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CVR िम ी जल बनाने व कृ िष म उपयोग लेने क िविध

१. Top soil- ज़मीन के उपर क दो से तीन इंच तक क िम ी को TOP soil या


उषर िम ी कहते है।

२. Sub soil –ज़मीन म डेढ फू ट नीचे से लेकर चार फु ट तक क िम ी को sub


soil कहते है। इस िम ी म िचकनापन होता है जो top soil म ब त कम होता
है। इस िम ी म वेस ब पोषक त व भी होते ह जो top soil म बार बार फसल लेने
से कम हो जाते है। sub soil के ये पोषकत व top soil म आई उन पोषकत व
क कमी को पूरा कर िम ी को उपजाऊ बना देती है।

दोन ही तरह क िम ी म पोषकत व होते है। पर तु दोन िम ी क कृ िष मे अलग


अलग भूिमका होती है।

अपने खेत म 2.50 फू ट चौड़ा व चार फु ट गहरा ख ा खोदे। डेढ़ फू ट क िम ी


िनकालने के बाद से लेकर चार फू ट तक गहराई क िम ी को िनकालकर एकतरफ़
ढेर लगाये। इसे sub soil कहते है।
इसे कु छ घ टे सूखने के बाद खेत के कसी सुरि त कोने मे डाल कर लाि टक के
तारपोिलन ( ितरपाल ) से अ छे से ढककर सुरि त करे । इसका उपयोग बताई
जाने वाली िविध से पूरे साल तक ज़ रत के िहसाब से करे ।
खोदे गये ख े म खेत म पहले से उपयोग म ली गई उपर क top soil चार से छ
इं च क िम ी को लेकर इस ख े म भर दे।

इस sub soil क यादा मा ा को िनकालकर अपने पूरे खेत म फै लाया भी जा


सकता है या खेत म पानी देते समय sub soil को बा टी म भरकर थोड़ी थोड़ी
मा ा िमलाते ए नीचे दये गये िच के िहसाब से दे।
इसके अित र स ज़ी ,फलव औषिध वाले पेड/ पौध क ोथ के िलए sub soil
को एक कलो से लेकर दो कलो तक पौध क जड़ म हर ह ते दे। जहां तक पौधे
या पेड़ क छाया ज़मीन पर पड़ती है पेड़ क जड़े वहाँ तक फै ली होती है और वही
से ि प के ज़ रये पानी जड़ को देते है इसिलए उस ीप के नीचे यह sub soil पौधे
के चार तरफ़ डाल देता क पानी के साथ साथ sub soil के पोषक त व पौधे के
जड़ को िमल जाये।
और यादा ढेर होने पर पहली वाली sub soil हटाकर नई sub soil डालते
रहे।
अपने दो पेड या पौधो के बीच म उपल ध top soil जो सूय करण से सुखी हो ,
को समय समय पर पौध क जड़ म देने का काय भी करे । इससे पौधे क ोथ व
मीठापन बढ़ता है।

सुय से सुखी ई top soil को भी इ ठा करके एक जगह सुरि त रखे और उसे


तार पोिलन से ढककर रखे और पौध क ोथ व मीठापन को बढ़ाने के िलए
उपयोग म ले।
िविध -

१.पौध क शू आती ोथ के समय 15 कलो top soil और 15 कलो sub soil को लेकर
200 लीटर पानी म एक म म पहली बार म दस िमनट तक घोला जाऐ और उसके बाद चार-
पाँच िमनट तक छोड़ दे। उसके बाद उपर के तैरते ए 20 लीटर पानी को कसी िड बा मे
जाली लगाकर छान ले। ता क मोटे कं कर प थर उस म ना जाने पाये। इस पानी को े प प
म भरकर खेत म पौध पर िछड़कने जाये। िछड़कने के िलए जाने से पहले म के पानी को फर
से कसी ड डे से तीन चार िमनट तक घूमाकर जाये ता क जब तक आप वापस आओ तो उपर
का तैरता आ पानी छानने के िलए फर तैयार िमले। यह कया लगातार करे । अगर कसी
वजह से इस या म गेप आ जाये , तो म के पानी को फर घुमाये और चार पाँच िमनट बाद
उपर का तैरता पानी ले। इस तरह उपर का कू ल लगभग 150 लीटर पानी (
तीनचौथाईिह सा ) का उपयोग पौध म े करने म ले। और बचा आ नीचे का 50 लीटर
िम ी व पानी को पौध क जड़ म दे या उस खडडे म डाले दे जहां से इसे िनकाला था।
इस पानी को हर ह ते म एक या दो बार े प प से हर पते पर िछड़कना है। इसे फसल के दो
पत के आते ही शु करे और फल फू ल आने पर ह ते म दो बार 200 से 400 लीटर िम ी जल
का े करे ।

और इ ली या क ड़ा लगने पर भी हर ह ते दो बार े करे । पौधा बड़ा होने पर हर ह ते दो


बार े करने पर यह इ ली या क ड़ा लगने क सम या ब त कम चाँस होगा।

२.. िजन फसल म रस चूस क क ड़ा ,इ ली वायरस या कसी तरह का क ड़ा पौधे म लगे तो

केवल 30 kg sub soil ही ले और उसे 200 लीटर पानी म घोले । पानी म दस िमनट
घोलने के बाद केवल दो िमनट के िलए के व उपर के तै रते ए 150 लीटर पानी को
बा ी से िनकाल कर िकसी दु सरे डम म जाली से छानकर भरे , तािक मोटे कंकर प र
उसम ना जाने पाये । इस पानी को े प म भरकर खेत म पौधों पर िछड़कने जाये ।
केवल दो िमनट बाद ही िम ी जल को इसिलए िलया जाता है ोंिक इस बार पानी म
िमेटटी की मा ा कुछ ादा रखनी है । िम ी की थोड़ी ादा मा ा इन कीड़ों व इ यो
के िलए बे हद हािनकारक होती है ।इस छने ए िम ी पानी म दो िकलो अंकुरण गै व दो
िकलो अंकुरण चना की चटनी बना कर साथ म घोल दे । और गै व चना के अं कुरण के
िलए उपयोग म िलया गया पानी को भी इसम घोल दे । व दो िकलो राख भी डाल दे । इस
िम ी जल को पौधों पर े करे तो सफ़ेद म र , रसचूसक व इ यो को न कर दे ती
है । इस तरह पहले प के िछड़काव के बाद अगले प को भरने से पहले हर बार इस
तै यार िम ी जल को एक िमनट के िलए घुमाये व अपने े प म भरे और और
िछड़काव कर ।
sub soil + गै व चना का अंकुरण का चटनी व राख का बना यह  िम ी जल
कपास म सफ़ेद म र पर ब त ादा कारगर है ।

रस चूसक ि पस के कोप होने पर चना को हटाकर उसकी जगह गै की


मा ा क बढ़ा कर दु गनी (4 kg) कर उसकी चटनी व राख (2 kg) से बने िम ी
जल के योग से ये ि पस रसचूसक न हो जाते है ।

स यों के पौधों म फल फूल आने लगे तो कीड़ों की माँ उसम अ े दे ती है । उस समय


यह िम ी का े ह े म तीन बार दे ने से पर कीड़ा लगने की यह सम ा नही ं होती ।
बगन व िभ ी म फूल का आकार छतरी जैसा होता है िजसम कीड़ों की माँ अ े दे कर
जाती है ।िजससे तु र ही इसके फलों म भी कीड़ों िदखने लग जाते ह और फलों को न
करने लग जाते है । । इसके िलए भी िम ी का पानी े प का नोज़ल खोलकर उन फूल
के अ र दे ने से कीड़ों की माँ फूलों के अ र अ े नही ं दे ती । िजससे यह सम ा ख़
हो जाती है । और इस तरह िम ी जल दे ने से म ा म भी फ़ायदा होता है । ।पू व से ले कर
पि म तक े करने से भी यह िनय ण म रहती है । । इसका फूल व फल आने पर ह े
म दो बार े करे । और कीड़े ख़ होने के बाद ह े म एक बार करते रहे । यह बे हद
मज़बू त ोथ भी दे ता है ।

नोटकरे -

Top soil गीला होने पर उपयोग करने म कोई हज नही ं होता है , sub soil जो डे ढ़ फ़ीट
के बाद नीचे से िनकलती है वो सुखी िनकलती है मगर बा रश म sub soil के गीला होने
पर उसे धूप म या बा रश के समय िकसी छत या शेड के नीचे कुछ घ े के िलए छाया म
सु खा ल तािक उसम बै ी रया ए ीवेट हो सके और नाइटोजन िफ ेसन हो जाये ।
उसके बाद उसको उपयोग म ले।

Top soil म भी पोषक त भरपूर होते है । इसिलए पौधे की ोथ के िलए शु आत म


top soil व sub soil दोनों तरह की िम ी बराबर िमलाकर पानी का े करे । top soil
पौधो मे कीड़ो को बढ़ाती है । इस िलए कीड़ों की े ज आने पर पोधो मे top soil का
उपयोग ब करके sub soil का उपयोग बढ़ा दे ना चािहए।

िगली होने पर sub soil को दस िकलो व top soil को बीस िकलो ले । और उसके घोल
का े करे । और पौधों म कीड़े आने की े ज पर top soil को कम करके 10 िकलो ले
और sub soil 20 िकलो ले या top soil का उपयोग ब कर करके केवल sub soil 30
िकलो को उपयोग म ले ।
ट ी दल के हमले से फसल को बचाने के िलए भी sub soil का िछड़काव कर ।तीस
चालीस िकलो पानी म घोलकर िबना इ ज़ार िकये और िबना छाने उपर का 150 लीटर
पानी को तुर े प म डाले और पोधे पर े करे । नही छानने के कारण पानी के
साथ ादा िमेटटी जाऐगी और पौधे पर िगरे गी तो िटे डडी को यह िदखाई दे ने पर िट ी
वहाँ पर हमला नही ं करे गी और आगे िनकल जाऐगी । ोंिक िट ी के लीवर नही ं होने से
वह िम ी को बचाने की मता नही ं होने के कारण वह िमे ी वाले पौधों पितयों पर हमला
नही ं कर पाती। ।यह े एक एकड़ म एक बार म एक िदन म 200 लीटर से ले कर 600
लीटर यािन एक से तीन बार करे व ह े म एक बार या दो बार करे । िट ी हमले के
िदनों म लगातार खेत म े करते रहे और अगर बीच म कोई बा रश हो जाये तो दु बारा
े कर ले। ।बस िट ी को िम ी पौधे पता पर िदखनी चािहए ।

इसम एक िविध और भी है जो सरल है । खेत की िम ी चाहे sub soil हो या top soil उसे
िकसी जाली से छानकर बारीक कर ले या बालु या रे तीली िम ी भी ले सकते ह । एक
तरफ़ पौधों पर सादे पानी का िछड़काव कर और साथ साथ म हाथ से यू रया की तरह
इस बारीक िम ी को पौधों पर िछड़काव भी कर तािक िम ी अ े से िचपक जाये और
िट ीदल को अ े से िदख जाये । वो फसल पर हमला नही ं करे गी ।
तापमान पर िनय ण - िम ी जल ( sub soil व top soil िमला कर तै यार ) के पौधों पर
िछड़काव से यह पौधों को ादा गम से व ादा ठ ( पाला लगना ) से भी बचाती है
।िमेटटी का िछड़काव पौधों पर चादर का काम करती है। यह गिमयों म सूय की सीधी
िकरणों को पौधो पर पड़ने से रोकती है तो सिदयों म ठ म यह क ल का सा काम
करती है । दि ण भारत म लाल िम ी को िछड़कने से गम का तापमान का भाव पौधों
पर चार से पाँ च िड ी नीचे आता है। और वही ं म भारत म सिदयों व बा रश मे काली
िम ी का िछड़काव का भाव ठ से बचने व पोषक त ों का अ िधक फ़ायदा दे ता है ।
िम ी कोई भी हो हर तरह की िम ी े ानुसार तापमान के िनय ण म फ़ायदा करती है

राख - िम ी जल म जो राख िमलाई जाती है वह दे शी गाय के गोबर के उपलो को जलाने


बाद ा राख के उपयोग से है बस ान यह रखना है िक उपलो के जलने के बाद ा
राख म पानी नही ं डालना है इसे सुखे प म सुरि त रख और जब ज़ रत हो उपयोग म
ले ।

िम ी जल को फसल के दो प े िनकलते ही उपयोग म ले ना चालु कर दे ।

Sub soil व राख को िमलाकर िम ी जल का े भी फसलो की ोथ पर अ ा भाव


पड़ता है ।

Sub soil के साथ 5 kg गोबर व 5 लीटर गौ मू को िमलाकर िम ी जल का े करने


से भी बगन व म ा म कीड़ों या इ यो नही ं लगती या लगने पर क ोल होता है ।
च ान वाली भूिम - जहा पर भूिम म एक डे ढ़ फ़ीट के बाद ज़मीन म च ान िनकलने
लगती हो तो वहाँ पर िकसी दु सरे जगह से भी िम ी लाकर उपयोग म ली जा सकती है ।
िम ी िकसी भी तरह की हो सभी उपयोगी होती है चाहे वो मुहरम िम ी हो या पीली या
काली िम ी । सभी िम ी यो है , काली िम ी आसपास उपल होतो उसम पोषक त
ादा होने के कारण उस िम ी को ाथिमकता से उपयोग मे िलया जा सकता है ।

Sub soil मे िचकना पन होने का गुण होता है जो िक पौधों के जड़ों म डालने पर अपने
िचकने पन के गुण के कारण उपल पोषक त ों को जड़ों को उपल करवा दे ती है ।
top soil म चुिक हवा लगने से पौधा ठीक से जड़ नही पकड़ पाता और वह हवा लगने से
उपल पोषक त ों को भी नही ं ले पाता तो उस थित म sub soil को जड़ों के पास
डालने से इसके िचकनापन के गुण के कारण यह जड को हवा नही ं लगने दे ती िजससे
उपल सभी पोषक त को यह शोिषत कर पौधों की जड़ों को दे दे ती है ।

Top soil का ादा योग - ग ा , ार बाजरा , गै , धान जै सी अनाज वाली फसलों


म ,िजनम रसचूसक कीड़ों का कोप कम या ना के समान होता है वहाँ पर top soil को
ादा योग करना चािहए यािन top soil दु गना 20 िकलो व sub soil 10 िकलो िमला
कर तै यार िम ी जल का िछड़काव कर ।

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