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आर.सी.वी.पी.

नरोन्हा प्रशासन एवं प्रबंधकीय अकादमी

मध्य प्रदे श भोपाल

स्वामी वििेकानंद कैरियि मार्गदर्गन योजना, उच्च वर्िा विभार्, मध्यप्रदे र्


अल्पािवध िोजर्ािोन्मुखी प्रवर्िण – भाषा कौर्ल मॉड्यूल
डॉ. सुनीता जैन
कंटें ट लेखक
सह प्राध्यापक, शासकीय गीतांजवल कन्या महाववद्यालय (स्वशासी), भोपाल
कंटें ट समीिक प्रो उमेश कुमार वसंह

विििण
विषय लेखन कौशल
उप विषय • लेखन कौशल का ववकास
• लेखन कौशल की आवश्यकता
• लेखन कौशल के आधार
• प्रभावी लेखन का महत्त्व
उद्दे श्य ➢ भावों की क्रमबध्द अवभव्यक्ति
➢ सुपाठ्य एवं शुद्ध लेखन
➢ व्याकरण सम्मत भाषा
➢ अवभव्यक्ति में संविप्तता
अपेवित परिणाम ➢ प्रभावशाली अवभव्यक्ति िमता का ववकास
➢ शुद्ध लेखन िमता का ववकास
➢ भाषा कौशल में अवभवृक्तद्ध
➢ आत्मववश्वास के स्तर में वृक्तद्ध
➢ स्वरोजगार उन्मुखीकरण

लेखन कौर्ल
1. प्रस्तािना
2. लेखन कौर्ल : एक कला

3. प्रभािी लेखन के आधाि


4. लेखन कौर्ल का प्रयोजन

5. लेखन कौर्ल की विर्ेषताएँ

6. लेखन कौर्ल के लाभ एिं महत्त्व

7. लेखन कौर्ल का उद्दे श्य

8. वहंदी लेखन के िेत्र में स्विोजर्ाि की संभािनाएँ

9. अभ्यास प्रश्न

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आर.सी.वी.पी. नरोन्हा प्रशासन एवं प्रबंधकीय अकादमी

मध्य प्रदे श भोपाल

1 प्रस्तािना :
मनुष्य एक सामावजक प्राणी है और समाज में अन्य व्यक्तियों से सम्प्रेषण स्थावपत करने के वलए वह
बोलकर या वलखकर अपने भावों एवं ववचारों को अवभव्यि करता है तथा सुनकर या पढ़कर उनके
ववचारों को ग्रहण करता है । भाषा से सम्बक्तित इन चारों वक्रयाओं के प्रयोग करने की िमता को भाषा-
कौशल कहा जाता है । भाषा वशिण के वलए आवश्यक चारों कौशल परस्पर एक-दू सरे से अन्तः सम्बक्तित
होते हैं अथाा त् प्रत्येक कौशल का ववकास वकसी न वकसी रूप में एक-दू सरे पर वनभार करता है
भाषा के चार कौशल हैं -
1. श्रवण कौशल (सुनना)
2. वावचक या मौक्तखक अवभव्यक्ति कौशल (ववचारों को बोलकर व्यि करने का कौशल)
3. पठन कौशल (पढ़कर अथा ग्रहण करने का कौशल)
4. ले खन कौशल (ववचारों को वलखकर व्यि करने का कौशल)।

भाषा-वशिण का सम्बि केवल ज्ञान प्रदान करना या सूचनाएँ प्रदान करना मात्र नहीं है , बक्ति भाषा
सीखने वालों को उपरोि चारों कौशलों में दि बनाना है । श्रवण एवं पठन ग्राह्यात्मक कौशल हैं तथा
अन्य दोनों, वावचक एवं ले खन अवभव्यंजनात्मक कौशल कहे जाते हैं ।
भावों एवं ववचारों की कलात्मक अवभव्यक्ति है - लेखन। यह शब्ों को क्रम से वलवपबद्ध एवं सुव्यवक्तस्थत
करने की कला है । भावों एवं ववचारों की यह कलात्मक अवभव्यक्ति जब वलक्तखत रूप में होती है तब उसे
लेखन अथवा वलक्तखत रचना कहते हैं ।
लेखन-कौशल का अथा है भाषा-ववशे ष में स्वीकृत वलवप-प्रतीकों के माध्यम से ववचारों तथा भावों को
अवभव्यि करने की कुशलता । प्रत्येक भाषा की अपनी वलवप-व्यवस्था होती है , इसे वे ही समझ सकते
हैं वजन्हें उस भाषा की वलवप-व्यवस्था का ज्ञान हो।
लेखन वलवप वचह्ों के माध्यम से ववचारों तथा भावों की अवभव्यक्ति का साधन है । केवल वणों का ज्ञान
अथवा शब्ों के अनुलेखन को लेखन नहीं कहा जा सकता। लेखन-व्यवस्था के वववभन्न घटकों से पररवचत
होना तथा वलवप वचह्ों के माध्यम से ववचारों को अवभव्यि करना ले खन का आवश्यक अंग है । ले खन
कौशल के वलए भाषा ववशेष तथा उसकी वलवप-व्यवस्था की समुवचत जानकारी आवश्यक है तभी वलवप-
प्रतीकों के माध्यम से ववचारों की सटीक अवभव्यक्ति संभव है । । लेखन-कौशल वसखाने का अथा ववद्याथी
को उस भाषा की लेखन-व्यवस्था से पररवचत कराना है । भाषा की अन्य वववशष्टताओं के साथ वलवप-
प्रतीकों की रचना की योग्यता लेखन-कौशल की प्रमुख ववशे षता है ।
लेखन कौशल मु ख्यतः अभ्यास-जवनत है । अभ्यास को आदत के रूप में पररणत करने पर ही वलवप-
व्यवस्था पर अवधकार प्राप्त वकया जा सकता है । लेखन-व्यवस्था का सतत अभ्यास करने तथा सजग रूप
से उसका प्रयोग करने पर वह व्यवहार का सहज अंग बन जाती है तथा आदत के रूप में पररणत हो
जाती है । इसके आधार पर ही लेखन-कौशल का ववकास सं भव है ।
2.ले खन कौशल : एक कला
लेखन की कला स्थायी सावहत्य का अंग है । लेखन की ववषयवस्तु सावहत्य का िेत्र होता है और वाक्य
वलक्तखत भाषा अवभव्यक्ति का माध्यम होता है । लेखन में सोचने तथा वचंतन के वलए अवधक समय वमलता
है , जबवक वाचन में भावावभव्यक्ति का सतत प्रवाह बना रहता है , सोचने का समय नहीं रहता। मानव
जीवन में लेखन तथा वाचन दोनों रूपों का महत्व है ।
लेखन स्वयं को व्यि करने की एक वचरप्रचवलत ववधा है वजसके आधार पर हम भावों तथा ववचारों को
अवभव्यि करते हैं । कला का अथा एक ऐसी कलात्मक वशल्प या कौशल की प्रवक्रया से यु ि अनुभूवत
से है जो सृजनात्मक, सुन्दर एवं सुख प्रदान करने वाली हो।

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लेखन के द्वारा मनुष्य जब अपने भाव एवं ववचार अवभव्यि करता है , तब उसकी यही रचनात्मकता
लेखन कौशल कहलाती है अथाा त अपनी कल्पनाओं को लेखन कौशल के माध्यम से अवभव्यि करना
ही लेखन कला है ।

3.प्रभावी लेखन के आधार –


• स्पष्टता
• संविप्तता
• क्रमबद्धता
• भाषा एवं सावहत्य का ज्ञान
• अभ्यास

4. ले खन कौशल का प्रयोजन :
• लेखन कौशल जीवन के हर िेत्र में काम आता है ।
• वलखने से स्मरण शक्ति में वृक्तद्ध होती है ।
• लेखन मानवसक व्यायाम है ।
• लेखन कौशल से तावकाक िमता में वृक्तद्ध होती है ।
• लेखन कौशल से रचनात्मकता बढ़ती है ।
• लेखन कौशल से स्वरोजगार की प्राक्तप्त होती है ।

5. ले खन कौशल की ववशे षताएँ :


• लेखन सुंदर, स्पष्ट एवं सरस हो
• उसमें प्रवाह एवं क्रमबद्धता हो
• ववषय सामग्री अनुच्छेदों में ववभि हो
• भाषा व्याकरण सम्मत हो
• भाषा एवं शै ली प्रभावशाली हो
• अवभव्यक्ति संविप्त एवं प्रभावी हो

6. ले खन कौशल का लाभ एवं महत्त्व:


भाषा के दो रूप होते हैं – मौक्तखक और वलक्तखत
भाषा पर पूणा अवधकार करने की दृवष्ट से ले खन कौशल का ववकास आवश्यक होता है । मनुष्य के अनु भव
एवं कल्पना शक्ति का भण्डार वलक्तखत भाषा द्वारा ही संवचत होता रहा है । लेखन एक स्वतंत्र व्यवसाय
के रूप में भी मानव जावत का कल्याण कर रहा है ।
दे श-ववदे श की ज्ञान ववज्ञान की वववभन्न जानकाररयाँ , घटनाएँ एवं शोध इत्यावद से पररवचत कराने का
मुख्य साधन वलक्तखत भाषा ही है । भाषा पर अवधकार प्राक्तप्त के वलए वजस प्रकार वकसी भाषा का सुनना,
बोलना और पढ़ना महत्त्व रखता है उसी प्रकार वलखने का भी महत्त्व है ।
• दै वनक कायों को सुचारु रुप से करने के वलए वलक्तखत भाषा का प्रयोग जरुरी है ।
• वलक्तखत भाषा द्वारा दू र बै ठे व्यक्ति से पत्राचार द्वारा ववचार-ववमशा वकया जा सकता है । आधुवनक यु ग
में अवधकतर लोग ईमे ल एवं सोशल मीवडया के माध्यम से अपने भावों व ववचारों को सरलता से
दू सरों तक पहँ चाते हैं ।
• वलक्तखत भाषा के माध्यम से प्रत्येक ववषय का ज्ञान प्राप्त वकया जा सकता है । प्राचीन भाषा, सावहत्य,
ववज्ञान, इवतहास आवद के ज्ञान को हम तक पहँ चाने का श्रे य वलक्तखत भाषा को जाता है ।

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• प्रत्येक ववषय को स्मरण रखना वकसी के वलए भी सम्भव नहीं है अतः लेखन द्वारा ज्ञान को स्थायी
रुप दे कर मनुष्य प्रत्ये क ववषय की जानकारी प्राप्त करता है ।
• भाषा का वलक्तखत रुप ज्ञान का संरिण कर उसे भावी पीढ़ी तक पहँ चाता है । रामायण व महाभारत
का ज्ञान हम तक वलक्तखत भाषा के माध्यम से ही पहँ च पाया है ।
• प्रत्येक िेत्र में अन्वेषण व खोज काया वलक्तखत भाषा पर वनभार है । ववज्ञान, भाषा, कला व अन्य वकसी
भी िेत्र की नई-नई खोज, लेखन द्वारा संरवित होती है ।
• व्यक्ति जब अपने भावों को कहानी, कववता, वनबि, पत्र आवद के रुप में वलखकर अवभव्यि
करता है तो उसमें आक्तत्मक संतोष उत्पन्न होता है वजससे व्यक्ति का भावात्मक ववकास होता है ।
• भाषा के वलक्तखत रुप से भाषा का ववकास होता है । वलक्तखत भाषा के अभाव में हम सावहत्य व शब्
भण्डार में वृक्तद्ध की कल्पना भी नहीं कर सकते।
• लेखन से व्यक्ति की सृ जनात्मक शक्तियाँ ववकवसत होती हैं । शारीररक रुप से असमथा व्यक्ति भी
लेखन की सहायता से अपना समय अच्छी तरह व्यतीत कर सकते हैं । लेखन द्वारा ववद्याथी
अवकाश का सदु पयोग कर सावहत्य में अपना योगदान दे सकते हैं साथ ही इससे धनोपाजान भी
कर सकते हैं ।
• लेखन कौशल ववषय व काया को प्रामावणक रुप दे ने में सहायक है जैसे - कानू न व्यवस्था में वलक्तखत
रुप को ही प्रामावणक माना जाता है ।
• लेखन कौशल कायाा लय व व्यापार िेत्र में सहायक होता है ।
• लेखन कौशल चररत्र वनमाा ण में भी सहायक होता है ।

एक शोध के अनुसार वलखने की प्रवक्रया से घटनाएँ मक्तस्तष्क में बेहतर तरीके से छप जाती हैं । अपनी
समस्याओं को वलखने से प्रवतरिा प्रणाली मज़बू त होती है साथ ही शरीर के घाव भी बहत तेजी से भरते
हैं । जो व्यक्ति वलखते नहीं हैं वह तनाव एवं वचंताग्रस्त होते हैं । जब कोई व्यक्ति अपनी अच्छी भावनाओं
या बातों को वलखता है तो एं डोवफान हामोन ररलीज होता है वजससे अच्छा महसूस होता है साथ ही बुरे
अनुभव वलखने से तनाव का स्तर भी कम होता है ।
7.ले खन कौशल के उद्दे श्य:
लेखन कौशल के महत्त्व को ध्यान में रखते हए लेखन-कौशल की वशिा के वनम्नवलक्तखत उद्दे श्य वनधाा ररत
वकए जा सकते हैं -
• दै वनक जीवन के वक्रया-कलाप आसान बनाना।
• दू रस्थ व्यक्ति के साथ पत्राचार द्वारा ववचारों का आदान-प्रदान करना।
• वलक्तखत भाषा द्वारा ज्ञानाजान की योग्यता ववकवसत करना ।
• वलक्तखत भाषा द्वारा अपनी व अन्य सभ्यता संस्कृवत से पररवचत होना।
• वलवप भाषा का ज्ञान प्रदान कर ववद्याथी को अन्वेषण के योग्य बनाना।
• ववद्याथी में वचन्तन, मनन की योग्यता ववकवसत कर उसका मानवसक ववकास करना।
• लेखन काया द्वारा सामावजक सम्पका बनाने के योग्य बनाना।
• लेखन द्वारा उन्हें समय का सदु पयोग वसखाना।
• वलक्तखत भाषा द्वारा व्याकरण शुद्धता का ज्ञान प्रदान करना।
• भावों की क्रमबध्द एवं संविप्त अवभव्यक्ति सीखना।
• सुपाठ्य एवं शु द्ध ले खन सीखना।
• व्याकरण सम्मत भाषा का ज्ञान प्राप्त करना।
• ववद्यावथायों को व्यापार िे त्र में काया करने के योग्य बनाना।
• ववद्यावथायों में नैवतक मूल्यों का ववकास करना।

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8. ले खन के िेत्र में स्वरोजगार की संभावनाएँ :


लेखन एक ऐसा कौशल है वजसके वलए वनरं तर अभ्यास और धैया की आवश्यकता होती है , कोई भी
अचानक लेखक नहीं बन सकता । पहली बार बहधा बहत प्रभावी नहीं वलख पाते हैं वकन्तु समय बीतने
के साथ और वनरं तर अभ्यास से ले खन में प्रवीण हो जाते हैं कुछ समय बाद इसका लाभ अनुभव होने
लगता है ।
लेखन कौशल में रोज़गार के अवसर :
वतामान में ले खन कौशल (राइवटं ग क्तस्कल) में रोज़गार की अनेक संभावनाएँ तथा ववकल्प हैं जैसे -
• कंटें ट राइटर
• ब्लॉग राइटर
• ववज्ञापन लेखन
• पोएटर ी वगफ्ट राइटर
• क्तिप्ट राइटर
• गीतकार
• ईमेल माकेवटं ग
• वचुाअल अवसस्टें ट
• ई बुक राइवटं ग
• मंचीय लेखन

कंटें ट िाइवटं र्
कंटें ट का अथा है - ववषय ववशे ष के वलए सामग्री ले खन ।
यह काया वेबसाइट् स, ब्लॉग, ईबु क,पत्र- पवत्रकाओं या सोशल मीवडया के वलए बाहरी सहायता से करवाया
जाता है । कंटें ट राइवटं ग द्वारा ब्लॉग पोस्ट अथवा पक्तब्लश करना, वे बसाइट के वलए कंटें ट ले खन,
पॉडकास्ट के वलए क्तिप्ट लेखन, यूट्यूबर के वलए क्तिप्ट लेखन या वकसी सावहत्य या वकताब के वलए
कंटें ट लेखन वकया जाता है । कंटें ट लेखन कई प्रकार का होता है जैसे –
• स्वतंत्र ले खन
• वनयवमत लेखन
• ऑनलाइन लेखन
प्रमुख वे बसाइट वजन पर पंजीकृत होकर कंटें ट राइवटं ग की जा सकती है –
• Fiverr
• Guru
• People Per Hour
• Textbroker
• Problogger
• Freeup
• Flexjobs

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• ब्लॉग राइवटं ग:
ब्लॉग वलखना ही ब्लॉग राइवटं ग कहलाता है । ब्लॉग राइटर द्वारा साझा वकए गए अपने अनुभव, भावना,
ज्ञान और कौशल आवद को गूगल के माध्यम से अन्य लोगों तक पहं चाना ब्लॉग राइवटं ग है । कुछ लोग
ब्लॉग राइवटं ग वसफा अपने अनुभव साझा करने के वलए तथा कुछ धनोपाजा न के वलए करते हैं ।
भारत की पाँ च श्रेष्ठ मुफ्त ब्लॉवगं ग साइट् स-
Blogger.com
WordPress.com
Tumblr.com
Medium.com
Linkedin.com

कुछ अन्य ब्लॉवगंग साइट् स -


YourStory
GuidingTech
ShoutMeLoud
FoneArena
Labnol
MissMalini
TheShootingStar
SafalNiveshak
• पोएटर ी वगफ्ट रायटर –
उपहार हे तु ववशेष अवसरों के वलए वनवित धनराशी लेकर वकसी अन्य के वलए कववता वलखना पोएटी
वगफ्ट राइवटं ग कहलाता है । महानगरों में इसका प्रचलन बढ़ता जा रहा है ।
यह भी धनोपजान का एक साधन है जो ऑनलाइन भी वकया जा सकता है ।

• क्तिप्ट राइवटं ग –
वववभन्न चैनल्स पर प्रसाररत होने वाले धारावावहक, वेबसीरीज़, नाटक, लघु नाटक, वफल्म, लघु वफल्म
डॉक्युमेंटरी, ववज्ञापन, ई आमंत्रण पत्र तथा वववभन्न अवसरों के साथ आजकल भाषण के वलए भी
लेखकों की मां ग है ।
• गीतकार-
वववभन्न चैनल्स पर प्रसाररत होने वाले धारावावहक, वेबसीरीज़, नाटक, लघु नाटक, वफल्म, लघु वफल्म
डॉक्युमेंटरी, ववज्ञापन इत्यावद के वलए गीतों का ले खन आजीववका का प्रमुख साधन बन गया है ।
• ववज्ञापन लेखन –
ववज्ञापन का अथा होता है वकसी वस्तु या से वाओं के बारे रचनात्मक और आकषा क ढं ग से वलखना।
ववज्ञापन हमारे आस पास उपक्तस्थत है , वजससे हमें समस्त वस्तुओं की जानकारी उपलब्ध हो पाती है और
उपभोिा के तौर पर हमारे वलए खरीददारी करना आसान हो जाता है । आधुवनक यु ग में ववज्ञापन एक
व्यावसावयक वक्रया है , वजसे प्रत्येक व्यवसाय को वकसी-न-वकसी रूप में जोड़ना पड़ता है , तावक व्यवसाय
को बढ़ाया जा सके।
ववज्ञापन की भाषा में शब्ों को सजा कर, आकषाक बना प्रस्तु त वकया जाता है । वहीं ववशे षणों का भी
काफी प्रयोग वकया जाता है । वस्तु की ववशे षता को एक अथवा अवधक ववशे षणों द्वारा ववणा त वकया जाता
है । जैसे-

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केवल एक ववशे षण का प्रयोग-
गोरे पन की क्रीम – फेयर एं ड लवली
सुपरररन की चमकार ज्यादा सफेद
दो ववशे षणों का प्रयोग-
दू ध की सफेदी वनरमा से आए,
रं गीन कपड़ा भी क्तखल-क्तखल जाए।
तीन या अवधक ववशेषणों का प्रयोग-
मुझे चावहए एक साफ, स्वच्छ स्नान-100% संपूणा नया डै टॉल सोप

ववज्ञापन लेखन हे तु वडग्री के स्तर के आधार पर रचनात्मक ले खन के िेत्र में कई तरह के कोसा उपलब्ध
हैं । ववज्ञापन ले खन भी रचनात्मक ले खन का वहस्सा है ।
• ई-मेल माकेवटं ग -
माकेवटं ग का अथा होता है , वकसी उत्पाद या सेवा का प्रचार करना। यह कई प्रकार से होती है जैसे सोशल
मीवडया, ऑनलाइन, वेबसाइट, ब्लॉग या ईमेल के माध्यम से भी वकया जा सकता है । जब हम वकसी
उत्पाद या सेवा का प्रचार करने के वलए ग्राहकों को ईमेल भेजते हैं तो उसे ई-मेल माकेवटं ग कहा जाता
है ।
• वचुाअल अवसस्टें ट -
वचुाअल अवसस्टें ट एक आत्मवनभार व्यक्ति होता है जो घर से ही अपने कंप्यूटर और फोन पर काम
करके, वकसी कंपनी या अपने ग्राहक को प्रशासवनक, तकनीकी, रचनात्मक आवद सेवा ऑनलाइन प्रदान
करता है ।
इसके अवतररि वचुाअल अवसस्टें ट वकसी भी दू रस्थ स्थान से अपने ग्राहकों जै से उद्यवमयों या व्यवसावययों
को वडवजटल माकेवटं ग के कायों, वनयुक्तियों की अनुसूची बनाने एवं वकसी भी काया क्रम को प्रबंवधत
करने में अपनी सेवाएँ प्रदान करते हैं ।
• घोस्ट राइवटं ग -
घोस्ट राइटर का अथा होता है , एक ऐसा लेखक जो दू सरों के वलए वलखता है , उसके द्वारा वलखी गयी
कहानी, वकताब, पटकथा या वकसी भी तरह की वलक्तखत बौक्तद्धक संपदा वह वनवित धनरावश लेकर वकसी
अन्य को दे दे ता है लेखन के आधुवनक संसार में यह घोस्ट राइवटं ग कहलाती है ।
घोस्ट राइटर एक ऐसा लेखक होता है जो अपनी प्रवतभा का उपयोग वकसी और के वलए करता है और
इसके बदले अपने पाररश्रवमक के रूप में एक सुवनवित धनरावश लेता है । व्यवसावयक लेखन के में घोस्ट
राइवटं ग एक प्रचवलत ववधा है ।
• ई-बुक ले खन -
ई-बु क को माइक्रोसॉफ्ट वडा में वलखा जाता है । ई-बुक शीषाक के अनुरूप बड़ी या छोटी हो सकती है ।
ई-बु क पीडीऍफ फॉमेट में सुरवित की जाती है वजसे ऑनलाइन ववक्रय भी वकया जा सकता है ।
• मंचीय लेखन –
नाटक, लघु नाटक के अवतररि पुरस्कार ववतरण, वववाह, जन्मवदन जैसे वववभन्न समारोह के वलए मंच
संचालन के वलए वलखा जाने वाला ले खन मंचीय ले खन कहलाता है । यह भी स्वरोजगार का साधन है ।

इस प्रकार हम दे खते हैं वक वहं दी लेखन कौशल को रोजगार से जोड़कर इसके ववकास को नए आयाम
वदए जा सकते हैं । सावहत्यकारों का मानना है वक लंबे समय तक वही भाषा जीववत रह सकती है जो
रोजगार से जुड़ी हो। वपछले कुछ वषों में वहं दी की स्वीकायाता बढ़ी है । सोशल मीवडया के प्रसार से वहं दी
अत्यवधक शक्तिशाली एवं प्रभावी हई है ।

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अपने लेखन कौशल का उपयोग कर आज की युवा पीढ़ी स्वरोजगार के िे त्र में आगे बढ़ कर दे श के
ववकास में अपना योगदान दे सकती है ।

अभ्यास प्रश्न :

1 कौर्ल र्ब्द का अर्ग है –


अ कुर्लता ब वनपुणता
स पटु ता द उपिोक्त सभी

2 लेखन कौर्ल का अर्ग है –


अ पाठ पढ़कि वलखने की कुर्लता
ब बोल कि वलखने की कुर्लता
स सुनकि वलखना की कुर्लता
द वलवप-प्रतीकों के माध्यम से विचािों की अवभव्यक्तक्त की कुर्लता

3 भाषा कौर्ल के वकतने प्रकाि हैं –


अ दो ब तीन
स चाि द पांच

4 लेखन कौर्ल वकस श्रेणी का कौर्ल है –


अ ग्राह्यात्मक ब अवभव्यंजनात्मक
स िणगनात्मक द श्रिणात्मक

5 लेखन कौर्ल है –
अ अभ्यास जवनत ब प्राकृवतक
स िंर्ानुर्त द इनमें से कोई नही ं

6 प्रभािी लेखन के वलए आिश्यक है –


अ स्पष्टता ब संविप्तता
स क्रमबद्धता द उपिोक्त सभी

7 वकसी भी तिह की वलक्तखत बौक्तद्धक संपदा को वनवित धनिावर् लेकि वकसी अन्य को दे ना
कहलाता है
अ कंटें ट िाइवटं र् ब घोस्ट िाइवटं र्
स िेबसाइट िाइवटं र् द पोएटर ी िाइवटं र्

8 ब्लॉर् िाइवटं र् है –
अ अपने अनुभि साझा किना ब अपना ज्ञान साझा किना
स अपनी भािनाएँ साझा किना द उपिोक्त सभी

9 जब वकसी उत्पाद या सेिा का प्रचाि किने के वलए ई-मेल भेजा जाता है तो उसे …………..
कहते हैं ।

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अ जी-मेल माकेवटं र् ब घोस्ट िाइवटं र्
स ई-मेल माकेवटं र् द पोएटर ी िाइवटं र्

10 एक ऐसा लेखक जो वनवित धनिावर् लेकि वकसी अन्य व्यक्तक्त के वलए लेखन कायग किता है
िह .................. कहलाता है ।
अ कंटें ट िाइवटं र् ब घोस्ट िाइवटं र्
स िेबसाइट िाइवटं र् द पोएटर ी िाइवटं र्

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