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मानव पाचन प्रणाली

परिचय

• वह प्रक्रिया जिसमें बड़े अघल


ु नशील खाद्य कणों को छोट़े घल
ु नशील अणओ
ु ं में तोडा िाता है
ताक्रक इस़े हमाऱे शरीर द्वारा आसानी स़े अवशोषित क्रकया िा सक़े, पाचन कहलाता है ।
• भोिन क़े पाचन में लगभग 6-8 घंट़े लगत़े हैं।
• मुंह स़े गुद़े तक फैली एक लंबी नली, जिसकी लंबाई लगभग 9 मीटर है , इसमें सभी अंग और
ग्रंथियां शाममल हैं और िो पाचन प्रक्रिया में आवश्यक होत़े हैं।
• पाचन प्रक्रिया मुंह स़े शुरू होती है और बडी आंत तक िारी रहती है ।
• इस प्रक्रिया में प्रत्य़ेक षवमशष्ट कायों क़े साि अलग-अलग अंग, ग्रंथियां और क्रकण्वक शाममल हैं,
जिन्हें याद रखा िाना चाहहए।

मुंह में पाचन क्रिया

• िैस़े ही भोिन हमाऱे मुंह में िाता है , पाचन क्रिया शरू


ु हो िाती है ।
• इसकी षवमभन्न ग्रंथियों क़े साि मुंह को बक्कल कैषवटी क़े रूप में िाना िाता है ।
• िब भोिन मुंह में िाता है , तो हमाऱे मुंह में मौिद
ू पानी भोिन को नम कर द़े ता है और
जिसस़े हमाऱे दांत आसानी स़े भोिन को छोट़े खाद्य कणों में तोड द़े त़े हैं।
• हमाऱे मुंह में मौिद
ू लार ग्रंथियां लार िारी करती हैं। इसमें लार एमील़ेि नामक एक एंिाइम
(क्रकण्वक) होता है ।
• लारयक्
ु त एमील़ेि िहटल स्टाचच को तोडता है और इस़े सरल शकचरा अणओ
ु ं में पररवर्तचत करता
है िो पचाऩे में आसान होत़े हैं।
• इस भोिन को भोिन नली क़े माध्यम स़े प़ेट में स्िानांतररत क्रकया िाता है जिस़े अन्नप्रणाली
भी कहा िाता है ।

िममक वत्त
ृ ों में मिकड़नेवाली गतिववधि

• यह महत्वपण
ू च है क्रक भोिन पोिण संबंधी नली क़े प्रत्य़ेक भाग में ठीक स़े संसाथधत हो। इस
प्रकार, नली की मांसप़ेशीय परत भोिन को एक भाग स़े दस
ू ऱे भाग में षवर्नयममत तरीक़े स़े
स्िानांतररत करती है ।

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• मांसप़ेमशयााँ भोिन को आवती रूप स़े आग़े बढाती हैं।


• पोिण संबंधी नली क़े साि भोिन की इस आवती गर्तषवथध को िममक वत्त
ृ ों में मसकुडऩेवाली
क्रिया कहा िाता है ।

आमाशय में पाचन

• भोिन लगभग 4-5 घंट़े तक उदर में रहता है ।


• उदर मूल रूप स़े ममश्रण क़े मलए प़ेशी िैला है ।
• उदर की दीवारों में गैजस्िक ग्रंथियां होती हैं।
• य़े ग्रंथियां स्राषवत करती हैं: आमाशय रस, हाइड्रोक्लोररक एमसड और म्यूकस ।
• आमाशय रस में प़ेजससन एंिाइम होता है िो प्रोटीन को पचाता है ।
• हाइड्रोक्लोररक एमसड भोिन में हार्नकारक िीवाणुओं को मारता है और प्रोटीन पाचन की प्रक्रिया
को सुषवधािनक बनाता है । यह लार एमाइल़ेि क़े प्रभाव को भी ब़ेअसर करता है ।
• म्यूकस प़ेट की अंदरूनी परत को अम्लीय प्रर्तक्रिया स़े बचाता है ।
• भोिन प़ेट स़े कम मारा में छोटी आंत में बाहर र्नकल िाता है । इस क्रिया को रं न्ध-संकोचक
मांसप़ेशी द्वारा र्नयंत्ररत क्रकया िाता है ।

छोटी आुंि में पाचन

• छोटी आंत पोिण संबंधी नली का सबस़े लंबा हहस्सा है । यह छोटी सी िगह में व्यवजस्ित होऩे
क़े मलए अत्यथधक कंु डमलत होता है ।
• शाकाहारी िीवों में मांसाहारी की तुलना में अप़ेक्षाकृत लंबी छोटी आंत होती है । ऐसा इसमलए है
क्योंक्रक मांस िहटल स़ेल्यल
ू ोि की तल
ु ना में पचाऩे में आसान है ।
• छोटी आंत को काबोहाइड्ऱेट, वसा और प्रोटीन क़े मलए पण
ू च पाचन का स्िल माना िाता है ।
• यह यकृत और अग्नन्याशय स़े स्राव प्रासत करता है ।
• यकृत यहां षपत्त रस का स्राव करता है । षपत्त रस भोिन की प्रकृर्त को क्षारीय में बदलऩे में मदद
करता है । यह सुर्नजश्चत करऩे क़े मलए क्रक अग्ननाशयी रस भोिन पर ठीक स़े प्रर्तक्रिया कर
सक़े। षपत्त रस वसा क़े बड़े गोल़े को भी छोट़े में तोड द़े ता है । इस प्रक्रिया को पायसीकरण कहा
िाता है ।
• अग्नन्याशय अग्ननाशयी रस को छोटी आंत में छोडता है। इस रस में हिजससन और लाइप़ेि एंिाइम
होता है । हिजससन प्रोटीन को पचाता है और लाइप़ेस इमल्सीफाइड वसा पर कायच करता है ।

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• छोटी आंत की आंतररक परत में ग्रंथियां होती हैं िो आंतों क़े रस को छोडती हैं। आंतों क़े रस
भी प्रकृर्त में क्षारीय होत़े हैं। इन रसों में षवमभन्न प्रकार क़े एंिाइम होत़े हैं, जिनक़े नाम हैं,
इऱे जससन, माल्ट़े ज़, सुि़ेज़, लैक्ट़े ज़, मलप़ेज़।
• एऱे जससन: श़ेि प्रोटीन और प़ेसटोन को अमीनो एमसड में पचाता है ।
• माल्ट़े स: माल्टोि को ग्नलूकोि में पचाता है ।
• सुि़ेि: सुिोि को ग्नलूकोि और फ्रुक्टोि में पचाता है।
• लैक्ट़े ि: लैक्टोि को ग्नलक
ू ोि और गैल़ेक्टोि में पचाता है ।
• लाइप़ेि: पायसीकारी वसा को जग्नलसरॉल और फैटी एमसड में पचाता है ।
• एक स्वस्ि व्यजक्त प्रर्त हदन 2 लीटर आंत्ररक रस स्राषवत करता है ।

छोटी आुंि में अवशोषण

• पचा हुआ भोिन षवली क़े माध्यम स़े छोटी आंतों में अवशोषित होता है ।
• षवली उं गली की तरह छोटी आंत की अंदरूनी परत क़े साि उठा हुआ भाग है । य़े अवशोिण क़े
सतह क्ष़ेर को बढाऩे क़े मलए होता हैं।
• उन्हें रक्त वाहहकाओं क़े साि बड़े पैमाऩे पर आपर्ू तच की िाती है । य़े रक्त वाहहकाएं खाद्य पोिक
तत्वों को अवशोषित करती हैं और इस़े शरीर क़े प्रत्य़ेक कोमशका में स्िानांतररत करती हैं।
कोमशकाएं उन पोिक तत्वों को नुकसान पहुंचाऩे वाल़े ऊतकों की मरम्मत, नए ऊतकों क़े र्नमाचण
और काम करऩे ह़े तु ऊिाच प्रासत करऩे क़े मलए उपयोग की िाती हैं।
• इसक़े बाद भोिन को बडी आंत में स्िानांतररत क्रकया िाता है ।

बड़़ी आुंि में अधिक अवशोषण

• बचा हुआ भोिन अब बडी आंत में आता है ।


• बडी आंत भोिन स़े बच़े हुए पोिक तत्वों और पानी को अवशोषित करती है ।
• भोिन तब मलद्वार की ओर बढता है ।
• भोिन मलद्वार क़े माध्यम स़े उत्सजिचत होता है िहां मलद्वार रं ध्न-संकोचन प़ेशी द्वारा
र्नयंत्ररत क्रकया िाता है ।

कछ िथ्य:

• यकृत मानव शरीर की सबस़े बडी ग्रंथि है , जिसका विन 1.5-2 क्रकलोग्राम है ।

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• यकृत हमाऱे रक्त में ग्नलूकोि की मारा को र्नयंत्ररत करता है ।


• यकृत द्वारा मत
ृ लाल रक्त कोमशकाएं भी नष्ट हो िाती हैं।
• यकृत हमाऱे शरीर क़े तापमान को भी र्नयंत्ररत करता है ।
• छोटी आंत में यकृत स़े षपत्त रस को र्नकालऩे वाली वाहहनी को षपत्त नली कहा िाता है । यहद
क्रकसी कारण स़े षपत्त नली बाथधत हो िाती है , तो यकृत रक्त स़े त्रबलीरुत्रबन ल़ेना बंद कर द़े गा।
इसस़े हमाऱे शरीर में त्रबलीरुत्रबन का प्रसार होता है । इस जस्िर्त को पीमलया कहा िाता है ।
• यहद क्रकसी व्यजक्त की मत्ृ यु षविाक्त भोिन क़े कारण होती है , तो यकृत में िांच क़े मलए
महत्वपूणच सुराग मौिद
ू होत़े हैं।
• अग्नन्याशय इंसमु लन नामक एक महत्वपण
ू च हामोन भी स्राषवत करता है । इंसमु लन हमाऱे रक्त में
शकचरा की मारा को र्नयंत्ररत करता है । इन्सुमलन की कमी होऩे पर व्यजक्त मधुम़ेह स़े पीडडत
होता है ।

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