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Sustaibale Development 2
Sustaibale Development 2
बांस का इस्तेमाल कई तरह से किया जाता है . मुख्य रूप से इसका इस्तेमाल निर्माण
कार्यों जैसे- फर्श, छत की डिजाइनिंग और मचान आदि में होता है . इससे फर्नीचर . भी
बनते हैं. साथ ही, कपड़ा, कागज, लुगदी, सजावटी सामान आदि में भी बांस का
इस्तेमाल होता है . साथ ही, जब से केंद्र सरकार ने बांस की खेती को लेकर नियमों
नियमों को बदला है , तब से इसके उद्योग में काफी उछाल दर्ज किया गया है . बांस से
टोकरी, डंडा भी बनाया जाता है . हाल के दिनों में बांस से बनने वाली बोतलों का भी
चलन काफी तेजी से बढ़ा है . अभी दे श में तकरीबन 136 बांस की प्रजातियां हैं और हर
साल 13 मिलियन टन से अधिक बांस का उत्पादन होता है .
पिछले साल सरकार ने सिंगल यूज प्लास्टिक (single use plastic) पर रोक लगाई
थी. सरकार के इस कदम से बांस उद्योग (bamboo industry) में उछाल आ गया है .
आज बाजार में बांस से बनी क्रॉकरी खब
ू बिक रही है . बांक की बोतल (Bamboo
Water Bottle), बांस के कप-प्लेट, चम्मच, कांटा, थाली, स्ट्रॉ जैसे उत्पादों की मांग
लगातार बढ़ रही है .
एक ऐसे संस्था जो छत्तीसगढ़ में कृषि और पर्यावरण संरक्षण के लिए काम करती है |
की कैसे बांस को टे क्निकली कन्वर्ट करके इसका इस्तेमाल किया जा सकता है इसके
बारें में बात की हमने मनन पटे ल से जो की bhavya shristi udhyog में marketing
head है | …….
किसान जो बंजर भूमि या जलवायु परिवर्तन से परे शान होकर किसी तरह की खेती
करने में असमर्थ है , वह बाँस की खेती कर अच्छी कमाई कर सकते है | बाँस एक
ऐसा पौधा जिसे किसी भी तरह की मिट्टी में उगाया जा सकता है | केंद्र सरकार द्वारा
चलाई जा रहीं राष्ट्रीय बांस मिशन में किसानो को बाँस की खेती करने पर सब्सिडी
भी प्रदान की जा रहीं है |
बाँस की खेती के लिए किसी खास तरह की मिट्टी की जरूरत नहीं होती है , इसे किसी
भी सख
ू ी मिट्टी में ऊगा सकते है | किन्तु रे तीली दोमट मिट्टी में बाँस के पौधे अधिक
तेजी से विकसित होते है | इसकी खेती में भूमि 4.5 से 6 P.H. मान वाली होनी चाहिए
|
बाँस के पौधे उष्ण शीतोष्ण और उष्णकटिबंधीय जलवायु में अच्छे से विकास करते है
| ऐसा कहा जाता है , कि इस जलवायु में बाँस के पौधे प्रति दिन 3 इंच तक बढ़ जाते
है | इसके पौधों पर जलवायु परिवर्तन का कोई खास असर दे खने को नहीं मिलता है |
अधिक ठण्ड तथा दल-दल में भी पौधे ठीक से वद्धि
ृ कर लेते है |
बाँस की खेती के लिए किसी खास तरह की मिट्टी की जरूरत नहीं होती है , इसे किसी
भी सूखी मिट्टी में ऊगा सकते है | किन्तु रे तीली दोमट मिट्टी में बाँस के पौधे अधिक
तेजी से विकसित होते है | इसकी खेती में भूमि 4.5 से 6 P.H. मान वाली होनी चाहिए
|
बाँस के पौधे उष्ण शीतोष्ण और उष्णकटिबंधीय जलवायु में अच्छे से विकास करते है
| ऐसा कहा जाता है , कि इस जलवायु में बाँस के पौधे प्रति दिन 3 इंच तक बढ़ जाते
है | इसके पौधों पर जलवायु परिवर्तन का कोई खास असर दे खने को नहीं मिलता है |
अधिक ठण्ड तथा दल-दल में भी पौधे ठीक से वद्धि
ृ कर लेते है |
बाँस के पौधों को अधिक सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है | इसके पौधों को केवल
आरम्भ में ही नमी की आवश्यकता होती है | कम वर्षा वाले क्षेत्र या शष्ु क क्षेत्रों में
मल्चिंग मिट्टी पानी को वाष्पीकृत होने से रोकती है | मिट्टी में नमी बनाये रखने के
लिए सूखे कार्बनिक पदार्थो या सख
ू े पत्तो को गीला कर घांस की तरह पौधे के चारो
और फैला दिया जाता है | जिससे अंकुरों को जन्म लेने में आसानी होती है |