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कविता 1

'हिन्दी हमारी राष्ट्रीय भाषा'

हिन्दी-हिन्द-ु हिन्दस्
ु तान,

कहते है , सब सीना तान,

पल भर के लिये जरा सोचे इन्सान

रख पाते है हम इसका कितना ध्यान,

सिर्फ 14 सितम्बर को ही करते है

अपनी राष्टृ भाषा का सम्मान

हर पल हर दिन करते है हम

हिन्दी बोलने वालो का अपमान

14 सितम्बर को ही क्यों

याद आता है बस हिन्दी बचाओं अभियान

क्यों भल
ू जाते है हम

हिन्दी को अपमानित करते है खुद हिन्दस्


ु तानी इंसान

क्यों बस 14 सितम्बर को ही हिन्दी में

भाषण दे ते है हमारे नेता महान

क्यों बाद में समझते है अपना

हिन्दी बोलने में अपमान

क्यों समझते है सब अंग्रेजी बोलने में खुद को महान

भूल गये हम क्यों इसी अंग्रेजी ने


बनाया था हमें वर्षों पहले गल
ु ाम

आज उन्हीं की भाषा को क्यों करते है

हम शत ् शत ् प्रणाम

अरे ओ खोये हुये भारतीय इंसान

अब तो जगाओ अपना सोया हुआ स्वाभिमान

उठे खडे हो करें मिलकर प्रयास हम

दिलाये अपनी मातभ


ृ ाषा को हम

अन्तरार्ष्टृीय पहचान

ताकि कहे फिर से हम

हिन्दी-हिन्द-ु हिन्दस्
ु तान,

कहते है , सब सीना तान||

-------- वन्दना शर्मा

कविता 2
'हिंदी का सम्मान'

हिंदी का सम्मान करो, यह हमारी राज भाषा,

मिलाती दे शवाशियों के दिलों को यह, पूरी करती अभिलाषा।

दे खो प्रेमचंद और भारतेन्द ु के यह हिंदी साहित्य,

जो लोगो के जीवन में ठहाको और मनोरं जन के रं ग भरते नित्य|

हिंदी भाषा की यह कथा पुरानी लगभग एक हजार वर्ष,


जो बनी क्रांति की ज्वाला तो कभी स्वतंत्रता सेनानियों का संघर्ष|

आजाद भारत में भी इसका कम नही योगदान,

इसलिए हिंदी दिवस के रुप में इसे मिला यह विशेष स्थान|

विनती बस यही हिंदी को ना दो तम


ु यह दोयम दर्जे का मान,

हिंदी से सदा करो प्रेम तुम दो इसे विशेष सम्मान|

रोज मनाओ तम
ु हिंदी दिवस बनाओ इसे अपना अभिमान,

हिंदी है हमारी राजभाषा इसलिए दो इसे अपने ह्रदयों में विशेष स्थान|

अंग्रेजी की माला जपकर ना करो हिंदी का अपमान,

आओ मिलकर सब प्रण ले नित्य करें गे हिंदी का सम्मान|

                          ----------- योगेश कुमार सिंह

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