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जजन सूत्र बाग-१ (पोल्डय नं.

००१८१८)
प्रवचनकाय – ओशो
संऩादन – स्वाभी चैतन्म कीर्ति , स्वाभी आनंद सत्माथी
भुख्म टाइटर
सहमोग
एक र्नभंत्रण
अनुक्रभ
जजन शासन की आधायर्शरा संकल्ऩ -------------------------------------------------------------- १
प्मास ही प्राथिना है ------------------------------------------------------------------------------२१
फोध गहन फोध भुक्ति है ------------------------------------------------------------------------ ४३
धभि र्नजी औय वैमक्तिक------------------------------------------------------------------------ ६५
ऩयभ औषर्ध साऺी बाव ------------------------------------------------------------------------ ८७
तुभ र्भटो तो र्भरन हो ------------------------------------------------------------------------ १११
जीवन एक सुअवसय है ------------------------------------------------------------------------ १३५
सम्मक ऻान भुक्ति है -------------------------------------------------------------------------- १५७
अनुकयण नहीं आत्भ अनुसंधान ----------------------------------------------------------------१८१
जजंदगी नाभ है यवानी का --------------------------------------------------------------------- २०३
अध्मात्भ प्रक्रक्रमा है जागयण की -------------------------------------------------------------- २२५
संकल्ऩ की अंर्तभ र्नष्ऩक्ति सभऩिण ------------------------------------------------------------ २४९
वासना ढऩोयशंख है ---------------------------------------------------------------------------- २७१
प्रेभ से भुझे प्रेभ है ---------------------------------------------------------------------------- २९५
भनुष्मो सतत जाग्रत यहो ---------------------------------------------------------------------- ३१९
उठो जागो सुफह कयीफ है ---------------------------------------------------------------------- ३४१
आत्भा ऩयभ आधाय है ------------------------------------------------------------------------ ३६३
धभि आक्तवष्काय है स्वंम का -------------------------------------------------------------------- ३८९
धभि की भूर र्बक्ति अबम --------------------------------------------------------------------- ४०९
ऩरकन ऩग ऩंछुं आज क्तऩमा के --------------------------------------------------------------- ४२९
जजन शासन अथाित आध्माजत्भक ज्मार्भर्त ----------------------------------------------------- ४४९
ऩयभात्भा के भंक्रदय का द्वाय प्रेभ --------------------------------------------------------------- ४६९
जीवन की बव्मता अबी औय महीं ------------------------------------------------------------- ४९१
भांग नहीं अहोबाव अहोगीत ------------------------------------------------------------------- ५११
दशिन ऻान चरयत्र औय भोऺ ------------------------------------------------------------------ ५३३
तुम्हायी संऩदा तुभ हो ------------------------------------------------------------------------ ५५३
साधु का सेवन आत्भसेवन ------------------------------------------------------------------- ५७५

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जीवन का ऋतु बाव प्रेभ बक्ति ---------------------------------------------------------------- ५९९
भोऺ का द्वाय सम्मक दृक्ति --------------------------------------------------------------------- ६१९
प्रेभ है आत्मंर्तक भुक्ति ------------------------------------------------------------------------ ६४१
सम्मक दशिन के आठ अंग -------------------------------------------------------------------- ६५९
ओशो एक ऩरयचम
ओशो का क्रहंदी साक्रहत्म

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