तीनताल होरी खेलहु ना जाने । परबत अंगुली गुमान करे री दुरजन संग लाज ना आवे री कृ ष्णकांत ग्वालन के संग डोले रस की गत का जाने 3. राग काफी आज कै सी ब्रिज में धूम मचाई तीनताल पिचकारी रंग उड़त है सारी बिन्दराबन की सुन्दर शोभा चकित भई सब नारी ॥ 4. राग जंगला आज बिन होरी बिन होरी खेले बिना तोसे होरी खेले बिना नहीं जाऊं गी बलमा ॥ नहीं जाऊँ गी ओ बलमा न जाऊं गी वनमाली चाहे जो हो सो हो ॥ 5. राग जंगला आज बिरज में होरीरे रसिया रसिया होरीरे रसिया बराजोरि रे रसिया-१ अबीर गुलाल के बादर छाए, धूम मचायेरी सब दिस रसिया-२ शाम मुरारि होरी खेले, होरी खेले शाम होरी खेले। आज खेले बराजोरि रे रसिया-३ राधा माधो होरी खेले, होरी खेले गोरी संग रे रसिया-४ सखिन बजावे झांझ मिरदंग, नाचत गावत सब मिल रसिया -५ तक तक मारत भरी पिचकारी ग्वाल बाल मतवार रे रसिया-६ छू टत रंग की फु वार चहूँ ओर भीजत रंग में गोरी रे रसिया -७ 6. राग काफी आज रंग है ऐ मां है रंग है री ताल कव्वाली मेरे महबूब के घर रंग है -१ साजन मिलावारा इस आंगनमा साजन मिलावारा उस आंगन मा मेरे महबूब के घर रंग है-२ मैं पीर पायो निजामुद्दीन औलिया जग उजियारा वह तो जग उजियारा निजामुद्दीन औलिया अलाउद्दीन औलिया अलाउद्दीन औलिया कु तुबुद्दीन औलिया कु तुबुद्दीन औलिया मोइनउद्दीन औलिया मोइनउद्दीन औलिया मोहिउद्दीन औलिया गंज शकर मोरे संग है री । मैं तो ऐसो रंग और नहीं देखी सखी देस-विदेस में ढूंढ फिरी हूं मोरा रंग मन भायो निजामुद्दीन आज रंग है ऐ मां रंग है री-३ 7. शहाना आज ललन होरी खलूँगी मच के तीनताल पाग भीजोऊँ गी अपनी उमंग सो कै से घर लला तुम जाओगे बच के । अंजन रेख सिंदूर मांग भर के सर घोर लगाऊँ गी रचके ॥ ललित किसोरी जाने न दूँगी नन्दलला तुमछू टोगे नचके ॥ 8. राग काफी उरत अबीर गुलाल होरी खेले नंदलाल हम से खेलो होरी ब्रज के राज दुलार । अब के फाग में होरी खेलो लई लाल अबीर गुलाल ॥ 9. राग काफी उरत अबीर गुलाल बिरज में तीनताल लाल ही लाल छाय रहो । लाल भये शाम लाल भई राधिका लाल नवल बृजबाल ॥ मोर चन्द्रिका लाल भई है मुरली लाल रसाल ॥ नाचत गावत ग्वाल बाल सब दे दे डफ की ताल ॥ निरख बिरज की होरी की शोभा नादरंग भये खुशाल नेहाल ॥ 10. राग देस ताल ए अति धूम मचाई धमार कन्हैया ने होरी में । अबीर गुलाल और के सर रंग संग है कु मकु मा परत है रंग के संग होरी में ॥ 11. ऐसी होरी ना खेलो कनाई रे हाँ-१ भरी पिचकारी तक तक मारी जानो ना पीर पराई रे हाँ-२ सुन पैहे मोरी सास ननदिया अब ही गवनवा आई रे-३ तुम तो मग बीच रोकत-टोकत देखत सगरी लुगाई रे हाँ-४ सुंदर श्याम रख ले लाज मोरी अब तो तोरी दुहाई रे हाँ-५ 12. राग काफी खेलत नन्द कु मार ताल जत बिरज के लोगन में । अबीर गुलाल के बादर छाये रंग की परत फु वार रे ॥ 13. राग बिलावल खेलत होरी मोहन संग तीनताल भर मारत पिचकारी रे । अबीर गुलाल मलो मोरे मुख पर और हँसे देदे तारीरे ॥ काफी- खेले मसाने में होरी दिगम्बर, दीपचंदी भूत पिचास बटोरी दिगम्बर -1 अबीर गुलाल की बभूत रमाय चीता भसम ले बदन लगाय नाचत गावत बजावत डमरू नादरंग सन अघोरी दिगम्बर-2 14. राग चैती चैत मासे चुन्दरी रंगादे रे रामा खमाज ताल चैतरे मसवा । दीपचन्दी चुन्दरी रंगा दे चोलिया सियादे अंग अंग घुंघरू लगा दे रे सैंयां चैतरे मसवा 15. राग के दार चोरी चोरी मारत हो कु मकु म सन धमार मुख हो क्यों ना खेलो होरी । देखो कहतहूँ गुलाल परत बार-बार आंखन मोरी ॥ 16. राग भैरवी डारत के सर पिचकारी ताल धमार सखि मोपे नटखट कुँ वर कन्हैया बाँट घाटमें रोकत रूँ धत का करूँ मोरी दइया ॥ 17. राग काफी जनि मारो पिचकारी कन्हैया ताल जत बहुत अरज करि हारी रे। अबीर गुलाल सो लाल भए बादल के सर रंग में रंग दीनी चुंदरिया 18. पीलू देखो कान्हा ने मोपे रंग डारी रे नहीं माने लला मैं घर से दधि बेचन निकली मोरे सिरसे मटुकिया उताररे ग्वालन संग पिचकारी चलावे मोटी चुन्दरी को दीनी बिगार रे ॥ मलिकै गुलाल मुख विकल करत है ऐसो मोहन बेदरदी गँवार रे ॥ जनि मारो पिचकारी कन्हैया अरज करी हारीरे अबीर गुलाल से लाल भये बादल के सर रंगमें रंग दीनी चुन्दरिया मोरी ॥ 19. राग काफी ना मारो पिचकारी कन्हैया तीनताल लाख बिनती कर हारी मैं तोसे। गारी मैं दूँगी तोसे ना डरूँ गी काहे भीजोय नादरंग मोरी सारी ॥ 20. राग बसंत फगवा ब्रिज देख्न को चल री तीनताल फगवे में मिलेंगे कुँ वर कान्हा जूँ बाट चलत बोले कगवा । आयी बहार सकल बन फु ले रसीले लाल को ले अगवा ॥ 21. राग काफी बिरज में हरि होरी दीपचंदी मचाई सखी री इत सो निकसी कुँ वरी राधिका उत सो कुँ वर कन्हाई -१ खेलत फाग परस्पर हिलमिल सो सुख बरन न जाई घर घर बजत बधाई -२ छीन लियो मुरली पीताम्बर सुरंग चूनरी ओढ़ाई -३ बेन्दी भाल नैनन बीच काजर नक बेसर पहराई मानो नई नार बनाई -४ 22. राग तोड़ी द्रुत भर डालूंगी रंग सो एकताल अपने प्रीतम को अब के फागन। अबीर गुलाल अब तो मलूँगी भर पिचकारी सबरंग सो 23. पीलू दादरा भीजोय मोरी चुनरी हो नन्दलाला हो नन्दलाला मदन गुपाला । म्ट् मारो के सर पिचकारी छैला ढीठ अहीर बनवारी तुम तो बरे हो निपट अनारी पीत की रीत का जानो मतवाला ॥ 24. राग दरबारी मंदल डफ बाजन लागो रे आयो फागुन मास । अबीर गुलाल कानडा कु मकु म डारत हंस-हंस करत विलास ॥ 25. राग जंगला मैं तो खेलूंगी उन्हीं से होरी गुईयाँ ताल दादरा मोहे गले लगाये बरजोरी ॥ लेके अबीर गुलाल कु मकु म रंग से भरी पिचकारी गुईयाँ ॥ जाये घेरूँ डगर जाने न दूँगी घर ऐसो ढीठ लंगर नहीं माने निडर आज शाम संग धूम मचाऊं बिंदा गहे बरजोरी गुइयाँ 26. राग जंगला मैका पिचकारी ना मारो नन्दलाल रे । दादरा सारी चुन्दर मोरी रंग में भिगोय डारी गारी देत सब ग्वाल | जाय कहूँ जसु -मति सो बतिया ढीठ लंगर तेरो लाल ॥ 27. राग काफी रंग जी ना डारो मानो गिरिधारी। तीनताल सास ननद मोरी देगी गारी मैं हारी मानो गिरिधारी । कुं वर कन्हाई मोरी नवरंग सारी समझत नाहीं तुम निपट अनारी पैंया परुँ मैं जाऊँ बलिहारी मानो गिरिधारी 28. राग गौड़ रंग डारूं गी डारूँ गी नन्द के लालन पे | तीनताल साँवरे रंग लाल कर दूँगी मल गुलाल दोऊ गालन पे ॥ नारी बनाई के नाच नचाऊं गी डफ मृदंग के तालन पे ॥ डरो ना नेक पकर लो उनको बेंदी लगाऊँ इन भालन पे ॥ 29. रंग दे रंग दे, रंग दे मोरी चुनरी। ऐसो रंग दे जैसी पी की पगड़ी॥ सुरंग चुनरिया रंगीली पगड़िया, मेल होवन दे जैसे बना बनरी। रंगरेज मोरे बीर, देउंगी रतन हीर, आवेंगे नादरंग आज मोरी नगरी॥ 30. रंगलाल रूपलाल अधर अधिक लाल दृगन लाल डोरे लाल कोरेलाल झलके । कर लाल चूरी लाल सीस फू ल द्रुमे लाल एती लाल बीच प्यारी लाल लाल पलकें ॥ असन लाल बसन लाल दसन चमक लाल ही लाल ललना लाल पगन परत लाल ललाम के ॥ 31. राग काफी रामसिया फाग मचावत मचावत अवधपुरी बीच खेले धमार रे अवधपुरी बीच सब सखी मिलकर गावत होरी धमार, धमार रे ॥ लाल घटा छाई, छाई नभ ऊपर बरसत रंग की धार, धार रे ॥ 32. राग बहार हजरत खाजा संग खेलिये धमाल तीनताल बा एस खाजा मिल बन बन आयो तामें हजरत रसूल साहिबे जमाल । कु तुबोदीन और गंज शकर के सावीर निजामोदिनऔलिया लाल या रब यार तेरो बसन्त मनायो सदा राखियो लाल गुलाल ॥ 33. राग बिहारी हूँ तो शाम बिन नहीं खेलूँ होरी अरी गुइया रसिया बिन न नहीं भावे रंग पिचकारी । अबीर गुलाल बिना नंदलाल कछु ना सुहे बिना मदन गुपाल निर्मोही सैयाँ नहीं जाने पीर मोरी ॥ 10.3.2017 34. राग काफी होरी खेलत नंदलाल बिरज में ताल जत ग्वाल बाल सब रास रचावे नटखट नंद के लाल ॥ बाजत ढोलक झांझ मंजीरा गावत सब मिल आज रंगीला नाचत दे दे ताल बिरज में ॥ 35. खमाज होरी खेलत मोसे नई रे नई रे तीनताल का भयो ननदी अनोखे पिया से । बरजोरी कर मोरी बँइयाँ गहत है अपनी करत और कछु न सुनत है आज मोरी लाज गई रे गई रे॥ 36. राग पीलू ताल होली खेलन कै से जाऊं रे गुइया दीपचन्दी हो बीच में ठाडो कुं वर कन्हैया । कु बरी के संग हँसत बोलत ये कौन गांव की रीत री गुईया॥