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नीम कोटेड

यूरिया

नीम कोटेड यूरिया, मृदा स्‍वास्‍थ्‍य कार्ड , सिंचाई
को बेहतर बनाने हेतु प्रौद्योगिकी का इस्‍तेमाल
जैसे सुधारों ने भारत के मेहनतकश किसानों को
सहायता प्रदान की है। भारत की स्‍वतंत्रता के 75
वर्ष पूरे होने पर, 2022 तक किसानों की आय को
दोगुना करने के सपने को पूरा करने के लिए हम
तैयार हैं।

-प्रधानमंत्री नरे न्‍द्र मोदी


अध्‍याय

प्रस्‍तावना.......................................................................................................................................... 02
1. पृष्‍ठभूमि........................................................................................................................................... 03
2. समाधान तलाशना....................................................................................................................... 04
3. निर्णय.............................................................................................................................................. 05
4. अवसंरचना का विकास................................................................................................................ 06
5. लाभ उठाना..................................................................................................................................... 08
6. यूरिया की कमी न होना – यूरिया उत्‍पादन में उल्‍लेखनीय वृद्धि........................................ 10
प्रस्‍तावना

दे श में सभी प्रकार के सब्सिडी प्राप्‍त कृषि ग्रेड यूरिया के शत-


प्रतिशत नीम कोटेड को शुरू किया जाना मोदी सरकार द्वारा
लिए गए प्रमुख क्रांतिकारी निर्णयों में से एक था ताकि पोषक
क्षमता, फसल की उपज, मृदा स्‍वास्‍थ्‍य को बढ़ाया जा सके तथा
कृषि ग्रेड यूरिया के गैर-कृषि कार्यकलापों हे तु उपयोग को रोका
जा सके।

किसानों को प्रा‍थमिकता देना बदलता भारत

उर्वरकों की व्‍यापक
पहुंच और उपलब्‍धता

100% नीम कोटेड के परिणामस्‍वरूप मृदा


स्‍वास्‍थ्‍य में सुधार, कीटों और उनसे होने वाली
बीमारी के हमलों में कमी, नाइट् रोजन उपयोग क्षमता
और फसल की पैदावार में बढ़ोत्तरी हु ई।

नई यूरिया नीति के लागू करने से यूरिया उत्‍पादन में


उल्‍लेखनीय वृद्धि

2 नीम कोटेड यूरिया


अध्‍याय 1

पृष्‍ठभूमि
यूरिया हमारी फसलों के लिए सर्वाधिक महत्वपूर्ण रासायनिक
उर्वरकों में से एक रहा है और दे श के खाद्यान्न उत्पादन में वृद्धि के
महत्वपूर्ण कारकों में से एक रहा है।
किसानों की सहायता करने हे तु उचित दाम पर यूरिया प्राप्‍त
करने के लिए भारत सरकार निर्धारित खुदरा मूल्य पर किसानों
को यूरिया की आपूर्ति करती है जो यूरिया के उत्पादन की लागत
अथवा आयात की लागत से काफी कम है। सरकार प्रतिवर्ष
रुपये 50000/- करोड़ से भी अधिक इस मद पर व्यय करती है
ताकि किसानों को यूरिया वहनीय मूल्य पर मिलती रहे।
ऐसे निष्कर्ष और रिपोर्टें थीं कि किसानों द्वारा फसलों के
लिये उपयोग में लायी जा रही यूरिया की बहुत बरबादी हो रही
थी जिससे पोषकतत्वों की क्षमता में कमी, जल एवं मृदा संदषण ू
और अत्यधिक सब्सिडी प्राप्त यूरिया की बरबादी होती है।
इसके अलावा, अत्यधिक सब्सिडी प्राप्त कृषि यूरिया का
रासायनिक उद्योगों और गैर-कृषि कार्यों के लिए विपथन हो रहा
था। इसके परिणामस्वरूप बेशकीमती सब्सिडी का न केवल
अपव्यय हुआ बल्कि कभी-कभी वास्तविक किसानों के लिए
यूरिया की कमी भी हुई।

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अध्‍याय 2

समाधान तलाशना
यह भी सुविदित था कि पोषकतत्वों की क्षमता, फसल की उपज
बढ़ाने, अपव्यय तथा मृदा एवं जल संदषण ू को कम करने हे तु
मृदा में यूरिया की घुलनशीलता की दर को घटाने के लिए दुनिया
भर में यूरिया के दानों एवं गोलियों के ऊपर लेपन के रूप में
अलग-अलग रासायनिक अवरोधकों का प्रयोग होता रहा है।

नीम के तेल, जो पूर्णत: ऑर्गेनिक उत्पाद है , में ऐसा गुण है जो


यूरिया से मृदा में नाइट् रोजन की घुलनशीलता को धीमा कर सकता
है जिससे पोषकतत्वों की क्षमता बढ़ती है , मृदा एवं जल संदषणू
घटता है इससे कृषि ग्रेड यूरिया के अनेक गैर-कृषि प्रयोगों के
लिए उपयोग की संभावना भी पर्याप्त रूप से कम हो जाती है।
भारत के मामले में, रासायनिक अवरोधकों की जगह यूरिया के
लेपन के रूप में ऑर्गेनिक नीम का प्रयोग अधिक लाभकारी था।

तथापि, वर्षों तक कोई निर्णय नहीं लिया जा पा रहा था। इस


संबंध में कई बार चर्चा हुई तथा नीम कोटेड यूरिया बनाने के
लिये उत्पादकों को सरकार द्वारा कई बार अलग-अलग समय
पर अनुमोदन भी दिये गये किं तु 2014 तक पूरे दे श में यूरिया के
कुल उत्पादन का लगभग 25 प्रतिशत भाग ही नीम कोटेड हो
पाया था।

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अध्‍याय 3

निर्णय
इसी पृष्ठभूमि में वर्ष 2015 में, भारत सरकार ने दे श में सभी प्रकार
के सब्सिडी प्राप्त कृषि ग्रेड यूरिया के शत-प्रतिशत नीम-कोटेड
का क्रांतिकारी निर्णय लिया। समस्त स्वदे शी एवं आयातित
यूरिया को नीम-कोटेड किया जाने लगा जिससे यूरिया धीरे -धीरे
घुलनेवाला बन गया और गैर-कृषि प्रयोजनों के लिए इसका
प्रयोग कठिन हो गया।

सभी बंदरगाहों में नीम कोटेड संबंधी अवसंरचना रिकार्ड समय


में पूरी की गई

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अध्‍याय 4

अवसंरचना का विकास
इस संबंध में न केवल निर्णय लिया गया बल्कि दे श के सभी
यूरिया संयंत्रों के साथ-साथ ऐसे सभी बंदरगाहों पर रिकार्ड
समय में प्रावधान बनाकर नीम कोटेड यूरिया बनाने के कार्य
को पूरा किया गया जिससे दिसम्बर, 2015 तक दे श के प्रत्येक
भाग में किसानों को आपूर्ति की जाने वाली यूरिया शत-प्रतिशत
नीम कोटेड की गई।

खुदरा बिक्री केंद्रों पर नीम-कोटेड यूरिया उल्लेखनीय समय में


उपलब्ध कराया गया
6 नीम कोटेड यूरिया
मोदी सरकार तलचर, रामागुण्‍डम, गोरखपुर, सिंदरी
और बरौनी में बंद पड़े उर्वरक संयंत्रों का पुनरुद्धार कर
रही है।
उर्वरक उद्योग तथा दे श के किसान दोनों सरकार के निर्णय
को स्वीकार करने और कार्यान्वित करने के लिए सहर्ष तैयार
थे क्योंकि सरकार की सही मंशा और सही नीति को हर व्यक्ति
समझता था। वर्ष 2015 से, एक ऐतिहासिक कदम से, दे श के
140 मिलियन से अधिक किसानों को आपूर्ति की गई सारी
यूरिया अर्थात लगभग 340 लाख मीट्रिक टन यूरिया प्रतिवर्ष
सफलतापूर्वक नीम कोटेड की गई।

किसानों को प्रा‍थमिकता देना बदलता भारत

उत्‍पादन को बढ़ाने
के लिए उर्वरक
इकाइयां

गोरखपुर, सिंदरी, तलचर, रामागुंडम और


बरौनी में निष्क्रिय
उर्वरक इकाइयों के पुनरुद्धार के लिए
40,000 करोड़ रुपये।

नामरूप, असम में नए यूरिया संयंत्र की


स्‍थापना की जानी है।

1 फरवरी, 2019 की स्थिति के अनुसार

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अध्‍याय 5

लाभ उठाना
बरबादी में कमी
तृतीय पक्ष के संस्‍थानों द्वारा इस कार्यक्रम का शुरुआती
मूल्यांकन यह दर्शाता है कि सरकार के साहसिक कदम के
कारण यूरिया का उपयोग अधिक प्रभावी हो गया है और इसकी
बरबादी तथा विपथन में कमी आई है।

नीम कोटेड यूरिया- निर्णय से लेकर किसानों के खेत तक

8 नीम कोटेड यूरिया


मृदा स्‍वास्‍थ्‍य में सुधार, लागत में कमी, उपज में वृद्धि
इन मूल्यांकनों से यह भी पता चलता है कि नीम कोटेड
यूरिया के प्रयोग से न केवल मृदा की स्थिति में सुधार हुआ है
बल्कि किसानों के लिये प्लांट प्रोटेक्शन रसायनों की लागत में
भी कमी आयी है। इससे प्रमुख फसलों की उपज में भी वृद्धि हुई
है। इन सबने किसानों की आय बढ़ाने में भी उल्लेखनीय योगदान
किया है।

“यूरिया के नीम-लेपन के निर्णय से किसानों


की आदान लागत में भारी कमी आई है। यूरिया
के 100% नीम-लेपन से क्षमता में वृद्धि हुई
है। आज किसान जमीन के उतने ही टु कड़े के
लिए कम यूरिया का प्रयोग करते हैं। यूरिया के
कम प्रयोग से उनकी आदान लागत कम हुई
है और उत्‍पादकता बढ़ी है। अत:, आय में वृद्धि
हुई है। यह बदलाव यूरिया के नीम-लेपन से
संभव हुआ।”

-प्रधानमंत्री नरे न्‍द्र मोदी

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अध्‍याय 6

यूरिया की कमी न होना –


यूरिया उत्‍पादन में
उल्‍लेखनीय वृद्धि
यह निर्णय लिए जाने के बाद से दे श के किसी भी हिस्‍से में पिछले
पांच-छह वर्षों में यूरिया की कोई बड़ी कमी नहीं रही है और
किसान इस बात से खुश हैं कि सरकार द्वारा उन्हें समय पर और
पर्याप्त मात्रा में असली और नीम-कोटेड यूरिया वहनीय मूल्य पर
उपलब्ध करायी जा रही है।

नीम कोटेड यूरिया- खुशहाल किसान


10 नीम कोटेड यूरिया
करदाताओ ं के पैसे को इसके उचित प्रयोग में खर्च किया जा रहा
है तथा सब्सिडी प्राप्त यूरिया के किसी विपथन को बर्दाश्त नहीं
किया जा रहा है।
उर्वरकों की सहज उपलब्‍धता
रसायनों के कम प्रयोग तथा बेहतर मृदा स्‍वास्‍थ्‍य के लिए यूरिया के
100% नीम-लेपन की शुरूआत वर्ष 2015-16 में हुई थी।

इससे यूरिया का गैर-कृषि प्रयोजनों के लिए विपथन भी कम हुआ।

इससे नाइट् रोजन प्रयोग क्षमता में भी वृद्धि हुई और कृषि उपज में वृद्धि
में मदद मिली।

नई यूरिया नीति की शुरूआत के बाद से यूरिया उत्‍पादन में पर्याप्‍त


वृद्धि हुई।

मोदी सरकार तलचर, रामागुण्‍डम, गोरखपुर, सिंदरी और बरौनी में


बंद पड़े उर्वरक संयंत्रों का पुनरुद्धार कर रही है। इससे उर्वरक उपल-
ब्‍धता को और भी बल मिलेगा तथा रोजगार प्राप्‍त होंगे।

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सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय
भारत सरकार

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