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िभन्डी क� खेती

 खरीफ एवं जायद दोन� मौसम म� सफलता


पूवर्क उगाया जा सकता है

 उत्पादन हेतु लम्बे, गमर् एवं आ�र् मौसम क�


आवश्यकता

 35 िड�ी सेिल्सयस होने पर अंकुरण तेजी

से होता है
�जाितयाँ
 परभनी �ांित  अकार् अनािमका

 वषार् उपहार  िहसार उ�त

 पूसा ए.- 4  पंजाब पदमनी

 अकार् अभय  अकार् अनािमका

 आजाद िभन्डी-1  आजाद कृ ष्णा

 आजाद िभन्डी- 4
खेत क� तैयारी
 अच्छे जल िनकास वाली दोमट भूिम अच्छी

 खेत क� पहली जुताई िम�ी पलटने वाले


हल से करके 2-3 जुताई देशी हल या
कल्टीवेटर से

 पाटा लगाकर खेत को समतल तथा भुरभुरा


बना लेना चािहए
बीज क� मा�ा एवं बुवाई
 बुवाई मौसम के अनुसार अलग-अलग समय
पर क� जाती है

 खरीफ म� बुवाई जून के दूसरे स�ाह से


जुलाई के मध्य तक

 जायद म� 15 फरवरी से 15 माचर् तक


 खरीफ म� 10-12 �कलो�ाम बीज �ित
हेक्टेयर तथा जायद म� 18-20 �कलो�ाम
बीज �ित हेक्टेयर

 बीज का जमाव 70% से कम हो तो बीज क�


मा�ा बढ़ा देनी चािहए
 बुवाई से पहले बीज शोधन अवश्य करना
चािहए

 बीज को 2 �ाम थीरम या 2 �ाम


काब�न्डािजम से �ित �कलो�ाम बीज क� दर
से शोिधत करके बुवाई करनी चािहए
 बुवाई हल के पीछे कूं डो म� करनी चािहए

 खरीफ क� बुवाई म� लाइन से लाइन क� दूरी


45-60 स�टीमीटर तथा पौधे से पौधे क� दूरी 30

स�टीमीटर

 जायद म� लाइन से लाइन क� दूरी 30 स�टीमीटर


तथा पौधे से पौधे क� दूरी 30 स�टीमीटर
खाद एवं उवर्रक
 आिखरी जुताई म� लगभग 200-250 कुं तल
सड़ी गोबर क� खाद या कम्पोस्ट खाद �ित
हेक्टेयर

 िम�ी क� जाँच के अनुसार ही उवर्रको का


�योग करना चािहए
 80 �कलो�ाम न�जन

 40 �कलो�ाम फास्फोरस

 40 �कलो�ाम पोटाश �ित हेक्टेयर

 नाइ�ोजन क� आधी और पोटाश तथा फास्फोरस


क� पूरी मा�ा बुवाई से पहले

 नाइ�ोजन क� शेष आधी मा�ा को बुवाई के 35-


40 �दन बाद टाप�े�सग के �प म�
िसचाई
 अंकुरण के समय नमी कम हो तो बुवाई के
तुरंत बाद हल्क� िसचाई कर देनी चािहए
ता�क बीजो का जमाव अच्छा हो सके

 �ीष्मकालीन फसल म� स�ाह म� एक बार


िसचाई अवश्य करनी चािहए
 देर से िसचाई करने पर फिलयां जल्दी कड़ी
हो जाती है

 वषार् के मौसम म� य�द लम्बे समय तक वषार्


ना हो तो आवश्यकतानुसार िसचाई करनी
चािहए

 जल िनकास का उिचत �बंध


खरपतवार िनयं�ण
 पौध� क� �ारं िभक अवस्था म� 2-3 िनराई-
गुड़ाई करनी चािहए

 वषार् ऋतु म� पौध� पर िम�ी चढ़ा देनी


चािहए, िजससे पौधे हवा से िगरते नह� है
 अंितम जुताई के बाद िभन्डी क� बुवाई से पहले
बेसािलन 1.0 �कलो�ाम को 1000 लीटर पानी म�
घोलकर �ित हेक्टर क� दर से िमला देना चािहए

 खड़ी फसल म� एलाक्लोर क� 2.5 �कलो�ाम या


प�डीमेथलीन 1.5 �कलो�ाम स��य अवयव �ित
हेक्टेयर �योग करना चािहए
रोग िनयं�ण
 पीला िशरा मोजैक

 पाउडरी िमल्�ू

 पि�य� का धब्बा रोग

 मूल-�ंिथ

 िभन्डी का उकठा
पीला िशरा मोजैक

 सवार्िधक हािन प�ँचाने वाली बीमारी है

 प�ी क� संपण
ू र् नस� पीली हो जाती ह�

 ज्यादा सं�मण पर नइर् पि�याँ पीली होकर


छोटी रह जाती है

 पौधा भी कम ही बढ़ पाता है
 सं�मण होने से फू ल एवं फल� क� संख्या म�
कमी होती है

 �भािवत पौध� म� फू ल व फल कम लगते है,


य�द लगते भी ह� तो छोटे एवं कड़े होते है

 बीमारी का िवषाणु सफे द मक्खी से फै लता है


िनयं�ण

 रोग रोधी �जाितय� क� बुवाई करनी चािहए

 रोगी पौध� को उखाड़ कर न� कर दे

 इिमडाक्लोि�ड या मेटािसस्टाक्स या
डायमेथोएट म� �कसी एक क�टनाशक का
िछड़काव
पाउडरी िमल्�ू
 रोग फफूं दी के कारण फै लता है

 पि�य� तथा तने पर छोटे छोटे सफ़े द धब्बे �कट


होते है, जो बाद म� बढ़ जाते है

 पि�य� तथा तने पर सफ़े द पाउडर जैसा पदाथर्


जम जाता है
 रोग उ� होने पर पि�यां पीली होकर िगर जाती है
िनयं�ण
 कै राथेन 0.06% का घोल बनाकर पौध� पर
िछड़काव 15 �दन के अंतराल पर करना चािहए

 सल्फै क्स 3 �कलो�ाम मा�ा 1000 लीटर पानी


म� घोलकर �ित हेक्टेर क� दर से िछड़काव
पि�य� का धब्बा रोग

 रोग फफूं दी के कारण फै लता है

 रोग से �िसत पौध� क� पि�यां कु छ ही


�दन� बाद िसकु ड़कर िगरने लगती है

 रोगी पौध� पर फू ल व फल कम लगते है


िनयं�ण
 रोग क� �ारं िभक अवस्था म� फाइटोलान का
0.2% घोल का िछड़काव करना चािहए
मूल-�ंिथ

 पौध� क� वृि� कम हो जाती है, तथा जड़ो


म� गाठ� पड जाती है
िनयं�ण
 नीम क� खली 25 कुं तल �ित हैक्टर क� दर से
िमलाना लाभ�द होता है
उकठा रोग

 फ्यूज�े रयम नामक फफूं दी के कारण होता है

 रोग खरीफ क� फसल पर अिधक �दखाई


देता है

 इस रोग से पौधे जड़ से ही सूख जाते है


िनयं�ण
 रोग रोधी �जाितय� क� बुवाई करनी चािहए
क�ट िनयं�ण
 जैिसड
 िच�ीदार सूंडी
 मा� क�ट
जैिसड

 �ौढ़ एवं िशशु दोन� ही हािन प�ँचाते ह�

 क�ट पि�य� क� िनचली सतह से रस चूसते है

 �भािवत प�ी पीले रं ग क� हो जाती है जो


बाद म� लाल रं ग क� होकर झड़ जाती है

 पौध� क� बढ़वार �क जाती है


िनयं�ण
 फसल क� शु� क� अवस्था म� मेटािसस्टाक्स 25
ई.सी. या साइपरमेि�न का 1.5 िमलीलीटर
�ित लीटर पानी मे घोल बनाकर िछड़काव
करना चािहए
िच�ीदार सूंडी

 क�ट क� सूंडी का रं ग सफ़े द होता है िजसके


ऊपर काले और भूरे धब्बे पाये जाते है

 सूंिडयां तने एवं फलो मे छेद करके क्षित


प�चती है, िजससे तने एवं फल मुरझा कर
िगर जाते है
िनयं�ण
 क्लोरपायरीफास 0.05% का 15 �दन के
अंतराल पर या सेिवन 0.2 % घोल का 10 �दन
के अंतराल पर िछड़काव करना चािहए
मा� क�ट
 िशशु एवं �ौढ़ दोन� पि�य� से रस चूसते ह�

िनयं�ण
 फसल क� शु� क� अवस्था म� मेटािसस्टाक्स
25 ई.सी. या साइपरमेि�न 1.5 िमलीलीटर

�ित लीटर पानी मे घोल बनाकर िछड़काव


तुडाई एवं उपज
 फिलयां जब कोमल हो तभी तोड़ लेनी
चािहए

 पहली तुड़ाई फू ल िखलने के 6-7 �दन बाद

 इसके बाद फिलय� क� तुड़ाई पहली तुड़ाई


के 3-4 �दन के अंतर पर क� जाती है
 उपज मौसम, स्थान, �कस्म और फिलय�
क� तुड़ाई के ऊपर िनभर्र करती है

 �ीष्मकालीन फसल से लगभग 50-60


कुं तल तथा वषार्कालीन फसल से 80-100
��टल �ित हेक्टेयर उपज �ा� होती है

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