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वक्रतुंड महाकाय सुयको

र् िट समप्रभ।
िनिवर् घ्नम् कुरूमेदेव सवकायेर्
र् शु सवदा।।
र्

प्रथम पूज्य िवघ्नहतार् श्री गणेश के आशीवाद


र् के साथ spic macay pantnagar chapter पिरवार आप सभी का स्वागत
करता है आज की इस शानदार शाम में।
हम सभी आप की उपिस्तिथ के िलए आभारी है।
मैं अिभनंदन करती/ता हूं हमारे आज के मुख्य अितिथ Dr. S.K Guru, िवभागाध्यक्ष, padap karyiki का और साथ ही मैं
स्वागत करती/ता हूं हमारी .......... का।

प्रकाश प्रतीक है आरोग्या का, ऊजार् का, सत्य का,ज्ञान, प्रगित और जीवन का।जैसे सूयार् का प्रकाश अंधकार को दू र करता है
उसी प्रकार आशीवाद
र् व्यिक्त के जीवन में समृिद्ध लातें हैं।
तो इस संध्या को सफल बनाने और उसी प्रकाश के स्पशर् करने के उद्देश्य से में अनुरोध करना चाहेंगा/चाहूँ गी आज के मुख्य अितिथ
Dr. S K Guru Sir से की वो दीप प्रज़्वलन के साथ आज के कायक्रम
र् का शुभारंभ करें।

कायक्रम
र् को आगे बढ़ाते हुए चलते है आज के मुख्य खंड की ओर, में मंच पर आमंित्रत करना चाहूंगा/गी ___, वो आकर digital
प्रदशनी
र् के माध्यम से spic macay pantnagar chapter की उत्पित्त और उपलिब्धयों के बारे में हम सभी को बताए।

धन्यवाद ____। अब में आमंित्रत करता/करती हूं spic macay pantnagar chapter के परामशदात्रऻ
र् Dr. S.K. Guru,
िवभागाध्यक, पादप काियर् की को, वो मंच पर आए और हम सभी को संबोिधत करें।

अपने बहुमूल्य वचनों से श्रोताओं में उत्साह का संचार करने के िलए धन्यवाद सर, मैं आशा करता/करती हूं आपके ऊजावान
र् शब्दों
ने सबको जीवन में आगे बदने और बेहतर बनने को प्रेिरत िकया होगा।
अब में आमंित्रत करना चाहूँ गा/चाहूँ गी Dr. ______ की वो मंच पर आएँ और अपने िवचार हमारा मारकदरशन करें।

िजस प्रकार एक लेखक के कलम की स्याही खत्म हो सकती है, लेिकन उसकी कहानी खत्म नहीं होती, उसी प्रकार आज का
कायक्रम
र् भले ही समापन की ओर बढ़ रहा है लेिकन हमारा िवश्वास है की इसके मूल भाव इस जीवन के अंत तक हमरे साथ
रहेंगे।

आप सभी के साथ इस अदभुत शाम का िहस्सा बनना एक सम्मान रहा है। Spic macay pantnagar chapter ki ओर से
हम यहा उपिस्थत सभी लोगो का धन्यवाद करना चाहते हैं। हमारे िनमंत्रण को स्वीकार करने और हमारे साथ यह रहने के िलए हम
आभारी हैं आज के मुख्य अितिथ Dr. S. K. Guru, िवभागाध्याक, पादप काियर् की का, आपके/ िजनके िवचारों ने वास्तव में हमें
प्रेिरत िकया/ है। हम धन्यवाद करना चाहते हमारी कायकारी
र् संकाय का िजन्होंने अपनी व्यस्थ िदनचिरया से कुछ अनमोल क्षण
हमारे साथ व्यतीत िकए। अंत में, हम एक बार िफर से आभार व्यक्त करना चाहेंगे सभी का जो आज यन्हाँ उपिस्थत हैं, आप की
सह्यता और मौजूदगी आज के कायक्रम
र् को सफल बनती हैं।
धन्यवाद

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