जानती हू

। आज कपड़ा ला दो, कल सु
बह माल सी दँ

तुहारेिलए।'' और उठकर उसने
कैलाश केब स से
एक माल िनकालकर देदया।

उसकेबाद च दर बाजार गया और कै


लाश केिलए तथा सु
धा केिलए कु
छ कपड़ेखर द लाया। इसकेसाथ ह
कु
छ नमक न जो सु
धा को पस द था, पे
ठा, एक तरबू
ज, एक बोतल गु
लाब का शरबत, एक सु
दर-सा पे
न और जाने
या- या खर द लाया। सु
धा नेदे
खकर कहा, ''पापा नह ंह, फर भी लगता हैम मायकेआयी हू

!'' ले
कन वह कु

खा-पी नह ंसक ।

च दर खाना खाकर लॉन म बै


ठ गया, वह ंउसनेअपनी चारपाई डलवा ली। सु
धा के ब तर छत पर लगेथे

उसकेपास महरा जन सोने
वाली थीं
। सु
धा एक त तर म तरबू
ज काटकर ले
आयी और कु
स डालकर च दर भी चारपाई
केपास बै
ठ गया। च दर तरबू
ज खाता रहा...थोड़ दे
र बाद सु
धा बोली-

''च दर, बनती केबारेम तुहार या राय है


?''

''राय? राय या होती? बहु


त अ छ लड़क है
! तु
मसे
तो अ छ ह है
!'' च दर ने
छेड़ा।
''अरे
, मु
झसे
अ छ तो दिु
नया है
, ले
कन एक बात पू
छ? बहु
त ग भीर बात है
!''

'' या?''

''तु
म बनती सेयाह कर लो।''

'' बनती से
? कु
छ दमाग तो नह ंखराब हो गया है
?''

''नह ं
! इस बारेम पहले
-पहले'ये
' बोलेक च दर सेबनती का याह य नह ंकरती, तो मनेचु
पचाप पापा से
पू
छा। पापा ब कु
ल राजी ह, ले
कन बोलेमु
झसेक तुह ंकहो च दर से
। कर लो; च दर! बु
आजी अब दखल नह ं
दगी।''

च दर हँ
स पड़ा, ''अ छ खु
र ाफात तुहारेदमाग म उठती ह! याद है
, एक बार और तु
मनेयाह करनेकेिलए
कहा था?''

सु
धा केमु

ँ सेएक ह का िन: ास िनकल पड़ा-''हाँ
, याद है
! खै
र , तब क बात दस
ूर थी, अब तो तुह कर ले
ना
चा हए।''

''नह ंसु
धा, शाद तो मु
झेनह ंह करनी है
। तु
म कह य रह हो? तु
म मे
रे
- बनती केस ब ध को कु
छ गलत
तो नह ंसमझ रह हो?''

''नह ंजी, ले
कन यह जानती हू
ँक बनती तु
म पर अ ध ा रखती है
। उससेअ छ लड़क तुह िमले
गी नह ं

कम-से
-कम जं
दगी तुहार यव थत हो जाएगी।''

च दर हँ
सा, ''मे
र जं
दगी शाद सेनह ं
, यार सेसु
धरे
गी, सु
धा! कोई ऐसी लड़क ढू

ढ़ दो जो तुहार जै
सी हो
और यार करेतो म समझू
ँभी क तु
मने
कुछ कया मे
रेिलए। शाद -वाद बे
कार हैऔर कोई बात करनी हैया नह ं
?''

''नह ंच दर, शाद तो तुह करनी ह होगी। अब म ऐसेतुह नह ंरहने


दँग
ूी। बनती से
न करो तो दस
ूर लड़क
ढू

ढू

गी। ले
कन शाद करनी होगी और मे
र पस द से
करनी होगी।''

च दर एक उपेा क हँ
सी हँ
सकर रह गया।

सु
धा उठ खड़ हु
ई।

'' य , चल द ं
?''

''हाँ
, अब नीं
द आ रह होगी तुह, सोओ।''

च दर ने
रोका नह ं
। उसने
सोचा था, सु
धा बै
ठे
गी। जानेकतनी बात करगे
! वह सु
धा सेउसका सब हाल पू
छे
गा,
ले
कन सु
धा तो जानेकै
सी तट थ, िनरपे और अपनेम सीिमत-सी हो गयी हैक कु
छ समझ म नह ंआता। उसने
च दर से
सबकु
छ जान िलया ले
कन च दर केसामने
उसनेअपनेमन को कह ंजा हर ह नह ंहोनेदया, सु
धा उसके
पास होकर भी जानेकतनी दरूथी! सरोवर म डू
बकर पं
छ यासा था।
कर ब घं
टा-भर बाद सु
धा दध
ू का िगलास ले
कर आयी। च दर को नीं
द आ गयी थी। वह च दर केिसरहानेबै

गयी-''च दर, सो गये या?''

'' य ?'' च दर घबराकर उठ बै


ठा।

''लो, दध
ू पी लो।'' सु
धा बोली।

''दध
ू हम नह ंपएँ
गे
।''

''पी लो, दे
खो बफ और शरबत िमला दया है
, पीकर तो दे
खो!''

''नह ं
, हम नह ंपएँ
गे
। अब जाओ, हम नीं
द लग रह है
।'' च दर गुसा था।

''पी लो मे
रेराजदल
ुारे
, चमक रहेह चाँ
द-िसतारे
...'' सु
धा नेलोर गातेहु
ए च दर को अपनी गोद म खीं
चकर
ब च क तरह िगलास च दर केमु

ँ सेलगा दया। च दर नेचु
पचाप दध
ू पी िलया। सु
धा नेिगलास नीचेरखकर
कहा, ''वाह, ऐसे
तो म नीलू
को दध
ू पलाती हू

।''

''नीलू
कौन?''

''अरेमे
र ा भतीजा! शं
कर बाबू
का लड़का।''

''अ छा!''

''च दर, तु
मने
पंखा तो छत पर लगा दया है
। तु
म कै
सेसोओगे
?''

''मु
झेनीं
द आ जाएगी।''

च दर फर ले
ट गया। सु
धा उठ नह ं
। वह दस
ूर पाट से
हाथ टे
ककर च दर केव केआर-पार फू
ल केधनु
ष-
सी झु
ककर बै
ठ गयी। एकादशी का न ध पव च मा आसमान क नीली लहर पर अध खले
बेल केफू
ल क तरह
काँ
प रहा था। दध
ू म नहायेहु
ए झ केचाँ
दनी सेआँ
ख-िमचौली खे
ल रहेथे
। च दर आँ
ख ब द कयेपड़ा था और
उसक पलक पर, उसकेमाथेपर, उसकेहोठ पर चाँ
द क पाँ
खुरयाँबरस रह थीं
। सु
धा नेच दर का कॉलर ठ क
कया और बड़ेह मधु
र वर म पू
छा, ''च दर, नीं
द आ रह है
?''

''नह ं
, नीं
द उचट गयी!'' च दर नेआँ
ख खोलकर दे
खा। एकादशी का प व च मा आकाश म था और पू
जा से
अिभ ष एकादशी क उदास चाँ
दनी उसकेव पर झु
क बै
ठ थी। उसे
लगा जै
सेप व ता और अमृ
त का च पई बादल
उसके ाण म िलपट गया है

उसनेकरवट बदलकर कहा, ''सु


धा, जं
दगी का एक पहलू
ख म हु
आ। दद क एक मं
जल ख म हो गयी। थकान
भी दरूहो गयी, ले
कन अब आगेका रा ता समझ म नह ंआता। या क ँ
?''

''करना बहु
त है
, च दर! अपनेअ दर क बु
र ाई सेलड़ िलये
, अब बाहर क बु
र ाई सेलड़ो। मे
र ा तो सपना था
च दर क तु
म बहु
त बड़ेआदमी बनोगे
। अपनेबारेम तो जो कु
छ सोचा था वह सब नसीब ने
तोड़ दया। अब तुह ं
को दे
खकर कु
छ स तोष िमलता है
। तु
म जतने
ऊँचेबनोगे
, उतना ह चै
न िमले
गा। वना म तो नरक म भु
न रह हू

।''

''सु
धा, तुहार इसी बात से
मेर सार ह मत, सारा बल टू
ट जाता है
। अगर तु
म अपने
प रवार म सु
खी होती तो
मे
र ा भी साहस बँ
धा रहता। तुहारा यह हाल, तुहारा यह वा य, यह असमय वै
र ा य और पू
जा, यह घु
टन दे
खकर
लगता है या क ँ
? कसकेिलए क ँ
?''

''म भी या क ँ
, च दर! म यह जानती हू
ँक अब येभी मे
र ा बहु
त खयाल रखतेह, ले
कन इस बात पर मु
झे
और भी दख
ु होता है
। म इ ह स तु
िलत नह ंकर पाती और उनक खु
लकर उपेा भी नह ंकर पाती। यह अजब-सा
नरक हैमे
र ा जीवन भी, ले
कन यह ज र हैच दर क तुह ऊँ
चा दे
खकर म यह नरक भी भोग ले
जाऊँ
गी। तु
म दल
मत छोटा करो। एक ह जं
दगी क तो बात है
, उसकेबाद...''

''ले
कन म तो पु
नज म म व ास ह नह ंकरता।''

''तब तो और भी अ छा है
, इसी ज म म जो सु
ख देसकते
हो, देलो। जतना ऊँ
चेउठ सकते
हो, उठ लो।''

''तु
म जो रा ता बताओ वह म अपनानेकेिलए तै
यार हू

। म सोचता हू

, अपनेय व सेऊपर उठू

...ले
कन मे
रे
साथ एक शत है
। तुहारा यार मे
रेसाथ रहे
!''

''तो वह अलग कब रहा, च दर! तुह ंने


जब चाहा मु

ँ फे
र िलया। ले
कन अब नह ं
। काश क तु
म एक ण का
भी अनु
भव कर पातेक तु
मसेदरूवहाँ
, वासना केक चड़ म फँ
सी हु
ई म कतनी याकु
ल, कतनी यिथत हू
ँतो तु

ऐसा कभी न करते
! मे
रेजीवन म जो कु
छ अपू
णता रह गयी हैच दर, उसक पू
णता, उसक िस तुह ंहो। तुह मे
रे
ज म-ज मा तर क शा त क सौग ध है
, तु
म अब इस तरह न करना! बस याह कर लो और ढ़ता सेऊँ
चाई क
ओर चलो।''

'' याह केअलावा तुहार सब बात वीकार ह। ले


कन फर भी तु
म अपना यार वापस नह ंलोगी कभी?''

''कभी नह ं
।''

''और हम कभी नाराज भी हो जाएँ


तो बु
र ा नह ंमानोगी?''

''नह ं
!''

''और हम कभी फसल तो तु


म तट थ होकर नह ंबै
ठोगी ब क बना डरेहु
ए मु
झेखीं
च लाओगी उस दलदल
से
?''

''यह क ठन हैच दर, आ खर मे


रेभी ब धन ह। ले
कन खै
र ...अ छा यह बताओ, तु
म द ली कब आओगे
?''

''अब द ली तो दशहरेम आऊँ


गा। गिमय म यह ंरहू

गा।...ले
कन हो सका तो लौटनेके बाद शाहजहाँ
परु
आऊँ
गा।''

सु
धा चु
पचाप बै
ठ रह । च दर भी चु
पचाप ले
टा रहा। थोड़ दे
र बाद च दर ने
सुधा क हथे
ली अपने
हाथ पर रख
ली और आँ
ख ब द कर लीं
। जब वह सो गया तो सु
धा नेधीरे
-सेहाथ उठाया, खड़ हो गयी। थोड़ दे
र अपलक उसे
दे
खती रह और धीरे
-धीरेचली आयी।

दस
ूरेदन सु
बह सु
धा नेआकर च दर को जगाया। च दर उठ बै
ठा तो सु
धा बोली-''ज द सेनहा लो, आज
तुहारेसाथ पू
जा करगे
!''

च दर उठ बै
ठा। नहा-धोकर आया तो सु
धा ने
चौक केसामने
दो आसन बछा रखेथे
। चौक पर धू
प सु
लग रह
थी और फू
ल गमक रहेथे
। ढे
र -के
-ढे
र बे
ल और अग त केफू
ल। च दर को बठाकर सु
धा बै
ठ । उसनेफर वह वे

धारण कर िलया था। रे
शम क धोती और रे
शम का एक अ तवासक, गीले
बाल पीठ पर लहरा रहेथे

''ले
कन म बै
ठा-बै
ठा या क ँ
गा?'' उसने
पूछा।

सु
धा कु
छ नह ंबोली। चु
पचाप अपना काम करती गयी। थोड़ दे
र बाद उसनेभागवत खोली और बड़ेमधु
र वर
म गो पका-गीत पढ़ती रह । च दर संकृ
त नह ंसमझता था, पू
जा म व ास नह ंकरता था, ले
कन वह ण जाने
कै
सा लग रहा था! च दर क साँ
स म धू
प क पावन सौरभ केडोरेगु

थ गये
थे। उसकेघु
टन पर रह-रहकर स : नाता
सु
धा केभीगेके
श सेगीलेमोती चूपड़ते
थे। कृ
शकाय, उदास और प व सु
धा केपू
जा के साद जै
सेमधु
र वर म
ीम ागवत के ोक उसक आ मा को अमृ
त सेधो रहेथे
। लगता था, जै
सेइस पू
जा क ा वत बे
ला म उसके
जीवन-भर क भू
ल, कमजो रयाँ
, गु
नाह सभी धु
लता जा रहा था।...जब सु
धा नेभागवत ब द करकेरख दया तो पता
नह ं य च दर ने णाम कर िलया-भागवत को या भागवत क पु
जा रन को, यह नह ंमालू
म।

थोड़ दे
र बाद सु
धा ने
पूजा क थाली उठायी और उसने
च दर केमाथेपर रोली लगा द ।

''अरेम!''

''हाँतु
म! और कौन...मे
रेतो दस
ूरा न कोई!'' सु
धा बोली और ढे
र -के
-ढे
र फू
ल च दर केचरण पर चढ़ाकर, झु
ककर
च दर केचरण को णाम कर िलया। च दर नेघबराकर पाँ
व खीं
च िलए, ''म इस यो य नह ंहू

, सु
धा! य ल जत
कर रह हो?''

सु
धा कु
छ नह ंबोली...अपने
आँचल से
एक छलकता हु
आ आँ
सूप छकर ना ता लाने
चली गयी।

जब वह यू
िनविसट सेलौटा तो दे
खा, सु
धा मशीन रखेकु
छ िसल रह है
। च दर नेकपड़ेबदलकर पू
छा, ''कहो,
या िसल रह हो?''

'' माल और बिनयाइन! कै


सेकाम चलता था तुहारा? न स दक
ू म एक भी माल है
, न एक भी बिनयाइन।
लापरवाह क भी हद है
। तभी कहती हू
ँयाह कर लो!''

''हाँ
, कसी दज क लड़क सेयाह करवा दो!'' च दर खाट पर बै
ठ गया और सु
धा मशीन पर बै
ठ -बै
ठ िसलती
रह । थोड़ दे
र बाद सहसा उसने
मशीन रोक द और एकदम से
घबरा कर उठ ।

'' या हु
आ, सु
धा...''
''बहु
त दद हो रहा है
....'' वह उठ और खाट पर बे
होश-सी पड़ रह । च दर दौडक़र पं
खा उठा लाया। और झलने
लगा। ''डॉ टर बु
ला लाऊँ
?''

''नह ं
, अभी ठ क हो जाऊँ
गी। उबकाई आ रह है
!'' सु
धा उठ ।

''जाओ मत, म पीकदान उठा लाता हू



।'' च दर नेपीकदान उठाकर रख दया और सु
धा क पीठ सहलानेलगा।
फर सु
धा हाँ
फती-सी ले
ट गयी। च दर दौड़कर इलायची और पानी लेआया। सु
धा नेइलायची खायी और फर पड़
रह । उसकेमाथेपर पसीना झलक आया।

''अब कै
सी तबीयत है
, सु
धा?''

''बहु
त दद हैअं
ग-अं
ग म...मशीन चलाना नु
कसान कर गया।'' सु
धा ने
बहु
त ीण वर म कहा।

''जाऊँ कसी डॉ टर को बु
ला लाऊँ
?''

''बे
कार है
, च दर! म तो लखनऊ म दखा आयी। इस रोग का या इलाज है
। यह तो जं
दगी-भर का अिभशाप
है
!''

'' या बीमार बतायी तुह?''

''कु
छ नह ं
।''

''बताओ न?''

'' या बताऊँ
, च दर!'' सु
धा नेबड़ कातर िनगाह सेच दर क ओर दे
खा और फू
ट-फू
टकर रो पड़ । बु
र तरह
िससकनेलगी। सु
धा चु
पचाप पड़ कराहती रह । च दर नेअटै
ची म से
दवा िनकालकर द । कॉले
ज नह ंगया। दो घं
टे
बाद सु
धा कु
छ ठ क हु
ई। उसनेएक गहर साँ
स ली और त कयेकेसहारेउठकर बै
ठ गयी। च दर नेऔर कई त कये
पीछेरख दये
। दो ह घं
टेम सु
धा का चहे
र ा पीला पड़ा गया। च दर चु
पचाप उदास बै
ठा रहा।

उस दन सु
धा नेखाना नह ंखाया। िसफ फल िलये
। दोपहर को दो बजेभयं
कर लूम कै
लाश वापस आया और
आते
ह च दर से
पूछा, ''सु
धा क तबीयत तो ठ क रह ?'' यह जानकर क सु
बह खराब हो गयी थी, वह कपड़ेउतारने
केपहलेसु
धा केकमरेम गया और अपनेहाथ सेदवा दे
कर फर कपड़ेबदलकर सु
धा केकमरेम जाकर सो गया।
बहु
त थका मालू
म पड़ता था।

च दर आकर अपने
कमरेम कॉ पयाँजाँ
चता रहा। शाम को कािमनी, भा तथा कई लड़ कयाँ
, ज ह गे
सूने
खबर
देद थी, आयींऔर सु
धा और कै
लाश को घे
रेरह ं
। च दर उनक खाितर-तव जो म लगा रहा। रात को कै
लाश ने
उसे
अपनी छत पर बु
ला िलया और च दर केभ व य केकाय म केबारेम बात करता रहा। जब कै
लाश को नीं
द आने
लगी, तब वह उठकर लॉन पर लौट आया और ले
ट गया।

बहु
त दे
र तक उसेनीं
द नह ंआयी। वह सु
धा क तकलीफ केबारेम सोचता रहा। उधर सु
धा बहु
त दे
र तक
करवट बदलती रह । यह दो दन सपन क तरह बीत गये
और कल वह फर चली जाएगी च दर सेदरू
, न जाने
कब
तक केिलए!

सु
बह सेह सु
धा जै
सेबु
झ गयी थी। कल तक जो उसम उ लास वापस आ गया था, वह जै
सेकै
लाश क छाँ
ह ने
ह स िलया था। च दर केकॉले
ज का आ खर दन था। च दर कै
लाश को लेगया और अपनेिम से
, ोफे
सर से
उसका प रचय करा लाया। एक ोफे
सर, जनक आदत थी क वेकांे
स सरकार सेस ब धत हर य को दावत
ज र दे
तेथे
, उ ह ने
कैलाश को भी दावत द य क वह सांकृ
ितक िमशन म जा रहा था।

वापस जानेकेिलए रात क गाड़ तय रह । ह ते


-भर बाद ह कै
लाश को जाना था अत: वह यादा नह ं क
सकता था। दोपहर का खाना दोन नेसाथ खाया। सु
धा महरा जन का िलहाज करती थी, अत: वह कै
लाश केसाथ
खाने
नह ंबै
ठ । िन य हु
आ क अभी से
सामान बाँ
ध िलया जाए ता क पाट केबाद सीधे टे
शन जा सक।

जब सु
धा ने
च दर केलाये
हुए कपड़ेकै
लाश को दखाये
तो उसेबड़ा ता जु
ब हु
आ। ले
कन उसने
कुछ नह ंकहा,
कपड़ेरख िलये
और च दर सेजाकर बोला, ''अब जब तु
मनेले
न-े
दे
नेका यवहार ह िनभाया हैतो यह बता दो, तु

बड़ेहो या छोटे
?''

'' य ?'' च दर ने
पूछा।

''इसिलए क बड़ेहो तो पै
र छू
कर जाऊँ
, और छोटेहो तो पया दे
कर जाऊँ
!'' कै
लाश बोला। च दर हँ
स पड़ा।

घर म दोपहर सेह उदासी छा गयी। न च दर दोपहर को सोया, न कै


लाश और न सु
धा। शाम क पाट म सब
लोग गये
। वहाँसे
लौटकर आयेतो सु
धा को लगा क उसका मन अभी डू
ब जाएगा। उसेशाद म भी जाना इतना नह ं
अखरा था जतना आज अखर रहा था। मोटर पर सामान रखा जा रहा था तो वह ख भे
सेटककर खड़ रो रह थी।
महरा जन एक टोकर म खाने
का सामान बाँ
ध रह थी।

कै
लाश नेदे
खा तो बोला, ''रो य रह हो? छोड़ जाएँतुह यह ं
? च दर सेसँ
भले
गा!'' सु
धा नेआँ
सूप छकर
आँ
ख सेडाँ
टा-''महरा जन सु
न रह ह क नह ं
।'' मोटर तक पहु

चते
-पहु

चतेसु
धा फू
ट-फू
टकर रो पड़ और महरा जन
उसेगलेसेलगाकर आँ
सूप छनेलगीं
। फर बोलीं
, ''रोवौ न ब टया! अब छोटेबाबूका बयाह कर दे
व तो दईु-तीन
मह ना आयकेरह जाव। तोहार सास छो ़
डह क न?''

सु
धा ने
कुछ जवाब नह ंदया और पाँ
च पये
का नोट महरा जन केहाथ म थमाकर आ बै
ठ।


न ले
टफाम पर आ गयी थी। से
कड लास म च दर नेइन लोग का ब तर लगवा दया। सीट रजव करवा
द । गाड़ छू
टनेम अभी घं
टा-भर दे
र थी। सु
धा क आँ
ख म विच -सा भाव था। कल तक क ढ़ता, ते
ज, उ लास
बु
झ गया था और अजब-सी कातरता आ गयी थी। वह चु
प बै
ठ थी। च दर सेजब नह ंदे
खा गया तो वह उठकर
ले
टफाम पर टहलनेलगा। कै
लाश भी उतर गया। दोन बात करनेलगे
। सहसा कै
लाश नेच दर केक धेपर हाथ
रखकर कहा, ''हाँयार, एक बात बहु
त ज र थी।''

'' या?''

''इ ह ने
तुमसेबनती केबारेम कु
छ कहा?''
''कहा था!''

''तो या सोचा तु
मने
?''

''म शाद -वाद नह ंक ँ


गा।''

''यह सब आदशवाद मु
झेअ छा नह ंलगा, और फर उससेशाद करकेसच पू
छो तो बहु
त बड़ बात करोगेतु
म!
उस घटना केबाद अब ा ïण म तो वर उसे
िमलने
सेरहा। और ये
कह रह थींक वह तुह मानती भी बहु
त है
।''

''हाँ
, ले
कन इसकेमतलब यह नह ंक म शाद कर लू
।ँमु
झेबहु
त कु
छ करना है
।''

''अरेजाओ यार, तु
म िसवा बात केकु
छ नह ंकर सकते
।''

''हो सकता है
।'' च दर ने
बात टाल द । वह शाद तो नह ंह करे
गा।

थोड़ दे
र बाद च दर ने
पूछा, ''इ ह द ली कब भे
जोगे
?''

''अभी तो जस दन म जाऊँ
गा, उस दन येद ली मे
रेसाथ जाएँ
गी, ले
कन दस
ूरेदन शाहजहाँ
परुलौट जाएँ
गी।''

'' य ?''

''अभी माँबहु
त बगड़ हु
ई ह। वह इ ह आनेथोड़ेह दे
ती थीं
। वह तो लखनऊ केबहाने
म इ ह ले
आया। तु

शं
कर भइया से
कभी ज मत करना-अब द ली तो इसिलए चली जाएँक म दो-तीन मह ने
बाद लौटू

गा... फर शायद
िसत बर, अ टू
बर म ये
तीन-चार मह ने
केिलए द ली जाएँ
गी। यू
नो शी इज कै
र इ !''

''हाँ
, अ छा!''

''हाँ
, यह तो बात है
, पहला मौका है
।''

दोन लौटकर क पाटमट म बै


ठ गये

सु
धा बोली, ''तो िसत बर म आओगेन, च दर?''

''हाँ
-हाँ
!''

''ज र से
? फर व कोई बहाना न बना दे
गा।''

''ज र आऊँ
गा!''

कै
लाश उतरकर कु
छ ले
नेगया तो सु
धा नेअपनी आँ
ख सेआँ
सूप छकर झु
ककर च दर केपाँ
व छूिलयेऔर
रोकर बोली, ''च दर, अब बहु
त टू
ट चु
क हू

...अब हाथ न खीं
च ले
ना...'' उसका गला ँ
ध गया।

च दर ने
सुधा केहाथ को अपने
हाथ म ले
िलया और कु
छ भी नह ंबोला। सु
धा थोड़ दे
र चु
प रह , फर बोली-
''च दर, चु
प य हो? अब तो नफरत नह ंकरोगे
? म बहु
त अभागी हू

, दे
वता! तु
मने या बनाया था और अब
या हो गयी!...दे
खो, अब िच ठ िलखते
रहना। नह ंतो सहारा टू
ट जाता है
...'' और फर वह रो पड़ ।

कै
लाश कु
छ कताब और प काएँ
खर दकर वापस आ गया। दोन बै
ठकर बात करते
रहे
। यह िन य हु
आ क जब
कै
लाश लौटे
गा तो बजाय ब बई से
सीधेद ली जाने
के, वह याग से
होता हु
आ जाएगा।

गाड़ चली तो च दर नेकै


लाश को बहु
त यार से
गलेलगा िलया। जब तक गाड़ ले
टफॉम केअ दर रह , सु
धा
िसर िनकालेझाँ
कती रह । ले
टफाम केबाहर भी पीली चाँ
दनी म सु
धा का फहराता हु
आ आँ
चल दखता रहा। धीरे
-धीरे
वह एक सफे
द ब दु
बनकर अ य हो गया। गाड़ एक वशाल अजगर क तरह चाँ
दनी म रगती चली जा रह थी।

जब मन म यार जाग जाता हैतो यार क करन बादल म िछप जाती है


। अजब थी च दर क क मत! इस
बार तो, सु
धा गयी थी तो उसकेतन-मन को एक गु
लाबी नशेम सराबोर कर गयी थी। च दर उदास नह ंथा। वह
बे
हद खु
श था। खू
ब घू
मता था और गरमी केबावजू
द खू
ब काम करता था। अपने
पुर ाने
नो स िनकाल िलये
थेऔर एक
नयी कताब क परे
खा सोच रहा था। उसे
लगता था क उसका पौ ष, उसक श , उसका ओज, उसक ढ़ता, सभी
कु
छ लौट आया है
। उसेहरदम लगता क गु
लाबी पाँ
खुरय क एक छाया उसक आ मा को चू
मती रहती है
। वह जब
कभी ले
टता तो उसे
लगता क सु
धा फू
ल केधनु
ष क तरह उसकेपलँ
ग केआर-पार पाट पर हाथ टे
केबै
ठ है
। उसे
लगता-कमरेम अब भी धू
प क सौरभ लहरा रह हैऔर हवाओंम सु
धा केमधु
र कं
ठ के ोक गू

ज रहेह।

दो ह दन म च दर को लग रहा था क उसक जं
दगी म जहाँजो कु
छ टू
ट-फू
ट गया है
, वह सब सँ
भल रहा है

वह सब अभाव धीरे
-धीरेभर रहा है
। उसकेमन का पू
जा-गृ
ह खँ
डहर हो चु
का था, सहसा उस पर जै
सेकसी नेआँ
सू
िछड़ककर जीवन केवरदान सेअिभ ष कर दया था। प थर केबीच दबकर पसे
हुए पू
जा-गीत फर से
स वर हो उठे
थे
। मु
र झायेहु
ए पू
जा-फू
ल क पाँ
खुरय म फर रस छलक आया था और रं
ग चमक उठेथे
। धीरे
-धीरेम दर का
कँ
गू
र ा फर िसतार सेसमझौता करनेक तै
यार करनेलगा था। च दर क नस म वे
द-म क प व ता और ज
क वं
शी क मधु
र ाई पलक म पलक डालकर नाच उठ थी। सारा काम जै
सेवह कसी अ य आ मा क आ मा क
आ ा से
करता था। वह आ मा िसवा सु
धा केऔर भला कसक थी! वह सु
धामय हो रहा था। उसकेकदम-कदम म,
बात-बात म, साँ
स-साँ
स म सु
धा का यार फर से
लौट आया था।

तीसरेदन बनती का एक प आया। बनती ने


उसेद ली बु
लाया था और मामाजी (डॉ टर शुला) भी चाहते
थे
क च दर कु
छ दन केिलए द ली चला आयेतो अ छा है
। च दर केिलए कु
छ कोिशश भी कर रहेथे
। उसनेिलख
दया क वह मई केअ त म या जू
न के ार भ म आएगा। और बनती को बहु
त, बहु
त-सा ने
ह। उसनेसु
धा केआने
क बात नह ंिलखी य क कै
लाश ने
मना कर दया था।

सु
बह च दर गं
गा नहाता, नयी पुतक पढ़ता, अपनेनो स दोहराता। दोपहर को सोता और रे
डयो बजाता, शाम
को घू
मता और िसने
मा दे
खता, सोतेव क वताएँ
पढ़ता और सु
धा के यार केबादल म मु

ँ िछपाकर सो जाता। जस
दन कै
लाश जानेवाला था, उसी दन उसका एक प आया क वह और सु
धा द ली आ गयेह। शं
कर भइया और
नीलू
उसे
पहु

चाने
ब बई जाएँ
गे
। च दर सु
धा केइलाहाबाद जानेका ज कसी को भी न िलखे
। यह उसकेऔर च दर
केबीच क बात थी। खत केनीचेसु
धा क कु
छ लाइन थीं

''च दर,

राम-राम। तु
मने
मुझेजो साड़ द थी वह या अपनी भावी ीमती केनाप क थी? वह मे
रेघु
टन तक आती है

बू
ढ़ होकर िघस जाऊँ
गी तो उसे
पहना क ँ
गी-अ छा ने
ह। और जो तु
मसेकह आयी हू
ँउन बात का यान रहे
गा न?
मे
र त द ु ती ठ क है
। इधर मने
गाँ
धीजी क आ मकथा पढ़नी शु क है

तुहार -सु
धा।

''...और हाँ
, लालाजी! िमठाई खलाओ, द ली म बहु
त खबर हैक शरणाथ वभाग म याग केएक ोफे
सर
आने
वाले
ह!''

कै
लाश तो अब ब बई चल दया होगा। ब बई केपतेसे
उसनेबधाई का एक तार भे
ज दया और सु
धा को एयर
मे
ल से
उसने
एक खत भे
जा जसम उसने
बहु
त-सी िमठाइय का िच बना दया था।

ले
कन वह पसोपे
श म पड़ गया। द ली जाए या न जाए। वह अपनेअ तमन सेसरकार नौकर का वरोधी था।
उसेत कालीन भारतीय सरकार और टश सरकार म यादा अ तर नह ंलगता था। फर हर कोण सेवह
समाजवा दय केअिधक समीप था। और अब वह सु
धा सेवायदा कर चु
का था क वह काम करे
गा। ऊँ
चा बने
गा।
िस होगा, ले
कन पद वीकार कर ऊँ
चा बनना उसकेच र के व था। क तु
डॉ टर शुला कोिशश कर कर रहे
थे
। च दर के य सरकार के कसी ऊँ
चेपद पर आए, यह उनका सपना था। च दर को कॉले
ज क व छ द और
ढ ली नौकर पस द थी। अ त म उसनेयह सोचा क पहलेनौकर वीकार कर ले
गा। बाद म फर कॉले
ज चला
आएगा-एक दन रात को जब वह बजली बु
झाकर, कताब ब द कर सीनेपर रखकर िसतार को दे
ख रहा था और
सोच रहा था क अब सु
धा द ली लौट गयी होगी, अगर द ली रह गया तो बँ
गलेम कसेटकाया जाएगा...इतनेम
कसी य ने
फाटक खोलकर बँ
गले
म वे
श कया। उसे
ता जु
ब हु
आ क इतनी रात को कौन आ सकता है
, और वह
भी साइ कल ले
कर! उसनेबजली जला द । तार वाला था।

साइ कल खड़ कर, तार वाला लॉन पर चला गया और तार देदया। द तखत करकेउसनेिलफाफा फाड़ा। तार
डॉ टर साहब का था। िलखा था क ''अगली े
न सेफौरन चले
आओ। टे
शन पर सरकार कार होगी सले
ट रं
ग क ।''
उसकेमन ने
फौरन कहा, च दर, हो गये
तुम के म!

उसक आँ
ख से
नीं
द गायब हो गयी। वह उठा, अगली े
न सु
बह तीन बजेजाती थी। यारह बजेथे
। अभी चार
घं
टेथे
। उसने
एक अटै
ची म कु
छ अ छे
-से
-अ छेसू
ट रखे
, कताब रखीं
, और माली को सहे
जकर चल दया। मोटर को
टे
शन सेवापस लानेक द कत होती, ाइवर अब था नह ं
, अत: नौकर को अटै
ची दे
कर पै
दल चल दया। राह म
िसने
मा से
लौटता हु
आ र शा िमल गया।

च दर नेसे
कड लास का टकट िलया और ठाठ सेचला। कानपु
र म उसनेसाद चाय पी और इटावा म रेतराँ
-
बार म जाकर खाना खाया। उसकेबगल म मारवाड़ द पित बै
ठेथेजो से
कड लास का कराया खच करके
ाय त व प एक आनेक पकौड़ और दो आनेक दालमोठ सेउदर-पू
ित कर रहेथे
। हाथरस टे
शन पर एक
मजे
दार घटना घट । हाथरस म छोट और बड़ लाइन ॉस करती ह। छोट लाइन ऊपर पु
ल पर खड़ होती है
। टे
शन
केपास जब े
न धीमी हु
ई तो से
ठजी सो रहेथे
। से
ठानी ने
बाहर झाँ
ककर दे
खा और िन सं
कोच उनकेपृ
थु
ल उदर पर
कर- हार करकेकहा, ''हो! दे
खो रे
लगाड़ केिसर पर रे
लगाड़ !'' से
ठ एकदम च ककर जागेऔर उछलकर बोले
, ''बाप रे
बाप! उलट गयी रे
लगाड़ । ज द सामान उतार। लु
ट गये
राम! ये
तो जं
गल है
। कहते
थेजे
वर न ले
चल।''

च दर खल खलाकर हँ
स पड़ा। से
ठजी नेप र थित समझी और चु
पचाप बै
ठ गये
। च दर करवट बदलकर फर
पढ़ने
लगा।

इतनेम ऊपर क गाड़ सेउतर कर कोई औरत हाथ म एक गठर िलयेआयी और अ दर य ह घु


सी क
मारवाड़ बोला, ''बुढ , यह से
कड लास है
।''

''होई! से
केड-थड तो सब गो व द क माया है
, ब चा!''

च दर का मु

ँ दस
ूर ओर था, ले
कन उसने
सोचा गो व दजी क माया का वणन और व े
षण करते
हुए रे
ल के
ड ब केवग करण को भी मायाजाल बताना शायद भागवतकार क द य सेस भव होगा। ले
कन यह भी मारवाड़
कोई सु
धा तो था नह ंक वै
णव सा ह य और गो व दजी क माया का भ होता। जब उसनेकहा-गाड साहब को
बु
लाऊँ
? तो बु
ढ़या गरज उठ -''बस-बस, चल हु
आँसे
, गाड का तोर दमाद लगत हैजौन बु
लाइहै
। मोटका क !ू
''

च दर हँ
स पड़ा, कम-से
-कम गाली क नवीनता पर। दस
ूर बात; गाड़ उस समय ज े म थी, वहाँयह अवधी
का सफल व ा कौन है
! उसने
घूमकर दे
खा। एक बु
ढ़या थी, िसर मु
ड़ाये
। उसने
कह ंदे
खा हैइसे
!

''कहाँजाओगी, माई?''

''कानपु
र जाबै
।''

''ले
कन यह गाड़ तो द ली जाएगी?''

''तु
हू
ँबो यो टुप से
! हम ऐसेधमकावेम नैआइत। ई कानपु
र जइहै
!'' उसनेहाथ नचाकर च दर सेकहा। और
फर जाने य क गयी और च दर क ओर दे
खने
लगी। फर बोली, ''अरेच दर बे
टवा, कहाँसे
आवत हौ तू
!''

''ओह! बु
आजी ह। िसर मु
ड़ा िलया तो पहचान म ह नह ंआतीं
!'' च दर नेफौरन उठकर पाँ
व छु
ए। बु
आजी
वृ
दावन से
आ रह थीं
। वह बै
ठ गयीं
, बोलीं
, ''ऊ न टिनयाँमर गयी क अब हन है
?''

''कौन?''

''ओह बनती!''

''मरे
गी य ?''

''भइया! सु
कु
ल तो हमार कु
ल डु
बोय द हन। ले
कन जै
सेऊ हमर ब टया केमड़वा तरेसेउठाय िल हन वै
से
भगवान चाह तो उनहूका लड़क से
समझी!''

च दर कु
छ नह ंबोला। थोड़ दे
र बाद खु
द बड़बड़ाती हु
ई बु
आजी बोलीं
, ''अब हम का करैको है
। हम सब मोह-
माया याग दया। ले
कन हमरे याग म कुछौ समरथ हैतो सु
कु
ल को बदला िमिलहै
!''

कानपु
र क गाड़ आयी तो च दर खु
द उ ह बठाल आया। विच थींबु
आजी, बे
चार कभी समझ ह नह ंपायीं
क बनती को उठाकर डॉ टर साहब ने
उपकार कया या अपकार और मजा तो यह हैक एक ह वा य केपू
वा म
मायामोह सेवर क घोषणा और उ रा म दव
ुासा का शाप... ह द ुतान केिसवा ऐसे
नमू
नेकह ंभी िमलने
मुकल
ह। इतने
म च दर क गाड़ नेसीट द । वह भागा। बु
आजी नेच दर का खयाल छोड़कर अपने
बगल केमु
सा फर से
लड़ना शु कर दया।

वह द ली पहु

चा। दो-तीन साल पहले
भी वह द ली आया था ले
कन अब द ली टे
शन क चहल-पहल ह दस
ूर
थी। गाड़ घं
टा-भर ले
ट थी। नौ बज चु
केथे
। अगर मोटर न िमली तो भी इतनी मशहू
र सड़क पर डॉ टर साहब का
बँ
गला था क च दर को वशे
ष द कत न होती। ले
कन य ह वह ले
टफॉम से
बाहर िनकला तो उसने
देखा क जहाँ
मरकर क बड़ सचलाइट लगी है
, ठ क उसी केनीचेसले
ट रं
ग क शानदार कार खड़ थी जसकेआगे
-पीछे ाउन
लगा था और सामने
ितरं
गा, आगेलाल वद पहनेएक खानसामा बै
ठा है
। और पीछेएक िसख ाइवर खड़ा है
। च दर
का सू
ट चाहेजतना अ छा हो ले
कन इस शान केलायक तो नह ंह था। फर भी वह बड़ेरोब सेगया और ाइवर
से
बोला, ''यह कसक मोटर है
?''

''सकार ग ड हैजी।'' िसख ने


अपनी ितभा का प रचय दया।

'' या यह डॉ टर शुला ने
भेजी है
?''

''जी हाँ
, हु
जू
र !'' एकदम उसका वर बदल गया-''आप ह उनकेलड़केह-च दर बहादरु साहब?'' उसनेउतरकर
सलाम कया। दरवाजा खोला, च दर बै
ठ गया। कु
ली को एक अटै
ची केिलए एक अठ नी द । मोटर उड़ चली।

च दर बहु
त उदार वचार का था ले
कन आज तक वह डॉ टर साहब क उ नीसवींसद वाली पु
र ानी कार पर ह
चढ़ा था। इस राजमु
कु
ट और रा ीय वज सेसु
शोिभत मोटर पर खानसामेकेसाथ चढऩेका उसका पहला ह मौका
था। उसे
लगा जै
सेइस समय ितरं
गेका गौरव और महान टश सा ा य केइस ाउन का शासनद भ उसकेमन को
उड़ायेिलयेजा रहा है
। च दर तनकर बै
ठा ले
कन थोड़ दे
र बाद वयंउसेअपनेमन पर हँ
सी आ गयी। फर वह
सोचनेलगा क जन लोग केहाथ म आज शासन-स ा है
; मोटर और खानसाम नेउनके दय को इस तरह बदल
दया है
। वे
भी तो बे
चारेआदमी ह, इतनेदन से भु
ता के यासे
। बे
कार हम लोग उ ह गाली दे
तेह। फर च दर उन
लोग का खयाल करकेहँ
स पड़ा।

द ली म इलाहाबाद क अपेा कम गरमी थी। कार एक बँ


गले
केअ दर मु
ड़ और पो टको म क गयी। बँ
गला
नयेसादेअमे
रकन ढं
ग का बना हु
आ था। खानसामेनेउतरकर दरवाजा खोला। च दर उतर पड़ा। ाइवर नेहॉन
दया। दरवाजा खु
ला और बनती िनकली। उसका मु

ँ सू
खा हु
आ था, बाल अ त- य त थेऔर आँ
ख जै
सेरो-रोकर
सू
ज गयी थीं
। च दर का दल धक्
-से
हो गया, राह-भर केसु
नहरेसपने
टूट गये

'' या बात है
, बनती? अ छ तो हो?'' च दर ने
पूछा।

''आओ, च दर?'' बनती नेकहा और अ दर जातेह दरवाजा ब द कर दया और च दर क बाँ


ह पकडक़र
िससक-िससककर रो पड़ । च दर घबरा गया। '' या बात है
? बताओ न! डॉ टर साहब कहाँह?''

''अ दर ह।''

''तब या हु
आ? तु
म इतनी द:ु
खी य हो?'' च दर नेबनती केिसर पर हाथ रखकर पू
छा...उसे
लगा जै
सेइस
सम त वातावरण पर कसी बड़ेभयानक मृ
यु-दत
ू केपं
ख क काली छाया है
...'' या बात है
? बताती य नह ं
?''

बनती बड़ मुकल से
बोली, ''द द ...सु
धा द द ...''

च दर को लगा जै
सेउस पर बजली टू
ट पड़ -'' या हु
आ सु
धा को?'' बनती कु
छ नह ंबोली, उसेऊपर लेगयी
और कमरेकेपास जाकर बोली, ''उसी म ह द द !''

कमरेकेअ दर क रोशनी उदास, फ क और बीमार थी। एक नस सफे


द पोशाक पहनेपलँ
ग केिसरहाने
खड़ थी,
और कु
स पर िसर झु
कायेडॉ टर साहब बै
ठेथे
। पलँ
ग पर चादर ओढ़ेसु
धा पड़ थी। नस सामनेथी, अत: सु
धा का
चे
हरा नह ंदखाई पड़ रहा था। च दर केभीतर पाँ
व रखते
ह नस नेआँ
ख केइशारेसेकहा, ''बाहर जाइए।'' च दर
ठठककर खड़ा हो गया, डॉ टर साहब ने
देखा और वे
भी उठकर चले
आये

'' या हु
आ सु
धा को?'' च दर नेबहु
त याकु
ल, बहु
त कातर वर म पू
छा। डॉ टर साहब कु
छ नह ंबोले
। चु
पचाप
च दर केक धेपर हाथ रखेहु
ए अपनेकमरेम आयेऔर बहु
त भार वर म बोले
, ''हमार ब टया गयी, च दर!''
और आँ
सूछलक आये

'' या हु
आ उसे
?'' च दर नेफर उतने
ह द:ु
खी वर म पू
छा।

डॉ टर साहब ण-भर पथराई आँ


ख से
च दर क ओर दे
खतेरहे
, फर िसर झु
काकर बोले
, ''एबॉशन!'' थोड़ दे

बाद िसर उठाकर याकु
ल क तरह च दन का क धा पकडक़र बोले
, ''च दर, कसी तरह बचाओ सु
धा को, या कर
कु
छ समझ म नह ंआता...अब बचे
गी नह ं
...परस सेहोश नह ंआया। जाओ कपड़ेबदलो, खाना खा लो, रात-भर
जागरण होगा...''

ले
कन च दर उठा नह ं
, कु
स पर िसर झु
काये
बैठा रहा।

सहसा नस आकर बोली, '' ली डं


ग फर शु हो गयी और नाड़ डू
ब रह है
। डॉ टर को बु
लाइए...फौरन!'' और वह
लौट गयी।

डॉ टर साहब उठ खड़ेहु
ए। उनक आँ
ख म बड़ िनराशा थी। बड़ उदासी से
बोले
, ''जा रहा हू

, च दर! अभी आता
हू

!'' च दर ने
देखा, कार बड़ ते
जी से
जा रह है
। बनती आकर बोली, ''खाना खा लो, च दर!'' च दर ने
सुना ह नह ं

''यह या हु
आ, बनती!'' उसने
घबराई आवाज म पू
छा।

''कु
छ समझ म नह ंआता, उस दन सु
बह जीजाजी गये
। दोपहर म पापा ऑ फस गयेथे
। म सो रह थी, सहसा
जीजी चीखी। म जागी तो दे
खा द द बे
होश पड़ ह। मनेज द से
फोन कया। पापा आये
, डॉ टर आये
। उसकेबाद से
पापा और नस केअलावा कसी को नह ंजाने
देते
द द केपास। मु
झेभी नह ं
।''
और बनती रो पड़ । च दर कु
छ नह ंबोला। चु
पचाप प थर क मू
ित-सा कु
स पर बै
ठा रहा। खडक़ सेबाहर क
ओर दे
ख रहा था।

थोड़ दे
र म डॉ टर साहब वापस आये
। उनकेसाथ तीन डॉ टर थेऔर एक नस। डॉ टर नेकर ब दस िमनट
दे
खा, फर अलग कमरेम जाकर सलाह करनेलगे
। जब लौटेतो डॉ टर साहब नेबहु
त व ïल होकर कहा, '' या
उ मीद है
?''

''घबराइए मत, घबराइए मत-अब तो जब तक अ द नी सब साफ नह ंहो जाएगा तब तक खू


न जाएगा। न ज के
िलए और होश केिलए एक इं
जेशन दे
तेह-अभी।''

इं
जेशन दे
नेकेबाद डॉ टर चले
गये
। पापा वह ंजाकर बै
ठ गये
। बनती और च दर चु
पचाप बै
ठेरहे
। कर ब पाँ

िमनट केबाद सु
धा ने
भयं
कर वर म कराहना शु कया। उन कराह म जै
सेउनका कले
जा उलटा आता हो। डॉ टर
साहब उठकर यहाँचले
आयेऔर च दर सेबोले
, ''वे
ह मट ली डं
ग...'' और कु
स पर िसर झु
काकर बै
ठ गये
। बगल के
कमरेसेसु
धा क ददनाक कराह उठती थींऔर स नाटेम छटपटानेलगती थीं
। अगर आपनेकसी ज दा मु
ग के
पं
ख और पू

ँ नोचेजातेहु
ए दे
खा हो तभी आप उसका अनु
मान कर सकतेह; उस भयानकता का, जो उन कराह म
थी। थोड़ दे
र बाद कराह ब द हो गयीं
, फर सहसा इस बु
र तरह से
सुधा चीखी जै
सेगाय डकार रह हो। पापा उठकर
भागे
-वह भयं
कर चीख उठ और स नाटेम मँ
डरानेलगी- बनती रो रह थी-च दर का चे
हरा पीला पड़ गया था और
पसीने
सेतर हो गया था वह।

पापा लौटकर आये


, ''हम लोग दे
ख सकते
ह?'' च दर ने
पूछा।

''अभी नह ं
-अब ली डं
ग ख म है
।...नस अभी कपड़ेबदल देतो चलगे
।''

थोड़ दे
र म तीन गयेऔर जाकर खड़ेहो गये
। अब च दर नेसु
धा को दे
खा। उसका चे
हरा सफे
द पड़ गया था।
जै
सेजाड़ेके दन म थोड़ दे
र पानी म रहनेकेबाद उँ
गिलय का रं
ग र हन त
े हो जाता है
। गाल क ह डïयाँ
िनकल आयी थींऔर होठ कालेपड़ गयेथे
। पलक केचार ओर कालापन गहरा गया था और आँ
ख जै
सेबाहर
िनकली पड़ती थीं
। खू
न इतना अिधक गया था क लगता था बदन पर चमड़ेक एक ह क झ ली मढ़ द गयी हो।
यहाँतक क भीतर क ह ड केउतार-चढ़ाव तक प दख रहेथे
। च दर ने
डरते
-डरते
माथेपर हाथ रखा। सु
धा के
होठ म कु
छ हरकत हु
ई, उसने
मुह
ँ खोल दया और आँ
ख ब द कये
हुए ह उसने
करवट बदली, फर कराह और िसर
से
पैर तक उसका बदन काँ
प उठा। नस ने
नाड़ दे
खी और कहा, अब ठ क है
। कमजोर बहु
त है
। थोड़ दे
र बाद पसीना
िनकलना शु हु
आ। पसीना प छते
-प छते
एक बज गया। बनती बोली डॉ टर साहब से
-''मामाजी, अब आप सो जाइए।
च दर दे
ख लगेआज। नस हैह ।''

डॉ टर साहब क आँ
ख लाल हो रह थीं
। सबकेकहनेपर वह अपनी सीट पर ले
ट रहे
। नस बोली, ''म बाहर
आराम कु
स पर थोड़ा बै
ठ लू
।ँकोई ज रत हो तो बु
ला ले
ना।'' च दर जाकर सु
धा केिसरहानेबै
ठ गया। बनती बोली,
''तु
म थकेहु
ए आये
हो। चलो तु
म भी सो रहो। म दे
ख रह हू

!''

च दर ने
कुछ जवाब नह ंदया। चु
पचाप बै
ठा रहा। बनती ने
सभी खड़ कयाँखोल द ंऔर च दर केपास ह बै

गयी। सु
धा सो रह थी चु
पचाप। थोड़ दे
र बाद बनती उठ , घड़ दे
खी, मु

ँ खोलकर दवा द । सहसा डॉ टर साहब
घबराये
हुए-से
आये
-'' या बात है
, सु
धा य चीखी!''

''कु
छ नह ं
, सु
धा तो सो रह हैचु
पचाप!'' बनती बोली।

''अ छा, मु
झेनीं
द म लगा क वह चीखी है
।'' फर वह खड़े
-खड़ेसु
धा का माथा सहलातेरहेऔर फर लौट गये

नस अ दर थी। बनती च दर को बाहर ले
आयी और बोली, ''दे
खो, तु
म कल जीजाजी को एक तार देदे
ना!''

''ले
कन अब वह ह गेकहाँ
?''

'' वजगाप टम या कोल बो म जहाजी क पनी केपते


सेदलवा दे
ना तार।''

दोन फर जाकर सु
धा केपास बै
ठ गये
। नस बाहर सो रह थी। साढ़ेतीन बज गयेथे
। ठं
ड हवा चल रह थी।
बनती च दर केक धेपर िसर रखकर सो गयी। सहसा सु
धा केहोठ हलेऔर उसनेकु
छ अ फु
ट वर म कहा।
च दर ने
सुधा केमाथेपर हाथ रखा। माथा सहसा जलनेलगा था; च दर घबरा उठा। उसनेनस को जगाया। नस ने
बगल म थमामीटर लगाया। ताप म एक सौ पाँ
च था। सारा बदन जल रहा था और रह-रहकर वह काँ
प उठती थी।
च दर नेफर घबराकर नस क ओर दे
खा। ''घबराइए मत! डॉ टर अभी आएगा।'' ले
कन थोड़ दे
र म हालत और
बगड़ गयी। और फर उसी तरह ददनाक कराह सु
बह क हवा म िसर पटकने
लगीं
। नस नेइन लोग को बाहर भे

दया और बदन अँ
गोछने
लगी।

थोड़ दे
र म सु
धा नेचीखकर पु
कारा-''पापा...'' इतनी भयानक आवाज थी क जै
सेसु
धा को नरक केदत
ू पकड़ेले
जा रहेह । पापा गये
। सु
धा का चे
हरा लाल था और वह हाथ पटक रह थी।...पापा को दे
खतेह बोली, ''पापा...च दर
को इलाहाबाद से
बुलवा दो।''

''च दर आ गया बे
टा, अभी बु
लातेह।'' य ह पापा नेमाथेपर हाथ रखा क सु
धा चीख उठ -''तु
म पापा नह ं
हो...कौन हो तु
म?...दरूहटो, छु
ओ मत...अरेबनती...''

डॉ टर शुला ने
नस क ओर दे
खा। नस बोली-

सु
धा नेफर करवट बदली और नस को दे
खकर बोली, ''कौन गे
स.ू
..आओ बै
ठो। च दर नहा रहा है
। अभी बु
लाती
हू

। अरेच दर...'' और फर हाँ
फने
लगी, आँ
ख ब द कर लींऔर रोकर बोली, ''पापा, तु
म कहाँचले
गये
?''

नस ने
च दर और बनती को बु
लाया। बनती पास जाकर खड़ हो गयी-आँ
सूप छकर बोली, ''द द , हम आ गये
।''
और सु
धा क बाँ
ह पर हाथ रख दया। सु
धा नेआँ
ख नह ंखोलीं
, बनती केहाथ पर हाथ रखकर बोली, '' बनती, पापा
कहाँगये
ह?''

''खड़ेतो ह मामाजी!''

''झू
ठ मत बोल क ब त...अ छा ले
, शरबत तै
यार है
, जा च दर टड म म पढ़ रहा हैबु
ला ला, जा!''

बनती फफककर रो पड़ ।
''रोती य है
?'' सु
धा नेकराहकर कहा, ''म जाऊँ
गी तो च दर को ते
रेपास छोड़ जाऊँ
गी। जा च दर को बु
ला ला,
नह ंबफ घु
ल जाएगी-शरबत छान िलया है
?''

च दर आगेआया। ँ
धेगले
सेआँ
सूपीते
हुए बोला, ''सु
धा, आँ
ख खोलो। हम आ गये
, सु
धी!''

डॉ टर साहब कु
स पर पड़ेिससक रहेथे
...सु
धा नेआँ
ख खोलींऔर च दर को दे
खतेह फर बहु
त जोर से
चीखी...''तु
म...तु
म ऑ े
िलया सेलौट आये
? झू
ठे
! तु
म च दर हो? या म तुह पहचानती नह ं
? अब या चा हए?
इतना कहा, तु
मसेहाथ जोड़ा, मे
र या हालत है
? ले
कन तुह या? जाओ यहाँसे
वना म अभी िसर पटक दँ

ूी...''
और सु
धा ने
िसर पटक दया-''नह ंगये
?'' नस ने
इशारा कया-च दर कमरेकेबाहर आया और कु
स पर िसर झु
काकर
बै
ठ गया। सु
धा ने
आँख खोलींऔर फट -फट आँ
ख से
चार ओर दे
खने
लगी। फर नस से
बोली-

''गे
स,ूतु
म बहु
त बहादरुहो! तु
मनेअपने
को बे
चा नह ं
; अपने
पैर पर खड़ हो। कसी केआ य म नह ंहो। कोई
खाना-कपड़ा दे
कर तुह खर द नह ंसकता, गे
स।ू बनती कहाँगयी...?''

''म खड़ हू

, द द ?''

''ह...अ छा, पापा कहाँह?'' सु


धा ने
कराहकर पू
छा।

डॉ टर साहब उठकर आ गये


-''बे
टा!'' बड़ेदल
ुार सेसु
धा केमाथेपर हाथ रखकर बोले
। सु
धा रो पड़ -''कहाँथे
पापा, अभी तक तु
म? हमने
इतना पु
कारा, न तु
म बोलेन च दर बोला...हम तो डर लग रहा था, इतना सू
ना था...जाओ
महरा जन ने
रोट सक ली है
-खा लो। हाँ
, ऐसे
बैठ जाओ। लो पापा, हमने
नानखटाई बनायी...''

डॉ टर शुला रोते
हुए चले
गये
- बनती ने
च दर को बु
लाया। दे
खा च दर कु
स पर हथे
ली म मु

ँ िछपाये
बैठा था।
बनती गयी और च दर केक धेपर हाथ रखा। च दर नेदे
खा और िसर झु
का िलया, ''चलो च दर, द द फर बे
होश
हो गयीं
।''

इतने
म नस बोली। ''वह फर होश म आयी ह; आप लोग वह ंचिलए।''

सु
धा ने
आँख खोल द थीं
-च दर को दे
खते
ह बोली, ''च दर आओ, कोई मा टर ठ क कया तु
मने
? जो कु
छ पढ़ा
था वह भू
ल रह हू

। अब इ तहान म पास नह ंहोऊँ
गी।''

''डे
ली रयम अब भी है
।'' नस बोली। सहसा सु
धा ने
च दर का हाथ छोड़ दया और झट से
हथे
िलयाँआँ
ख पर रख
लींऔर बोली, ''येकौन आ गया? यह च दर नह ंहै
। च दर नह ंहै
। च दर होता तो मु
झेडाँ
टता- य बीमार पड़ ं
?
अब बताओ म च दर को या जवाब दँ

ूी...च दर को बु
ला दो, गे
स!ू जं
दगी म द ु
मनी िनभायी, अब मौत म तो न
िनभाए।''

''उफ! मर ज केपास इतनेआदमी? तभी डे


ली रयम होता है
।'' सहसा डॉ टर ने वे
श कया। कोई दस
ूरा डॉ टर
था, अँे
ज था। बनती और च दर बाहर चलेआये
। बनती बोली, ''येिस वल सजन ह।'' उसनेखू
न मँ
गवाया, दे
खा,
फर डॉ टर शुला को भी हटा दया। िसफ नस रह गयी। थोड़ दे
र बाद वह िनकला तो उसका चे
हरा याह था। '' या
यह ै
नेसी पहली मतबा थी?''
''जी हाँ
?''

डॉ टर ने
िसर हलाया और कहा, ''अब मामला हाथ से
बाहर है
। इं
जेशन लगगे
। अ पताल ले
चिलए।''

''डॉ टर शुला, मवाद आ रहा है


, कल तक सारेबदन म फै
ल जाएगा, कस बे
वकू
फ डॉ टर ने
देखा था...''

च दर ने
फोन कया। ऐ बु
लेस कार आ गयी। सु
धा को उठाया गया...

दन बड़ ह िच ता म बीता। तीन-तीन घं
टेपर इं
जेशन लग रहेथे
। दोपहर को दो बजेइं
जेशन ख म कर
डॉ टर नेएक गहर साँ
स ली और बोला, ''कु
छ उ मीद है
-अगर बारह घं
टेतक हाट ठ क रहा तो म आपक लड़क
आपको वापस दँ

ूा।''

बड़ा भयानक दन था। बहु


त ऊँ
ची छत का कमरा, दालान म टाट केपरदेपड़ेथेऔर बाहर गम क भयानक लू
हू
-हूकरती हु
ई दानव क तरह मु

ँ फाड़ेदौड़ रह थी। डॉ टर साहब िसरहाने
बैठेथे
, पथर ली िनगाह से
सुधा केपीले
मृ
त ाय चे
हरेक ओर दे
खतेहु
ए... बनती और च दर बना कु
छ खाये
-पीयेचु
पचाप बै
ठेथे
-रह-रहकर बनती िससक
उठती थी, ले
कन च दर ने
मन पर प थर रख िलया था। वह एकटक एक ओर दे
ख रहा था...कमरेम वातावरण शा त
था-रह-रहकर बनती क िसस कयाँ
, पापा क िन: ास तथा घड़ क िनर तर टक- टक सु
नाई पड़ रह थी।

च दर का हाथ बनती क गोद म था। एक मू


क सं
वद
ेना नेबनती को सँ
भाल रखा था। च दर कभी बनती क
ओर दे
खता, कभी घड़ क ओर। सु
धा क ओर नह ंदे
ख पाता था। दख
ु अपनी पू
र चोट करनेकेव अकसर आदमी
क आ मा और मन को लोरोफाम सु

ँा दे
ता है
। च दर कु
छ भी सोच नह ंपा रहा था। संा-हत, नीरव, िन े...

घड़ क सु
ई अ वराम गित से
चल रह थी। सजन कई दफेआये
। नस ने
आकर टेपरे
चर िलया। रात को यारह
बजेटेपरे
चर उतरने
लगा। डॉ टर शुला क आँ
ख चमक उठ ं
। ठ क बाहर बजकर पाँ
च िमनट पर सु
धा ने
आँख खोल
दं
। च दर नेबनती का हाथ मारेखु
शी से
दबा दया।

'' बनती कहाँहै


?'' बड़े ीण वर म पू
छा।

सु
धा ने
आँख घु
माकर दे
खा। पापा को दे
खते
ह मुकरा पड़ ।

बनती और च दर उठकर आ गये


''आहा, च दर तु
म आ गये
? हमारेिलए या लाये
?''

''पगली कह ंक !'' मारेखु


शी केच दर का गला भर गया।

''ले
कन तु
म इतनी दे
र म य आये
, च दर!''

''कल रात को ह आ गये


थेहम।''

''चलो-चलो, झू
ठ बोलना तो तुहारा धम बन गया। कल रात को आ गयेहोतेतो अभी तक हम अ छेभी हो
गये
होते
।'' और वह हाँ
फने
लगी।
सजन आया, ''बात मत करो...'' उसने
कहा।

उसने
एक िम सचर दया। फर आला लगाकर दे
खा, और डॉ टर शुला को अलग लेजाकर कहा, ''अभी दो घं
टे
और खतरा है
। ले
कन परे
शान मत होइए। अब स र ितशत आशा है
। मर ज जो कहे
, उसम बाधा मत द जएगा। उसे
जरा भी परे
शानी न हो।''

सु
धा ने
च दर को बु
लाया, ''च दर, पापा से
मत कहना। अब म बचू

गी नह ं
। अब कह ंमत जाना, यह ंबै
ठो।''

''िछह पगली! डॉ टर कह रहा हैअब खतरा नह ंहै


।'' च दर नेबहु
त यार सेकहा, ''अभी तो तु
म हमारेिलए
ज दा रहोगी न!''

''कोिशश तो कर रह हू
ँच दर, मौत से
लड़ रह हू

! च दर, उ ह तार देदो! पता नह ंदे
ख पाऊँ
गी या नह ं
।''

''देदया, सु
धा!'' च दर ने
कहा और िसर झु
काकर सोचने
लगा।

'' या सोच रहेहो, च दर! उ ह इसीिलए दे


खना चाहती हू
ँक मरनेकेपहलेउ ह मा कर दँ
,ूउनसे मा माँ

लू
!ँ
...च दर, तु
म तकलीफ का अ दाजा नह ंकर सकते
।''

डॉ टर शुला आये
। सु
धा नेकहा, ''पापा, आज तुहार गोद म ले
ट ल।'' उ ह नेसु
धा का िसर गोद म रख
िलया। ''पापा, च दर को समझा दो, ये
अब अपना याह तो कर ले
।...हाँपापा, हमार भागवत मँ
गवा दो...''

''शाम को मँ
गवा दगेबे
ट , अब एक बज रहा है
...''

''दे
खा...'' सु
धा ने
कहा, '' बनती, यहाँआओ!''

बनती आयी। सु
धा ने
उसका माथा चू
मकर कहा, ''रानी, जो कु
छ तु
झेआज तक समझाया वै
सा ह करना, अ छा!
पापा ते
रेज मे
ह।''

बनती रोकर बोली, ''द द , ऐसी बात य करती हो...''

सु
धा कु
छ न बोली, गोद से
हटाकर िसर त कये
पर रख िलया।

''जाओ पापा, अब सो रहो तु


म।''

''सो लू

ँा, बे
ट ...''

''जाओ। नह ंफर हम अ छेनह ंह गे


! जाओ...''

सजन का आदे
श था क मर ज केमन के व कु
छ नह ंहोना चा हए-डॉ टर शुला चु
पचाप उठेऔर बाहर
बछेपलँ
ग पर ले
ट रहे

सु
धा नेच दर को बु
लाया, बोली, ''म झु
क नह ंसकती- बनती यहाँआ-हाँ
, च दर केपै
र छू
...अरेअपनेमाथेम
नह ंपगली मे
रेमाथेसेलगा दे
। मु
झसेझु
का नह ंजाता।'' बनती नेरोतेहु
ए सु
धा केमाथेम चरण-धू
ल लगा द ,
''रोती य है
, पगली! म मर जाऊँतो च दर तो हैह । अब च दर तु
झेकभी नह ं लाएँ
गे
...चाहेपू
छ लो! इधर आओ,
च दर! बै
ठ जाओ, अपना हाथ मे
रेहोठ पर रख दो...ऐसे
...अगर म मर जाऊँतो रोना मत, च दर! तु
म ऊँ
चेबनोगेतो
मु
झेबहु
त चै
न िमले
गा। म जो कु
छ नह ंपा सक , वह शायद तुहारेह मा यम सेिमले
गा मु
झे
। और दे
खो, पापा को
अके
लेद ली म न छोडऩा...ले
कन म म ँ
गी नह ं
, च दर...यह नरक भोगकर भी तुह यार क ँ
गी...म मरना नह ं
चाहती, जानेफर कभी तु
म िमलो या न िमलो, च दर...उफ कतनी तकलीफ है
, च दर! हम लोग नेकभी ऐसा नह ं
सोचा था...अरेहटो-हटो...च दर!'' सहसा सु
धा क आँ
ख म फर अँ
धे
र ा छा गया-''भागो, च दर! तुहारेपीछेकौन खड़ा
है
?'' च दर घबराकर उठ गया-पीछेकोई नह ंथा... ''अरेच दर, तुह पकड़ रहा है
। च दर, तु
म मे
रेपास आओ।'' सु
धा
नेच दर का हाथ पकड़ िलया- बनती भागकर डॉ टर साहब को बु
लानेगयी। नस भी भागकर आयी। सु
धा चीख रह
थी-''तु
म हो कौन? च दर को नह ंले
जा सकते
। म चल तो रह हू

। च दर, म जाती हू
ँइसकेसाथ, घबराना मत। म
अभी आती हू

। तु
म तब तक चाय पी लो-नह ं
, म तुह उस नरक म नह ंजानेदँ

ूी, म जा तो रह हू

- बनती, मे

च पल ले
आ...अरेपापा कहाँह...पापा...''

और सु
धा का िसर च दर क बाँ
ह पर लु
ढ़क गया- बनती को नस नेसँ
भाला और डॉ टर शुला पागल क तरह
सजन केबँ
गले
क ओर दौड़े
...घड़ ने
टन-टन दो बजाये
...

जब ए बु
लेस कार पर सु
धा का शव बँ
गले
पहु

चा तो शं
कर बाबू
आ गये
थे-बहूको वदा कराने
...

उपसं
हार

जं
दगी का य णा-च एक वृ पू
र ा कर चु
का था। िसतारेएक ितज सेउठकर, आसमान पार कर दस
ूरे
ितज तक पहु

च चु
केथे
। साल-डे
ढ़ साल पहलेसहसा जं
दगी क लहर म उथल-पु
थल मच गयी थी और व ु

महासागर क तरह भू
खी लहर क बाँ
ह पसारकर वह कसी को दबोच ले
नेकेिलए हु

कार उठ थी। अपनी भयानक
लहर केिशकं
जेम सभी को झकझोरकर, सभी के व ास और भावनाओंको चकनाचू
र कर अ त म सबसे यारे
,
सबसेमासू
म और सबसेसु
कु
मार य व को िनगलकर अब धरातल शा त हो गया-तू
फान थम गया था, बादल खु

गये
थेऔर िसतारेफर आसमान केघ सल से
भयभीत वहं
ग-शावक क तरह झाँ
क रहेथे

डॉ टर शुला छुट ले
कर याग चलेआयेथे
। उ ह नेपू
जा-पाठ छोड़ दया था। उ ह कभी कसी नेगातेहु

नह ंसु
ना था। अब वह सु
बह उठकर लॉन पर टहलते
और एक भजन गाते
थे। बनती, जो इतनी सु
दर थी, अब के
वल
खामोश पीड़ा और अवशे
ष मृ
ित क छाया मा थी। च दर शा त था, प थर हो गया था, ले
कन उसकेमाथेका ते

बु
झ गया था और वह बू
ढ़ा-सा लगने
लगा था और यह सब के
वल प ह दन म।

जे
ठ दशहरेके दन डॉ टर साहब बोले
, ''च दर, आज जाओ, उसकेफू
ल छोड़ आओ, ले
कन दे
खो, शाम को जाना
जब वहाँभीड़-भाड़ न हो, अ छा!'' और चु
पचाप टहलकर गु
नगु
नाने
लगे

शाम को च दर चला तो बनती भी चु


पचाप साथ हो ली; न बनती नेआ ह कया न च दर ने वीकृ
ित द ।
दोन खामोश चल दये
। कार पर च दर नेबनती क गोद म गठर रख द । वे
णी पर कार क गयी। ह क चाँ
दनी
मै
लेकफन क तरह लहर क लाश पर पड़ हु
ई थी। दन-भर कमाकर म लाह थककर सो रहेथे
। एक बू
ढ़ा बै
ठा
िचलम पी रहा था। चु
पचाप उसक नाव पर च दर बै
ठ गया। बनती उसक बगल म बै
ठ गयी। दोन खामोश थे
, िसफ
पतवार क छप-छप सु
न पड़ती थी। म लाह ने
त त केपास नाव बाँ
ध द और बोला, ''नहा ल बाबू
!'' वह समझता था
बाबू
िसफ घू
मने
आये
ह।

''जाओ!''

वह दरू त त क कतार केउस छोर पर जाकर खो गया। फर दरू


-दरूतक फै
ला सं
गम...और स नाटा...च दर
िसर झु
कायेबै
ठा रहा... बनती िसर झु
कायेबै
ठ रह । थोड़ दे
र बाद बनती िससक पड़ । च दर नेिसर उठाया और
फौलाद हाथ सेबनती का कं
धा झकझोरकर बोला, '' बनती, य द रोयी तो यह फक दगेउठाकर क ब त, अभागी!''

बनती चु
प हो गयी।

च दर चु
पचाप बै
ठा त त केनीचेसेगु
जरती हु
ई लहर को दे
खता रहा। थोड़ दे
र बाद उसनेगठर खोली... फर
क गया, शायद फकनेका साहस नह ंहो रहा था... बनती नेपीछेसेआकर एक मुठ राख उठा ली और अपने
आँ
चल म बाँ
धनेलगी। च दर ने
चुपचाप उसक ओर दे
खा, फर झपटकर उसनेबनती का आँ
चल पकडक़र राख छ न
ली और गु
र ाता हु
आ बोला, ''बदतमीज कह ंक !...राख ले
जाएगी-अभागी!'' और झट से
कपड़ेस हत राख फक द और
आ ने
य सेबनती क ओर दे
खकर फर िसर झु
का िलया। लहर म राख एक जहर लेपिनयालेसाँ
प क तरह
लहराती हु
ई चली जा रह थी।

बनती चु
पचाप िससक रह थी।

''नह ंचु
प होगी!'' च दर ने
पागल क तरह बनती को ढके
ल दया, बनती ने
बाँ
स पकड़ िलया और चीख पड़ ।

चीख से
च दर जै
सेहोश म आ गया। थोड़ दे
र चु
पचाप रहा फर झु
ककर अं
जिल म पानी ले
कर मु

ँ धोया और
बनती केआँ
चल सेप छकर बहु
त मधु
र वर म बोला, '' बनती, रोओ मत! मे
र समझ म नह ंआता कु
छ भी! रोओ
मत!'' च दर का गला भर आया और आँ
ख म आँ
सूछलक आये
-''चु
प हो जाओ, रानी! म अब इस तरह कभी नह ं
क ँ
गा-उठो! अब हम दोन को िनभाना है
, बनती!'' च दर नेत त पर छ ना-झपट म बखर हु
ई राख चु
टक म
उठायी और बनती क माँ
ग म भरकर माँ
ग चू
म ली। उसकेहोठ राख म सन गये

िसतारेटू
ट चु
केथे
। तू
फान ख म हो चु
का था।

नाव कनारेपर आकर लग गयी थी-म लाह को चु


पचाप पयेदे
कर बनती का हाथ थामकर च दर ठोस धरती
पर उतर पड़ा...मु
दा चाँ
दनी म दोन छायाएँ
िमलती-जु
लती हु
ई चल द ं

गं
गा क लहर म बहता हु
आ राख का साँ
प टू
ट-फू
टकर बखर चु
का था और नद फर उसी तरह बहने
लगी थी
जै
सेकभी कु
छ हु
आ ह न हो।

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