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जानिए किस किस पोषि तत्व िा क्या है िाम और उसिी िमी

िे लक्षण

जिस तरह से हर व्यजतत को पोषक तत्वों की िरूरत होती है , उसी तरह से पौधों को भी
अपनी वद्
ृ धध, प्रिनन, तथा ववभभन्न िैववक क्रियाओं के भिए कुछ पोषक तत्वों की िरूरत
होती है । इन पोषक तत्वों के न भिि पाने से पौधों की वद्
ृ धध रूक िाती है यदि ये पोषक
तत्व एक ननजचित सिय तक न भििें तो पौधा सूख िाता है ।

वैज्ञाननक परीक्षणो के आधार पर 17 तत्वों को पौधो के भिए िरूरी बताया गया है ,


जिनके बबना पौधे की वद्
ृ धध-ववकास तथा प्रिनन आदि क्रियाएं सम्भव नहीं हैं। इनिें से
िख्
ु य तत्व काबबन, हाइड्रोिन, ऑतसीिन, नाइट्रोिन, फॉस्फोरस और पोटाश है । नाइट्रोिन,
फास्फोरस तथा पोटाश को पौधे अधधक िात्रा िें िेते हैं, इन्हें खाि-उवबरक के रूप िें िे ना
िरूरी है । इसके अिावा कैजससयि, िैग्नीभशयि और ससफर की आवचयकता कि होती है
अतः इन्हें गौण पोषक तत्व के रूप िे िाना िाता है इसके अिावा िोहा, तांबा, िस्ता,
िैंग्नीि, बोरान, िाभिब्डेनि, तिोरीन व ननक्रकि की पौधो को कि िात्रा िें िरूरत होती है ।

1- ित्रजि िे प्रमख
ु िायय

• नाइट्रोिन से प्रोटीन बनती है िो िीव द्रव्य का अभभन्न अंग है तथा पणब हररत के
ननिाबण िें भी भाग िेती है । नाइट्रोिन का पौधों की वद्
ृ धध एवं ववकास िें योगिान इस
तरह से है -

• यह पौधों को गहरा हरा रं ग प्रिान करता है।

• वानस्पनतक वद्
ृ धध को बढ़ावा भििता है ।

• अनाि तथा िारे वािी फसिों िें प्रोटीन की िात्रा बढ़ाता है।

• यह िानो के बनने िें ििि करता है।

ित्रजि-िमी िे लक्षण

• पौधों िे प्रोटीन की किी होना व हसके रं ग का दिखाई पड़ना। ननििी पवियााँ झड़ने िगती
है, जिसे तिोरोभसस कहते हैं।

• पौधे की बढ़वार का रूकना, कसिे कि बनना, फूिों का कि आना।

• फि वािे वक्ष
ृ ों का धगरना। पौधों का बौना दिखाई पड़ना। फसि का िसिी पक िाना।
2- फॉस्फोरस िे िायय

• फॉस्फोरस की उपजस्थनत िें कोशा ववभािन िसि होता है । यह न्यजू तिक अम्ि,
फास्फोभिवपड्स व फाइटीन के ननिाबण िें सहायक है। प्रकाश संचिेषण िें सहायक है।

• यह कोशा की झझसिी, तिोरोप्िास्ट तथा िाइटोकाजन्ड्रया का िख्


ु य अवयव है ।

• फास्फोरस भििने से पौधों िें बीि स्वस्थ पैिा होता है तथा बीिों का भार बढ़ना, पौधों िें
रोग व कीटरोधकता बढ़ती है।

• फास्फोरस के प्रयोग से िड़ें तेिी से ववकभसत तथा ििबूत होती हैं। पौधों िें खड़े रहने
की क्षिता बढ़ती है।

• इससे फि िसिी आते हैं, फि िसिीबनते है व िाने िसिी पकते हैं।

• यह नत्रिन के उपयोग िें सहायक है तथा फिीिार पौधों िें इसकी उपजस्थनत से िड़ों की
ग्रंधथयों का ववकास अच्छा होता है।

फॉस्फोरस-िमी िे लक्षण

• पौधे छोटे रह िाते हैं, पवियों का रं ग हसका बैगनी या भूरा हो िाता है । फास्फोरस
गनतशीि होने के कारण पहिे ये िक्षण पुरानी (ननििी) पवियों पर दिखते हैं। िाि वािी
फसिों िें पवियां नीिे हरे रं ग की हो िाती हैं।

• पौधो की िड़ों की वद्


ृ धध व ववकास बहुत कि होता है कभी-कभी िड़े सूख भी िाती हैं।

• अधधक किी िें तने का गहरा पीिा पड़ना, फि व बीि का ननिाबण सही न होना।

• इसकी किी से आिू की पवियां प्यािे के आकार की, ििहनी फसिों की पवियााँ नीिे रं ग
की तथा िौड़ी पिी वािे पौधे िें पवियों का आकार छोटा रह िाता है।

3- पोटै शियम िे िायय

• िड़ों को ििबत
ू बनाता है एवं सख
ू ने से बिाता है । फसि िें कीट व रोग प्रनतरोधकता
बढ़ाता है। पौधे को धगरने से बिाता है।

• स्टािब व शतकर के संिरण िें ििि करता है। पौधों िें प्रोटीन के ननिाबण िें सहायक है।

• अनाि के िानों िें ििक पैिा करता है । फसिो की गण


ु विा िें वद्
ृ धध करता है । आिू व
अन्य सजब्ियों के स्वाि िें वद्
ृ धध करता है । सजब्ियों के पकने के गण
ु को सध
ु ारता है ।
िि
ृ ा िें नत्रिन के कुप्रभाव को िरू करता है ।
पोटै शियम-िमी िे लक्षण

• पवियााँ भरू ी व धब्बेिार हो िाती हैं तथा सिय से पहिे धगर िाती हैं।

• पवियों के क्रकनारे व भसरे झि


ु से दिखाई पड़ते हैं।

• इसी किी से ितका के भुट्टे छोटे , नुकीिे तथा क्रकनारोंपर िाने कि पड़ते हैं। आिू िें
कन्ि छोटे तथा िड़ों का ववकास कि हो िाता है

• पौधों िें प्रकाश-संचिेषण की क्रिया कि तथा चवसन की क्रिया अधधक होती है।

4- िैल्ससयम िे िायय

• यह गुणसूत्र का संरिनात्िक अवयव है । ििहनी फसिों िें प्रोटीन ननिाबण के भिए


आवचयक है।

• यह तत्व तम्बाकू, आिू व िूाँगफिी के भिए अधधक िाभकारी है।

• यह पौधों िें काबोहाइड्रेट संिािन िें सहायक है।

िैल्ससयम-िमी िे लक्षण

• नई पवियों के क्रकनारों का िड़


ु व भसकुड़ िाना। अधग्रि कभिका का सूख िाना।

• िड़ों का ववकास कि तथा िड़ों पर ग्रजन्थयों की संख्या िें काफी किी होना।

• फि व कभियों का अपररपतव िशा िें िरु झाना।

5- मैग्िीशियम िे िायय

• िोिोसोि, पोिीराइबोसोि तथा तिोरोक्रफि का अननवायब अंग है।

• पौधों के अन्िर काबोहाइड्रेट संिािन िें सहायक है।

• पौधों िें प्रोटीन, ववटाभिन, काबोहाइड्रेट तथा वसा के ननिाबण िे सहायक है।

• िारे की फसिों के भिए िहत्वपूणब है ।

मैग्िीशियम-िमी िे लक्षण

• पवियां आकार िें छोटी तथा ऊपर की ओर िड़


ु ी हुई दिखाई पड़ती हैं।

• ििहनी फसिों िें पवियो की िख्


ु य नसों के बीि की िगह का पीिा पड़ना।
6 गन्धि (ससफर) िे िायय

• यह अिीनो अम्ि, प्रोटीन (भससटीन व िैधथओननन), वसा, तेि एव ववटाभिन्स के ननिाबण िें
सहायक है।

• ववटाभिन्स (थाइिीन व बायोदटन), ग्िट


ू े धथयान एवं एन्िाइि 3ए22 के ननिाबण िें भी
सहायक है। नतिहनी फसिों िें तेि की प्रनतशत िात्रा बढ़ाता है।

• यह सरसों, प्याि व िहसन


ु की फसि के भिये िरूरी है । तम्बाकू की पैिावार 15-30
प्रनतशत तक बढ़ती है।

गन्धि-िमी िे लक्षण

• नई पवियों का पीिा पड़ना व बाि िें सफेि होना तने छोटे एवं पीिे पड़ना।

• ितका, कपास, तोररया, टिाटर व ररिका िें तनों का िाि हो िाना।

• ब्रेभसका िानत (सरसों) की पवियों का प्यािेनुिा हो िाना।

7- लोहा (आयरि) िे िायय

• िोहा साइटोिोम्स, फैरीडोतसीन व हीिोग्िोबबन का िुख्य अवयव है ।

• तिोरोक्रफि एवं प्रोटीन ननिाबण िें सहायक है।

• यह पौधों की कोभशकाओं िें ववभभन्न ऑतसीकरण-अवकरण क्रियाओं िे उत्प्रेरक का कायब


करता है। चवसन क्रिया िें आतसीिन का वाहक है।

लोहा-िमी िे लक्षण

• पवियों के क्रकनारों व नसों का अधधक सिय तक हरा बना रहना।

• नई कभिकाओं की ित्ृ यु को िाना तथा तनों का छोटा रह िाना।

• धान िें किी से तिोरोक्रफि रदहत पौधा होना, पैधे की वद्


ृ धध का रूकना।

8- जस्ता (ल्जिंि) िे िायय

• कैरोटीन व प्रोटीन संचिेषण िें सहायक है।

• हािोन्स के िैववक संचिेषण िें सहायक है।


• यह एन्िाइि (िैसे-भसस्टीन, िेसीधथनेि, इनोिेि, डाइससफाइडेि आदि) की क्रियाशीिता
बढ़ाने िें सहायक है। तिोरोक्रफि ननिाबण िें उत्प्रेरक का कायब करता है।

जस्ता-िमी िे लक्षण

• पवियों का आकार छोटा, िुड़ी हुई, नसों िे ननिोभसस व नसों के बीि पीिी धाररयों का
दिखाई पड़ना।

• गेहूं िें ऊपरी 3-4 पवियों का पीिा पड़ना।

• फिों का आकार छोटा व बीि की पैिावार का कि होना।

• ितका एवं ज्वार के पौधों िें बबिकुि ऊपरी पवियााँ सफेि हो िाती हैं।

• धान िें जिंक की किी से खैरा रोग हो िाता है। िाि, भूरे रं ग के धब्बे दिखते हैं।

9- तााँबा (िॉपर ) िे िायय

• यह इंडोि एसीदटक अम्ि वद्


ृ धधकारक हािोन के संचिेषण िें सहायक है ।

• ऑतसीकरण-अवकरण क्रिया को ननयभितता प्रिान करता है।

• अनेक एन्िाइिों की क्रियाशीिता बढ़ाता है। कवक रोगो के ननयंत्रण िें सहायक है।

तााँबा-िमी िे लक्षण

• फिों के अंिर रस का ननिाबण कि होना। नीबू िानत के फिों िें िाि-भूरे धब्बे
अननयभित आकार के दिखाई िे ते हैं।

• अधधक किी के कारण अनाि एवं िाि वािी फसिों िें ररतिेिेशन नािक बीिारी होना।

10- बोराि िे िायय

• पौधों िें शकबरा के संिािन िे सहायक है। परागण एवं प्रिनन क्रियाओ िें सहायक है।

• ििहनी फसिों की िड़ ग्रजन्थयों के ववकास िें सहायक है।

• यह पौधों िें कैजसशयि एवं पोटै भशयि के अनप


ु ात को ननयंबत्रत करता है ।

• यह डीएनए, आरएनए, एटीपी पेजतटन व प्रोटीन के संचिेषण िें सहायक है

बोराि-िमी िे लक्षण
• पौधे की ऊपरी बढ़वार का रूकना, इन्टरनोड की िम्बाई का कि होना।

• पौधों िे बौनापन होना। िड़ का ववकास रूकना।

• बोरान की किी से िुकन्िर िें हटब राट, फूि गोभी िे ब्राउननंग या खोखिा तना एवं तम्बाखू
िें टाप-भसकनेस नािक बीिारी का िगना।

11- मैंगिीज िे िायय

• तिोरोक्रफि, काबोहाइड्रेट व िैंगनीि नाइट्रे ट के स्वागीकरण िें सहायक है।

• पौधों िें ऑतसीकरण-अवकरण क्रियाओं िें उत्प्रेरक का कायब करता है।

• प्रकाश संचिेषण िें सहायक है।

मैंगिीज-िमी िे लक्षण

• पौधों की पवियों पर ित
ृ उतको के धब्बे दिखाई पड़ते हैं।

• अनाि की फसिों िें पवियााँ भरू े रं ग की व पारिशी होती है तथा बाि िे उसिे ऊतक
गिन रोग पैिा होता है। िई िें भरू ी धििी रोग, गन्ने का अगिारी रोग तथा िटर का पैंक
धििी रोग उत्पन्न होते हैं।

12- क्लोरीि िे िायय

• यह पणबहररि के ननिाबण िें सहायक है। पोधो िें रसाकषबण िाब को बढ़ाता है।

• पौधों की पंजततयों िें पानी रोकने की क्षिता को बढ़ाता है।

क्लोरीि-िमी िे लक्षण

• गििों िें तिोरीन की किी से पवियों िें ववसट के िक्षण दिखाई पड़ते हैं।

• कुछ पौधों की पवियों िें ब्रोजन्िंग तथा नेिोभसस रिनायें पाई िाती हैं।

• पिा गोभी के पिे िुड़ िाते हैं तथा बरसीि की पवियााँ िोटी व छोटी दिखाई पड़ती हैं।

13- माशलब्डेिम िे िायय

• यह पौधों िें एन्िाइि नाइट्रे ट ररडतटे ि एवंनाइट्रोजिनेि का िुख्य भाग है ।


• यह ििहनी फसिों िें नत्रिन जस्थरीकरण, नाइट्रे ट एसीभििेशन व काबोहाइड्रेट
िेटाबाभिज्ि क्रियाओ िें सहायक है।

• पौधों िें ववटाभिन-सी व शकबरा के संचिेषण िें सहायक है।

माशलब्डेिम-िमी िे लक्षण

• सरसों िानत के पौधो व ििहनी फसिों िें िाभिब्डेनि की किी के िक्षण िसिी दिखाई
िे ते हैं।

• पवियों का रं ग पीिा हरा या पीिा हो िाता है तथा इसपर नारं गी रं ग का धितकबरापन


दिखाई पड़ता है।

• टिाटर की ननििी पवियों के क्रकनारे िुड़ िाते हैं तथा बाि िें िोजसटं ग व नेिोभसस
रिनायें बन िाती हैं।

• इसकी किी से फूि गोभी िें जव्हपटे ि एवं िूिी िे प्यािे की तरह रिनायें बन िाती हैं।

• नीबू िानत के पौधो िें िॉभिब्डेनि की किी से पवियों िे पीिा धब्बा रोग िगता है ।

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