प्रोफ़े र ( स्य सिज्ञान) कृसि महासिद्यालय एििं अनु िंधान केंद्र, कािं पा, महा मुिंद भ रि में ज्य द िर तकस न ां क िह िगि है तक ध न- गेहां जैसे परां पर गि फसि ां की खेिी कर के ही अच्छी कम ई की ज सकिी है . िेतकन आप सब क म िूम ह न च तहए तक ध न- गेहां के अि व और भी अनेक ां फसिें हैं, तजसकी खेिी से तकस न म ि म ि ह सकिे हैं . इन्ी ां फसि ां में से एक है फूि ां की खेिी. दरअसि, फूि ां की खेिी एक ऐसी नगदी फसि है, तजससे तकस न ां की र ज कम ई ह िी है . ऐसे में अगर तकस न भ ई फूि की खेिी करिे हैं ि उन्ें कम ि गि में अतधक कम ई ह गी.
फूलोिं की खेती की खास यत है सक इ की खेत में खाद और स िं चाई के ऊपर
धान- गे हिं के अपेक्षा कम खचच होता है . ाथ ही फूलोिं पर कीट-रोगोिं का प्र्कोप भी परिं परागत फ लोिं के अपेक्षा कम होता है . ऐ े में सक ानोिं के कीटनाशकोिं के ऊपर होने िाले खचच े भी बचत हो जाएगी. सफलहाल, उत्तर भारत में कई तरह की फूलोिं की खेती की जाती है . पर माकेट में ब े ज्यादा सडमािं ट गेंदा और गुलाब की है . फूि ां व िी फसिें ❖गुलाब ❖गेंदा ❖जरबेरा ❖रजनीगन्धा ❖चमेली ❖ग्लेसडयोल एक हे क्टेयर में गु लाब की खेती कर सक ान 5 े 7 लाख रुपये तक कमा कते हैं . जबसक, खचच महज एक लाख रुपये ही करने होिंगे. उत्तर प्रदे श, पसिम बिंगाल, कनाच टक, तसमलनाडु , हररयाणा और उत्तराखिंड सहत कई राज्योिं में बडे पैमाने पर फूलोिं की खेती की जाती है . गें दे के फूल की खेती में प्रसत एकड करीब 40 हजार रुपए का खचच आता है . एक एकड की खेती में आ ानी े 4-5 लाख रूपये कमा कते है . हर हफ्ते 2-3 क्विंटल गें दा बे चकर 15- 20 हजार रूपये कमाए जा कते है . बाजार में 70-100 रूपये प्रसत सकलो के भाि े गें दा के फूल सबकते है .इ ी तरह गु लाब की खेती े भी सक ान अच्छी कमाई कर कते हैं . धन्यिाद