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Class Notes on Agro-5212 :Lecture-2 : Written By Dr.G.S.

Tomar,Professor
(Agronomy),CARS,Mahasamund (CG) for B.Sc. Ag.(Hons.) IInd Year

Lecture-2
खरपतवारों का वर्गीकरण
(Classification of weeds)

प्रकृ तत में पौधों की लर्गभर्ग 2 लाख 50 हजार प्रजाततयााँ पाई जाती है तजनमें से 200 प्रजाततयों को
समस्याजनक माना जाता है । सभी प्रकार के खरपतवारों के तलए अलर्ग प्रकार से तनयंत्रण की आवश्यकता होती
है तथा इनके बढ़ने के तरीके और इनसे होने वाली हातनया भी अलर्ग प्रकार की होती है । खरपतवार की कु छ
ककस्मों के तलए एक ही समान खरपतवार-प्रब्रन्ध की आवश्यकता होती है । ऐसा खरपतवारों की ककस्म,

बनावट, वानस्पतिक कु ल, दैतहकी, भूतम तथा जलवायु सम्बंधी आवश्यकता, फसलों के साथ प्रततस्पधाा के
कारण होता है। उपरोक्त आधार पर खरपतवारों को तनम्न प्रकार से वर्गीकृ त ककया जाता है ।
A.उत्पति के आधार पर वर्गीकरण (According to Origin)
1.तवदेशी मूल खरपतवार(Exotic or Alien weeds): इस प्रकार के खरपतवारों की उत्पति दूसरे देशों में हुई
और बाद में वे भारत में फ़ै ल र्गए, जैसे र्गाजरघास (Parthenium hysterophorus), जलकु म्भी (Eichornia
crassipes), सत्यानाशी (Argemone Mexicana), लेंटाना (Lantana camara )आकद ।
2.स्वदेशी खरपतवार (Indegenous or Native weeds): इस वर्गा में वे खरपतवार आते है तजनकी उत्पति
भारत में हुई है, जैसे कांस, बथुआ, सेंजी, धतूरा, कृ ष्णनील आकद
B.जीवन चक्र के आधार पर वर्गीकरण (Classification based on LIfe cycle)
जीवन चक्र के आधार पर खरपतवारों को तीन वर्गाा में तवभक्त ककया जाता है ।
1.एकवर्षीय खरपतवार (Annual weeds): ये खरपतवार अंकुरण से लेकर पकने तक के जीवन चक्र को एक
वर्षा या एक ऋतु में पूणा कर लेते है। इनका प्रजनन अतधकतर बीज से होता है और ये प्रतत पौधा बहुत अतधक
संख्या मेंबीज पैदा करते है. अतः फू ल तनकलने और बीज बनने से पूवा इनका तनयंत्रण आवश्यक है.वार्र्षाक
खरपतवार के पौधो को उर्गने के समय के अनुसार 4 वर्गो में तवभक्त करते है।
(a) वर्षाा ऋतु (Rainy or kharif season) के खरपतवार: ये खरपतवार वर्षाा ऋतु के शुरू होने (जून-जुलाई)
पर उर्गते है.एक वर्षा या इससे भी कम समय में अपना जीवन चक्र पूणा कर लेते हैं. अतधकतर ये अपनी उत्पति
बीजों द्वारा करते है. सांवा (Echinochloa colona),चौलाई (Amaranthus spp.), लहसुआ (Digera
arvensis), मकोई(Solanum nigrum),हुरहुर (Celome viscosa), लटजीरा (Achyranthus aspera), कोदों
(Eleusine indica),दूब घास (Cynodon dactylon),कनकौआ (Commelina benghalensis) आकद इसके
उदाहरण है ।
(b) शरद ऋतु (Winter or rabi season) के खरपतवार: इन खरपतवारों का अंकुरण वर्षाा समाप्त होने व
शरद ऋतु के प्रारम्भ में होता है. इनके पौधे रबी फसलों के साथ-साथ अपना जीवन चक्र पूरा कर लेते । इसमें
कृ ष्णनील (Anagalis arvensis), बथुआ (Chenopodium album), सत्यानाशी (Argemone mexicana),पीली

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सेंजी (Melilotus indica),सफे द सेंजी (Melilotus alba), र्गेंहू का मामा (Phalaris minor), जंर्गली जई (Avena
fatua) आकद ।
(c) ग्रीष्म ऋतु के खरपतवार (Summer season) :इस वर्गा में ऐसे खरपतवार आते है जो र्गमा और शुष्क
मौसम में फरवरी से जूनतक अपना जीवन-चक्र पूणा कर लेते है । इसमें नुतनयॉं (Portulaca quadrifida),
सबुनी/तवर्षखपरा (Trianthema monogyna),सत्यानाशी, वायसुरी आकद प्रजाततयॉ आती है।
(d) बहु मौसमी खरपतावर (Multi season weed): इस वर्गा में वे खरपतवार आते है । जो वर्षा भर में ककसी
समय उर्गकर अपना जीवन चक्र पूणा कर सकते है । इनमें ककसी खास मौसम के तलए अनुकूलन नहीं होता है। ये
पौधे वर्षा में एक से अतधक बार अपना जीवन चक्र पूणा कर सकते है । सांवा घास (Echinochloa colonum),
हजारादाना (Phyllanthus niruri), Eleusine indica, Eclipta alba आकद इस वर्गा में आते है ।
(e)क्षतणक (Ephimerals) खरपतवार: ऐसे खरपतवार जो अपना जीवन वृि 2 या 4 सप्ताह के अन्दर पूरा कर
लेते है, क्षतणक खरपतवार कहलाते है, जैसे हजारदाना (Phyllanthus niruri).
2.तद्ववर्षीय खरपतवार (Binneal weeds) : इस वर्गा के खरपतवार दो वर्षो में अपना जीवन चक्र पूणा करते है
। इन खरपतवारों प्रथम वर्षा में वानस्पततक वृति होती है तथा दूसरे वर्षा में फू ल फल आते है । इसमें जंर्गली र्गाजर
(Daucus carota), र्गोखुरू (Tribulus terrestris), कासनी (Cichorium intybus) आकद आते है ।
3.बहुवर्षीय खरपतवार (Perrenial weeds): इस वर्गा के खरपतवार एक बार उर्गने के बाद कई वर्षो तक
फलते-फू लते रहते है । ये मुख्यतः दो वर्षा के बाद फू ल एवं बीज उत्पादन करते है.इनका प्रसारण वानस्पततक भार्गों
जैसे राइजोम, ट्यूबर, नट बल्ब आकद से होता है । इस वर्गा के कु छ पौधे बीजों द्वारा भी बढ़ते है । इस वर्गा के
खरपतवरों को पुनः तनम्न वर्गो में तवभक्त करते है।
(अ) काष्ठीय खरपतवार (Woody weeds): इसमें कठोर तने वाली झतियॉ। तथा बहुवार्र्षाक पौधे आते है । ये
पौधे पहले कई वर्षो तक बीज उत्पादन न करके के वल वानस्पततक वृति करते है । फलना फू लना प्रारम्भ करने
पर प्रततवर्षा ये बीज पैदा करते है । जैसे झरवेरी, लटजीरा, आक, कांस आकद इस वर्गा में आते है ।
(ब) शाकीय खरपतवार (Harbaceous weeds): ये खरपतवार प्रथम वर्षा वानस्पततक वृति करते है तथा
तद्वतीय वर्षा से बीज उत्पादन शुरू करके प्रततवर्षा बीज उत्पन्न करते है । इनके नये बीज प्रततवर्षा पुनः उर्ग आते है
।इनके तने व शाखाएं मुलायम होती है. इस वर्गा के पौधे शाकीय ककस्म के होते है जैसे मोथा,लह्सुआ,
तहरनखुरी,बिी दुधी आकद ।
C. खरपतवारों की पतियों के आकार के अनुसार (Classification based on leaf size)
यह सबसे अतधक प्रचतलत वर्गीकरण है तजसमें खरपतवारों को पौधों की तवशेर्षताओं व जीवन चक्र के
आधार पर वर्गीकृ त ककया र्गया है क्योंकक उनकी आकाररकी तवशेर्षताएं जैसे पतियां,शाखायें और भूतमर्गत भार्ग
अलर्ग होते है. अतः इनके तनयंत्रण की तवतधयााँ भी अलर्ग-अलर्ग होती है.
(i)साँकरी पिी वाले खरपतवार (Narrow leaved weeds): इस वर्गा में घास कु ल (ग्रेतमनी) के पौधे आते है.
जीवन चक्र के आधार पर इनको भी दो उप-वर्गों में तवभक्त ककया र्गया है:
(a) एक वर्षीय खरपतवार जैसे मकिा (Dactylocteum acgypticum) आकद
(b)बहुवर्षीय खरपतवार जैसे दूब (Cynodon dactylon), कांस (Saccharum spontaneum) आकद.
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(ii)चौिी पिी वाले खरपतवार (Broad leaved weeds): तजन खरपतवारों की पतियााँ चौिी होती है, वे इसी
वर्गा में आते है. जीवन चक्र के आधार पर इसके पुनः दो उप वर्गा बनाये र्गए है:
(a)एक वर्षीय खरपतवार जैसे बथुआ (Chenopodium album), जंर्गली चौलाई (Amaranthus virdis), भंर्गिा
(Eclipta alba), जंर्गली जुट (Corchorus fascicularis), अकरी (Vicia sativa) आकद.
(b)बहुवर्षीय खरपतवार जैसे तहरनखुरी (Convolvulus arvensis), वायसुरी (Pluchea lancelata) आकद.
(ii)सेतजस (Sedges): इस श्रेणी के एक वर्षीय एवं बहुवर्षीय खरपतवार अपनी वृति नट, बल्ब,ट्यूबर व
राइजोम से करते है. साईपरे सी कु ल के खरपतवारों को सेज (sedges) कहते है जैसे मोथा (Cyperus
rotundus) आकद.
D.वानस्पततक वर्गीकरण (Botanical classification)
खरपतवारों का वानस्पततक वर्गीकरण उनके कु ल (family) के आधार पर ककया जाता है । इस प्रकार
तवतभन्न कु लों के पौधों को अलर्ग अलर्ग रखते है । ग्रेतमनी कु ल में सबसे अतधक अनाज प्रदान करने वाले एवं र्गन्ना
फसल आती है. वहीं इसी कु ल में खरपतवारों की सवाातधक (44 %) प्रजाततयााँ पाई जाती है.
क्र.सं. कु ल (Family) Examples

1. Gramineae जंर्गली जई (Avena fatua), किक घास (Agropyon repens), दूबघास

(Cynodon dactylon), मकरा (Dactyloctenium aegypticum), क्रेब

घास (Digitaria sanguinalis), सांवा घास (Echinochloa crusgalli),

मूंज (Saccharum munja), कांस (Saccharum spontaneum), बरूा

घास (Sorghum halpense), बंदरा-बंदरी (Setaria glauca), र्गेंहू का


मामा/र्गेंहुसा (Phalaris minor) आकद.
2. Fabaceae जंर्गली लुसना (Medicago denticulate), सफ़े द सेंजी (Melilotus alba),
पीली सेंजी (Melilotus indica), जंर्गली मूंर्ग (Phaseolus trilobus),

मुनमुना/चटरी (Vicia hirsute), अकरा (Vicia sativa), जवासा (Alhagi

camelorum) आकद.

3. Amaranthaceae जंर्गली चौलाई (Amaranthus virdis), कटीली चौलाई (Amaranthus

spinosus), लह्सुआ (Digera arvensis), तसलतमली/सफ़े द मुर्गा


(Celosia argentia) आकद.
4. Compositeae भंर्गरा (Eclipta alba), हुलहुल (Gynandropsis pentaphylla),

लटजीरा/तचरतचटा (Achyranthus aspera),मह्कु आ (Ageratus

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conyzoides), कु करें दा (Blumea lacera), बायसुरी (Pluchea

lanceolata), कांग्रेस घास/र्गाजर घास (Parthenium hysterophorus),

घमरा (Tridex procumbens),कांसनी (Cinchorium intybus)

5. Convolvulaceae तहरनखुरी (Convolvulus arvensis), अमरबेल (Cuscuta reflexa)

6. Chenopodiaceae बथुआ (Chenopodium album), खरतुआ (Chenopodium murale) आकद.

7. Cyperaceae मौथा (Cyperus rotundus), पीला मौथा (Cyperus iria)

8. Euphorbiaceae बिी दुधी (Euphorbia hirta), छोटी दुधी (Euphorbia


thymifolia),हजारदाना (Phyllanthus niruri)
9. Liliaceae प्याजी (Asphodelus tenuifoilus) आकद.

10. Solanaceae मकोय (Solanum nigrum), भटकटैया (Solanum xanthocarpum),


धतूरा (Datura stramonium) आकद.
11. Tiliaceae जंर्गली जूट (Corchorus acutangulus) आकद.

12. Portulaceae छोटी लुतनया (Portulaca quadrifida), जंर्गली कु लफा (Portulaca


oleraceae)
13. Primulaceae कृ ष्णनील (Anagalis arvensis)
14. Papaveraceae सत्यानाशी (Argemone Mexicana)

15. Malvaceae कं घी (Abutilon indicum)


16. Asteraceae ककटकटैया (Xanthium strumarium), कटेली (Circium arvense)
D. बीजपत्र के आधार पर (According to Cotyledones)
यह वर्गीकरण रसायनों द्वारा खरपतवार तनयंत्रण के तलए तवशेर्ष उपयोर्गी है. इसमें खरपतवारों को
दालों की संख्या के आधार पर दो वर्गों में बांटा र्गया है.
1. एकबीजपतत्रय (Monocotyledons) खरपतवार: इन खरपतवारों के बीमें बंट जाता है. इनकी पतियां
खिी और संकरी होती है.इसमें इकनोक्लोवा कोलोनम, पैतनकम ररपेन्स, इल्यूतसन इंतिका, दूबघास,मोथा,कांस
आकद आते है ।
2. तद्ववीजपतत्रय (Dicotyledons) खरपतवार: इस वर्गा के बीजों को तोिने पर बीज दो दालों इनके बीज में दो
दल होते है तथा इनकी पतियां चौिी तथा क्षैततज होती है. इसमें एतक्लप्टा अल्वा, तसलोतसया अजेंरटया,
क्लीओम तवस्कोसा, पोटुालाका ओलेरेतसया,तहरनखुरी,बथुआ,कृ ष्णनील आकद आते है ।
एकबीजपत्री और तद्वबीजपत्री खरपतवारों में अंतर
एकबीजपत्री तद्वबीजपत्री
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(Monocotyledonae) (Dicotyledonae)
इनके बीजो में एक ही बीजपत्र उपलब्ध होता हैं। इनके बीजो में दो बीज पत्र उपलब्ध होते है।
इनके तने शाखाहीन संवहनी बंिलों की जरटल इनके तने प्रायः शाखायुक्त या संवहनी बंिलों की
व्यवस्था के रूप में होते है। छल्लो में व्यवतस्थत होते है।
तद्वबीजपत्री के बीजो में कु छ बीजो को छोि कर
एकबीजपत्री के बीज भ्रूणपोर्षी होते है।
अभ्रूणपोर्षी होते है।
इनके पुष्पो के भार्ग तीन या चार के र्गुणक के रूप में तद्वबीजपत्री पुष्पों के भार्ग चार या पांच के र्गुणक के
बटे होते है। रूप में बटे होते है।
एकबीजपत्री के पतियों का तशरातवन्यास समांतर तद्वबीजपत्री पतियों का तशरातवन्यास जतलकावत
होता हैं। होता हैं।
इनमे पणातवन्यास एकांतर , सम्मुख तथा चक्रीय होता
इनमे पूणातवन्यास एकान्तर ही होता हैं।
हैं।
इनमे जि तंत्र प्रायः अपस्थातनक रे शेदार या झकिा
इनमे जि तंत्र प्रायः मूसला (Tape root) होता हैं।
होता हैं।
उदाहरण-सांवा, जंर्गली जई, र्गुल्ली िंिा, उदाहरण- भंर्गरा,चकोिा, तसलतमली (मुर्गाकेश),
दूबघास,मोथा,कांस आकद कासनी, , तहरनखुरी,बथुआ,कृ ष्णनील आकद

E.तने के वृति र्गुणों के आधार पर (According to stem growth habit)


1.सीधे बढ़ने वाले (Erect weeds): जैसे कृ ष्णनील,बथुआ,जंर्गली चौलाई आकद
2.फै लने वाले (Prostrate weeds): जैसे पत्थरचट्टा, र्गोखरू आकद
3.रें र्गने वाले (Creeping weeds): जैसे नूतनया, बरूा, दूबघास आकद
4.ट्रेललंर्ग (Trailing weeds): जैसे चटरी-मटरी,तहरनखुरी आकद
5.आरोही (Climbing weeds): जैसे कं दूरी
6.ट्वलनंर्ग (Twinging): जैसे अमरबेल
F.प्रजनन तवतधयों के आधार पर (According to method of propagation)
1.बीज से पैदा होने वाले खरपतवार: इसमें बीजों से पैदा होने वाले अतधकतर एक वर्षीय और दो वर्षीय

खरपतवार आते है । इसमें बथुआ, सत्यानाशी, बनप्याजी,सेंजी, र्गुल्ली िंिा आकद सतम्मतलत है।

2.वानतस्पततक अंर्गों से पैदा होने वाले: इस समुदाय के खरपतवार मुख्यतया, कं द, प्रकन्द, राइजोम, जि तने
आकद वानतस्पततक अंर्गों से उत्पन्न होते है । इस प्रकार के खरपतवारों में मौसम तथा जल वायु संबंधी प्रततकु ल
पररतस्थयों को सहन करने की अतधक क्षमता पाई जाती है तथा इन्हें नष्ट करना करठन होता है । इन्हें
तनम्नतलतखत उपवर्गो में तवभक्त ककया जा जाता है ।
(a)तने से पैदा होने वाले: इस समुदाय के पौधों के तनों में कातलकाए होती है तजनसे नए पौधों का जन्म होता है
। इममें दूबघास, लुतनया, स्वेक घास आकद सतम्मतलत है ।

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(b)जिों से पैदा होने वाले: इस वर्गा के पौधों की वृति बीज द्वारा कम होती है । अतधकतर ये जिों से नए पौधों
को तवकतसत करते रहते है । इसमें तहरनखुरी, कु श आकद सतम्मतलत है ।
(c)पतियों से पैदा होने वाले: इस प्रकार के खरपतवारों की पतियों के ककनारों पर कातलकाएं (buds) होती है
जो अनुकूल पररतस्थतत पाने पर उर्गकर नए पौधे को जन्म देती है. पत्थर चट्टा इसका प्रमुख उदाहरण है ।
(d)बीज व वानस्पततक भार्गों से पैदा होने वाले: इस प्रकार के खरपतवार बहुवार्र्षाक होते है, तजनकी वृति

बीजो और वानस्पततक भार्गों द्वारा समन्न रूप से होती है। इसमें मोथा, कांस, सरपत, तथा, अन्य बहुवार्र्षाक
G.खरपतवार-फसल सम्बंध के आधार पर (According to Weed-crop relation)
तवतभन्न फसलों के बीज में उर्गने वाले तवतभन्न् प्रकार के खरपतवारों को उनकी उपतस्थतत के आधार पर
वर्गीकृ त करते है. इसमें प्रमुख खरपतवारों के अततररक्त फसलों के वे पौधे भी सतम्मतलत ककए जाते है जो
अनचाहे दूसरी फसलों में उर्ग आते है ।
1.अतवकल्पी खरपतवार (Obligate weeds): जो खरपतवार फसलों के पौधों के साथ प्रततयोतर्गता नहीं कर
पाते है, उन्हें अतवकल्पी खरपतवार कहते है. इस प्रकार के खरपतवार जंर्गली अवस्था में नहीं पाये जाते है, जैसे
तहरनखुरी.
2.फे कल्टेरटव खरपतवार (Facultative weeds): तजन खरपतवारों की उत्पति जंर्गली रूप में हुई तथा इसके
पश्चात धीरे -धीरे कृ तर्ष भूतमयों पर उर्गने लर्गे,उन्हें फे कल्टेरटव खरपतवार कहते है जैसे ओपंतसया प्रजातत.
3.तनरपेक्ष खरपतवार (Absolute weeds): इस प्रकार के खरपतवार फसलोत्पादन की प्रमुख समस्या हैं । ये
फसलों के साथ अतधक प्रततस्पधाा करते है तथा उपज काफी कम कर देते है । तनरपेक्ष खरपतवार वार्र्षाक तथा
तद्ववार्र्षाक होते है ।
4.सापेक्ष खरपतवार (Relative weeds): इस वर्गा में फसलों के वे पौधे, तजन्हें ककसान खेत में नहीं बोता तथा

वे स्वयं उर्ग आते है, उन्हे सापेक्ष खरपतवार कहते है । इन पौधो के कारण फसल उत्पाद का र्गुण घट जाता है ।
शुि बीजों की बुआई के द्वारा इस समस्या का तनदान ककया जा सकता है । उदाहरण स्वरूप र्गेहु के खेत में जौ
चना या सरसों आकद का उर्ग आना । इस वर्गा से कु छ ऐसे खरपतवार भी सतम्मतलत ककये जाते है तजनकों ककसी
फसल तवशेर्ष के साथ ही उर्गता पाया जाता है जैसे बरसीम में कासनी आकद । अशुि बीज बोने से ही इस
प्रकार की समस्या पैदा होती है.
5.अवांतधत खरपतवार (Rogue weeds) : ककसी फसल की अन्य जातत का पौधा तबना बोये खेत में उर्गता है
तो उसे अवांतछत खरपतवार (rogue) कहते है । अवांतछत खरपतवार के कारण फसल की र्गुणविा खराब हो
जाती है । इस प्रकार इसकी रोकथाम हेतु शुि बीजों की बुआई करनी पिती है । उदाहरण के तलए र्गेहू की
प्रताप ककस्म में आर. आर.-21 का पौधा तनकल आए तो इसे अवांतछत खरपतवार कहेंर्गे । ये पौधे हांतन नहीं
पहुंचाते बतल्क आर्थाक दृतष्ट से उपयोर्गी होते है, परन्तु ये पौधे फसल की आनुवांतशकता को खराब कर देते है.

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ककसी प्रजातत या ककस्म तवशेर्ष की शुिता को बनाये रखने के तलए इस प्रकार के अनइतछछत पौधों को खेत से
उखािना (roguing) आवश्यक होता है.
6.अनुकरणीय खरपतवार (Mimicry weeds): वह खरपतवार तजनके पौधों का आकार प्रकार तथा स्वभाव
आकद फसलों के अनुरूप होता है और फसल के साथ-साथ बढ़ते रहते है.इन्हें अनुकरणीय तथा नकलची
खरपतवार कहते है जैसे र्गेंहू के खेत में जंर्गली जई व र्गेंहू का मामा तथा धान के खेत में सांवा आकद पौधों की
बाह्य आकाररकी लर्गभर्ग एक समान होती है.
7.अतनष्टकारी खरपतवार (Noxious weeds): जो खरपतवार अतनतछछत, कष्टकारी (troublesome) होते है
तजनके तनयंत्रण में काफी करठनाई होती है, वे अतनष्टकारी खरपतवार कहलाते है. इस प्रकार के खरपतवारों की
प्रजनन क्षमता असीम होती है तजससे वे तनयंत्रण प्रकक्रया को तवफल कर देते है, जैसे कासनी, अमरबेल,
दूबघास,मोंथा,कांस आकद.
8.आशंकनीय खरपतवार (Objectionable weeds): आशंकनीय खरपतवार एक प्रकार के अतनष्टकारी
खरपतवार है तजनके बीज एक बार फसलों के बीजों के साथ तमल जायें तो उनको अलर्ग करना मुतश्कल होता है.
9.स्वयंसव
े ी खरपतवार (Volunteer weeds): खेत में पूवा फसल के बीजों से उर्गने वाले पौधे स्वयं सेवी
खरपतवार कहलाते है, जैसे र्गेंहू के खेत में खरीफ मूंर्ग के पौधे.
H.सहचया पर आधाररत वर्गीकरण (Classification based on association)
जब दो पौधे एक साथ रहते है तो उसे सहचया (association)इस आधार पर खरपतवारों को तीन भार्गों में
बांटा र्गया है:
1.ऋतु परवश (Season bound) खरपतवार: इस वर्गा के खरपतवार उसी ऋतु या मौसम में उर्गते है जब
उनकी वृति के तलए अनुकूल दशाएाँ उपतस्थत रहती है चाहे खेत में फसल कोई भी हो. ये ग्रीष्म बहुवर्षीय जैसे
Sorghum halepens या शरद बहु वर्षीय जैसे Circium arvense होते है. शरद एक वर्षीय खरपतवारों में
Phalaris minor और Avena fatua आते है .
2.फसल परवश (crop bound) खरपतवार: इस वर्गा के खरपतवार पूणा या आंतशक रूप से पररजीवी
(parasite) की तरह खाध्य पदाथों के तलए परपोर्षी (host) पौधे पर आतश्रत रहते है. इन्हें परपोर्षी खरपतवार
(parasitic weeds) भी कहते है. जिों पर आक्रमण करने वाले पररजीवी को जि परजीवी (root parasite)
तथा तनों पर आक्रमण करने वाले पररजीवी को तना पररजीवी (stem parasite) कहते है.
(i) जि पररजीवी : (a) पूणातः जि पररजीवी जैसे तम्बाकू का ओरोबैंकी (broom rape)
(b) अंशतः जि पररजीवी जैसे ज्वार,बाजरा में स्ट्राइर्गा (witch weed)
(ii)तना पररजीवी (a) पुणातः तना पररजीवी जैसे लुसना और बरसीम में अमरबेल (cuscuta)
(b)अंशतः तना पररजीवी जैसे फलदार फसलों में लोरनथस (Loranthus)
3.फसल साह्चयीय (Crop Associated) खरपतवार: इस वर्गा के खरपतवार तवतभन्न कारणों से तवशेर्ष फसल
से साहचया स्थातपत करते है. ये खरपतवार तनम्न में से ककसी भी कारण फसल से साहचया स्थातपत करते है:

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(i) तवशेर्ष सूक्ष्म-जलवायु (Microclimate) के तलए: कासनी (Cichorium intybus) को बढ़वार के तलए
छाया, ठं िी एवं नम जलवायु की आवश्यकता पिती है जो कक ररजका एवं बरसीम फसलों से आसानी से
उपलब्ध हो जाती है.
(ii)अनुकारी या नकलची (Mimicry) खरपतवार: खरपतवार जैसे धान के खेत में जंर्गली धान(Echinochloa
colonum) और र्गेंहू में र्गुल्ली िंिा (Phalaris minor) एवं जंर्गली जई (Avena fatua), अपने परपोर्षी
(host) फसलों के पौधों के साथ बाह्य आकाररकी (morphology) में तमलते है और फसल के साथ-साथ बढ़ते
रहते है तथा फसल के साथ ही बीज तैयार होते है.इन्हें अनुकारी या नकलची खरपतवार कहते है.
(iii)फसल के बीजों का खरपतवारों के बीजों का संदर्ष
ू ण (Contamination): प्याजी, जंर्गली लहसुन और
र्गुल्ली िंिा के बीज फसलों के पकने के समय ही पकते है तथा समान ऊाँचाई के होते है जोकक फसलों के बीजों
को आसानी से संदतू र्षत (contaminate) कर देते है.
सारणी : तवश्व के सबसे अतधक समस्याजनक खरपतवार
खरपतवार प्रचतलत नाम वानस्पततक नाम प्रकार एक वर्षीय/बहुवर्षीय
स्तर
1 मोथा साइपरस रोटंिस सेज बहुवर्षीय
2 बरमूिा घास साइनोिॉन िेक्टीलान घास बहुवर्षीय
3 वानायािा घास इकनोक्लोआ कोलोनम घास एकवर्षीय
4 जंर्गली धान इकनोक्लोआ कक्रसर्गाली घास एकवर्षीय
5 र्गूज घास इल्यूतसन इंतिका घास एकवर्षीय
6 बरूा घास सोरघम हेतलपेंस घास बहुवर्षीय
7 कोर्गोन घास इम्पेरेटा तसललंतिका घास बहुवर्षीय
8 जलकु म्भी इकोर्नाया क्रातसप्स चौिी पिी बहुवर्षीय
9 कु लफा पोटुालाका ओलेरेतसया चौिी पिी एकवर्षीय
10 बथुआ तचनोपोतियम एल्बम चौिी पिी एकवर्षीय
11 लाजा क्रैब ग्रास तिजीटेररया साउर्गुईनेतलस घास एकवर्षीय
12 फील्ि बाइंि वीि कन्वाल्वुलस आवेंतसस चौिी पिी बहुवर्षीय

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खरीफ एवं रबी के खरपतवारों की पहचान (Identification of kharif and rabi weeds)
1.खरीफ :एक बीज पतत्रय खरपतवार (Monocot weeds)

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2.खरीफ के तद्वदलीय खरपतवार (Dicot weeds)

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3.रबी खरपतवार : एक बीज पतत्रय (Monocot weeds of rabi crops)

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4.रबी के तद्वबीज पतत्रय खरपतवार (Dicot weeds of Rabi season)

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