You are on page 1of 8

जंगे आज़ादी जंगे कलम

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1- लेखक ने इस पाठ का शीर्षक ‘जंगे आज़ादी

जंगे कलम’ क्यों रखा है ?

उत्तर- लेखक ने इस पाठ का शीर्षक ‘जंगे आज़ादी जंगे


कलम’ इसललए रखा है क्योंकक पत्रकाररता ही भारत की
आज़ादी की लड़ाई का एक असरदार हथियार िी|

प्रश्न2- ‘पयामे आज़ादी’ के सम्पादक को अंग्रेज़ों ने गोली


से क्यों उड़ा ददया?

उत्तर- इस अखबार ने लोगों में दे शप्रेम की भावना जगा दी


तिा अंग्रेज़ी हुकूमत के खखलाफ़ चारों ओर ऐसी आग
फैलाई कक अंग्रेज़ बौखला गए और इसी कारण उन्होंने
‘पयामे आज़ादी’ के संपादक अज़ीमल्
ु ला खााँ को गोली से
उड़ा ददया|
प्रश्न3- भारतेंद ु हररश्चंद्र ने लोगों को क्या शपि ददलाई?

उत्तर- भारतेंद ु हररश्चंद्र ने लोगों यह शपि ददलाई कक वे


अब से ववलायती कपड़ा नहीं पहनेंगे बल्ल्क भारत का
कपड़ा ही पहनेंगे|

प्रश्न4- ‘स्वराज्य’ अखबार के सम्पादक बार-बार क्यों


बदल जाते िे?

उत्तर- ‘स्वराज्य’ अखबार के सम्पादक बार-बार इसललए


बदल जाते िे क्योंकक अंग्रेज़ सरकार के खखलाप मोचाष
बााँधने के कारण उन्हें जेल की सजा दे दी जाती िी|

प्रश्न5- ‘दे वनागर’ समाचार-पत्र ने राष्ट्रीय एकता के भाव


को ककस प्रकार बढ़ावा ददया?

उत्तर- ‘दे वनागर’ समाचार-पत्र ने लार्ष कजषन को करारा


जवाब दे कर राष्ट्रीय एकता के भाव को बढ़ावा ददया|
प्रश्न6- सन ् १९३० ई॰ में सरकार द्वारा प्रेस पर लगाए
गए प्रततबंध का भारतीय पत्रकाररता पर क्या प्रभाव पड़ा?

उत्तर- सन ् १९३० ई॰ में सरकार द्वारा प्रेस पर लगाए गए


प्रततबंध के कारण भूलमगत पत्रों की आाँधी आ गई तिा
‘रणभेरी’, ‘थचंगारी’, ‘चंडर्का’ तिा ‘तूफ़ान’ जैसे पत्रों ने
क्ांतत की ज्वाला भड़का दी|

दीघघ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न1- भारतीय पत्रकाररता में जेम्स दहकी का क्या


योगदान है ?

उत्तर- जेम्स दहकी ने २९ जनवरी १७८० में भारत के


पहले पत्र ‘बंगाल गज़ट ऑफ़ केलकटा जेनरल
एर्वरटाइजर’ का प्रकाशन ककया िा|इसमें उन्होंने अपने
क्ांततकारी ववचारों के द्वारा अंग्रेज़ी सरकार की कटु
आलोचना की िी ल्जसके ललए उन्हें जेल जाना पड़ा तिा
भारत से तनष्ट्कालसत भी कर ददया गया, ककन्तु इस पत्र
के माध्यम से उन्होंने अंग्रजों का भांर्ा फोड़कर पत्रकाररता
का एक नया आदशष स्िावपत कर ददया |

प्रश्न2- अज़ीमल्
ु ला खााँ ने ‘पयामे आज़ादी’ के माध्यम से
भारतीयों का क्या आह्वान ककया?

उत्तर- अज़ीमुल्ला खााँ ने ‘पयामे आज़ादी’ के माध्यम से


भारतीयों का आह्वान करते हुए कहा कक, ददल्ली में
कफरं थगयों के साि जंग तिड़ गई है और हमने उन्हें पहली
लशकस्त दे दी है , ल्जससे वे घबरा उठे हैं |बेशुमार भारतीय
यहााँ आकर जमा हो रहे हैं इसललए आप सबका आना
बहुत जरूरी है | हम आपकी आवाज़ सुनने तिा आपके
दशषन के ललए बेताब हैं|

प्रश्न3- ‘उथचतवक्ता’ के संपादक दग


ु ाषप्रसाद लमश्र ने
भारतीय संपादको को क्या कतषव्यबोध करवाया?

उत्तर- ‘उथचतवक्ता’ के संपादक दग


ु ाषप्रसाद लमश्र ने भारतीय
संपादको को कतषव्यबोध करवाते हुए कहा कक, भारतीय
संपादकों सावधान हो जाओ| जेल का नाम सन
ु कर कहीं
तुम अपने कतषव्य से भटक मत जाना|वह यह भी कहते
हैं कक गवनषमेंट को आईना ददखाने से या अन्यायपूणष
आचरण का ववरोध करने पर जेल तो क्या दस
ू रे द्वीपों
पर भी जाना पड़े तो कोई बड़ी बात नहीं हैं | हम इस
सामान्य बात से र्र कर अपने कतषव्य से ववमुख नहीं हो
सकते|

प्रश्न4- शांततनारायण भटनागर के ‘स्वराज्य’ अखबार पर


दटप्पणी ललखखए|

उत्तर- शांतत नारायण भटनागर जी एक महान स्वतंत्रता


सेनानी िे| उन्होंने अपने ववचार अपने समाचार पत्र
स्वराज्य के माध्यम से व्यक्त ककए है | वह अपने
समाचार पत्र के माध्यम से दे श के सभी संपादको को
ललकारते हुए कहते है कक यदद तम
ु को दे श को आजाद
कराना है तो अपने बललदान के ललए तैयार रहो| हर प्रकार
की सज़ा के ललए तैयार रहो | स्वराज्य समाचारपत्र में
कायष करने के ललए वह योग्यता में नवयुवकों की दहम्मत
चाहते है , दे श के ललए कुबाषन होने का ज़ज्बा चाहते हैं|
शांतत नारायण भटनागर के इन क्ांततकारी ववचारों के
कारण उन्हें जेल की सजा हो गई परन्तु उनके बाद अनेक
युवक लद्दा राम कपूर, नन्द लाल चोपड़ा तिा अमीरचंद
स्वराज्य अखबार को चलाने के ललए आगे आए |

प्रश्न5- गााँधी जी ने पत्रकाररता के माध्यम से स्वाधीनता


आन्दोलन में क्या योगदान ददया?

उत्तर- गााँधी जी ने स्वाधीनता आन्दोलन के समय यंग


इंडर्या,हररजन, नवजीवन, सत्याग्रह पत्र के माध्यम से
जन-जन में राष्ट्रचेतना और समरसता का संचार कर
ददया िा| अपने ‘यंग इंडर्या’ नामक पत्र के माध्यम से वे
दे शवालसयों के समक्ष एक ऐसे कायष की योजना पेश करना
चाहते िे जो अंग्रज
े ों के अन्यायपण
ू ष नीतत के मागष में
बााँधा उत्पन्न कर सके|

प्रश्न6- “ भारतीय पत्रकारों और पत्र-पत्रत्रकाओं ने अंग्रेज़ी


सरकार की जड़े दहला दी िी|” इस किन का आशय
स्पष्ट्ट कील्जए|
उत्तर- इस किन का यह आशय है कक स्वाधीनता
आन्दोलन में पत्रकारों और पत्र-पत्रत्रकाओं ने एक बहुत ही
अहम ् भूलमका तनभाई है | उस समय के पत्रकारों ने
तनिःस्वािष भाव से अपनी पत्रत्रकाओं में सरकार के खखलाफ़
आवाज़ उठाई तिा लोगों में अपने राष्ट्र के प्रतत चेतना
तिा जागरूकता उत्पन्न की| इन पत्र-पत्रत्रकाओं के
माध्यम से ही भारतीय जनता में ववद्रोह के स्वर मुखररत
हुए ल्जससे अंग्रेज़ी सरकार परू ी तरह से बौखला गई तिा
वह जड़ से दहल गई और यह सोचने पर वववश हो गई
कक इस प्रकार से हम यहााँ शासन नहीं कर सकते|

प्रश्न7- व्याख्या कील्जए-

लाठी सहते गोली खाते कलम के पहरे दार,

एक कलम अंग्रेज़ तोड़ते चार कलम कफर वह बन जाती,

चाहे बने काले कानून, लुक-लुक तिप चलती रहती,

दे श-प्रेम कुबाषनी के वो, तनत-तनत नए तराने गाती|


व्याख्या- इन पंल्क्तयों का अिष है कक पत्रकार अंग्रेजों
द्वारा दी जाने वाली सारी यातनाओं को सहते रहते|अंग्रेज़
यदद एक कलम को तोड़ते अिाषत ् एक पत्रकार को सजा
दे ते तो चार और पत्रकार पत्रकाररता के क्षेत्र में उत्पन्न हो
जाते| पत्रकाररता पर प्रततबंध लगाने पर भी भारतीय
पत्रकार कभी शांत नहीं बैठते वह ककसी -न-ककसी प्रकार
से अिाषत ् लुक- तिपकर अपनी पत्रकाररता को चलाते ही
रहते िे| अपनी दे श-प्रेम तिा अपने दे श के ललए बललदान
होने की भावना लेकर वे रोज-रोज नए-नए दे शभल्क्त गीत
और लेख छापते रहते िे|

You might also like