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मौखिक संचार
मौखिक संचार का अर्थ है, शब्दों को लििकर या बोिकर संवाद करना। मौखिक संचार में बोिना, सुनना,
लििना और पढ़ना शालमि है।
प्रेषक अपनी भावनाओं, ववचारों, सोच, राय को शब्दों में पीरोता है और भाषणों, चचाथओं, प्रस्तुततयों और
बातचीत के रूप में उन्हें व्यक्त करता है ।
1. ओरि संचार
शब्द, मौखिक रूप में संचार के सबसे सामान्य प्रतीक हैं। मनुष्य को वाणी और भाषा का वरदान प्राप्त
है। मौखिक संचार के कारण ही पररवार के सदस्य, पडोसी, दोस्त और सहकमी एक सार् रहते हैं।
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ii) ओरि संचार में संदेश बबना समय गवाए एक व्यस्क्त तक तुरंत पहुुँचते हैं और प्राप्त होते हैं, स्जससे
यह अत्यचधक परस्पर संवादात्मक हो जाता है।
iii) संदेश का प्रत्यक्ष आदान-प्रदान: ओरि संचार में प्रेषक और प्राप्तकताथ के बीच बातचीत सीधे आमने-
सामने होती है। यह टे िीफोन पर, बैठक में , सम्मेिन, साक्षात्कार में सूचनाओं का आदान-प्रदान होता है।
iv) आम बोिचाि की भाषा: ओरि संचार में आम, अपरं परागत भाषा का उपयोग सबसे प्रभावी माना
जाता है।
v) हाव-भाव और बोिी के ऊतार-चढ़ाव का प्रभाव: बोिते समय स्वर को ऊुँचा या तनचा करना या भाव-
भंचगमाएुँ, ओरि संचार में बहुत प्रभावी साबबत होते हैं।
vii) इसे लमटाया या संशोचधत नहीं क्रकया जा सकता है: एक प्रलसद्ध कहावत है - "बोिे गए शब्द तीर की
तरह होते हैं, जो धनुष से तनकि गए हैं, इन्हें वापस नहीं लिया जा सकता है"।
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2. लिखित संचार
लिखित संचार में मेमो, पत्र, इिेक्रॉतनक मेि, बुिेठटन बोिथ पर िगाए गए नोठटस, त्वररत संदेश आठद
शालमि हैं।
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लिखित संचार के नक
ु सान
● महंगा है
● यह औपचाररकता पर अचधक जोर दे ता है
● गोपनीयता का अभाव
अमौखिक संचार
संदेश शब्दों के बबना भी शरीर के हाव-भावों, अंग-ववन्यास और भाव-भंचगमाओं का करके ठदया जा सकता
है। शरीर के हाव-भाव इस बात के पक्के संकेतक होते हैं क्रक आप कैसा महसस
ू करते हैं। स्जस तरह से एक
व्यस्क्त बैठता है, िडा होता है, उससे भी बहुत कुछ पता चि जाता है। अमौखिक संचार के बहुत से उदाहरण
हैं; जैस,े उदास होने पर कंधों का लसकुडना, आश्चयथचक्रकत होने पर भौंहें उठाना या घबराहट होने पर
उं गलियां चटकाना जैसी भाव-भंचगमा।
● स्वाभाववक: अमौखिक संचार की प्रकृतत सहज होती है क्योंक्रक यह वक्ता के दृस्ष्टकोण, प्रववृ ि और
भावनाओं को इंचगत करता है।
● तनरं तर: अमौखिक संचार तनरं तर होता है क्योंक्रक एक व्यस्क्त अमौखिक व्यवहार के माध्यम से िगातार
संवाद करता रहता है।
● मल्टी चैनि: यह अंग-ववन्यास, चेहरे की अलभव्यस्क्तयों और भाव-भंचगमाओं के संयोजन को संदलभथत
करता है।
● कम सचेत: शब्द सोच-ववचार करके बोिे जाते हैं। अमौखिक संचार कम सुचचस्न्तत और सचेत होता है।
● जठटि: शब्दों को पढ़ा और समझा जा सकता है। इसे समझने और व्यक्त करने के लिए कौशि की
आवश्यकता होती है।
● मौखिक संचार का पूरक है : अमौखिक संचर, मौखिक संचार का पूरक है और इसे अचधक प्रभावी बनाता
है।
● अलभव्यस्क्त का प्रार्लमक साधन: एक व्यस्क्त, बबना क्रकसी के कहे िोध, तनराशा या चचंता का पता िगा
सकता है क्योंक्रक अमौखिक संकेत बहुत प्रबि होते हैं।
● अस्पष्ट: लिंग, आयु, सांस्कृततक पष्ृ ठभलू म और स्स्र्तत के आधार पर ववलभन्न िोगों ववलभन्न तरीकों
से एक अमौखिक संदेश को बाचधत कर सकते हैं।
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● कतनजैक्स (शरीर का उपयोग): इसमें संदेश शरीर की गततववचधयों के रूप में गैर मौखिक कृत्यों के
माध्यम से व्यक्त क्रकया जाता है।
a. चेहरे के भाव
b. नेत्र संपकथ
c. भाव-भंचगमा
d. अंग-ववन्यास
e. भेष
● स्वर या पैरािेंग्वेज (आवाज): क्रकसी बोिे गए संदेश का वह आवाज वािा ठहस्सा जो वास्तववक शब्दों से
परे होता है। अशास्ब्दक संचार, जैसे क्रक स्वर-तान, वपच (स्वरमान) और बोिने की शैिी, को पैरािैंग्वेज
कहा जाता है। आपकी आवाज की वपच पैरािैंग्वेज का सूचक है। यह तछपे अर्थ को, समझने की किा
है। हम प्रततठदन संचार के इस रूप में सम्बद्ध होते हैं।
● प्रॉक्सीलमक्स (स्र्ान): िोगों अपने अंतवैयस्क्तक स्र्ान का जो उपयोग करते हैं, यह उसका अध्ययन
है।
स्पशथ संचार एक अशास्ब्दक संचार या बॉिी िैंग्वेज का एक रूप है स्जसमें प्रेषक और प्राप्तकताथ
हार् से, हार् लमिाते हुए, गिे िगाकर संवाद करते हैं। हैस्प्टक्स स्पशथ को शालमि करने वािे
क्रकसी भी संचार के रूप को संदलभथत कर सकता है।स्पशथ संचार एक अशास्ब्दक संचार या बॉिी
िैंग्वेज का एक रूप है स्जसमें प्रेषक और प्राप्तकताथ हार् से, हार् लमिाते हुए, गिे िगाकर
संवाद करते हैं। हैस्प्टक्स स्पशथ को शालमि करने वािे क्रकसी भी संचार के रूप को संदलभथत कर
सकता है।
● काििम (समय): इसमें एक व्यस्क्त का समय को मल्
ू यवान और अर्थपण
ू थ समझना, समय को
व्यवस्स्र्त करना और समय सीमा के संचार पर प्रततक्रिया करना शालमि है, यातन समय की पाबंदी।
• है स्प्टक्स: स्पशथ संचार एक अशास्ब्दक संचार या बॉिी िैंग्वेज का एक रूप है स्जसमें प्रेषक और
प्राप्तकताथ हार् से, हार् लमिाते हुए, गिे िगाकर संवाद करते हैं। हैस्प्टक्स स्पशथ को शालमि
करने वािे क्रकसी भी संचार के रूप को संदलभथत कर सकता है ।
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• स्र्ानापन्न
• ववकिांगों के लिए मददगार
• समय कम िगता है
• उच्चारण
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1. Oral Communication
Words are the most common symbols of communication in oral form. Man is blessed with
the gift of speech and language. It is the oral communication that brings members of the
family, neighbours, friends and colleagues together.
ii) Instantaneous two-way process: Messages in oral communication travel back and forth
instantly without any loss of time, making it highly interactive.
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iv) Day to day language: The use of common, unconventional language is considered as
most effective in oral communication.
v) Effect of body language and speech modulation: A high or low pitch or gestures during
speech greatly influences oral communication.
vii) It cannot be erased or mended: It is the common proverb- “Spoken words are like
arrows, shot from a bow, which cannot be taken back”.
2. Written Communication
Written communication includes memos, letters, electronic mail, notices placed on bulletin
boards, instant messaging etc.
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NON-VERBAL COMMUNICATION
Messages can also be transmitted without using words by using body movements,
postures and gestures. Body movements are strong indicators of how you feel. The way
a person sits stands also convey a lot. Gestures like shrugging shoulders to express
indifference, raising eyebrows in surprise or tapping fingers for nervousness are all
examples of non-verbal communication.
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• Primary means of expression: One can detect anger, frustration or anxiety without
anybody telling about it because nonverbal cues are very powerful.
• Ambiguous: A nonverbal message can be interrupted in different ways by different
people based on gender, age, cultural background and context of the situation.
• Kinesics (Use of body): The message conveyed through non-verbal acts in the
form of body movements.
a. Facial expressions
b. Eye contact
c. Gestures
d. Posture
e. appearance
• Chronemics (Time): It deals with the way one perceives and values time,
structures time and reacts to time frames communication e.g Punctuality.
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