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कृषि कानून -
कृषि कानून -
और किसानों से
भारत में कृषि सबसे बड़ा आजीविका प्रदाता है विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में भारत के सकल घरेलू उत्पाद में भी
इसका बहुत बड़ा योगदान होता है इसलिए कृषि के विकास के लिए उत्पादन को बढ़ावा दे ने के लिए हर 5 में
बस कृषि कानून सरकार के द्वारा बनाए जाते हैं दे खते हैं कि 2020 में कौन से कानून बनाए गए और भी क्या
थे??
भारत गांव का दे श है ग्रामीण क्षेत्रों का विकास भारत का विकास यह दोनों साथ साथ चलते हैं जब तक
ग्रामीण क्षेत्रों का विकास नहीं होगा तब तक भारत के विकास के सपने दे खना सही नहीं है ग्रामीण क्षेत्रों में
कृषि ही रोजगार का साधन है किसान हमारे दे श के अन्नदाता है इसलिए सरकार का प्रयास रहता है कि
किसानों को विकास के पथ पर अग्रसर करे ।इसके लिए कृषि का विकास करना होगा कृषि के विकास के
लिए सरकार के द्वारा 2020 में तीन कृषि कानून लाए गए इन कानून का उद्देश्य था कृषि उत्पादन में वृद्धि
किसानों को प्रशिक्षण दे ना स्थानीय मंडियों तक उनकी पहुंच को बढ़ाना किसान अपने उत्पादों को उचित
मूल्य पर भेज सकें किसानों को उत्तम प्रकार के बीज खाद उपलब्ध करवाना इत्यादि।
दे खते हैं कि यह तीनों कृषि कानून क्या थे और इनमें क्या-क्या प्रावधान थे।
कृषि कानून
इस कानून का उद्देश्य बिचोलियों की समाप्ति करना है अब किसान अपने उत्पादों को सीधे मंडियों
में बेच सकते है, और लाभ ले सकते है। बिजोलिया किसानों से उनके उत्पाद को कम दामों में खरीद
कर बाजारों में उन्हीं के उत्पादों को दोगुने दामों में बैठकर मुनाफा कमाते हैं और किसानों को अपने
ही उत्पादों के दोगुने दाम दे ने पड़ते हैं इस कानून के जरिए किसान अपने उत्पादों को सीधे मंडियों में
अधिनियम
इस अधिनियम के तहत कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग की व्यवस्था की गई मतलब की कोई पूंजीपति पहले किसानों को
कोई फसल उगाने के लिए प्रेरित करे ,और उनकी सहमति से उनके उत्पाद खरीद ले।
सरकार का इसके पीछे का उद्देश्य था कि किसी आपदा का प्रभाव किसानों पर ना पड़।उसका सारा खर्च
पूंजीपति उठाए।
लेकिन इस अधिनियम का विरोध इसलिए किया गया कि पूंजीपति पहले ही कृषि उत्पादों को खरीदकर
,और उनका भंडारण करके बाज़ार में उनकी कमी करके कीमतों में वृद्धि करेंगे जिसका प्रभाव एक नागरिक
पर भी पड़ेगा ,और किसानों को भी इससे कोई लाभ नहीं होगा पूरा फायदा पूंजीपतियों को मिलेगा।
इस अधिनियम के तहत खाद्य तेल,तिलहन, दाल,प्याज,और आलू को आवश्यक वस्तुओं की सूची में से हटा
दिया गया।
इस अधिनियम का उद्देश्य है कि किसान अपनी उपज की किसी भी मंडी में बेचने को स्वतंत्र होगा।
इस अधिनियम के तहत किसानों को अपनी उपज का स्थानीय मंडी मैं बेचने की अनिवार्यता नहीं होगी।
विरोध - इस कानून का यह कहकर विरोध किया गया कि इस कानून के जरिए सरकार m.s.p( न्यूनतम
ये तीनों कानून 14 सितंबर 2020 को संसद में पेश हुए थे, एवं 17 सितंबर 2020 को संसद में पारित हुए,
किसान संगठन सरकार के इन कानूनों को मानने के लिए तैयार नहीं एवं वह इन कानूनों का विरोध कर रहे
थे।
अब जानते हैं कि सरकार द्वारा इन कानूनों को लागू करने के लिए ,और किसानों के विरोध को कम करने के
(1) पहली बैठक 14 अक्टू बर 2020 को हुई जिसमें केंद्रीय कृषि सचिव स
ं जय अग्रवाल ने केंद्र सरकार
का प्रतिनिधित्व किया, लेकिन इस बैठक का कोई नतीजा नहीं निकला किसान तीनों कृषि कानूनों
(2) दूसरी बैठक 13 नवंबर 2020 को आयोजित की गई इस बैठक में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, एवं
पीयूष गोयल ने केंद्र सरकार का प्रतिनिधित्व किया यह बैठक करीब 7 घंटे तक चली परंतु इसका भी
(3) तीसरी बैठक 1 दिसंबर 2020 को हुई जिसमें सरकार ने एक विशेषज्ञ समिति बनाने का प्रस्ताव
(4) चौथी बैठक 3 दिसंबर 2020 को हुई इस बैठक का भी कोई नतीजा नहीं निकला।
(5) पांचवी बैठक 5 दिसंबर 2020 को हुई इस बैठक में भी कोई निर्णय नहीं हुआ।
(6) छठी बैठक 8 दिसंबर 2020 को हुई एवं भारत के गृह मंत्री अमित शाह ने इसमें केंद्र सरकार का
(7) सातवीं बैठक 30 दिसंबर 2020 को हुई इसमें सरकार ने विद्युत संशोधन अधिनियम 2020 एवं
पराली के नाम पर किसानों से एक करोड़ का जुर्माना लेने के प्रावधान को निरस्त करने का किसानों
को आश्वासन दिया।
(11) 11 वीं बैठक 20 जनवरी 2021 को हुई,जिसमें सरकार ने कृषि कानूनों को 2 साल के लिए
निल
ं बित करने का प्रस्ताव रखा।
इन सभी बैठकों का कोई नतीजा नहीं हुआ किसान अब भी कृषि कानूनों का विरोध कर रहे थे,
नहीं थे, वह लगातार एक साल से इनका विरोध कर रहे थे, इस कारण सरकार को किसानों के सामने
कि मैं यहां यह बोलने आया हूं ,किसानों के हित के लिए सरकार जो कानून लेकर आई थी ,कृषि
विशेषज्ञों के समझाने के बाद भी किसान इन कानूनों को मानने के लिए सहमत नहीं है इसलिए इस
महीने के किसान सत्र में हम इन तीनों कानूनों को वापिस लेने की संविधानिक प्रक्रिया प्रारंभ कर
दें गे।
17 सितंबर 2020 को किसी कानून का प्रस्ताव संसद में पारित हुआ, 14 अक्टू बर 2020 को किसान
संगठनों और केंद्र में बातचीत हुई, 3 नवंबर 2020 को किसानों ने नाकेबंदी कर दी, 13 नवंबर 2020
को पुनः है बातचीत की गई। 25 नवंबर 2020 को किसानों ने दिल्ली की ओर कूच कर दिया एवं
दिल्ली बॉर्डर पर आंदोलन कर दिया। 7 जनवरी 2021 में किसानों ने सर्वोच्च न्यायालय में याचिका
प्रस्तुत की।26 जनवरी 2021 को किसानों ने लाल किले पर मार्च किया।20 मार्च 2021 को एक
विशेषज्ञ समिति ने अपनी रिपोर्ट सौंपी जिसमें किसानों से समझौता करने की बात की गई लेकिन
किसान किसी भी प्रकार का समझौता नहीं चाहते थे इसलिए 19 नवंबर 2021 को तीनों कृषि कानून
Faq -
किसानों ने क्यों नहीं स्वीकार किया इन कानूनों को??
(1) किसानों को शंका थी कि सरकार खुली खरीद के माध्यम से एमएसपी को घटाना चाहती है।
लागू हुए ?किसानों ने उनका विरोध क्यों किया ?जिसके कारण ये रद हो गए। आशा है कि आप को
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