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कचरे से कंचन-केंचुआ खाद

डॉ गजेन्द्र ससंह तोमर,


प्रोफ़ेसर (सस्य सिज्ञान)

कृसि महासिद्यालय एिं अनुसंधान केंद्र, कांपा, महासमुंद


इतिहास के पन्नो में केंचुआ
• तमस्त्र की रानी क्लियोपेट्रो (51 से 30 ईसा पूर्व ) ने
केंचुओं को पतर्त्र जीर् घोतिि करिे हुए इनकी
सुरक्षा के तिए कानून बनाया

• यूनानी दार्वतनक, प्लेट्ो के तर्ष्य र् तसकंदर के


गुरु अरस्तु और जीर् तर्ज्ञान के जनक (384 ईपू
– 322 ईपू) ने केंचुओं को पृथ्वी की आं ि की
उपमा दी थी

• महान र्ैज्ञातनक एर्ं प्रकृतिर्ादी चार्ल्व


डातर्वन(1809-1882) ने केंचुओं को प्रारं तिक
जुिाई करने र्ािे की उपमा दे िे हुए तसद्ध तकया
तक ये तमट्टी की उर्वरिा एर्ं पौधों की उत्पादकिा
बढ़ाने में सहायक होिे है .
केंचुआ: एक पररचय
•दु तनयां में केंचुओं की 180 से अतधक प्रजातियां है तजनमें से आइतसतनया
फेतट्डा र्मीकम्पोक्लटंग एर्ं र्मीकल्चर के तिए सबसे उपयुक्त है . इसे
सामान्य िािा में कम्पोट र्मव , रे ड र्मव कहिे है .
•केंचुए तितिंगी होिे हैं अथाव ि एक ही र्रीर में नर िथा मादा जननां ग
पाये जािे हैं ।
▪केंचुए कोकून बनािे
हैं । एक केंचुआ 17 से
25 कोकून बनािा है
और एक कोकून से
औसिन 3 केंचुओं का
जन्म होिा है ।
▪एक केंचुए से एक र्िव
में अनुकूि पररक्लथथतियों
में 5000 से 7000 िक
केंचुए प्रजतनि होिे हैं ।
केंचुए िगिग 30 से
केंचुआ एर्ं केंचुआ खाद : रोचक िथ्य
•तर्श्व तर्ख्याि जीर् र्ैज्ञातनक चार्ल्व डातर्वन ने अपने 40 र्िों के
अध्ययन के बाद 1881 में मनुष्य को केंचुआ (फेरे तट्मा पोथथुमा) के
महत्व के बारे में बिाया. उन्ोंने बिाया तक एक एकड़ िूतम में िगिग
50 हजार केचुए तबि बनाकर रह सकिे है .
•आगे के अनुसंधानों से ज्ञाि हुआ तक उपजाऊ िूतम में इनकी संख्या
25 िाख िक हो सकिी है . इिने केंचुए एक र्िव में सौ ट्न नीचे की
तमट्ट्ी को उपजाऊ बनाकर ऊपर िािे है
•केंचुआ तकसान की सहायिाथव ‘प्राकृतिक हिर्ाहे ’ का काम करिे
है और इसतिए सतदयों से इन्ें तकसान का तमत्र जीर् कहा जािा है ।
ये तमट्ट्ी को उिट्-पिट् कर िुरिुरी िथा अपना मि-मूत्र त्याग कर
उपजाऊ बनाने के साथ-साथ तमट्ट्ी को पोिी िी बनािे है तजससे
िूतम में हर्ा का आर्ागमन सुगम हो जािा है . यही कायव तकसान िी
िूतम को जोिकर एर्ं खाद दे कर करिा है .
•केंचुए बरसाि में िूतम के 30-45 सेमी िक के ऊपरी िाग में ही रहिे
है . गमी एर्ं र्दी में ये नमीं की खोज में िूतम के अंदर 3 मीट्र िक
घुस जािे है .
तर्तचत्र तकन्तु सत्य
•ऑटर े तिया के दतक्षण तगप्सिैंड को दु तनया ‘केंचुओं की घाट्ी’ के नाम
से िी जानिी हैं . यहााँ दु तनया के सबसे िंबे और मोट्े केंचुए पाए जािे
हैं . जमीन के नीचे पाए जािे है परन्तु िेज बाररर् में ये बहिे तदखाई
दे िे है . इनकी िंबाई 10-22 फीट् िक पाई गई है . ये केंचुए एक
अजीब िरह की आर्ाज िी तनकाििे हैं . एक साि में एक अंडा-एक
केंचुआ को जन्म दे िे है . दु िवि हो गये है .
•केंचुओं में दे खने िथा सुनने के तिए कोई िी अंग नहीं होिे तकन्तु ये
ध्वतन एर्ं प्रकार् के प्रति संर्ेदनर्ीि होिे हैं और इनका र्ीघ्रिा से
एहसास कर िेिे हैं ।
•र्रीर पर श्लैष्मा की अत्यन्त पििी र् िचीिी परि मौजू द होिी है
जो इनके र्रीर के तिए सुरक्षा कर्च का कायव करिी है । र्रीर के
दोनों तसरे नुकीिे होिे हैं जो िूतम में सुरंग बनाने में सहायक होिे हैं ।
•केंचुओं में र्रीर के दोनों तसरों (आगे िथा पीछे ) की ओर चिने की
क्षमिा होिी है ।
•तमट्टी या कचरे में रहकर तदन में औसिन 20 बार ऊपर से नीचे एर्ं
नीचे से ऊपर आिे हैं ।
•केंचुआ प्रतितदन अपने र्जन का िगिग 5 गुना कचरा खािा है ।
िगिग एक तकिो केंचुए (1000 संख्या) 4 से 5 तकग्रा कचरा प्रतितदन
खा जािे हैं ।
•केंचुए सूखी तमट्टी या सूखे र् िाजे कचरे को खाना पसन्द नहीं करिे
अिः केंचुआ खाद तनमाव ण के दौरान कचरे में नमीं की मात्रा 30 से 40
प्रतिर्ि और कचरे का अद्धव -सड़ा होना अत्यन्त आर्श्यक है ।
•केंचुए के र्रीर में 85 प्रतिर्ि पानी होिा है िथा यह र्रीर के िारा ही श्वसन एर्ं उत्सजवन का
पूरा कायव करिा है ।
•काबवतनक पदाथव खाने र्ािे केंचुओं का रं ग मां सि होिा है जबतक तमट्टी खाने र्ािे केंचुए रं गहीन
होिे हैं ।
•र्रीर की त्वचा सूखने पर केंचुआ घुट्न महसूस करिा है और श्वसन (गै सों का आदान-प्रदान) न
होने से मर जािा है ।
•केंचुओं की कुछ प्रजातियां िोजन के रूप में प्रायः अपघट्नर्ीि व्यथव काबवतनक पदाथों का ही
उपयोग करिी हैं ।

•िोजन के रूप में ग्रहण की गई इन काबवतनक


पदाथों की कुि मात्रा का 5 से 10 प्रतिर्ि िाग
र्रीर की कोतर्काओं िारा अर्र्ोतिि कर तिया
जािा है और र्ेि मि के रूप में तर्सतजवि हो जािा
है तजसे र्मीकाट कहिे हैं ।
•तनयंतत्रि पररक्लथथति में केंचुओं को व्यथव काबवतनक
पदाथव क्लखिाकर पैदा तकए गये र्मीकाट और
केचुओं के मृि अर्र्ेि, अण्डे , कोकून, सूक्ष्मजीर्
आतद के तमश्रण को केंचुआ खाद कहिे हैं । तनयंतत्रि
दर्ा में केंचुओं िारा केंचुआ खाद उत्पादन की तर्तध
को र्मीकम्पोक्लटंग और केंचुआ पािन की तर्तध को
र्मीकल्चर कहिे हैं ।
केंचुआ खाद सनमााण
•केंचुआ खाद िैयार करने के तिए छायादार थथान का
चयन करें , जहां पानी की उतचि व्यर्थथा होना चातहए.
•केचुआ खाद को बनाने के तिए 6X3X3 फीट् बने
ट्ां का, गड्ढे या िकड़ी के बक्से या प्लाक्लटक के बने कैरे ट्
का िी प्रयोग कर सकिे है िेतकन हर्ा के अर्ागमन एर्ं
पानी तनकास का आर्श्यक ध्यान रखना होगा.
•सबसे पहिे 2 से 3 इं च मोट्ी एक परि ईट् या पत्थर के
छोट्े छोट्े ट्ु कड़ों को तबछाएं .इसके बाद पत्थर के ऊपर
बािू की 3 इं च मोट्ी एक परि और तबछाएं .
•अब इसके बाद दोमट्/ रे िीिी तमट्टी की 5 इं च की परि
को तबछािे है .तमट्टी की इस परि को पानी से नम करिे
है , और िगिग 50 से 60 % नमीं बनाये रखें.
•इस नम तमट्टी में प्रति र्गव मीट्र की दर से 1000
केचुओं को तमट्टी में समान रूप से छोड़ दे र्ें.
•इसके बाद तमट्टी के ऊपर ही गोबर के खाद को थोडा
थोडा करके समान रूप से डाि दे िे है . इसके बाद
गोबर के ऊपर घास, सूखे पत्ते डाि दे िे है .
•अब इसको जुट् के बोरा या ट्ाट् से ढाँ क दे िे है और
रोजाना उसमे पानी का तछडकार् करिे रहिे है . यह
तिया िगिग एक महीने िक चििा रहिा है .
•एक महीने के बाद ट्ाट् या बोरा को हट्ा कर इसमे र्ानस्पतिक कचरा
आर्श्यकिानुसार 2 से 3 इं च मोट्े परि के रूप में फैिा दे िे है .
•कचरे को डाििे समय इसमें से प्लाक्लटक, धािु और र्ीर्े के ट्ु कड़ों को
तनकाि दे ना चातहये. इसके बाद पुनः ढक दे ना चातहये िथा तमट्टी को नम
रखने के तिये पानी डाििे रहना चातहए.
•जैतर्क कचरे को हर सप्ताह में डाििे रहना चातहए और पानी का तछडकार्
िी प्रतितदन करना चातहए .
•कूड़े कचरे को सप्ताह में एक बार पिट्िे रहें िथा पानी दे िे रहें , 40-45 र्ें
तदन पानी दे ना बन्द कर दें , दो-िीन तदन बाद केंचुए नीचे र्मीबेड में चिे
जायेंगे. इस प्रकार 45-50 तदन में केंचुआ खाद िैयार हो जाएगी. अब
•आप खाद को तनकाि कर 20-25 % नमीं के साथ प्लाक्लटक के बैग में िर
िें . आर्श्यकिानुसार इस खाद का खेिों में प्रयोग कर सकिे है अथर्ा बेच
कर आमदनी कम सकिे है .
अच्छी गुणर्त्ता का केंचुआ खाद चाय की पत्ती जैसा हल्का कािा, िुरिुरा र्
गंधहीन होिा है . केंचुआ खाद एक उत्तम पोिक ित्वों से युक्त जैतर्क खाद है
तजसमे1.2-1.4 % नाइट्र ोजन, 0.4-0.6 % फॉस्फोरस, िथा 1.5-1.8%
पोट्ार् के अिार्ा कैक्लल्र्यम, सल्फर, मैग्नीतर्यम के साथ साथ सूक्ष्म पोिक
ित्व िी प्रचुर मात्रा में पाए जािे है .
केंचुआ खाद (िमीकम्पोस्ट) के उपयोग की मात्रा और सिसध
फसल का नाम खाद की मात्रा फसल का नाम खाद की मात्रा
5.00 ट्न/ तमचव, अदरक,
गन्ना 3.75 ट्न/ है क्टेयर
है क्टेयर हल्दी आतद
3.75 ट्न/ अंगूर, अनन्नास,
कपास 3.75 से 5.00 ट्न/ है क्टेयर
है क्टेयर केिा आतद
4 से 5 तकिोग्राम प्रति
चार्ि, गेहाँ, ज्वार, 2.50 ट्न/ पौधा (5 र्िव से कम)8 से
नाररयि, आम
बाजरा, मक्का है क्टेयर 10 तकिोग्राम प्रति पौधा (5
बिव से अतधक)
3 से 4 तकिोग्राम प्रति
मूंगफिी, अरहर, 2.50 ट्न/ नींबू , सन्तरा, पौधा (5 बिव से कम)6 से 8,
उदव , मूंग है क्टेयर मुसम्मी, अनार तकिोग्राम प्रति पौधा (5
बिव से अतधक)
सक्लियााँ (आिू,
ट्माट्र, बैंगन,
1.87 ट्न/ गुिाब, चमेिी, गेंदा
गाजर, फूिगोिी, 3.75 ट्न/ है क्टेयर
है क्टेयर फूि आतद
प्याज, िहसुन
आतद)
िमी कल्चर: एक बेहतर उद्यम
❑ र्मी कम्पोट, र्मी र्ार्
❑ र्मी कल्चर-केंचु आ उत्पादन

दु गव,चंदखुरी में श्री तसंधुजा स्वसहायिा समूह की मतहिा


ओं ने तपछिे र्िव रायपुर से एक क्लवंट्ि केंचुए खरी
दकर उनसे प्रथम र्िव में 20 क्लवंट्ि केंचुए पैदा कर
उन्ें गोठानो में ही
बेचकर ढाई िाख रुपए कमाये। इन्ीं केंचुओं की
सहायिा से इस बार िी समूह ने 20 क्लवंट्ि केंचुए
िैयार कर तिये हैं । इनके तर्िय से िी समूह को इ
िनी ही आय प्राप्त होगी। समूह की मतहिाओं ने
गौठान के र्मी बेड में चार्िका पेज, बेसन और
दाि
का पाउडर डािा, इससे िेजी से केंचुए की र्ृक्लद्ध हु
ई और अठारह तदन में ही इनकी संख्या दो गुनी हो
गई।
❑ यतद आप र्मी कम्पोट एर्ं र्मी कल्चर िकनीक
धैया से सुनने
आप सब का आभार

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