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कक्षा – 12 भ िं दी आधार
संकलनकर्ता-
म ावीर प्रसाद रै गर (स्नातकोत्तर भिक्षक,भ िंदी)
केन्द्रीय भवद्यालय भिन्द्रा
अध्याय- 3
भवभिन्न माध्यमोिं के भलए लेखन
जनसंचतर - प्रत्यक्ष सिंवाद के बिाय भकसी तकनीकी या याक्तिक माध्यम के द्वारा समाि के एक भविाल वगग से
सिंवाद कायम करना िनसिंचार क लाता ै।
➢ रे त्रियो
➢ टे त्रलत्रिजन
➢ इं टरनेट
➢ त्रसनेमत
रे त्रियो-
रे भियो एक श्रव्य माध्यम ै । इसमें िब् एविं आवाि का म ्त्व ोता ै। रे भियो एक रे खीय (लीभनयर) माध्यम
ै। रे भियो समाचर की सिंरचना उल्टा भपराभमि िैली पर आधाररत ोती ै। उल्टाभपराभमि िैली में समाचार को
तीन िागोिं बााँटा िाता ै -इिं टरो, बााँिी और समापन। इसमें तथ्ोिं को म त्त्व के क्रम से प्रस्तुत भकया िाता ै ,
सवगप्रथम सबसे ज्यादा म त्त्वपूणग तथ् को तथा उसके उपरािंत म त्त्व की दृभि से घटते क्रम में तथ्ोिं को रखा
िाता ै।
रे त्रियो समतचतर-लेखन के त्रलए बुत्रनयतदी बतर्ें :
िनसिंचार का सबसे लोकभप्रय व सिि माध्यम ै। इसमें ध्वभनयोिं के साथ-साथ दृश्ोिं का िी समावेि
ोता ै। इसके भलए समाचार भलखते समय इस बात का ध्यान रखा िाता ै भक िब् व पदे पर भदखने वाले
दृश् में समानता ो।
टी०िी० खबरों के त्रित्रिन्न चरण
इिं टरनेट पर समाचारोिं का प्रकािन या आदान-प्रदान इिं टरनेट पिकाररता क लाता ै। इिं टरनेट पिकाररता दो
रूपोिं में ोती ै। प्रथम- समाचार सिंप्रेषण के भलए नेट का प्रयोग करना । दू सरा- ररपोटग र अपने समाचार को ई-
मेल द्वारा अन्यि िेिने व समाचार को सिंकभलत करने तथा उसकी सत्यता, भवश्वसनीयता भसि करने तथा
उसकी सत्यता, भवश्वसनीयता भसि करने के भलए करता ै
ितरर्- प ला चरण 1993 से तथा दू सरा चरण 2003 से िुरू माना िाता ै। िारत में सच्चे अथों में वेब
पिकाररता करने वाली साइटें ’रीभिफ़ िॉट कॉम’, इिं भिया इफ़ोलाइन’ व ’सीफ़ी’ ैं । रीभिफ़ को िारत
की प ली साइट क ा िाता ै । वेब साइट पर भविुि पिकाररता िुरू करने का श्रेय ’त लका
िॉट् कॉम’ को िाता ै।
वेब दु भनया’ के साथ िुरू हुई। य भ न्दी का सिंपूणग पोटग ल ै। प्रिा साक्षी नाम का अखबार भप्रिंट रूप में न
ोकर भसफ़ग नेट पर ी उपलब्ध ै। आि पिकाररता के भल ाि से भ न्दी की सवग श्रेष्ठ साइट बीबीसी की ै , िो
इिं टरनेट के मानदिं िोिं के अनुसार चल र ी ै। भ न्दी वेब िगत में ’अनुिूभत’, अभिव्यक्ति, भ न्दी नेस्ट, सराय आभद
साभ क्तत्यक पभिकाएाँ िी अच्छा काम कर र ी ैं। अिी भ न्दी वेब िगत की सबसे बिीा़ समस्या मानक की बोिग
तथा फ़ोिंट की ै । िायनभमक फ़ौिंट के अिाव के कारण भ न्दी की ज्यादातर साइटें खुलती ी न ीिं ैं ।
अध्यतय-4
पत्रकतरीय लेखन के त्रित्रिध रूप और लेखन प्रत्रियत
पिकारीय लेखन क्या ै ?
अख़बार या अन्य समाचार माध्यमोिं में काम करने वाले पिकार अपने पाठकोिं,दिगकोिं और श्रोताओिं तक सूचनाएिं
पहुाँचाने के भलए लेखन के भवभिन्न रूपोिं का इस्तेमाल करते ै,इसे पिकारीय लेखन क ते ै |
पिकार तीन प्रकार के ोते ै –
समाचार
समाचार ऐसी ताज़ा घटना की ररपोटग ै भिसमे अभधक से अभधक लोगोिं की रूभच ो और भिसका अभधक से
अभधक लोगोिं पर प्रिाव पड़ र ा ो, उसे समाचार क ते ै |
समतचतर के र्त्त्व
िे िलतइन क्यत ै ?
समाचार माध्यमोिं में भकसी समाचार के प्रकाभित या प्रसाररत ोने के भलए के भलए पहुाँचने की आक्तखरी समय
सीमा को िै िलाइन क ते ै |
उल्टत त्रपरतत्रमि शैली क्यत ै ? इसकत त्रिकतस कैसे हुआ ?
समाचार लेखन की िैली भिसमे सबसे प ले म त्त्वपूणग िानकारी सबसे प ल्ले भलखी िाती ै,उसके बाद प ले
घटते म त्त्वक्रम में िानकारी ोती ै | इसे उल्टा भपराभमि िैली क ते ै |
(i) इं टरो - समाचार लेखन के िुरुआत की तीन चार पिंक्तियोिं में चार ककरोिं- क्या,कौन,क ााँ,कब ? की िानकारी
ोती ै | य सूचनात्मक व तथ्ोिं पर आधाररत ोती ै | इिं टरो से प ले िीषगक स्थान व भदनािंक की िानकारी
ोती ै |
(ii) बॉिी यत समतपन- इनमे बाकी के दो ककारोिं –क्योिं कैसे- की िानकारी ोती ै | य भववरणात्मक तथा
भवश्लेषणात्मक ोता ै |समापन में अन्य िानकाररयााँ व उिरण भलखे िाते ै ?
समापन
भवकास- 19 वीिं सदी में,अमेररका में गृ युि के दौरान आवश्क सन्दे ि िेिने के भलए |
भकसी समाचार को भलखते हुए मुख्यतः छ सवालोिं का िवाब भदया िाता ै िो भनम्न ै –
क्या
कौन
इं टरो में प्रथम चार ककार
सूचनात्मक ोते ै |
कब
छ ककार
क ााँ
कैसे
बॉिी और समतपन में अिंभतम दो
ककार भववरणात्मक,व्याख्यात्मक और
भवश्लेषणात्मक ोते ै |
क्योिं
फीचर लेखन –फीचर एक सुव्यवक्तस्थत,सृिनात्मक और आत्मभनष्ठ लेखन ै भिसका उद्दे श् पाठकोिं को सूचना
दे ने,भिभक्षत करने के साथ मुख्य रूप से मनोरिं िन करना ै |
फीचर त्रलखने में त्रकन बतर्ों कत ध्यतन रखें / फीचर कैसे त्रलखें |
❖ फीचर को सिीव बनाने के भलए उसमे उस भवषय से िुड़े लोगोिं याभन पािोिं की मौभिदगी ोना िरुरी ै |
❖ फीचर को मनोरिं िक ोने के साथ-साथ सूचनात्मक िी ोना िरुरी ोता ै |
❖ फीचर को भकसी बैठक की कायगवा ी की तर न ीिं भलखना चाभ ए |
❖ फीचर आमतौर पर सूचनाओिं,तथ्ोिं और भवचारोिं पर आधाररत कथात्मक भववरण और भवश्लेषण ै |
❖ फीचर का कोई न कोई थीम अवश् ोना चाभ ए |
❖ थीम के इदग भगदग प्रासिंभगक तथ्,सूचनाएिं और भवचार गुिंथे ोने चाभ ए |
❖ अथग-व्यापार
❖ खेल
❖ कृभष
❖ भवदे ि
❖ रक्षा त्रिशेष लेखन
❖ पयाग वरण के क्षेत्र
❖ भिक्षा
❖ स्वस्थ्य
❖ भफल्म मनोरिं िन
❖ अपराध
❖ सामाभिक मुद्दे
❖ क़ानून आभद
❖ मिंिालय के सूि
❖ प्रेस कािं फ्रेंस और भवज्ञक्तप्तयािं
❖ साक्षात्कार
❖ सवे और िािं च सभमभतयोिं की ररपोटग
❖ उस क्षेि में सक्रीय सिंस्था और व्यक्ति
❖ इिं टरनेट और अन्य सिंचार माध्यम
❖ सिंबिंभधत भविागोिं और सिंगठनोिं िुड़े व्यक्ति
❖ स्थायी अध्ययन प्रभक्रया
अध्यतय-11
कैसे करें क तनी कत नतट्य रूपतंर्रण
क तनी और नतटक में संबंध-
क ानी और नाटक दोनोिं का केंि भबिंदु कथानक ोता ै | क ानी और नाटक दोनोिं में पाि, दे िकाल तथा
वातावरण िैसे तत्व मौिूद ोते ै | साथ ी सिंवाद,द्विं द्व, उद्दे श् तथा चरमोत्कषग दोनोिं ी भवधाओिं में पाए िाते ै|
इस सिंबिंध को भनम्न भबन्दु ओिं से समझा िा सकता ै -
क तनी
1. क ानी का केंि भबिंदु कथानक ोता ै।
2. क ानी में एक क ानी ोती ै।
3. क ानी में पाि ोते ैं ।
4. क ानी में पररवेि ोते ैं ।
5. क ानी का क्रभमक भवकास ोता ै ।
6. क ानी में सिंवाद ोते ैं।
7. क ानी में पािोिं के मध्यम द्विं द्व ोता ै।
8. क ानी में एक उद्दे श् भनभ त ोता ै।
9. क ानी का चरमोत्कषग ोता ै।
नतटक
1.नाटक का केंि भबिंदु कथानक ोता ै ।
2. नाटक में िी एक क ानी ोती ै ।
3. नाटक में िी पाि ोते ैं ।
4. नाटक में िी पररवेि ोता ै।
5. नाटक का िी क्रभमक भवकास ोता ै।
6. नाटक में िी सिंवाद ोते ैं।
7. नाटक में िी पािोिं के मध्य द्विं द्व ोता ै।
8. नाटक में िी एक उद्दे श् भनभ त ोता ै।
9. नाटक का िी चरमोत्कषग ोता ै ।
क तनी और नतटक में मूलिूर् अंर्र
❖ ि ााँ क ानी का सिंबिंध लेखक और पाठक से ै व ीाँ नाटक लेखक,भनदे िक,पाि,श्रोता एविं अन्य लोगोिं को
एक दू सरे से िोड़ता ै |
❖ क ानी क ी िाती ै या पढ़ी िाती ै | नाटक मिंच पर प्रस्तुत भकया िाता ै |
❖ कुछ मूल तत्त्व िैसे द्विं द्व नाटक भितना और भिस मािा में ोता ै उतना क ानी में सिंिावातःना ी ोता ै
|
क तनी कत नतट्य रूपतंर्रण कैसे करें ?
❖ क ानी को नाटक में रूपािं तररत करने के भलए सबसे प ले क ानी की भवस्तृत कथावस्तु को समय और
स्थान के आधार पर भविाभित भकया िाता ै |
❖ क ानी की कथावस्तु को सामने रखकर एक-एक घटना को चुन-चुनकर भनकाला िाता ै और उसके
आधार पर दृश् भनमाग ण ोता ै |
❖ यभद एक घटना,एक स्थान और एक समय में घट र ी ै तो व एक दृश् ोगा | उद ारण के तौर पर
ईदगा क ानी को म एक दृश् में रूपािंतररत कर सकते ै |
❖ स्थान और समय के आधार पर क ानी का भविािन करके दृश्ोिं को भलखा िा सकता ै | य दे खना
आवश्क ै भक प्रत्येक दृश् का कथानक के अनुसार औभचत्य ो | य में िान लेना आवश्क ै भक
क्या प्रत्येक दृश् कथानक का भ स्सा ै ? अनावश्क दृश्ोिं को िाभमल न भकया िाएाँ | अनावश्क दृश्
नाटक की गभत को बाभधत करते ै |
❖ य ध्यान रखना चाभ ए भक प्रत्येक दृश् का कथानुसार भवकास को र ा या न ीिं |
❖ दृश् भविेष के उद्दे श् और उसकी सिंरचना पर भवचार आवश्क ै | प्रत्येक दृश् एक भबिंदु से प्रारिं ि
ोता ै |
❖ य दे खना आवश्क ै भक पररक्तस्थभत,पररवेि,पाि,कथानक से सिंबिंभधत भववरणात्मक भटप्पभणयााँ भकस
प्रकार की ै |
❖ रूपािंतररत नाटक में क ानी के पािोिं की दृश्ात्मकता क ानी के आधार पर कर सकते ै िैसे ईदगा
क ानी में ाभमद के कपड़ोिं और प न्वे का भिक्र न ीिं भकया गया ै लेभकन म क ानी के आधार पर
अनुमान लगा सकते ै भक ाभमद फाटे पुराने कपड़े प ने हुए ोगा और निं गे पैर ोगा |
❖ क ानी लिंबे सिंवादोिं को छोटा करके अभधक नाटकीय बनाया िाना चाभ ए |
नतट्य रूपतंर्रण की चुनोत्रर्यतँ –
❖ सबसे प्रमुख चुनौती य ै की कथानक के अनुसार दृश् भदखाना |
❖ नाटक के दृश् बनाने से प ले उसका खाका तैयार करना |
❖ नाटकीय सिंवादोिं का क ानी के मूल सिंवादोिं के साथ मेल ोना चाभ ए |
❖ सिंगीत,ध्वभन और प्रकाि व्यवस्था करने की चुनौती |
❖ सिंवादोिं को नाटकीय रूप प्रदान करने की समस्या |
❖ कथानक को अभिनय के अनुरूप बनाने में समस्या |
अध्यतय-12
कैसे बनर्त ै रे त्रियो नतटक
रे त्रियो नतटक की परं परत-
आि से कुछ दिकोिं प ले िब न टे लीभविन था न ी किंप्यूटर और न अन्य सोिल मीभिया के साधन तब रे भियो
मनोरिं िन एक प्रमुख साधन था | आज़ादी की लड़ाई में िी रे भियो का अ म योगदान र ा | भ िंदी साभ त्य के
तमाम बड़े साभ त्यकार रे भियो स्टे िनोिं के भलए ी अपने नाटक भलखते थे | तब ये उनके भलए बड़े ी सम्मान की
बात ोती थी | धमगवीर िारती कृत अाँधा युग और मो न राकेि का आषाढ़ का एक भदन इसके श्रेष्ठ उद ारण ै |
रे त्रियो नतटक
❖ नाट्य आन्दोलन के भवकास में रे भियो नाटक की अ म् िूभमका र ी ै |
❖ भसनेमा और रिं गमिंच की तर रे भियो एक दृश् माध्यम न ीिं बक्ति श्रव्य माध्यम ै |
❖ रे भियो पूरी तर से श्रव्य माध्यम ै इसीभलए रे भियो नाटक या रिं गमिंच के लेखन से थोिा भिन्न िी ै और
थोिा मुक्तिल िी |
❖ रे भियो की प्रस्तुभत सिंवादोिं और ध्वनी प्रिावोिं के माध्यम से ोती ै |
❖ भफल्म की तर रे भियो में एक्सन की गुिंिाईि न ीिं ोती ै |
❖ रे भियो नाटक की समयावभध सीभमत ोती ै |
❖ पािोिं सिंबिंधी भवभवध िानकारी सिंवाद एविं ध्वभन सिंकेतोिं से उिागर ोती ै |
त्रसनेमत,रं गमंच और रे त्रियो नतटक में समतनर्त
➢ भसनेमा,रिं गमिंच और रे भियो नाटक में एक क ानी ोती ै |
➢ तीनोिं में ी क ानी आरिं ि,मध्य तथा अिंत ोता ै |
➢ तीनोिं माध्यमोिं में पािोिं का चररि भचिण तथा आपसी सिंवाद ोते ै |
➢ तीनोिं माध्यमोिं में क ानी का द्विं द्व तथा सिंवादोिं के माध्यम से क ानी का भवकास ोता ै |
त्रसनेमत,रं गमंच और रे त्रियो नतटक में अंर्र
➢ भसनेमा, रिं गमिंच और एक दृश् माध्यम ै तथा रे भियो नाटक एक श्रव्य माध्यम ै |
➢ भसनेमा और रिं गमिंच में मिंच सज्जा और वस्त्र सज्जा का बहुत ध्यान रखा िाता ै परन्तु रे भियो नाटक में
इनका कोई म त्त्व न ीिं ै |
➢ भसनेमा और रिं गमिंच में पािोिं की िाव ििंभगमाएाँ भविेष म त्त्व रखती ै तथा रे भियो नाटक में इनकी कोई
आवश्कता न ीिं ोती |
➢ भसनेमा और रिं गमिंच की क ानी को पािोिं की िावनाओिं के द्वारा प्रस्तुत भकया िाता ै तथा रे भियो नाटक
की क ानी को ध्वभन प्रिाओिं और सिंवादोिं के माध्यम से सिंप्रेभषत भकया िाता ै |
रे त्रियो नतटक में ध्वत्रन प्रितिों और संितदों कत म त्त्व
1. रे भियो में पािोिं से सिंबिंधी सिी िानकाररयााँ सिंवादोिं दे माध्यम से भमलती ै |
2. पािोिं की चाररभिक भविेषताएाँ सिंवादोिं के द्वारा ी उिागर ोती ै |
3. नाटक का पूरा कथानक सिंवादोिं पर आधाररत ोता ै |
4. इसमें ध्वभन प्रिावोिं और सिंवादोिं के माध्यम से ी कथा श्रोताओिं तक पहुाँचाया िाता ै |
5. सिंवादोिं के माध्यम से ी रे भियो नाटक का उद्दे श् स्पि ोता ै |
6. सिंवादोिं के द्वारा ी श्रोताओिं को सन्दे ि भदया िाता ै |
रे त्रियो नतटक के र्त्व
इसके भलए 3 तत्वोिं का स ारा भलया िाता ै।रे भियो नाटक में ये 3 तत्व म त्वपूणग ै
● िाषा
● ध्वभन
● सिंगीत
इन तीनोिं के कलात्मक सिंयोिन से भविेष प्रिाव उत्पन्न भकया िाता ै। िाषा केंि में ै और या ध्यातव्य ै भक
िाभषत िब् की िक्ति भलक्तखत सबसे अभधक ोती ै और िब् प्रयोग ऐसे ो भिन का उच्चारण अभिनय सिंपन्न
ो सके। य ािं वाभचक अभिनय की ओर सिंकेत ै