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साताहक बानी: मौलाना मोहमद गज़ाल नदवी रहमतुलाह अलैह िजद:6

शुमारा:9

MAGZINE

मैगज़ीन

1 रमज़ान 1444 / 24 माच- 2023

रोज़े क1 हकमत2 और फ़ायेदे

वो चीज़2 िजनसे रोज़ा नहं टूटता है


रोज़े क1 फ़ज़ीलत2 और ना मक=ह होता है

वो चीज़2 िजनसे रोज़ा टूट जाता है


रोज़े क1 क़ज़ा और का>फारे का बयान

(मोहमद खा8लद िज़या 8स9ीक़1 नदवी) (मोहमद फ़रद हबीब नदवी)

ईमाम बुख़ारी
रसच अकैडमी
हाथी डूबा, अमीर %नशां,अलगढ़
91 – 6396810696
ख़ुसुसी कॉलम (2)

रोज़े क1 ३. रोज़ा क़यामत के दन रोज़ेदार


के 8लए 8सफ़ाKरश करे गा:

फ़ज़ीलत2 ! रोज़ा क़यामत के दन रोज़ेदार के


)लए )सफा@रश करे गा: अ लाह के नबी
स ल लाहु अलैह वस लम ने इरशाद
(मुहमद ख़ा8लद िज़या 8स9ीक़1 नदवी)
फ़रमाया: “(क़यामत के दन) रोज़ा
(मौलाना मोहमद फ़रद हबीब नदवी) कहे गा: एै मेरे रब ! म1ने इस बदे को
(1) खाने पीने और अपनी Bवाहश पूर
१. रोज़ेदार को रोज़े का सवाब करने से रोक दया था, इस)लए इसके
अलाह पाक खुद द2 गे: हक़ म मेर )सफ़ा@रश क़बूल कर ले, तो
अ लाह के रसूल स ल लाहु अलैह उसक' )सफा@रश क़बूल क' जाएगी”.
वस लम ने हदस क़ुदसी म फ़रमाया: (मुसनद अहमद:6626)
“बदे के हर अमल (इबादत) का सवाब हम को)शश कर /क हमारा रोज़ा
कई गुना कर दया जाता है . एक नेक' एैसा हो /क ख़ुद रोज़े को अ लाह के
का सवाब दस से सात सौ गुना तक दरबार म )सफ़ा@रश करने म कोई
)मलता है . अ लाह तआला न फ़रमाया: Eकावट पेश ना आये, और ना उसे
)सवाए रोज़े के, (-य./क) बदा, रोज़ा श)मFदगी हो.
मेरे )लए रखता ह1 और म1 ह उसका ३. रोज़ेदार के मुँह क1 खुशबु
बदला दं ग ू ा”.(मुिCलम:1151) इस)लए
मुMक से बेहतर है :
हम म हर एक इस बात क' पूर
रोज़ेदार के मंह
ु क' महक, मुGक
को)शश करे /क रोज़े का बदला अपने
क' खुशबु से बेहतर है : अ लाह के
मा)लक से पाए.
Hयारे नबी स ल लाहु अलैह वस लम
२. रोज़ा गुनाहF को खGम करता है :
ने फ़रमाया: “रोज़ेदार के मुंह क' महक
हुज़ूर स ल लाहु अलैह वस लम ने
क़यामत के दन अ लाह तआला के
फ़रमाया: “पाँच. व:त क' नमाज़, जुमे
नज़दक मुGक क' खुशबु से बेहतर
के बाद दस ू रा जुमा, और रमज़ान के
होगी”. (बुखार:5607)
बाद दस ू रा रमज़ान अपने बीच के
गुनाह. को ()मटा दे ने वाला) क<फारा ह1, रोज़े क1 हकमत2 और फ़ायेदे:
बस शत> ये है /क बड़े गुनाह. से बचा अ लाह पाक ने मुसलमान. पर
जाए”.(मुिCलम:376) इस)लए इस महने रमज़ान के रोज़े फ़ज़> /कये ह1, उसम
गुनाह. से बचने क' परू  को)शश कर . बहुत सी लाभ ह1, िजनम से कुछ ये ह1:
(3) (4)
1. तक़वे का हा8सल होना
तक़वा कहते ह1 /क इंसान गुनाह. 3. खुदा क1 नेअमतF पर शुR
से बचने लगे और अLछे काम करने रोज़े क' वजह से इंसान म ख़ुदा
लगे, इसको हा)सल करने म रोज़ा बड़ी क' नेअमत. का शु^ करने क' भाव पैदा
मदद करता है , इसक' Mडटे ल ये है /क होता है , वो साल भर दन म दो तीन
इंसान के अंदर दो चीज़ ह1, शरर और मत>बा खाता पीता है , मगर इन नेअमत.
आOमा. शरर म इसानी Pवशेषताएं क' तरफ उसका Tयान नहं जाता, अब
होती ह1. जैसे खाना पीना वगैरह, और जब वो रमज़ान म भख ू और Hयास से
आOमा म फ़@रGत. वाल Pवशेषताएं होती गुज़रता है , तो उसे ये अंदाज़ा होता है
ह1, जब इंसान शार@रक Pवशेषताओं पर /क वो साल भर कैसी कैसी नेअमत. के
Sयादा Tयान दे ता है तो उसका दल मज़े लेता रहा है , ये चीज़ उसके अंदर
गुनाह. क' तरफ लगा होता है , और जब श^ु क' Pवशेषता पैदा करती है .
आOमीय Pवशेषताओं पर Sयादा Tयान 4. अलाह तआला के हर जगह
केिUत करता है तो उसका दल पूVय
और अLछाई क' तरफ बढ़ता है . रोज़े म होने का यक़1न
इंसान खाना-पीना, मोह_माया और रोज़े क' वजह से रोज़ेदार म
Bवाहशात को छोड़ कर अपनी आOमीय अ लाह तआला के हर जगह मौजद ू होने
Pवशेषताओं (Zहानी ख़ू[बय.) को तर-क' का PवGवास बढ़ जाता है ; -य./क तहाई
दे ता है , ये चीज़ उसके दल म ने/कय. म खाने पीने से उसे कौन सी चीज़
का शौक़ और बुराइय. से नफ़रत पैदा रोकती है ? यह तो /क उसका ख़ुदा उसे
करती है , और यह तक़वा है . दे ख रहा है , इस तरह तीस दन रोज़ा
रख कर ये यक़'न बहुत प-का हो जाता
2. इंसानF से हमददQ
है /क अ लाह हम हर व:त दे ख रहा है
रोज़े क' वजह से एक इं सान म
और इस यक़'न क' वजह से रोज़ेदार
दस
ु रे इं सान. के बारे म हमदद\ के
गुनाह करने से डरता है .
भाव पैदा होते ह1 , -य./क जब उसे
भूख और Hयास लगती है , तो उसे उन 5. शारKरक लाभ
लोग. का Tयान आता है िजन बेचार. रोज़े क' वजह से शार@रक लाभ
को साल भर म बहुत कम खाने को भी होते ह1 . डा-टर. का कहना है /क
)मल पाता है , इससे उसका दल नम> रोज़े से हाज़मा (पाचन तंa) ठcक होता
पड़ता है , और उसमे गरब. से हमदद\ है , और बहुत सी बीमा@रयां खOम हो
और सहानुभू]त बढ़ती है और उनक' जाती ह1 , और बहुत सी बीमा@रय. म
मदद का जSबा पैदा होता है . कमी आ जाती है .
(5) (6)
• दांत. या मसूढ. से खून ]नकल
वो चीज़2 िजनसे ना रोज़ा टूटता है कर हलक़ म चला जाए.
और ना मक=ह होता है • अगर /कसी क' नकसीर फूट जाए
 रोज़े क' हालत म )मसवाक करना. और खून हलक म चला जाए, तो रोज़ा
टूट जाएगा, और अगर खून हलक म
 इंजे-शन लगवाना, चाहे इंजे-शन
(मौलाना अब तहा बनारसी नदवी मज़ाहर)
ू नहं गया तो रोज़ा नहं टूटे गा.
गोGत म लगाया जाए या नस म और
• रोज़े क' हालत म साँस क' बीमार
चाहे ताक़त के )लए लगवाया जाए या क' वजेह से (inhaler) यूज़ करने से
बीमार क' वजह से; ले/कन बगैर /कसी रोज़ा टूट जाएगा, और )सफ> क़ज़ा
मजबरू  के ताक़त का इंजे-शन लगवाना लािज़म होगी ले/कन िजन लोग. का
मकZह है . (inhaler) के बगैर रहना मुिGकल हो,
 pलूकोज़ क' बोतल (Drip) लगवाने उन के )लए कुछ छूट है , उह आ)लम.
से रोज़ा नहं टूटता; ले/कन बग़ैर /कसी से मालूम कर लेना चाहये.
मजबूर के एैसा करना मकZह है . वो चीज़2 िजनसे क़ज़ा और क>फारा
 /कसी को खून दे ना. दोनF लािज़म होते हU:
 शरर के /कसी हmसे से खून • रोज़े क' हालत म जानबझ ू कर खा
]नकलने से रोज़ा नहं टूटता, चाहे खून पी लेना.
थोड़ा हो या Sयादा. • रोज़े क' हालत म बीवी से हम-
 दांत ]नकलवाने से रोज़ा नहं [बmतर करना.
• )सगरे ट या हु-क़ा वगैरा के आद
टूटता. बस खून हलक़ म ना जाए.
इसान का रोज़े क' हालत म जानबूझ
 आँख म सुमा> या काजल लगाना.
कर )सगरे ट या हु:क़ा पी लेना.
िजन चीजF से रोज़ा टूट जाता है , रोज़े का क>फारा:
और उसके बदले म2 8सफ़- एक रोज़ा • क<फारा )सफ> रमज़ान का रोज़ा
तोड़ने पर लािज़म आता है . न<ल या क़ज़ा
क़ज़ा रखना ज़=र होता है .
का रोज़ा तोड़ने का कोई क<फारा नहं
• नाक म दवा डालना. होता; अलबOता क़ज़ा लािज़म होती है .
• भूल कर खा पी )लया और ये • रोज़े का क<फारा ये है /क दो
समझा क' इस से रोज़ा टूट गया होगा, महने लगातार रोज़े रखे. अगर ये
/फर जान बझ
ू कर खा पी )लया. मुम/कन ना हो तो साठ )मmक'न. को दो
• रात समझ कर सहर का व:त व:त का खाना nखलाए या उसके बराबर
ख़Oम होने के बाद सहर खा लेना. क' क़'मत दे दे ।

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