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समाचार संकलन और लेखन

परिचयः मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। इसलिए वह एक जिज्ञासु प्राणी है। मनुष्य जिस समुह में, जिस समाि में
औि जिस वाताविण में िहता है वह उस बािे में िानने को उत्सुक िहता है। अपने आसपास घट िही घटनाओं के बािे
में िानकि उसे एक प्रकाि के संतोष, आनंद औि ज्ञान की प्राजतत होती है। इसके लिये उसने प्राचीन काि से ही
तमाम तिह के तिीकों, ववधियों औि माध्यमों को खोिा औि ववकलसत ककया। पत्र के िरिये समाचाि प्रातत किना
इन माध्यमों में सवााधिक पुिाना माध्यम है िो लिवप औि डाक व्यवस्था के ववकलसत होने के बाद अजस्तत्व में आया।
पत्र के िरिये अपने वप्रयिनौ लमत्रों औि शुभाकांक्षियों को अपना समाचाि दे ना औि उनका समाचाि पाना आि भी
मनुष्य के लिये सवााधिक िोकवप्रय सािन है। समाचािपत्र िे डडयो टे लिवविन समाचाि प्राजतत के आिुननक्तम सािन हैं
िो मुद्रण िे डडयो टे िीवविन िैसी वैज्ञाननक खोि के बाद अजस्तत्व में आये हैं।

समाचार की पररभाषा

िोग आमतौि पि अनेक काम लमििि


ु कि ही किते हैं। सख
ु दख
ु की घडी में वे साथ होते हैं। मेिों औि उत्सव में
वे साथ होते हैं। दघ
ु ाटनाओं औि ववपदाओं के समय वे साथ ही होते हैं। इन सबको हम घटनाओं की श्रेणी में िख
सकते हैं। किि िोगों को अनेक छोटी बडी समस्याओं का सामना किना पडता है। गांव कस्बे या शहि की कॉिोनी में
बबििी पानी के न होने से िेकि बेिोिगािी औि आधथाक मंदी िैसी समस्याओं से उन्हें िूझना होता है। ववचाि घटनाएं
औि समस्यों से ही समाचाि का आिाि तैयाि होता है। िोग अपने समय की घटनाओं रुझानी औि प्रकियाओं पि
सोचते हैं। उनपि ववचाि किते हैं औि इन सबको िेकि कुछ किते हैं या कि सकते हैं। इस तिह की ववचाि मंथन
प्रकिया के केन्द्र में इनके कािणों प्रभाव औि परिणामों का संदभा भी िहता है। समाचाि के रूप में इनका महत्व इन्हीं
कािकों से ननिाारित होना चाहहये। ककसी भी चीि का ककसी अन्य पि पडने वािे प्रभाव औि इसके बािे में पैदा होने
वािी सोच से ही समाचाि की अविािणा का ववकास होता है। ककसी भी घटना ववचाि औि समस्या से

िब कािी िोगों का सिोकाि हो तो यह कह सकते हैं कक यह समाचाि बनने योग्य है। समाचाि ककसी बात को लिखने
या कहने का वह तिीका है जिसमें उस घटना, ववचाि, समस्या के सबसे अहम तथ्यों या पहिओ
ु ं के सबसे पहिे
बताया िाता है औि उसके बाद घटते हये महत्व कम में अन्य तथ्यों या सूचनाओं को लिखा या बताया िाता है।
इस शैिी में ककसी घटना का ब्यौिा कािानि
ु म के बिाये सबसे महत्वपण
ू ा तथ्य या सच
ू ना से शरु
ु होता है।

ककसी नई घटना की सूचना ही समाचाि है डॉ ननशांत लसंह ककसी घटना की नई सूचना समाचाि है: नवीन चंद्र पंत
वह सत्य घटना या ववचाि जिसे िानने की अधिकाधिक िोगों की रुधच हो नंद ककशोि बत्रखा ककसी घटना की
असािािणता की सूचना समाचाि है संिीव भनावत

ऐसी तािी या हाि की घटना की सच


ू ना जिसके संबंि में िोगों को िानकािी न हो िामचंद्र वमाा समाचाि के मल्
ू य

1 व्यापकता : समाचाि का सीिा अथा है -सच


ू ना। मनष्ु य के आस ह पास औि चािों हदशाओं में घटने वािी सच
ू ना।
समाचाि को अंग्रेिी के न्यूि का हहन्दी समरुप माना िाता है । न्यूि का अथा है चािों हदशाओं अथाात नॉया, ईस्ट,
वेस्ट औि साउथ की सूचना। इस प्रकाि समाचाि का अथा पुऐ चािी हदशाओं में घहटत घटनाओं की सूचना।

2 नवीनतााः जिन बातों को मनुष्य पहिे से िानता है वे बातें समाचाि नही बनती। ऐसी बातें समाचाि बनती है
जिनमें कोई नई सूचना, कोई नई िानकािी हो। इस प्रकाि समाचाि का मतिब हुआ नई सूचना। अथाात समाचाि में
नवीनता होनी चाहहये।

3 असाधारणतााः हि नई सूचना समाचाि नहीं होती। जिस नई सूचना में समाचािपन होगा वही नई सूचना समाचाि
कहिायेगी। अथाात नई सच
ू ना में कुछ ऐसी असािािणता होनी चाहहये िो उसमें समाचािपन पैदा किे । काटना कुत्ते
का स्वभाव है। यह सभी िानते हैं। मगि ककसी मनुष्य द्वािा कुत्ते को काटा िाना समाचाि है क्योंकक कुत्ते को काटना
मनुष्य का स्वभाव नहीं है। कहने का तात्पया है कक नई सूचना में समाचाि बनने की िमता होनी चाहहये।

4 सत्यता और प्रमाणणकता समाचाि में ककसी घटना की सत्यता या तथ्यात्मकता होनी चाहहये। समाचाि अिवाहों या
उडी-उडायी बािों पि आिारित नही होते हैं। वे सत्य घटनाओं की तथ्यात्मक िानकािी होते हैं। सत्यता या तथ्यता
होने से ही कोई समाचाि ववश्वसनीय औि प्रमाणणक होते हैं।

5 रुचचपूणणतााः ककसी नई सूचना में सत्यता औि समाचािपन होने से हा वह समाचाि नहीं बन िाती है। उसमें अधिक
िोगों की हदसचस्पी भी होनी चाहहये। कोई सच
ू ना ककतनी ही आसाििण क्यों न हो अगि उसमे िोगों की रुधच नहीं
है तो वह सूचना समाचाि नहीं बन पायेगी। कुत्ते द्वािा ककसी सामान्य व्यजक्त को काटे िाने की सूचना समाचाि नहीं
बन पायेगी। कुत्ते द्वािा काटे गये व्यजक्त को होने वािे गंभीि बीमािी की सच
ू ना समाचाि बन िायेगी क्योंकक उस
महत्वपूणा व्यजक्त में अधिकाधिक िोगों की हदचस्पी हो सकती है।

6 प्रभावशीलता : समाचाि हदिचस्प ही नही प्रभावशीि भी होने चाहहये। हि सूचना व्यजक्तयों के ककसी न ककसी बडे
समूह, बडे वगा से सीिे या अप्रत्यि रुप से िुडी होती है। अगि ककसी घटना की सूचना समाि के ककसी समूह या
वगा को प्रभाववत नहीं किती तो उस घटना की सूचना का उनके लिये कोई मतिब नही होगा।
7 स्पष्टता: एक अच्छे समाचाि की भाषा सिि, सहि औि स्पष्ट होनी चाहहये। ककसी समाचाि में दी गयी सूचना
ककतनी ही नई, ककतनी ही असािािण, ककतनी ही प्रभावशािी क्यों न हो अगि वह सूचना सिि औि स्पष्ट भाष में
न हो तो वह सच
ू ना बेकाि साबबत होगी क्योंकक ज्यादाति िोग उसे समझ नहीं पायेंगे। इसलिये समाचाि की भाषा
सीिीऔि स्पष्ट होनी चाहहये।

लेखन प्रक्रियााः

उल्टा वपिालमड लसद्िांत उल्टा वपिालमड लसद्िांत समाचाि िेखन का बनु नयादी लसद्िांत है। यह समाचाि िेखन का
सबसे सिि, उपयोगी औि व्यावहारिक लसद्िांत है। समाचाि िेखन का यह लसद्िांत कथा या कहनी िेखन की प्रकिया
के ठीक उिट है। इसमें ककसी घटना, ववचाि या समस्या के सबसे महत्वपण
ू ा

तथ्यों या िानकािी को सबसे पहिे बताया िाता है, िबकक कहनी या उपन्यास में क्िाइमेक्स सबसे अंत में आता
है। इसे उल्टा वपिालमड इसलिये कहा िाता है क्योंकक इसमें सबसे महत्वपूणा तथ्य या सूचना वपिालमड के ननचिे
हहस्से में नहीं होती है औि इस शैिी में वपिालमड को उल्टा कि हदया िाता है। इसमे सबसे महत्वपूणा सूचना वपिालमड
के सबसे उपिी हहस्से में होती है औि घटते हुये िम में सबसे कम महत्व की सूचनायें सबसे ननचिे हहस्से में होती
है। समाचाि िेखन की उल्टा वपिालमड शैिी के तहत लिखे गये समाचािों के सुवविा की दृजष्ट से मुख्यतः तीन हहस्सों
में ववभाजित ककया िाता है -मुखडा या इंट्री या िीड, बॉडी औि ननष्कषा या समापन। इसमें मुखडा या इंट्री समाचाि
के पहिे औि कभी-कभी पहिे औि दस
ू िे दोनों पैिाग्राि को कहा िाता है। मुखडा ककसी भी समाचाि का सबसे
महत्वपण
ू ा हहस्सा होता है क्योंकक इसमें सबसे महत्वपण
ू ा तथ्यी औि सच
ू नाओं को लिखा िाता है। इसके बाद समाचाि
की बॉडी आती है, जिसमें महत्व के अनुसाि घटते हुये िम में सूचनाओं औि ब्यौिा दे ने के अिावा उसकी पष्ृ ठभूलम
का भी जिि ककया िाता है। सबसे अंत में ननष्कषा या समापन आता है। समाचाि िेखन में ननष्कषा िैसी कोई चीि
नहीं होती है औि न ही समाचाि के अंत में यह बताया िाता है कक यहां समािाि का समापन हो गया है।

मुखडा या इंट्री या िीड उल्टा वपिालमड शैिी में समाचाि िेखन का सबसे महत्वपूणा पहिू मुखडा िेखन या इंट्रो या
िीड िेखन है। मुखडा समाचाि का पहिा पैिाग्राि होता है, िहां से कोई समाचाि शुरु होता है। मुखडे के आिाि पि
ही समाचाि की गुणवत्ता का ननिाािण होता है। एक आदशा मुखडा में ककसी समाचाि की सबसे महत्वपूणा सूचना आ
िानी चाहहये औि उसे ककसी भी हाित में 35 से 50 शब्दों से अधिक नहीं होना चाहहये। ककसी मुखडे में मुख्यतः
छह सवाि का िवाब दे ने की कोलशश की िाती है ह क्या हुआ, ककसके साथ हुआ, कहां हुआ, कब हुआ, क्यों औि
कैसे हुआ है। आमतौि पि माना िाता है कक एक आदशा मुखडे में सभी छह ककाि का िवाब दे ने के बिाये ककसी
एक मुखडे को प्राथलमकता दे नी चाहहये। उस एक ककाि के साथ एक या दो ककाि हदये िा सकते हैं। बॉडी: समाचाि
िेखन की उल्टा वपिालमड िेखन शैिी में मुखडे में उजल्िणखत तथ्यों की व्याख्या औि
ववश्िेषण समाचाि की बॉडी में होती है। ककसी समाचाि िेखन का आदशा ननयम यह है कक ककसी समाचाि को ऐसे
लिखा िाना चाहहये, जिससे अगि वह ककसी भी बबन्दु पि समातत हो िाये तो उसके बाद के पैिाग्राि में ऐसा कोई
तथ्य नहीं िहना चाहहये, िो उस समाचाि के बचे हुए हहस्से की तुिना में ज्यादा महत्वपण
ू ा हो। अपने ककसी भी
समापन बबन्दु पि समाचाि को पूणा, पठनीय औि प्रभावशािी होना चाहहये। समाचाि की बॉडी में छह ककािों में से
दो क्यों औि कैसे का िवाब दे ने की कोलशश की िाती है। कोई घटना कैसे औि क्यों हुई, यह िानने के लिये उसकी
पष्ृ ठभूलम, परिपेक्ष्य औि उसके व्यापक संदभी को खंगािने की कोलशश की िाती है। इसके िरिये ही ककसी समाचाि
के वास्तववक अथा औि असि को स्पष्ट ककया िा सकता है। ननष्कषा या समापन समाचाि का समापन किते समय
यह ध्यान िखना चाहहये कक न लसिा उस समाचाि के प्रमुख तथ्य आ गये हैं बजल्क समाचाि के मुखडे औि समापन
के बीच एक ताितम्यता भी होनी चाहहये। समाचाि में तथ्यों औि उसके ववलभन्न पहिुओं को इस तिह से पेश किना
चाहहये कक उससे पाठक को ककसी ननणाय या ननष्कषा पि पहुंचने में मदद लमिे।

समाचार संपादन

समाचाि संपादन का काया संपादक का होता है। संपादक प्रनतहदन उपसंपादकों औि संवाददाताओं के साथ बैठक कि
प्रसािण औि कविे ि के ननदे श देते हैं। समाचाि संपादक अपने ववभाग के समस्त कायों में एक रुपता औि समन्वय
स्थावपत किने की हदशा में महत्वपण
ू ा योगदान दे ता है। संपादन की प्रकिया-

संपादन का काया प्रमुख रूप से दो भागों में ववभक्त होता है।

1. ववलभन्न श्रोतों से आने वािी खबिों का चयन

2. चयननत खबिों का संपादन

संपादन के महत्वपूणा चिण 1. समाचाि आकषाक होना चाहहए।

2. भाषा सहि औि सिि हो।

3. समाचाि का आकाि बहुत बडा औि उबाऊ नहीं होना चाहहए।


4. समाचाि लिखते समय आम बोि-चाि की भाषा के शब्दों का प्रयोग किना चाहहए। 5. शीषाक ववषय के अनुरूप
होना चाहहए।

6. समाचाि में प्रािं भ से अंत तक ताितम्यता औि िोचकता होनी चाहहए।

7. कम शब्दों में समाचाि का ज्यादा से ज्यादा ववविण होना चाहहए।

8. संभव होने पि समाचाि स्रोत का उल्िेख होना चाहहए। 9. समाचाि छोटे वाक्यों में लिखा िाना चाहहए।

10. समािाि में तात्कालिकता होना अत्यावश्यक है। पिु ाना समाचाि होने पि भी इसे अपडेट कि प्रसारित

किना चाहहए।

समाचार संपादन के तत्व

संपादन की दृजष्ट से ककसी समाचाि के तीन प्रमुख भाग होते हैं 1. शीषाक-ककसी भी समाचाि का शीषाक उस समाचाि
की आत्मा होती है। शीषाक के माध्यम से न केवि

श्रोता ककसी समाचाि को पढ़ने के लिए प्रेरित होता है, अवपतु शीषाकों के द्वािा वह समाचाि की ववषय- वस्तु को भी
समझ िेता है। शीषाक का ववस्ताि समाचाि के महत्व को दशााता है। एक अच्छे शीषाक में ननम्नांककत गुण पाए िाते
हैं-

1. शीषाक बोिता हुआ हो। 2. उसके पढ़ने से समाचाि की ववषय-वस्तु का आभास हो िाए। शौषाक तीक्ष्ण एवं सुस्पष्ट
हो। उसमें श्रोताओं को आकवषात किने की िमता हो।

3.
शीषाक वतामान काि में लिखा गया हो। वतामान काि में लिखे गए शीषाक घटना की तािगी के

दयोतक होते हैं।

4. शीषाक में यहद आवश्यकता हो तो लसंगि-इनवटे ड कॉमा का प्रयोग किना चाहहए। डबि इनवटे ड कॉमा

अधिक स्थान घेिते हैं।

5. अंग्रेिी अखबािों में लिखे िाने वािे शीषाकों के पहिे ए एन दी आहद भाग का प्रयोग नहीं ककया

िाना चाहहए। यही ननयम हहन्दी में लिखे शीषाकों पि भी िागू होता है।

6. शीषाक को अधिक स्पष्टता औि आकषाण प्रदान किने के लिए सम्पादक या उप-सम्पादक का सामान्य ज्ञान ही
अजन्तम टूि या ननणाायक है।

7. शौषाक में यहद ककसी व्यजक्त के नाम का उल्िेख ककया िाना आवश्यक हो तो उसे एक ही पंजक्त में लिखा िाए।
नाम को तोडकि दो पंजक्तयों में लिखने से शीषाक का सौन्दया समातत हो िाता है।

8. शीषाक कभी भी कमावाच्य में नहीं लिखा िाना चाहहए।

2. आमख
ु -आमख
ु लिखते समय 'पााँच डब्ल्यू तथा एक-एच के लसद्िांत का पािन किना चाहहए। अथाात ् आमख
ु में
समाचाि से संबंधित उह प्रश्न-Who, When, Where, What औि How का उत्ति पाठक को लमि िाना चाहहए। ककन्तु
वतामान में इस लसद्िान्त का अििशः पािन नहीं हो िहा है। आि छोटे -से-छोटे आमुख लिखने की प्रववृ त्त तेिी पकड
िही है। ििस्वरूप इतने प्रश्नों का उत्ति एक छोटे आमुख में दे सकना सम्भव नहीं है। एक आदशा आमुख में 20 से
25 शब्द होना चाहहए।

3. समाचाि का ढााँचा- समाचाि के ढााँचे में महत्वपूणा तथ्यौ को िमबद्ि रूप से प्रस्तुत किना चाहहए। सामान्यतः
कम से कम 150 शब्दों तथा अधिकतम 400 शब्दों में लिखा िाना चाहहए। पाठको को अधिक िम्बे समाचाि आकवषात
नहीं किते हैं।
समाचाि सम्पादन में समाचािों की ननम्नांककत बातौ का ववशेष ध्यान िखना पडता है -

1. समाचाि ककसी कानन


ू का उल्िंघन तो नहीं किता है।

2. समाचाि नौनत के अनुरूप हो। 3. समाचाि तथ्यािारित हो।

समाचाि को स्थान तथा उसके महत्व के अनुरूप ववस्ताि दे ना।

समाचाि की भाषा पुष्ट एवं प्रभावी है या नहीं। यहद भाषा नहीं है तो उसे पुष्ट बनाएाँ।

. समाचाि में आवश्यक सुिाि किें अथवा उसको पुनािेखन के लिए वापस कि दें ।

. समाचाि का स्वरूप सनसनीखेि न हो।

8. अनावश्यक अथवा अस्पस्ट शब्दों को समाचाि से हटा दें ।

9. ऐसे समाचािों को ड्राप कि हदया िाए, जिनमें न्यूि वैल्यू कम हो औि उनका उद्दे श्य ककसी का प्रचाि मात्र हो।

10. समाचाि की भाषा सिि औि सुबोि हो।

11. समाचाि की भाषा व्याकिण की दृजष्ट से अशुद्ि न हो।

. 12 वाक्यों में आवश्यकतानुसाि वविाम, अद्िवविाम आहद संकेतों का समुधचत प्रयोग हो।
13. समाचाि की भाषा मे एकरुपता होना चाहहए।

14. समाचाि के महत्व के अनुसाि बुिेहटन में उसको स्थान प्रदान किना।

समाचार-सम्पादक की आवश्यकताएँ

एक अच्छे सम्पादक अथवा उप-सम्पादक के लिए आवश्यक होता है कक वह समाचाि िगत में अपने ज्ञान-वद्
ृ धि के
लिए ननम्नांककत पुस्तकों को अपने संग्रहािय में अवश्य िखे-

1. सामान्य ज्ञान की पुस्तकें।

2. एटिस।

3. शब्दकोश।

4. भाितीय संवविान।

5. प्रेस ववधियााँ।

6. इनसाइक्िोपीडडया।

7. मजन्त्रयों की सूची।

वविायकों की सूची। 9. प्रशासन व पुलिस अधिकारियों की सूची।

8. सांसदों एवं
10. ज्विन्त समस्याओं सम्बन्िी अलभिेख।

11. भाितीय दण्ड संहहता (आई.पी.सी.) पस्


ु तक।

12. हदवंगत नेताओं तथा अन्य महत्वपूणा व्यजक्तयों से सम्बजन्ित अलभिेख। 13. महत्वपूणा व्यजक्तयों व अधिकारियों
के नाम, पते व िोन नम्बि।

15. उच्चारित शब्द

14. पत्रकारिता सम्बन्िी नई तकनीकी पुस्तकें।

समाचार के स्रोत

कभी भी कोई समाचाि ननजश्चत समय या स्थान पि नहीं लमिते। समाचाि संकिन के लिए संवाददाताओं को िील्ड
में घूमना होता है। क्योंकक कहीं भी कोई ऐसी घटना घट सकती है, िो एक महत्वपूणा समाचाि बन सकती है। समाचाि
प्राजतत के कुछ महत्वपूणा स्रोत ननम्न हैं-

1. संवाददाता- टे िीवविन औि समाचाि पत्री में संवाददाताओं की ननयुजक्त ही इसलिए होती हैकक वह हदन भि की
महत्वपूणा घटनाओं का संकिन किें औि उन्हें समाचाि का स्वरूप दें ।

समाचाि सलमनतयााँ- दे श-ववदे श में अनेक ऐसी सलमनतयााँ हैं िो ववस्तत


ृ िेत्री के समाचािों को संकलित किके अपने
सदस्य अखबािों औि टीवी को प्रकाशन औि प्रसािण के लिए प्रस्तत
ु किती हैं। मख्
ु य

2. सलमनतयों में पी.टी.आई. (भाित), य.ू एन.आई. (भाित), ए.पी. (अमेरिका), ए.एि.पी. (फ्रान्स), िॉयटि (बिटे न)।

3. प्रेस ववज्ञजततयााँ- सिकािी ववभाग, सावािननक अथवा व्यजक्तगत प्रनतष्ठान तथा अन्य व्यजक्त या संगठन अपने से
सम्बजन्ित समाचाि को सिि औि स्पष्ट भाषा में लिखकि ब्यूिो आकिस में प्रसािण के लिए
लभिवाते हैं। सिकािी ववज्ञजततयों चाि प्रकाि की होती है। अ) प्रेस कम्युननक्स- शासन के महत्वपूणा ननणाय प्रेस
कम्युननक्स के माध्यम से समाचाि-पत्रों को

( पहुाँचाए िाते हैं। इनके सम्पादन की आवश्यकता नहीं होती है। इस रििीि के बाएाँ औि सबसे नीचे कोने पि
सम्बजन्ित ववभाग का नाम, स्थान औि ननगात किने की नतधथ अंककत होती है। िबकक टीवी के लिए

रिपोटि स्वयं िाता है (ब) प्रेस रििीि-शासन के अपेिाकृत कम महत्वपूणा ननणाय प्रेस रििीि के द्वािा समाचाि-पत्र
औि टी.वी.

चैनि के कायााियों को प्रकाशनाया भेिे िाते हैं।

(स) हैण्ड आउट- हदन-प्रनतहदन के ववववि ववषयों, मन्त्रािय के किया-किापों की सूचना हैण्ड-आउट के

माध्यम से दी िाती है। यह प्रेस इन्िािमेशन ब्यूिो दद्वािा प्रसारित ककए िाते हैं। (द) गैि-ववभागीय हैण्ड आउट
मौणखक रूप से दी गई सूचनाओं को गैि-ववभागीय हैण्ड आउट के माध्यम से प्रसारित ककया िाता है।

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