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अ�नल सेठ

िज़न्दगी जज़्बाती है , और हम ?

हम सब क� यह� कहानी है ,छूटता है कुछ ,उसे दे खते नह�ं और जब याद


आता है कुछ ,तब समझते नह�ं।
इस मग
ृ जाल म� फंसे हम सब उस घड़ी क� बड़ी सुई क� तरह बस घूमे जा
रहे ह�,आज सफर करते ह� और कल �फ़र कर� गे।

इस महामार� ने सच समझाया। �पछले दो साल� ने बहुत कुछ �सखाया ,कुछ


अपन� से रूबरू हुए, ,कुछ और� क� दास्ताँ पढ़�ं ,कुछ दोस्ती का महत्व
समझा और कह�ं कुछ खोया हुआ प्यार संभाला।

यक�नन बंद होठ� ने सोचना �सखाया।

जब इस महामार� म� हम ने कर�ब से दे खा,िज़न्दगी बहुत दरू लगी। हमारा


परू ा अिस्तत्व एक कमरे म� �समट कर रह गया, न �कस्से सन ु ने वाले रहे न
सुनाने वाले ,इस ग़ैरत से भर� द�ु नया म� कह� अपनी व्यथा �कससे। इस
कलयुग म� अगर कैकेई भी कुछ मांगे तो दे ने वाला है ह� नह�ं,माँगे �कससे।

कह�ं -कह� कुछे क कथा, �कसी का �कस्सा कहूं कहां,


कलयुग क� नामावल� कैसी , कारण कैकेई �ात नह�ं।

यह काव्य संग्रह,प्रयास है उस दरू � को कागज़ म� उतरने का :

उम्मीद है प्रयास पसंद आएगा,

आपका अ�नल
18 जल
ु ाई 2021
�वषय सूची

लुत्फ़ इसका है �क ..... ......................................................................................................................................... 5

बेवफ़ा…. .................................................................................................................................................................. 7

�फ़र �कसी रूप म� आओ अब……. .......................................................................................................................... 8

शत� बदल द�ं तुमने तब……. ................................................................................................................................... 9

क्य� छलकती िजंदगी….. .................................................................................................................................... 11

है कह�ं….. ............................................................................................................................................................. 12

बंद दरवाजे से ….. ............................................................................................................................................... 12

तम
ु कहां गम
ु ?........ ......................................................................................................................................... 13

कुछ अल्फाज़..... .................................................................................................................................................. 16

उलझ गया........................................................................................................................................................... 18

िज़न्दगी..... .......................................................................................................................................................... 19

आईना..... ............................................................................................................................................................ 20

होगी जब…… ......................................................................................................................................................... 20

यह भी अच्छा..... ................................................................................................................................................ 21

अजीब होते ह�..... ................................................................................................................................................. 23

िज़ंदगानी.... ......................................................................................................................................................... 24

छलने लगी तन्हाई...... ........................................................................................................................................ 25

तम
ु से �फ़र बात होगी...... .................................................................................................................................... 26

आज �फ़र कोई.................................................................................................................................................... 27

अभी बाक� है ....................................................................................................................................................... 28

नज़र� के फासले....... .......................................................................................................................................... 31

�नगाह� के फसाने ................................................................................................................................................ 32

कुछ कहा ह� नह�ं................................................................................................................................................ 33


�वषय सूची

वरना….. ................................................................................................................................................................ 35

शायद नह�ं……....................................................................................................................................................... 37

आसमां �परोए बैठे….. ........................................................................................................................................... 38

वक्त के फासले….. ............................................................................................................................................... 39

गुम है …… .............................................................................................................................................................. 40

कुछ याद आ गया…… ........................................................................................................................................... 41

बात नह�ं होती…. .................................................................................................................................................. 42

िज़ंदगी हर मोड़ ढूंढती……..................................................................................................................................... 43

है शब्द� का खेल सारा…. ..................................................................................................................................... 45

अल्फाज़ रखा है …. ................................................................................................................................................ 46

कुछ समय….. ....................................................................................................................................................... 47

ख़त� के रास्ते….. .................................................................................................................................................. 48

अलग मोड़ लेते…….. ............................................................................................................................................. 49

और �फ़र……… ....................................................................................................................................................... 50

क्या कर� ……… ...................................................................................................................................................... 51

चंचल सं�ान मन …….......................................................................................................................................... 52


खुले लफ्ज़ कुछ कह� हरदम, यह मुना�सब नह�ं,

कहते ह� �क कहा था कभी कुछ, चलो गन


ु ाह ये भी अच्छा है ।

तुम्ह� सम�पर्त..........
बहुत नज़द�क होती है , िज़न्दगी क� कहानी…..

लुत्फ़ इसका है �क .....

लत्ु फ़ इसका नह�ं �क गैर� म� ठुकरा �दए जाय�गे,

लुत्फ़ इसका है �क अपन� म� आजमाना बाक़� है ।

लुत्फ़ इसका नह�ं �क आ गए याद चंद लम्हे �फ़र कह�ं,

लुत्फ़ इसका है �क अध्याय म� और भी �क़रदार बाक� है ।

लुत्फ़ इसका नह�ं �क बंद कर द� �कताब ख्वाब� क�,

लत्ु फ़ इसका है �क नींद का इिम्तहान अभी बाक़� है ।

लत्ु फ़ इसका नह�ं �क बंद कर ल� �खड़�कयाँ सार�,

लुत्फ़ इसका है �क बरसाती सफर अभी बाक� है ।

5
बहुत नज़द�क होती है , िज़न्दगी क� कहानी…..

लुत्फ़ इसका है �क .....

लत्ु फ़ इसका नह�ं �क शोरे अंधड़ ने भेज �दया दरू कह�ं बेखबर,

लुत्फ़ इसका है क� घर�दे म� �चंगार� सा �तनका अभी बाक� है ।

लुत्फ़ इसका नह�ं �क कर �दया दरू समझ सामान अं�तम,

लुत्फ़ इसका है क� द�ए म� सुलगता अंजाम अभी बाक� है ।

लुत्फ़ इसका नह�ं �क याद और भी ह�गे �सतमगर,

लत्ु फ़ इसका है क� दश्ु मनी का जाम आना अभी बाक� है ।

लत्ु फ़ इसका नह�ं �क मौसमी सा�हत्य बन गए सब,

लुत्फ़ इसका है �क अपना �कस्सा सुनाना अभी कह�ं बाक� है ।

6
बहुत नज़द�क होती है , िज़न्दगी क� कहानी…..

बेवफ़ा….

अजीब है सतरं ग िज़न्दगी, ख्याल रखना बेवफ़ा,

�छछोर� सी थी रात, नूर क� बरसात रखना बेवफ़ा।

मुड़ कर दे खा नह�ं, धुन- ध्व�न साथ रखना बेवफ़ा,

वक़्त ठहरा रहे बेरंग, धड़कन तेज रखना बेवफ़ा।

ददर् ख़ामोश गुज़र जाए, सांस� गुलजार रखना बेवफ़ा,

दस्तक द� �बसार,गुम िजंदगी, द�दार रखना बेवफ़ा।

सपन सलोने सजीले सजग, नैन� म� रखना बेवफ़ा,

याद� क� दास्तान लंबी बहुत, �कताब रखना बेवफ़ा।

7
बहुत नज़द�क होती है , िज़न्दगी क� कहानी…..

�फ़र �कसी रूप म� आओ अब…….

ना परखो इतना भी ऐ रब, चंद्रहास सा लाल है ���तज अब,

बन्द करो प्रलय पर��ा, �फ़र �कसी रूप म� आओ अब।

दःु ख है राहु सा सुलगता, गम नह�ं सम्हाले जाते अब,

सहलाने प�तत अश्रु स�रता,�फ़र �कसी रूप म� आओ अब।

8
बहुत नज़द�क होती है , िज़न्दगी क� कहानी…..

शत� बदल द�ं तुमने तब…….

ज़माने से लड़ना सीखा जब, शत� बदल द�ं तम


ु ने तब,

मजलूम का सबब समझा जब,शत� बदल द�ं तुमने तब।

िजंदगी छलती हर सहर जब,शत� बदल द�ं तुमने तब,

गुमां होने लगा खुद पर जब, शत� बदल द�ं तुमने तब।

ख़ामोश इिल्तज़ा क� जब, शत� बदल द�ं तुमने तब,

ख़त क� बंधी परत� खल
ु �ं जब, शत� बदल द�ं तम
ु ने तब।

9
बहुत नज़द�क होती है , िज़न्दगी क� कहानी…..

शत� बदल द�ं तुमने तब…….

वक़्त ठहरा कह�ं बरस कर जब, शत� बदल द�ं तम


ु ने तब,

एहसास अंतमर्न म� समाया जब, शत� बदल द�ं तुमने तब।

क्यूं शत� बदल द�ं तुमने तब, अहसास बचा था हमम� जब,

क्यूं शत� बदल द�ं तुमने तब, उद्�वग्न �वकार शेष था जब।

10
बहुत नज़द�क होती है , िज़न्दगी क� कहानी…..

क्य� छलकती िजंदगी…..

आइने सी गज़
ु ार� , �फ़र क्य� छलकती िजंदगी ,

फूटकर रह� �बखर�, �फ़र क्य� छलकती िजंदगी,

चंचल मन बेचैनी, �फ़र क्य� छलकती िजंदगी,

कटुसत्य है जीवनी, �फ़र क्य� छलकती िजंदगी,

आ�श्रत लरजता मन, �फ़र क्य� छलकती िजंदगी,

कृपण संध्या सबर�, �फ़र क्य� छलकती िजंदगी,

.......

�फ़र भी मगर कुछ है , दर�मयां तेरे हक�क़त,

आइने सी गुजार� , �फ़र क्यूं छलक� िजंदगी।

11
बहुत नज़द�क होती है , िज़न्दगी क� कहानी…..

है कह�ं…..

तफ़
ू ान था,थम गया कह�ं,लक�र सा, खुद गया कह�ं,

को�शश बहुत क� मांगने क�,नासूर था, दःु ख गया कह�ं।

क्यंू कर ददर् �बकता है यंू हर मोड़ कह�ं,

क्या खर�दार ऐसा भी होता है कह�ं।

बंद दरवाजे से …..

बंद दरवाजे से िजंदगी दे ती दआ


ु �फ़र भी,

�कस्मत बेहोश सी �बकती है यंू हर मोड़ कह�ं।

ख़ामोश इिल्तज़ा हो, मुम�कन है सारथी,

ख़ामोश आईने से, �बखरता प्र�त�बंब नह�ं।

12
बहुत नज़द�क होती है , िज़न्दगी क� कहानी…..

तुम कहां गुम ?........

ख़ामोश इंतजार म� डूबा सोचता मन, तम


ु कहां गम
ु ,

�ततल� सा सुलगता कटोचता मन, तुम कहां गुम।

बंद �लफाफे म� कुछ अल्फाज़ ख़ामोश थे साक�,

कुछ रहे बेरंग और कुछे स्याह� से �लपट गए।

इन्ह�ं स्याह �लफ़ाफ़ो म� कुछ अहसास समेटे उनके,

दरू ���तज ग़ैर ग�लय� म� अल्फाज़ ढूंढते रहे हम।

चांद के आगोश म� फ़ुरसत सम्हाल बैठे थे,

कुछ तुम्हारे आगोश म� �शकवे भुलाए बैठे थे।

13
बहुत नज़द�क होती है , िज़न्दगी क� कहानी…..

तुम कहां गुम ?........

ममर् सी ख़ामोश आंख� म� अश्रु �सलाए बैठे थे,

वक़्त के ये पल शायद ओठ� से दबाए बैठे थे।

सहर हर पहर �गनती सांस� तुम्हार�, तुम कहां गुम,

बेवक्त आहट� से लरजता सा मन, तुम कहां गुम।

मुट्ठ�भर सांस� छुपी थीं कह�ं �गलाफ़ म� साक�,

कुछ रक़�ब और कुछ कुदरत म� �समट गई।

बंद �लफाफे म� कुछ अल्फाज़ ख़ामोश थे साक�,

कुछ रहे बेरंग और कुछे स्याह� से �लपट गए।

14
बहुत नज़द�क होती है , िज़न्दगी क� कहानी…..

तुम कहां गुम ?........

अरमां आहट� से �खंचती िजंदगानी,तुम कहां गम


ु ,

धनाढ्य ममर् से �लपटा भावुक मन, तुम कहां गुम।

15
बहुत नज़द�क होती है , िज़न्दगी क� कहानी…..

कुछ अल्फाज़.....

कुछ शायर हो गए, कुछ राम हो गए।

कलयुग म� बस एक सीता, बाक� सब बदनाम हो गए।

बचपने से जोश म� , बचपन सम्भाल बैठे ह�,

उम्र के इस मोड़ पर,हसरत सम्भाल बैठे ह�।

ख़ुदा के वास्ते मर जाएं, ये मुम�कन तो हो,

कहते ह� �क उस पार उम्मीद� का शहर बसता है ।

कतरा कतरा हसरत� , जोड़ी थीं कुछ।

कुछ उम्र ने लूट ल�ं, कुछ वक्त ने बहा द�ं।

16
बहुत नज़द�क होती है , िज़न्दगी क� कहानी…..

कुछ अल्फाज़.....

अश्क बन याद �दलाने क� को�शश तो क� बहुत,

ज़माने ने भूल जाने क� तहज़ीब �सखा द�।

ढूंढते चले ख़त से रास्ते ए रहगुज़र,

ना मालूम �ठकाने क्या ठ�क भी रखते ह� रहनवाज़।

बात करने से अक्सर कुछ आभास होता है ,

वरना नज़र� झक
ु ाए तो �दवाल� भी साथ ह�।

17
बहुत नज़द�क होती है , िज़न्दगी क� कहानी…..

उलझ गया.....

तार� के गतर् म� ,नौका सा सफ़ेद अंधकार म� स्याह �बन्द,ु

संताप से समीकरण तक आस लगाए,

ठूंठ के प�� पर सक
ु ू न ढूंढता उलझ गया।

बेगानो सा है इल्म,हा�सल कुछ नह�ं साक�,

ग़ौर करने से बदल जाएं, �नगाह� का �समटना क्या।

तमाम को�शश� क� बचने क� मल


ु ाकात� संग�दल,

संगत ह� ऐसी �क तन्हाई दामन छोड़ती नह�ं ।

18
बहुत नज़द�क होती है , िज़न्दगी क� कहानी…..

िज़न्दगी.....

बंद दरवाजे से िज़न्दगी दे ती दआ


ु �फ़र भी,

�कस्मत बेहोश सी �बकती है यूं हर मोड़ कह�ं।

सहर का पहर है या कोहरे का असर,

िज़न्दगी अब भी धुन्ध ् म� ऊँचाइयाँ ढूँढती ह�।

ख़�लश उम्मीद क�, रं ग� से सराबोर होती थीं,

इशार� के फलसफे म� ,याद चांदनी सी रौशन थी।

�मले िजस मोड़ ,ना फासले �मटे ना द�ू रयां ,

वक़्त का नज�रया था या मोड़ क� उलझन,

राह� मड़
ु ी वह�ं,मेर� रूहे िज़न्दगी थी िजधर।

19
बहुत नज़द�क होती है , िज़न्दगी क� कहानी…..

आईना.....

ख़ामोश इिल्तज़ा हो, मुम�कन है सारथी,

ख़ामोश आईने से, �बखरता प्र�त�बंब नह�ं।

आईना बेआबरू कर,�नकले अक्स समेटने,

मालूम नह�ं था,आईना रौशनी का राज़दार है ।

होगी जब……

शौक़ से खींची तस्वीर-ए-तमन्ना,

न मालुम साक� सब
ु ह होगी कब।

ममर् कागज़ पर �लख �मटाया,

पूरा कर� गे �फ़र कभी, सदर् चांदनी होगी जब।

20
बहुत नज़द�क होती है , िज़न्दगी क� कहानी…..

यह भी अच्छा.....

उम्र भर �फतरू म� तलाशते रहे सक


ु ू ने �सफ़र,

कहते ह� �क अंक� से खेलने का अनुमान अच्छा है ।

मरते ह� हालाते द�रंदगी से हार कर रोज़ाना,

कहते ह� �क जीने का यह अंदाज़ भी अच्छा है ।

मुस्कुरा कर छुपा ल�, दास्ताने हक�क़ते ख़ुदा,

उम्र का वास्ता सह� ,बहलाने का सबब भी अच्छा है ।

�फ़र भल
ू के सब ,कुछ दास्तां �लखंू अब,

�दल बहलाने का चलो इरादा यह भी अच्छा है ।

21
बहुत नज़द�क होती है , िज़न्दगी क� कहानी…..

यह भी अच्छा.....

भल
ू से कभी, रूबरू ह� अगर अब कह�ं,

�कस्मत के बहलाने का इरादा चलो यह भी अच्छा है ।

खुले लफ्ज़ कुछ कह� हरदम, यह मुना�सब नह�ं,

कहते ह� �क कहा था कभी कुछ, चलो गुनाह यह भी अच्छा है ।

22
बहुत नज़द�क होती है , िज़न्दगी क� कहानी…..

अजीब होते ह�.....

याद� के रास्ते भी अजीब होते ह�,

कोई पास ना हो �फ़र भी,बहुत नजद�क होते ह� ।

सवाल मुकम्मल हो �फ़र भी ,उलझन के कर�ब होते ह�,

याद� के रास्ते भी अजीब होते ह� ।

23
बहुत नज़द�क होती है , िज़न्दगी क� कहानी…..

िज़ंदगानी....

�नय�त जब रचती है कहानी,प�रंद� सी लगती िज़ंदगानी ।

खोजने एक अदद आ�शयां,उलझन� म� �बक जाती कहानी।

कहते हो वक़्त है हमसफ़र, खोजने लगते हो कहानी।

रूकती कब है नौका कह�ं, द�रया सी लगती है िज़ंदगानी।

�दल �ततल� सा, नमर् मुठ्ठ� म� �पघलने को बेचैन �फ़र भी,

रुका कब बहता पानी,ना रुक� कहानी,ना रुकेगी िज़ंदगानी ।

24
बहुत नज़द�क होती है , िज़न्दगी क� कहानी…..

छलने लगी तन्हाई......

ददर् से �रश्ता हो कोई, ख़ास कुछ अल्फाज़ हो कह�ं,

कहते रहे सब कोई, ख़ास कुछ अंदाज़ हो कह�ं।

न वक़्त है अब,न अंदाज़ बचा कोई, ख़ास कह� �कसे,

छलने लगी तन्हाई, �रश्ता कुछ-कुछ धुंधलाने लगा।

बेचैन मन क� कहने से, कुछ पल क� ख़ामोशी बेहतर,

बेखबर सह�, द�ू रय� सी �लपट� ,�नशब्द रं जना बेहतर।

25
बहुत नज़द�क होती है , िज़न्दगी क� कहानी…..

तुमसे �फ़र बात होगी......

वक़्त रुकेगा नह�ं,�सतम घटे गा कह�ं,

कह�ं �फ़र शुरूवात होगी, वक़्त बेवक्त बेबाक होगी।

चांदनी का बदन ओढ़, �फ़र �रम�झम बरसात होगी,

तुमसे जल्द ह� �फ़र बात होगी, तुमसे �फ़र बात होगी।

य�कनन िजंदगी से �फ़र पहचान होगी, �फ़र �दल� दास्तां,

शायद �फ़र �कसी अल्हड़ मोड़ ,तम


ु से �फ़र बात होगी।

26
बहुत नज़द�क होती है , िज़न्दगी क� कहानी…..

आज �फ़र कोई......

आज �फ़र कोई अपना सा जद


ु ा हो गया,

वक्त के पहलू से �लपट शून्य सो गया।

शायद िजंदगी का �सक्का पलटा है कह�ं,

लापता सा इंसान ,यूं ह� गुम हो गया।

लहू सा लाल ये �सफर �फ़र क्य� हो गया,

आज �फ़र कोई अपना सा जद


ु ा हो गया।

27
बहुत नज़द�क होती है , िज़न्दगी क� कहानी…..

अभी बाक� है ......

गफ्
ु तगू क� अनजान हसरत� रखीं थीं बहुत,

कहते ह� ख़त� म� , इन्तज़ार अभी बाक� है ।

बेताब उम्मीद� से �रश्ते रखे थे बहुत,

कहते ह�, उम्मीद� का एतबार अभी बाक� है ।

बेवक्त शौक से रचे थे पाकदामन रास्ते,

कहते ह�, गन
ु ाह� क� इन्तहां अभी बाक� है ।

मांग के उकेर� उम्मीद� वक़्त क� �करण� कुछ,

कहते ह�,�कस्मते मज़ाक क� कुछ �कश्त� अभी बाक� ह�।

28
बहुत नज़द�क होती है , िज़न्दगी क� कहानी…..

अभी बाक� है ......

मद्
ु दत� हु� बदलते हालात से रुबरु हुए,

कहते ह� �क नश्तरे बरसात अभी बाक� है ।

कहो कुछ, एहसास होता है अभी तक,

लहु तक ददर् का तकाज़ा अभी बाक� है ।

रुह के फासले थामे रख� ह� अब तक,

रुखसत म� चंद लमहात ् अभी बाक� है ।

ख़त पढ़, सांस लेने क� नज़ाकत है अभी बाक�,

ताउम्र बात रखने क� उल्फत अभी बाक� है ।

29
बहुत नज़द�क होती है , िज़न्दगी क� कहानी…..

अभी बाक� है ......

ख़त पढ़ ,जान लेने क� कसर अभी बाक� है ,

शुबा गर उजागर हो करम अपना,

सल
ु गते राख क� तादाद अभी बाक� है ।

ख़त पढ़ , सुलगा रखे एतबार का भंवर,

अंदाजे इम्तेहां जुदा ,उजागर राख क� तादाद अभी बाक� है ।

30
बहुत नज़द�क होती है , िज़न्दगी क� कहानी…..

नज़र� के फासले.......

नज़र� के फासले,गर उजागर ह� जग कह�ं,

बयां होती ह� तस्वीर� द�दार तक़द�र हा�सल क�।

नज़र� क� गुस्ता�खयां �किजए हािजर,

बयां करती ह� ये जस्बाते उल्फत भी।

31
बहुत नज़द�क होती है , िज़न्दगी क� कहानी…..

�नगाह� के फसाने.......

�नगाह� के फसाने बयां करते कहां �कससे,

कुछ दे खा नह�ं तुमने, कुछ हम यूं ह� लुटा बैठे।

�नगाह� के अदद् अल्फाज़ ,गर उजागर ह� जाएं कह�ं,

बयां होती ह� हालाते, द�दार तक़द�र हा�सल क�।

�नगाह� के अदद् अल्फाज़ ,गर उजागर ह� जाएं कह�ं,

बयां होती ह� हालाते, द�दार तक़द�र हा�सल क�।

32
बहुत नज़द�क होती है , िज़न्दगी क� कहानी…..

कुछ कहा ह� नह�ं.......

अगर गम
ु फासले रखो, जवां �फ़र हसरत� ह�गी,

तुम्हार� �मन्नत� ह�गी, हमार� आयत� ह�गी।

�खलाफ अगर हादसे ह�गे, तुम्हार� चाहत� ह�गी,

सार� उम्मीद होगी तुम, हमार� �कस्मत� ह�गी।

अगर गुम फासले रखो, जवां �फ़र हसरत� ह�गी,

लब� तक नाम आते ह�,,जब


ु ां पर रं िजश� ह�गी।

अगर गम
ु फासले रखो, जवां �फ़र हसरत� ह�गी,

हमार� चाहत� कम थीं,या तुमसे प्रीत मुफ�लसी थी,

हमारे सामने तम
ु थी,या हश्र बात कल तक थी।

33
बहुत नज़द�क होती है , िज़न्दगी क� कहानी…..

कुछ कहा ह� नह�ं.......

अगर तम
ु फासले समझो, हसरत� का लौटना ह� अच्छा,

संग�दल� ख्वाइश म� , तन्हा सी उम्मीद बाक� है ।

अगर गम
ु फासले रखो, जवां �फ़र हसरत� ह�गी।।

............ कुछ कहा क्य� नह�ं?

34
बहुत नज़द�क होती है , िज़न्दगी क� कहानी…..

वरना…..

अहसास बदल जाते है बस और कुछ नह�ं

वरना,

मक
ु ाम ढूंढ़ते ताउम्र ,�कनारे डूब जाते ह�।

अहसास बदल जाते है बस और कुछ नह�ं

वरना,

रं िजशे खौफ म� मुसा�फ़र , दास्तान भूल जाते ह�।

अहसास बदल जाते है बस और कुछ नह�ं

वरना,

हसरत और नफ़रत के पहलू बदल जाते ह�।

35
बहुत नज़द�क होती है , िज़न्दगी क� कहानी…..

वरना…..

अहसास बदल जाते है बस और कुछ नह�ं

वरना,

अहसास के मायने,हर बार बदल जाते ह�।

36
बहुत नज़द�क होती है , िज़न्दगी क� कहानी…..

शायद नह�ं…….

क्या कुछ खो गया, शायद नह�ं,

आंगन सा है , बाड़ी नह�ं,

खब
ू सरू त सा है , संद
ु र नह�ं,

वक़्त सा है , समय नह�ं,

सपन� सा है , ख्वाब नह�ं,

आइने सा है , साफ़ नह�ं,

प�रंदा सा है ,पंख नह�ं,

�नणर्य सा है , ज़मीर नह�ं,

दं भ सा है , स्वा�भमान नह�ं,

आकार सा है , �चत्रण नह�ं,

क्या सब खो गया, शायद नह�ं।

37
बहुत नज़द�क होती है , िज़न्दगी क� कहानी…..

आसमां �परोए बैठे…..

ख़त� के प�ु लंदे म� ,कुछ शाम �परोए रखीं थीं,

धुंधल� सी तस्वीर , आसमां �परोए रखीं थीं।

हसरत� क� द�वाल, जोड़ी थीं कुछ इस तरह शायद,

गुनाह� का तूफान थम जाए कह�ं।

�तनके सा �बखर गया आंचल कह�ं, स्याह आसमां जल गया


यह�ं,

अश्क बन गई हसरत� सार�, �दवाल सार� ढह गई कह�ं।

�दल बच्च� सा, हसरत� ख्वाबो से लम्बी,

वक्त आसमां �परोए बैठे, तरान� सा �पघल गया कह�ं।

38
बहुत नज़द�क होती है , िज़न्दगी क� कहानी…..

वक्त के फासले…..

वक्त के फासले,समय से लम्बे ।

ख्वाब के रास्ते, �नय�त से लम्बे।

मन क� वेदना, अरमान� से लम्बी।

तकाजा हुआ तब लम्बाई का,

जुनूं जब फैला दह
ु ाई का।

�नय�त से लम्बे लगे ,अपन� के रास्ते।

आसमां से ऊंचे लगे, दोस्ती के फासले।

झांक �गरे बान , अल्फाज़ से जब पूछा सबब,

कहा,वक्त क� �बसात या �कस्मते के फासले।

39
बहुत नज़द�क होती है , िज़न्दगी क� कहानी…..

गुम है ……

शाम हं स पड़ी,बादल उलझ गए,

ये अक्स ह� कुछ यूं खामोश सा गुम है ।

है आईना, मगर साफ़ कुछ नह�ं,

जज्बात हं स सा सफ़ेद,पर गुम ह�।

मद्धम सी रौशनी,लौ जाग गई शायद,

मस
ु ा�फर� के आने का आगाज़ शायद,गुम है ।

40
बहुत नज़द�क होती है , िज़न्दगी क� कहानी…..

कुछ याद आ गया……

बात फैसल� क� चल�ं,कुछ याद आ गया।

कुछ कहा था मगर एतबार नह�ं, याद आ गया।

वक़्त मांगा था मगर इंतजार नह�ं, याद आ गया।

याद� यह�ं ह� मगर फैसला सा कुछ ,याद आ गया।

41
बहुत नज़द�क होती है , िज़न्दगी क� कहानी…..

बात नह�ं होती….

लोग� से अक्सर ,अब बात नह�ं होती,

रूहानी मह�फ़ल� ,अब ख़ास नह�ं होती।

सुहानी शाम सब,अब कल क� बात थी,

�दवार� मह�फ़ल अब, बात� चार नह�ं होतीं।

42
बहुत नज़द�क होती है , िज़न्दगी क� कहानी…..

िज़ंदगी हर मोड़ ढूंढती…….

िज़ंदगी हर मोड़ ढूंढती तस्वीर� परु ानी ,

कुछ ख्वाइश�, कुछ ख़्वाब सी,�दल क� �कताब�,

नाराज़ �दवाल� सी, परु ाने पन्न� क� कहानी,

िजंदगी हर मोड़ ढूंढती तस्वीर� पुरानी।

िज़ंदगी हर मोड़ ढूंढती तस्वीर� पुरानी ,

कुछ ख्वाइश�, कुछ ख़्वाब सी �दल क� �कताब�,

घड़ी क� सइ
ु य� सी ,धम
ू ल परत, �दल� के �रश्ते �नभाती,

िजंदगी हर मोड़ ढूंढती तस्वीर� पुरानी।

�मलते ह� मह�फ़ल� म� कुछ, नज़र� झक


ु ाए,

रौशनी स्याह सी रहती है , पलक� झक


ु ाए।

43
बहुत नज़द�क होती है , िज़न्दगी क� कहानी…..

िज़ंदगी हर मोड़ ढूंढती…….

कुछ बात रहती है , प्रश्न� के दायरे म� बंधी,

ताउम्र ढूंढते ह� सबब, कुछ तब नज़र� उठाए।

तलाशते ह� सत्य सब, बतलाते कुछ नह�ं,

कहते शाम सी िजंदगी,ढकते कुछ नह�ं।

माना मन म� मसले, मा�मर्क मुस्कान महज़,

इच्छाएं मामल
ू �-सी मग
ृ या ,मक्
ु कमल ह�गी कब।

िज़ंदगी हर मोड़ ढूंढती तस्वीर� परु ानी ,

कुछ ख्वाइश�, कुछ ख़्वाब सी,�दल क� �कताब�।

44
बहुत नज़द�क होती है , िज़न्दगी क� कहानी…..

है शब्द� का खेल सारा….

�करण� से ऊंचे, आसमां से उपर,है शब्द� का खेल सारा,

�नकले कभी अरमां, कभी शु�क्रया,है शब्द� का खेल सारा।

�सतार� के आगे,चलना चांद संग,है शब्द� का खेल सारा,

दोस्त, द�ु नया, दास्तां, �दवानगी,है �दल का खेल सारा।

45
बहुत नज़द�क होती है , िज़न्दगी क� कहानी…..

अल्फाज़ रखा है ….

दरख़्त पर कुछ, साज़ रखा है ,

बग़ल म� कुछ, अल्फाज़ रखा है ।

नफ़रत क� लक�र� नह�ं ह� कह�ं,

अपना ह� कुछ पुराना, व्यवहार रखा है ,

दोस्त� अल्फाज़ सा, गुफ्तगू का �वचार रखा है ।

46
बहुत नज़द�क होती है , िज़न्दगी क� कहानी…..

कुछ समय…..

क्या छूट गया,था कुछ समय,

क्या रुठ गया, था कुछ समय।

वक़्त के प�� को खुरच, मांगे थे �सतम,

�सतमगर ह� छूट गया ,था कुछ समय ।

47
बहुत नज़द�क होती है , िज़न्दगी क� कहानी…..

ख़त� के रास्ते…..

डाक के स्याह आसमां से ऊंचे लगे अपन� के फासले,

नासमझ उलझे फासल� से ऊंचे लगे ख़त� के रास्ते।

को�शश क� खूब लमहा समेटने म� ए रहगुज़र,

समय ह� �हचक गया शायद �परोने म� फासले।

गर चाहत� रं िजशन वक़्त से ज्यादा खामोश ह� कभी,

मम
ु �कन नह�ं मुकामे हालात म� फासले घटाना रक़�ब।

क्या मरु �द,क्या इन्तेहा , खोई डगर कह�ं ,

�नकले फासले �मटाने, उम्मीद रह� कह�ं।

48
बहुत नज़द�क होती है , िज़न्दगी क� कहानी…..

अलग मोड़ लेते……..

गर मगर एतबार अगर कर �लया होता,

उम्रदराज रुखसत कुछ अलग मोड़ लेती।

अक्स से �रश्ते गर जोड़ �लया होते,

मगर के मायने कुछ अलग मोड़ लेते।

आइने के टुकड़े गर जोड़ �दए होते,

िजन्दगी के मायने कुछ अलग मोड़ लेते।

49
बहुत नज़द�क होती है , िज़न्दगी क� कहानी…..

और �फ़र………

बे�हसाब हसरत� के ख्वाब और �फ़र,

उम्मीद� के कुछ �हसाब और �फ़र,

अनकहे लफ्ज� के फासले और �फ़र,

दःु खते जख्म� क� दास्तान और �फ़र,

और �फ़र ख्वाब� क� हसरत� कुछ नह�ं ,

मंिजल� �मलती भी ह� बहुत और �फ़र।

50
बहुत नज़द�क होती है , िज़न्दगी क� कहानी…..

क्या कर� ………

बेवजह ददर् क� दवा, क्या कर� ,

बेजुबां वक्त से िजरह,क्या कर� ।

�सले ओठ� क� थरार्हट, क्या कर� ,

बेबु�नयाद मंिजल� क� क़�शश, क्या कर� ।

कुछे क दोस्त� से िजरह, उन्माद कर� ,

अपन� से अपनी कोई बात कह� ।

कह� क� डर लगता है , है रान हो क्य�,

आओ दोस्त� म� ,उनक� कोई बात कह� ।

51
बहुत नज़द�क होती है , िज़न्दगी क� कहानी…..

चंचल सं�ान मन …….

हालात बदलते मौसम हुए,

ना सदर् हवाओं ने छुआ,

ना शष्ु क हृदय सा ममर् हुआ।

नासूर बनी वेदना सभी,

हर ज़ख्म ने इक कहानी रची,

हालात समन्दर सा तब सख्त हुआ।

जब �बका ज़मीर तूफ़ां संग,

कारु�णक हृदय उठा संकोच वस,

झंझोड़ मन के मरू महोत्सव,

आशा �करण ज्योती संग,

52
बहुत नज़द�क होती है , िज़न्दगी क� कहानी…..

चंचल सं�ान मन …….

उड़ा कब चंचल सं�ान मन,

हर जल से �नमर्ल संताप मुक्त।

�ववरण �वकल हर हृदयाघात,

जाना जननी संग सा�ात ् कर,

हुआ उदय मनो�वश्लेषण ,

कमर्ठ करूण कठोर कवच मन,

उठ गया आंचल सहारे ,

करने गगन संग संताप मुक्त।

डोर �रश्त� क� संवारे ,

उड़ा तब चंचल सं�ान मन ।

53
लेखक के बारे म�

अ�नल सेठ

(जन्म 23 जनवर� 1973 , �दल्ल� ,भारत)


लेखक एवं शायर , �श�ा स्नातक पंजाब
य�ू नव�सर्ट� चंडीगढ़ । अ�नल सेठ फ्लोर
इं�डया प्राइवेट �ल�मटे ड के भारतीय
कायार्लय गुरुग्राम म� प्रोजेक्ट मैनेजर के
पद पर कायर्रत ह�।

इनका मानना है �क भाषा एक माध्यम है


और इनक� को�शश समाज के वास्त�वक �चत्र को कागज़ म� उतारने क� रहती
है । ये मानते ह� �क मन बैरागी है ,�वलासी हृदय और मन कभी एक नह�ं
होते । होती ह� इच्छाएं ,वह भी एक नह�ं होती । हम हाथ तो बढ़ाते ह� कुछ
छूने के �लए, छूकर इच्छाएं �फर भी पूणर् नह�ं होती। इनक� रचनाएँ कोमल
हृदय और मानवता के बेहद के समीप होती है । यह संकलन आज के प�रवेश
म� रचा गया एक प्रयास है ।

इनसे anilshivani99@gmail.com या फेसबुक पर संपकर् �कया जा सकता


है ।

क्या कहूं ,क्या न कहूँ ,कुछ कहना चाहता था, कह �दया। शेष �फर.....

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