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अभिव्यक्ति और माध्यम

कक्षा – 12 भ िं दी आधार

संकलनकर्ता-
म ावीर प्रसाद रै गर (स्नातकोत्तर भिक्षक,भ िंदी)
केन्द्रीय भवद्यालय भिन्द्रा
अध्याय- 3
भवभिन्न माध्यमोिं के भलए लेखन
जनसंचतर - प्रत्यक्ष सिंवाद के बिाय भकसी तकनीकी या याक्तिक माध्यम के द्वारा समाि के एक भविाल वगग से
सिंवाद कायम करना िनसिंचार क लाता ै।

जनसंचतर के प्रमुख मतध्यम-


➢ अखबार,
➢ रे भियो,
➢ टीवी,
➢ इिं टरनेट,
➢ भसनेमा आभद

भप्रिंट माध्यम (मुभित माध्यम)-


समतचतर पत्र, पत्रत्रकतएँ , पुस्तकें

त्रप्रंट मतध्यम (मुत्रिर् मतध्यम)-

➢ िनसिंचार के आधुभनक माध्यमोिं में सबसे पुराना माध्यम ै ।


➢ मुिण कला की िुरुआत चीन से हुई |
➢ आधुभनक छापाखाने का आभवष्कार िमगनी के गुटेनबगग ने भकया।
➢ यूरोप में पुनिागगरण ‘रे नेसााँ’ की िुरुआत में छापेखाने का प्रमुख योगदान था |
➢ िारत में प ला छापाखाना सन 1556 ई. में गोवा में खुला, इसे ईसाई भमिनररयोिं ने धमग-प्रचार की
पुस्तकें छापने के भलए खोला था
➢ मुभित माध्यमोिं के अन्तगगत अखबार, पभिकाएाँ , पुस्तकें आभद आती ैं ।

मुत्रिर् मतध्यम की त्रिशेषर्तएँ :


➢ छपे हुए िब्ोिं में स्थाभयत्व ोता ै , इन्हें सुभवधा अनुसार भकसी िी प्रकार से पढाा़ िा सकता ै ।
➢ य माध्यम भलक्तखत िाषा का भवस्तार ै। इसमें िाषा,व्याकरण,वतगनी का भविेष ध्यान रखा िाता ै|
➢ य भचिंतन, भवचार- भवश्लेषण का माध्यम ै ।
मुत्रिर् मतध्यम की सीमतएँ

➢ भनरक्षरोिं के भलए मुभित माध्यम भकसी काम के न ीिं ोते।


➢ ये तुरिंत घटी घटनाओिं को सिंचाभलत न ीिं कर सकते।
➢ इसमें स्पेस तथा िब् सीमा का ध्यान रखना पड़ता ै।
➢ इसमें एक बार समाचार छप िाने के बाद अिुक्ति-सुधार न ीिं भकया िा सकता।
मुत्रिर् मतध्यमों में लेखन के त्रलए ध्यतन रखने योग्य बतर्ें :

िाषागत िुिता का ध्यान रखा प्रचभलत िाषा का प्रयोग भकया


िाना चाभ ए। िाए।

समय, िब् व स्थान की सीमा लेखन में तारतम्यता एविं स ि


का ध्यान रखा िाना चाभ ए। प्रवा ोना चाभ ए।

इलेकटर तत्रनक मतध्यम

➢ रे त्रियो
➢ टे त्रलत्रिजन
➢ इं टरनेट
➢ त्रसनेमत
रे त्रियो-
रे भियो एक श्रव्य माध्यम ै । इसमें िब् एविं आवाि का म ्त्व ोता ै। रे भियो एक रे खीय (लीभनयर) माध्यम
ै। रे भियो समाचर की सिंरचना उल्टा भपराभमि िैली पर आधाररत ोती ै। उल्टाभपराभमि िैली में समाचार को
तीन िागोिं बााँटा िाता ै -इिं टरो, बााँिी और समापन। इसमें तथ्ोिं को म त्त्व के क्रम से प्रस्तुत भकया िाता ै ,
सवगप्रथम सबसे ज्यादा म त्त्वपूणग तथ् को तथा उसके उपरािंत म त्त्व की दृभि से घटते क्रम में तथ्ोिं को रखा
िाता ै।
रे त्रियो समतचतर-लेखन के त्रलए बुत्रनयतदी बतर्ें :

❖ समाचार वाचन के भलये तैयार की गई कापी साफ़-सुथरी ओर टाइप्ि कॉपी ो ।


❖ कापी को भटर पल स्पेस में टाइप भकया िाना चाभ ए।
❖ पयागप्त ाभिया छोिाा़ िाना चाभ ए।
❖ अिंकोिं को भलखने में सावधानी रखनी चाभ ए। 1 से 10 तक के अिंकोिं को िब्ोिं में, 11 से 999 को अिंकोिं
में भलखा िाए | बड़े अिंकोिं को िब्ोिं में भलखना चाभ ए |
❖ सिंभक्षप्ताक्षरोिं के प्रयोग से बचा िाना चाभ ए। सिंभक्षप्ताक्षरोिं के प्रयोग में य दे खा िाना चाभ ए भक व
भकतना लोकभप्रय ै िैसे िब्लूटीओ,यूभनसेफ,साकग,आईसीआईसीआई आभद |
टे लीत्रिजन (दू रदशान)

िनसिंचार का सबसे लोकभप्रय व सिि माध्यम ै। इसमें ध्वभनयोिं के साथ-साथ दृश्ोिं का िी समावेि
ोता ै। इसके भलए समाचार भलखते समय इस बात का ध्यान रखा िाता ै भक िब् व पदे पर भदखने वाले
दृश् में समानता ो।
टी०िी० खबरों के त्रित्रिन्न चरण

➢ (१) फ़्लैश यत ब्रेत्रकंग न्यूज- इसमें कम से कम िब्ोिं में सूचना दी िाती ै |


➢ (२) िर तई एं कर-इसमें एिं कर खबर दिगकोिं को सीधे-सीधे बताता ै भक क ााँ,क्या,कब,कैसे हुआ आभद
➢ (३) फ़ोन इन-इसके बाद खबर का भवस्तार ोता ै | एिं कर ररपोटग र से फोन पर बात करके सूचनाएाँ
दिगको तक पहुाँचाया िाता ै |
➢ (४) एं कर-त्रिजुअल – िब घटना के दृश् या भविुअल भमल िाते ै तब उन दृश्ोिं के आधार पर खबर
भलखी िाती ै भिसे एिं कर द्वारा पढ़ा िाता ै |
➢ (५) एं कर-बतइट – बाईट याभन कथन | टे लीभविन में बाईट का बहुत म त्त्व ै | टे लीभविन में भकसी िी
खबर को पुि करने के भलए प्रत्यक्षदभिगयोिं के बाईट भदखाई िाती ै |
➢ (६) लतइि – लाइव याभन घटना का सीधा प्रसारण |
➢ (७) एं कर-पैकेज- भकसी खबर को सिंपूणगता के साथ प्रस्तुत करना |
नेट सतउं ि- भकसी खबर का वोइस ओवर भलखते हुए उसमे िॉट् स के मुताभबक ध्वभनयोिं के भलए गुिंिाईि छोड़
दे नी चाभ ए | टीवी में ऐसी ध्वभनयोिं को नेट साउिं ि याभन प्राकृभतक आवाज़े क ते ै |
रे त्रियो और टे लीत्रिजन समतचतर की ितषत शैली
➢ िाषा आम लोगोिं की पहुाँच वाली ोनी चाभ ए परन्तु िाषा के स्तर और गररमा के साथ कोई समझौता िी
न करना पड़े |
➢ समाचार में वाक्य छोटे ,सीधे और स्पि िाषा में भलखे िाए |
➢ तथा,भकन्तु,परन्तु,या,आभद िब्ोिं के प्रयोग से बचना चाभ ए |
➢ क्रय भवक्र की िग खरीद भबक्री,स्थानािंतरण की िग तबादला और पिंक्ति की िग कतार टीवी में
स ि माने िाते ै |
इं टरनेट
सिंसार का सबसे नवीन व लोकभप्रय माध्यम ै। इसमें िनसिंचार के सिी माध्यमोिं के गुण समाभ त ैं। य
ि ााँ सूचना, मनोरिं िन, ज्ञान और व्यक्तिगत एविं सावगिभनक सवादोिं के आदान-प्रदान के भलए श्रेष्ठ माध्यम ै ,
व ीिं अश्लीलता, दु ष्प्रचार व गिंदगी फ़ैलाने का िी िररया ै ।
इं टरनेट पत्रकतररर्त

इिं टरनेट पर समाचारोिं का प्रकािन या आदान-प्रदान इिं टरनेट पिकाररता क लाता ै। इिं टरनेट पिकाररता दो
रूपोिं में ोती ै। प्रथम- समाचार सिंप्रेषण के भलए नेट का प्रयोग करना । दू सरा- ररपोटग र अपने समाचार को ई-
मेल द्वारा अन्यि िेिने व समाचार को सिंकभलत करने तथा उसकी सत्यता, भवश्वसनीयता भसि करने तथा
उसकी सत्यता, भवश्वसनीयता भसि करने के भलए करता ै

ितरर्- प ला चरण 1993 से तथा दू सरा चरण 2003 से िुरू माना िाता ै। िारत में सच्चे अथों में वेब
पिकाररता करने वाली साइटें ’रीभिफ़ िॉट कॉम’, इिं भिया इफ़ोलाइन’ व ’सीफ़ी’ ैं । रीभिफ़ को िारत
की प ली साइट क ा िाता ै । वेब साइट पर भविुि पिकाररता िुरू करने का श्रेय ’त लका
िॉट् कॉम’ को िाता ै।

त्र ंदी में नेट पत्रकतररर्त

वेब दु भनया’ के साथ िुरू हुई। य भ न्दी का सिंपूणग पोटग ल ै। प्रिा साक्षी नाम का अखबार भप्रिंट रूप में न
ोकर भसफ़ग नेट पर ी उपलब्ध ै। आि पिकाररता के भल ाि से भ न्दी की सवग श्रेष्ठ साइट बीबीसी की ै , िो
इिं टरनेट के मानदिं िोिं के अनुसार चल र ी ै। भ न्दी वेब िगत में ’अनुिूभत’, अभिव्यक्ति, भ न्दी नेस्ट, सराय आभद
साभ क्तत्यक पभिकाएाँ िी अच्छा काम कर र ी ैं। अिी भ न्दी वेब िगत की सबसे बिीा़ समस्या मानक की बोिग
तथा फ़ोिंट की ै । िायनभमक फ़ौिंट के अिाव के कारण भ न्दी की ज्यादातर साइटें खुलती ी न ीिं ैं ।

अध्यतय-4
पत्रकतरीय लेखन के त्रित्रिध रूप और लेखन प्रत्रियत
पिकारीय लेखन क्या ै ?
अख़बार या अन्य समाचार माध्यमोिं में काम करने वाले पिकार अपने पाठकोिं,दिगकोिं और श्रोताओिं तक सूचनाएिं
पहुाँचाने के भलए लेखन के भवभिन्न रूपोिं का इस्तेमाल करते ै,इसे पिकारीय लेखन क ते ै |
पिकार तीन प्रकार के ोते ै –

1.पूणाकतत्रलक पत्रकतर- पूणगकाभलक पिकार 2.अंशकतत्रलक यत स्ट्रं गर- भकसी समाचार


भकसी समाचार सिंगठन में काम करने वाला सिंगठन के भलए एक भनभित मानदे य पर काम
भनयभमत वेतनिोगी कमगचारी ोता ै | करने वाला पिकार ोता ै |

3..फ्रीलतंसर- फ्रीलािंसर पिकार का सिंबिंध
भकसी ख़ास अखबार से न ीिं ोता ै बक्ति व
िुगतान के आधार पर अलग-अलग अख़बारोिं
के भलए काम करता ै |

अच्छे लेखन के त्रलए ध्यतन रखने योग्य बतर्ें –


❖ छोटे वाक्य भलखे | सरल वाक्य सिंरचना को वरीयता दें |
❖ आम बोलचाल की िाषा और िब्ोिं का प्रयोग करें |
❖ िाने माने लेखकोिं की रचनाओिं को ध्यान से पढ़ें |
❖ लेखन में कसावट बहुत िरुरी ै |
❖ एक अच्छे लेखक को पूरी दु भनया से लेकर अपने आसपास धटने वाली घटनाओिं,समाि और पयागवरण
पर ग री भनगा रखनी चाभ ए |
❖ लेखक में तथ्ोिं को िुटाने और भकसी भवषय पर बारीकी से भवचार करने का धैयग ोना चाभ ए |

समाचार
समाचार ऐसी ताज़ा घटना की ररपोटग ै भिसमे अभधक से अभधक लोगोिं की रूभच ो और भिसका अभधक से
अभधक लोगोिं पर प्रिाव पड़ र ा ो, उसे समाचार क ते ै |

समतचतर के र्त्त्व

नवीनता,भनकटता ,प्रिाव,िनरुभच,टकराव,म त्त्वपूणग लीग, उपयोगी िानकाररयााँ अनोखापन,पाठक वगग, नीभतगत


ढााँचा |

i निीनर्त – तिा घटना

ii.त्रनकटर्त – पाठकोिं, श्रोताओिं, या दिगकोिं के भनकट

iii.प्रिति- घटना का अभधक से अभधक लोगोिं पर प्रिाव पड़ना चाभ ए |

iv जनरुत्रच- घटना में अभधक से अभधक लोगोिं की रूभच ो |

िे िलतइन क्यत ै ?

समाचार माध्यमोिं में भकसी समाचार के प्रकाभित या प्रसाररत ोने के भलए के भलए पहुाँचने की आक्तखरी समय
सीमा को िै िलाइन क ते ै |
उल्टत त्रपरतत्रमि शैली क्यत ै ? इसकत त्रिकतस कैसे हुआ ?

सबसे म त्त्वपूणा जतनकतरी


इं ट्रो
कम म त्त्वपूणा जतनकतरी
बॉडी
सबसे कम म त्त्वपूणा जतनकतरी
समापन

समाचार लेखन की िैली भिसमे सबसे प ले म त्त्वपूणग िानकारी सबसे प ल्ले भलखी िाती ै,उसके बाद प ले
घटते म त्त्वक्रम में िानकारी ोती ै | इसे उल्टा भपराभमि िैली क ते ै |

समतचतर कैसे त्रलखत जतर्त ै ?

समाचार लेखन के तीन िाग ोते ै -

(i) इं टरो - समाचार लेखन के िुरुआत की तीन चार पिंक्तियोिं में चार ककरोिं- क्या,कौन,क ााँ,कब ? की िानकारी
ोती ै | य सूचनात्मक व तथ्ोिं पर आधाररत ोती ै | इिं टरो से प ले िीषगक स्थान व भदनािंक की िानकारी
ोती ै |

(ii) बॉिी यत समतपन- इनमे बाकी के दो ककारोिं –क्योिं कैसे- की िानकारी ोती ै | य भववरणात्मक तथा
भवश्लेषणात्मक ोता ै |समापन में अन्य िानकाररयााँ व उिरण भलखे िाते ै ?

इं टरो में क्यत,कौन,क तँ,कब ककतर आर्े ै |


इं ट्रो (सूचनतत्मक ककतर)

बॉडी बॉिी और समतपन में क्यों और कैसे ककतर आर्े ै


(त्रििरणतत्मक यत त्रिश्लेषणतत्मक ककतर)

समापन

भवकास- 19 वीिं सदी में,अमेररका में गृ युि के दौरान आवश्क सन्दे ि िेिने के भलए |

समतचतर लेखन के छ ककतर –

भकसी समाचार को भलखते हुए मुख्यतः छ सवालोिं का िवाब भदया िाता ै िो भनम्न ै –

क्या
कौन
इं टरो में प्रथम चार ककार
सूचनात्मक ोते ै |

कब
छ ककार

क ााँ

कैसे
बॉिी और समतपन में अिंभतम दो
ककार भववरणात्मक,व्याख्यात्मक और
भवश्लेषणात्मक ोते ै |
क्योिं

फीचर लेखन –फीचर एक सुव्यवक्तस्थत,सृिनात्मक और आत्मभनष्ठ लेखन ै भिसका उद्दे श् पाठकोिं को सूचना
दे ने,भिभक्षत करने के साथ मुख्य रूप से मनोरिं िन करना ै |

❖ फीचर समाचार की तर पाठकोिं को तात्काभलक घटनाक्रम से अवगत न ीिं कराता ै |


❖ समाचार लेखन में वस्तुभनष्ठता,तथ्ोिं की िुिता पर िोर भदया िाता ै िबभक फीचर में लेखक अपनी राय या
दृभिकोण या िावनाएिं व्यि करने का अवसर ोता ै |
❖ फीचर लेखन की िैली काफी द तक कथात्मक िैली की तर ोती ै |
❖ फीचर लेखन की िाषा समाचारोिं के भवपरीत सरल,रूपात्मक,आकषगक और मन को चूने वाली ोती ै |
❖ फीचर की िाषा में समाचारोिं की सपाट बयानी न ीिं चलती ै |
❖ फीचर आमतौर पर ररपोटग से बड़े ोते ै |
❖ अख़बारोिं में 250 िब्ोिं से लेकर 2500 िब्ोिं तक की िब् सीमा ोती ै |
❖ एक अच्छे और रोचक फीचर के भलए फोटो, रे खािंकन और ग्राभफक्स ोना िरुरी ै |
❖ कुछ समाचारोिं को फीचर िैली में भलखा िा सकता ै परन्तु फीचर को समाचार िैली में न ीिं भलखा िा
सकता |

फीचर त्रलखने में त्रकन बतर्ों कत ध्यतन रखें / फीचर कैसे त्रलखें |

❖ फीचर को सिीव बनाने के भलए उसमे उस भवषय से िुड़े लोगोिं याभन पािोिं की मौभिदगी ोना िरुरी ै |
❖ फीचर को मनोरिं िक ोने के साथ-साथ सूचनात्मक िी ोना िरुरी ोता ै |
❖ फीचर को भकसी बैठक की कायगवा ी की तर न ीिं भलखना चाभ ए |
❖ फीचर आमतौर पर सूचनाओिं,तथ्ोिं और भवचारोिं पर आधाररत कथात्मक भववरण और भवश्लेषण ै |
❖ फीचर का कोई न कोई थीम अवश् ोना चाभ ए |
❖ थीम के इदग भगदग प्रासिंभगक तथ्,सूचनाएिं और भवचार गुिंथे ोने चाभ ए |

फीचर लेखन के प्रकतर


1) समाचार बैक ग्राउिं िर
2) खोिपरक फीचर
3) साक्षात्कार फीचर
4) िीवनिैली फीचर
5) रूपात्मक फीचर
6) व्यक्तिभचि फीचर
7) यािा फीचर
8) भविेष रूभच फीचर
त्रिशेष ररपोटा कैसे त्रलखे ?
अख़बारोिं और पि पभिकाओिं में सामान्य समाचारोिं के आलावा ग री छानबीन,भवश्लेषण और व्याख्या के आधार
पर िो ररपोटग प्रकाभित की िाती ै उसे भविेष ररपोटग क ते ै |
❖ ऐसी ररपोटग को तैयार करने के भलए भकसी घटना,समस्या या मुद्दे की ग री छानबीन ै |
❖ उससे सिंबिंभधत तथ्ोिं को इकठ्ठा भकया िाता ै |
❖ तथ्ोिं के भवश्लेषण के िररये उसके नतीिे,प्रिाव और कारणोिं को स्पि भकया िाता ै |
त्रिशेष ररपोटा के प्रकतर-
1.खोजी ररपोटा - आमतौर पर भ्रिाचार,गड़बभड़यााँ तथा अभनयभमतताओिं को उिागर करने के भलए खोिी ररपोटग
भलखी िाती िाती ै |
2.इन िे फ्थ ररपोटा - सावगिभनक तौर पर उपलब्ध तथ्ोिं,सूचनाओिं और आिं कड़ोिं की ग री छानबीन की िाती ै
और उसके आधार पर भकसी घटना,समस्या या मुद्दे से िुड़े म त्त्वपूणग तथ्ोिं या प लुओिं को सामने लाया िाता ै
|
3.त्रिश्लेषणतत्मक ररपोटा - इस तर की ररपोटग में भकसी घटना या भकसी समाचार का भवस्तृत और बारीक रूप
से पूरा भववरण पेि भकया िाता ै। इस तर की ररपोटग सामान्य समाचारोिं की तुलना में थोड़ी बड़ी और भवस्तृत
ोती ैं।

त्रिचतरपरक लेखन-लेख,त्रटप्पत्रणयतँ और संपतदकीय


संपतदकीय लेखन-सम्पादकीय पृष्ठ पर प्रकाभित ोने वाले सिंपादकीय को उस अखबार की अपनी आवाज़
माना िाता ै |
▪ सिंपादकीय के िररये भकसी घटना,समस्या या मुद्दे के प्रभत अपनी राय प्रकट करते ै |
▪ सिंपादकीय भकसी व्यक्ति भविेष का भवचार न ीिं ोता,इसभलए उसे भकसी के नाम के साथ न ीिं छापा
िाता |
▪ सिंपादकीय भलखने का दयोत्त्व उस अखबार में काम करने वाले सिंपादक और उनके स योभगयी पर ोता
ै|
▪ आमतौर पर अख़बारोिं में स ायक सिंपादक, सिंपादकीय भलखते ै |
▪ कोई बा र का लेखक या पिकार सिंपादकीय न ीिं भलख सकता ै |
स्तंि लेखन – स्तिंि लेखन िी भवचारपरक लेखन का एक प्रमुख रूप ै | कुछ म त्त्वपूणग लेखक अपने ख़ास
वैचाररक रुझान के भलए िाने िाते ै | उनकी अपनी लेखन िैली िी भवकभसत ो िाती ै | ऐसे लेखकोिं की
लोकभप्रयता को अख़बार उन्हें एक भनयभमत स्तिंि भलखने का भिम्मा दे दे ते ै | स्तिंि का भवषय चुनने और उसमे
अपने भवचार व्यि करने की स्तिंि लेखक को पूरी छूट ोती ै | स्तिंि में लेखक के अपने भवचार ोते ै | य ी
कारण ै भक स्तिंि अपने लेखकोिं के नाम पर िाने और पसिंद भकया िाता ै | कुच्छ स्तिंि इतने लोकभप्रय ोते ै
भक अखबार उनके कारण िी प चाने िाते ै |
संपतदक के नतम पत्र –अख़बारोिं के सिंपादकीय पृष्ठ पर और पभिकाओिं की िुरुआत में सिंपादक के नाम पाठकोिं
के पि िी प्रकाभित ोते ै |इसके भलए एक स्थायी स्तिंि ोता ै | इस स्तिंि के िररये अख़बार के पाठक न भसफग
भवभिन्न मुद्दोिं पर अपनी राय व्यि करते ै बक्ति अम्म लोगोिं की समस्याओिं को िी उठाते ै | एक तर से य
स्तिंि िनमत को प्रभतभबिंभबत करता ै | य िरुरी न ीिं भक अख़बार पाठको द्वारा व्यि भकये गये भवचारोिं से
स मत ो |
लेख-सिी अख़बार सिंपादकीय पृष्ठ पर सिंपादकीय मुद्दोिं पर वररष्ठ पिकारोिं और उन भवषयोिं के भविेषज्ञोिं के लेख
प्रकाभित ोते ै | इन लेखोिं में भकसी भवषय या मुद्दे पर भवस्तार से चचाग की िाती ै | लेख भविेष ररपोटग और
फीचर से इस मामले में अलग ै भक उसमे लेखक के भवचारोिं को प्रमुखता दी िाती ै | लेभकन ये भवचार तथ्ोिं
और सूचनाओिं पर आधाररत ोते ै और लेखक उन तथ्ोिं और सूचनाओिं के भवश्लेष्ण और अपने तकों के िररये
अपनी राय और प्रस्तुत करता ै|
सतक्षतत्कतर/इन्टरव्यू
समाचार माध्यमोिं में साक्षात्कार का बहुत म त्त्व ै | पिकार एक तर से साक्षात्कार के िररये ी
समाचार,फीचर,भविेष ररपोटग और अन्य कई तर के पिकारीय लेखन के भलए कच्चा माल इकट्ठा करते ै |
❖ पिकारीय साक्षात्कार और सामान्य बातचीत में य फकग ोता ै भक साक्षात्कार में एक पिकार भकसी
अन्य व्यक्ति से तथ्,उसकी राय और िावनाएाँ िानने के भलए सवाल पूछता ै |
❖ साक्षात्कार का एक स्पि मकसद और ढााँचा ोता ै |
❖ एक सफल साक्षात्कार के भलए आपके पास न भसफग ज्ञान ोना चाभ ए बक्ति आपमें
सिंवेदनिीलता,कूटनीभत,धैयग और सा स िैसे गुण िी ोने चाभ ए |
❖ एक अच्छे साक्षात्कार के भलए िरुरी ै भक आपके पास अपने भवषय की पयागप्त िानकारी ोना चाभ ए |
❖ साक्षात्कार में ऐसे सवाल पूछने चाभ ए िो आम पाठकोिं के मन में ोते ै |
❖ ि ााँ तक सिंिव ो सके साक्षात्कार की ररकॉभििं ग करें अथवा उसके नोट् स भलखें |
❖ आप साक्षात्कार को सवाल िवाब की तर या आलेख की तर िी भलख सकते ै |
त्रिशेष लेखन – स्वरुप और प्रकतर
त्रिशेष लेखन क्यत ै – भविेष लेखन याभन भकसी ख़ास भवषय पर सामान्य लेखन से टकर भकया गया
लेखन | अभधकतर समाचार पि और पभिकाओिं के अलावा टीवी और रे भियो चैनलोिं में भविेष लेखन के
भलए अलग से िे स्क ोती ै और उस भविेष िे स्क पर काम करने वाले पिकारोिं का समू िी अलग
ोता ै | िैसे समाचार-पिोिं और अन्य माध्यमोिं में कारोबार और व्यापार का अलग िे स्क ोता ै| इसी
तर खेल, रािनीभत तथा अन्य भवषयोिं के भलए िी अलग-अलग िे स्क ोती ै | इन िे स्कोिं पर काम करने
वाले उपसिंपादकोिं से अपेक्षा की िाती ै भक सिंबिंभधत भवषय या क्षेि में उसकी भविेषज्ञता ोगी |
बीट – खबरें कई तर की ोती ै – रािनीभतक,आभथगक,अपराध,खेल,भफल्म,कृभष,क़ानून भवज्ञान या
भकसी िी और भवषय से िुड़ी हुई | सिंवाददाताओिं के बीच काम का भविािन आमतौर पर उनकी
भदलचस्पी और ज्ञान को ध्यान में रखते हुए भकया िाता ै | मीभिया की िाषा में इसे बीट क ते ै |
उदत रण- एक सिंवाददाता की बीत अगर अपराध ै तो इसका अथग य ै भक उसका कायगक्षेि अपने
ि र या क्षेि में घटने वाली आपराभधक घटनाओिं की ररपोभटिं ग करना ै |
लेभकन भविेष लेखन केवल बीट ररपोभटिं ग ी न ीिं ै | य बीत ररपोभटिं ग से आगे एक तर की भविेषीकृत
ररपोभटिं ग ै भिसमे न भसफग उस भवषय की ग री िानकारी ोनी चाभ ए बक्ति उसकी ररपोभटिं ग से
सिंबिंभधत िाषा और िैली पर िी पूरा अभधकार ोना चाभ ए |

❖ अथग-व्यापार
❖ खेल
❖ कृभष
❖ भवदे ि
❖ रक्षा त्रिशेष लेखन
❖ पयाग वरण के क्षेत्र
❖ भिक्षा
❖ स्वस्थ्य
❖ भफल्म मनोरिं िन
❖ अपराध
❖ सामाभिक मुद्दे
❖ क़ानून आभद

त्रिशेष लेखन की ितषत और शैली


भविेष लेखन की िाषा और िैली कई मामलोिं में सामान्य लेखन से भिन्न ै | उसके बीच सबसे बुभनयादी
फ़कग य ै भक र क्षेि भविेष की अपनी भविेष तकनीकी िब्ावली ोती ै िो उस भवषय पर भलखते
हुए आपके लेखन में आती ै |
उदत रण के र्ौर पर कतरोबतर और व्यतपतर की शब्दतिली-
तेिभड़या, मिंदभड़या,भबकवाली,ब्याि दर,मुिास्फीभत,व्यापर घाटा, रािकोषीय घाटा,रािस्व घाटा, वाभषगक
योिना,भवदे िी सिंस्थागत भनवेिक,आवक, भनवेि,आयात,भनयागत िैसे िब् |
इसी तर ‘सोने में िारी उछाल’, ‘चााँदी लुढकी’, या ‘आवक बढ़ने से लाल भमचग की कड़वा ट घटी’ िेयर
बाज़ार ने भपछले सारे ररकॉिग तोड़े , सेंसेक्स आसमान पर आभद |
पयतािरण और मौसम से जुड़ी शब्दतिली
❖ पभिमी वाएाँ
❖ आिता
❖ ग्लोबल वाभमिंग , टक्तक्सक कचरा, तूफ़ान का केंि या रुख
खेल से जुड़ी र्कनीकी शब्दतिली
❖ िारत ने पाभकस्तान को चार भवकेट से पीटा
❖ चैक्तम्पयन कप में मलेभिया ने िमगनी के आगे घुटने टीके आभद
शैली
1) भविेष लेखन की कोई भनभित िैली न ीिं ोती , लेभकन अगर आप अपने बीट से िुड़ा कूई समाचार भलख र े
ो तो उसकी िैली उल्टा भपराभमि िैली ी ोगी |
2) लेभकन अगर आप समाचार फीचर भलख र े ो तो उसे कथात्मक िैली में भलख सकते ै |
3) अगर आप लेख या भटप्पणी भलख र े ो तो इसकी िुरुआत िी फीचर की तर ोती ै |
त्रिशेष लेखन में सूचनतओं के स्रोर् –

❖ मिंिालय के सूि
❖ प्रेस कािं फ्रेंस और भवज्ञक्तप्तयािं
❖ साक्षात्कार
❖ सवे और िािं च सभमभतयोिं की ररपोटग
❖ उस क्षेि में सक्रीय सिंस्था और व्यक्ति
❖ इिं टरनेट और अन्य सिंचार माध्यम
❖ सिंबिंभधत भविागोिं और सिंगठनोिं िुड़े व्यक्ति
❖ स्थायी अध्ययन प्रभक्रया

अध्यतय-11
कैसे करें क तनी कत नतट्य रूपतंर्रण
क तनी और नतटक में संबंध-
क ानी और नाटक दोनोिं का केंि भबिंदु कथानक ोता ै | क ानी और नाटक दोनोिं में पाि, दे िकाल तथा
वातावरण िैसे तत्व मौिूद ोते ै | साथ ी सिंवाद,द्विं द्व, उद्दे श् तथा चरमोत्कषग दोनोिं ी भवधाओिं में पाए िाते ै|
इस सिंबिंध को भनम्न भबन्दु ओिं से समझा िा सकता ै -
क तनी
1. क ानी का केंि भबिंदु कथानक ोता ै।
2. क ानी में एक क ानी ोती ै।
3. क ानी में पाि ोते ैं ।
4. क ानी में पररवेि ोते ैं ।
5. क ानी का क्रभमक भवकास ोता ै ।
6. क ानी में सिंवाद ोते ैं।
7. क ानी में पािोिं के मध्यम द्विं द्व ोता ै।
8. क ानी में एक उद्दे श् भनभ त ोता ै।
9. क ानी का चरमोत्कषग ोता ै।
नतटक
1.नाटक का केंि भबिंदु कथानक ोता ै ।
2. नाटक में िी एक क ानी ोती ै ।
3. नाटक में िी पाि ोते ैं ।
4. नाटक में िी पररवेि ोता ै।
5. नाटक का िी क्रभमक भवकास ोता ै।
6. नाटक में िी सिंवाद ोते ैं।
7. नाटक में िी पािोिं के मध्य द्विं द्व ोता ै।
8. नाटक में िी एक उद्दे श् भनभ त ोता ै।
9. नाटक का िी चरमोत्कषग ोता ै ।
क तनी और नतटक में मूलिूर् अंर्र
❖ ि ााँ क ानी का सिंबिंध लेखक और पाठक से ै व ीाँ नाटक लेखक,भनदे िक,पाि,श्रोता एविं अन्य लोगोिं को
एक दू सरे से िोड़ता ै |
❖ क ानी क ी िाती ै या पढ़ी िाती ै | नाटक मिंच पर प्रस्तुत भकया िाता ै |
❖ कुछ मूल तत्त्व िैसे द्विं द्व नाटक भितना और भिस मािा में ोता ै उतना क ानी में सिंिावातःना ी ोता ै
|
क तनी कत नतट्य रूपतंर्रण कैसे करें ?
❖ क ानी को नाटक में रूपािं तररत करने के भलए सबसे प ले क ानी की भवस्तृत कथावस्तु को समय और
स्थान के आधार पर भविाभित भकया िाता ै |
❖ क ानी की कथावस्तु को सामने रखकर एक-एक घटना को चुन-चुनकर भनकाला िाता ै और उसके
आधार पर दृश् भनमाग ण ोता ै |
❖ यभद एक घटना,एक स्थान और एक समय में घट र ी ै तो व एक दृश् ोगा | उद ारण के तौर पर
ईदगा क ानी को म एक दृश् में रूपािंतररत कर सकते ै |
❖ स्थान और समय के आधार पर क ानी का भविािन करके दृश्ोिं को भलखा िा सकता ै | य दे खना
आवश्क ै भक प्रत्येक दृश् का कथानक के अनुसार औभचत्य ो | य में िान लेना आवश्क ै भक
क्या प्रत्येक दृश् कथानक का भ स्सा ै ? अनावश्क दृश्ोिं को िाभमल न भकया िाएाँ | अनावश्क दृश्
नाटक की गभत को बाभधत करते ै |
❖ य ध्यान रखना चाभ ए भक प्रत्येक दृश् का कथानुसार भवकास को र ा या न ीिं |
❖ दृश् भविेष के उद्दे श् और उसकी सिंरचना पर भवचार आवश्क ै | प्रत्येक दृश् एक भबिंदु से प्रारिं ि
ोता ै |
❖ य दे खना आवश्क ै भक पररक्तस्थभत,पररवेि,पाि,कथानक से सिंबिंभधत भववरणात्मक भटप्पभणयााँ भकस
प्रकार की ै |
❖ रूपािंतररत नाटक में क ानी के पािोिं की दृश्ात्मकता क ानी के आधार पर कर सकते ै िैसे ईदगा
क ानी में ाभमद के कपड़ोिं और प न्वे का भिक्र न ीिं भकया गया ै लेभकन म क ानी के आधार पर
अनुमान लगा सकते ै भक ाभमद फाटे पुराने कपड़े प ने हुए ोगा और निं गे पैर ोगा |
❖ क ानी लिंबे सिंवादोिं को छोटा करके अभधक नाटकीय बनाया िाना चाभ ए |
नतट्य रूपतंर्रण की चुनोत्रर्यतँ –
❖ सबसे प्रमुख चुनौती य ै की कथानक के अनुसार दृश् भदखाना |
❖ नाटक के दृश् बनाने से प ले उसका खाका तैयार करना |
❖ नाटकीय सिंवादोिं का क ानी के मूल सिंवादोिं के साथ मेल ोना चाभ ए |
❖ सिंगीत,ध्वभन और प्रकाि व्यवस्था करने की चुनौती |
❖ सिंवादोिं को नाटकीय रूप प्रदान करने की समस्या |
❖ कथानक को अभिनय के अनुरूप बनाने में समस्या |

अध्यतय-12
कैसे बनर्त ै रे त्रियो नतटक
रे त्रियो नतटक की परं परत-
आि से कुछ दिकोिं प ले िब न टे लीभविन था न ी किंप्यूटर और न अन्य सोिल मीभिया के साधन तब रे भियो
मनोरिं िन एक प्रमुख साधन था | आज़ादी की लड़ाई में िी रे भियो का अ म योगदान र ा | भ िंदी साभ त्य के
तमाम बड़े साभ त्यकार रे भियो स्टे िनोिं के भलए ी अपने नाटक भलखते थे | तब ये उनके भलए बड़े ी सम्मान की
बात ोती थी | धमगवीर िारती कृत अाँधा युग और मो न राकेि का आषाढ़ का एक भदन इसके श्रेष्ठ उद ारण ै |
रे त्रियो नतटक
❖ नाट्य आन्दोलन के भवकास में रे भियो नाटक की अ म् िूभमका र ी ै |
❖ भसनेमा और रिं गमिंच की तर रे भियो एक दृश् माध्यम न ीिं बक्ति श्रव्य माध्यम ै |
❖ रे भियो पूरी तर से श्रव्य माध्यम ै इसीभलए रे भियो नाटक या रिं गमिंच के लेखन से थोिा भिन्न िी ै और
थोिा मुक्तिल िी |
❖ रे भियो की प्रस्तुभत सिंवादोिं और ध्वनी प्रिावोिं के माध्यम से ोती ै |
❖ भफल्म की तर रे भियो में एक्सन की गुिंिाईि न ीिं ोती ै |
❖ रे भियो नाटक की समयावभध सीभमत ोती ै |
❖ पािोिं सिंबिंधी भवभवध िानकारी सिंवाद एविं ध्वभन सिंकेतोिं से उिागर ोती ै |
त्रसनेमत,रं गमंच और रे त्रियो नतटक में समतनर्त
➢ भसनेमा,रिं गमिंच और रे भियो नाटक में एक क ानी ोती ै |
➢ तीनोिं में ी क ानी आरिं ि,मध्य तथा अिंत ोता ै |
➢ तीनोिं माध्यमोिं में पािोिं का चररि भचिण तथा आपसी सिंवाद ोते ै |
➢ तीनोिं माध्यमोिं में क ानी का द्विं द्व तथा सिंवादोिं के माध्यम से क ानी का भवकास ोता ै |
त्रसनेमत,रं गमंच और रे त्रियो नतटक में अंर्र
➢ भसनेमा, रिं गमिंच और एक दृश् माध्यम ै तथा रे भियो नाटक एक श्रव्य माध्यम ै |
➢ भसनेमा और रिं गमिंच में मिंच सज्जा और वस्त्र सज्जा का बहुत ध्यान रखा िाता ै परन्तु रे भियो नाटक में
इनका कोई म त्त्व न ीिं ै |
➢ भसनेमा और रिं गमिंच में पािोिं की िाव ििंभगमाएाँ भविेष म त्त्व रखती ै तथा रे भियो नाटक में इनकी कोई
आवश्कता न ीिं ोती |
➢ भसनेमा और रिं गमिंच की क ानी को पािोिं की िावनाओिं के द्वारा प्रस्तुत भकया िाता ै तथा रे भियो नाटक
की क ानी को ध्वभन प्रिाओिं और सिंवादोिं के माध्यम से सिंप्रेभषत भकया िाता ै |
रे त्रियो नतटक में ध्वत्रन प्रितिों और संितदों कत म त्त्व
1. रे भियो में पािोिं से सिंबिंधी सिी िानकाररयााँ सिंवादोिं दे माध्यम से भमलती ै |
2. पािोिं की चाररभिक भविेषताएाँ सिंवादोिं के द्वारा ी उिागर ोती ै |
3. नाटक का पूरा कथानक सिंवादोिं पर आधाररत ोता ै |
4. इसमें ध्वभन प्रिावोिं और सिंवादोिं के माध्यम से ी कथा श्रोताओिं तक पहुाँचाया िाता ै |
5. सिंवादोिं के माध्यम से ी रे भियो नाटक का उद्दे श् स्पि ोता ै |
6. सिंवादोिं के द्वारा ी श्रोताओिं को सन्दे ि भदया िाता ै |
रे त्रियो नतटक के र्त्व

इसके भलए 3 तत्वोिं का स ारा भलया िाता ै।रे भियो नाटक में ये 3 तत्व म त्वपूणग ै
● िाषा
● ध्वभन
● सिंगीत

इन तीनोिं के कलात्मक सिंयोिन से भविेष प्रिाव उत्पन्न भकया िाता ै। िाषा केंि में ै और या ध्यातव्य ै भक
िाभषत िब् की िक्ति भलक्तखत सबसे अभधक ोती ै और िब् प्रयोग ऐसे ो भिन का उच्चारण अभिनय सिंपन्न
ो सके। य ािं वाभचक अभिनय की ओर सिंकेत ै

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