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सबसे मह पूण त या जानकारी को सबसे पहले बताया जाता है, जबिक कहानी या उप ास म
ाइमे सबसे अ
ं त म आता है। इसे उ ा िपरािमड इस लये कहा जाता है िक इसम सबसे
सूचना होती है। इस शैली म िपरािमड को उ ा कर िदया जाता है। इसम सबसे मह पूण सूचना िपरािमड
होती है। समाचार लेखन क उ ा िपरािमड शैली के तहत लखे गये समाचार के सुिवधा क ि से
इसम मुखड़ा याइटं◌्रो समाचार के पहले आरै कभी-कभी पहले और सरे दोन पैरागा्रफ को कहा
जाता है। मुखड़ा िकसी भी समाचार का सबसे मह पूर ्ण िह ा होता है िक इसम सबसे मह पूण
त और सूचनाओं को लखा जाता है। इसके बाद समाचार क बाडी आती है, जसम मह के
है। सबसे अ
ं त म िन ष या समापन आता है। समाचार लेखन म िन ष जैसी कोई चीज नह होती है
और न ही समाचार के अ
ं त म यह बताया जाता है िक यह समाचार का समापन हो गया है।
मुखड़ा या इं ो या लीड - उ ा िपरािमड शैली म समाचार लेखन का सबसे मह पूण पहलूमुखड़ा लेखन
या इं ो या लीड लेखन है। मुखड़ा समाचार का पहला पैरा ाफहोता है जह से कोई समाचार शु होता है।
मुखड़े के आधार पर ही समाचार क गुणव ा का िनध रण होता है। एक आदश मुखड़ा म िकसी समाचार
आदश मुखड़े म सभी छहककार का जवाब दे ने के बजाये िकसी एक मुखड़े को ाथिमकता दे नी चािहये।
िव लेषण समाचार क बाडी म होती है। िकसी समाचार लेखन का आदश िनयम यह है िक िकसी
समाचार को ऐसे लखा जाना चािहये, जससे अगर वह िकसी भी िब ु पर समा हो जाये तो उसके
ादा मह पूण हो। अपने िकसी भी समापन िब ु पर समाचार को पूण, पठनीय और भावशाली होना
कोई घटना कैसे और ो ई, यह जानने के लये उसक पृ भूिम,प रपे और उसके ापक संदभ
को ख
ं गालने क को शश क जाती है। इसके ज़ रये ही िकसी समाचार के वा िवक अथ और असर को
लोग पढ़ते ह या सुनते-दे खते ह और इनका अ यन नह करते। हाथ म श कोष लेकर समाचार प नह
पैरा ाफ। एक प कार को समाचार लखते व इसबात का हमेशा ान रखना होगा िक भले ही इस
है जसके साथ वह संदे श का आदान- दान कर रहा है। िफर प कार को इस पाठक या उपभे ाक
तरह हम कह सकते ह िक यह प कार और पाठक के बीच सबसे बेहतर संवाद क थ त है। प कार को
अपने पाठक समुदाय के बारे म पूरी जानकारी होनी चािहए। दरअसल एक समाचार क भाषा का हर
समाचार लख रहा है तो उसे मालूम होता हैिक इस समाचार प को िकस तरह के लोग पढ़ते ह। उनक
दे खने का नह है भले ही बातचीत म इनका िकतना ही इ ेमाल न हो। भाषा और साम ी के चयन म
काशन या सारण म िवशेष सावधानी बरती जाती है जससे हमारी सामा जक एकता पर नकारा क
भाव पड़ता हो। समाचार लेखक का भाषा पर सहज अ धकार होना चािहए। भाषा पर अ धकार होने के
साथ साथ उसे यह भी जानना चािहए िक उसके पाठक वग िकस कार के ह। समाचार प म समाचार के
नह होता है जो खेल समाचार क भाषा का होता है। पर एक बात उनम समान होती है वह यह िक सभी
कार के समाचार म सीधी, सरल आरै बोधग भाषा का योग िकया जाता है। सरी बात यह िक
समाचार लेखक को अपनी िवशेषता का े िनध रत कर लेना चािहए। इससे उस िवषय िवशेष से
है।
2 भावी ले खन के गु ण
िकसी भी उ का हो, या िकसी भी तरह क नौकरी करता हो या िकसी भी पद पर हो - उसे लखना पड़ता
है। चाहे वो ू ल म िदये जाने वाले काम ह , कोई रपोट बानानी हो या िफर िबल पर ह ा र करना हो -
सभी लखते ह।
उनम से कुछ लोग ज लखना पड़ता है वह वा व म लखने का आनंद लेते ह लेिकन कई लोग के
इसके बारे म िब ु ल भी नह सोचते िक िकस तरह लखना चािहये। जसके प रणाम प उनक
कु छ ऐसी युि यां दी गई ह िजससे आपको लेखन काय ज दी शु करने म मदद िमलेगी −
● योजना और संरचना
कं पिनयां िनयिमत प से द तावेज जारी करती रहती ह जैसे शेयरधारक के िलए वा षक रपोट, ाहक के िलए
मािसक यूज़लेटस और कमचा रय के िलए संपादक य। आपने कसी िवषय व तु के िलये जो ा ट तैयार कया है
उसके आधार पर आपको अपने डेटा को तीन खाक म बाँटना पड़ सकता ह। −
इस संरचना का योग एजडा, िमनट, या रपोट लखते समय िकया जाता है जह काय स पे जाते ह और
वण मानुसार संरचना
सूचीब ध करने के लये इस संरचना का योग िकया जाता है। उदाहरण के लये श कोष या फल और
होते ह।
िवषय संरचना
के तौर पर िकसी भी वेबसाइट पर 'ब धा पूछे गए ' वाले पेज को इस तरह से िडज़ाइन (को
िडजाइन) िकया जाता है िक उसम चुनने के लए तीन िवषय - "िडलीवरी ेटस", " शकायत" और
कु छ ऐसे भावी कदम ह जो िवषय व तु को उिचत संरचना म वि थत करने तथा ता कक वाह के साथ-साथ
िववरण का िव तृत ौरा देने म आपक सहायता करगे िजसक वजह से समूचा डॉ यूमे ट समकािलक और पूण
चािहये।
पालन िकया जाना चािहये तािक यह सुिन चत िकया जा सके िक डॉ ूमे के मा म से सही संदे श
उ र-
सरकारी प
सं ा : ………………
भारत सरकार
िनम ण तथा आवास मं ालय
नई िद ी
िद ……………….
सेवा म
उप स चव
नई िद ी
महोदय,
उपयु िवषय पर मुझे आपके काय लय के प सं ………….. िद0 ……….. क पावती भेजने तथा यह
संभावना है। िनध रत अव ध म पूरी सूचना भेज पाना संभव नह है। अधीन थ तथा स ध काय लय
भवदीय
कखग
उपस चव
टेली सं.
उ र- संपादक य लखने का कोई पूविनध रत मापदंड नह है, िफर भी संपादक य लखते ए िवषय
चयन, साम ी एक ण, परेखा िनम ण, िवषय के िवकास एवं िन ष का ान रखना चािहए। इसके
संपादक य संपादक क चेतना, सजगता, िनणय मता तथा थ ि कोण का सूचक होता है।
इस लए संपादक य के अ
ं तगत व णत त से िन ष िनकलने म सदै व िन रहना चािहए।
संपादक य लखने वाले को िनयिमत प से अपने िन ष पर िवचार करना चािहए तथा दे श , काल एवं
करता है।
िवषय का चयन- कुछ भी लखने के लए सबसे पहले िवषय का चयन होना ज री है। संपादक य लेखन
के लए ायः उस समय का मह पूण और चकर िवषय चुना जाता है। िवषय ऐसा होता है जससे
साम ी संकलन- िवषय के चुनाव के बाद उससे संबं धत साम ी के संकलन का चरण आता है। इसके
परेखा िनम ण- साम ी संकलन के बाद लखने से पहले एक परेखा बनाई जाती है, जससे हो
िवषय वेश- इस चरण म लेखन शु हो जाता है। िवषय वेश के तहत लेखन का पहला पैरा ाफ आता
शीषक- लेखन पूरा होने का बाद शीषक का नंबर आता है। हाल िक शीषक पहले भी लखा जा सकता
है। यह लेखक क च और सुिवधा पर िनभर करता है। शीषक ब त मह पूण होता है। यह लेख के लए
भाषा- संपादक य या अ लेख क भाषा जीवंत होनी चािहए। यह घसी-िपटी और नीरस नह होनी
चािहए।
5 हंदी भाषा के श भ
ं डार के ोत
श -समूह को तीन भाग म िवभा जत िकया जा सकता है-- १) पर रागत श २) दे शज(दे शी) श ३)
िवदे शी श ।
श ।
आिद।
ान, े , कृ , पु क आिद।
नह है और पूरी तरह से त म भी। ऐसे श को डा. ि यसन, डा. चटज आिद भाषािवद ने 'अ द
स से सच आिद।
च ड ने 'दे शी स द' तथा माक डेय तथा हेमच ने इसे 'दे शा' या दे शी कहा है। डा. शयामसु रदास तथा
डा. भोलानाथ तवारी ने इसे 'अ ात ु क' कहा है। अत: दे शज श दो कार के ह-- १) एक वे जो
अनाय भाषाओं ( िवड़ भाषाओं ) से अपनाये गये ह और सरे २) वे जो लोग ने िनय क नकल म गढ़
लये गए ह।
कहलाते ह। मु म तथा अ
ं ेज शासक के कारण उनक भाषाओं के श िह ी म अ ा धक मा ा म
आये ह। फारसी, अरबी तथा तुक श भी िह ी म अपनाये गये ह। वा ण , वसाय, शासन, ान-
आ थक कारण भी हो सकते ह। डा. धीरे वम ने ऐसे श के लए 'उ दत श ' का योग िकया है।
होती रही है, यह श तुक , अरबी, फारसी आिद ए शया क भाषाओं से, और अ
ं ेजी, च, पुतगाली
(क) तुक से:- तुक ान, िवशेषत: पूव दे श से भी भारत का स ाचीन है। यह स धम, ापार
तथा राजनी त आिद र पर था। ई.स. १०० के बाद तुक बादशाह के रा थापना के कारण िह ी म
तुक से ब त से श आए
ँ । डा. चटज , डा. वम तुक श का ाय: फारसी मा म से आया मानते ह,
मतभेद ह। डा. चटज के अनुसार लगभग 100 है। जैस-े उ , कालीन, काबू, कची, कुली, चाकू, च च,
(ख) अरबी से:- १००० ई. के बाद मुसलमान शासक के साथ फारसी भारत म आई और उसका अ यन-
अ ापन होने लगा। कचह रय म भी थान िमला। इसी कार उसका िह ी पर ब त गहरा भाव पडा़ ।
िह ी म जो फारसी श आए, उनम काफ श अरबी के भी थे। अरब से कभी भारत का सीधा स
श फारसी के है जनम 2500 अरबी के है। जैस-े - अजब, अजीब, अदालत, अ ,अ ाह, आ खर,
(ग) सीसी से:- भारत और ईरान के स ब त पुराने ह। भाषा िव ान जगत इस बात से पूणत:
फ र ता लै , टेबुल आिद।
(घ) अ
ं ेजी से:- लगभग ई.स. १५०० से यूरोप के लोग भारत म आते-जाते रहे ह, िक ु करीब तीन सौ वष
तक िह ी भाषी इनके स क म नह आए, ोिक यूरोपीय लोग समु के रा े से भारत म आये थे;
अत: इनका काय े ार म समु तटवत दे श म ही रहा है, लेिकन १८ वी. शती के उ रा द से अ
ं ेज
समूचे दे श म फैलने लगे। ई.स. १८०० के लगभग िह ी भाषा दे श मुगल के हाथ से िनकलकर अ
ं ेजी
सं ा गुनी हो जायेगी। जैस-े अपील, कोट, म ज ेट, जज, पु लस, पेपर, ू ल, टेबुल, पेन, मोटर,
6 रचना क तैयारी
उ र-
अथ म "पं ुएशन" श िमलता है। "पं ुएशन" का संबंध लैिटन श से है, जसका अथ " बं " है।
हंदी म खड़ी पाई या पूण िवराम भारतीय परंपरा का है, जसका ाचीन नाम "दंड" था। शेष च अ
ं ेजी
कने पर कलम कागज पर रखने से बं सहज ही बन जाता था। इस कार पूण िवराम के प म अ
ं े जी
आिद का बं सहज ही पूण िवराम का ोतक बन बैठा। कामा, पूण िवराम या बं म ही नीचे क ओर
सं प (Qo) है, जसम (Q) ऊपर तथा o नीचे (?) है। इसी कार आ चयसूचक च (!) लैिटन भाषा
सरकार के िकसी आदे श का प रपालन शी ता से कराना हो, िकसी िवभाग से कोई जानकारी अ भल
ं ब
अध सरकारी प क िवशेषताए
ँ -
1. सरकारी प का एक उपभेद है, सरकारी कामकाज के संबंध म इनका योग होता है।
2. शी कारवाई या अ भल
ं ब जानकारी ा करने के लए इनका योग िकया जाता है।
उ र- बक
ं ग व था म सध लगाने वाले हैकस और साइबर अपरा धय से आम नाग रक को होने
पौने सात लाख पए उड़ा लए, तो िदसंबर 2018 म बैजनाथ म सुशीला नामक मिहला ारा एटीएम
खबर आए िदन समाचार प म पढ़ने को िमलती ह, लेिकन नाग रक को िफर भी ठगी से राहत िमलती
नह िदखती। 2017 म 18 फ सदी भारतीय ऑनलाइन ठगी के शकार ए थे। सरकार चाहती है िक
जगह रोजाना लूटे-ठगे जा रहे ह। 2014 से 2017 के बीच ही ाइवेट बक म 4156 और सरकारी बक म
खोलते ह, तािक उनक जमा पू ं जीसुर त भी रहे और उ उस पर कुछ ाज भी िमल जाए, लेिकन
बढ़ते ब क
ं ग साइबर धोखाधड़ी के मामल के चलते आम ाहक क न द उड़ी ई है। िव ीय समावेशन
खुल चुके ह और लगभग 97 हजार 665 करोड़ पए इन बक खात म जमा ए ह। 2014 म भारत म 53
बेहद घाटे का सौदा सािबत हो रहा है, िक बक ारा खात म ूनतम धनरा श रखने क बा ता के
कारण वसूले जाने वाले जुम ने के चलते नाग रक के खात से बक ारा जमकर लूटपाट क जा रही है।
म खात म ूनतम धनरा श न रहने पर जुम ने के प म अकेले भारतीय ेट बक ारा 2433.9 करोड़
करोड़, पंजाब नेशनल बक ारा 210.8 करोड़ पए, तो स ल बक ऑफ इंिडया ारा 173.9 करोड़ पए
सिहत भारत के मुख बक ारा लगभग 5000 करोड़ पए क मोटी रकम आम गरीब खाताधारक के
खात से उड़ा ली गई। इतना ही नह , एटीएम से लोग ारा िकए जाने वाले अ त र जे न के नाम
एसएमएस एवं अ सेवाएं भी पूरी तरह से नह िमलती ह। सरकार ारा शकायत एवं िनगरानी को
मह पूण थान है। िव वभर म सबसे ादा बक शाखाएं भारत म ह। क सरकार और िवत्त मं ालय
कैसे पाटा जाए और बढ़ती आ थक असमानता पर कैसे रोक लगाई जा सकती है। िव मं ालय को
बक क लूट और मनमानी पर रोक लगाने के साथ-साथ पू ं जीप तयऔर बड़े उ ोगप तय ारा बक से
सामने आती ही रहती ह, इस लए उनक सुर ा के उपाय भी करने ह गे। बक क नई शाखाएं खोलने के
साथ ही ब क
ं ग व था म सध लगाने वाले हैकस और साइबर अपरा धय से आम नाग रक को होने
कमचा रय और अफसर क कुछ सम ाएं भी ह, जनका समाधान होना अिनवाय है। कमचा रय को
नवंबर 2017 से िमलने वाले वेतन रवीजन का लाभ अभी तक नह िमला है।
एटीएम काड जैसी सामा सुिवधाओं पर भी भरोसा नह है। उनम इस भरोसे को बहाल करने क
10 ता कक ले खन