You are on page 1of 4

सीताफल और काशीफल जैसे लोकप्रिय नाम से िचप्रलत कद् दू या

कुम्हडा (Kaddu, kumharaa or pumpkin) एक ऐसी सब्जी है , प्रजसे उत्पादन के


बाद कोल्ड स्टोरे ज में रखने की इतनी आवश्यकता नहीीं होती है और लींबे समय
तक आसानी से बेचा जा सकता है ।

सभी पोषक तत्ोीं की पूप्रति करने वाली यह फसल कई िकार की प्रमठाइयाीं बनाने
के काम में तो आती ही है , साथ ही इसे खाने से उसके बीज में मौजूद प्रवटाप्रमन-सी,
आयरन, फास्फोरस, पोटे प्रशयम तथा प्रजींक जैसे सूक्ष्म तत्ोीं की कमी को भी दू र
प्रकया जा सकता है ।

कद् दू की खेती के उपयुक्त जलवायु


वैसे तो कद् दू की खेती के प्रलए गमि जलवायु की आवश्यकता होती है , परीं तु प्रफर
भी एक जायद फसल होने के नाते ठीं डी और गमि प्रमश्रण की जगह पर भी इसे
उगाया जा सकता है ।
प्रकसान भाइयोीं को ध्यान रखना होगा प्रक कद् दू की फसल को ज्यादा ठीं ड पडने
पर पाले से बचाना होगा। कद् दू की अच्छी पैदावार के प्रलए आपको 18 से 25 प्रडग्री
सेंटीग्रेड के बीच में तापमान को प्रनयींप्रित करना होगा।

ये भी पढ़ें : सीजनल सब्जब्जयोीं के उत्पादन से करें कमाई

कद् दू की खेती के प्रलए कैसी प्रमट्टी चाप्रहये ?


कद् दू की खेती के प्रलए मुख्यतया भारत के प्रकसान दोमट या बलुई दोमट प्रमट्टी
का इस्तेमाल करते हैं , हालाीं प्रक इसकी खेती बलुई प्रमट्टी में भी की जाती है ।

कद् दू की खेती के प्रलए प्रकसान भाइयोीं को ध्यान रखना होगा प्रक आपके खेत में
पानी प्रनकासी की व्यवस्था अच्छी तरीके से होनी चाप्रहए।

कद् दू की खेती के प्रलए खेत की तैयारी व खाद उपचार


प्रकसान भाई यह तो जानते ही होींगे प्रक कद् दू एक उथली जड वाली फसल होती
है , इसप्रलए इसे ज्यादा जुताई की आवश्यकता नहीीं होती है । आप एक बार
ही कल्टीवेटर से जुताई कर अपने खेत को समतल बनाकर इसके बीजोीं की बुवाई
कर सकते है । खेत के तैयार होने के बाद छोटी-छोटी क्याररयाीं और नाप्रलयाीं बना
कर मेड बनानी चाप्रहए।

कद् दू की फसल के दौरान इस्तेमाल में होने वाले ऑगेप्रनक गोबर की खाद को
डाला जा सकता है । इसके अलावा आप अरीं डी की फसल से तैयार होने वाले चारे
को पीसकर भी अींप्रतम जुताई से पहले खेत में अच्छी तरह प्रबखेर सकते है ।

ये भी पढ़ें : जै प्रवक खे ती में प्रकसानोीं का ज्यादा रुझान : गोबर की भी होगी बुप्रकींग

यप्रद बात करें रासायप्रनक खाद और उविरकोीं की, तो िप्रत हे क्टेयर जमीन के
अनुसार 70 से 80 प्रकलोग्राम नाइटर ोजन तथा 40 प्रकलोग्राम पोटाश का इस्तेमाल
प्रकया जा सकता है । इन उविरकोीं का इस्तेमाल आपको अींप्रतम जुताई से पहले ही
अपने खेत में करना होगा और नाइटर ोजन की कुछ मािा कद् दू के फूल के 20 से
25 प्रदन बडे होने के बाद इस्तेमाल करनी चाप्रहए।
प्रकसान भाइयोीं को ध्यान रखना होगा प्रक सुबह के समय कद् दू की फसल में कभी
भी रसायप्रनक या जैप्रवक खाद का इस्तेमाल नहीीं करना चाप्रहए।

कद् दू की बुवाई में बीज अनुपात व उपचार


कद् दू की फसल को बोने का समय इस बात पर प्रनभिर करता है प्रक इसे कहाीं पर
बोया जा रहा है । भारत के मैदानी क्षेिोीं में इसे साल में दो बार उगाया जाता है और
पवितीय क्षेिोीं में अिै ल महीने में इसकी बु वाई की जाती है ।

प्रकसान भाइयोीं को ध्यान रखना होगा प्रक फसल की दो कतारोीं के बीच में लगभग
200 से 250 सें टीमीटर की दू री होनी अप्रनवायि है और दो छोटी पौध के बीच में 45 से
50 सें टीमीटर की दू री रखनी चाप्रहए।

बीज को जमीन से 5 से 6 सेंटीमीटर गहराई में बोया जाए तो इसकी कोींपल सही
समय पर बाहर प्रनकल आती है ।

कद् दू की बुवाई के प्रलए िप्रत हे क्टेयर की दर से 1 प्रकलोग्राम से 2 प्रकलोग्राम बीज


पयाि प्त होते है ।

बीज बोने से पहले आप अपने बीज का उपचार भी कर सकते है , प्रजसके तहत


बीज को 1 लीटर पानी में प्रमलाकर उसमें 2 ग्राम केप्टोन का प्रमश्रण तैयार प्रकया जा
सकता है और प्रफर इसे अच्छी तरह घोला जाता है , कुछ समय बाद बाहर प्रनकाल
कर दो से तीन घींटे छाया में सुखाकर बुवाई के प्रलए इस्तेमाल प्रकया जा सकता है ।

ये भी पढ़ें : पूसा कृप्रष वैज्ञाप्रनकोीं की एडवाइजरी इस हफ्ते जारी : इन फसलोीं के प्रलए आवश्यक जान
कारी

कद् दू की उन्नत प्रकस्में


पूसा के वैज्ञाप्रनकोीं के द्वारा कद् दू की फसल की कई उन्नत प्रकस्में भारतीय
प्रकसानोीं के प्रलए तैयार की गई है , इनमें पू सा-अलंकार, पूसा-विश्वास तथा पूसा-
विकास खेतोीं में इस्तेमाल की जाने वाली उन्नत प्रकस्म है ।
कद् दू की फसल में कीट प्रनयींिण
प्रकसान भाइयोीं कद् दू की फसल में लगने वाले रोग जैसे प्रक लीफ-माइनर और
फल-मक्खी से बचाि के वलए घर पर ही कुछ रासायप्रनक प्रमश्रण तैयार कर
सकते है ।इसके प्रलए आप िमी-मैक्स यात्रा की 0.005 प्रवतशत मात्रा को अपने
खेत में तीन से चार सप्ताह के अंतराल पर विड़काि कर सकते है ।

फल मक्खी कद् दू की फसल में लगने वाले फल की मुलायम अवस्था में ही उसके
अींदर अीं डे दे दे ती है और उसे अींदर से खाना शुरु कर दे ती है , इसके प्रनवारण के
प्रलए फूल के बडे होने के बाद रासायप्रनक दवाओीं का इस्तेमाल कम करना चाप्रहए
और नीम की प्रनींबोली का पानी के साथ 5% गोल प्रमलाकर इस्तेमाल करना
चाप्रहए।

कद् दू के फसल की तुडाई


कद् दू की फसल की बुवाई के लगभग 70 से 80 प्रदनोीं में यह तैयार हो जाता है और
आपके आसपास की मींडी की माीं ग के अनुसार इसे समय-समय कर तोडते रहना
चाप्रहए। भारत के लोगोीं के द्वारा दोनोीं समय की सब्जी के रूप में इसका इस्तेमाल
प्रकया जाता है , इसप्रलए इसकी प्रडमाीं ड पूरे साल चलती रहती है ।

यप्रद आप उपयुक्त बतायी गयी प्रवप्रध का इस्तेमाल पूरी सावधानी से करते हैं तो
एक हे क्टेयर क्षेि में लगभग 300 से 400 ब्जवींटल कद् दू की पैदावार कर सकते है ।

इसके भींडारण के प्रलए प्रकसी प्रवशेष शीत-ग्रह की जरूरत नहीीं होगी और अपने
घर में ही एक कमरे में 20 से 25 प्रदन तक स्टोर प्रकया जा सकता है , पर ध्यान रहे
प्रक तापमान लगभग 30 प्रडग्री सेब्जियस से कम ही होना चाप्रहए।

आशा करते हैं प्रक हमारे प्रकसान भाइयोीं को वैज्ञाप्रनकोीं के द्वारा तैयार की गई
कद् दू उत्पादन की यह नई प्रवप्रध पसींद आई होगी और भप्रवष्य में इसी प्रवप्रध का
इस्तेमाल करके अच्छा उत्पादन कर पाएीं गे ।

You might also like