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Neem Coated Urea Hindi
Neem Coated Urea Hindi
यूरिया
“
नीम कोटेड यूरिया, मृदा स्वास्थ्य कार्ड , सिंचाई
को बेहतर बनाने हेतु प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल
जैसे सुधारों ने भारत के मेहनतकश किसानों को
सहायता प्रदान की है। भारत की स्वतंत्रता के 75
वर्ष पूरे होने पर, 2022 तक किसानों की आय को
दोगुना करने के सपने को पूरा करने के लिए हम
तैयार हैं।
प्रस्तावना.......................................................................................................................................... 02
1. पृष्ठभूमि........................................................................................................................................... 03
2. समाधान तलाशना....................................................................................................................... 04
3. निर्णय.............................................................................................................................................. 05
4. अवसंरचना का विकास................................................................................................................ 06
5. लाभ उठाना..................................................................................................................................... 08
6. यूरिया की कमी न होना – यूरिया उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि........................................ 10
प्रस्तावना
उर्वरकों की व्यापक
पहुंच और उपलब्धता
पृष्ठभूमि
यूरिया हमारी फसलों के लिए सर्वाधिक महत्वपूर्ण रासायनिक
उर्वरकों में से एक रहा है और दे श के खाद्यान्न उत्पादन में वृद्धि के
महत्वपूर्ण कारकों में से एक रहा है।
किसानों की सहायता करने हे तु उचित दाम पर यूरिया प्राप्त
करने के लिए भारत सरकार निर्धारित खुदरा मूल्य पर किसानों
को यूरिया की आपूर्ति करती है जो यूरिया के उत्पादन की लागत
अथवा आयात की लागत से काफी कम है। सरकार प्रतिवर्ष
रुपये 50000/- करोड़ से भी अधिक इस मद पर व्यय करती है
ताकि किसानों को यूरिया वहनीय मूल्य पर मिलती रहे।
ऐसे निष्कर्ष और रिपोर्टें थीं कि किसानों द्वारा फसलों के
लिये उपयोग में लायी जा रही यूरिया की बहुत बरबादी हो रही
थी जिससे पोषकतत्वों की क्षमता में कमी, जल एवं मृदा संदषण ू
और अत्यधिक सब्सिडी प्राप्त यूरिया की बरबादी होती है।
इसके अलावा, अत्यधिक सब्सिडी प्राप्त कृषि यूरिया का
रासायनिक उद्योगों और गैर-कृषि कार्यों के लिए विपथन हो रहा
था। इसके परिणामस्वरूप बेशकीमती सब्सिडी का न केवल
अपव्यय हुआ बल्कि कभी-कभी वास्तविक किसानों के लिए
यूरिया की कमी भी हुई।
समाधान तलाशना
यह भी सुविदित था कि पोषकतत्वों की क्षमता, फसल की उपज
बढ़ाने, अपव्यय तथा मृदा एवं जल संदषण ू को कम करने हे तु
मृदा में यूरिया की घुलनशीलता की दर को घटाने के लिए दुनिया
भर में यूरिया के दानों एवं गोलियों के ऊपर लेपन के रूप में
अलग-अलग रासायनिक अवरोधकों का प्रयोग होता रहा है।
निर्णय
इसी पृष्ठभूमि में वर्ष 2015 में, भारत सरकार ने दे श में सभी प्रकार
के सब्सिडी प्राप्त कृषि ग्रेड यूरिया के शत-प्रतिशत नीम-कोटेड
का क्रांतिकारी निर्णय लिया। समस्त स्वदे शी एवं आयातित
यूरिया को नीम-कोटेड किया जाने लगा जिससे यूरिया धीरे -धीरे
घुलनेवाला बन गया और गैर-कृषि प्रयोजनों के लिए इसका
प्रयोग कठिन हो गया।
अवसंरचना का विकास
इस संबंध में न केवल निर्णय लिया गया बल्कि दे श के सभी
यूरिया संयंत्रों के साथ-साथ ऐसे सभी बंदरगाहों पर रिकार्ड
समय में प्रावधान बनाकर नीम कोटेड यूरिया बनाने के कार्य
को पूरा किया गया जिससे दिसम्बर, 2015 तक दे श के प्रत्येक
भाग में किसानों को आपूर्ति की जाने वाली यूरिया शत-प्रतिशत
नीम कोटेड की गई।
उत्पादन को बढ़ाने
के लिए उर्वरक
इकाइयां
लाभ उठाना
बरबादी में कमी
तृतीय पक्ष के संस्थानों द्वारा इस कार्यक्रम का शुरुआती
मूल्यांकन यह दर्शाता है कि सरकार के साहसिक कदम के
कारण यूरिया का उपयोग अधिक प्रभावी हो गया है और इसकी
बरबादी तथा विपथन में कमी आई है।
इससे नाइट् रोजन प्रयोग क्षमता में भी वृद्धि हुई और कृषि उपज में वृद्धि
में मदद मिली।