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Mineral Nutrients in Plants
Mineral Nutrients in Plants
िे लक्षण
जिस तरह से हर व्यजतत को पोषक तत्वों की िरूरत होती है , उसी तरह से पौधों को भी
अपनी वद्
ृ धध, प्रिनन, तथा ववभभन्न िैववक क्रियाओं के भिए कुछ पोषक तत्वों की िरूरत
होती है । इन पोषक तत्वों के न भिि पाने से पौधों की वद्
ृ धध रूक िाती है यदि ये पोषक
तत्व एक ननजचित सिय तक न भििें तो पौधा सूख िाता है ।
1- ित्रजि िे प्रमख
ु िायय
• नाइट्रोिन से प्रोटीन बनती है िो िीव द्रव्य का अभभन्न अंग है तथा पणब हररत के
ननिाबण िें भी भाग िेती है । नाइट्रोिन का पौधों की वद्
ृ धध एवं ववकास िें योगिान इस
तरह से है -
• वानस्पनतक वद्
ृ धध को बढ़ावा भििता है ।
• अनाि तथा िारे वािी फसिों िें प्रोटीन की िात्रा बढ़ाता है।
ित्रजि-िमी िे लक्षण
• पौधों िे प्रोटीन की किी होना व हसके रं ग का दिखाई पड़ना। ननििी पवियााँ झड़ने िगती
है, जिसे तिोरोभसस कहते हैं।
• फि वािे वक्ष
ृ ों का धगरना। पौधों का बौना दिखाई पड़ना। फसि का िसिी पक िाना।
2- फॉस्फोरस िे िायय
• फॉस्फोरस की उपजस्थनत िें कोशा ववभािन िसि होता है । यह न्यजू तिक अम्ि,
फास्फोभिवपड्स व फाइटीन के ननिाबण िें सहायक है। प्रकाश संचिेषण िें सहायक है।
• फास्फोरस भििने से पौधों िें बीि स्वस्थ पैिा होता है तथा बीिों का भार बढ़ना, पौधों िें
रोग व कीटरोधकता बढ़ती है।
• फास्फोरस के प्रयोग से िड़ें तेिी से ववकभसत तथा ििबूत होती हैं। पौधों िें खड़े रहने
की क्षिता बढ़ती है।
• यह नत्रिन के उपयोग िें सहायक है तथा फिीिार पौधों िें इसकी उपजस्थनत से िड़ों की
ग्रंधथयों का ववकास अच्छा होता है।
फॉस्फोरस-िमी िे लक्षण
• पौधे छोटे रह िाते हैं, पवियों का रं ग हसका बैगनी या भूरा हो िाता है । फास्फोरस
गनतशीि होने के कारण पहिे ये िक्षण पुरानी (ननििी) पवियों पर दिखते हैं। िाि वािी
फसिों िें पवियां नीिे हरे रं ग की हो िाती हैं।
• अधधक किी िें तने का गहरा पीिा पड़ना, फि व बीि का ननिाबण सही न होना।
• इसकी किी से आिू की पवियां प्यािे के आकार की, ििहनी फसिों की पवियााँ नीिे रं ग
की तथा िौड़ी पिी वािे पौधे िें पवियों का आकार छोटा रह िाता है।
• िड़ों को ििबत
ू बनाता है एवं सख
ू ने से बिाता है । फसि िें कीट व रोग प्रनतरोधकता
बढ़ाता है। पौधे को धगरने से बिाता है।
• स्टािब व शतकर के संिरण िें ििि करता है। पौधों िें प्रोटीन के ननिाबण िें सहायक है।
• पवियााँ भरू ी व धब्बेिार हो िाती हैं तथा सिय से पहिे धगर िाती हैं।
• इसी किी से ितका के भुट्टे छोटे , नुकीिे तथा क्रकनारोंपर िाने कि पड़ते हैं। आिू िें
कन्ि छोटे तथा िड़ों का ववकास कि हो िाता है
• पौधों िें प्रकाश-संचिेषण की क्रिया कि तथा चवसन की क्रिया अधधक होती है।
4- िैल्ससयम िे िायय
िैल्ससयम-िमी िे लक्षण
• िड़ों का ववकास कि तथा िड़ों पर ग्रजन्थयों की संख्या िें काफी किी होना।
5- मैग्िीशियम िे िायय
• पौधों िें प्रोटीन, ववटाभिन, काबोहाइड्रेट तथा वसा के ननिाबण िे सहायक है।
मैग्िीशियम-िमी िे लक्षण
• यह अिीनो अम्ि, प्रोटीन (भससटीन व िैधथओननन), वसा, तेि एव ववटाभिन्स के ननिाबण िें
सहायक है।
गन्धि-िमी िे लक्षण
• नई पवियों का पीिा पड़ना व बाि िें सफेि होना तने छोटे एवं पीिे पड़ना।
लोहा-िमी िे लक्षण
जस्ता-िमी िे लक्षण
• पवियों का आकार छोटा, िुड़ी हुई, नसों िे ननिोभसस व नसों के बीि पीिी धाररयों का
दिखाई पड़ना।
• ितका एवं ज्वार के पौधों िें बबिकुि ऊपरी पवियााँ सफेि हो िाती हैं।
• धान िें जिंक की किी से खैरा रोग हो िाता है। िाि, भूरे रं ग के धब्बे दिखते हैं।
• अनेक एन्िाइिों की क्रियाशीिता बढ़ाता है। कवक रोगो के ननयंत्रण िें सहायक है।
तााँबा-िमी िे लक्षण
• फिों के अंिर रस का ननिाबण कि होना। नीबू िानत के फिों िें िाि-भूरे धब्बे
अननयभित आकार के दिखाई िे ते हैं।
• अधधक किी के कारण अनाि एवं िाि वािी फसिों िें ररतिेिेशन नािक बीिारी होना।
• पौधों िें शकबरा के संिािन िे सहायक है। परागण एवं प्रिनन क्रियाओ िें सहायक है।
बोराि-िमी िे लक्षण
• पौधे की ऊपरी बढ़वार का रूकना, इन्टरनोड की िम्बाई का कि होना।
• बोरान की किी से िुकन्िर िें हटब राट, फूि गोभी िे ब्राउननंग या खोखिा तना एवं तम्बाखू
िें टाप-भसकनेस नािक बीिारी का िगना।
मैंगिीज-िमी िे लक्षण
• पौधों की पवियों पर ित
ृ उतको के धब्बे दिखाई पड़ते हैं।
• अनाि की फसिों िें पवियााँ भरू े रं ग की व पारिशी होती है तथा बाि िे उसिे ऊतक
गिन रोग पैिा होता है। िई िें भरू ी धििी रोग, गन्ने का अगिारी रोग तथा िटर का पैंक
धििी रोग उत्पन्न होते हैं।
• यह पणबहररि के ननिाबण िें सहायक है। पोधो िें रसाकषबण िाब को बढ़ाता है।
क्लोरीि-िमी िे लक्षण
• गििों िें तिोरीन की किी से पवियों िें ववसट के िक्षण दिखाई पड़ते हैं।
• कुछ पौधों की पवियों िें ब्रोजन्िंग तथा नेिोभसस रिनायें पाई िाती हैं।
• पिा गोभी के पिे िुड़ िाते हैं तथा बरसीि की पवियााँ िोटी व छोटी दिखाई पड़ती हैं।
माशलब्डेिम-िमी िे लक्षण
• सरसों िानत के पौधो व ििहनी फसिों िें िाभिब्डेनि की किी के िक्षण िसिी दिखाई
िे ते हैं।
• टिाटर की ननििी पवियों के क्रकनारे िुड़ िाते हैं तथा बाि िें िोजसटं ग व नेिोभसस
रिनायें बन िाती हैं।
• इसकी किी से फूि गोभी िें जव्हपटे ि एवं िूिी िे प्यािे की तरह रिनायें बन िाती हैं।
• नीबू िानत के पौधो िें िॉभिब्डेनि की किी से पवियों िे पीिा धब्बा रोग िगता है ।