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अभिव्यभि और माध्यम

अध्याय – 3 भिभिन्न माध्यमों के भिए िेखन


जनसंचार के भिभिन्न माध्यम हैं-मुद्रित(प्रंट) माध्यम, रेभियो, टेिीभिज़न,इंटरनेट|इन सिी माध्यमों के भिए िेखन के
अिग-अिग तरीके हैं|अखबार,पत्र और पभत्रकाओं में भिखने की अिग शैिी है,जबद्रक रेभियो,टेिीभिज़न के भिए भिखने की
अिग किा होती है| इन भिभिन्न माध्यमों के भिए िेखन के तरीकों को समझना बहुत आिश्यक है भजनका भिस्तृत िर्णन
इस रकार है -
प्रंट माध्यम
प्रंट माध्यम याभन मुद्रित माध्यम जनसंचार के आधुभनक माध्यमों में सबसे पुराना माध्यम है|मुिर् ( छपाई) की शुरुआत
चीन से हुई िेद्रकन आज हम भजस छपाई मशीन को देखते है उसके आभिष्कार का श्रेय जमणनी के गुटेनबगण को जाता है
िारत मे पहिा छापाखाना 1556 में गोिा में खुिा| इसे ईसाई धमण की पुस्तकों को छापने के भिए खोिा गया था |
मुद्रित(प्रंट) माध्यमों की भिशेषताएँ-
• प्रंट माध्यम में छपे शब्दों में स्थाभयत्ि होता है|इसे आप आराम से धीरे -धीरे, सोच-भिचार करते हुए,इच्छानुसार कई
बार पढ़ सकते हैं|
• स्थाभयत्ि का िाि है द्रक आप भिभखत सामग्री को िंबे समय तक सुरभित रख सकते हैं|
• आप अपनी पसंद के अनुसार द्रकसी पृष्ठ से पढ़ने की शुरुआत कर सकते हैं|
• यह भिभखत िाषा का भिस्तार होता है|इसमें िेखन, रचभित िाषा में द्रकया जाता है|
• मुद्रित माध्यमों की यह िी भिशेषता है द्रक यह प्चंतन-मनन तथा भिचार-भिमशण का अिसर रदान करता
है|इसमेंगंिीर-गूढ़ बातों के भिखने का और उसको समझने-सोचने के भिए पयाणप्त अिकाश भमि जाता है|
• मुद्रित-माध्यमों का पाठक कोई सािर व्यभि ही होगा|
मुद्रित(प्रंट) माध्यमों की कभमयाँ-
• भनरिरों के भिए मुद्रित-माध्यम अनुपयोगी हैं|
• इस माध्यम के िेखक को पाठकों के िाषा-ज्ञान,शैभिक-स्तर,योग्यता का भिशेष ध्यान रखना पड़ता है|
• यह माध्यम,अपने पाठकों को,तुरंत घटी घटनाओं से अिगत नहीं करा सकता| जैसे-अखबार 24 घंटे में एक बार छपते
हैं|अखबार,पत्र-पभत्रकाओं में रकाशन की सामग्री को स्िीकारने की एक भनभित समय-सीमा होती है,भजसे
िेििाइनकहते हैं|
• मुद्रित-माध्यम के िेखक को ‘स्पेस’ का पूरा ध्यान रखना पड़ता है|स्पेस याभन शब्द-सीमा| इसकी िजह यह है द्रक
अखबार या पत्र-पभत्रकाओं में असीभमत जगह नही होती|
• िेखन और रकाशन के बीच गिभतयों और अशुभियों को दूर करना जरूरी होता है|
• िेखन-शैिी रोचक और रिाहमान होनी चाभहए|

रे भियो
रेभियो श्रव्य माध्यम है|रेभियो का श्रोता अखबार की तरह रेभियो समाचार या कायणक्रमों को किी िी, कहीं से िी
नहीं सुन सकता| समाचारों के भिए उसे बुिेटटन-रसारर् के भिए रतीिा करनी होगी और द्रिर शुरू से अंत तक
बारी-बारी से एक के बाद एक समाचार सुनना होगा|
• रेभियो समाचारों में अखबार की तरह पीछे िौटकर सुनने की सुभिधा नहीं है|
• अगर रेभियो बुिेटटन में कु छ िी भ्रामक या अरुभचकर है तो संिि है द्रक श्रोता तुरंत रेभियो-स्टेशन बदि दे|
• रेभियो मूितः एकरेखीय माध्यम है,इसी के आधार पर रेभियो समाचारों का ढांचा, स्िरूप, शब्द और आिाज तय
होता है|

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रे भियो समाचारों की संरचना- रेभियो के भिए समाचार-िेखन अखबारों से कई मामिों में भिन्न है| जो एक समानता
है िह यह द्रक इसमें िी समाचारों को उल्टा भपराभमि शैिी मे ही भिखा जाता है| उल्टा भपराभमि शैिी में समाचार
को तीन िागों में बांटा जाता है-इंट्रो,बॉिी और समापन|
इं ट्रो-समाचार के इंट्रो या िीि को भहन्दी में ‘मुखड़ा’ िी कहा जाता है| समाचार की मूि बातों को शुरू की दो-तीन
िाइनों मे बताया जाता है|
बॉिी-इस िाग में समाचार के भिस्तृत ब्यौरे को महत्ि के घटते क्रम में भिखा जाता है|
समापन-समाचार के इस भहस्से में रासंभगक तथ्य या सूचनाएँ दी जाती हैं| अगर जरूरी न हो तो यह िाग काटकर
हटाया िी जा सकता है|
रे भियो के भिए समाचार-िेखन संबध
ं ी बुभनयादी बातें-
• साि-सुथरी टाइप्ि कॉपी- अगर समाचार कॉपी साि-सुथरी टाइप्ि नहीं होगी तो समाचार िाचक को गित पढ़ने
या अटकने का खतरा रहता है|
• समाचार कॉपी को कम्पप्यूटर पर टट्रपि स्पेस में टाइप द्रकया जाना चाभहए| कॉपी पर पयाणप्त हाभशया छोड़ा जाना
चाभहए|
• एक िाइन में अभधकतम 12-13 शब्द होने चाभहए|पंभि के अंत मे कोई शब्द भििाभजत नहीं होना चाभहए|
• समाचार कॉपी में उच्चारर् में कटठन शब्द,संभिप्तािर,अंक आद्रद भिखने सेसमाचार िाचक को पढ़ते समय जुबान
िड़खड़ाने का खतरा रहता है|
• एक से दस तक के अंकों को शब्दों में तथा 11 से 999 तक के अंकों को अंकों में भिखा जाना चाभहए|
• $,% जैसे संकेत भचन्हों को टाइप करने के स्थान पर िॉिर, रभतशत, भिखना चाभहए|
• भित्तीय संख्याओं को उनके नजदीकी पूर्ाांक में भिखना चाभहए|इसमें अपिाद यह है द्रक मुिा-स्िीभत के आकड़ों को
दशमिि में और खेिकू द के स्कोर को यथाित ही भिखना चाभहए, न द्रक नजदीकी संख्याओं में|
• भतभथयों को जैसे हम बोिचाि में रयोग करते हैं िैसे ही भिखा जाना चाभहए- 15-08-2023 भिखने की बजाय 15
अगस्त दो हजार तेईस|
िेििाइन,संदिण और संभिप्तािर का रयोग- रेभियो में अखबार की तरह िेििाइन अिग से नहींहोती|रेभियो में समाचार
चौबीसों घंटे चिते रहते हैं,श्रोताओं के भिये समय का फ्रेम हमेशा आज का होता है जैसे- आज,आज का,आज सुबह,आज
दोपहर आद्रद| रेभियो समाचारों की कॉपी में िी संभिप्तािर के रयोग से बचना चाभहए,परंतु िे संभिप्तािर जो श्रोता
आसानी से समझ जाएँ उनका रयोग द्रकया जा सकता है जैसे- यूभनसेि,सीबीआई, आईसीआईसीआई बैंक आद्रद|
टेिीभिज़न
टेिीभिज़न देखने-सुनने का माध्यम है|टीिी के भिए खबर भिखने की बुभनयादी शतण दृश्य के साथ िेखन है|टीिी पर खबर
दो भहस्से में बँटी होती है-शुरुआती भहस्से में मुख्य खबर होती है जो न्यूज रीिर या एंकर बगैर दृश्य के पढ़ता है और दूसरा
भहस्सा िह होता है जब खबर से संबभन्धत दृश्य के साथ खबर पढ़ी जाती है|टीिी पर िी समाचार की शैिी उल्टा
भपराभमि शैिी ही होती है|
टीिी खबरों के भिभिन्न चरर्-
• फ्िैश या ब्रेककं ग न्यूज़-कम से कम शब्दों में कोई बड़ी खबर तत्काि दशणकों तक पहुंचाई जाती है|इसमें कम से कम
शब्दों में महज़ सूचना दी जाती है|
• ड्राई एंकर-जब तक खबर के दृश्य नहीं आते,दशणकों को टरपोटणर से भमिी जानकाटरयों के आधार पर सूचनाएँ दी जाती
हैं|
• फ़ोन-इन-एंकर,घटनास्थि पर मौजूद टरपोटणर से फ़ोन पर बात कर सूचनाएँ दशणकों तक पहुँचाता है|
• एंकर-भिजुअि-जब घटना के दृश्य(भिजुअि) भमिने िगते हैं तब एंकर दृश्यों को आधार बनाकर खबर पढ़ता है|

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• एंकर-बाइट-टेिीभिज़न पर द्रकसी खबर को पुष्ट करने के भिए घटना से संबभन्धत रत्यिदर्शणयों या संबभन्धत व्यभियों
का कथन द्रदखा और सुनाकर खबर को रामाभर्क बनाया जाता है|इसे ही एंकर-बाइट कहा जाता है|
• िाइि-िाइि याभन द्रकसी खबर का घटनास्थि से सीधा रसारर्|
• एंकर-पैकेज-द्रकसी िी खबर को संपूर्णता से पेश करना ही एंकर-पैकेज है| इसमें खबरों से संबभन्धत घटना के दृश्य,जुड़े
िोगों की बाइट,ग्राद्रिक के जटरये जरूरी सूचनाएँ रस्तुत की जाती हैं|
टीिी पर खबरों में के िि दृश्य और शब्द ही नहीं होते,इसमे बीच-बीच में ध्िभनयाँ िी आती-जाती रहती हैं| बाइट या
कथन द्रदखाने के साथ साथ अन्य राकृ भतक ध्िभनयाँ स्ितः टरकॉिण होती हैं |जैसे- भचभड़यों का चहचहाना,गाभड़यों के गुजरने
की आिाज़ें आद्रद| दृश्य और कथन के साथ यह जो ध्िभनयाँ हैं िे िायस-ओिर कही जाती हैं| राकृ भतक ध्िभनयाँ जो स्ितः
टरकॉिण होती हैं उन्हें नेट या नेट साउं ि कहते हैं|
रे भियो और टेिीभिज़न समाचार की िाषा शैिी-रेभियो और टीिी समाचार में िाषा और शैिी अखबारों की िाषा से
अिग होती है| आपसी बोिचाि की िाषा का ही इस्तेमाि द्रकया जाना चाभहए भजसमे िाक्य छोटे ,सरि और स्पष्ट हों|
िाक्यों में तारतम्पयता हो| भनम्नभिभखत,उपरोि,क्रमांक जैसे प्रंट मीभिया िािे शब्दों का रयोग भबिकु ि मना है|’द्वारा’
शब्द भ्रामक होता है, इसके रयोग से बचना चाभहए| मुहािरों का रयोग होना चाभहए|
इं टरनेट
इंटरनेट पत्रकाटरता को ही ऑनिाइन पत्रकाटरता, साइबर पत्रकाटरता या िेब पत्रकाटरता िी कहते हैl यह माध्यम
चौबीसों घंटे उपिब्ध रहता है, इस माध्यम के द्वारा खबर पढ़ने,देखने और सुनने का उपयोग द्रकया जाता है| आज तमाम
रमुख अखबार पूरे के पूरे इंटरनेट पर उपिब्ध है|
इं टरनेट पत्रकाटरता का इभतहास –भिश्व स्तर पर इस समय इंटरनेट पत्रकाटरता का तीसरा दौर चि रहा है | पहिा दौर था
1982 से 1992 तक जबद्रक दूसरा दौर 1993 से 2001 तक चिा| िारत मे इंटरनेट पत्रकाटरता का अिी दूसरा दौर चि
रहा है|
रश्न-अभ्यास
बहु-भिकल्पीय रश्न
1. ‘मुिर् किा’ की शुरुआत द्रकस देश से हुई-
(क) जमणनी (ख) भब्रटेन (ग) िारत (घ) चीन
2. भनम्नभिभखत कथनों पर भिचार कीभजये और द्रदये गए भिकल्पों में से सही भिकल्प का चयन कीभजये -
(i)मुद्रित माध्यम आधुभनक माध्यमों में सबसे पुराना है|
(ii)िारत में पहिा छापाखाना गोिा में खुिा|
(iii)इसे ईसाई भमशनटरयों ने धमण रचार की पुस्तकें छापने के भिए खोिा था|
(क)के िि कथन (i) सही है (ख) के िि कथन (ii) सही है
(ग) कथन (i) और (ii) सही है (घ) तीनों कथन सही हैं
3. मुद्रित माध्यम में स्पेस का महत्ि है- यहाँ ‘स्पेस’ से क्या आशय है-
(क) शब्दों के बीच स्थान (ख) िाक्यों के बीच स्थान
(ग) शब्द-सीमा (घ) भिशाि सामग्री
4.मुद्रित माध्यमों से संबभन्धत भनम्नभिभखत कथनों पर भिचार कीभजये और द्रदये गए भिकल्पों में से सही भिकल्प चुभनये-
(i) मुद्रित माध्यम में रकाभशत सामग्री को िंबे समय तक सुरभित रख सकते हैं|
(ii) मुद्रित माध्यम में सामग्री रचभित िाषा में भिखी जाती है|
(iii) सािर-भनरिर दोनों के भिए मुद्रित माध्यम समान महत्ि रखता है|
(क)के िि कथन (i) सही है (ख) के िि कथन (ii) सही है
(ग) कथन (i) और (ii) सही है (घ) तीनों कथन सही हैं
5. कथन(A) और कारर्(R) को पढ़कर,द्रदये गए भिकल्पों में से सही भिकल्प का चयन कीभजये-
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कथन(A)- छपे हुए शब्दों को आराम से धीरे धीरे पढ़ सकते हैं|
कारर्(R) छपे हुए शब्दों में स्थाभयत्ि होता है|
(क) कथन(A) सही है और कारर्(R) उसकी सही व्याख्या है|
(ख) कथन(A) सही द्रकन्तु कारर्(R) उसकी सही व्याख्या नहीं है|
(ग) कथन(A) और कारर्(R) दोनों गित हैं|
(घ) कथन(A) गित है द्रकन्तु कारर्(R) उसकी सही व्याख्या है|
6. रेभियो समाचार कॉपी को कम्पप्यूटर पर द्रकतने स्पेस में टाइप द्रकया जाना चाभहए-
(क) प्संगि स्पेस में (ख) िबि स्पेस में (ग)टट्रपि स्पेस में (घ) भनभित नहीं
7. रेभियो समाचार-कॉपी के भिए भनम्न िाक्यों पर भिचार कीभजये-
(i) एक िाइन में शब्द-सीमा नहीं होती है|
(ii) पंभि के आभखर में कोई शब्द भििाभजत नहीं होना चाभहए|
(iii) जटटि और उच्चारर् में कटठन शब्दों को भिखने से बचा जाना चाभहए|
(क) कथन (i) और (ii) सही है (ख) कथन (ii) और (iii) सही है
(ग) के िि कथन (i) सही है (घ) तीनों कथन सही हैं
8. रेभियो समाचारों के भिए भनम्न में से क्या सही नहीं है-
(क) एक से दस तक के अंक शब्दों में भिखे जाने चाभहए|
(ख) 11 से 999 तक के अंकों को, अंकों में भिखा जाना चाभहए
(ग) %,$ जैसे भचह्नो का रयोग द्रकया जाना चाभहए
(घ) भित्तीय संख्याओं को उनके नजदीकी पूर्ाांक में भिखना चाभहए
9. टेिीभिज़न के भिए खबर भिखे जाने की बुभनयादी शतण है-
(क) पूिाणनुमान से भिखा जाना चाभहए
(ख) दृश्य के साथ भिखा जाना चाभहए
(ग) सूचनाओं के भिए भिखा जाना चाभहए
(घ)दशणकों के ज्ञान के अनुरूप भिखा जाना चाभहए
10. दशणकों तक तत्काि कोई बड़ी खबर पहुंचाने को टीिी की िाषा में कहा जाता है-
(क) िाइि (ख) िोन-इन (ग) फ्िैश-न्यूज (घ) इंट्रो
11.कथन(A) और कारर्(R) को पढ़कर,द्रदये गए भिकल्पों में से सही भिकल्प का चयन कीभजये-
कथन(A)- एंकर-बाइट का टीिी पत्रकाटरता में बहुत महत्ि होता है|
कारर्(R)- एंकर-बाइट के द्वारा रत्यिदर्शणयों या संबभन्धत व्यभियों का कथन द्रदखाया जाता है
(क) कथन(A) सही है और कारर्(R) उसकी सही व्याख्या है|
(ख) कथन(A) सही द्रकन्तु कारर्(R) उसकी सही व्याख्या नहीं है|
(ग) कथन(A) और कारर्(R) दोनों गित हैं|
(घ) कथन(A) गित है द्रकन्तु कारर्(R) उसकी सही व्याख्या है|
12. ‘एंकर पैकेज’ से क्या तात्पयण है-
(क) एंकर द्वारा समाचार रस्तुत द्रकया जाना
(ख) द्रकसी खबर को संपूर्णता से रस्तुत द्रकया जाना
(ग) एंकर द्वारा द्रकसी खबर पर अपना भिचार द्रदया जाना
(घ) एंकर द्वारा अपनी टेबि पर रखा पैकेट खोिा जाना
13. ‘िॉयस ओिर’ क्या है-
(क) समाचार रस्तोता की तेज़ आिाज़ (ख) घटना-स्थि पर मौजूद टरपोटणर की आिाज
(ग) दो समाचार के बीच का अंतराि (घ) राकृ भतक आिाजें जो दृश्य के साथ चिती हैं
14. इंटरनेट पत्रकाटरता के भिषय में भनम्नभिभखत में से क्या सही नहीं है-
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(क) इसमे दृश्य और प्रंट दोनों माध्यमों का िाि भमिता है
(ख) इसमे खबरें बहुत तेज़ी से पहुंचाई जाती हैं
(ग) इससे खबरों की पुभष्ट तत्काि होती है
(घ) इंटरनेट पत्रकाटरता अिी-अिी आरंि हुई है
15. कथन(A) और कारर्(R) को पढ़कर,द्रदये गए भिकल्पों में से सही भिकल्प का चयन कीभजये-
कथन(A)- यूभनकोि भहन्दी टाइप्पंग का िॉन्ट है|
कारर्(R)- भहन्दी टाइप्पंग के भिए की-बोिण का मानकीकरर् आिश्यक है|
(क) कथन(A) सही है और कारर्(R) उसकी सही व्याख्या है|
(ख) कथन(A) सही द्रकन्तु कारर्(R) उसकी सही व्याख्या नहीं है|
(ग) कथन(A) और कारर्(R) दोनों गित हैं|
(घ) कथन(A) गित है द्रकन्तु कारर्(R) उसकी सही व्याख्या है|
उत्तर- 1.(ग) 2.(घ) 3.(ग) 4.(ग) 5.(क) 6.(ग) 7.(ख) 8.(ग) 9.(ख) 10.(ग) 11.(क)12.(ख)13.(घ)14.(घ)15.(ख)
िघुत्तरीय रश्नोत्तर
1. मुद्रित माध्यम की िो भिशेषताएँ बताइये जो इिेक्ट्रॉभनक माध्यम में नही हैं|
उत्तर- इसमें स्थाभयत्ि होता है,इसमे प्चंतन-मनन का पयाणप्त अिसर होता है जो द्रक इिेक्ट्रॉभनक माध्यम में नहीं होता है|
2. इन्टरनेट पत्रकाटरता के िोकभरय होने के दो कारर् भिभखए |
उत्तर-इसमें रेभियो, मुिर् और टी.िी.- तीनों के गुर् मौजूद हैं | इन्टरनेट पत्रकाटरता हर दो घंटे पर संशोभधत होती रहती
है | इसभिए यह सबसे अभधक तेज़ और ताज़ा पत्रकाटरता है |
3. मुद्रित माध्यम की सबसे बड़ी कमजोरी क्या है?
उत्तर-यह भनरिरों के भिए उपयोगी नहीं है|
4. ‘िेििाइन’ से क्या तात्पयण है,दैभनक समाचार-पत्रों के भिए क्या िेििाइन भनधाणटरत होती है?
उत्तर-िेििाइन द्रकसी िी माध्यम में समाचारों को रकाशन-रसारर् के भिए स्िीकार द्रकए जाने की अंभतम समय-सीमा
होती है| दैभनक समाचार-पत्रों के भिए िेििाइन 24 घंटे होती है|
5.रेभियो द्वारा रसाटरत समाचारों को द्रकस शैिी में भिखा जाता है? उसके द्रकतने िाग होते हैं?
उत्तर-अखबार की तरह उल्टा-भपराभमि शैिी में भिखा जाता है| इंट्रो,बॉिी,समापन इसके तीन िाग होते हैं
6. िारत में पहिा छापाखाना कहाँ और कब खुिा?
उत्तर-गोिा में, 1556 ई. में
7. टीिी पर समाचारों में ड्राई एंकर से क्या तात्पयण होता है?
उत्तर-जब तक द्रकसी खबर के दृश्य नहीं भमि जाते उससे पहिे एंकर द्रकसी खबर को टरपोटणर से भमिी सूचना आधार पर
पढ़ता है|
8. एंकर भिजुअि द्रकस माध्यम के समाचारों का भहस्सा है? इसका क्या उपयोग होता है?
उत्तर-एंकर भिजुअि टीिी समाचार का भहस्सा है|द्रकसी घटना के दृश्य भमि जाने पर एंकर दृश्यों के अनुरूप समाचार
पढ़ता है|
9. “कि रात बादि िटने के कारर् उत्तराखंि के कई भजिे बाढ़ और िूस्खिन से तबाह हो गए|” इस समाचार मेंउल्टा
भपराभमि शैिी के द्रकस िाग को पहचाना जा सकता है?
उत्तर-इंट्रो - इसमें द्रकसी घटना की सबसे महत्िपूर्ण जानकारी दी जाती हैं|
10. टेिीभिज़न समाचारों में िाषा की द्रकन महत्िपूर्ण बातों को ध्यान में रखा जाता है?

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उत्तर-आपसी बोिचाि की िाषा का ही इस्तेमाि द्रकया जाना चाभहए भजसमे िाक्य छोटे,सरि और स्पष्ट हों| िाक्यों में
तारतम्पयता हो| भनम्नभिभखत,उपरोि,क्रमांक जैसे प्रंट मीभिया िािे शब्दों का रयोग भबिकु ि मना है|’द्वारा’ शब्द
भ्रामक होता है, इसके रयोग से बचना चाभहए| मुहािरों का रयोग होना चाभहए|
11. नेट साउं ि क्या है? इसकी आिश्यकता क्यों होती है?
उत्तर-नेट साउं ि िह राकृ भतक आिाजें है जो घटना को शूट या टरकॉिण करते समय खुदबखुद आ जाती हैं|ये उस खबर को
पुष्ट करती हैं साथ ही दो खबरों के बीच के अंतराि को िी िरती हैं|
12. इंटरनेट पर भहन्दी पत्रकाटरता की सबसे बड़ी चुनौती क्या है?
उत्तर-इंटरनेट पर भहन्दी पत्रकाटरता की सबसे बड़ी चुनौती “िॉन्ट” की है| उसका मानकीकरर् द्रकए भबना एकरूपता आना
संिि नहीं है|

अध्याय – 4 पत्रकारीय िेखन के भिभिन्न रूप और िेखन रद्रक्रया


पत्रकारीय िेखन-समाचार पत्र और पभत्रकाओं में समाचारों के अभतटरि फ़ीचर,भिशेष टरपोटण,िेख और टटप्पभर्याँ िी
रकाभशत होती हैं| अखबार या अन्य समाचार माध्यमों में काम करने िािे पत्रकार अपने पाठकों, श्रोताओं,दशणकों तक
सूचनाएँ पहुंचाने के भिए िेखन के भिभिन्न रूपों का इस्तेमाि करते हैं| इसे ही पत्रकारीय िेखन कहते हैं| पत्रकारीय िेखन
साभहभत्यक िेखन से इस बात में भिन्न है द्रक जहाँ साभहभत्यक िेखन कल्पना-भमभश्रत होता है िहीं पत्रकारीय िेखन
िास्तभिक घटनाओं,समस्याओं और मुद्दों का तथ्यात्मक िर्णन होता है|यह अभनिायण रूप से तात्काभिकता और अपने
पाठकों की रुभचयों,जरूरतों को ध्यान में रख कर द्रकया जाने िािा िेखन होता है| इसीभिए माना जाता है द्रक पत्रकाटरता
जल्दी में भिखा गया साभहत्य है|
पत्रकार तीन रकार के होते हैं-
1.पूर्क
ण ाभिक पत्रकार- द्रकसी समाचार संगठन में काम करने िािा भनयभमत िेतनिोगी कमणचारी पूर्णकाभिक पत्रकार
होता है|
2. अंशकाभिक पत्रकार(प्स्ट्रंगर) –द्रकसी समाचार संगठन में एक भनभित मानदेय पर काम करने िािा पत्रकार होता है|
3. स्ितंत्र पत्रकार(फ्रीिांसर)- इसका संबंध द्रकसी खास समाचार संगठन से नहीं होता बभल्क िह िुगतान के आधार पर
अिग-अिग अखबारों के भिए भिखता है|
अच्छे पत्रकारीय िेखन के भिए ध्यान रखने योग्य बातें-
1. पत्रकारीय िेखन में अिंकाटरक – संस्कृ त भनष्ठ िाषा शैिी का रयोग नहीं करना चाभहए |
2. आम बोिचाि की िाषा और शब्दों का इस्तेमाि करना चाभहए |
3. अच्छा भिखने के भिए अच्छे और जाने-माने िेखकों की रचनाएँ पढ़नी आिश्यक होती हैं और गहन जानकारी आिश्यक
होती है |
4. छोटे िाक्यों के साथ-साथ कु छ मध्यम आकार के िाक्यों का,आिश्यकतानुसार बड़े िाक्य िी रयोग कर सकते हैं|
मुहािरे और िोकोभियों का िी रयोग िेखन को आकषणक बनाने के भिए द्रकया जाना चाभहए|
5. िेखन में कसािट होनी चाभहए|गैर-जरूरी बातों को हटा देना चाभहए|
6. अच्छे िेखन के भिए दुभनया और आसपास घटने िािी घटनाओं,समाज और पयाणिरर् पर गहरी भनगाह रखनी चाभहए|
7. तथ्यों को जुटाने और द्रकसी भिषय पर बारीकी से भिचार करने का धैयण होना चाभहए|
8.गैर-जरूरी भिशेषर्ों,जागणन्स(कम पटरचय िािे शब्द),क्िीशे(दोहराि) के रयोग से बचना चाभहए|
समाचार िेखन -पत्रकारीय िेखन का सबसे जाना-पहचाना रूप समाचार-िेखन होता है| सामान्य रूप से पूर्णकाभिक और
अंशकाभिक पत्रकार ही संिाददाता या टरपोटणर होते हैं,जो समाचार भिखते हैं|उल्टा भपराभमि शैिीही समाचार-िेखन की
सबसे रचभित और िोकभरय शैिी है| इस शैिी में सबसे महत्िपूर्ण तथ्य,सूचना या जानकारी को सबसे पहिे पैराग्राि में
भिखा जाता है,भजसे समाचार का ‘इंट्रो या मुखड़ा’ कहते हैं |उसके बाद के पैराग्राि में उससे कम महत्िपूर्ण सूचना या तथ्य

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होते हैं भजसे समाचार की ‘बॉिी’ कहते हैं| यह रद्रक्रया समाचार खत्म होने तक जारी रहती है, समाचार के आभखरीिाग को
‘समापन’कहते हैं ||

इंट्रो
समाचार िेखन और छः ककार-द्रकसी समाचार को भिखते समय मुख्यतः छः सिािों-
बॉडी क्या, कौन,कहाँ,कब,क्यों और कै से का जिाब देने की कोभशश की जाती है,भजसे छः
ककार(5W1H) कहते हैं| समाचार के इंट्रो या मुखड़े में आमतौर पर चार सिािों (ककारों)-
समापन
क्या,कौन,कब और कहाँ- के जिाब द्रदये जाने की कोभशश की जाती है|उसके बाद के पैराग्राि में
बाकी दो ककारों-क्यों और कै से- की व्याख्या की जाती है| इसमे पहिे चार ककार सूचनात्मक और तथ्यात्मक होते हैं
जबद्रक बाकी दो ककार समाचार का भििरर् और भिश्लेषर् रस्तुत करते हैं|

क्या कहाँ क्यों


इंट्रो बॉिी

कौन कै से
कब

फ़ीचर
अखबारों में समाचार के अभतटरि अन्य कई तरह का पत्रकारीय िेखन छपता है,इनमे फ़ीचर रमुख है|फ़ीचर एक
सुव्यिभस्थत,सृजनात्मक और आत्मभनष्ठ िेखन है भजसका उद्देश्य पाठकों को सूचना देने,भशभित करने के साथ मुख्य रूप से
उनका मनोरंजन करना होता है|
* फ़ीचर समाचारों की तरह पाठकों को तात्काभिक घटनाक्रम से अिगत नहीं कराता|
* समाचार-िेखन में िस्तुभनष्ठता और तथ्यों की शुिता पर बि द्रदया जाता है जबद्रक फ़ीचर में िेखक के पास अपनी
राय,दृभष्टकोर् और िािनाएँ जाभहर करने का अिसर होता है|फ़ीचर िेखन कािी हद तक कथात्मक शैिी की तरह होता
है|
*समाचारों के भिपरीत,फ़ीचर कीिाषा सरि,रूपात्मक,आकषणक और मन को छू ने िािी होती है|
* फ़ीचर में समाचारों की तरह शब्दों की कोई अभधकतम सीमा नहीं होती|250 शब्दों से िेकर 2000 शब्दों के फ़ीचर
भिखे जा सकते हैं|
* एक अच्छे फ़ीचर के भिए िोटो,रेखांकन,ग्राद्रिक्स का होना जरूरी है|
*फ़ीचर का भिषय कु छ िी हो सकता है|हल्के -िु ल्के भिषयों से िेकर गंिीर मुद्दों पर िी फ़ीचर भिखा जा सकता है|
*कु छ समाचार फ़ीचर की तरह भिखा जाता है द्रकन्तु फ़ीचर समाचार की तरह नहीं भिखे जा सकते |
िीचर िेखन -फ़ीचर भिखने में भनम्नभिभखत बातों का ध्यान रखा जाना चाभहए-
1.फ़ीचर को सजीि बनाने के भिए उसमें उस भिषय से जुड़े िोगों(पात्रों) की मौजूदगी होना जरूरी है | पात्रों के जटरये
फ़ीचर के भिषय एिं भिभिन्न पहिुओं को सामने िे आना चाभहए|
2.कहानी बताने का अंदाज भचत्रात्मक(देखने-सुनने जैसा) होना चाभहए|
3. फ़ीचर मनोरंजक होने के साथ ही सूचनात्मक िी होना चाभहए|
4. फ़ीचर िेखन का कोई भनभित ढांचा या िॉमूणिा नहीं होता,कहीं से िी आप अपनी थीम के अनुसार भिखना शुरू कर
सकते हैं| रारम्पि आकषणक एिं उत्सुकता पैदा करने िािा होना चाभहए|
5. िीचर का हर पैराग्राि अपने पहिे पैराग्राि से स्िािाभिक तरीके से जुड़ा हुआ िगना चाभहए| शुरू से आभखर तक
रिाह और गभत बनी रहनी चाभहए,इसके भिए पैराग्राि छोटे रखने चाभहए|

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िीचर के रकार-समाचार बैकग्राउं िर,खोजपरक िीचर,सािात्कार िीचर,जीिनशैिी िीचर, रूपात्मक िीचर,व्यभिभचत्र
िीचर,यात्रा िीचर इत्याद्रद|
भिशेष टरपोटण
समाचार पत्र और पभत्रकाओं में समाचारों के अिािा द्रकसी घटना,समस्या या मुद्दे पर गहरी छानबीन,भिश्लेषर् और
व्याख्या के आधार पर भिशेष टरपोटण िी रकाभशत होती हैं| आमतौर पर भिशेष टरपोटण िी समाचार की तरह उल्टा
भपराभमि शैिी में ही भिखा जाता है|पाठकों की रुभच बनाए रखने के भिए किी-किी उल्टा भपराभमि और िीचर दोनों की
शैभियों को भमिाकर िी भिखते हैं| िाषा सरि,सहज और बोिचाि की होनी चाभहए|
भिशेष टरपोटण के रकार-1.खोजी टरपोटण- इस रकार की टरपोटण में टरपोटणर मौभिक शोध और छानबीन के द्वारा ऐसी
सूचनाएँ या तथ्य सामने िाता है जो सािणजभनक तौर पर पहिे से उपिब्ध नहीं थीं| भ्रष्टाचार,अभनयभमतताओं और
गड़बभड़यों को उजागर करने के भिए खोजी टरपोटण का इस्तेमाि द्रकया जाता है|
2. इन-िेप्थ टरपोटण- इस रकार की टरपोटण में सािणजभनक तौर पर पहिे से उपिब्ध तथ्यों,सूचनाओं और आंकड़ों की गहरी
छानबीन की जाती है और उसके आधार पर द्रकसी घटना,समस्या या मुद्दे से जुड़े महत्िपूर्ण पहिुओं को सामने िाया जाता
है|
3. भिश्लेषर्ात्मक टरपोटण-इसमें द्रकसी घटना या समस्या से जुड़े तथ्यों के भिश्लेषर् और व्याख्या पर ज़ोर द्रदया जाता है|
4. भििरर्ात्मक टरपोटण- द्रकसी घटना या समस्या का भिस्तृत और बारीक भििरर् रस्तुत द्रकया जाता है|
भिचारपरक िेख,टटप्पभर्याँ और संपादकीय
अखबार में संपादकीय पृष्ठ पर रकाभशत होने िािे संपादकीय अग्रिेख,िेख और टटप्पभर्याँ, भिचारपरक पत्रकारीय िेखन
की श्रेर्ी में आते हैं|संपादकीय पृष्ठ के सामने ‘ऑप-एि’ पृष्ठ पर ऐसे िेख और स्तम्पि रकाभशत होते हैं|
संपादकीय िेखन-संपादकीय पृष्ठ पर रकाभशत संपादकीय को उस अखबार की अपनी आिाज़ माना जाता है|संपादकीय
द्रकसी व्यभि भिशेष का भिचार नहीं होता इसीभिए उसे द्रकसी व्यभि के नाम से नहीं छापा जाता| संपादकीय भिखने का
दाभयत्ि उस अखबार में काम करने िािे संपादक और उनकी टीम पर होता है|आमतौर पर संपादकीय कोई बाहर का
िेखक या पत्रकार नहीं भिख सकता|
स्तम्पि िेखन-कु छ महत्िपूर्ण िेखक अपने खास िैचाटरक रुझान के भिए जाने जाते हैं|ऐसे िेखकों की िोकभरयता को
देखकर अखबार उन्हें भनयभमत स्तम्पि भिखने की भजम्पमेदारी दे देते हैं|स्तम्पि का भिषय और उसमें अपने भिचार व्यि करने
की पूरी छू ट स्तम्पि-िेखक की होती है|कु छ स्तम्पि इतने िोकभरय होते हैं द्रक अखबार उनके कारर् पहचाने जाते हैं|
संपादक के नाम पत्र-अखबारों में संपादकीय पृष्ठ पर और पभत्रकाओं के आरंभिक पृष्ठ पर संपादक के नाम पाठकों के पत्र िी
रकाभशत होते हैं| यह एक स्थायी स्तम्पि होता है|पाठक अपनी भनजी राय,जनसमस्याएँ भिखकर संपादक को िेजते हैं| एक
तरह से यह स्तंि जनमत को रभतभबभम्पबत करता है|
िेख-िेख भिशेष टरपोटण और िीचर से इस मामिे में अिग होता है द्रक िेख में िेखक के भिचारों को रमुखता दी जाती
है|तथ्यों,सूचनाओं के भिश्लेषर् और तकों के द्वारा िेखक अपनी राय रस्तुत करता है|िेख की कोई भनभित शैिी नहीं होती|
सािात्कार-समाचार माध्यमों में सािात्कार का बहुत महत्ि है|पत्रकारीय सािात्कार और सामान्य बातचीत में यह फ़कण
होता है द्रक सािात्कार में एक पत्रकार द्रकसी अन्य व्यभि से तथ्य,उसकी राय और िािनाएँ जानने के भिए सिाि करता
है|सािात्कार का एक स्पष्ट मकसद होता है|एक सिि सािात्कार के भिए आपके पास न भसफ़ण ज्ञान होना चाभहए बभल्क
संिेदनशीिता,कू टनीभत,धैयण और साहस का गुर् िी होना चाभहए| रायः पत्रकार अपने पत्रकारीय िेखन के भिए रारभम्पिक
सामग्री(कच्चा-माि) सािात्कार से ही जुटाता है|
पाठ पर आधाटरत बहुभिकल्पीय रश्न
1. पत्रकारीय िेखन और साभहभत्यक िेखन के भिषय में,भनम्नभिभखत में से क्या गित है-
(क) पत्रकारीय िेखन का दायरा समसामभयक और िास्तभिक घटनाओं पर होता है|

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(ख) साभहभत्यक िेखन में काल्पभनकता को स्थान भमिता है|
(ग) पत्रकारीय िेखन में िेखक को अिंकाटरक िाषा की पूरी छू ट रहती है|
(घ) साभहभत्यक िेखन में िेखक को पूरी छू ट रहती है|
2.िाषा को रिािी बनाने के भिए पत्रकार को भनम्नभिभखत में से क्या सािधानी बरतनी चाभहए-
(क) सरि और आसानी से समझ आने िािे शब्दों का रयोग करना चाभहए
(ख) िाक्य छोटे और सहज होना चाभहए
(ग) पाठकों की रुभचयों और जरूरतों के अनुसार िेखन करना चाभहए
(घ) रिािी िाषा के भिए गैर-जरूरी भिशेषर्ों का रयोग करना चाभहए
3. पूर्णकाभिक पत्रकार द्रकसे कहते हैं-
(क) भनयभमत िेतनिोगी कमणचारी (ख) भनभित मानदेय िािा पत्रकार
(ग) सेिा के भनयमों से मुि कमणचारी (घ) िुगतान के आधार पर काम करने िािा
4. द्रकसी समाचार संगठन में भनभित िेतनमान पर काम करने िािे पत्रकार को कहते हैं-
(क)पूर्णकाभिक पत्रकार (ख)अंशकाभिक पत्रकार (ग)रिारी पत्रकार (घ) फ्रीिान्सर
5. ‘जो पत्रकार अपने द्वारा शूट द्रकए गए िीभियो और उस पर आधाटरत समाचार को अिग-अिग समाचार संगठनों को
िुगतान के आधार पर रकाशन-रसारर् हेतु िेजता है|’पत्रकारों के तीन रकारों में से िह द्रकस रकार का पत्रकार है-
(क)पूर्णकाभिक पत्रकार (ख)अंशकाभिक पत्रकार (ग)फ्रीिान्सर (घ)इंट्रो पत्रकार
6. समाचार िेखन में द्रकस शैिी का रयोग द्रकया जाता है-
(क)सीधा भपराभमि शैिी (ख)टेढ़ा भपराभमि शैिी (ग)उल्टा भपराभमि शैिी (घ) िीचर शैिी
7. पत्रकारीय िेखन से संबभन्धत भनम्नभिभखत कथनों पर भिचार कीभजये और सही भिकल्प का चुनाि कीभजये -
(i) पत्रकारीय िेखन कल्पना-भमभश्रत होता है|
(ii) आम बोिचाि की िाषा का रयोग होता है|
(iii) जागणन्स(कम पटरचय िािे शब्द),क्िीशे(दोहराि) के रयोग से बचना चाभहए|
(क) कथन (i) और (ii) सही हैं (ख) कथन (ii) और (iii) सही हैं
(ग) कथन (i) सही है (घ) तीनों कथन सही हैं
8. उल्टा भपराभमि शैिी में द्रकतने सिािों(ककारों) का रयोग द्रकया जाता है-
(क) चार (ख) पाँच (ग) तीन (घ) छः
9. समाचार िेखन में रथम दो-तीन पंभियों में सबसे महत्िपूर्ण तथ्यों को भिखा जाता है, इसे कहते हैं-
(क) इंट्रो (ख) बॉिी (ग) प्स्ट्रंगर (घ) संदेश
10. इंट्रो में भनम्नभिभखत में से द्रकन ककारों का जिाब द्रदया जाता है-
(क) क्या (ख) कै से (ग) क्यों (घ) द्रकतना
11. इंट्रो में द्रदये गए सिािों के जिाब-
(क) भििरर्ात्मक (ख) तथ्यात्मक (ग) व्याख्यात्मक (घ) भिश्लेषर्ात्मक
12. छः ककारों में भििरर् और व्याख्या से संबभन्धत कौन से ककार होते हैं-
(क) क्या,कौन (ख) कब,कहाँ (ग) द्रकतना,द्रकसका (घ) क्यों,कै से
13. िीचर और समाचार िेखन के उद्देश्यों में रमुख अंतर होता है-
(क) सूचना (ख) भशिा (ग) जागरूकता (घ) मनोरंजन
14. िीचर और समाचार िेखन से संबभन्धत भनम्नभिभखत कथनों पर भिचार कीभजये और द्रदये गए भिकल्पों में से सही
भिकल्प का चुनाि कीभजये-
(i) िीचर समाचार की तरह घटनाओं की तात्काभिक सूचना नहीं है|
(ii) िीचर िी समाचार की तरह उल्टा भपराभमि शैिी में भिखा जाता है|
(iii) िीचर में समाचारों की तरह के िि तथ्यात्मक सूचनाएँ दी जाती हैं|
(क) कथन (i) और (ii) सही हैं (ख) कथन (ii) और (iii) सही हैं
(ग) के िि कथन (i) सही है (घ) तीनों कथन गित हैं

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15. भनम्नभिभखत कथन और कारर् संबंधी रश्न को पढ़कर सही भिकल्प का चयन कीभजये-
कथन- िीचर िेखन उल्टा भपराभमि शैिी में नहीं होता|
कारर्- िीचर िेखन का कोई भनभित िॉमूणिा नहीं होता|
(क) कथन और कारर् दोनों सही हैं और कारर् कथन की सही व्याख्या है|
(ख) कथन और कारर् दोनों सही हैं परंतु कारर् कथन की सही व्याख्या नहीं है|
(ग) कथन सही नही है और कारर् कथन की गित व्याख्या है|
(घ) कथन और कारर् दोनों गित हैं|
16. िीचर की िाषा के भिषय में भनम्न में से क्या सही नहीं है-
(क) िीचर की िाषा सरि िेद्रकन मन को छू िेने िािी होनी चाभहए|
(ख) िीचर में समाचारों की तरह सपाटबयानी होनी चाभहए|
(ग) िीचर की िाषा आिंकाटरक और बोभझि नहीं होनी चाभहए|
(घ) िीचर की िाषा भिषय और मुद्दों के अनुकूि होनी चाभहए|
17. िीचर िेखन में आिश्यक नहीं है-
(क)सजीि िर्णन (ख)मनोरंजन (ग)भिषय से जुड़े पात्रों की मौजूदगी (घ) संिाद
18.द्रकसी घटना,समस्या या मुद्दे की गहन छानबीन और भिश्लेषर् की टरपोटण को कहते हैं-
(क) समाचार (ख) समस्यात्मक टरपोटण (ग) भिशेष टरपोटण (घ) सामाभजक टरपोटण
19. भनम्नभिभखत को समझकर सहीं सुमेभित भिकल्प पहचाभनए -
(क) समाचार (i) गहरी छानबीन,भिश्लेषर्
(ख) संपादकीय (ii) घटना,समस्या की ताजा टरपोटण
(ग) भिशेष टरपोटण (iii) अखबार की अपनी आिाज़
(घ) िीचर (iv) सुव्यिभस्थत,सृजनात्मक िेख
20.सािणजभनक तौर पर पहिे से उपिब्ध तथ्यों,सूचनाओं के आधार पर गहरी छानबीन िािी टरपोटण को कहा जाता है-
(क) खोजी टरपोटण (ख) इन-िेप्थ टरपोटण (ग) भििरर् टरपोटण (घ)भिश्लेषर् टरपोटण
21. भिशेष टरपोटण से संबंभधत भनम्नभिभखत कथनों पर भिचार कीभजये-
(i) भिशेष टरपोटण िी उल्टा भपराभमि शैिी में भिखा जाता है|
(ii) समाचारों की तुिना में भिशेष टरपोटण बड़ी और भिस्तृत होती हैं|
(iii)कई बार भिशेष टरपोटें उल्टा भपराभमि और िीचर दोनों भमभश्रत शैभियों मे िी भिखते हैं|
(क)कथन(i) और (ii) सही है (ख) कथन (ii) और (iii) सही है
(ग)कथन (i) और (iii) सही है (घ) तीनों कथन सही हैं
22. भनम्नभिभखत कथन और उसके कारर् को पद्रढ़ये तथा सही भिकल्प का चयन कीभजये-
कथन- संपादकीय द्रकसी के नाम के साथ नहीं छापा जाता|
कारर्- संपादकीय द्रकसी व्यभि भिशेष का भिचार नहीं होता|
(क) कथन और कारर् दोनों सही हैं और कारर् कथन की सही व्याख्या है|
(ख) कथन और कारर् दोनों सही हैं परंतु कारर् कथन की सही व्याख्या नहीं है|
(ग) कथन सही नही है और कारर् कथन की गित व्याख्या है|
(घ) कथन और कारर् दोनों गित हैं|
23.संपादक के नाम पाठकों के पत्र अखबारों में कहाँ छापे जाते हैं-
(क) शुरुआती पृष्ठ पर (ख) आभखरी पृष्ठ पर (ग) संपादकीय पृष्ठ पर (घ) द्रकसी िी पृष्ठ पर
24. आप द्रकसी समाजसेिी का एक सिि सािात्कार करना चाहते हैं ,इसके भिए आपको भनम्नमें से क्या-क्या तैयारी
करनी चाभहए-
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(क) उस व्यभि के बारे में पयाणप्त जानकारी (ख) सािात्कार का स्पष्ट मकसद
(ग) आम पाठकों की रुभचयों िािे रश्न (घ) तीनों
25. पत्रकार, पत्रकारीय िेखन के भिए कच्चा-माि कहाँ से राप्त करते हैं-
(क) िीचर से (ख) समाचार से (ग) पाठकों से (घ) सािात्कार से
उत्तर 1(ग),2(घ),3(ग),4(ख),5(ग),6(ग),7(ख),8(घ),9(क),10(क),11(ख),12(घ), 13(घ), 14(ग), 15(ख), 16(ख),
17(घ), 18(ग), 19(घ),20(ख),21(घ),22(क),23(ग),24(घ),25(घ)
अभ्यास हेतु िघुत्तरीय रश्न-
1. पत्रकार द्रकतने रकार के होते हैं?स्ितंत्र पत्रकार द्रकसे कहते हैं?
2. पत्रकारीय िेखन और साभहभत्यक सृजनात्मक िेखन में क्या िकण होता है?
3. समाचर िेखन की शैिी पर रकाश िाभिए?अथिा उिटा भपराभमि शैिी पर रकाश िाभिए?
4. समाचार के द्रकतने ककार होते हैं? स्पष्ट कीभजए।
5. फ़ीचर िेखन की रमुख भिशेषताएं बताइए|
6. फ़ीचर िेखन के रमुख उद्देश्य बताइए ।
7. फ़ीचर और समाचार में रमुख अंतर बताइए ।
8. भिशेष टरपोटण से क्या अभिराय है? भिशेष टरपोटण के द्रकतने रकार होते हैं ?
9. संपादकीय क्या है?
10.एक अच्छे और सिि सािात्कार हेतु द्रकस रकार की तैयारी होनी चाभहए?

अध्याय – 5 भिशेष िेखन - स्िरुप और रकार


भिशेष िेखन याभन द्रकसी खास भिषय पर सामान्य िेखन से हटकर द्रकया गया िेखन| अभधकतर समाचार पत्र और
पभत्रकाओं के अिािा टीिी और रेभियो चैनिों में भिशेष िेखन के भिए अिग से िेस्क होती है और उस भिशेष िेस्क पर
काम करने िािे पत्रकारों का समूह िी अिग होता है| जैसे समाचार-पत्रों और अन्य माध्यमों में कारोबार और व्यापार का
अिग िेस्क होता है| इसी तरह खेि, राजनीभत तथा अन्य भिषयों के भिए िी अिग-अिग िेस्क होती है | इन िेस्कों पर
काम करने िािे उपसंपादकों से अपेिा की जाती है द्रक संबंभधत भिषय या िेत्र में उसकी भिशेषज्ञता होगी |
बीट- खबरें कई तरह की होती है - राजनीभतक, आर्थणक, अपराध, खेि, द्रिल्म, कृ भष, कानून भिज्ञान या द्रकसी िी और
भिषय से जुड़ी हुई|संिाददाताओं के बीच काम का भििाजन आमतौर पर उनकी द्रदिचस्पी और ज्ञान को ध्यान में रखते हुए
द्रकया जाता है|मीभिया की िाषा में इसे बीट कहते हैं|उदाहरर्-एक संिाददाता की बीट अगर अपराध है तो इसका अथण
यह है द्रक उसका कायणिेत्र अपने शहर या िेत्र में घटने िािी आपराभधक घटनाओं की टरपोर्टांग करना है |िेद्रकन भिशेष
िेखन के िि बीट टरपोर्टांग ही नहीं है | यह बीट टरपोर्टांग से आगे एक तरह की भिशेषीकृ त टरपोर्टांग है भजसमें न भसिण उस
भिषय की गहरी जानकारी होनी चाभहए बभल्क उसकी टरपोर्टांग से संबंभधत िाषा और शैिी पर िी पूरा अभधकार होना
चाभहए|
भिशेष िेखन के िेत्र-अथण-व्यापार, खेि जगत, भिज्ञान-रौद्योभगकी, कृ भष, भिदेश, रिा, पयाणिरर्, भशिा, स्िास्थ्य, द्रिल्में
और मनोरंजन, अपराध, सामाभजक मुद्दे, कानून और अदाितें आद्रद |
भिशेष िेखन की िाषा और शैिी- भिशेष िेखन की िाषा और शैिी कई मामिों में सामान्य िेखन से भिन्न है|उनके बीच
का सबसे बुभनयादी फ़कण यह है द्रक हर िेत्र भिशेष की अपनी भिशेष तकनीकी शब्दाििी होती है जो उस भिषय पर भिखते
हुए आपके िेखन में आती है|उदाहरर् के तौर पर कारोबार और व्यापार की शब्दाििी- ब्याज दर, मुिास्िीभत, व्यापार-
घाटा, राजकोषीय घाटा, राजस्ि घाटा, िार्षणक योजना, भिदेशी संस्थागत भनिेशक, आिक, भनिेश, आयात, भनयाणत जैसे
शब्द,इसी रकार भिभिन्न िेत्रों से जुड़े शब्दों का रयोग द्रकया जाता है| भिशेष िेखन की कोई भनभित शैिी नहीं होती,
िेद्रकन अगर आप अपने बीट से जुड़ा कोई समाचार भिख रहे हैं तो उसकी शैिी उल्टा भपराभमि शैिी ही होगी |िेद्रकन
अगर आप समाचार िीचर भिख रहे हो तो उसे कथात्मक शैिी में भिख सकते है | अगर आप िेख या टटप्पर्ी भिख रहे हो
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तो इसकी शुरुआत िी िीचर की तरह होती है |जैसे आप द्रकसी के स स्टिी से उसकी शुरुआत कर सकते हैं,उसे द्रकसी खबर
से जोड़कर याभन न्यूज़पेग के जटरये िी शुरू द्रकया जा सकता है|
पाठ पर आधाटरत बहुभिकल्पीय रश्न
1. भिशेष िेखन कहिाता है?
(क) सामान्य िेखन से हटकर द्रकसी भिशेष भिषय पर द्रकया गया िेखन
(ख) द्रकसी भिषय पर भिखा गया रचनात्मक िेखन
(ग) द्रकसी भिषय पर द्रकया गया द्रक्रयात्मक िेखन
(घ) द्रकसी और भिषय पर द्रकया गया गभतशीि िेखन।
2.संिाददाताओं की रुभच और ज्ञान को ध्यान में रखकर उनके काम के भििाजन को कहते हैं?
(क) कमणचारी (ख) सीट (ग) बीट (घ) जीट
3. भिशेष िेखन के द्रकतने िेत्र हैं?
(क) एक (ख)दो (ग) छः (घ) अनेक
4. भिशेष िेखन के भिए द्रकस रकार की िाषा शैिी अपेभित है?
(क) साभहभत्यक िाषा (ख)सहज, सरि तथा बोधगम्पय िाषा
(ग) बाजारू िाषा (घ) भहन्दी-उदूण भमभश्रत िाषा
5. इनमें से भिशेष िेखन का कौन-सा िेत्र नहीं है?
(क) भसनेमा (ख) मनोरंजन (ग) स्िास्थ्य (घ) समाचार
6. कारोबार और व्यापार से संबंभधत खबर का सम्पबन्ध द्रकससे है?
(क) खेि िेत्र से (ख) कृ भष िेत्र से (ग) आर्थणक िेत्र (घ) राजनीभतक िेत्र
7. इनमें से कौन-सा शब्द द्रक्रके ट जगत का नहीं है?
(क) भहट भिके ट (ख) भस्पन (ग) रन (घ) तेजभड़ए
8. इनमें से कौन-सा शब्द आर्थणक िेत्र से सम्पबभन्धत नहीं है?
(क) तेजभड़ए (ख) भबकिािी (ग) मंदभड़ए (घ)आिणता
9. भिशेषज्ञता राप्त करने हेतु क्या आिश्यक है:-
(क)स्ियं को अपिेट रखना (ख) पुस्तकें पढ़ना (ग)भनरंतर द्रदिचस्पी (घ)उपयुणि सिी
10. भिशेष िेखन क्यों द्रकया जाता है-
(क)समाचार पत्रों में भिभिधता आती है (ख)समाचार पत्रों का किेिर बढ़ता है
(ग) संपादक का महत्ि बढ़ता है (घ) भिकल्प (क) और (ख)
11. भिशेष संिाददाता द्रकन्हें कहा जाता है-
(क)के िि टरपोर्टांग करनेिािों को (ख)भिशेषीकृ त टरपोर्टांग करने िािो को
(ग) भिकल्प (क) और (ख) दोनों (घ) उपयुणि में से कोई नहीं
12.बीट कहते हैं-
(क) िेखन और टरपोर्टांग का भिशेष िेत्र (ख) टरपोटणर की टेबि
(ग) हृदय की धड़कन (घ) उपयुणि में से कोई नहीं।
13.कारोबार तथा अथणजगत से जुड़ी खबरें द्रकस शैिी में भिखी जाती हैं-
(क)रोचक शैिी में (ख)रश्न शैिी में (ग)उल्टा भपराभमि शैिी में (घ) उपयुणि सिी में
14. बीट किर करने िािे टरपोटणर को क्या कहा जाता है-
(क)भिशेष संिाददाता (ख)संिाददाता (ग)‘क’ और ‘ख” दोनों (घ)इनमें से कोई नहीं
उत्तर- 1(क),2(ग),3(घ),4(ख),5(घ),6(ग),7(घ),8(घ),9(घ),10(घ),11(ख),12(क),13(ग),14(ग)
अभ्यास हेतु िघुत्तरीय-रश्न-
1. भिशेष िेखन द्रकसे कहते हैं?
2. भिशेष िेखन और भिशेष टरपोटण में क्या अंतर है?
3. ‘िेस्क” क्या है?
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4. संिाददाता और भिशेष संिाददाता में क्या िकण होता है?
5. भिशेष टरपोर्टांग के द्रकन्हीं चार रकारों को बताइये|
6. भिशेष िेखन की िाषा-शैिी के तीन रमुख भबन्दु भिभखए|
7. भिशेष िेखन की िेखन शैिी पर तीन भबन्दु भिभखए|
8. ‘न्यूज़पेग क्या’ है?
9. भिशेष िेखन की िाषा शैिी सामान्य िेखन से अिग क्यों होती है ?
10. समाचार चैनि की ओर से एजेण्िा देने के भिए को दो भिषय भिभखए | समाज की ओर से उन पर रभतद्रक्रया िी व्यि
कीभजये |
अध्याय – 11 कै से करें कहानी का नाट्य रूपान्तरर्
कहानी और नाटक में सम्पबन्ध –कहानी और नाटक दोनों का कें िप्बंदु कथानक होता है |कहानी और नाटक दोनों में
पात्र,देशकाि तथा िातािरर् जैसे तत्ि मौजूद होते हैं | साथ ही संिाद ,द्वंद्व ,उद्देश्य तथा चरमोत्कषण दोनों में ही पाए
जाते हैं |इस सम्पबन्ध को भनम्न भबन्दुओं से समझा जा सकता है –
कहानी – कहानी का कें िप्बंदु कथानक होता है | कहानी में एक कहानी होती है | कहानी में पात्र होते हैं | कहानी में
पटरिेश होते हैं | कहानी का क्रभमक भिकास होता है | कहानी में संिाद होते हैं | कहानी में पात्रों के मध्य द्वंद्व होता है |
कहानी में एक उद्देश्य भनभहत होता है |कहानी का चरमोत्कषण होता है |
नाटक – नाटक का के न्िप्बंदु कथानक होता है |नाटक में िी एक कहानी होती है | नाटक में िी पात्र होते हैं | नाटक में िी
पटरिेश होता है | नाटक का िी क्रभमक भिकास होता है | नाटक में िी संिाद होते हैं | नाटक में पात्रों के मध्य द्वंद्व होता है |
नाटक में िी एक उद्देश्य भनभहत होता है | कहानी का िी चरमोत्कषण होता है |
कहानी और नाटक में मूििूत अंतर -
• जहाँ कहानी का सम्पबन्ध िेखक और पाठक से है िहीं नाटक िेखक,भनदेशक ,पात्र ,श्रोता एिं अन्य िोगों को एक
दूसरे से जोड़ता है |
• कहानी कही जाती है या पढ़ी जाती है | नाटक मंच पर रस्तुत द्रकया जाता है |
• कु छ मूि तत्ि जैसे द्वंद्व; नाटक में भजतना और भजस मात्रा में होता है उतना कहानी में संिितः नहीं होता है |
कहानी का नाट्य रूपांतरर् कै से करें ?
• कहानी को नाटक में रूपांतटरत करने के भिए सबसे पहिे कहानी की भिस्तृत कथािस्तु को समय और स्थान के
आधार पर भििाभजत द्रकया जाता है |
• यद्रद एक घटना ,एक स्थान और एक समय में घट रही है तो िह एक दृश्य होगा |
• कहानी की कथािस्तु को सामने रखकर एक –एक घटना को चुन-चुन कर भनकािा जाता है और उसके आधार पर
दृश्य भनमाणर् होता है |
• रत्येक दृश्य का कथानक के अनुसार औभचत्य होना चाभहए |
• रत्येक दृश्य का कथानक के अनुसार भिकास होना चाभहए |
• रत्येक दृश्य एक प्बंदु से रारंि होता है और इस बात का ध्यान रखना आिश्यक है द्रक
पटरभस्थभत,पटरिेश,पात्र,कथानक से सम्पबंभधत भििरर्ात्मक टटप्पभर्याँ द्रकस रकार की हैं
• नाटकीय संिादों का कहानी के मूि संिादों के साथ मेि होना चाभहए |
• संगीत ,ध्िभन और रकाश आद्रद की व्यिस्था करनी होती है |
अभ्यास के भिए रश्न –
रश्न – कहानी और नाटक में क्या क्या समानताएं हैं ?
रश्न – “कहानी के नाट्य रूपांतरर् में संिाद का भिशेष महत्त्ि होता है”- इस कथन से आप कहाँ तक सहमत हैं ?

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रश्न – कहानी का नाट्य रूपांतरर् करते समय आने िािी द्रकन्ही दो चुनौभतयों का उल्िेख करें |
रश्न – कहानी के नाट्य रूपांतरर् में “िायस ओिर” की िूभमका स्पष्ट कीभजये |

अध्याय – 11 कै से बनता है रे भियो नाटक


‘रेभियो नाटक' नाटक का िह रूप है जो रेभियो पर रसाटरत होता है। रेभियो ,श्रव्य माध्यम है भजसमें दृश्य(भिजुअल्स) नहीं
होते और न ही दशणक और अभिनेता आमने-सामने होते हैं। रेभियो नाटक िेखन भसनेमा या रंगमंच के िेखन से थोड़ा भिन्न
है और कटठन िी। यहाँ आपकी सहायता के भिए न मंच सज्जा तथा न िस्त्र सज्जा है और न ही अभिनेता के चेहरे की िाि
िंभगमाएं। आपको सब कु छ संिादों और ध्िभन रिािों के माध्यम से ही सन्देश संरेभषत करना होता है।अत: रेभियो नाटक
िेखन के भिए भनम्न भबन्दुओं को मद्देनज़र रखना आिश्यक है -
1. कहानी का चुनाि- रेभियो नाटक के भिए आिश्यक है द्रक कहानी 'एक्शन बेस्ि' न हो क्योंद्रक रेभियो पर बहुत अभधक
एक्शन का जहाँ रिाि उत्पन्न करना मुभश्कि होता है िहीं श्रोताओं को उबाऊ िी िगता है।
2. समयािभध-रेभियों नाटक की अिभध 15 भमनट से 30 भमनट तक की ही होनी चाभहए क्योंद्रक रेभियो के श्रोता
भसनेमा की तरह ‘कै भप्टि ऑभियंस' नहीं हैं जो एक भनभित समय के भिए एक जगह भिशेष पर बैठ कर देखने को बाध्य हों।
3. पात्रों की संख्या- चूँद्रक रेभियो नाटक की समयािभध कम होती है और श्रव्य माध्यम होने के कारर् पात्रों को भसिण उनकी
आिाज़ से ही पहचानना होता है इसभिए रेभियो नाटक के पात्रों की संख्या 5-6 होनी चाभहए।
4. संिाद और ध्िभन रिाि-रेभियो नाटक में पात्रों, घटनाओं / दृश्यों सम्पबंभधत समस्त जानकारी संिादों के ही द्वारा राप्त
होती है। तो उसी के अनुसार संिाद और ध्िभन का भनमाणर् / चयन द्रकया जाए।
रे भियो नाटक के तत्ि -
रेभियो नाटक में ये 3 तत्ि महत्िपूर्ण है- 1. िाषा, 2. ध्िभन और 3. संगीत (इन तीनों के किात्मक संयोजन से भिशेष
रिाि उत्पन्न द्रकया जाता है।)
1. िाषा- िाषा कें ि में है और यह ध्यातव्य है द्रक िाभषत शब्द की शभि भिभखत शब्द से अभधक होती है और शब्द रयोग
ऐसे हों भजनका बोिकर अभिनय करने में सरिता हो |
2. ध्िभन और संगीत- संगीत सामान्यतः दृश्य पटरितणन और संिाद के बीच के अंतराि को िरने के भिए उपयोग में आता है
तथा नाटक की भिषय िस्तु और कथ्य के अनुरूप िातािरर् के भनमाणर् के भिए िी। यह िातािरर् अदृश्य होता है इसभिए
संगीत की आिश्यकता और िूभमका और बढ़ जाती है। संगीत का योगदान िी भिभशष्ट होता है।
अन्य महत्त्िपूर्ण प्बंद ु -
1. भजन रचनाकारों ने रेभियो नाटक के िेत्र में महत्त्िपूर्ण योगदान द्रकया है, उनमें से कु छ ये हैं- भसिनाथ कु मार,उदय
शंकर िट्ट, िगितीचरर् िमाण, भगटरजाकु मार माथुर, िारत िूषर् अग्रिाि और धमणिीर िारती। धमणिीर िारती का
गीभतनाट्य अंधा युग पहिी बार रेभियो से ही रसाटरत द्रकया गया।
2. रेभियो नाटक में नैरेटर या सूत्रधार हो सकता है। ऐसा होता रहा है। जो काम नैरेटर या सूत्रधार करने िािा है िह
पात्रों के संिादों के माध्यम से संपन्न हो जाए तो भस्थभत अच्छी मानी जाती हैं।
3.इस रकार रेभियो नाटक श्रव्य नाटक है। यह गभतशीि है। अतीत, ितणमान, िभिष्य तीनों कािों में इसके माध्यम से गमन
द्रकया जा सकता है। यह बोिी जाने िािी िाषा की शभि-िमता का िरपूर उपयोग करता है। कल्पना तत्ि से इसका
गहरा संबंध है।
4.यह अंतमणन का नाटक है,भमतव्ययी िी है।
5.न्यूनतम साधनों से अभधकतम रिाि उत्पन्न करने की िमता िी है। ध्िभन और संगीत का रचनात्मक उपयोग इसके
रिाि में िृभि करता है।
महत्त्िपूर्ण रश्नोत्तर -
रश्न: रेभियो नाटक और भसनेमा या रंगमंच में क्या-क्या समानता अथिा असमानता है?
उत्तर:1. रेभियो एक श्रव्य माध्यम है, जबद्रक भसनेमा या रंगमंच एक दृश्य माध्यम है। रेभियो नाटक में सब कु छ संिादों एिं
ध्िभन रिािों के माध्यम से संरेभषत करना पड़ता है। 2.रेभियो नाटक में मंच सज्जा, िस्त्र सज्जा एिं अभिनेता के चेहरे की

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िाि-िंभगमाओं का अिाि होता है, जबद्रक भसनेमा या रंगमंच में ये सिी चीजें आसानी से उपिब्ध हो जाती हैं अथाणत हम
कह सकते हैं द्रक रेभियो नाटक में सब कु छ आिाज के माध्यम से सम्पपन्न होता है।
रश्न: रेभियो नाटक की अिभध या समय-सीमा पर टटप्पर्ी भिभखए।
उत्तर: सामान्यत: रेभियो नाटक की अिभध 45 से 30 भमनट होती है, इसके अनेक कारर् होते हैं; जैसे द्रक रेभियो पर समय
की बाध्यता होने के कारर् ऐसा माना जाता है द्रक श्रोता अभधकतम 5 से 30 भमनट तक ही एकाग्रता बनाकर रेभियो नाटक
को सुन सकता है। इसका दूसरा कारर् यह िी है द्रक जैसे ही श्रोता को रेभियो नाटक यद्रद अभधक िंबा या उबाऊ महसूस
होता है तो िह द्रकसी दूसरे स्टेशन को ट्यून कर सकता है या द्रिर उसका ध्यान कहीं ओर जा सकता है।
रश्न: रेभियो नाटक में पात्रों की संख्या के संबंध में अपने भिचार व्यि कीभजए।
उत्तर: जैसा द्रक आप सब जानते हैं द्रक रेभियो नाटक की समयािभध सीभमत होती है।रेभियो नाटक में दृश्यों का अिाि होने
के कारर् श्रोता को संिादों को सुनकर ही पात्रों के साथ अपना टरश्ता बनाए रखना पड़ता है क्योंद्रक श्रोता भसिण आिाज़ के
सहारे ही पात्रों को याद रख पाता है। अतः 45भमनट के रेभियो नाटक में पात्रों की संख्या अभधकतम 5-6 होनी चाभहए। 30
से 40 भमनट की अिभध िािे नाटक में पात्रों की संख्या 8 से 42 हो सकती है।
रश्न: रेभियो नाटक के भिए संिाद भिखते समय द्रकन बातों का ध्यान रखना चाभहए।
उत्तर: जैसा द्रक हम सब जानते हैं रेभियो नाटक एक श्रव्य माध्यम है। श्रव्य माध्यम में दृश्यों का अिाि होता है। अत: श्रव्य
माध्यम होने के कारर् रेभियो नाटक में सब कु छ संिादों के माध्यम से सम्पपन्न होता है; इसभिए सिी पात्रों/ चटरत्रों को
अपने संिादों में एक-दूसरे को नाम से संबोभधत द्रकया जाना चाभहए। ऐसा करने से श्रोता रेभियो नाटक के संिादों के साथ
टरश्ता कायम करते हुए नाटक का िरपूर रसास्िादन कर पाएगा।
रश्न -कहानी और रेभियो नाटक की समानताएँ बताइए।
उत्तर-- कहानी और रेभियो नाटक में बहुत सी समानताएँ हैं। इन दोनों में एक कहानी होती है। पात्र होते हैं। पटरिेश
होताहै। कहानी का क्रभमक भिकास होता है। संिाद होते हैं। द्वंद्व होता है। चरम उत्कषण होता है। इस रकार हम देखते हैं द्रक
नाटक और कहानी की आत्मा के कु छ मूि तत्ि एक ही हैं। तथा कहानी और रेभियो नाटक दोनों ही मनुष्यों का मनोरंजन
करते हैं।
रश्न – ‘कै भप्टि ऑभियंस' द्रकसे कहते हैं?
उत्तर- दशणक एक समय भिशेष के भिए द्रकसी एक रेिागृह में एक साथ बैठते हैं अथाणत एक स्थान पर कै द द्रकए गए होते हैं।
इन्हीं कै द हुए दशणकों को अंग्रज
े ी में कै भप्टि ऑभियंस कहते हैं।
रश्न - रेभियो नाटक की भिशेषताओं को स्पष्ट कीभजए।
उत्तर- रेभियो नाटक में ध्िभन रिाि और संिादों का भिशेष महत्ि है जो इस रकार है-
रेभियो नाटक में पात्रों से संबंभधत सिी जानकाटरयां संिादों के माध्यम से भमिती है।पात्रों की चाटरभत्रक भिशेषताएं
संिादों के द्वारा ही उजागर होती है।नाटक का पूरा कथानक संिादों पर ही आधाटरत होता है।इसमें ध्िभन रिािों और
संिादों के माध्यम से ही कथा को श्रोताओं तक पहुंचाया जाता है।संिादों के माध्यम से ही रेभियो नाटक का उद्देश्य स्पष्ट
होता है।संिादों के द्वारा ही श्रोताओं को संदेश द्रदया जाता है।
अध्याय – 11 नए और अरत्याभशत भिषयों पर िेखन
‘अरत्याभशत’ शब्द का अथण है- अचानक घटटत होने िािा या असंिाभित|अरत्याभशत भिषय पर िेखन से तात्पयण ऐसे
शीषणकों पर भिखना भजसकी हमने पहिे से तैयारी न की हो |जहां भनबंधों/आिेखों में ‘मैं’ शैिी का रयोग िर्जणत होता
है,िहीं इस इस तरह के िेखन में ‘मैं’ शैिी का रयोग बेरोकटोक द्रकया जा सकता है|अरत्याभशत रचनात्मक िेखन का कोई
भनभित रारूप नहीं होता और भनभित रारूप नही होने के कारर् िेखक स्ितंत्र रूप से अपने िािों ,भिचारों और भसिांतों
आद्रद को रस्तुत कर सकता है | यह ध्यान रखना आिश्यक है द्रक जो िी भििरर् ,भििेचन हो िह सुसंगत और सुसब
ं ि हो |
अरत्याभशत िेखन के कु छ उदाहरर्-
1.कमण और अभ्यास- मानि जीिन में कमण की रधानता है। कमण अभ्यास के साथ जुड़ा है। अभ्यास का अथण है-द्रकसी काम को
करने का भनरंतर रयत्न। भनरंतर रयत्न करतेरहने से द्रकसी काम में िांभछत सििता अिश्य भमिती है। द्रकसान जो बीज खेत
में बोता है, उसे ही िसि के रूप में िह बाद में काटता है।भनरंतर अभ्यास करने से मूखण िी ज्ञानी हो जाता है जैसे पत्थर
पर रस्सी के बार-बार आने-जाने से पत्थर पर भनशान पड़ जाते हैं। यह कायण-कु शिता का मूिमंत्र है। शरीर को सुिौि
बनाने के भिए भनरंतर व्यायाम आिश्यक है। भिद्याथी को कोई चीज बार-बार याद करनी पड़ती है। कभि िी तिी रखर
बनता है जब िह अभ्यास करता है। िगिान श्री कृ ष्र् ने कहा िी है द्रक -
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कमणण्येिाभधकारस्ते मा ििेषु कदाचन |
मा कमणििहेतुमुणमा ते संगोिस्त्िकमणभर् ॥
सिी को भनरंतर कमण का अभ्यास करते रहना चाभहए।अभ्यास से कई िाि होते हैं। इससे मानि की कायण -दिता बढ़ती है।
इससे ज्ञान में िृभि होती है। अभ्यास के रसंग में यह िी भिचारर्ीय है द्रक अभ्यास व्यभि स्ियं करता है या उसके भिए
द्रकसी के भनदेश की आिश्यकता होती है।अभ्यास के द्वारा व्यभि ज्ञान की भिभिन्न धाराओं का पटरचय राप्त करता है। यह
भिशेष रकार की आदत का भनमाणर् कर देता है।यह आदत कई रूपों में काम देती है। अभ्यास के कारर् भब्रटेन के रधानमंत्री
ग्िैिस्टोन मंच पर बोि सके । काभिदास की कहानी के बारे में सिी जानते हैं।अभ्यास मानि-जीिन के भिए िह पारस
पत्थर है भजसका स्पशण पाकर िोहा िी सोना हो जाता है। यह भबल्कु ि सही है द्रक जड़ बुभि िािा व्यभि िी अभ्यास से
सीख सकता है। सििता के भिए अभ्यास भनतांत आिश्यक है। ठीक ही कहा गया है द्रक -करत-करत अभ्यास के , जड़मभत
होत सुजान।
अरत्याभशत भिषयों पर रचनात्मक िेख पर आधाटरत िघुत्तरीय रश्न-
1. ‘अरत्याभशत’ शब्द का क्या अथण है?
उत्तर-‘अरत्याभशत’ शब्द का अथण है- अचानक घटटत होने िािा या असंिाभित|अरयाभशत भिषय पर िेखन से
तात्पयण ऐसे शीषणकों पर भिखना भजसकी हम पहिे से तैयारी न द्रकए हों|
2. पारंपटरक और अरत्याभशत भिषयों में अंतर बताइए |
उत्तर-पारंपटरक भिषय िो भिषय होते हैं जो द्रकसी मुददे, भिचार, घटना आद्रद से जुड़े होते हैं और अभधकतर सामाभजक
और राजनीभतक भिषय होते हैं। इसमें आप अपनी व्यभिगत राय को उतना महत्त्ि न देकर सामूभहक भिचार पर ज़ोर
देते हैं, जबद्रक अरत्याभशत भिषयों पर िेखन में आपके अपने भनजी भिचार होते हैं।
3. अरत्याभशत भिषयों पर िेखन को राथभमकता क्यों दी जाती है?
उत्तर-1.अरत्याभशत िेखन के माध्यम से हर द्रकसी को रचनात्मक एिं मौभिक िेख भिखने का अिसर भमिता है।
2. इसमें िेखक के प्चंतन मनन, भिचार भिश्लेषर् एिं तार्कण क िमता का भिकास होता है। 3.इससे िेखन कौशल्र का
भिकास होता है। 4. इससे िाषा पर अच्छी पकड़ बनती है। 5. अरत्याभशत भिषयों पर िेखन कम समय में अपने
भिचारों को संकभित कर उन्हें सुंदर और सुघड़ ढंग से अभिव्यि करने की चुनौती है।
4.क्या अरत्याभशत भिषयों पर िेखन का कोई भनभित रूप होता है?
उत्तर-नहीं, अरत्याभशत िेखन का कोई भनभित रूप नहीं होता है । दैभनक जीिन से जुड़े हुए द्रकसी िी भिषय पर
अरत्याभशत िेखन भिखा जा सकता है | जब आप अपने भिचारों को अपने अनुिि, तकण , भसिांत, समाज, स्थान, काि
और पात्र के आधार पर शब्दांद्रकत करते हैं तो िो किी संस्मरर्, किी भनबंध, किी रेखाभचत्र, किी कहानी, किी
यात्रा िृत्तान्त, किी टरभपताणज आद्रद साभहभत्यक भिधा का रूप िे सकता है।
4. अरत्याभशत भिषयों पर िेखन के भिषय क्या हो सकते हैं?
उत्तर-दैभनक जीिन से जुड़े हुए द्रकसी िी भिषय पर अरत्याभशत िेखन भिखा जा सकता है|ये भिषय कु छ िी हो सकते हैं,
जैसे मेरे घर का बगीचा, एक शाम पहाड़ी जीिन के नाम, दीिाि घड़ी, बाटरश में भबन छतरी, तीन घंटे का अके िापन,
द्रदव्य शभियाँ और मैं, िजण कीभजए आप भतिचट्टा हैं, धारािाभहकों में स्त्री, समुि द्रकनारे आप और आपकी यादें
इत्याद्रद।

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