Professional Documents
Culture Documents
ऋतु जा: सर्व प्रथम हम श्री ज.प. सर को धन्यवाद् दे ना चाहें गे की उन्होंने इस कार्यक् रम
के आयोजन तथा प्रदर्शनों के परिचय दे ने में हमारी सहायता की. यहां पर उपस्थित सभी
जनो को हमारी ओर से हिं दी दिवस की ढे र सारी शु भकामनाये . तो चलिए बिना और समय
बिताये हुए शु रू करते हैं इस अद्भुत कार्यक् रम को एक बार फिर.
क्या बात है , वाकई में इतनी शानदार pradarshan दे खने के बाद मु झे तो बस एक दी बात
बार-बार दिल में आ रही है , कि
ऋतु जा: अब वह समय आ गया हैं जब हम हमारे विद्यालय के बच्चो में इनाम का वितरण
कर उन्हें प्रोत्साहित करे . तो चलिए एक सूं दर से शे र के साथ शु रुवात करते हैं पु रुस्कार
वितरण का:
क्या सफलता पाएं गे वो जो निर्भर रहते गै रों पर, सफलता तो वो पाते जो रहते अपने पै रो
पर. तो इसी के साथ हमारे कार्यक् रम के पहले भाग का समपान हुआ . इस बात से एक गाना
याद आ रहा है की
एक दिन बिक जाएगा माटी के मोल, जग में रह जायें गे प्यारे ते रे बोल... तो चलिए अब
शु रुवात करते अपने आजके इस शानदार कार्यक् रम के द्वितीय सत्र के साथ . इस
आनं दमय समय को जारी रखते हुए, मैं इस मं च पर अब बु लाना चाहं ग
ू ा
________________ एक कविता प्रस्तु त करने .
ऋतु जा: आगे बढ़ते हुए, आइये समझते हैं की एक विकसित दे श हमारे अपने दे श भारत से
किस प्रकार भिन्न हैं . तो अब मैं मं च पर आमं त्रित करना चाहं ग
ू ी गु रु तथा हरिराम को.
ऋतु जा: धन्यवाद् सर. आपके यह बोल हमारे लिए ज़रूर फायदे मंद साबित होंगे . एक बार
तालियों की आवाज आप सभी के नाम होनी चाहिए क्योंकि आपने इतने गं भीर कार्यक् रम
में इतनी ऊर्जा और उत्साह के साथ भाग लिया। शु क्रिया
वं श: आपके सहयोग से आज के कार्यक् रम में आ गया हैं बड़ा स्वाद, मे रे दिल के हर एक
धड़कन से निकलता है धन्यवाद् धन्यवाद् धन्यवाद्!