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शद्
ु धिक्रियाओंका समावेश अष्ांगयोगके दस
ु िे अंगमें 'नियम' में है , जिसके पााँच उपांग
है । पहिा उपांग है 'शौच' अर्ागत शधु चता - शद्
ु िता। यह सधु चता अंतिबाह्य होिी चाहहये।
धचत्तशद्
ु धि हमािा उद्हदष् है मगि इसके लिये शिीि शद्
ु ि होिा आवश्यक है । इलस लिये
शद्
ु धिक्रियाएाँ अत्यावश्यक है ।
हठयोग प्रहदपपका श्िोक २२ के अिस
ु ाि -
' िोततर्बस्स्त स्तथानेतत, स्राटकं नौमिकं तथा ।
कपािभाततश्चैतातन षटकमाबणि प्रचक्षते।। '
अथाबत :- िौनत, बजतत, िेनत, त्रा्क, िौिी, कपािभाती इि छः शुद्धिक्रियाओंका अभ्यास किे ।
इिके अभ्याससे कौिसे अंगोकी शुद्धि होती है, क्या िाभ लमिते है इसकी िािकािी
िेंगे। सभी शुद्धिक्रियाएाँ खािी पे् औि प्रातः कािही किें ।
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वातपवकाि के लिए औि घत
ृ िेनत (घी) कफपवकाि के लिए किते है ।
सत्र
ू िेनत या Valve tube िेनत भी बहुत सदी हो या पिदे की वितामें
अत्यंत उपयक्
ु त है ।
➢ िाभ :- अजग्िमांद्य, बद्िकोषठ, संग्रहणी, आव, उदिशि ु , तर्ि ु ता, कृलम पवकाि दिू ।
लिव्हि, पॅविीयाि, प्िीहा के पवकाि दिू । कफपपत्तवात (त्रत्रदोष) दिू ।
➢ िाभ :- इस शद्ु धिक्रियासे अपािवायू शद्ु ि होता है। मिशद्ु धि होकि पचिक्रिया सि
ु िती
है । भख
ू अच्छी िगती है । आंत्रपच्ु छ, वीयगदोष, हनिगया, बवासीि (मळ ू व्याि) सायह्का,
महहिाओंके पवकाि दिू ।
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५) राटक :- यह आाँखोंकी शद्
ु धिक्रिया है ।
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